19-01-2019, 09:03 AM
(This post was last modified: 19-01-2019, 09:11 AM by komaalrani.)
जोरू का गुलाम पोस्ट ५ ,
बाजी एक बार फिर से , ...
अब तक
छत पर पंखा अपनी रफ्तार से घर्र घर्र चल रहा था।
खिड़की का पर्दा धीरे धीरे हिल रहा था।
परदे से छन छन कर हलकी हलकी फर्श पर पसरी हलकी पीली धूप ,अब मेज पर चढ़ने की कोशिश कर रही थी
लेकिन हम दोनों एक दूसरे से चिपके , एक दूसरे के अंदर धंसे ,घुसे ,अलमस्त उसी तरह लेटे थे , अलसाये।
सफेद गाढ़े वीर्य की धार मेरी योनि से बहती गोरी जाँघों पे लसलसी ,चिपकी लगी थी और वहां से चददर पर भी , .... एक बड़ा सा थक्का ,…
+
और अबकी उन्होंने हलके से ही आँखे खोली और उनके होंठों ने जोर से कचकचाकर मेरे होंठों को चूम लिया ,
यही तो मैं चाहती थी।
मेरी मुस्कराती आँखों ने उन्हें देखा और होंठों ने पुछा कम , बताया ज्यादा
" जोरु के गुलाम , .... " और एक बार फिर उनकी छाती के ऊपर मैं लेटी थी।
और उनके मुस्कराती नाचती आँखों ने हामी भरी [
आगे
और उनके मुस्कराती नाचती आँखों ने हामी भरी
" तो अब तुम हो गए मेरे पक्के गुलाम , क्यों,.... "
" हूँ हाँ ,.... " लग रहा था जैसे आधे तीहे मन से बोल रहे हों। और मैंने साफ साफ पूछ लिया ,
" बोल न , हो न जोरू के गुलाम। "
+
कुछ रूककर , कुछ सोचकर वो हलके से बोले , " वो ,.... वो तो मैं हमेशा से ही हूँ , … तुम्हारा ,… "
उनके अंदाज से मैं समझ गयी की मामला अभी कच्चा है।
मैं कुछ देर तक उनके इयरलोब्स निबल करती रही , उनके कान में जीभ की टिप घुमाती रही फिर पूछा ,
" अच्छा चल तुझे एक मौक़ा और देती हूँ , बोलो हो जाय ".
जैसे डूबने वाले को तिनके का सहारा मिल जाय एक दम उसी तरह उन्होंने दोनों हाथों से ये मौका दबोच लिया और जोर से बोल पड़े ,
" हाँ एक दम। " ख़ुशी से बोल पड़े वो।
अब मेरे होंठ उनके निप्स को लिक कर रहे थे। सर उठा के उनके खुश चेहरे को देखते हुए मैं बोली ,
" लेकिन एक शर्त है मेरी , मंजूर हो तो पहले हाँ बोलो , फिर आगे ,… "
" हाँ एकदम तेरी तो हर शर्त मंजूर है , बोलो न " वो ये दूसरा मौका छोड़ना नहीं चाहते थे।
[b]" अगर अबकी तू हारा न , तो सिरफ मेरा नहीं बल्कि मेरी सारी मायकेवालियों का गुलाम बनना पडेगा। बोलो [/b]"
मेरी आँखों ने कित्ती बार उनकी लालची निगाहों को मेरी मम्मी के बड़े बड़े कड़े ३८ डी साइज के नितम्बो को चोरी चोरी देखते ,पकड़ा था।
" हाँ एकदम , बस एक मौका दे न , और अबकी बार देखना ,...."
उनकी बात मैंने बीच में काट के खूब जोर से अपने होंठों के बीच उनको होंठ को दबोच कर काट लिए और अपनी जीभ उनके मुंह में घुसेड़ दी। एकदम आने वाले दिनोंकी झांकी जब वो मेरे गुलाम होंगे ,
और साथ में दायां हाथ सीधे उनकी जाँघों के बीच , उनके थोड़े सोये ,थोड़े जागे खूंटे को पकड़ , जोर से दबोच लिया और मसलने लगी।
" क्या करती हो " वो चीखे।
और जवाब में मैंने खूब कचकचा कर उनके जैसे किसी गरम मस्त माल के निप्स , उस तरह खड़े उनके निप्स को , जोर से काट लिया।
नीचे ' वो ' आलमोस्ट खड़ा हो गया था।
एक तेज झटके से साथ मैंने 'उसका ' घूंघट भी खोल दिया और मेरा अंगूठा सीधे उसके ' पी होल ' ( पेशाब के छेद ) पे।
हड़बड़ा कर वो उठे और सीधे बाथरूम की ओर ,
" बहुत जोर की 'सुसु ' आ रही है , बस आता हूँ अभी , " रुक कर वो बोले और सीधे बाथरूम के अंदर।
मैंने मुश्किल से अपनी मुस्कराहट रोकी।
उनकी चोरी मुझसे छुपती। मैं जान रही थी वो क्यों बाथरूम गए हैं।
मैं ने देख रखा था , मैक्सिमम पावर की की वियाग्रा की टैबलेट , वो भी असली ,फॉरेन माल।
एक बार मैंने सोचा भी की किसी 'लोकल ' वाली से उसको चुपके से चेंज कर दूँ , फिर मैंने सोचा यार चलो कर लेने दो उनको भी ट्राई अपनी पूरी ताकत , हर तरकीब।
लेकिन मैं एकदम गलत थी , वो कुछ देर बाद जब बाथरूम से निकले तो एकदम बदले।
कैसे कहूँ ,मेरी तो आँखे फटी रह गयीं। उनका वो ,
खूब कड़ा , एकदम चट्टान , जैसे लोहे का राड हो और ,… खूब गुस्से में हो , एकदम तना ,
और उसके साथ ही उनका भी एटीट्यूड ,एकदम स्ट्रांग वाइल्ड
बाजी एक बार फिर से , ...
अब तक
छत पर पंखा अपनी रफ्तार से घर्र घर्र चल रहा था।
खिड़की का पर्दा धीरे धीरे हिल रहा था।
परदे से छन छन कर हलकी हलकी फर्श पर पसरी हलकी पीली धूप ,अब मेज पर चढ़ने की कोशिश कर रही थी
लेकिन हम दोनों एक दूसरे से चिपके , एक दूसरे के अंदर धंसे ,घुसे ,अलमस्त उसी तरह लेटे थे , अलसाये।
सफेद गाढ़े वीर्य की धार मेरी योनि से बहती गोरी जाँघों पे लसलसी ,चिपकी लगी थी और वहां से चददर पर भी , .... एक बड़ा सा थक्का ,…
+
और अबकी उन्होंने हलके से ही आँखे खोली और उनके होंठों ने जोर से कचकचाकर मेरे होंठों को चूम लिया ,
यही तो मैं चाहती थी।
मेरी मुस्कराती आँखों ने उन्हें देखा और होंठों ने पुछा कम , बताया ज्यादा
" जोरु के गुलाम , .... " और एक बार फिर उनकी छाती के ऊपर मैं लेटी थी।
और उनके मुस्कराती नाचती आँखों ने हामी भरी [
आगे
और उनके मुस्कराती नाचती आँखों ने हामी भरी
" तो अब तुम हो गए मेरे पक्के गुलाम , क्यों,.... "
" हूँ हाँ ,.... " लग रहा था जैसे आधे तीहे मन से बोल रहे हों। और मैंने साफ साफ पूछ लिया ,
" बोल न , हो न जोरू के गुलाम। "
+
कुछ रूककर , कुछ सोचकर वो हलके से बोले , " वो ,.... वो तो मैं हमेशा से ही हूँ , … तुम्हारा ,… "
उनके अंदाज से मैं समझ गयी की मामला अभी कच्चा है।
मैं कुछ देर तक उनके इयरलोब्स निबल करती रही , उनके कान में जीभ की टिप घुमाती रही फिर पूछा ,
" अच्छा चल तुझे एक मौक़ा और देती हूँ , बोलो हो जाय ".
जैसे डूबने वाले को तिनके का सहारा मिल जाय एक दम उसी तरह उन्होंने दोनों हाथों से ये मौका दबोच लिया और जोर से बोल पड़े ,
" हाँ एक दम। " ख़ुशी से बोल पड़े वो।
अब मेरे होंठ उनके निप्स को लिक कर रहे थे। सर उठा के उनके खुश चेहरे को देखते हुए मैं बोली ,
" लेकिन एक शर्त है मेरी , मंजूर हो तो पहले हाँ बोलो , फिर आगे ,… "
" हाँ एकदम तेरी तो हर शर्त मंजूर है , बोलो न " वो ये दूसरा मौका छोड़ना नहीं चाहते थे।
[b]" अगर अबकी तू हारा न , तो सिरफ मेरा नहीं बल्कि मेरी सारी मायकेवालियों का गुलाम बनना पडेगा। बोलो [/b]"
मेरी आँखों ने कित्ती बार उनकी लालची निगाहों को मेरी मम्मी के बड़े बड़े कड़े ३८ डी साइज के नितम्बो को चोरी चोरी देखते ,पकड़ा था।
" हाँ एकदम , बस एक मौका दे न , और अबकी बार देखना ,...."
उनकी बात मैंने बीच में काट के खूब जोर से अपने होंठों के बीच उनको होंठ को दबोच कर काट लिए और अपनी जीभ उनके मुंह में घुसेड़ दी। एकदम आने वाले दिनोंकी झांकी जब वो मेरे गुलाम होंगे ,
और साथ में दायां हाथ सीधे उनकी जाँघों के बीच , उनके थोड़े सोये ,थोड़े जागे खूंटे को पकड़ , जोर से दबोच लिया और मसलने लगी।
" क्या करती हो " वो चीखे।
और जवाब में मैंने खूब कचकचा कर उनके जैसे किसी गरम मस्त माल के निप्स , उस तरह खड़े उनके निप्स को , जोर से काट लिया।
नीचे ' वो ' आलमोस्ट खड़ा हो गया था।
एक तेज झटके से साथ मैंने 'उसका ' घूंघट भी खोल दिया और मेरा अंगूठा सीधे उसके ' पी होल ' ( पेशाब के छेद ) पे।
हड़बड़ा कर वो उठे और सीधे बाथरूम की ओर ,
" बहुत जोर की 'सुसु ' आ रही है , बस आता हूँ अभी , " रुक कर वो बोले और सीधे बाथरूम के अंदर।
मैंने मुश्किल से अपनी मुस्कराहट रोकी।
उनकी चोरी मुझसे छुपती। मैं जान रही थी वो क्यों बाथरूम गए हैं।
मैं ने देख रखा था , मैक्सिमम पावर की की वियाग्रा की टैबलेट , वो भी असली ,फॉरेन माल।
एक बार मैंने सोचा भी की किसी 'लोकल ' वाली से उसको चुपके से चेंज कर दूँ , फिर मैंने सोचा यार चलो कर लेने दो उनको भी ट्राई अपनी पूरी ताकत , हर तरकीब।
लेकिन मैं एकदम गलत थी , वो कुछ देर बाद जब बाथरूम से निकले तो एकदम बदले।
कैसे कहूँ ,मेरी तो आँखे फटी रह गयीं। उनका वो ,
खूब कड़ा , एकदम चट्टान , जैसे लोहे का राड हो और ,… खूब गुस्से में हो , एकदम तना ,
और उसके साथ ही उनका भी एटीट्यूड ,एकदम स्ट्रांग वाइल्ड