30-10-2019, 02:49 PM
बहुत ज्यादा लोग अस्पताल नहीं आते थे । इक्का दुक्का ही लोग थे ज्यादतर पुरुष ही थे । तभी एक पुराने मॉडेल की एंबेसेडर कार आकर रुकी तो शबनम उस कार की तरफ गयी , कुछ देर तक वो बात करती रही फिर मेरी तरफ कुछ देख कर इशारा किया ।
फिर कार का दरवाजा खुला और एक शानदार रोबीली औरत उसमे से उतर कर आयी और बैठ गयी ।
"डाक्टर साहब ! मैं रानी प्रभा देवी हूँ । आपको हमारे महल चलना होगा। " उनका लहजा आदेशात्मक ही था ।
मैं कुछ बोलता उसके पहले ही शबनम बोल पड़ी , " मैं अपने साथ लेकर समय पर आऊँगी । "
शाम के चार बजे होंगे मैं शबनम के साथ महल के दरवाजे पर था। इस वीराने में ऐसा महल कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था । शबनम को वहाँ पर सभी लोग जानते थे ।
"रानी साहिबा , आपका ही इन्तेजार कर रही हैं । " एक बुड्ढा हमको अन्दर आने का इशारा करते हुये बोला ।
फिर कार का दरवाजा खुला और एक शानदार रोबीली औरत उसमे से उतर कर आयी और बैठ गयी ।
"डाक्टर साहब ! मैं रानी प्रभा देवी हूँ । आपको हमारे महल चलना होगा। " उनका लहजा आदेशात्मक ही था ।
मैं कुछ बोलता उसके पहले ही शबनम बोल पड़ी , " मैं अपने साथ लेकर समय पर आऊँगी । "
शाम के चार बजे होंगे मैं शबनम के साथ महल के दरवाजे पर था। इस वीराने में ऐसा महल कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था । शबनम को वहाँ पर सभी लोग जानते थे ।
"रानी साहिबा , आपका ही इन्तेजार कर रही हैं । " एक बुड्ढा हमको अन्दर आने का इशारा करते हुये बोला ।