29-10-2019, 02:18 PM
गुड्डी --- गारी
खास तौर से उनकी ममेरी बहन , एलवल वाली , गुड्डी का नाम लेकर , उन गारी गानों का असर मैं देख चुकी थी , बस , मैं चालू हो गयी।
चलो देख आयीं , आजमगढ़ का जीजी आई सी , चलो देख आयीं आजमगढ़ का जी जी आई सी ,
जहाँ पढ़े हमारे सैयां की बहना , जहाँ पढ़ें हमारी ननदी छिनार , ... अरे गुड्डी छिनार
अरे गुड्डी स्साली , न पढ़ें में तेज , न पढ़ावे में तेज ,
अरे गुड्डी स्साली , न पढ़ें में तेज , न पढ़ावे में तेज ,
अरे गुड्डी छिनार , नौ नौ लौंडे फँसावे में तेज ,
हमरे सैयां से चुदवावे में तेज ,
चलो देख आयीं , आजमगढ़ का जीजी आई सी , चलो देख आयीं आजमगढ़ का जी जी आई सी ,
जहाँ पढ़े हमारे सैयां की बहना , जहाँ पढ़ें हमारी ननदी छिनार , ... अरे गुड्डी छिनार
अरे गुड्डी छिनार, हमरे सैंया क लौंड़ा घोंटे में तेज ,
अपने भैया से चोदवावे में तेज ,
जब तक वो मेरे एक जोबन से रबड़ी सपड़ सपड़ चाट रहे थे , मैंने बाकी रबड़ी अपने दूसरे उभार पर अच्छी तरह , ...
और कुछ देर बाद मैंने एक निकाल कर दूसरा उभार उनके मुंह में ठेल दिया और साथ में छेड़ा भी ,
" अरे नन्दोई खाएं वो भी बिना गाली के , कैसे होता ,.. "
" मैं नन्दोई , कैसे "
उनके मुंह से निकला पर आगे कुछ बोलने के पहले , मैंने अपना दूसरा जोबन उनके मुंह में ठेल दिया ,
और एक बार फिर वो रबड़ी सपड़ सपड़ मेरे जोबन पर और उनकी बात का मैंने जवाब दिया
" आखिर मेरी छुटकी ननदिया पर चढ़ोगे तो नन्दोई ही होंगे , ... "
और अपनी बात की ताकीद के लिए उनके मोटे खूंटे को मुठियाने लगी ,
और जैसे मूसलचंद से पूछ रही हूँ , बोली ,
" बोल फाड़ोगे न मेरी ननद की कोरी कच्ची बुरिया , बहुत चुदवासी हो रही है वो , ... "
उन्होंने जवाब अपने अंदाज में दिया , कस कस के अब वो मेरे जोबन को चूस रहे थे चाट रहे थे ,
मूसलचंद मेरी मुट्ठी में एकदम कड़क , ... जैसे मौका मिलते ही मेरी नन्द को , गुड्डी रानी को चोद देंगे ,
और मैं चालू हो गयी
चंदा छिप जाय बीच बदरियन में , चंदा छिप जाय बीच बदरियन में , चंदा छिप जाय
हमारे सैंया क बहिनी घूमे बाजार , अरे गुड्डी छिनारिया घूमे बाजार , करे सोलह सिंगार
अरे गुड्डी छिनारिया घूमे बाजार करे सोलह भतार , छिनरो कहे एको नहीं
चंदा छिप जाय बीच बदरियन में , चंदा छिप जाय बीच बदरियन में ,
अरे गुड्डी छिनारिया घूमे बाजार करे सोलह भतार , छिनरो कहे एको नहीं
दस आगे लगावें , दस पीछे भतार , दस खड़े मुठियावें उनके भतार ,
दस रहरियों में , दस गन्ने के खेत में उनके भतार ,
....
गारी का असर और वो भी गुड्डी के नाम का जबरदस्त पड़ा , दूने जोश से अब वो रबड़ी चाट रहे थे , मेरे निप्स चूस रहे थे ,
मैं हलके हलके मुठिया रही थी , कभी चूम कभी इयर लोब्स हलके से काट लेती ,
साथ में उनके निप्स भी स्क्रैच कर देती , हलके हलके मैं उनके कान में फुसफुसा रही थी ,
"ऐसे ही मेरी ननदिया की कच्ची अमिया भी चूसना मजे ले ले कर , अरे आराम से चुसवायेगी वो और नहीं तो मैं हूँ न उसका हाथ पैर पकड़ने को। बड़ा मजा आएगा तुझे उन कच्चे टिकोरों को कुतरने में ,
अरे इस उम्र में उसकी जो कस के मिजोगे मसलोगे , मजे ले ले के चुसोगे न उसकी , देखना जबरदस्त जोबन आएगा उसका
वो भी बहुत जल्द, अरे चूँचिया उठान का मजा ही अलग है ,
हाँ हाँ और कस के चाटो , बोला न दिलवाऊंगी उसकी , सिर्फ छोटी छोटी चूँचियाँ ही नहीं उसकी कच्ची गुलाबी चूत भी , ... "
लंड उनका बस पागल नहीं हुआ , एकदम कड़क , सुपाड़ा पूरा फूला , एकदम मोटा कड़क , ...
और मैंने उनकी ममेरी बहन का नाम लेकर एक और गारी चालू कर दी ,
अरे हमारे वीर बलिया ,
अरे लीपी पोती ओखरिया , अरे लीपी पोती ओखरिया ,
अरे उसपे राखी पेटरिया , अरे उसपे राखी पेटरिया ,
पेटरी उतारे गयीं हमरे सैयां जी क बहिनी , अरे
पेटरी उतारे गयीं गुड्डी छीनरिया , भोंसड़ी में गड़ गयी लकडिया
अरे हमारे वीर बलिया ,
अरे लीपी पोती ओखरिया , अरे लीपी पोती ओखरिया ,
अरे उसपे राखी पेटरिया , अरे उसपे राखी पेटरिया ,
पेटरी उतारे गयीं हमरे सैयां जी क बहिनी , अरे
पेटरी उतारे गयीं गुड्डी स्साली , गंडिया में गड़ गयी लकडिया
दौड़ा दौड़ा हो हमरे आनंद भैया , हमरे छोटे भैया ,
भोंसड़ी से खींचा लकडिया , अरे मुंहवा से खींचा लकडिया ,
अरे गांडियो से खींचा लकडिया ,
दो दो बार मेरे दोनों उभारों से , सकोरे की आधी से ज्यादा रबड़ी मेरे साजन के पेट में चली गयी थी।
मैंने अपनी ब्रा उनके आँखों पर कस के बांध रखी थी , लेकिन स्वाद तो ,...
मैं अब बिस्तर पर लेटी थी , वो मेरे ऊपर , जब तक वो एक जो,
बन से रबड़ी सपड़ सपड़ चाट कर साफ करते मैं दूसरे उभार पर ,... और खुद उनका मुंह खींच कर उसके ऊपर ,...
अब कसोरे में बस थोड़ी सी रबड़ी बची थी लेकिन तब भी एक कटोरी से ज्यादा ही होगी।
मुझे एक शरारत सूझी , अभी थोड़ी देर पहले ही तो उन्होंने मेरी कटोरी से होनी मलाई सफाचट की थी , और वो भी एक कटोरी से कम क्या रही होगी , बस
मैंने बची खुची रबड़ी अब अपनी खूब फैली , खुली जांघों के बीच , सीधे मेरी चुनमुनिया पर , ...
और हाथ से अच्छी तरह लथेड़ भी दिया , गुलाबो के दोनों होंठ फैला कर , कुछ उसके अंदर भी
और उन्हें जबरदस्ती ठेल कर , सीधे उनके होंठ मेरी सहेली के ऊपर , ... और हाँ अब मैंने उनकी आँखों के ऊपर बंधी अपनी ब्रा खोल दी , .... मैं सरक कर एकदम पलंग के किनारे पर थी और वो फर्श पर बैठे , ... उनके होंठ मेरी चिकनी चमेली पर से रबड़ी ,
चूत चटोरे तो वो जबरदस्त थे ही , अब थोड़ी देर में मेरी हालत खराब , चूतड़ पटक रही थी सिसक रही थी
हाँ अब उनकी आँखे भी खुली थीं , कमरे में रौशनी भी थी , खिड़कियां बंद भले ही थी पर , परदे सारे खुले और उस दिन पूनम की रात थी , ...
और वो खुली आँखों से देखते , मेरी चूत पर लिथड़ी चुपड़ी रबड़ी चाट रहे थे , और मैं चूतड़ उचका उचका के , चटवा रही थी , कस के मैंने उनके सर को पकड़ आकर अपनी बुर पर दबा रखा था , जीभ से उन्होंने मेरी दोनों फांको को खोला और उसके अंदर की भी रबड़ी , जीभ अंदर घुसेड़ कर
" हाँ ऐसे ही चाटो न मेरे राजा , जल्द ही अपनी ननद की भी इसी बिस्तर पर दिलवाऊंगी , ... बोल न चोदेगा न गुड्डी को हचक हचक के , ... "
बस मेरा इतना कहना काफी था , उन्होंने मेरी दोनों टांगों को उठा के अपने कंधे पर रखा , सारी तकिया कुशन मेरे चूतड़ के नीचे , मैं पलंग के किनारे लेटी और वो फर्श पर खड़े , ... मेरी जाँघे खूब फैली ,
उईईईईई ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उईईईईई नहीं , .... पहले धक्के में ही मेरी जोर की चीख निकल गयी।
खास तौर से उनकी ममेरी बहन , एलवल वाली , गुड्डी का नाम लेकर , उन गारी गानों का असर मैं देख चुकी थी , बस , मैं चालू हो गयी।
चलो देख आयीं , आजमगढ़ का जीजी आई सी , चलो देख आयीं आजमगढ़ का जी जी आई सी ,
जहाँ पढ़े हमारे सैयां की बहना , जहाँ पढ़ें हमारी ननदी छिनार , ... अरे गुड्डी छिनार
अरे गुड्डी स्साली , न पढ़ें में तेज , न पढ़ावे में तेज ,
अरे गुड्डी स्साली , न पढ़ें में तेज , न पढ़ावे में तेज ,
अरे गुड्डी छिनार , नौ नौ लौंडे फँसावे में तेज ,
हमरे सैयां से चुदवावे में तेज ,
चलो देख आयीं , आजमगढ़ का जीजी आई सी , चलो देख आयीं आजमगढ़ का जी जी आई सी ,
जहाँ पढ़े हमारे सैयां की बहना , जहाँ पढ़ें हमारी ननदी छिनार , ... अरे गुड्डी छिनार
अरे गुड्डी छिनार, हमरे सैंया क लौंड़ा घोंटे में तेज ,
अपने भैया से चोदवावे में तेज ,
जब तक वो मेरे एक जोबन से रबड़ी सपड़ सपड़ चाट रहे थे , मैंने बाकी रबड़ी अपने दूसरे उभार पर अच्छी तरह , ...
और कुछ देर बाद मैंने एक निकाल कर दूसरा उभार उनके मुंह में ठेल दिया और साथ में छेड़ा भी ,
" अरे नन्दोई खाएं वो भी बिना गाली के , कैसे होता ,.. "
" मैं नन्दोई , कैसे "
उनके मुंह से निकला पर आगे कुछ बोलने के पहले , मैंने अपना दूसरा जोबन उनके मुंह में ठेल दिया ,
और एक बार फिर वो रबड़ी सपड़ सपड़ मेरे जोबन पर और उनकी बात का मैंने जवाब दिया
" आखिर मेरी छुटकी ननदिया पर चढ़ोगे तो नन्दोई ही होंगे , ... "
और अपनी बात की ताकीद के लिए उनके मोटे खूंटे को मुठियाने लगी ,
और जैसे मूसलचंद से पूछ रही हूँ , बोली ,
" बोल फाड़ोगे न मेरी ननद की कोरी कच्ची बुरिया , बहुत चुदवासी हो रही है वो , ... "
उन्होंने जवाब अपने अंदाज में दिया , कस कस के अब वो मेरे जोबन को चूस रहे थे चाट रहे थे ,
मूसलचंद मेरी मुट्ठी में एकदम कड़क , ... जैसे मौका मिलते ही मेरी नन्द को , गुड्डी रानी को चोद देंगे ,
और मैं चालू हो गयी
चंदा छिप जाय बीच बदरियन में , चंदा छिप जाय बीच बदरियन में , चंदा छिप जाय
हमारे सैंया क बहिनी घूमे बाजार , अरे गुड्डी छिनारिया घूमे बाजार , करे सोलह सिंगार
अरे गुड्डी छिनारिया घूमे बाजार करे सोलह भतार , छिनरो कहे एको नहीं
चंदा छिप जाय बीच बदरियन में , चंदा छिप जाय बीच बदरियन में ,
अरे गुड्डी छिनारिया घूमे बाजार करे सोलह भतार , छिनरो कहे एको नहीं
दस आगे लगावें , दस पीछे भतार , दस खड़े मुठियावें उनके भतार ,
दस रहरियों में , दस गन्ने के खेत में उनके भतार ,
....
गारी का असर और वो भी गुड्डी के नाम का जबरदस्त पड़ा , दूने जोश से अब वो रबड़ी चाट रहे थे , मेरे निप्स चूस रहे थे ,
मैं हलके हलके मुठिया रही थी , कभी चूम कभी इयर लोब्स हलके से काट लेती ,
साथ में उनके निप्स भी स्क्रैच कर देती , हलके हलके मैं उनके कान में फुसफुसा रही थी ,
"ऐसे ही मेरी ननदिया की कच्ची अमिया भी चूसना मजे ले ले कर , अरे आराम से चुसवायेगी वो और नहीं तो मैं हूँ न उसका हाथ पैर पकड़ने को। बड़ा मजा आएगा तुझे उन कच्चे टिकोरों को कुतरने में ,
अरे इस उम्र में उसकी जो कस के मिजोगे मसलोगे , मजे ले ले के चुसोगे न उसकी , देखना जबरदस्त जोबन आएगा उसका
वो भी बहुत जल्द, अरे चूँचिया उठान का मजा ही अलग है ,
हाँ हाँ और कस के चाटो , बोला न दिलवाऊंगी उसकी , सिर्फ छोटी छोटी चूँचियाँ ही नहीं उसकी कच्ची गुलाबी चूत भी , ... "
लंड उनका बस पागल नहीं हुआ , एकदम कड़क , सुपाड़ा पूरा फूला , एकदम मोटा कड़क , ...
और मैंने उनकी ममेरी बहन का नाम लेकर एक और गारी चालू कर दी ,
अरे हमारे वीर बलिया ,
अरे लीपी पोती ओखरिया , अरे लीपी पोती ओखरिया ,
अरे उसपे राखी पेटरिया , अरे उसपे राखी पेटरिया ,
पेटरी उतारे गयीं हमरे सैयां जी क बहिनी , अरे
पेटरी उतारे गयीं गुड्डी छीनरिया , भोंसड़ी में गड़ गयी लकडिया
अरे हमारे वीर बलिया ,
अरे लीपी पोती ओखरिया , अरे लीपी पोती ओखरिया ,
अरे उसपे राखी पेटरिया , अरे उसपे राखी पेटरिया ,
पेटरी उतारे गयीं हमरे सैयां जी क बहिनी , अरे
पेटरी उतारे गयीं गुड्डी स्साली , गंडिया में गड़ गयी लकडिया
दौड़ा दौड़ा हो हमरे आनंद भैया , हमरे छोटे भैया ,
भोंसड़ी से खींचा लकडिया , अरे मुंहवा से खींचा लकडिया ,
अरे गांडियो से खींचा लकडिया ,
दो दो बार मेरे दोनों उभारों से , सकोरे की आधी से ज्यादा रबड़ी मेरे साजन के पेट में चली गयी थी।
मैंने अपनी ब्रा उनके आँखों पर कस के बांध रखी थी , लेकिन स्वाद तो ,...
मैं अब बिस्तर पर लेटी थी , वो मेरे ऊपर , जब तक वो एक जो,
बन से रबड़ी सपड़ सपड़ चाट कर साफ करते मैं दूसरे उभार पर ,... और खुद उनका मुंह खींच कर उसके ऊपर ,...
अब कसोरे में बस थोड़ी सी रबड़ी बची थी लेकिन तब भी एक कटोरी से ज्यादा ही होगी।
मुझे एक शरारत सूझी , अभी थोड़ी देर पहले ही तो उन्होंने मेरी कटोरी से होनी मलाई सफाचट की थी , और वो भी एक कटोरी से कम क्या रही होगी , बस
मैंने बची खुची रबड़ी अब अपनी खूब फैली , खुली जांघों के बीच , सीधे मेरी चुनमुनिया पर , ...
और हाथ से अच्छी तरह लथेड़ भी दिया , गुलाबो के दोनों होंठ फैला कर , कुछ उसके अंदर भी
और उन्हें जबरदस्ती ठेल कर , सीधे उनके होंठ मेरी सहेली के ऊपर , ... और हाँ अब मैंने उनकी आँखों के ऊपर बंधी अपनी ब्रा खोल दी , .... मैं सरक कर एकदम पलंग के किनारे पर थी और वो फर्श पर बैठे , ... उनके होंठ मेरी चिकनी चमेली पर से रबड़ी ,
चूत चटोरे तो वो जबरदस्त थे ही , अब थोड़ी देर में मेरी हालत खराब , चूतड़ पटक रही थी सिसक रही थी
हाँ अब उनकी आँखे भी खुली थीं , कमरे में रौशनी भी थी , खिड़कियां बंद भले ही थी पर , परदे सारे खुले और उस दिन पूनम की रात थी , ...
और वो खुली आँखों से देखते , मेरी चूत पर लिथड़ी चुपड़ी रबड़ी चाट रहे थे , और मैं चूतड़ उचका उचका के , चटवा रही थी , कस के मैंने उनके सर को पकड़ आकर अपनी बुर पर दबा रखा था , जीभ से उन्होंने मेरी दोनों फांको को खोला और उसके अंदर की भी रबड़ी , जीभ अंदर घुसेड़ कर
" हाँ ऐसे ही चाटो न मेरे राजा , जल्द ही अपनी ननद की भी इसी बिस्तर पर दिलवाऊंगी , ... बोल न चोदेगा न गुड्डी को हचक हचक के , ... "
बस मेरा इतना कहना काफी था , उन्होंने मेरी दोनों टांगों को उठा के अपने कंधे पर रखा , सारी तकिया कुशन मेरे चूतड़ के नीचे , मैं पलंग के किनारे लेटी और वो फर्श पर खड़े , ... मेरी जाँघे खूब फैली ,
उईईईईई ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उईईईईई नहीं , .... पहले धक्के में ही मेरी जोर की चीख निकल गयी।