28-10-2019, 12:50 PM
(This post was last modified: 18-01-2021, 02:35 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
प्यासे की प्यास
लेकिन गीता किचेन से कढाही लेकर निकली ,
ताजे गरम गरम बेसन के हलवे की खुशबू।
न कोई प्लेट न कटोरी न चम्मच
लेकिन अब तक वो समझ गए थे गीता का इश्टाइल
उसने अपने हाथ से लेकर पहले तो उन्हें ललचाते हुए सीधे अपने मुंह में डाल दिया
और जो ऊँगली में लगा था उनके गालों में पोंछ दिया।
फिर गीता के होंठ सीधे उनके होंठों पे
गीता के मुंह से , गीता के थूक से मिला , लिथड़ा सीधे उनके मुंह में , गीता ने अपनी जीभ ठेल दी ,साथ में बेसन का हलवा
" ऐसे ही खिलाऊंगी ,घोटाउंगी तुझे जबरन , सटासट घोंटेगा तू , गपागप लीलेगा। समझे मुन्ना "
मंजू बाई बोली और उनके गाल पर लगा हुआ हलवा चाट लिया , फिर बोली
" अरे वाह मीठे हलवे का नमकीन गाल के साथ मिल के क्या मस्त स्वाद आता है। "
और अगली बार चाटते हुए कचकचा के काट भी लिया पूरी ताकत से मंजू बाई ने
वो बिचारे चीख भी नहीं पाए , उनका मुंह तो गीता ने सील कर रखा था अपने मुंह से और गीता की जीभ उनके मुंह में घुसी
" तेरे भइय्या के गाल किसी मस्त नमकीन लौंडिया से कम मजेदार नहीं है , देख गांडू कितने मजे से कटवा रहा है। "
और मंजू बाई ने दुबारा उनके चिकने गाल काट लिए।
मुंह का हलवा ख़तम हो जाने के बाद गीता ने अपनी हलवे में लिपटी ऊँगली उनके मुंह में घुसेड़ दी और वो लगे चाटने चूसने। "
" माँ , ये तेरा बेटा सिर्फ गांडू ही नही है देख लन्ड चूसने में भी पक्का है देख कैसे ऊँगली चूस रहा है जैसे मोटा लन्ड हो उसके मुंह में। "
गीता ने एक ऊँगली और मुंह में ठूंसते हुए चिढाया।
" अरे और क्या , और जो कुछ कमी होगी तो मैं सीखा दूँगीं न। एकदम पक्का उस्ताद,लन्ड चूसने में
अपनी माँ बहन को भी मात कर देगा। अरे हम दोनों मिल के एक साथ चूसेंगे न मोटा मोटा लन्ड। "
मंजू बाई उनके गाल को एक बार फिर कचकच काटते बोलीं।
और अब मंजू बाई की बारी थी अपने मुंह से उन्हें हलवा खिलाने की और साथ में वो बोली ,
" अभी तो कुचा कुचाया खिला रहीं हूँ और बस अभी थोड़ी देर में पचा पचाया भी खिलाऊंगी , और जरा भी ना नुकुर किया न तो बहुत पिटोगे। "
मंजू बाई कुछ प्यार से ,कुछ धमकाते बोलीं और फिर उनके मुंह से थोड़ा खाया ,थोड़ा अधखाया हलवा सीधे उनके मुंह में।
" अरे माँ , भैया कुछ भी मना नहीं करेंगे देख लेना ,अरे उनकी माँ बहने किसी को भी नहीं मना करतीं न , जो कहता है उसके आगे अपनी टाँगे उठा देती हैं पीछे चिकनाई लगा के टहलती हैं की क्या पता कब मोटा लन्ड मिल जाए ,
तो ये काहें मना करेंगे , हम लोग जो भी खिलाएंगे पिलायेंगे ,सब कुछ प्यार से खाएंगे ,पियेंगे , क्यों है न भैया।
और फिर माँ जो हलवा हम तुम खा रहे हैं वो सब भी तो सुबह होते होते इनके पेट में जाएगा , हमारे पेट और इनके मुंह के रास्ते। "
और उनके कान को काटते हलके से हस्की आवाज में वो छिनार लौंडिया बोली ,
" क्यों भईया खाओगे न "
" अब तो तुम्हारे हवाले हूँ जो करवाओ करूँगा। " मुस्कराते हुए वो बोले।
उन दोनों ने उन्हें अपना हाथ इस्तेमाल करने की जहमत नहीं दी।
गीता मंजूबाई ने अपने मुंह से ही उन्हें सारा हलवा खिलाया और वैसे भी उनके दोनों हाथ मस्त मगन थे ,
एक हाथ में किशोर चूचियां जिसे दबाते मसलते उन्हें बार बार गुड्डी की याद आ रही थी ,
और
दूसरा तो खूब बड़ा मस्त कड़ा ,
आलमोस्ट उनकी सास की समधन
कुछ ही देर में हलवा ख़तम हो गया आलमोस्ट।
और एक झटके में गीता ने कड़ाही से सारा बचा हुआ हलवा निकाल कर सीधे उसके मुंह में , गरमागरम।
मुंह एकदम जल गया।
ओह्ह उह्ह्ह ,पूरा मुंह गरम गरम हलवे से भर गया था , आँखों में पानी आ गया।
पानी पानी , मुश्किल से वो बोले।
खिलंदड़ी गीता ने हलके से धक्के से उन्हें चटाई पर पीठ के बल गिरा दिया , और मुस्करा के बोली,
" छोटा बच्चा पानी पियेगा , मुंह जल गया क्या ?"
वो एकदम उसके मुंह के पास ,दोनों पैर गीता के उनके हाथों पर मजबूती से ,
वो उनकी छाती के ऊपर ,गीता की कमर एकदम उनके मुंह के पास।
गीता ने अपने हाथों से सँड़सी की तरह उनके सर को दबोच रखा था।
आसमान बादलों से भर गया था , काला अँधेरा , हवा तेज हो गयी थी ,
लग रहा था पानी अब बरसा तब बरसा।
गीता और झुकी ,उसकी किशोर कच्ची संतरे की फांको ऐसी रसीली चूत बस उनके होंठों से इंच भर दूर ,
उनका मुंह जल रहा था , और उस शोख ने उनकी आँख में झाँक के पूछा ,
" बोल , बहुत प्यास लगी है ,भैया , पिला दूँ पानी। "
किसी तरह उनके मुंह से निकल हां हां।
और उधर मंजू बाई भी ,
" अरे पिला दो न बिचारे पियासे को पानी , तड़प रहा है दो बूँद को , काहें तड़पा रही हो। प्यासे की प्यास बुझाने से बड़ा पुण्य मिलता है। "
आसमान में काली स्याही पुत गयी थी , घुप अँधेरा ,
अचानक बिजली चमकी बहुत तेज
और उसकी रौशनी में उन्होंने देखा ,
किशोर चम्पई देह यष्टि ,छरहरी , उसकी काले बाल नागिन की तरह लहरा रहे थे ,
उसकी गुलाबी चूत इंच भर भी नहीं दूर थी उनके प्यासे खुले होंठों से ,
वो उसकी तेज मस्की महक महसूस कर रहे थे।
उफ्फ्फ
" पियेगा पानी , एक बूँद भी बाहर छलकी न तो बहुत पीटूंगी। "
दिख कुछ नहीं रहा था ,सिर्फ आवाज सुनाई पड़ रही थी।
समझ वो भी रहे थे ,गीता भी और मंजू बाई भी।
बारिश की पहली बूँद उनकी देह पर गिरी।
और गीता के निचले होंठों से सुनहरी बूँद ,पहले होंठो पर फिर सरक कर सीधे उनके खुले मुंह में।
लालटेन की पीली रौशनी में पीली सुनहरी बूंदे ,
रिमझिम हलकी हलकी बूंदो की आवाज आंगन ,छत से आ रही थी।
अब सुनहली बूंदे धीरे धीरे धार बन कर उन के मुंह में
धीरे धीरे ,छलछल छलछल
और गीता ने तेजी से अपनी नशीली चूत से उनके खुले प्यासे होंठ बंद कर दिए , और अब तो
घल घल घल घल
जैसे कोई चोद रहा हो ,उसी तरह गीता ने उनके मुंह से अपनी चूत रगड़ रही थी ,जोर जोर से धक्के मारते
एक एक बूँद
देर तक , और जब उठी तो हटने के साथ गीता ने एक गहरी चुम्मी उनके होंठों पे और जीभ उनके मुंह के अंदर।
उनके मुंह में अभी भी , पर गीता को परवाह नहीं थी।
और गीता के बाद फिर मंजू बाई।
बारिश बहुत तेज हो गयी थी।
मंजू बाई की मांसल जाँघों के बीच उनका सर जकड़ा हुआ था , गीता ने लालटेन पास में ही रख दी थी इसलिए अब बहुत कुछ दिख रहा था।
काली काली झांटे , खूब मोटे मोटे मंजू बाई की बुर के मांसल होंठ ,
और खूब देर तक।
गीता बगल में बैठी देखती रही ,उनका सर सहलाती रही।
तीनो आंगन में बारिश से भीग रहे थे।
और जब मंजू बाई उठीं
काली काली घनी झांटो के बीच चार पांच बड़ी बड़ी पीली सुनहली बूंदे ,
सर उठाके , जीभ निकाल के उन्होंने चाट लिया।
बारिश की तेज धार अब एक बार हलकी हलकी रिमझिम बूंदो में बदल गयी।
लेकिन इच्छाओ की आंधी और वासना की बारिश की तेजी में कोई कमी नही आयी थी।
लेकिन गीता किचेन से कढाही लेकर निकली ,
ताजे गरम गरम बेसन के हलवे की खुशबू।
न कोई प्लेट न कटोरी न चम्मच
लेकिन अब तक वो समझ गए थे गीता का इश्टाइल
उसने अपने हाथ से लेकर पहले तो उन्हें ललचाते हुए सीधे अपने मुंह में डाल दिया
और जो ऊँगली में लगा था उनके गालों में पोंछ दिया।
फिर गीता के होंठ सीधे उनके होंठों पे
गीता के मुंह से , गीता के थूक से मिला , लिथड़ा सीधे उनके मुंह में , गीता ने अपनी जीभ ठेल दी ,साथ में बेसन का हलवा
" ऐसे ही खिलाऊंगी ,घोटाउंगी तुझे जबरन , सटासट घोंटेगा तू , गपागप लीलेगा। समझे मुन्ना "
मंजू बाई बोली और उनके गाल पर लगा हुआ हलवा चाट लिया , फिर बोली
" अरे वाह मीठे हलवे का नमकीन गाल के साथ मिल के क्या मस्त स्वाद आता है। "
और अगली बार चाटते हुए कचकचा के काट भी लिया पूरी ताकत से मंजू बाई ने
वो बिचारे चीख भी नहीं पाए , उनका मुंह तो गीता ने सील कर रखा था अपने मुंह से और गीता की जीभ उनके मुंह में घुसी
" तेरे भइय्या के गाल किसी मस्त नमकीन लौंडिया से कम मजेदार नहीं है , देख गांडू कितने मजे से कटवा रहा है। "
और मंजू बाई ने दुबारा उनके चिकने गाल काट लिए।
मुंह का हलवा ख़तम हो जाने के बाद गीता ने अपनी हलवे में लिपटी ऊँगली उनके मुंह में घुसेड़ दी और वो लगे चाटने चूसने। "
" माँ , ये तेरा बेटा सिर्फ गांडू ही नही है देख लन्ड चूसने में भी पक्का है देख कैसे ऊँगली चूस रहा है जैसे मोटा लन्ड हो उसके मुंह में। "
गीता ने एक ऊँगली और मुंह में ठूंसते हुए चिढाया।
" अरे और क्या , और जो कुछ कमी होगी तो मैं सीखा दूँगीं न। एकदम पक्का उस्ताद,लन्ड चूसने में
अपनी माँ बहन को भी मात कर देगा। अरे हम दोनों मिल के एक साथ चूसेंगे न मोटा मोटा लन्ड। "
मंजू बाई उनके गाल को एक बार फिर कचकच काटते बोलीं।
और अब मंजू बाई की बारी थी अपने मुंह से उन्हें हलवा खिलाने की और साथ में वो बोली ,
" अभी तो कुचा कुचाया खिला रहीं हूँ और बस अभी थोड़ी देर में पचा पचाया भी खिलाऊंगी , और जरा भी ना नुकुर किया न तो बहुत पिटोगे। "
मंजू बाई कुछ प्यार से ,कुछ धमकाते बोलीं और फिर उनके मुंह से थोड़ा खाया ,थोड़ा अधखाया हलवा सीधे उनके मुंह में।
" अरे माँ , भैया कुछ भी मना नहीं करेंगे देख लेना ,अरे उनकी माँ बहने किसी को भी नहीं मना करतीं न , जो कहता है उसके आगे अपनी टाँगे उठा देती हैं पीछे चिकनाई लगा के टहलती हैं की क्या पता कब मोटा लन्ड मिल जाए ,
तो ये काहें मना करेंगे , हम लोग जो भी खिलाएंगे पिलायेंगे ,सब कुछ प्यार से खाएंगे ,पियेंगे , क्यों है न भैया।
और फिर माँ जो हलवा हम तुम खा रहे हैं वो सब भी तो सुबह होते होते इनके पेट में जाएगा , हमारे पेट और इनके मुंह के रास्ते। "
और उनके कान को काटते हलके से हस्की आवाज में वो छिनार लौंडिया बोली ,
" क्यों भईया खाओगे न "
" अब तो तुम्हारे हवाले हूँ जो करवाओ करूँगा। " मुस्कराते हुए वो बोले।
उन दोनों ने उन्हें अपना हाथ इस्तेमाल करने की जहमत नहीं दी।
गीता मंजूबाई ने अपने मुंह से ही उन्हें सारा हलवा खिलाया और वैसे भी उनके दोनों हाथ मस्त मगन थे ,
एक हाथ में किशोर चूचियां जिसे दबाते मसलते उन्हें बार बार गुड्डी की याद आ रही थी ,
और
दूसरा तो खूब बड़ा मस्त कड़ा ,
आलमोस्ट उनकी सास की समधन
कुछ ही देर में हलवा ख़तम हो गया आलमोस्ट।
और एक झटके में गीता ने कड़ाही से सारा बचा हुआ हलवा निकाल कर सीधे उसके मुंह में , गरमागरम।
मुंह एकदम जल गया।
ओह्ह उह्ह्ह ,पूरा मुंह गरम गरम हलवे से भर गया था , आँखों में पानी आ गया।
पानी पानी , मुश्किल से वो बोले।
खिलंदड़ी गीता ने हलके से धक्के से उन्हें चटाई पर पीठ के बल गिरा दिया , और मुस्करा के बोली,
" छोटा बच्चा पानी पियेगा , मुंह जल गया क्या ?"
वो एकदम उसके मुंह के पास ,दोनों पैर गीता के उनके हाथों पर मजबूती से ,
वो उनकी छाती के ऊपर ,गीता की कमर एकदम उनके मुंह के पास।
गीता ने अपने हाथों से सँड़सी की तरह उनके सर को दबोच रखा था।
आसमान बादलों से भर गया था , काला अँधेरा , हवा तेज हो गयी थी ,
लग रहा था पानी अब बरसा तब बरसा।
गीता और झुकी ,उसकी किशोर कच्ची संतरे की फांको ऐसी रसीली चूत बस उनके होंठों से इंच भर दूर ,
उनका मुंह जल रहा था , और उस शोख ने उनकी आँख में झाँक के पूछा ,
" बोल , बहुत प्यास लगी है ,भैया , पिला दूँ पानी। "
किसी तरह उनके मुंह से निकल हां हां।
और उधर मंजू बाई भी ,
" अरे पिला दो न बिचारे पियासे को पानी , तड़प रहा है दो बूँद को , काहें तड़पा रही हो। प्यासे की प्यास बुझाने से बड़ा पुण्य मिलता है। "
आसमान में काली स्याही पुत गयी थी , घुप अँधेरा ,
अचानक बिजली चमकी बहुत तेज
और उसकी रौशनी में उन्होंने देखा ,
किशोर चम्पई देह यष्टि ,छरहरी , उसकी काले बाल नागिन की तरह लहरा रहे थे ,
उसकी गुलाबी चूत इंच भर भी नहीं दूर थी उनके प्यासे खुले होंठों से ,
वो उसकी तेज मस्की महक महसूस कर रहे थे।
उफ्फ्फ
" पियेगा पानी , एक बूँद भी बाहर छलकी न तो बहुत पीटूंगी। "
दिख कुछ नहीं रहा था ,सिर्फ आवाज सुनाई पड़ रही थी।
समझ वो भी रहे थे ,गीता भी और मंजू बाई भी।
बारिश की पहली बूँद उनकी देह पर गिरी।
और गीता के निचले होंठों से सुनहरी बूँद ,पहले होंठो पर फिर सरक कर सीधे उनके खुले मुंह में।
लालटेन की पीली रौशनी में पीली सुनहरी बूंदे ,
रिमझिम हलकी हलकी बूंदो की आवाज आंगन ,छत से आ रही थी।
अब सुनहली बूंदे धीरे धीरे धार बन कर उन के मुंह में
धीरे धीरे ,छलछल छलछल
और गीता ने तेजी से अपनी नशीली चूत से उनके खुले प्यासे होंठ बंद कर दिए , और अब तो
घल घल घल घल
जैसे कोई चोद रहा हो ,उसी तरह गीता ने उनके मुंह से अपनी चूत रगड़ रही थी ,जोर जोर से धक्के मारते
एक एक बूँद
देर तक , और जब उठी तो हटने के साथ गीता ने एक गहरी चुम्मी उनके होंठों पे और जीभ उनके मुंह के अंदर।
उनके मुंह में अभी भी , पर गीता को परवाह नहीं थी।
और गीता के बाद फिर मंजू बाई।
बारिश बहुत तेज हो गयी थी।
मंजू बाई की मांसल जाँघों के बीच उनका सर जकड़ा हुआ था , गीता ने लालटेन पास में ही रख दी थी इसलिए अब बहुत कुछ दिख रहा था।
काली काली झांटे , खूब मोटे मोटे मंजू बाई की बुर के मांसल होंठ ,
और खूब देर तक।
गीता बगल में बैठी देखती रही ,उनका सर सहलाती रही।
तीनो आंगन में बारिश से भीग रहे थे।
और जब मंजू बाई उठीं
काली काली घनी झांटो के बीच चार पांच बड़ी बड़ी पीली सुनहली बूंदे ,
सर उठाके , जीभ निकाल के उन्होंने चाट लिया।
बारिश की तेज धार अब एक बार हलकी हलकी रिमझिम बूंदो में बदल गयी।
लेकिन इच्छाओ की आंधी और वासना की बारिश की तेजी में कोई कमी नही आयी थी।