28-10-2019, 12:47 PM
(This post was last modified: 18-01-2021, 10:28 AM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
गुड्डी
और फिर मंजू बाई ने गुड्डी की बात छेड़ दी।
" तू जानती है ,इसकी एक छोटी बहन भी है,एकदम मस्त पटाखा माल। मैंने फोटो देखी है।
साली क्या चूंचियां है मस्त ,शक्ल से चुदवासी लगती है।
तुझसे थोड़ी ही छोटी होगी , पक्की छिनार , नाम क्या है उसका , ?"
मंजू बाई बोलीं।
" गुड्डी " उन्होंने बोल दिया।
गीता उनकी जाँघों पे सर रख के लेटी थी , अपने होंठों से खड़े मस्ताए लन्ड को कभी चूम लेती थी तो कभी हाथ से पकड़ के मुठियाती थी।
एक बार फिर जैसे उनके हथियार से बात कर रही हो ,गीता ने उसे हलके हलके सहलाते बोला ,
" ये मैं न पूछुंगी की साल्ले तूने उसे चोदा की नहीं , ये बोल की उसकी चूत , झांटे आने के पहले फाड़ी या बाद में।
चुदती तो होगी ही ,इत्ता मस्त लन्ड जिसके भाई का हो वो तो खुद पकड़ के गप्प कर लेगी। "
और जब उन्होंने कबूल किया की गुड्डी अभी तक अनचुदी है ,
तो फिर तो गीता गुस्से से अलफ।
" उससे तो मैं बाद में निपटूंगी बोल इस बिचारे को क्यों भूखा रखा , ऐसा मस्त माल घर में और मेरा यार भूखा रहे ,
अगर कभी मुझसे मिलेगी न वो तेरी,… “
और उनके मुंह से निकल गया की वो दस पंद्रह दिन में आने वाली है तो फिर तो गीता और मंजू बाई दोनों चालू ,
" भैया , अगर अपने सामने उसे न चुदवाया इस लन्ड से तो कहना , बुर ,गांड मुंह सब में घोंटेगी छिनार
और खुद पकड़ के सबके सामने घोंटेगी। बिचारे मेरे प्यारे सीधे भैया को इतना तड़पाया। "
गीता बोली।
" साली को एकदम रन्डी बना दूंगी बस हम दोनों माँ बेटी के हवाले कर देना ,बस एक दिन के लिए। कोठे की रंडी मात सारे ट्रिक चुदाई के सीख जायेगी। "
मंजू बाई ने जोड़ा।
" अरे माँ ये सब बातें भैया से बोलने की हैं क्या , बस भैया तू उसे ले आ ,आगे की जिम्मेदारी हम दोनों की। ये बोल उस की चूंचियां कितनी बड़ी है। "
गीता अब फिर एक बार उनकी गोद में बैठ गयी थी।
" बस तुझसे थोड़ी ही छोटी हैं "
उन्होंने गीता की चूंची रगड़ते मसलते बोला।
" वाह भैया निगाह रखते हो उसकी चूंची पे। " हंस के गीता बोली , चल आने दो मेरे बराबर तो मैं ही रगड़ मसल के कर दूंगी उसकी। फिर मेरी छिनार माँ भी है , हम तीनो ,भैया मैं और माँ मिल के उसका हलवा बनाएंगे। "
और मंजू को याद आ गया।
……………….
" हे तूने बोला था न भैया आएंगे तो अपना स्पेशल हलवा खिलाएगी तो जा ले आ न " मंजू बाई ने गीता को हड़काया।
और गीता उठ के अपने चूतड़ मटकाती रसोई की ओर चल दी।
मंजू बाई भी उनका हाथ पकड़ के आंगन में ले आयी और चटाई वहीँ बिछा दी।
मस्त हवा आ रही है यहाँ ,वो बोली और उनका हाथ पकड़ के बैठा दिया।
" असली नशा तो तुझे गीता के हलवे को खा के होगा , देखना क्या मजा आता है और गीता न बिना खिलाये छोड़ेगी नहीं। "
मंजू बाई उनके बगल में बैठी ,मुस्कराके उनके गालों को सहलाती बोल रही थीं।
एक बार फिर ठंडी ठंडी हवा चल रही थी ,आसमान में वो आवारा बादल फिर इक्कट्ठे हो रहे थे।
हवा में मिटटी की सोंधी सोंधी महक से लग रहा था की आसपास कही पानी बरस रहा है। मंजू बाई के घर के बाहर के बड़े से नीम के पेड़ की परछाईं आंगन में आ रही थी।
और अचानक उनके मन में मंजू बाई की शाम की बात , जब उसने बोला था की रात में दस बजे आना तो ये भी कहा था की तुझे सब कुछ खाना पीना पडेगा जो गीता खिलाएगी ,गीता की देह ,...
और मंजू बाई की बातों ने फिर उसके सोचने में ब्रेक लगा दिया।
" हे ये मत कहना की तुमने अपनी बहन को नहीं चोदा तो भोंसडे का भी मजा नहीं लिया ,
अरे तेरे घर में साले दो दो मस्त माल और तू ऐसे ही , चल अब हम लोगों के कब्जे में आ गया है न तो तुझे ऐसा हरामी बना देंगे की
तू किसी को न छोड़ेगा ,न माँ न बहन।
अरे इता मस्त मोटा लन्ड ले के , "
कान उनके मंजू बाई की बातें सुन रहे थे लेकिन मन में कही शाम की उसकी बात गूँज रही थी , गीता की देह से , और गीता हलवा
क्या खिलाएगी वो
तबतक फिर सुना उन्होंने मंजू की आवाज गीता आ न तेरा भाई भूखा बैठा है।
आती हूँ माँ और भैया को तो आज सीधे अपनी कड़ाही से खिलाऊंगी।
फिर उनके मन में कुछ कुछ ,
लेकिन गीता किचेन से कढाही लेकर निकली ,
ताजे गरम गरम बेसन के हलवे की खुशबू।
और फिर मंजू बाई ने गुड्डी की बात छेड़ दी।
" तू जानती है ,इसकी एक छोटी बहन भी है,एकदम मस्त पटाखा माल। मैंने फोटो देखी है।
साली क्या चूंचियां है मस्त ,शक्ल से चुदवासी लगती है।
तुझसे थोड़ी ही छोटी होगी , पक्की छिनार , नाम क्या है उसका , ?"
मंजू बाई बोलीं।
" गुड्डी " उन्होंने बोल दिया।
गीता उनकी जाँघों पे सर रख के लेटी थी , अपने होंठों से खड़े मस्ताए लन्ड को कभी चूम लेती थी तो कभी हाथ से पकड़ के मुठियाती थी।
एक बार फिर जैसे उनके हथियार से बात कर रही हो ,गीता ने उसे हलके हलके सहलाते बोला ,
" ये मैं न पूछुंगी की साल्ले तूने उसे चोदा की नहीं , ये बोल की उसकी चूत , झांटे आने के पहले फाड़ी या बाद में।
चुदती तो होगी ही ,इत्ता मस्त लन्ड जिसके भाई का हो वो तो खुद पकड़ के गप्प कर लेगी। "
और जब उन्होंने कबूल किया की गुड्डी अभी तक अनचुदी है ,
तो फिर तो गीता गुस्से से अलफ।
" उससे तो मैं बाद में निपटूंगी बोल इस बिचारे को क्यों भूखा रखा , ऐसा मस्त माल घर में और मेरा यार भूखा रहे ,
अगर कभी मुझसे मिलेगी न वो तेरी,… “
और उनके मुंह से निकल गया की वो दस पंद्रह दिन में आने वाली है तो फिर तो गीता और मंजू बाई दोनों चालू ,
" भैया , अगर अपने सामने उसे न चुदवाया इस लन्ड से तो कहना , बुर ,गांड मुंह सब में घोंटेगी छिनार
और खुद पकड़ के सबके सामने घोंटेगी। बिचारे मेरे प्यारे सीधे भैया को इतना तड़पाया। "
गीता बोली।
" साली को एकदम रन्डी बना दूंगी बस हम दोनों माँ बेटी के हवाले कर देना ,बस एक दिन के लिए। कोठे की रंडी मात सारे ट्रिक चुदाई के सीख जायेगी। "
मंजू बाई ने जोड़ा।
" अरे माँ ये सब बातें भैया से बोलने की हैं क्या , बस भैया तू उसे ले आ ,आगे की जिम्मेदारी हम दोनों की। ये बोल उस की चूंचियां कितनी बड़ी है। "
गीता अब फिर एक बार उनकी गोद में बैठ गयी थी।
" बस तुझसे थोड़ी ही छोटी हैं "
उन्होंने गीता की चूंची रगड़ते मसलते बोला।
" वाह भैया निगाह रखते हो उसकी चूंची पे। " हंस के गीता बोली , चल आने दो मेरे बराबर तो मैं ही रगड़ मसल के कर दूंगी उसकी। फिर मेरी छिनार माँ भी है , हम तीनो ,भैया मैं और माँ मिल के उसका हलवा बनाएंगे। "
और मंजू को याद आ गया।
……………….
" हे तूने बोला था न भैया आएंगे तो अपना स्पेशल हलवा खिलाएगी तो जा ले आ न " मंजू बाई ने गीता को हड़काया।
और गीता उठ के अपने चूतड़ मटकाती रसोई की ओर चल दी।
मंजू बाई भी उनका हाथ पकड़ के आंगन में ले आयी और चटाई वहीँ बिछा दी।
मस्त हवा आ रही है यहाँ ,वो बोली और उनका हाथ पकड़ के बैठा दिया।
" असली नशा तो तुझे गीता के हलवे को खा के होगा , देखना क्या मजा आता है और गीता न बिना खिलाये छोड़ेगी नहीं। "
मंजू बाई उनके बगल में बैठी ,मुस्कराके उनके गालों को सहलाती बोल रही थीं।
एक बार फिर ठंडी ठंडी हवा चल रही थी ,आसमान में वो आवारा बादल फिर इक्कट्ठे हो रहे थे।
हवा में मिटटी की सोंधी सोंधी महक से लग रहा था की आसपास कही पानी बरस रहा है। मंजू बाई के घर के बाहर के बड़े से नीम के पेड़ की परछाईं आंगन में आ रही थी।
और अचानक उनके मन में मंजू बाई की शाम की बात , जब उसने बोला था की रात में दस बजे आना तो ये भी कहा था की तुझे सब कुछ खाना पीना पडेगा जो गीता खिलाएगी ,गीता की देह ,...
और मंजू बाई की बातों ने फिर उसके सोचने में ब्रेक लगा दिया।
" हे ये मत कहना की तुमने अपनी बहन को नहीं चोदा तो भोंसडे का भी मजा नहीं लिया ,
अरे तेरे घर में साले दो दो मस्त माल और तू ऐसे ही , चल अब हम लोगों के कब्जे में आ गया है न तो तुझे ऐसा हरामी बना देंगे की
तू किसी को न छोड़ेगा ,न माँ न बहन।
अरे इता मस्त मोटा लन्ड ले के , "
कान उनके मंजू बाई की बातें सुन रहे थे लेकिन मन में कही शाम की उसकी बात गूँज रही थी , गीता की देह से , और गीता हलवा
क्या खिलाएगी वो
तबतक फिर सुना उन्होंने मंजू की आवाज गीता आ न तेरा भाई भूखा बैठा है।
आती हूँ माँ और भैया को तो आज सीधे अपनी कड़ाही से खिलाऊंगी।
फिर उनके मन में कुछ कुछ ,
लेकिन गीता किचेन से कढाही लेकर निकली ,
ताजे गरम गरम बेसन के हलवे की खुशबू।