30-10-2019, 01:44 PM
रात काे जोर जोर से दरवाजा पीटने की आवाज से आँख खुली , दरवाजा शबनम ने ही खोला । वो चार लोग थे एक औरत भी थी , वही बोली " बच्चा फंस गया है , जल्दी कुछ करो । "
"साब जल्दी आओ " बोलते हुये वो बाहर डिस्पेंसरी की तरफ भागी ।
हमने जाकर देखा तो जच्चा और बच्चा दोनो की हालत खराब हो रही थी , किसी तरह से हम दोनो ने फँसा हुआ बच्चा निकाला और वो दोनो अब ठीक थे ।
उसके बाद शबनम उन सब पर चिल्लाने लगी "पहले और समय पर हॉस्पिटल नहीं ला सकते थे अभी दोनो मर जाते तो कौन जिम्मेदार होता । लड़की इतनी छोटी उमर की है अभी उसकी उमर खेलने की है ना कि माँ बनने की । "
मैने उसको किसी तरह शान्त किया वो सब भी चले गये । घड़ी देखी सुबह के पांच बजने को थे । मैने अपने जूते पहने और टहलने निकल गया । वहाँ से आकर नहाया और तब तक शबनम ने सब्जी पराठा बना लिया था । खाया और डिस्पेंसरी में जाकर बैठ गया ।
"साब जल्दी आओ " बोलते हुये वो बाहर डिस्पेंसरी की तरफ भागी ।
हमने जाकर देखा तो जच्चा और बच्चा दोनो की हालत खराब हो रही थी , किसी तरह से हम दोनो ने फँसा हुआ बच्चा निकाला और वो दोनो अब ठीक थे ।
उसके बाद शबनम उन सब पर चिल्लाने लगी "पहले और समय पर हॉस्पिटल नहीं ला सकते थे अभी दोनो मर जाते तो कौन जिम्मेदार होता । लड़की इतनी छोटी उमर की है अभी उसकी उमर खेलने की है ना कि माँ बनने की । "
मैने उसको किसी तरह शान्त किया वो सब भी चले गये । घड़ी देखी सुबह के पांच बजने को थे । मैने अपने जूते पहने और टहलने निकल गया । वहाँ से आकर नहाया और तब तक शबनम ने सब्जी पराठा बना लिया था । खाया और डिस्पेंसरी में जाकर बैठ गया ।