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24-09-2019, 01:21 PM
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सरिता की यात्रा ( हिंदी में ) - By Nastybro
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Update 1
ये एक सच्ची घटना है जो करीब 10 साल पहले हुई थी। उस वक़्त मैं फर्स्ट एअर में था और मेरी बड़ी बहन सरिता फाइनल एअर में थी। कालेज देल्ही का ही था। बस इतना हिंट दूँगा कि गुंडागर्दी में सबसे बदनाम कालेज है। कालेज में बड़े सारे गुंडे थे और उनमें से एक जीतू भाई सबसे बड़ा और खतरनाक बंदा था।
जीतू की एक बहन थी जो मेरी क्लास में पढ़ती थी उसका नाम ज्योति था। ज्योति और मैं अच्छे दोस्त थे और अक्सर एक साथ कैंटीन में चाय पीने जाते थे। एक दिन किसी ने जीतू भाई को ये बोल दिया की मैं ज्योति से फ्लर्ट करने के कोशिश कर रहा हूँ। बस जीतू ने मुझे क्लास से बाहर बुलवा लिया और मुझे बहुत मारा। मेरे होंठों पर काफी चोट आई।
बात मेरी बहन सरिता के पास भी पहुँची और वो मुझे लेकर सीधा जीतू जो उस वक़्त कैंटीन में ही बैठा था पहुँच गयी। मैंने अपनी बहन को बहुत समझाया की जीतू बहुत बड़ा गुंडा है उसके पास नहीं जाना चाहिए, लेकिन उसने मेरी बात नहीं सुनी।
मैं आपको ये भी बता देता हूँ की मेरी बड़ी बहन अपनी स्लिम फिगर और सुंदरता पर बहुत घमंड करती थी, और सबसे तरी में ही बात करती थी। उसकी इमेज एक अरोगेंट लड़की की थी, घर में भी और बाहर भी। जब हम वहाँ पहुँचे तो जीतू अपने कुछ दोस्तों के साथ बैठा था।
सरिता ने उससे पूछा की उसने मुझे क्यूँ मारा?
जीतू बोला- “चल अपना काम कर, मैं लड़कियों के मुँह नहीं लगता…”
पर सरिता नहीं मानी और जीतू को दो-तीन इंग्लीश में गालियां दे दी।
गालियां सुनकर जीतू सटक गया और उसने सरिता को धक्का दे दिया, सरिता सरिता नीचे जमीन पर गिर गयी और गिरते वक़्त उसकी दोनों टाँगें खुल गयी और कमीज ऊपर चढ़ गयी, उसकी सलवार का नाड़ा तक नजर आ रहा था और पतली सलवार में उसकी डार्क कलर की पैंटी भी दिख रही थी।
मैंने अपनी बहन को उठाया और उसको वहाँ से खींचने लगा। पर वो नहीं मानी और जीतू को एक थप्पड़ लगा दिया।
अब बात बहुत बाद गयी थी, जीतू को गुस्सा आ गया था और बोला- “साली मुझे थप्पड़ मारा तूने, आज तुझे तेरे भाई के सामने नंगा करता हूँ। वो आगे बढ़ा ही था की जीतू की एक दोस्त, जिसका नाम अलका था और जो कालेज की सबसे बड़ी चुदक्कड़ लड़की थी, बीच में आ गयी और जीतू को रोकने लगी। इतने में कुछ टीचर्स भी आ गये और मैं और सरिता वहाँ से भाग निकले।
अगले दिन अलका हमारे पास आई और बोली- “तुम दोनों हमेशा एक साथ ही रहना, नहीं तो जीतू सच में तेरी बहन के साथ कुछ गलत कर देगा…”
लेकिन सरिता फिर बोली की वो जीतू से नहीं डरती और वो कुछ नहीं कर सकता।
इस पर अलका ने सरिता के गाल पर हल्के से हाथ लगाया और बोली- “सरिता, तेरे साथ क्या होगा तूने कभी सुना भी नहीं होगा…”
पर सरिता ने उसे इग्नोर कर दिया और अपना मुँह फेर के वहाँ से चली गयी। कुछ दिन बीते और मैं और सरिता जीतू को तकरीबन भूल ही गये और सोचा शायद वो भी भूल गया होगा सारी बातों को।
लेकिन हम दोनों गलत थे। उस दिन कालेज में फेस्टिवल था और पूरा कालेज फेस्टिवल ग्राउंड में था। मैं भी अपने ग्रूप के साथ फेस्टिवल का मजा ले रहा था। उस दिन सरिता ने येल्लो कलर की सलवार और कमीज पहना था। मैं आपको बता दूं कि सरिता एकदम गोरी, बाल काले लंबे और 5’5” क़द की एकदम स्लिम ट्रिम लड़की थी। उसकी चूचियां छोटी-छोटी थी लेकिन एकदम कटोर थी, उसकी गाण्ड एकदम गोल थी और पेट एकदम फ्लैट था। वो भी उस दिन अपने ग्रूप के साथ ही थी।
उस वक़्त दिन का एक बजा था, की अलका जो जीतू की गर्लफ्रेंड थी मेरे पास आई और मुझे साइड में ले गयी। उसने जो मुझसे कहा वो सुनकर मेरा रंग उड़ गया। अलका बोली- “जीतू और उसके दोस्त तेरी बहन को उठाकर कालेज की ओल्ड बिल्डिंग के यूनियन रूम में ले गये हैं और उसको रेप करने वाले हैं…”
मैं एकदम अपनी बहन को बचाने के लिए भागा।
लेकिन अलका ने मुझे रोक दिया और बोली- “अभी जाने का कोई फायदा नहीं क्यूँकि जब मैं वहाँ से आई तब तक वो सरिता को ऊपर से नंगी कर चुके थे और अब तक तो उसका फुल सीन चल रहा होगा और अगर ऐसे में तेरी बहना ने तुझे वहाँ देख लिया तो शायद वो शरम से कुछ कर ना ले…”
मैंने भी सोचा की अलका सही कह रही है, पता नहीं सरिता किस हालत में होगी और मैं उसे उस हालत में कैसे देखूँगा? लेकिन मैं फिर भी में ओल्ड बिल्डिंग में पहुँचा, पूरी बिल्डिंग एकदम खाली थी और किसी लड़की के चिल्लाने की आवाज़ें आ रही थी। मैं समझ गया कि वो आवाज सरिता सरिता की ही हैं। मैं बिल्डिंग की छत पर चढ़ गया और उस रूम के वेंटिलेटर से देखने लगा।
वो कुछ 7 लड़के थे, सरिता का कुरता नीचे फर्श पर पड़ा था और उसकी ब्रा कुछ दूर कोने में। सरिता को उन लोगों ने एक टेबल पर खड़ी कर रखा था और वो एकदम टापलेस थी। वो रो रही थी और जीतू से हाथ जोड़कर माफी माँग रही थी। उसने अपने हाथ से अपनी छाती छुपा रखी थी और उसकी नंगी कमर पीछे से एकदम चिकनी और गोरी दिख रही थी, सरिता की बेल भी एकदम खींची हुई थी और क्यूंकी उसकी सलवार अभी भी उसके ऊपर थी, उसकी गाण्ड का कटाव उसकी सलवार के नाते के ऊपर बहुत हाट लग रहा था।
जीतू बियर पी रहा था और उसको बोल रहा था- “हम कुछ नहीं करेंगे अगर तू अपने आप नंगी हो जाएगी। चल सलवार खोल के दिखा दे फिर तुझे जाने देंगे और अगर तू 5 मिनट में नंगी नहीं हुई तो तुझे आज शाम तक चोदेंगे कुतिया…”
सरिता ने कुछ सोचा और सुबकते हुए बोली- “क्या आप सच में मुझे जाने दोगे?”
जीतू बोला- “हाँ… साली, जल्दी कर…”
सरिता ने अपनी छाती से अपने हाथ हटाए तो उसकी छोटी-छोटी गोल-गोल, गोरी-गोरी चूचियां दिखने लगीं। पता नहीं क्यूँ लेकिन उसको आधी नंगी देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मैं वहीं बैठकर अपनी बहन को नंगी होते देखने लगा। उसके चूचुक कुछ डार्क ब्राउन कलर के थे और एकदम तने हुए थे। वो धीरे-धीरे अपनी सलवार का नाड़ा खोल रही थी। नाड़ा खुलते ही उसकी सलवार नीचे गिर गयी और सरिता की गोरी चिकनी सुडौल लंबी टांगें दिखने लगीं। उसने एक-एक करके अपनी टाँगें उठाई और मुश्किल से अपनी हाइ हील सैंडल से सलवार को आजाद किया।
वो अब सिर्फ़ ब्लू कलर की स्ट्रिप्स वाली पैंटी में 7 लड़कों के सामने खड़ी थी। जीतू उसके पास आया और उसकी टाँगों पर हाथ फेरने लगा।
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Update 2
सरिता रोते हुए बोली- “प्लीज… ऐसा मत कीजिए, आपने कहा था कि आप मुझे जाने देंगे…”
जीतू बोला- “साली तू पूरी नंगी कहाँ हुई है? तेरी पैंटी फाड़ दूं या खुद उतारेगी?”
वो बोली- “नहीं, मैं उतार देती हूँ…”
अब सरिता ने अपनी पैंटी की इलास्टिक में अपनअ अंगूठा डाला और धीरे से पैंटी को नीचे खींचा। मेरी धड़कन बढ़ गयी। अब उसकी पैंटी उसके एंड़ी में थी और उसका मुँह दूसरी तरफ था जिसकी वजह से मैं उसकी चूत नहीं देख पा रहा था। अब वो पैंटी को अपने सँडल्ज़ से निकालने के लिए नीचे झुकी तो उसकी गोल गाण्ड एकदम मेरी तरफ बाहर आ गयी और मैंने उसके छोटे से पिंकिश गाण्ड के छेद को देखा। पैंटी उतारने के बाद वो पूरी नंगी हो गयी और अपने हाथों से अपने बदन को छुपाने लगी। अब उसने रोना बंद कर दिया था।
जीतू और उसके दोस्त उसका नंगा जवान बदन आँखें फाड़कर देख रहे थे। जीतू बोला- “अब अपने हाथ ऊपर कर और घूमकर दिखा…”
ये सुनकर जैसे मेरे मुँह की बात सच हो गयी। अब सरिता मेरी तरफ मुड़ी तो उसके दोनों हाथ ऊपर होने की वजह से उसकी चूचियां और गोल हो गयीं, उसकी पसलियां उसकी चूचियां के नीचे से उभर आई और उसकी स्लिम कमर और फ्लैट पेट पर उसकी बेल एकदम टाइट हो गयी, उसकी चूत पर बहुत थोड़ी झांटें थीं। पूरा घूमने के बाद वो बोली- “अब मैं जाऊँ?
ये सुनकर सब हँसने लगे।
और इतने में वहाँ अलका भी आ गयी। सरिता को पूरी नंगी देखकर वो मुश्कुराई और बोली- “हुउंण… अच्छी लग रही है, तू कपड़े क्यूँ पहनती है। मैंने तुझे बोला था ना की तेरे साथ कुछ होने वाला है। अब देख अपने आपको कैसे नंगी खड़ी है सबके सामने। तेरे भाई को बूलाऊँ क्या?”
ये सुनकर सरिता ने हाथ जोड़ दिए और बोली- “प्लीज… अलका, ऐसा मत करना…”
अलका जीतू के पास गयी और बोली- “मैं तो सोच रही थी की अब तक तो इसकी दबाकर चुदाई चल रही होगी लेकिन तुम लोगों ने इसको सिर्फ़ नंगा किया है, क्या सिर्फ़ इतनी ही सजा दोगे इसे?”
जीतू बोला- “इसने जो सबके सामने मुझे स्लैप किया था इसलिए इसको पहले नंगी ही बाहर ले जाऊँगा और फिर इसको अपनी रंडी बनाऊँगा…”
ये सुनकर सरिता डर से काँपने लगी, और जोर-जोर से रोने लगी, साथ ही वो टेबल से उतरकर रूम के कोने में पहुँच गयी।
अलका के कहा- “चल सरिता, चलना तो तुझे पड़ेगा ही। तुझे मैंने बहुत समझाया लेकिन तू मानी नहीं, आज तो वैसे भी कैंटीन में बहुत भीड़ है नंगी लड़की देखकर सबको मजा आएगा…” और वो सब उसको नंगी ही बाहर ले जाने लगे।
इस पर सरिता ने अपने आपको को उनके हवाले कर दिया और बोलि- “सुनो प्लीज… मेरी बात सुनो… तुम जो मेरे साथ करना चाहते हो यहीं कर लो लेकिन मुझे ऐसे बाहर मत ले जाओ…”
अलका बोली- “पक्का… जो भी करना चाहते हैं कर लें?”
सरिता बोली- “हाँ…”
अब अलका ने कहा- “तो फिर ठीक है… अगर तूने फिर किसी भी काम के लिये ना कहा तो कालेज के बाहर तक मुँह काला करके ले जाएँगे…” फिर जीतू से कहा- “जीतू यार, यहीं कर ले लेकिन करियो जरा मस्ती से इतनी सेक्सी लड़की मैंने भी पहली बार देखी है…”
अब जीतू ने सरिता को बालों से पकड़ा और उसे फर्श पर रंडियों की तरह फेंक दिया। और बोला- “चल टेबल पर चढ़ जा और कुतिया बन जा…”
सरिता जल्दी से चढ़ गयी और डागी स्टाइल में झुक गयी। पर उसको चुडाई के लिए पोजीशन बनानी नहीं आती थी इसलिए अलका अपनी जगह से उठी और वो उसकी पोजीशन ठीक करवाने लगी। उसने उसके हाथ थोड़े से आगे को पुश किए और उसकी कोहनी तक उसके हाथ टेबल से सटा दिए। अब उसकी पतली कमर एक कर्व में आगे की तरफ झुक गयी और उसकी गाण्ड थोड़ी और ऊपर उठ गयी। अब अल्को पीछे आई और उसके घुटनों को थोड़ा खोल दिया और उसको अपनी गाण्ड और उठाने के लिए बोला। सरिता पूरी रंडियों की तरह उसकी सब बातें मान रही थी।
सरिता अब कुतिया के जैसे टेबल पर बैठी थी उसकी छोटी-छोटी चूचियां नीचे लटक गयी थीं और उसकी गाण्ड ऊपर उठ गयी थी। उसकी गाण्ड थोड़ी सी खुल गयी थी और उसकी गाण्ड का बहुत छोटा पिंक टाइट छेद उसके गोरे चूतड़ों में अब साफ दिख रहा था। उसकी छोटी सी नाजुक कुँवारी चूत भी बाहर को निकल आई थी और चुदवाने के लिए तैयार थी।
अब अलका ने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाली और उसको ऊपर की तरफ खींचा तो सरिता उतने में ही चिल्ला पड़ी। अलका बोली- “बस… अब हिलियो मत, एकदम ठीक पोजीशन है…” फिर वो अपने जगह वापिस आ गयी।
सरिता पूरी नंगी थी और अब पूरी तरह से अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई के लिए एकदम तैयार थी। उधर जीतू और उसके दोस्त भी अपनी पैंट उतार चुके थे और अपने-अपने लण्ड को खड़ा कर रहे थे। सबसे पहले जीतू सरिता के मुँह की तरफ गया और उसकी चूचियां मसलने लगा। दूसरे हाथ से उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया जो एकदम लोहे की रोड की तरह खड़ा था और करीब 9 इंच लंबा और 1½ इंच मोटा था।
सरिता उसको देखकर घबरा गयी।
जीतू बोला- “चल मेरा लण्ड मुँह में डाल और अच्छे से इसकी सफाई कर दे…” और वो अपना लण्ड उसके होठों पर रगड़ने लगा।
सरिता ने यहाँ फिर गलती कर दी और उसने अपना मुँह मोड़ लिया।
अब जीतू को और गुस्सा आ गया। उसने अलका को बुलाया और कहा- “अलका, ये साली रांड़ लण्ड नहीं चूस रही है जरा इसके हाथ पकड़…”
अलका ने सरिता के हाथ पकड़ लिए और इससे पहले सरिता और मैं भी कुछ समझ पाते, जीतू ने अपनी बेल्ट के दो फोल्ड किए और सरिता की छोटी सी गोरी और कमसिन गाण्ड पर बेल्ट की बरसात कर दी। सरिता अब चिल्लाने लगी- “अया… उऊः आह… आईईई… आह… बस माफ कर दो आआअह्ह… माँ आह्ह…”
सरिता की छोटी सी गाण्ड एकदम लाल हो गयी, और वो जोर-जोर से रोने लगी।
अब अलका बोली- “देख, अब मान जा की तू रंडी बन गयी है और वैसे भी रंडी बनने में कोई कसर बाकी रही नहीं। अब जल्दी से सबके लण्ड चूस…”
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Update 3
सरिता ने भी अब अपनी गरदन हिला दी और अब फिर से तैयार हो गयी। उसकी गाण्ड अभी भी एकदम लाल थी। अब जीतू पूरा नंगा होके अपना 9” का मोटा लण्ड लेकर उसके मुँह के सामने खड़ा था और मेरी सरिता ने अपना पूरा मुँह खोल दिया। लण्ड उसके मुँह में समा गया और वो धीरे-धीरे उसे चूसने लगी।
अब अलका ने बाकी बचे लड़कों से कहा- “अरे वो लड़की अपनी चूत निकालकर बैठी है तुम में से कोई उसकी चूत चाटना नहीं चाहता?”
बस फिर क्या था सबके सब सरिता पर टूट पड़े और उसको चारों और से घेर लिया। एक ने उसकी चूत को पीछे से चाटना शुरू किया और क्यूंकी पहली बार किसी ने सरिता की चूत को चूसा था तो उसने अपनी गाण्ड और चूत को थोड़ा सा अंदर सिकोड़ लिया और दूसरे ही पल फिर बाहर छोड़ दिया।
अलका भी आ गयी और सरिता की गाण्ड को सहलाने लगी और उसको बोली- “शाब्बास बहुत जल्दी सीख रही है, वैसे ही इतना नाटक कर रही थी। बस अभी मजा आने लगेगा…” और उसने उसके मुँह से जीतू का लण्ड छीन लिया और जीतू का लण्ड जोर-जोर से चूसने लगी।
जीतू ने अलका को दूर फेंक दिया और बोला- “साली, पहले इसको चोदने दे, तुझे तो रोज ही चोदता हूँ…”
अब तक सरिता के मुँह में एक और लण्ड जा चुका था और दूसरा लड़का उसकी चूत में अपनी गरम जीभ से सफाई कर रहा था। अब सरिता भी गरम होने लगी थी और उसकी चूत से पानी बाहर आने लगा था। उसका पूरा बदन डर और उत्तेजना से काँप रहा था। वो शायद अपने आपको ऐसी हालत में सोचकर गरम हो रही थी और अब उसकी ठरक उसकी शर्म के उपर चढ़ चुकी थी।
अब वो घड़ी आ गयी थी जिसका मैं बेसब्री से इंतजार कर रहा था।
जीतू ने सबको पीछे किया और अपने बड़े से लण्ड को सरिता की गरम और गीली चूत पर रखा दिया। सब लोग सरिता के मुँह की तरफ देख रहे थे। जीतू धीरे-धीरे अपना लण्ड चूत के ऊपर रगड़ रहा था और सबकी साँसों की आवाजें जोर-जोर से कमरे में गूँज रही थी। सरिता अब भी काँप रही थी और लंबी-लंबी साँसें ले रही थी। वो एकदम डरी हुई थी और उसने टेबल को कसकर पकड़ रखा था और अपनी आँखें बंद कर रखी थी। जीतू उसकी चूत से मानो खेल रहा था और सरिता हर पल और टरकी होती जा रही थी।
अलका ने उसके मुँह में से लण्ड बाहर निकल दिया और बोली- “देख, अब तेरी चूत की चुदाई शुरू हो रही है और तेरा परदा भी टूटेगा, इसलिए चिल्लैयो मत… दर्द तो होगा लेकिन थोड़ी देर ही… बस अब जीतू भाई अंदर डालेंगे, ठीक है…”
और सरिता ने अपनी साँस रोक ली और हाँ में सिर हिलाया और टेबल को कसकर पकड़ लिया। सब लोग ध्यान से सरिता का मुँह देख रहे थे। सब लोग चुप थे और सरिता की पहली चुदाई के झटके को देखने के लिए बेताब थे। जीतू ने उसकी कमर पकड़ी और धीरे से अपने लण्ड का टोपा उसकी चूत में घुसा दिया।
सरिता जोर से चिल्लाई- “ओह्ह… माँ आह्ह…” और टेबल को कस के पकड़ लिया। उसके चेहरे पर सलवटें पड़ गयी और उसने अपने होंठ दाँतों में दबा लिए।
अब जीतू ने दूसरा धक्का मारा और उसका आधा लण्ड बड़ी मुश्किल से उसकी छोटी सी चूत में घुस गया। जीतू भी दर्द से तड़प उठा और उसकी भी आह्ह निकल गयी।
मेरा लण्ड भी फटने वाला हो गया। सरिता का दर्द से बुरा हाल था और वो जीतू का लण्ड निकालना चाहती थी लेकिन अलका ने उसके हाथ पकड़ रखे थे। सरिता के पूरे बदन पर पसीने की बूंदे उभर गयी उसने शायद इतना दर्द कभी नहीं सहा था।
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Update 4
मेरा लण्ड भी फटने वाला हो गया। सरिता का दर्द से बुरा हाल था और वो जीतू का लण्ड निकालना चाहती थी लेकिन अलका ने उसके हाथ पकड़ रखे थे। सरिता के पूरे बदन पर पसीने की बूंदे उभर गयी उसने शायद इतना दर्द कभी नहीं सहा था।
अब जीतू ने लास्ट झटका मारा और बोला- “बेहन की लोडी… ये ले…”
और सरिता दर्द से पागल हो गयी और अपना सर पटकने लगी। अब पूरा लण्ड उसकी चूत में था और जीतू भी दर्द से कराह रहा था।
अलका ने जीतू को थोड़ा होल्ड करने को कहा और सरिता से बोली- “सरिता, हिम्मत से काम ले और शांत हो जा पच्च-पुच्च… अभी तो शुरू हुआ है…”
फिर अलका मुश्कुराई और जीतू से बोली- “जीतू भाई, बस अब रुकना मत… इसकी तो पहली चुदाई है ये तो चिल्लाएगी ही…”
और जीतू ने अपना लण्ड बाहर की तरफ खींचना शुरू किया। सरिता के माथे से पसीना टपक रहा था और वो चीख रही थी- “ओह्ह… माँ अह्ह… बसस्स आराम से करो… मैं मर जाऊँगी… आअह्ह… अलका प्लीज़्ज़… आह्ह…”
सरिता की चूत इतनी टाइट थी की पूरी तरह से लण्ड से ठुंसी थी और उसकी चूत की चमड़ी भी लण्ड के साथ अंदर-बाहर हो रही थी। अब जीतू ने उसकी चुदाई तेज कर दी और उसकी गाण्ड की पिटाई भी करने लगा। उधर अलका भी नंगी होकर अपनी चूत चुदवाने लगी। सरिता अलका को भी देख रही थी जो आराम से चुदवाने का मजा ले रही थी।
अब सरिता को थोड़ा मजा आ रहा था, चूत गीली होने से उसका दर्द थोड़ा वीर्य होने लगा और वो भी चुदाई का मज़ा लेने लगी और सिसकने लगी- “आहम्म्म… ओह्ह… बस्स्स… आह्ह उम्म्म्म…” और थोड़ी ही देर में सरिता का पानी झड़ गया।
10 मिनट हो चुके थे और जीतू भी झड़ने वाला हो गया था। उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और सरिता के मुँह की तरफ भागा। सरिता को सिर्फ़ कुछ पलों का आराम मिला और एक दूसरा बड़ा लण्ड जो उसकी चूत को फाड़ने की लिए तैयार था उसकी चूत में घुस गया। सरिता ने फिर दर्द से अपना मुँह खोल दिया और इतने में ही जीतू ने अपना गीला लण्ड सरिता के मुँह में डाल दिया।
अलका सब देख रही थी और वो बोली- “जीतू भाई, इसको पूरा वीर्य खिलाओ। कुतिया का मुँह बंद कर दो नहीं तो थूक देगी…”
और जीतू ने सरिता के जबड़े को दबा दिया और उसका गला पकड़कर पूरा वीर्य उसके मुँह में भर दिया। वो गूं-गूं-गूं करने लगी मानो वीर्य को बाहर थूकना चाहती हो। लेकिन वो ज्यादा देर वीर्य अपने मुँह में नहीं रख पाई और एक हल्के से घूंट के साथ सारा निगल गयी। अब जीतू ने अपना लण्ड उसके मुँह से बाहर निकाला। सरिता अब भी दर्द से कराह रही रही थी और अब उसके होंठों के साइड से जीतू का थोड़ा सा वीर्य चू रहा था। सरिता की चुदाई अभी भी ट्रेन के एंजिन की तरह चल रही थी।
इस बार वो लड़का 5 मिनट में ही झड़ गया और वो भी लण्ड निकालकर सरिता के मुँह की तरफ बढ़ा। सरिता पहले ही समझ गयी थी और ना ना करने लगी। लेकिन ना ना करते भी उसके लड़के का लण्ड उसके मुँह में घुस गिया यगा और उसने भी गरम-गरम वीर्य उसके मुँह में उड़ेल दिया। सरिता ने थोड़ा उसको खाया और थोड़ा उसके मुँह से टपक रहा था।
अब तीसरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया और सरिता फिर से थोड़ी सी गरम हो गयी। अब वो चुदाई का मज़ा ले रही थी।
उधर अलका भी एक बार झड़ चुकी थी। वो सरिता के पास आई और बोली- “दर्द कम हुआ?
सरिता ने टूटती हुई आवाज में कहा- “हाँ… कम हो गय्या…”
अलका बोली- “चुदाई का मजा आ रहा है?”
और सरिता ने मानो शर्माकर सिर्फ़ अपना सिर हिला दिया।
अब जीतू बियर पीने लगा और सरिता के पास आया और बोला- “सरिता…”
सरिता ने कहा- “हाँ जी…”
जीतू- कैसा लग रहा है तुझे?
सरिता ने कोई जवाब नहीं दिया मानो वो अपनी चुदाई में बहुत व्यस्त हो।
जीतू ने उसके बालों से उसे पकड़ा और उसका सिर ऊपर उठाकर पूचा- बोल कैसा लग रहा है?
और सरिता बोली- “अच्छा सर…”
जीतू- और चुदाई करें?
सरिता कुछ नहीं बोली और पीछे से हो रही चुदाई के झटके सहती रही।
जीतू बोला- “बोल मैं रंडी हूँ…”
सरिता चुप रही।
जीतू ने एक जोर का चांता उसके गाल पर जड़ दिया और फिर बोला- “बोल मैं रंडी हूँ…”
इस बार सरिता धीरे से बोली- “मैं रन…दी हूँन…”
अब जीतू बोला- “बोल मुझे जोर-जोर से चोदो…”
और इस बार सरिता ने बिना किसी नखरे के बोल दिया- “मुझे जोर-जोर सए चोओदो…” अब सरिता की हालत पस्त होने लगी थी और तीसरा लड़का भी झड़ गया था। लेकिन अभी तो 4 और बाकी थे।
जीतू ने बोला- “अब एक काम करो, इसको लण्ड पर बिटाओ…” फिर जीतू ने चौत लड़के को बोला- “तू इसके नीचे घुस जा और अपने लण्ड की सवारी करवा…”
सरिता ने बड़े आराम से उनकी बात मान ली और उस लड़के के लण्ड पर चढ़ गयी। उसने उसका लण्ड अपने आप अपनी चूत के नीचे रखा और धीरे से उसे अंदर लेने लगी। ये तो और भी दर्दनाक था और वो फिर से चिल्लाने लगी- “आह्ह… उह्ह… माँ, बहुत दर्द हो रहा है…”
लेकिन अब किसी को उसके चिल्लाने का कोई फरक नहीं पड़ रहा था। उसकी चुदाई होते हुए पूरा सवा घंटा हो चुका था। अब पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस चुका था और उसकी चुदाई फिर से चालू हो चुकी थी। वो पस्त होकर उस लड़के पर गिर गयी। अब जीतू भी फिर उठा और अपना लण्ड खड़ा करने लगा, और अब वो उन दोनों के ऊपर चढ़ गया।
अलका बोली- “जीतू भाई, दो लण्ड नहीं ले पाएगी…”
जीतू बोला- “मैं इसकी गाण्ड मारने जा रहा हूँ…”
इस पर अलका फौरन सरिता के पास पहुँची और बोली- “तू तो गयी अब… लेकिन घबरा मत, थोड़ा दर्द होगा। अपनी गाण्ड जितनी खोल सकती है खोल…”
और सरिता ने हल्की सी आवाज में अलका से पूछा- अब क्या बाकी है? क्या करेंगे जीतू जी?
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Update 5
तब अलका ने उसे बताया की अब उसकी गाण्ड की चुदाई होगी और वो सरिता को फिर से तैयार करने लगी। उसने फिर से उसको एक कर्व में झुकाया और उसकी टाँगों को मोड़वा दिया। अब सरिता फिर से तैयार थी। उसकी गाण्ड ऊपर उठ गई थी और नीचे से चल रही चुदाई के झटकों से बार-बार ऊपर आ रही थी। अब सब उसके मुँह की तरफ देख रहे थे।
अलका मुश्कुराकर बोली- “जीतू भाई, आज लगता है इसको पूरी रांड़ बनाकर ही दम लोगे?
और जीतू भी मुश्कुरा दिया। अब जीतू ने सरिता की छोटी से लाल गाण्ड को अपने हाथों से सहलाया और उसके चूतड़ों को दबाने लगा। सरिता अब लंबी-लंबी साँसें भर रही थी। नीचे वाले लड़के ने उसकी चूत की चुदाई थोड़ी देर के लिए रोक दी थी। अब सब तैयार थे।
जीतू ने बड़े प्यार से उसकी छोटी सी गाण्ड को अपने अंगूठे और एक उंगली से चौड़ा किया और अपने लण्ड का टोपा उसकी गाण्ड के डार्क पिंक छेद पर रखा दिया। जीतू ने थोड़ा दम लगाया और सरिता ने आँखें बंद कर लीं, लेकिन उसकी गाण्ड इतनी छोटी और टाइट थी की लण्ड अंदर नहीं जा पाया। इस बार जीतू ने अपने लण्ड पर थूका और उसकी चूत से थोड़ा पानी अपनी उंलगी पर लेकर उसकी गाण्ड के छेद पर मला। जीतू ने फिर से कोशिश की और इस बार टोपा अंदर गाण्ड में घुस गया।
और सरिता चिल्लाई- “आआयईई… माँ मैंईई मर्र्रर गययी…”
सब मुश्कुराने लगे और अलका बोली- “जीतू भाई, बस रगड़ दो कुतिया की गाण्ड को…”
और अब जीतू ने मानो पूरी ताकत के साथ सरिता की गाण्ड मारनी चालू कर दी। नीचे वाले लड़के ने भी चुदाई शुरू कर दी।
अब सरिता जोर-जोर से म्माँ माँ चिल्लाने लगी।
लेकिन जीतू और तेज होता गया। सरिता की गाण्ड पूरी तरह से फट गयी थी और अब उसकी गाण्ड से खून भी निकालने लगा था।
अलका ने पांचवें लड़के से बोला- “अरे तू ऐसा कर कि इसका मुँह भर दे…”
और अब तीनों छेदों में सरिता की चुदाई चल रही थी। नीचे से छप-छप की और ऊपर से ठक-ठक की आवाज आ रही थी, जबकि उसके मुँह से गों-गों-गों की आवाज आ रही थी।
अब जीतू फिर से झड़ने वाला था तो उसने अपना लण्ड सरिता की गाण्ड से खींचा और उसकी गर्दन पर बारिष कर दिया।
अब चौथे लड़के की बारी थी जो बहुत देर से इंतेजार कर रहा था। उसने भी जीतू भाई की तरह गाण्ड को चुना और सातवें ने चूत को।
इस बार सरिता की फिर से पोजीशन चेंज कर दी गयी। उसको एक मिनट के लिए फर्श पर खड़े होने को बोला, और वो ऐसे खड़ी हो गयी जैसे सब कुछ नार्मल है। उसको इस बात का कुछ भी अहसास नहीं हुआ की वो 7 नंगे लड़कों के बीच में एकदम नंगी खड़ी है और करीब दो घंटों से उसका रेप चल रहा है। वो अपना पसीना पोंछने लगी।
अब छठा लड़का टेबल पर बैठ गया और बोला- “सरिता जी। आ जाओ जल्दी से…”
और सरिता फिर से टेबल पर चढ़ गयी। अब छठे लड़के ने कहा- “ऐसा कर सरिता, मेरा लण्ड अपनी गाण्ड में ले ले…”
इस पर वो फिर से घबरा गयी और बोली- “आप लोग आगे से कर लो, पीछे बहुत दर्द हो रहा है…”
इस पर उस लड़के ने बिना किसी तरस के सरिता के चूचुक पकड़े और जोर से खींचने लगा।
सरिता दर्द से चिल्लाने लगी- “आऐयईई… प्लीज़्ज़ छोड़ो… अल्ल्लका प्लीज़्ज़ कुछ कहो…”
अलका बोली- “साली कुतिया, क्यूँ नखरा कर रही है? जैसा तुझे बोल रहे हैं वैसा ही कर…”
सरिता मरती क्या ना करती और वो उसके 8 इंच मोटे लण्ड पर अपनी गाण्ड रखकर बैठने लगी, जैसे-जैसे लण्ड गाण्ड में जा रहा था सरिता जोर-जोर से चिल्ला रही थी। अब पूरा लण्ड अंदर जा चुका था और वो एक मेढक की तरह लण्ड पर बैठकर फुदक रही थी।
अब सातवां लड़का आया और उसने सरिता की दोनों टाँगें अपने हाथों में पकड़ ली। सरिता भी पीछे की तरफ झुक गयी और अपने हाथ नीचे वाले लड़के के कंधों पर रख लिए। नीचे वाला बंदा उसकी गाण्ड में झटके दे रहा था और साथ-साथ उसके छोटे-छोटे चूचे मसल रहा था। अब सातवें लड़के ने उसकी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया।
इस बार सरिता को दर्द नहीं हुआ, शायद उसकी चूत अब चौड़ी और ढीली हो गयी थी। अब फिर से सरिता के दोनों छेदों में चुदाई चालू हो गयी।
अलका ये सब देखकर अपनी चूत में उंगली डाल रही थी। अब वो भी पूरी नंगी होकर टेबल पर चढ़ गयी और उसने अपनी चूत सरिता के मुँह पर रख दी और बोली- “चल्ल इसको अच्छे से चाट…”
और सरिता ने अपनी जीभ बाहर निकाली और कुत्ते की तरह अलका की चूत का पानी चाटने लगी। सरिता पूरी मस्त हो गयी थी और सिसक कर रही थी, और थोड़ी ही देर में उसने अलका की पूरी चूत अपनी होठों में दबा ली और आम की तरह उसे चूसने लगी। थोड़ी ही देर में अलका का पानी सरिता के मुँह में झड़ गया और मेरा पानी भी झड़ गया।
उन दोनों लड़कों ने भी अपने लण्ड बाहर निकाल लिए और सरिता को नीचे जमीन पर फेंक दिया। वो अधमरी हालत में फर्श पर पड़ी थी। अब सबने उसके चारों तरफ घेरा बनाया। दोनों लड़कों ने अपने लण्ड की पिचकारी सरिता के चेहरे और छाती पर छोड़ दी।
अब जीतू ने उसके बाल पकड़कर उसको उठाया और बोला- “क्यूँ कुतिया, फिर थप्पड़ मरेगी किसी को?
सरिता कुछ बोली नहीं।
अब जीतू बोला- “कल से तू रोज क्लास में जाने से पहले मेरे पास आएगी और तेरी चूत मुझे हमेशा शेव्ड मिलनी चाहिए। अब चल सबका लण्ड चूस के अच्छे से साफ कर…”
वो अपने घुटनों पर बैठी और एक-एक करके सबके लटके हुए लण्ड चूस-चूस कर साफ करने लगी।
अलका ने अपने कपड़े पहन लिए थे। वो सरिता के पास आई और बोली- “किसी को मत बतइओ, बदनामी तेरी ही होगी और हर लड़की के साथ ये होता है…” अब वो सरिता को फिर से टेबल पर ले गयी और बोली- “चल जरा दिखा हालत अपनी चूत की…”
सरिता ने टेबल पर लेटकर अपनी टांगें खोल दीं। सब उसकी फटी हुई चूत देखने के लिए पास आ गये। जीतू ने चूत को पकड़ा और दबाकर देखा, सरिता की चूत दोनों तरफ से सूज के मोटी हो गयी थी और एकदम लाल थी, जीतू ने उसकी टांगें और ऊपर उठाई और उसकी गाण्ड भी देखी। गाण्ड का तो हाल और भी बुरा था, छोटी सी गाण्ड का छेद एकदम बड़ा हो गया था और उसमें से लाल-लाल पानी बाहर आ रहा था। जीतू उसकी गाण्ड और चूत देखने के बाद अलका से बोला- “मेरे ख्याल से ठीक ठाक चुदाई हुई है कुतिया की लेकिन मुझे लग रहा है एक-एक बार चूत और मारनी चाहिए…”
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Update 6
अलका हँस पड़ी और बोली- “तुम मानोगे तो हो नहीं और वैसे भी अब तो इसके साथ कुछ भी करो…” और ये कहकर उसने सरिता को बोला- “सरिता चल एक राउंड और होगा अभी जल्दी से टेबल पर चढ़ जा…”
इस पर सरिता एकदम डर गयी और बोली- “प्लीज़्ज़… अब बस करो, मेरी गाण्ड में बहुत दर्द हो रहा है…”
तब जीतू बोला- “ठीक है, हम सब सिर्फ़ तेरी चूत ही चोदेंगे पर तुझे इस बार सबका वीर्य खाना पड़ेगा…”
और सरिता ने हाँ में सर हिला दिया। वो फिर से टेबल पर चढ़ गयी और कुतिया बनकर अपनी चूत को परोस दिया और बोली- “जीतू चोदो मुझे…”
और फिर से उसकी चुदाई शुरू हो गयी, अब तक उसकी चुदाई होते 3 घंटे बीत चुके थे और वो अब भी दर्द से चिल्ला रही थी। अब सब थक चुके थे, सरिता अधमरी हालत में टेबल पर वीर्य में लथफथ पड़ी थी और धीरे-धीरे अपनी चूत को सहला रही थी।
सबने अपने कपड़े पहन लिए।
सरिता अब भी नंगी थी और आँखें झुकाए बैठी थी। उसने अलका की तरफ देखा और बोली- अब मैं जाऊँ?
इस पर अलका ने उसके कपड़े उठाने शुरू किए। पर अचानक ही अलका के दिमाग में फिर कुछ आ गया और उसने सरिता के कान में कुछ कहा। जिसे सुनकर सरिता थोड़ी मुश्कुराई और ना में गर्दन हिलाने लगी। इस पर अलका बोली- “अरे आखिरी काम है कर ले जीतू भाई खुश हो जाएँगे…”
जीतू कोने में खड़ा अपनी शर्ट पहन रहा था और अचानक सरिता नंगी ही जीतू की तरफ बढ़ने लगी और जीतू के पास आकर बोली- “वो मैंईएन्न्न्…”
जीतू बोला- हाँ बोल क्या है…”
सरिता ने अपने गाल पर आते हुए बाल अपने कान के पीछे अटकाए और वहीं खड़ी रही।
इस पर अलका जीतू के पास आई और बोली- “जीतू ये थोड़ा चखना चाहती है…”
मैं भी कुछ समझ नहीं पाया, लेकिन जीतू समझ गया और बहुत खुश हुआ और बोला- “अरे सरिता तूने तो दिल जीत लिया, चल बैठ नीचे…”
सरिता नीचे बैठ गयी और जीतू ने फिर से अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और सरिता ने अपना मुँह बंद कर लिया अब और थोड़ी ही देर में सरिता मानो कुछ-कुछ गटक रही थी। और अब मैं समझ गया कि जीतू उसको अपना पेशाब पीला रहा था। अगले ही पल जीतू ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और उसका पेशाब सरिता के होंठों पर टपकता हुआ उसकी टाँगों पर भी गिरा।
अलका ने इस बार जोर-जोर से तालियां बजाई और सरिता मुश्कुराते हुए शर्मा गयी। अब वो अपने कपड़े पहनने लगी। सरिता अब एक रांड़ बन चुकी थी।
मैं जनता था की मैं ये सब कुछ रोक सकता था लेकिन शायद मैं ये सब कुछ देखना चाहता था और मैंने अपने आपको माफ कर दिया। आखिर ये दिन तो हर लड़की की ज़िंदगी में आता है कोई एक से चुदती है तो कोई अनेक से।
शाम को घर जाते वक़्त मैंने अपनी बहन को अलका के साथ देखा। अलका मेरी तरफ देखकर मुश्कुराई और बोली- “अब जीतू से डरने की कोई जरूरत नहीं है। अब तुम्हारी बहन उसकी…” इतना बोलकर वो बोली- “क्या बन गयी है वो तेरी बहन बताएगी…”
सरिता शरमाने लगी और बोली- “सिर्फ़ फ्रेंड…” और लड़खड़ाते हुए अलका के साथ कैंटीन में चली गयी।
मैं एक बार फिर अपनी बहन को चुदवाने जाने के लिए देखता रहा। ये एक असली घटना है और शायद तुममें से कोई उस कालेज में रहा हो, 10 साल पहले तो मुझे और सरिता को पहचान जाओगे। सरिता आज भी एक रंडी है और पता नहीं कहाँ-कहाँ चुदवाती होगी।
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Update 7
बेहेन सरिता का गैंगबैंग फिर से
मेरी बहन का गैंग रेप हुए कुछ ही दिन हुए थे और अब वोह कालेज के यूनियन रूम में रोज जीतू से मिलने जाती थी जहाँ उसकी रोज चुदाई हो रही थी।
जीतू की गर्लफ्रेंड अलका भी उसकी चुदाई के मजे लेती थी, एक दिन मेरी बहन यूनियन रूम में थी और जीतू उसको चोद रहा था, मेरी बहन के चिल्लाने की आवाज बाहर तक सुनाई पड़ रही थी, मैं यूनियन रूम की विंडो से अंदर देखने की कोशिश कर रहा था की तभी वहाँ अलका आ गयी।
और मुझे देखकर मुश्कुराने लगी, वोह बोली- “क्यूँ अपनी बहन की चुदाई देखना चाहता है क्या?”
मैं चुप रहा।
वोह फिर बोली- “शर्मा मत तेरी बहन तो वैसे भी कालेज की टाप रंडी बन चुकी है, तुझे अगर उसको चोदना है तो बोल, अभी इंतजाम कर देती हूँ…”
मैंने अपना सिर ना में हिला दिया और वहाँ से चला गया।
अगली सुबह अलका मेरे पास आई और बोली- “इस सनडे को सुबह 9:00 बजे मेरे घर पहुँच जइओ क्यूंकी 10:00 बजे तेरी बहन आएगी…”
मैंने पूछा- किसलिए?
तो वोह बोली- “तेरी बहन सरिता को पूरे दिन चोदने का प्रोग्राम बनाया है और काफी लोग आएँगे और अगर तू देखना चाहता है तो एक घंटा पहले आ जइयो। मैं तुझे पास के रूम में छुपा दूँगी जहाँ से तू पूरे दिन आराम से बैठकर सरिता की चुदाई देखियो…”
ये सुन मैं एकदम भौचक्का रह गया की सरिता पूरे दिन कैसे चुदेगी? क्यूंकी वोह एकदम पतली थी और उसकी गाण्ड और चूत के छेद बहुत छोटे थे। लेकिन पता नहीं क्यूँ मैं मना नहीं कर पाया। सनडे को मैं अलका के घर पहुँच गया। अलका मुझे ड्राइंग रूम में ले गयी जहाँ एक सोफा, एक स्टूल और एक टेबल रखी थी। पास में एक प्लास्टिक की रस्सी और एक बेंत की छड़ी भी पड़ी थी।
अलका ने मुझसे कहा की- “सब सरिता के लिए रखा है…”
मैंने उससे पूछा- “क्या मेरी बहन सरिता को इसके बारे में पता है?”
तो वोह बोली- “नहीं, उसको तो सिर्फ़ इतना पता है की जीतू उसको चोदने आ रहा है…”
थोड़ी देर में बेल बजी और मैं जल्दी से बराबर के रूम में छिप गया। मैंने देखा की करीब 12 मुस्टंडे आदमी अलका के घर में आ गये। वो सब शकल से मवाली लग रहे थे और सब हट्टे-कट्टे थे। तभी उन सबने अलका को 500-500 रूपये देने शुरू किए। ये देखकर मैं समझ गया की अलका ने मेरी बहन को रंडी के तरह सिर्फ़ 500 रूपये में बेच दिया है।
अलका मेरे पास अंदर आई और बोली- “तेरी बहन फ्री में रोज कालेज में चुदवाती है। आज वोह पहली बार कमाने वाली रंडी बनेगी…” और वो मुश्कुरा के बाहर बैठे 12 लोगों को सरिता के बारे में बताने लगी।
उसने कहा- “आज जो लड़की यहाँ आएगी उसका नाम सरिता हैं और सेकन्ड एअर की स्टूडेंट है, उसकी उमर 20 साल है, गोरी और एकदम चिकनी है। पर हाँ… लेकिन थोड़ी पतली है इसलिए जरा आराम से चोदना क्यूंकी उसके छेद बहुत टाइट हैं, बाकी थोड़ी बहुत चुदाई तो उसकी रोज होती है लेकिन इतना लंबा पहली बार चुदेगी। और हाँ जिसको जैसे भी चोदना हो वैसे चोदे, उसको मारो पीटो, पेशाब पिलाओ और गूः भी खिला सकते हो। मतलब जो दिल में हो करना बस जिंदा छोड़ देना…” और यह कहकर वोह उनके लिए दारू ले आई।
उन सबने दारू पीनी शुरू कर दी। अब 10:00 बज चुके थे और सबको सरिता के आने का इंतजार था, की तभी घंटी बजी और सबके चेहरे खिल गये। अलका ने आई ग्लास से देखा और कन्फर्म किया- “लीजिए भाई लोगों आपकी सरिता जी गेट पर आ गयी हैं…”
अलका दरवाजा खोलने ही वाली थी की एक आदमी बोला- “उसको बोलो की कपड़े बाहर गेट पर ही उतार दे और नंगी होकर अंदर आए…”
इसपर अलका हँसी और बोली- क्यूँ नहीं?
उसने सरिता को बोला- “सरिता, अपने कपड़े बाहर ही उतार दो और नंगी हो जाओ…”
इसपर सरिता की आवाज आई- “क्या कह रही हो अलका बाहर कोई भी आ जाएगा…”
लेकिन अलका नहीं मानी और बोली- “तो ठीक है तेरे घर पर जाकर सब बता आती हूँ…”
तब सरिता बोली- “अच्छा अच्छा उतारती हूँ। तू भी ना हमेशा मुझसे ऐसे काम करवाती है…” फिर सरिता पूरी नंगी होकर जोर से बोली- “अलका, प्लीज जल्दी दरवाजा खोल, मैं एकदम नंगी हूँ…”
इसपर अलका ने दरवाजा खोल दिया और सरिता रूम में अंदर आ गयी। वोह पूरी नंगी थी और उसके लंबे बाल दोनों ओर से उसकी छोटी-छोटी चूचियों को आधा छुपाए हुए थे। उसका पेट एकदम फ्लैट था और कमर एकदम पतली और चूत के ऊपर थोड़े से बाल थे। सरिता ने अपने कपड़े अपने हाथों में पकड़े थे। अब सरिता की नजर अंदर बैठे 12 आदमियों पर पड़ी जो उसको आँख फाड़कर देख रहे थे।
उनको देखकर सरिता एकदम दंग रह गयी और शर्म से पानी-पानी होने लगी। अब वोह अपने नंगे बदन को अपने कपड़ों से छुपाने लगी, और अलका की तरफ बड़ी रोती हुई सी सूरत बनाकर देखने लगी। अब वोह समझ गयी थी की अलका ने उसके साथ क्या चाल चली है।
अलका सरिता की तरफ देखकर मुश्कुराई और उसके हाथों से कपड़े छीनने लगी। और बोली- “क्या हुआ घबरा क्यूँ रही है, अरे पागल भूल गयी पहली चुदाई, उस दिन भी तो 7 लोग थे और अब तो यही तेरी जिंदगी है सरिता। चल हिम्मत से काम ले और पूरा मजा लेकर चुदवाना और हाँ रोना धोना नहीं है ओके…” यह कहकर उसने झटके से सरिता के सारे कपड़े छीन लिए और उसे एकदम निरा नंगा छोड़ दिया।
फिर उं मुस्टंडों से बोली- “अब आप लोगों के हवाले है प्लीज शुरू कीजिए…”
सरिता डरी और घबराहट से काँपने लगी और काँपती हुई आवाज में बोली- “प्लीज… मुझे जाने दो…” और रोने लगी।
और वोह भूखे भेड़ियों की तरह सरिता पर टूट पड़े। दो आदमियों ने बीच में से सेंटर टेबल हटा दी और सरिता को लाकर बीच में खड़ा कर दिया। अब एक आदमी बोला- “चल री रांड़ ग्लास में सबके लिए दारू डाल…”
सरिता वहीं खड़ी रही और अपनी चूचियां छुपाने की कोशिश करते हुए बोली- “प्लीज भाइ साहब मुझे चोदो मत मुझे बहुत दर्द होता है…”
इसपर चौथा बंदा उठा और उसने पास में रखी हुई बेंत की छड़ी उठा ली और सरिता की छोटी सी गाण्ड पर जोर से लगा दी, छड़ी पड़ते ही सरिता दर्द से तड़प उठी और चिल्लाई- “आईइ माँ अया… अया… आह…”
उस आदमी ने फिर अपना हाथ उठाया और सरिता लपक के सबके लिए दारू डालने लगी। उसकी चीख सुनकर अलका भी आ गयी और बोली- “क्या हुआ चिल्लई क्यूँ थी?”
तब पांचवें बंदे ने सरिता के बाल पकड़े और उसकी गाण्ड अलका को दिखाई। उसकी छोटी गाण्ड पर एक लंबी लाल लकीर थी और खाल भी उधड़ गयी थी।
अलका बोली- “अगर और नखरे करे तो इस कुतिया के हाथ पैर बाँध कर पीटना…”
थोड़ी देर में ही सरिता ने सबको 4-4 पेग पिला दिए और अब सभी 12 लोग नशे में उससे मजे लेने लगे। अब सबने अपने कपड़े उतारने शुरू किए और सभी 12 बंदे पूरे नंगे होकर अपना-अपना लण्ड तानने लगे। सबके लण्ड बड़े-बड़े, गंदे और मोटे थे और सभी सरिता की चूत में अपना लण्ड घुसाने को मचल रहे थे। सरिता बेचारी बड़ी डरी हुई सी अपने चारों और फूंकरते हुए बड़े-बड़े लण्ड देख रही थी। तभी एक आदमी ने उसे घुटनों के बल बीच में बैठने को कहा और वोह बैठ गयी।
अब सभी 12 बंदे सरिता के चारों तरफ घेरा बनाकर खड़े हो गये और सबने अपना अपना लण्ड सरिता के मुँह के सामने खड़ा कर दिया। सरिता चारों तरफ से लण्डों से घिर गयी, ऐसा लग रहा था मानो उसको लण्डों का गुलदस्ता दिया जा रहा हो।
अब अलका बोली- “चल रांड़ एक-एक करके चूसना चालू कर और 5 मिनट में किसी का भी लण्ड तेरे मुँह में नहीं झड़ा तो तुझे आज कोठे पर ले जाएँगे…”
कोठे का नाम लेते ही सरिता डर गयी और जल्दी से उसने एक लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और जोर-जोर से उसको चूसने लगी।
उधर अलका ने सामने एक घड़ी रख दी और बोली- “5 मिनट के ऊपर नहीं होना चाहिए…”
अब सरिता ने और जोर-जोर से लण्ड को चूसना शुरू कर दिया और पूरा लण्ड अपने मुँह में लेने लगी। उस आदमी का लण्ड भी एकदम फटने को हो गया और पूरा 10 इंच का बन गया, 3 मिनट में उस आदमी को मजा आने लगा और जल्दी ही उसने सरिता का गला पकड़ा और पूरे प्रेशर से अपना पूरा वीर्य सरिता के मुँह में भर दिया। वीर्य इतना सारा था की सरिता के मुँह से टपक रहा था।
तभी अलका बोली- “सुन रांड़ एक बूँद भी अगर नीचे टपकी तो तेरी गाण्ड में दो-दो लण्ड से चुदाई होगी…”
सरिता फिर डर गयी और उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और टपकते हुए वीर्य को चाटकर निगल गयी। अभी वोह साँस भी नहीं ले पाई थी की एक और 9 इंच का लण्ड उसके मुँह पर दस्तक देने लगा। सरिता ने फिर अपना मुँह खोल दिया और फिर से लग गई। अगले 20 मिनट में सरिता ने 5 लोगों के लण्ड चूस-चूसकर झाड़ दिए थे, लेकिन बाकी के लोग बोर हो रहे थे।
तब उनमें से एक ने बोला- “यार इसको खड़ी करो, मुँह से ये लण्ड चूसे लेगी और एक-एक करके हम इसकी गाण्ड भी मारते रहेंगे…”
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Update 8
यह सुनकर सरिता फिर से रोने लगी और बोली- “मैं तुम लोगों के आगे हाथ जोड़ती हूँ, पर पीछे से मत करो मुझसे सहा नहीं जाता…”
ये सुन सब हँसने लगे और अलका भी हँसने लगी। वोह सरिता के पास आई और बोली- “तू चिंता मत कर… आज जब तू यहाँ से जाएगी तब तेरी गाण्ड इतनी ढीली होगी की दो-दो लण्ड उसमें घुस जाया करेंगे…”
सरिता अब भी अपने हाथ जोड़े खड़ी और अपनी चूचियां छुपा रही थी।
ये देखकर अलका बोली- “भाइयों इसको शर्म बहुत आती है, इतने लण्ड चूसने के बाद भी, देखो कैसे शर्मा रही है। तो आप सभी लोगों से गुजारिश है की आज इसको एकदम बेशरम रंडी बना के ही यहाँ से जाने देना…”
इसपर सभी धीरे-धीरे हँसने लगे और तब एक आदमी उठा और उसने अपनी पैंट की जेब से एक छोटी सी बोतल निकाली जिसमें कुछ लाल रंग का लिक्विड भरा था। अब उसने उसका ढक्कन खोला और अपने हाथ में थोड़ा सा लिक्विड डाला। वो कुछ तेल जैसा था और उसकी गंध भी बड़ी अजीब सी थी। उसने वोह तेल अपने लण्ड पर मला और सोफे पर बैठ गया। अब वोह अपने लण्ड को दोनों हाथों से गोल-गोल रगड़ने लगा। थोड़ी देर में ही उसका लण्ड एकदम लाल हो गया और साइज में भी बढ़ गया।
सरिता भी ये सब देख रही थी और शायद सोच रही थी की आज तो उसकी दबा के चुदाई होगी।
अब उस आदमी ने सरिता का हाथ पकड़ा और बोला- “चल आ जा और मेरे लण्ड पर बैठ जा…”
बेचारी सरिता ने सोचा की सिर्फ़ बैठना है लेकिन उसने जैसे ही अपनी गाण्ड उस आदमी के ऊपर रखी उसने एकदम अपना लण्ड खड़ा कर दिया और वोह सरिता की गाण्ड में घुस गया। क्यूंकी सरिता पूरे वजन के साथ नीचे बैठी थी इसलिए उसका आधा लण्ड उसकी गाण्ड में घुस गया और सरिता इतनी जोर से चीखी की मैं भी एक मिनट को डर गया।
वो कुछ इस तरह से चिल्लाई थी- “आई… अफ… आफ… आह्ह्ह… आह… मर गयी, मर गयी, आह… मेरी माँ…”
उस आदमी ने सरिता को जोर से कमर से पकड़ लिया।
सरिता को दर्द से पसीने आने लगे। अब वोह पागलों जैसी लग रही थी और कह रही थी- “अलका बचाओ, अलका बचाओ, अलका बचाओ…”
ये सुनकर अलका उसके पास आई और बोली- “सरिता एकदम रिलैक्स हो जाओ कुछ नहीं हुआ है, शांत, शांत…"
5 मिनट में सरिता थोड़ी शांत हो गयी लेकिन दर्द से अभी भी सी… सी… कर रही थी। अब दूसरे आदमी ने बाकी का तेल सरिता के नंगे शरीर पर डाल दिया और अलका और वो दोनों उस तेल से सरिता की मालिश करने लगे। सरिता बेहोशी जैसी हालत में थी और अब वोह ना अपनी चूचियां छुपा रही थी और ना ही शर्मा रही थी, बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे अब वो मेंटली चुदाई के लिए तैयार हो चुकी थी। अलका और वो आदमी जोर-जोर से सरिता की चूचियां पर वोह तेल रगड़ रहे थे और धीरे-धीरे वोह आदमी जिसका लण्ड सरिता की गाण्ड में घुसा हुआ था, उसकी गाण्ड को सहला रहा था और धीरे-धीरे अपना लण्ड उसकी गाण्ड में और अंदर तक डालता जा रहा था।
थोड़ी देर में सरिता का मुँह और उसकी छाती एकदम लाल हो गयी और उसको बहुत गर्मी लगने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे वोह तेल किसी तरह का ठरक लाने वाला केमिकल था। अब सरिता बड़ी शांति से लंबी-लंबी साँसें ले रही थी और अपनी गाण्ड में घुसे लण्ड को एंजाय कर रही थी। तभी उसकी चूत से सफेद-सफेद गाढ़ा-गाढ़ा पानी आने लगा।
ये देखकर अलका बोली- “यह तो लगता है मस्त हो गयी है, बस अब आप सब लोग इसकी रगड़ाई शुरू करो…”
अब वोह आदमी जिसने अपना लण्ड सरिता की गाण्ड में डाल रखा था, उठा और सरिता को अपने नीचे ले आया। उसने उसको कुतिया की पोजीशन में सोफे पर खड़ा कर दिया और उसकी कमर पकड़कर उसकी गाण्ड को थोड़ा तेजी से चोदने लगा। सरिता का पतला चिकना गोरा नंगा बदन पसीने में चमक रहा था। उसके छोटे-छोटे गहरे गुलाबी रंग के चूचुक उसकी गोरी-गोरी चूचियों पर अलग ही दिख रहे थे।
और उसका पूरा पतला कमसिन नंगा बदन गाण्ड में चल रही चुदाई से आगे पीछे हो रहा था। अब सरिता सब कुछ भूलकर पूरा ध्यान अपनी चुदाई पर लगा रही थी। थोड़ी-थोड़ी देर में दर्द की वजह से उसके माथे पर सलवटें पड़ रही थीं और वोह हल्के-हल्के कराहने के साथ-साथ सिसक भी रही थी। कुछ इस तरह- “एयेए… आह्ह्ह… आह्ह्ह… एयेए… हाँ हाँ आह्ह्ह…”
ये सब देखकर मेरा लण्ड भी फटने को हो गया और मैं भी अपने कपड़े उतारकर नंगा हो गया और धीरे-धीरे मूठ मारने लगा।
तभी अलका मेरे रूम में आई और मुझे मूठ मारता देखकर दबी हुई आवाज में बोली- “तू बहुत ठरकी है, बाहर तेरी बहन की 12 लोग चुदाई कर रहे हैं और वो दर्द से मर रही है और तू मूठ मार रहा है…”
लेकिन मैं इतना उत्तेजित था की मैं बोला- “अलका, साली कुतिया को इतना चोदो की वो चलने के काबिल भी ना रहे।…”
इसपर अलका बोली- “उसकी चिंता मत कर अभी तो सिर्फ़ शुरू किया है रात के 9:00 बजे तक इसका यही हाल रहेगा और चाल तो इसकी आज हमेशा के लिए बदल जाएगी…”
उधर सरिता की फिर से चिल्लाने की आवाज आई। मैं और अलका ने एकदम से बाहर देखा तो नजारा कुछ इस तरह का था- सरिता को एक बंदे ने अपनी गोदी में उठा रखा था और सरिता की दोनों टाँगें उसकी कमर के दोनों तरफ बंधी हुई थी उसके नंगे चूचुक उस आदमी की छाती से रगड़ खा रहे थे। उसका लण्ड सरिता की चूत में घुसा हुआ था और दूसरा आदमी सरिता के पीछे खड़ा था और उसका मोटा काला लंबा लण्ड सरिता की गाण्ड में घुसा था। वोह दोनों सरिता को हवा में उछाल रहे थे और दोनों के लण्ड सरिता की गाण्ड और चूत को फाड़ रहे थे।
सरिता हर झटके में इस तरह चिल्ला रही थी- “आई… आई… बस मुझे नीचे उतारो…”
ये देखकर अलका बोली- “अब मजा आएगा…” और ये कह वो बाहर चली गयी।
10 मिनट हवा में चोदने के बाद उन्होंने सरिता को सोफे पर फेंक दिया और अब एक और आदमी आगे बढ़ा और सरिता के मुँह में अपना ढीला लण्ड घुसा दिया और बोला- “चल मेरी रांड़ चूस…”
सरिता ने एक अच्छी बच्ची की तरह झट से लण्ड मुँह में डाला और चूसने लगी।
अब अलका ने पास रखी लकड़ी की छड़ी उठाई और बोली- “सरिता जरा कुतिया बन और लण्ड मुँह से नहीं निकलना चाहिए…”
सरिता लण्ड को मुँह में रखे-रखे घूमी और सोफे पर कुतिया बन गयी।
अब अलका ने सभी आदमियों को देखा और एक कोने में खड़े बंदे से बोली- “आप आओ इधर, आपका सबसे बड़ा और मोटा है…”
जब वोह आदमी करीब आया तो मैं भी देखकर हैरान रह गया की किसी का लण्ड इतना बड़ा कैसे हो सकता है। वो कम से कम 10 इंच लंबा, दो इंच मोटा और एकदम सख़्त लण्ड था।
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अलका ने सरिता के हाथ कमर के पीछे खींच लिए और बोली- “सरिता, लण्ड मुँह से नहीं निकलना चाहिए…"
सरिता सिर्फ़ घुटनों के बल बैठी थी और कुतिया की पोजीशन में बड़ी मुश्किल से अपने आपको संतुलित करके अभी भी लण्ड को अपने मुँह में लिए थी। अब अलका ने मोटे लण्ड वाले आदमी को सरिता की गाण्ड के पीछे बुलाया और सरिता के हाथ उस आदमी को पकड़ा दिए।
और फिर बोली- “इसकी कलाइयां पकड़ो और जरा इसकी गाण्ड का छेद थोड़ा बड़ा करो…”
ये सुनकर मैं समझ गया की अलका वाकई मेरी बहन को आज हर सम्भव तरीके से चुदवाकर उसको बेशर्म रंडी बनाकर कोठे पर ले जाएगी।
अब सरिता का और बुरा वक़्त शुरू होने वाला था। उस आदमी ने सरिता के हाथ पकड़े और अपना बड़ा लण्ड उसकी गाण्ड के छेद पर रखा दिया और उसने सरिता के हाथों को पीछे की ओर खींचा और मोटा लंबा लण्ड एक इंच सरिता की गाण्ड में धंस सा गया।
तो सरिता ने इतना बड़ा मुँह खोला जैसे उसको गोली लग गयी हो और करीब 5 सेकेंड के बाद सरिता की चीख की आवाज उसके गले से बाहर आई- “अइया…” और बिलख-बिलख के रोने लगी और कहने लगी- “जो कहोगे करूँगी, भगवान के लिए ये मेरी गाण्ड से निकालो वरना मैं मर जाऊँगी। अलका प्लीज़…”
अब अलका जिसके हाथ में लकड़ी की डंडी थी बोली- “आए रंडी… मैंने तुझे बोला था ना की मुँह से लण्ड नहीं निकलना चाहिए…” और उसने सरिता की गाण्ड के ऊपर पूरी ताकत से 4 बार वोह डंडी जड़ दी।
सरिता अब और जोर से चिल्लाई क्यूंकी डंडी से उसके चूतड़ की खाल उतर गयी थी और उधर वो मोटा लण्ड उसकी गाण्ड को फाड़ रहा था। लेकिन डंडी की मार से वो गाण्ड का दर्द भूल गयी और झट से अपने मुँह में उसने सामने वाले आदमी का लण्ड ले लिया। अब सरिता अपनी गाण्ड का दर्द सह रही थी और लण्ड भी चूस रही थी।
उधर मोटे लण्ड वाला बंदा भी दर्द से कराह रहा था, उसका लण्ड इतना मोटा था की बड़ी मुश्किल से अंदर-बाहर हो रहा था। थोड़ी ही देर में उसका लण्ड खून से सन गया।
तब अलका बोली- “बस अब निकल लो… लगता है इसकी गाण्ड फट गयी है…”
और जब उसका लण्ड बाहर आया तो मेरी बहन की गाण्ड का छेद इतना बड़ा हो गया था की उसमें एक गोल्फ की बाल चली जाए और उसकी गाण्ड से खून भी टपक रहा था। सरिता डंडी की मार से इतना डर गयी थी की अभी भी लण्ड मुँह में लिए थी।
अब अलका ने सरिता को फे्श पर खड़ा किया और बोली- “लण्ड चूसती रह और एक टाँग पर आगे की ओर झुक कर खड़ी हो जा…”
सरिता ने ये पोजीशन बनाने की कोशिश की लेकिन नीचे गिर पड़ी।
इसपर अलका को बहुत गुस्सा आया और वो सरिता के छोटे-छोटे काले चूचुक पकड़कर उठाने लगी।
सरिता बोली- “आह… मैं उठ रही हूँ, अलका मेरे चुचे छोड़ो… दर्द होता है…”
अब अलका ने फिर से उसकी पोजीशन बनाई लेकिन इस बार मोटे लण्ड वाला आदमी सरिता के पीछे आया और उसने उसको कमर से पकड़ लिया और उसकी एक टाँग उठाकर अपने हाथ में सीधी पकड़ ली। अलका ने सरिता को आगे की तरफ झुकाया और उसे लण्ड चूसने को कहा।
सरिता आगे झुकी और उसने सामने वाले आदमी की जांघें पकड़ी और उसका लण्ड अपने मुँह में ले लिया। अब सरिता सिर्फ़ एक टाँग पर खड़ी थी। अब बारी थी चूत की, तो मोटे लण्ड वाले ने सरिता की चूत में अपना लण्ड घुसाना चालू किया।
और जैसे-जैसे लण्ड सरिता की चूत में घुस रहा था, वैसे-वैसे सरिता दर्द से बोलती- “आह्ह्ह… आह्ह्ह… आह…” अब सरिता पूरे पोज में थी और थोड़ी गरम भी हो गयी थी।
मोटे लण्ड वाले ने सरिता की चूत को ठोंकना शुरू कर दिया, और भी जोर-जोर से सरिता की चुदाई होने लगी। उधर तीसरा आदमी आगे बढ़ा और सरिता के चूतड़ सहलाने लगा और उसके चूतड़ों को अपनी जीभ से चाटने लगा। चौथा आदमी सरिता की छाती के नीचे आ गया और उसने उसको कमर से पकड़ा और उसके छोटे-छोटे नीचे लटकते चूचों को मुँह में डालकर चूसने लगा।
पूरा दृश्य बहुत गरम लग रहा था। सभी आदमी बहुत मस्त होकर सरिता की कमसिन और चिकनी जवानी का भरपूर अंनद ले रहे थे, सरिता भी बड़ी मस्त होकर लण्ड चूस रही थी, वोह भी एक ही टाँग पर खड़े रहकर। जबकि मोटे लण्ड वाला बंदा ठकाटक उसकी चूत ठोंक रहा था।
अलका ये सब देखकर सरिता के पास गयी और बोली- “शाब्बास… लगी रह मेरी रांड़ और पूरा मजा ले 12 लण्डों का। किसी-किसी लड़की को ही ऐसा दिन नसीब होता है…” यह कहकर अलका मेरे रूम में आ गयी।
मैं अभी भी अपना लण्ड हाथ में लिए मूठ मार रहा था।
अलका मेरे पास आई और पूछा- अपनी बहन को चोदेगा?
मैंने कंपकंपाती आवाज में कहा- लेकिन वो मुझे देखेगी तो?
अलका बोली- “चिंता मत कर… थोड़ी देर में उसकी आँखों पर पट्टी बांधेंगे, तब तू चुपचाप उसको चोद दियो…”
और मैंने हाँ में अपना सिर हिला दिया।
अब अलका वापिस बाहर चली गयी और एक मोटा सा खीरा अपने हाथ में लेकर आई और बोली- “सरिता की चीख के बिना सब सूना-सूना लग रहा है, जरा कुतिया को कस के पकड़ना, मैं इसकी गाण्ड थोड़ी और खोलती हूँ…” और ये कहकर अलका ने सरिता की छोटी से घायल गाण्ड में एक मोटा खीरा घुसाना शुरू कर दिया।
मारे दर्द के सरिता एक टाँग पर उछलने लगी और कहने लगी- “बस-बस रहम करो… अलका, मैं मार जाऊँगी, मुझे बहुत दर्द हो रहा है…”
ये सुन अलका ने आधे अंदर घुसे खीरे पर एक धक्का मारा और वो पूरा सरिता की गाण्ड में घुस गया।
और सरिता जोर से चिल्लाई- “प्लीज़्ज़… निकालो इसको…”
अब अलका बोली- “बस इसको थोड़ी देर अंदर रख फिर तेरी गाण्ड में दो लण्ड घुसेंगे। चलो भाइयों लगे रहो, मैं आप लोगों के लिए और ड्रिंक्स लाती हूँ…” और अलका अंदर चली गयी।
लेकिन सरिता की फुद्दी की चुदाई अब और जोर से होने लगी थी। मोटे लण्ड वाला आदमी अब हाँफने लगा था और उसकी चूत में लंबे-लंबे झटके मार रहा था, जबकि नीचे बैठा आदमी सरिता के दोनों मम्मे जोर-जोर से रगड़ रहा था।
उधर सरिता अपने मुँह में फँसे लण्ड को मस्त होकर चूस रही थी। सभी लोग मजा ले रहे थे और मैं भी झड़ने वाला था।
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Update 10
तभी अलका ड्रिंक लेकर आई और सबको इतना मस्त देखकर वोह मोटे लण्ड वाले से बोली- “आपका झड़ने वाला है तो अब आप सरिता के मुँह में अपना लण्ड डालिए…”
और पाँचवा आदमी उसकी जगह सरिता की चूत चोदने लगा। मोटे लण्ड वाले ने अपना लंबा तना हुआ गीला लण्ड सरिता को चूसने के लिए दे दिया और वो उसे मुँह में लेकर चूसने लगी। बस थोड़ी देर में मोटे लण्ड वाले ने करीब 100 एम॰एल॰ वीर्य सरिता के मुँह में झाड़ दिया।
सरिता का मुँह पूरी तरह से भर गया।
अलका फारन बोली- “हे कुत्ती रांड़, सारा पी जा नहीं तो डंडे मारूँगी…”
और सरिता गपक करके सारा वीर्य पी गयी। अब वो अगला लण्ड चूसने को तैयार थी जो की उसके मुँह में समा चुका था।
उधर अलका रसोई से एक कटोरी में थोड़ी चीनी ले आई।
अब उसने सरिता की फिर से पोजीशन चेंज करवा दी। अब सरिता की गाण्ड में फँसा खीरा बाहर निकाला गया जो की सरिता की टट्टी और खून में सना था। दर्द के मारे शायद सरिता की टट्टी निकल गयी थी। अलका ने सरिता के नीचे फिर एक आदमी को बैठा दिया और सरिता को उसका लण्ड अपनी गाण्ड में लेने को कहा।
सरिता बोली- “नहीं प्लीज़्ज़… मेरी चूत मार लो लेकिन ये मुझसे नहीं होगा, बहुत दुख रहा है…” अलका ने फिर से डंडी उठाई और सरिता की ओर भागी लेकिन सरिता उसके अपने पास पहुँचने से पहले ही अपनी गाण्ड में लण्ड ले चुकी थी।
अलका हँसी और बोली- “चल टाँगें चौड़ी कर और चूत खोल…”
अब एक और आदमी सरिता की खुली हुई टांगों के बीच खड़ा हो गया। अलका ने उसके लण्ड पर कंडोम चढ़ाया और बोली- “आप थोड़ा सा लण्ड अंदर घुसाओ, मैं ऊपर से चीनी डालती हूँ…”
मैं कुछ समझ नहीं पाया और ना ही मेरी रंडी बहन कुछ समझ पाई, लेकिन अलका और वोह आदमी दोनों मुश्कुरा रहे थे। अब उस आदमी ने धीरे-धीरे सरिता की चूत को चोदना शुरू किया और अलका थोड़ी-थोड़ी चीनी ऊपर से डालने लगी।
और बस अगले ही पल सरिता को पता चल गया की चीनी किसलिए डाली गयी थी। चीनी के दाने लण्ड के साथ सरिता की चूत को अंदर से रगड़ने लगे थे और सरिता की चूत अंदर ही अंदर से फट रही थी। चीनी के दानों की रगड़ से उसकी चूत अंदर से छिलने लगी और सरिता जोर-जोर से चिल्लाने लगी- “ओह्ह… औह्ह ओफ्फ… अफ्फ…… हे माँ… बस-बस धीरे-धीरे प्लीज़्ज़, आराम से चोदो मुझे…”
अलका बोली- “चल अब गरम होकर चुदवा। जितना तेरी चूत से पानी बहेगा उतनी जल्दी चीनी घुल जाएगी…”
सरिता बोली- “हाँ… मैं तो मस्त होकर ही चुदवा रही हूँ आह… एस… और चोदो ना, मुझे रंडी बनाओ, खूब चोदो मुझे, आह… आह… मेरी गाण्ड में भी चीनी डालो अलका, चोदो और जोर से चोदो आह… आह…” अब सरिता पूरी मस्त हो चुकी थी और अपने गैंग-बैंग का पूरा मजा ले रही थी।
अलका ने इस बार सरिता को दो आदमियों के बीव में सैंडविच कर दिया। नीचे वाला तो उसकी चूत लगातार मार रहा था और अब चीनी की रगड़ से सरिता की चूत से खून आने लगा। अलका ने उसकी गाण्ड के छेद पर थोड़ी चीनी डाली और अब एक नये बंदे ने कंडोम पहनकर सरिता की गाण्ड में अपना लण्ड धंसा दिया और उसकी गाण्ड मारने लगा।
एक और बंदा सरिता के मुँह के पास बैठ गया और अपना लण्ड उसके हलक में दे दिया। सरिता की चूत और गाण्ड से छप-छप-छप की आवाज़ें आ रही थी और सरिता पूरी मस्त होकर जोर-जोर से सिसक कर रही थी- “उम्म… आह… एस… और जोर से, और जोर से, अलका मजा आ गया… तुन्न्ने तो मुझे रंडी बना दिया, आह… मेरे मम्मे को भी रगड़ दो प्लीज़्ज़… आह… मुझे वीर्य पिलाओ आह… एस… एस… मेरी माँ…”
अगले ही पल सरिता झड़ गयी और उसकी चूत से गाढ़ा सफेद वीर्य बह निकला, उधर अलका ने एक प्लेट में सभी आदमियों का वीर्य जमा कर लिया। सरिता को चोदकर उसको फर्श पर फेंक दिया। अब सब अपनी अपनी साँसें कंट्रोल कर रहे थे, जबकि सरिता पूरी तरह से पसीने और वीर्य में लिपटी हुई अब भी दर्द से सी… सी… कर रही थी।
10 मिनट हो चुके थे, अब अलका उठी और उसने गाढ़े वीर्य से भरी प्लेट सरिता के सामने रख दी और बोली- “कैसा लग रहा है अब तुझे…”
सरिता बोली- “आह्ह्ह… पूरी रंडी बना दिया आज तूने…”
अलका बोली- “लग रहा है ना अब तुझे की तू रंडी है…”
सरिता बोली- “हाँ… अब तो ऐसा महसूस हो रहा है जैसे मैं बहुत बड़ी रंडी हूँ…”
अलका बोली- तो ले चलूं तुझे कोठे पर?
सरिता बोली- अब बचा ही क्या है कोठे के लिए?
अलका हँस पड़ी और बोली- “चल ये वीर्य खा…”
सरिता ने प्लेट की तरफ देखा और बोली- “इतना सारा… और प्लेट को हाथ में लेकर धीरे-धीरे वीर्य प्लेट से खाने लगी। थोड़ी ही देर में वोह सारा वीर्य खा गयी और बोली- “आह… क्या और चोदोगे अभी?”
सब चुप थे और अलका बोली- “हाँ… अब दो-दो लण्ड एक साथ डालेंगे…”
ये देखकर मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया और मैं भी उसको चोदने के लिए मचलने लगा।
सरिता ने यह सुनकर एक लंबी साँस ली और बोली- “दो-दो से तो मैं मर जाऊँगी, मुझसे चला भी नहीं जा रहा, प्लीज अब बस करो। तुम जब भी बोलोगी मैं फिर से आ जाऊँगी…” और सरिता रोने लगी।
लेकिन मैं तो उसकी गाण्ड में दो-दो लण्ड घुसते देखना चाहता था और वही हुआ। उन लोगों ने सरिता की एक ना सुनी और उसके हाथ बाँधकर उसकी गाण्ड में दो-दो लण्ड घुसाए।
क्या बीती सरिता पर और कैसे उसने दो-दो लण्ड की चुदाई सहन करी ये मैं अगले भाग में बताऊँगा और हाँ किस तरह मैंने अपनी बहन को उन लोगों के साथ मिलकर पीटा और चोदा ये भी बताऊँगा।
End
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19-10-2019, 01:25 PM
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06-11-2019, 08:31 PM
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Please leave the comment ....posting story is hard work
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(07-11-2019, 10:00 AM)Mafiadon Wrote: wonderful story
thanks yarra
repps added
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This will be your first and final warning!
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Thanks for your comments and adding reputation
Enjoy
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