21-10-2019, 12:22 PM
ननद -भौजाई और होली का स्वाद
ऐसा मौका कौन भौजाई छोड़ती है तो रीतू भौजी भी चालू हो गयीं।
लीला चाट चूस तो रही थी रीतू भौजी के गांड से निकला ,
भौजी के माल मसाले से लिथड़ा लंड ,
लेकिन बहुत कुनमुना रही थी , तो रीतू भाभी फिर चालू हो गयीं,
" अरे ननद रानी , अबहीं कल , ... भूल गयी ,... हमार और कुल भौजाइन क दो दो ऊँगली , तोहरी गंडिया से निकाल निकाल के तोहरे मुंह में ,
तब तो गप्प गप्प लीलत रहु और आज हमारे पिछवाड़े क हौ तो एतना नखड़ा चोदत हो , बिना चाटे चूसे कउनो बचत ना हौ।"
बात रीतू भाभी की एकदम सही थी , इसके बिना तो ननद भौजाई की होली पूरी नहीं होती थी।
और भौजाइयों में भी सबसे ज्यादा मिश्राइन भौजी ,... कल मेरे और छुटकी के साथ भी तो ,
जैसे ननद की उमर नहीं देखी जाती ,
वैसे ही भौजाई की ,... खाली रिश्ता , ... मिश्राइन भौजी तो मम्मी से खाली ३-४ साल छोटी होंगी , मुझसे १३- १४ साल बड़ी , ३३ -३४ की ,
छुटकी के कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल भी हैं लेकिन होली में सिर्फ ननद भाभी का रिश्ता ,
और पिछवाड़े ऊँगली करने का काम वही शुरू करती ,
किस भी उमर की ननद हो , कच्चे टिकोरे वालों की तो और ,... कल छुटकी की सबसे ज्यादा रगड़ाई उन्होंने ही की ,
और सिर्फ ऊँगली ही नहीं ननद को बोलना भी पड़ता ,
अपने भाई का नाम ले ले कर , भाई नहीं तो कजिन , गाँव का कोई उसकी उम्र का लड़का
जब छुटकी के पिछवाड़े मिश्राइन भौजी ने ठेला , वो भी एक नहीं दो दो ऊँगली , पूरे दो पोर तक ,
छुटकी जानती तो थी , क्या बोलना है , बिना बोले छुट्टी नहीं है , वो जरा सा हिचकिचाई तो मिश्राइन भौजी खुद बोलीं
" बोल छिनार तोहरे गाँड़ि में केकर ,..... "
" चुन्नू भैया क ,... "
( मैंने बताया न हमारा कोई सगा भाई तो था नहीं वही , चुन्नू जो मुझे लेने गया था मेरा ममेरा भाई छुटकी से दो साल बड़ा होगा )
एक चांटा जोर से छुटकी के चूतड़ पर पड़ा , ...
"स्साली रंडी छिनार खोल क बोल , पूरा ,...
" भौजी , चुन्नू भैया क लंड , हमरी गाँड़ में ,... "
छुटकी बिलबिलाती बोली।
और हचाक से मिश्राइन भौजी ने पूरे जड़ तक अपनी दोनों ऊँगली उसकी गांड में पेल दी , और गोल गोल , दीवालों पर रगड़ते करोचते , खुरचते , साथ में गालियां
" भाइचोद , ले घोट भइया का लौंड़ा अपनी गाँड़ में "
तब तक किसी दूसरी भौजाई ने एक ऊँगली छुटकी की कसी चूत में , दो भौजाइयां उसके कच्चे टिकोरों की रगड़ घिस कर रही थीं ,
ये कहने की बात नहीं ,
मिश्राइन भौजी की ऊँगली छुटकी के पिछवाड़े से निकल कर कहाँ गयी ,
सीधे उसके मुंह में ३२ बार गिन कर दंत मंजन ,
और भौजाइयां गाँव के लड़कों का सिर्फ नाम ही नहीं नंदों से लगवाती थीं ,
बल्कि उसकी साइज , लम्बाई मोटाई सब कुछ पूछ लेती थीं ,
और न बताये तो एक तमाचा जोरदार गाल पर , ... छाप छोड़ दे , ... उस तरह का , और उस के बाद भौजाई बता देतीं थीं ,...
आखिर मिश्राइन भौजी , भौजाइयों में सबसे बड़ी थीं , तो गाँव के सारे लड़के , मरद उनके देवर लगते थे ,
और कोई नहीं बचता था सबके पाजामे का नाड़ा भी खुलता था और भौजी रंग लगा के नाप जोख भी सही सही करती थीं ,
सोते का भी जागते का भी , ... तभी जब उन्होंने अपने नन्दोई का, ' इनका' पकड़ा तो मुझसे खूब खुश होके बोली
" एह गाँव वालों से तो कम से कम डेढ़ इंच ज्यादा ,... "
और जबसे रीतू भाभी आ गयी थीं , दो साल से तबसे तो और ज्यादा , कोई गाँव का लड़का बचता नहीं थीं ,
एकदम नयी उमर की नयी फसल वाला भी ,
भले ही खड़ा न होता हो ठीक से लेकिन रीतू भाभी बिना वहां रंग लगाए , मुठियाये ,
और उस से उसकी बहन को दस पांच असली वाली गाली सुनाये छोड़ती नहीं थी ,
और जैसे ही नंदों से उनके भाइयों के खूंटे का हिसाब किताब पूछा जाता था
वैसे ही देवरों से ,
उनकी बहनों की साइज , निम्बू या संतरा , ब्रा का नंबर , अभी पहनती भी है की नहीं , ...
और नहीं मालूम होने पर भौजाइयां तो तो थीं ही बताने के लिए ,
और जबसे रीतू भाभी आ गयी थीं , फिर से मिश्राइन भाभी और रीतू भाभी की जोड़ी तो , ...
जैसे कच्ची कलियों वाली ननदों पर भाभियों की विशेष कृपा होती थीं उसी तरह नयी उम्र के लड़कों पर भी , ...
और मिश्राइन भाभी और रीतू की जोड़ी में कोई बेचारा फंस गया तो , अगवाड़े पिछवाड़े रंग की, कीचड़ की रगड़ाई तो होती थी ,
उस के पजामे , नेकर में हाथ डाल कर पकड़ कर मुठियाना , और सबसे बढ़कर ,
उससे उसकी बहन का नाम ले लेकर उसकी चूँची , बुर , दस गाली , ...
लेकिन रीतू भाभी ने एक नयी बदमाशी शुरू कर दी , ...
उसके पिछवाड़े पहले तो सहलाती थी , फिर कचाक से एक ऊँगली ,
अगर ऊँगली घुस गयी न , फिर तो दस गाली ,
" कहो देवर जी , लागत हाउ खूब गाँड़ मरौव्वल होत हाउ , ... केतना लौंड़ा घोटले हौआ "
और जबतक वो मानता नहीं था , एक के बाद दूसरी ऊँगली ,... फिर तो मिश्राइन भाभी भी , ...
" अरे गांडू साफ साफ़ बोलो नहीं तो अभी पटक के पूरी मुट्ठी पेलती हूँ , गांड में , गंडुवे स्साले , अपनी बहिन के यार , ... "
और एकाध बार अगर कही उसकी सगी चचेरी पट्टीदार की भी बहन साथ में पकड़ में आगयी ,
फिर तो दोनों की शामत , सिर्फ मुठिया कर नहीं ,... जब तक सफ़ेद मलाई न निकले , ...
और वो मलाई सीधे उसकी उसी बहिन के गाल पे , मुंह पे ,...
और अगर न ऊँगली घुसे , लगे की की अभी कोरा है , तो और गालियां ,...
पिछले साल चुन्नू वही मेरा ममेरा भाई जो मुझे लेने गया था
और जिसके पिछवाड़े का इन्होने और नन्दोई जी ने जम कर बाजा बजाया था , उसकी कोरी गाँड़ उसके जीजा और जीजा के ने मिलकर फाड़ी थी , ... वही
होली में हमारे यहाँ आया था , और रीतू भाभी , मिश्राइन भौजी के जुगल जोड़ी की पकड़ में आ गया था , बस ,...
पिछवाड़े का मौका मुआयना करने के बाद ,
बड़ी कोशिश की उन्होंने ऊँगली घुसाने की ,... फिर भी नहीं घुसी , ... तो उन्होंने एलान कर दिया
" स्साले भंडुए , ... इत्ते चिकने गाल , इत्ता मक्खन सा पिछवाड़ा , ... किसके लिए बचाकर रखा है , अपनी बहन के यार के लिए ,... अगर अगली होली तक नहीं फटी न , तो ये मुट्ठी देख रहा है , पूरी की पूरी तेरी गांड के अंदर ,... "
और मंझली को कुछ भौजाइयां पकड़ के ले आयीं , ... बस फिर क्या था , जबरदस्ती , मंझली का हाथ चुन्नू के नेकर के अंदर ,
" चल जल्दी से मुट्ठ मार के झाड़ इसे , वरना मेरी मुट्ठी देख रही है , अभी निहुरा के तेरे भाई की कुँवारी गाँड़ फाड़ती हूँ , ...चल जल्दी कर , ... "
मिश्राइन भाभी ने वार्निंग दे दी .
और जब मंझली ने ६१ -६२ चालू कर दिया तो मिश्राइन भौजी खुश , उन्होंने दोनों को असीसा ,
" चल अगली होली तक , तुम दोनों की कोरी कोरी फट जाएगी , और ऐसे मूसल से फटेगी , जिसे अपने भोंसडे में लेने में चार बच्चो की माँ को भी पसीना आ जाए . "
मिश्राइन भाभी की भविष्यवाणी पूरी तरह सच हुयी ,
चुन्नू की भी इन्होने फाड़ी , मेरी ससुराल में , और मंझली की अपने ससुराल में ,
लेकिन सबसे ज्यादा रगड़ाई ननदों की ही होती थी ,
कल जब मिश्राइन भाभी की ऊँगली छुटकी के पिछवाड़े लस्सी मथ रही थी ,
रीतू भाभी की ऊँगली मेरे पीछे घुसी हुयी थी , और मैंने रीतू भाभी के मरद का ही नाम लिया , ..
तो खिलखलाती हुयी रीतू भाभी बोलीं ,
" अरे तेरे भैया को तो पिछवाड़े का ज्यादा शौक नहीं है , ... "
मैं भी अब शादी शुदा थी मैंने साफ़ साफ पूछ लिया और उन्होंने बता भी दिया शादी के बाद बस दो चार बार ,
और अभी तो वो दुबई गएँ हैं तो पांच छह महीने से तो ,...
छुटकी जब मिश्राइन भाभी के चंगुल से छूटी तो रीतू भाभी ने उसे दबोच लिया ,
और हर बार गांव के नए लड़के का नाम लेना पड़ता था तो अबकी छुटकी ने जो लड़का हमारे यहाँ भैंस दुहता था उसका नाम लगा के ,
इसलिए भौजी सही बोल रही थीं ,
हर ननद को अपने पिछवाड़े का तो स्वाद मिलता ही था , लेकिन आज लीला को भौजी के पिछवाड़े का स्वाद ,
पांच मिनट तक कस के चाट चूट के लीला ने इनका मोटा लंड एकदम चिक्कन कर दिया
तो एक बार फिर से रीतू भाभी की गांड मरुअवल्ल शुरू हुयी ,
लेकिन अब वो निहुरि नहीं थी बल्किपीठ के बल लेटी , और उन्हें आलमोस्ट दुहरी कर के हचक हचक के ,
साली के चूसने से लंड फिर एकदम कड़ा हो गया था लोहे का रॉड जैसा ,
और अब हम ननदें भी मैदान में थी , लीला ने भाभी का क्लिट पकड़ा , उसे रगड़ना मसलना शुरू किया और मैंने उनके निप्स , ... बस थोड़ी देर में वो झड़ने के कगार पर पहुँच गयीं तो मैंने और लीला ने उन्हें छोड़ दिया ,
दो तीन बार इसी तरह से तड़पा तड़पा के , तीसरी बार भाभी को झड़ने दिया।
और जब वो दूसरी बार झड़ रही थीं तो साथ में उनके नन्दोई भी , उनकी गांड के अंदर तक जड़ तक घुसे , देर तक
कटोरी भर मलाई तो उन्होंने छोड़ी ही होगी ,
और जब अबकी मूसल बाहर निकला तो
मलाई मक्खन , साली सलहज , लीला और रीतू भाभी दोनों ने मिल के
दोपहर चढ़ रही थी , मम्मी की दो बार खाने के लिए आवाज आयी ,
पर आज की होली
दो सालियाँ, और सलहज
( छुटकी बची थी पर उस का प्रोग्राम तो शाम का था ,
और वैसे भी उस के जीजू अपने जीजू को उसके कोरे पिछवाड़े का प्रॉमिस कर के आये थे , इस लिए इस का कोरा पिछवाड़ा तो अब मेरे ससुराल में ही,…)
ऐसा मौका कौन भौजाई छोड़ती है तो रीतू भौजी भी चालू हो गयीं।
लीला चाट चूस तो रही थी रीतू भौजी के गांड से निकला ,
भौजी के माल मसाले से लिथड़ा लंड ,
लेकिन बहुत कुनमुना रही थी , तो रीतू भाभी फिर चालू हो गयीं,
" अरे ननद रानी , अबहीं कल , ... भूल गयी ,... हमार और कुल भौजाइन क दो दो ऊँगली , तोहरी गंडिया से निकाल निकाल के तोहरे मुंह में ,
तब तो गप्प गप्प लीलत रहु और आज हमारे पिछवाड़े क हौ तो एतना नखड़ा चोदत हो , बिना चाटे चूसे कउनो बचत ना हौ।"
बात रीतू भाभी की एकदम सही थी , इसके बिना तो ननद भौजाई की होली पूरी नहीं होती थी।
और भौजाइयों में भी सबसे ज्यादा मिश्राइन भौजी ,... कल मेरे और छुटकी के साथ भी तो ,
जैसे ननद की उमर नहीं देखी जाती ,
वैसे ही भौजाई की ,... खाली रिश्ता , ... मिश्राइन भौजी तो मम्मी से खाली ३-४ साल छोटी होंगी , मुझसे १३- १४ साल बड़ी , ३३ -३४ की ,
छुटकी के कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल भी हैं लेकिन होली में सिर्फ ननद भाभी का रिश्ता ,
और पिछवाड़े ऊँगली करने का काम वही शुरू करती ,
किस भी उमर की ननद हो , कच्चे टिकोरे वालों की तो और ,... कल छुटकी की सबसे ज्यादा रगड़ाई उन्होंने ही की ,
और सिर्फ ऊँगली ही नहीं ननद को बोलना भी पड़ता ,
अपने भाई का नाम ले ले कर , भाई नहीं तो कजिन , गाँव का कोई उसकी उम्र का लड़का
जब छुटकी के पिछवाड़े मिश्राइन भौजी ने ठेला , वो भी एक नहीं दो दो ऊँगली , पूरे दो पोर तक ,
छुटकी जानती तो थी , क्या बोलना है , बिना बोले छुट्टी नहीं है , वो जरा सा हिचकिचाई तो मिश्राइन भौजी खुद बोलीं
" बोल छिनार तोहरे गाँड़ि में केकर ,..... "
" चुन्नू भैया क ,... "
( मैंने बताया न हमारा कोई सगा भाई तो था नहीं वही , चुन्नू जो मुझे लेने गया था मेरा ममेरा भाई छुटकी से दो साल बड़ा होगा )
एक चांटा जोर से छुटकी के चूतड़ पर पड़ा , ...
"स्साली रंडी छिनार खोल क बोल , पूरा ,...
" भौजी , चुन्नू भैया क लंड , हमरी गाँड़ में ,... "
छुटकी बिलबिलाती बोली।
और हचाक से मिश्राइन भौजी ने पूरे जड़ तक अपनी दोनों ऊँगली उसकी गांड में पेल दी , और गोल गोल , दीवालों पर रगड़ते करोचते , खुरचते , साथ में गालियां
" भाइचोद , ले घोट भइया का लौंड़ा अपनी गाँड़ में "
तब तक किसी दूसरी भौजाई ने एक ऊँगली छुटकी की कसी चूत में , दो भौजाइयां उसके कच्चे टिकोरों की रगड़ घिस कर रही थीं ,
ये कहने की बात नहीं ,
मिश्राइन भौजी की ऊँगली छुटकी के पिछवाड़े से निकल कर कहाँ गयी ,
सीधे उसके मुंह में ३२ बार गिन कर दंत मंजन ,
और भौजाइयां गाँव के लड़कों का सिर्फ नाम ही नहीं नंदों से लगवाती थीं ,
बल्कि उसकी साइज , लम्बाई मोटाई सब कुछ पूछ लेती थीं ,
और न बताये तो एक तमाचा जोरदार गाल पर , ... छाप छोड़ दे , ... उस तरह का , और उस के बाद भौजाई बता देतीं थीं ,...
आखिर मिश्राइन भौजी , भौजाइयों में सबसे बड़ी थीं , तो गाँव के सारे लड़के , मरद उनके देवर लगते थे ,
और कोई नहीं बचता था सबके पाजामे का नाड़ा भी खुलता था और भौजी रंग लगा के नाप जोख भी सही सही करती थीं ,
सोते का भी जागते का भी , ... तभी जब उन्होंने अपने नन्दोई का, ' इनका' पकड़ा तो मुझसे खूब खुश होके बोली
" एह गाँव वालों से तो कम से कम डेढ़ इंच ज्यादा ,... "
और जबसे रीतू भाभी आ गयी थीं , दो साल से तबसे तो और ज्यादा , कोई गाँव का लड़का बचता नहीं थीं ,
एकदम नयी उमर की नयी फसल वाला भी ,
भले ही खड़ा न होता हो ठीक से लेकिन रीतू भाभी बिना वहां रंग लगाए , मुठियाये ,
और उस से उसकी बहन को दस पांच असली वाली गाली सुनाये छोड़ती नहीं थी ,
और जैसे ही नंदों से उनके भाइयों के खूंटे का हिसाब किताब पूछा जाता था
वैसे ही देवरों से ,
उनकी बहनों की साइज , निम्बू या संतरा , ब्रा का नंबर , अभी पहनती भी है की नहीं , ...
और नहीं मालूम होने पर भौजाइयां तो तो थीं ही बताने के लिए ,
और जबसे रीतू भाभी आ गयी थीं , फिर से मिश्राइन भाभी और रीतू भाभी की जोड़ी तो , ...
जैसे कच्ची कलियों वाली ननदों पर भाभियों की विशेष कृपा होती थीं उसी तरह नयी उम्र के लड़कों पर भी , ...
और मिश्राइन भाभी और रीतू की जोड़ी में कोई बेचारा फंस गया तो , अगवाड़े पिछवाड़े रंग की, कीचड़ की रगड़ाई तो होती थी ,
उस के पजामे , नेकर में हाथ डाल कर पकड़ कर मुठियाना , और सबसे बढ़कर ,
उससे उसकी बहन का नाम ले लेकर उसकी चूँची , बुर , दस गाली , ...
लेकिन रीतू भाभी ने एक नयी बदमाशी शुरू कर दी , ...
उसके पिछवाड़े पहले तो सहलाती थी , फिर कचाक से एक ऊँगली ,
अगर ऊँगली घुस गयी न , फिर तो दस गाली ,
" कहो देवर जी , लागत हाउ खूब गाँड़ मरौव्वल होत हाउ , ... केतना लौंड़ा घोटले हौआ "
और जबतक वो मानता नहीं था , एक के बाद दूसरी ऊँगली ,... फिर तो मिश्राइन भाभी भी , ...
" अरे गांडू साफ साफ़ बोलो नहीं तो अभी पटक के पूरी मुट्ठी पेलती हूँ , गांड में , गंडुवे स्साले , अपनी बहिन के यार , ... "
और एकाध बार अगर कही उसकी सगी चचेरी पट्टीदार की भी बहन साथ में पकड़ में आगयी ,
फिर तो दोनों की शामत , सिर्फ मुठिया कर नहीं ,... जब तक सफ़ेद मलाई न निकले , ...
और वो मलाई सीधे उसकी उसी बहिन के गाल पे , मुंह पे ,...
और अगर न ऊँगली घुसे , लगे की की अभी कोरा है , तो और गालियां ,...
पिछले साल चुन्नू वही मेरा ममेरा भाई जो मुझे लेने गया था
और जिसके पिछवाड़े का इन्होने और नन्दोई जी ने जम कर बाजा बजाया था , उसकी कोरी गाँड़ उसके जीजा और जीजा के ने मिलकर फाड़ी थी , ... वही
होली में हमारे यहाँ आया था , और रीतू भाभी , मिश्राइन भौजी के जुगल जोड़ी की पकड़ में आ गया था , बस ,...
पिछवाड़े का मौका मुआयना करने के बाद ,
बड़ी कोशिश की उन्होंने ऊँगली घुसाने की ,... फिर भी नहीं घुसी , ... तो उन्होंने एलान कर दिया
" स्साले भंडुए , ... इत्ते चिकने गाल , इत्ता मक्खन सा पिछवाड़ा , ... किसके लिए बचाकर रखा है , अपनी बहन के यार के लिए ,... अगर अगली होली तक नहीं फटी न , तो ये मुट्ठी देख रहा है , पूरी की पूरी तेरी गांड के अंदर ,... "
और मंझली को कुछ भौजाइयां पकड़ के ले आयीं , ... बस फिर क्या था , जबरदस्ती , मंझली का हाथ चुन्नू के नेकर के अंदर ,
" चल जल्दी से मुट्ठ मार के झाड़ इसे , वरना मेरी मुट्ठी देख रही है , अभी निहुरा के तेरे भाई की कुँवारी गाँड़ फाड़ती हूँ , ...चल जल्दी कर , ... "
मिश्राइन भाभी ने वार्निंग दे दी .
और जब मंझली ने ६१ -६२ चालू कर दिया तो मिश्राइन भौजी खुश , उन्होंने दोनों को असीसा ,
" चल अगली होली तक , तुम दोनों की कोरी कोरी फट जाएगी , और ऐसे मूसल से फटेगी , जिसे अपने भोंसडे में लेने में चार बच्चो की माँ को भी पसीना आ जाए . "
मिश्राइन भाभी की भविष्यवाणी पूरी तरह सच हुयी ,
चुन्नू की भी इन्होने फाड़ी , मेरी ससुराल में , और मंझली की अपने ससुराल में ,
लेकिन सबसे ज्यादा रगड़ाई ननदों की ही होती थी ,
कल जब मिश्राइन भाभी की ऊँगली छुटकी के पिछवाड़े लस्सी मथ रही थी ,
रीतू भाभी की ऊँगली मेरे पीछे घुसी हुयी थी , और मैंने रीतू भाभी के मरद का ही नाम लिया , ..
तो खिलखलाती हुयी रीतू भाभी बोलीं ,
" अरे तेरे भैया को तो पिछवाड़े का ज्यादा शौक नहीं है , ... "
मैं भी अब शादी शुदा थी मैंने साफ़ साफ पूछ लिया और उन्होंने बता भी दिया शादी के बाद बस दो चार बार ,
और अभी तो वो दुबई गएँ हैं तो पांच छह महीने से तो ,...
छुटकी जब मिश्राइन भाभी के चंगुल से छूटी तो रीतू भाभी ने उसे दबोच लिया ,
और हर बार गांव के नए लड़के का नाम लेना पड़ता था तो अबकी छुटकी ने जो लड़का हमारे यहाँ भैंस दुहता था उसका नाम लगा के ,
इसलिए भौजी सही बोल रही थीं ,
हर ननद को अपने पिछवाड़े का तो स्वाद मिलता ही था , लेकिन आज लीला को भौजी के पिछवाड़े का स्वाद ,
पांच मिनट तक कस के चाट चूट के लीला ने इनका मोटा लंड एकदम चिक्कन कर दिया
तो एक बार फिर से रीतू भाभी की गांड मरुअवल्ल शुरू हुयी ,
लेकिन अब वो निहुरि नहीं थी बल्किपीठ के बल लेटी , और उन्हें आलमोस्ट दुहरी कर के हचक हचक के ,
साली के चूसने से लंड फिर एकदम कड़ा हो गया था लोहे का रॉड जैसा ,
और अब हम ननदें भी मैदान में थी , लीला ने भाभी का क्लिट पकड़ा , उसे रगड़ना मसलना शुरू किया और मैंने उनके निप्स , ... बस थोड़ी देर में वो झड़ने के कगार पर पहुँच गयीं तो मैंने और लीला ने उन्हें छोड़ दिया ,
दो तीन बार इसी तरह से तड़पा तड़पा के , तीसरी बार भाभी को झड़ने दिया।
और जब वो दूसरी बार झड़ रही थीं तो साथ में उनके नन्दोई भी , उनकी गांड के अंदर तक जड़ तक घुसे , देर तक
कटोरी भर मलाई तो उन्होंने छोड़ी ही होगी ,
और जब अबकी मूसल बाहर निकला तो
मलाई मक्खन , साली सलहज , लीला और रीतू भाभी दोनों ने मिल के
दोपहर चढ़ रही थी , मम्मी की दो बार खाने के लिए आवाज आयी ,
पर आज की होली
दो सालियाँ, और सलहज
( छुटकी बची थी पर उस का प्रोग्राम तो शाम का था ,
और वैसे भी उस के जीजू अपने जीजू को उसके कोरे पिछवाड़े का प्रॉमिस कर के आये थे , इस लिए इस का कोरा पिछवाड़ा तो अब मेरे ससुराल में ही,…)