30-10-2019, 01:07 PM
सी एम ओ के यहॉ से अपने पेपर और जरूरी जानकरी लेकर निकल पड़ा ... हाँ जाते जाते एक बार और कजरी के साथ चुदाई करना नहीं भुला । अब ना जाने कब चूत के दर्शन होंगे ।
बस पकड़ कर तीन घन्टे लगे उस बियाबान में पहुचने में , जैसे ही बस से उतरा ....
"आप नये डाक्टर बाबू हैं ...? " खनकती हुयी मादा आवाज ने मेरा ध्यान अपनी ओर किया ।
वो भरे बदन वाली 34-35 साल की साधारण से सलवार में माथे पर बड़ी गोल बिन्दी , गोरा रंग गोल चेहरा ।
उसने आगे बढ़ कर मेरा एक बेग ले लिया , "मैं अस्पताल की दाई .... सफाई कर्मचारी और अब आपकी कुक भी हूँ । "
बोलते हुये वो आगे बड़ी और मैं उसके मटकते हुये कूल्हे देखते हुये पीछे पीछे चलने लगा ।
"क्या नाम है तुम्हारा ? " मैने उसके बगल में आते हुये कहा
"जी शबनम , पर सब मुझको शब्बो कह कर बुलाते हैं । "
हम दोनो तेज कदमों से चलते हुये आखिर दो घंटो में अस्पताल पहुँच गये । मैं तो बहुत थक गया था , अपने कमरे में सामान रख कर पसर गया ।
कब आंख लगी पता नहीं चला ।
बहुत देर तक सोता रहा , उठा तो शाम का अंधेरा घिर आया था और मूझे भूख भी लगी थी । बहुत अच्छी खुशबू भी आरही थी , खाने की ।
मैं हाथ मुँह धोकर निकला तभी शब्बो ने किचन से मूझे खाना लाकर दिया , " क्या बनाया है , बहुत अच्छी खुशबू आरही है ! "
"मिक्स सब्जी रोटी और दाल चावल । " उसने मूझे थाली पकड़ाते हुये कहा । " वो अपनी थाली भी ले आयी और वही सामने नीचे बैठ कर खाने लगी ।
खाना बहुत अच्छा बना था । खा कर मैं दोबारा पसर गया , मैने अब ध्यान दिया कि उसका कोई अलग कमरा नहीं है । वो थोड़ी देर में सब काम निपटा कर अपना बिस्तर लायी और वहीं नीचे लगा कर लेट गयी ।
मैं भी सो गया
जारी है .....
बस पकड़ कर तीन घन्टे लगे उस बियाबान में पहुचने में , जैसे ही बस से उतरा ....
"आप नये डाक्टर बाबू हैं ...? " खनकती हुयी मादा आवाज ने मेरा ध्यान अपनी ओर किया ।
वो भरे बदन वाली 34-35 साल की साधारण से सलवार में माथे पर बड़ी गोल बिन्दी , गोरा रंग गोल चेहरा ।
उसने आगे बढ़ कर मेरा एक बेग ले लिया , "मैं अस्पताल की दाई .... सफाई कर्मचारी और अब आपकी कुक भी हूँ । "
बोलते हुये वो आगे बड़ी और मैं उसके मटकते हुये कूल्हे देखते हुये पीछे पीछे चलने लगा ।
"क्या नाम है तुम्हारा ? " मैने उसके बगल में आते हुये कहा
"जी शबनम , पर सब मुझको शब्बो कह कर बुलाते हैं । "
हम दोनो तेज कदमों से चलते हुये आखिर दो घंटो में अस्पताल पहुँच गये । मैं तो बहुत थक गया था , अपने कमरे में सामान रख कर पसर गया ।
कब आंख लगी पता नहीं चला ।
बहुत देर तक सोता रहा , उठा तो शाम का अंधेरा घिर आया था और मूझे भूख भी लगी थी । बहुत अच्छी खुशबू भी आरही थी , खाने की ।
मैं हाथ मुँह धोकर निकला तभी शब्बो ने किचन से मूझे खाना लाकर दिया , " क्या बनाया है , बहुत अच्छी खुशबू आरही है ! "
"मिक्स सब्जी रोटी और दाल चावल । " उसने मूझे थाली पकड़ाते हुये कहा । " वो अपनी थाली भी ले आयी और वही सामने नीचे बैठ कर खाने लगी ।
खाना बहुत अच्छा बना था । खा कर मैं दोबारा पसर गया , मैने अब ध्यान दिया कि उसका कोई अलग कमरा नहीं है । वो थोड़ी देर में सब काम निपटा कर अपना बिस्तर लायी और वहीं नीचे लगा कर लेट गयी ।
मैं भी सो गया
जारी है .....