29-10-2019, 01:55 PM
रबड़ी
रबड़ी उनको पसंद नहीं थी।
सिर्फ नापंसद नहीं थी , बल्कि सख्त नापसंद , मैंने देखा था रिसेप्शन वाले दिन , उनकी इमरती की प्लेट में किसी ने जरा सा एक आधी चमच रबड़ी डाल दी ,
बस प्लेट उन्होंने जस की तस छोड़ दी।
मैं फ्रिज के सामने खड़ी देख रही थी , एक बड़े से बाउल में रबड़ी रखी थी , एक पाँव से ज्यादा ही थी।
पांच सौ ग्राम आयी थी , सासू जी ने थोड़ी सी ही खायी थी बाकी सब बची थी।
क्या करूँ , कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
फिर मैंने तय कर लिया ,
कोमल. अब ये लड़का क्या पसंद करता है क्या नापसंद , उसको नहीं तय करना है , ये कोमल तय करेगी।
मैं मुस्करायी ,
उनकी नो नो वाली पूरी लिस्ट मेरे दिमाग में घूम गयी।
बस मैंने ड्राई फ्रूट वाले डिब्बे खोले , और कतरे हुए काजू , बादाम , पिस्ता, केसर ,...
और तभी मुझे एक और डिब्बा दिख गया बड़ा छोटा सा और मेरे चेहरे पर हंसी दौड़ गयी , मंझली ननद ने उस डिब्बे का राज बताया था ,
जो रोज रात को सुहाग रात के पहले दिन से हमारे कमरे में दूध रखा जाता था , उसमें ये ,...
पता नहीं क्या क्या हर्ब्स थीं , ... शिलाजीत , अस्तावर , ...
मंझली ननद ने बताया तो हम दोनों हँसते हुए लोट पोट हो गए
' शक्तिवर्धक , वीर्यवर्धक , कामोत्तेजक , मदन चूर्ण '
मैंने एक मिटटी का बड़ा सा सकोरा उठाया और पहले सबसे नीचे वही उसी डिब्बे से ,
ढेर सारी , और फिर बाउल से रबड़ी , और उसके ऊपर कतरे काजू बादाम , केसर , पिस्ता
और फिर उसी हर्ब वाले डिब्बे से और ढेर सारा छिड़क दिया , ...
मैंने बस एक सावधानी बरती , एक अल्युमिनियम फ्वायल से उसे कवर कर लिया ,
फिर वो दूध वाला ग्लास और मिटटी का रबड़ी से भरा सकोरा लेकर दबे पांव ऊपर कमरे में ,...
कमरे में घुसते ही पहले मैंने ट्रे अंदर मेज पर रखा और दरवाजा बंद कर लिया।
बेताब , बेसबरा , उनका चेहरा एकदम , .... भुकरा बोले , पूरे आठ मिनट हो गए हैं।
बस अब मैं नहीं कहीं जाउंगी पक्का ,
और दूध का ग्लास उनके मुंह पर लगा दिया ,
लेकिन वो भी , ... तुम भी पियो ,...
आधा ग्लास दूध , उसमें भी , ... मैंने पीया थोड़ा सा और फिर सीधे चुम्मी से उनके मुंह में और बाकी ग्लास भी।
" सकोरे में क्या है "
लगता है उनकी छठी इन्द्रिय जग गयी थी।
" कुछ भी हो तुमसे मतलब , ... मेरे उसके लिए है , तुम चुप रहो ,... और सीधे से लेट जाओ , आँखे बंद। "
अच्छे बच्चे की तरह वो लेट गए , और मुंह भी खोल दिया , आँख बंद
नाइटी तो मेरी उनको दूध पिलाते ही निकल गयी थी ,
बस मैंने एक निप अपना उनके खुले मुंह में डाल दिया ,
यही तो वो चाहते थे , ...
' न हिलना न आँख खोलना "
मैंने उन्हें चेताया , वरना
सर हिला के उन्होंने एकदम मेरी शर्त मानने की हामी भरी ,
बस , ... मैंने सकोरे में से रबड़ी , खूब गाढ़ी थी , ... अपने दूसरे उभार पर अच्छी तरह , निपल से लेकर ऊपर तक ,....
" लो अब ये वाला लो ,'
और एक निप निकाल के रबड़ी से लिपडा लिथड़ा अपना उभार सीधे उनके मुंह में
और अबकी मैंने पूरी ताकत से , सिर्फ निप्स ही नहीं आधे से ज्यादा बूब्स भी उनके मुंह में, अब वो सपड़ सपड़ चाट रहे थे ,
आधे से ज्यादा मेरा मस्त उभार उनके मुंह में ठूंसा हुआ था ,
एकदम उसी तरह जिस तरह से वो अपने मूसलचंद को मेरी गुलाबो में पूरी ताकत से ठेलते थे , उसी तरह पूरी ताकत से मैंने भी ठेल रखा था।
खूब गाढ़ी थक्केदार रबड़ी मेरे जोबन से लिपटी , अब मेरी चूँची से सीधे उनके मुंह में ,
उनका मुंह तो बंद था , पर मेरा मुंह तो खुला था , बस मैंने सीधे उनके कान के पास ले जाकर ,
जिस दिन छत पर मैंने खुल कर गारी गायी थी
खास तौर से उनकी ममेरी बहन , एलवल वाली , गुड्डी का नाम लेकर ,
उन गारी गानों का असर मैं देख चुकी थी , बस , मैं चालू हो गयी।
रबड़ी उनको पसंद नहीं थी।
सिर्फ नापंसद नहीं थी , बल्कि सख्त नापसंद , मैंने देखा था रिसेप्शन वाले दिन , उनकी इमरती की प्लेट में किसी ने जरा सा एक आधी चमच रबड़ी डाल दी ,
बस प्लेट उन्होंने जस की तस छोड़ दी।
मैं फ्रिज के सामने खड़ी देख रही थी , एक बड़े से बाउल में रबड़ी रखी थी , एक पाँव से ज्यादा ही थी।
पांच सौ ग्राम आयी थी , सासू जी ने थोड़ी सी ही खायी थी बाकी सब बची थी।
क्या करूँ , कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
फिर मैंने तय कर लिया ,
कोमल. अब ये लड़का क्या पसंद करता है क्या नापसंद , उसको नहीं तय करना है , ये कोमल तय करेगी।
मैं मुस्करायी ,
उनकी नो नो वाली पूरी लिस्ट मेरे दिमाग में घूम गयी।
बस मैंने ड्राई फ्रूट वाले डिब्बे खोले , और कतरे हुए काजू , बादाम , पिस्ता, केसर ,...
और तभी मुझे एक और डिब्बा दिख गया बड़ा छोटा सा और मेरे चेहरे पर हंसी दौड़ गयी , मंझली ननद ने उस डिब्बे का राज बताया था ,
जो रोज रात को सुहाग रात के पहले दिन से हमारे कमरे में दूध रखा जाता था , उसमें ये ,...
पता नहीं क्या क्या हर्ब्स थीं , ... शिलाजीत , अस्तावर , ...
मंझली ननद ने बताया तो हम दोनों हँसते हुए लोट पोट हो गए
' शक्तिवर्धक , वीर्यवर्धक , कामोत्तेजक , मदन चूर्ण '
मैंने एक मिटटी का बड़ा सा सकोरा उठाया और पहले सबसे नीचे वही उसी डिब्बे से ,
ढेर सारी , और फिर बाउल से रबड़ी , और उसके ऊपर कतरे काजू बादाम , केसर , पिस्ता
और फिर उसी हर्ब वाले डिब्बे से और ढेर सारा छिड़क दिया , ...
मैंने बस एक सावधानी बरती , एक अल्युमिनियम फ्वायल से उसे कवर कर लिया ,
फिर वो दूध वाला ग्लास और मिटटी का रबड़ी से भरा सकोरा लेकर दबे पांव ऊपर कमरे में ,...
कमरे में घुसते ही पहले मैंने ट्रे अंदर मेज पर रखा और दरवाजा बंद कर लिया।
बेताब , बेसबरा , उनका चेहरा एकदम , .... भुकरा बोले , पूरे आठ मिनट हो गए हैं।
बस अब मैं नहीं कहीं जाउंगी पक्का ,
और दूध का ग्लास उनके मुंह पर लगा दिया ,
लेकिन वो भी , ... तुम भी पियो ,...
आधा ग्लास दूध , उसमें भी , ... मैंने पीया थोड़ा सा और फिर सीधे चुम्मी से उनके मुंह में और बाकी ग्लास भी।
" सकोरे में क्या है "
लगता है उनकी छठी इन्द्रिय जग गयी थी।
" कुछ भी हो तुमसे मतलब , ... मेरे उसके लिए है , तुम चुप रहो ,... और सीधे से लेट जाओ , आँखे बंद। "
अच्छे बच्चे की तरह वो लेट गए , और मुंह भी खोल दिया , आँख बंद
नाइटी तो मेरी उनको दूध पिलाते ही निकल गयी थी ,
बस मैंने एक निप अपना उनके खुले मुंह में डाल दिया ,
यही तो वो चाहते थे , ...
' न हिलना न आँख खोलना "
मैंने उन्हें चेताया , वरना
सर हिला के उन्होंने एकदम मेरी शर्त मानने की हामी भरी ,
बस , ... मैंने सकोरे में से रबड़ी , खूब गाढ़ी थी , ... अपने दूसरे उभार पर अच्छी तरह , निपल से लेकर ऊपर तक ,....
" लो अब ये वाला लो ,'
और एक निप निकाल के रबड़ी से लिपडा लिथड़ा अपना उभार सीधे उनके मुंह में
और अबकी मैंने पूरी ताकत से , सिर्फ निप्स ही नहीं आधे से ज्यादा बूब्स भी उनके मुंह में, अब वो सपड़ सपड़ चाट रहे थे ,
आधे से ज्यादा मेरा मस्त उभार उनके मुंह में ठूंसा हुआ था ,
एकदम उसी तरह जिस तरह से वो अपने मूसलचंद को मेरी गुलाबो में पूरी ताकत से ठेलते थे , उसी तरह पूरी ताकत से मैंने भी ठेल रखा था।
खूब गाढ़ी थक्केदार रबड़ी मेरे जोबन से लिपटी , अब मेरी चूँची से सीधे उनके मुंह में ,
उनका मुंह तो बंद था , पर मेरा मुंह तो खुला था , बस मैंने सीधे उनके कान के पास ले जाकर ,
जिस दिन छत पर मैंने खुल कर गारी गायी थी
खास तौर से उनकी ममेरी बहन , एलवल वाली , गुड्डी का नाम लेकर ,
उन गारी गानों का असर मैं देख चुकी थी , बस , मैं चालू हो गयी।