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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
#61
दीप्ति ने भांजे से चुदाई की
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#62
यहाँ मुम्बई में मैं अपने भान्जे अमित के साथ रह्ती हूँ,जो यहाँ एक कालेज मे पढता है l अमित इस उम्र के अन्य लड़्कों की ही तरह है ,और उसी तरह से कामोतेजित भी रहता है,मुझे पता है कि वह मेरे बारे मे कामुक कल्पनायें भी करता है जो कि इस उम्र मे स्वाभाविक है l
उसकी नजरें खुफ़िया तरीके से मेरे शरीर को घूरती हैं और जब कभी मैं उसकी ओर देखने की कोशिश करती हूँ तो ऐसा दिखावा करता है कि वह कहीं और देख रहा था l
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#63
पहले , मैं हतप्रभ रह गई,समझ में नहीं आया कि क्या हुआ ,मै चुपचाप लेटी रही ,यह सोचते हुए कि मैं उसके आगोश से कैसे निकलूँ l कुछ समय बाद ,धीरे उसकी ओर हुई और उसके चेहरे को देखने की कोशिश की और पाया कि यद्यपि उसकी आँखे बन्द थी फ़िर भी उसका लंड उसकी निक्कर में उछल रहा है और मेरे नितम्ब कीदरार में घुसा जा रहा था l मैं समझ रही थी कि आँखे बन्द कर वह सोने का नाटक कर रहा है जबकि वह जाग रहा है l
जब मैने अपना सिर उसकी ओर घुमाया तो मुझे आघात लगा , उसने अपना हाथ गले से नीचे ला कर मेरा स्तन हाथ में घेर लिया ,और यह सब उसने सोते में होने का बहाना कर किया l मैं ने धीरे से उसका हाथ पकड़ा और उसका हाथ अपनी छाती से हटाने का प्रयास किया , किन्तु उसने मेरे स्तन को और कस के पकड़ लिया और मुझे अपनी ओर खीचने का प्रयास किया l अब मैं उससे सटी हुई थी और हमारे बीच बिलकुल भी जगह नहीं थी l
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#64
वह अपना चेहरा और पास ले आया जो करीब करीब मेरे कन्धे पर आ कर मेरी गर्दन तक आ पहुँचा था lअब, उसके पैर मेरी कमर के आर पार जा रहे थे जबकि मैं अपनी पीठ के बल लेटी थी और उसका लण्ड मेरी कमर में ठीक पेट के नीचे चुभ रहा था एक बार मैंने सोचा कि कहीं वास्तव मे ही तो नहीं सो रहा हो और जो भी हरकतें कर रहा है वह सब नींद में ही कर रहा हो और मैं बेमतलब में ही ऊल जलूल सोच रही हूँ l
तब मैंनें तय किया कि अब उसे ऐसे ही रहने दूँ और बाद में किसी वक्त उसे धीरे दूसरी ओर कर दूँगी (और यदि वह सो रहा हो ) ऐसी हालत में उसे जगा कर बेमतलब में शर्मिन्दा नहीं करना चाहती थी l
मैं वैसे ही पीठ के बल लेटी रही और उसके हाथ मेरे स्तन पर वैसे ही रखे थे और उसकी टाँगे मेरे आर पार थीं इस आशा में कि मैं बाद मे किसी वक्त उसे दूसरी ओर कर दूंगी l

करीब पिछले सात महीनों से ,मै सेक्स से दूर थी ,और शादी के बाद पहली बार था कि मुझे पति के अलावा कोई और इस तरह से छू रहा था l
और मैं धीरे धीरे यौन उतेजना का आभास कर रही थी और उसके शरीर की ऊष्मा से मेरी कमोत्तेजना भड़क उठी थी मेरी सासें भारी होने लगी थीं और सासों की तेजी के साथ मेरे छातियाँ तेजी से ऊपर नीचे हो रहीं थीं l
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#65
और हर बार जब मेरे स्तनों ऊपर उठते , मुझे एहसास हुआ कि उसके हाथ भी धीरे धेर, उन्हें squeezing कर रहें हैं . मैंने अपने चेहरे को घुमा दिया और उसे देखो. उसका चेहरा मेरे कंधे पर सिर्फ इंच की एक दूरी पर था. और बिना सोचे , मैंने उसके माथे पर एक नरम चुंबन दे दिया. उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की तो मैंने सोचा कि लगता है कि वह सो रहा था .मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया जो मेरे स्तन कोcupping कर रहा था और मैंने भी अपने स्तनों और अपने ऊपरी शरीर भर में उसके हाथ को पकड़ कर घुमाना शुरू किया. मैंने अपने मुंह में उसकी एक उंगली ले ली और धीरे से उसकी उंगली पर अपनी जीभ चलाने लगी मेरा दूसरा हाथ उसकी गर्दन से नीचे ले गई कि वह अब पूरी तरह से मेरी गर्दन और मेरे कंधे पर आ जाए और मेरा हाथ उसकी गर्दन के नीचे से लेजाकर उसे अपने शरीर पर धीरे से खींच लिया, मैंने अपना दूसरा हाथ उसके उस हाथ से हटा लिया जो मेरे स्तन पर था और धीरे धीरे उसके पेट पर अपनी उंगलियों को फ़िराने लगी और उसके शॉर्ट्स और अपने शरीर के बीच अपना हाथ ले जा पाने में कामयाब रही और मैंने अपने भान्जे की शॉर्ट्स के ऊपर से उसके लन्ड का अहसास किया और कामोत्तेजनावश उसके लण्ड के ऊपर अपनी उँगलियाँ फ़ेरने लगी मेरे भान्जे ने अपनी कमर को थोड़ा खिसकाया जिससे थोड़ी जगह मिल गई जिससे मै उअसके लण्ड का अहसास कर पा रही थी




और जब मैंने अपना पूरा हाथ उसके लण्ड पर रख दिया और धीरे से उसे दबाया तो अचानक पाया कि वह मेरे कन्धे के ऊपर पूरी तरह से चूम रहा है ,गले पर और छाती के ऊपर सब जगह ,और उसका जो हाथ खाली था उससे वह मेरे स्तनों का मर्दन कर रहा था और मेरे चुचुकों को अपनी उँगलियों से नाइटी के ऊपर से मसल रहा था l
और अब मुझ से भी नहीं रहा जा रहा था ,मैं ने भी सब भूल कर उसके चुंबनों का प्रति-उत्तर देते हुये उसके माथे पर चुम्बन जड़ दिया और उसके मुँह को ऊपर उठा कर पहली बार उसके होंठों को चूम लिया l
अब तो उसके सब्र का बाँध टूट गया और आतुर हो कर उसने अपने दूसरे हाथ से मेरे पूरे शरीर को हौले हौले रगडना आरम्भ कर दिया जिससे मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी l और अब मुझे लगने लगा था कि मैं उसे वहशियाना तरीके से चोदूँ जिससे मेरी महीनों की आग शान्त हो जाए lअब मैं यह पूरी तरह से भूल चुकी थी कि वह मेरा काफ़ी कम उम्र का भांजा है l
अब मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया,अब वह मेरे ऊपर था और हम दोनों एक दूसरे को बुरी तरह वहशियाना तरीके से चूम चाट रहे थे l
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#66
वह मेरे पूरे चेहरे को चूम रहा था, मेरी गर्दन और मेरे स्तनों के थोड़ा ऊपर. उसका हाथ मेरे nightieके ऊपर से ही मेरे स्तनों का मर्दन कर रहे थे और मेरे हाथ उसकी पीठ भर थे, उसकी पीठ के निचले हिस्से पर और मैं उसे अपने ऊपर रखने की कोशिश कर रही थी . मैं बुरी तरह से अपने नंगे स्तनों पर उसके मुंह महसूस करना चाहती थी लेकिन जब मैंने महसूस किया कि वह किसी तरह से भी मेरी नाइटी खींच कर नीचे नहीं कर रहा है,
.तो मैंने एक हाथ से उसके सिर को पकड़ा और दूसरे हाथ से मैंने अपनी nightie नीचे खींच एक स्तन पूरी तरह से बेनकाब किया और अपने नग्न स्तन की ओर उसके मुँह को रास्ता दिखाया. lवह मेरे स्तनों पर जंगली की तरह टूट पड़ा अब वह मेरे निपल्स चाट रहा था, चूस रहा था, उसके जीभ चलाने और फिर निपल्स चूसने्से मैंने कराहना शुरू कर दिया और मैं अपने पैरों के बीच में उसके शरीर को लाने में कामयाब रही और मैंने उसकी पीठ पर अपने पैर लपेट लिये .मैं उसकी teeshirt खींच रही थी और उसकी टी शर्ट को हटाने में कामयाब रही. lअब, मैं अपने नंगे स्तनों पर उसके नंगे शरीर को महसूस कर रही थी और मैंने अपने दूसरे स्तन को भी nightie नीचे खींच कर बेनकाब करने में सफ़लता हासिल कर ली l ओफ़्फ़ मेरीnightie की पट्टियाँ मेरे कंधों पर आ फ़सीं थी, फ़िर भी मेरे दोनों स्तन अब खुल गए थ lे वह मेरे स्तनों को चाट रहा थाऔर मेरे स्तनों खाने लगा और मैं उसके सिर को अपनी ओर खींच रही थीl
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#67
जल्द ही, वह बग़ल में आ गया और मुझ से चिपक गया . अब, वह मेरे
बिल्कुल पास ,थोड़ा झुक के मेरे स्तनों को चूसना का प्रयास करने लगा. धीरे धीरे वह नीचे की ओर चला गया
वह मेरी nightie के ऊपर से मेरे पेट और मेरे दोनो ओर चुंबन करने लगा.,
अपने हाथों को मोटे तौर पर मेरे स्तनों को बेरहमी से मसले जा रहा था l
मेरा हाथ उसके सिर को धीरे धीरे नीचे की ओर धकेलने में लगे थे l
इतना जद्दोजहद की वजह से, मेरी nightie खिसक कर मेरी कमर के नीचे आ गई थी l
l और मेरा भान्जा अब मेरे पैर और मेरी जांघों के भीतर की ओर अपना हाथ चलाने लगा l
मैं तो सेक्स से इतनी भरी हुई थीकि मैं अपने कूल्हों के ऊपर उछालने लगती जब भी उसका हाथ मेरा अन्दरूनी जाघँ पर होता l
मैं अब भी उसके सिर को अब भी नीचे की ओर ही धकेल रही थी धीरे धीरे वह मेरी कमर तक पहुंच गया l
और मेरी कमर, मेरे पेट को चूमने लगा ,और मेरी nightie और पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को रगड़ना शुरू किया l
अब वह पूरी तरह से नीचे था, जबकि उसके हाथ मेरे स्तनों को रगड़ रहे थे और कभी कभी मेरे मुँह में अपनी उंगलियों डाल
कर मुझे जोर जोर से कमोत्तेजना वश कराहने सो रोकने की कोशिश कर रहा था l

अब मेरे दोनों पैर उसकी गर्दन के पार ,उसके कन्धों पर इस तरह से थे कि मेरी योनि सामने थी और वह उसमें गहराई तक घुसा जा
रहा था
उफ़्फ़ ! अब उसने मेरे भगाकुंर पर जीभ से प्रहार करने लगा l
जो मुझे कामोत्तेजना से बेकाबू किये जा रहा था मेरी सांसों की गति बढ़्ती जा रही थी मेरी सिसकारियों भी बढ़्ती जा रहीं थी l
जैसे ही मैंने अपनी नाइटी हटाई जिससे उसे मेरी पैंटी दिख गई उसने तुरंत पैंटी खिसका कर जगह बनाई और अपनी एक उँगली मेरे अन्दर घुसा दी और उँगली से घर्षण करने लगा l मेरे अब मैंने खुद पर से अपना नियन्त्रण खोता हुआ महसूस कर रही थी अओर मैंने उत्तेजित हो कर उसके मुँह को अपनी चूत पर और जोर से दबा लिया l
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#68
मेरी चूत काम्ररस का स्राव कर रही थी और मैं परमानंद के के कारण इतनी उत्तेजित हो गई थी कि मेरी चीख न निकल जाए ,इसका डर सता रहा था l
किसी तरह, मैंने उसे अपनी ओर मोड़ा जिससे वह मेरी योनि रस का आस्वादन करने से वंचित न रह जाए जबकि मै अपने हाथ में उसका लिंग पकडने में कामयाब रही. l अब मैंने उसकी कमर से ऊपर खींचने की कोशिश इस तरह से की कि उसका मुख मेरी योनि से न हटे और उसका चेहरा मेरे पैरों के बीच में बना रहे अंत में हम 69 की स्थिति में थे l लेकिन वह अभी भी अपने शॉर्ट्स पहने हुए था और वह मेरी योनि खा रहा था और साथ ही मेरी चूत में उँगली वहशियाना तरीके से अन्दर -बाहर करे जा रहा था l
अपने पति के साथ, मैं आमतौर पर चूसने से पहले लण्ड को पोंछ कर सुखा लेती थी

अब मैं ने उसका लन्ड पकड़ लिया अओर किसी तरह उसका लण्ड उसकी निक्कर औरचढ्ढी से किसी प्रकार निकालने में कामयाब हुई
और वह मेरे इतने करीब था कि मैं उसके लण्ड कोअपने गाल और कन्धे पर मह्सूस कर रही थी उसकी नमी को देख्ते हुए उसके लंड को मैंने पास से देखा lऔर बेतहाशा उसे चूमने लगी,मैंअपनी जीभ से न केवल उसका लण्ड बल्कि उसकी गोलियों को भी चाट रही थी जससे उसकी साँस फ़ूल रही थी lऔर वो भी उत्तेजना वश साँस लेने मे कठिनाई महसूस हो रही थी
अब मैंने उसके गीले लण्ड को अपने हाथों मे ले लिया और उसके लिंगमुंड कोअपने होठों के बीच ले कर शिश्न् के मुंड को चाट रही थी जिन्दगी में पहली बार मैं किसी लन्ड को चाट रही थी जो प्री कम से लिसड़ा हुआ थाthaaअपने पति के साथ, मैं आमतौर पर चूसने से पहले लण्ड को पोंछ कर सुखा लेती थी


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#69
मैं धीरे धीरे उसके7inch लण्ड को अपने मुँह में प्रवेश कराना चाहती थी और लिंग मुण्ड चूसते हुए एक हाथ से लण्ड पकड़ लिया lलेकिन मुझे लगता है कि मेरा भान्जा
बहुत जल्दी में था और तुरंत मेरे मुंह में अपने पूरा लिंग घुसेड़ दिया और धक्के मारने लगा l मैं इस तरह के अचानक मुख-मैथुन के लिेए तैयार नहीं थी l मेरा गला एकदम से रुन्ध गया , किन्तु उसने मुख मैथुन चालू रखा मेरी लार और उसका गीला लिंग मिल कर चाटने की आवाज की अनुगूंज कमरे में गुंजायमान हो रही थी l

मेरे मुँह से”प्री कम ’’ बहने लगा था और मुँह से बहकर मेरे गाल पर पहुँच गया और कुछ ठोढ़ी पर बह कर पहुँच रहा मैं चाह रही थी कि वह मुखमैथुन कि गति कुछ कम कर ले किन्तु ऐसा लगता है कि उसे कोई चिन्ता नहीं थी अर वह जंगलियों की तरह मुख मैथुन की गति बड़ाए हुए था l
और अब ,मेरी चूत को खाने के बजाए वह उसमें दो उँगलिया डाल कर हस्त मैथुन किए जा रहा था और जितनी बार उसका लिंग मेरे मुँह मे जाता उतनी ही बार उसकी उँगलियाँ मेरी योनि में घुस जातीं l
मेरे दोनो हाथ उसके नितम्बों पर थे और हम दोनो मुख मैथुन -व हस्तमैथुन में व्यस्त थे और एकाएक ,बिना किसी चेतावनी के मेरे मुँह में स्खलित हो गया किन्तु मुख्मैथुन बंद नहीं किया यह पहली बार था कि मैं उसके लिंग को अपने मुँह से निकालना चाहती थी
[Image: 323156_08big.jpg]


किन्तु उसने अपना वीर्य उगलता लण्ड और अन्दर तक मेरे मुँह में घुसेड़ दिया और थोड़ी देर तक ऐसे ही दबाये रहा l मैं हर बार उसके वीर्य को उगलने की कोशिश कर रही थी जितनी बार उसका लण्ड मेरे मुख को आकर चोद रहा था l इसी के साथ उसकी उँगलियाँ भी अपना काम कर रहीं थीं और मुझे लग रहा था कि किसी भी क्षण मैं भी चरमोत्कर्ष पर पहुँचने वाली थी lअब भी उसके कड्क लण्ड ने अभी भी मेरे मुख का मैथुन बन्द नहीं किया था l कुछ क्षणों में ही पुनः मेरे मुँह में झड़ गया और इसी वक्त मैं भी स्खलित हो गई ,और जब मैं झड़ी ,उस वक्त मैंने अपने पैर उसकी गर्दन में इस तरह से लपेटे कि उसका मुँह मेरी योनि से न हटे
और अब उसका लण्ड मेरे मुँह में ही सिकुड़ने लगा तब जाकर उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाला ,उसका सारा वीर्य मेरे मुँह से बह कर मेरे गालों से होता हुआ मेरे कन्धे पर आने लगा l अब वह पूरी तरह से निढाल हो कर पड़ा था अब मैंने उसके वीर्य अभिसिंचित लिंग को हलके से चूस लिया l[Image: 169644_11big.jpg]


































[Image: 169644_15big.jpg]

























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थोड़ी देर बाद वह मेरे ऊपर से हट गया और मैं तुरंत उठी और बाथरूम मे घुस गई और खुद को साफ़ किया
पहली बार ,उस रात हम पूरी तरह संभोग नही कर पाए l






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#70
खुद को साफ़ करने के बाद ,कुछ और देर ,बाथरूम मे ही रही और यह एहसास हुआ कि मैंने अपने भांजे को चूसा है l,एक धक्का लगा l निश्चित रूप से किसी भी तरह से मैं अपने भान्जे से किसी प्रकार का यौन स्पर्श नहीं रखना चाहती थी l किन्तु मेरे बगल में बिस्तर पर लेट्कर उसने मुझे फ़िर से छूना आरम्भ किया तो मैं अपने आप पर
नियंत्रण नहीं रख सकी l


मैंने तय किया कि अगले दिन ,अब मैं उससे साफ़ साफ़ कह दूंगी कि जो हुआ वह गलत और दुर्घटना के समान था और अब वह इस तरह की कोई अपेक्षा भविष्य मेम न करे मैं बेडरूम में गईऔर पाया कि वह पड़ा सो रहा है मैं उसी के बगल में जितना दूर बना सकती थी ,दूर हो कार लेट गई और सो गई l
अगले दिन रोज से थोडा देर लगभग सात बजे उठी पाया कि उसकी एक भुजा मेरे बदन के आर पार रखी हुई थी ,हौले से उसकी बाजू अपने बदन से हटाई और दैनिक कार्यों से निबटने के लिए उठ गई l
लगभग आठ बजे ,रसोई में नाश्ता बना रही थी कि एकाएक मुझे लगा कि दो हाथों ने मेरे स्तनों को पीछे से पकड़ लिया है और जिसने पकड़ा है वह अपना शरीर को मेरी पीठ पर दबा रहा हैl



[Image: 184003_03big.jpg]



वह मेरा भान्जा था जो उठ गया था ,मैने सोचा कि वह रात मे जो नही कर पाया उसे आगे बढ़ाना चाहता है अर्थात सीधी सी बात कि वह अब मुझे चोदना चाहता है उसका चेहरा मेर कन्धे का अवलम्ब लिये हुए था और वह मेरे कन्धे पर कोमलता से चुम्बन अंकित कर चुका था l
मैं पहले बताना भूल गई कि पिछ्ली रात्त बाथरूम में मैंने नाईटी बदल कर साड़ी पहन ली थी और वह कन्धे पर ब्लाउज व कन्धे के बीच गर्दन पर चूम रहा था l

यह सब इतना तेजी से हुआ कि जब तक मैं समझ पाती वह मेरे गले के बाद अब मेरे गालों को चूमने लगा l
मैंने उसके हाथ अपने वक्ष से हटाने का प्रयास किया और उसे खुद से परे धकेलने का प्रयास किया किन्तु मैं जितनी कोशिश उसे धकेलने मे करती वह और जोर से मेरी स्तनों को अपने हाथों से दबाता जाता और मेरे गालों को पीछे से ही चूमता जाता और वह मेर कन्धे के ऊपर से ही मेर स्तनो को चूमने की कोशिश कर रहा था l
एक बार फ़िर से मै ने अहसास किया कि उसका खड़ा हुआ लण्ड मेरी साड़ी के ऊपर से मेरे नितम्ब प्रदेश मे रगड़ खा रहा था l
वह मेरी साड़ी का पल्लू मेरे कन्धे पर से गिराने मे सफ़ल हो गया और मेर स्तनों को इस तरह से अपने हाथों से इस प्रकार से दबा रहा था कि वे ब्लाउज के अन्दर ही ऊपर को उठ जा रहे थे कि उनका काफ़ी हिस्सा ब्लाउज के ऊपर से दिखने लगता था l


यद्यपि पिछ्ली रात मैंने तय किया था कि अब उससे अब किसी भी प्रकार के यौन सम्बंध नहीं रखूँगी ,किन्तु लगातार साड़ी के ऊपर से अपने नितम्बों के मध्य लगातार उसके लिंग का अनुभव तथा लगातार स्तनों के मर्दन के कारण धीरे -धीरे अपना प्रतिरोध कमजोर पड़ता महसूस कर रही थी उसके चुम्बनों ने मेरी भवनाओं को सुलगा दिया और मुझमें और अधिक पाने की अपेक्षा उमड़ने लगी l
उसके स्पर्श का प्रतिरोध धीरे धीरे कमजोर पड़ता गया और यह इच्छा बलवती होने लगी कि वह मेरे बदन का हर सम्भव तरीके से उपभोग कर मेरी दमित इच्छाओं की और भड़काए और उन्हे किसी प्रकार से शांत करे l

अब मैंने अपनी बाहों से अपने ब्लाउज से उभरे वक्ष को छुपाने का कमजोर सा प्रयास किया ,उसके हाथ मेरी बाजुओं के नीचे से मेरे स्तनो दबाए हुए थे l तब उसने पीछे से मेरी गर्दन को पुनःचूमना शूरु कर दिया और ब्लाउज के ऊपर से मेरी खुली पीठ को अपने होंठों से छू कर मेरी दबी आग को भड़्काने लगा उसका सिर ऊपर से नीचे की ओर जा रहा था और उसके होठ और जीभ मेरी पीठ पर घूम रहे थे और उसके हाथ बदस्तूर मेरे वक्ष का मर्दन कर रहे थेl
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#71
अब वह मेरे पीछे अपने घुटनो के बल हो कर मेरे स्तनों को मसले जा रहा था और उसकी जीभ मेरे कटि प्रदेश पर भ्रमण कर रही थी जहाँ मेरी साड़ी पेटीकोट पर लिपटी थी अब उसने मेरे पीछे से कमर पर जीभ और होठ फ़ेरते हुए मेरे नितम्बों को
मेरी साड़ी के ऊपर से दबाना और कचोटना शुरू कर दिया l एक हाथ से वह मेरी कमर को अप्ने नजदीक रखने मे इस्तेमाल कर रहा था और दूसरे से क्रम बदल कर मेरे चूतड़ों को दबा और निचोड़ रहा था l

मुझे लगता है कि शायद मैं भी उसके स्पर्श का प्रतिरोध न कर के उसका साथ अपने नितम्बों को उसकी ओर झुका कर देने लगी थी l उसने मेरी साड़ी को मेरी कमर से अलग करने का प्रयास किया .....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#72
वह मेरी कमर से साड़ी को उतारने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वह कसकर पेटीकोट के अंदर tucked थी. मैं अनजाने में उसकी मदद के लिए अपना हाथ आगे करने का फैसला किया और अपनी कमर के एक ओर अपने पेटीकोट से बाहरअपनी साड़ी खींच ली . अब अमित ने मेरी कमर से मेरी साड़ी को हटाने में कोई समय बर्बाद नहीं किया.






अब मैं सिर्फ एक ब्लाउज और पेटीकोट में अपने भान्जे के सामने खड़ी थी और उसके हाथ मेरे बदन पर ऊपर से नीचे आ जा रहे थे और बदन की गर्मी महसूस कर रहे थे  अमित अपने पैरों पर वापस गया और मुझे पीछे से अपने आगोश मे भर लिया . एक बार फिर उसका लिंग मेरे नितबों पर अपनी धड़्कन का अनुभव करा रहा था इस बार मैं ने अपने हाथ पीछे ले गई और और धीरे से उन्हे उसकी कमर पर इस तरह से रखा कि उसे यह अह्सास हो जाये कि मैं उसे अपने ऊपर चाहती हूँ
~- यह देखकर, अमित ने मेरे स्तनों पर अपने हाथ डाल दिए लेकिन इस बार, वह मेरे ब्लाउज के बटन को खोलने की कोशिश कर रहा था. मेरे ब्लाउज पर बटन सामने की ओर थे वह ऊपर वाले बटन को तोड़ने में कामयाब रहा और दूसरा बटन खोलने के लिये परेशान हो रहा था मैंने उसे अपने बटन को खोलने में मदद करने का फैसला किया. इस सब के बावजूद , मैं उसेअपने ब्लाउज के सभी बटन को तोड़ने नहीं देना चाहती थी

.अब मैं सिर्फ एक ब्लाउज और पेटीकोट में अपने भान्जेे के सामने खड़ी थी और उसके हाथ मेरे बदन पर ऊपर से नीचे आ जा रहे थे और बदन की गर्मी महसूस कर रहे थ lे  अमित अपने पैरों पर वापस गया और मुझे पीछे से अपने आगोश मे भर लिया . एक बार फिर उसका लिंग मेरे नितबों पर अपनी धड़्कन का अनुभव करा रहा था इस बार मैं ने अपने हाथ पीछे ले गई और और धीरे से उन्हे उसकी कमर पर इस तरह से रखा कि उसे यह अह्सास हो जाये कि मैं उसे अपने ऊपर चाहती हूँ l
~- यह देखकर, अमित ने मेरे स्तनों पर अपने हाथ डाल दिए लेकिन इस बार, वह मेरे ब्लाउज के बटन को खोलने की कोशिश कर रहा था l मेरे ब्लाउज पर बटन सामने की ओर थे वह ऊपर वाले बटन को तोड़ने में कामयाब रहा और दूसरा बटन खोलने के लिये परेशान हो रहा था मैंने उसे अपने बटन को खोलने में मदद करने का फैसला किया. इस सब के बावजूद , मैं उसेअपने ब्लाउज के सभी बटन को तोड़ने नहीं देना चाहती थी l
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#73
.अब मैं सिर्फ एक ब्लाउज और पेटीकोट में अपने भान्जेे के सामने खड़ी थी और उसके हाथ मेरे बदन पर ऊपर से नीचे आ जा रहे थे और बदन की गर्मी महसूस कर रहे थ lे  अमित अपने पैरों पर वापस गया और मुझे पीछे से अपने आगोश मे भर लिया . एक बार फिर उसका लिंग मेरे नितबों पर अपनी धड़्कन का अनुभव करा रहा था इस बार मैं ने अपने हाथ पीछे ले गई और और धीरे से उन्हे उसकी कमर पर इस तरह से रखा कि उसे यह अह्सास हो जाये कि मैं उसे अपने ऊपर चाहती हूँ l
~- यह देखकर, अमित ने मेरे स्तनों पर अपने हाथ डाल दिए लेकिन इस बार, वह मेरे ब्लाउज के बटन को खोलने की कोशिश कर रहा था l मेरे ब्लाउज पर बटन सामने की ओर थे वह ऊपर वाले बटन को तोड़ने में कामयाब रहा और दूसरा बटन खोलने के लिये परेशान हो रहा था मैंने उसे अपने बटन को खोलने में मदद करने का फैसला किया. इस सब के बावजूद , मैं उसेअपने ब्लाउज के सभी बटन को तोड़ने नहीं देना चाहती थी l
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#74
अब मैं सिर्फ एक ब्लाउज और पेटीकोट में अपने भान्जेे के सामने खड़ी थी और उसके हाथ मेरे बदन पर ऊपर से नीचे आ जा रहे थे और बदन की गर्मी महसूस कर रहे थ lे अमित अपने पैरों पर वापस गया और मुझे पीछे से अपने आगोश मे भर लिया . एक बार फिर उसका लिंग मेरे नितबों पर अपनी धड़्कन का अनुभव करा रहा था इस बार मैं ने अपने हाथ पीछे ले गई और और धीरे से उन्हे उसकी कमर पर इस तरह से रखा कि उसे यह अह्सास हो जाये कि मैं उसे अपने ऊपर चाहती हूँ l
~- यह देखकर, अमित ने मेरे स्तनों पर अपने हाथ डाल दिए लेकिन इस बार, वह मेरे ब्लाउज के बटन को खोलने की कोशिश कर रहा था l मेरे ब्लाउज पर बटन सामने की ओर थे वह ऊपर वाले बटन को तोड़ने में कामयाब रहा और दूसरा बटन खोलने के लिये परेशान हो रहा था मैंने उसे अपने बटन को खोलने में मदद करने का फैसला किया. इस सब के बावजूद , मैं उसेअपने ब्लाउज के सभी बटन को तोड़ने नहीं देना चाहती थी l
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#75
लेकिन वह बहुत अधीर था और इससे पहले कि मेरे स्तनों को पूरी तरह से मेरी ब्रा में से आजाद कराता , मेरे ब्लाउज के दो बटन तोड़ दिया . हाँ, मैं एक ब्रा पहने हुए थी. उसने मेरे कंधे तक मेरे ब्लाउज को खिसकाया और मेरे ब्लाउज को पूरी तरह से उतार दिया अब मैं अपनी ब्रा में थी मेरे स्तनों के निरंतर मर्दन (निचोड़) और मालिश के कारण एक गहरी दरार दिख जाती थी l


बस गया था.उसके हाथ मेरे स्तनों के नंगेपन की खोजकर रहे थेऔर फिर उसने अपना एक हाथ मेरी ब्रा के अंदर डाल दिया और मेरे निपल्सका स्पर्श करना शुरू किया.l मेरा निपल्स कड़े होकर तन गए और वह अपनी उंगली मेरे कड़े होकर तन हुए निपल्स पर चल रहा था अब, मैं उसे पूरी तरह से अपने कब्जे मे लेना चाह रही थी और मैं उसकी कमर से अपना हाथ अपनी पीठ और उसके शरीर के बीच से ले जा कर उसके लण्ड को अपने हाथ ले लिया और और उसके शॉर्ट्स के ऊपर से दबा दिया .मैं अपने हाथ ऊपर ले गई और धीरे - धीरे उसके शॉर्ट्स के अंदर और उसके अंडरवियर के अंदर अपना हाथ ले गई और उसके नग्न गर्म लिंग का स्पर्श किया और साथ ही उसे पकड़ लिया और दूसरे हाथ से , मैंने उसके शार्ट्स को नीचे खींच लिया l अब उसका
खड़ा और गीला लण्ड मेरे हाथ में उसके शॉर्ट्स के बाहर था l
अमित ने एक पल के लिए मेरी ब्रा के अंदर से अपना हाथ हटा लिया और जल्दी से अपने शॉर्ट्स को पूरी तरह से उतार दिया. अब वह सिर्फ मेरे पीछे अपनी baniyaan में था, जबकि मैं अपनी ब्रा और पेटीकोट में थी. इसी लियेउसने मेरे पेटीकोट भी उतारने की कोशिश की. दुर्भाग्य से मेरे पेटीकोट गाँठ भी मजबूत थी और वह इसे खोलने में असमर्थ था. उसने मेरी कमर के नीचे मेरे पेटीकोट खींचने की कोशिश की, लेकिनउतार न सका l


तब मैंने अपनी कमर से अपना पेटीकोट उतारने की कोशिशा की और कमोत्तेजना के आधिक्य के कारण (or rather sexcitement - ) मैं अपने पेटीकोट को उतार न पाई l तब अमित ने मेरी कमर से मेरा पेटीकोट खींचना शुरू किया और अपने हाथों और उंगलियों से मेरी जांघों और भीतरी जांघों की नग्नता का आनंद ले रहा था l मैंने उसके लंड पर ,जो कल रात से भी बड़ा लग रहा था ,अपने हाथ से हल्के - हल्के प्रहार करना आरम्भ किया
उसके लंड ने उत्तेजना के कारण यौन रस प्रवाहित करना आरम्भ कर दिया था l और जिसके चलते मेरा हाथ उसके रस से चिपचिपा हो रहा था l.मेरी हथेली पर ढेर सारा रस इकठ्ठा हो गया था कभी कभी, मैं उसके लंड और उसकी नोक पर और उसके आसपास यौन रस का अनुभव अपने हाथ पर उसे सहलाते हुए पा रही थी l



इस दौरान, वह मेरी कमर से मेरी पेटीकोट को ऊपर उठा पाने में कामयाब रहा और अब अचानक वह अपने घुटनों पर फिर से चला गया (और मेरे हाथ से बाहर अपने मुर्गा) और मेरी नितम्ब को चूमने लगा. अब उसने मेरे नितम्ब को चूमनाऔर चाटना और धीरे धीरे काटने लगा . मैं उत्तेजनावश गीली हो रही थी.अवचेतन रूप से (Subconsciously)
, मैंने अपनी ब्रा नीचे खींच कर पूरी तरह से अपने दोनों स्तनों को बेनकाब कर दियाl
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#76
ब्रा की पट्टियाँ मेरे कंधों पर अब भी थीं और मैंने अपने स्तनों को रगड़ना शुरू किया और उतेजना वश खुद अपने निपल्स के साथ खेल रही थी l अब एक हाथ नीचे ले गई और अपने पीछे अपने नग्न नितम्ब पर उसके सिर को दबा दिया l उसकी उंगलियाँ मेरी जांघों से होते हुए, उसकी उंगलियों ने मे्री नग्न योनि से खेलना शुरू कर दिया था मैं अपनी योनि व भग प्रदेश को बिल्कुल साफ़ अर्थात बाल रहित रखती थी lउसकी उंगलियाँ योनि और आसपास महसूस कर रही थी l



मैं ने अपने पैरों को (उसे औरअधिक पहुँच देने के लिए) फ़ैला दिया lऔर उसने एक उंगली धीरे डाली और उंगली से मुझे चोदना शुरू कर दिया lमैं ने खुद को पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर पाया और घुटनों पर कमजोर महसूस कर रही थी , लेकिन उसने मुझे खड़े किये रखा. उसने एक उंगलीसे शुरू कर मेरी चूत में दो उंगलियों घुसा दीं l धीरे धीरे उसने पहले तो धीरे धीरे और फिर बहुत तेजी से और फिर बहुत धीरे धीरे अपनी उँगलियाँ सधे हुए कलाकार की तरह अन्दर बाहर कर रहा था इससे मैं इतना उत्तेजित हो चुकी थी कि लग रहा था कि अब वह यह सब बन्द कर अपना . सख्त लंड मेरे अंदर घुसा दे पर अभी तक मैं कुछ भी कह नहीं पाई थी l
किसी तरह से मैं उअसकी ओर अपना मुँह घुमाने में कामयाब हुई और उअसका चेहरा अपने दोनों हाथों मे लेकर उसे खड़ा किया l

. पहली बार दिन के उजाले में उसके - सामने अपने स्तनों को उजागर किये हुए खड़ी थी और मेरा पेटीकोट मेरी कमर तक चढ़ा था और उसका नग्न सख्त गीला लण्ड मेरे नंगे पेट को गीला और चिपचिपा करते हुए सटा हुआ था l

मैंने उसके होठों परबहुत जोर से चूमा और उसने प्रति-उत्तर में वापस चूमा. यह चुंबन बहुत ही जंगली और आवेशपूर्ण था l हमारी जीभ एक दूसरे के मुंह के अंदर गहरे तक घुसी हुई थी और हम एक दूसरे की जीभ बहुत ही आवेश पूर्ण भावना चूस रहे थे l. पहले उसने मेरे स्तनों को रगड़ा और फ़िर उसका एक हाथ खिसक कर नीचे पहुँच गया और उसने अपनी उंगली मुझे फ़िर से चोदना शुरू कर दिया जबकि अभी भी हम एक दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे l. मैंने भी उसी की तरह अपने हाथ को नीचे लेजा कर उसका सख्त लंड पकड़ लिया और उसपर प्यार से दूसरे हाथ से चोट करने लगी l
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#77
हम एक दूसरे का हस्त मैथुन कर रहे थेऔर (masturbating) हमारी जीभ एक दूसरे के मुंह में थी. फिर उसने मुझे रसोई के प्लेट्फ़ार्म की ओर धक्का दिया जिस पर मैं ने खाना तैयार किया थाउसने कुछ बर्तन दूर धकेल दिया और मुझे किनारे पर ले आया मुझे पता था कि यह अब जंगली चुदाई का समय आ गया है. और मैं वास्तव में अपने खुद के 18 वर्षीय भान्जे द्वारा फ़हाशा फूहड़ की तरह चुदना चाहती थी

मैं उसके तन्नाए लंड को इस कदर चाह रही थी कि वह मेरे शरीर को चाहे चोद के बरबाद ही कर दे और मुझे चाहे तो इसके लिए अपना गुलाम ही बना ले ,इसमे मुझे लेश मात्र भी सन्देह नहीं रह गया था
अब उसने मुझे किचन के प्लेट्फ़ार्म के किनारे पर ढकेल कर लगा दिया था और मैंने भी उसका लंड अपने हाथ में पकड़ कर अपनी टांगों के बीच ले आई थी मेरे पैर उसके दोनो ओर फ़ैले थे और उसकी कमर से लिपटे हुए थे

वह थोड़ा अनाड़ी लग रहा था और इस बारे में निश्चित नहीं लग रहा था कि वह कैसे योनि भेदन कर प्रविष्ट होगा अतः मैं ने उसके लंड को पकड़ कर योनिमुख पर रखा और उसकी कमर को पकड़ कर अपनी ओर खींचा आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.....

मैं गर्मी से भर उठी थी और उसके लण्ड ने मेरी चूत को भर दिया था उसका चेहरा करीब -करीब मेरे चेहरे पर था और वह बहुत लम्बी लम्बी साँस ले रहा था. वह मुझे चूम रहा था, लेकिन लण्ड मुझेजंगली बनाने के लिय अंदर था. मैं चाहती थी कि वह मुझे एक जंगली कुत्ते की तरहचोद डाले l
पहले वह मुझे धीरे धीरे चोद रहा था कुछ सेकंड के बाद अचानक मुझे बहुत तेजी से चोदना शुरू कर दिया l जब वह मुझे बहुत बहुत बहुत तेजी से बिना किसी चेतावनी के अचानक चोदना शुरू करता तो मुझे अपनी सांस को सम्भालने के लिए प्रयास करना पड़ता l यह मुझे और भी अधिक जंगली बना रहाथा . सबसे पहले, एक हाथ से उसके सिर के पार हाथ डाल कर उसे अपने करीब खींच लिया. मेरा दूसरा हाथ उस के धक्कों को सम्भालने के लिये उसकी कमर के पार था अब, मैं पूरी तरह से बेपरवाह थी और मेरे दोनों हाथ पीछे रसोई के प्लेट्फ़ार्म पर टिके थे और मेरे शरीर को सहारा दे रहे थे l मैंनेअपनी पीठ को मोड़्कर धनुषाकार किया जिससे मेरे स्तन मेरे मेरे भतीजे अमित के चेहरे की ओर निकल कर आ रहे रहे थे. अमित मेरे स्तनों को उसके चेहरे की ओर झुका हुआ देखा और मेरे खड़े हुए चुचूक अपने मुँह के करीब पाकर उन्हे चूसना आरम्भ कर और उसी समय ,मुझे जंगली कुत्ते की तरह चोदना शुरू कार दिया..l......


कई बार गीला और चिपचिपा होने के कारण उसका लण्ड फ़िसल कर चूत से निकल जा रहा था क्योंकि मेरी चूत लगातार योनिरस छोड़ रही थी किन्तु वह उसे पुनः चूत में घुसेड़ देता और चोदने लगता और हम लगातार एक दूसरे को चोद रहे थे हर बार वह और तेजी से धक्का मारता जो मेरे आनन्द को बढ़ा देता ,मेरीसाँसे मेरा साथ छोड़ने को उद्धत लगती थी जिसके कारण मैं उठी हुई (चुदाने को आतुर)कुतिया की तरह कराह रही थी (कमोन्माद से) l
मेरी कमोन्माद से उठने वाली कराहट को बन्द करने के लिए वह अपनी उँग्लियाँ मेरे मुँह में घुसेड़ दे रहा था और मैं तुरन्त अपना मुँह बन्द करके उसकी उँगलियों को लण्ड की तरह चूसने लगती
एकाएक उसने चोदना रोक दिया...l.
22


और मुझे कमर से पकड़ लिया और किचन के प्लेट्फ़ार्म के किनारे से खींचाऔर मुझे फ़र्श पर घुट्नों के बल खड़ा कर दिया ह्ड़्बडा कर मैंने उसका गीला लण्ड पकड़ कर अपने मुँह मे रख लिया और अपना सिर आगे - पीछे कर उसे चूसना आरम्भ कर दिया कई बार तो उसके पेल्हड़ो को चूसा और अपनी जीभ लण्ड पर ऊपर नीचे फ़िराई अब उसका लण्ड मेरे मुँह मे था और अचानक मैंने भी उसका लण्ड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और जैसे ही उसने अपना लण्ड हाथ में पकड़ कर आगे पीछे करते ही एक तेज धार मेरे चेहरे पर पड़ीऔर मैंने हड़बड़ा कर अपना मुँह हटाने की कोशिश की किन्तु तब तक उसने मेरे माथे ,मेरे बालों ,मेरे गालों पर बौछार कर दी जो धीरे धीरे मेरे गालों .ठोढ़ी होंठों से बहता हुआ मेरे नग्न स्तनों पर बहने लगा झड़ने के बाद भी उसका झड़ा हुआ लण्ड मेरे मुँह के सामने था मैंने प्यार से चूम लिया और उसका सारा वीर्य अपने चेहरे पर मल लिया ,अब तक मेरा चेहरा उसके वीर्य से पूरी तरह से लथपथ हो चुका था .मैंने कभी सोचा नहीं था कि कोई नौजवान इतना अधिक वीर्य भरे घूमता होगा ,मेरे पति ने कई बार मेरे स्तनोंपर ,पेट पर वीर्य त्याग किया था किन्तु चेहरे पर कभी नहीं जो इस लड़्के ने पहली बार ऐसा कर के मुझे और अधिक उत्तेजित कर दिया था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#78
उसके लण्ड का कुछ भाग मेरे होठों पर था और मैंने अपने होठ बन्द कर लिया था और धीरे से वीर्य को थूकने की कोशिश कर रही थी जो मेरे मुँह के अन्दर चला गया था अब मैंने खुद को फ़र्श पर ढीला छोड़ दिया और मेरा भान्जाभी उतर आया और बाथरूम जाने से पहले एक बार अपने आगोश में भर कर आलिगंन किया उसकी शार्ट तथा अण्डरवियर मेरे सामने फ़र्श पर मेरी साड़ी और ब्लाउज के पास ही पड़े थे
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#79
दीप्ति ने भांजे से चुदाई की






समाप्त
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#80
[Image: 323156_06big.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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