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Adultery बर्बादी को निमंत्रण
अपडेट -11


समीर : अब तो ये ड्रिंक ले लीजिये हमारी दोस्ती के नाम? ये ड्रिंक नही है। और हां ये रहा मेरा कार्ड इसके पीछे मेरे पर्सनल नम्बर है। अगर दिल करे हमसे बात करने का तो कॉल करना। वैसे तुम हो बहुत खूब सूरत।

समीर चंचल से इतना बोलकर तुरंत वहां से निकल गया लेकिन चंचल वहीं खड़े खड़े समीर के बारे में सोचती रही। उसे एक और समीर से हुई ये पहली मुलाकात इंटरेस्टिंग लगी वही दूसरी और वो डर  ही रही थी। ये तो खुद चंचल को भी पता नही था कि वो डर क्यों रही है। इसी डर के चलते चंचल कुछ भी समझ नहीं पा रही थी। चंचल ने समीर के दिये हुए कार्ड को फेंकने चाहा लेकिन उसी वक़्त उसके ड्राइवर का कॉल आ गया। ड्राइवर का कॉल देख कर चंचल ने तुरंत समीर का कार्ड अपने पर्स में रखा और ड्राइवर के साथ कार में बैठ कर आफिस गयी। करीब 2 घण्टे बाद चंचल आफिस से सीधे घर निकल गयी।



अब आगे.....


चंचल पूरे दिन की मीटिंग्स और आफिस वर्क से काफी थक गई थी इसलिए घर आते ही सबसे पहले तो चंचल नहाने के लिए वाशरूम चली गयी। नहाते वक्त जब शावर की बूंदे चंचल के बदन को स्पर्श करते हुए नीचे की और रेंगते हुए गिरने लगी तो उन पानी की बुंदिन से चंचल के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी। 

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चंचल आंखें मूंदे अपने शरीर के  हर हिस्से को बड़ी ही नज़ाक़त से सहलाते हुए नहाने लगी। 

[Image: 5c424e5e1e1de.jpg] 

और बस देखते ही देखते सावन में आग लग गयी। एक तो चंचल और सुरेश के बीच के शारीरिक संबंध बने हुए करीब करीब 15 दिन हो चुके थे। इन 15 दिनों में चंचल को सेक्स की बहुत जरूरत महसूस हुई लेकिन वो कर भी क्या सकती थी। लेकिन आज ये चंचल के बर्दाश्त के बाहर था। 

[Image: 5c424ec5982a9.jpg] 

चंचल अपने बदन को सहलाते हुए सुरेश को याद कर रही थी। तकरीबन 10 मिनट बाद चंचल वाशरूम से बाहर निकली। आते ही चंचल ने एक टॉवल अपने चारों और लपेट लिया। जो चंचल के अधकच्चे आमों से लेकर उसकी मांसल जांघों तक था। चंचल के गीले बालों से पानी की बूंदे उसके कंधो पर अपना बसेरा डाल रही थी। चंचल अपने बिस्तर पर लेट कर तुरंत अपना फ़ोन निकाला और सुरेश को कॉल कर दिया। 

[Image: 5c424f4fe3d2f.jpg] 

सुरेश कॉल पर :-

सुरेश : हेलो, डार्लिंग , कैसी हो?

चंचल: बहुत परेशान...

सुरेश: क्यों? क्या हुआ? कोई बिज़नेस प्रॉब्लम?

चंचल: नहीं तुम्हारे बिज़नेस को तो में संभाल लुंगी लेकिन मुझे कौन संभालेगा?

सुरेश: क्या मतलब? तुम्हे क्या हुआ? तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना?

चंचल: सुरेश कम ऑन, मुझे कुछ नहीं हुआ। बस तुम्हारी याद आ रही थी।

सुरेश : वह सॉरी डार्लिंग बस कुछ दिनों की बात और है फिर तो में आ ही रहा हूँ ना।

चंचल: सुरेश..... एक्चुअली ई नीड यु नाउ!

सुरेश: क्या मतलब नाउ? मैं कैसे आ सकता हूँ अभी के अभी?

चंचल: ओह सुरेश ट्रॉय टू अंडर्सटेण्ड

सुरेश: चंचल जो भी कहना है साफ साफ कहो, तुम्हे मालूम है ना मैं अभी आफिस में हूँ। और अभी मीटिंग स्टार्ट होने वाली है।

चंचल: ओके देन लिसेन, मुझे सेक्स चाहिए। 

क़रीब 2 मिनेट के सन्नाटे के बाद....

सुरेश: ओह तो मेरी इतनी याद आ रही है। लेकिन मैं कैसे ? अभी ? जान तुम तो जानती हो ना।

चंचल: सुरेश हम फ़ोन सेक्स तो कर ही सकते है ना।

सुरेश: चंचल , कैसी बात कर रही हो? मैं आफिस में हूँ।

(सुरेश को एक लड़की उसकी मीटिंग के लिए सूचित करने आती है।

चंचल: यार थोड़ी ही देर की तो बात है और फिर....

सुरेश: (चंचल की बात काट ते हुए) सॉरी चंचल आई हैव टू गो। और तुम ना ठंडे पानी से नहाओ वरना परेशान होती रहोगी। इन 15 दिनों में बहुत बदमाश बाते तुम्हारे दिमाग मे आने लगी है। 

सुरेश चंचल पर हंसते हुए फ़ोन काट देता है और चंचल सुरेश सुरेश करते रह जाती है। बड़े बुझे मन से चंचल अपने बिस्तर पर कपड़े बदल कर लेट जाती है लेकिन आज उसका शरीर उसके बस में नहीं था। चंचल की चूत किसी भट्टी की तरह टप रही थी। चंचल इस वक़्त अपने पति के साथ के लिए तड़प रही थी और उसका पति उसकी परवाह किये बिना उस पर हंसते हुए फ़ोन काट देता है। चंचल ऐसे विचारों से घिर कर सुरेश पर गुस्सा कर रही थी।

 सारी रात चंचल बिस्तर पर इधर उधर करवटें बदलती रही। नींद तो जैसे कोशों दूर थी। शरीर की गर्मी में तड़पते हुये चंचल को कब सुबह हो गयी उसे पता तक नही चला। कमरे में लगी एयर कंडिशनर तक चंचल के शरीर के ताप को कम न कर सके।

सुबह चंचल उठी तो जल्दी जल्दी तैयार होने लगी। तैयार होते हुए चंचल बार बार सुरेश की बेरुखी को कोस रही थी। 

[Image: 5c424fd436ef6.jpg] 

चंचल हालांकि सुरेश से बहुत प्यार करती है लेकिन फिलहाल वो उन हालतों से गुज़र रही है जिन में उसके लिए कुछ सोच पाना तक मुमकिन नहीं हो पा रहा। चंचल तैयार होने जे साथ ही जब आफिस के लिए जाने लगी ठीक उसी वक़्त नौकरानी लता भी घर मे आ जाती है। चंचल एक बार सरिता के रूम की तरफ जाने लगती है लेकिन फिर कुछ सोच कर वापस घर के बाहर निकलती है। 

[Image: 5c4250592a65c.jpg] 

चंचल का ड्राइवर चंचल का ही इंतजार कर रहा था। चंचल के आटे ही उसने गाड़ी का दरवाजा खोला और चंचल के बैठते ही गाड़ी आफिस की और दौड़ा दी। चंचल गाड़ी की विंडो से बाहर की और देखते हुए कुछ सोच रही थी।

चंचल अपनी सोच में कुछ इस तरह से उलझ गयी कि उसे पता तक नही चला कि वो कब आफिस पहुंच गई। करीब दो मिनेट तक चंचल का ड्राइव चंचल के उतरने का वैट करता रहा लेकिन जब चंचल गाड़ी से नहीं उतरी तो मजबूरन उसे चंचल को पुकार कर उसके ख्यालों से बाहर लाना पड़ा। चंचल जैसे ही ख्यालों से बाहर आती है तुरंत खुद को मानसिक तौर पर आफिस के काम काज के लिए तैयार करती है और आफिस में चल देती है। आफिस में करीब 2-3 मीटिंग पुराने टेंडेरेर और एम्प्लोयी के साथ थी जिन्हें पूरा करने के बाद चंचल कुछ सोचने लगती है। 

चंचल कुछ देर सोच कर मुस्कुराकर के सुरेश के पास कॉल लगाती है। करीब 2 बार पूरा फ़ोन करने के बाद भी सुरेश की तरफ से कोई जवाब नही मिलता जिस से चंचल और झुंझला जाती है। चंचल का सर दुखने लगता है। चंचल तुरन्त अपने पर्स से सर दर्द की दवा ढूंढने लगती है। लेकिन दवा की जगह चंचल के हाथ मे समीर का विजिटिंग कार्ड आ जाता है।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html

Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750

द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) ( Unexpected Desire of Darkness ) PART-II 
https://xossipy.com/thread-70677-post-60...pid6048878
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RE: बर्बादी को निमंत्रण - by Rocksanna999 - 19-01-2019, 12:45 AM



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