20-10-2019, 10:44 PM
नन्दोई की सलहज
लेकिन मानना पडेगा रीतू भौजी को ,
थोड़ी देर में वो गांड मरौवल का मजा ले रही थीं , धक्के का जवाब धक्के से दे कर ,
और अपने नन्दोई की माँ बहन सब गरियाकर ,
सिर्फ मैं और लीला वहां थे , छुटकी और रीमा खाने का इंतजाम करने चले गए थे।
पक्की नन्दोई की सलहज ,
' बचपन से हमारी ननद की सास के चौड़ी चाकर गांड मार मार के लगता है आदत पड़ गयी है चलो देखती हूँ आज तोहार ताकत , "
और जवाब में वो सुपाड़ा तक निकाल कर अपना बित्ता भर का मूसल एक धक्के में अपनी सलहज की गांड में ठूंस देते
और ऊपर से वो भी , अपनी गांड मटकाकर पीछे धक्के का जवाब धक्के से देतीं।
मैंने देखा की उनकी सलहज ने कुछ इशारा किया और वो झुक कर , दोनों नन्दोई सलहज के बीच कानाफूसी चलती रही ,
फिर बजाय धक्का मारने के अपना आलमोस्ट तीन चौथाई लंड उन्होंने अपनी सलहज की गांड में मथानी ऐसा , गोल गोल ,...
चार पांच मिनट तक , और फिर अपने हाथ से पकड़ कर गांड की दीवारों पर रगड़ रगड़ कर ,...
जैसे कोई चम्मच से खरोंच खरोंच कर , ...
कुछ तो मैं समझ रही थी , लेकिन साफ़ साफ़ ननदोई सलहज की प्लानिंग साफ़ नहीं हो रही थी ,
लीला भी बगल में बैठी ,
और वो तो अपना मुंह एकदम भौजी के पिछवाड़े चिपकाए साफ़ साफ़ खेल तमाशा देख रही थी।
और अचानक ,
उन्होंने कस के एक हाथ से अपनी साली का , लीला का गाल दबा दिया ,
और उसने गौरेया की चोंच की की तरह अपना मुंह खोल दिया , बस।
उसके जीजा ने दोनों हाथों से कस के अपनी साली का सर कस के दबोचा और उस के खुले मुंह में ,
अपनी सलहज गाँड़ से निकला
लिथड़ा चुपड़ा ,
मक्खन मलाई , नहीं नहीं मलाई अभी नहीं निकली थी , लेकिन सलहज की गांड का मक्खन अच्छी तरह लिथड़ा , लगा
लिसलिसा , चुपड़ा ,
और अब स्साली के छटपटाने की बारी थी और भौजाई के छेड़ने चिढ़ाने की ,
उनके आगे किसी स्साली की चली है जो लीला की चलती ,
उसके सम्हलते सम्हलते उन्होंने अपनी सलहज की गांड से निकला सुपाड़ा पूरा ठोंक दिया ,
उसने मुंह बंद करने की कोशिश की तो उनकी नाक दबा दी ,
आँख बंद करने की कोशिश की तो जोर से निप्स पिंच कर लिए ,
और ऊपर से भौजी
" अरे ननद रानी , जरा देख देख के स्वाद लो , आज जीजा के लंड के साथ भौजी के पिछवाड़े का भी , देखो , आराम से कोई जल्दी नहीं , चाट चूट के स्वाद ले ले के चाटो ,
अरे बिना साफ़ सुथरा किये नन्दोई छोड़ने वाले नहीं , और ,...
अगर और चहिये तो तो जहाँ से ये निकला है न वहीँ से और मिल जाएगा , "
बेचारी लीला ,
और धीरे धीरे वो लिथड़ा चुपड़ा , आधे से ज्यादा ,.. और उसने चूसना चाटना शुरू कर दिया।
भौजी अभी भी निहुरी कुतिया बनी ,
लेकिन वहीँ से अपनी छोटी किशोरी नौंवे में पढ़ने वाली ननद की हालत देख रही थीं।
" लीला ,लीला. अरे हमार सास तोहैं गाँव भरे से चोदवाय के लीलने के लिए तो ही अपने भोंसडे से निकाली हैं , छिनार बचपन की रंडी।
आज अपने जीजा क लीला , तो कल से अपने जीजा क साले क लीला। अगवाड़े , पिछवाड़े कुल छेद में लीला। "
ऐसा मौका कौन भौजाई छोड़ती है तो रीतू भौजी भी चालू हो गयीं।
लीला चाट चूस तो रही थी रीतू भौजी के गांड से निकला ,
भौजी के माल मसाले से लिथड़ा लंड , लेकिन बहुत कुनमुना रही थी ,
तो रीतू भाभी फिर चालू हो गयीं,
" अरे ननद रानी , अबहीं कल , ... भूल गयी ,... तोहरी गंडिया से निकाल निकाल के तोहरे मुंह में ,
तब तो गप्प गप्प लीलत रहु और आज हमारे पिछवाड़े क हौ तो एतना नखड़ा चोदत हो , बिना चाटे चूसे कउनो बचत ना हौ।"
लेकिन मानना पडेगा रीतू भौजी को ,
थोड़ी देर में वो गांड मरौवल का मजा ले रही थीं , धक्के का जवाब धक्के से दे कर ,
और अपने नन्दोई की माँ बहन सब गरियाकर ,
सिर्फ मैं और लीला वहां थे , छुटकी और रीमा खाने का इंतजाम करने चले गए थे।
पक्की नन्दोई की सलहज ,
' बचपन से हमारी ननद की सास के चौड़ी चाकर गांड मार मार के लगता है आदत पड़ गयी है चलो देखती हूँ आज तोहार ताकत , "
और जवाब में वो सुपाड़ा तक निकाल कर अपना बित्ता भर का मूसल एक धक्के में अपनी सलहज की गांड में ठूंस देते
और ऊपर से वो भी , अपनी गांड मटकाकर पीछे धक्के का जवाब धक्के से देतीं।
मैंने देखा की उनकी सलहज ने कुछ इशारा किया और वो झुक कर , दोनों नन्दोई सलहज के बीच कानाफूसी चलती रही ,
फिर बजाय धक्का मारने के अपना आलमोस्ट तीन चौथाई लंड उन्होंने अपनी सलहज की गांड में मथानी ऐसा , गोल गोल ,...
चार पांच मिनट तक , और फिर अपने हाथ से पकड़ कर गांड की दीवारों पर रगड़ रगड़ कर ,...
जैसे कोई चम्मच से खरोंच खरोंच कर , ...
कुछ तो मैं समझ रही थी , लेकिन साफ़ साफ़ ननदोई सलहज की प्लानिंग साफ़ नहीं हो रही थी ,
लीला भी बगल में बैठी ,
और वो तो अपना मुंह एकदम भौजी के पिछवाड़े चिपकाए साफ़ साफ़ खेल तमाशा देख रही थी।
और अचानक ,
उन्होंने कस के एक हाथ से अपनी साली का , लीला का गाल दबा दिया ,
और उसने गौरेया की चोंच की की तरह अपना मुंह खोल दिया , बस।
उसके जीजा ने दोनों हाथों से कस के अपनी साली का सर कस के दबोचा और उस के खुले मुंह में ,
अपनी सलहज गाँड़ से निकला
लिथड़ा चुपड़ा ,
मक्खन मलाई , नहीं नहीं मलाई अभी नहीं निकली थी , लेकिन सलहज की गांड का मक्खन अच्छी तरह लिथड़ा , लगा
लिसलिसा , चुपड़ा ,
और अब स्साली के छटपटाने की बारी थी और भौजाई के छेड़ने चिढ़ाने की ,
उनके आगे किसी स्साली की चली है जो लीला की चलती ,
उसके सम्हलते सम्हलते उन्होंने अपनी सलहज की गांड से निकला सुपाड़ा पूरा ठोंक दिया ,
उसने मुंह बंद करने की कोशिश की तो उनकी नाक दबा दी ,
आँख बंद करने की कोशिश की तो जोर से निप्स पिंच कर लिए ,
और ऊपर से भौजी
" अरे ननद रानी , जरा देख देख के स्वाद लो , आज जीजा के लंड के साथ भौजी के पिछवाड़े का भी , देखो , आराम से कोई जल्दी नहीं , चाट चूट के स्वाद ले ले के चाटो ,
अरे बिना साफ़ सुथरा किये नन्दोई छोड़ने वाले नहीं , और ,...
अगर और चहिये तो तो जहाँ से ये निकला है न वहीँ से और मिल जाएगा , "
बेचारी लीला ,
और धीरे धीरे वो लिथड़ा चुपड़ा , आधे से ज्यादा ,.. और उसने चूसना चाटना शुरू कर दिया।
भौजी अभी भी निहुरी कुतिया बनी ,
लेकिन वहीँ से अपनी छोटी किशोरी नौंवे में पढ़ने वाली ननद की हालत देख रही थीं।
" लीला ,लीला. अरे हमार सास तोहैं गाँव भरे से चोदवाय के लीलने के लिए तो ही अपने भोंसडे से निकाली हैं , छिनार बचपन की रंडी।
आज अपने जीजा क लीला , तो कल से अपने जीजा क साले क लीला। अगवाड़े , पिछवाड़े कुल छेद में लीला। "
ऐसा मौका कौन भौजाई छोड़ती है तो रीतू भौजी भी चालू हो गयीं।
लीला चाट चूस तो रही थी रीतू भौजी के गांड से निकला ,
भौजी के माल मसाले से लिथड़ा लंड , लेकिन बहुत कुनमुना रही थी ,
तो रीतू भाभी फिर चालू हो गयीं,
" अरे ननद रानी , अबहीं कल , ... भूल गयी ,... तोहरी गंडिया से निकाल निकाल के तोहरे मुंह में ,
तब तो गप्प गप्प लीलत रहु और आज हमारे पिछवाड़े क हौ तो एतना नखड़ा चोदत हो , बिना चाटे चूसे कउनो बचत ना हौ।"