19-01-2019, 09:18 AM
दूसरा राउंड
खूब कड़ा , एकदम चट्टान , जैसे लोहे का राड हो और ,… खूब गुस्से में हो , एकदम तना ,
और उसके साथ ही उनका भी एटीट्यूड ,एकदम स्ट्रांग वाइल्ड ,
मुझे लगा बेबी आज तो तू गयी। तुझे वो गोली बदल ही देनी थी ,लेकिन अब क्या हो सकता था।
मैंने झट से इम्प्रोवाइज किया ,एक नयी ट्रिक , नया पैंतरा ,
मैं झट से से घुटने के बल बैठ गयी , और सीधे एक हाथ से 'उसे ' पकड़ लिया।
आज तक इतना कड़ा मैंने उसे कभी नहीं महसूस किया था।
और फिर मेरे रसीले होंठ सीधे उसके ऊपरी हिस्से पे , खूब गरम गरम चुम्मी ली ५-६।
फिर होंठ के साथ उसका 'घूंघट' खोल दिया , और सुपाड़ा बाहर निकल आया , एकदम कड़ा , हार्ड एंड फ्यूरियस , और मेरी जीभ उसे लिक कर रही थी।
( दूसरा टाइम होता तो वो तुरंत मुझे रोक देते की कहीं 'फोर प्ले ' के चक्कर में कही 'रियल प्ले ' शुरू होने के पहले ही द एन्ड न हो जाय , लेकिन आज उन का कन्फिडन्स और एटीट्यूड एकदम अलग था। )
मेरी जीभ नदीदी भी थी और शरारती भी। और उसकी टिप सीधे पी होल ( पेशाब के छेद ) पे सुरसुरी कर रही थी , और साथ साथ मेरी कोमल कोमल उंगलिया उनके कड़े लिंग को जोर से आगे पीछे 'फिस्टिंग ' कर रही थी। मेरी आँखे उनकी आँखों में सीधे देख रही थीं , उन्हें और उत्तेजित कर रही थीं।
और अचानक दूसरे हाथ ने जोर से उनके बॉल्स को पकड़ के हलके से दबा दिया।
और अब वो मस्ती से काँप रहे थे।
मेरे निपल्स भी मारे जोश के एकदम पत्थर हो रहे थे।
और एक झटके में मेरे गरम गरम भूखे होंठों ने उनके मोटे कड़े गुस्सैल सुपाड़े को गटक लिया और जोर जोर से चूसने लगी।
मेरे दूसरे हाथ की दो उंगलिया , उनके रियर होल के आसपास छेड़ रही थीं , दबा रहीं थी। कोई दूसरा दिन होता तो वो मुझे ये सब करने ही नहीं देते लेकिन आज ,… बात अलग थी।
जैसे कॉलेजी लड़की कोई नदीदी , जोर जोर से लालीपाप ,मजे ले ले के चूसे , बस मैं वैसे ही उनका सुपाड़ा खूब जोर जोर से मस्ती से चूस रही थी , और साथ में कोमल कोमल हाथ लोहे के राड की तरह कड़े शिश्न को खूब जोर जोर से दबा दबा के , भींच के मुठिया रहे थे।
और ये सिर्फ मेरे रसीले होंठ , नदीदी जीभ ,मखमली होंठ और मुठियाते कोमल हाथ ही नहीं , बल्कि उनकी आँखों में झांकती , ललचाती उन्हें उकसाती , मेरी कजरारी बड़ी बड़ी आँखे भी उनकी मस्ती के तूफान को और हवा दे रही थी।
अचानक एक झटके में मैंने पूरे सर का धक्का मारा और पूरा सुपाड़ा अंदर अगले धक्के में आलमोस्ट पूरा लिंग मैंने घोंट लिया था।
वो सीधे चोट कर रहा था गाल एकदम फूले हुए थे , आँखे बाहर निकल रही थीं। मैं आलमोस्ट चोक कर रही थी। लेकिन मेरी जीभ उनके कड़े कड़े शिश्न को नीचे से जोर जोर से चाट रही थी ,मेरे रसीले होंठ उनके लिंग से रगड़ रगड़ कर जा रहे थे ,
और वो भी कम नहीं थे , मेरे सर को जोर से पकड़ के लिंग पूरी ताकत से मेरे मुंह में ठेल रहे थे। पेल रहे थे।
मेरे गाल की मसल्स इसी धकम्पेल से थोड़ी थक गयी थी और पल भर के लिए मैंने उन्हें बाहर निकाला , और जो किसी भी मर्द के लिए 'वेट ड्रीम ' होता है , टिट फक , बस वही अपने गदराये गुदाज गोरे गोरे मांसल जोबन के बीच ,कस कस के दबा के , आगे पीछे और ,… यही नहीं , अपने कड़े निप्स मैंने पहले उनके सुपाड़े फिर सीधे उनके पी होल में ,
वह पूरी तरह गनगना गए , लेकिन उन्हें जैसे अचानक याद आया की आज दांव पर बहुत कुछ है , और उन्होंने एक हलके से धक्के के साथ मुझे पलंग पर गिरा दिया और ,.... मेरी लम्बी लम्बी टाँगे सीधे उनके कंधे पे , उनका एक हाथ मेरी कमर पे दूसरे से उन्होंने जोर से मेरे जोबन को पकड़ रखा था , और एक ही धक्के में ,
क्या करारा धक्का मारा था , आलमोस्ट पूरा अंदर , लगता था जैसे किसी शिकारी ने बाँकी हिरनिया को मोटे भाले से बेध दिया हो। कितनी ताकत थी उनकी कमर में ,
और इसी के लिए तो मैं तड़पती थी , इसी का सपना देखा करती थी लेकिन आज इसी से मैं डर रही थी।
क्या , … क्या आज वो मुझसे पहले 'डिस्चार्ज ' हो पाएंगे ?
कैसे समाऊँगी इस तूफान को मैं अपने अंदर ?
उनके नाखून मेरे कंधे में , मेरे उरोजों पर धंसे हुए और बिना कुछ सोचे , वो पूरी ताकत से धक्के पे धक्का लगा रहे थे, खूब गहरा , खूब तेज। दरेरता ,रगड़ता ,घिसटता ,उनका कड़ा चट्टान सा खूंटा मेरे अंदर घुस रहा था।
मेरे बिछुए रुन झुन कर रहे थे। मेरी पायल छन छन हो रही थी , गले का हार भी मस्ती में झूम रहा था मीठी आवाज के साथ , .... और मेरी चूड़ियाँ , … आधे दर्जन से ज्यादा तो चूर चूर हो चुकी थीं.
तभी मुझे याद आया , वो बाजी , वो मुकाबला और मैं भी अपने रूप में आगयी। मेरी लम्बी टांगो ने जोर से उनकी कमर को लपेट लिया खूब कस के।
और मैं भी अब हार जीत की चिंता छोड़ के सिर्फ मजा ले रही थी।लेकिन तभी मुझे याद आया , अगर ये मजा मुझे रोज लेना है तो बस इस बाजी को मुझे जीतना ही पड़ेगा , वरना फिर ये पहले की तरह ,…
मेरी लम्बी टाँगे जोर से उनकी कमर पर कस गयीं ,
मेरी 'प्रेम गली ' ने उनके चर्मदण्ड को जोर जोर से भींचना , निचोड़ना शुरू कर दिया , ऊपर , लिंग के बेस से लेकर सीधे सुपाड़े तक। एकदम 'नटक्रैकर ' की तरह।
मेरे न जाने कितने हाथ उग आये , उनकी पीठ को सहलाते मेरे नाखून उनके नितम्बों में भिंच गए , गड गए। कभी मैं उनके निप्स स्क्रैच करती तो कभी निबल करती ,
और इसका असर हुआ , लेकिन उन्होंने भी पैंतरा बदल लिया।
अब उनके धक्को की तेजी कम हो गयी लेकिन न उसकी ताकत और न गहराई में कोई कमी आई।
धीमे धीमे , मेजर्ड पूरा निकाल कर , फिर एक झटके में वो पूरा अंदर पेल देते और मैं एकदम काँप जाती
जिस तेजी से वो रगड़ता ,घिसटता घुसता।
और फिर वही पुरानी तरकीब , गिनती गिनने की , डिस्चार्ज डिले करने की।
और जब उन्होंने ध्यान अपना थोड़ा सा हटाया , बस मुझे मौका मिल गया।
खूब कड़ा , एकदम चट्टान , जैसे लोहे का राड हो और ,… खूब गुस्से में हो , एकदम तना ,
और उसके साथ ही उनका भी एटीट्यूड ,एकदम स्ट्रांग वाइल्ड ,
मुझे लगा बेबी आज तो तू गयी। तुझे वो गोली बदल ही देनी थी ,लेकिन अब क्या हो सकता था।
मैंने झट से इम्प्रोवाइज किया ,एक नयी ट्रिक , नया पैंतरा ,
मैं झट से से घुटने के बल बैठ गयी , और सीधे एक हाथ से 'उसे ' पकड़ लिया।
आज तक इतना कड़ा मैंने उसे कभी नहीं महसूस किया था।
और फिर मेरे रसीले होंठ सीधे उसके ऊपरी हिस्से पे , खूब गरम गरम चुम्मी ली ५-६।
फिर होंठ के साथ उसका 'घूंघट' खोल दिया , और सुपाड़ा बाहर निकल आया , एकदम कड़ा , हार्ड एंड फ्यूरियस , और मेरी जीभ उसे लिक कर रही थी।
( दूसरा टाइम होता तो वो तुरंत मुझे रोक देते की कहीं 'फोर प्ले ' के चक्कर में कही 'रियल प्ले ' शुरू होने के पहले ही द एन्ड न हो जाय , लेकिन आज उन का कन्फिडन्स और एटीट्यूड एकदम अलग था। )
मेरी जीभ नदीदी भी थी और शरारती भी। और उसकी टिप सीधे पी होल ( पेशाब के छेद ) पे सुरसुरी कर रही थी , और साथ साथ मेरी कोमल कोमल उंगलिया उनके कड़े लिंग को जोर से आगे पीछे 'फिस्टिंग ' कर रही थी। मेरी आँखे उनकी आँखों में सीधे देख रही थीं , उन्हें और उत्तेजित कर रही थीं।
और अचानक दूसरे हाथ ने जोर से उनके बॉल्स को पकड़ के हलके से दबा दिया।
और अब वो मस्ती से काँप रहे थे।
मेरे निपल्स भी मारे जोश के एकदम पत्थर हो रहे थे।
और एक झटके में मेरे गरम गरम भूखे होंठों ने उनके मोटे कड़े गुस्सैल सुपाड़े को गटक लिया और जोर जोर से चूसने लगी।
मेरे दूसरे हाथ की दो उंगलिया , उनके रियर होल के आसपास छेड़ रही थीं , दबा रहीं थी। कोई दूसरा दिन होता तो वो मुझे ये सब करने ही नहीं देते लेकिन आज ,… बात अलग थी।
जैसे कॉलेजी लड़की कोई नदीदी , जोर जोर से लालीपाप ,मजे ले ले के चूसे , बस मैं वैसे ही उनका सुपाड़ा खूब जोर जोर से मस्ती से चूस रही थी , और साथ में कोमल कोमल हाथ लोहे के राड की तरह कड़े शिश्न को खूब जोर जोर से दबा दबा के , भींच के मुठिया रहे थे।
और ये सिर्फ मेरे रसीले होंठ , नदीदी जीभ ,मखमली होंठ और मुठियाते कोमल हाथ ही नहीं , बल्कि उनकी आँखों में झांकती , ललचाती उन्हें उकसाती , मेरी कजरारी बड़ी बड़ी आँखे भी उनकी मस्ती के तूफान को और हवा दे रही थी।
अचानक एक झटके में मैंने पूरे सर का धक्का मारा और पूरा सुपाड़ा अंदर अगले धक्के में आलमोस्ट पूरा लिंग मैंने घोंट लिया था।
वो सीधे चोट कर रहा था गाल एकदम फूले हुए थे , आँखे बाहर निकल रही थीं। मैं आलमोस्ट चोक कर रही थी। लेकिन मेरी जीभ उनके कड़े कड़े शिश्न को नीचे से जोर जोर से चाट रही थी ,मेरे रसीले होंठ उनके लिंग से रगड़ रगड़ कर जा रहे थे ,
और वो भी कम नहीं थे , मेरे सर को जोर से पकड़ के लिंग पूरी ताकत से मेरे मुंह में ठेल रहे थे। पेल रहे थे।
मेरे गाल की मसल्स इसी धकम्पेल से थोड़ी थक गयी थी और पल भर के लिए मैंने उन्हें बाहर निकाला , और जो किसी भी मर्द के लिए 'वेट ड्रीम ' होता है , टिट फक , बस वही अपने गदराये गुदाज गोरे गोरे मांसल जोबन के बीच ,कस कस के दबा के , आगे पीछे और ,… यही नहीं , अपने कड़े निप्स मैंने पहले उनके सुपाड़े फिर सीधे उनके पी होल में ,
वह पूरी तरह गनगना गए , लेकिन उन्हें जैसे अचानक याद आया की आज दांव पर बहुत कुछ है , और उन्होंने एक हलके से धक्के के साथ मुझे पलंग पर गिरा दिया और ,.... मेरी लम्बी लम्बी टाँगे सीधे उनके कंधे पे , उनका एक हाथ मेरी कमर पे दूसरे से उन्होंने जोर से मेरे जोबन को पकड़ रखा था , और एक ही धक्के में ,
क्या करारा धक्का मारा था , आलमोस्ट पूरा अंदर , लगता था जैसे किसी शिकारी ने बाँकी हिरनिया को मोटे भाले से बेध दिया हो। कितनी ताकत थी उनकी कमर में ,
और इसी के लिए तो मैं तड़पती थी , इसी का सपना देखा करती थी लेकिन आज इसी से मैं डर रही थी।
क्या , … क्या आज वो मुझसे पहले 'डिस्चार्ज ' हो पाएंगे ?
कैसे समाऊँगी इस तूफान को मैं अपने अंदर ?
उनके नाखून मेरे कंधे में , मेरे उरोजों पर धंसे हुए और बिना कुछ सोचे , वो पूरी ताकत से धक्के पे धक्का लगा रहे थे, खूब गहरा , खूब तेज। दरेरता ,रगड़ता ,घिसटता ,उनका कड़ा चट्टान सा खूंटा मेरे अंदर घुस रहा था।
मेरे बिछुए रुन झुन कर रहे थे। मेरी पायल छन छन हो रही थी , गले का हार भी मस्ती में झूम रहा था मीठी आवाज के साथ , .... और मेरी चूड़ियाँ , … आधे दर्जन से ज्यादा तो चूर चूर हो चुकी थीं.
तभी मुझे याद आया , वो बाजी , वो मुकाबला और मैं भी अपने रूप में आगयी। मेरी लम्बी टांगो ने जोर से उनकी कमर को लपेट लिया खूब कस के।
और मैं भी अब हार जीत की चिंता छोड़ के सिर्फ मजा ले रही थी।लेकिन तभी मुझे याद आया , अगर ये मजा मुझे रोज लेना है तो बस इस बाजी को मुझे जीतना ही पड़ेगा , वरना फिर ये पहले की तरह ,…
मेरी लम्बी टाँगे जोर से उनकी कमर पर कस गयीं ,
मेरी 'प्रेम गली ' ने उनके चर्मदण्ड को जोर जोर से भींचना , निचोड़ना शुरू कर दिया , ऊपर , लिंग के बेस से लेकर सीधे सुपाड़े तक। एकदम 'नटक्रैकर ' की तरह।
मेरे न जाने कितने हाथ उग आये , उनकी पीठ को सहलाते मेरे नाखून उनके नितम्बों में भिंच गए , गड गए। कभी मैं उनके निप्स स्क्रैच करती तो कभी निबल करती ,
और इसका असर हुआ , लेकिन उन्होंने भी पैंतरा बदल लिया।
अब उनके धक्को की तेजी कम हो गयी लेकिन न उसकी ताकत और न गहराई में कोई कमी आई।
धीमे धीमे , मेजर्ड पूरा निकाल कर , फिर एक झटके में वो पूरा अंदर पेल देते और मैं एकदम काँप जाती
जिस तेजी से वो रगड़ता ,घिसटता घुसता।
और फिर वही पुरानी तरकीब , गिनती गिनने की , डिस्चार्ज डिले करने की।
और जब उन्होंने ध्यान अपना थोड़ा सा हटाया , बस मुझे मौका मिल गया।