23-10-2019, 06:23 PM
(This post was last modified: 23-10-2019, 06:39 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
....एकदम पागल
फिर मुझे अचानक ख्याल आया
" हे आये कैसे , ... "
वो बस मुस्करा दिए , ... और मेरा गाल सहलाने लगे।
" बोल न यार ,... "
मैंने बहुत जोर दिया और तब उन्होंने पूरा किस्सा सुनाया।
शनिवार को हाफ डे होता है तो उन्होंने एक फ्लाइट बुक की थी , बनारस की डायरेक्ट फ्लाइट थी बैंगलोर से शाम चार बजे की , ...
साढ़े छह तक वो बनारस पहुँच जाते पर १२ बजे मालूम हुआ की वो फ्लाइट कैंसल हो गयी।
और साढ़े बारह से पहले कैम्पस से निकल भी नहीं सकते थे ,... लेकिन चार बजे की उन्हें दिल्ली की फ्लाइट मिल गयी बस , ...
वो फ्लाइट पकड़ कर दिल्ली आये और साढ़े छह बजे वहां से बनारस की एक फ्लाइट दौड़ते भागते उन्होंने पकड़ी।
सवा आठ बजे बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचे , वहां से टैक्सी पकड़ कर ,
लेकिन रस्ते में एक दो जगह बहुत जाम था , तो सवा ग्यारह बजे आज़मगढ़।
ये लड़का भी न एकदम पागल है , ...
मैं बस यही सोच रही थी ,
तभी वो मुस्कराने लगे , और मैंने जोर से चिकोटी काटी तब असली बात बताई उन्होंने।
बंगलौर एयर पोर्ट पांच किलोमीटर रह गया था और उनकी टैक्सी ख़राब हो गयी थी ,
बोर्डिंग बंद होने में बस बीस मिनट रह गए थे , डेढ़ किलोमीटर तो वो पैदल दौड़ते हुए ,
फिर एक बाइक वाले से लिफ्ट मिली। जब ऐयरपॉर्ट पहंचे तो बस ४५ मिनट बचे थे। बोर्डिंग बंद हो रही थी।
तुम भी न , एकदम पागल हो।
मैं उनसे लिपट गयी और चूमते बोली।
पर वो भी न , बदमाशी का मौका मिल जाए , कस के चूम के बोले ,
" और पागल बनाया किसने " .
मैं छुड़ाते बड़े इतरा के बोली , ...
' वो तो है। "
और तभी मुझे कुछ याद आया , ...
"कैम्पस से कब निकले थे , "मैंने पूछा।
साढ़े बारह बजे , ... जैसे क्लास क्लोज हुआ। तुम्हे मालूम है एयरपोर्ट कितना दूर है , चार की फ्लाइट थी तो ढाई बजे पहुंचना था , और दो घंटा कम से कम लगता है वहां से , ऊपर से टैक्सी खराब हो गयी , लेकिन सवा तीन बजे ,... पहुँच गए।
उन्होंने कबूला।
"और खाना , ... साढ़े बारह बजे तो खाना मिलता नहीं होगा?"
मैंने फिर पूछा।
" यार ब्रेकफास्ट जम के किया था न , ... खाने के चक्कर में पड़ता तो फ्लाइट छूट जाती। " वो हँसते हुए बोले। \
"और मुझे मालूम है न तुमने फ्लाइट में कुछ खाया होगा न ,... "
पर मेरी बात काटते वो बोले ,
" बोला तो ब्रेकफास्ट कस के किया था , और फ़्लाइट सब सिर्फ पानी वाली थीं , फिर ये डर लग रहा था की कहीं कनेक्टिंग फ्लाइट छूट न जाए , ... और बाबतपुर में उतर के बस दौड़ते भागते ,... एक ही दो टैक्सी रहती हैं वहां , ... लेकिन देखो बारह बजे के पहले पहुँच गया। "
उन्होंने कबूल किया और जैसे अपनी सफलता का ऐलान किया ,
लेकिन मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था।
ये भी कोई बात हुयी , सुबह आठ साढ़े बजे के बाद , एक दाना पेट में नहीं ,...
ब्रेकफास्ट के बाद न लंच न डिनर न शाम को कुछ ,... और भागते दौड़ते ,...
वो समझ गए , मुझे पुचकारते , चूमते बोले ,
" तुम भी न बेकार परेशान हो रही हो , ... देख अभी तो जबरदस्त दावत हो गयी न। "
ये लड़का न इससे तो गुस्सा होना भी मुश्किल , और उनकी आंखे , जिस तरह से वो देखते थे , ...
मैं मुस्करा पड़ी , लेकिन बोली ,
" ठीक है दावत हो गयी लेकिन अभी इसका, भी कुछ इंतजाम करती हूँ मैं ,... "
और उनके पेट को चूम कर के मैं उठ गयी।लेकिन इतने आसानी से वो लड़का छोड़ने वाला नहीं था ,
उन्होंने कस के हाथ पकड़ के अपनी ओर मुझे खींच लिया।
मैं समझ रही थी , मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था , लेकिन सुबह से ये बेचारा एकदम भूखा , ...
मैंने छुड़ाते हुए नीचे देखा , ... वो मूसलचंद , एक बार फिर थोड़ा सोया , थोड़ा जागा ,... एक बार फिर कुनमुना रहा था।
बस मैंने उसे ही पकड़ा , और सीधे खुले सुपाड़े पर एक पुच्ची लेते उसे समझाया ,
" बस आ रही हूँ , अरे यार बिना पेट्रोल डीजल के गाडी नहीं चलती , बस एक बार टंकी फुल कर दूँ , इस लड़के की , ... फिर मैं कहीं नहीं जाने वाली। "
जवाब उन्होंने दिया , एकदम बेताब बेकरार , ...
" जल्दी आना , ... " वो बोले।
फर्श पर उनके कपडे फैले थे , उसे समेटते बोली , ...
" बस दस मिनट "
" नहीं नहीं , पांच मिनट बस ,... मुझे एकदम भूख नहीं है "
वो लड़का बोला।
मुझे अच्छी तरह मालुम था जनाब को किस चीज की भूख है।
उनके कपडे उठा के मैंने बाथरूम में रखे , और अपनी नाइटी बस फर्श से उठा कर देह पर टांग लिया ,
और उनकी ओर मुड़ के बोली ,
ठीक बस पांच मिनट , अभी गयी , अभी आयी। और मुझे मालूम है तुझे किस चीज़ की भूख है , बस गयी आयी ,
उनके कपडे तो मैंने सब टांग दिए थे बस एक चादर पतली सी उन्हें उढ़ा दी , और दरवाजा उठँगा कर सीधे सीढ़ी से नीचे ,
लेकिन किचेन में पहुँचते ही मुझे अंदाज हो गया ,... कुछ नहीं मिलने वाला।
असल में सासू जी का व्रत था ,...
बस मैंने और जेठानी जी ने एक पिज्जा मंगा कर खा लिया था। सुबह का भी कुछ नहीं था। फ्रिज मैंने अच्छी तरह खोल कर देख लिया।
,..
और उस लड़के ने पांच मिनट की शर्त भी लगा दी थी , कुछ बनाने का टाइम नहीं था ,
ऊपर से मैं एकदम दबे पाँव ,... ज्यादा खड़खड़ होती तो सासू जी , जेठानी के जग जाने का खतरा , और फिर पूछ ताछ ,...
और अगर मैं कह देती की वो आये हैं , तो सासू जी अपने बेटे से मिलने कही ऊपर चली जातीं तो,
किचेन की मैंने लाइट भी नहीं जलाई , बस फ्रिज खोल के उसी की लाइट में किचेन में , ...
दूध था थोड़ा सा बस उसे मैंने औटाने के लिए चढ़ा दिया , वो गर्म हो गया तो कुछ केसर उसमें डाल दी। पर आधे ग्लास दूध से क्या होना था
सच में एकदम पागल लड़का , ... सुबह से कुछ नहीं खाया जनाब ने ,...
कुछ समझ में नहीं आ रहा था , तभी याद आया सासू जी का व्रत था ,
उन के लिए रबड़ी आयी थी , व्रत तोड़ने के लिए , शाम को उन्होंने खायी थी। बाकी काफी रबड़ी बची हुयी रखी थी ,
लेकिन एक और प्रॉब्लम ,
रबड़ी उनको पसंद नहीं थी।
सिर्फ नापंसद नहीं थी , बल्कि सख्त नापसंद , मैंने देखा था रिसेप्शन वाले दिन , उनकी इमरती की प्लेट में किसी ने जरा सा एक आधी चमच रबड़ी डाल दी ,
बस प्लेट उन्होंने जस की तस छोड़ दी।
मैं फ्रिज के सामने खड़ी देख रही थी ,
एक बड़े से बाउल में रबड़ी रखी थी , एकपाव से ज्यादा ही थी। पांच सौ ग्राम आयी थी , सासू जी ने थोड़ी सी ही खायी थी बाकी सब बची थी।
क्या करूँ , कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
फिर मैंने तय कर लिए , कोमल अब ये लड़का क्या पसंद करता है क्या नापसंद , उसको नहीं तय करना है , ये कोमल तय करेगी।
मैं मुस्करायी , उनकी नो नो वाली पूरी लिस्ट मेरे दिमाग में घूम गयी।
बस मैंने ड्राई फ्रूट वाले डिब्बे खोले , और कतरे हुए काजू , बादाम , पिस्ता, केसर ,...
और तभी मुझे एक और डिब्बा दिख गया बड़ा छोटा सा और मेरे चेहरे पर हंसी दौड़ गयी , मंझली ननद ने उस डिब्बे का राज बताया था ,
जो रोज रात को सुहाग रात के पहले दिन से हमारे कमरे में दूध रखा जाता था , उसमें ये ,... पता नहीं क्या क्या हर्ब्स थीं , ... शिलाजीत , अस्तावर , ... मंझली ननद ने बताया तो हम दोनों हँसते हुए लोट पोट हो गए
' शक्तिवर्धक , वीर्यवर्धक , कामोत्तेजक , मदन चूर्ण '
मैंने एक मिटटी का बड़ा सा सकोरा उठाया और पहले सबसे नीचे वही उसी डिब्बे से , ढेर सारी ,
और फिर बाउल से रबड़ी , और उसके ऊपर कतरे काजू बादाम , केसर , पिस्ता और फिर उसी हर्ब वाले डिब्बे से और ढेर सारा छिड़क दिया , ...
मैंने बस एक सावधानी बरती , एक अल्युमिनियम फ्वायल से उसे कवर कर लिया ,
फिर वो दूध वाला ग्लास और मिटटी का रबड़ी से भरा सकोरा लेकर दबे पांव ऊपर कमरे में ,...
कमरे में घुसते ही पहले मैंने ट्रे अंदर मेज पर रखा और दरवाजा बंद कर लिया।
बेताब , बेसबरा , उनका चेहरा एकदम , .... भुकरा बोले ,
पूरे आठ मिनट हो गए हैं।
फिर मुझे अचानक ख्याल आया
" हे आये कैसे , ... "
वो बस मुस्करा दिए , ... और मेरा गाल सहलाने लगे।
" बोल न यार ,... "
मैंने बहुत जोर दिया और तब उन्होंने पूरा किस्सा सुनाया।
शनिवार को हाफ डे होता है तो उन्होंने एक फ्लाइट बुक की थी , बनारस की डायरेक्ट फ्लाइट थी बैंगलोर से शाम चार बजे की , ...
साढ़े छह तक वो बनारस पहुँच जाते पर १२ बजे मालूम हुआ की वो फ्लाइट कैंसल हो गयी।
और साढ़े बारह से पहले कैम्पस से निकल भी नहीं सकते थे ,... लेकिन चार बजे की उन्हें दिल्ली की फ्लाइट मिल गयी बस , ...
वो फ्लाइट पकड़ कर दिल्ली आये और साढ़े छह बजे वहां से बनारस की एक फ्लाइट दौड़ते भागते उन्होंने पकड़ी।
सवा आठ बजे बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचे , वहां से टैक्सी पकड़ कर ,
लेकिन रस्ते में एक दो जगह बहुत जाम था , तो सवा ग्यारह बजे आज़मगढ़।
ये लड़का भी न एकदम पागल है , ...
मैं बस यही सोच रही थी ,
तभी वो मुस्कराने लगे , और मैंने जोर से चिकोटी काटी तब असली बात बताई उन्होंने।
बंगलौर एयर पोर्ट पांच किलोमीटर रह गया था और उनकी टैक्सी ख़राब हो गयी थी ,
बोर्डिंग बंद होने में बस बीस मिनट रह गए थे , डेढ़ किलोमीटर तो वो पैदल दौड़ते हुए ,
फिर एक बाइक वाले से लिफ्ट मिली। जब ऐयरपॉर्ट पहंचे तो बस ४५ मिनट बचे थे। बोर्डिंग बंद हो रही थी।
तुम भी न , एकदम पागल हो।
मैं उनसे लिपट गयी और चूमते बोली।
पर वो भी न , बदमाशी का मौका मिल जाए , कस के चूम के बोले ,
" और पागल बनाया किसने " .
मैं छुड़ाते बड़े इतरा के बोली , ...
' वो तो है। "
और तभी मुझे कुछ याद आया , ...
"कैम्पस से कब निकले थे , "मैंने पूछा।
साढ़े बारह बजे , ... जैसे क्लास क्लोज हुआ। तुम्हे मालूम है एयरपोर्ट कितना दूर है , चार की फ्लाइट थी तो ढाई बजे पहुंचना था , और दो घंटा कम से कम लगता है वहां से , ऊपर से टैक्सी खराब हो गयी , लेकिन सवा तीन बजे ,... पहुँच गए।
उन्होंने कबूला।
"और खाना , ... साढ़े बारह बजे तो खाना मिलता नहीं होगा?"
मैंने फिर पूछा।
" यार ब्रेकफास्ट जम के किया था न , ... खाने के चक्कर में पड़ता तो फ्लाइट छूट जाती। " वो हँसते हुए बोले। \
"और मुझे मालूम है न तुमने फ्लाइट में कुछ खाया होगा न ,... "
पर मेरी बात काटते वो बोले ,
" बोला तो ब्रेकफास्ट कस के किया था , और फ़्लाइट सब सिर्फ पानी वाली थीं , फिर ये डर लग रहा था की कहीं कनेक्टिंग फ्लाइट छूट न जाए , ... और बाबतपुर में उतर के बस दौड़ते भागते ,... एक ही दो टैक्सी रहती हैं वहां , ... लेकिन देखो बारह बजे के पहले पहुँच गया। "
उन्होंने कबूल किया और जैसे अपनी सफलता का ऐलान किया ,
लेकिन मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था।
ये भी कोई बात हुयी , सुबह आठ साढ़े बजे के बाद , एक दाना पेट में नहीं ,...
ब्रेकफास्ट के बाद न लंच न डिनर न शाम को कुछ ,... और भागते दौड़ते ,...
वो समझ गए , मुझे पुचकारते , चूमते बोले ,
" तुम भी न बेकार परेशान हो रही हो , ... देख अभी तो जबरदस्त दावत हो गयी न। "
ये लड़का न इससे तो गुस्सा होना भी मुश्किल , और उनकी आंखे , जिस तरह से वो देखते थे , ...
मैं मुस्करा पड़ी , लेकिन बोली ,
" ठीक है दावत हो गयी लेकिन अभी इसका, भी कुछ इंतजाम करती हूँ मैं ,... "
और उनके पेट को चूम कर के मैं उठ गयी।लेकिन इतने आसानी से वो लड़का छोड़ने वाला नहीं था ,
उन्होंने कस के हाथ पकड़ के अपनी ओर मुझे खींच लिया।
मैं समझ रही थी , मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था , लेकिन सुबह से ये बेचारा एकदम भूखा , ...
मैंने छुड़ाते हुए नीचे देखा , ... वो मूसलचंद , एक बार फिर थोड़ा सोया , थोड़ा जागा ,... एक बार फिर कुनमुना रहा था।
बस मैंने उसे ही पकड़ा , और सीधे खुले सुपाड़े पर एक पुच्ची लेते उसे समझाया ,
" बस आ रही हूँ , अरे यार बिना पेट्रोल डीजल के गाडी नहीं चलती , बस एक बार टंकी फुल कर दूँ , इस लड़के की , ... फिर मैं कहीं नहीं जाने वाली। "
जवाब उन्होंने दिया , एकदम बेताब बेकरार , ...
" जल्दी आना , ... " वो बोले।
फर्श पर उनके कपडे फैले थे , उसे समेटते बोली , ...
" बस दस मिनट "
" नहीं नहीं , पांच मिनट बस ,... मुझे एकदम भूख नहीं है "
वो लड़का बोला।
मुझे अच्छी तरह मालुम था जनाब को किस चीज की भूख है।
उनके कपडे उठा के मैंने बाथरूम में रखे , और अपनी नाइटी बस फर्श से उठा कर देह पर टांग लिया ,
और उनकी ओर मुड़ के बोली ,
ठीक बस पांच मिनट , अभी गयी , अभी आयी। और मुझे मालूम है तुझे किस चीज़ की भूख है , बस गयी आयी ,
उनके कपडे तो मैंने सब टांग दिए थे बस एक चादर पतली सी उन्हें उढ़ा दी , और दरवाजा उठँगा कर सीधे सीढ़ी से नीचे ,
लेकिन किचेन में पहुँचते ही मुझे अंदाज हो गया ,... कुछ नहीं मिलने वाला।
असल में सासू जी का व्रत था ,...
बस मैंने और जेठानी जी ने एक पिज्जा मंगा कर खा लिया था। सुबह का भी कुछ नहीं था। फ्रिज मैंने अच्छी तरह खोल कर देख लिया।
,..
और उस लड़के ने पांच मिनट की शर्त भी लगा दी थी , कुछ बनाने का टाइम नहीं था ,
ऊपर से मैं एकदम दबे पाँव ,... ज्यादा खड़खड़ होती तो सासू जी , जेठानी के जग जाने का खतरा , और फिर पूछ ताछ ,...
और अगर मैं कह देती की वो आये हैं , तो सासू जी अपने बेटे से मिलने कही ऊपर चली जातीं तो,
किचेन की मैंने लाइट भी नहीं जलाई , बस फ्रिज खोल के उसी की लाइट में किचेन में , ...
दूध था थोड़ा सा बस उसे मैंने औटाने के लिए चढ़ा दिया , वो गर्म हो गया तो कुछ केसर उसमें डाल दी। पर आधे ग्लास दूध से क्या होना था
सच में एकदम पागल लड़का , ... सुबह से कुछ नहीं खाया जनाब ने ,...
कुछ समझ में नहीं आ रहा था , तभी याद आया सासू जी का व्रत था ,
उन के लिए रबड़ी आयी थी , व्रत तोड़ने के लिए , शाम को उन्होंने खायी थी। बाकी काफी रबड़ी बची हुयी रखी थी ,
लेकिन एक और प्रॉब्लम ,
रबड़ी उनको पसंद नहीं थी।
सिर्फ नापंसद नहीं थी , बल्कि सख्त नापसंद , मैंने देखा था रिसेप्शन वाले दिन , उनकी इमरती की प्लेट में किसी ने जरा सा एक आधी चमच रबड़ी डाल दी ,
बस प्लेट उन्होंने जस की तस छोड़ दी।
मैं फ्रिज के सामने खड़ी देख रही थी ,
एक बड़े से बाउल में रबड़ी रखी थी , एकपाव से ज्यादा ही थी। पांच सौ ग्राम आयी थी , सासू जी ने थोड़ी सी ही खायी थी बाकी सब बची थी।
क्या करूँ , कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
फिर मैंने तय कर लिए , कोमल अब ये लड़का क्या पसंद करता है क्या नापसंद , उसको नहीं तय करना है , ये कोमल तय करेगी।
मैं मुस्करायी , उनकी नो नो वाली पूरी लिस्ट मेरे दिमाग में घूम गयी।
बस मैंने ड्राई फ्रूट वाले डिब्बे खोले , और कतरे हुए काजू , बादाम , पिस्ता, केसर ,...
और तभी मुझे एक और डिब्बा दिख गया बड़ा छोटा सा और मेरे चेहरे पर हंसी दौड़ गयी , मंझली ननद ने उस डिब्बे का राज बताया था ,
जो रोज रात को सुहाग रात के पहले दिन से हमारे कमरे में दूध रखा जाता था , उसमें ये ,... पता नहीं क्या क्या हर्ब्स थीं , ... शिलाजीत , अस्तावर , ... मंझली ननद ने बताया तो हम दोनों हँसते हुए लोट पोट हो गए
' शक्तिवर्धक , वीर्यवर्धक , कामोत्तेजक , मदन चूर्ण '
मैंने एक मिटटी का बड़ा सा सकोरा उठाया और पहले सबसे नीचे वही उसी डिब्बे से , ढेर सारी ,
और फिर बाउल से रबड़ी , और उसके ऊपर कतरे काजू बादाम , केसर , पिस्ता और फिर उसी हर्ब वाले डिब्बे से और ढेर सारा छिड़क दिया , ...
मैंने बस एक सावधानी बरती , एक अल्युमिनियम फ्वायल से उसे कवर कर लिया ,
फिर वो दूध वाला ग्लास और मिटटी का रबड़ी से भरा सकोरा लेकर दबे पांव ऊपर कमरे में ,...
कमरे में घुसते ही पहले मैंने ट्रे अंदर मेज पर रखा और दरवाजा बंद कर लिया।
बेताब , बेसबरा , उनका चेहरा एकदम , .... भुकरा बोले ,
पूरे आठ मिनट हो गए हैं।