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(14-10-2019, 08:56 AM)Black Horse Wrote: धन्यवाद,
आप जितने आनंद के साथ लिखती हैं, हमें भी उतना आनंद पढ़ने में आता है।
अपडेट जल्दी से जल्दी दिया करें।
यहां नहीं तो .....
J K G पर
उसके पुराने अपडेट जल्दी पूरे करें
जोरू का गुलाम का अपडेट आज दे दिया ,
मंजू गीता का जो प्रसंग अभी जोरु का गुलाम में चल रहा है वह उस कहानी के सबसे हॉट पोस्ट्स में है , समय पोस्ट के साथ चित्र चुनने और उनकी संगत बिठाने में लगता है , वैसे कहानी पोस्ट करने का मन नहीं करता ,
दूसरी बात यह भी लगती है , अगर पोस्ट के बाद एक भी कमेंट न आये तो कभी कभी श्रम व्यर्थ सा लगता है , इसलिए भी विलम्ब होता है ,
और जीवन की आपधापी तो है ही।
•
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To praise you will be so obvious, you know you are better than almost all, to say anything more will be confessing love for you. Please be orignal
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(14-10-2019, 10:46 PM)AJJAY Wrote: To praise you will be so obvious, you know you are better than almost all, to say anything more will be confessing love for you. Please be orignal
first post on my thread ....what can i say , thanks will be insufficient ....
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(13-10-2019, 10:46 PM)UDaykr Wrote: last post plot twist was amazing.
didn't see that coming !!
too Good
Waiting for next part.....
soon , now
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(09-10-2019, 11:41 AM)chodumahan Wrote: ji karta hai aapke haath chum lu.
kya bejod shabdo ko piroya hai.
waah..waah
thanks so much
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घर आया मेरा परदेशी
उस दिन गुड्डी भी दिन में आगयी थी वही उनकी ममेरी बहन , एलवल वाली , .
मुंडेर पर कोई कौवा मुआ पता नहीं कहाँ से , कांव कांव
और वो पीछे पड़ गयी ,
" भाभी , इस कौवे को दूध भात खिलाइये , कोई मेसेज ले आया है , लगता है कोई आने वाला है "
आने वाला तो हजार किलोमीटर दूर , ...
मैं बस मुस्करा के रह गयी। कोई और दिन होता तो उसे दस सुनाती , लेकिन मन तो मेरा भी यही कर रहा था ,
पर
पर
और आज उनका कोई फोन भी दोपहर के बाद नहीं आया था ,
शाम को गुड्डी अपने घर गयी ,
रोज की तरह नौ बजे मैं ऊपर ,...और आज जेठानी सास भी जल्दी सो गयीं घण्टी बजी मेरे फोन की।
दस सवा दस बज रहा होगा की उनका फोन आया ,
वैसे तो हर घंटे दो घण्टे में उनका फोन व्हाट्सऐप आता था पर उस दिन दोपहर के बाद से नहीं आया था ,
घर में सब लोग सो रहे थे ,
उन्ही का फोन था , मैं उठ कर बैठ गयी।
आवाज एकदम हलकी सी , दबी दबी ,
" कहाँ हो , कैसे हो , फोन नहीं किया ,... "
मैंने आधे दर्जन सवाल कर डाले।
उधर से धीमे से बहुत हलकी आवाज आयी ,
" दरवाजा तो खोलो , दरवाजे पर खड़ा हूँ "
मेरी कुछ समझ में नहीं आया , ...
वो , दरवाजे पर , कैसे ,
सपना तो नहीं देख रही हूँ।
" दरवाजे पर , कहाँ ,... "
और उनके जवाब ने बात साफ़ कर दी ,
" नीचे , सब लोग जग जायेंगे , इस लिए बेल नहीं बजा रहा हूँ , तुझे काल किया है , आ कर दरवाजा खोल दो न "
फिर तो मैं नंगे पैर , सीधे नीचे ,
और इस बात का ख्याल भी नहीं किया की मेरी देह पर बस एक छोटी सी नाइटी टंगी है , अंदर भी कुछ नहीं।
दरवाजा खुलते ही ,
चुम्मियों की बौछार , ...
लेकिन गनीमत थी उन्हें होश आ गया ,
कोई जग जाएगा ,
जिस लिए उन्होंने घण्टी नहीं बजायी थी ,
और बस हम दोनों को जैसे पंख लग गए , ...
अगले पल हम दोनों अपने कमरे में ,
और , और कहाँ , सीधे बिस्तर पर एक दूसरे की बाँहों में
बिना बोले बस एक दूसरे को भींचे रहे , दबोचे रहे ,
ठीक सात दिन हुए थे उन्हें गए , लग रहा था सात युग बीत गए।
पता
नहीं कितने देर तक हम दोनों बिना बोले , बस एक दूसरे को पकडे दबोचे , भींचे ऐसे ही पड़े रहे ,
पहली चुम्मी मैंने ही ली।
फिर तो वो लड़का कपड़ों का दुश्मन ,...
और मैं भी तो उनके रंग में रंग गयी थी अब तक बस शर्ट बनियाइन पैंट उनके सब फर्श पर बिखरे ,
वो सिर्फ चड्ढी में ,
न मैंने पूछा वो कैसे आधी रात को बंगलुरु से यहां आये , न उन्होंने बताया।
बातचीत सिर्फ चुम्मी में हो रही थी , ...
मैं रुकती तो वो शुरू हो जाते , और वो सांस लेते तो मैं चालू ,
और वो बदमाश , उसे तो सिर्फ ,... कुछ ही देर में उसके होंठ , मेरे होंठों से सरक कर गालों पर , और गालों से सरक कर जुबना पर ,
मैंने न मना किया न पूछा ,
मुझे मालूम था वो पूछने पर हर बार की तरह वही बहाना बनाता
" मेरे होंठों की कोई गलती नहीं , अपने गालों को दोष दो , इतने चिकने हैं , मेरे होंठ सरक कर नीचे आ ही जाते है ,
कुछ देर तो नाइटी के ऊपर से ही उन गोलाइयों को वो चूमते चूसते रहे फिर सरका कर सीधे निप्स पर ,
लेकिन कुछ देर बाद मैंने उन्हें धक्का मार कर पलंग पे लिटा दिया , पीठ के बल और उन की आँखों में आँखे डाल के बोली
" दुष्ट , बदमाश , तूने एक हफ्ते तक रोज तड़पाया है , आज मेरी बारी है ,
अब तुम कुछ नहीं करोगे , लेटे रह चुपचाप , अगर ज़रा भी हिले डुले न तो कुछ भी नहीं मिलेगा। "
और वो लेटे लेटे मुस्कराते रहे ,
न उन्हें ध्यान था न मुझे , कमरे की लाइट जल रही है
की दरवाजा अंदर से बंद नहीं है
बदमाश तो वो पूरे थे , सर से पैर तक
लेकिन सबसे शैतान थीं उनकी आँखे , ...
चोर ,
पहली बार मेरी सहेली की शादी में जब उन्होंने मुंहे देखा , तभी मुझसे , मुझी को चुरा के ले गयीं ,
ऐसी चोरी जिसकी न रपट हो सकती है न थाना कचहरी ,
चोर नहीं बल्कि डाकू ,
इसलिए मैं पहले मैंने उस चोर की ही मुश्के कसीं ,
वो जिस तरह से मुझे देखते थे , मैं एकदम पानी पानी हो जाती थी , लाख सोच के जाऊं , ना कह ही नहीं पाती थी।
इसलिए पहले मेरे होंठों ने उन होंठों के कपाट बंद किये और एक मीठे से चुम्बन से तगड़ी सी सांकल भी लगा दी।
और चैन की साँस ली , एक बड़ा ख़तरा टला , फिर उनके दोनों हाथ , उनके सर के नीचे ,
लड़के के अंदर हजार बुराइयां हो , लेकिन एक अच्छाई भी थी , मेरी सब बात मानता था , और वो भी मन से।
और फिर ,... मेरे भीगे रसीले होंठ ,... पलकों के दरवाजे पर बड़ा सा ताला लगाने के बाद , सीधे मेरे होंठ , गाल पर नहीं कान पर , बल्कि इयर लोब्स पर , एक लकी सी चुम्मी छोटी सी बाइट
मेरे होंठों ने बिना बोले आगे आने वाले पलों के बारे में सब कुछ कह दिया था ,
मेरे होंठ पर उनके होंठ पहला मौक़ा पाते ही हमला बोल देते थे , और आज मेरा मौका था तो मेरे होंठ क्यों चूकते ,
पहले एक छोटी सी , बहुत छोटी सी किस्सी लेकिन मेरे होंठ कौन कम लालची थे ,
उनके निचले होंठो को अपने होंठो के बीच में लेकर उन्होंने कस कस के चूसना शुरू कर दिया ,
फिर मेरी जीभ क्यों पीछे रहती ,
स्वाद लेने का काम तो उसी का था ना ,
बस जीभ उनके मुंह में घुस गयी और अब तो मैं भी डीप फ्रेंच किस सीख लिया था , तो बस कभी मेरी जीभ उनके मुंह में घुस के स्वाद लेती तोकभी मेरे होंठ उनकी जीभ को पकड़ कर गन्ने की पोर की तरह चूसते
वो बिचारे तो हिल भी नहीं सकते थे ,
मैं बेईमान थी लेकिन इतनी नहीं , ... मैंने मना कर दिया था , अपने हाथों को बाकी अंगों को , एक बार में सिर्फ एक अंग ,...
होंठ तो होंठ ,
बड़ी मुश्किल से मना जुना कर मैं अपने होंठों को उनके होंठों से अलग कर पायी और उसके बाद तो जैसे चुम्बन की बारिश उनकी चौड़ी छाती पर
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16-10-2019, 04:56 PM
(This post was last modified: 16-10-2019, 05:39 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
चुम्बन की बारिश
जैसे चुम्बन की बारिश उनकी चौड़ी छाती पर
और जैसे मेरे निप्स में चुंबक लगे थे , उनकी आँखे , होंठ हाथ सब वहीँ खिंच कर पहुँच जाते ,
बस मेरे होंठो के लिए उनके निप्स भी
अब मुझे मालूम पड़ गया था , कित्ते सेंसेटिव थे वो , उनकी हालत ख़राब हो जाती थी , जब मैं वहां छूती थी ,
हालत खराब होनी है तो हो , मुझे क्या ,...
मेरी क्या कम हालत खराब करते थे वो ,
बस पहले जीभ से , बल्कि जीभ की टिप से हल्के हल्के फ्लिक , फिर होंठों से कस कस के सक ,
उनकी देह काँप रही थी
और जब मैंने एक हलकी सी बाइट ली तो बस उनकी सिसकी निकल गयी ,
और मेरी निगाह दक्षिण दिशा की ओर ,
उनकी ब्रीफ , फटने के कगार पर थी , मूसलचंद एकदम बावरे खूब तन्नाये , एकदम कड़क ,
मुझसे रुका नहीं गया , ... और थोड़ी बेईमानी मैने की , उनके निप्स मैंने अपने होंठों के हवाले किये और मेरे लिप्स सीधे उनके ब्रीफ के ऊपरमोटे बौराये मूसलचंद के ऊपर ,
मन तो मेरा कर रहा था खोल कर सीधे गप्प कर लूँ , कित्ते दिन हो गए थे ,...
सुहागरात के अगले दिन बल्कि अगली रात ही तो ,
दिन में मंझली ननद और दुलारी ने अपने किस्से सुना सुना के , कैसे नन्दोई जी ने उन्हें अगली रात ही चमचम चुसाया था
और मैंने भी चमचम चूस लिया , ....
अगली सुबह जब मैं ननदों के बीच गयी तो मंझली ननद ने पहला सवाल यही पूछा चूसा की नहीं ,
और मेरी मुस्कराहट ने उन्हें जवाब दे दिया।
लेकिन आज ,
मैं ऊपर से ही ,...
ब्रीफ के ऊपर से पहले तो मैंने 'उसे ' सिर्फ एक चुम्मी दी , वो भी छोटी सी ,
लेकिन जब मुंझसे नहीं रहा गया तो उस मुस्टंडे के मोटे मुंह को अपने मुंह में भर कर , पहले हलके , हलके , फिर जोर से ,
अब उनसे नहीं रहा जा रहा था , कसमसा रहे थे , सिसक रहे थे , चूतड़ पटक रहे थे , पर तड़पे तो तड़पें , मैं भी तो सात दिन से ,........
लेकिन मुझे भी दया आ गयी , बिचारे आँखे मूंदे , हाथ दोनों सर के नीचे ,...
मेरी नाइटी भी अब उन के कपड़ो के साथ थी ,
वो एक छोटे से ब्रीफ में थे ,
तो मैं भी बस एक पतली सी थांग में , ...
माना की उनके मूसलचंद तड़प रहे थे पर मेरी गुलाबो भी तो गीली हो रही थी , जोर जोर से चींटी काट रही थी
और जिस दिन पांच दिन की छुट्टी ख़तम होती है उस दिन तो किसी भी लड़की से पूछिए ऐसी आग लगी रहती है की बस ,...
तो मैंने उनकी एक सजा ख़तम कर दी , मेरे होंठों ने एक बार फिर से पलकों को चूम कर सांकल को खोल दिया और मैं उस समय उन के ऊपर चढ़ी , बैठी
और उन्हें अपने जोबना दिखाती ललचाती ,
वो लड़का एकदम पागल रहता था मेरे जोबन के लिए ब्लाउज के ऊपर से भी देख कर उसकी हालत खराब रहती थी ,
यह तो दोनों चाँद निरावृत्त
सिर्फ मेरे हाथों से ढंके , ...
और उसको दिखाते ललचाते मैंने दोनों हाथ हटा दिए ,
बस वो पागल नहीं हुआ ,
मेरे हाथ मेरे उभारों पर सरक रहे थे , उन्हें सहला रहे थे , मेरे निप्स को गोल गोल ,...
उनके आँखों की प्यास , ...
बस लग रहा था की वो नहीं रुक पाएंगे की मैंने हुक्म सुना दिया
नहीं नहीं , सिर्फ देखने के लिए छूने के लिए नहीं , ...
लेकिन में खुद झुक कर अपने उभार उनके होंठों के पास , ... जैसे वो चेहरा उठाते , उचकाते मैं अपने उरोज दूर कर लेती , ज्यादा नहीं बस इंच भर , और वो और
लेकिन मेरी देह अब कौन सी मेरी रह गयी थी ,
किसी शाख की तरह मेरी देह झुकी और जैसे कोई तितली पल भर के लिए किसी फूल पर बैठे और फिर फुर्र् हो जाए उसी तरह उनके होंठों पर
मेरे निप्स ,
जस्ट टच ,
और जब तक उनके होंठ खुले , मेरे उभार हलके हलके उनकी छाती को रगड़ रहे थे ,
और मेरी उँगलियाँ , ... जी सही समझा आपने ,...
बस वो भी हलके हलके ब्रीफ के ऊपर से , मूसलचंद को ,... सहला रही थीं , सुबह की हवा की तरह कभी एक ऊँगली , कभी दो ऊँगली
और मूसलचंद पर असली हमला तो बाकी था ,
मेरे जोबन का छाती से टहलते हुए दोनों नीचे और सीधे उनकी तनी ब्रीफ के ऊपर से पहले हलके हलके फिर कस के
मुझे मालूम था इस लड़के को टिट फक कितना पसंद है , तो , और
जब मेरी दोनों गदरायी रसीली भरी चूँचियाँ , उनके मोटे पागल लंड को और पागल कर रही थीं ,
मेरे हाथ उनके सीने के ऊपर , मेरी उँगलियाँ , लम्बे नाख़ून उनके निप्स को फ्लिक कर रहे थे स्क्रैच कर रहे थे ,
लेकिन मेरी गुलाबो भले ही वो छिपी ढकी थी , लेकिन वो क्यों इस खेल में अलग रहती ,
तो बस अब जैसे सावन भादों में बादल धरती पर छा जाते हैं मेरी देह उनके ऊपर ,
सिर्फ मेरी हथेलियां उनके कन्धों को पकडे थीं , बस देह का कोई भी हिस्सा उनकी देह को छू नहीं रहा था ,
फिर जैसे बादल का कोई टुकड़ा सीधे धान के खेतों में उतर पड़े , ...
मेरी गुलाबो थांग में ढंकी छुपी , सीधे अपने मूसलचंद के ऊपर ( वो भी ब्रीफ के ढक्कन में बंद )
जबरदस्त ग्राइंड , ब्रीफ के ऊपर से जोर जोर से रगड़ घिस्स ,
घडी देखके पांच मिनट से ज्यादा ,
मुझे लगा की अब बेचारे की ब्रीफ फट जायेगी , तो मुझे दया आ गयी।
और एक बार फिर मेरे होंठ , ... होंठों से पकड़ कर , ...हलके हलके मैंने उनकी ब्रीफ उतार दी
जैसे सपेरे की टोकरी से कड़ियल नाग भूखा बावरा , फन उठाये अचानक निकल पड़े , ... बस उसी तरह से बित्ते भर का वो
मोटा , कड़ा , तगड़ा और एकदम पागल
उनकी ब्रीफ उनके बाकी कपड़ों के साथ फर्श पर ,
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तड़पन
लेकिन अब गुलाबो को छिपा के रखना बेईमानी होती न ,
तो बस एक बार फिर उनके ऊपर चढ़ कर , उन्हें दिखाते ,
मैंने ठीक उनके चेहरे के ऊपर थांग न सिर्फ खोल दी ,
बल्कि एक बार उनके चेहरे से रगड़ कर सीधे उनके मूसलचंद के ऊपर फेंक दिया
मेरी गुलाबो उनके होंठों से सिर्फ एक इंच दूर ,... गीली भीगी प्यासी
और वो इतनी ही तड़प रही थी , जितने मेरे बावरे साजन के मूसलचंद ,
उन्होंने अपने होंठ उठाये बस एक किस्सी के लिए , ...
मैंने उन्हें बस जस्ट टच करने दिया और गुलाबो को हटा लिया ,
गुलाबो का दोस्त , खड़ा एकदम तन्नाया बेक़रार
लेकिन बजाय निचले होंठों के अभी ऊपर वाले होंठों का नंबर था ,
मेरे होंठों ने सुपाड़े पर किस किया , उन्हें लगा मैं खोल दूंगी उसे
पर मैंने नहीं खोला ,
मेरे होठ सरक कर उस चर्मदण्ड को लिक करते रहे चाटते रहे ,
फिर उनके मोटे तगड़े लंड के बेस पर मेरी जीभ और
और
और उसके बाद उनकी बॉल्स ,
मेरे होंठों के बीच , हलके हलके मैं चुभला रही थी , चूस रही थी।
मैंने मूसलचंद को ऐसे ही नहीं छोड़ दिया था , मेरी उँगलियाँ उसे सहला रही थीं , छेड़ रही थी , फिर कस के पकड़ कर मैंने मुठियाना शुरू कर दिया।
मुश्किल से तो मेरी मुट्ठी में आ पाता था , इतना मोटा ,... मेरी कलाई से कम नहीं होगा ,
वो कसमसा रहे थे , बेताब हो रहे थे और मैं भी , और अब मुझसे भी नहीं रहा गया ,
मेरे होंठों ने सीधे सुपाड़े का घूंघट खोल दिया
कितना मोटा , लाल , मांसल , मन तो कर रहा था ,
थोड़ी देर तो मैं बस अपनी जीभ की टिप सुपाड़े के पी होल ( पेशाब के छेद ) पर छेड़ती रही , पर मुझसे नहीं रहा गया
और मैंने गप्प कर लिया , एक बार में पूरा सुपाड़ा ,
बड़ा मजा आ रहा था चूसने चुभलाने में
लेकिन एक चीज होती है जलन
मेरे ऊपर वाले होंठ तो रस ले रहे थे और नीचे वाले होंठ , जल रहे थे ,
एक तो पांच दिन वाली छुट्टी के बाद आज ,.. और ऊपर से वो इन्तजार में ,...
इधर उन के नीली पीली फिल्मों के कनेक्शन में मैंने कई फिल्में , ' वोमेन ऑन टॉप ' वाली देखीं ,
विपरीत रति के बारे में भी पढ़ा ( प्रैक्टिस नहीं हो पाए रही थी तो थ्योरी ही सही )
लेकिन आग में घी डाला मेरी जेठानी ने ये बोल कर की हफ्ते में दो तीन बार तो वो जेठ जी के ऊपर ' चढ़ ' ही जाती हैं , खासतौर से अगर वो बहुत थके हों , तो बस लिप्स सर्विस से झंडा खड़ा किया और ऊपर चढ़ कर ,
लेकिन तब तक मेरी सास भी आ गयीं , जाड़े की दुपहर , ... अब वो भी एक बड़ी सहेली की तरह ' इन मामलों ' में खुल कर अपने एक्सपीरियंस और राय शेयर करती थीं
उन्होंने भी इस बात की ताईद की और ये भी बोला की खास कर रात के आखिरी राउंड , तीसरे राउंड में जब मरद थोड़ा थका हो , ,... और फिर उन्होंने तो खुलासा बयान किया ,
तीसरे राउंड की बात जेठानी ने भी कबूली , और मेरे कान में बोलीं सिर्फ मेरा देवर ही हैट ट्रिक नहीं करता , घर की खानदानी परम्परा है ,
मैं शर्मा कर रह गयी , ...
लेकिन मैंने उन्हें ये नहीं बताया की उनका देवर सिर्फ रात में हैट ट्रिक कर के नहीं छोड़ता , सुबह सुबह बिना नागा गुड मॉर्निंग भी करता है.
आज मैंने तय कर लिया था आज मैं ही ऊपर चढूँगी।
आखिर मेरी सास ,जेठानी दोनो तो मैं क्यों नहीं , ...
मैंने 'अच्छी वाली ' फिल्मों में देखा था , फिर शादी के पहले कितनी बार रीतू भाभी ने अरथा अरथा कर बाकी आसनों के साथ इसे भी समझाया था , और अब जाड़े की दुपहरी में जेठानी जी ने एकदम डिटेल में , कैसे वो खुद ,... जेठ जी के ऊपर चढ़ कर ,...
बिचारे उस लड़के का मन बहुत कर रहा था , भूखी तो मेरी गुलाबो भी थी ,
और एक तो उसी दिन सुबह मेरी पांच दिन वाली छुट्टी ख़त्म हुयी थी , बहुत तेज खुजली मच रही थी , ... पर
मैं अब कस कस के चूस रही थी , आधे से भी थोड़ा ज्यादा , ६ इंच से ऊपर मेरे मुंह में था , साथ में मेरी कोमल कोमल उँगलियाँ कभी उनके बॉल्स को तभी कभी पिछवाड़े छेड़ रही थीं ,
और फिर मैं उनके ऊपर चढ़ गयी ,
अब हम दोनों में इतना परफेक्ट कम्युनिकेशन था की बस मेरा इशारा काफी था ,
और थोड़ा सा जो मैंने उनकी ओर आँख तरेर कर देखा , थोड़ा सा मुस्करायी , ... बस इतना काफी था , उन्हें समझने के लिए ,
उन्हें उठना नहीं है , बस पीठ के बल लेटे रहना है , जो करुँगी मैं करुँगी , वो समझ गए , और ऊपर से उनके ऊपर चढ़ने के बाद पहला काम मैंने ये किया की उनके दोनों हाथ उनके सर के नीचे रख कर दबा दिए ,
बस अब वो मुझे छू भी नहीं सकते थे , ललचाते रहो , ...आखिर पूरे हफ्ते भर से मैं तो तड़प रही थी ,
और सबसे ज्यादा जिस चीज के लिए वो ललचाते थे वही चीज, मेरे दोनों जोबन ,..
बेचारा ,
उनके दोनों कंधे पकड़ कर मैं बार बार अपने निप्स उनके लिप्स तक ले जाती थी ,
और जैसे ही वो सर उठाकर उसे छूने की कोशिश करते मैं उसे थोड़ा सा ऊपर , बस मुश्किल से इंच भर दूर ,... और वो और सर ऊपर करने की कोशिश करते ,
कुछ देर तड़पाने के बाद मैंने अपने निप्स नीचे करके उनके लिप्स के पास ,
लेकिन टच जस्ट एक टच , और फिर मैंने ऊपर हटा लिया और उन्हें छेड़ना शुरू कर दिया ,
" हे लोगे , ... "
" हाँ दो न , ... " बहुत तड़प रहा था बेचारा।
" मैं इसकी नहीं उसकी बात कर रही हूँ , "
अपने हाथों से मैं अपने निप्स फ्लिक करती बोली ,
समझ तो वो गए थे लेकिन शरमा रहे थे , ....
' जिसकी छोटी छोटी है , एलवल में रहती है , ... तुम्ही तो कहते थे की उसकी अभी छोटी है , बोल लेगा न ,... "
वो एकदम शरम से बीर बहूटी ,...
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Very hot update
Waiting for more
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Your writing is too imaginable.
Very nice update.
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bahto badhiya jabrdast update ekdam hot sexy
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(16-10-2019, 11:02 PM)m8cool9 Wrote: Very hot update
Waiting for more
thanks .... sure next part soon
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बस अब वो मुझे छू भी नहीं सकते थे , ललचाते रहो , ...आखिर पूरे हफ्ते भर से मैं तो तड़प रही थी
बहुत नाइंसाफी है कि तड़प तो दोनों रहें थे विरह की आग में, अब तड़पा रहीं हों किनारे पर ले जा कर। कहीं बगावत ना कर दे तड़प कर।
इंतजार कष्ट देता है
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
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(17-10-2019, 11:44 AM)anwar.shaikh Wrote: bahto badhiya jabrdast update ekdam hot sexy
thanks . next part soon
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(19-10-2019, 08:33 AM)Black Horse Wrote: बस अब वो मुझे छू भी नहीं सकते थे , ललचाते रहो , ...आखिर पूरे हफ्ते भर से मैं तो तड़प रही थी
बहुत नाइंसाफी है कि तड़प तो दोनों रहें थे विरह की आग में, अब तड़पा रहीं हों किनारे पर ले जा कर। कहीं बगावत ना कर दे तड़प कर।
इंतजार कष्ट देता है
मिलेगा , मिलेगा , .... जल्द ही मिलेगा , और मन भर मिलेगा ,
कोमल के यहाँ देर है ,... अंधेर नहीं
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(17-10-2019, 12:17 AM)UDaykr Wrote: Your writing is too imaginable.
Very nice update.
thanks for nice words
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(16-10-2019, 11:02 PM)m8cool9 Wrote: Very hot update
Waiting for more
bas aaj
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(19-10-2019, 10:01 AM)komaalrani Wrote: मिलेगा , मिलेगा , .... जल्द ही मिलेगा , और मन भर मिलेगा ,
कोमल के यहाँ देर है ,... अंधेर नहीं
४ दिन से तड़प रहा है बेेेचाारा अंधेरे में।
अपडेट की............
इंतजार में
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
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