20-10-2019, 09:28 PM
(This post was last modified: 20-10-2019, 10:28 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
पिछवाड़ा
सलहज कुतिया बनी निहुरी , एक आम के पेड़ के नीचे
और पीछे से ये खचाखच ,
उनके दोनों बड़े बड़े जोबन पकडे ,
रीमा और छुटकी थोड़ी दूर बैठी नजारा देख रही थीं ,
लेकिन मैं और लीला इनके और इनकी सलहज के पास ,
इनकी सलहज के चूतड़ बहुत गजब के थे ,
और अभी मैं देख भी चुकी थी की गांड भाभी की अभी भी बहुत कसी , टाइट है , बस मैंने इन्हे ललकारा
"सलहज के इतने मस्त बड़े बड़े चूतड़ , इतनी कसी गांड ,... बेचारी इतने दिनों से इंतजार कर रही थीं , नन्दोई आएंगे तो गांड मरवाउंगी , और आप भी न ,... "
वो तो बचपन से गांड के रसिया मेरे ममेरे भाई की नहीं छोड़ी तो , वो भी मेरे सामने चलती ट्रेन में उसकी तो सामने तो रसीली सलहज थी ,
रीमा और लीला को भी मौका मिल गया अपनी भौजाई से पुराना हिसाब किताब चुकता करने का
रीमा ने छेड़ा , अपने जीजा को समझाते ,
" अरे जीजू , मायके से भी इनका पिछवाड़ा कोरा ही ,... जबकि ये मायके की मशहूर छिनार थीं , हमार भौजी "
" रीमा तू भी न , अरे भाभी के मायके वाले सब पैदयशी गांडू ,
मौका मिलते ही कल के लौंडे नेकर सरका के , निहुर के , गाँड़ मरवाने को तैयार , सब गंडुवे , वो क्या हमार भौजी की गांड मारते। "
लीला ने और आग में घी डाला ,
और एक अंगूठा रीमा ने , दूसरा लीला ने , भौजी की गांड के कैसे दुबदबाते छेद में और कस के गांड का छेद फैला दिया ,
मेरी छुटकी काहें को पीछे रहती , आखिर उनकी सबसे छोटी साली , ...
बस अपने जीजू का मोटा मूसल , उनकी सलहज की गाँड़ के छेद पर
मन तो मेरी भौजी का खूब कर रहा था , लेकिन घबड़ा भी रही थीं ,
पर घबड़ाने डरने से अगर गाँड़ बच जाती , तो आज तक न किसी लौंडे की गांड मारी जाती न लौंडिया की।
उन्होंने दोनों हाथों से रीतू भौजी की कमर पकड़ रखी थी , वो बगीचे में आम के पेड़ के नीचे निहुरि , बस हचक के धक्का मारा उन्होंने
" इइइइइइइइइ ओह्ह्ह्ह नहीं , "
जोर की चीख मारी उनकी सलहज ने ,
पर उनकी तीन तीन सालिया थीं , तीनो ने कसम धरा दी ,
" क्या जीजू ज़रा भी मज़ा नहीं आया , जब तक सलहज की चीख पूरे गाँव में न सुनाई पड़े तो गाँव वालो को क्या मालूम होगा की नन्दोई सलहज की होली चल रही है , हमारी कसम , अगला धक्का ,... "
और सच में अगले दो तीन धक्के एकदम कस के ,
भौजी चीखती रहीं चिल्लाती रहीं और वो पेलते रहे ठेलते रहे , ढकेलते रहे ,
एक तो इनका सुपाड़ा भी इतना मोटा , किसी की मुट्ठी जैसा , ...
दूसरे सालियों की बदमाशी , ज़रा भी चिकनाई न तो सुपाड़े में न भौजी की कसी सूखी गांड में
बस चूत की गिलाई , ...
और थोड़ी देर पहले जो रीमा ने उनकी गांड में डिलडो घुसेड़ा था , उससे भी रीतू भाभी की गांड थोड़ी बहुत छिल गयी थी ,
बस सुपाड़ा जैसे उस छिले हुए हिस्से पर रगड़ता घिसता जाता , उनकी सलहज की हालत खराब हो जाती।
और चार पांच धक्के के बाद लीला ने अपनी भौजी से कहा ,
" भौजी अब जरा जोर से चीखिये चिल्लाइये , अब सुपाड़ा जीजू का आपकी गांड में अच्छी तरह से धंस गया है , चाहे जितना चूतड़ पटकिये , अब बिना गांड मारे जीजू का लंड निकलने वाला नहीं है "
लेकिन अभी खैबर का दर्रा तो बाकी था , गांड का छल्ला ,...
और वो तो मैं जानती थी की इनका मूसल जैसे ही उसे फाड़ता हुआ घुसता है , जान निकल जाती है
बस वही हुआ , इनकी सलहज के साथ।
खूब चिल्लाईं वो , चीखी गांड पटकी ,... हम ननदों को खूब मजा आ रहा था।
भौजाई की जब पहली बार फटती है ,
तो उस समय भी सब ननदें कमरे के बाहर कान पारे खड़ी रहती हैं , पहली रात , कब कमरे से चीखने की आवाज आये
लेकिन मानना पडेगा रीतू भौजी को ,
थोड़ी देर में वो गांड मरौवल का मजा ले रही थीं , धक्के का जवाब धक्के से दे कर ,
और अपने नन्दोई की माँ बहन सब गरियाकर ,
सिर्फ मैं और लीला वहां थे , छुटकी और रीमा खाने का इंतजाम करने चले गए थे।
सलहज कुतिया बनी निहुरी , एक आम के पेड़ के नीचे
और पीछे से ये खचाखच ,
उनके दोनों बड़े बड़े जोबन पकडे ,
रीमा और छुटकी थोड़ी दूर बैठी नजारा देख रही थीं ,
लेकिन मैं और लीला इनके और इनकी सलहज के पास ,
इनकी सलहज के चूतड़ बहुत गजब के थे ,
और अभी मैं देख भी चुकी थी की गांड भाभी की अभी भी बहुत कसी , टाइट है , बस मैंने इन्हे ललकारा
"सलहज के इतने मस्त बड़े बड़े चूतड़ , इतनी कसी गांड ,... बेचारी इतने दिनों से इंतजार कर रही थीं , नन्दोई आएंगे तो गांड मरवाउंगी , और आप भी न ,... "
वो तो बचपन से गांड के रसिया मेरे ममेरे भाई की नहीं छोड़ी तो , वो भी मेरे सामने चलती ट्रेन में उसकी तो सामने तो रसीली सलहज थी ,
रीमा और लीला को भी मौका मिल गया अपनी भौजाई से पुराना हिसाब किताब चुकता करने का
रीमा ने छेड़ा , अपने जीजा को समझाते ,
" अरे जीजू , मायके से भी इनका पिछवाड़ा कोरा ही ,... जबकि ये मायके की मशहूर छिनार थीं , हमार भौजी "
" रीमा तू भी न , अरे भाभी के मायके वाले सब पैदयशी गांडू ,
मौका मिलते ही कल के लौंडे नेकर सरका के , निहुर के , गाँड़ मरवाने को तैयार , सब गंडुवे , वो क्या हमार भौजी की गांड मारते। "
लीला ने और आग में घी डाला ,
और एक अंगूठा रीमा ने , दूसरा लीला ने , भौजी की गांड के कैसे दुबदबाते छेद में और कस के गांड का छेद फैला दिया ,
मेरी छुटकी काहें को पीछे रहती , आखिर उनकी सबसे छोटी साली , ...
बस अपने जीजू का मोटा मूसल , उनकी सलहज की गाँड़ के छेद पर
मन तो मेरी भौजी का खूब कर रहा था , लेकिन घबड़ा भी रही थीं ,
पर घबड़ाने डरने से अगर गाँड़ बच जाती , तो आज तक न किसी लौंडे की गांड मारी जाती न लौंडिया की।
उन्होंने दोनों हाथों से रीतू भौजी की कमर पकड़ रखी थी , वो बगीचे में आम के पेड़ के नीचे निहुरि , बस हचक के धक्का मारा उन्होंने
" इइइइइइइइइ ओह्ह्ह्ह नहीं , "
जोर की चीख मारी उनकी सलहज ने ,
पर उनकी तीन तीन सालिया थीं , तीनो ने कसम धरा दी ,
" क्या जीजू ज़रा भी मज़ा नहीं आया , जब तक सलहज की चीख पूरे गाँव में न सुनाई पड़े तो गाँव वालो को क्या मालूम होगा की नन्दोई सलहज की होली चल रही है , हमारी कसम , अगला धक्का ,... "
और सच में अगले दो तीन धक्के एकदम कस के ,
भौजी चीखती रहीं चिल्लाती रहीं और वो पेलते रहे ठेलते रहे , ढकेलते रहे ,
एक तो इनका सुपाड़ा भी इतना मोटा , किसी की मुट्ठी जैसा , ...
दूसरे सालियों की बदमाशी , ज़रा भी चिकनाई न तो सुपाड़े में न भौजी की कसी सूखी गांड में
बस चूत की गिलाई , ...
और थोड़ी देर पहले जो रीमा ने उनकी गांड में डिलडो घुसेड़ा था , उससे भी रीतू भाभी की गांड थोड़ी बहुत छिल गयी थी ,
बस सुपाड़ा जैसे उस छिले हुए हिस्से पर रगड़ता घिसता जाता , उनकी सलहज की हालत खराब हो जाती।
और चार पांच धक्के के बाद लीला ने अपनी भौजी से कहा ,
" भौजी अब जरा जोर से चीखिये चिल्लाइये , अब सुपाड़ा जीजू का आपकी गांड में अच्छी तरह से धंस गया है , चाहे जितना चूतड़ पटकिये , अब बिना गांड मारे जीजू का लंड निकलने वाला नहीं है "
लेकिन अभी खैबर का दर्रा तो बाकी था , गांड का छल्ला ,...
और वो तो मैं जानती थी की इनका मूसल जैसे ही उसे फाड़ता हुआ घुसता है , जान निकल जाती है
बस वही हुआ , इनकी सलहज के साथ।
खूब चिल्लाईं वो , चीखी गांड पटकी ,... हम ननदों को खूब मजा आ रहा था।
भौजाई की जब पहली बार फटती है ,
तो उस समय भी सब ननदें कमरे के बाहर कान पारे खड़ी रहती हैं , पहली रात , कब कमरे से चीखने की आवाज आये
लेकिन मानना पडेगा रीतू भौजी को ,
थोड़ी देर में वो गांड मरौवल का मजा ले रही थीं , धक्के का जवाब धक्के से दे कर ,
और अपने नन्दोई की माँ बहन सब गरियाकर ,
सिर्फ मैं और लीला वहां थे , छुटकी और रीमा खाने का इंतजाम करने चले गए थे।