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Update 34
बिहारी- देख इस वक़्त घड़ी में 3 बज रहे हैं. गेम ये हैं की मैं तुझे दो घंटे का टाइम दूँगा. यानी 5 बजे तक. गेम के हिसाब से हम सब तुझे सिड्यूस करेंगे इन दो घंटों में. अगर तू इन दो घंटों के अंदर मेरे कदमों में गिरकर तू मुझसे सेक्स के लिए भीक नहीं माँगेगी तो तू शाम के 5 बजे तक बिल्कुल आज़ाद हैं. और अगर इन दो घंटों के अंदर तूने मेरे सामने अपने घुटने टेक दिए तो फिर मैं तुझे जो कुछ कहूँगा तू वो सब करेगी. जिसके साथ सेक्स के लिए कहूँगा तू उसके साथ सेक्स करेगी. बोल तुझे मंज़ूर हैं.
राधिका के चेहरे पर खुशी के भाव छलकने लगते हैं. वो तुरंत बोल पड़ती हैं- ठीक हैं बिहारी मुझे मंज़ूर हैं.
बिहारी के चेहरे पर एक बार फिर से कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं. वो अच्छे से जानता था कि राधिका जिस गेम को जितना आसान समझ रही हैं बिहारी उस खेल का मँज़ा हुआ खिलाड़ी हैं. वो तो उसके जैसी लड़की को 1/2 घंटे के अंदर सिड्यूस रखने की ताक़त रखता था. अब यहाँ पर राधिका के सहन शक्ति और धर्य का इम्तिहान होना था. और देखना ये था कि राधिका को इस खेल में जीत मिलती है या फिर हार. ये तो आने वाला वक़्त ही बताने वाला था कि ये दो घंटे राधिका पर भारी पड़ने वाले थे या उन तीनों पर..
राधिका कुछ देर तक सोचती हैं फिर बिहारी से कहती हैं- ठीक हैं बिहारी मैं ये गेम खेलने को तैयार हूँ मगर मेरी भी एक शर्त है अगर तुम्हें मंज़ूर हो तो मैं कहूँ.............
बिहारी बड़े प्यार से एक नज़र राधिका को देखता हैं- बोलो राधिका कैसी शर्त हैं तुम्हारी. बिहारी तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी करेगा.
राधिका- शर्त ये हैं कि मैं चाहती हूँ कि तुम और तुम्हारे ये दोनो साथी मुझे इन दो घंटों तक मेरे बदन को हाथ नहीं लगाएँगे. तुम मुझे सिड्यूस बेशक करो मगर बिना मेरे बदन को हाथ लगाए. अगर तुम्हें मेरी ये शर्त मज़ूर हो तो..
बिहारी थोड़ी देर तक सोचता हैं फिर कहता हैं- ठीक हैं राधिका मुझे तेरी ये शर्त भी मंज़ूर हैं तू यही चाहती हैं ना कि इन दो घंटों में तुझे हम में से कोई भी तेरे बदन को हाथ नहीं लगाएगा मुझे मंज़ूर हैं मगर मेरी भी एक शर्त हैं.
राधिका- बोलो बिहारी क्या हैं तुम्हारी शर्त.
बिहारी अपने जेब से एक वाइट कलर का डिल्डो निकालकर राधिका को दिखाता हैं. डिल्डो करीब 3 इंच मोटा और 9 इंच लंबा था- तू तो ये जानती होगी कि ये क्या हैं और इसका इस्तेमाल कहाँ पर किया जाता हैं. अगर नहीं जानती तो बोल दे मैं तुझे बता देता हूँ.
राधिका बिहारी की बातो से शरमा जाती हैं और अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं- मैं जानती हूँ ये क्या है.
बिहारी- तो फिर ठीक हैं शर्त के मुताबिक इसे तू तब तक नहीं निकालेगी जब तक मैं ना कहूँ. इसे तुझे पूरे दो घंटे तक अपने चूत में रखना हैं. बोल मंज़ूर हैं तुझे.
राधिका शरम से हां में अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं.
बिहारी- तो फिर देर किस बात की हैं चल फटाफट तू इस डिल्डो को सही जगह पर रख जहाँ इसे होना चाहिए.
राधिका- यहाँ पर.............क्या इन सब के बीच???
बिहारी- अगर तुझे शरम आ रही हैं तो तू बाथरूम में जा सकती हैं मगर इतना ध्यान रहे हमारे साथ धोका करने की कोशिश मत करना. वैसे भी मुझे पता चल ही जाएगा. फिर सोच लेना तेरा अंजाम क्या होगा अगर तूने ज़रा भी हम से चालाकी करने की कोशिश की तो...
राधिका वो डिल्डो बिहारी से ले लेती हैं और झट से बाथरूम में चली जाती हैं. राधिका के जाते ही विजय और जग्गा अपने गुस्से की भडास बिहारी पर निकालते हैं.
विजय- तेरा दिमाग़ फिर गया हैं. एक तो तू ऐसा चूतियापा खेल खेल रहा हैं और उपर से ऐसी घटिया शर्त. मैं दावे से कहता हूँ कि राधिका अब हमारे हाथ से निकल जाएगी और अगर ऐसा हुआ तो फिर मुझसे बुरा कोई नहीं होगा.
जग्गा- अरे उसको बिना हाथ लगाए तो हम उसे सिड्यूस कर चुके. वो अब हमारे हाथ नहीं आने वाली. इस बाज़ी में हमे सिर्फ़ हार मिलेगी.
बिहारी- अरे यार तुम लोग बेवजह परेशान हो रहे हो. देख लेना राधिका बस एक घंटे के अंदर मेरे कदमों में गिरकर अपनी चुदाई की भीक माँगेगी. और ये बात मैं पूरे दावे के साथ कह सकता हूँ. मैने भी कोई कच्ची गोलियाँ नहीं खेली हैं. आज मुझे 20 साल हो गये इस धंधे में और मैं अच्छे से जनता हूँ कि किसी भी लड़की को सिड्यूस कैसे किया जाता हैं. तुम लोग बस देखते जाओ और जैसा मैं बोलूँगा वैसे ही करना.
विजय- लेकिन मुझे ये समझ में नहीं आया कि इस गेम से क्या होगा. और इसी हमे क्या फ़ायदा होने वाला हैं.
बिहारी- बताउन्गा सब कुछ बताउन्गा धीरे धीरे सब समझ में आ जाएगा. और एक बात तुम्हें मैं बता देता हूँ शायद तुम्हारे चेहरे पर थोड़ी मुस्कान आ जाए. अभी मैने राधिका को जूस पीने को कहा था वो कोई नॉर्मल जूस नहीं था. उसमें मैने वायग्रा मिलाया हुआ था. अब बस आधे घंटे के बाद उसके जिस्म में वो वियाग्रा इतनी गर्मी भर देगा कि राधिका बिना कुछ सोचे समझे अपनी चूत खुद ही हमे सौंप देगी. फिर वो अपने हाथ में एक छोटा सा रिमोट विजय और जग्गा को दिखाता हैं..
जग्गा- ये कैसा रिमोट हैं बिहारी तेरे हाथों में.
बिहारी के चेहरे पर फिर से कुटिल मुस्कान तैर जाती है- यू समझ ले कि ये राधिका की चूत को कंट्रोल करने का रिमोट है. नहीं समझे ठीक हैं मैं समझाता हूँ. अभी अभी जो मैने राधिका को जो डिल्डो दिया हैं ये उसका कंट्रोलर हैं. और तुम लोग जिसे वो डिल्डो समझ रहे हो वो डिल्डो नहीं बल्कि एक वाइब्रटर हैं. और अभी थोड़े देर के बाद मैं तुम्हें उसका कमाल दिखाउन्गा जब राधिका उस वाइब्रटर को अपने चूत में रखी होगी. यहाँ से मैं उस वाइब्रटर की स्पीड को कम या ज़्यादा कर सकता हूँ और सोच लो अगर ये वाइब्रटर को मैं पूरे दो घंटे तक ऑन रखूँगा तो राधिका की क्या दशा होगी इसका तुम अनुमान नहीं लगा सकते. सोचो थोड़ी देर के बाद वियाग्रा अपना असर दिखना शुरू कर देगा और इधेर ये डिल्डो राधिका की चूत के अंदर घी में आग का काम करेगा और हम सब उससे इतनी नंगी बातें करेंगे कि वो कुछ देर के अंदर अपने आप को हमारे कदमों में सौप देगी. बिहारी के मूह से ऐसी बातो को सुनकर जग्गा और विजय के होंठो पर मुस्कान तैर जाती हैं.
विजय- वाह बिहारी वाह तेरा जवाब नहीं अब तू देखते जा आज साली से ऐसी गंदी गंदी बातें करूँगा कि खुद ही शरम से डूब मरेगी और उसके बाद उसकी ऐसी चुदाई होगी कि वो हमे कभी नहीं भूल पाएगी. आज आख़िर तूने फिर से अपना कमीनपन दिखा ही दिया...
बिहारी- हां विजय मैने जीवन में किसी भी चीज़ को हासिल करना सीखा है चाहे छल से या बल से. और राधिका को पाने के लिए तो मैं सारे साम दाम लगा दूँगा. तुम सब देखते जाओ आगे आगे क्या होता हैं....
इन सब से बेख़बर राधिका बाथरूम में अपनी पैंटी नीचे सरका कर उस वाइब्रटर को अपनी चूत में डाल रही थी. थोड़ी मुश्किल के बाद वो वाइब्रटर उसकी चूत में पूरा चला जाता हैं फिर वो अपनी पैंटी उपर करके दुबारा पहन लेती हैं. उसे पता नहीं क्यों पर आज अपने आप पर तो उसे भरोसा था मगर उसका जिस्म उसका साथ देगा उसे इसी बात को लेकर थोड़ी चिंता थी फिर भी वो कुछ सोचकर और अपने इरादे मज़बूत करके वो बाथरूम से बाहर निकलती हैं. और कुछ देर में वो उन तीनों के पास मौजूद होती हैं.
बिहारी- शर्त के मुताबिक देख घड़ी में 3:15 बज रहे हैं और ये गेम पूरे 2 घंटे तक चलेगा यानी 5:15 तक. और इन दो घंटों में कोई तेरे बदन को हाथ नहीं लगाएगा मगर तुझसे हम अश्लियल बातें बेशक कर सकते हैं. तो फिर चलो गेम शुरू करते हैं. राधिका भी सहमति में अपनी गर्देन हां में हिला देती हैं.फिर बिहारी का नंगा खेल शुरू हो जाता हैं..
बिहारी- वैसे राधिका तू सच में पूरी क़यामत लग रही हैं. मैं जानता था कि ये ब्लॅक साड़ी तेरे पर बहुत जचेगि इसलिए मैने तेरे लिए ख़ास ये स्पेशल साड़ी भेजवाया था. वैसे तूने बताया नहीं अब तक कि तेरा फिगर का साइज़ क्या हैं.
राधिका अच्छे से जानती थी कि अभी तो ये शुरूवात हैं ऐसे कई अश्लील सवाल ये सब मिलकर करेंगे और उसे उन सारे सवालों के जवाब देने पड़ेंगे.
राधिका- 36-28-32 यही हैं मेरी फिगर का साइज़.
बिहारी- थोड़ा डीटेल में बता ना राधिका मुझे ऐसे समझ में नहीं आता.
राधिका थोड़ा हिम्मत करके फिर से कहती हैं- मेरे सीने का साइज़ 36 और मेरी कमर का साइज़ 28 और मेरी आस का साइज़ 32 हैं.
विजय- अच्छे से बोल ना राधिका पूरे सॉफ सॉफ लफ़्ज़ों में और सरल हिन्दी भाषा में. हमे ज़्यादा अँग्रेज़ी समझ में नहीं आती.
राधिका ना चाहते हुए भी कहती हैं- मेरे बूब्स का साइज़ 36.....................
बिहारी- क्या जानेमन बूब्स तो इंग्लीश वर्ड हैं शुद्ध हिन्दी में बोल. और हां अब दुबारा से ग़लती मत करना वरना तुझसे एक ग़लती के बदले एक और सवाल.
राधिका इस बार फिर थोड़ी हिम्मत करके बोलती हैं- मेरे दूध का साइज़ 36 है ,मेरी कमर का साइज़ 28 और मेरी गान्ड का साइज़ 32 है. राधिका ही जानती थी कि ये शब्ध उसने कैसे बोले थे. उसकी साँसें बहुत तेज़ चल रही थी.
बिहारी- तुझे पता हैं आदमी और औरत में क्या फ़र्क होता हैं?? कॅन यू एक्सप्लेन????
राधिका शरम से अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं. और कुछ देर तक यूँ ही खामोश रहती हैं तभी बिहारी अपनी उंगली को थोड़ी सी हरकत करता हैं और अगले ही पल राधिका वही उछल पड़ती हैं. राधिका की चूत में रखा वो वाइब्रटर ऑन हो जाता हैं और राधिका को ऐसा लगता हैं कि किसी ने उसकी चूत में ड्रिलिंग मशीन चला दी हो. फिर बिहारी वो वाइब्रटर की स्पीड तुरंत फुल कर देता है और राधिका अपनी चूत पर दोनो हाथ रखकर वही बैठ जाती हैं. थोड़ी देर के बाद बिहारी उस वाइब्रटर की स्पीड कम करता हैं मगर बंद नहीं करता.
राधिका को अब समझ में आ गया था कि उस वाइब्रटर को अपनी चूत में रखकर कितनी बड़ी ग़लती की हैं- उसकी चूत ने अब धीरे धीरे पानी छोड़ना शुरू कर दिया था. और उपर से वियाग्रा का असर राधिका आब धीरे धीरे गरम होने लगी थी.
बिहारी- तूने मेरे सवालों का जवाब नहीं दिया. मैं तुझसे कुछ पूछ रहा हूँ राधिका.
राधिका फिर धीरे से खड़ी होती है फिर बड़ी मुश्किल से बोलती हैं- आदमी और औरत में बस उसका लिंग अलग होता हैं. लिंग से ही पहचान होती हैं कि वो इंसान आदमी है या औरत.
जग्गा- तो क्या मेरी पहचान करने के लिए क्या मुझे हर जगह अपना लिंग दिखाना पड़ेगा कि मैं आदमी हूँ कि औरत. अगर मैं तेरे से कहूँ कि तू औरत हैं तो क्या तू भी अपनी चूत दिखाएगी. जवाब दे मेरे सवालो का.
जग्गा की बातो से राधिका का चेहरा शरम से लाल पड़ जाता हैं- मेरा............... वो कहने का मतलब नहीं था.
बिहारी- अरे मेरी जान हम से इतना शरमाएगी तो कैसे काम चलेगा. सॉफ सॉफ क्यों नहीं कह देती कि आदमी के पास लंड होता हैं और औरत के पास चूत होती हैं.
राधिका भी अब समझ चुकी थी कि उसने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी हैं अभी तो मुश्किल से केवल 5 मिनिट ही गुज़रे थे और इतने सारे गंदे सवाल पता नहीं आने वाले दो घंटे में ये लोग उसे तो सवालो से पूरा नंगा कर देंगे मगर अब कुछ भी नहीं हो सकता था इस लिए राधिका भी सोच लेती हैं जो होगा देखा जाएगा.
बिहारी- देख राधिका मैं जानता हूँ कि ऐसे शरमाने से काम नहीं चलेगा. तुझे हम सब का पूरा साथ देना पड़ेगा अगर तूने हम सब का पूरा साथ नहीं दिया तो फिर आइ अम सॉरी मैं कुछ नहीं कर सकता. ये बात जान ले हम सब तेरी बेशर्मी देखना चाहे हैं और हम तुझसे अब यही उम्मीद करेंगे कि तू हमसे अपनी पूरी तरह से खुल कर बातें करे. फिर से बिहारी वो वाइब्रटर की स्पीड बढ़ा देता हैं और राधिका की चूत में फिर से आग लग जाती हैं.
राधिका- ठीक हैं बिहारी प्लीज़ इसे कम करो मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रहा.
बिहारी- तो फिर हमारे सारे सवालो का जवाब देती जा और अगर तूने हमे जवाब नहीं दिया तो ये वाइब्रटर का स्पीड भी अब कम नहीं होगा.
राधिका बड़ी मुश्किल से आपने आप को कंट्रोल कर रही थी- आदमी के पास लंड होता हैं और औरत के पास चूत होती हैं.
विजय- अगर मैं कहूँ कि तू एक औरत हैं तो तू ये बात कैसे साबित करेगी कि तू एक औरत हैं. जवाब दे...
राधिका को कुछ बोलते नहीं बनता और उधेर बिहारी फिर से वाइब्रटर की गति धीरे धीरे बढ़ाने लगता हैं- मुझे इसका जवाब नहीं मालूम.
विजय- और ये तेरे दो बड़े बड़े दूध हैं वो किस लिए हैं क्या आदमी के दूध होते हैं.
राधिका तो इस वक़्त भगवान से यही दुआ कर रही थी कि काश उसे इस वक़्त मौत आ जाए मगर मौत भी इतनी आसानी से कहाँ मिलती है.
जग्गा- अच्छा छोड़ इन सब बातो को क्यों बेचारी की गान्ड मार रहा हैं चल ये बता चुदाई किसे कहते हैं???
राधिका की हालत अब ऐसी थी कि ना उससे कुछ बोलते बन रहा था और ना ही वो किसी बात का विरोध कर पा रही थी- जब मर्द एक औरत के साथ सोता हैं उसे चुदाई कहते हैं...
राधिका के जवाब सुन कर तीनों ज़ोर ज़ोर से हँसने लगते हैं तभी बिहारी वाइब्रटर की गति फिर से तेज़ कर देता हैं और तब तक उसी स्पीड में रखता हैं जब तक राधिका का धैर्य नहीं टूट जाता.
राधिका- बस करो बिहारी ...............बस मैं जवाब दे रही हूँ ना. जब एक मर्द का लंड औरत की चूत में जाता है और वो उस लंड से उसकी चुदाई करता हैं उसे चोदना कहते हैं.
बिहारी- अरे वाह तू तो बहुत समझदार निकली. अगर यही जवाब पहले दे देती तो तुझे इतनी तकलीफ़ तो नहीं सहनी पड़ती. खैर गान्ड मरवाना तो तुझे पता ही होगा ज़रा खुल के बता. अपने यार और भाई से तो तू खूब गान्ड मरवाती थी ना.
राधिका इस बार बिना रुके कहती हैं- जब आदमी का लंड औरत की गान्ड में जाता हैं और वो अपने लंड से उसकी गान्ड को चोदता हैं उसको गान्ड मारना कहते हैं. इसी तरह से राधिका से बिहारी और वो दोनो नन्गपन भरे सवाल पूछ रहे थे और राधिका भी धीरे धीरे उनके जवाब देती जा रही थी.
बिहारी- तो बता ना राधिका जब तेरे भाई का लंड तेरी गान्ड में गया तो तुझे कैसा महसूस हुआ.
राधिका को मानो ऐसा लगा कि अब उसके आँसू निकल पड़ेंगे मगर बड़ी मुश्किल से वो अपने आप को संभाले हुई थी.- अच्छा लगा थोड़ा दर्द हुआ ...................बस अब मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ मुझे और नीचे मत गिराव. अब मुझसे ये सब नहीं होगा.
बिहारी- अभी तो तू कहाँ नीचे गिरी हैं आज तुझे हम बताएँगे कि असली चुदाई किसे कहते हैं.
ऐसे ही वक़्त बीत रहा था और करीब 1/2 घंटे के अंदर राधिका उन तीनों से पूरी तरह खुल के बातें कर रही थी. इधेर वियाग्रा का असर भी उसपर हावी होता जा रहा था और उधेर वो वाइब्रटर भी हर पल उसकी चूत में आग लगा रहा था. धीरे धीरे राधिका का धैर्य भी जवाब देता जा रहा था. उसे अब ऐसा लगने लगा था कि ऐसा ही कुछ पल और चलता रहा तो वो बिहारी के सामने पूरी तरह बेबस हो जाएगी...
जग्गा, बिहारी और विजय ने उससे ऐसा कोई सवाल नहीं छोड़ा था जो वो उससे ना पूछा गया हो.
बिहारी- राधिका मेरी तो यही ख्वाहिश हैं कि मैं तेरी चूत और गान्ड में अपना लंड डालकर तुझे रगड़ता रहूं कसम से बहुत मज़ा आएगा बस तू एक बार तू मेरे नीचे आ जा फिर देखना तुझे चुदाई का वो मज़ा दूँगा कि तू सारी दुनिया को भूल कर तू मेरे पास आ जाएगी. फिर बिहारी वहीं एलसीडी टीवी ऑन करता हैं और उसमें कई सारी ब्लू फिल्म्स वो एक एक कर छोटे छोटे क्लिप्स राधिका को दिखाने लगता हैं. करीब 1/2 घंटे तक वो टी.वी में नंगी वीडियोस उसे दिखाता हैं..
करीब एक घंटे के बाद राधिका का सब्र टूट जाता हैं वो भी बस ज़मीन पर वहीं बैठ जाती हैं. उसकी आँखों में आँसू थे. एक तरफ बिहारी ने पिछले एक घंटे से वो वाइब्रटर को बंद नहीं किया था जिससे उसकी चूत और पैंटी पूरी तरह से गीली हो गयी थी. और उस वाइब्रटर की वजह से उसकी चूत की आग को और भड़का रही थी और इधेर वियाग्रा का असर अपने चरम पर था वो लाख कोशिशों के बावज़ूद अपने आप को बेबस महसूस कर रही थी. और उपर से बिहारी विजय और जग्गा की अश्लील बातें रही सही कसर पूरा कर रही थी. और बाद में बिहारी ने राधिका की थोड़ी बची हुई हिम्मत को भी तोड़ दिया था उसको ब्लू फिल्म्स दिखा कर.
राधिका का जिस्म इस वक़्त आग की भट्टी की तरह तप रहा था और उसकी आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी. हवस उसकी आँखों में सॉफ दिखाई दे रहा था आज वो भी समझ चुकी थी कि जिस्म की आग क्या होती हैं और जब जिस्म की आग इंसान पर हावी होती है तो इंसान को कुछ दिखाई नहीं देता. आज राधिका भी वही आग में जल रही थी वो तो चाह रही थी कि कैसे भी वो फारिग हो जाए मगर बिहार मँज़ा हुआ खिलाड़ी था जब राधिका अपने चरम पर पहुचती तो वो वाइब्रटर की स्पीड बिल्कुल कम कर देता ऐसे ही पिछले एक घंटे से वो उसके साथ ये खेल खेल रहा था. आख़िर कब तक राधिका का धैर्य जवाब देता वो भी वही बेबस होकर जग्गा, विजय और बिहारी के पास वहीं ज़मीन पर बैठ जाती हैं.
बिहारी- क्या हुआ मेरी जान अभी टाइम की ओर देख अभी पूरा एक घंटा बाकी हैं. तू इतनी जल्दी अगर हिम्मत हार जाएगी तो क्या होगा.
राधिका चुप चाप वही ज़मीन को टकटकी लगाए बैठी देख रही थी अब हवस उसके उपर इस कदर हावी हो चुका था कि उसे क्या सही क्या ग़लत वो अब कोई भी फ़ैसला लेने की स्थिति में नज़र नहीं आ रही थी. बस कैसे भी करके अपने अंदर सुलग रही आग को दबाने की कोशिश कर रही थी मगर ये आग दबाने से और भी भड़कती जा रही थी. राधिका के दिल और दिमाग़ में कई तरह के सवाल उठ रहे थे मगर आज वो अपने जिस्म के आगे बेबस थी.
ऐसे ही सिलसिला चलता रहा और ठीक 15 मिनिट के बाद राधिका का सब्र पूरी तरह से टूट गया और वो ना चाहते हुए भी बिहारी के कदमों में आख़िर गिर ही पड़ती हैं. ये देखकर विजय, जग्गा और बिहारी के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं. आज राधिका फिर से अपने बदन की आग से एक बार फिर हार गयी थी. आज उसका सारा मनोबल टूट गया था.
राधिका- मैं हार गयी बिहारी.................आख़िरकार तुम जीत ही गये आज मेरे अपने जिस्म ने मेरे मनोबल को तोड़ दिया.मैं आज अपना जिस्म तुम्हें सौपति हूँ बिहारी कर लो जो करना हैं. आज के बाद तुम जो मुझसे कहोगे वो मैं सब कुछ करूँगी मैं आज के बाद तुम्हारी रखैल बनकर रहूंगी. तुम मुझे जिसके साथ कहोगे जैसे कहोगे मैं उससे चुदवाउंगी और राधिका वहीं फुट फुट कर रोने लगती हैं. बिहारी उसको बड़े प्यार से उसको सहारा देता हैं फिर उसे वही सोफे पर बैठा देता हैं..
बिहारी- मुझे खुशी हुई कि आज तूने खुद ही अपने आप को मेरे हवाले कर दिया मगर इस बात का दुख भी हुआ कि मैने तेरे सामने एक सुनेहरा मौका दिया था और तूने उसको गवाँ दिया. खैर अब शर्त के मुताबिक आज के बाद तू पूरे एक हफ्ते तक मेरी रखैल बनकर रहेगी. मेरी मर्ज़ी मैं तुझे जहाँ चाहूं जिससे चाहूं तुझे चुदवाउन्गा और तू अब आज के बाद मुझे किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं करेगी.
राधिका ये बात अच्छे से जानती थी कि आने वाला समय कितना भयानक होने वाला है. पता नहीं बिहारी उससे क्या क्या करवाएगा मगर आज उसकी बदनसीबी कि वो अपनी मर्ज़ी से अपनी जान भी नहीं दे सकती थी शायद उसे और जल्लत सहना बाकी था. पता नहीं आने वाला वक़्त राधिका की ज़िंदगी में क्या सितम ढाने वाला था. पर इतना ज़रूर तय था कि जो कुछ भी राधिका के साथ होगा वो उसके लिए अच्छा नहीं होगा
राधिका अभी भी बेबस वहीं बिहारी के कदमों के पास बैठी हुई थी. कल तक सब का मूह तोड़ जवाब देने वाली लड़की आज खुद को एक कमज़ोर महसूस कर रही थी. तभी जग्गा उसके पास आता हैं और अपनी मुट्ठी में राधिका के सिर के बाल को कसकर पूरी ताक़त से भीच देता हैं. राधिका के मूह से एक दर्द भरी सिसकारी निकल पड़ती हैं.
जग्गा- क्या हुआ मेरी रानी सारी गर्मी ठंडी पड़ गयी क्या. अभी तो खेल शुरू हुआ हैं और अभी से तू कमज़ोर पड़ गयी.
राधिका एक नज़र जग्गा की ओर देखती हैं फिर वो अपनी नज़रें झुका लेती है. वो भी अच्छे से जानती थी कि इन हैवानो के दिल में उसके लिए कोई हमदर्दी नहीं हैं.
बिहारी- देख ध्यान से इस समय को अभी पूरे 45 मिनिट बाकी हैं. खैर जब तू हार मान ही चुकी हैं तो अब आज के बाद हम जो भी कहेंगे तू वो सब कुछ करेगी बिना किसी सवाल जवाब के. बोल करेगी ना. राधिका हां में अपनी गर्देन हिला देती हैं.
बिहारी फिर जग्गा को राधिका से दूर हटने का इशारा करता हैं और जग्गा तुरंत राधिका के बाल छोड़ देता हैं.- बोल राधिका तू हमारे लिए क्या कर सकती हैं. तू समझ रही होगी कि मेरा इशारा किस ओर हैं. बिहारी फिर से राधिका से वही गंदे सवालों का सिलसिला शुरू कर देता हैं.
राधिका- मैं कुछ भी कर सकती हूँ जो तुम कहोगे... तभी बिहारी धीरे धीरे वाइब्रटर का स्पीड बढ़ाने लगता हैं और फिर से राधिका तड़प उठती हैं. उसके मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.
विजय- क्या हुआ डार्लिंग. तेरी चूत में आग लगी हैं क्या. अगर ऐसी बात हैं तो कह दे हम तेरी चूत की सारी गर्मी निकाल देंगे.
राधिका- बस.......करो बिहारी अब मुझसे बर्दास्त नहीं होता. मैने खुद को तुमलोगों के हवाले तो कर ही चुकी हूँ और अब तुम सब मुझसे क्या चाहते हो. अगर कहो तो मैं अपने पूरे कपड़े तुम सब के सामने उतार देती हूँ. यही चाहते हो ना तुम सब.
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Update 35
बिहारी- वो तो तेरे कपड़े उतारेंगे ही कुछ देर में इतनी भी क्या जल्दी हैं. सब्र का फल मीठा होता हैं और मैं जानता हूँ कि इस वक़्त तेरी क्या हालत हो रही है. मगर थोड़ा सब्र कर ले फिर देखना मेरी जान तुझे कितना सुकून मिलेगा. राधिका को अब धीरे धीरे बिहारी पर गुस्सा भी आ रहा था. मगर वो अच्छे से जानती थी कि होगा वही जो वो सब चाहते हैं.
इस वक़्त भी वाइब्रटर राधिका की चूत में चल रहा था और उपर से वो वियाग्रा का असर. राधिका का दिमाग़ अब काम करना बिल्कुल बंद कर चुका था. वो बस अब अपनी प्यास को बुझाने के बारे में सोच रही थी चाहे कैसे भी क्यों ना बुझे.
बिहारी- चल एक नया खेल खेलते हैं इस खेल में हम सब तुझे कोई टास्क देंगे वो तुझे पूरा करना होगा अगर तू समय रहते वो काम पूरा कर लेगी तो तू हम से जो काम चाहे करवा लेना और अगर तू हारी तो हम तुझसे जो कहेंगे वो तुझे करना होगा. राधिका कुछ कह नहीं पाती और चुप चाप हां में अपनी गर्देन नीचे कर लेती है. वो अच्छे से जानती थी कि ये सब उसके साथ पूरे नंगेपन का खेल खेलेंगे.
बिहारी- तो खेल शुरू करते हैं. खेल ये हैं कि तुझे हम सब के कपड़े उतारने हैं इसके लिए तुझे हम पूरे 30 मिनिट का समय देंगे. मगर उसमें कुछ शर्त भी रहेगा.
राधिका का दिमाग़ घूम जाता हैं बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर. -कैसी कंडीशन्स..
बिहारी- सबसे पहले तो तेरे हाथ बँधे होंगे. और तू हम सब के कपड़े अपने हाथों से नहीं बल्कि अपने मूह से खोलेगी. और हां जब हमारा पेंट खोलेगी तो तुझे घुटनो के बल खड़े होकर हमारे पेंट उतारने होंगे. और इस बीच हम तेरे बदन को जहाँ चाहे वहाँ हाथ लगा सकते हैं जहाँ चाहे छू सकते हैं.
राधिका को तो ऐसा लगने लगा था कि ये लोग अगर उसको जान से मार देते तो ज़्यादा अच्छा होता. वो तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि बिहारी उससे ऐसा गंदा काम भी करवाएगा. तभी विजय एक रस्सी लेकर आता हैं और राधिका के दोनो हाथ पीछे करके आचे से बाँध देता हैं.
बिहारी- युवर टाइम स्टार्ट्स नाउ.........................
राधिका सबसे पहले बिहारी के पास आती हैं और कुछ देर तक वो वही खड़ी रहती हैं फिर वो आगे बढ़कर अपने दाँतों से बिहारी के कुर्ते का बटन खोलना शुरू करती हैं. राधिका अच्छे से जानती थी कि ये काम इतना आसान नहीं हैं मूह से कपड़े का एक बटन खोलने में ही कम से कम 5 मिनट तो लग ही जाएगे. इस हिसाब से उसके पास 12 मिनिट में एक आदमी के कपड़े निकालने हैं. वो तेज़ी से अपने होंठो को हरकत देती हैं और इधेर बिहारी अपने हाथों को भी हरकत देता हैं. बिहारी का हाथ सबसे पहले राधिका की कमर पर जाता हैं और फिर वो अपने दोनो हाथ सरकाते हुए राधिका की गान्ड पर रख देता हैं और दोनो हाथों से राधिका की गान्ड को पूरी ताक़त से मसल देता हैं. राधिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकल जाती हैं. वो अपने बदन की ओर ध्यान ना देते हुए वो जल्दी जल्दी बिहारी के कुर्ते के बटन खोलने लगती हैं.
बिहारी पूरी मस्ती से अपने हाथ राधिका की गान्ड पर फिरा रहा था फिर वो धीरे धीरे एक हाथ उसके सीने पर ले जाता हैं और और उसके दूध पर अपने हाथ रख देता हैं. और फिर एक दम धीरे धीरे फिराने लगता हैं. राधिका इन सब की परवाह ना करते हुए वो तेज़ी से अपने दाँतों को हरकत करती हैं मगर अभी तक एक भी बटन नहीं खुला था. फिर बिहारी अपना एक हाथ नीचे लेजा कर राधिका की चूत पर रख देता हैं और साड़ी के उपर से ही अपनी मुट्ठी में उसकी चूत को भीच लेता हैं. राधिका ना चाहते हुए भी सिसक पड़ती हैं. इधेर उसके बदन की गर्मी बढ़ती जा रही थी जिससे वो अपना पूरा ध्यान नहीं लगा पा रही थी और उधेर बिहारी का हाथ तेज़ी से हरकत कर रहा था. करीब 10 मिनिट के बाद राधिका बड़ी मुश्किल से एक बटन खोलने में कामयाब हो जाती हैं. फिर वो घुटनो के बल बैठकर बिहारी की सलवार का नाडा अपने दाँतों में फँसाकर आहिस्ता आहिस्ता खोलने लगती हैं.
बिहारी की सल्वार का नाडा खुल जाता हैं और उसका पायजामा उसके कदमों के पास गिर जाता हैं. फिर वो खड़ी होती है और फिर तेज़ी से उसके कुर्ते का दूसरा बटन खोलती हैं. करीब 12 मिनट के बाद बिहारी उसको टाइम की ओर इशारा करता हैं.
बिहारी- अरे मेरी जान अभी तक तो तू मेरे कुर्ते का एक ही बटन खोल पाई हैं. और अभी विजय और जग्गा भी लाइन में हैं. जा जल्दी से उनके भी कपड़े उतार.
राधिका फिर विजय के पास जाती हैं और वो अपने दाँतों से उसके शर्ट के बटन खोलने लगती हैं. इधेर विजय भी कस कर उसकी गान्ड मसल्ने लगता हैं. और अपने दोनो हाथों को वो तेज़ी से हरकत करता हैं. राधिका बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाल पा रही थी. उसका ध्यान बस बटन पर था. तभी विजय अपने दोनो हाथ नीचे ले जाकर वो राधिका की साड़ी थोड़ा उपर कर देता हैं और झट से अपने दोनो हाथ उसकी साड़ी के अंदर डाल देता हैं फिर वो उसकी चूत को अपने हाथों में कसकर भींच लेता हैं. राधिका इस वक़्त अपनी आँखें बंद किए हुए विजय के शर्ट का बटन खोल रही थी. मगर बार बार उसका ध्यान विजय की हर्कतो पर था. करीब 10 मिनिट तक विजय उसकी चूत और गान्ड से खेलता हैं और फिर जब राधिका एक भी बटन नहीं खोल पाती तो वो नीचे झुक कर विजय की पॅंट अपने दानों से खोलने लगती हैं. और अब विजय के दोनो हाथ राधिका के बूब्स पर आ जाते हैं और वो बहुत ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो दूध को मसल्ने लगता हैं. राधिका इस वक़्त पूरी तरह बेख़बर हो चुकी थी. अब उसे भी वो सब अच्छा लगने लगा था. वो भी सिसक रही थी. उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी मगर आब तक वो एक भी बार झड नहीं पाई थी. उधेर वो डिल्डो भी अपनी स्पीड में उसकी चूत में चल रहा था. बड़े मुश्किल से वो अपने दाँतों से उसके पेंट का चैन ही खोल पाती हैं.
ऐसे ही वक़्त बीत रहा था अब बस 10 मिनिट ही बच गये थे वो अब जग्गा के पास जाती हैं और फिर से वही प्रकिया दोहराती हैं. जग्गा भी अपने हाथों की हरकत करता हैं और राधिका की सिसकारी पूरे कमरे में गूँज रही थी. आख़िरकार 30 मिनिट पूरे हो जाते हैं और राधिका किसी के भी कपड़े निकालने में नाकाम साबित होती हैं. फिर विजय आकर उसके बँधे हाथों को खोल देता हैं.
बिहारी- ये क्या जानेमन तू तो हम में से किसी के भी कपड़े नहीं उतार पाई. और मैने तो सुना था कि तूने हारना कभी नहीं सीखा.
राधिका कुछ नहीं कहती और बस अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.
बिहारी- बोल मेरी जान तुझे क्या सज़ा दिया जाए....
राधिका- बिहारी अगर मुझे सज़ा देना ही चाहते हो तो मुझे मौत दे दो. मैं अब जीना नहीं चाहती.
बिहारी फिर से मुस्कुरा देता हैं- नहीं मेरी जान मैं तुझे ये सज़ा कभी नहीं दे सकता.
राधिका की इस वक़्त जो हालत थी वो किसी घायल शेरनी की तरह थी. वो पूरे 2 घंटे से फारिग नहीं हो पा रही थी और इस वक़्त उसके दिमाग़ का लगभग काम करना बंद हो गया था. वो तो बस अपनी हवस मिटाना चाहती थी इसके बदले अगर बिहारी आज उससे जो चाहे वो करवा ले वो बे झि-झक करती. उसे तो अब ये भी होश नहीं था कि वो आब अपने ही दुश्मनों के आगे अपनी चुदाई की भीक माँग रही है.
राधिका- बिहारी मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ प्लीज़ मेरी आग को बुझा दो. अब मुझ में थोड़ी भी ताक़त नहीं हैं. प्लीज़.......................
बिहारी के चेहरे पर फिर से मुस्कान तैर जाती हैं- थोड़ा सब्र कर मेरी जान आज तेरी चूत की आग हम सब ऐसा भुजाएँगे कि तू भी क्या याद रखेगी...
बिहारी अपनी साथियों की ओर देखने लगता हैं फिर उनसब से कहता हैं- राधिका तो ये गेम हार गयी बोलो इसको क्या सज़ा मिलनी चाहिए...
विजय और जग्गा भी अब बिहारी का पूरा खेल समझ चुके थे और उनके होंटो पर कुटिल मुस्कान थी.
विजय- तेरी ये सज़ा हैं कि तू अपने ब्लाउज उतार कर हमारे हवाले कर दे.
राधिका भी कुछ नहीं कहती और फिर धीरे धीरे अपने ब्लाउस का बटन खोलने लगती हैं तभी जग्गा उसके पीछे जाकर उसके पीठ पर अपने होंठ रख देता है और बहुत धीरे धीरे अपने जीभ फिराने लगता हैं.राधिका की एक बार फिर से सिसकारी निकल पड़ती हैं मगर वो अपने हाथों को नहीं रोकती. फिर जग्गा अपने दाँतों से उसके ब्लाउज के डोरी को अपने मूह में लेता हैं और उसे धीरे धीरे सरकाने लगता हैं. थोड़ी देर में ब्लाउज का धागा खुल जाता हैं. मगर जग्गा अभी भी उसके पीठ पर अपने जीभ फिरा रहा था. थोड़ी देर तक राधिका भी अपनी आँखें बंद करके वही चुप चाप जग्गा को अपनी मनमानी करने देती है. फिर बिहारी उसको वो ब्लाउज अपने से अलग करने को कहता हैं. थोड़ी देर के बाद जग्गा भी हट जाता हैं और वहीं बिहारी के पास खड़े हो जाता हैं. राधिका उन तीनों मर्दों के सामने अपनी ब्लाउज उतार रही थी. वो अब जान गयी थी कि ये सब ऐसे ही उसके कपड़े एक एक कर उतरवाएँगे.
मगर इस वक़्त उसकी आँखों में शरम नहीं बल्कि हवस तैर रही थी. वो भी झट से अपने ब्लाउज अपने जिस्म से अलग कर देती है और अंदर काले रंग का ब्रा उसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता हैं. फिर से वो अपनी साड़ी का आँचल अपने सीने पर लगा लेती हैं और अपना ब्लाउज बिहारी को थमा देती हैं.
बिहारी- वाह मेरी जान तो सच में एक क़यामत हैं.
विजय- चल फिर से वही खेल खेलते हैं मगर इस बार खेल का तरीका दूसरा रहेगा. राधिका फिर से सवाल भरी नजरो से विजय को देखने लगती हैं. उसकी चूत से भी लगातार पानी बह रहा था और वो इस वक़्त बड़ी मुश्किल से उन सब के बीच खड़ी थी. पर जो भी हो उसे अब ये सब अच्छा लग रहा था. क्यों कि अब राधिका किसी भी बात का विरोध नहीं कर रही थी.
राधिका- बिहारी मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ. तुम जो भी मेरे साथ खेल खेलना चाहो जी भर कर खेलो मगर मैं ये सब अब होश में रहकर नहीं करना चाहती. मुझे इस वक़्त शराब की ज़रूरत हैं. और तुम अच्छे से जानते हो कि आदमी नशे की हालत में वो सब कुछ कर सकता हैं जो वो होश में रहकर कभी नही कर सकता. मैं बस इतना ही चाहती हूँ कि तुम मुझसे जो भी करवाना चाहो करवा लो मगर मैं अब होश में नहीं रहना चाहती.
राधिका की बातों को सुनकर बिहारी मुस्कुरा देता हैं- ठीक हैं मेरी जान जैसी तेरी मर्ज़ी. आज तुझे हम एक ख़ास किस्म का नशा देंगे जिससे तुझे ऐसा लगेगा कि तू वाकई जन्नत में है. और ये नशे के आगे तो शराब भी कुछ नही हैं. फिर वो विजय को कुछ आँखों ही आँखों में इशारा करता हैं और विजय भी मुस्कुरा कर वो वही रखा ड्रॉयर खोलता हैं और उसमें एक इंजेक्षन और एक ड्रग्स की शीशी रखी हुई थी. वो उसे उठा कर ले आता हैं और वहीं वो ड्रग्स का इंजेक्षन फिल करने लगता हैं. राधिका बड़े ध्यान से विजय को देख रही थी मगर वो नहीं जानती थी कि विजय के हाथों में जो चीज़ हैं वो ड्रग्स हैं.
फिर विजय उसके करीब आता हैं और राधिका को अपने हाथ आगे करने को कहता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के अपना हाथ आगे बढ़ा देती हैं. विजय वैसे तो एक डॉक्टर था वो जानता था कि राधिका को इस वक़्त ड्रग्स का कितना डोज देना चाहिए. फिर वो इंजेक्षन राधिका के हाथों में लगा देता हैं और कुछ देर में वो ज़हर उसकी रगों में समा जाता हैं. इस वक़्त ऐसे भी राधिका कुछ सोचने समझने की हालत में नहीं थी इस लिए वो किसी भी बात का विरोध नहीं करती और थोड़ी देर के बाद वो वही फर्श पर धम्म से गिर जाती हैं. शायद ड्रग्स का नशा पहली बार साधारण इंसान उसे बर्दास्त नहीं कर पाता. कुछ देर तक वो वहीं फर्श पर पड़ी रहती हैं और धीरे धीरे ड्रग्स अपना असर दिखाना शुरू कर देता हैं.
थोड़ी देर के बाद वो उठती हैं और फिर उसे ऐसा लगता हैं कि वो अब दुबारा गिर पड़ेगी मगर जग्गा उसे तुरंत अपनी बाहों में थाम लेता हैं और अपना होन्ट राधिका के होंठो पर रखकर उसे चूसना शुरू कर देता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी होंटो को हरकत करना शुरू कर देती हैं फिर जग्गा अपना एक हाथ राधिका के सीने पर रखकर वो अपने हाथों पर दबाव बढ़ाने लगता हैं. राधिका पर भी ड्रग्स का नशा धीरे धीरे हावी होता जा रहा था. उसकी आँखे अभी भी बंद थी ऐसे ही काफ़ी देर तक जग्गा उसके होंटो को चूस्ता हैं.
यहाँ पर राधिका का पतन अब इतना नीचे हो चुका था कि अब उसका दुबारा लौटना ना-मुमकिन था. और आज जो कुछ भी हो रहा था वो इन सब की ज़िम्मेदार वो खुद थी. जहाँ अब उसको प्रायश्चित करने का भी मौका नहीं मिलने वाला था.
राधिका अभी भी बेसूध जग्गा की बाहों में थी और जग्गा उसके होंटो को चूस रहा था और साथ ही साथ राधिका के निपल्स को भी अपने दोनो उंगलियों से बारी बारी मसल रहा था. होंटो पर होंठ सटे रहने की वजह से राधिका की सिसकारी उसके अंदर ही घुट रही थी. वो अभी भी पूरी मदहोशी की हालत में थी. तभी बिहारी जग्गा को हटने का इशारा करता हैं. और जग्गा राधिका से दूर हो जाता हैं.
बिहारी- अरे मेरी जान चुदाई का खेल तो चलता ही रहेगा चल सबसे पहले तू कुछ खा पी ले. और वैसे भी मैने आज तेरे लिए स्पेशल डिश बनवाया हैं. तुझे ज़रूर पसंद आएगा. राधिका फिर से बिहारी की ओर सवाल भरे नज़रो से देखने लगती हैं. फिर बिहारी वहीं टेबल पर जग्गा को खाना निकालने को कहता हैं.
बिहारी- आजा मेरी जान आज मैं तुझे अपनी गोद में बिठा कर खिलाउन्गा. राधिका की इस वक़्त ऐसी हालत थी कि उसे कुछ ग़लत सही में फ़र्क नहीं नज़र आ रहा था वो चुप चाप वहीं बिहारी के पास खड़ी रहती है तभी बिहारी उसको अपने नज़दीक खींच लेता हैं और उसे अपनी गोदी में बिठा देता हैं. राधिका कोई विरोध नहीं करती और चुप चाप बिहारी की गोद में बैठ जाती हैं. बिहारी का लंड इस वक़्त पूरी तरह से खड़ा था और राधिका के गोद में बैठने से उसका लंड उसकी गान्ड को टच कर रहा था. फिर जग्गा एक प्लेट में चिकन निकालता हैं और उसे बिहारी और राधिका की तरफ बढ़ा देता है. बिहारी एक पीस चिकन का टुकड़ा लेकर राधिका के मूह के पास लता हैं और राधिका का मूह खुलने का इंतेज़ार करता हैं.
बिहारी- ऐसा क्या देख रही हैं मेरी जान. एक दिन तो तूने खुद अपने भैया के लिए ये चिकन खाई थी आज हम सब के लिए खा ले. राधिका ना चाहते हुए भी बिहारी को मना नहीं कर पाती और अपना मूह खोलकर वो चिकन धीरे धीरे खाने लगती हैं. उसे फिर से तेज़ ओमिटिंग आती हैं मगर बिहारी उसे झट से पानी दे देता हैं पीने के लिए. बड़ी मुश्किल से वो चिकन का पीस खाती हैं. ऐसे ही करीब 1/2 घंटे तक बिहारी उसको अपने हाथों से खिलाता है.
खाना खाने के बाद बिहारी अपनी जेब से तीन वियाग्रा की गोली निकालता हैं और पहले विजय फिर जग्गा और आखरी में खुद वियाग्रा की गोली ख़ाता हैं. (वियाग्रा का यूज़ सेक्स पवर बढ़ाने के लिए होता हैं और अपने पार्ट्नर को गरम करने के लिए भी वायग्रा का यूज़ किया जाता हैं) राधिका उन तीनों को बड़े ध्यान से देख रही थी मगर वो ये नहीं समझ पा रही थी कि ये लोग कैसी दवाई ले रहे हैं. करीब 1/2 घंटे के बाद फिर से राधिका के साथ चुदाई का खेल शुरू हो जाता हैं. इस वक़्त भी वो वाइब्रटर उसकी चूत में था मगर उसकी स्पीड बहुत कम थी. राधिका की आँखों में इस वक़्त हवस और ड्रग्स का नशा सॉफ छलक रहा था.
बिहारी फिर से राधिका के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और उसकी नंगी पीठ पर अपने होंठ रख देता हैं और बहुत धीरे धीरे अपना जीभ उसके पीठ पर फिराने लगता हैं. राधिका के मूह से फिर से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. बिहारी अपना एक हाथ आगे लेजा कर राधिका के दोनो दूध पर रख देता हैं और पहले धीरे धीरे फिर ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो दूधो को मसल्ने लगता हैं. राधिका की आँखें फिर से बंद हो जाती हैं. राधिका के अंदर अब किसी भी चीज़ का विरोध ख़तम हो गया था वो आब उनसब को अपनी मनमानी करने दे रही थी. शायद उसकी हालत इस वक़्त ऐसी थी इस वजह से.
विजय- चल मेरी जान आब खेल शुरू करते हैं. खेल ये हैं कि तुझे हम सब का लंड बारी बारी चूसना हैं और तुझे इसके लिए 15 मिनिट का समय मिलेगा. अगर इन 15 मिनिट में तूने हम तीनों को फारिग कर दिया तो तू जीती वरना हार गयी तो अब तेरे जिस्म पर एक भी कपड़े नहीं रहेंगा. और फिर तुझे ये कपड़े पूरे एक हफ्ते के बाद ही मिलेंगे. एक हफ्ते तक तू हम सब के सामने बिना कपड़ों के रहेगी. इस लिए कोशिश करना कि इस बार तेरी हार ना हो....
राधिका बस हां में अपना सिर हिला देती हैं और फिर तीनों एक एक कर अपने कपड़े उसके सामने उतारना शुरू कर देते हैं. सबसे पहले जग्गा अपने पूरे कपड़े निकालता हैं. फिर विजय और आख़िर में बिहारी. और आख़िरकार वो तीनों अपना अंडरवेर भी निकाल कर राधिका के सामने एक दम नंगे हो जाते हैं. राधिका बड़े गौर से उन तीनों का लंड देख रही थी तीनों के लंड एक समान थे सबसे लंबा तो विजय का था मगर सबसे मोटा लंड बिहारी का था. पूरे 3.5 इंच मोटा. और 8 इंच लंबा. जग्गा का भी 9 इंच का था और विजय का पूरे 10 इंच का. बिहारी फिर से घड़ी की ओर इशारा करता हैं. तभी बिहारी फिर से वाइब्रटर की स्पीड बढ़ा देता हैं और राधिका फिर से तड़प जाती हैं.
बिहारी- अब इस वाइब्रटर का स्पीड पूरे 15 मिनिट के बाद ही कम होगा. तुझे इसी हालत में हम सब का बारी बारी लंड चूसना हैं.
बिहारी- तेरे पास 5 मिनिट हैं. हर 5 मिनिट में तुझे हम में से एक के लंड से पानी निकालना हैं और कुल मिलकर इन 15 मिनिट में तुझे ये काम ख़तम करने हैं. इसलिए पूरे दिल लगा कर हम सब का लंड चूसना. राधिका कुछ नहीं कहती और फिर घड़ी की ओर देखने लगती हैं. फिर वो फ़ौरन सबसे पहले जग्गा के पास आती हैं और बिना कुछ सोचे समझे वो तुरंत जग्गा का लंड को अपने मूह में लेकर चूसना शुरू करती हैं. उसके सुपाडे को अच्छे से चाटने के बाद वो उसके टिट्स पर अपने जीभ फिराने लगती हैं. जग्गा के मूह से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो राधिका के सिर पर अपने हाथ फिराने लगता हैं. राधिका पूरा कॉन्सेंट्रेट नहीं कर पा रही थी वजह थी उसकी चूत में वो वाइब्रटर जो उसे परेशान कर रहा था.
जग्गा- राधिका इसे पूरा अपने मूह में लेकर चूस ना. जैसे तू अपने भाई का पूरा लेती थी.
राधिका एक नज़र जग्गा को देखती हैं जग्गा वहीं खड़ा मुस्कुरा रहा था फिर वो अपनी नज़रें नीची करके उसका लंड को अपने मूह में धीरे धीरे अंदर लेने लगती है. और उधेर जग्गा भी अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं. वियाग्रा की वजह से उसका लंड पूरा हार्ड हो गया था और उसका लंड पूरे जोश में खड़ा था. वो भी कोई विरोध नहीं करती और धीरे धीरे उसे मूह में लेकर तेज़ी से चूसने लगती हैं. जैसे जैसे राधिका चूसने की स्पीड बढ़ाती हैं वैसे वैसे जग्गा के मूह से सिसकारी बढ़ती जाती हैं. करीब 5 मिनिट तक जग्गा का लंड चूसने के बाद जग्गा अपने झड़ने के बहुत करीब होता हैं तभी बिहारी बीच में ही बोल पड़ता हैं- अरे मेरी रानी सिर्फ़ उसका ही लंड बस चूसेगी क्या ?? चल अभी लाइन में विजय और मैं भी हूँ. जल्दी से उसका लंड छोड़ और हमारे पास आ.
राधिका एक नज़र घड़ी पर डालती हैं फिर वो झट से विजय के पास आती हैं और उसके लंड को चूसना शुरू करती हैं. कभी वो उसके टिट्स को चूस्ति तो कभी उसके लंड के टोपे को. ऐसे ही 5 मिनिट और बीत जाते हैं और विजय का भी कम निकालने वाला होता हैं और बिहारी फिर से वही अपनी चाल चलता हैं. अंत में राधिका बिहारी के पास जाती हैं और सबसे पहले उसका सुपाडा को अपने मूह में लेकर चूस्ति हैं फिर उसके टिट्स को चाट ती हैं फिर धीरे धीरे वो उसके पूरे लंड को चूस्ति हैं. ऐसा ही वक़्त गुजर जाता हैं और पूरे 15 मिनिट बीत जाते हैं और राधिका फिर एक बार नाकाम हो जाती हैं.
बिहारी - क्या बात हैं मेरी जान आज तू केवल हार रही हैं. ऐसे ही हारती रहेगी तो तेरा क्या होगा. राधिका कुछ कहती नहीं और चुप चाप वही खड़ी रहती हैं.
राधिका- प्लीज़ बिहारी मुझे अब मत तड़पाओ ....मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रहा .कुछ तो मुझपर तरस खाओ.
राधिका की ऐसी हालत देखकर बिहारी के चेहरे पर फिर से कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं- ठीक हैं मेरी जान मैं तेरी चूत की आग को ठंडा करूँगा मगर इसके बदले मुझे क्या मिलेगा.
राधिका फिर से सवाल भरी नज़रो से बिहारी को देखने लगती हैं- क्या चाहिए और तुम्हें सब कुछ तो मैं अब तुम्हें अपना जिस्म सौप रही हूँ. बोलो और क्या ख्वाहिश हैं तुम्हारी...
बिहारी- ख्वाहसें तो बहुत हैं मेरी जान खैर छोड़ वक़्त आने पर तुझसे माँग लूँगा... चल अब सबसे पहले तू एक एक कर अपने कपड़े हम सब के सामने उतारती जा और तब तक तेरे हाथ नहीं रुकने चाहिए जब तक तेरे बदन पर एक भी कपड़े ना बचा हो. और हां ज़रा आराम से एक एक कर उतारना क्यों कि हमे किसी भी चीज़ की जल्दी नहीं हैं.
राधिका एक नज़र उन तीनों को देखती हैं फिर वो अपना हाथ धीरे से बढ़ाकर सबसे पहले वो अपने सीने से साड़ी का पल्लू हटाती हैं और उसे ज़मीन पर गिरा देती हैं. साड़ी का पल्लू हट जाने से ब्रा में क़ैद उसके बड़े बड़े दूध उन तीनों की नज़रो के सामने आ जाते हैं. फिर वो अपना हाथ नीचे ले जाकर अपना साड़ी को कमर से निकालने लगती हैं और धीरे धीरे अपनी साड़ी खीचने लगती हैं थोड़ी देर में राधिका का बदन से साड़ी जुदा हो जाता हैं. अब वो इस वक़्त साया और ब्रा में उन तीनों के सामने खड़ी थी.
बिहारी- रुक क्यों गयी. चल बाकी के भी कपड़े उतार.
राधिका के हाथ फिर से हरकत करते हैं और इस बार वो अपने साया (पेटिकोट) का नाडा धीरे से खोल देती है. जैसे ही रस्सी खुलती हैं उसका साया उसके कदमों के पास गिर जाता हैं. वो बस ब्रा और पैंटी में इस वक़्त उनके सामने खड़ी थी. बिहारी और उन दोनो की हालत खराब हो रही थी राधिका के ऐसे सुंदर रूप को देखकर. तीनों बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किए हुए थे. फिर राधिका अपने दोनो हाथ पीछे लेजा कर अपने ब्रा का हुक खोल देती है और शरम से अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.
बिहारी- याद रख राधिका जितना तू लेट करेगी अपने कपड़े उतारने में तुझे हम उतना ही तडपाएँगे अब मैं तुझे कुछ नहीं कहूँगा आगे तेरी मर्ज़ी.
राधिका कुछ नहीं कहती और वो अपने ब्रा को धीरे धीरे सरकाते हुए अपने सीने से धीरे धीरे हटाने लगती हैं और कुछ देर में उसके दोनो बूब्स उन तीनों के सामने बे-परदा हो जाते हैं. राधिका के नंगे बूब्स को देख कर विजय जग्गा और बिहारी का गला सूख जाता हैं. तभी राधिका अपना हाथ नीचे ले जाती हैं और धीरे धीरे वो अपनी पैंटी सरकनाने लगती हैं. और कुछ देर में उसके बदन से वो पैंटी भी अलग हो जाती हैं. इस वक़्त राधिका उन तीनों के सामने पूरी नंगी अवस्था में खड़ी थी. और बिहारी ,जग्गा और विजय आँखें फाड़ फाड़ कर राधिका के बदन को देख रहे थे.
फिर विजय उसके करीब आता हैं और राधिका को अपने हाथ आगे करने को कहता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के अपना हाथ आगे बढ़ा देती हैं. विजय वैसे तो एक डॉक्टर था वो जानता था कि राधिका को इस वक़्त ड्रग्स का कितना डोज देना चाहिए. फिर वो इंजेक्षन राधिका के हाथों में लगा देता हैं और कुछ देर में वो ज़हर उसकी रगों में समा जाता हैं. इस वक़्त ऐसे भी राधिका कुछ सोचने समझने की हालत में नहीं थी इस लिए वो किसी भी बात का विरोध नहीं करती और थोड़ी देर के बाद वो वही फर्श पर धम्म से गिर जाती हैं. शायद ड्रग्स का नशा पहली बार साधारण इंसान उसे बर्दास्त नहीं कर पाता. कुछ देर तक वो वहीं फर्श पर पड़ी रहती हैं और धीरे धीरे ड्रग्स अपना असर दिखाना शुरू कर देता हैं.
थोड़ी देर के बाद वो उठती हैं और फिर उसे ऐसा लगता हैं कि वो अब दुबारा गिर पड़ेगी मगर जग्गा उसे तुरंत अपनी बाहों में थाम लेता हैं और अपना होन्ट राधिका के होंठो पर रखकर उसे चूसना शुरू कर देता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी होंटो को हरकत करना शुरू कर देती हैं फिर जग्गा अपना एक हाथ राधिका के सीने पर रखकर वो अपने हाथों पर दबाव बढ़ाने लगता हैं. राधिका पर भी ड्रग्स का नशा धीरे धीरे हावी होता जा रहा था. उसकी आँखे अभी भी बंद थी ऐसे ही काफ़ी देर तक जग्गा उसके होंटो को चूस्ता हैं.
यहाँ पर राधिका का पतन अब इतना नीचे हो चुका था कि अब उसका दुबारा लौटना ना-मुमकिन था. और आज जो कुछ भी हो रहा था वो इन सब की ज़िम्मेदार वो खुद थी. जहाँ अब उसको प्रायश्चित करने का भी मौका नहीं मिलने वाला था.
राधिका अभी भी बेसूध जग्गा की बाहों में थी और जग्गा उसके होंटो को चूस रहा था और साथ ही साथ राधिका के निपल्स को भी अपने दोनो उंगलियों से बारी बारी मसल रहा था. होंटो पर होंठ सटे रहने की वजह से राधिका की सिसकारी उसके अंदर ही घुट रही थी. वो अभी भी पूरी मदहोशी की हालत में थी. तभी बिहारी जग्गा को हटने का इशारा करता हैं. और जग्गा राधिका से दूर हो जाता हैं.
बिहारी- अरे मेरी जान चुदाई का खेल तो चलता ही रहेगा चल सबसे पहले तू कुछ खा पी ले. और वैसे भी मैने आज तेरे लिए स्पेशल डिश बनवाया हैं. तुझे ज़रूर पसंद आएगा. राधिका फिर से बिहारी की ओर सवाल भरे नज़रो से देखने लगती हैं. फिर बिहारी वहीं टेबल पर जग्गा को खाना निकालने को कहता हैं.
बिहारी- आजा मेरी जान आज मैं तुझे अपनी गोद में बिठा कर खिलाउन्गा. राधिका की इस वक़्त ऐसी हालत थी कि उसे कुछ ग़लत सही में फ़र्क नहीं नज़र आ रहा था वो चुप चाप वहीं बिहारी के पास खड़ी रहती है तभी बिहारी उसको अपने नज़दीक खींच लेता हैं और उसे अपनी गोदी में बिठा देता हैं. राधिका कोई विरोध नहीं करती और चुप चाप बिहारी की गोद में बैठ जाती हैं. बिहारी का लंड इस वक़्त पूरी तरह से खड़ा था और राधिका के गोद में बैठने से उसका लंड उसकी गान्ड को टच कर रहा था. फिर जग्गा एक प्लेट में चिकन निकालता हैं और उसे बिहारी और राधिका की तरफ बढ़ा देता है. बिहारी एक पीस चिकन का टुकड़ा लेकर राधिका के मूह के पास लता हैं और राधिका का मूह खुलने का इंतेज़ार करता हैं.
बिहारी- ऐसा क्या देख रही हैं मेरी जान. एक दिन तो तूने खुद अपने भैया के लिए ये चिकन खाई थी आज हम सब के लिए खा ले. राधिका ना चाहते हुए भी बिहारी को मना नहीं कर पाती और अपना मूह खोलकर वो चिकन धीरे धीरे खाने लगती हैं. उसे फिर से तेज़ ओमिटिंग आती हैं मगर बिहारी उसे झट से पानी दे देता हैं पीने के लिए. बड़ी मुश्किल से वो चिकन का पीस खाती हैं. ऐसे ही करीब 1/2 घंटे तक बिहारी उसको अपने हाथों से खिलाता है.
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खाना खाने के बाद बिहारी अपनी जेब से तीन वियाग्रा की गोली निकालता हैं और पहले विजय फिर जग्गा और आखरी में खुद वियाग्रा की गोली ख़ाता हैं. (वियाग्रा का यूज़ सेक्स पवर बढ़ाने के लिए होता हैं और अपने पार्ट्नर को गरम करने के लिए भी वायग्रा का यूज़ किया जाता हैं) राधिका उन तीनों को बड़े ध्यान से देख रही थी मगर वो ये नहीं समझ पा रही थी कि ये लोग कैसी दवाई ले रहे हैं. करीब 1/2 घंटे के बाद फिर से राधिका के साथ चुदाई का खेल शुरू हो जाता हैं. इस वक़्त भी वो वाइब्रटर उसकी चूत में था मगर उसकी स्पीड बहुत कम थी. राधिका की आँखों में इस वक़्त हवस और ड्रग्स का नशा सॉफ छलक रहा था.
बिहारी फिर से राधिका के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और उसकी नंगी पीठ पर अपने होंठ रख देता हैं और बहुत धीरे धीरे अपना जीभ उसके पीठ पर फिराने लगता हैं. राधिका के मूह से फिर से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. बिहारी अपना एक हाथ आगे लेजा कर राधिका के दोनो दूध पर रख देता हैं और पहले धीरे धीरे फिर ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो दूधो को मसल्ने लगता हैं. राधिका की आँखें फिर से बंद हो जाती हैं. राधिका के अंदर अब किसी भी चीज़ का विरोध ख़तम हो गया था वो आब उनसब को अपनी मनमानी करने दे रही थी. शायद उसकी हालत इस वक़्त ऐसी थी इस वजह से.
विजय- चल मेरी जान आब खेल शुरू करते हैं. खेल ये हैं कि तुझे हम सब का लंड बारी बारी चूसना हैं और तुझे इसके लिए 15 मिनिट का समय मिलेगा. अगर इन 15 मिनिट में तूने हम तीनों को फारिग कर दिया तो तू जीती वरना हार गयी तो अब तेरे जिस्म पर एक भी कपड़े नहीं रहेंगा. और फिर तुझे ये कपड़े पूरे एक हफ्ते के बाद ही मिलेंगे. एक हफ्ते तक तू हम सब के सामने बिना कपड़ों के रहेगी. इस लिए कोशिश करना कि इस बार तेरी हार ना हो....
राधिका बस हां में अपना सिर हिला देती हैं और फिर तीनों एक एक कर अपने कपड़े उसके सामने उतारना शुरू कर देते हैं. सबसे पहले जग्गा अपने पूरे कपड़े निकालता हैं. फिर विजय और आख़िर में बिहारी. और आख़िरकार वो तीनों अपना अंडरवेर भी निकाल कर राधिका के सामने एक दम नंगे हो जाते हैं. राधिका बड़े गौर से उन तीनों का लंड देख रही थी तीनों के लंड एक समान थे सबसे लंबा तो विजय का था मगर सबसे मोटा लंड बिहारी का था. पूरे 3.5 इंच मोटा. और 8 इंच लंबा. जग्गा का भी 9 इंच का था और विजय का पूरे 10 इंच का. बिहारी फिर से घड़ी की ओर इशारा करता हैं. तभी बिहारी फिर से वाइब्रटर की स्पीड बढ़ा देता हैं और राधिका फिर से तड़प जाती हैं.
बिहारी- अब इस वाइब्रटर का स्पीड पूरे 15 मिनिट के बाद ही कम होगा. तुझे इसी हालत में हम सब का बारी बारी लंड चूसना हैं.
बिहारी- तेरे पास 5 मिनिट हैं. हर 5 मिनिट में तुझे हम में से एक के लंड से पानी निकालना हैं और कुल मिलकर इन 15 मिनिट में तुझे ये काम ख़तम करने हैं. इसलिए पूरे दिल लगा कर हम सब का लंड चूसना. राधिका कुछ नहीं कहती और फिर घड़ी की ओर देखने लगती हैं. फिर वो फ़ौरन सबसे पहले जग्गा के पास आती हैं और बिना कुछ सोचे समझे वो तुरंत जग्गा का लंड को अपने मूह में लेकर चूसना शुरू करती हैं. उसके सुपाडे को अच्छे से चाटने के बाद वो उसके टिट्स पर अपने जीभ फिराने लगती हैं. जग्गा के मूह से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो राधिका के सिर पर अपने हाथ फिराने लगता हैं. राधिका पूरा कॉन्सेंट्रेट नहीं कर पा रही थी वजह थी उसकी चूत में वो वाइब्रटर जो उसे परेशान कर रहा था.
जग्गा- राधिका इसे पूरा अपने मूह में लेकर चूस ना. जैसे तू अपने भाई का पूरा लेती थी.
राधिका एक नज़र जग्गा को देखती हैं जग्गा वहीं खड़ा मुस्कुरा रहा था फिर वो अपनी नज़रें नीची करके उसका लंड को अपने मूह में धीरे धीरे अंदर लेने लगती है. और उधेर जग्गा भी अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं. वियाग्रा की वजह से उसका लंड पूरा हार्ड हो गया था और उसका लंड पूरे जोश में खड़ा था. वो भी कोई विरोध नहीं करती और धीरे धीरे उसे मूह में लेकर तेज़ी से चूसने लगती हैं. जैसे जैसे राधिका चूसने की स्पीड बढ़ाती हैं वैसे वैसे जग्गा के मूह से सिसकारी बढ़ती जाती हैं. करीब 5 मिनिट तक जग्गा का लंड चूसने के बाद जग्गा अपने झड़ने के बहुत करीब होता हैं तभी बिहारी बीच में ही बोल पड़ता हैं- अरे मेरी रानी सिर्फ़ उसका ही लंड बस चूसेगी क्या ?? चल अभी लाइन में विजय और मैं भी हूँ. जल्दी से उसका लंड छोड़ और हमारे पास आ.
राधिका एक नज़र घड़ी पर डालती हैं फिर वो झट से विजय के पास आती हैं और उसके लंड को चूसना शुरू करती हैं. कभी वो उसके टिट्स को चूस्ति तो कभी उसके लंड के टोपे को. ऐसे ही 5 मिनिट और बीत जाते हैं और विजय का भी कम निकालने वाला होता हैं और बिहारी फिर से वही अपनी चाल चलता हैं. अंत में राधिका बिहारी के पास जाती हैं और सबसे पहले उसका सुपाडा को अपने मूह में लेकर चूस्ति हैं फिर उसके टिट्स को चाट ती हैं फिर धीरे धीरे वो उसके पूरे लंड को चूस्ति हैं. ऐसा ही वक़्त गुजर जाता हैं और पूरे 15 मिनिट बीत जाते हैं और राधिका फिर एक बार नाकाम हो जाती हैं.
बिहारी - क्या बात हैं मेरी जान आज तू केवल हार रही हैं. ऐसे ही हारती रहेगी तो तेरा क्या होगा. राधिका कुछ कहती नहीं और चुप चाप वही खड़ी रहती हैं.
राधिका- प्लीज़ बिहारी मुझे अब मत तड़पाओ ....मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रहा .कुछ तो मुझपर तरस खाओ.
राधिका की ऐसी हालत देखकर बिहारी के चेहरे पर फिर से कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं- ठीक हैं मेरी जान मैं तेरी चूत की आग को ठंडा करूँगा मगर इसके बदले मुझे क्या मिलेगा.
राधिका फिर से सवाल भरी नज़रो से बिहारी को देखने लगती हैं- क्या चाहिए और तुम्हें सब कुछ तो मैं अब तुम्हें अपना जिस्म सौप रही हूँ. बोलो और क्या ख्वाहिश हैं तुम्हारी...
बिहारी- ख्वाहसें तो बहुत हैं मेरी जान खैर छोड़ वक़्त आने पर तुझसे माँग लूँगा... चल अब सबसे पहले तू एक एक कर अपने कपड़े हम सब के सामने उतारती जा और तब तक तेरे हाथ नहीं रुकने चाहिए जब तक तेरे बदन पर एक भी कपड़े ना बचा हो. और हां ज़रा आराम से एक एक कर उतारना क्यों कि हमे किसी भी चीज़ की जल्दी नहीं हैं.
राधिका एक नज़र उन तीनों को देखती हैं फिर वो अपना हाथ धीरे से बढ़ाकर सबसे पहले वो अपने सीने से साड़ी का पल्लू हटाती हैं और उसे ज़मीन पर गिरा देती हैं. साड़ी का पल्लू हट जाने से ब्रा में क़ैद उसके बड़े बड़े दूध उन तीनों की नज़रो के सामने आ जाते हैं. फिर वो अपना हाथ नीचे ले जाकर अपना साड़ी को कमर से निकालने लगती हैं और धीरे धीरे अपनी साड़ी खीचने लगती हैं थोड़ी देर में राधिका का बदन से साड़ी जुदा हो जाता हैं. अब वो इस वक़्त साया और ब्रा में उन तीनों के सामने खड़ी थी.
बिहारी- रुक क्यों गयी. चल बाकी के भी कपड़े उतार.
राधिका के हाथ फिर से हरकत करते हैं और इस बार वो अपने साया (पेटिकोट) का नाडा धीरे से खोल देती है. जैसे ही रस्सी खुलती हैं उसका साया उसके कदमों के पास गिर जाता हैं. वो बस ब्रा और पैंटी में इस वक़्त उनके सामने खड़ी थी. बिहारी और उन दोनो की हालत खराब हो रही थी राधिका के ऐसे सुंदर रूप को देखकर. तीनों बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किए हुए थे. फिर राधिका अपने दोनो हाथ पीछे लेजा कर अपने ब्रा का हुक खोल देती है और शरम से अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.
बिहारी- याद रख राधिका जितना तू लेट करेगी अपने कपड़े उतारने में तुझे हम उतना ही तडपाएँगे अब मैं तुझे कुछ नहीं कहूँगा आगे तेरी मर्ज़ी.
राधिका कुछ नहीं कहती और वो अपने ब्रा को धीरे धीरे सरकाते हुए अपने सीने से धीरे धीरे हटाने लगती हैं और कुछ देर में उसके दोनो बूब्स उन तीनों के सामने बे-परदा हो जाते हैं. राधिका के नंगे बूब्स को देख कर विजय जग्गा और बिहारी का गला सूख जाता हैं. तभी राधिका अपना हाथ नीचे ले जाती हैं और धीरे धीरे वो अपनी पैंटी सरकनाने लगती हैं. और कुछ देर में उसके बदन से वो पैंटी भी अलग हो जाती हैं. इस वक़्त राधिका उन तीनों के सामने पूरी नंगी अवस्था में खड़ी थी. और बिहारी ,जग्गा और विजय आँखें फाड़ फाड़ कर राधिका के बदन को देख रहे थे.
बिहारी तभी राधिका के करीब आता हैं - वाह मेरी जान.......वाह... कसम से वाकई तू क्या चीज़ हैं. मुझे नहीं पता था कि तू नंगी हालत में और खूबसूरत लगेगी. और फिर बिहारी उसके पीछे जाकर उससे सट कर खड़ा हो जाता हैं और धीरे धीरे अपने हाथों को बढ़ाते हुए उसके दोनो बूब्स को अपनी मुट्ठी में पूरी ताक़त से भीच लेता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. मगर इस बार वो अपने हाथों को रोकता नहीं बल्कि उसी तरह उसके दोनो बूब्स को मसलता रहता हैं. फिर एक हाथ नीचे लेजा कर उसकी चूत पर रखकर उसको अपनी मुट्ठी में भीच लेता हैं. और अपना लंड का प्रेशर राधिका के गान्ड पर डालने लगता हैं. राधिका इस वक़्त अपनी आँख बंद किए हुए बिहारी को पूरी मनमानी करने दे रही थी. तभी विजय और जग्गा भी उसके पास आ जाते हैं और जग्गा नीचे झूल कर राधिका की चूत पर अपने होंठ रख कर बड़े हौले से अपना जीभ फिराने लगता हैं और विजय उसके दोनो निपल्स को बारी बारी अपने मूह में लेकर चूस्ता हैं.
राधिका के मूह से सिसकारी लगातार निकल रही थी आ.............एयेए...हह..............अया.हह. वो आब धीरे धीरे झड़ने के करीब पहुँच रही थी और उसकी आँखें बंद थी. पीछे से बिहारी उसकी पीठ और गर्देन पर अपना जीभ फिरा रहा था और उसके गान्ड को दोनो हाथों से मसल भी रहा था उधेर विजय उसके दोनो दूध को बारी बारी चूस रहा था और नीचे बैठा जग्गा उसकी चूत पर हल्के होंटो से उसकी चूत को छेड़ रहा था. राधिका इस वक़्त जन्नत में थी. उसे तो ये भी होश नहीं था कि जो लोग उसके बदन से खेल रहे हैं वो उसके दुश्मन हैं.
राधिका अब झरड़ने के बिल्कुल करीब आ चुकी थी अभी भी वो डिल्डो उसकी चूत में था और बहुत धीमी गति से घूम रहा था तभी बिहारी उन सब को तुरंत पीछे हटने को बोल देता हैं और खुद भी हट जाता हैं. और फिर राधिका के बदले हुए चेहरे को वो तीनों बड़े गौर से देखने लगते हैं.
राधिका फिर से तड़प उठती हैं. अगर थोड़ी देर तक वे लोग उसके जिस्म के साथ और खेलते तो वो अब तक झढ़ चुकी होती मगर इस तरह आधी अधूरी प्यास से वो और बौखला जाती हैं..
राधिका तुरंत बिहारी के कदमों में गिरकर रोने लगती हैं- आख़िर मेरी किश खता की तुम मुझे इतनी बड़ी सज़ा दे रहे हो. आख़िर मेरा क्या कसूर हैं. क्यों तुम मुझे ऐसे तडपा रहे हो. प्लीज़............ अब तो मेरी प्यास बुझा दो. अब ये प्यास मेरी बर्दास्त के बाहर हो चुकी हैं. तुम्हें जो जी में आए वो तुम मुझसे करवा लो मगर ऐसा सितम मुझपर मत करो ..................प्लीज़ मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ.
बिहारी राधिका को बड़े प्यार से उठाता हैं- अरे मेरी जान मैं तुझे किसी बात की सज़ा थोड़ी ही ना दे रहा हूँ. जिसे तू सज़ा समझ रही हैं देखना कुछ देर बाद तुझे कितना उससे सुख मिलेगा. मैं तो तुझे ये दिखा रहा हूँ कि जब चूत में आग लगती हैं तो औरत इस आग को बुझाने के लिए किस हद्द तक जा सकती हैं. और मुझे तेरी वो हद्द देखनी हैं. तू चिंता मत कर बस थोड़ी देर की बात हैं तेरी आग हम ऐसे बुझायेँगे कि तू हमे जन्मों जन्मों तक नहीं भूल पाएगी.. मगर उससे पहले तुझे हम तीनों के लंड से पानी निकालना होगा बोल पूरा अच्छे से चूसेगी ना हम सब का लंड.
राधिका- हां बिहारी तुम जैसा चाहते हो जो चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी फिर राधिका झट से उठती हैं और घुटनों के बल बैठ कर बिहारी के लंड को अपने मूह से चाटना शुरू करती हैं.
बिहारी- एक दिन मैने कहा था ना कि तुझे मैं अपना लॉडा चुसवाउन्गा. देख आज तू खुद अपनी मर्ज़ी से मेरा लंड चूस रही हैं. बोल तुझे अब मैं क्या कहूँ ...............................एक रंडी. या कुछ और..
विजय- बिहारी रंडियों का भी कोई वजूद होता हैं. वो कितना भी नीचे गिर जायें मगर अपने भाई और बाप से कभी नहीं चुदवाती. मगर इसे देख ये तो इन सब से आगे हैं. बोल हैं ना तू एक रंडी.....
राधिका सिर नीचे झुका लेती हैं- हां मैं रंडी हूँ. तुम सब की रखैल हूँ तुम सब का जो जी में आए मेरे साथ करो जैसा कहोगे तुम सब मैं वैसा करूँगी.
बिहारी- वो तो तू वैसे भी करेगी मेरी रानी आख़िर तेरी चूत की आग को इस वक़्त हम ही बुझा सकते हैं. अगर हम ने ऐसा नहीं किया तो तू बाहर किसी से भी इस वक़्त चुदवा सकती हैं. क्यों कि मैं अच्छे से जानता हूँ इस वक़्त तेरी चूत की आग तुझे अच्छे बुरे के बारे में कुछ सोचने नहीं देगी और अगर इस वक़्त तेरा बाप भी यहाँ पर होता तो तू उसके सामने अपनी चूत खोलकर तू उससे भी चुदवा लेती. बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर राधिका शरम से अपनी नज़रें नीचे झुका लेती हैं.
बिहारी- चल अब यहाँ सोफे पर लेट जा और अपनी गर्देन फर्श की ओर झुका ले. राधिका चुप चाप वही बिस्तेर पर पीठ के बल लेट जाती हैं और अपनी गर्देन बेड के नीचे झुका लेती हैं. वो अच्छे से जानती थी कि बिहारी अब उसके हलक तक अपना लंड डालेगा जिससे उसको तकलीफ़ होगी मगर चूत की आग के लिए उसे इस वक़्त सब मंज़ूर था. थोड़ी देर बाद बिहारी अपना लंड उसके मूह के पास रखता हैं और फिर अपना लंड उसके मूह में धीरे धीरे डालना शुरू करता हैं. राधिका भी बिहारी का पूरा समर्थन करती है और अपना मूह पूरा खोल लेती हैं. बिहारी धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर बढ़ाने लगता हैं और धीरे धीरे उसका लंड राधिका के हलक में जाने लगता हैं.
जैसे जैसे लंड राधिका के मूह में जाता हैं वैसे वैसे राधिका की तकलीफे भी बढ़ने लगती हैं मगर वो हिम्मत नहीं छोड़ती. बिहारी मुस्कुराते हुए अपने लंड पर प्रेशर बनाए रखता हैं और कुछ देर तक वो राधिका के गले में ही वैसे अपना लंड रोके रहता हैं. फिर वो तुरंत अपना लंड बाहर निकालता हैं और फिर उतनी ही तेज़ी से अपना लंड राधिका के गले के नीचे उतार देता हैं. झटका इतना ज़ोरदार था कि राधिका को ऐसा लगता हैं कि उसका गला फट जाएगा और एक तेज़्ज़ दर्द की लहर उसके गले में दौड़ जाती हैं और उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं. थोड़ी और ज़ोर देने पर बिहारी का पूरा 8 इंच का लंड राधिका के हलक तक पहुँचने में कामयाब हो जाता हैं. वो वैसे ही कुछ देर तक अपना लंड उसी पोज़िशन में रखता है. राधिका को ऐसा लगता है कि उसका दम घूट जाएगा मगर वो बिहारी को अपना लंड बाहर निकालने को नहीं कहती. करीब 15 सेकेंड तक राधिका के हलक में लंड रखने पर राधिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं और फिर तुरंत बिहारी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं.
थोड़ी देर में राधिका ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं फिर बिहारी बिना रुके अपना पूरा लंड एक ही झटके में राधिका के हलक में दुबारा पहुचा देता हैं और तभी विजय उसके पास आता हैं और अपने हाथों से उसकी गर्देन को दबाने लगता हैं. बिहारी उसी पोज़िशन में अपना लंड फँसाए रहता हैं और फिर एक तेज़्ज़ पिचकारी उसके लंड से छूटती हैं और और सीधा राधिका के गले में उतर जाती हैं और कुछ बूँदें उसके होंटो से बहते हुए उसके गालों की ओर बहने लगती हैं. तभी बिहारी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं. फिर विजय उसके पास आता हैं और अपना लंड पूरा का पूरा फिर से राधिका के हलक में डाल देता हैं और वो भी उसी तरह उसकी गले में कुछ देर लंड डाले रहता हैं. और करीब 1 मिनिट तक वो ऐसे ही राधिका के गले के नीचे अपना लंड पेले रहता हैं जब तक उसका भी कम नहीं निकल जाता. राधिका की हालत खराब हो गयी थी. विजय जब भी चुदाई करता वो हैवान बन जाता था. राधिका का गला दर्द कर रहा था मगर वो इस वक़्त उसके सिर पर चूत का खुमार छाया हुआ था. फिर लाइन में जग्गा भी आता हैं और फिर से वही होता हैं. जग्गा का भी कम कुछ राधिका के हलक़ में समा चुका था और कुछ बाहर फर्श पर टपक रहा था.
राधिका की आँखों में इस वक़्त आँसू थे. अभी तो ये शुरुआत थी पता नहीं आने वाले उन सात दिनों में उसके साथ और क्या क्या होने वाला था. वो भी बुरी तरह से हाफ़ रही थी और उसका दिल भी बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था.
बिहारी- मैं ना कहता था कि एक दिन तुझे अपने कदमों में झुका दूँगा. बोल आज कौन जीता तू ......कि मैं.
राधिका- हां बिहारी तुम जीत गये शायद मैं ही ग़लत थी. आज तुम्हारा जो दिल में आए मेरे साथ कर लो...... जो तुम करना चाहते हो. राधिका आज तुमसे वादा करती हैं कि अब चाहे कुछ भी हो जाए मैं तुम्हें किसी बात के लिए मना नहीं करूँगी. चाहे मेरी जान ही क्यों ना चली जाए और वैसे भी अब मैं जीना नहीं चाहती और इतना सब कुछ हो जाने के बाद मेरा राहुल भी अब मुझे नहीं आपनाएगा. भले ही आज तुम जीत गये और तुमने मुझे हासिल कर लिया मगर मुझे तो सिर्फ़ हार ही मिली है लेकिन तुम क्या समझोगे बिहारी रहने दो ये सब बातें तुम्हारी समझ में नहीं आएगी. तुम्हें तो मेरे जिस्म से बस प्यार हैं. लो आज मैं तुम्हारे सामने बिन कपड़ों के खड़ी हूँ अब किस बात की देर हैं. कर लो अपनी ये गंदी हसरत...........आज तुम्हारे इस जीत की वजह से मैं आज अपनी ज़िंदगी से भी हार गयी हूँ और अपने आप से भी...
बिहारी राधिका की बातो से कुछ बोल नहीं पाता और अपनी नज़रें नीचे झुका लेता हैं. वो अच्छे से जानता था कि आज भले ही राधिका ने उसके सामने अपना जिस्म सौप दिया हो मगर उसके बाद उसकी ज़िंदगी में कौन सा मोड़ आएगा ये उसके नहीं पता था और ना ही राधिका इस बारे में जानना चाहती थी. क्यों कि वो जानती थी कि इस एक हफ्ते के बाद उसकी ज़िंदगी पूरी तरह से तबाह हो चुकी होगी...
विजय- क्या हुआ बिहारी तेरे हाथ क्यों रुक गये. चल आगे बढ़ और आज फिर से दिखा दे अपना कमीनपन. इसको भी तो पता चले कि हम कितने बड़े कमिने हैं.
बिहारी विजय की बातो को सुनकर जैसे नींद से जागता हैं और फिर वो राधिका के पास आता हैं और अपना हाथ आगे बढ़ाकर राधिका के गालों को बड़े प्यार से अपना हाथ फिराने लगता हैं. तभी विजय और जग्गा उसके पास आते हैं और राधिका के पीछे खड़े हो जाते हैं. विजय अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं और उधेर जग्गा अपना एक हाथ नीचे लेजा कर उसकी चूत से खेलने लगता हैं. राधिका एक बार फिर मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लेती हैं. फिर बिहारी बड़े प्यार से राधिका के होंटो को चूसने लगता हैं.
राधिका की आग अभी भी नहीं बुझी थी. फिर से उसकी आँखों में हवस सॉफ दिखाई देने लगती हैं. तभी विजय उसके पास से हट जाता हैं और राधिका को वहीं सोफे पर दोनो पैर फैलाकर बैठने का इशारा करता हैं. राधिका तुरंत वहीं सोफे पर बैठ जाती हैं और अपनी दोनो टाँगें पूरा खोल देती हैं. राधिका जिस अंदाज़ में अपनी टाँगें खोल कर उन तीनों के सामने बैठी हुई थी इस हालत में अगर उसे कोई देख लेता तो यही कहता कि वो कितनी बड़ी रंडी हैं. तभी जग्गा उसकी चूत के पास आता हैं और अपना मूह राधिका की चूत के पास रख देता हैं और बड़े हौले से उसकी चूत के लिप्स को अपने जीभ से चाटने लगता है. राधिका की चूत इस वक़्त पूरी तरह से गीली थी. और लगातार उसकी चूत से पानी बह रहा था. तभी जग्गा अपनी एक उंगली को धीरे धीरे हरकत करता हैं और धीरे धीरे फिराते हुए पहले उसकी चूत के चारों तरफ बड़े हौले हौले अपनी जीभ फिराता है और फिर वो उसकी गान्ड के पास उसे ले जाता हैं और अपनी उंगली वहीं राधिका की गान्ड में वही उंगली धीरे धीरे घुसाने लगता हैं.
सामने से जग्गा अपनी जीभ से उसकी चूत चाट रहा था और साथ ही साथ वो अपनी एक उंगली राधिका की गान्ड में अंदर बाहर कर रहा था. राधिका धीरे धीरे झरने के और करीब आ रही थी और उधेर विजय लगातार उसके बूब्स को मसल रहा था.और साथ ही साथ अपने दोनो उंगलियों से उसके निपल्स को मसल रहा था. बिहारी दूर खड़ा सब नज़ारा बड़े ध्यान से देख रहा था. फिर बिहारी उस वाइब्रटर की स्पीड धीरे धीरे फिर से बढ़ाने लगता हैं. उधेर जग्गा अपने दोनो हाथों की उंगलियों से राधिका की चूत की दोनो फांकों को अलग करता हैं और उसे अंदर वही डिल्डो दिखाई देता हैं. फिर वो धीरे धीरे उस डिल्डो को राधिका को पुश करने को कहता हैं. राधिका बिना किसी विरोध के वो अपने अंदर रखे डिल्डो को धीरे धीरे पुश करती हैं और जैसे जैसे वो डिल्डो बाहर आता हैं राधिका की सिसकारी भी बढ़ने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो डिल्डो थोड़ा बाहर आता हैं और फिर जग्गा अपने मूह में वो डिल्डो फँसा लेता हैं और वैसे ही धीरे धीरे उसपर अपनी जीभ फिराने लगता हैं. बिहारी अब वाइब्रटर को बंद कर चुका था.
थोड़ी देर के बाद वो वाइब्रटर राधिका की चूत से बाहर निकल जाता हैं. उसमें राधिका की चूत का रस पूरी तरह लगा हुआ था. फिर जग्गा वो डिल्डो राधिका की ओर ले जाता हैं और उसे अपने मूह में लेने का इशारा करता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के उस डिल्डो को अपने मूह में ले लेती हैं तभी जग्गा उसके मूह के पास आता हैं और डिल्डो का दूसरे सिरे पर अपना जीभ फिराता हैं. ऐसे ही कुछ देर तक एक तरफ राधिका और दूसरी तरफ जग्गा दोनो उसपर लगा राधिका की चूत का पानी को चाटते हैं. फिर वो डिल्डो को वहीं साइड में रख देता हैं और फिर से उसके होंटो को चूसने लगता हैं. राधिका ने तो कभी इस तरह का सेक्स ना ही सुना था और ना ही कभी किया था मगर आज उसके अंदर की हवस इतनी बढ़ चुकी थी कि उसे कुछ सही और ग़लत नहीं लग रहा था...
तभी बिहारी उसके नज़दीक आता हैं और उसके होंटो को फिर से चूसने लगता हैं. जग्गा वहीं दूर हट जाता है इस वक़्त राधिका उन तीनों के बीच घिरी हुई थी. तभी बिहारी अपनी एक उंगली राधिका की चूत में डाल देता हैं और फिर धीरे धीरे उसके बाद बहुत तेज़ी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगता हैं. राधिका के मूह से सिसकारी लगातार निकल रही थी मगर वो अभी तक फारिग नहीं हुई थी. जब राधिका फिर से झरने के एक दम करीब होती हैं तभी बिहारी झट से अपनी उंगली राधिका की चूत से बाहर निकाल लेता हैं. इस बार राधिका की आँखो से आँसू निकल पड़ते हैं और फिर से वो बिहारी के कदमों के पास बैठ जाती हैं....
राधिका- बस करो बिहारी........अब मुझसे सब्र नहीं होता. मेरी चूत में तुम अपना लंड डालकर मेरी जी भर कर चुदाई करो मगर ऐसे ज़ुल्म मुझपर मत करो. मेरा धैर्य और सब्र सब टूट चुका हैं. प्लीज़................आख़िर तुम क्या चाहते हो वो भी तो मुझसे कह कर देख लो अगर मैं तुम्हें इनकार करूँगी तो तुम बेशक मेरे साथ ऐसा भी जुर्म करना............
बिहारी हंसते हुए- वो क्या हैं ना राधिका जब तक मुझे औरत की बेबसी नहीं दिखती मुझे सुकून नहीं मिलता. चल अब तू कह रही हैं तो मैं तेरी चूत की आग ठंडी कर देता हूँ लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा....
राधिका- और क्या चाहिए बिहारी जो तुम चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी. बस एक बार कह कर देख लो...
बिहारी- ठीक हैं मेरी जान तो सबसे पहले मैं तेरी गान्ड मारूँगा. फिर बाद में तेरी चूत. बोल मंज़ूर हैं. आख़िर मैं भी तो देखूं कि तेरी गान्ड मारने में कैसा मज़ा आता हैं. बोल अपनी गान्ड मरवाएगी ना मुझसे.
राधिका- हां बिहारी मर्वाउन्गि जो तू चाहता हैं वो आज अपनी हसरत पूरी कर ले. मैं तुझे किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी.
फिर बिहारी उसके नज़दीक आता हैं और एक उंगली झट से राधिका की गान्ड में डाल देता हैं और फिर तेज़ी से अपने उंगलियों की हरकत करता हैं. राधिका के मूह से फिर से सिसकारी निकल पड़ती हैं और वो भी मज़े से अपनी आँखें बंद कर लेती हैं. फिर बिहारी उसको अपने उपर आने को कहता हैं और राधिका झट से बिहारी के उपर आती हैं और अपनी गान्ड को उसके लंड पर रख देती हैं और आहिस्ता आहिस्ता बैठी चली जाती हैं. तकलीफ़ तो उसे बहुत होती हैं मगर वो नहीं रुकती और जब तक बिहारी का पूरा लंड अपनी गान्ड में नहीं ले लेती तब तक वो उसी तरह बिहारी के लंड पर दबाव बनाए रखती हैं. बिहारी अपने दोनो हाथों से राधिका के बूब्स को थाम लेता हैं और फिर धीरे धीरे उसकी गान्ड मारना शुरू करता हैं. कुछ दर्द और कुछ मज़े का मिला जुला रूप इस वक़्त राधिका अपने अंदर महसूस कर रही थी. फिर वो अपने एक हाथ नीचे अपनी चूत के पास ले जाती हैं और अपनी एक उंगली से अपने क्लिट को मसल्ने लगती हैं
उधेर बिहारी का लंड तेज़ी से आगे पीछे होने लगता हैं और इधेर उसकी हाथ तेज़ी से हरकत करने लगती हैं. विजय और जग्गा अपने हाथों से अपना लंड सहला रहे थे. तभी विजय धीरे धीरे राधिका के पास आता हैं और अपना लंड राधिका के मूह के पास ले जाता हैं. राधिका समझ जाती है कि विजय क्या चाहता हैं. फिर वो बिना रुके झट से विजय के लंड को अपने मूह में ले लेती हैं और धीरे धीरे उसे चूसने लगती हैं. ऐसा पहली बार था कि राधिका आज दो लंड एक साथ अपने गान्ड और मूह में ली हुई थी. धीरे धीरे विजय भी अपने लंड पर दबाव बढ़ाने लगता हैं और कुछ देर में उसका लंड राधिका के हलक में पहुँच जाता हैं. इतनी देर से जग्गा भी खड़ा चुप चाप अपने लंड को हिला रहा था वो भी अब राधिका के पास जाता हैं और अपना लंड सीधा उसकी चूत में डालने लगता हैं. राधिका लंड चूसना छोड़ कर एक नज़र जग्गा की ओर देखने लगती हैं.
वैसे राधिका जानती थी कि इस तरह का सेक्स फ़िल्मो में होता हैं मगर उसे क्या मालून था कि ऐसा सेक्स उसके साथ भी होगा. उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था कुछ एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से और कुछ डर से.. फिर भी वो जग्गा की किसी भी बात का कोई विरोध नहीं करती और धीरे धीरे जग्गा का लंड उसकी चूत में जाना चालू हो जाता हैं. जैसे जैसे लंड उसकी चूत में जाता हैं वैसे वैसे राधिका की चीखें बढ़ती जाती हैं और उसका दर्द भी बढ़ता जाता हैं. थोड़ी देर कोशिश करने के बाद जग्गा अपना लंड पूरा बाहर निकालता हैं और बिना रुके एक ही झटके में अपना लंड पूरा अंदर डाल देता हैं. राधिका की एक ज़ोरदार चीख निकल पड़ती हैं और उसकी आँखें लज़्ज़त से बंद हो जाती हैं.
थोड़ी देर के बाद राधिका की तकलीफ़ अब धीरे धीरे मज़े में बदल जाती हैं. उसकी भी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और एक ही समय पर एक साथ तीन लंड वो अपने अंदर ली हुई थी. उसे तो ऐसा लग रहा था कि वो अब जन्नत में हैं उपर से ड्रग्स और वियाग्रा का नशा पहले से उसपर हावी था. इस समय वो कुछ भी सोचने की स्थिति में नहीं थी. बस कैसे भी करके उसको चूत की आग ठंडी करनी थी और वो इसके लिए आज कितना भी नीचे गिर सकती थी. करीब 10 मिनिट ही बीते होंगे राधिका के अंदर इतनी देर से जो तूफान रूका हुआ था अब वो सैलाब बनकर उमड़ पड़ा था. अब वो अपने चरम सीमा पर थी तभी वो चीख पड़ती हैं और विजय का भी लंड पानी छोड़ देता हैं और उधेर बिहार और जग्गा के लंड से भी एक सैलाब उमड़ पड़ता हैं और तीनों वहीं निढाल होकर उसके उपर पसर जाते हैं और राधिका की चूत के अंदर भी एक लावा बह निकलता हैं जिससे उसकी आँखें बंद हो जाती हैं. जिसके लिए वो इतनी देर से तड़प रही थी. आज उसके अंदर का लावा फुट पड़ा था. वो भी वहीं उन तीनों के साथ धाम से बिस्तेर पर गिर पड़ती हैं. ना जाने कितने देर तक वो ऐसे ही अपनी साँसों को कंट्रोल करने की कोशिश करती हैं.
आज वो जिस अंदाज़ में फारिग हुई थी ऐसा वो कभी नहीं हुई थी. आज उसे मालूम हुआ कि जिस्म की आग इंसान को कितना मज़बूर और लाचार बना सकती हैं. आज भी पहले की तरह राधिका के आँखों में आँसू थे पछतावे के...... मगर आज राधिका खुद इतनी आगे बढ़ चुकी थी की उसका लौटना ना-मुमकिन था. और शायद उसको ये एहसास हो चुका था कि अब वो राहुल के लायक नहीं............बस ऐसे ही कई सारे ख्याल उसके मन में आते हैं मगर अब पछताने से भी क्या होने वाला था. थोड़ी देर के बाद बिहारी जग्गा और विजय फिर से राधिका के साथ चुदाई का खेल खेलते हैं और ऐसे ही ये सब मिलकर बारी बारी से राधिका की चूत गान्ड की रात भर चुदाई करते हैं. राधिका भी उन सब का पूरा साथ देती हैं और पूरा मज़ा लेती हैं. रात भर चुदाई के दौरान राधिका करीब तीन बार फारिग हुई थी.
करीब सुबेह के 5 बजे वो तीनों उठते हैं और वहाँ से अपने कपड़े पहन कर बाहर निकल जाते हैं. राधिका के जिस्म पर अब भी एक कपड़ा इस वक़्त मौजूद नहीं था. वो बिल्कुल नंगी हालत मे अभी भी वहीं बिस्तेर पर लेटी हुई थी. करीब 1 घंटे के बाद उसके कमरे का दरवाज़ा फिर से खुलता हैं और एक शक्श फिर से कमरे में अंदर दाखिल होता हैं. कदमों की आहट सुनकर राधिका की आँखें खुल जाती हैं और वो उस आने वाले शक्ष को बड़े गौर से देखने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो सख्श अंदर आकर उसके सामने वहीं उसके पास खड़ा हो जाता हैं और बड़े गौर से राधिका को उपर से नीचे तक देखने लगता हैं. राधिका शरामकर अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं मगर अपने जिस्म को छुपाने की कोशिश बिल्कुल नहीं करती. उसके हाथों में एक बड़ा सा शौल (चद्दर) था. राधिका बड़े गौर से उस सख्श को देखने लगती हैं. पता नहीं ये शख़्श आख़िर उससे क्या चाहता हैं ना ही उसने कुछ उससे कहा बस एक टक वो राधिका को बड़े गौर से देख रहा था. पता नहीं ये शख़्श उसके लिए मसीहा बनकर आया था या फिर एक दरिन्दा....ये तो आने वाला वक़्त बता सकता था .
राधिका के मन में अभी भी कई सारे सवाल उठ रहे थे कि आख़िर कौन हैं ये आदमी जो इस तरह आकर उसके सामने खड़ा है और क्या उसका भी यही मकसद हैं कि वो भी उसके जिस्म को भोगेगा.... ऐसे ही कई सारे सवाल राधिका के मन में घूम रहे थे. तभी सोच में डूबी राधिका के कानों में उस सख्श की आवाज़ गूँजती हैं जिसे सुनकर वो ख्यालों की दुनिया से बाहर आती हैं...वो शक्श और कोई नहीं बल्कि बिहारी का बहुत पुराना नौकर शंकर था. उसकी उमर करीब 60 साल के आस पास थी. सिर पर हल्के सफेद बाल और चेहरे पर हल्की सफेद दाढ़ी. वो बिहारी का बहुत ही ख़ास नौकर था..
शंकर- बेटी ऐसे क्या मुझे देख रही हो... मैं कोई तुम्हारा दुश्मन नहीं हूँ. ये लो शॉल और अपने नंगे बदन को इससे ढक लो. फिर शंकर वो शॉल राधिका को थमा देता हैं. राधिका एक टक शंकर को देखने लगती हैं फिर वो शॉल अपने जिस्म पर ओढ़ लेती हैं.
राधिका- कौन हैं आप और इस तरह से मेरे लिए इतनी हमदर्दी किस लिए और मैं तो आपको जानती भी नहीं???
शंकर वहीं राधिका के पास बिस्तेर पर बैठ जाता हैं और अपने हाथों से बड़े ही प्यार से राधिका के सिर पर फिराने लगता हैं- मुझे ग़लत मत समझना बेटी. मेरा नाम शंकर है और मैं बिहारी का पुराना नौकर हूँ. बरसो से यहाँ पर रहकर इस घर की सेवा की हैं. तुम मुझे नहीं जानती मगर मैं तुम्हें बहुत अच्छे से जानता हूँ. तुम्हारा नाम राधिका हैं ना....
राधिका सवाल भरे नज़रे से फिर से शंकर को देखने लगती हैं- क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आप को मुझसे इतनी हमदर्दी क्यों हैं. अगर आपको मेरा जिस्म चाहिए तो आप बे-झीजक मुझसे कह सकते हैं. मैं आपको मना नहीं करूँगी जो आपका दिल करे मेरे साथ कर लीजिए. आख़िर अब मुझे क्या फ़र्क पड़ेगा चाहे एक के साथ सोयूँ या...... दस के साथ. अब तो मैं एक रंडी बन ही चुकी हूँ..मेरे माथे पर तो कलंक का टीका लग ही चुका हैं. थोड़ा सा और नीचे गिर जाने से मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा....चिंता मत करो काका आपकी जो इच्छा हो मुझे बता दो मैं उसे ज़रूर पूरा करूँगी....
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शंकर- बेटी तुम मुझे ग़लत समझ रही हो. मेरा इरादा तुम्हारे बारे में ऐसा कुछ नहीं हैं. आख़िर तुम मेरी बेटी जैसी हो..
राधिका- बेटी जैसी हूँ पर आपकी बेटी तो नहीं... काका बहुत फ़र्क होता हैं अपनों में और गैरों में. इंसान चाहे लाख कोशिश क्यों ना कर ले फिर भी वो दूसरों की बहू बेटी को बुरी नज़र से देखने से अपने आप को नहीं रोक सकता..ये जिस्म का नशा और ये हवस में इंसान सब कुछ भूल जाता हैं.
शंकर- मैं जानता हूँ बेटी कि जो कुछ तुम्हारे साथ हुआ वो बहुत ग़लत हुआ. और बिहारी ने तुम्हारी हँसती खेलती ज़िंदगी तबाह कर दी. उसकी तरफ से मैं तुमसे माफी माँगता हूँ. वो जैसा दिखता हैं वो ऐसा हैं नहीं.. बस उसकी संगत ग़लत हैं इस वजह से वो आज सच झूट में फ़ैसला नहीं कर पा रहा ...मैं उससे इस बारे में बात करूँगा वो मेरी बात कभी नहीं टालेगा.. क्यों कि वो मुझे आपने बाप के समान मानता हैं.
राधिका- नहीं काका अब शायद बहुत देर हो चुकी हैं. मैं अब इस बारे में कोई भी बात नहीं करना चाहती... आप हो सके तो यहाँ से चले जाइए. मेरा अब इंसानियत से भरोसा उठ गया हैं. ज़िंदगी में मेरे भावनाओं के साथ बहुत खिलवाड़ किया गया. आब मुझ में ताक़त नहीं कि मैं और कोई भी सदमा बर्दास्त कर पाऊ..आब शायद मेरे दिल में भरोसे नाम की अब कोई जगह नहीं...
शंकर राधिका के कंधे पर अपने हाथ रख देता हैं - बेटी एक बार बस मुझपर भरोसा करके देखलो मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि मैं तुम्हारा भरोसा कभी नहीं तोड़ूँगा.
राधिका- काका मैं इन सब की वजह जान सकती हूँ कि आप मुझपर इतनी दया क्यों दिखा रहे हैं..भला आपसे मेरा क्या संबंध हैं???
शंकर- संबंध...........वही संबंद हैं बेटी जो एक बाप का अपनी बेटी से होता है. तुझमें मुझे अपनी बेटी नज़र आती हैं. वो भी तेरी ही तरह थी मासूम.... मगर उसकी मासूमियत इस दुनिया को देखी नहीं गयी इसलिए शायद अब वो भी मुझे छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए मुझसे दूर चली गयी...
राधिका- दूर चली गयी ..........कहाँ ???
शंकर- वहीं जहाँ से कोई दुबारा लौट कर नहीं आता... और इतना कहते कहते शंकर की आँखों में आँसू निकल पड़ते हैं..
राधिका- क्या हुआ काका आपकी आँखों में आँसू... क्या हुआ आपकी बेटी को..और ये सब कैसे???
शंकर- रहने दे बेटा जो अब इस दुनिया में हैं ही नहीं भला उस के बारे में जानकार क्या हासिल होगा...
राधिका- अगर आप मुझे अपनी बेटी समझते हैं तो बताइए मुझे कि आपकी बेटी के साथ क्या हुआ था??
शंकर कुछ देर सोचता हैं फिर बोलना शुरू करता हैं- बात 4 साल पहले की हैं मेरी बेटी का नाम पूजा था. वो भी करीब 20 साल की थी बिल्कुल तेरे जैसी. खूबसूरत और चुलबुली. हमेशा जब देखो तब बक बक करती रहती थी. जब वो 19 साल की हुई तो उसने इंटर पास की. पूजा की मा तो उसे आगे पढ़ाना नहीं चाहती थी मगर मेरी ज़िद्द की वजह से उसे झुकना पड़ा. फिर मैने बिहारी से कुछ पैसे उधार लिए और उसकी फीस भरी और उसका दाखिला कॉलेज में करवा दिया. कुछ दिन तक तो सब ठीक से चलता रहा मगर एक दिन उसको कुछ बदमाशों ने उसके साथ बदतमीज़ी कर दी. बस वो भी चुप नहीं बैठने वाली थी और सीधा जाकर पोलीस में उनके खिलाफ कंप्लेंट कर दी. बस उन बदमाशों को दो दिन की सज़ा मिली और तीसरे दिन उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया.
ऐसे ही कुछ दिन और बीते और एक दिन वही हुआ जिसका मुझे डर था. एक दिन उन सब लोगो ने मेरी बेटी को कॉलेज से ही उठवा लिया और उसको एक सहर के बाहर फार्म हाउस पर लेजा कर उन चारों ने उसके साथ ................मेरी बेटी को कहीं का नहीं छोड़ा. और वो बहुत देर तक वहीं पड़ी रोती रही और अपनी रहम की भीख मांगती रही मगर उन दरिंदों को ज़रा भी उसपर दया नहीं आई..आख़िरकार उसने अपने आप को ख़तम कर दिया..मैं उस दिन बहुत रोया था मगर मैने भी उन लोगों को सज़ा दिलवाने का फ़ैसला कर लिया. मैं कितनी बार क़ानून और वकीलों के चक्कर काटता रहा मगर किसी ने मेरी एक ना सुनी. फिर मैने ये सारी बातें बिहारी से कही और दूसरे ही दिन बिहारी ने उन चारों को मेरे कदमों में उनकी लाशें बिछवा दी. उस दिन से मेरे दिल में बिहारी के लिए इज़्ज़त और बढ़ गयी. बस इस वजह से बिहारी भी मुझे अपने बाप की तरह मानता हैं और मेरी बात को वो कभी मना नहीं करता..
राधिका - जो कुछ हुआ पूजा के साथ वो ठीक नहीं हुआ काका. ये दुनिया ऐसी ही हैं..
शंकर- हां बेटी किस्मेत की लकीरों को कौन बदल सकता हैं. बस उसी दिन के बाद से मेरे अंदर का आदमी हमेशा हमेशा के लिए मर गया और आज मेरे दिल में किसी भी लड़की या औरत के प्रति कोई बुरा ख्याल नहीं आता और ना ही मैं इन सब के बाते में कभी सोचता हूँ. क्यों कि हर मासूम लड़की में मुझे अपनी बेटी की तस्वीर नज़र आती हैं..तुम्हें भी मैने आज बिन कपड़ों के देखा मगर एक भी पल के लिए मुझे तुम्हारे प्रति कोई ग़लत भावना नहीं आई. और तुम में मेरी बेटी की छवि मुझे दिखाई देती हैं.
राधिका- लेकिन काका अब तो बहुत देर हो चुकी हैं. अब मेरा वापस लौटना दुबारा ना-मुमकिन हैं. मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए. मैं यू ही ठीक हूँ..
शंकर उठकर दूसरे कमरे में जाता हैं और थोड़ी देर के बाद वो वापस आता हैं. उसके हाथ में गरम पानी और साथ में कॉटन का एक कपड़ा था. फिर वो आकर वहीं राधिका को ज़मीन पर बैठने का इशारा करता हैं.
शंकर- बेटी मैं जानता हूँ कि इन सब लोगो ने तेरे साथ रात भर तेरे जिस्म को नोचा हैं. और मैने तेरी चीखने की आवाज़ रात भर सुनी हैं. तू भले ही कितना मुझसे छुपा ले मगर मैं जानता हूँ कि तेरे बदन में तकलीफ़ हैं. अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो मैं तुम्हारे बदन की सिकाई कर देता हूँ जिससे तुम्हें बहुत आराम मिल जाएगा ..अगर मुझपर भरोसा हो तो..
राधिका एक नज़र शंकर की ओर देखती हैं फिर वो अपने जिस्म से शॉल अलग कर देती हैं. फिर से वो पूरी नंगी हालत में शंकर के सामने वहीं फर्श पर अपनी आँखें बंद कर लेट जाती हैं. शंकर भी अपनी आँखें बंद कर लेता हैं और थोड़ी देर तक वो राधिका के बदन की सिकाई करता हैं. और गरम पानी से उसके बदन को पोछता हैं. राधिका को उससे काफ़ी राहत मिलती हैं. फिर वो वहीं रखा शॉल अपने जिस्म पर ओढ़ लेती हैं. और शंकर उसे एक पेन किल्लर दवाई देता हैं. और साथ में दूध में हल्दी मिलाकर उसे पीने को कहता हैं.
शंकर- तू बहुत थक गयी होगी बेटी. तू थोड़ी देर आराम कर ले मैं तेरे लिए जाकर खाना बना देता हूँ फिर जब तेरी नींद खुलेगी तो तू उठ कर खाना खा लेना. और फिर शंकर वहाँ से उठ कर कमरे के बाहर निकल जाता हैं...
राधिका बड़े गौर से उस बूढ़े शंकर को जाता हुआ देख रही थी..आज राधिका के दिल में उस शंकर काका के प्रति प्यार उमड़ पड़ा था. आज उसे एक सच्ची इंसानियत का उदाहरण के रूप में उसे शंकर काका मिले थे.. अब देखना ये था कि वो वहाँ पर राधिका की उन सब से कैसे उसकी रक्षा करते हैं.
थोड़ी देर के बाद राधिका फ्रेश होकर वहीं बिस्तेर पर सो जाती हैं और करीब शाम 4 बजे उसकी नींद खुलती हैं. तभी शंकर काका फिर से कमरे में आते हैं और उसके लिए खाना लेकर आते हैं. राधिका बिना कुछ कहें चुप चाप खाना खाने लगती हैं और कुछ देर के बाद शंकर काका वो बर्तन उठा कर किचन में ले जाता हैं..बर्तन धोने के बाद शंकर काका फिर से राधिका के पास आते हैं ..
शंकर- बेटी अब तुम्हें कैसा लग रहा हैं..
राधिका एक टक शंकर की ओर देखती हैं और धीरे से मुस्कुरा देती हैं- मैं ठीक हूँ काका..
शंकर- ठीक हैं बेटी मुझे और भी काम हैं शाम को मालिक आएँगे तो मैं उनसे तुम्हारे बारे में बात करूँगा. मुझे यकीन हैं कि वो मेरी बात कभी नहीं टालेंगे.. राधिका कुछ नहीं कहती और बस बड़े प्यार से शंकर काका को देखने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो अपना बॅग खोलती हैं और उसमें अपनी डायरी निकाल कर लिखने बैठ जाती हैं. ये उसकी रोज़ की हॅबिट थी डायरी लिखना. वो सारी बातें जो कुछ भी उसके साथ हुई थी वो सब चीज़ उस डायरी में लिखती हैं. करीब 5.30 बजे के आस पास वो अपनी डायरी ख़तम करती हैं और फिर कमरे में बिहारी, जग्गा और विजय अंदर आते हैं.
बिहारी- कैसी हैं मेरी जान. नींद पूरी हुई कि नहीं. आज भी तुझे पूरी रात जागना हैं. अगर नहीं सोई है तो जा कर थोड़ी देर सो ले.. फिर हम तुझे रात भर सोने नहीं देंगे.. राधिका कुछ नहीं कहती और फिर बिहारी और वो दोनो कमरे से बाहर निकल जाते हैं.
बिहारी सीधे शंकर काका के पास जाता हैं- काका राधिका ने कुछ खाया हैं कि नहीं.
शंकर- मलिक अभी थोड़ी देर पहले मैने उसे खाना दिया था.
बिहारी- ठीक हैं आज भी खाने में चिकन ही बनाना हैं आपको....
शंकर- मालिक मुझे आपसे कुछ बात कहनी थी.. अगर आप बुरा ना माने तो मैं कहूँ????
बिहारी- हां शंकर काका बोलो क्या बात हैं..
शंकर- मालिक मैं आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ पर कहना तो नहीं चाहता मगर बड़ी हिम्मत जुटा कर आपसे ये बात कह रहा हूँ..ये आप ठीक नहीं कर रहें हैं. उस मासूम लड़की के साथ बहुत ग़लत हो रहा हैं. बस मुझे आपसे यही गुज़ारिश हैं कि आप उसे यहाँ से आज़ाद कर दें. वो तो आपकी बेटी समान हैं.
बिहारी- तुम किसकी बात कर रहे हो काका. मैं कुछ समझा नहीं???
शंकर- मालिक मैं राधिका की बात कर रहा हूँ जो इस वक़्त आपके पास हैं.
बिहारी- काका आपको कोई हक़ नहीं बनता कि आप मेरे निज़ी मामले में दखलअंदाजी करें. मैं उस लड़की के साथ कुछ भी करूँ इसी आपको कोई लेना देना नहीं हैं. ये मत भूलिए कि आप इस घर के नौकर हैं और मैं आपका मालिक.. मुझे तुम्हारे सलाह मशवरे की ज़रूरत नहीं हैं. और आपके लिए भी ये अच्छा होगा कि आप अपने काम से काम रखें.
शंकर- छोटा मूह और बड़ी बात मगर इसमें मेरा कोई स्वार्थ नहीं हैं मालिक. मैं जो कुछ भी कह रहा हूँ वो आपकी भलाई के लिए कह रहा हूँ. कहीं ऐसा ना हो कि उस लड़की की वजह से आपका वजूद मिट जाए. इतिहास गवाह हैं .......सदियों से इस संसार में जितने भी धर्म युद्ध हुए हैं उन सब की वजह औरत ही रही हैं..सतयुग में रावण ने सीता का हरण किया था तो भगवान राम ने रावण की लंका जलाकर राख की थी. उसी तरह महाभारत भी होने के पीछे औरत ही वजह थी ना द्रौपदी का चीर हरण होता और ना ही कौरवों का विनाश होता... जो बरसों से चली आ रही अधर्म पर धर्म की जीत .मालिक उसे तो नहीं बदला जा सकता..
शंकर की बातो को सुनकर बिहारी गुस्से से चीख पड़ता हैं- शंकर तुम अपनी हद्द भूल रहे हो. तुम्हें पता भी हैं तुम किससे बात कर रहे हो. मैं इस सहर का एमएलए हूँ. आज मेरे हाथ में पॉवर हैं दौलत हैं रुतबा हैं.. मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. तुम्हें क्या लगता हैं कि वो दो टके की लौंडिया मेरा वजूद को मिट्टी में मिला पाएगी. और उसका वो आशिक़ राहुल भले ही वो आज एसीपी बन गया हो मगर रहेगा तो मेरी ही अंडर में ना. और रही बात सतयुग और द्वापर्युग की तो उस समय की बात अलग थी. देवताओं ने भी चाल से ही रक्षासों पर जीत हासिल किया था. और आज कलयुग हैं. जीत यहाँ पर हिंसा और अधर्म की होती हैं. ना की ईमानदारी और सत्य की..
इस युग में मैं आज का रावण हूँ और मैने इस राधिका नाम की सीता को पूरी तरह से गंदा कर दिया हैं. अब तो वो बेचारी उस राम की होने से रही. और वैसे भी अब उसका आशिक़ उसे किसी भी हाल में नहीं अपनाएगा.. तुम चिंता मत करो काका इस युग में जीत मेरी ही होगी. ये बिहारी पूरे दावे से कह सकता हैं...
शंकर- मालिक ठंडे दिमाग़ से एक बार मेरी बातो को सोचकर देखिएगा. शायद आपको मेरी बातो में थोड़ी सी भी सच्चाई नज़र आयें...तो मैं उन सब से आपके किए की माफी माँग लूँगा.
बिहारी- तेरा दिमाग़ फिर गया हैं काका. अब तू भी बूढ़ा हो चुका हैं. ऐसा कर दो चार दिन की छुट्टी लेकर अपने घर चल जा.. जब थोड़ा तेरा दिमाग़ सही हो जाए तो फिर वापस आ जाना. फिर बिहारी तेज़ी से कमरे के बाहर निकल जाता हैं और शंकर चुप चाप बिहारी को देखने लगता हैं..
मालिक आप मानो या ना मानो पर मैने उस मासूम के आँखों में दर्द और तड़प देखी हैं. अगर किसी औरत की हाय लगती हैं तो उसका विनाश होना तय हैं. पर आपको कौन समझायें. आप खुद अपनी बर्बादी की राह पर जा रहें हैं..मैं तो ईश्वार से यही दुवा करूँगा कि आपको समय रहते आप सम्भल जायें... इसी तरह के विचार इस वक़्त शंकर के मन में आ रहें थे...
उधेर आभी भी बिहारी इस वक़्त गुस्से में था वो तुरंत राधिका के पास जाता हैं और उसके सिर के बाल को कसकर पकड़कर अपनी मुट्ठी में ज़ोर से भींच लेता हैं और एक ही झटके में उसके बदन से लिपटा शॉल खींच कर अलग कर देता हैं. राधिका के मूह से दर्द भरी चीख निकल पड़ती हैं. फिर बिहारी राधिका के गाल पर दो तीन थप्पड़ कस कर जड़ देता हैं... राधिका की आँखों से आँसू आ जाते हैं. बिहारी के बदले तेवर को वो बिल्कुल समझ नहीं पाती कि क्यों बिहारी उसके साथ ऐसे पेश आ रहा हैं.
बिहारी- अब तक मैं तेरे साथ नर्मी से पेश आ रहा था क्यों कि मैं तुझे कोई तकलीफ़ नहीं पहुँचाना चाहता था. मगर आज तूने मुझे मज़बूर कर दिया हैं मुझे दरिन्दा बनने के लिए. देख आज मैं तेरा क्या हाल करता हूँ.
राधिका- आख़िर मेरा कसूर क्या हैं. मैने क्या बिगाड़ा हैं तुम्हारा जो तुम मेरे साथ ऐसे पेश आ रहे हो.
बिहारी- रंडी कहीं की..... अगर तुझे मेरी शर्त मंज़ूर नहीं थी तो तूने शंकर काका से मुझसे सिफारिश क्यों करवाई. कल तो तू मुझसे कह रही थी कि मैं तुम्हारी हर बात मानूँगी तो फिर एक ही रात में तेरा सारा नशा कैसे उतर गया. अभी चिंता मत कर अभी पूरे 6 दिन बचे हैं इन 6 दिनों में तेरा वो हाल करूँगा कि तू हर रोज़ अपनी मौत की मुझसे भीख माँगेगी...मगर तू चाह कर भी नहीं मर सकेगी. फिर बिहारी झट से अपने कपड़े निकालने लगता हैं और एक एक कर अपने पूरे कपड़े उतार देता हैं. फिर वो राधिका के पास आता हैं और फिर से उसके सिर के बाल को अपनी मुट्ठी में कसकर भीच लेता हैं. राधिका दर्द से फिर से चीख पड़ती हैं. तभी बिहारी अपना पूरा लंड एक ही झटके में राधिका के मूह में डाल देता हैं और बिना रुके अपने लंड पर प्रेशर बनाए रखता हैं.
बिहारी का लंड करीब पूरा राधिका के हलक में समा गया था और बिहारी बहुत तेज़ गति से अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था और साथ ही साथ उसके बालो को भी अपनी मुट्ठी में जकड़ा हुआ था. राधिका की आँखो में आँसू थे मगर वो इस वक़्त पूरी तरह बेबस थी. इसी तरह बिहारी एक झटके में अपना लंड बाहर निकालता हैं और उतनी ही तेज़ी से फिर से राधिका के हलक में फिर से पूरा लंड डाल देता हैं और इस बार तब तक पीछे नहीं हटता जब तक उसका कम राधिका के गले ने नीचे नहीं उतर जाता. फिर से राधिका एक बार तड़प उठती हैं.
फिर वो झट से राधिका से दूर हो जाता हैं और वहीं रखा टवल लपेटकर बाथरूम में घुस जाता हैं.. राधिका की आँखों में इस वक़्त भी आँसू थे. वो तो ये भी नहीं जानती थी कि शंकर काका और बिहारी में ऐसी क्या बातें हुई हैं जो बिहारी आज इतने गुस्से में हैं. और उसने तो कोई सिपराश नहीं की थी बिहारी से ...तो फिर क्या शंकर काका ने ही उसकी रिहाई की बात उससे की थी. इसी तरह सवालों में उलझी राधिका ना जाने कितनी देर तक रोती रहती हैं. आज उसका दर्द समझने वाला कोई नहीं था.आज वो इन सब दरोंदों के बीच बिल्कुल अकेली थी.........................एक दम अकेली.........
राधिका की आँखों में अब भी आँसू थे..तभी कमरे में जग्गा और विजय आते हैं.
विजय- क्या हुआ मेरी जान आज तेरी आँखों में आँसू. विजय की बातो को सुनकर राधिका नफ़रत से अपना मूह दूसरी तरफ फेर लेती हैं. तभी बिहारी भी कमरे में आता हैं.
बिहारी- आज तुम सब इसे जैसा चाहो वैसा रगाडो और इसकी बदन की सारी गर्मी निकालो.. साली पर कोई रहम मत करना. तब तक इसे चोदना जब तक तुम सब के लंड का आखरी कतरा ना निकल जायें. आज इसे भी तो पता चलना चाहिए कि ये एक पेशावॉर रंडी से कम बिल्कुल नहीं हैं. बिहारी की बातो को सुनकर विजय और जग्गा हैरत से बिहारी की ओर देखने लगते हैं.
जग्गा- क्या बात हैं बिहारी. कल तक तो तुझे इससे बड़ा प्यार था. आज क्या हुवा ऐसा लगता हैं अब तेरा मन इससे भर गया हैं. खैर इस लौंडिया से तो हमारा दिल कभी नहीं भर सकता..फिर जग्गा राधिका के पास जाता हैं और उसके दोनो बूब्स को कसकर अपनी मुट्ठी में ज़ोर से भीच देता हैं. राधिका के मूह से फिर से सिसकारी निकल पड़ती हैं..
विजय वहीं ड्रॉयर के पास जाता हैं और फिर से एक ड्रग्स का इंजेक्षन री-फिल करता हैं. आज ड्रग्स की क्वांटिटी कल से ज़्यादा थी. वो तुरंत राधिका के पास आता हैं और वो इंजेक्षन राधिका के हाथों में लगाता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के अपने हाथ आगे बढ़ा देती हैं. थोड़ी देर के बाद राधिका वहीं फर्श पर बैठ जाती हैं धीरे धीरे वो ज़हर उसकी रगों में घुलना शुरू हो जाता हैं और उसपर फिर से नशा छाने लगता हैं.
बिहारी जग्गा और विजय फिर से अपने सारे कपड़े एक एक कर निकाल देते हैं और कुछ देर में वो तीनों पूरी तरह नंगे हो जाते हैं और फिर से राधिका की दर्दनाक चुदाई का सिलसिला शुरू हो जाता हैं. सबसे पहले विजय अपना लंड धीरे धीरे राधिका के मूह में पेलता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक उसका लंड राधिका के हलक में नहीं पहुँच जाता. विजय तो पहले से ही वाइल्ड सेक्स करता था. आज उसे पूरा छूट मिल गयी थी इसलिए वो आज अपने वहशीपने पर उतर जाता हैं..इधेर जग्गा भी उसके बूब्स और निपल्स को बुरी तरह से मसल रहा था और उधेर बिहारी बड़े गौर से उन दोनो के एक एक हरकतों को देख रहा था. राधिका भी अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी और फिर जग्गा नीचे झुक कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर देता हैं. और आज फिर उस कंडीशन पर रुक जाता हैं जहाँ राधिका ऑर्गॅनिसम के बहुत करीब थी. जग्गा के तुरंत हटने से एक बार फिर राधिका तड़प उठती हैं. तभी बिहारी उसके पास आता हैं और फिर से उसके सिर के बाल को कसकर अपनी मुट्ठी में ज़ोर से भीच लेता है..राधिका के मूह से फिर से दर्द भरी सिसकारी निकलती हैं मगर विजय का लंड उसके मूह में होने की वजह से उसकी आवाज़ अंदर ही घुट जाती हैं..
थोड़ी देर के बाद विजय अपना पूरा लंड उसके हलक से बाहर निकलता हैं..और राधिका ज़ोर ज़ोर से अपनी साँसें लेती हैं. आज उसे पता था कि ये सब रात भर उसपर रहम नहीं करेंगे..खास तौर से बिहारी...
राधिका- बिहारी मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ प्लीज़ मुझे कहीं से ज़हर लाकर दे दो. सच में अब मैं जीना नहीं चाहती ...
बिहारी- अरे मेरी जान सुना हैं कि तू बड़ी हिम्मत वाली लड़की हैं और आज इतनी जल्दी हिम्मत हार गयी. अभी तो पूरे 6 दिन बचे हैं यहाँ गुजारने के लिए .. अभी से तू ऐसे हिम्मत हारेगी तो कैसे काम चलेगा...राधिका कुछ नहीं कहती और बस अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं वो अब समझ चुकी थी की इन दरिंदों के बीच उसकी फरियाद सुनने वाला आज कोई नहीं हैं. वो भी चुप चाप अपने आप को उन सब के आगे पूरा समर्पण कर देती हैं. फिर से राधिका का जिस्म उन तीनों बरी बारी नोचते हैं और एक के बाद ...एक एक कर उसकी चूत गान्ड की छुदाई करते हैं. फिर बाद में तीनों एक साथ एक ही समय पर राधिका की तीनों मिलकर चुदाई करते हैं. अब राधिका भी धीरे धीरे इन सब की आदि होती जा रही थी. उपर से ड्रग्स का नशा उसकी रही सही सोचने और समझने की शक्ति को ख़तम कर रही थी. इसी तरह फिर से राधिका के साथ वाइल्ड सेक्स होता हैं ...मगर अब राधिका किसी भी चीज़ का विरोध नहीं करती थी..
रात रात भर जग्गा ,विजय और बिहारी तीनों वियाग्रा की गोली खा खा कर राधिका की चूत और गान्ड की ठुकाइ करते और उसके साथ नन्गपन का खेल खेलते. राधिका के अंदर की अब शरम लगभग ख़तम हो चुकी थी. वक़्त बीतता जा रहा था और दिन गुज़रते जा रहे थे. इधेर राधिका की हालत दिन ब-दिन बुरी और बुरी होती जा रही थी. हर पल वो मर रही थी. ना जाने कितनी तकलीफ़ वो चुप चाप सहती मगर वो किसी से कुछ नहीं कहती. ज़हर का हर घुट वो बस अपने चाहने वालों के लिए हर पल पी रही थी.. हर शाम को राहुल का फोन आता और राधिका राहुल को इस बात का बिल्कुल एहसास नहीं होने देती कि वो आज किस हालत में हैं. बस चुप चाप दो चार बातें करके वो फोन रख देती.. कभी कभी निशा का भी फोन आता निशा भी कई दिनों से उसके घर नहीं आ पा रही थी. वजह थी उसकी मम्मी की कुछ दिनों से तबीयत खराब और दूसरी बात निशा का एग्ज़ॅम्स भी नज़दीक आने वाला था.
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दो दिन तक बिहारी राधिका के साथ कड़ा रुख़ अपनाता रहा मगर जब राधिका उसकी किसी भी बात का विरोध नहीं करती तो वो अब धीरे धीरे उसके साथ नर्मी से पेश आने लगा था..कहते हैं ना अगर किसी के साथ जिस्मानी तालुकात बन जाए तो इंसान की उसके प्रति चाहत बढ़ जाती हैं चाहे वो रंडी ही क्यों ना हो.आज ठीक वही स्थिति बिहारी की भी थी..वो अब राधिका को धीरे धीरे चाहने लगा था ..अब वो राधिका का ख्याल भी रखने लगा था मगर इधेर विजय कमीनपन का एक जीती जागती मिसाल था. उसके अंदर कोई प्रेम भावना किसी के प्रति नहीं थी...
उधेर हर सुबेह शंकर काका राधिका के पास आते और उसके दर्द पर मलहम का काम करते. मगर अब राधिका पूरी तरह से टूट गयी थी. ना उसके अंदर किसी चीज़ की अब चाहत रह गयी थी और ना कुछ पाने की इच्छा ... बस वो हर घड़ी हर पल अपने राहुल के आने का इंतेज़ार करती ये जानते हुए भी कि अब राहुल उसे किसी भी हाल में नहीं अपनाएगा..शायद उसके पीछे उसका निस्वार्थ प्रेम था...
ऐसे ही दिन गुज़रते गये और आज पूरे 5 दिन बीत चुके थे.. हर रात जग्गा, विजय और बिहारी तरह तरह के एक्सपेरिमेंट उसके साथ करते मगर राधिका कभी कुछ नहीं कहती. शायद आब उसके अंदर का इंसान पूरी तरह से मर चुका था. अब वो सिर्फ़ एक ज़िंदा लाश बनकर रह गयी थी. और उन तीनों के लिए बस एक चुदाई की मशीन...राधिका का शरीर के साथ साथ उसकी हिम्मत और हौसला भी पूरी तरह से टूट गया था. हँसना तो वो पूरी तरह से भूल चुकी थी. बस शंकर काका हर सुबेह उसके जिस्म की सिकाई करते और उसका पूरा ख्याल रखते. आज शायद शंकर काका के बस में अगर कुछ होता तो वो राधिका के लिए ज़रूर कुछ करते. मगर वो भी मज़बूर थे..इन 5 दिनों में राधिका की इतनी बार चुदाई हुई थी कि उसकी कोई गिनती नहीं थी. हर रात शंकर काका उसकी चीखे सुनते मगर वो भी ज़हर का घुट पीकर रह जाते...
आज 6वा दिन था और राधिका की हालत बहुत नाज़ुक हो चुकी थी. उसकी आँखो के नीचे कालापन सॉफ नज़र आ रहा था जिससे ये सॉफ ज़ाहिर हो रहा था कि उसके साथ कितना ग़लत हुआ हैं...मगर दिन ब दिन राधिका की खामोशी बढ़ती ही जा रही थी. अब वो किसी से एक शब्द कुछ नहीं कहती. ना किसी से किसी बात के लिए मना करती.. वो हर रोज़ मर रही थी..और यही बात अब बिहारी को पल पल सता रही थी. राधिका की ये खामोशी अब उसे देखी नहीं जा रही थी. शायद उसको ऐसा पहली बार महसूस हुआ था. आज बिहारी को ऐसा लगने लगा था कि वो आज जीत कर भी हार गया हैं.
उसी शाम को जब राधिका पूरी नंगी हालत में बिहारी , विजय और जग्गा के सामने थी तभी उसके घर की बेल बजती हैं. बिहारी झट से एक टवल लपेट कर दरवाज़ा खोलता हैं. सामने उसका नौकर खड़ा था..
नौकर- साहेब आपसे मिलने काजीरी मेम्साब आई हैं. काजीरी का नाम सुनकर बिहारी के चेहरे पर गुस्से के भाव आ जाते हैं..
बिहारी फिर उस नौकर को कहता हैं कि उसे अंदर भेज दो. थोड़ी देर के बाद जग्गा, विजय , और बिहारी शॉर्ट्स कपड़े पहन लेते हैं और राधिका को वहीं शॉल दे देते हैं. वो बिना कुछ कहें वो शॉल अपने जिस्म पर डाल लेती हैं. तभी काजीरी की कमरे में एंट्री होती हैं.
काजीरी की उमर करीब 45 साल , मोटी और रंग उसका काला था. चेहरे पर गाढ़ा लिपस्टिक लगाए, और बालों में फूलों का गजरा. माथे पर बड़ी गोल लाल रंग की बिंदी. और कानों में बड़े बड़े झुमके... मूह में पान चबाते हुए ओए नीले रंग की साड़ी में वो कमरे में प्रवेश करती हैं..
बिहारी- आओ आओ काजीरी इतने दिनों के बाद तुम यहाँ पर कैसे आई...कहो कैसे आना हुआ.
काजीरी- बिहारी मर्द तो सच में बड़े हरामी होते हैं. और तू तो सच में बड़ा हरामी चीज़ हैं. पहले मुझसे ज़रूरत पड़ता था तब तू मेरे पास कुत्ते जैसे दुम हिलाते हुए आता था. जब से तेरी कुर्सी उँची हो गयी हैं तब से तू तो काजीरी को भूल ही गया. चल कोई बात नहीं तू भले ही भूल गया हो मगर मैं तुझे कभी नहीं भूलूंगी. आख़िर तू हमारा ख़ास कस्टमर हैं.. तभी काजीरी की नज़र राधिका पर पड़ती हैं और काजीरी के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं. वो फिर राधिका के पास जाती हैं..
काजीरी- अरे ये कौन हैं. और इस नगीना को तुमने हम से इतने दिनों तक छुपा कर रखा हुआ है. तभी मैं कहूँ कि तू मेरे दरवाज़े पर क्यों नहीं आ रहा आज कल.. कहाँ से लाया ये नगीना. अगर ये मार्केट में आ जाए तो ये हमारे धंधे की शोभा बढ़ा देगी.. सच में ये नगीना हैं नगीना....
बिहारी- तू मुझे ग़लत समझ रही हैं काजीरी. जो तू समझ रही हैं ये वो नहीं हैं. ये एक शरीफ लड़की है ना कि रंडी...
काजीरी- शरीफ लड़की..........तो ये यहाँ क्या कर रही हैं तेरे पास. क्या तुझसे अपनी गान्ड मरवाने आई हैं ..अरे तेरे संपर्क में कोई लड़की आ जाए तो वो तो पूरी रंडी ही बनकर निकलेगी यहाँ से.. खैर अगर ये मार्केट में आ जाए तो हमारे धंधे में चार चाँद लग जायें. बोल इस लड़की की तू एक रात की कितनी कीमत मुझसे लेगा. एक बहुत मालदार पार्टी आई हुई हैं और उन्हें ऐसी ही लड़की चाहिए.
बिहारी- मैने कहा ना काजीरी ये ऐसी लड़की नहीं हैं. अगर कोई नयी माल आती हैं तो मैं तेरे पास भेज दूँगा. मगर इसे नहीं..
काजीरी- क्या बात हैं बिहारी... लगता हैं तेरा इस लड़की पर दिल आ गया हैं. मगर पैसे के आगे आदमी की क्या बिसात.. बोल ना एक रात की कितनी कीमत लेगा.. एक लाख.. दो लाख या पूरे 5 लाख...इसी ज़्यादा मैं नहीं दे सकती..
बिहारी- मैने कहा ना काजीरी कि ये लड़की रंडी नहीं हैं. अगर मेरे पास नयी कोई माल आएगी तो मैं तेरे पास भिजवा दूँगा. तभी विजय बीच में बोल पड़ता हैं. काजीरी अगर तू इस लड़की के पूरे 5 लाख देने को तैयार हैं तो मुझे ये सौदा मंज़ूर हैं.
बिहारी- विजय ...ये क्या मज़ाक हैं. मैने कहा ना ये लड़की धंधे में नहीं उतरेगी.. मुझे इस लड़की का कोई सौदा नहीं करना हैं.. तू यहाँ से जा सकती हो काजीरी..अब मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी..
विजय- एक तो तेरी वजह से मेरा धंधा बंद हैं उपर से 5 लाख हाथ में आ रहें है तो तू अब मना कर रहा हैं. बोल तू देगा क्या..मुझे 5 लाख ...
बिहारी- ज़ुबान संभाल कर बात कर विजय. भले ही मैने इसके साथ ग़लत किया हैं मगर मैं इसको प्रॉस्टियुयेशन के धंधे में नहीं धकेल सकता. और राधिका कोई रंडी नहीं हैं. और मैं तुझे नहीं देने वाला कोई रुपये..
काजीरी- बिहारी... ठंडे दिमाग़ से सोच..जो आज पार्टी आ रही हैं वो अरब की हैं और तू आच्छे से जानता हैं कि वो लोग लड़की देखकर मूह माँगी पैसे लूटाते हैं. बस एक रात की तो बात हैं. मैं वादा करती हूँ कि सुबेह ये लड़की तेरे पास पहुँच जाएगी..
बिहारी- काजीरी तो तू ये भी जानती होगी कि जिन लोगों के बीच तू इसी भेजने को कह रही हैं वो इसके साथ क्या सुलूख करेंगे. उनके आगे तो अच्छी से अच्छी रंडिया भी टिक नहीं पाती तो इस लड़की की क्या औकात हैं. मुझे ये सौदा मंज़ूर नहीं..
विजय- तो फिर मुझे 5 लाख चाहिए इस वक़्त. अगर तू इस लड़की के बदले दे देगा तो मैं कुछ नहीं बोलूँगा. बोल देगा मुझे ...
बिहारी को विजय पर आज बहुत गुस्सा आ रहा था मगर वो आज सब उसकी की वजह से हुआ था इस वजह से वो कुछ नहीं बोल पा रहा था. बिहारी के चेहरे पर चिंता की लकीरे सॉफ छलक रही थी.. वो किसी भी हाल में राधिका को उन सब के बीच भेजना नहीं चाहता था..वो अच्छे से जानता था कि राधिका किसी भी कीमत पर उनके सामने टिक नहीं पाएगी...बिहारी को ऐसे चिंता में डूबा देखकर राधिका बोल पड़ती हैं..
राधिका- मैं जाउन्गि बिहारी ... कह दो इन्हें मुझे ये सौदा मंज़ूर हैं..
बिहारी हैरत से राधिका को देखने लगता हैं- राधिका ये बात तुम कह रही हो.. तुम कोई रंडी नहीं हो और तुम्हें मालूम भी हैं वो लोग तुम्हारे साथ कैसे पेश आएँगे... तुम उन सब का सामना नहीं कर पाओगी..
राधिका- रंडी.......तुम भूल रहे हो बिहारी कि अब मुझ में और रंडी में कोई फ़र्क नहीं हैं. मैं तो पहले से ही एक ज़िंदा लाश बन चुकी हूँ मुझे अब क्या वो लोग मारेंगे.. मार तो तुमने मुझे दिया हैं..
बिहारी ना चाहते हुए भी कुछ नहीं कह पाता और अपना अपनी गर्देन नीचे झुका लेता हैं.. आज राधिका की कही हुई बातो का उसके पास कोई जवाब नहीं था. आज बिहारी सारी बाज़ी जीत कर भी हार गया था आज राधिका की वजह से उसे ज़िंदगी में सबसे बड़ी शिकस्त मिली थी
बिहारी तो ये बात नहीं जानता था कि राधिका ने ऐसा क्यों किया मगर इतना वो ज़रूर समझ चुका था कि वो अब अपने आप को बर्बाद करने पर तुली हुई हैं चाहे उसके पीछे कोई और वजह क्यों ना हो.. मगर आज वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था...थोड़ी देर के बाद विजय राधिका की ब्लॅक साड़ी लाकर उसे पहनने को देता हैं और राधिका के मोबाइल को वो अपने पास ही रख लेता हैं और उसे स्विच ऑफ कर देता हैं...विजय ने अंजाने में या जान बूझकर राधिका का मोबाइल स्विच ऑफ किया था शायद अब यही उसने सबसे बड़ी ग़लती कर दी थी. क्यों कि राहुल अच्छे से जानता था कि राधिका अपना मोबाइल कभी स्विच ऑफ नहीं करती और जाने अंजाने में राहुल को ज़रूर इस बात पर शक होना ही था..राधिका अपने कपड़े पहन कर कजरी के साथ निकल पड़ती हैं तभी बिहारी काजीरी को चेतावनी की तौर पर कहता हैं..
बिहारी- ठीक हैं काजीरी तू राधिका को ले कर जा रही हैं मैं तुझे रोकुंगा नहीं..मगर इतना याद रखना अगर इस लड़की को कुछ हुआ तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. मैं भूल जाउन्गा की तेरे से मेरा कोई रिश्ता भी हैं..
कजरी कुछ नहीं कहती और वो राधिका को लेकर अपने साथ चली जाती हैं..राधिका के दिल में अब किसी तरह का डर और घबराहट नहीं थी. और वो अच्छे से जानती थी कि जहाँ वो जा रही हैं वे लोग उसके साथ बहुत बुरा सुलूक करेंगे मगर उसे सब मंज़ूर था. इन सब के पीछे वजह ये थी कि वो बिहारी के मूह पर एक करकरा जवाब देना चाहती थी और आज उसके इस फ़ैसले से बिहारी उसके सामने अपने आप को शर्मिंदा महसूस कर रहा था..
थोड़ी देर के बाद वो कार एक सुनसान घर के सामने रुकती हैं और फिर काजीरी राधिका को अपने साथ लेकर उस घर में जाती हैं. अंदर एक बड़ा सा हॉल था. और कमरे में कोई नहीं था. काजीरी फिर एक फोन कॉल करती हैं और बस इतनी ही कहती हैं कि इंतज़ाम हो गया हैं और कुछ पैसों का बात भी करती हैं. उधेर से जवाब आता हैं कि वी लोग 1/2 घने में आ रहें हैं. करीब 1/2 घंटे में दो कार वहाँ तेज़ी से आकर रुकती हैं. उस कार में से 6 व्यक्ति निकलते हैं और सीधा कमरे में एंटर होते सब की हाइट करीब 6 फीट के आस पास थी.सभी का उमर लगभग 40 से 50 साल के आस पास था.. कमरे में वो लोग एंटर होते हैं जब उनकी नज़र राधिका पर पड़ती हैं तो उन सब के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं..
तभी पहला राधिका की ओर देखकर बोलता हैं- ओपन युवर क्लॉत बेबी... यू डो'न्ट नो दा रूल्स. इन दिस रूम व्हेन यू एंटर फर्स्ट.... यू हॅव टू रिमूव ऑल दा क्लोद्स...देन एंटर इनसाइड.. आइ थिंक यू अंडरस्टॅंड बेबी...
राधिका बिना किसी बहस के अपने कपड़े उन सब के सामने उतारने लगती हैं..
तभी दूसरा बोलता हैं- हे...काजीरी यू गो आउट साइड... वी हॅव पे 10 लख्स रुपीज़ फॉर वन नाइट फॉर दिस बेबी.. सो यू कम ....ऑन टुमॉरो मॉर्निंग... कजरी कुछ नहीं बोलती और चुप चाप बाहर निकल जाती हैं..
तभी तीसरा बोलता हैं- वॉट'स युवर नेम बेबी...
राधिका..... मेरा नाम राधिका हैं...
तभी चौथा बोलता हैं- वॉट ईज़ युवर फिगर साइज़ बेबी..
राधिका- 36,24,32.. इसी तरह के भद्दे सवालों का सिलसिला शुरू हो जाता हैं..और राधिका हर एक सवालों का जवाब बिना शरमाये देती हैं.
थोड़ी देर के बाद वो उन सब के सामने एक एक कर पूरे कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो जाती हैं.. तभी एक और आदमी जाकर दरवाज़ा बाहर से लॉक कर देता हैं और एक बड़ा सा रस्सी लेकर आता हैं.. फिर वो राधिका के पीछे जाकर उसके दोनो हाथों को पीछे से कसकर बाँध देता हैं...
फिफ्थ वन- यू नो बेबी दिस ईज़ गंगबॅंग सूयीट... आंड इन तीस सूयीट देर ईज़ नो रेस्टिक्षन्स आंड नो मर्सी...सो वी गिव ऑर्डर्स आंड यू मस्ट हॅव टू फॉलो इट... अदरवाइज़ इट ईज़ नोट गुड फॉर यू.... आइ थिंक यू गॉट इट. व्हाट आइ वॉंट टू से... राधिका बस हां में अपना सिर हिला देती हैं...
फिर एक एक कर सभी अपने कपड़े उतारना शुरू करते हैं और कुछ देर में उन सब के लंड राधिका के सामने होते हैं. सभी के लंड करीब 10 इंच के आस पास थे... फिर शुरू होता हैं राधिका की चुदाई का सिलसिला. जैसे राधिका ने सोचा था उससे कहीं ज़्यादा वो लोग दरिंदे थे. सबसे पहले तो उसका लंड चुसाइ का सिलसिला शुरू होता हैं. हाथ पीछे बँधे होने की वजह से जैसे वे लोग चाहते राधिका के मूह में अपना लंड डालकर उससे चुस्वाते और हर पोज़ीशन में उसके मूह में अपना पूरा लंड डालते और अपना कम उसे पिलाते.. अगर एक बूद भी नीचे गिरता तो वे सब उससे फर्श चाट कर सॉफ करने को कहते... करीब 1 घंटे तक लंड चूसने का खेल चलता रहता हैं. फिर कभी दो लंड एक साथ उससे एक ही समय पर चुस्वाते. ऐसे ही बीच बीच में उसको छड़ी से भी उसके गान्ड पर मारते हैं जैसे कि ब्लू फ़िल्मो में होता हैं. राधिका चुप चाप उनसब के ज़ुल्म सहती रहती...
फिर धीरे धीरे एक एक कर राधिका की गान्ड और चूत की चुदाई का सिलसिला चालू हो जाता हैं वैसे तो राधिका इन सब की आदि हो चुकी थी मगर ये लोग एक्सपर्ट थे भला इन सब के आगे राधिका की क्या बिसात... एक एक आदमी एक एक घंटे तक उसकी चूत गान्ड मारता हैं और फिर बारी बारी से उसके तीनों छेदों में एक साथ लंड डाला जाता हैं और करीब रात 12 बजे तक तो राधिका बड़ी आसानी से उन सब को हॅंडल कर लेती हैं मगर इसके बाद जो दौर चालू होता हैं वो राधिका कभी सपने में भी नहीं सोचती थी.. जिन्हें वो इंसान समझ रही थी वो तो पूरे दरिंदे थे...दरिंदे..
अब जो दौर चालू हुआ उसमें राधिका की हालत बहुत बिगड़ने वाली थी. एक ही समय पर दो दो लंड उसकी चूत में डाला गया जिससे एक बार तो राधिका दर्द की वजह से बेहोश हो गयी थी मगर फिर उसके मूह पर पानी मार मार कर उसे होश में लाया जाता. ऐसे ही सभी बदल बदल कर एक समय पर उसकी चूत में दो दो लंड एक साथ डालते. फिर वैसे ही उसकी गान्ड में डबल लंड का दौरा चला. हर बार दो आदमी एक साथ उसकी चूत तो कभी उसके गान्ड में दो दो लंड डालते.. इस बीच राधिका तीन बार बेहोश हो चुकी थी..
पूरी रात भर उसकी इसी तरह से चुदाई का दौरा चलता रहा और राधिका दर्द से रात भर चीखती और चिल्लाति रही...उसे आज मालूम चल गया था कि गंगबॅंग सूयीट क्या होता हैं..सच में उन सभी के अंदर दया नाम की कोई चीज़ नहीं थी..जहाँ राधिका उन सब के अगेन्स्ट जाती या उनका कहा मानने में थोड़ी भी देर करती उसको छड़ी की मार सहनी पड़ती..ऐसे ही करीब सुबेह तक ये दौरा चलता रहा और सुबेह के करीब 4 बजे तक राधिका की हालत बहुत नाज़ुक हो चुकी थी..फिर भी करीब 5 बजे तक उसकी चुदाई का दौर चलता रहा और सुबेह के 5:30 बजे वे सब अपने कपड़े पहन कर निकल जाते हैं और वहीं राधिका फर्श पर अभी भी बेहोसी की हालत में पड़ी हुई थी... और राधिका की चूत और गान्ड से धीरे धीरे ब्लीडिंग भी अब हो रही थी...
इसी बीच शाम को निशा बार बार राधिका के मोबाइल पर अपना फोन ट्राइ कर रही थी मगर हर बार यही जवाब आता .....स्वित ऑफ... जब निशा को नहीं रहा गया तो वो फ़ौरन राधिका के घर के लिए निकल पड़ती हैं. उसके दिल में भी एक डर बैठ गया था कि आख़िर क्या वजह हैं जो राधिका इतने दिनों से उससे मिलने भी नहीं आई और आज उसका फोन भी बंद हैं.. दिल में हज़ारों सवाल लिए जब वो राधिका के घर के पास पहुँचती हैं तो घर पर ताला लगा देखकर उसका डर और बढ़ जाता हैं..
थोड़ी देर तक वो वहीं आस पास घूमती हैं और साथ ही साथ वो राधिका का फोन भी ट्राइ करती हैं मगर हर बार एक ही जवाब आता हैं . निशा को इस वक़्त राधिका पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था..और और बार बार बड़बड़ा रही थी..... समझती क्या हैं अपने आप को आज घर पर भी ताला लगा हुआ हैं और अपना मोबाइल भी बंद कर रखी हैं. आने दे आज उसे बताउन्गि....मुझे इतने दिनों तक मिलने भी नहीं आई... लेकिन वो गयी तो गयी कहाँ???
तभी वहीं पड़ोस में एक आंटी निशा को परेशान घूमते हुए इधेर उधेर देखती हैं तो वो उसके पास आती हैं.. निशा की जब नज़र उस आंटी पर पड़ती हैं तो वो उसे नमस्ते कहती हैं और राधिका के बारे में उससे पूछती हैं...
निशा- आंटी क्या आपको मालूम हैं कि राधिका कहाँ गयी हुई हैं..
तभी वो आंटी जो बात उससे कहती हैं वो निशा के होश उड़ जाते हैं-- कमाल हैं बेटी मैं तो समझ रही थी कि वो अपने किसी रिस्तेदार के यह्न गयी होगी ..आज उसको गये हुए करीब 6 दिन बीत गये हैं मुझे लगा कि वो तेरी अच्छी दोस्त हैं तो तुझे बता कर गयी होगी...
निशा- आंटी प्लीज़ जो कहना हैं सॉफ सॉफ कहिए...मेरा दिल बैठा जा रहा हैं.. कहीं उसे कुछ हो तो नहीं गया ...
फिर वो आंटी कहती हैं- बेटी अभी 6 दिन पहले एक स्कॉर्पियो गाड़ी यहाँ पर आई थी. और मैने राधिका को उस गाड़ी में जाते हुए देखा मुझे लगा कि वो अपने किसी रिस्तेदार के यहाँ गयी होगी शायद वो सब हादसा उसके घर जो हुआ था... तब से वो अब तक घर नहीं लौटी....
निशा- क्या घर नहीं लौटी.. मगर दो दिन पहले ही तो मेरी उससे बात हुई थी. कहाँ जा सकती हैं वो... तभी वो तुरंत राहुल के पास फोन करती हैं और राधिका की सारी बातें उसे बताती हैं... राहुल के भी होश उड़ जाते हैं और वो तुरंत मुंबई से उसी शाम फ्लाइट पकड़ कर मनाली आ जाता हैं और करीब रात 9 बजे वो ख़ान और अपने आदमियों को लेकर राधिका की तलाशी शुरू कर देता हैं... राधिका के लिए तो राहुल आकाश पाताल एक कर देगा और कहीं भी राधिका होगी वो उसे ढूँढ निकालेगा..
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Update 39
इन सब से बेख़बर इधर बिहारी के अड्डे पर.....
राधिका के शरीर पर जगह जगह घाव के निशान थे. होंठो से हल्का खून भी बह रहा था और उसके निपल्स का रंग नीला पड़ गया था..करीब 6 बजे काजीरी वहाँ पर आती हैं और राधिका के जिस्म को शॉल से ढक देती हैं और फिर उसे गाड़ी में लेकर बिहारी के पास आती हैं. राधिका अभी भी बेहोशी की हालत में थी.. राधिका की ऐसी हालत देखकर बिहारी गुस्से से बौखला जाता हैं..
बिहारी- मैने तुझे कहा था ना कि इसे कुछ नहीं होना चाहिए फिर भी तेरे रहते इसकी ऐसी हालत हुई. अगर इसे कुछ हो गया तो मैं तेरी मा चोद दूँगा... तू मुझे अभी लगता हैं अच्छे से जानती नहीं हैं..
काजीरी- मैं क्या करती वे लोग कहने लगे कि हम ने 10 लाख रुपए दिए हैं एक रात के इसलिए मुझे बाहर निकाल दिया और अपनी मनमानी करते रहें...काजीरी के मूह से ग़लती से 10 लाख वाली बात निकल जाती हैं और इतना सुनते ही बिहारी गुस्से से भड़क जाता हैं...
बिहारी- क्या............10 लाख...मदर्चोद.... कामिनी कहीं की ..हम को 5 लाख दी और उन सब से 10 लाख....सच में तू बड़ी मदर्चोद हैं... मैने तेरे जैसी पैसों की लालची औरत नहीं देखी.. तू तो पैसों के लिए अपनी बेटी को भी बेच दे... निकल जा अभी इसी वक़्त मेरे सामने से और तेरे लिए यही बहतार होगा कि तू अपनी ये मनहूस शकल मुझे दुबारा मत दिखाना....और हां मेरे सामने अब दुबारा आने की कोई ज़रूरत नहीं हैं अगर ऐसा हुआ तो कहीं ऐसा ना हो कि मेरे हाथों को तेरा खून करना पड़े.. दफ़ा हो जा इसी वक़्त ....कजरी चुप चाप वहाँ से बाहर निकल जाती हैं. तभी शंकर काका कमरे में आते हैं और राधिका की हालत देखकर वो चीख पड़ते हैं...
शंकर- ये सब क्या किया मालिक.. इस फूल जैसी बच्ची का क्या हाल किया हैं आप सब ने... सच में आप सब इंसान नहीं हैवान हैं..अगर आप सब के अंदर ज़रा सी भी इंसानियत होती तो इस फूल जैसी बच्ची के साथ ऐसा सुलूख कभी ना करते... इससे अच्छा होता कि इसका अपने हाथों से इसका गला घोंट देते मालिक. कम से कम इसको इतनी ज़ल्लत तो नहीं सहनी पड़ती...देखिए गौर से इसे मालिक जब ये पहले दिन यहाँ आई थी तब ये कैसी लग रही थी और आज इसकी कैसी हालत हैं. अब भी मैं आपके हाथ जोड़ता हूँ मालिक भगवान के लिए इसे अब छोड़ दो नहीं तो ये अब मर जाएगी...
शंकर की बाते से बिहारी भी काँप उठता हैं और अपना सिर नीचे झुका लेता हैं.. तभी विजय शंकर के पास जाता हैं और एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ देता हैं.
विजय- कमीना ... नमक हराम कहीं का. जिस थाली में ख़ाता हैं उसी में छेद करता हैं. हमारा ही नौकर हैं और आज हमे ही आँख दिखा रहा हैं..अरे ये क्या बोलेगा जो कुछ पूछना हैं मुझसे पूछ ये तो खुद ही इस लौंडिया के प्यार में पड़ गया हैं.. अभी आज आखरी दिन हैं. और कल सुबेह ये लड़की आज़ाद हो जाएगी तब तक तो ये हम सब की रखैल हैं...
बिहारी ज़ोर से चिल्लाते हुए.... तेरी हिम्मत कैसे हुई कि तूने शंकर काका पर अपना हाथ उठाया...अगर तू मेरा दोस्त नहीं होता तो तुझे मैं यहीं ज़िंदा ज़मीन में गाढ देता..
विजय- बहुत खूब बिहारी आख़िर तूने एक नौकर के बदले अपने दोस्त पर उंगली उठा ही दी.. मगर ये मत भूल कि तू मेरा बिज्निस पार्ट्नर भी हैं. और मैं तेरा कोई गुलाम नहीं हूँ कि तू जो बोलेगा वो मैं करूँगा....
बिहारी-विजय आख़िर तूने अपनी औकात दिखा ही दी.. आज के बाद मैं तेरे साथ सारे रिलेशन्स तोड़ता हूँ...
विजय- ठीक हैं बिहारी तोड़ लेना पर मैं भी इतना बेवकूफ़ नहीं हूँ पहले मेरे सारे हिसाब क्लियर कर और कल तक मैं यहीं रहूँगा फिर तू मेरा हिसाब क्लियर कर देना मैं अलग हो जाउन्गा और नये सिरे से अपना धंधा शुरू करूँगा... बिहारी गुस्से से विजय को देखता हैं मगर कुछ नहीं बोलता.... ये सब देख कर जग्गा भी अपना पासा पलट देता हैं और वो भी विजय का पक्ष लेता हैं...
इधेर राधिका की हालत बिगड़ने लगती हैं. और शंकर काका उसे अपने रूम में ले जाते हैं और उसकी मलहम पट्टी करना शुरू कर देते हैं. राधिका के गुप्तांगों से हल्की हल्की ब्लीडिंग अभी भी हो रही थी. शंकर काका एक गीले कपड़े से उसके जिस्म को अच्छे से पूछते हैं और उसके चेहरे पर पानी की छींटे मरते हैं...राधिका को होश आता हैं और तुरंत उसकी ओमोटिंग शुरू हो जाती हैं. रात भर जो कुछ उसके साथ हुआ था वो सब ओमिटिंग के रास्ते उसके मूह से बाहर आता हैं. राधिका के मूह से कुछ खून भी बाहर निकलता हैं.. और थोड़ी देर के बाद वो अपने आप को काफ़ी हल्का महसूस करती हैं...
शंकर काका उसके जिस्म की सिकाई करते हैं और फिर उसके सिर पर तेल लगाते हैं और उसे बाथरूम में लेजा कर उसे अच्छे से नहलाते हैं. फिर वहीं शॉल उसे पहना देते हैं. राधिका थोड़ा सा खाना खाती हैं फिर वो वहीं बिस्तेर पर जाकर सो जाती हैं... आज राधिका का चेहरे पूरा पीला पड़ गया था और उसके निपल्स पर और उसके बदन के कई हिस्सों पर नीले और काले रंग के निशान पड़ गये थे.. वो थोड़ी देर के बाद गहरी नींद में सो जाती हैं. करीब शाम को 5 बजे उसकी नींद खुलती हैं और वो तुरंत उठ कर बैठ जाती हैं.. अब वो पहले से काफ़ी अच्छा महसूस कर रही थी...
तभी शंकर काका उसके पास आते हैं और और उसके सिर पर बड़े प्यार से अपना हाथ फिराते हैं. आज शंकर काका बिहारी से बात करके राधिका को आराम करने के लिए मना चुके थे. और बिहारी ने उसकी पर्मिशन भी दे दी थी..अब सिर्फ़ 12 घंटों का फासला था राधिका की आज़ादी के लिए मगर इन बारह घंटों में ऐसा कुछ होने वाला था जो राधिका ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था..
उधेर राहुल राधिका के लिए बहुत परेशान था. उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि राधिका बिन बताए अचानक कहाँ जा सकती हैं..और वही हाल उधेर निशा का भी था..राहुल फिर निशा को उसके घर तक छोड़ आता हैं और तुरंत राधिका के घर की ओर निकल पड़ता हैं. फिर वो आस पास के लोगों से उसके बारे में पूछ-ताछ करता हैं. सबकी बातो से उसे ये तो पता चलता हैं कि राधिका इस वक़्त बिहारी के पास हैं और उसी ने राधिका को कहीं छुपा कर रखा हुआ हैं... कहीं वो राधिका के साथ कुछ ग़लत तो नहीं .............नहीं.. नहीं ऐसा नहीं हो सकता .ये सारी बाते सोचकर राहुल का चेहरा गुस्से से लाल पड़ जाता हैं.
थोड़ी देर के बाद वो सीधा पोलीस स्टेशन जाता हैं और जाकर कृष्णा से जैल में मिलता हैं... राहुल को ऐसे इतनी रात गये उसके पास आता देखकर कृष्णा भी चौंक जाता हैं और सवाल भरी नज़रो से कृष्णा को देखने लगता हैं..
कृष्णा- साहेब..इतनी रात गये... क्या कोई ज़रूरी बात थी जो मुझसे मिलने तुम्हें अभी इस वक़्त आना पड़ा...
राहुल- देखो कृष्णा बात बहुत ही सीरीयस हैं.. और इस वक्त मुझे तुमसे कुछ जानकारी चाहिए.. जो मैं पूच्छू तुम अगर मुझे सारी बातें सॉफ सॉफ मुझे बताओगे तो ये हम सब के लिए अच्छा होगा... कृष्णा को राहुल की बातें कुछ भी समझ में नही आती... की राहुल उससे क्या कहना चाहता हैं..
कृष्णा- मैं कुछ समझा नहीं साहेब आख़िर तुम किस बारे में मुझसे जानकारी चाहते हो??
राहुल- बिहारी के बारे में.... मुझे बिहारी के बारे में जो कुछ भी तुम जानते हो वो मुझे सारी इन्फर्मेशन चाहिए..
कृष्णा- मगर अभी इस वक़्त....
राहुल- हां .... इस वक़्त....और तुम्हारे बापू नहीं दिख रहें.. कहाँ हैं वो...क्या किसी ने उनकी ज़मानत दी हैं???
कृष्णा- आज शाम को ही बिहारी के आदमी आए थे और उनकी जमानत करवा कर उन्हें अपने साथ ले गये हैं.. कह रहे थे कि एक दो दिन में मेरा भी ज़मानत वे लोग करवाएँगे...
राहुल- कहाँ गये होंगे वो इस वक़्त.. तुम्हें कुछ मालूम हैं.. मैं इसी वक़्त तुम्हारे घर से ही आ रहा हूँ. तुम्हारे घर पर ताला लगा हुआ हैं. वो तो अपने घर पर भी नहीं गये... तो फिर कहाँ जा सकते हैं वो...राहुल की बातो से कृष्णा चौंक जाता हैं...
कृष्णा- क्या??? ताला लगा हुआ हैं... मगर राधिका तो होगी ना अपने घर पर इस वक़्त.. वो इतनी रात को कहाँ जा सकती हैं??? कहीं वो निशा के घर तो नहीं गयी होगी..हो ना हो..वो ज़रूर निशा के घर पर ही गयी होगी...
राहुल- नहीं.... वो निशा के घर पर भी नहीं हैं.. निशा ने मुझे खुद फोन करके मुझे मुंबई से आज ही यहाँ बुलाया हैं... वो तो उससे 6 दिनों से मिली भी नही ... और तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ कि राधिका पूरे 6 दिनों से अपने घर से गायब हैं... मैं अगल बगल के लोगों से उसके बारे में पूछ चुका हूँ..और सब ने यही कहा हैं कि वो 6 दिनों से अपने घर नहीं आई. हां 6 दिन पहले कोई गाड़ी आई थी उसे लेने के लिए.. तब से वो अब तक अपने घर नहीं लौटी.. मुझे तो पूरा यकीन हैं कि इन सब के पीछे बिहारी का ही हाथ हैं...इस लिए मुझे इतनी रात गये तुम्हारे पास आना पड़ा क्यों कि बिहारी के ठिकाने के बारे में तुम जानते हो...
राहुल की बातो को सुनकर कृष्णा के होश उड़ जाते हैं और वो वहीं धाम्म से ज़मीन पर बैठ जाता हैं... नहीं साहेब........ऐसा नहीं हो सकता... मेरी बेहन के साथ ऐसा नहीं हो सकता...वो ज़रूर किसी मुसीबत में हैं... मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ साहेब उसे कहीं से भी ढूंड कर ले आओ... अगर उसे कुछ हो गया तो मैं उसके बगैर जी नहीं पाउन्गा.... और कृष्णा वहीं रोने लगता हैं... राहुल के आँखों से भी आँसू छलक पड़ते हैं और वो भी कुछ देर तक यू ही खामोश रहता हैं........
राहुल- देखो कृष्णा मेरी बात ध्यान से सुनो..मैं जानता हूँ की राधिका जहाँ कहीं भी है वो ज़रूर किसी मुसीबत में हैं. और उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ आ रहा हैं. बेहतर यही होगा कि तुम बिहारी के सारे ठिकाने मुझे बताओ और जिन लोगों से उसके कॉंटॅक्ट्स हैं उन सभी आदमियों के बारे में मुझे सारी जानकारी दो.. हो सकता हैं कि राधिका का पता हमे जल्दी ही मिल जाए... फिर कृष्णा एक एक कर सारी बाते राहुल को बताता चला जाता हैं और जब राहुल वो सारी बातें सुनता हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं....
कृष्णा ने अपने और राधिका के बीच रिस्ते को और निशा वाला बात छोड़ कर सारी बातें बता देता हैं...
राहुल- बिहारी ने इतना कुछ तुम लोगों के साथ किया और तुम ने मुझे कोई भी बात बताना ज़रूरी नहीं समझा.. इसका मतलब अब तो सॉफ हैं की इन सब के पीछे बिहारी का ही हाथ हैं... बताओ मुझे वो इस वक़्त कहाँ मिलेगा और नहीं तो उसके खास खास आदमियों के बारे में मुझे जानकारी दो... कृष्णा को जो याद आता हैं वो सारी जानकारी राहुल को दे देता हैं..
कृष्णा- अगर बापू होते तो वो तुम्हें उसके सारे पते बता देते. क्यों कि वो उसकी हर बात जानते हैं. और वो सभी आदमियों को भी अच्छे से पहचानते हैं... पर इस वक़्त वो भी यहाँ पर मौजूद नहीं हैं....
राहुल- ठीक हैं कृष्णा.. जो हुआ सो हुआ.. अब मैं एक एक उसके सभी ठिकानों पर छापा मारता हूँ. हो सकता हैं राधिका का पता चल जाए.. मैं आसमान ज़मीन एक कर दूँगा मगर राधिका को कहीं से भी ढूँढ निकालूँगा... फिर राहुल अपने मिशन पर अपनी पूरी पोलीस फोर्स के साथ राधिका की तलाशी में निकल पड़ता हैं.. पहले वो बिहारी के कॉंटॅक्ट्स में दो तीन होटेल्स में छापा मरवाता हैं और कई सारे लड़कियों को प्रॉस्टियुयेशन के धंधे से आज़ाद करवाता हैं. फिर वो काजीरी के आशियाना पर धावा बोलता हैं और उसे अपने रेमंड पर लेता हैं....
थोड़ी देर के बाद काजीरी भी लॉक अप में होती हैं-- तू तो बिहारी के लिए ही काम करती हैं ना.. उसके लिए लड़कियों तू ही कस्टमर्स तक पहुँचाती हैं ना... तेरी भलाई इसी में हैं कि तू चुप चाप सब कुछ सच सच बक दे.. नहीं तो मुझे सच उगलावलने के और भी तरीके आते हैं.. और हां ये मत समझा कि तू एक औरत हैं तो मैं तुझपर तरस खाउन्गा... अगर तू अपनी भलाई चाहती हैं तो जो कुछ भी जानती हैं चल फटा फट बकती जा..
काजीरी- मुझे कुछ नहीं मालूम साहेब... सच में मैं बिहारी के बारे में कुछ नहीं जानती... वो कहाँ रहता हैं मुझे नहीं मालूम.. उसको जब ज़रूरत पड़ती हैं तो वो कभी कभी मेरे यहाँ पर आता हैं मगर जब से वो एमएलए बन गया तब से वो अपने घर पर ही लड़कियों को बुलवा लेता हैं. इसी ज़्यादा मैं कुछ नहीं जानती...
राहुल फिर राधिका के फोटो को उसके सामने रखता हैं और तुरंत काजीरी के चेहरे का रंग बदल जाता हैं और राहुल उसके बदले हुए भाव को अच्छे से पढ़ लेता हैं.- तू इसे जानती हैं.. गौर से देख इसे..इसका नाम राधिका हैं...ये पूरे 6 दिनों से अपने घर से गायब हैं और बिहारी इसके पीछे हाथ धो कर पड़ा हुआ हैं. अगर तूने इसे वहाँ देखा हैं तो सब कुछ सच सच बता दे वरना मैं तेरा वो हाल करूँगा कि अपनी आप परछाई से भी डरेगी...
काजीरी- मैं ...नहीं.. जानती इसे.. मुझे कुछ नहीं मालूम..
राहुल- ले जाओ इसी और इसकी थोड़ी अच्छे से खातिर दारी करो और तब तक करो जब तक ये सब कुछ बक ना दे... फिर दो हवलदार काजीरी को ले जाते हैं और फिर उसके दोनो हाथ और पैर एक रस्सी से बाँध देते हैं और फिर डंडे बरसाना शुरू कर देते हैं. पोलीस स्टेशन में काजीरी की दर्द भरी चीखें सुनाई देती हैं... कजरी ने तो सोच रखा था चाहे कुछ हो जाए वो पोलीस को कुछ नहीं बताएगी मगर यहाँ तो राहुल के सिर पर खून सवार था. उसने भी तय कर लिया था चाहे काजीरी मार खाते खाते अपनी दम क्यों ना तोड़ दे वो आज इसी सब कुछ उगलवा कर ही दम लेगा... काफ़ी मार खाने के बावज़ूद काजीरी अपना मूह नहीं खोलती और कई दफ़ा वो बेहोश हो जाती हैं... इधेर राहुल अपने आदमियों के साथ फिर से राधिका की तलाशी शुरू कर देता हैं...
उधेर निशा का भी रो रो कर बुरा हाल था.. वो पल पल राधिका के लिए बेचैन थी.. वो घर जाकर अपनी मम्मी सीता से लिपटकर बहुत रोती हैं... रोने की वजह भी थी.. आज उसकी जान से बढ़कर उसकी सहेली राधिका पूरे 6 दिनों से ला-पता थी और उसे तो अपने आप पर भी गुस्सा आ रहा था कि वो इतने दिनों तक उससे मिलने क्यों नहीं आई.. अगर इस बीच वो उसके घर आई होती तो ये बात उसे बहुत पहले पता चल गयी होती.. मगर आब उसके हाथ में क्या था...बस उसको अपनी राधिका के लिए इंतेज़ार ही तो करना था उसे तो ये भी नहीं मालूम था कि आज राधिका ज़िंदगी और मौत के बीच में झूल रही हैं..
उधेर बिहारी बस चुप चाप खामोश बैठा हुआ था..तभी विजय की आवाज़ सुनकर बिहारी अपनी सोच से बाहर आता हैं...
विजय- अगर तुझे लगता हैं कि हम अलग रहकर अपना धंधा कर सकते हैं तो इतना समझ ले कि ये हमारे दुश्मनों के लिए ये खुशी की बात होगी...बहतार यही होगा कि हम एक साथ रहकर कोई भी काम करें... इसी में हम सब की भलाई हैं और दोस्ती यारी में तो ये सब होता ही रहता हैं.. बोल तू क्या बोलता हैं...चल यार मैने तेरा दिल दुखाया इसके लिए मैं तुझसे माफी माँगता हूँ.. बिहारी भी कुछ नहीं कहता और विजय तुरंत उसके गले लग जाता हैं...
विजय- बिहारी मुझे तुझसे कुछ अकेले में बात करनी हैं अगर तू थोड़ा मुझे टाइम दे तो.... तभी बिहारी विजय के साथ दूसरे कमरे में चला जाता हैं...
विजय- देख बिहारी मैं जो बात अब तुझसे कहना चाहता हूँ तू मेरी बातो का बुरा मत मानना. अभी राधिका की रिहाई में 12 घंटे बचे हैं..और सोच इन 12 घंटों के बाद राधिका कहीं ऐसा ना हो कि वो सीधा अपने आशिक़ के पास जाकर वो हमारे बारे में सब कुछ सच सच बक दे.. अगर ऐसा हुआ तो राहुल हमे किसी भी हाल में ज़िंदा नहीं छोड़ेगा... बाकी तू खुद समझदार हैं..
बिहारी विजय की बातो से गुस्से से भड़क पड़ता हैं- तेरा दिमाग़ खराब हो गया हैं विजय.. तो तू ये कहना चाहता हैं कि हम राधिका को अब जान से मार दे.. ताकि वो अब राहुल को कुछ ना बता पायें...तेरा कहने का यही मतलब हैं ना...अगर तू ऐसा कुछ सोच रहा हैं तो मैं इसमें तेरा कोई साथ नहीं देने वाला.. पहले ही हम पार्वती को मार कर अपने आप को शक के दायरे में ला चुके हैं..अब अगर राधिका के साथ ऐसा कुछ हम ने किया तो हमारा बचना नामुमकिन हैं..............
विजय- यार तू तो उस लड़की के प्यार में पड़ चुका हैं और नहीं तो तेरी मति मारी गयी हैं... ज़रा ध्यान से सोच मेरी बातो को ..मैने ये कब कहा कि हम राधिका को जान से मारेंगे...पर हमे कुछ तो ऐसा करना होगा कि साँप ही मर जाए और लाठी भी ना टूटे... यानी राधिका भी ज़िंदा रहें और हम सब पूरी तरह सेफ रहें...
बिहारी- तो बोल क्या सोचा हैं.....अगर तेरे पास कोई आइडिया हैं तो बता मुझे...
विजय- मैने सोच तो बहुत कुछ रखा हैं मगर मुझे बस तेरी रज़ामंदी चाहिए... अगर तेरी इज़ाज़त हो तो...
बिहारी- कैसी रज़ामंदी....
विजय- मैं बस यही चाहता हूँ कि जैसे तू इन 6 दिनों तक जैसे अपनी मनमानी करता रहा और अपने हिसाब से हम सब को जैसे चाहा वैसा नचाता रहा.. बस मैं यही चाहता हूँ कि तू अब मुझे ये 12 घंटा मुझे दे दे.. और चुप चाप तमाशा देखता जा. यकीन मान मेरा बिहारी देख लेना हम जैसा चाहते हैं वैसा ही होगा...ये तो मुझे भी नहीं मालूम कि मुझे क्या करना हैं मगर कोई ना कोई सल्यूशन ज़रूर निकल जाएगा....
बिहारी कुछ देर सोचता हैं फिर बोलता हैं- तू इतने यकीन से कैसे कह सकता हैं.. अगर हम जैसा चाह रहें हैं वैसे नहीं हुआ तो.......
विजय- तो अब बता मुझे.... हैं कोई दूसरा रास्ता हमारे पास... एक आखरी बाज़ी खेल कर देख लेते हैं... शायद कोई सल्यूशन निकल जाए... अगर कोई सल्यूशन नहीं निकेलगा तो तू राधिका से सीधा बात करना इसके बारे में शायद वो मान जाए....
बिहारी हंसते हुए- तुझे क्या लगता हैं कि उसके साथ इतना कुछ हम ने किया हैं और वो आसानी से मान जाएगी... खैर तू घबरा मत अगर वो राहुल को जाकर सब बक भी देगी तो भी राहुल हम सब का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा.. हां मगर हमे कुछ दिनों के लिए अंडरग्राउंड होना ज़रूर पड़ेगा...ऐसे ही काफ़ी देर तक वो दोनो प्लॅनिंग बनाते हैं और विजय फिर कमरे से बाहर झट से निकल जाता हैं. और करीब 1/2 घंटा में वो फिर वापस आता हैं... मगर इस बार वो अकेले नहीं आता साथ में उसके कोई और भी आई थी... और जब वो उसे लेकर राधिका के सामने जाता हैं तो राधिका बड़े गौर से उस औरत को देखने लगती हैं..
ये औरत और कोई नहीं बल्कि मोनिका ही थी... राधिका के दिल में फिर से मोनिका के प्रति नफ़रत उमड़ पड़ती हैं और वो अपना मूह दूसरी तरफ फेर लेती हैं... मोनिका भी चुप चाप वहीं खड़ी रहती हैं... बिहारी तो चुप चाप एक मूर्ति की तरह खड़ा तमाशा देख रहा था और वहीं जग्गा भी विजय के बगल में खड़ा था... तभी विजय बोलना शुरू करता हैं...
विजय- देख राधिका अब तेरी रिहाई में केवल 11 घंटे ही बचे हैं... यानी सुबेह के 7 बजे तक तू अपने घर जा सकती हैं मगर इस वक़्त तुझे इन 11 घंटों में जो भी बोला जाएगा तू वो सब कुछ करेगी.. इस वक़्त तू हम सब की रंडी हैं... और इसे तो तू अच्छे से जानती होगी.. ये तेरी नयी दोस्त...मोनिका..उर्फ तन्या...
राधिका एक बार फिर से विजय की ओर नफ़रत से देखती हैं मगर कुछ नहीं कहती...
विजय- तेरे लिए ये खुशी की बात हैं कि हम ने तेरी सारी शर्तें पूरी कर दी हैं.. अब हम ना तेरे आशिक़ को कुछ करेंगे और ना ही तेरी सहेली निशा को... और अब तो तेरा भाई कृष्णा भी एक दो दिन में जैल से रिहा हो जाएगा.. और तेरा बापू तो जैल से अब आज़ाद हो ही चुका हैं.. चिंता मत कर तेरे अपने चाहने वालों से तेरी जल्दी ही मुलाकात होगी... बस थोडा सा और इंतेज़ार....
राधिका- अब क्या बच गया हैं मुझे और नीचा गिराने में...तुम लोगों ने तो कोई कसर नहीं छोड़ी.... बोलो अब जो कुछ बच गया हो वो भी मैं इन 11 घंटों में तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरा कर देती हूँ... बोलो क्या चाहते हो तुम..
राधिका के ऐसे वयहहार से विजय की मानो बोलती बंद हो जाती हैं मगर फिर उसके चेहरे पर हँसी आ जाती हैं और वो फिर से कहता हैं..
विजय- नाराज़ क्यों होती हैं मेरी जान ऐसा तो हैं नहीं कि चुदाई के इस खेल में केवल हमे ही मज़ा आता हैं. मज़ा तो तू भी बहुत लेती हैं... अगर तुझे मज़ा नहीं आता तो हम सब के पैरों में गिरकर हम से अपनी चूत चुदवाने के लिए भीख नहीं मांगती... खैर मुझे तो अब तेरे साथ एक नया गेम खेलना हैं और मैं जानता हूँ कि तू इस बार भी हमे निराश नहीं करेगी... बोल करेगी ना हम जो कहेंगे..
राधिका एक नज़र बिहारी पर डालती हैं वो अब भी खामोश था.. फिर वो झट से अपने जिस्म पर ओढ़ा हुआ शॉल निकाल कर अपने बदन से अलग कर देती हैं... राधिका का नंगा जिस्म उन सब की आँखों से सामने हो जाता हैं... अब तो राधिका के अंदर शरम लगभग ख़तम हो चुकी थी..इसलिए अब उसके मन में कोई झीजक नही थी.. मोनिका बड़े गौर से उसे देख रही थी...
विजय- चल मेरी रंडी अब तुझे भी कहना पड़ेगा क्या अपने कपड़े उतारने के लिए... चल तू भी फटफाट अपने सारे कपड़े उतार.. मोनिका कुछ नहीं कहती और अपना हाथ धीरे से अपनी साड़ी की ओर ले जाती हैं और एक एक कर अपने सारे कपड़े उतारना शुरू करती हैं. कुछ देर में वो भी पूरी नंगी हो जाती हैं...
विजय- अभी तक तो हम ने कई सारे तुम दोनो के शोज देखे हैं. मगर लेज़्बीयन शो कभी नहीं देखा.. लेज़्बीयन जानती हैं ना मेरी जान.. जैसे पॉर्न मूवीस में होता हैं..औरत और औरत में... तुम दोनो को आज एक दूसरे की प्यास आपस में बुझानी हैं.. और हम सब यहाँ बैठ कर तुम्हारा लाइव शो देखेंगे... चलो फटाफट शुरू हो जाओ...
मोनिका ना चाहते हुए भी राधिका के पास जाती हैं और उसके बगल में बैठ जाती हैं.. राधिका ने भी सिर्फ़ पॉर्न मूवीस में लेज़्बीयन सेक्स देखे थे मगर ऐसा आज पहली बार उसके साथ होने वाला था... उसे बहुत अजीब लग रहा था... तभी मोनिका अपना एक हाथ राधिका के सिर के पीछे ले जाती हैं और राधिका के होंटो को चूम लेती हैं.. राधिका को ये सब बहुत अजीब लग रहा था... और इस तरह का सेक्स मोनिका ने भी आज तक नहीं किया था.. वो भी बड़ी आसमंजश में थी....
थोड़ी देर के बाद वो दोनो एक दूसरे के होंटो को चूसना शुरू करते हैं और मोनिका धीरे धीरे अपना जीभ राधिका के गालों से फिराते हुए उसके पीठ तक ले जाती हैं. अब राधिका फिर से गरम होने लगती हैं.. उसे ये सब अजीब तो लग रहा था मगर अच्छा भी लग रहा था..मोनिका धीरे धीरे पहले राधिका के होंटो को चूस्ति हैं फिर उसकी गर्देन से होते हुए उसके निपल्स पर अपने जीभ फिराती हैं और राधिका भी एक हाथ मोनिका के बूब्स पर रखकर उसके निपल्स को कुरेदने लगती हैं... इधेर मोनिका भी अब गरम हो रही थी... मोनिका नीचे झुक कर राधिका की चूत के पास अपना मूह रख देती हैं और फिर अपनी जीभ उसकी चूत पर फिराती हैं... राधिका अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और मस्ती में उसके मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं... वहीं डोर वो तीनों अपने लंड को अपने हाथों से मसल रहें थे... फिर एक एक कर सब अपने कपड़े उतारना शुरू कर देते हैं और कुछ देर में सब नंगे हो जाते हैं...
इधेर राधिका और मोनिका एक दूसरे के बदन को आपस में चूस और चाट रही थी.. कभी राधिका उसके निपल्स को अपने दाँतों से कुरेदति तो कभी मोनिका उसकी चूत में अपनी जीब डालकर अच्छे से चाटती... फिर वो दोनो 69 पोज़ीशन में होते हैं और एक तरफ मोनिका अपनी चूत चुसवाती हैं तो दूसरी तरफ राधिका... तभी विजय उनके करीब आता हैं और एक एक फुट का डिल्डो उन्हें थमा देता हैं... वो डिल्डो दोनो तरफ से यूज़ कर सकते हैं और उसकी मोटाई भी काफ़ी थी... मोनिका और राधिका समझ जाती हैं कि उन्हें क्या करना हैं.. तभी राधिका वो डिल्डो अपने हाथ में लेती हैं और उसे मोनिका की चूत पर रखकर धीरे धीरे प्रेशर बढ़ाने लगती हैं. वो डिल्डो धीरे धीरे उसकी चूत में समाता चला जाता हैं और करीब 8 इंच अंदर जाने के बाद राधिका भी उस डिल्डो पर अपनी चूत रख देती हैं और धीरे धीरे वो उसपर बैठती चली जाती हैं...
कमरे में इस वक़्त पूरा गरमा गरम महॉल था... थोड़ी देर के बाद राधिका की चूत के अंदर वो डिल्डो 8 इंच पूरा चला जाता हैं... उधेर मोनिका भी अपना एक हाथ राधिका के निपल्स पर ले जाती हैं और उसको मसल्ति हैं और अपनी जीभ से राधिका की जीभ को चाटना शुरू करती हैं... इस वक़्त दोनो पूरी मस्ती में थी... उन्हें ये भी नहीं मालूम था कि वो दोनो क्या कर रहें हैं... धीरे धीरे कभी मोनिका अपनी चूत पर दबाव डालती तो कभी राधिका .. जब उन तीनों को नहीं बर्दास्त होता तो वो सब लोग बारी बारी से राधिका और मोनिका के अगल बगल आते हैं.. और जग्गा आकर पहले मोनिका के बूब्स को मसलता हैं और फिर उसकी गान्ड पर अपने हाथ फेरता हैं.
विजय उन दोनो को अपने पास आने को कहता हैं मगर उनकी चूतो से वो डिल्डो नहीं निकालने देता... वो पहले तो राधिका के बूब्स को पूरी ताक़त से मसलता हैं और एक हाथ से मोनिका के बूब्स को दबाता हैं.. दोनो के मूह से सिसकारी निकल जाती हैं..तभी वो झट से बिस्तेर पर पीठ के बल सो जाता हैं और मोनिका को अपने उपर आने को कहता हैं... मोनिका भी समझ जाती है कि अब वो उसकी गान्ड मारना चाहता हैं..फिर वो अपनी चूत में रखा डिल्डो बाहर निकालती हैं और वो विजय के उपर आती हैं..
मोनिका भी चुप चाप अपनी गान्ड विजय के लंड पर रखकर धीरे धीरे बैठती चली जाती हैं... धीरे धीरे उसका लंड मोनिका की गान्ड में जाना शुरू हो जाता हैं.. और विजय अपने दोनो हाथों से मोनिका के दोनो बूब्स को अपनी मुट्ठी में थाम लेता हैं और पूरी ताक़त से उन्हें बेरहमी के साथ मसलना शुरू करता हैं... उधेर राधिका भी उसके उपर आती हैं और फिर से वो डिल्डो मोनिका की चूत में डालती हैं और वो भी अपनी चूत पर दबाव डालती हैं... इस वक़्त ऐसी सिचुयेशन्स थी कि विजय मोनिका की गान्ड मार रहा था और मोनिका अपनी पीठ के बल लेटी हुई अपनी चूत में डिल्डो ली हुई थी और उसके उपर राधिका अपनी चूत आगे पीछे कर रही थी.. मोनिका की तो हालत खराब थी...और साथ ही साथ दोनो के लिप्स एक दूसरे से जुड़े हुए थे. कभी मोनिका राधिका के होंटो को चूस्ति तो कभी राधिका....
तभी जग्गा भी राधिका के पास आता हैं और अपना लंड राधिका की गान्ड में डालने लगता हैं...राधिका भी अपनी गान्ड पूरा फैला देती हैं और धीरे धीरे जग्गा का पूरा लंड राधिका की गान्ड में समा जाता हैं... फिर बिहारी वहीं उनके सामने जाता हैं और अपना लंड राधिका के मूह के पास रख देता हैं... राधिका भी एक नज़र बिहारी को देखती हैं फिर वो उसका लंड धीरे धीरे अपने मूह में पूरा लेने लगती हैं और बिहारी राधिका के सिर के बाल को पकड़कर अपना पूरा लंड अंदर बाहर करता हैं... कमरे में सबकी आहें गूँज रही थी....बिहारी का लंड कभी राधिका चूसी तो कभी मोनिका.. बारी बारी वो दोनो बिहारी का लंड चूस रही थी...मोनिका और राधिका का ऐसा पहला अनुभव था पर जो भी था वो बहुत मज़ेदार था....
इस वक़्त राधिका और मोनिका की चूत गान्ड में एक तरफ डिल्डो था तो दूसरी तरफ जग्गा और विजय का लंड...जब भी जग्गा और विकज का लंड आगे पीछे होता उनकी चूत में रखा डिल्डो भी अंदर बाहर जाता.. और उधेर बिहारी बारी बारी से कभी राधिका की मूह में अपना लंड पेलता तो कभी मोनिका के मूह में... राधिका और मोनिका झरने के काफ़ी करीब थी और उनकी मादक सिसकारी निकल रही थी..और उधेर जग्गा और विजय अपने लंड तेज़ी से आगे पीछे कर रहें थे... पाँचों आपस में एक साथ एक दूसरे की चूत और लंड की प्यास बुझाने में लगे हुए थे.... तभी राधिका ज़ोर से चीख पड़ती हैं और उसका ऑर्गॅनिसम हो जाता हैं और साथ ही साथ मोनिका भी चिल्ला पड़ती हैं और वो भी अपनी आँखें बंद करके झरने लगती हैं...थोड़ी देर तक इसी तरह चुदाई का दौर चलता हैं...
अभी तक बिहारी ,जग्गा और विजय तीनों फारिग नहीं हुए थे वो तीनों उठते हैं और बिस्तेर के पास खड़े हो जाते हैं... अभी भी राधिका और मोनिका की साँसें तेज़ चल रही थी और उनकी आँखें बंद थी... तभी विजय वहीं ड्रॉयर के पास जाता हैं और उसमें ड्रग्स की शीशी और इंजेक्षन लेकर आता हैं... इस वक़्त राधिका पूरी तरह से ड्रग्स की अडिक्ट हो चुकी थी.. जब तक वो ड्रग्स नहीं लेती वो बहुत बेचैन रहती... इन सब ने उसे ड्रग्स की पूरी तरह से अडिक्ट बना दिया था... तभी विजय वो इंजेक्षन पहले राधिका के हाथों में लगाता हैं फिर वो दूसरा इंजेक्षन मोनिका के हाथों में लगाता हैं.. वैसे ये पहली बार था कि मोनिका को ड्रग्स का इंजेक्षन दिया गया था... जो हालत राधिका की पहली बार हुई थी वही हालत अभी इस समय मोनिका की थी...
फिर बिहारी जग्गा और विजय ये तीनों वियाग्रा की गोली लेते हैं और फिर से चुदाई का वहीं दौर शुरू हो जाता हैं... इस बार बिहारी बिस्तेर पर लेट जाता हैं और राधिका को अपने लंड पर बैठने को कहता हैं.. राधिका अपनी गान्ड उसके लंड पर रखकर धीरे धीरे बैठ जाती हैं और उधेर विजय उसके पास आता हैं और अपना लंड राधिका की चूत पर रखकर उसकी चूत में एक ही झटके में अपना पूरा लंड डाल देता हैं.. राधिका के मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं और पहले धीरे धीरे फिर बहुत तेज़ी से राधिका की चूत गान्ड की कुटाई शुरू हो जाती हैं... तभी जग्गा मोनिका को वहीं बिस्तेर पर लेटने को कहता हैं और अपनी चूत को वो राधिका के मूह पे रख देती हैं... राधिका भी मोनिका की चूत को धीरे धीरे चाटना शुरू करती हैं और इधेर अपनी चूत और गान्ड एक साथ चुदवाती हैं... तभी जग्गा उसके उपर आता हैं और अपना लंड मोनिका की गान्ड में डाल देता हैं और उसकी गान्ड चोदने लगता हैं...
राधिका और मोनिका फिर से पूरा गरम हो चुकी थी और उधेर विजय और बिहारी अपने लंड आगे पीछे राधिका की चूत और गान्ड में डाले हुए थे... और राधिका इधेर मोनिका की चूत भी चाट रही थी... जग्गा भी पूरे ज़ोर शोर से लगा हुआ था... ऐसे ही करीब 15 मिनिट के बाद मोनिका अब नीचे आती हैं और विजय और बिहारी उसकी चूत और गान्ड मारते हैं और इस बार राधिका अपनी चूत मोनिका के मूह पर रख कर अपनी गान्ड जग्गा से मरवाती हैं..
धीरे धीरे विजय और बिहारी मोनिका की चुदाई करीब 15 मिनिट तक ऐसे ही करते हैं और उधेर मोनिका की हालत खराब होने लगती है..
और तभी विजय अपने लंड पर प्रेशर और तेज़ बनाने लगता हैं और उधेर बिहारी का भी प्रेशर तेज़ हो जाता हैं.. तभी वो चीज़ होता हैं जो किसी ने कभी उम्मीद नहीं की थी. इस तरह बिहारी और विजय का प्रेशर बनाए रखने की वजह से मोनिका को बर्दास्त से बाहर हो जाता हैं वो और चिलाते हुए उसकी मूत बाहर निकल पड़ती हैं... मोनिका तो बहुत कंट्रोल करती हैं मगर अब कुछ नहीं हो सकता था. वहीं बिस्तेर थोड़ा सा गीला हो जाता हैं और मोनिका शरम के मारे अपनी आँखें बंद कर लेती हैं...
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Update 40
ये सब देखकर बिहारी मुस्कुरा देता हैं और वो विजय से कहता हैं..
बिहारी- यार थोड़ा धीरे मार ना अपनी जानेमन की गान्ड को.. बेचारी की मूत निकल गयी.. और इतना कहकर वो दोनो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगते हैं..मोनिका को तो ऐसा लग रहा था कि वो कहीं जाकर अपना मूह छुपा ले.. राधिका भी उनकी बातो से शरम्शार हो जाती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं...
ऐसे ही ये दौरा चलता रहता हैं और तब तक चलता हैं जब तक उन तीनो का कम नहीं निकल जाता... मगर आज यहाँ पर ये खेल बिहारी नहीं विजय खेल रहा था.. और वो निहायती बहुत गंदा किसम का इंसान था... जब उनका कम मोनिका की चूत और गान्ड में निकल जाता हैं तो वो राधिका से उसकी चूत और गान्ड से वो कम उससे चाट कर सॉफ करवाता हैं और राधिका बिना कुछ कहें अपने जीभ से मोनिका की चूत और गान्ड से बहते हुए कम को चाट ती हैं और फिर उसकी गान्ड का भी कम पीती हैं..
इधेर मोनिका भी वही चीज़ दोहराती हैं और राधिका का गान्ड चाट चाट कर सॉफ करती हैं... ऐसे ही ये दौरा रात के करीब 3 बजे तक चलता हैं और इस बीच इन सब का कम तीन बार निकलता हैं और इस बीच राधिका और मोनिका दोनो उन सब का कम बारी बारी चाटती हैं और साथ ही साथ कम अपने मूह में ट्रान्स्फर भी करती हैं..जो ये सब आज राधिका कर रही थी वो निहायती एक बहुत गंदा काम था मगर इन एक हफ्तों में वो इस हद्द तक गिर चुकी थी कि अब उसे ये सब कुछ भी गंदा नहीं लग रहा था... रात के करीब 3 बजे सब थक कर वहीं एक दूसरे से लिपट कर सो जाते हैं....
करीन 6 बजे उन सब की नींद खुलती हैं.. इस वक़्त सब के जिस्म पर कपड़े के एक रेशा भी नहीं था... मोनिका तुरंत उठती हैं और झट से अपने कपड़े पहनने लगती हैं और इधेर राधिका भी वहीं रखा शॉल अपने जिस्म पर ओढ़ लेती हैं... बिहारी जग्गा और विजय भी अपने कपड़े पहन लेते हैं...
विजय- चल मेरी जान आज से तू आज़ाद हो गयी... जा आज मैं तुझे आज़ाद करता हूँ. फिर विजय वहीं रखे ड्रॉयर में से वो कांट्रॅक्ट पेपर्स निकालता हैं और वो मोनिका को थमा देता हैं..जा आज के बाद तू पूरी तरह आज़ाद हैं... मोनिका धीरे से मुस्कुरा देती हैं और वो वहाँ से जाने के लिए मुड़ती हैं तभी राधिका की ताली की आवाज़ सुनकर वो वहीं थितक जाती हैं.
राधिका- वाह मोनिका वाह..... क्या खूब निभाई है तुमने दोस्ती....तूने तो कोई कसर नहीं छोड़ी मुझे बर्बाद करने में...आज तो तू बहुत खुस होगी ना अपनी रिहाई पर... गौर से देख मुझे आख़िर क्या बिगाड़ा था मैने तेरा जो तूने मेरे साथ इतना बड़ा विश्वास घात किया.. मेरा यही कसूर हैं ना कि मैने तुझे अपना एक अच्छा दोस्त समझा... आज मुझे तुझसे कोई शिकायत नही हैं मगर जाते जाते तुझसे इतना ज़रूर कहूँगी कि अब भगवान के लिए किसी के साथ ऐसा मत करना जैसे तुमने मेरे साथ किया हैं.. तूने तो मुझे आज कहीं का नहीं छोड़ा मगर क्या तू इन सब चीज़ों से बच पाई... नहीं.... आज मैं तो एक रंडी बन ही चुकी हूँ मगर आज तू भी कोई सती सावित्री नहीं रही... मुझे रंडी बनाने के चक्कर में तू आज खुद एक रंडी बन चुकी हैं... तूने तो मेरे लिए खड्डा खोदा था ना.. देख मैं तो इस खड्डे में गिरी हूँ मगर तू आज अपने आप को भी इस खड्डे में गिरने से नहीं बचा पाई.....
राधिका की ऐसी बातो को सुनकर मोनिका की आँखों से आँसू छलक जाते हैं और वो तुरंत राधिका के कदमों में आकर गिर पड़ती हैं- मुझे माफ़ कर दे राधिका मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई जो मैने ये सब किया.. अपनी ज़िंदगी को बर्बाद होता हुआ देखकर मुझे मज़बूरन ये सब करना पड़ा.. मुझे माफ़ कर दे राधिका...
राधिका- माफी.........तूने तो मेरी हँसी खेलती ज़िंदगी बर्बाद कर दी... कितनी खुस थी मैं अपनी छोटी सी दुनिया में.. सब कुछ अच्छा चल रहा था अब तो मैं खुद इतना नीचे गिर चुकी हूँ कि अब मेरा राहुल भी मुझे कभी नहीं अपनाएगा... आज मैं जिस जगह पर खड़ी हूँ वहाँ से दुबारा मेरा लौटना ना-मुमकिन हैं..तेरी वजह से आज मेरे पास आत्महत्या करने के सिवा अब कोई चारा नहीं बचा हैं... मगर तू चिंता मत कर मैं तेरे जैसे नहीं हूँ स्वार्थी... और मैं कमज़ोर भी नही हूँ कि मैं आत्महत्या करूँगी...तेरे उपर मैं कोई इल्ज़ाम नही आने दूँगी और आज के बाद मेरी तेरे से यही विनती हैं कि तू अपनी ये शकल मुझे कभी मत दिखना ...जिसे मैने दोस्ती समझा था आज उसी दिल में तेरे लिए बस नफ़रत हैं नफ़रत.......चली जा मेरे सामने से अभी इसी वक़्त... अब मैं तुझसे कोई बात नहीं करना चाहती...और इतना कहकर राधिका अपना मूह गुस्से से दूसरी तरफ फेर लेती हैं... मोनिका चुप चाप रोते हुए कमरे से बाहर निकल जाती हैं और साथ में जग्गा भी वहाँ से बाहर निकल जाता हैं....
बिहारी तो कुछ कह नहीं पाता और अपनी नज़रें नीचे झुकाए खड़ा रहता हैं...तभी विजय उसके पास आता हैं और उसके सामने खड़ा हो जाता हैं...
रात भर की चुदाई की वजह से इस वक़्त राधिका की चूत और गान्ड से ब्लीडिंग शुरू चुकी थी..मगर अब भी वो अपने अंदर दर्द को बर्दास्त की हुई थी...
विजय- अब तेरी रिहाई में केवल 1 घंटे बचा हैं मगर मैं चाहता हूँ कि तू आखरी बार यहाँ से जाने से पहले तू अपनी चूत चुदवा ले.. इसके बाद हम सब तेरी ज़िंदगी से हमेशा हमेशा के लिए दूर चले जाएँगे... बोल चुदवायेगि ना आखरी बार हमारी खातिर...
राधिका कुछ नहीं कहती और अपना मूह फेर लेती हैं..
विजय- तू सोच रही होगी कि हम तेरी चुदाई करेंगे.. मगर नहीं... हमारा तो अब तुझसे मन भर गया हैं.. मगर एक बंदा हैं जो बहुत ख़ास हैं और वो किसी जवान लड़की की चूत चोदना चाहता हैं... बस तू उसकी ये इच्छा पूरी कर दे.. फिर तू आज़ाद हैं..
राधिका बिहारी की बातो को सोचने लगती हैं -कौन हैं वो..
विजय- शाबाश मेरी जान मैं जानता था कि तू मुझे निराश नहीं करेगी.. मिल्वाउन्गा तुझे अभी ..थोड़ी देर में इतनी भी क्या जल्दी हैं...मगर हमारी कुछ शर्तें हैं वो तुझे माननी पड़ेगी.. बोल मानेगी ना..
राधिका- जब इतना नीचे गिर ही चुकी हूँ तो फिर सोचना क्या विजय.. बोल क्या हैं तेरी शर्तें...
विजय के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं और बिहारी मूह फाडे विजय की बातें सुनता रहता हैं मगर उसे भी कुछ समझ नहीं आता कि विजय आख़िर चाहता क्या हैं...
विजय- शर्त ये हैं कि तू वो बंदा बहुत शर्मीला हैं.. उसे बहुत शरम आती हैं इसलिए वो चाहता हैं कि जब तू उसके सामने जाए तो तेरी आँखों पर काली पट्टी लगी रहें.. ताकि वो तुझे देख सके मगर तू उसे नहीं...इस बात से बेख़बर रहे कि और भी कोई उसके साथ होगा.. वो सिर्फ़ अकेले होगा और तुझे उसे खुस करना हैं...और हां वो हमारा ख़ास आदमी हैं तुझे मैं उससे सेक्स करने के बाद उससे ज़रूर मिल्वाउन्गा.. तू उसे देखकर बहुत खुस होगी..
राधिका- ठीक हैं विजय मुझे तुम्हारी शर्त मंज़ूर हैं...कहाँ हैं वो???
विजय- अभी थोड़ी देर में वो यहाँ आता ही होगा तब तक तू जाकर फ्रेश हो जा ... और राधिका जाकर बाथरूम में फ्रेश होती हैं और फिर बाथ लेती हैं उसके दिल और दिमाग़ में बस यही सवाल उठ रहा था कि आख़िर कौन हैं वो आदमी..
इधेर राहुल भी अब तक राधिका की तलाश में पूरे जी जान से लगा हुआ था.. उसके सामने आब धीरे धीरे एक एक कड़ी सुलझती जा रही थी..सुबेह के करीब उसे एक आदमी की लाश मिलती हैं.. सहर के बाहर एक छोटे से तालाब के पास... वो पूरे लगन से लगा हुआ था हर कड़ी को सुलझाने में..उस आदमी का चेहरा पूरी तरह से डॅमेज था मगर आइ-कार्ड की वजह से उसकी पहचान हो गयी थी... ये आदमी और कोई नहीं इक़बाल था.. वही इक़बाल जिसने कृष्णा और बिरजू को पैसे दिए थे पार्वती के मर्डर केस में.. और इसी आदमी की तलाश राहुल को बहुत दिनों से थी... मगर जब वो उसके हाथ लगा भी तो उसे कोई फ़ायदा नहीं हुआ... बिहारी के लिए ये आदमी सबसे बड़ा ख़तरा बन चुका था...और इसी ख़तरे की वजह से बिहारी ने इसे अपने रास्ते से हटवा दिया था...बिहारी अच्छे से जानता था कि एक बार ये आदमी पोलीस के हाथ लग गया तो उसका खेल ख़तम....
राहुल- ले जाओ इसे और इसकी लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दो.. देखते हैं अब और कितने रहस्यो से परदा उठना अभी बाकी हैं... और वहीं दो तीन कॉन्स्टेबल इक़बाल की लाश को लेकर पोलीस स्टेशन की ओर चल देते हैं... तभी ख़ान का फोन आता हैं और राहुल तुरंत फोन रिसेव करता हैं...
राहुल- कहो ख़ान राधिका का कुछ पता चला ...और वो औरत क्या नाम हैं उसका..हां काजीरी .. उसने कुछ बका कि नहीं???
ख़ान- सिर इसी वजह से आपके पास मैने फोन किया हैं उसने सब कुछ बक दिया हैं ...मज़बूरन हमे उसके उपर थर्ड डिग्री इस्तेमाल करना पड़ा...मैने उसका स्टेट्मेंट ले लिया हैं आप हो सके तो जल्द से जल्द पोलीस स्टेशन आ जायें.. क्यों की बात ऐसी हैं कि मैं आपको फोन पर कुछ नहीं बता सकता.... राहुल तुरंत अपनी जीप में बैठता हैं और फ़ौरन पोलीस स्टेशन की ओर चल देता हैं..... उसका दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था और एक अंजाना डर भी उसके मन में बार बार उठ रहा था...करीब 1/2 घंटे बाद वो पोलीस स्टेशन पहुँचता हैं....
तभी थोड़े देर के बाद उसका एक और कॉन्स्टेबल वीर सिंग का फोन आता हैं- सर वो मोनिका नाम की लड़की जिसकी हमे तलाश थी उसका पता चल गया हैं... वो अभी अभी अपने घर आई और हमने उसे अपने हिरासत में ले लिया हैं..मैं अभी थोड़ी देर में उसे आपके पास लेकर आता हूँ.... इधेर राहुल एक एक कर सारी कड़ी को धीरे धीरे सुलझाते जा रहा था और वो अब राधिका के बेहद करीब पहुँच चुका था......
इधेर बिहारी के मोबाइल पर एक अननोन नंबर से कॉल आता हैं.. ये उसका प्राइवेट डिटेक्टिव का फोन कॉल था....
सर एक बात आपको बता देना चाहता हूँ कि काजीरी इस वक़्त पोलीस हिसरत में हैं और शायद अब वो जल्दी ही सब कुछ उगल देगी... आपकी भलाई इसी में हैं कि आप वहाँ से जल्द से जल्द निकल जायें... राहुल कल रात ही मनाली पहुँच चुका हैं और कल रात से ही वो इस सहर में उसने राधिका की तलाशी भी शुरू कर दी हैं... और जितना वो सबकुछ जानता था वो सारी बातें बिहारी को बताता चला जाता हैं...सिवाए मोनिका के अरेस्ट वाली बात को छोड़ कर... फोन रखने के बाद बिहारी के चेहरे पर पसीने के कुछ बूँदें थी ....उसे परेशान देखकर विजय उससे आख़िरकार पूछ ही लेता हैं...
विजय- क्या हुआ बिहारी तेरे चेहरे पर बारह क्यों बजे हुए हैं...बात क्या हैं...
बिहारी- राहुल इस सहर में आ चुका हैं ..और उसने कल रात से ही राधिका की तलाशी शुरू कर दी हैं... और इस वक़्त काजीरी भी पोलीस की हिरासत में हैं.. और इक़बाल का भी लाश पोलीस वालों ने अपने क़ब्ज़े में ले लिया हैं... हमे जल्द से जल्द अंडरग्राउंड होना पड़ेगा... मैं तो समझा था कि राहुल आज दोपहर तक यहाँ आएगा और हम सब आराम से कहीं बाहर इस सहर से निकल जाएँगे मगर अब इसी सहर में हमे कहीं कुछ दिनों के लिए अंडरग्राउंड होना पड़ेगा....क्यों की हर जगह पोलीस ने नकबंदी की होगी...
विजय- तू चिंता मत कर बिहारी ये जगह सहर से बहुत दूर हैं और पोलीस को यहाँ तक पहुँचने में कम से कम एक घंटा तो लगेगा ही... अभी हमारे पास एक घंटे का समय हैं तू इतमीनान रख.. और वैसे भी इस घर में एक ख़ुफ़िया दरवाज़ा भी हैं जिससे हम एक सुरंग से होते हुए जंगल से बाहर निकल जाएँगे...चल अब तुझे मैं एक चीज़ दिखाता हूँ जिसे देखकर तू बहुत खुस होगा..... तभी कमरे में एक आदमी आता हैं और उस आदमी के साथ बिरजू भी था..... बिरजू को देखकर बिहारी विजय का पूरा खेल समझ जाता हैं कि विजय क्या चाहता हैं....
बिहारी- आओ आओ बिरजू देखा तुमने हमारा सोर्स और पॉवर..... बिरजू भी बिहारी को देखकर मुस्कुरा देता हैं...
बिरजू- मालिक आपने कैसे मुझे याद किया...
तभी विजय उसको आँखों ही आँखों में कुछ इशारा करता हैं और बिहारी बिरजू को लेकर एक दूसरे कमरे में चला जाता हैं...
बिहारी- आज मैं तुमसे बहुत खुस हूँ बिरजू.. इस लिए मैने सोचा कि आज तुम्हें एक नायाब तोहफा दूँगा और मुझे यकीन हैं कि तुम बहुत खुस होगे... जानते हो वो तोहफा क्या हैं ...बिहारी की इस तरह की बातो से बिरजू सवाल भरी नज़रो से और हैरत से बिहारी की ओर देखने लगता हैं...
बिरजू- कैसा तोहफा मालिक??
बिहारी- आज मैने तेरे लिए एक जवान चूत का इंतज़ाम किया हैं.. लड़की करीब 23 साल की हैं.. और हम ने तेरे लिए उसे मना भी लिया हैं... आज चूत चोदना चाहेगा ना तू... मैने सोचा इतने बरसों से तूने हमारी वफ़ादारी की हैं तो तुझे भी हमारी तरफ से कुछ इनाम तो मिलना ही चाहिए..
बिहारी की ऐसी बातो से बिरजू अपनी नज़रें नीची कर लेता हैं और मुस्कुरा कर हां में इशारा करता हैं...
बिहारी- मगर लड़की की एक शर्त हैं... वो नहीं चाहती कि तू उसे देखे इस लिए उसकी ख्वाहिश हैं कि तू जब उसकी चूत चोदेगा तब तेरी आँखों पर एक काली पट्टी बँधी होगी.. जब तू उसकी चूत चोद लेगा फिर मैं तेरे सामने उस लड़की को बिन कपड़ों के लाउन्गा. फिर तू उसे जी भर कर देख लेना... बोल मंज़ूर हैं तुझे मेरी ये शर्त....
बिरजू कुछ नहीं कहता और हां में अपना सिर हिला देता हैं... फिर वो बिरजू को दूसरे कमरे में बैठने के लिए बोल देता हैं.. उसे तो ये भी नहीं मालूम था कि वो जिसके साथ उसे ये सब करने को कह रहा हैं वो उसकी अपनी बेटी राधिका है..पता नहीं आने वाला वक़्त राधिका के दिल पर कितना बड़ा सितम ढाने वाला था इसका अंदाज़ा ना तो बिरजू को था और ना ही राधिका को...
तभी बिहारी कमरे से बाहर निकलता हैं और उसका सामना शंकर काका से होता हैं... शंकर को ऐसा घूरता हुआ देखकर बिहारी एक पल के लिए मानो थितक जाता हैं...
शंकर- मलिक मुझे आपसे कुछ बात करनी हैं..अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं कहूँ...
बिहारी- हां काका बोलो क्या बात हैं....
शंकर- मैने अभी अभी आपकी और बिरजू के बीच हुई सारी बातें सुनी.. ये आप कैसा अनर्थ कर रहें हैं मालिक... आपको अंदाज़ा भी हैं कि इसका अंजाम कितना भयानक होगा... भला आप एक बाप के साथ उसकी अपनी बेटी के साथ ये सब कैसे करवाने की सोच सकते हैं..ये पाप हैं मालिक... अभी भी समय हैं मालिक रोक लीजिए इस अनर्थ को.... नहीं तो सब कुछ पल भर में तबाह हो जाएगा... और जब ये बात राधिका और उसके बाप को पता लगेगी तब क्या होगा ... क्या बीतेगी मालिक उन दोनो के दिल पर... राधिका तो जीते जी मर जाएगी और शायद बिरजू भी ये सदमा नहीं से पाएगा...
बिहारी- काका जो लड़की अपने भाई के साथ सो सकती हैं वो लड़की अपने बाप का बिस्तेर भी तो गरम कर सकती हैं.. आप चिंता मत करो उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा... आज राधिका एक रंडी हैं और रंडियों का कोई ईमान धरम नहीं होता... आखरी बार कहता हूँ काका आप इन सब मामलों में ना ही पड़े तो अच्छा है...
शंकर- मैने तो ये सोचा था मालिक कि आपके अंदर इंसानियत आज थोड़ी बहुत भी ज़िंदा होगी मगर ये मेरी भूल थी.. मैं ये भूल गया था कि जो आदमी अपनी पत्नी का ना हो सका वो भला किसी और का कैसे हो सकता हैं... मुझे माफ़ कर दो मालिक मैं ही ग़लत था.. आज भी आपसे झूठी आस लगाए बैठा था कि देर सबेर आप एक अच्छे इंसान बन जाएँगे मगर शायद मैं ही आपको पहचान ना सका... तभी एक ज़ोरदार थप्पड़ शकर काका के गाल पर पड़ता हैं...
बिहारी- तू ये भूल रहा है कि तू एक नौकर हैं और तुझे ये भी नहीं पता कि अपने मालिक से कैसे बात की जाती हैं..
शंकर- आप ग़लत बोल रहें हैं... अब आप मेरे मालिक नहीं आज के बाद मैं आपकी ऐसी नौकरी को लात मारता हूँ. मुझे नहीं करनी आप जैसे इंसान की गुलामी...
बिहारी- तो निकल जा अभी इस वक़्त...
शंकर- चला जाउन्गा मगर उस लड़की को भी अपने साथ लेकर जाउन्गा... और बिहारी वहीं गुस्से से बाहर निकल जाता हैं.....
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Update 41
तारीख- 20-जून
21 जून यानी कल राधिका की शादी राहुल से होने वाली थी...सुबेह के 7:15 बज रहें थे और राधिका अभी अभी फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर निकली थी.. उसे तो ये भी नहीं मालूम था कि उसका बाप यहाँ पर मौजूद हैं और उसकी कुछ देर में उसकी चुदाई अपने बाप के हाथों होने वाली हैं... इस वक़्त भी राधिका की हालत ठीक नहीं थी.. अभी भी उसकी ब्लीडिंग हो रही थी... आँखों के नीचे कालापन दाग सॉफ दिखाई दे रहा था और उसका पूरा शरीर पीला पड़ गया था... बड़ी से बड़ी रंडिया भी इतनी चुदाई नहीं बर्दास्त कर पाती जितना आज राधिका ने बर्दास्त किया था इन 7 दिनों में.... तभी विजय उसके पास आता हैं...
विजय- ये बाँध ले कला कपड़ा अपनी इन आँखों पर और चल मेरे साथ हाल में... तेरा कस्टमर वहीं बड़ी बेसब्री से तेरा इंतेज़ार कर रहा है... राधिका इस वक़्त भी पूरी नंगी हालत में थी. वो बिना कुछ सोचे समझे वो काला कपड़ा अपनी आँखों पर बाँध लेती हैं और विजय के साथ लड़खड़ाते हुए कदमों से वो हाल की तरफ चल देती हैं....
उधेर बिहारी भी बिरजू को पूरे कपड़े निकालने को कहता हैं और उसे सॉफ सॉफ कुछ भी कहने को मना कर देता हैं.. वो अच्छे से जानता था कि अगर बिरजू एक शब्द भी बोला तो राधिका तुरंत उसकी आवाज़ पहचान लेगी...और उसका बना बनाया सारा खेल पर पानी फिर जाएगा.... तभी वो भी एक काला कपड़ा अपनी आँखों पर बाँध लेता हैं और बिन कपड़ों के वो भी हाल में आ जाता हैं.... इस वक़्त राधिका और बिरजू पूरी नंगी हालत में एक दूसरे के सामने खड़े थे... मगर ये उनका दुर्भाग्य था कि वो ये नहीं जानते थे कि उनका रिश्ता एक बाप बेटी का हैं......
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उधेर राहुल अपने थाने पहुँचता हैं और ख़ान उसके सामने आकर वहीं चेर पर बैठ जाता हैं और सारे स्टाफ के लोगों को बाहर जाने को बोलता हैं... थोड़ी देर के बाद कमरा पूरा खाली हो जाता हैं...फिर ख़ान कहना शुरू करता हैं...
ख़ान- देखिए सर जो बात अब मैं आपसे कहना चाहता हूँ उससे सुनने से पहले आप अपने दिल पर पत्थर रख लीजिए.. शायद आप बर्दास्त नहीं कर पाएँगे सच जानकर...
राहुल- तुम ऐसा क्यों कह रहे हो ख़ान... बात क्या हैं???
ख़ान- सर अभी अभी काजीरी ने जो स्टेट्मेंट दिया हैं वो ये हैं कि वो बिहारी की ख़ास एजेंट हैं. और वो लड़की सप्लाइ करती हैं...और तो ..........
राहुल- और क्या ख़ान.... आगे बोलो...
ख़ान- और इसने राधिका को भी एक रात के लिए दूसरे कस्टमर्स के पास भेजा था..और बदले में उसने 10 लाख एक रात के लिए थे उन कस्टमर्स से... ख़ान के मूह से ऐसी बातो को सुनकर राहुल अपने सिर पर दोनो हाथ रखकर बैठ जाता हैं.. उसे तो कुछ समझ नहीं आता कि वो क्या कहे...
ख़ान- सर आप ठीक तो हैं ना..... क्या हुआ आपको....
राहुल के आँखों में इस वक़्त आँसू थे- अपने दोनो हाथों से वो अपने आँसू पोछता हैं ......मैं ठीक हूँ ख़ान आगे बोलो....
और ख़ान फिर एक एक कर सारी बातें राहुल को बताता चला जाता हैं...
राहुल- तो इन कमिनो ने आब मेरी राधिका को गंदा कर दिया.. कहाँ हैं राधिका इस वक़्त.. ले चलो मुझे उसके पास.... तभी एक और हवलदार मोनिका को लेकर उसके पास आता हैं.... और जो भी मोनिका ने करतूत किया था वो सारी बातें राहुल को बताता हैं...
राहुल वहीं खड़ा होता हैं और वो मोनिका के करीब जाकर एक ज़ोर का तमाचा उसके गालों पर जड़ देता हैं- तो तू ही हैं वो जिसकी वजह से मेरी राधिका की आज ये हालत हुई हैं..सच सच बता मुझे कहाँ हैं राधिका इस वक़्त..नहीं तो मैं तेरी खाल खीच लूँगा....
मोनिका बिना रुके सब कुछ सच सच बताती चली जाती हैं....
राहुल- ले जाओ इसे और इसे लॉकप में बंद कर दो... मैं भी देखता हूँ कि ये कैसे अब जैल से बाहर आती हैं और कौन इसकी जमानत देता हैं... फिर ख़ान और उसके साथ के कई पोलिसेवालों का एक टीम रवाना होती हैं बिहारी के अड्डे की तरफ.... जहाँ पर इस वक़्त राधिका मौजूद थी.. मगर उन्हें वहाँ तक पहुँचने में कम से कम एक से डेढ़ घंटा तो लगना ही था... और यहाँ बिहारी और विजय ने तो सब कुछ उस एक घंटे में सोच रखा था कि उन्हें क्या करना हैं.....
अब जो भी फासला था इस एक घंटे का था.... मगर राधिका और बिरजू के लिए ये एक घंटा पूरे एक सदी के बराबर था... वो दोनो एक दूसरे के सामने पूरी नंगी हालत में खड़े थे... मगर ना राधिका अपने बाप को देख सकती थी और ना ही बिरजू उसे पहचान सकता था....
बिहारी- देख मेरी जान तेरा कस्टमर तेरे सामने खड़ा हैं.. चल जा उसके पास और जाकर जल्दी से उसको मस्त कर दे...और हां मेरे कस्टमर को किसी भी तरह की शिकायत नहीं आनी चाहिए उसे पूरा मस्त कर देना और वैसे भी ये तेरी आख़िरी चुदाई हैं इसके बाद तू हमेशा हमेशा के लिए आज़ाद हैं...पता नहीं राधिका की ये आज़ादी उसे कहाँ किस मोड़ पर लेकर जाने वाली थी.
बिहारी- सोच क्या रही हैं मेरी जान आगे बढ़ और अपना काम शुरू कर...राधिका आगे बढ़ती हैं और वो अपने बापू के पास जाकर उसका हाथ थाम लेती हैं.. इधेर बिरजू भी एक हाथ आगे बढ़ाकर पहले राधिका को अपनी बाहों में जाकड़ लेता हैं फिर अपने होंटो को आगे बढ़ाकर धीरे धीरे राधिका के होंटो पर रख देता हैं और बहुत धीरे धीरे उसके होंटो को चूसना शुरू करता हैं.. राधिका अपने बापू की गरम साँसों को महसूस कर रही थी और उधेर बिरजू भी बड़े हौले हौले राधिका के नरम होंटो को चूसे जा रहा था और उसकी साँसों और बढ़ते हुए धड़कनों को पल पल महसूस कर रहा था.. राधिका को इस बात का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि जो शक्श उसके सामने खड़ा हैं वो उसका बाप हैं और इधेर बिरजू भी नहीं जानता था की इस सामने उसके सामने उसकी अपनी बेटी राधिका हैं...
फिर बिरजू अपने हाथों को हरकत करता हैं और पहले वो राधिका के सीने पर अपना हाथ फिराता हैं और उसके बूब्स को अपने कठोर हाथों से धीरे धीरे मसलता हैं...इस वक़्त राधिका की जो हालत थी वो इस समय सेक्स करने की स्तिथि में बिल्कुल भी नहीं थी.... उपर से उसकी ब्लीडिंग भी बंद नहीं हो रही थी... और दर्द भी बढ़ता जा रहा था...ऐसी हालत में भी वो उन दरिंदों की बात मान रही थी वो ये भी भूल चुकी थी कि वो जिससे उम्मीद कर रही हैं उनके अंदर इंसानियत नाम की कोई चीज़ नहीं हैं...
राधिका के नरम बदन को ऐसे छूने से थोड़ी देर में बिरजू का लंड पूरा खड़ा हो जाता हैं.. फिर वो राधिका को अपने हाथों से नीचे की ओर पुश करता हैं उसे नीचे बैठने के लिए.. राधिका चुप चाप वहीं घुटनों के बल बैठ जाती हैं और बिरजू का लंड धीरे धीरे अपने होंठो में लेकर चूसना शुरू करती हैं..वहीं दूर खड़े बिहारी और विजय इस सीन का पूरा पूरा मज़ा ले रहें थे... इधेर राधिका जल्द से जल्द बिरजू का लंड फारिग करवाना चाहती थी... तभी बिरजू वहीं राधिका को अपनी गोद में उठा लेता हैं और अपना लंड राधिका की चूत पर रखकर आहिस्ता आहिस्ता अपना लंड राधिका की चूत में डालना शुरू करता हैं...
राधिका की दर्द से इस वक़्त उसकी हालत खराब हो रही थी.. उसे तो ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने कोई खंज़र उसकी चूत में डाल दिया हो.. और जैसे जैसे बिरजू की स्पीड बढ़तेएे जाती हैं राधिका की सिसकारी और दर्द भी बढ़ता जाता हैं मगर राधिका बिरजू को रोकने की कोई कोशिश नहीं करती..... फिर बिरजू तुरंत अपने होंठ राधिका के होंटो पर रख देता हैं और उसके होंटो को चूसने लगता हैं... राधिका की दर्द भरी आहें वहीं अंदर ही घुट रही थी....इस वक़्त बिरजू पूरी तरह चुदाई में मस्त था मगर उसका लंड पूरा खून से लाल हो चुका था...और वो भी अपनी बेटी का खून...
करीब 15 मिनिट के बाद बिरजू का लंड अकड़ने लगता हैं और वो राधिका को पूरी ताक़त से अपनी बाहों में जाकड़ लेता हैं और उसे अपने आप से पूरा चिपका लेता हैं... फिर बिरजू ज़ोर ज़ोर से चीखते हुए अपना कम राधिका की चूत में पूरा उतारना शुरू करता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक उसका पूरा कम राधिका की चूत में नही निकल जाता.. इस वक़्त बिरजू की साँसें बहुत ज़ोरों से चल रही थी... और राधिका बस दर्द से तड़प रही थी... जैसे ही बिरजू अपना लंड बाहर निकलता हैं राधिका की चूत से बिरजू का कम की कुछ बूँदें और साथ ही साथ खून की बोंदें भी फर्श पर टपक पड़ती हैं...
जब बिरजू पूरी तरह से ठंडा हो जाता हैं तब वो राधिका को अपने आप से दूर करता हैं.. इस वक़्त बिरजू के लंड पर खून लगा हुआ था जो राधिका कि चूत से निकल रहा था....और अब राधिका की ब्लीडिंग और तेज़ हो चुकी थी.... जब बिहारी और विजय चुदाई का पूरा खेल देख लेते हैं तब वो दोनो उन्दोनो के पास जाते हैं... फिर विजय और बिहारी उन्दोनो की तरफ जाते हैं और विजय बिरजू के पीछे जाकर खड़ा हो जाता हैं और उधेर बिहारी राधिका के ठीक पीछे... तभी विजय झट से बिरजू के आँखों पर लगी काली पट्टी हटा देता हैं और उधेर बिहारी भी राधिका के आँखों पर चढ़ि पट्टी आज़ाद कर देता हैं फिर वो दोनो किनारे हट जाते हैं...
इस वक़्त दोनो की आँखें बंद थी.. राधिका का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था..... उसके दिमाग़ में बस यही सवाल उठ रहा था कि ये शक्श कौन हैं.. और उधेर बिरजू के दिल में भी हसरत जाग चुकी थी कि वो कौन लड़की हैं जो अभी अभी उसके साथ उसने ये सब किया हैं... ये ख्याल आते ही बिरजू झट से अपनी आँखें खोल लेता हैं और राधिका की ओर देखने लगता हैं.... राधिका की आँखे इस वक़्त भी बंद थी.... जब बिरजू की नज़र ठीक सामने अपनी ही बेटी राधिका पर पड़ती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं.... उसने तो कभी राधिका को यहाँ पर होने की उम्मीद कभी नहीं की थी और ना ही उसने कभी सोचा था कि वो अपनी बेटी के साथ ये सब करेगा.....
बिरजू की जब नज़र राधिका के चेहरे पर पड़ती हैं तो वो मानो चीख पड़ता हैं.... ना...................ह....हीं.....................न्न्न..ऐसा नहीं हो सकता.....??
उसकी आवाज़ सुनकर राधिका झट से अपनी आँखें खोल लेती हैं और सामने अपने बाप को देखकर उसे ऐसा लगता हैं कि जैसे उसके शरीर से किसी ने पूरा खून निचोड़ लिया हो... वो बस एक टक अपने बाप को देखे लगती हैं......और तुरंत उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं.... वो अपना जिस्म को बिल्कुल छुपाने की कोशिश नहीं करती और बस चुप चाप वहीं खड़ी रहती हैं... तभी बिरजू झट से आगे बढ़ता हैं और वहीं रखा शॉल वो झट से राधिका के नंगे जिस्म पर ओढ़ा देता हैं...और तुरंत अपने कपड़े लेकर पहनने लगता हैं... राधिका बिना कुछ कहे चुप चाप वहीं खड़ी थी मगर उसकी आँखो से आँसू अब भी बह रहे थे........उसे अब तक तो बहुत से सदमे बर्दास्त किए थे मगर इस सदमे से वो अब पूरी तरह से टूट चुकी थी.
थोड़ी देर के बाद.................................
बिरजू के भी आँखों में इस वक़्त आँसू थे....वो ही जानता था की इस वक़्त उसके दिल पर क्या गुजर रही होगी... जिन हाथों से वो अपनी फूल जैसी बच्ची को पाला पोशा था आज उन्ही हाथों ने उसकी इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ा दी थी...उसके दिल में राधिका के प्रति वो आज कितने अरमान सँजोकर रखा था मगर आज बिहारी और विजय की वजह से वो अपनी बेटी की नज़रो में हमेशा हमेशा के लिए गिर गया था.... वैसे ये बात अभी राधिका भी जान चुकी थी कि जिस तरह से उसके साथ धोखा किया गया उसी तरह उसके बापू के साथ भी वहीं छल किया गया .... वो वहीं फर्श पर काली पट्टी देखकर समझ चुकी थी...
बिरजू अपने दोनो हाथ जोड़कर राधिका के कदमों के पास बैठ जाता है और राधिका के कदमों को पकड़कर वो रोने लगता हैं...मगर राधिका इस वक़्त जैसे ऐसा लग रहा था कि वो एक ज़िंदा लाश बनकर वहीं चुप चाप खड़ी थी... ये सब नज़ारा देखकर बिहारी और विजय की गंद फट जाती हैं.. वो भी वहीं चुप चाप खड़े रहते हैं....आज इन दोनो ने राधिका की भावनाओं को एक गहरी ठेस पहुँचाई थी..थोड़ी देर तक बिरजू वहीं रोते रहता हैं मगर जब राधिका कोई रिक्षन नहीं करती तो तुरंत उठकर उसके पास खड़ा हो जाता हैं और उसे बड़े गौर से देखने लगता हैं... राधिका इस वक़्त पूरी तरह से खामोश खड़ी थी.. मगर उसकी आँखों से आँसू अभी भी बह रहे थे....
बिरजू राधिका के बहते आंसूओं को अपने हाथों से पोछता हैं और राधिका को झंझोरकर उसे हिलाता हैं.. मगर राधिका चुप चाप अभी भी एक टक लगाए खामोश खड़ी थी... ये सब देखकर बिरजू डर जाता हैं और वो तुरंत राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं....
बिरजू- मुझे माफ़ कर दे बेटी... मुझे तेरी कसम... मुझे कुछ नहीं पता था कि ये सब मैं जिसके साथ कर रहा हूँ वो मेरी अपनी बेटी है.. इन लोगों ने मेरे साथ धोखा किया हैं.... मैने तो कभी तेरे बारे में ऐसे ख़यालात अपने मन में भी कभी आने नहीं दिया...फिर भला मैं तेरे साथ ये सब.... मगर अभी भी राधिका खामोश खड़ी थी......ये देखकर बिरजू चीख पड़ता हैं... तू कुछ बोलती क्यों नहीं.. तू चुप क्यों हैं राधिका कुछ तो बोल.... मेरा दिल बैठा जा रहा है... भगवान के लिए कुछ तो बोल.. तेरी ऐसी उदासी मुझे देखी नहीं जा रही...
तभी बिरजू विजय और बिहारी की ओर मुड़ता हैं- मालिक.. क्यों किया आपने ऐसा... आख़िर क्या बिगाड़ा था मैने...मैने तो हमेशा आपको देवता का दर्ज़ा दिया.... आख़िर मुझसे कौन सी ऐसी भूल हुई जो आपने मुझे इतनी बड़ी सज़ा दी..... आज तो आपने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा... मैने ये सब किया भी तो अपनी फूल जैसी बच्ची के साथ...आज मुझे अपने आप पर शरम आ रही हैं... ये सब देखने से तो अच्छा होता कि मैं मर गया होता... आज आपने एक बाप और बेटी के बीच की पवित्रता को भंग किया हैं.. भगवान आपको कभी माफ़ नहीं करेगा... आज मेरी बच्ची की आप सब ने क्या हालत की हैं ये मैं इसे देखकर अंदाज़ा लगा सकता हूँ... बस मेरी बरसों की वफ़ादारी का आपने मुझे ये इनाम दिया हैं मालिक...आप ने तो मेरे साथ ऐसा किया हैं जो कोई अपने दुश्मन के साथ भी नहीं करेगा.....
आख़िर क्या मिला आपको ये सब करने से... थोड़ी देर की खुशी.. लेकिन इस थोड़े पल की खुशी के लिए तो आपने मेरी और मेरी बच्ची की पूरी ज़िंदगी तबाह कर दी.. भला कौन ऐसा दुनिया में बाप होगा जो अपनी बेटी के साथ ऐसा करने की भी सोचेगा... आज आपने मुझे मेरे ज़िंदा रहने का भी हक़ मुझसे छीन लिया हैं..... मैं अब अपनी बेटी की नज़रो में कभी नहीं उठ पाउन्गा.. और ना ही मेरी बेटी मुझे अब वो बाप होने का दर्ज़ा कभी देगी.. तबाह कर दिया मालिक आपने हमे... कलंकित कर दिया आपने एक बाप और बेटी के रिश्तों को...बिरजू की ऐसी बातो से वो दोनो आज एक दम खामोश खड़े थे.. आज बिहारी की भी बोलती बंद हो चुकी थी...
फिर वो राधिका के पास आता हैं और फिर से उसकी आँखों में देखने लगता हैं- कुछ तो बोल राधिका... आख़िर क्या हो गया तुझे.. मैं जानता हूँ कि इन सब का कासूवार् मैं हूँ..... मगर अब तो बस कर अपने आप को और कितनी सज़ा देगी... तेरे सामने पूरी जिंदगी पड़ी हैं जीने के लिए... मेरा क्या... तभी बिरजू फिर से राधिका के कंधो को पकड़कर ज़ोर से हिलाता हैं और राधिका तुरंत ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर बिरजू के कंधे पर सिर रखकर रोने लगती हैं... ये सब देख कर बिरजू भी रोने लगता हैं... ना जाने कितनी देर तक राधिका बिरजू से लिपटकर रोती रहती हैं....तभी बिरजू उक्से माथे को चूम लेता हैं और उसके सिर पर अपना हाथ बड़े प्यार से फेरने लगता हैं....
राधिका- बापू आज सब कुछ ख़तम हो गया... इन लोगों ने हमे कहीं का नहीं छोड़ा... मैं अब जीना नहीं चाहती बापू.... भगवान के लिए अपने हाथों से अब मेरा गला घोंट दो... कम से कम मेरी आत्मा को तो मुक्ति मिल जाएगी........ और फिर से राधिका अपने बापू से लिपटकर रोने लगती हैं..
बिरजू- नहीं बेटी... इसमें तेरा कोई कसूर नहीं हैं.. शायद यही विधि का विधान हैं...और लोग इसी लिए इसे कलयुग कहते हैं क्यों कि आज धीरे धीरे इंसानियत ख़तम होती जा रही हैं...मुझे माफ़ कर दे बेटी मैं एक अच्छा बाप ना बन सका और ना ही बाप का कोई फ़र्ज़ निभा सका.... भगवान से तू यही दुआ करना कि मुझ जैसा बाप तुझे कभी ना मिले.. मुझे आज भी तुझ पर नाज़ हैं बेटी...
बिरजू- मालिक आज तो मेरे पास कोई शब्द नहीं बचा हैं कि मैं आपसे कुछ कह सकूँ.. क्यों कि आज आपने मुझे कुछ कहने लायक छोड़ा ही नहीं.... शायद इससे अच्छी वफ़ादारी की कोई कीमत मुझे मिल ही नहीं सकती... जो आपने मुझे दी हैं एक बाप के हाथों अपनी बेटी को कलंकित करने का... आप ये कैसे भूल गये मालिक की आपकी भी एक बेटी हैं.. अगर उसके साथ ये सब आपको करना पड़ा होता तब उस वक़्त आपको एहसास होता जो इस वक़्त मेरे दिल पर बीत रही है.. उस दर्द का तब आपको एहसास होता...बस ईश्वर से अब यही दुआ करूँगा कि आपको भी जल्दी ही उस दुख का एहसास करवाए... तब आपको समझ में आएगा कि एक बाप और बेटी के बीच रिस्ता क्या होता हैं.....
इस वक़्त बिहारी बिल्कुल खामोश था... और अपनी नज़रें नीचे झुकाए खड़ा था... तभी बिरजू फिर से राधिका के पास आता हैं और उसका माथा चूम लेता हैं.. बेटी मुझे माफ़ कर देना. समझ लेना कि तेरा कोई बाप भी था.... राधिका चुप चाप वहीं खड़ी रो रही थी... तभी बिरजू अपने कदम आगे बढ़ाते हुए आगे वाले कमरे में जाता हैं और धीरे से उस दरवाज़े को सटा देता हैं.. राधिका चुप चाप वहीं खड़ी अपने बाप को जाता हुआ देख रही थी मगर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब बिरजू कहाँ जा रहा हैं और ना ही वहाँ खड़े बिहारी और विजय को कुछ समझ में आता हैं....
करीएब 5 मिनिट तक कहीं से कोई आवाज़ नहीं आती और इधेर राधिका का डर बढ़ने लगता हैं..फिर राधिका उस कमरे में जाने की सोचती हैं ..इससे पहले कि वो अपना एक कदम भी आगे बढ़ाती तभी गोली की ढायं की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज जाती हैं और जब राधिका गोली की आवाज़ सुनती हैं तो उसका पूरा शरीर ठंडा पड़ जाता हैं...यही हाल इधेर बिहारी का भी था.. उनके भी पाँव तले ज़मीन खिसक जाती हैं.. और वो दोनो भी दरवाज़े की ओर देखने लगते हैं....
राधिका समझ चुकी थी कि क्या हुआ होगा.. फिर भी वो अपने कदम धीरे धीरे आगे बढ़ाते हुए उस कमरे की ओर जाने लगती हैं... उसकी ब्लीडिंग से उसका शॉल भी उसके खून से धीरे धीरे रंग रहा था....फिर भी वो दीवाल का सहारा लेकर उस कमरे तक पहुँच जाती हैं और जब वो दरवाज़ा खोलती हैं तब वो किसी बुत की तरह सामने का नज़ारा देखने लगती हैं... सामने बिरजू की लाश पड़ी हुई थी.. और उसके हाथ में एक रेवोल्वेर भी था.. उसने कनपटी पर अपनी गोली चलाई थी. कमरे में चारों तरफ फर्श पर खून बह रहा था... राधिका ज़ोर से चीखते हुए अपने बापू के पास जाती हैं और उसे अपनी गोद में लेकर उन्हें उठाने की कोशिश करती हैं.. मगर इस वक़्त बिरजू की साँसें थम चुकी थी...
राधिका वहीं ज़ोर ज़ोर से अपने बापू को अपनी गोद में लेकर वहीं रोने लगती हैं.... ये क्या किया बापू आपने ....मेरी ग़लती की सज़ा अपने आप को दी....इससे अच्छा होता कि आप मेरा गला घोंट देते.. सारा कसूर मेरा हैं .....मेरा... आपने क्यों किया ऐसा... क्यों....................तभी कमरे में बिहारी और विजय भी दाखिल होते हैं और जब वो नज़ारा देखते हैं तो उनके भी होश उड़ जाते हैं..
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राधिका- अब तो तुम्हें सुकून मिल गया होगा... यही चाहते थे ना तुम... सच में तुम्हारे अंदर ज़रा भी इंसानियत नाम की कोई चीज़ नहीं हैं.. तुमसे अच्छे तो जनवार होते हैं कम से कम वो अपने मालिक का हक़ तो अदा करते हैं ..तुमलोग तो उन सब से भी गये गुज़रे हो... आज इन सब के ज़िम्मेदार तुम सब हो....
मैं तुम्हें कभी माफ़ नहीं करूँगी....अब तुम्हें मेरी हाय लगेगी.. देख लेना बिहारी तू भी ऐसे ही एक दिन तडपेगा... वो देख रहा हैं उपर से सब कुछ..देख लेना उसकी लाठी में आवाज़ नहीं होती.... जैस दिन उसकी लाठी तेरे उपर बरसेगी उस दिन तू अपनी मौत की भीख माँग रहा होगा. मगर तुझे इतनी आसानी से मौत भी नहीं मिलेगी....उस दिन तुझे मेरी कही हुई एक एक बातें याद आएँगी...मगर सिवाय पस्चाताप के तुझे कुछ हासिल नहीं होगा...उस दिन तुझे समझ में आएगा कि बद-दुवा क्या होती हैं.....
क्या मिला तुझे ये सब करके.. तुमने जो कुछ बोला वो सब मैने किया.. जहाँ बोला वहाँ मैं गयी.. जिसके साथ तुमने मुझे सोने को कहा मैने बिना कुछ कहे ना किसी विरोध के..ये भी नहीं पूछा कि मेरा वे लोग क्या हश्र करेंगे.... फिर भी मैं उसके साथ सोई.. मगर तुझे इससे भी चैन और सुकून नहीं मिला... आज तेरी वजह से मैं आज पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी हूँ.. और इस समाज़ में और इस दुनिया की नज़रो में मैं सिर्फ़ एक रंडी बनकर रह गयी हूँ...
आज तो तूने मुझे मेरे राहुल के लायक भी नहीं छोड़ा....तू क्या समझता हैं कि मैं अपने भैया का बिस्तेर गरम कर रही थी तो इसके पीछे क्या मेरी जिस्म की भूक थी...अरे तू क्या जाने कि प्यार किसे कहते हैं... मैने सिर्फ़ अपने आप को इसलिए उनके हवाले किया कि कम से कम मैं बर्बाद होकर भी उन्हें आबाद कर सकूँ..... मगर तूने तो मेरे समर्पण को एक नयी परिभाषा दे डाली.. और मेरे भैया को बेहन्चोद का नाम दे दिया....
प्यार का दूसरा नाम समर्पण होता हैं... मगर तेरा प्यार में सिर्फ़ लालच और हवस हैं... तू क्या जाने जब तेरी सती जैसी बीवी तेरी ना हो सकी तो दुनिया की कोई औरत तेरी नहीं हो सकती.. खूब दिया तूने भी उसे इनाम.... उसकी सच्चे प्यार के बदले उसी को मौत के घाट उतार दिया... तू किसी का नहीं हो सकता बिहारी...........किसी का नहीं...
अब तो राहुल भी मुझे कभी किसी हाल में नहीं अपनाएगा... और मैं खुद नहीं चाहती कि अब मैं उससे शादी करूँ.. क्यों की मैं उसे किसी की नज़रो में गिरता हुआ नहीं देख सकती.... और अगर राहुल ने मुझे अपना भी लिया तो ये समाज़ हर पल उससे ये एहसास दिलाता रहेगा कि उसकी बीवी कितनों के साथ मूह काला कर के आई हैं...और मैं नहीं चाहती कि मेरे राहुल को मेरी वजह से कभी झुकना पड़े...मगर मुझे उसका कोई गम नही हैं.. मैं तो खुद उसकी ज़िंदगी से दूर जाना चाहती थी.... मगर आज तूने तो मुझे मेरी ही नज़रो में गिरा दिया... और जब इंसान खुद की नज़रो में गिर जाता हैं तो वो कभी जी नहीं पाता.. आज तो मेरे पास भी मरने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा हैं.. तू चिंता मत कर बिहारी मैं तेरे जैसी निर्दयी और स्वार्थी नहीं हूँ मरते वक़्त भी तुझपर इल्ज़ाम नहीं आने दूँगी....
बिहारी की आँखों में इस वक़्त आँसू आ गये थे राधिका की बातो को सुनकर..आज उसके अंदर भी पस्चाताप हो रहा था मगर आब बहुत देर हो चुकी थी.....
बिहारी अपने दोनो हाथों को जोड़ कर राधिका के सामने खड़ा हो जाता हैं और अपना सिर झुका लेता हैं- मुझे माफ़ कर दे राधिका .. मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी.. शायद मैं तेरे प्रति निस्वार्थ प्रेम को समझ नहीं सका और हवस ने मुझे अँधा बना दिया था...
राधिका- माफी.............अब ये पाप मुझसे मत करने को बोल बिहारी... मैं तुझे कभी माफ़ नहीं कर सकती... अगर आज मैने तुझे माफ़ कर दिया तो मेरे दिल में एक दर्द हमेशा के लिए चुभेगा कि मैने ऐसा क्यों किया... बहुत घमंड हैं ना तुझे अपनी पॉवर और सत्ता पर देख लेना.. जब ये बात मेरे राहुल को पता चलेगी तो वो तेरी लंका एक दिन पूरा बर्बाद कर देगा और तेरा भी वजूद इस दुनिया से मिटा देगा... वो तुझे कभी नहीं छोड़ेगा...
अभी भी तेरे पास मौका है भाग जा और जाकर कहीं छुप जा वरना वो आ गया तो तेरा क्या हाल करेगा तू इसका अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता.. मुझसे बेहतर तू नहीं जानता होगा राहुल को......फिर वो विजय की ओर देखते हुए कहती हैं- और तू तो उसका दोस्त हैं ना... तेरे जैसे गद्दार दोस्त से तो अच्छा होता कि उसका कोई दोस्त ही ना रहता... तू तो जिस थाली में ख़ाता हैं उसी में छेद करता हैं.. जब तेरी असलियत पता चलेगी तब देखना राहुल तेरा भी क्या हाल करेगा....
विजय उसका हाथ पकड़कर उसे दूसरे कमरे में ले जाता हैं- चल यार यहाँ से अब निकलते हैं.. वो सही कह रही हैं अगर वो यहाँ आ गया तो हमारी बॅंड बजा देगा... तभी बिहारी को कुछ याद आता हैं और वो अलमारी की ओर बढ़ता हैं और जाकर अलमारी में से राधिका की सारी ब्लू फिल्म्स की सीडीज़, डीवीडी, और पेनड्राइव वहीं हाल में फर्श पर रख देता हैं फिर वहीं केरोसिन का तेल उसपर गिराकर वो वहीं माचिस से आग लगा देता हैं... थोड़ी देर में वो सारी फिल्म्स जलने लगती हैं और फिर वो राधिका के पास जाता हैं और अपने दोनो हाथों को जोड़ कर वो तेज़ी से बाहर निकल जाता हैं.... और साथ ही साथ विजय भी उसके साथ निकल जाता हैं.....
इस वक़्त राधिका अभी भी अपने बापू के पास रो रही थी वहीं फर्श के पास और उसकी नज़रो के सामने उसकी सारी फिल्म्स बिहारी ने जला दिया था.... आज इस हवस की वजह से राधिका की ज़िंदगी पूरी तरह से उजड़ चुकी थी देखना ये था कि आने वाला वक़्त उसे अब किस मोड़ पर ले जाने वाला था.
अभी राहुल को वहाँ पहुँचने में करीब 1/2 घंटे का समय तो लगना ही था...अभी भी राधिका अपने बापू के पास चुप चाप वहीं बैठी सिसक रही थी... बिरजू का जिस्म पूरा ठंडा पड़ चुका था.... तभी थोड़ी देर में दरवाज़ा फिर से खुलता हैं और शंकर काका अंदर आते है और जब उनकी नज़र कमरे में पड़ती हैं तो उन्हें एक गहरा दुख होता हैं.. चौंके तो वे इसलिए नहीं थे क्यों कि उनको इस बात का अंदाज़ा पहले से था कि ऐसा ही कुछ अंजाम इसका होगा.....इस बात का अंदाज़ा उन्हें पहले से था. जिस बात का उन्हें डर था वहीं हुआ... वो धीरे धीरे अपने कदमों को बढ़ाते हुए राधिका के पास आते हैं और वहीं उसके बाजू में बैठ जाते हैं और राधिका के कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे सांत्वना देते हैं...
इस तरह से शंकर काका को अपने पास महसूस करते ही राधिका वहीं उनके कंधे पर अपना सिर रखकर फुट फुट कर रोने लगती हैं.... शंकर काका बड़े प्यार से उसके सिर पर अपना हाथ फेरते हैं और उसे थोड़ी हिम्मत देते हैं...
शंकर- चुप हो जा बेटी.. जो हुआ वो अच्छा नहीं हुआ... मैने बिहारी को पहले भी समझाया था मगर वो मेरी बात नहीं माना.. मैं जानता था कि इसका परिणाम बहुत भयानक होगा... अगर बिहारी ने आज मेरी बात मान ली होती तो ऐसा अनर्थ कभी ना होता.....आज उसने बाप बेटी के बीच के पवित्र रिस्ते को हमेशा हमेशा के लिए कलंकित कर दिया.... और यही सदमा बिरजू नहीं सह पाया और इसी वजह से उसने आज जान दी... मैं अच्छे से जानता हूँ कि बिरजू ऐसा नहीं था.... उसने कभी तेरे बारे में ग़लत नहीं सोचा और हमेशा तेरी भलाई चाही.....अगर इसकी जगह आज मैं होता तो मैं भी यही करता जो बिरजू ने किया हैं....खैर जो हुआ बेटी उसे तो वापस लाया नहीं जा सकता...
राधिका कुछ नहीं कहती और बस एक टक शंकर काका को देखने लगती हैं... आज उसकी आँखें पूरी तरह से लाल थी...वो थोड़ी देर तक कुछ सोचती हैं फिर वो थोड़ी हिम्मत करके शंकर काका से कहती हैं...
राधिका- काका मुझे थोड़ा बाथरूम तक सहारा दे दीजिए.... मेरे जिस्म से इस वक़्त बहुत ब्लीडिंग हो रही हैं.. मुझे इस वक़्त चलने में भी बहुत तकलीफ़ हो रही हैं... अगर आप वहाँ तक मुझे सहारा देंगे तो मुझे अच्छा लगेगा.... राधिका की बातें सुनकर शंकर काका वहीं राधिका के बाजू को पकड़कर उठाते हैं और उसे अपनी गोद में अपने दोनो हाथों से उठाकर बाथरूम की ओर ले जाते हैं... ये देखकर राधिका बोल पड़ती हैं- काका आप मुझे नहीं उठा पाएँगे... अब आप बूढ़े हो चुके हैं.. बस मुझे सहारा दे दीजिए.. मैं चली जाउन्गि.....
शंकर- नहीं बेटी..... आज भी इन बूढ़े हाथों में वो ताक़त बाकी हैं.. तू फिकर मत कर.... फिर शंकर काका उसे बाथरूम की ओर ले जाते हैं....और वहीं दरवाज़े के पास राधिका को उतार देते हैं....
राधिका-काका ज़रा मेरी डायरी मुझे देंगे...
शंकर काका वहीं उसके बॅग से वो डायरी लेकर आता हैं और राधिका को वो डायरी थमा देता हैं... राधिका वहीं फर्श पर बैठ कर वो डायरी लिखने बैठ जाती हैं... ये देखकर शंकर काका की आँखें नम हो जाती हैं...
शंकर- बेटी तू ऐसा क्या लिखती रहती हैं इस डायरी में हर रोज़.....
राधिका- एक ये ही तो मेरा सहारा हैं काका ... जिसमें मैं अपनी यादें और अपना दुख सुख लिखती हूँ...जो पल मैने बिताए अच्छा बुरा.... सब कुछ... अब तो ये डायरी मेरी ज़िंदगी बन चुकी हैं....
शंकर- बेटी तू यहीं पर आराम कर और थोड़ा फ्रेश हो जा.. मैं तेरे लिए दवाई और कुछ नाश्ता वगेराह लेकर आता हूँ.... फिर मैं तुझे थोड़ी देर में अस्पताल ले चलूँगा... तू फिकर मत कर बेटी तू बिल्कुल ठीक हो जाएगी...
शंकर की बातो से राधिका थोड़ा सा मुस्कुरा देती हैं- नहीं काका रहने दीजिए.. अब मलहम पट्टी करने से अब कोई फ़ायदा नहीं होगा.. जो घाव मेरे दिल में हैं उसका इलाज़ तो दुनिया के किसी भी डॉक्टर के पास नहीं है... बस एक बात आपसे कहनी थी अगर आपको बुरा ना लगे तो....
शंकर- बोलो बेटी मैं तुम्हारी बातो का भाल बुरा क्यों मानूँगा.... आख़िर तू भी तो मेरी बेटी जैसी हैं....
राधिका अपने हाथों में से राहुल की दी हुई वो हीरे की अंगूठी निकाल लेती हैं और फिर शंकर काका को थमा देती हैं..... शंकर काका उसे हैरत से देखने लगते हैं- काका राहुल अभी शायद थोड़ी देर में यहाँ पर आने वाला हैं...मैने उनलोगों के मूह से ऐसा कहते सुना था.... मैं चाहती हूँ कि आप ये मेरी डायरी और ये अंगूठी उसे सौंप दें....और ये भी मेरे राहुल से कहना कि मैं अब उसके लायक नहीं रही.... इन सब ने मिलकर मुझे गंदा कर दिया है.....इस डायरी में मैने वो सब कुछ लिखा हैं जो अब तक मेरे साथ होता आया हैं.... मेरे राहुल से कहना कि मैने उसका हर पल हर घड़ी इंतेज़ार किया है....हर एक लम्हा उसकी याद में मैं तड़पति रही.....मगर शायद उसी ने आने में बहुत देर कर दी... अब तो सब कुछ ख़तम हो गया..... सब कुछ ख़तम...... काका.....
शंकर राधिका के मूह से ऐसी बातो को सुनकर वो सवाल भरी नज़रो से राधिका की ओर देखने लगता हैं- नहीं बेटी तुझे कुछ नहीं होगा.... तू चिंता मत कर आज बिरजू नहीं हैं तो क्या हुआ अब से मैं तेरा बाप हूँ. और मैं तुझे कुछ नहीं होने दूँगा.. एक बेटी को तो मैने खो दिया मगर अब तुझे नहीं खोने दूँगा... तू चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा.......
राधिका- काका मुझे थोड़ी देर अकेला छोड़ दो.. मैं थोड़ी देर अकेले रहना चाहती हूँ....आप जाकर मेरे लिए कुछ नाश्ता वगेरह बना कर ले आयें... फिर मैं आपके साथ चलूंगी............
शंकर काका एक नज़र बड़े प्यार से राधिका को देखते हैं फिर वो अपना हाथ राधिका के सिर पर फेरते हैं और वहाँ से उठकर किचन की तरफ चले जाते हैं.... इस वक़्त भी राधिका के हाथों में वो डायरी और अंगूठी थी....फिर से राधिका वो डाइयरी खोलती हैं और तुरंत लिखने बैठ जाती हैं और करीब 10 मिनिट में वो अपनी डायरी ख़तम करती हैं... फिर वो अपनी दोनो डायरी (एक निशा की और एक अपनी ) और साथ ही अंगूठी भी वहीं रख कर वो खड़ी होती हैं... फिर वो दीवार के सहारे लेकर खड़ी होती हैं और बाथरूम की ओर जाती हैं... जैसे ही वो बाथरूम में घुसती हैं उसकी नज़रें कुछ तलाश करने लगती हैं.
कुछ देर के बाद राधिका की आँखे चमक जाती हैं जब उसे वो चीज़ दिखाई देती हैं....वो फिर धीरे धीरे आगे बढ़कर उस चीज़ को अपनी हाथों में लेती हैं और बड़े गौर से उसे देखने लगती हैं.... उसके चेहरे पर हल्की सी मायूसी थी...... इस वक़्त राधिका के हाथों में एक फिनायल की शीशी थी...थोड़ी देर के बाद उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं.....
राधिका- मुझे माफ़ कर देना राहुल.... आज मेरे पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा... सिवाए आत्महत्या करने के....आज तुमने आने में बहुत देर कर दी.... मैं तुम्हारा हर पल हर घड़ी इंतेज़ार करती रही और इन सब का जुर्म हंसकर सहती रही...मगर शायद मेरी इंतेज़ार अब यहीं पर ख़तम होगी....शायद मेरी किस्मेत में तुम्हारा प्यार नहीं था...आज इन सब ने मुझे पूरी तरह से गंदा कर दिया हैं.. और मैं अपने पाप का भागीदार तुम्हें नहीं बनाना चाहती...जो कुछ मेरे साथ हुआ उसका मुझे दुख नहीं .....बल्कि दुख तो इस बात का हैं कि तुमने मुझे जिस लायक समझा था अब मैं उस लायक नहीं रही.. मैने अपनी पवित्रता खो दी हैं..... मुझे माफ़ कर देना.... अब तो मैं अपनी निशा के रास्ते में भी नहीं आउन्गि....और तुम को अब उससे अच्छी बीवी और कोई मिल ही नहीं सकती.. हो सके तो अपनी राधिका को हमेशा हमेशा के लिए भूल जाना.... आइ आम सॉरी राहुल.... आइ आम सॉरी.....
और राधिका फिर वो फिनायल की शीशी का ढक्कन खोलती हैं और अपनी आँखे बंद करके वो उस फिनायल को अपनी होंटो से लगा लेती हैं और धीरे धीरे वो उस बॉटल में रखा ज़हर अपने हलक के नीचे उतारना शुरू करती हैं.... बर्दास्त तो उसे बिल्कुल नहीं होता मगर फिर भी वो एक एक घूँट पीती जाती हैं और तब तक नहीं रुकती जब तक कि वो शीशी पूरी ख़तम नहीं हो जाती... फिर वो वही बॉटल को फर्श पर रख देती हैं और बाथरूम से बाहर निकल आती हैं और वहीं फर्श पर आकर बैठ जाती हैं.... इस वक़्त उसकी ब्लीडिंग और साथ ही साथ वो ज़हर धीरे धीरे अब अपना असर दिखाना शुरू कर देता हैं.... और राधिका वहीं अपनी आँखे बंद कर के फर्श पर बैठ जाती हैं.......
करीब 10 मिनिट के बाद शंकर काका अपना काम पूरा ख़तम करके उसके पास आते हैं और राधिका को वहीं फर्श पर आँखे बंद किए बैठा देखकर वो उसके करीब आकर वो भी वहीं ज़मीन पर बैठ जाते हैं और उसके सिर पर अपने हाथ बड़े प्यार से फिरते हैं... मगर राधिका इस बार आनकिएं नहीं खोलती... शंकर काका थोड़ा उसको आवाज़ देकर उसके बाज़ू को हिलाते हैं मगर राधिका कोई जवाब नहीं देती... शंकर काका का दिल ज़ोरों से धड़कने लगता हैं.. तभी उनके मन में कुछ ख्याल आता हैं और वो दौड़ कर बाथरूम की ओर जाते हैं... और जब उनकी नज़र फर्श पर फिनायल की खाली शीशी पर पड़ती हैं तब उनका डर हक़ीकत में बदल जाता हैं.... वो समझ जाते हैं कि राधिका ने ज़हर पी लिया हैं......
वो तुरंत उसके पास जाते हैं और उसके गालों पर अपना हाथ फेरते हैं और उसे उठाने की कोशिश करते हैं मगर राधिका की आँखे इस वक़्त भी बंद थी...... तभी शंकर काका ज़ोर से उसे झटका देते हैं और इस बार राधिका अपनी आँखें खोल लेती हैं.....
शंकर- क्यों किया तुमने ऐसा... आख़िर तुम्हें मुझपर भरोसा नहीं था ना.. इस लिए तुमने वो फिनायल पी ली...
राधिका बस एक नज़र शंकर काका को देखती हैं - काका मुझे माफ़ कर दो.. अब मेरे जीने की कोई वजह नहीं बची थी... इसलिए मुझे ये कदम उठाना पड़ा..........आइ अम फिनिश काका!!! आइ अम फिनिश!!! और इतना कहकर राधिका की आँखें एक बार फिर से बंद हो जाती हैं ....
राधिका की हालत को देखकर शंकर काका की आँखों में आँसू आ जाते हैं..... वो भी वहीं राधिका के पास बैठे हुए थे... शंकर काका राधिका का सिर अपने गोद में रख लेते हैं और उसके सिर पर बड़े प्यार से अपना हाथ फ़िराते हैं.... करीब 15 मिनिट के बाद राहुल अपनी टीम के साथ वहाँ पर पहुँचता हैं...कमरे में सभी पोलीस वाले एक एक कर सारे सामानों की तलाशी लेते हैं और राहुल राधिका को खोजते हुए इधेर उधेर फिरता रहता हैं.... आख़िरकार उसकी प्यासी नज़रो को उसका प्यार मिल ही जाता हैं और जब राहुल की नज़र राधिका पर पड़ती हैं तो वो लगभग चीखते हुए वो दौड़ कर राधिका के पास आता हैं...इस वक़्त भी शंकर काका उसे अपनी गोद में लिए हुए थे...वो तुरंत राधिका के करीब आता हैं और राधिका को झट से अपनी बाहों में ले लेता हैं..... वहीं शंकर काका भी बैठे हुए थे.. और उनकी आँखों में आँसू थे....
शंकर काका इस वक़्त राधिका को अपनी गोद में लिए चुप चाप बैठे हुए थे...आज उनके आँखों में आँसू थे.... वो भी अब राहुल के आने का इंतेज़ार कर रहें थे....करीब 15 मिनिट के बाद राहुल अपनी टीम के साथ वहाँ एंटर होता हैं और उसके साथ के सभी पोलीस वाले कमरे की तलाशी एक एक कर लेना शुरू करते हैं....
थोड़ी देर बाद उन्हें बिरजू की लाश मिलती हैं....मगर वहाँ उन्हें और कोई दिखाई नहीं देता... और इधेर राहुल की नज़र जब राधिका पर पड़ती हैं तब एक पल के लिए उसके दिल में खुशी की लहर उठती हैं मगर अगले पल जब राधिका की हालत पर उसकी नज़र जाती हैं तब उसे एक गहरा धक्का लगता हैं.... वो लगभग चीखते हुए वहीं राधिका के पास आता हैं और उसे झट से अपनी गोद में ले लेता हैं... शंकर काका भी वहीं फर्श पर बैठे हुए थे....
राहुल राधिका को झंझोड़ते हुए उठाता हैं मगर राधिका अपनी आँखें नहीं खोलती... इस वक़्त उसके शरीर में वो ज़हर धीरे धीरे फैल चुका था....
राहुल- अपनी आँखें खोलो राधिका... देखो तुम्हारा राहुल आया हैं....मैं जानता हूँ कि मुझे यहाँ आने मैने बहुत देर कर दी मगर अब मैं आ गया हूँ अब सब ठीक हो जाएगा.....राहुल बार बार उसे उठाने की कोशिश करता हैं मगर राधिका अपनी आँखें नहीं खोलती....
राहुल- क्या हुआ हैं इसे.... ये अपनी आँखे क्यों नहीं खोल रही.... सब ठीक तो हैं ना... और राहुल की आँखों में आँसू आ जाते हैं...
शंकेर- बेटा तुमने आने में बहुत देर कर दी...अब ये कभी नहीं उठेगी.....
शंकर की ऐसी बातो को सुनकर राहुल के होश उड़ जाते हैं- क्या.....क्या कहा आपने.. नहीं उठेगी.... मगर क्यों... ऐसा क्या हुआ हैं मेरी राधिका के साथ..... मैं अपनी जान को कुछ नहीं होने दूँगा.....
शंकर- इस वक़्त बेटा मैं तुम्हें ये सब नहीं बता सकता कि इसके साथ क्या हुआ हैं... मगर इतना जान लो कि जो कुछ भी इस बच्ची के साथ हुआ बहुत बुरा हुआ.... अभी ये सब जानने का समय नहीं हैं... बेहतर यही होगा कि तुम इसे जल्दी से जल्दी अस्पताल लेकर जाओ.... इसने ज़हर पी लिया हैं...
राहुल- क्या??? ज़हर.. मगर क्यों??? नहीं ऐसा नहीं हो सकता.... मेरी राधिका इतनी कमज़ोर नहीं हो सकती कि वो ख़ुदकुशी करेगी.....
तभी कमरे में ख़ान आता हैं और वो बिरजू के बारे में उससे बताता हैं... ख़ान की बातें सुनकर राहुल के होश उड़ जाते हैं....
तभी राहुल तुरंत राधिका को अपनी गोदी में उठाता हैं और वो तेज़ी से राधिका को लेकर बाहर की ओर निकल पड़ता हैं.. शंकर काका तो उससे बहुत कुछ कहना चाहते थे मगर उन्हें लगा कि ये सही समय नहीं हैं कि कोई बात कही जाए.... इस लिए वो चुप हो जाते हैं...
ख़ान- सर मैने आंब्युलेन्स के लिए फोन कर दिया हैं. आंब्युलेन्स जल्दी ही आती होगी...
राहुल- नहीं ख़ान..हमारे पास ज़्यादा वक़्त नहीं हैं. आंब्युलेन्स के आने में कम से कम 1 घंटा तो लगेगा ही.. और तब तक पता नहीं क्या हो जाएगा.. तुम एक काम करो जल्दी से जीप निकालो और सीधा सिटी हॉस्पिटल चलो... जितनी जल्दी हो सके... ख़ान को भी राहुल की बात सही लगती हैं और वो तुरंत अपनी जीप लेकर आता हैं और राहुल राधिका को पिछली सीट पर लेकर बैठ जाता हैं और ख़ान तुरंत जीप को फुल स्पीड पर दौड़ाता हैं.... राहुल ने अपनी गोद में राधिका के सिर को रखा हुआ था और बड़े प्यार से उसके बालों पर अपना हाथ फिरा रहा था.. साथ ही साथ उसकी आँखे भी नम थी.....
करीब 1/2 घंटे के बाद वे लोग सिटी हॉस्पिटल पहुँचते हैं... और इस समय ड्र. अभय वहाँ अपने स्पेशल टीम के साथ मौजूद थे.. राहुल ने रास्ते में ही ड्र.अभय को फोन करके सारी बातें बता दी थी... तभी दो कॉमपाउंडर आते हैं और वहीं राधिका को बेड पर सुला कर तुरंत उसे हॉस्पिटल के अंदर ले जाते हैं... उसके पीछे पीके ड्र.अभय और उनकी टीम जल्दी से आइसीयू वॉर्ड की ओर मूव करती हैं....
अभय जल्दी से राडिका को आइसीयू वॉर्ड में शिफ्ट करता हैं और तुरंत उसका इलाज़ शुरू करता हैं.. इस वक़्त भी राधिका बेहोश थी.. और धीरे धीरे उसका शरीर नीला पड़ता जा रहा था.. अब तक ज़हर उसकी रगों में पूरा फैल चुका था....
अभय राहुल के पास आता हैं और उसके कंधे पर अपना हाथ रखता हैं- धीरज रखो मेरे दोस्त.... सब ठीक हो जाएगा.. आइ विल ट्राइ माइ बेस्ट.... वैसे इस वक़्त राधिका की हालत बहुत क्रिटिकल हैं.. इस लिए ठीक से कुछ कहा नहीं जा सकता... मैं पूरी कोशिश करूँगा जो मुझसे बन पाएगा... और तुम चिंता मत करो राहुल ...मैं डॉक्टर से पहले तुम्हारा एक अच्छा दोस्त हूँ... और आज मैं अपनी दोस्ती के लिए राधिका को बचाउन्गा... मगर ये सब तो उपर वाले के हाथ में हैं....बस दुवा करना कि वो बच जाए...
राहुल अपने दोनो हाथ जोड़कर अभय के सामने खड़ा हो जाता हैं- मुझे तुम पर भरोसा हैं अभय... मैं जानता हूँ कि तुम एक बेस्ट डॉक्टर हो और तुम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करोगे... पर दोस्त इतना ध्यान रखना कि अगर मेरी राधिका को कुछ हो गया तो.................अभय उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे सांत्वना देता हैं और झट से आइसीयू वॉर्ड में एंटर होता हैं और साथ ही तीन और डॉक्टर्स भी अंदर जाते हैं और फिर राधिका का ऑपरेशन शुरू हो जाता हैं....
इधेर जैसे ही ये खबर निशा को मालूम चलती हैं वो लगभग भागते हुए तुरंत हॉस्पिटल पहुँचती हैं.. और साथ ही उसके मम्मी पापा भी आते हैं.... इधेर ख़ान भी अपनी जीप लेकर झट से बाहर निकल जाता हैं .....राहुल इस वक़्त वहीं आइसीयू वॉर्ड के बाहर बैठा हुआ ईश्वर से राधिका की ज़िंदगी की दुवा कर रहा था.... तभी निशा भी वहाँ आती हैं और राहुल को देखते वो चीख पड़ती हैं....
निशा- ये सब क्या हो गया राहुल... मेरी राधिका की किसने की ऐसी हालत...... मैं इसी वक़्त राधिका से मिलना चाहती हूँ. कहाँ हैं वो....ठीक तो हैं ना...
निशा की बातो को सुनकर राहुल भी रोने लगता हैं- पता नहीं निशा ये सब कैसे हो गया... मैं जब राधिका से मिला तब वो बेहोश थी... अभी इस वक़्त वो आइसीयू में हैं और उसका ऑपरेशन चल रहा है... इस सहर की बड़ी बड़ी हस्ती आई हुई हैं और उसका ऑपरेशन कर रहे हैं....
निशा वहीं अपनी मम्मी के गले से लिपट कर रोने लगती हैं... मम्मी अगर राधिका को कुछ हुआ तो देख लेना मैं भी अपनी जान दे दूँगी.. मैं उसके बगैर नहीं जी सकती.... वो मेरी सहेली ही नहीं मेरी जान से बढ़कर हैं... पता नहीं ये सब कैसे हो गया....
सीता- बेटा चुप हो जा राधिका को कुछ नहीं होगा..... सब ठीक हो जाएगा.......फिर वो अपनी बेटी के आँखों से बहते आँसू पोछती हैं और उसे अपने सीने से लगा लेती हैं.
जैसे जैसे वक़्त बीतता जा रहा था वैसे वैसे राहुल और निशा के दिल में डर भी बढ़ता जा रहा था..... वो तो बस उपर वाले से यही दुआ कर रहा था कि राधिका कैसे भी बच जाए.....मगर उपरवाले को तो कुछ और ही मंज़ूर था....
दो घंटे बाद......................
दो घंटे की कड़ी मेहनत के बाद एक एक कर सभी डॉक्टर्स आइसीयू वॉर्ड से बाहर निकलते हैं.. सब के चेहरे झुके हुए थे और सबके चेहरे पर निराशा सॉफ झलक रही थी..... सब एक एक कर अपने वॉर्ड में चले जाते हैं....राधिका को भी प्राइवेट वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया जाता हैं.... आख़िरकार राहुल और उन सब का इंतेज़ार ख़तम होता है और ड्र. अभय आइसीयू वॉर्ड से बाहर निकलता हैं..... अभय को देखते ही राहुल तुरंत उसके पास पहुँच जाता हैं और सवाल भरी नज़रो से अभय के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करता हैं... राहुल के ऐसे देखने से अभय अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लेता हैं.....
राहुल- क्या हुआ अभय.... सभी डॉक्टर्स के चेहरे पर ऐसी उदासी क्यों हैं.. सब ठीक तो हैं ना.. मेरी राधिका बच तो जाएगी ना... कह दो ना अब वो ख़तरे से बाहर हैं.... अब वो ठीक हो जाएगी......
अभय झट से राहुल के कंधे पर अपना हाथ रख देता हैं ... उसके चेहरे पर पसीने की बूँदें सॉफ छलक रही थी....
राहुल- क्या हुआ अभय... तुम कुछ बोलते क्यों नहीं... मेरी राधिका ठीक तो हैं ना...
अभय फिर भी अभी तक खामोश खड़ा था....
राहुल- तुम कुछ बोलते क्यों नहीं.... मेरा दिल बैठा जा रहा हैं....भगवान के लिए कुछ तो बोलो...
अभ- क्या कहूँ राहुल.. आज मेरी ज़ुबान भी लड़खड़ा रही हैं.. समझ में नहीं आ रहा कि मैं तुमसे कैसे कहूँ कि............
राहुल का गला सूखने लगता हैं- क्या....... ??? बात क्या हैं अभय... खुल कर बताओ मुझे...
अभय- बात ये हैं कि राधिका की ब्लीडिंग अभी भी बंद नहीं हो रही हैं... उसके प्राइवेट पार्ट्स बुरी तरह से ज़ख़्मी हैं और अंदर की नसें कयि जगह से फट चुकी हैं.. ये सब उसके साथ रफ सेक्स की वजह से और लगातार कंटिन्यू सेक्स की वजह से हुआ हैं....हम ने अभी तो काफ़ी कंट्रोल कर लिया हैं मगर............
राहुल- मगर क्या अभय....
अभय- अगर ब्लीडिंग की बस प्राब्लम होती तो हम कैसे भी उसे कंट्रोल कर लेते....मगर राधिका ने फेनायल का पूरा बॉटल पी लिया हैं. जिसकी वजह से उसके शरीर में ज़हर अब पूरी तरह फैल चुका हैं. अगर थोड़ी देर पहले तुम राधिका को यहाँ पर लाए होते तो शायद हम कुछ कर सकते थे बट आइ अम सॉरी......अब बहुत देर हो चुकी हैं....
राहुल- व्हाट सॉरी अभय.... कुछ भी करो जितना पैसा चाहिए मैं तुम्हें दूँगा... जो बन पड़ेगा वो मैं करूँगा मगर मैं तुम्हारे आगे अपनी राधिका की ज़िंदगी की भीख माँगता हूँ. कुछ भी करके तुम उससे बचा लो..... ये सारी बातें सुनकर निशा भी ज़ोर ज़ोर से रोने लगती हैं...
निशा- प्लीज़ डॉक्टर मेरी राधिका को कैसे भी करके बचा लीजिए. अगर आपको ब्लड की ज़रूरत हैं तो मेरे शरीर से पूरा ब्लड ले लीजिए मगर उसे बचा लीजिए...
अभ- ट्राइ टू अंडरस्टॅंड..... जो अब पासिबल नहीं हैं वो हम कैसे कर सकते हैं... बात आप समझने की कोशिश कीजिए... हम राधिका को अब बचा नहीं पाएँगे....क्यों कि ज़हर उसकी रगों में पूरी तरह से फैल चुका हैं... और अब बहुत देर हो चुकी हैं....
राहुल की आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं... कहाँ हैं राधिका... मैं उससे मिलना चाहता हूँ... कितना समय हैं उसके पास डॉक्टर...
अभ- एक घंटा .....ज़्यादा से ज़्यादा दो.... इससे ज़्यादा वक़्त नहीं हैं उसके पास... अभी वो इस वक़्त होश में हैं.. आप सब चाहे तो जाकर उससे मिल सकते हैं... मुझे माफ़ कर देना राहुल आज मैं पहली बार नाकाम हुआ हूँ.... और अभय अपनी नज़रें नीची करके वहाँ से अपने कॉम्पोन्ड में चला जाता हैं.
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Update 43
अभय की बातें सुनकर राहुल की आँखें भर आती हैं.. और वो वहीं घुटने के बल बैठ कर रोने लगता हैं.. तभी निशा उसके पास आती हैं और उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर उसका हौसला बढ़ाती हैं... फिर वो तुरंत उठकर उस वॉर्ड की ओर चल पड़ता हैं जहाँ इस वक़्त राधिका अड्मिट थी.... जैसे जैसे उसके कदम आगे बढ़ते हैं वैसे वैसे उसकी दिल की धड़कनें बढ़ने लगती हैं..... आखरिकार वो राधिका के वॉर्ड में पहुँच जाता हैं और जब उसकी नज़र राधिका पर पड़ती हैं तो वो लगभग दौड़ते हुए वो उसके पास आता हैं.... राधिका इस वक़्त बेड पर सोई हुई थी और उसके दोनो हाथों में एक तरफ ब्लड की बॉटल लगी हुई थी और दूसरी तरफ ग्लूकोस की बॉटल.....
उसकी आँखें इस वक़्त बंद थी....मगर जब राहुल उसके पास आता हैं और उसके सिर पर अपना हाथ फेरता हैं तब वो अपनी आँखें धीरे से खोल लेती हैं....इस वक़्त राहुल की आँखें पूरी तरह से नम थी... वो वहीं राधिका के बगल में बैठ जाता हैं तभी कमरे में निशा , सीता और मिस्टर.अग्रवाल (निशा के पापा) भी अंदर आते हैं.....
राहुल- ये सब क्या हो गया जान..... मैं तो बस कुछ दिनों के लिए बाहर क्या गया तुम्हारा साथ इतना कुछ हो गया.... और तुमने मुझे बताना भी ज़रूरी नहीं समझा... क्यों किया तुमने ऐसा.... एक पल के लिए भी ये नहीं सोचा कि मेरे दिल पर क्या बीतेगी....कैसे जीऊंगा मैं तुम्हारे बगैर.....
राधिका के आँखों में आँसू आ जाते हैं और वो अपना हाथ आगे बढ़ाकर राहुल के मूह पर रख देती हैं.... और अपनी गर्देन को ना में हिलाती हैं.... वहीं दूसरी तरफ निशा भी आकर उसके पास बैठ जाती हैं.. उसकी आँखें भी नम थी... वो भी बस रोए जा रही थी... तभी राधिका अपना हाथ आगे बढ़ाकर राहुल की आँखों से बहते आँसू पोछती हैं और फिर वो निशा की आँखों से आँसू पोछती हैं.. राहुल झट से राधिका का हाथ थाम लेता हैं और उधेर निशा भी ऐसा ही करती हैं....
निशा- क्यों किया तुमने ऐसा राधिका.. मुझे बताना भी ज़रूरी नहीं समझा... एक पल के लिए भी नहीं सोचा कि अगर तुझे कुछ हो गया तो मैं तेरे बगैर कैसे जिउन्गि....
राधिका- चुप हो जा निशा....मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा तुम्हारी इन आँखों में आँसू....
राहुल- तुम ठीक हो जाओगी राधिका... मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा...
राधिका- नहीं राहुल.... मैं जानती हूँ कि अब मेरे पास ज़्यादा वक़्त नहीं हैं.... मैं चन्द घंटों की मेहमान हूँ. मुझे मरने का दुख नहीं हैं... दुख तो इस बात का हैं कि मैं अपना वादा नहीं निभा सकी..तुम्हारे साथ जीने मरने का....मुझे माफ़ कर दो....
राहुल- नहीं राधिका ऐसा मत कहो.... मैं तुम्हारे बिन जी नहीं पाउन्गा.... क्यों किया तुमने ऐसा... एक पल के लिए भी नहीं सोचा कि मेरा क्या होगा.... कैसे जीऊँगा मैं तुम्हारे बगैर..........
राधिका- आज मेरे पास और कोई रास्ता नहीं बचा था राहुल...सिवाए मरने के... मेरे साथ इस एक हफ्ते में क्या हुआ अभी मेरे पास इतना वक़्त नहीं हैं कि मैं तुम्हें वो सारी बातें बता सकूँ.... बस इतना समझ लो कि जो हुआ अच्छा नहीं हुआ.. और कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से मुझे ये कदम उठाना पड़ा....मैने अपनी डायरी में सब कुछ लिख दिया हैं... उसे मेरे मरने के बाद तुम ज़रूर पढ़ना....शायद तुम्हें अंदाज़ा हो जाएगा कि मैने क्या क्या बर्दास्त किया हैं इन दिनों में.....और अब निशा ही तुम्हारे लिए सच्ची जीवन साथी हैं... मैं ये बात जानती हूँ कि वो भी तुमसे ही प्यार करती हैं...उसका कोई बाय्फ्रेंड नहीं हैं... वो भी तुम्हें ही चाहती हैं... मगर शायद मेरी वजह से इसने तुम्हें कभी अपने प्यार का इज़हार नहीं किया....और शायद मैं निशा के बीच आ गयी थी....
राधिका की ऐसी बातो को सुनकर निशा के होश उड़ जाते हैं.... तो क्या तुम्हें पता था.. ये सब... लेकिन कैसे???
राधिका- जिस तरह मुझे डाइयरी लिखने का शौक हैं उसी तरह तुम्हें भी हैं.. और एक दिन मैं तुम्हारे घर पर गयी थी तब मुझे तुम्हारी डायरी मिली और मैं उसे अपने पास रख ली... कोई कबाड़ी वाला उसे नहीं ले गया था... तब से वो डायरी मेरे पास है....और आज भी मैने उसे संभाल कर रखा हुआ हैं.....
निशा- झूट..... धोखा किया हैं तुमने मेरे साथ....आज मुझे समझ में आ गया कि क्यों तुम अपने आप को बर्बाद करने पर तुली रही... क्यों शराब... और नशे में हमेशा चूर रहती.... इन सब की वजह बस मैं थी.. आज ये सब तुमने मेरी वजह से ही किया हैं.... आख़िर आज फिर तुमने दिखा ही दी अपनी दोस्ती... आज फिर से मुझे अपनी नज़रो में गिरा दिया..... अब समझ में आया मुझे कि तुमने मेरी वजह से अपने आप को आज इस मुकाम तक पहुँचाया हैं.. इन सब की मैं ज़िमेदार हूँ ...क्यों किया तुमने ऐसा... सब कुछ तो अच्छा चल रहा था फिर क्यों किया तुमने ऐसा.... मुझे तुमसे अब कोई बात नहीं करनी... मैं जा रही हूँ ये समझ लेना की आज के बाद तेरी कोई दोस्त नहीं.....
राधिका अपना हाथ आगे बढ़ाकर निशा के हाथों में रख देती हैं.....मत जा निशा.... अब तो मेरे पास चन्द साँसें बची हैं उपर से तू मुझसे ऐसी बाते करेगी तो मैं बर्दास्त नहीं कर पाउन्गि.... मत रूठ मुझसे ऐसे... नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा....
निशा झट से राधिका के सीने से लग जाती हैं और फुट फुट कर रोने लगती हैं.... आख़िर क्यों किया तुमने ऐसा.. क्या हासिल हुआ तुझे आज अपने आप को बर्बाद करने से....
राधिका- जानती हैं निशा अगर प्यार और दोस्ती में समर्पण ना हो तो वो दोस्ती और प्यार का कोई वजूद नहीं रहता.. फिर वो दोस्ती और प्यार हवस और लालच बन जाता हैं... और मैने तो अपने प्यार और दोस्ती के बीच कोई स्वार्थ नहीं आने दिया....
राहुल-मैं बहुत किस्मत वाला हूँ राधिका कि मुझे तुम जैसी लड़की का साथ मिला... मगर आज मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता.....
राधिका- मैं तुमसे कहाँ दूर जा रही हूँ राहुल... हम भले ही दो जिस्म हैं मगर एक जान तो हैं...और आत्मा कभी नहीं मरती..बस मुझे कभी अपने दिल से जुदा मत करना और कहीं मुझे भूल ना जाना.... राहुल भी झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं और उससे लिपट का रोने लगता हैं.... इस वक़्त कमरे में सबकी आँखें नम थी... निशा के मम्मी पापा के भी आँखों में आँसू थे.....
तभी इनस्पेक्टर ख़ान भी कमरे में एंटर होता हैं और वो राहुल के पास आता हैं और उसके कंधे पर अपना हाथ रख देता हैं..... सर हिम्मत रखिए...
राधिका- चुप भी हो जाओ राहुल...कब तक ऐसे आँसू बहाते रहोगे....
राहुल- कैसे रखू हिम्मत राधिका... मेरी जान की ऐसी हालत हैं और मैं हिम्मत रखूं.... मुझसे ये नहीं होगा....
ख़ान- देखो राधिका तुमसे मिलने कौन आया हैं....
राधिका एक नज़र दरवाज़े पर डालती हैं.. सामने कृष्णा खड़ा था.... जब राधिका कृष्णा को देखती हैं तो वो अपने आँसू को बहने से नहीं रोक पाती.... कृष्णा भी इस वक़्त वहीं खड़ा रो रहा था.....
कृष्णा धीरे धीरे अपने कदमो को बढ़ाते हुए आगे आता हैं और वहीं राहुल के बगल में बैठ जाता हैं और अपना सिर झुका कर राधिका का माथा चूम लेता हैं.... और फिर वो राधिका के गले लग जाता हैं..और वहीं फुट फुट कर रोने लगता हैं....
कृष्णा- ये सब कैसे हो गया राधिका... तू ये सब अकेले सहती रही और मुझे भी बताना ज़रूरी नहीं समझा... आज इन सब का गुनेहगार मैं हूँ.... आज जो कुछ भी तेरे साथ हुआ हैं वो आज सब मेरी वजह से हैं... तू ईश्वर से यही दुवा करना कि मेरा जैसा भाई तुझे कभी ना मिले....
राधिका- नहीं भैया ऐसा मत कहो.....मुझे कोई पछतावा नहीं हैं बस अपने रब से यही दुवा करूँगी कि आप सुधर जाओ... समझ लेना मुझे आपने सारी खुशियाँ दे दी....अब मेरा वक़्त आ गया हैं भैया..शायद आप लोगों का साथ मेरे यहीं तक था....
कृशन- नहीं राधिकीया ऐसा मत बोल.. मैं तेरे बगैर नहीं जी पाउन्गा... तू ऐसा नहीं कर सकती.. तू मुझे छोड़ कर नहीं जा सकती....
राधिका- भैया जो सच हैं उससे झूटलाया तो नहीं जा सकता... अब मेरे पास कुछ देर का और वक़्त हैं....फिर मेरा सफ़र यहीं पर ख़तम हो जाएगा...माफी चाहती हूँ कि मैं आपका साथ आगे नहीं निभा सकूँगी... मगर अपनी बेहन को कभी भूल मत जाना....
तभी राधिका के मूह से धीरे धीरे खून आना शुरू होने लगता हैं... और उसकी आवाज़ भी लड़खड़ाने लगती हैं.. धीरे धीरे उसकी आँखें भी बंद होनी शुरू होने लगती हैं...तभी वहीं रखा हार्ट बीट डेटकटोर बीप करने लगता हैं और तुरंत ड्र. अभय वहीं कमरे में आते हैं और राधिका को एक इंजेक्षन देते हैं... इंजेक्षन के थोड़ी देर बाद राधिका की हालत कुछ नॉर्मल होती हैं.... मगर उसके मूह से खून आना बंद नहीं होता....
राहुल अपना रुमाल निकालकर राधिका के मूह से बहते खून को पोछता हैं... निशा का रो रो कर बुरा हाल था...
राहुल- कितना खुस था मैं कि कल हमारी शादी होगी... मैने शादी की पूरी तैयारी भी करवा ली थी... और तुम्हें कुछ प्रेज़ेंट भी देना चाहता था....और मैने तो तुम्हारे लिए शादी के लाल जोड़े भी खरीद कर रखे थे.... कितने सपने सजाए हे मैने तुम्हारे लिए... मगर मुझे क्या पता था कि जिस दिन हमारी शादी होगी उसी दिन तुम्हारी अर्थी उठेगी.....और इतना कहकर राहुल फिर से रो पड़ता हैं......
राधिका- नहीं राहुल.....अब मैं तुम्हारे लायक नहीं रही... और मैं ये कभी नहीं चाहूँगी कि तुम अब मुझसे शादी करो.... क्यों कि ये दुनिया वाले हमेशा तुमपर उंगली उठाते कि इसकी बीवी ना जाने कितनों के साथ रात बिता कर आई हैं... और मेरी वजह से तुम्हें हर जगह शर्मिंदा होना पड़ता... और मैं नहीं चाहती कि तुम पर कोई उंगली उठाए....
ख़ान- भाभी कसम हैं मुझे आपकी मैं उन कमीनो को नहीं छोड़ूँगा... आपके हर दर्द का और हर आँसू का बदला मैं उनसे लूँगा.. जिसने भी आपका ये हाल किया हैं वे लोग कभी चैन और सुकून से जी नहीं पाएँगे... उन्हें ऐसी मौत मारूँगा कि मौत भी देखकर काँप उठेगी....और ख़ान के भी आँखों में आँसू आ जाते हैं और वो भी फुट फुट कर रोने लगता हैं.... राधिका अपनी एक हाथ आगे बढ़ाकर ख़ान के हाथों में रख देती हैं और उसे चुप करती हैं.... ख़ान वहीं राधिका के बाजू को पकड़ कर वही रोने लगता हैं.... ये सब देखकर राहुल भी फिर से रो पड़ता हैं.....
राधिका- मुझे तुम पर नाज़ हैं ख़ान .... तू सच में एक काबिल ऑफीसर हो और मेरे राहुल के एक बहुत अच्छे दोस्त भी... मैं जानती हूँ कि मेरे जाने के बाद राहुल पूरी तरह टूट जाएगा... मगर इस वक़्त उसे एक अच्छे दोस्त की ज़रूरत हैं...और तुम मुझसे वादा करो कि तुम उसे सहारा दोगे उसका पूरा ख्याल रखोगे..... उसके हर सुख दुख में हमेशा उसके पास रहोगे....
ख़ान- मैं वादा करता हूँ भाभी... ऐसा ही होगा... मैं सर को कभी मायूस नहीं होने दूँगा...और उनका पूरा ध्यान रखूँगा.....
निशा- बस कर राधिका बस कर..... जो सज़ा मुझे देनी हैं वो तू दे दे.. चाहे तो तू मुझसे ज़िंदगी भर बात मत करना.... मगर ऐसे मुझे अकेला छोड़ कर मत जा. मैं तेरे बिन एक दम अकेली हो जाउन्गि...कौन रहेगा मेरे साथ जो मुझे हिम्मत देगा... कैसे जिउन्गि मैं तेरे बिन..नहीं जी सकती अब मैं....
तभी वहाँ पर मिस्टर-अग्रवाल आते हैं- मुझे नाज़ हैं बेटी तुम पर और तुम्हारी दोस्ती पर...ख़ुसनसीब हैं मेरी बेटी जिसे तुम जैसा दोस्त मिला... आज अगर तुम मेरी बेटी होती तो मेरा सिर गर्व से ऊँचा होता.. और वैसे भी मैने तुम्हें अपनी बेटी ही समझा हूँ .... कभी तुम्हें पराया नहीं समझा.... और ना ही निशा में और तुममें कोई फ़र्क समझा..... आज मिस्टर.अग्रवाल के आँखों में भी आँसू आ गये थे.. कहते कहते उनका भी गला भारी हो जाता हैं और वो झट से बाहर निकल जाते हैं.....वहीं सीता भी रो पड़ती हैं...
इस वक़्त कमरे में जितने लोग भी मौजूद थे सबकी आँखों में आँसू थे... इधेर वक़्त बीत रहा था और उधेर राधिका की साँसें धीरे धीरे रुकती जा रही थी.... और साथ ही साथ उसकी तकलीफ़ भी बढ़ने लगी थी....
राधिका- राहुल मेरे साथ जो कुछ हुआ वो सब मैने उस डायरी में लिखा हैं...तुम उसे ज़रूर पढ़ना. तब तुम्हें मालूम होगा कि मैने क्या क्या सहा हैं तुम्हारी खातिर.... मेरे साथ जो भी बुरा होता उस वक़्त मैं बस तुम्हें ही याद करती... मेरी हर दर्द के सामने बस तुम्हारा चेहरा नज़र आता और मैं अपना दर्द भूल जाती.... मैं पूरे एक हफ़्ता उन दरिंदों के बीच रही और उन सब ने मुझे बारी बारी से गंदा किया.... मगर उन दरिंदों के बीच एक फरिस्ता भी थे...... और वो थे शंकर काका.. जिन्होने मेरे सारे दर्द को अपना बनाया... मेरे हर दर्द की दवा बने.... मुझे नयी हिम्मत और हौसला दिया.... तुम उनसे ज़रूर मिलना .... और मेरी डायरी और वो और अंगूठी उनसे ले लेना.. उस अंगूठी की मैं अब हक़दार नहीं... उस अंगूठी की असली हक़दार निशा हैं....
फिर राधिका कृष्णा की ओर देखते हुए कहती हैं- मैं ना कहती थी भैया कि एक दिन मेरी ये खूबसूरती मेरी जान लेकर रहेगी...और आज देखो सच में आज मैं मौत के एकदम करीब हूँ....आज तो मेरी ये खूबसूरती ही मेरी जान की दुश्मन बन गयी... अगर खूबसूरत होने का ये अंजाम होता हैं तो नहीं चाहिए मुझे ऐसी खूबसूरती.....जिसके वजह से आज मेरी ये हालत हुई....आज मेरी ये सुंदरता ही मेरे लिए अभिशाप बन गयी...
कृष्णा- मत बोल ऐसा राधिका.. मुझे आज भी तुझ पर नाज़ हैं..सच तो ये हैं कि मैं ही एक अच्छा भाई का फ़र्ज़ नहीं निभा सका.... मुझे माफ़ कर देना राधिका.... मैं तेरे प्यार को समझ ना सका.....
राधिका की हालत धीरे धीरे बिगड़ रही थी.. अब उसके मूह से खून आना और बढ़ गया था और उसकी धड़कनें भी धीरे धीरे बंद होने लगी थी... उसकी हालत देखकर राहुल चीख पड़ता हैं....
राहुल- आँखे खोलो राधिका.. तुम ऐसे मुझे छोड़ कर नहीं जा सकती... मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा....
राधिका बड़े मुश्किल से अपनी आँखे खोलती हैं... राहुल....मेरे ...पास ...आअब... ज़्यादा...समय ...नहीं ...हैं.....और ...मेरी सासें.... रुक... रही.... हैं.... मैं... मरने से...पहले... एक बार... तुम्हारे ...गले ....लगना.....चाहती ....हूँ.... मैं.....चाहती...हूँ ....कि मेरा....दम ...तुम्हारी....बाहों ....में .....निकले......
राहुल की आँखों से इस वक़्त बस आँसू बह रहे थे- नही राधिका नहीं... ऐसा मत बोलो.. मुझे सब गंवारा हैं मगर तुम्हारे बगैर मैं जी नहीं पाउन्गा.....
राधिका- सब...ख़तम.... हो ..गया.... राहुल.....अब ....वक़्त ....तो वापस....नहीं... आ... सकता.... वो ..देखो... मेरी ...मा ...और बापू.....मुझे बुला...रहें... हैं... मैं.... अपनी....ज़िंदगी....से पूरी ......तरह ....थक ....चुकी....हूँ....आब...मैं.......सोना.....चाहती...हूँ.......
राहुल झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता है और उसके होंटो और गालों को पागलों की तरह चूमने लगता हैं ... तभी निशा भी उसे अपनी बाहों में ले लेती हैं और उधेर कृष्णा भी राधिका को अपने गले लगा लेता हैं.... इस वक़्त राहुल निशा और कृष्णा तीनों राधिका को अपने पास अपने सीने से लगे हुए थे.....
राधिका- राहुल.....मैं....वो... गीत......सुनना....चाहती.....हूँ......जो.....तुमने.....मुझे......पहली....बार.....सुनाया.....था.....मेरी...बस...ये .....ख्वाहिश......पूरी.....कर...दो....राहुल....
राहुल झट से अपना मोबाइल निकालता हैं और फिर ऑडियो प्लेयर में वही गीत प्ले कर देता हैं.....
"
चाँद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैने सोचा था......
हां तुम बिल्कुल वैसी हो जैसा मैने सोचा था........
"
औ ये गाना प्ले होने लगता हैं......
इधेर राधिका एक बार अपनी आँखें खोलती हैं और बड़े प्यार से एक नज़र कृष्णा को और फिर निशा को और कमरे में सभी को एक एक नज़र डालती हैं..इस वक़्त एक तरफ राहुल और दूसरी तरफ कृष्णा और वहीं निशा भी और उन सब के बीच में राधिका सबकी बाहों में थी... फिर वो राहुल को देखती हैं और धीरे से अपनी आँखे बंद कर लेती हैं....
राधिका- र...आ...ह...उ...एल...... आइ ........ल....ओ....व.....ए......................य...........................................................................ये शब्द पूरे भी नहीं हो पाये थे कि राधिका की साँसें थम जाती हैं......राहुल तुरंत राधिका को अपने से अलग करता हैं और उसके आँखों की ओर देखने लगता हैं... राधिका की आँखे बंद हो चुकी थी.... उसकी साँसें अब रुक चुकी थी..... उसको सारी तकलीफ़ों से मुक्ति मिल गयी थी..... कमरे में बस चारों ओर सबके रोने की आवाज़ें गूँज रही थी.... धीरे धीरे उसका शरीर अब ठंडा पड़ता जा रहा था... और उसका शरीर पूरा नीला पड़ चुका था... अभी भी राधिका के मूह से खून निकल रहा था........
आज इस हवस की आग ने ना जाने कितनों की ज़िंदगी पर इसका असर डाला था...राधिका अब इन सब के बीच एक लाश बनकर पड़ी हुई थी मगर ना ही राहुल उसे अपने से अलग किया और ना ही निशा ने और ना ही कृष्णा ने......आज राधिका इन सब से हमेशा हमेशा के लिए दूर जा चुकी थी...... वहाँ ....जहाँ से किसी का लौट कर आना संभव नहीं था.
सबकी आँखों में इस वक़्त आँसू थे...थोड़ी देर बाद ख़ान राहुल के पास जाता हैं और उसे राधिका से दूर ले जाता है...राहुल पागलों की तरह रो रहा था....उसकी आँखें इस वक़्त भी लाल थी...तभी वो ख़ान को पीछे धकेल देता हैं और तुरंत अपने जेब से रेवोल्वेर निकालता हैं और बिना देर किए उसे अपनी कनपटी पर लगा देता हैं....कुछ सेकेंड्स की अगर देर हो जाती तो इस वक़्त राहुल की भी लाश वहीं फर्श पर पड़ी होती... मगर ऐन मौके पर ख़ान उसके हाथों को दूसरी ओर कर देता हैं और गोली दूसरी तरफ निकल जाती हैं....पूरे वातावरण में गोली की आवाज़ गूँज जाती हैं....
ख़ान- होश में आइए सर....इस तरह से जान देने से कुछ नहीं होगा... मरना तो उन कमिनो को हैं जिन्होने भाभी के साथ ये सब किया हैं....भाभी के हर आँसू का बदला उन कुत्तों से लेना हैं... तभी राहुल फिर से फुट फुट कर रो पड़ता हैं....ख़ान फिर राहुल के पास आता हैं और उसको अपने गले लगा लेता हैं... ना जाने कितनी देर तक राहुल ऐसे ही रोता रहता हैं....
दूसरे दिन........
आज तारीख 21-जून ......आज के दिन राहुल की शादी होने वाली थी राधिका के साथ.... मगर आज यहाँ पर दो दो चितायें एक साथ जल रही थी.... एक राधिका की और दूसरी ......बिरजू की....इस वक़्त राहुल चुप चाप वहीं खामोश खड़ा था मगर कृष्णा की आँखो में आँसू थे... और निशा का रो रो कर बुरा हाल था. वो तो एक बार सदमे से बेहोश भी हो चुकी थी.....थोड़ी देर बाद कृष्णा को फिर से जैल भेज दिया जाता हैं... अब वो भी पूरी तरह से टूट चुका था....आज उन सब के बीच राधिका नहीं थी....
दो दिन बाद..................................
राहुल अपने कमरे में खामोश बैठा हुआ था..ना ही वो कुछ खा रहा था और ना ही किसी से बात कर रहा था.... बस ना जाने दिन रात खामोश रहता.और बस राधिका के बारे में सोचा करता..... तभी उसके दरवाज़े पर एक कार आकर रुकती हैं..... और उस कार में से निशा और उसके मम्मी पापा बाहर आते हैं....
मिस्टर अग्रवाल- कैसे हो राहुल.....
राहुल- नमस्ते अंकल....कैसा हो सकता हूँ मैं ...अगर जिस्म से जान निकाल ली जाए तो उस शरीर का कोई अस्तिस्त्व नहीं रह जाता...आज वैसी ही हालत मेरी हैं राधिका के बगैर....
अग्रवाल- नहीं बेटा यादों के सहारे तो ज़िंदगी नहीं बिताई जा सकती... मैं मानता हूँ कि राधिका का इस तरह से हमारे बीच ना रहना कितना हम सब को उसकी कमी महसूस हो रही है मगर जो सत्य हैं उससे तो मूह नहीं फेरा जा सकता....कब तक ऐसा चलेगा बेटा....
राहुल- मैं तो यही सोच रहा हूँ कि मैं ज़िंदा भी हूँ तो किस वजह से....इससे अच्छा होता कि मैं राधिका के साथ मर गया होता....
निशा उसके पास आती हैं और राहुल का हाथ थाम लेती हैं- नहीं राहुल... तुम्हें क्या लगता हैं कि मुझे राधिका का दुख नहीं हैं.... उसके मारना का मुझे भी दुख हैं....लेकिन वक़्त के साथ बड़े से बड़ा ज़ख़्म भी भर जाता हैं.... कब तक अपने आप को सज़ा दोगे राहुल.....
तभी रामू काका आते हैं और उसे बताते हैं कि कोई शंकर नाम का आदमी आया हैं और वो आपसे मिलना चाहता हैं..... राहुल तुरंत उन्हें अंदर आने को बोलता हैं....
शंकर काका अंदर आते हैं...उनके हाथो में डायरी थी....वो तुरंत राहुल के पास आते हैं और और वो दोनो डायरी उन्हें थमा देते हैं...और साथ ही साथ वो हीरे की अंगूठी भी उसे दे देते हैं....
शंकर- ये लीजिए साहेब.... राधिका ने मरते वक़्त मुझसे कहा था कि ये उसकी अमानत हैं और मैं इसी आप तक पहुँचा दूं...इस डायरी में उसके साथ जो कुछ भी हुआ उसने हर एक चीज़ का ज़िकरा किया हैं...और मैने भी अब बिहारी के यहाँ काम करना छोड़ दिया हैं...
राहुल- ठीक हैं काका...मैं इस डायरी को ज़रूर पढ़ुंगा....आपका और कौन हैं इस दुनिया में.....
शंकर- नहीं मेरा इस दुनिया में और कोई नहीं... राधिका को मैने अपनी बेटी माना था अब तो वो भी मुझसे रूठ कर दूर चली गयी... कमिनो ने उसके साथ बहुत ज़ियादती की हैं... हर रात मैने उसकी चीखें सुनी है....हर रात वो पल पल मरती रही... रात रात भर वो दरिंदे उसके साथ......
राहुल- बस करो काका मैं ये सब सुन नहीं पाउन्गा.....और रही बात उन कमिनो की तो उन्हें तो मैने सोच लिया हैं कि उन्हें मैं कैसी मौत मारूँगा....
सीता- बेटा हमे कुछ काम हैं इसलिए हमे जाना होगा.. मगर इस वक़्त निशा तुम्हारे पास रहेगी...
सीता फिर निशा के पास आती हैं और उससे कहती हैं- मैं जानती हूँ कि मेरी बेटी कभी ग़लत कर ही नहीं सकती.. इस लिए मैं तुम्हें राहुल के पास छोड़ कर जा रही हूँ तुम्हारे रहने से राहुल को थोड़ी हिम्मत मिलेगी....और बेटा अब राहुल को तू ही संभाल सकती हैं.. और वैसे भी अब तू उसके बहुत करीब हैं और वो तेरा एक अच्छा दोस्त भी हैं... अगर तुझे दोस्ती के लिए कुछ भी करने पड़े तो पीछे मत हटना...क्यों कि राहुल जैसा तेरे लिए जीवन साथी कोई और मिल ही नहीं सकता....
निशा- नहीं मा... अब मैं राधिका की जगह कभी नहीं ले सकती... और अगर राहुल ने मुझसे शादी भी कर ली तो वो मुझे कभी भी राधिका का दर्ज़ा नहीं दे पाएगा.....
सीता- बेटी वक़्त वो इलाज़ हैं जो बड़े से बड़े ज़ख़्मों को भी भर देता हैं..देख लेना एक दिन सब ठीक हो जाएगा......थोड़ी देर के बाद निशा के मम्मी पापा वहाँ से अपने घर की ओर निकल पड़ते हैं मगर निशा वहीं रुक जाती हैं...
राहुल- ठीक हैं काका आप चाहें तो यहाँ पर रह सकते हैं.. अगर आप मेरे पास रहेंगे तो मुझे बहुत खुशी होगी... राहुल के रिक्वेस्ट को शंकर काका मना नहीं कर पाते और वहीं रामू काका के साथ उसी बंगले में रहने लगते हैं.....
फिर धीरे धीरे शंकर काका बिहारी के सारे राज़ बताते चले जाते हैं और उसके हर एक अड्डे के बारे में भी.. कहाँ कहाँ उसके आदमी हैं और किससे उसके तालुकात हैं...
करीब एक घंटे के बाद राहुल थोड़ा फ्री होता हैं तब निशा उसे उसके बेडरूम में ले जाती हैं- तुम थोड़ा आराम कर लो राहुल... मैं यहीं तुम्हारे पास हूँ... अगर किसी भी चीज़ की कोई ज़रूरत पड़े तो मुझसे बे-झिझक माँग लेना....
राहुल- निशा मैं कुछ देर सोना चाहता हूँ.... मुझे थोड़ा आराम करना हैं फिर राहुल वहीं सोता हैं मगर फिर उसकी आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.... तभी निशा उसके पास आती हैं और राहुल के सिर को अपनी गोद में लेकर उसके सिर पर बड़े प्यार से फिराती हैं...थोड़ी देर के बाद राहुल गहरी नींद में डूबता चला जाता हैं.
करीब 1 घंटे बाद राहुल की नींद खुलती हैं...निशा वहीं बेड पर बैठी हुई थी....
निशा- आर यू ऑलराइट राहुल...किसी चीज़ की अगर कोई ज़रूरत हो तो तुम मुझसे बेझिझक कह सकते हो.....
राहुल- नहीं निशा मैं ठीक हूँ....एक बात तुमसे कहना था...सोच रहा हूँ तुमसे कहु की नहीं...
निशा बड़े प्यार से मुस्कुरा देती हैं- कहों राहुल...क्या बात हैं...
राहुल- सोच रहा हूँ कि तुम आज रात मेरे पास रुक जाती तो मुझे बहुत खुशी होती... शायद मुझे राधिका की कमी थोड़ी कम महसूस होती...
निशा- नहीं राहुल...ये पासिबल नहीं हैं...ये समाज़ पता नहीं हमारे बारे में क्या सोचेगा....लोग ना जाने हमारे बारे में क्या क्या बातें करेंगे...
राहुल- मगर तुम तो मुझसे प्यार करती हो....फिर तुम्हें इस दुनिया की कैसी परवाह....आज मेरी खातिर रुक जाओ...मैं तुम्हारे मम्मी पापा से बात कर लूँगा...
निशा- मम्मी पापा की मुझे चिंता नहीं हैं राहुल...बस इस दुनिया से डर लगता हैं....
राहुल- ठीक हैं ऐज यू विश....तुम जाना चाहे तो जा सकती हो.... मैं तुम्हें आब नहीं रोकुंगा....मैं एक पल के लिए भूल गया था कि तुम मेरी राधिका हो.....आइ अम रियली सॉरी...राहुल के चेहरे पर गुस्से के भाव सॉफ दिखाई देते हैं.... और निशा उसके चेहरे को सॉफ पढ़ लेती हैं...
निशा- ट्राइ टू अंडरस्टॅंड राहुल....अभी मेरी शादी नहीं हुई हैं तुमसे....भला मैं ऐसे कैसे तुम्हारे पास रुक सकती हूँ....कहीं कुछ ग़लत हो गया तो....
राहुल- कमाल हैं निशा....प्यार भी करती हो मुझसे और ग़लत सही के बारे में भी सोचती हो....आज अगर तुम्हारी जगह पर मेरी राधिका होती तो वो इस दुनिया की परवाह किए बगैर मेरी खुशी के लिए वो मेरे पास यहीं रुक जाती...जानती हो क्यों...क्यों कि उसके प्यार में कोई स्वार्थ नही था...उसे अपने से ज़्यादा दूसरों की फिकर रहती थी....और तुम कभी मेरी राधिका की जगह नहीं ले सकती.....चली जाओ यहाँ से.....
निशा झट से राहुल के पास आती हैं और उसकी पीठ अपने सीने से सटा अपने दोनो हाथों से राहुल के सीने को जाकड़ लेती हैं- नहीं राहुल तुम मुझे ग़लत समझ रहे हो... मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ...नहीं जी पाउन्गि अब मैं तुम्हारे बगैर....तुम्हारे खातिर मैं कुछ भी कर सकती हूँ....
राहुल उसके दोनो हाथों को अपने सीने से हटाता हैं और वहीं जाकर बिस्तेर पर बैठ जाता हैं...निशा चुप चाप वहीं खड़ी रहती हैं....उसके आँखो से आँसू छलक पड़ते हैं....
राहुल- सच तो ये हैं निशा कि आज राधिका की मौत की ज़िम्मेदार तुम हो....आज राधिका की तुमसे दोस्ती ही उसकी जान की दुश्मन बन गयी... कसूर तुम्हारा नहीं मेरे नसीब का हैं... मैने जिसे चाहा वो मुझे कभी ना मिला....
निशा- नहीं राहुल ऐसा मत कहो....मैं आज तुम्हारे लिए अपनी जान तक दे सकती हूँ....कुछ भी कर सकती हूँ मैं तुम्हारे खातिर....
राहुल- कुछ भी....
निशा-हां राहुल........कुछ भी...
राहुल- ठीक हैं तो फिर अपने कपड़े उतारो......मैं तुम्हें अभी बिन कपड़ों के देखना चाहता हूँ..... मैं भी तो देखूं कि तुम मुझसे कितना प्यार करती हो.... राहुल के मूह से ऐसी बातें सुनकर निशा के होश उड़ जाते हैं....
निशा- तुम होश में तो हो राहुल...तुम्हें पता भी हैं तुम क्या कह रहे हो.... भला मैं ऐसे कैसे कर सकती हूँ....
राहुल- बस....यही हैं तुम्हारा प्यार....इतना में ही तुम हार गयी...तुम भला क्या मेरा ज़िंदगी भर साथ दोगि.....दावा करती हो कि तुम्हें मुझसे प्यार है....आज तुम्हारी जगह पर मेरी राधिका होती तो अब तक वो बिना किसी सवाल जवाब के वो अपने आप को मेरे हवाले कर चुकी होती...यही फ़र्क हैं तुममें और राधिका में... तुम कभी राधिका नहीं बन सकती....कभी नहीं....
इस वक़्त निशा की आँखों में भी आँसू थे...उसे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें...
निशा थोड़ा हिम्मत करके बोलती हैं- ठीक हैं राहुल....अगर तुम्हें ऐसा लगता हैं कि मैं तुम्हारे सामने अपने पूरे कपड़े उतार देने से ये साबित हो जाएगा कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ...तो फिर ठीक हैं मैं तुम्हारी खातिर ये भी करने को तैयार हूँ.... फिर तुम्हें यकीन हो जाएगा कि मेरा प्यार सच्चा हैं.....
राहुल- ठीक हैं निशा तुम्हारे ऐसा करने से मुझे तुम पर विश्वास हो जाएगा.....नाउ रिमूव युवर क्लोद्स....
निशा के लिए आज ये सबसे बड़ा इम्तिहान था...वो तो आज तक किसी के सामने बिन कपड़ों में नहीं आई थी....शरम तो उसे बहुत आ रही थी मगर आज उसे अपने प्यार को भी साबित करना था....वो धीरे से पहले अपनी चुनरी फर्श पर गिरा देती हैं...फिर धीरे धीरे अपनी सूट को अपने जिस्म से अलग करती हैं....थोड़ी देर बाद उसका सूट भी फर्श पर गिरा रहता हैं... फिर वो अपनी लॅगी को अपने हाथो में लेकर धीरे धीरे उसे सरकाने लगती हैं....और थोड़ी देर बाद वो लॅगी भी उसके जिस्म से अलग हो जाता हैं....
इस वक़्त निशा केवल सफेद ब्रा और सफेद पैंटी में राहुल के सामने खड़ी थी अपनी नज़रें झुकाए हुए..... और उसके आँखों से आँसू बह रहें थे....
राहुल- रुक क्यों गयी निशा....प्रूव इट....रिमूव एवेरितिंग....डोंट वेस्ट युवर टाइम...
निशा एक नज़र राहुल की तरफ देखती हैं और फिर अपने दोनो हाथ वो धीरे से पीछे लेकर जाती हैं और अपनी ब्रा के स्ट्रिप्स को खोल देती हैं.... आज ज़िंदगी में पहली बार वो किसी मर्द के सामने ऐसी हालत में खड़ी थी...जैसे जैसे उसके सीने से वो ब्रा हटती जाती हैं राहुल के दिल की धड़कनें बढ़ती जाती हैं.... और फिर एक झटके से निशा अपनी ब्रा अपने हाथों में ले लेती हैं और उसका बूब्स राहुल के सामने बे-परदा हो जाते हैं.... निशा के बूब्स एकदम टाइट थे और किसी भी मर्द को घायल बनाने के लिए काफ़ी थे...फिर वो अपनी पैंटी में दोनो हाथों की उंगली फन्साती हैं और धीरे धीरे वो सरका देती हैं...उसकी पैंटी तुरंत उसके पैरों के पास पड़ी रहती हैं...
आज निशा के बदन पर एक कपड़े का टुकड़ा नही था...वो इस वक़्त राहुल के सामने पूरी नंगी हालत में खड़ी थी...लेकिन अभी भी उसकी आँखों में आँसू थे....राहुल बड़े गौर से निशा के जिस्म को देख रहा था...राधिका के जिस्म में और निशा के जिस्म में कोई ज़्यादा फ़र्क नहीं था...जितनी गोरी राधिका थी उतनी निशा भी थी...हां उसके दूध राधिका से छोटे थे और अन-छुएें थे.... नीचे चूत पर हल्के बाल थे जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहें थे...राहुल आँखें फाडे निशा के बदन को देख रहा था.....
राहुल फिर तुरंत उठता हैं और निशा के पीछे जाकर खड़ा हो जाता हैं....और फिर निशा के मूह को अपनी ओर करता हैं और उसके लिप्स पर अपने होंठ रख देता हैं....धीरे धीरे वो उसके होंटो को चूसना शुरू करता हैं...निशा झट से अपनी आँखें बंद कर लेती हैं..उसकी धड़कनें बहुत ज़ोरों से धड़क रही थी... उसके लिए ये एहसास बिल्कुल नया था..आज पहली बार किसी मर्द ने उसके लबों को चूमा था..... करीब 2 मिनिट तक राहुल निशा के होंठो को चूस्ता हैं फिर तुरंत वो निशा से दूर हट जाता हैं .....निशा की आँखें पूरी तरह से लाल हो चुकी थी..कुछ लज़्ज़त से और कुछ उसके बदन की आग से.....उसका जिस्म पूरा काँप रहा था...
राहुल के ऐसे दूर हट जाने से निशा लगभग चौंक जाती हैं और राहुल को बड़े हैरत से देखने लगती हैं....
निशा- रुक क्यों गये राहुल...कर लो जो करना हैं.....मैं तुम्हें अब नहीं रोकूंगी....आज से मेरा जिस्म पर तुम्हारा पूरा हक़ हैं... कर लो जो तुम्हारे जी में आयें..
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20-09-2019, 12:49 PM
(This post was last modified: 06-11-2019, 09:21 PM by thepirate18. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
Update 44
राहुल- निशा आइ अम सॉरी.....तुम अपने कपड़े पहन लो...मैं ये सब नहीं कर सकता... और राहुल तेज़ी से बाहर निकल जाता हैं.....निशा सवाल भरी नज़रो से राहुल को बाहर जाता हुआ देखने लगती हैं...... करीब 15 मिनिट बाद निशा अपने कपड़े पहन कर वहीं हाल में राहुल के पास जाती हैं.... निशा भी जाकर वहीं राहुल के बगल में बैठ जाती हैं.....राहुल झट से निशा के सीने में अपना सिर रखकर रो पड़ता हैं..... आइ आम सॉरी निशा... आज मैने तुम्हार साथ बहुत ग़लत किया... मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था.... क्या करूँ मैं एक पल के लिए भी राधिका को अपने दिल से नहीं भुला पा रहा....बहुत मुश्किल हैं उसके बगैर जीना.....
निशा भी बड़े प्यार से राहुल के सिर पर अपना हाथ फेरती हैं और उसे किसी बच्चे की तरह अपने सीने में छुपा लेती हैं.....काफ़ी देर तक वो दोनो कुछ नहीं बोलते हैं और फिर निशा अपने घर फोन करके वो आज रात राहुल के पास रुकने को कहती हैं... उसकी मम्मी थोड़ा विरोध करती हैं मगर निशा के दबाव देने से वो भी मान जाती हैं.....
राहुल को एक तरफ निशा का साथ मिलने से थोड़ी ख़ुसी होती हैं वहीं उसे हर पल राधिका का गम सता रहा था..... शाम को करीब 5 बजे राहुल वो डायरी लेकर अपने रूम में आता हैं और वो डायरी पढ़ना शुरू करता हैं... इस वक़्त निशा भी उसके बगल में बैठी हुई थी...
नोट- डायरी को मैं डीटेल में नहीं बताउन्गा..अगर वैसा किया तो कम से कम 20 ,या 25 अपडेट्स और लगेंगे.इसलिए मैं शॉर्ट्ली बताते जाउन्गा.और फिर से वहीं सारी बातें रिपीट होगी.....
******************लाल डायरी का ऱहश्य******************
राहुल जब डायरी का पहला पेज खोलता हैं तब उसमें राधिका ने वहीं तारीख लिखा हुआ था जब वो पहली बार राहुल से मिली थी कॉलेज कॅंपस में....वो धीरे धीरे एक एक पन्ने पलटता जाता हैं........डायरी का राज़ राधिका के शब्दों में.....................
मैं कितनी खुस थी जब मैं तुमसे पहली बार मिली थी....उस पहली मुलाकात को तुम मुझे भा गये थे.... मैने तो कभी सोचा नहीं था कि मेरी तुमसे दुबारा कभी मुलाकात होगी....मगर किस्मेत को कुछ और ही मंज़ूर था....मेरा आइ कार्ड ना वहाँ पर गिरता और उसे लेकर ना तुम मुझसे मिलने मेरे घर आते और ना तुमपर वो हमला होता.... सच कहूँ मैं तो लगभग चौंक गयी थी तुम्हें अपने घर पर देखकर...फिर जब उन हमलावर ने तुमपर हमला किया तब मेरे दिल पर क्या गुज़री इसका अंदाज़ा तुम नहीं लगा सकते... मैं अपनी भावनाओं को काबू नहीं कर पाई और मेरे दिल की बात जुबा तक आ गयी....और तुमने भी मुझे स्वीकार कर लिया....
तुम्हें पाकर मुझे ऐसा लगा की मुझे मेरी दुनिया मिल गयी....मगर किस्मत को शायद कुछ और ही मंज़ूर था...वक़्त बीतता गया और हमारे बीच दूरियाँ नज़दीकियों में बदलती गयी......फिर एक दिन मुझे पता चला कि निशा भी तुमसे ही प्यार करती हैं....और वो भी उस हद तक कि वो तुम्हारे बिन शायद जी नहीं पाएगी.... मेरे लिए यहाँ पर दोस्ती और प्यार में से मुझे किसी एक को चुनना था....मगर मैं दोनो को खोना नहीं चाहती थी... फिर मैने अपनी दोस्ती को चुना.....और तुमसे दूरियाँ बढ़ने लगी.....इस वजह से मैने अपने भैया के साथ जिस्मानी रिस्ता भी कायम कर लिया....ताकि मैं बर्बाद होकर भी उन्हें आबाद कर सकूँ... और मैं तुम्हारी नज़रो में गिर जाऊ जिससे तुम मुझे छोड़ सको....
मैने ये बात कई बार तुम्हें बताने की कोशिश की मगर शायद मुझ में इतनी हिम्मत नही थी.....फिर मैने ये सब अपने नसीब पर छोड़ दिया.... तुम्हें भूलने के लिए मैने शराब को अपने गले लगाया...फिर भी मैं तुम्हें ना भुला सकी.....दिन रात मैं शराब पीती रहती और तुम्हें अपने दिल से निकालने की नाकाम कोशिश करती.... वक़्त बीतता गया और एक दिन निशा को मेरे भैया के रिस्ते का पता चल गया....वो तो मानो मुझपर बरस ही पड़ी...लेकिन मैने उसे अपनी कसम देकर रोक ली....फिर वो हुआ जो मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.....
एक रात मैं अपनी भैया के साथ सेक्स कर रही थी तभी बिहारी ने मेरे बापू को भड़का दिया और मेरे रिस्ते के बारे में उन्हें सारी बात बता दी....उस रात मेरे बापू ने मुझपर पहली बार अपना हाथ उठाया....फिर मैने उन्हें अपनी बीच संबंधो की वजह बताई...तब जाकर मेरे बापू को मुझ पर विश्वास हुआ.. मगर बिहारी से ये सब देखा नहीं गया... उसने मेरी जासूसी करने के लिए मोनिका नाम की लड़की को मेरे पीछे लगा दिया और मेरे भैया के बीच सारी सेक्स को रेकॉर्ड करके मुझे ब्लॅकमेलिंग करने की कोशिश की.....
मुझे अपनी फिकर नहीं थी मगर जब उसने तुम्हें और मेरे भैया बापू और निशा को अपना निशाना बनाया तब मैने अपने आप को उसके आगे समर्पण कर दिया....मैं अच्छे से जानती थी कि बिहारी मेरे साथ क्या करेगा मगर मुझे तुम्हारी खातिर सब मंज़ूर था.... फिर वो मुझसे एक दिन बिज्निस डील करने के वास्ते मुझे उसने बीच सड़क से उठवा लिया और मेरे साथ एक हफ़्ता गुजारने के लिए डील की....उसकी रखैल बनकर.... मगर मेरे पास कोई चारा भी नहीं था....मैने अपनों की खातिर अपने आप को उसके हवाल कर दिया...फिर वो एक दिन मेरे घर पर गाड़ी भिजवाया मुझे लेने के लिए....
मैं भी बिना किसी सवाल जवाब के उसके पास चली गयी और वो तुम्हारा बाहर भेजने के लिए हाइ कमॅंड से एक हफ्ते की दरख़्वास्त दी....बिहारी अच्छे से जानता था की तुम्हारे रहते वो मुझे छू भी नहीं सकता...इस वजह से उसने तुम्हें मुंबई भेज दिया...और मुझे अपने अड्डे पर बुला लिया.....वहाँ पर मेरी मुलाकात उस शख़्श से हुई जिसने तुमपर कई बार जान लेवा हमला करवाया था...जानना चाहते हो..कौन है वो सख्श है....विजय....तुम्हारा दोस्त....और उसके साथ जग्गा भी था..वही जग्गा जिसकी मैने कॉलेज कॅंपस में सब लोगों से उसकी पिटाई करवाई थी....
फिर इन सब ने मेरे साथ नन्गपन का खेल खेना शुरू कर दिया... बिहारी ने तो मेरे सामने ये तक शर्त रख दी कि वो मुझे दो घंटे में सिड्यूस करेगा....मगर यहाँ भी उन लोगों ने मेरे साथ धोखा किया.. मेरे जूस में उनलोगों ने कोई दवाई मिला दी थी... फिर मेरे साथ ऐसे गंदे गंदे सवालों का सिलसिला शुरू किया जिसका जवाब मुझे उन्हें बेशर्मी के साथ देना पड़ता....उन सब ने मुझसे वो सब कुछ कहलवाया जो अच्छे घर की लड़की मर जाना पसंद करेगी मगर ऐसे शब्द नहीं बोलेगी.... आख़िरकार मैं अपने जिस्म के आगे हार गयी और उनके सामने अपने घुटने टेक दिए....
फिर उन सब ने बारी बारी मेरे साथ सेक्स किया... और फिर एक साथ सबने मिलकर मुझसे सेक्स करते रहे.... एक समय पर मैं एक साथ तीन तीन मर्दों की प्यास बुझाती....मुझसे उनलोगों ने वो सब करवाया जो बड़ी से बड़ी रंडिया भी करने से कतराती हैं... मगर हर दर्द में मैने तुम्हें महसूस किया.... फिर एक दिन काजीरी नाम की औरत वहाँ आई और उसने मेरा सौदा 10 लाख में कर दिया... वो मुझे ऐसे दरिंदों के बीच ले गयी जहाँ इंसानियत नाम की चीज़ उनके अंदर बिल्कुल नहीं थी....उस रात मेरे साथ 6 आदीमयों ने बहुत रफ सेक्स किया...जिसकी वजह से मेरी नसें फट गयी थी और मेरे शरीर से ब्लीडिंग होना शुरू हो चुका था....
मगर इनलोगो ने भी मुझ पर थोड़ी भी दया नहीं की...उसी हालत में मेरे साथ ये सब सेक्स करते रहें....और फिर जब एक हफ़्ता पूरा होने वाला था तभी विजय ने एक ऐसी घिनौनी चाल चली कि मैं अपनी ही नज़रो में हमेशा हमेशा के लिए गिर गयी.... उसने मेरे बापू के साथ धोके से सेक्स करवा दिया....मेरे आँखों में पट्टी बाँधा और उधेर मेरे बापू की आँखों में भी पट्टी बाँधकर हमे पूरी नंगी हालत में सेक्स करवाया गया.... जब मेरे बापू को ये बात पता चली. तब वो ये सदमा नहीं बर्दास्त कर पायें और अपनी जान दे दी....मैं वैसे भी अब तक बहुत नीचे गिर चुकी थी.... इन सब ने मुझे हर रात ड्रग्स का इंजेक्षन दिया... अब तो मैं भी ड्रग्स की अडिक्ट बन चुकी थी... मुझे विश्वास था कि तुम मुझे अब किसी भी हाल में नहीं अपनाओगे.....और मैं ऐसे ज़िल्लत भरी ज़िंदगी जीना नहीं चाहती थी...इस वजह से मुझे अपने आप को ख़तम करना पड़ा......
मैं जानती हूँ कि जब तू मेरी डायरी पूरा पढ़ चुके होगे तब तुम्हें भी मुझसे नफ़रत हो जाएगी.... कि मैं कितनी गिरी हुई लड़की थी...लेकिन मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं तुम्हें ये सारी बातें अपने मूह से बता सकूँ... इस लिए मुझे इस डायरी का सहारा लेना पड़ा.... मेरे साथ जो भी हुआ मुझे उसका कोई दुख नहीं हैं पर सच तो ये हैं कि अब मैं तुम्हारी वो राधिका नहीं रही जिससे तुमने कभी प्यार किया था....बस इतनी ही कहूँगी कि तुम निशा का हाथ थाम लेना...वो तुमसे बहुत प्यार करती हैं...अगर उसे तुम ना मिले तो वो मर जाएगी....शायद मेरी किस्मेत में तुम नहीं थे....बस हो सके तो मुझे माफ़ कर देना.......
डायरी पढ़ते पढ़ते इस वक़्त राहुल की आँखों में आँसू आ गये थे और वो ज़ोर से चीख पड़ता हैं...................................राधिका................
इस वक़्त राहुल बिल्कुल खामोश बैठा हुआ था...उसके हाथों में वही राधिका की डायरी थी.....और आँखों में आँसू....राहुल को ऐसा रोता हुआ देखकर निशा उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे चुप कराती हैं......थोड़ी देर बाद वो थोड़ा नॉर्मल होता हैं....
राहुल- आख़िर मुझे किस चीज़ की इतनी बड़ी सज़ा मिली...आख़िर क्यों किया तुमने ऐसा .....आख़िर दोनो तरफ से हार मुझे ही मिली .....एक पल के लिए भी तुमने ये नहीं सोचा कि तुम्हारे बिना मैं कैसे जीऊँगा....शायद तुम मेरे प्यार को समझ नहीं सकी....मैने पहले भी तुमसे कहा था कि हमारा रिश्ता दिल का हैं ना कि जिस्म का.....मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुमने क्या किया....हां थोड़ा दुख ज़रूर हुआ....मगर इतना सब कुछ तुम अकेले सहती रही और मुझे कोई भी बात बताना ज़रूरी नहीं समझा....क्या मिला तुम्हें अपने आप को बर्बाद करके.....आख़िर क्यों किया तुमने ऐसा.... और राहुल वहीं ज़मीन पर बैठ जाता हैं.....
निशा- हिम्मत रखो राहुल...जो बीत गया अब उसे दुबारा तो वापस नहीं लाया जा सकता.....बेहतर यही है कि हमे आज के लिए कल को भूलना होगा....
राहुल-नहीं निशा मैं नहीं भूल सकता अपनी राधिका को...ऐसा कभी नहीं हो सकता...आज भी वो मेरे दिल में बसी हुई हैं....जिस दिन मेरा दम निकलेगा शायद उस दिन मैं अपनी राधिका को भुला पाउन्गा.....जीते जी तो ये संभव नहीं....
निशा फिर राहुल के एक दम करीब आती हैं और उसे वहीं खड़ा करती हैं और उसके आँखों से बहते हुए आँसू पोछती हैं.....पोलीस वाले होकर भी तुम आज इतना कमज़ोर बन रहे हो राहुल.....थोड़ा हिम्मत रखो.....जो सच हैं उसे बदला नहीं जा सकता....आज राधिका हम सब के बीच नहीं हैं...और यही सच हैं...
निशा- मैं समझ सकती हूँ राहुल इस वक़्त तुम्हारे दिल पर क्या बीत रही होगी...जितना तुम्हें दुख हैं उतना मुझे भी राधिका की कमी महसूस हो रही हैं....कब तक आपने आप को सज़ा दोगे....
राहुल झट से निशा के सीने से लग जाता हैं- आइ आम सॉरी निशा मैने गुस्से में आकर ना जाने तुम्हें क्या क्या कहा...और तुम्हें राधिका के मौत का भी ज़िम्मेदार बना डाला.....मैं क्या करूँ मैं खुद इतना डिस्टर्ब हो गया हूँ कि मुझे समझ नही आ रहा की क्या सही हैं और क्या ग़लत....
निशा- इट'स ऑल राइट राहुल....तुम थोड़ा हाथ मूह धो लो मैं तुम्हारे लिए खाना लेकर आती हूँ....फिर निशा किचन में जाकर राहुल के लिए खाना लाती हैं और उसे अपने हाथों से बड़े प्यार से खिलाती हैं...राहुल किसी बच्चे की तरह निशा के सामने बिहेव कर रहा था.....निशा को राहुल पर इस वक़्त बहुत प्यार आ रहा था.....वो थोड़ी देर में पूरा खाना ख़तम करता हैं....
रात के करीब 9 बजे राहुल अपने बिस्तेर पर आकर बैठ जाता हैं और निशा भी खाना खा कर वहीं उसके पास बैठ जाती हैं......निशा बड़े प्यार से राहुल को देख रही थी....और राहुल भी चुप चाप वहीं खामोश बैठा था.....तभी निशा उसके एक दम करीब आती हैं और राहुल के चेहरे के पास अपना फेस कर देती हैं...इस वक़्त निशा राहुल के इतने करीब थी कि वो राहुल की साँसों को आसानी से महसूस कर सकती थी.....निशा के इतने करीब होने से राहुल तुरंत उससे दूर हूट जाता हैं और वो बिस्तेर से उठकर वहीं खड़ा हो जाता हैं......तभी निशा भी वहीं राहुल के पास आती हैं और उसके पीठ पर अपना सीना रखकर उसे अपनी बाहों में ज़कड़ लेती हैं......
निशा की ऐसी हरकत से राहुल चौंक जाता हैं....और वो फिर से निशा के हाथों को अपने सीने से हटा देता हैं.....
निशा- क्या हुआ राहुल.....मुझसे कुछ ग़लती हो गयी क्या.....
राहुल- नहीं निशा ये ठीक नहीं हैं......
निशा- क्या ठीक नहीं हैं राहुल.....मैं अब पूरी तरह से तुम्हारी बनना चाहती हूँ......मुझे हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लो.......आज मेरे तंन मन की प्यास बुझा दो राहुल.....मुझे प्यार करो राहुल.....बस प्यार....आज मुझे बस तुम्हारा प्यार चाहिए.....
राहुल- होश में आओ निशा....कैसी पागलों जैसी बातें कर रही हो.......ये सब ठीक नहीं हैं....
निशा- गौर से देखो मुझे...क्या कमी हैं मुझ में....हां मानती हूँ कि मैं राधिका जैसी कभी नहीं बन सकती और ना ही मैं उसकी जगह ले सकती हूँ पर मैं भी तो तुम्हें बे-इंतेहाः प्यार करती हूँ.... मैने तुम्हारी खातिर कितने आँसू बहाए हैं....हर पल तुम्हें याद किया हैं..मुझे आज अपना बना लो राहुल नहीं तो मैं जी नहीं पाउन्गि....
राहुल झट से निशा के चेहरे पर अपने दोनो हाथ रखकर उसकी आँखों में बड़े प्यार से देखता हैं- किसने कहा कि तुम में कोई कमी हैं....जितनी खूबसूरत मेरी राधिका थी तुम भी उतनी ही खूबसूरत हो....तुम्हारी जैसी लड़की तो किसी किस्मेत वाले को नसीब होगी.....लेकिन मैं तुम्हारी किस्मेत नहीं हूँ निशा......
निशा- मैं जी नहीं पाउन्गि राहुल तुमसे दूर होकर...अगर यकीन ना आए तो मेरी डायरी खुद ही पढ़ लो...तुम्हें यकीन हो जाएगा कि मैं तुमसे कितनी मोहब्बत करती हूँ....मैने हर एक लम्हा तुम्हारे साथ बिताया हुआ हर वो पल उस डायरी में लिखा हैं....
राहुल- मैं जानता हूँ निशा....तुम मुझे बहुत प्यार करती हो..मगर शायद अभी मैं तुम्हें उस दिल में जगह नहीं दे पाउन्गा....अभी मुझे थोड़ा वक़्त और लगेगा......
निशा- मुझे मंज़ूर हैं राहुल....मैं इंतेज़ार करूँगी..... और फिर निशा झट से राहुल के सीने से लग जाती हैं...राहुल भी उसे अपनी बाहों में ले लेता हैं....निशा बड़े प्यार से राहुल के चेहरे को देखती हैं और अगले पल वो आगे बढ़कर धीरे से अपने होंठ राहुल के होंठो पर रख देती हैं और उसे बड़े प्यार से चूसने लगती हैं....राहुल भी कोई विरोध नहीं करता और चुप चाप अपनी आँखें बंद कर लेता हैं....धीरे धीरे निशा की धड़कनें बढ़ने लगती हैं और उधेर राहुल का भी वहीं हाल होता हैं......
निशा बड़े प्यार से अपने होंठो को राहुल के होंठो पर रखकर उसे चूसे जा रही थी....निशा फिर राहुल का हाथ अपने हाथों में लेती हैं और उसे पहले अपने लबों पर रख देती हैं और उसके हाथों की उंगलिओ को बारी बारी बड़े प्यार से चूसने लगती हैं.....राहुल निशा के किसी भी हरकतों का कोई विरोध नहीं करता.....और बड़े गौर से निशा की आँखों में देखता हैं....इस वक़्त निशा की आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी......निशा फिर राहुल का हाथ धीरे धीरे पहले अपने गालों पर फिराती हैं और फिर उसके हाथो को नीचे की ओर ले जाने लगती हैं.....जो काम राधिका ने किया था आज वही काम निशा भी कर रही थी....आज इतिहास खुद को दोहरा रहा था...
निशा राहुल के हाथों को अपने कंधे से सरकाते हुए अपने सीने की ओर ले जाती हैं और कुछ ही लम्हों में वो अपने सीने पर राहुल का हाथ रख देती हैं...... और धीरे धीरे अपने हाथों पर अपना दबाव डालती हैं.....इस वक़्त राहुल निशा के बूब्स पर अपना एक हाथ रखा हुआ था और निशा उसके हाथों पर प्रेशर बना रही थी....तभी राहुल को कुछ याद आता हैं और वो तुरंत अपना हाथ वहाँ से हटा लेता हैं.....राहुल के ऐसे हटने से निशा चौंक जाती हैं......
राहुल- नहीं निशा मैने कहा था ना ...मैं अभी इन सब चीज़ों के लिए तैयार नहीं हूँ.... अभी मुझे थोड़ा वक़्त लगेगा.....मेरा ज़मीर इसकी इज़ाज़त नहीं दे रहा.....आइ आम सॉरी...
निशा भी कुछ नहीं कह पाती और वहीं राहुल के सामने चुप चाप खड़ी रहती हैं....आज उसकी आँखों में इस वक़्त आँसू थे.... निशा को ऐसा रोता देखकर राहुल बेचैन हो जाता हैं...
राहुल- क्या हुआ निशा...तुम ठीक तो हो...तुम्हारी आँखों में आँसू.....बात क्या हैं..
निशा- नहीं राहुल कुछ नहीं...शायद मैं ही बहक गयी थी...अच्छा हुआ तुमने मुझे होश में ला दिया....
राहुल- नहीं निशा.... मैं समझ सकता हूँ कि इस वक़्त तुम्हारे दिल पर क्या बीत रही होगी... मगर मेरा तुमसे वादा हैं जब तक उन कुत्तों को मैं जान से नहीं मार दूँगा मैं चैन से नहीं बैठूँगा.....और ......
निशा- और क्या राहुल........
राहुल- और तुमसे शादी भी नहीं करूँगा......
निशा के चेहरे पर कई तरह से सवाल थे...उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो राहुल की बात से खुस होये या दुखी.....जो भी हो अब तो केवल इंतेज़ार ही उन्हें करना था....आने वाला वक़्त देखा ये था कि बिहारी ,विजय और ,जग्गा पर राहुल कौन सा क़हर बनकर टूटता हैं.
निशा के दिल में इस वक़्त हज़ारों सवाल उठ रहें थे मगर आज उसके किसी भी सवालों का जवाब उसके पास मौजूद नहीं था....वो तो बस यही सोच रही थी कि क्या कभी वो राधिका की जगह ले पाएगी.....अगर उसकी शादी राहुल से हो भी जाती हैं तो क्या राहुल उसे वो प्यार दे पाएगा जितना वो राधिका से करता था.........शायद नहीं....इन्ही सवालों में उलझी निशा के चेहरे पर परेशानी के भाव थे तभी राहुल की आवाज़ सुनकर वो अपने सोच से बाहर आती हैं.....
राहुल- तुम एक काम करो मेरे साथ अभी अपने घर चलो....
राहुल की बातो से निशा लगभग चौंक जाती हैं- तुम्हारे साथ .......अभी इस वक़्त......मगर क्यों???
राहुल- क्यों कि मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से ये दुनिया तुम पर कोई उंगली उठाए....और शायद तुम यहाँ पर मेरे साथ रहोगी तो ऐसा हो भी सकता हैं की मैं कहीं बहक जाऊ.....और फिर कुछ ग़लत हो गया तो शायद मैं अपने आप को माफ़ नहीं कर पाउन्गा....
निशा- मुझे तुम पर पूरा भरोसा हैं राहुल.....कुछ ग़लत नहीं होगा...बिलिव मी.....
राहुल- नहीं निशा...ट्राइ टू अंडरस्टॅंड....मानता हूँ कि ये फ़ैसला मेरा था मगर ये हमारे लिए ही अच्छा होगा....निशा भी कुछ ज़्यादा बहस नहीं करती और चुप चाप राहुल के साथ उसकी गाड़ी में बैठ जाती हैं..और रात के करीब 10 बजे राहुल निशा को उसके घर ड्रॉप करता हैं.....
सुबेह राहुल सबसे पहले पोलीस स्टेशन जाता हैं और जाकर सबसे पहले ख़ान से मिलता हैं....
राहुल- ख़ान कुछ उन कमिनो का पता चला...कहाँ हैं वो तीनों....
ख़ान- ज़्यादा तो कुछ नहीं पर इतना कन्फर्म हैं कि वो तीनों इसी सहर में हैं....हम ने चारों तरफ से नाकाबंदी कर रखी हैं तो उनका इस सहर से बाहर जाने का सवाल ही नहीं उठता.......
राहुल- कहीं ऐसा तो नहीं कि हम ने नाकाबंदी करने में देर कर दी और वो तीनों इस सहर से बाहर.....
ख़ान- नहीं सर...ऐसा नहीं हैं....जब हम वहाँ पर पहुँचे थे तब उसके 1/2 घंटे पहले ही वो तीनों वहाँ से निकले थे...इतना कन्फर्म हैं कि मैने 1 घंटे के अंदर ही इस सहर में नाकाबंदी लगवा दिया था....
राहुल- ठीक हैं ख़ान....कहाँ पर हैं वो हरम्ज़्यादि काजीरी .....मैं उससे अभी मिलना चाहता हूँ.... फिर राहुल जैल के अंदर जाकर काजीरी से मिलता हैं... काजीरी जब राहुल को देखती हैं तब वो डर से वहीं सहम जाती हैं...
राहुल- कैसी है तू....लगता हैं रात भर सोई नहीं है ...देख तेरी आँखें कितनी लाल है...लगता हैं यहाँ पर तेरी खातिरदारी इन लोगों ने ठीक से नहीं की.....
काजीरी -मुझे जाने दो साहेब...जो कुछ मैं जानती थी मैने सब कुछ तो आप सब को बता दिया....अब क्या रह गया हैं....
राहुल- चिंता मत कर तुझे मैं छोड़ दूँगा मगर अभी नहीं कम से कम 5 साल के बाद.....ये बता बिहारी इस वक़्त कहाँ छुपा बैठा हैं....
काजीरी- मुझे नहीं मालूम साहेब....मैं उसके बारे में कुछ नहीं जानती....जैसे ही काजीरी ये बात ख़तम करती हैं तभी राहुल का एक करारा मुक्का उसके गालों पर पड़ता हैं और काजीरी के होंठों से खून निकल आता हैं....और वो दर्द से चीख पड़ती हैं.....
राहुल- अबकी बार सवाल नहीं पूछूँगा.....मुझे बस तेरा जवाब चाहिए...नहीं तो तेरी ऐसी सेवा करूँगा कि यहाँ से तू अपने चार कदमों से जाएगी....तेरी भलाई इसी में हैं कि जो कुछ जानती हैं सब कुछ बकती जा.....फिर धीरे धीरे काजीरी बिहारी के एक एक ठिकानों का पता बताती जाती हैं.....
राहुल- शाबाश!!!! अगर पहले ही सब कुछ बता दिया होता तो इतनी मार तो नहीं खानी पड़ती तुझे....चल अब यहाँ पर आराम से 5 साल मज़े करना.....और राहुल वहाँ से तेज़ी से बाहर निकल जाता हैं....
राहुल- पोलीस फोर्स तैयार करो ख़ान....मैं डीजीपी सर से जाकर पर्मिशन लेकर आता हूँ.... करीब 1 घंटे बाद राहुल अपनी पोलीस फोर्स के साथ बिहारी को पकड़ने निकल पड़ता हैं....
ख़ान- सर उसे तो उमर क़ैद की सज़ा हम दिलवाएँगे.....सारी ज़िंदगी जैल में सडेगा तब साले को मालूम चलेगा.....
राहुल- नहीं ख़ान .....तुम ग़लत समझ रहे हो...मैं जानता हूँ बिहारी को ....हम कितना भी कुछ कर लें वो ज़्यादा से ज़्यादा एक हफ़्ता जैल में रह सकता हैं.....फिर वो कैसे भी छूट जाएगा और हम ज़िंदगी भर उसको अरेस्ट करते फिरेंगे..... इस बार उसे आरेस्ट नहीं करना हैं.....
ख़ान- अरेस्ट नहीं करना हैं ................मतलब????
राहुल फिर अपने जेब से एक काग़ज़ निकाल कर ख़ान को थमा देता हैं..ख़ान जब उस काग़ज़ को पढ़ता हैं तब उसके होश उड़ जाते हैं....
ख़ान- सर ये तो एनकाउंटर वॉरेंट हैं......यानी हमे उन तीनों का एनकाउंटर करना हैं.....
राहुल- हां ऐसे कुत्तों के लिए सिर्फ़ एक ही सज़ा हैं और वो हैं ...................मौत...
ख़ान- मगर हम ऐसा कैसे कर सकते हैं...ऐसा करने से तो इस सहर में हंगामा खड़ा हो जाएगा......पब्लिक और मीडीया वाले इसे बढ़ा चड़ा कर दिखाएँगे और उसे निर्दोष साबित करेंगे...और हमारी कितनी बदनामी होगी आपको इसका अंदाज़ा भी हैं....फिर हम क्या जवाब देते फिरेंगे उन सब को.....
राहुल- तुम उसकी चिंता मत करो...मैने डीजीपी सर से सारी बातें कर ली हैं..उन्होने ही मुझे इसकी पर्मिशन दी हैं....मगर इतना याद रख हमे उन तीनों को इस सहर से बाहर किसी ऐसी सुनसान जगह पर ये काम करना हैं.... और हां सबसे पहले तुम बिहारी के बारे में सारा डेटा कलेक्ट करो...कौन हैं उसका करीबी और किसके साथ उसका रोज़ का उठना बैठना हैं...और उसकी कमज़ोरी क्या हैं...सब कुछ इमीडीयेट्ली....फिर ख़ान वहीं लॅपटॉप में इंटरनेट के थ्रू बिहारी से सारी रिलेटेड जानकारी कलेक्ट करता हैं.....
करीब 2 दिन के बाद उसे बिहारी के खिलाफ पुख़्ता सबूत हाथ लगता है और जो जानकारी उसे हासिल होती हैं उससे राहुल भी चौंक जाता हैं.....इन दो दिनों में बिहारी का भी पता चल गया था......तीनों एक ही जगह पर इसी सहर में छुपे हुए थे.....राहुल ने जैसे ख़ान को कहा था ख़ान ने वैसा ही किया था......
राहुल- ख़ान सबसे पहले अगर हमे दुश्मनों का शिकार करना हैं तो उसे बिल से बाहर निकालना होगा....और ये काम तुम ही अंजाम दे सकते हो.....जैसे ही वो बाहर आए उसका सबसे पहले किडनप करवा लो और इस सहर के बाहर ले चलो...किसी हिल स्टेशन की तरफ जहाँ कोई आता जाता ना हो....फिर मैं बताउन्गा कि उन सब को कैसी मौत मारना हैं...और मैने तो सोच भी रखा हैं उन कुत्तों को कैसी मौत मिलनी चाहिए......
सबसे पहले ख़ान उसके ख़ास ख़ास आदमियों को अरेस्ट करता हैं और दो तीन लड़की सप्लाइ की बात उनके आदमियों से कहलवाता हैं......बिहारी तो लड़की मामले में कहाँ चुप बैठने वाला था....वो भी झट से अपने आदमी से मिलने की जगह और दाम तय कर लेता हैं.......फिर उस नंबर को ट्रेस किया जाता हैं और उसका लोकेशन पता लगाया जाता हैं.....और दूसरे दिन वो तीनों अपने बिल से बाहर निकते हैं.....उसी जगह......राहुल अपने आदमियों के साथ वाहन पर घात लगाए बैठा था......बिहारी जब अपने आदमियों को देखता हैं तब वो झट से उनसे मिलने आता हैं......
जैसे ही वो उन सब के करीब जाता हैं तभी लगातार 6 गोली चलती हैं और कुछ देर में बिहारी के तीनों आदमियों की लाश वहीं ज़मीन पर पड़ी मिलती है...ये सब देखकर बिहारी ,विजय और जग्गा भागने की कोशिश करते हैं मगर पोलीस चारों तरफ से उन्हें घेर लेती हैं..... और तभी तेज़ी से एक वॅन उनके पास आकर रुकती हैं....और उसमें 5,6 आदमी निकलते हैं और बिहारी ,जग्गा और विजय को झट से उठाकर उस वॅन में लेकर तेज़ी से वहाँ से निकल जाते हैं.....वहाँ दूर खड़ी पोलीस चुप चाप देखती रहती हैं...
इधेर बिहारी ,जग्गा, और विजय एक तरफ तो खुस थे कि वे पोलीस के हाथों बच गये ....मगर उनकी खुशी ज़्यादा देर तक नहीं रहने वाली थी... अभी भी उनसब के मन में ये सवाल उठ रहे थे कि ये वॅन वाले उन सब के दोस्त हैं या दुश्मन.....इस वक़्त उस वन में दो और लोग बैठे हुए थे मगर उनके चेहरे पर नक़ाब था....और वो दोनो बड़े गौर से बिहारी, जग्गा, और विजय को देख रहें थे....इस तरह से उन्दोनो का घूर्ना देखकर वो तीनों फिर से सहम जाते हैं......अगले ही पल वो दोनो अपना हाथ बढ़ाकर अपने चेहरे की ओर ले जाते हैं और वो नक़ाब को अपने चेहरे से अलग कर देते हैं....जब वो दोनो अपने चेहरे से नक़ाब हटाते हैं तब बिहारी ,जग्गा, और विजय को ऐसा झटका लगता हैं जैसे किसी ने उनके शरीर से पूरा खून निचोड़ लिया हो....और हैरत से उन सब की आँखें फटी रह जाती हैं.
उस वन में राहुल और ख़ान बैठे हुए थे......राहुल और ख़ान को अपने सामने बैठा हुआ देखकर उन तीनों के होश उड़ जाते हैं....
बिहारी-राहुल.....त....उ.....तुम????
राहुल- मैं नहीं बिहारी अपनी मौत बुला मुझे......तूने क्या सोचा था कि तू मुझसे बच जाएगा...अगर तू पाताल में भी जाकर छुप जाता तो भी मैं तुझे वहाँ से ढूँढ निकालता....राहुल के मूह से इस तरह की बातें सुनकर उन तीनों का डर से गला सूखने लगता हैं....
थोड़ी देर बाद उनकी गाड़ी सहर से दूर एक सुनसान घाटी के पास जाकर रुकती हैं....फिर राहुल उन सब को एक एक कर बाहर निकलने को कहता हैं...और तभी ख़ान उनके पीछे जाकर उन तीनों के हाथों में हथकड़ी लगा देता हैं.....इस वक़्त तीनों एक साथ लाइन से खड़े थे और उनके हाथों में वो हथकड़ी बँधी हुई थी....उनके चेहरे पर मौत का डर सॉफ छलक रहा था.....
राहुल तभी अपने जेब से रेवोल्वेर निकालता हैं और उनके सामने वो रेवोल्वेर तान देता हैं....ये नज़ारा देखकर तीनों की डर से हालत खराब हो जाती हैं....
राहुल- चिंता मत करो मैं तुम्हें गोली नहीं मारूँगा......अगर तुम्हें इतनी आसान मौत दे दूँगा तो मुझे खुद अपने आप पर पछतावा होगा कि मैने ऐसा क्यों किया.... आख़िर तुम्हें भी तो एहसास होना चाहिए कि दर्द क्या होता हैं....जो तुम लोगों ने मेरी राधिका को दिया था.....उसके एक एक आँसू का तुमलोगों से मैं हिसाब लूँगा....फिर राहुल अपने जेब से अपना पर्स निकाल लेता हैं और उसमें राधिका की फोटो थी ....वो उन तीनों के सामने अपना पर्स रख देता हैं...
राहुल- गौर से देखो इसे.....क्या कसूर था इस मासूम का जो तुमलोगों ने इसके साथ ऐसा सुलूख किया.....यही ना कि वो खूबसूरत थी ...शायद आज मेरी राधिका की खूबसूरती ही उसकी मौत की वजह बन गयी.....जब तक तुम जैसे दरिंदे रहेंगे तब तब हर मासूम लड़की के साथ ऐसा हमेशा होता रहेगा....और इतना कहकर राहुल एक ज़ोर का लात पहले बिहारी और फिर जग्गा और विजय के पेट पर मार देता हैं...दर्द से वो तीनों वहीं घुटनों के बल बैठ जाते हैं......
राहुल- बहुत घमंड था ना तुझे अपनी सत्ता और अपनी पॉवर का...उखाड़ ले जो उखाड़ना हैं....ज़रा मैं भी तो देखूं कि तू क्या कर सकता हैं.....फिर राहुल अपनी जेब से वो वॉरेंट निकालकर उनके सामने रख देता हैं.....गौर से देखो इस पेपर को.....ये तुम लोग की मौत का वारंट हैं.....और अब तो दुनिया की कोई भी ताक़त मुझे तुम लोग को उपर पहुँचाने से नहीं रोक सकती......
बिहारी- हमे जो सज़ा देनी हैं दे दो राहुल हमे सब मंज़ूर हैं मगर प्लीज़ हमे जान से मत मारो......मैं उमरक़ैद की सज़ा भी काटने को तैयार हूँ....
तभी राहुल फिर से एक ज़ोर की लात बिहारी के पेट पर मारता हैं और बिहारी के मूह से दर्द भरी चीख निकल पड़ती हैं....
राहुल- बहुत डर लग रहा है तुम्हें आज अपनी मौत को सामने देखकर.....मरना तो तुम सबको हर हाल में हैं....अगर आज मैने तुम सबको छोड़ दिया तो शायद मेरी राधिका भी मुझे कभी माफ़ नहीं करेगी....और अब मैं अपनी राधिका की आत्मा को और दुख नहीं पहुँचाना चाहता.....तभी दो तीन लात और राहुल बिहारी के पेट और पीठ पर जड़ देता हैं......और बिहारी फिर से चीख पड़ता हैं......
राहुल- बोल क्यों किया तूने ऐसा.....मुझे जवाब दे.....क्यों तूने कृष्णा और बिरजू को फँसाया.....क्यों उसकी आड़ लेकर मेरी राधिका को ब्लॅकमेलिंग की...क्यों तूने उसके साथ हवस का गंदा खेल खेला.....अरे इंसान तो इंसान जो सुलूख तुम लोगों ने मेरी राधिका के साथ किया हैं वो तो कोई दुश्मन भी नही कर सकता......बरसों से उनकी वफ़ादारी का क्या इनाम दिया हैं तुमने.....बिरजू की ही बेटी को अपनी रखैल बनाया....और तो और उसे मार्केट में भी भेज दिया ...दरिंदों के बीच.....और तूने तो अपनी कमिनेपन की हद्द ही कर दी ........एक बाप को अपनी ही बेटी के साथ सेक्स करवा डाला.....तूने तो एक बाप और बेटी के बीच रिश्तों के मायने ही बदल डाले....उनके बीच पवित्र रिश्तों को हमेशा के लिए कलंकित कर डाला...अरे तेरे से अच्छे तो जानवर हैं कम से कम वो वफ़ादारी के बदले वफ़ादारी तो निभाते हैं.....लेकिन तू तो उन सब से भी गया गुज़रा हैं....इंसान की खाल में तू तो भेड़िया हैं....
तभी ख़ान भी अपने गुस्से को नहीं रोक पाता और एक करारी लात बिहारी के पेट पर जड़ देता हैं....बिहारी वहीं दर्द से बैठ जाता हैं......
फिर राहुल विजय के पास जाता हैं और एक करकरा लात विजय के पेट पर जड़ देता हैं...विजय वहीं दर्द से बैठ जाता हैं....
राहुल- तूने तो कमाल की दोस्ती निभाई....भगवान ना करे कि तेरे जैसे दोस्त किसी को भी मिले.....मेरे साथ रहकर मेरी ही पीठ पीछे तू मेरी दोस्ती का फ़ायदा उठाता रहा....और मैं तुझपर आँख बंद कर विश्वास करता रहा.....काश मैने राधिका की बात बहुत पहले मान ली होती तो आज मुझे ये दिन नहीं देखना पड़ता....मैं तो खुद हैरान हूँ कि मैने तुझे पहचाने में इतनी बड़ी भूल कैसे कर दी....आज तो मुझे शरम आती हैं तुझे अपना दोस्त कहते हुए.....और इतना कहकर राहुल एक ज़ोर का लात फिर से विजय के पेट पर मार देता हैं.....तभी ख़ान भी दो तीन लात विजय के उपर बरसाता हैं और विजय की चीखें इन वादियों में गूँज उतती हैं....
फिर वो जग्गा के पास जाता हैं और उसे भी एक ज़ोर का लात उसके पेट पर जड़ देता हैं....मैने सच में भूल की तुझे पहचानने में.....अगर उसी दिन मैं तुझे राधिका को छेड़ते हुए तेरे उपर कोई कड़ा आक्षन लिया होता तो तेरे जैसे दो टके गुंडे की ये मज़ाल नहीं होती कि तू मेरी राधिका को आज छू भी पाता.....इन्ही हाथों से तूने उसे छुआ था ना...फिर राहुल एक ज़ोर का लात उसके हाथों पर मारता हैं और जग्गा वहीं दर्द से चीख पड़ता हैं.
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Update 45
ख़ान- बोलो सर इनका क्या करना हैं......क्या सोच रखा हैं आपने इनके बारे में....
राहुल- तू ही बता ख़ान इन्हें कैसी मौत देनी चाहिए......ताकि मेरे दिल को सुकून मिले.....
ख़ान- सर सबसे पहले तो इनके दोनो घुटनों में एक एक गोली मारनी चाहिए.....ताकि इन्हें दर्द का एहसास हो .......फिर जैसा आप चाहे....
राहुल- फिर शुभ काम में देर कैसी ख़ान.....उठाओ अपना गन और इन कमीनो के दोनो घुटनों में दाग दो बुलेट.....ताकि इन्हे भी तो पता चलना चाहिए कि दर्द क्या होता हैं....जितना दर्द इन लोगों ने मेरी राधिका को दिया था .....आज इन्हें भी उसका एक एक दर्द का हिसाब चुकाना पड़ेगा.....राहुल और ख़ान की बातो को सुनकर उन तीनों की डर से गान्ड फट जाती हैं......और वो तीनों वहीं चुप चाप डर से सहम जाते हैं.....आज मौत का ख़ौफ्फ उन तीनों के चेहरे पर सॉफ झलक रहा था.....
राहुल- चलो फटाफट तुम तीनों खड़े हो जाओ......और अगर 1 मिनिट के अंदर खड़े नहीं हुए तो गोली तो ज़रूर चलेगी मगर निशान कहीं और होगा.....और थोड़ी देर बाद राहुल अपनी रेवोल्वेर हाथ में लेता हैं और उनके सामने तान देता हैं......और साथ ही ख़ान और एक और पोलीस ऑफीसर भी अपना गन हाथ में लेकर सब वहीं खड़े हो जाते हैं.....तभी लगातार 6 गोली निकलती हैं और दो गोली बिहारी के दोनो घुटनों को चीर कर बाहर निकल जाती हैं और उधेर विजय और जग्गा का भी वहीं हाल होता हैं.....
वो तीनों वहीं दर्द से चीखते हुए ज़मीन पर गिर पड़ते हैं.....उनकी आँखों से आँसू फुट पड़ते हैं....और उन तीनों के पाँव से खून की धारा बहने लगती हैं.....इस वक़्त तीनों के पैरों से खून बह रहा था और तीनों गला फाड़ फाड़ कर चीख रहें थे......तभी राहुल आगे बढ़ता हैं और एक ज़ोर की लात बिहारी के लंड पर मारता हैं...और बिहारी के आँखों से दर्द भरे आँसू और तेज़ हो जाते हैं....फिर ख़ान भी विजय के लंड पर ज़ोर की लात मारता हैं और उनके साथ और एक ऑफीसर श्याम वो भी जग्गा के साथ वहीं सुलूख करता हैं.....इस वक़्त तीनों वहीं दर्द से तड़प रहे थे......
राहुल- और ज़ोर से चीखों कुत्तों....अब पता चला की दर्द क्या होता हैं....इस वक़्त पाँव में गोली लगने से वो तीनों अब खड़े होने की हालत में भी नहीं थे...और वहीं दर्द से छटपटा रहें थे....दर्द की वजह से उन तीनों की आँखों में आँसू थे.....
राहुल- एक काम करो....आज इनकी हम ज़िंदा समाधि बनाएँगे.....ताकि इन्हें भी तो पता चले कि घुट घुट कर मरने में कैसा लगता हैं......तभी दो तीन पोलिसेवाले आकर वहीं गड्ढा खोदने लगते हैं......ये सब नज़ारा देखकर तीनो के चेहरे का रंग बदल जाता हैं.....और जग्गा और विजय का मूत वहीं पेंट में डर से निकल जाता हैं......ये सब देखकर सभी पोलिसेवाले हँसने लगते हैं......
बिहारी- हमे जान से मार दो राहुल मगर ऐसा मत करो.... दर्द अब नहीं बर्दास्त हो रहा.....
राहुल बिहारी के पास जाता हैं और उसके सिर के बाल को पूरी मुट्ठी में लेकर ज़ोर से भीच देता हैं- दर्द तो तुझे अब मैं दूँगा.....ताकि तेरा अंजाम अगर दूसरा कोई देख ले वो तेरी जैसी ग़लती कभी सपने में भी करने की नहीं सोचेगा......और हां मैं तो तुझे कुछ दिखाना चाहता हूँ.....मुझे पूरा विश्वास हैं कि वो सब देखकर तुझे बड़ा मज़ा आएगा.....
फिर राहुल ख़ान को कुछ इशारा करता हैं और ख़ान मुस्कुराते हुए वहीं रखा लॅपटॉप लेकर आता हैं. और वो राहुल के हाथों में वो लॅपटॉप थमा देता हैं......बिहारी जग्गा और विजय आँख फाडे राहुल को देख रहें थे मगर उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि राहुल क्या करना चाहता हैं.... थोड़ी देर बाद राहुल फिर से ख़ान को वो लॅपटॉप थमा देता हैं....
राहुल- ख़ान ज़रा उस लॅपटॉप में कल तुमने जो इंटरनेट से डेटा कलेक्ट किया था वो ज़रा बिहारी और इन दोनो को ज़रा दिखाना.....देखना ये कैसे खुशी से झूम उठेगे.....ख़ान फिर कुछ फाइल्स को एक एक कर सेलेक्ट करता हैं और फिर वो बिहारी और उन्दोनो के सामने वो लॅपटॉप रख देता हैं......
राहुल- ज़रा दिल थाम कर देखना बिहारी कहीं ऐसा ना हो कि तेरी धड़कनें ना रुक जायें.....मैने बड़े प्यार से ये सब ख़ास तेरे लिए इन वीडियो को कलेक्ट किया हैं....थोड़ी देर बाद ख़ान कुछ वीडियोस को प्ले कर देता हैं....फिर जो नज़ारा उस लॅपटॉप में बिहारी को जो दिखाई देता हैं वो उसे देखकर चीख पड़ता हैं.....लॅपटॉप में उसकी बेटी शोभा की अश्लील वीडियोस थी.....और वो एक साथ 5 आदमियों के साथ चुदवा रही थी......ये नज़ारा देखकर बिहारी की आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं और वो अपनी आँखें झट से बंद कर लेता हैं......
राहुल- आज तेरी आँखें क्यों बंद हो गयी बिहारी......देख गौर से इसे..... ये तेरी ही बेटी हैं ना......देख कैसे मज़े से एक साथ 5 आदमियों को संभाले हुई हैं.....और सबको खुस कर रही हैं.....तू यही सोच रहा होगा कि ये वीडियो मेरे पास कहाँ से आई....चल आज तेरे सारे सवालों का जवाब मैं दे देता हूँ......फिर राहुल उस क्लिप को बंद करता हैं और एक और फाइल वो ओपन करता हैं जिसे पढ़कर बिहारी के होश उड़ जाते हैं....
उस में एक ब्रेकिंग न्यूज़ था.....और सॉफ सॉफ लिखा था कि लारा (नेम चेंज) नाम की लड़की प्रॉस्टियुयेशन के धंधे में इन्वॉल्व थी जिसको पोलीस ने अरेस्ट कर लिया हैं....इसके साथ और भी तीन लड़कियाँ थी.....जो ये जिस्म का धंधा करती थी....
राहुल- चल तेरी जानकारी के लिए बता दूं कि तेरी बेटी का नाम शोभा हैं....और वो ऑस्ट्रेलिया में रहकर एमबीए कर रही हैं जहाँ लोग उसे लारा के नाम से जानते हैं........मगर तू यहीं सोच रहा होगा कि ये सब मैं कैसे जानता हूँ....अरे भाई पोलीस वाला हूँ अपने दोस्त और दुश्मनों की पूरी डीटेल रखता हूँ..... तेरी बेटी की उमर करीब 20 साल..खूबसूरत और जवान.....पढ़ने के लिए वो तो गयी थी ऑस्ट्रेलिया में मगर वहाँ जाकर वो एक रंडी के धंधे में इन्वॉल्व हो गयी....अभी कुछ दिन पहले वहाँ एक होटेल में छापा पड़ा था.....जिसमें तेरी बेटी भी धंधे में अरेस्ट हुई थी......ये उसी की न्यूज़ हैं.....दो तीन दिन वहाँ जैल में रही फिर से वो छूट गयी.....मगर क्या करें ये जिस्म की आग होती ही ऐसी हैं इतनी आसान से कहाँ पीछा छोड़ने वाली....और उपर से नयी नयी जवानी का नशा.....मन तो बहकेगा ही.....फिर एक दिन एक एजेंट उसके पास गया और एक रात के उसे 500 डॉलर दिए....यू कह सकता हैं हमारे इंडियन रुपीज़ के हिसाब से करीब 25 हज़ार......
बस तेरी बेटी को मज़े और पैसे दोनो मिले और उसने झट से हां कर दी.....फिर उसको एक गंगबॅंग सूयीट ले जाया गया...जो वीडियो अभी अभी मैने तुझे दिखाया ये वही था....और उसने पूरी रात उन सब को पूरा मज़ा दिया...सच में तेरी बेटी भी बहुत बड़ी रंडी निकली.....देख बिहारी जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता हैं एक दिन वो खुद ही उसी गढ्ढे में गिरता हैं.... खैर ऑस्ट्रेयिला में तो ये सब आम बात हैं मगर सोच क्या वो अपने देश में कोई अच्छे घराने का लड़का उसका कभी हाथ थामेगा.....कभी नहीं.....
आज तू खुद देख बिहारी.....उपर वाले के लाठी में आवाज़ नहीं होती...यहाँ पर तू दूसरों की बहू बेटी के इज़्ज़त के साथ खेलता रहा और वहाँ देख तेरी बेटी खुद रंडी का धंधा कर रही हैं.....मेरे ख्याल से आज भगवान ने तुझे सही सज़ा दे दी हैं..... और फिर राहुल वो वीडियो पूरा प्ले कर देता हैं...बिहारी अपना मूह दूसरी तरफ फेर लेता हैं......
राहुल- अब क्या हुआ...पसंद नहीं आया क्या तुझे...देख आज अपनी ही बेटी को दूसरों से चुदवाते हुए.....मादरचोद अब तेरा लंड नहीं खड़ा हुआ क्या ये सब देखकर और राहुल ज़ोर की एक लात बिहारी के लंड पर जड़ देता हैं.....बिहारी की इस समय वो हालत थी कि वो उपर वाले से अपनी मौत की दुआ कर रहा था...मगर शायद मौत भी इतनी आसानी से नहीं मिलती.....
आज राधिका की कहीं हुई सारी बातें बिहारी को एक एक कर याद आ रही थी....और आज उसकी आँखों में आँसू थे मगर शायद अब बहुत देर हो चुकी थी....आज एक औरत की बद-दुआ लग गयी थी...जो बात राधिका ने कहीं थी आज वो सब बिहारी के मन में किसी बॉम्ब के तरह फट रही थी.....आज उसे भी एहसास हो रहा था कि एक बाप और बेटी के रिश्ते की क्या अहमियत होती हैं....मगर सिवाय पस्चाताप के अब कुछ हासिल नहीं होने वाला था.....
बिहारी- मुझे जान से मार दो राहुल...मैं अब जीना नहीं चाहता.....आज मैं अपना सारा जुर्म कबूल करता हूँ....भगवान के लिए मुझे मौत दे दो....और बिहारी वहीं ज़ोर ज़ोर से फुट फुट कर रो पड़ता हैं......
राहुल- क्यों अब एहसास हुआ कि एक बाप और बेटी में क्या रिश्ता होता हैं.......तू क्या दुनिया का कोई भी बाप अपनी बेटी को इस हाल में नहीं देख सकता...मगर तुमने तो मेरी राधिका को गंदा ही नहीं बल्कि उसके दिल में वो घाव दिया जिसके वजह से ना बिरजू जी सका और ना ही राधिका कभी जीने की सोच सकती थी.....तुमने उसे आत्महत्या करने पर मज़बूर कर दिया.....और तेरी इस ग़लती को मैं कभी माफ़ नहीं कर सकता.......एक बात जान ले बिहारी कोई स्वर्ग नरक नहीं होता...इंसान को उसके करमों का फल यहीं पर मिलता हैं और तेरी करनी का भी फल तुझे यहीं पर मिलेगा.....जैसी करनी वैसी भरनी.
इस वक़्त वो तीनों दर्द से तड़प रहे थे और ईश्वर से यही दुआ कर रहे थे कि उन्हें अपनी सारी तकलीफ़ों से जल्द से जल्द मुक्ति मिल जाए...मगर राहुल ने तो कुछ और ही सोच रखा था....
राहुल- मरना तो तुम तीनों को हर हाल में होगा.......और मैने सोच भी लिया हैं कि तुम तीनों को कैसी मौत देनी हैं.....
बिहारी- मार डालो हमे राहुल...आब दर्द और नहीं सहा जाता.....बिहारी के इस तरह फरियाद से राहुल के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं.....
राहुल- बस बिहारी थोड़ा सा और दर्द बर्दास्त कर ले फिर तुझे मैं मुक्ति दे दूँगा.....जानता हैं ....मैने तुम सब के लिए कैसी मौत सोची रखी हैं.....उस मौत का नाम हैं मीठी मौत........
बिहारी , विजय और जग्गा तीनों हैरत से राहुल को देखते हैं मगर उनके समझ में कुछ नहीं आता कि ये मीठी मौत क्या होती हैं......
राहुल- तुम सब यही सोच रहे होगे कि ये मीठी मौत क्या होती हैं.....अभी थोड़ी देर मे तुम सब को पता चल जाएगा......फिर राहुल ख़ान को इशारा करता हैं और ख़ान झट से दो तीन पोलिसेवाले को लेकर उस वॅन के पास जाता है और उसमें से तीन ड्रम ले कर आता हैं......और वहीं पर वो तीनों ड्रम रख देता हैं...बिहारी जग्गा और विजय आँख फाडे उन ड्रमस को देख रहें थे......पर उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था...आख़िर क्या हैं उस ड्रम में....डर से उन सब की गान्ड फटी हुई थी......और हो भी क्यों ना अपनी मौत को सामने देखकर किसी की भी यही दशा होती जैसे आज उन तीनों की उस वक़्त हुई थी....
राहुल- फिर एक ड्रम के पास जाता हैं और वो उस ड्रम का ढक्कन खोलता हैं.....फिर उस ड्रम से कुछ लिक्विड वो अपने हाथों में लेता हैं और बिहारी के पास जाता हैं.... और उसके मूह के ठीक सामने रख देता हैं.....
राहुल- ध्यान से देख इसे......अब तक तू तो जान ही गया होगा कि इस वक़्त मेरे हाथों में क्या हैं......जब बिहारी उस लिक्विड को देखता हैं फिर भी उसके कुछ पल्ले नहीं पड़ता कि राहुल उस लिक्विड का क्या करना चाहता हैं....
बिहारी- ये तो चासनी हैं...(चासनी शक्कर घोल कर पानी जो बाय्ल करके बनाया जाता हैं)...
राहुल- खूब पहचाना तुमने......तू तो अच्छे से जानता होगा कि इसे मीठा बनाने के काम में लाया जाता हैं.....सोच अगर मैं इस पानी से तुम तीनों को नहला दूं तब यहाँ पर तुम लोगों की क्या दशा होगी इसका अंदाज़ा तुम सब नहीं लगा सकते....वैसे भी ये हिल एरिया हैं और यहाँ पर लाल चींटे (आंट) पाए जाते हैं....और सोच एक चीटा अगर काट ले तो वो पूरे शरीर से माँस तक निकाल देता हैं और उसके दर्द का अंदाज़ा तुझे पता होगा.....तो अगर एक साथ हज़ारों चीटियाँ तुम पर चढ़ेंगी तो क्या हाल होगा तुम सब का......एक दो घंटे के अंदर तुम्हारी हड्डी तक नज़र आ जाएँगी.....
राहुल की ऐसी बतो को सुनकर तीनों के होश उड़ जाते हैं....और डर से उन तीनों की आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.....तभी वो तीनों अपनी मौत की दुहाई माँगते हैं मगर राहुल का दिल थोड़ा भी नहीं पासीजता....थोड़ी देर बाद उन्हें एक लकड़ी के ताबूत में रखा जाता हैं मगर उसका कॅप नहीं लगाया जाता...फिर बारी बारी से वो तीनों ड्रम उन तीनों पर चासनी गिराया जाता हैं.......तीनों इस वक़्त चासनी में पूरी तरह नहा गये थे.....और गला फाड़ कर चीख रहें थे......उन्हें भी मालूम था कि आने वाला पल कितना भयानक होने वाला हैं....मगर हाथ में हथकड़ी और पैरों में गोली लगने से वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते थे....बस अपने आप को पल पल मरता हुआ देख सकते थे.....और शायद इसी भयानक मौत तो और कोई हो भी नहीं सकती थी.....
राहुल- थोड़ी देर बस फिर जितना जी करे चीखना.....और वैसे भी तुझे दूसरों की चीखें सुनना बहुत पसंद हैं ना...आज खुद चीखना... देखना कितना मज़ा आता हैं...और एक बात यहाँ कोई नहीं आने वाला तुम्हें बचाने .....बस इतना ही कहूँगा कि भगवान तुम तीनों की आत्मा को शांति दे....फिर राहुल वहाँ से झट से निकल जाता हैं ....आज वो फिर से रो पड़ा था.......आज फिर से वो राधिका के लिए उसका दिल तड़प उठा था....बड़ी मुश्किल से वो अपने आप को संभाले हुए था....मगर उसकी आँखों से आँसू नहीं थम रहें थे......करीब 15 मिनिट के बाद एक एक कर हज़ारों की तादाद में लाल चीटे आते दिखाई देते हैं और अपने शिकार की तरफ बढ़ते हैं......घंटों तक वो सब चीखते रहते हैं और करीब 2 घंटे बाद उनकी चीखे बंद हो जाती हैं....और हमेशा हमेशा के लिए वो तीनों खामोश हो जाते हैं.....राहुल और ख़ान तुरंत अपनी गाड़ी से वहाँ से निकल पड़ते हैं.....
आज राहुल का बदला पूरा हो गया था .....एक तरफ तो उसके दिल में सकून था वहीं राधिका की कमी उसे पल पल बेचैन कर रही थी......
बिहारी के मौत के बाद थोड़ा हंगामा हुआ था मगर डीजीपी ने उनकी सारी करतूतो को मीडीया के सामने रखा और ये भी कह दिया कि बिहारी ने पोलीस पर फाइयर किया था....जिसके वजह से पोलीस को भी उसके उपर फाइयर करना पड़ा और उसी मुठभेड़ में वो मारा गया....और साथ ही उसके दोनो साथी भी....और इस मामले को पूरी तरह से दबा दिया गया.......
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20-09-2019, 12:54 PM
(This post was last modified: 20-09-2019, 08:00 PM by thepirate18. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
Update 46
एक हफ्ते बाद...................................
राधिका को गुज़रे पूरे 10 दिन बीत चुके थे......मगर आज भी राहुल के अंदर कोई बदलाव नहीं आया था.....वो बस दिन रात रोता रहता और गुम्सुम सा बैठा रहता.....ना जाने वो क्या क्या बातें रात दिन सोचता रहता.....इधेर निशा भी राहुल को लेकर बहुत परेशान थी......उसे भी कुछ समझ नही आ रहा था कि वो राहुल को कैसे संभाले......तभी निशा के मम्मी पापा उसके घर आते हैं......इस वक़्त भी राहुल वहीं अपने कमरे में खामोश बैठा हुआ था.....
सीता उसके पास जाती हैं और उसके कंधे पर अपना हाथ रख देती हैं... राहुल एक नज़र सीता पर डालता हैं फिर अपने आँखों से बहते हुए आँसू पोछता हैं और जाकर अपना मूह धोता हैं.....फिर वो वहीं उनके पास आकर बैठ जाता हैं...
सीता- कब तक बेटा तुम ऐसे ही अपने आँखों से आँसू बहाओगे......क्या अब राधिका कभी वापस लौट कर आएगी.....नहीं ना....हां मानती हूँ कि तुम्हें उसका गहरा दुख पहुँचा हैं मगर कब तक ऐसे चलता रहेगा....ज़रा आपने आप को देखो तुमने क्या हालत बना रखी है....थोड़ा हिम्मत रखो... एक दिन सब ठीक हो जाएगा.....
राहुल- कहिए आंटी जी कैसे आना हुआ.....मुझे कोई काम था क्या.....
सीता- हां आज काम से ही मैं तुम्हारे पास आई हूँ....तुमसे एक बात कहनी थी....
राहुल- कहिए आंटी क्या बात हैं.....
सीता- मैं जानती हूँ कि मेरी बेटी तुम्हें जी जान से चाहती हैं....और शायद अब वो तुम्हारे बिन जी नहीं पाएगी....इस लिए मैं ये चाहती हूँ कि तुम मेरी बेटी का हाथ थाम लो....शायद इसी बहाने तुम्हारी भी ज़िंदगी फिर से संवर जाएगी......बेटा मुझे ना मत कहना...मैं बहुत अरमान लेकर तुम्हारे पास आई हूँ..... ये समझ लो कि एक मा अपनी बेटी की ज़िंदगी की तुमसे भीख माँग रही हैं.....अब मेरी बेटी की ज़िंदगी तुम्हारे हाथों में हैं.......मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ..
राहुल- क्या कहूँ आंटी.....पता नहीं मेरे नसीब में क्या लिखा हैं....जिसको मैने जी जान से चाहा आज वो ही मुझसे रूठ कर हुमेशा के लिए मुझसे दूर चला गया......मैने बचपन से सिर्फ़ खोया हैं......आज मुझ में ताक़त नहीं बची हैं कि मैं और कोई सदमा बर्दास्त कर सकूँ....मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए मैं जैसा हूँ ठीक हूँ....
सीता- बेटा जो तकदीर में लिखा हैं उसे तो बदला नहीं जा सकता...मगर आज अगर तुम निशा को ठुकरा दोगे तो शायद निशा भी ऐसा ही कुछ कर बैठेगी जो कल राधिका ने किया था.....और निशा को अगर कुछ हो गया तो मैं जी नहीं पाउन्गि उसके बगैर.....
राहुल- आंटी जी मैं समझ सकता हूँ मगर इस वक़्त मैं इस स्थिती में नहीं हूँ कि अब मैं कोई भी इस वक़्त फ़ैसला ले सकूँ...आप मुझसे बड़ी हैं और आपको जो सही लगे..... ये फ़ैसला मैं अब आप पर छोड़ता हूँ....जो आपका फ़ैसला होगा मुझे सब मंज़ूर होगा......
सीता - ठीक हैं बेटा मैं पंडित जी से तेरे शादी की बात करती हूँ....और कोई अच्छा सा मुहुरात निकालकर तुम दोनो की शादी का दिन पक्का कर दूँगी......
राहुल- ठीक हैं आंटी.....मुझे मंज़ूर हैं जैसा आपको ठीक लगे.....फिर सीता और मिस्टर अग्रवाल वहाँ से खुशी खुशी अपने घर की ओर निकल पड़ते हैं....और उधेर निशा बड़ी बेसब्री से अपने मम्मी पापा का इंतेज़ार कर रही थी.....उसका एक एक पल ऐसा लग रहा था मानो कोई एक एक सदी हो.......
राहुल झट से अपने पर्स खोलता हैं और बड़े प्यार से राधिका के तस्वीर पर अपना हाथ फेरता हैं और उसके फोटो को चूम लेता हैं.....क्यों किया तुमने ऐसा.....यही चाहती थी ना तुम कि मेरी शादी निशा से हो...देखो आज मैने इस रिस्ते के लिए हां कर दी हैं.....अब तो तुम खुश होगी..... लेकिन ये मत समझना कि तुम मुझसे दूर चली गयी हो तो मैं तुम्हें भूल जाउन्गा......ऐसा कभी नहीं होगा.....तुम हमेशा इस दिल में रहोगी मेरी जान बनकर....तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता.......... निशा भी नहीं.
वक़्त अपनी रफ़्तार से बीत रहा था....राहुल भी अब संभलने लगा था मगर अभी उसे एक और झटका लगना बाकी था....वो था कृष्णा के रूप में....जब ख़ान उसके घर आता हैं और उसे ये बताता हैं कि कृष्णा ने जैल में शूसाइड कर लिया हैं....उसने अपने हाथ की नस काट ली थी....तब राहुल के आँखों से फिर एक बार आँसू छलक पड़ते हैं.....वो फ़ौरन पोलीस स्टेशन जाता हैं और वहाँ पर उसे कृष्णा की डेड बॉडी मिलती हैं......थोड़ी देर बाद उसकी लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया जाता हैं......
कृष्णा ने एक शूसाइड नोट भी लिखा था....उसमें उसने राधिका की मौत का अपने आप को दोषी मानते हुए उसने ऐसा कदम उठाया था....और एक वजह ये भी थी कि वो अब राधिका के बिना जीना नहीं चाहता था....शायद इस वजह से भी.......
अब तूफान पूरी तरह से थम चुका था....मगर आज इस तूफान ने अपने साथ साथ सब कुछ बहा कर ले गया था...आज इस हवस की आग में ना जाने कितनों की ज़िंदगी पर इसका असर पड़ा था....राधिका के साथ साथ कितनों को अपनी ज़िंदगी गँवानी पड़ी....इधेर कजरी को 5 साल की सज़ा मिली और उधेर मोनिका को जालसाज़ी के जुर्म से 2 साल की सज़ा सुनाई गयी.....आज मोनिका की भी ज़िंदगी बर्बाद हो चुकी थी......
राधिका के गुजरने के बाद राहुल के अंदर एक और बदलाव आया था वो था कि वो अब बेरहम बन चुका था...ऐसा जो भी रेप केसस के मामले आते वो उन अपराधी को इतनी मार मारता जब तक वो बेहोश नहीं हो जाते....शायद हर लड़की में उसे राधिका की बेबसी नज़र आती और हर अपराधी में बिहारी जैसे कमिने शक्श नज़र आते....
एक महीने बाद राहुल की शादी तय होती हैं निशा के साथ.....निशा को तो मानो उसकी दुनिया मिल गयी थी....वो आज बहुत खुस थी...मगर उसके दिल में आज भी राधिका की कमी हर पल एक दर्द बनकर किसी सुई की तरह चुभती थी.....अब वो घड़ी भी आ चुकी थी जब बारात उसके घर पर आने वाली थी.....और उसके दिल में खुशी के साथ साथ थोड़ी घबराहट भी थी...थोड़ी देर बाद बारात भी आती हैं और शादी के मंगल फेरे भी होते हैं....उस शादी में बड़ी बड़ी हस्ती भी आए हुए थे.....और फिर सुबेह निशा अपने मा बाप को छोड़ कर अपने ज़िंदगी की नयी सफ़र पर निकल पड़ती हैं.....राहुल के साथ उसके नये घर पर.....अपने ससुराल....
शाम को राहुल अपनी शादी की पार्टी देता हैं और रात 10 बजे तक सारे मेहमान एक एक कर वापस लौट जाते हैं....राहुल की शादी में काफ़ी लोग आए हुए थे...थोड़ी देर बाद सारे मेहमान अपने घर चले जाते हैं और रह जाते हैं तो बस केवल राहुल और निशा.....इस वक़्त कमरे में सुहाग सेज पर निशा चुप चाप खामोश बैठी हुई थी....उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था.....सर पर लंबा घूँघट डाले हुए और लाल जोड़े साड़ी में लिपटी....अपने पति राहुल के आने का बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी....वो अच्छे से जानती थी कि आज की रात क्या होने वाला हैं... शायद इसी वजह से उसके चेहरे पर शरम की लालिमा सॉफ छलक रही थी......
सिर से लाकर पाँव तक वो गहनों से लदी थी....और अपने धड़कते दिल से राहुल का बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी.....पल पल उसे ऐसा लग रहा था कि कब राहुल अंदर आएगा और उसे अपनी बाहों में ले लेगा.....थोड़े देर बाद उसके इंतेज़ार की घड़ियाँ ख़तम होती हैं और राहुल सफेद सलवार कुर्ते में अपने कमरे में दाखिल होता हैं....जब उसकी नज़र निशा पर पड़ती हैं तब राहुल के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं.....धीरे धीरे वो निशा के पास आता हैं ....जैसे जैसे उसके कदम निशा की ओर बढ़ते हैं वैसे वैसे निशा की दिल की धड़कनें भी तेज़ होने लगती हैं.....
राहुल वहीं फूलों से सजे बिस्तेर पर आता हैं और निशा के बगल में आकर बैठ जाता हैं..... उसके हाथों में निशा की डायरी थी....वो बड़े गौर से उस डायरी को देख रहा था.....वहीं निशा घूँघट के अंदर चुप चाप अपनी नज़रें नीची करके खामोश बैठी हुई थी....उसे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि बात कहाँ से शुरू करें.....तभी राहुल बोल पड़ता हैं...
राहुल- मैने तुम्हारी पूरी डायरी पढ़ी हैं निशा....मैं जानता हूँ कि तुम मुझसे कितना प्यार करती हो....मगर आज भी राधिका के लिए मेरे दिल में उतना ही प्यार हैं जितना पहले था....और मैं शायद तुम्हें अपनी राधिका की जगह कभी नहीं दे सकता....तुम मेरी बातो का बुरा मत मानना....पर मुझे अभी थोड़ा समय और लगेगा....अगर मेरी बात तुम्हें बुरी लगी हो तो मैं तुमसे माफी माँगता हूँ.....और राहुल निशा के सामने अपने दोनो हाथ जोड़ लेता हैं......और वो फ़ौरन बिस्तेर से हट कर वहीं खड़ा हो जाता हैं.....अगर तुम्हारा मन नही हैं तो मैं तुम्हारी मर्ज़ी के बिना तुम्हें हाथ नहीं लगाउन्गा......
निशा भी तुरंत अपने बिस्तेर से उठती हैं और झट से राहुल की पीठ पर अपना सीने रख देती हैं....और अपने दोनो हाथों से राहुल के सीने को जाकड़ लेती हैं....
निशा- नहीं राहुल.....आज के बाद मैं पूरी तरह तुम्हारी हूँ...तुम्हारा मुझपर पूरा अधिकार है.....मेरे जिस्म, मेरी आत्मा सब पर तुम्हारा हक़ हैं.....बस इतना ही कहूँगी राहुल कि आज मुझे मेरी पत्नी होने का दर्ज़ा मुझे दे दो....मुझे तंन मन से अपना बना लो....
राहुल भी झट से पीछे मुड़ता हैं और निशा को झट से अपनी बाहों में कसकर जाकड़ लेता हैं......फिर वो निशा के चेहरे से घूँघट हटाता हैं.....निशा इस वक़्त बेहद खूबसूरत लग रही थी.....मगर उसकी आँखों में आँसू थे...राहुल अपने हाथ आगे बढ़ाकर धीरे से उसके आँखों से बहते आँसू पोछता हैं और फिर उसके अपनी गोद में उठा लेता हैं ......निशा भी अपनी बाहें राहुल के कंधे पर डाल देती हैं.....और राहुल धीरे से मुस्कुरा देता हैं.....और फिर उसे बिस्तेर पर सुला देता हैं.....
इस वक़्त निशा का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था.....राहुल भी अपने जूते निकाल लेता हैं और वो बिस्तेर पर आकर निशा के पास बैठ जाता हैं.....राहुल बड़े ध्यान से निशा की खूबसूरती को देख रहा था....
निशा- ऐसे क्या देख रहे हो राहुल...मुझे शरम आ रही हैं...
राहुल- देख रहा हूँ कि तुम सच में बहुत खूबसूरत हो....जी कर रहा हैं कि बस तुमें ऐसे ही देखता रहूं.....
निशा- तो देखो राहुल...मैं अब तुम्हारी हूँ....तुम्हारा मुझपर अब पूरा हक़ हैं....फिर राहुल झुक कर धीरे से निशा के लबों को चूम लेता हैं....निशा भी शरम से अपनी आँखे बंद कर लेती हैं....राहुल बड़े हौले हौले निशा से लबों को चूम रहा था .......फिर वो वहीं निशा को बैठने को कहता हैं और निशा के पीछे जाकर अपने होन्ट निशा की नंगी गर्देन पर रखकर वहीं चूम लेता हैं.....निशा को जैसे एक करेंट सा लगता हैं और उसके मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं......आ...........एयेए....आआआआआआआअहह....
राहुल फिर धीरे धीरे अपने हाथों को हरकत करता हैं और सबसे पहले वो उसके माँग पर लगा गहना उतारता हैं फिर उसकी नाक में लगी नथ......और फिर कानों में झुम्की और बस गले में मगल्सुत्र को छोड़ कर एक एक कर उसके जिस्म के सारे गहने वो निकाल देता हैं......निशा की साँसें बहुत तेज़ चल रही थी......जिससे उसके दोनो बूब्स उपर नीचे हो रहे थे.....राहुल बड़े गौर से निशा के सीने को देख रहा था.......फिर से वो निशा के पीछे जाता हैं और उसके ब्लाउज की डोर को अपने दाँतों में फँसाकर धीरे धीरे उसे खींचने लगता हैं......एक बार फिर से निशा तड़प उठती हैं......फिर राहुल उसकी साड़ी का पल्लू उसके सीने से हटा देता हैं और बड़े ध्यान से उसके दोनो दूधो को देखता हैं....
सच तो ये था कि वो निशा के जिस्म को देखकर अपने होश खो बैठा था..... फिर वो अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके गालों पर ले जाता हैं और अपनी उंगली से उसके गालों पर एक दम धीरे धीरे फिराता हैं.....और साथ ही साथ अपने होंटो को उसकी गर्देन पर रख चूमने लगता हैं.....निशा की आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी....फिर धीरे धीरे राहुल अपना हाथ नीचे ले जाता हैं और निशा के एक बूब्स पर रख देता हैं और बड़े प्यार से उसे दबाने लगता हैं.....निशा के लिए ये पहला अनुभव था.....राहुल के ऐसा करने से उसकी चूत गीली होने लगती हैं और लज़्जत में उसकी आँखें बंद हो जाती हैं......
राहुल फिर धीरे धीरे अपने हाथों पर दबाव डालता हैं और अपना दूसरा हाथ भी आगे बढ़ाकर वो निशा के दूसरे बूब्स पर रख देता हैं और धीरे धीरे दबाने लगता हैं.....निशा बस अपने हाथ राहुल की बाहों में डाले हुई अपनी आँखें बंद किए हुई थी.... उसकी चूत इस कदर पानी छोड़ रही थी जैसे उसे ऐसा लग रहा था कि उसकी पैंटी पूरी गीली हो चुकी हैं..... फिर राहुल अपना एक हाथ नीचे ले जाता हैं और उसके नेवेल पर रख कर वहाँ भी हाथ फिराता हैं...और फिर धीरे से वो उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगता हैं......निशा को भी ये सब अच्छा लग रहा था और वो राहुल का कोई भी विरोध नहीं कर रही थी.....
फिर वो अपनी उंगली उसकी साड़ी में फाँसता हैं और धीरे धीरे उसके निकालने लगता हैं...थोड़ी देर बाद निशा के जिस्म से साड़ी जुदा हो जाती हैं...इस वक़्त वो पेटिकोट और ब्लाउज में राहुल के सामने थी.....फिर राहुल अपने दोनो हाथ आगे लेजा कर उसके ब्लाउज के एक एक बटन को खोलता हैं और उसे भी अलग कर देता हैं....फिर वो उसके जिस्म से पेटिकोट भी जुदा कर देता हैं.....निशा इस वक़्त सिर्फ़ काले ब्रा और पैंटी में राहुल के सामने थी....शरम से उसकी आँखें बंद थी.....फिर राहुल एक एक कर अपने सारे कपड़े निकालता हैं और कुछ देर में वो भी बस एक अंडरवेर में निशा के सामने होता हैं....आज निशा पहली बार उसे इस हालत में देख रही थी....
राहुल तेज़ी से अपने हाथों की हरकत कर रहा था और उसके बदन के हर हिस्सों पर अपना हाथ फिरा रहा था.....फिर वो अपना हाथ आगे बढ़ाकर निशा की ब्रा का हुक खोल देता हैं.....कमरे में हल्की नीली रोशनी थी..जिससे महॉल और भी रंगीन लग रहा था......फिर वो अपने हाथ बढ़ाकर निशा की ब्रा को उसके जिस्म से अलग कर देता हैं...निशा झट से अपने दोनो हाथों को अपने मूह पर रख लेती हैं......ये देखकर राहुल मुस्कुरा देता हैं....
राहुल- निशा मैं तो अब तुम्हारा पति हूँ फिर मुझसे कैसी शरम......चल उतार दो अपने ये आखरी कपड़े भी....मैं तुम्हें बिन कपड़ों के देखना चाहता हूँ....
निशा- नहीं राहुल मुझसे ये नहीं होगा....आप ही उतार दीजिए इन्हें......
राहुल फिर अपना हाथ आगे लेजा कर निशा की पैंटी भी झट से उसके बदन से अलग कर देता हैं ...थोड़ी देर बाद निशा की काली पैंटी भी बिस्तेर पर पड़ी रहती हैं....इस वक़्त निशा राहुल के सामने पूरी नंगी हालत में थी ...उसके बदन पर एक कपड़ा नहीं था...था तो बस मन्गल्सुत्र....
राहुल फिर वहीं निशा को बिस्तेर पर सुलाता हैं और फिर से उसके लिप्स पर अपने होन्ट रख देता हैं और बड़े प्यार से चूसने लगता हैं.....और अपने दोनो हाथों से निशा के दोनो बूब्स को मसल्ने लगता हैं.....निशा के मूह से लगतार सिसकारी निकल रही थी.....राहुल लगातार उसके दोनो निपल्स को अपनी दोनो उंगलियों से मसल रहा था.....और उधेर निशा की चूत बहुत बुरी तरह पानी छोड़ रही थी.....फिर राहुल अपना अंडरवेर भी निकाल देता हैं और उसका लंड निशा के सामने आ जाता हैं.....जब निशा की नज़र राहुल के लंड पर पड़ती हैं तब वो शरमा कर अपनी नज़रें झुका लेती हैं..... ये देखकर राहुल मुस्कुरा पड़ता हैं....
राहुल- मेरा हथ्यार कैसा हैं निशा....
निशा कुछ बोल नहीं पाती और उसका चेहरा शरम से लाल पड़ जाता हैं.....
राहुल- जवाब दो ना तुम्हें पसंद आया कि नहीं....
निशा- मुझे नहीं मालूम.... मुझे शरम आती हैं.....
फिर राहुल अपने होन्ट निशा की गर्देन पर रख देता हैं और उसके पूरे बदन पर अपना जीभ फिराता हैं .....एक बार फिर से निशा तड़प उठती है.....फिर वो अपने जीभ को निशा के दो छोटे छोटे निपल्स पर रख देता हैं और उसे बड़े हौले हौले चूसने लगता हैं.....निशा भी अब खुल कर मज़ा ले रही थी......फिर वो नीचे की ओर बढ़ता हैं और अपनी जीभ सरकाते हुए हौले हौले उसके चूत के पास ले जाता हैं और अपना जीभ निशा की चूत पर रखकर उसे चूम लेता हैं....निशा इस बार चीख पड़ती हैं.......
फिर राहुल अपने जीभ को वहीं निशा की चूत पर धीरे धीरे फिराने लगता हैं और धीरे धीरे उसे चाटना शुरू करता हैं...अपने दोनो हाथों को वो निशा की चूत के पास ले जाता हैं और उसकी दोनो फांकों को अलग करता हैं और उसके छेद में अपनी जीभ डाल कर अपनी जीभ को हरकत देता हैं.....ऐसे ही दो तीन बार करने से निशा का सब्र टूट जाता हैं और वो चीखते हुए झड़ने लगती हैं.....आआआआआ.............हह.................आअहह.....और वहीं धम्म से बिस्तेर पर लेट जाती हैं......उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था.......और वो बहुत मुश्किल से अपनी सांसो को कंट्रोल कर रही थी..
इस वक़्त निशा की आँखें बंद थी...राहुल बड़े गौर से उसके चेहरे को देख रहा था.....फिर वो उठता हैं और अपने होंटो को फिर से निशा के होंटो पर रखकर चूसने लगता हैं....निशा फिर से गरम होने लगती हैं.....राहुल उसे अपने लंड को मूह में लेने को कहता हैं और निशा मुस्कुरकर धीरे से नीचे झुक जाती हैं और धीरे धीरे अपने मूह को पूरा खोल देती हैं......फिर वो धीरे धीरे राहुल के लंड की टोपी को अपने मूह में लेकर चूसने लगती हैं....राहुल की मज़े से आँखें बंद हो जाती हैं....थोड़ी देर तक वो ऐसे ही राहुल का लंड चूसति हैं और अपनी जीभ पूरे उसके लंड पर फिराती हैं.....राहुल के मूह से लगातार सिसकारी निकल रही थी....
थोड़ी देर बाद राहुल एक शीशी में तेल लाता हैं और थोड़ा सा अपने लंड पर लगाता हैं...और थोड़ा सा तेल निशा की चूत पर भी मल देता हैं....फिर वो निशा को बिस्तेर पर पीठ के बल सुलाता हैं और धीरे से उसके उपर चढ़ जाता हैं.....इस वक़्त निशा की चूत पूरी तरह से गीली थी और राहुल का लंड उसकी चूत से पूरा सटा हुआ था.....फिर वो अपना लंड निशा की चूत पर रखता हैं और धीरे धीरे अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं.....
राहुल- निशा तुम्हारा पहली बार हैं तो तुम्हें दर्द होगा...तुम प्लीज़ ये दर्द मेरी खातिर बर्दास्त कर लेना....बाद में तुम्हें फिर अच्छा लगेगा.....
निशा- तुम्हारी खातिर मुझे सब मंज़ूर हैं राहुल...फिर ये दर्द क्या चीज़ हैं.....आज मुझे लड़की से हमेशा के लिए औरत बना दो राहुल......तुम मेरी फिकर मत करना .....
राहुल फिर धीरे से अपना लंड निशा की चूत पर रखता हैं और धीरे धीरे दबाव डालना शुरू करता हैं...निशा का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था....वो भी राहुल का पूरा समर्थन करती हैं....राहुल अपना लंड पहले धीरे से अंदर की ओर पुश करता हैं फिर वो बाहर निकाल कर तेज़ी से तुरंत अंदर डाल देता हैं......उसका लंड करीब 3 इंच तक अंदर चला जाता हैं....निशा की ज़ोर से चीख निकल पड़ती हैं..आआआआआ............हह....
राहुल फिर से थोड़ा सा अपना लंड बाहर निकालता हैं और इस बार बिना रुके वो दबाव बढ़ाने लगता हैं....लंड तेज़ी से अंदर की ओर घुसता चला जाता हैं... इधेर निशा की वर्जिनिटी को तोड़ते हुए उसका लंड पूरा अंदर गहराई में घुस जाता हैं..... निशा इस वक़्त दर्द से चीख रही थी और उसकी आँखों में आँसू थे....मगर वो राहुल को एक भी बार रोकने की कोशिश नहीं कर रही थी....थोड़ी देर बाद राहुल उसके होंटो को चूस्ता हैं और अपना लंड वहीं रहने देता हैं....कुछ देर बाद निशा पहले से थोड़ा अच्छा फील करती हैं और फिर राहुल एक बार पूरा अपना लंड बाहर निकालता हैं और उतनी ही तेज़ी से अंदर की ओर डाल देता हैं...इस बार राहुल का पूरा लंड निशा की चूत में समा जाता हैं.....
निशा सिर्फ़ दर्द से तड़प रही थी और लगातार चीख रही थी.....राहुल उसकी परवाह किए बगैर अपना लंड तेज़ी से आगे पीछे करना शुरू कर देता हैं और थोड़ी देर बाद निशा का भी दर्द कम होने लगता हैं...इस वक़्त राहुल का लंड खून से सना हुआ था...और कुछ खून की बूँदें बिस्तेर पर भी गिरी थी....वो अपनी रफ़्तार कम नहीं करता हैं एक हाथ से वो निशा के बूब्स को मसलता हैं और अपने होंटो से उसके होंटो को चूस्ता हैं..... आब निशा की भी आहें तेज़्ज़ हो रही थी...करीब 15 मिनिट बाद राहुल अपने चरम पर पहुँच जाता हैं और अपना सारा कम निशा की चूत में निकाल देता हैं....निशा भी चीखते हुए दुबारा झाड़ जाती हैं........इस वक़्त दोनो बिस्तेर पर एक दूसरे की बाहों में नंगे पड़े हुए थे......
थोड़ी देर बाद राहुल फिर से निशा को सुलाता हैं और फिर से उसकी चूत में अपना लंड डालकर उसकी फिर से चुदाई करता हैं....उस रात राहुल ने तीन बार निशा की चूत मारी थी और एक बार निशा की गान्ड में भी अपना लंड डाला था.....पहली बार निशा का अनल सेक्स से उसे बहुत तकलीफ़ हुई लेकिन बाद में उसे भी मज़ा आने लगा......
सुबेह जब निशा की आँख खुलती हैं तो वो इस वक़्त राहुल की बाहों में नंगी पड़ी थी...झट से वो चादर लेती हैं और अपने नंगे बदन पर डाल लेती हैं.....राहुल की भी आँखें खुल जाती हैं और वो फिर से निशा को अपनी बाहों में ले लेता हैं और उसके बूब्स और निपल्स को अपनी उंगलियों से मसल्ने लगता हैं.....निशा फिर से गरम होने लगती हैं और फिर एक राउंड उनके बीच चुदाई का खेल शुरू हो जाता हैं.....
......................................................
वक़्त बीतता गया और धीरे धीरे राहुल राधिका का गम भूलने लगा.....निशा उसका पूरा ख्याल रखती....और उसे कभी भी अकेला नहीं छोड़ती....धीरे धीरे राहुल भी अपने कामों में व्यस्त होता गया.....इधेर निशा भी अपने घर के कामों में व्यस्त रहने लगी....मगर उनकी सेक्स लाइफ मस्त रहती...निशा कभी भी राहुल को मना नहीं करती और जैसा राहुल उसके साथ सेक्स करना चाहता वो उसका पूरा समर्थन करती....मगर हर सुबेह जब राहुल की नींद खुलती वो सबसे पहले राधिको को ही याद करता.....आज भी राधिका उसके जेहन में बसी हुई थी....धीरे धीरे राहुल भी अब निशा को चाहने लगा था.....
वक़्त बीतता गया और निशा और राहुल की शादी को पूरे दो साल बीत गये....और राधिका को भी गुज़रे दो साल हो चुके थे.....उनके घर पर भी एक छोटा सा मेहमान आ गया था.....निशा ने एक बेटी को जनम दिया था.....वो अभी फिलहाल एक साल की थी.....बिल्कुल प्यारी सी मासूम ....हर सुबेह राहुल उसे अपनी गोद में खिलाता और ढेर सारा प्यार उसपर लुटाता....आज पूरे दो साल बीत जाने पर भी राहुल आज भी राधिका को भूल नहीं पाया था.....वो सबसे पहले आज भी राधिका की तस्वीर देखकर ही उठता था और अपने पर्स में रखा राधिका की फोटो को वो सबसे पहले चूमता था.....अब राहुल भी निशा को बहुत चाहने लगा था.......
एक सुबेह जब राहुल की नींद खुली तब उसे सबसे पहले यही ध्यान आया कि आज राधिका का बर्तडे था....इस वक़्त उसकी बेबी वहीं बगल में सो रही थी...और निशा अपने घर के काम में व्यस्त थी...वो बड़े प्यार से अपने बेटी के सिर पर अपना हाथ फेर रहा था.....फिर वो पर्स निकालता हैं और उस पर्स में राधिका की फोटो थी वो उसे चूम लेता हैं.....और फिर अपनी आँखें बंद कर कुछ सोचने लगता हैं.....
"राहुल अपनी पोलीस की वर्दी में घर के अंदर आता हैं और डोर बेल बजाता हैं.....थोड़ी देर बाद दरवाज़ा खुलता हैं..... सामने राधिका खड़ी हुई हाथों में गुलाब का फूल लिए उसे देख कर मुस्कुरा रही थी......वो भी बड़े प्यार से उसे देखने लगता हैं .....इस वक़्त वो सफेद सूट में खड़ी थी और लाल चुनरी उसने ओढ़ रखी थी....आज भी वो पहले की तरह खूबसूरत लग रही थी.....राहुल झट से उसके पास आता हैं और उसके लबों पर अपने लब रखकर उसके लबों को चूम लेता हैं....राधिका भी मुस्कुरा कर अपनी आँखें बंद कर लेती हैं......और अपना एक हाथ आगे लेजा कर वो राहुल के सिर पर बड़े प्यार से अपना हाथ फेरती हैं....राहुल एक नज़र राधिका की आँखों में देखता हैं फिर वो अपनी जेब से वहीं हीरे की अंगूठी निकालता हैं और बड़े प्यार से राधिका के हाथों में वो अंगूठी पहना देता हैं....राधिका जवाब में बस मुस्कुरा देती हैं और इतना ही कहती हैं .......तुम नहीं सुधेरोगे........देखो आज तुम्हारी बेबी एक साल की हो गयी हैं...वो तुम पर गयी हैं....आख़िर वो भी मेरी बेटी हैं.......बस राहुल उसका ध्यान रखना और उसकी अच्छी परवरिश करना....उसे हर बुराई से बचाना....और मेरे जैसे उसे मज़बूर ना बनने देना......क्यों कि मैं नहीं चाहती कि अब किसी और राधिका का दुबारा जनम हो..... बस इतना ही कहूँगी राहुल की मुझे कभी भूल ना जाना....आइ लव यू राहुल.....मैं आज भी तुम्हें उतना ही प्यार करती हूँ जितना पहले करती थी....फिर राधिका राहुल का माथा चूम लेती हैं और फिर वो तुरंत कमरे के बाहर निकल जाती हैं और बिना मुड़े वो दूर बहुत दूर चली जाती हैं राहुल चुप चाप वहीं खामोश सा खड़ा होकर राधिका को ऐसे जाते हुए देखता हैं .......थोड़ी देर बाद राधिका उसकी नज़रो से ओझल हो जाती हैं.......राहुल झट से अपनी आँखें खोल लेता हैं.....आज भी उसकी आँखों में आँसू आ गये थे.....ये सब ख्वाब थे जो कभी पूरे नहीं हो सकते थे मगर आज भी वो राधिका की याद को अपने दिल में सँजोकर रखा हुआ था..... राहुल- मैं वादा करता हूँ जान मैं अपनी बेटी की परवरिश में कोई कमी नहीं आने दूँगा...और उसे तुम जैसा बहादुर और स्ट्रॉंग बनाउन्गा.....आज भले ही तुम इस दुनिया में नहीं हो तो क्या हुआ मगर आज भी मेरे दिल में तुम ज़िंदा हो मेरी रगों में लहू बनकर. ...मैं तुम्हें कैसे भूल सकता हूँ जान.......आज भले ही तुम मुझसे बहुत दूर चली गयी हो मगर मैं जब तक जीउँगा तुम्हें कभी नहीं दिल से भुला पाउन्गा.....आइ लव यू जान....... आइ मिस यू टू...................................................................." यही ज़िंदगी का दस्तूर हैं.....कुछ पाना हैं तो कुछ खोना हैं......ये सब तो आता जाता रहता हैं मगर कुछ ऐसी यादें होती हैं जो इंसान चाह कर भी उसे कभी नहीं भुला सकता......और कभी कभी वो उन्ही यादों के सहारे वो अपनी ज़िंदगी काट लेता हैं....... यही तो हैं ज़िंदगी......बस इसी का नाम हैं ज़िंदगी........हां शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी........या वक़्त के हाथो मज़बूर......................................................"
END
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20-09-2019, 12:54 PM
(This post was last modified: 20-09-2019, 08:00 PM by thepirate18. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
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(21-09-2019, 01:06 AM)bhavna Wrote: Super hot story.
Thank you ....repps added
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समझ नहीं आ रहा है कि मैं इस कहानी को लेकर क्या राय दु बस लेखक को यही कहना चाहती हूं कि ऐसी कहानी बार बार नही लिखी जाती बस अपनी कलम को और सोच को एक नए तरीके से दुनिया के सामने रख दिया है thanks
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Mind blowing boss. Read in xossip long time back. Good classic.
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26-09-2019, 02:21 AM
(This post was last modified: 26-09-2019, 02:24 AM by kamdev99008. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(19-09-2019, 08:59 PM)thepirate18 Wrote: वक़्त के हाथों मजबूर
This not my story .....this one of my favorite story ....so all credit goes to original writer (best writer forgot name )
original writer [b]Ajaykumar82[/b] witten and posted earlier on xossip....... writer is now joined xossipy already with one old incomplete story repost and one new story
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