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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#21
Update 14

आज राधिका के मंन में हज़ारो सवाल उठ रहे थे. उपर से निशा के ऐसे तेवर देखकर उसे खुद विश्वास नही हो रहा था. वो कॉलेज अटेंड कर के घर आती हैं और फ्रेश होकर खाना बनाती हैं.

दूसरे दिन सुबह ही राहुल का फोन आता हैं और वो राधिका से मिलने के लिए बेचैन रहता हैं. आज सनडे होने के कारण वो राधिका को लेने उसके घर आता हैं और कुछ देर में वो उसे अपने घर ले जाता हैं.

राहुल- जान अब तो मैं यही सोचता हूँ कि जल्दी से जल्दी हम शादी कर ले.

राधिका- हां तो जनाब कब मुझे मन्गल्सुत्र पहना रहे हैं.

राहुल- बहुल जल्दी. देख लेना ऐसा बारात लेकर आउन्गा की सारा सहर देखता रह जाएँगा. और मैं अपनी दुल्हन को अपनी बाहों में उठाकर इस घर में ले आउन्गा.

राधिका- लेकिन आप तो हम से सुहाग रात पहले ही मना चुके हैं. अब उसका क्या.

राहुल- अरे तो क्या हुआ ये सब चीज़ों से भला कभी मन भरता हैं क्या. और राहुल मुस्कुरा देता हैं और राधिका भी शरम से अपनी नज़रें नीचे झुका लेती हैं.

राहुल- अरे वाह हमारी दुल्हन तो हम से शरमा रही हैं. लगता हैं आभी भी पूरी शरम गयी नही हैं. आज पूरी बची हुई भी उतार दूँगा.

राधिका का चेहरा शरम से लाल हो जाता हैं.और वो भी धीरे से मुस्कुरा देती हैं.

कुछ देर इधेर उधेर की बातें होती हैं फिर दोनो नाश्ता करते हैं और फिर राहुल उसे अपने कमरे में ले जाता हैं.

अंदर आकर वो झट से राधिका को कस कर अपनी बाहों में ले लेता हैं और अपने लब से राधिका के लब को चूम लेता हैं. और फिर धीरे धीरे उसे अपने दाँतों से काटने लगता हैं और जवाब में राधिका भी अपना बदन को उसके हवाले कर देती हैं और अपनी आँखें बंद कर के अपना हाथ उसके सर पर फिराती हैं.

कुछ देर तक ऐसे ही वो दोनो आपस में एक दूसरे के होंठ चूस्ते और चाट ते हैं.

राहुल जब से राधिका से मिला था वो कुछ परेशान सा दिख रहा था, और राधिका भी उसके चेहरे पर परेशानी सॉफ सॉफ पढ़ लेती हैं.

राधिका- अपने से राहुल को दूर करते हुए. बात क्या हैं राहुल मैं जब से तुमसे मिली हूँ तुम कुछ परेशान से दिख रहे हो.

राहुल- हां जान , क्या करू बात ही ऐसी हैं.

राधिका- मुझे नही बताओगे क्या.

राहुल- राहुल कुछ देर तक सोचता हैं फिर बोलना शुरू करता हैं.

राहुल- दर-असल परसों रात में दो बदमाश मारे गये थे पोलीस मुठभेड़ में. जानती हो वो दोनो कौन थे.

राधिका- चौुक्ते हुए, कौन???

राहुल- याद हैं जब मैं पहली बार तुमसे मिलने तुम्हारे घर आया था तब किसी ने मुझपर हमला किया था, वो दोनो हमलावर यही थे. ये तो बस मोहरे थे मगर इनका लीडर अभी पकड़ा नही गया हैं.

राधिका- चलो राहुल ये तो और भी अच्छा हुआ, मगर आगे से तुम सावधान रहना.

राहुल- मुझे तो ये चिंता सता रही हैं कि मेरी हर पल पल की खबर इनके पास कैसे पहुचती हैं. कोई तो ऐसा आदमी हैं जो हमारी पोलीस फोर्स में इनको पल पल की खबर दे रहा हैं. वरना मैं उस दिन तुम्हारे यहाँ पहली बार आया था और ये सब इनको कैसे मालूम हुआ कि मैं इस वक़्त तुम्हारे घर पर हूँ. जबकि मैं उस दिन किसी को ये बात नही बताई थी.

राधिका- एक दम से उसे कुछ याद आता हैं. मैं यकीन से तो नही कह सकती राहुल मगर हो ना हो इन हमलावरो के पीछे ज़रूर तुम्हारे दोस्त विजय का हाथ हो सकता हैं.

राहुल- चौुक्ते हुए. तुम कैसे इतना यकीन से कह सकती हो. क्या तुम्हारे पास कोई सुबूत हैं.

राधिका- याद हैं राहुल जब तुम पर हमला हुआ था उसके करीब 20 मिनिट पहले तुम्हारे दोस्त विजय का फोन आया था.और तुमने ही तो उसे बताया था कि तुम इस वक़्त मेरे घर पर हो.

राहुल- हां मानता हूँ की विजय का 20 मिनिट पहले फोन आया था, लेकिन वो तो हर रोज़ मुझसे ऐसी ही बातें करता हैं. और रोज़ मुझसे मिलकर अपना हाल चाल जानकार अपने क्लिनिक चला जाता हैं. नही वो ऐसा नहीं कर सकता.

राधिका- लेकिन ये बात तो उस वक़्त बस विजय ही जानता था की तुम कहाँ पर हो. और हो सकता हैं वो ही तुम पर हमला करवाया हो.

राहुल- नही राधिका, विजय को मैं अच्छे से जानता हूँ, वो मेरे दोस्त ही नही बल्कि मैं उसे अपना छोटे भाई की तरह मानता हूँ. वो ऐसा कभी नही कर सकता. और ये भी तो हो सकता हैं कि उन हमलावरो ने मेरी गाड़ी का पीछा किया हो और मौका देखकर मुझपर हमला कर दिया हो.

राधिका- जो भी हो राहुल मुझे ये तुम्हारा दोस्त कुछ ठीक नही लगता. मैं तो बस यही कहूँगी कि तुम बस सावधान रहना.

राहुल- मुझे कुछ नही होगा राधिका. तुम जो मेरे साथ हो. देख लेना एक दिन साले सब पकड़े जाएगे. और तुम बे-वजह मेरे दोस्त पर शक कर रही हो. वो ऐसा नहीं हैं.

राधिका भी अब कुछ बोलना ठीक नही समझी और फिर वो राहुल की आँखों में एक टक देखने लगती हैं.राधिका ने जिस तरफ उसको इशारा किया था अगर राहुल विजय के बारे में ज़रा भी सीरीयस होता तो आने वाले तूफान को रोकना उसके हाथ में था. मगर यहाँ पर किस्मत को शायद कुछ और ही मंज़ूर था.

कहते हैं कि अगर बड़े ख़तरे टलने हो तो आस पास के छोटे ख़तरों को नज़र अंदाज़ नही करनी चाहिए. बस यहाँ पर राहुल की एक छोटी सी भूल की वजह से ना जाने कितनों की ज़िंदगी पर इसका असर पड़ने वाला था.

राधिका- हो गया ना मिस्टर. आपका टेन्षन ख़तम.

राहुल- राधिका को गले लगाते हुए. हां जान तुम मेरे साथ होती हो तो मैं सब कुछ भूल जाता हूँ. चलो इसी खुशी में कुछ मूह मीठा करते हैं.

राहुल किचन में जाकर एक बटर केक ले आता हैं और अपने मूह में आधा रख लेता हैं.

राधिका- ये क्या राहुल मुझे मूह मीठा करने से पहले तुम खुद ही अपने मूह मीठा कर लिए.

राहुल- आज हम ऐसे ही आपका मूह मीठा कराएँगे. राहुल बटर केक को मूह से निकालते हुए कहता हैं और फिर अपने मूह में वापस रख लेता हैं.राधिका भी समझ जाती हैं की राहुल क्या चाहता हैं और वो मुस्कुरा कर उसके करीब चली जाती हैं.

राधिका भी अपना मूह खोलती हैं और राहुल के मूह में आधे बटर को धीरे धीरे अपने मूह में लेना शुरू कर देती हैं. राहुल भी एक हाथ बढ़ाकर उसके सीने पर रख देता हैं और कस कर उसके निपल्स को अपनी उंगली से मसल देता हैं. राधिका के मूह पहले से ही राहुल के मूह में था इस वजह से वो कुछ नही बोल पाती और धीरे धीरे उसके हाथ सरकते हुए राधिका की कमर के नीचे उसके गान्ड पर सरकने लगते हैं.

राहुल भी अब पूरा केक राधिका के मूह में दे देता हैं और राधिका बड़े ही प्यार से उसे खा जाती हैं.

राधिका- लगता हैं अब मुझे ऐसे ही खाना भी खाना पड़ेगा.

राहुल- तो इसमें क्या बुराई हैं. क्यों टेस्ट अच्छा नही लगा क्या.

राधिका- देख रहीं हूँ राहुल अब तुम भी धीरे धीरे बदमाश होते जा रहे हो. और राधिका फिर से मुस्कुरा देती हैं....

राहुल- पहले ये बताओ कि बटर केक का टेस्ट कैसा था.

राधिका-हां वैसे तो कोई बुरा नही था.ठीक ही था. इतना कहकर राधिका मुस्कुरा देती हैं.

राहुल- आज तो जी चाहता हैं कि मैं तुम्हारा रेप कर दू. कसम से जब से तुम मेरे संपर्क में आई हो और भी निखरती ही जा रही हो.

राधिका- तो कर लो ना मैने कब मना किया हैं. वैसे पोलीस वालों के लिए बलात्कार करना कोई नयी बात थोड़ी ही ना हैं.

राहुल- जाने दो नहीं करता. नहीं तो कहोगी की तुममें और बाकी पोलिसेवालों में क्या फ़र्क हैं.

राधिका- अगर नही किए तो अब मैं तुम्हारा रेप करूँगी. फिर कल अख़बार में नयी खबर आएगी कि एक लड़की ने पोलिसेवाले की इज़्ज़त लूट ली और उस पोलिसेवाले ने नदी में कूदकर अपनी जान दे दी. राधिका मुस्कुराते हुए बोली.

राहुल- यार सच में तुम कमाल की हो. किसी की भी वॉट लगाने में बिल्कुल देऱ नही करती हो. सच ही लोग तुम्हारे बारे में कहते हैं कि तुम पूरी आटम बॉम्ब हो.

राधिका- अगर अब तुमने भी मुझे आटम बॉम्ब बोला ना ..तो मैं अभी यहाँ से चली जाउन्गि. फिर हाथ मलते रहना.

राहुल- नही हाथ तो नही मगर कुछ और ही मलना पड़ेगा. राधिका राहुल की बात समझते ही उसे ज़ोर से पिंच कर देती हैं.

राधिका- देख रही हूँ की तुम बहुत बिगड़ गये हो.

राहुल भी उसे अपनी बाहों में ले लेता हैं और अपने होंठ उसके होंठ पर रखकर धीरे धीरे उसे चूसने लगता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और वो अपना हाथ उसके सर पर रख देती हैं.

कुछ देर तक दोनो ऐसे ही एक दूसरे के होंठ चूस्ते हैं फिर राहुल अपने हाथ धीरे धीरे बढ़ाते हुए उसके सीने पर रख देता हैं और दूसरा हाथ उसके गान्ड पर रखकर धीरे धीरे मसलना शुरू कर देता है.

राधिका- प्लीज़ राहुल, मैं बहुत प्यासी हूँ, मेरी आग आज ठंडी कर दो ना.

राहुल- तो बताओ ना तुम्हारी आग को मैं कैसे ठंडा करू. कहों तो पानी ले कर आऊ.

राधिका- घूर कर देखते हुए. जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती.

राहुल- अरे मेरी जान नाराज़ क्यों होती हो, बताओगि नही तो मैं तुम्हारे आग का इलाज़ कैसे करूँगा.

राधिका भी समझ चुकी थी कि राहुल उससे क्या कहलवाना चाहता हैं. लेकिन राधिका को अभी भी ये सब बोलने में झिझक हो रही थी.

राधिका- राहुल मुझे शरम आती हैं वो सब बात करने में. प्लीज़ ऐसे ही कर लो ना आज. ज़रूरी हैं क्या हर बात बोलना.

राहुल- क्यों खाना खाती हो तो पानी नही पीती क्या. वैसे ही ये भी ज़रूरी हैं. अगर नही कहोगी तो मैं भी आज कुछ नही करने वाला.

राहुल - बोलो ना जान. मुझसे कैसी शरम आज मैं तुम्हारी बेशर्मी देखना चाहता हूँ. क्या तुम मेरे लिए इतना भी नही कर सकती.

राधिका- पहले से ही बेशरम बना दिया हैं मुझे, और अब क्या बाकी रह गया हैं.

राहुल- तो फिर देर किस बात की है, चलो शुरू हो जाओ.

राधिका- ठीक हैं राहुल अगर तुम्हें ये सब से खुशी मिलती हैं तो ये ही सही. आज मैं तुम्हें अपनी पूरी बेशर्मी दिखाउंगी अगर सच में अगर तुम ना शरमा गये तो मेरा नाम भी राधिका नहीं.

राहुल- तो देख लेते हैं कि किसमे कितना दम हैं.

राधिका- अब बातें भी करोगे या कुछ शुरू भी करोगे.

राहुल- मैं नही कुछ करने वाला आज जो भी करोगी तुम करोगी. समझ लो कि मैं नया हूँ और तुम मुझे आज सब कुछ सिखा रही हो.

राधिका- अच्छा, ये क्या बात हुई. जाओ .......मैं........... ये नही कर सकती.

राहुल- फिर ठीक हैं मैं भी अब जाता हूँ.

राधिका तुरंत राहुल का हाथ पकड़ लेती हैं और उसका हाथ अपने राइट बूब्स पर रखकर ज़ोर से मसल देती हैं.

राधिका- आओ ना राहुल, मैं तुमसे चुदवाना चाहती हूँ. आओ और अपने राधिका को अच्छे से , अपने लंड को मेरी चूत में रगड़ कर चोदो.

अब चौकने की बारी राहुल की थी. उसने कभी सपने में भी राधिका से ऐसी उम्मीद नही की थी. और उसका बड़ा सा मूह खुल जाता हैं.

राधिका- ऐसे क्या देख रहे हो मैने कुछ ग़लत तो नही कहा ना. जो तुम चाहते थे वही तो बोला हैं.

राहुल- राधिका , मुझे तो अब भी यकीन नही हो रहा कि तुम इतनी बिंदास होकर ऐसे बातें कैसे बोल सकती हो.

राधिका अपने सर पर हाथ रखकर- हे भगवान!!! अब मैं क्या करू. नही बोलती हूँ तो कहते हो बोलो. अब बोल दिया तो कह रहे हो कैसे बोल दिया. अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ...........

राहुल- ठीक हैं , ठीक हैं, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, जो तुम्हे अच्छा लगे तुम बोलो. मैं अब कुछ नहीं बोलुगा.

राधिका- यार तुमने तो अच्छे भले चुदाई के खेल का पूरा सत्यनाश कर दिया. मेरी बात मानो थोड़ा फ्रेश हो जाते हैं फिर बाद में देखेंगे.

अब राहुल भी बुरा सा मूह बनाकर बिस्तर से उठ जाता हैं और फिर बाथरूम में जाकर मूह हाथ धो कर आता हैं.

राहुल- चलो पहले खाना खा लेते हैं फिर..बाद में वो सब करेंगे. अभी तो पूरा टाइम पड़ा हैं.

कुछ देर में राहुल और राधिका नीचे आते हैं और फिर रामू काका वही ड्रॉयिंग टेबल पर खाना परोसते हैं.

कुछ देर तक राहुल चुप चाप खाना ख़ाता हैं और फिर राधिका से कहता हैं.

राहुल- एक बात तो मैं तुम्हें बताना भूल ही गया. अगले हफ्ते मेरा प्रमोशन हो रहा हैं. मैं अब सब-इनस्पेक्टर से एसीपी बनने वाला हूँ. और मुझे नॉमिनेट करने के लिए सहर से बड़े बड़े लोग भी आ रहे हैं. तुमको भी ज़रूर आना होगा.

राधिका- तुमने ये कैसे सोच लिया कि मैं नही आउन्गि. ज़रूर आउन्गि. और तुमसे ज़्यादा मुझे खुशी होगी. मुझे उस दिन का बेसब्री से इंतेज़ार रहेगा.............................................

खाना खाने के करीब 1/2 घंटे बाद राहुल राधिका को अपने गोद में उठाकर सीधा अपने रूम में ले जाता हैं.

राधिका- अरे ये क्या कर रहे हो राहुल . मुझे नीचे उतारो प्लीज़.

राहुल- नहीं. अब तो मैं सीधे तुम्हे अपने बेडरूम में लेजाकार ही नीचे उतारूँगा.

राधिका भी अपनी बाहें राहुल के गले में डाल देती हैं और वो मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखने लगती हैं.

राहुल- ऐसे क्या देख रही हो जान.

राधिका- सोच रही हूँ कि आज तुम्हें मैं पूरी तरह से खुस कर दूं ताकि आज के बाद तुम्हें मुझसे कोई गिला शिकवा ना रहे.

राहुल- खुशी से चहकते हुए. सच में तो इसका मतलब जो मैं चाहता हूँ तुम वो सब करोगी.

राधिका- हां जो बोलॉगे वो सब करूँगी. अरे आज तो तुम्हें कुछ सिखाना भी हैं ना...........मिस्टर.

राहुल- क्या बात हैं जान आज तक मैने तुम्हारा ये रूप पहले कभी नहीं देखा.

राधिका- आज तो मैं तुम्हें बहुत कुछ दिखाने वाली हूँ जो तुमने आज तक नही देखा. और राधिका के चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं.

राहुल जैसे ही राधिका को अपने रूम में ले आता हैं वो झट से उसे नीचे उतारता हैं और फिर दरवाज़े बंद कर लेता हैं.

राधिका भी राहुल को धक्का देकर उसे बेड पर गिरा देती हैं और फिर वही बेड के पास वो वही खड़ी रहती हैं.

राहुल- राधिका बताओ ना कहीं तुम मेरा सच में रेप तो नहीं करने वाली हो ना. अगर ऐसा हैं तो लगता हैं मुझे सच में शूसाइड करना पड़ेगा. तुम तो जानती हो ना ये कितने शर्म की बात होगी कि एक पोलिसेवाले का रेप वो भी उसी की प्रेमिका के हाथों.

राधिका अपनी एक उंगली अपने लिप्स पर रखती हैं और राहुल को चुप होने का इशारा करती हैं. राहुल भी बेचारा चुप होकर राधिका को देखने लगता हैं.

राधिका- आज मैं बोलूँगी और तुम चुप चाप सुनोगे. और राधिका अपना दुपट्टा अपने सीने से हटा देती हैं और उसे एक तरफ़ रख देती हैं.

राहुल- बोलो ना राधिका तुम क्या करने वाली हो. मेरा दिल बैठा जा रहा हैं.

राधिका- कहाँ ना अपना मूह बंद रखो.

राधिका फिर धीरे से राहुल के एक दम करीब आती हैं और अपना होंठ उसके होंठ पर रखकर धीरे धीरे उसे चूसना शुरू कर देती है. और कुछ देर में अपने दाँत से उसके लिप्स को हल्का सा काटने लगती हैं.

फिर वो धीरे से उठकर अपने बूब्स को राहुल के मूह पर धीरे धीरे रगड़ना शुरू कर देती हैं.

राधिका- क्यों आपका लंड अभी खड़ा हुआ कि नही. राधिका के अचानक ऐसे सवाल से राहुल तुरंत हड़बड़ा जाता हैं.

राहुल- राधिका......... सच में तुम बहुत बोल्ड हो.

राधिका- अभी तुमने मेरा बोल्डनेस देखा ही कहाँ हैं. ये तो बस शुरूआत हैं. देखते जाओ आगे आगे मैं क्या करती हूँ.

राधिका फिर धीरे से अपना कुरती उतार देती हैं और अब वो ब्रा में राहुल के सामने थी.

राधिका- क्या आँखें फाड़ कर देख रहे हो. मुझे बिना कपड़ों के पहले कभी नही देखा क्या.

राधिका के ऐसे तेवर को देखकर राहुल की बोलती पहले से ही बंद हो चुकी थी. आज मैं बताती हूँ कि रेप क्या होता हैं. आज इतिहास में एक लड़की एक लड़के का रेप करेगी. वो भी पोलीस वाले का .बोलो मुझपर कौन सी धारा और चार्जेशेट फाइल का केस करोगे .

राहुल- आरे मेडम क्यों तुम मेरी बॅंड बजाने पर तुली हो. अरे मेरी बस इतनी ही खता हैं कि मैने तुम्हें ज़रा खुलकर सेक्सी बातें करने को कहा था और तुम ................. लगता हैं सच में आज मेरी शामत आने वाली हैं.

राधिका अपना हाथ आगे बढ़ाकर राहुल के शर्ट का बटन को एक एक कर खोलने लगती हैं. फिर वो उसका पेंट भी उतार देती हैं.

राधिका उसके उपर आ जाती हैं और फिर एक दम धीरे धीरे अपने लब से चूमते हुए पहले उसके होंठ और फिर गर्देन से होते हुए उसके सीने पर अपना होंठ फ़िराने लगती हैं. और फिर उसका बनियान भी निकाल देती हैं. फिर से वो अपनी जीभ से धीरे धीरे चाटते हुए उसके निपल्स और पेट पर अपनी जीभ फिराती हैं. राहुल की हालत खराब होने लगती हैं और वो कस कर राधिका के बूब्स को मसल देता हैं.

राहुल- क्या जान आज सच में मुझे पागल बनाने का इरादा हैं क्या. कहाँ से सीखा ये सब.

राधिका- मैने बहुत सी ब्लू फिल्म्स में ऐसे देखा हैं. बस कुछ देख कर और कुछ.........................

राहुल- और कुछ?????क्या मतलब...... राहुल हड़बड़ाते हुए बोला.

राधिका- क्यों तुम मर्द लोग ही सब मज़े कर सकते हो क्या हमारा कोई हक़ नही बनता.

राधिका- रहने दो नही तो कहोगे कि मैं कॅरक्टर लेस हूँ. वैसे भी तुम तो बड़े शरीफ बनते हो.

राहुल- बनते हो का क्या मतलब... शरीफ हूँ. मैं तुम्हारी तरफ ब्लू फ़िल्मे नहीं देखता.

राधिका-ओह.....हो.... तो आज मैं तुम्हारी शराफ़त अभी थोड़े देर में उतार देती हूँ. इतना कहकर राधिका राहुल के अंडरवेर उतार देती है.

राधिका- तो ये हैं शराफ़त आपकी. देखो कैसे लंड महाराज खड़े होकर मुझे सलामी दे रहे हैं.

राहुल- अरे ऐसे ऐसे तेवर दिखाओगि तो क्या लंड नही खड़ा होगा. इसमें मेरी क्या ग़लती हैं.

राधिका- अच्छा अब मेरी ग़लती हैं. इतने ही साधु होते तो अपने लंड को पूरी कंट्रोल में नही रखते क्या.

राहुल- यार तुमसे तो बहस करना बेकार हैं. मुझे माफ़ करो मेरी मा ...............मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ. तुम जीती मैं हारा. बस.................

राधिका- वो तो अभी पता चल जाएगा बिस्तर पर कि कौन जीतता हैं और कौन हारता हैं.

राहुल- आज जान गया मैं औरत के असली रूप को. बस मुझे माफ़ करो और जो करना हैं कर लो.

राधिका- अरे मेरी जान इतनी भी क्या जल्दी हैं. अभी तो बस मैने ट्रेलर दिखाया हैं. अभी पूरी पिक्चर बाकी हैं.

राहुल- क्या ??? तो इसका मतलब अभी और भी कुछ बाकी हैं क्या.???

राधिका- ये तो शुरूवात हैं. बस देखते जाओ आगे आगे क्या होता हैं.

राधिका फिर धीरे से अपना सलवार खोल देती है और उसे अपने जिस्म से अलग कर देती हैं. फिर उसके बाद अपना ब्रा और पैंटी भी निकालकर एक दम नंगी हो जाती हैं. अब राहुल के भी जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था.

राहुल बड़े गौर से राधिका को देखता है.

राधिका- तुम्हे टोमॅटो सॉस पसंद है क्या. ???

राहुल- आश्चर्य से!!!! अरे अब ये टोमॅटो सॉस बीच में कहाँ से आ गया. क्या फिर से भूक लगी हैं क्या.??

राधिका- तुमसे जितना पूछा जाए उतना ही बोलो. बोलो पसंद हैं कि नहीं.

राहुल- बात तो ऐसे कर रही हो जैसे की मैं कोई मुजरिम हूँ और तुम मुझे टॉर्चर कर रही हो. मुझे टोमॅटो सॉस बिल्कुल पसंद नहीं.

राधिका- आज के बाद तुम्हें ज़रूर पसंद आएगा.इतना बोलकर राधिका झट से किचेन में चली जाती हैं और कुछ देर में वो टोमॅटो सॉस की एक बॉटल लेकर राहुल के पास आती हैं.

राहुल- अब इसका क्या करने वाली हो मेडम. मुझे तुम्हारे इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे हैं.

राधिका फिर से अपनी लिप्स पर उंगली रख देती हैं और राहुल को चुप रहने का इशारा करती हैं. राहुल भी मज़बूरन चुप हो जाता हैं.

राधिका- आज मैं तुम्हें टोमॅटो सॉस का रियल टेस्ट करवाउंगी . इसके बाद तुम इसे खाने के लिए हमेशा बेचैन रहोगे.

राहुल भी हैरत से राधिका को चुप चाप देखने लगता हैं.
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#22
Update 15

राधिका फिर धीरे से टोमॅटो सॉस की बॉटल खोलती हैं और सबसे पहले उसे राहुल के लिप्स पर गिराना शुरू करती हैं. राहुल को अब समझ में आ जाता हैं कि अब राधिका उसके साथ क्या करने वाली हैं.

राधिका थोड़ा सा सॉस राहुल के होंठ पर गिराने के बाद अपने लबो को राहुल के लबो पर रख देती हैं. फिर बहुत धीरे धीरे उसे अपने जीभ से चाटना शुरू करती हैं. उसके बाद वो उसे अच्छे से चाट कर पूरा अपने मूह में ले लेती हैं. और इस बार वो अपने जीभ पर थोड़ा सा सॉस गिरा देती हैं और राहुल को अपनी जीभ निकालने का इशारा करती है. राहुल भी अपनी जीभ पूरी निकाल देता हैं.

राधिका फिर धीरे से अपना जीभ राहुल के जीभ से सटाती हैं और फिर धीरे धीरे वो टोमॅटो सॉस को उसके मूह में ट्रान्स्फर करती हैं. इस बार राहुल कुछ देर तक उसे अपने मूह में रखता हैं फिर वो भी अपने गले के नीचे उतार देता हैं.

राधिका- कैसा लगा टोमॅटो सॉस का टेस्ट.


राहुल- विश्वास नही होता राधिका कि तुम .........................

राधिका- अभी तुमने राधिका को अच्छे से जाना ही कहाँ हैं. आज मैं तुम्हें दिखाउंगी कि राधिका हैं क्या चीज़.........

फिर राधिका टोमॅटो सॉस को राहुल की गर्दन से गिराते हुए उसके सीना और निपल्स पर गिराती हैं. फिर वो बहुत धीरे धीरे अपने जीभ फिराती हुई उसके गर्दन से होते हुए उसके निपल्स को अच्छे से चाट ती हैं और राहुल की हालत खराब होने लगती हैं.

राहुल- बस करो ना जान . आज मुझे मार डालगी क्या. बस अब सहन नहीं होता......आ.ह..

राधिका- क्या सहन नही होता. बोलो ना...

राहुल भी अब समझ जाता हैं कि राधिका ने उसकी चाल उसी पर चल दी हैं. जो सवाल राहुल अक्सर राधिका से पूछता था आज राधिका वो सवाल उससे पूछ रही है.

राहुल- सच में तुम जितनी खूबसूरत हो उतना ही तुम्हारा दिमाग़ भी तेज़ हैं. मेरी बिल्ली और मेरे से ही मियाऊ........

राधिका- तुमने बताया नही राहुल कि तुम्हें क्या सहन नहीं होता.

राहुल- मुस्कुराते हुए. यार तुमने ऐसे हालत पैदा कर दिए हैं कि अब मेरी भी बोलती बंद हो गयी हैं. सच में अब मुझे भी शरम महसूस हो रही हैं.

राधिका फिर वही सॉस को उसके लंड पर गिराने लगती हैं उर फिर अपनी उंगली से उसका टोपा खोलकर कुछ सॉस वहाँ पर भी गिरा देती हैं. फिर वो अपनी जीभ से धीरे धीरे चाटना शर कर देती हैं. राहुल के ना चाहते हुए भी एक तेज़्ज़ सिसकारी उसके मूह से निकल जाती हैं. .

उसके बाद वो थोड़ा सा सॉस उसके बॉल्स पर भी गिरा देती हैं और एक एक करके उसके दोनो बॉल्स को अपने मूह में लेकर उसे चूसना चालू कर देती हैं. राहुल एक दम बेचैन हो जाता हैं.

राहुल- हां राधिका, ऐसे ही चाटो ना.....बहुत मज़ा आ रहा हैं........आ.......ह..........हह

राधिका- ज़रा खुल कर बोलो ना क्या चाटु.

राहुल- मुस्कुराते हुए..... मेरा लंड.

राधिका- ऐसे नही पूरा खुल कर बोलो. सॉफ सॉफ शब्दों में.........................

राहुल- कसम से मैने आज तक तुम जैसी लड़की नही देखी. अगर तुम किसी की भी बॅंड बजाने की सोच लो तो वो चाहे लाख कोशिश भी क्यों ना कर ले तुम उसका पूरा वॉट लगा ही दोगि.

राधिका- जान बातों में मुझे मत फँसाओ. जितना पूछ रही हूँ उतना बोलो.

राहुल- मेरे लंड को अपने मूह में लेकर उसे प्यार से चूसो.........ना........

राधिका- ये हुई ना बात..........

राधिका अच्छे से राहुल के लंड को पूरा चुस्ती हैं और उसपे लगा सॉस को पूरा चाट ती हैं फिर वो अपने होंठ राहुल के मूह में दे देती हैं. राहुल बुरा सा मूह बनाता हैं मगर कुछ बोल नही पाता.

राधिका कुछ देर तक राहुल के होंठ चुस्ती हैं फिर से वो उसका लंड धीरे धीरे चूसना शुरू कर देती हैं. राहुल की सिसकारी फिर से तेज़ हो जाती हैं.

कुछ देर ऐसे ही चुसाइ के बाद राहुल का शरीर अकड़ने लगता हैं और उसका कम भी निकल जाता हैं लेकिन आज राधिका राहुल के पूरे माल को अपने मूह में ले लेती हैं और धीरे धीरे उसका पूरा कम अपने गले के नीचे उतार देती हैं.

राहुल- कसम से जान वाकई में तुम पूरी नशा हो.

अब राहुल उठकर राधिका को अपने करीब खींच लेता हैं और अपने होंठ फिर से उसके होठ पर रख देता हैं.

राहुल- सच कहाँ तुमने राधिका. मुझे वाकई में ये टोमॅटो सॉस बहुत पसंद आया. अब मैं इसे और खाना चाहता हूँ.

इतना कहकर राहुल टोमॅटो सॉस उठा लेता हैं और फिर राधिका की गर्दन पर गिरा देता हैं. और फिर वो भी धीरे धीरे राधिका की गर्दन को चाटना शुरू कर देता हैं. राधिका की धड़कनें एक दम तेज़ हो जाती हैं. फिर वो नीचे बढ़ते हुए अपने दोनो हाथों से उसके बूब्स को कस कर मसल देता हैं और उसके गुलाबी निपल्स को अपनी उंगलियों से मसलना शुरू कर देता हैं.

राधिका की भी सिसकारी बहुत तेज़ हो जाती हैं. फिर वो राधिका को बिस्तर पर लेटा देता हैं और सॉस की बॉटल को उसके बूब्स पर गिराना शुरू कर देता हैं और धीरे धीरे गिराते हुए उसके पेट से होते हुए उसकी चूत तक पूरा गिरा देता हैं. राधिका के जिस्म पर सॉस एक लाल डोरी जैसी लकीर सॉफ नज़र आती हैं.

राहुल झट से उसके उपर आता हैं और और पहले उसके निपल्स को अपने मूह में लेकर फिर सॉस को चाटना शुरू कर देता हैं. जैसे जैसे वो अपना जीभ फिराने लगता हैं राधिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं.

राधिका- हां राहुल ..........प्लीज़ ऐसे ही मेरे निपल्स को पूरा चूसो और और तब तक चूसो जब तक तुम्हारा मन ना भरे......

राहुल- जान तुम्हारे ये दूध इतने मस्त हैं कि मेरा मन इससे कभी ना भरेगा.

फिर राहुल भी अपने दाँत पर प्रेशर बढ़ाता हैं और राधिका के निपल्स को ज़ोर से अपने दाँतों से कुरेदने लगता है.

राधिका- हां............ऐसे ही...........काटो .........ना...........राहुल.......आ..........हह.आ....आआआआआअहह

फिर वो धीरे धीरे सरकते हुए नीचे की ओर आता हैं और उसके पेट को चाटना सुरू करता हैं. राधिका पर तो मानो कोई नशा सा छा गया था. वो अपनी आँखें बंद कर लेती हैं .

राहुल भी धीरे धीरे नीचे आता हैं और अबकी बार वो अपना होंठ राधिका की चूत पर रख देता हैं. राधिका के सब्र का बाँध टूट जाता हैं और उसके मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं....

राधिका भी अपनी चूत को उसके सामने पूरा फैला देती हैं और राहुल भी धीरे धीरे उसको चूसना शुरू करता हैं.

राधिका- आज मैं तुम्हें जन्नत दिखाना चाहती हूँ.

राहुल- आश्चर्य से ...........वो कैसे..

राधिका अपने दोनो हाथ ले जाकर अपनी चूत पर रखती हैं और राहुल के सामने उसे धीरे धीरे फैलाने लगती हैं. राहुल को भी उसकी चूत के अंदर गुलाबी रंग सॉफ नज़र आता हैं.

राधिका- राहुल ज़रा मेरी चूत के अंदर भी तो सॉस डालकर उसे चाटो नाअ.....

राहुल भी मुस्कुरा देता हैं और फिर वो टोमॅटो सॉस की बॉटल में से सॉस को राधिका की चूत के अंदर गिराना शुरू कर देता हैं. कुछ देर में वो अपनी एक उंगली से उसके चूत में डालता हैं और फिर अच्छे से सॉस को मिलाना शुरू कर देता हैं. फिर वो झुक कर अपने होंठ उसकी चूत पर रख देता हैं और अपनी जीभ को राधिका की चूत में पूरा डालकर आगे पीछे फिराने लगता हैं और सॉस को भी चाटने लगता हैं.

राधिका भी अब अपना पूरा कंट्रोल खो बैठती हैं और फिर वो भी फारिग हो जाती है. और एक दम से बिस्तर पर पसर जाती हैं. अभी भी उसकी साँसें बहुत तेज़ चल रही थी.

कुछ देर में राहुल फिर उठता है और टोमॅटो सॉस को अपने लंड पर गिराता हैं और फिर वो झट से राधिका की चूत में घुसाना शुरू करता हैं. राधिका के भी मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल जाती हैं. और धीरे धीरे वो अपना पूरा लंड राधिका की चूत में डाल देता हैं.

राधिका को शुरू में थोड़ी तकलीफ़ होती हैं मगर कुछ देर में उसको भी मज़ा आना शुरू हो जाता हैं.

राधिका झट से राहुल को पीछे धकेल्ति हैं और वो उठकर बैठ जाती हैं.

राहुल- अब क्या हुआ जान.

राधिका- आज तुम नीचे सोओगे और मैं तुम्हारे उपर चढ़ूंगी.

फिर राधिका उसको अपने नीचे सुला कर झट से उसके उपर चढ़ जाती है और फिर धीरे धीरे अपनी गान्ड आगे पीछे करना शुरू कर देती हैं. कुछ देर तक वो इसी पोज़िशन में राहुल का पूरा लंड अपनी चूत में लेती हैं फिर लगभग 15 मिनिट की ज़बरदस्त चुदाई के बाद राहुल अपना कम राधिका की चूत में ही निकाल देता है. और राधिका भी फिर से फारिग हो जाती हैं.

आज राधिका पहली बार इतने अच्छे से फारिग हुई थी. और वो धम्म से राहुल के उपर पसर जाती हैं और दोनो की साँसें बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. घर की खामोशी में भी उनकी धड़कनों की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी..............................

राधिका उठ कर बाथरूम में जाती हैं और कुछ देर में अपने कपड़े पहेन कर वापस आती हैं.राहुल भी अब अपने कपड़े पहन चुका था.

राहुल आब राधिका के पीछे जा कर राधिका से एकदम सटा कर खड़ा हो जाता है. और अपने दोनो हाथ धीरे से बढ़ाते हुए उसके बूब्स को अपने दोनो हाथों में कस कर पकड़ लेता हैं और अपने होंठ राधिका के गर्दन पर रख देता हैं.

राधिका- ये क्या कर रहे हो राहुल. अभी भी तुम्हारा मन नही भरा क्या???

राहुल-सच में जान तुम किसी नशे की तरह हो. जितना किया जाए उतना ही चढ़ता हैं. पता नहीं क्यों तुमसे मेरा जी ही नही भरता. जी करता हैं सुबह शाम बस तुम्हें ऐसे ही प्यार करू.

राधिका- ओ...मिस्टर. आशिक़ . मुझे अब घर भी जाना हैं. अभी इस वक़्त, मैं आपकी बीवी नहीं हूँ. जब आपकी बीवी बन जाउन्गि तो आप अपना पूरा हक़ जताना.

राहुल- अच्छा तो बस एक प्यारा सा लिप किस दे दो. फिर मैं तुम्हें घर छोड़ दूँगा.

राधिका- देख रहीं हूँ राहुल तुम्हारी शैतानी बढ़ती ही जा रही हैं. अब मुझे देर हो रही हैं.

राहुल अपने होंठ धीरे से सरकाते हुए राधिका के कान के नीचे अपनी जीभ फिरा देता हैं और राधिका फिर से मचल जाती हैं.

राधिका- बस राहुल........ मत करो ना...मैं फिर से बहक जाउन्गि....

राहुल- तो बहक जाओ ना..............

राधिका राहुल को अपने से दूर करते हुए- बस करो ना राहुल अगर मैं फिर से गरम हो गयी तो इस बार तुम्हारी खैर नहीं..........

राहुल तुरंत दूर हटते हुए- अरे क्यों डरा रही हो जान. सच में मैने आज तक तुम्हारा ऐसा रूप कभी नहीं देखा था.

राधिका- चलो कम से कम मेरे से कोई पोलिसेवला तो डरता हैं......इतना कहकर राधिका भी मुस्कुरा देती हैं.

राहुल- मत जाओ ना जान. मुझे तुम्हारे बिना एक पल भी अच्छा नहीं लगता.

राधिका- नही राहुल मुझे जाना होगा. मैं तुम्हारे पास हर वक़्त तो नही रह सकती ना. लेकिन तुम तो मेरी साँसों में , मेरी हर धड़कन में बसे हो. क्या तुमसे दूर रहकर मुझे एक पल भी चैन आता हैं .मैं भी हर एक पल तुम्हारे लिए बेचैन रहती हूँ.

राहुल- अपनी आँखें बंद करो ना जान. मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूँ.

राधिका भी धीरे से अपनी आँखें बंद कर लेती हैं.

राहुल उठकर वही ड्रॉयर में से एक पायल की जोड़ी निकालता हैं और फिर जाकर सीडी प्लेयर ऑन कर देता हैं. सीडी प्लेयर में फिर वही गीत बजने लगता हैं..........

चाँद सी महबूबा हो मेरी कब मैने ऐसा सोचा था.............

हां तुम बिल्कुल वैसे हो जैसे मैने सोचा था...........

फिर वो राधिका के एक दम करीब जाता हैं और बड़े प्यार से उसे अपनी बाहों में ले लेता हैं.

राहुल- आँखें खोलो ना जान.

राधिका धीरे से अपनी आँखें खोलती हैं.

राधिका- बोलो ना राहुल क्या दिखाने वाले हो...........

राहुल धीरे से अपना एक उंगली राधिका के लिप्स पर रख देता हैं और चुप रहने का इशारा करता हैं.

राहुल- कुछ मत कहो ना जान..........बस ये गीत सुनो .................. इसमें मैं तुम्हें हर पल पल महसूस किया हैं. राधिका भी उस गाने मे खोने लगती हैं और राहुल भी उसकी आँखों में बड़े प्यार से देखने लगता हैं.

राहुल- जानती हो जान ये गीत सिर्फ़ मेरा फ़ेवरेट गाना ही नही हैं बल्कि इस गाने से मेरी सारी यादें तुमसे जुड़ी हुई हैं. मैने बस हर लम्हे में तुमको पाया हैं , तुमको पूजा हैं. अब तो लगता हैं कि तुम मेरी ज़िंदगी से बढ़कर हो.......अब तो मेरी मौत.......राहुल इससे पहले कुछ कहता राधिका अपना हाथ उसके मूह पर रख देती हैं.

राधिका- आगे कुछ मत कहना राहुल. अगर तुमपर ज़रा भी आँच आए तो उसके पहले राधिका तुम्हारे कदमों में बिछ जाएगी मगर तुम पर कोई आँच नही आने देगी.

राहुल- मेरी किस्मत हैं राधिका कि तुम मेरी ज़िंदगी में हो. सच कहता हूँ कि मैने पछले जनम में कोई अच्छा कर्म ज़रूर किया होगा. इस लिए मुझे इसका फल के रूप में तुम मिली हो.

फिर राहुल धीरे से अपना हाथ बढ़ाकर पायल को राधिका के हाथ में दे देता हैं.

राधिका- ये क्या हैं राहुल. मुझे ये सब नहीं चाहिए. मुझे बस तुमसे प्यार हैं ना कि इन सब चीज़ों से...........

राहुल- मैं जानता हूँ कि मेरी हर चीज़ पर तुम्हारा पूरा हक़ हैं और जो मेरा हैं वो तुम्हारा भी तो हैं. ये तो मैं अपने होने वाली दुल्हन को प्यार के सौगात के रूप में दे रहा हूँ. रख लो ना इसे मुझे अच्छा लगेगा.

राधिका भी बड़े प्यार से राहुल के लब चूम लेती हैं और उसे अपने सीने से लगा लेती हैं. और फिर ना जाने कितने देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में खोए रहते हैं.

थोड़े देर बाद -

राधिका-अब जाने दो ना राहुल मुझे अब देर हो रही हैं. घर पर भैया आए होंगे तो मुझसे कई तरह के सवाल करेंगे. और तुम जानते हो कि मुझसे झूट बोला नही जाता.

राहुल- काश राधिका ये वक़्त यहीं पर थम जाए. इस हसीन पल में मैं अपना सब कुछ भूलकर बस तुम में खोना चाहता हूँ.

राधिका- वक़्त तो राहुल ठहर नहीं सकता मगर मैं तुम्हारे साथ बीते हर पल को, हर एक लम्हे को तुम्हारी यादों को अपने सीने में प्यार से सँजोकर रखा है.

राहुल- आइ लव यू जान................ इतना कहकर राहुल बड़े प्यार से राधिका के लब को चूम लेता हैं और जवाब में राधिका भी उसके लबो को प्यार से चूम लेती हैं.

राधिका- लव यू टू.................राहुल.

राहुल-चलो अब मैं तुम्हें घर तक छोड़ देता हूँ और वही से अपने थाने भी चले जाऊँगा.
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#23
Update 16


राहुल फिर राधिका को अपनी कार में बैठा कर उसे उसके घर से कुछ दूरी पर ड्रॉप कर देता हैं और वो सीधे अपने थाने चला जाता हैं.

जैसे ही राधिका घर पर पहुँचती हैं उसके भैया पहले से ही घर पर आ चुके थे.

कृष्णा- कहाँ थी अब तक राधिका. 6 बज चुके हैं और तुम्हारा कॉलेज तो 3 बजे तक बंद हो जाता हैं . और वैसे भी आज सनडे हैं तो कॉलेज तो बंद ही होगा ना..

राधिका वो भैया... बस ऐसे ही मैं...निशा के घर गयी थी.

कृष्णा- राधिका तुमने कब से झूट बोलना शुरू कर दिया. जहाँ तक मैं तुम्हें जानता हूँ की तुम कभी झूट नहीं बोलती. और वैसे भी मैं निशा के पास फोन कर के पूछ चुका हूँ और उसने मुझे बताया हैं कि वो आज तुमसे मिली ही नहीं हैं.

कृष्णा- राधिका अब मैं तुमसे यही उमीद करूँगा कि तुम जो भी मुझसे बात कहोगी सच कहोगी................................................बोलो राधिका क्या हैं सच..........................................

राधिका- भैया वो मैं आपको नही बता सकती.

कृष्णा- राधिका मेरा इतना तो हक़ बनता हैं की मेरी बेहन कहाँ जाती हैं, क्या करती हैं और किससे मिलती हैं.

राधिका-भैया वो बात हैं .........कि.

कृष्णा- बोल ना राधिका. विश्वास कर मेरा मैं तुझे कुछ नही कहूँगा.

राधिका- भैया वो............ दर-असल मैं राहुल से प्यार करती हूँ और उससे शादी करना चाहती हूँ. इस वक़्त मैं उससे ही मिलकर आ रही हूँ.

इतना सुनकर कृष्णा को एकदम से गुस्सा आ जाता हैं लेकिन वो अपने गुस्से को पूरा कंट्रोल करके बोलता हैं.

कृष्णा- अच्छा वो पोलीस वाला. कहीं वही तो नही हैं ना ....................राहुल मल्होत्रा यहाँ का सब-इनस्पेक्टर.

कृष्णा- क्यों तुझे और कोई नही मिला था क्या. दिल भी लगाया तो एक पोलिसेवाले से .जानती नहीं हैं तू इन पोलीस वालों को. बहुत हरामी चीज़ होते हैं ये. बस तेरे बदन से खिलवाड़ करके तुझे छोड़ देंगे. कोई प्यार व्यार नही होता बस अपनी हवस को मिटाने के लिए तुझे इस्तेमाल कर रहा हैं वो इनस्पेक्टर.

राधिका- नहीं भैया राहुल ऐसा नहीं हैं. वो मुझ से सच्चा प्यार करता हैं.

फिर कृष्णा की नज़र राधिका की पहनी हुई हीरे की अंगूठी पर पड़ती हैं.

कृष्णा- राधिका के हाथ की ओर इशारा करते हुए- अच्छा तो वो तुझसे शादी करना चाहता हैं इसलिए उसने तुझे अपनी सगाई के तौर पर ये अंगूठी दी हैं.क्यों सच हैं ना..........

राधिका- प्लीज़ भैया मुझे ग़लत मत समझिए, मैं भी उससे बहुत प्यार करती हूँ.

कृष्णा- कब से चल रहा हैं ये सब.

राधिका- यही कोई 6 महीने से............

कृष्णा- तब तो वो तेरे साथ सो भी चुका होगा. हैं ना................

राधिका भी अपना सिर नीचे झुका लेती हैं और नीचे फर्श की ओर देखने लगती हैं. कृष्णा को भी सब समझ में आ जाता हैं.

कृष्णा- एक बात जान ले राधिका अगर वो पोलिसेवला तेरे साथ कोई खिलवाड़ किया ना तो उस साले को मैं ज़िंदा ज़मीन में दफ़न कर दूँगा. और फिर उसके बाद मैं तेरा क्या हाल करूँगा तू फिर समझ लेना.

राधिका चाह कर भी एक शब्द नही बोल पाती हैं और बस नीचे अपना सिर झुकाए देखती हैं.

कृष्णा भी उसके पास आता हैं और फिर उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों से उपर की ओर करता हैं.

कृष्णा- देख राधिका, मैं ज़्यादा पढ़ा लिखा तो नहीं हूँ मगर दुनिया दारी अच्छे से जनता हूँ. मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ और मैं कभी नहीं चाहूँगा कि तुझे कोई तकलीफ़ हो. बस मैं यही कहूँगा कि जवानी के जोश में कोई ऐसा ग़लत कदम ना उठा लेना की आगे चलकर कोई तेरे पर उंगली उठाए.

राधिका भी झट से अपने भैया के सीने लग जाती हैं - भैया मुझे माफ़ कर दो ये बात मैने आप से इतने दिनो से छुपाकर रखी. मैने कई बार आपसे इस बारे में बात करने की कोशिश की मगर आप से मुझे कहने की हिम्मत नही हुई.

कृष्णा- कोई बात नहीं राधिका. मैं जानता हूँ कि तू कोई काम ग़लत कर ही नहीं सकती. चल अब झट से मुझे एक गरमा गरम चाइ पिला.

थोड़े देर में उसका बाप भी आ जाता हैं और फिर सब मिलकर चाइ पीते हैं. राधिका फिर घर का सारा काम ख़तम कर लेती हैं और रात में बिस्तेर पर जाकर सोने चली जाती हैं. आज उसके मन बहुत हल्का हो गया था. उसे इस बात की खुशी थी की उसके भैया ने भी अब राहुल को आक्सेप्ट कर लिया हैं.

........................................

कहते हैं ना कि खुशियों को ग्रहण लगते देर नहीं लगती. ऐसा ही कुछ आज के बाद राधिका के साथ भी होने वाला था, जो अब उसकी जिंदगी में तूफान लाने के लिए काफ़ी था.

दूसरे दिन सुबह वो उठकर जल्दी से फ्रेश होती हैं और फिर किचन में जाकर चाइ बनाने लगती हैं. सुबह सुबह ही उसके पिताजी घर से निकल गये थे. इस वक़्त बस कृष्णा और राधिका ही घर पर थे.

कृष्णा भी झट से उठकर अपने हाथ मूह धोता हैं और फ्रेश होकर सीधा राधिका के पास जाकर उसके कमर में अपना दोनो हाथ डालकर राधिका की गर्दन को चूम लेता हैं.

राधिका- ये क्या भैया, आप ऐसे आते हैं कि बिल्कुल पता भी नहीं चलता. मैं तो समझी थी कि आप मुझसे नाराज़ होंगे ..

कृष्णा- मैं भला अपनी ही बेहन से कैसे नाराज़ हो सकता हूँ.

राधिका- लेकिन आपने मुझसे कहा था कि मैं तेरी मर्ज़ी से ही छुउंगा. फिर................

कृष्णा- तू हैं ही ऐसी जब तक तुझे ऐसे अपनी बाहों में नही ले लेता हूँ मुझे चैन ही नहीं मिलता.

राधिका- चलिए भैया मैं आभी चाइ लेकर आती हूँ.

फिर कृष्णा वही दूसरे रूम में चला जाता हैं और कुछ देर में राधिका भी दो सीशे के ग्लास में चाइ डालकर एक ट्रे में लेकर अपने भैया के पास जाती हैं.

कहते हैं कि अगर कुछ बुरा होने वाला होता हैं तो इंसान को उसका आभास पहले से ही हो जाता हैं. आज सुबह से ही राधिका का दिल बहुत बेचैन था. पता नहीं क्यों पर उसके दिल में एक अजीब सा डर जनम ले रहा था.....

राधिका जैसे ही ट्रे लेकर जाती हैं उसका पाँव फिसल जाता हैं और वो गिरते गिरते बचती है मगर उसके हाथ से ट्रे छूट कर फर्श पर गिर जाती हैं और सीशे के दोनो ग्लास टूट कर फर्श पर बिखर जाते हैं...

कृष्णा भी सीशे के टूटने की आवाज़ सुनकर दौड़कर राधिका के एक दम करीब आता हैं.

कृष्णा- क्या हुआ राधिका. ये ट्रे कैसे छूट कर नीचे गिर गया.

राधिका के आँख से आँसू निकल पड़ते हैं और वो दौड़ कर कृष्णा के गले लग जाती हैं.

कृष्णा भी उसे अपनी बाहों में ले लता हैं.

कृष्णा- बोल ना राधिका तू ऐसे क्यों रो रही है. क्या हुआ कहीं चोट तो नहीं लगी ना...

राधिका का दाए हाथ की एक उंगली मे सीशे का एक टुकड़ा लग गया था जिसके वजह से उसके उंगली से खून निकल रहा था. कृष्णा की नज़र उसपर पड़ती हैं और वो झट से राधिका की उंगली को अपनी मूह में लेकर चूसना शुरू कर देता हैं. कुछ देर में उसका खून बंद हो जाता हैं. मगर राधिका के आँसू नहीं बंद होते.

कृष्णा- तू रो.. क्यों रही हैं. देख ना अब तो खून भी बंद हो गया हैं.

राधिका- भैया ये सब कुछ ठीक नही हो रहा हैं. शीशे का ऐसे टूटना अपषगुन माना जाता हैं. और पता नही क्यों आज जब से मैं उठी हूँ मेरा दिल में अजीब तरह का डर लग रहा हैं.. पता नहीं भैया क्या होने वाला हैं.

कृष्णा- तू बेवज़ह परेशान हो रही हैं. अरे ये सब बेकार की बातें हैं. ऐसा कुछ नहीं होता.

फिर कृष्णा झुक कर पूरे काँच को उठाता हैं और उसे डस्टबिन में डाल देता हैं. राधिका फिर से चाइ बनाती हैं और कुछ देर में कृष्णा भी काम पर निकल जाता हैं.

राधिका फिर सोच में डूब जाती हैं. उस दिन भी तो राहुल के हाथों ऐसे सिंदूर का गिर का बिखर जाना, फिर आज शीशे का ऐसे टूटना हो ना हो ये दोनो चीज़ें का ऐसे एक साथ होना ज़रूर किसी अपषगुन का संकेत हैं....................................

राधिका बहुत देर तक इसी सोच में डूबी रहती हैं लेकिन उसकी घबराहट कम नही होती. फिर कुछ सोचकर वो आज कॉलेज ना जाने का फ़ैसला करती हैं. थोड़े देर में घर का काम ख़तम कर के वो अपने बिस्तेर पर जाकर लेट जाती हैं.

उधेर राहुल भी फ्रेश होकर अपने जीप से पोलीस स्टेशन चल देता हैं.रास्ते में उसके दोस्त विजय का फोन आता हैं.

विजय- कहाँ पर हो यार. आज कल लगता हैं बहुत बिज़ी रहते हो.

राहुल- नही विजय ऐसी कोई बात नही हैं. मैं अभी इस वक़्त पोलीस स्टेशन जा रहा हूँ अभी रास्ते में हूँ और मैं तुझे पहुँच कर थोड़े देर में फोन करता हूँ.

राहुल फोन काट देता हैं. फिर कुछ देर ड्राइव करता हुए वो कुछ दूर जाता हैं तो उसका ध्यान मिरर के बॅकसाइड पर जाता हैं. एक ट्रक उसके पीछे बहुत देर से आ रहा था. वो उसे साइड देता हैं मगर ट्रक की स्पीड तुरंत बढ़ जाती हैं और फिर एक ज़ोरदार टक्कर होती हैं और राहुल की जीप अनबॅलेन्स होकर पलट जाती हैं और ट्रक तेज़ी से वहाँ से निकल जाता हैं.

ट्रक की टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि राहुल की जीप का आधा हिस्सा पूरा चकनाचूर हो गया था. और राहुल भी वही पर तुरंत बेहोश हो जाता हैं. उसके हाथ और शरीर के कई हिस्सों में से खून बहने लगता था. उसके सर पर भी चोट आई थी इसके वजह से वो बेहोश हो गया था. वहाँ आस पास काफ़ी भीड़ जमा हो जाती हैं और फिर कुछ देर में राहुल को हॉस्पिटल में अड्मिट करा दिया जाता हैं.

करीब 2 घंटे के बाद उसे होश आता हैं और वो सबसे पहले राधिका का नाम लेता हैं. तभी उसका फ्रेंड अभय जो कि एम.डी हैं वो वहाँ पर आता हैं और उसे रिलॅक्स होने को बोलता हैं.

अभय- अरे भाई ये सब कैसे हो गया. भगवान का शुक्र मनाओ कि तुम्हें ज़्यादा चोट नही लगी वरना जिस तरह से तुम्हारी गाड़ी का आक्सिडेंट हुआ था तुम्हारा बचना शायद मुश्किल था.

राहुल- पता नही अभय. मैं भी तो बस घर से पोलीसेस्टेशन ही आ रहा था मगर मेरे पीछे एक ट्रक बहुत देर से मेरे पीछे था. और मुझे पूरा यकीन है कि ये आक्सिडेंट हुआ नही कराया गया हैं.

अभय- डॉन'ट माइन राहुल . अभी अपने दिमाग़ पर इतना स्ट्रेस मत दो. इस वक़्त तुम्हें आराम की ज़रूरत हैं.

तभी ख़ान भी वहाँ पर आ जाता हैं.

ख़ान- ये सब कैसे हो गया साहेब.

राहुल- पता नहीं ख़ान पर ये आक्सिडेंट कराया गया हैं. कोई मुझे जान से मारना चाहता हैं.

ख़ान- आप कहें तो मैं उस ट्रक का पता लगवाता हूँ. साला बच कर कहाँ जाएगा उसका नंबर प्लेट आपने देखा क्या.

राहुल- कोई फ़ायदा नही हैं ख़ान. मैं जानता हूँ कि वो ट्रक का नंबर भी जाली होगा. खैर पता कर्वाओ कौन हैं इस सब के पीछे...

करीब 10 बजे राधिका का मोबाइल पर एक अननोन नंबर से कॉल आता हैं. राधिका फोन रिसेव करती हैं.

राधिका- हेलो !! कौन बोल रहा हैं.

फोन ख़ान का था.

ख़ान- क्या आप राधिका बोल रहीं हैं.

राधिका- हां बोल रहीं हूँ . आप कौन???

ख़ान- मैं इनस्पेक्टर ख़ान बोल रहा हूँ. आप इस वक़्त कहाँ पर हैं.

राधिका- कहिए ख़ान जी. आपने मुझे कैसे याद किया. क्यों कोई ज़रूरी बात हैं क्या.

ख़ान- क्या आप इस वक़्त सिटी हॉस्पिटल आ सकती हैं ..

राधिका एकदम से घबराते हुए- क्यों क्या हुआ. आप ऐसे क्यो पूछ रहे हैं.

ख़ान- जी बात ये हैं कि राहुल सर....................

राधिका- क्या हुआ?? बोलिए ना ख़ान क्या हुआ मेरे राहुल को................और राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.

ख़ान- जी........ उनका आक्सिडेंट हो गया हैं और इस वक़्त वो सिटी हॉस्पिटल में अड्मिट हैं और आपको याद कर रहे हैं.

राधिका इतना सुनते ही उसके आँखों के सामने अंधेरा सा छा जाता हैं और वो वो वहीं सोफे पर बैठ जाती हैं. उसे समझ में नही आता कि वो क्या बोले. बस उसके आँखों से लगातार आँसू बहने लगते हैं.

ख़ान- आप ठीक तो हैं ना....प्लीज़ आप जितनी जल्दी हो सके यहाँ पर आ जाइए. साहेब बस आपको याद कर रहे हैं.

राधिका फिर फोन रखती हैं और फिर जैसे रहती हैं उसी अवस्था में वो अपना घर लॉक करके वो हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ती हैं. लेकिन उसकी आँखो से आँसू नही थमते. जैसे तैसे वो एक ऑटो में बैठकर वो हॉस्पिटल पहुँच जाती हैं.

हॉस्पिटल में......................

राधिका जैसे ही हॉस्पिटल में एंटर होती हैं सामने उसे ख़ान दिखाई देता हैं.

ख़ान- आओ राधिका मैं आपका ही इंतेज़ार कर रहा था .

राधिका- कैसा हैं मेरा राहुल. ठीक तो हैं ना. आप कुछ बताते क्यों नहीं.

ख़ान कुछ बोलना ठीक नहीं समझता और वो राधिका के साथ राहुल के वॉर्ड की ओर चल देता हैं

जैसे ही राधिका की नज़र राहुल पर पड़ती हैं वो लगभग चीखते हुए राहुल के पास दौड़ कर पहुँच जाती हैं और उसे अपने सीने से लगा लेती हैं.

राहुल- क्या हुआ जान. तुम क्यों इतना परेशान हो. मैं बिल्कुल ठीक हूँ. बस थोड़ी सी चोट आई हैं.

राधिका ज़ोर ज़ोर से राहुल से लिपटकर रोने लगती हैं..

राधिका- ये सब कैसे हो गया राहुल. मुझे पता था कि आज ज़रूर कुछ बहुत बुरा होने वाला हैं. मैं जब से आज सुबह से उठी थी तब से ना जाने क्यों मेरे दिल में बहुत घबराहट हो रही थी. और तो आज सुबह शीशे का टूट जाना क्या ये सब अपषगुन नहीं हैं तो और क्या हैं.

राहुल- रिलॅक्स जान. मैं ठीक हूँ. चिंता मत करो मेरा साथ तुम्हारा प्यार हैं मुझे कुछ नहीं होगा.

अभय- हां राहुल सही कह रहा हैं. जिस तरह से इनके गाड़ी का आक्सिडेंट हुआ हैं इनका बचना शायद मुमकिन नही था. मगर ये शायद कोई चमत्कार ही कह सकते है कि बस एक दो जगह थोड़े ज़्यादा चोट आई हैं. ये बस एक दो दिन में ठीक हो जाएँगे.

ख़ान- मैने अभी विरलेशस मेसेज भेज दिया हैं. आप चिंता ना करे मैं उस ट्रक और उसके ड्राइवर का 2 दिनो के अंदर पता लगा ही लूँगा.

अभय- देखो राहुल आभी तुम्हें आराम की ज़रूरत हैं. इस वक़्त तुम बस आराम ही करो.

राहुल- तुम्हारे रहते मुझे कुछ नही होगा अभय. यू आर दा बेस्ट डॉक्टर. और तुम्हारे पास सभी बीमारी का इलाज़ मौज़ूद हैं. और सबसे बड़ी बात कि तुम मेरे दोस्त भी हो. तो तुम्हारे रहते मुझे किस बात की फिकर हैं.

राहुल- बस करो ना जान. कब तक इन आँखों से आँसू बहाओगी. मैं ठीक हूँ. और राहुल अपने हाथ बढाकर राधिका के बहते आँसू पोंछ देता हैं.

राधिका भी अब कुछ नॉर्मल हो जाती हैं और जाकर अपना मूह धोकर वापस आती हैं.

ख़ान- अपनी तो साली लाइफ ही बेकार हैं. अगर ईमानदारी से नौकरी करो तो कोई ना कोई जान से मारने के पीछे पड़ा रहता हैं. और ना करो तो जनता कहती हैं कि साला करप्ट हैं . साला इधेर पहाड़ और उधर खाई.

राहुल- ख़ान ये ज़िंदगी इतनी आसान नही होती . यहाँ पर हर पल हर घड़ी ,स्ट्रगल हैं. जीने के लिए हर पल फाइट करना पड़ता हैं. अरे यही तो ज़िंदगी का दस्तूर हैं कभी खुशी तो कभी गम..........................................
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#24
Update 17



ख़ान- आपने ठीक कहा सर!!! लाइफ ईज़ आ स्ट्रगल. यहाँ पर हर पल जीने के लिए संघर्ष करना पड़ता हैं.

राधिका भी चुप चाप उनकी बातें सुन रही थी. अब वो पहले से बेहतर महोसूस कर रही थी.

ख़ान- एक बात बोलू साहेब. ये आप पर पाँचवा हमला हुआ हैं. मुझे तो लगता हैं कि कोई आपसे दुश्मनी निकाल रहा हैं. और जो भी हो वो बहुत शातिर हैं क्यों कि वो आपकी पल पल की खबर रखता हैं. मुझे तो लगता हैं कि इन सब के पीछे कोई बहुत आपका करीबी आदमी हैं.

ख़ान की बातें सुनकर राधिका भी चौंक जाती हैं और राहुल भी गहरे विचार में डूब जाता हैं.

ख़ान- क्या सोच रहे हैं सर. आपको किसी पर शक हैं क्या???

राहुल एक नज़र राधिका के तरफ देखता हैं फिर वो ना में इशारा करता हैं. राधिका को इस बार राहुल पर बहुत ज़्यादा गुस्सा आता हैं मगर अभी ऐसे हालत नहीं थे कि वो इस बारे में कुछ बहस करे. इसलिए वो चुप ही रहती हैं.

अभय- यार हम भी कैसे इंसान हैं. तेरी लवर तुझसे मिलने आई हैं और हम बीच में काँटा बने बैठे हैं. और फिर ख़ान और अभय रूम से बाहर निकल जाते हैं. राहुल भी मुस्कुरा देता हैं.

राहुल राधिका को अपने करीब आने को कहता हैं और जैसे ही राधिका उसके करीब बिस्तर पर बैठती हैं वो उसे अपनी बाहों में जाकड़ लेता हैं.

राधिका- ये क्या कर रहे हो राहुल. छोड़ो मुझे. तुम तो अब हॉस्पिटल में भी शुरू हो गये. शरम नही आती इतनी चोट लगी हैं और आपको रोमॅन्स सूझ रहा हैं.

राहुल- अरे जान इस दर्द का ही तो इलाज़ कर रहा हूँ. बस एक बार प्यार से अपने लब चूम लेने दो देखना मेरा आधा दर्द दूर हो जाएगा.

राधिका- अच्छा तो बचा हुआ आधा दर्द के लिए क्या करना पड़ेगा.

राहुल- वही जो कल हमने किया था. अगर बोलो तो मैं यहाँ पर भी वो सब करने को तैयार हूँ.

राधिका- बहुत बिगड़ गये हो. सुधेर जाओ नहीं तो....................

राहुल बोलो ना नही तो क्या यहीं पर अपने कपड़े निकाल दोगि क्या....और राहुल मुस्कुरा देता हैं.

राधिका- बेशरम कहीं के... जाओ मुझे तुमसे अब कोई बात नहीं करनी.

राहुल- दे दो ना जान एक किस ही तो माँग रहा हूँ. देखना मैं दो दिन में फिर से पहले जैसे हो जाऊँगा.

राधिका धीरे से अपना लब राहुल के लब पर रख देती हैं और उसे बड़े प्यार से चूम लेती हैं.

राहुल- बस इतना छोटा सा........... ये तो ना-इंसाफी हैं.

राधिकल- पहले ठीक हो जाओ फिर जैसे कहोगी वैसे दूँगी.

राधिका- एक बात बताओ राहुल तुमने ख़ान जी से झूट क्यों बोला. क्यों तुम्हें नहीं लगता कि इन सब के पीछे विजय का हाथ होगा.

राहुल- नही राधिका मैं उसपर शक नही कर सकता. और मेरे पास फिलहाल कोई सुबूत भी नही है. और एक बात बता दूँ कि मेरा ज़मीर भी मुझे कभी इसकी इज़ाज़त नही देगा कि मैं अपने ही दोस्त की एंक्वाइरी करवाउ. बहुत एहसान हैं उसके घरवालों और विजय का मुझपर. और मैं उनके खिलाफ कभी नही जा सकता.

राधिका- ठीक हैं राहुल मैं तुम्हारे दोस्ती के बीच में कभी नही ऑजी मगर दोस्त पर भी इतना विश्वास नही करनी चाहिए की कल को तुम्हें पछताना पड़े. और एक बात मैं कहना चाहूँगी की विजय की नियत मुझे ठीक नही लगती. और मेरा दिल कहता हैं कि उसकी नज़र मुझपर भी है. कहीं राहुल ऐसे ना हो जाए की जब तक तुम ये बात समझो तब तक बहुत देर हो जाए.............. इतना कहकर राधिका के मन में उस दिन वाले बात घूमने लगती हैं.

राहुल- छोड़ो ना जान तुम भी क्या लेकर बैठ गयी.

इतनी देर में ख़ान और अभय भी अंदर आ जाते हैं.

ख़ान- सर अब मुझे चलना चाहिए.

राहुल- ठीक हैं ख़ान आप एक काम कीजिए ज़रा राधिका को भी उसके घर पर ड्रॉप कर दीजिएगा.

ख़ान- आइए भाभी जी चलिए मैं आपको घर छोड़ देता हूँ.

राधिका भी ख़ान के मूह से भाभी जी सुनकर मुस्कुरा देती है और वो ख़ान के पीछे चल देती हैं.

राधिका के जाने के बाद वो फिर से उसकी कही हुई बातों उसके दिमाग़ में आने लगती हैं. तो क्या राधिका का शक सही है ,क्या इन सब के पीछे विजय का हाथ हैं. उस दिन भी तो विजय का मुझपर हमला होने के पहले फोन आया था. और आज भी ऐसा ही हुआ. लेकिन विजय तो रोज़ मुझसे ऐसी ही बात करता हैं. ऐसा कोई दिन नहीं गया जब उसका फोन ना आया हो. नही नही मैं अपने दोस्त पर शक नही कर सकता.

तभी एक बात उसके दिमाग़ में आती हैं. हां अगर विजय आज मुझसे मिलने यहाँ आता हैं तो वो ये सब में शामिल नही हो सकता.अगर वो यहाँ पर नहीं आया तो मैं कल से ख़ान को बोलकर उसकी एंक्वाइरी शुरू करवा दूँगा. क्यों कि मैं अच्छे से जानता हूँ कि कोई भी मुजरिम गुनाह करने के बाद वहाँ पर मौजूद नही होता.. इससे ये बात भी क्लियर हो जाएगा और मेरा शक भी दूर हो जाएगा.

ऐसे ही बहुत डियर तक उधेरबुन में राहुल की आँख लग जाती हैं. और वो सो जाता हैं.

करीब शाम को 4 बजे विजय भी वहाँ पर आ जाता हैं. और राहुल के पास जाकर बैठ जाता हैं. विजय को देखकर राहुल का बचा खुचा शक भी दूर हो जाता हैं.

विजय जैसे ही उसके पास बैठता हैं वो राहुल को अपने गले लगा लेता हैं.

विजय- ये सब क्या हो गया मेरे दोस्त. अच्छा ख़ासा तो तू ठीक था फिर ये सब.....................

राहुल- पता नहीं यार कौन मेरे पीछे पड़ा हुआ हैं. समझ में नही आ रहा कि आख़िर मेरे से किसी की क्या दुश्मनी हो सकती हैं.

विजय- रिलॅक्स यार. ये सब तू टेन्षन मत ले. और वैसे भी तो तू पोलीस वाला हैं ना तू तो उसे पता कर ही लेगा.

राहुल- आख़िर जो भी हो वो मुझसे कब तक बचेगा.

विजय- ठीक हैं दोस्त तू आराम कर और अपना ध्यान रखना. अगर कोई भी चीज़ की परेशानी हुई तो तेरा ये दोस्त हैं ना. जब चाहे तू मुझे याद कर लेना. मैं हाजिर हो जाउन्गा.

राहुल- अरे यार तू इतना ही मेरे पास आ गया तो मेरे दिल से एक बहुत बड़ा बोझ उतर गया. चल मैं ठीक हूँ तुझे तो अपने क्लिनिक भी तो जाना हैं ना.

विजय- हां अब मैं चलता हूँ तू अपना ख्याल रखना. और विजय वहाँ से निकल जाता हैं.

विजय के चेहरे पर फिर से एक बार कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं और मन ही मन सोचता हैं. साला इस बार भी बच गया. सला मेरी तो किस्मत ही खराब हैं. जब से इस कुत्ते के पीछे पड़ा हूँ इसकी किस्मेत भी अब बुलंद हो गयी हैं. कब तक आख़िर मुझसे बचेगा... आख़िर कब तक बकरा अपनी खैर मनाएगा. कभी ना कभी तो किसी कसाई के हाथों हलाल होगा ही..................................

राधिका जैसे ही घर पहुचती है उसके भैया घर पर आ चुके थे. आज वो पूरे नशे में थे. और राधिका के आने का ही इंतेज़ार कर रहे थे.

कृष्णा- आ गयी तू. इतनी देर कहाँ लगा दी. मैं कब से तेरा ही इंतेज़ार कर रहा था.

राधिका- भैया आज भी आपने शराब पी रखी हैं. और आज आप इतनी जल्दी काम से कैसे आ गये.

कृष्णा- वो बस ऐसे ही तू बता कहाँ रह गयी थी. क्या आज भी तू उस पोलिसेवाले से मिलकर आ रही हैं.

राधिका- भैया आज.....राहुल का आक्सिडेंट हो गया हैं. मैं बस हॉस्पिटल से ही आ रही हूँ.

कृष्णा- क्यों.....क्या हुआ उसे.

राधिका-वो किसी ट्रक वाले ने पीछे से ठोकर मार दी. थोड़ी ज़्यादा चोटें आईं हैं पर अब ख़तरे से बाहर हैं.

कृष्णा- अच्छा फिर ठीक हैं मैं कल काम पर जाउन्गा तो उससे मिलते हुए जाउन्गा.

राधिका भी बड़े प्यार से कृष्णा के गले लग जाती हैं.

राधिका- यकीन नहीं होता भैया की आप मेरे लिए इतनी भी बदल सकते हैं. सच में मैं बहुत खुस हूँ.

मगर शायद राधिका की खुशी ज़्यादा देर तक नही रहने वाली थी क्यों कि अब उसकी खुशी को जल्दी ही ग्रहण लगने वाला था.

कृष्णा- चल बहुत बातें करती हैं , मेरे लिए फटाफट चाइ बना कर ला, मैं थोड़ा हाथ मूह धो कर आता हूँ.

तभी उसके घर का बेल बजती हैं.कृष्णा जाकर मेन डोर खोलता हैं. सामने बिहारी था और साथ में उसके तीन आदमी भी थे.

बिहारी को देखकर कृष्णा के चेहरे का रंग बदल जाता हैं और वो एक साइड होकर खड़ा हो जाता हैं. बिहारी तो पहले उसे बड़े गौर से देखता हैं फिर वो घर के अंदर आ जाता हैं. वही सामने भी राधिका खड़ी थी.

कृष्णा- क्यों बिहारी जी कैसे आना हुआ मेरे घर पर कोई काम हैं क्या???

बिहारी- ज़ोर का एक लात कृष्णा के पट पर मारता हैं और कृष्णा वही पर दर्द से बैठ जाता हैं. हरामी कहीं का जब तक मेरे ख़ाता था तब तक मालिक बोलता था और आज नाम लेकर बुला रहा हैं. तू तो साला नमक हराम निकला रे. मैने तो तुझे अपने बच्चे की तरह चाहा था. तू तो आस्तीन का साँप हैं ...........

कृष्णा कुछ बोलता नहीं हैं बस वही पर चुप चाप बैठा रहता हैं. मगर राधिका को ये सब बर्दास्त नहीं होता और वो जाकर बिहारी के गाल पर एक ज़ोरदार थप्पड़ मार देती हैं. थप्पड़ इतना ज़ोरदार था की बिहारी का सिर घूम जाता हैं.

राधिका- लगता हैं कि आप तमीज़ बिल्कुल भूल गये हैं. किसी के घर जाते हैं तो किसी से किश तरह पेश आया जाता हैं लगता हैं आपको नहीं मालूम. बेहतर यही होगा कि आप इस वक़्त यहाँ से चले जाइए.

बिहारी- तेरी हिम्मत कैसी हुई मुझपर हाथ उठाने की. लगता हैं कि तू मुझे अच्छे से नहीं जानती.

राधिका- तुझ जैसे लोग को जाने की भी ज़रूरत नही हैं. बेहतर यही हैं कि आप यहाँ से अभी इसी वक़्त चले जाओ.

बिहारी- तुझसे तो मैं बाद में बात करता हूँ पहले तेरे भाई से कुछ बात करनी हैं.

बिहारी फिर कृष्णा की तरफ अपना मूह करके बोलता हैं.

बिहारी- क्यों रे कुत्ता. आज कल तू मेरे चौखट पर अपने पाँव नही रखता .. बात क्या हैं. कहीं अपनी बेहन से तो तुझे इश्क़ नही हो गया ना...... वैसे भी तेरी बेहन तो पूरी पाताका हैं.

कृष्णा- बिहारी ज़ुबान संभाल कर बात कर. मैं अभी तक चुप हूँ इसका मतलब ये नहीं है कि मैं तुझसे डरता हूँ. मैं तो बस अब कोई भी बात आगे नहीं बढ़ाना चाहता. अच्छा होगा की अब तू मुझे भूल जा और कोई नया आदमी मेरी जगह पर रख ले.

बिहारी एक बार फिर कृष्णा को घूर कर देखता हैं.....

बिहारी- अपने साथी की ओर इशारा करते हुए- देखो कल तक ये मेरे आगे पीछे दुम हिलाता था और आज मुझसे ये कैसी बातें कर रहा हैं. मुझे समझ में नही आ रहा हैं कि तुझसे हो क्या गया हैं. तेरी बेहन ने तुझपर कौन सा जादू कर डाला हैं जो तू अपने बचपन के मालिक को ही भूल जाने की बात कर रहा हैं.

कृष्णा- बिहारी जी आप प्लीज़ यहाँ से चले जाइए. मैं इस बारे में अब कोई भी बात नहीं करना चाहता.

बिहारी- चले जाउन्गा. इतनी जल्दी भी क्या हैं. ज़रा मैं भी तो देखू कि तेरी बेहन में कितनी गर्मी हैं.

कृष्णा- नहीं बिहारी. जो बात करनी हैं मुझसे कर. मेरी बेहन को तू क्यों बीच में ला रहा हैं. उसका हम दोनो से कोई लेना देना नहीं हैं. और कृष्णा राधिका को अंदर जाने का इशारा करता हैं.

बिहारी के तीनों आदमी झट से आगे बढ़ते हैं और कृष्णा के दोनो हाथ पकड़कर दो तीन घूसा उसके मूह और पेट पर जड़ देते हैं. पंच इतना ज़ोरदार था कि कृष्णा का होंठ फट जाता हैं और उसके मुँह से खून निकलने लगता हैं. ये सब नज़ारा देखकर अब राधिका को बर्दास्त नही होता और वो दौड़कर कृष्णा के पास जाकर उससे लिपट जाती हैं और बिहारी के आदमी भी कृष्णा पेर हाथ उठाना अब बंद कर देते हैं.

राधिका- प्लीज़ मेरे भैया को मत मरो. मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ. प्लीज़ रुक जाइए आप सब.........

राधिका को ऐसे कृष्णा से लिपटा देखकर बिहारी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ जाती हैं.

बिहारी- वाह!!! वाह!!! क्या नज़ारा हैं. भाई बेहन का ऐसा प्यार तो मैने आज तक नही देखा. देखो मार ये खा रहा है और दर्द इसे हो रहा है.

और बिहारी भी अंडू के एकदम करीब चला जाता है और अपना दाया हाथ आगे बढाकर राधिका के बाल को कसकर पकड़ लेता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. फिर वो राधिका को घसीटता हुआ कृष्णा से दूर लेजाता है और कसकर एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर मार देता हैं. थप्पड़ इतना ज़ोरदार था कि राधिका के आँखों से आँसू निकल जाते हैं और उसकी आँखों के सामने कुछ पल के लिए अंधेरा छा जाता हैं.

ये सब देखकर कृष्णा ज़ोर से चिल्ला पड़ता हैं. अब इस वक़्त वो भी मज़बूर था उसके दोनो हाथ बिहारी के आदमियों ने कसकर पकड़ रखे थे इस लिए वो चाह कर भी अपना हाथ नही छुड़ा पा रहा था.

कृष्णा- छोड़ दे बिहारी मेरी बेहन को. तेरी बात मुझसे हैं. तू मेरी बेहन को क्यों बीच में ला रहा हैं.

तभी बिहारी का एक आदमी कहता हैं- मालिक ये लड़की तो आप पर हाथ उठाई हैं. साली को यही पर इसके भाई के सामने इसका बलात्कार करते हैं. कसम से बहुत मज़ा आएगा.

कृष्णा भी अगर होश में रहता तो शायद वो उन तीनो का अकेला सामना कर लेता मगर वो इस समय खुद ठीक से खड़ा भी नही हो पा रहा था. सामना क्या खाक करता.

बिहारी भी राधिका के करीब जाता हैं और उसके सीने से दुपट्टा को उतार कर फर्श पर फेंक देता हैं. ये सब देखकर कृष्णा की आँखों में खून समा जाता हैं. राधिका झट से अपने दोनो हाथ अपने सीने पर रख देती हैं और अपना सिर नीचे झुका कर रोने लगती हैं. आज तक उसे अपनी ज़िंदगी में कभी इस तरह से किसी ने हाथ भी नही उठाया था. और ना ही किसी ने ऐसा जॅलील किया था.

कृष्णा- तेरी दुश्मनी मुझसे हैं. अगर तूने अब की बार राधिका को हाथ भी लगाया तो मैं भूल जाउन्गा की तेरा मुझपर कोई एहसान भी हैं. फिर चाहे मुझे फाँसी ही क्यों ना हो जाए लेकिन तू भी ज़िंदा नही बचेगा.

राधिका के आँख से आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे. और वो उसी अवस्था में नीचे फर्श पर बैठी हुई थी.

अपना सिर को झुकाए.

बिहारी- देख कृष्णा अगर मैं चाहू तो यही पर तेरी बेहन के साथ गॅंगरेप करवा सकता हूँ तेरे आँखों के सामने. और तू तो जानता हैं कि इस दुनिया में कोई भी भाई कितना भी गिरा क्यों ना हो अपनी ही बेहन का गॅंगरेप होते हुए अपनी आँखों के सामने कभी नहीं देख सकता. और मैं जांटा हूँ कि तू भी ये नही चाहेगा.

कृष्णा- देख बिहारी मेरी बेहन को बीच में मत घसीट. तुझे जो करना हैं मेरे साथ कर. .......

बिहारी हंसते हुए..... देख भाई मैं यहाँ पर तुझसे कोई दुश्मनी निकालने के लिए नहीं आया हूँ. मैं तो बस एक सौगात लेकर आया था मगर तुझे तो मेरी कोई भी बात सीधी तरह समझ में नहीं आती .

कृष्णा- कैसा सौगात.??? मैं कुछ समझा नहीं. ???

बिहारी फिर अपने आदमियों से कृष्णा का हाथ छोड़ने का इशारा करता है और तीनों आदमी एक साइड खड़े हो जाते हैं.

बिहारी- देख कृष्णा अब जो मैं तुझसे कहना चाहता हूँ वो तू ध्यान से सुन. तू मेरे यहाँ काम कर चाहे ना कर इस बारे मे मैं तुझे कुछ नही कहूँगा. पर.............

कृष्णा-पर............क्या बिहारी.

बिहारी- मैं तो तेरी बेहन से अपने ब्याह का प्रस्ताव लेकर आया हूँ. मैं तेरी बेहन से शादी करना चाहता हूँ.

राधिका ये सब सुनकर उसके होश उड़ जाते हैं और कृष्णा का भी मूह खुला रह जाता हैं.

कृष्णा- क्या............ ये......क्या कह रहे हो बिहारी.....ऐसा कभी नहीं हो सकता..

बिहारी- क्या करूँ कृष्णा तेरी बेहन हैं ही ऐसी. मेरा दिल उसपे आ गया हैं. सोच ले कोई जल्दी नहीं हैं. आराम से खूब सोच समझ कर बताना.

राधिका- भैया इनसे कह दो कि मैं मर जाउन्गि मगर इनसे कभी शादी नहीं करूँगी. अरे कम से कम अपनी उमर का तो लिहाज करो. मेरे बाप के उमर के हो और अपनी बेटी के बराबर लड़की से शादी करना चाहते हो.

बिहारी- अरे देख ना मुझे , क्या नहीं हैं मेरे पास. बंगला, गाड़ी, शोहरात, सब कुछ तो हैं. और तो और मैं इस सहर का एमएलए भी हूँ. बस तू हां कह दे फिर देखना तुझे रानी बनाकर रखूँगा. तुझे किसी भी चीज़ की तकलीफ़ नही होगी. यहाँ पर क्या रखा हैं. ये टूटा हुआ घर. तू कैसे ऐसे माहूल में रहती होगी. मेरे साथ चल तुझे मैं अपने पलकों पर बिठा कर रखूँगा.

कृष्णा- बिहारी , अगर तेरा मुझपर एहसान नहीं होता तो तू इस वक़्त यहाँ अपने कदमों पर खड़ा नही होता. तूने ये कैसे सोच लिया कि मैं अपनी बेहन का हाथ तुझे दूँगा. इससे पहले कि मैं सब कुछ भूल जाओं तू यहाँ से चला जा अपने आदमियों के साथ.

बिहारी- ठीक हैं अगर तुम दोनों का यही फैल्सा हैं तो यही सही. लेकिन एक बात जान ले अगर मुझे कोई भी चीज़ पसंद आ जाती हैं तो मैं उसे किसी भी तरह हासिल कर लेता हूँ. चाहे शाम................दाम ..........डंड................भेद......... अगर इन चारों नीति में से मुझे जो भी अपनाना पड़े , राधिका को अगर हासिल करने में तो.. मैं इससे पीछे नहीं हटूँगा. अगर राधिका मेरी नही हुई तो मैं उसे किसी और के लायक रहने भी नही दूँगा.

कृष्णा- बिहारी अबकी आखरी बार बोल रहा हूँ चुप चाप चल जा. वरना मैं भूल जाउन्गा कि ..................

बिहारी- जा रहा हूँ लेकिन कब तक तू अपनी बेहन को बचाता फ़िरेगा. देख लेना मुझसे दुश्मनी तुझे बहुत महँगी पड़ेगी.

और बिहारी अपने आदमियों से साथ बाहर निकल जाता हैं..

राधिका भी दौड़ कर कृष्णा के गले लग जाती हैं. आज वाकई में उसका दिन बहुत खराब बीता था. कृष्णा भी उसे बड़े प्यार से अपनी बाहों में ले लेता हैं और उसके सर पर अपना हाथ फेरता हैं.

राधिका- भैया मुझे कहीं से ज़हर लाकर दे दो. मैं सच में जीना नहीं चाहती. दुनिया में लोग खूबसूरत बनने के लिए ना जाने क्या क्या करते हैं. और आज मेरी सुंदरता ही मेरी दुश्मन बनती जा रही हैं. देख लेना किसी दिन ये मेरी जान लेकर ही रहेगी.

कृष्णा- वो तेरा कुछ नहीं बिगड़ पाएगा. मेरे जीते जी कोई तुझे आँख उठा कर भी देखेगा तो साले की आँखें निकाल लूँगा......

फिर दोनो की आँखें से आँसू बहने लगते हैं .................................

राधिका उसी तरह कृष्णा के बाहों में ऐसे ही लिपटी रहती हैं. फिर वो उठकर जाती हैं और डेटोल और रूई लेकर आती हैं और कृष्णा के होंठ पर लगाती हैं. कृष्णा भी एक टक राधिका को बड़े ही प्यार से देखने लगता हैं.

कृष्णा- रहने दे राधिका मैं इसी लायक हूँ. आज मेरी वजह से वो बिहारी तेरे पर हाथ उठा कर चला गया और मैं कुछ नहीं कर सका.

राधिका- इसमें आपकी कोई ग़लती नहीं हैं भैया. वो तो हैं ही कमीना.

कृष्णा के मन में कई सवाल उठ रहे थे. आज उसके दिल में अपनी ही बेहन के लिए डर बढ़ गया था. वो अच्छे से जानता था कि बिहारी किस हद्द का कमीना हैं. उसे जो भी चीज़ पसंद आ जाती हैं वो उसे किसी भी हाल में हासिल करना चाहता हैं. और जो वो धमकी देकर गया हैं वो बस बोलता ही नहीं हैं बल्कि करता भी हैं. ये सब सोचकर वो कुछ राधिका के लिए परेशान था.

कृष्णा-मैं तो ये सोच रहा हूँ कि हम ने बहुत बड़ी ग़लती की बिहारी से उलझकर. मैं उसको बहुत अच्छे से जानता हूँ वो बहुत ही कमीना हैं. मुझे तो बस तेरी चिंता हैं. अगर तुझे कुछ हो गया तो.......................

राधिका- कैसी बात करते हैं भैया. आपके रहते मुझे कुछ होगा क्या.

कृष्णा अपना हाथ प्यार से राधिका के सिर पर रख देता हैं और उसके माथे को चूम लेता हैं.

कृष्णा- मेरे रहते तुझे कोई छू भी नहीं सकता. जान दे दूँगा लेकिन तुझे कुछ नहीं होने दूँगा. आज से ये तेरा भाई तुझसे वादा करता हैं.

राधिका भी मुस्कुरा देती हैं. फिर कृष्णा उठकर बाहर जाता हैं और कुछ खाने का समान लेकर आता हैं.

कृष्णा- आज मैं तुझे अपने इन हाथों से खिलाउन्गा.

राधिका- हां भैया आपका मुझपर पूरा हक़ हैं. जो आपको अच्छा लगे मैं आज के बाद कभी आपको किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी.

कृष्णा फिर बड़े प्यार से राधिका को अपने हाथों से खाना खिलाता हैं और राधिका भी अपने हाथों से कृष्णा को खाना खिलाती हैं. दोनो बड़े प्यार से एक दूसरे को देखते है.

कृष्णा- तुझे याद हैं आज पुर दस दिन बीत गये हैं. और अभी 4 दिन बाकी हैं. कृष्णा राधिका को कुछ याद दिलाते हुए बोला.

राधिका- क्या भैया आप भी ना........... नही सुधरोगे. एक तरफ तो मेरी हिफ़ाज़त करने को बोलते हो तो दूसरी तरफ मुझे सिड्यूस करने को. मैं सच में आभी तक आपको समझ नही पाई.

कृष्णा मुस्कुराते हुए- लगता हैं मैं ये शर्त हार जाउन्गा. अब तो लगता हैं की मेरा सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा.

राधिका- आप भी ना भैया.

कृष्णा- तो तू अपने मूह से बोल क्यों नहीं देती. बस मुझे और कुछ नहीं चाहिए.

राधिका- ठीक हैं भैया मैं खुद बोलूँगी, मगर अभी नहीं आज मैं पहले से ही बहुत डिस्टर्ब हूँ.

कृष्णा- ठीक हैं राधिका मुझे तुझपर पूरा भरोसा हैं. तेरे जवाब का मुझे पहले भी इंतेज़ार था आज भी हैं और कल भी रहेगा.

राधिका - चलिए भैया आज आप मेरे रूम में चलकर सो जाइए. इस वक़्त आप बहुत नशे में हैं और आज मुझे बहुत डर भी लग रहा हैं. मैं आपके बाजू में वही पर सो जाऊंगी.

कृष्णा- तू इतने यकीन से कैसे कह सकती हैं कि मैं तुझे हाथ भी नही लगाउन्गा. अगर रात में मैं तेरे साथ कुछ..............

राधिका- मुझे अपने आप से ज़्यादा आप पर भरोसा हैं. मैं जानती हूँ कि आप मेरी मर्ज़ी के बिना मुझे हाथ भी नही लगाएगे. फिर राधिका एक बार कृष्णा के गले लग जाती हैं.

फिर कृष्णा और राधिका आकर एक ही बिस्तेर पर सो जाते हैं . कृष्णा तो जैसे ही बिस्तेर पर आता हैं वो तुरंत सो जाता हैं मगर आज राधिका कुछ ज़्यादा ही परेशान और बेचैन थी. वो बड़े गौर से कृष्णा को देखने लगती हैं. आज ना जाने क्यों उसे अपने भैया के प्रति प्यार और बढ़ गया था. आज वो अपने आप को कृष्णा के लिए समर्पित करना चाहती थी.

थोड़े देर ये सब सोचने के बाद वो कृष्णा का दाया हाथ अपने हाथ मे लेकर उसे बड़े प्यार से देखने लगती हैं. मगर कृष्णा को कोई होश नहीं था. फिर राधिका कुछ सोचकर कृष्णा का हाथ धीरे धीरे सरकाते हुए पहले अपने लब पर रख देती हैं फिर उसके उंगली को एक एक करके बड़े प्यार से चूसने लगती हैं. कुछ देर तक ऐसा करने के बाद वो उसका हाथ धीरे धीरे सरकाते हुए अपने सीने पर रख देती हैं और अपने हाथ पर प्रेशर बढाने लगती हैं. अगर कृष्णा इस वक़्त जगा होता तो वो खुशी से पागल हो जाता.

फिर वो कृष्णा का हाथ को उसी तरह अपने सीने पर घुमाने लगती हैं और फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर अपनी चूत को ज़ोर से मसल्ने लगती हैं. आज उसे ये भी होश नहीं था कि वो क्या कर रही हैं. इसी तरह कुछ देर बेचैन रहने के बाद वो उठ ती हैं और बाथरूम जाती हैं और फिर किचन में जाकर ठंडा पानी पीती हैं और फिर आकर कृष्णा की बाहों में अपना सिर रखकर उसके आगोश में सो जाती हैं. कृष्णा के बदन की गर्मी से राधिका के मन में फिर से बेचैन होने लगता हैं मगर वो नहीं चाहती थी कि आज वो कोई ऐसा वैसा काम करे. इसलिए बहुत कॉसिश करने के बाद वो कृष्णा से लिपटकर उसकी बाहों में सो जाती हैं...............

सुबह जब राधिका की नींद खुलती हैं तो कृष्णा का एक हाथ उसके सीने पर रहता हैं. वो भी बस मुस्कुरा देती है और बड़े प्यार से अपने भैया का माथा चूम लेती हैं. फिर वो उठकर फ्रेश होती है और किचन में जाकर नाश्ता बनाने लगती हैं.

दूसरी तरफ......................

करीब 10 बजे विजय के घर पर...

विजय अपने घर में बस शर्ट पहने हुए अपना एक हाथ अपने लंड पर रखकर ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहा था और बार बार राधिका का नाम ले रहा था. वो अपने में इतना मस्त था कि वो घर का मेन डोर बंद करना भी भूल गया था और वो अब अपने चरम पर पहुँचने वाला ही था कि किसी ने उसके घर पर आकर उसके मैन डोर को एक ज़ोरदार लात मरता हैं और दरवाज़ खुल जाता हैं.

सामने बिहारी था और बिहारी अंदर आते ही एक ज़ोरदार लात विजय के लंड पर मारता हैं और विजय के मूह से एक ज़ोरदार चीख निकल जाती हैं.....

बिहारी- मदर्चोद........ अपने गले में फाँसी का फँदा लगने वाला हैं और ये मदर्चोद यहाँ पर मूठ मार रहा हैं.

विजय- ज़ोर से चीखते हुए.........ये क्या बदतमीज़ी हैं बिहारी. तूने मुझे लात क्यों मारी.

बिहारी- लात नहीं मारू तो क्या तेरी आरती उतारू. मदर्चोद किसी दिन तू मुझे भी ले डूबेगा.

विजय कुछ देर में नॉर्मल होता हैं और फिर अपना पेंट पहन लेता हैं.

बिहारी- तुझे किसने कहा था उस इनस्पेक्टर पर हमला करने को. तेरा दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया ना. अभी कल ही हमारे दो आदमी मारे गये हैं और उपर से तूने उसपर हमला करवा दिया. अब तो उसे पूरा यकीन हो गया होगा कि ज़रूर ये हमलावर उसी के ही आदमी होगे.

विजय- तो मैं और क्या करता. कब तक मैं अपना धंधा बंद करके बैठूं. मेरी तो प्लॅनिंग उसे जान से मारने की थी मागर साला उसकी किस्मत अच्छी हैं कि वो फिर से बच गया.

बिहारी- तुझे पता भी हैं राहुल और उसके डिपार्टमेंट के सारे पोलिकवले कुत्ते की तरह उस ट्रक को ढूँढ रहे हैं. और हो ना हो उन्हें एक दो दिन में वो ट्रक मिल ही जाएगा.

विजय- अगर मिल भी जाएगा तो कोई फायेदा नहीं होगा. पोलीस उनसे कुछ नही उगलवा पाएगी. क्योंकि वो एक कांट्रॅक्ट किल्लर हैं. उनका काम ही हैं दूसरी पार्टी से पैसा लेना और काम ख़तम होते के बाद अपना पैसा लेकर चले जाना. ना तो उनलोगों ने मुझे देखा हैं ना ही मैं उन्हें पहचानता हूँ.

बिहारी- ठीक हैं लेकिन याद रखना अगली बार कोई ग़लती नहीं होना चाहिए. अगर इस बार हम से कोई चूक हुई तो हम इस बार दुनिया से ही चले जाएगे.

विजय- तू अपनी मौत से कितना डरता हैं बिहारी. एक ना एक दिन तो मरना ही हैं ना..........फिर डर कैसा.

बिहारी- तो इसका मतलब मैं जाकर मौत को अपने गले लगा लूँ क्या. अभी तो मुझे जीवन में बहुत मज़े करने हैं. और बिहारी और विजय हँसने लगते हैं
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#25
Update 18



बिहारी- एक बात बता अगर तू राहुल को सच में जान से मारना ही चाहता था तो तू कल क्यों गया था उससे फिर मिलने.

विजय- ताकि उसको शक ना हो क़ि ये सब के पीछे मेरा मास्टरमाइंड हैं. अब मैं पूरे यकीन से कह सकता हूँ कि राहुल को मुझपर शक कभी नही होगा. और उससे दोस्ती का भी एक फ़ायदा हैं मुझे हर न्यूज़ अप टू डेट मिलती रहती हैं.

बिहारी- वाकई तू तो सच में समझदार हैं. चल मुझे माफ़ कर दे कहीं ज़्यादा ज़ोर की तो नहीं लगी ना.

विजय- मदर्चोद मार कर बोलता हैं कि ज़्यादा ज़ोर की नही लगी. मन तो किया था कि तुझे गोली मार डून. विजय अपने दाँत पीसते हुए बोला.

बिहारी- अरे हो गयी ना ग़लती. एक बात बता तू मेरे लिए लड़की लाने वाला था उसका क्या हुआ.

विजय- मिल गयी हैं. अगर तू कहे तो यहीं पर बुला लूँ. फिर हम दोनो मिलकर उसे चोदेन्गे.

बिहारी- यहाँ पर नहीं. अरे मेरी भी कोई इज़्ज़त हैं. अगर पकड़ा गया तो साला पार्टी में नाक कट जाएगी. और जनता मुझपर थूकेगी.

विजय- तो कहाँ पर ................

बिहारी- एक काम कर मेरे गेस्ट हाउस पर उसे बुला ले कल शाम को. पूरी रात उसे हम दोनो मिलकर चोदेन्गे. क्यों क्या ख़याल हैं.

विजय- कुत्ते का दुम सीधा हो सकता हैं मगर बिहारी सुधार जाए ये कभी नही हो सकता. इतना कहकर विजय और बिहारी हँसने लगते हैं.

...........................................

सुबह करीब 10 बजे निशा भी हॉस्पिटल पहुँच जाती हैं राहुल से मिलने के लिए. निशा भी अब राहुल से बे-इंतेहा प्यार करने लगी थी. उसके दिल दिमाग़ में बस राहुल था. मगर आज तक उसे कभी हिम्मत नही हुई थी कि वो जाकर राहुल को प्रपोज़ कर दे. मगर आज वो कुछ ऐसा ही सोचकर आई थी कि वो अपने प्यार का इज़हार करेगी.

जैसे ही वो राहुल को देखती हैं वो बड़ी मुश्किल से आपने आप को संभालती हैं और झट से जाकर राहुल के बगल में बैठ जाती हैं.

निशा- कैसे हो राहुल!! ये सब कैसे हो गया. और किसी ने मुझे बताना भी ज़रूरी नही समझा.

राहुल- नही निशा जी ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस एक ट्रक वाले ने पीछे से ठोकर मार दी.

निशा- मगर आटीस्ट मुझे तुम एक बार फोन तो कर ही सकते थे ना. वो भी तुमने ज़रूरी नहीं समझा.

राहुल- ओके बाबा आइ आम सॉरी. बात ही ऐसी थी कि मैं बताना नही चाहता था. तुम बेवजह परेशान होती. डॉन'ट माइन मैं अब ठीक हूँ. बस कल डिसचार्ज हो जाउन्गा. आज राधिका नही आई क्या तुम्हारे साथ.

निशा- नही आज मैं कॉलेज नही गयी. जब ये खबर सुनी तो झट से यहाँ चली आई. राधिका शायद आज कॉलेज में होगी. क्या वो ये बात जानती हैं.

राहुल- हां वो तो कल ही मुझसे मिलने आई थी.

निशा- क्या???? राधिका ये सब जानते हुए भी मुझे बताना ज़रूरी नहीं समझा. ठीक हैं अगर मिलेगी तो उसे बताती हूँ.

राहुल- अरे आपकी बेस्ट फ्रेंड हैं. भूल गयी होगी. वैसे आप दोनो की दोस्ती भी कमाल की हैं. सच में मैने ऐसा दोस्त नहीं देखा जो हर पल एक दूसरे के लिए जान तक देने को तैयार रहते हैं.

निशा- मेरी राधिका हैं ही ऐसी. पर पता नहीं क्यों वो आज कल कुछ दिनों से बदली बदली सी लग रही हैं. समझ में नही आती की उसे क्या हो गया हैं. हमेशा कुछ टेन्षन में दिखती हैं.

राहुल- मुझे तो ऐसा बिल्कुल नही लगता. वो तो सच में आटम बॉम्ब है. पर जो भी हैं कमाल की हैं.

निशा- राधिका के मूह पर ये बात मत कहना वरना पता नहीं तुम्हारा क्या हाल करेगी.

फिर थोड़े देर तक ऐसी ही बातें होती हैं और फिर कृष्णा भी राहुल से मिलने आ जाता हैं.

कृष्णा- अरे साहेब सुना कि आपका आक्सिडेंट हो गया हैं और आप अड्मिट हैं तो सोचा कि आपसे मिलता चलूं.

राहुल- आपने अच्छा किया जो आप मुझसे मिलने आ गये. मैं भी आपसे कुछ बातें करना चाहता था राधिका के बारे में.

निशा ये बात सुनती है तो वो आश्चर्य से राहुल और कृष्णा की तरफ देखने लगती हैं.

कृष्णा- कहिए साहेब क्या बात करनी हैं.

राहुल- वो मैं ...............

कृष्णा- मैं जानता हूँ साहेब कि आप राधिका से बहुत प्यार करते हैं और आप उससे शादी करना चाहते हैं. राधिका ने मुझे सारी बातें बता दी हैं. मुझे इस बारें में कोई परेशानी नहीं हैं. बल्कि मुझे तो खुशी होगी कि आप जैसा काबिल ऑफीसर से मेरी बेहन की शादी होगी. आप जब चाहे मेरी बेहन से शादी कर सकते हैं.

निशा के लिए कृष्णा की एक एक बात किसी बॉम्ब के धमाके के समान थी. उसने तो कभी सोचा भी नहीं था की राहुल और राधिका का प्यार इस हद तक आगे बढ़ जाएगा कि वो शादी तक बात पहुँच जाएगी. आज उसके दिल पर एक गहरा धक्का लगा था. वो बहुत मुश्किल से आपने आँसुओ को रोके हुए थी.

राहुल- ठीक हैं मैं अगले महीने पंडितजी से बात करके कोई अच्छा सा डेट निकलवा देता हूँ. मैं सौभाग्य होगा कि राधिका जैसा लड़की मेरी बीवी बनेगी.

कृष्णा- ठीक हैं साहेब जैसी आपकी मर्ज़ी. अगर मेरी बेहन इसी में खुस हैं तो मुझे क्या परेशानी हो सकती हैं.

फिर कुछ देर में कृष्णा भी वहाँ से चला जाता हैं.

निशा- बहुत मुश्किल से आपने आप को संभालते हुए.- राहुल तुमने कभी बताया नहीं कि तुम राधिका से प्यार करते हो.

राहुल- आइ आम रियली सॉरी मैं तुम्हें बताने ही वाला था इस बारे में मगर........चलो कोई बात नही अब तो तुम जान ही गयी हो ना.

निशा बस रो ही नही पा रही थी मगर आज उसके दिल पर क्या बीत रही थी वो तो बस वही जानती थी.

निशा- अच्छा राहुल अब मैं चलती हूँ मुझे देर हो रही हैं........

फिर निशा जैसे ही बाहर निकलती हैं उसके आँखों से रुके हुए आँसू तुरंत फुट पड़ते हैं. राहुल की नज़र उसपर नही पड़ती वरना वो भी सोचने पर मज़बूर हो जाता.............

निशा वहाँ से अपने घर आती हैं और अपने कमरा बंद करके बिस्तेर पर धम्म से गिर पड़ती हैं और फिर ज़ोर ज़ोर से रोने लगती हैं. आज एक तरफ दो दिल मिल रहें थे तो एक दिल टूट गया था. शायद ये प्यार में अक्सर होता हैं. आज निशा भी खुल कर रोना चाहती थी आज वो अपना पूरा मन हल्का करना चाहती थी. 6 महीने से जिस प्यार को वो अपने दिल में सँजोकर रखी थी.... आज बताने का भी वक़्त आया तो .................

निशा - मेरे नसीब में किसी का प्यार नही हैं. मैने आज अपनी ज़िंदगी में किसी से प्यार भी किया तो वो भी अब मेरा नहीं हो सका. हे भगवान इससे अच्छा कि तू मुझे मौत दे दे.......... मैं सच में जीना नहीं चाहती....

निशा काफ़ी देर तक यूही रोती रही फिर वो बिना ख़ान खाए ही बिस्तेर पर सो गयी. और आने वाले वक़्त का इंतेज़ार करने लगी कि पता नहीं वक़्त उसके नसीब को कहाँ ले कर जाएगा..

हॉस्पिटल में..................

ख़ान- गुड मॉर्निंग सर!!!!

राहुल- वेरी गुड मॉर्निंग ख़ान!! आओ मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था. उस ट्रक का कुछ पता चला क्या????

ख़ान- हां सर मिल गया. और उसके ड्राइवर को भी हम ने हिरासत में ले लिया हैं. सर वो दो लोग हैं.

राहुल- तो कुछ पता चला क्या,, कौन हैं वो लोग और उनका गॅंग लीडर.

ख़ान- सर वो एक कांट्रॅक्ट किल्लर हैं. हम ने उनलोगों पर थर्ड डिग्री भी यूज़ किया मगर वो लोग कुछ बताने का नाम ही नही ले रहे.और शायद उन्हें कुछ नही मालूम. ना नाम, ना पता , वो तो बस यही कह रहे हैं कि हम अगला पार्टी से पैसे लेते हैं और काम ख़तम होते ही हम अपना पैसा लेकर चले जाते हैं. ना हमे मालिक से किल्लिंग का वजह जानते हैं और ना उसके पीछे किल्लिंग का राज़. बस.............

राहुल- इसका मतलब हमलावर बहुत चालाक हैं. चलो कोई बात नही कब तक आख़िर बचेगा.आज नहीं तो कल ज़रूर पकड़ा जाएगा..

राहुल- तो इसका मतलब जिन लोगों ने मुझपर हमला करवाया था और वो दोनो जो पोलीस मुठभेड़ में मारे गये थे हो ना हो इन सब के पीछे एक ही आदमी का हाथ है.

ख़ान- हां सर मुझे भी यही लगता हैं. खैर कोई सुराग मिलते ही वो ज़रूर पकड़ा जाएगा. और सर बताइए मेरे लायक कोई सेवा....

राहुल- क्यों शर्मिंदा करते हो ख़ान भाई!!!! बस आब तुम वापस पोलीस स्टेशन चले जाओ. फिलहाल कोई काम नहीं हैं. अगर कुछ होगा तो मैं तुम्हें इनफॉर्म करूँगा.

दोपहर में ..................

राधिका आज बहुत देर तक निशा को कॉलेज में ढूँढती हैं और उसके मोबाइल पर फोन भी करती हैं मगर निशा उसका फोन नही रिसेव करती हैं. ऐसा आज पहली बार हुआ था कि राधिका का फोन निशा ने रिसेव नही किया था.

फिर वो कुछ सोचकर वो निशा के घर चल देती हैं.

राधिका जैसे ही निशा के घर पहुँचती है उसकी मम्मी डोर ओपन करती हैं.

निशा की मम्मी सीता...

सीता- आओ राधिका बेटी कैसे आना हुआ.

राधिका- नमस्ते आंटी. कैसी हो आप............मैं ठीक हूँ.

सीता- आओ ना अंदर. निशा घर पर ही हैं. मैं उसे बुलाती हूँ.

राधिका वही पर सोफे पर बैठ जाती हैं. और निशा का इंतेज़ार करती हैं.

सीता- दरवाज़ा खोलो बेटी.. देखो राधिका तुमसे मिलने आई हैं...

निशा अपने आँखों से आँसू पोछते हुए..... आ रही हूँ मम्मी.

निशा फिर बाथरूम में जाती हैं और अपना मूह अच्छे से धोती हैं. उसकी आँखें पूरी लाल हो गयी थी. फिर वो आकर अपना मूह पोछती हैं और जाकर दरवाज़ा खोलती है और अपने मम्मी से बोलती है- मम्मी राधिका को मेरे रूम में ही भेज दो..

सीता नीचे जाती हैं और राधिका को निशा के रूम में जाने को कहती हैं. राधिका भी उठकर उपर निशा के रूम में जाती हैं...

राधिका जैसे ही निशा को देखती हैं वो बड़े गौर से उसे देखने लगती है.

राधिका- ये तूने अपना क्या हाल बना रखा हैं. और तेरी आँखें इतनी लाल क्यों हैं. और तू आज कॉलेज क्यों नही आई.

निशा- नही......वो मेरी तबीयात कुछ ठीक नही लग रही थी. इस वजह से......... निशा अपना सिर नीचे झुका कर बोली.

राधिका- पर मेरा फोन तो तू रिसेव कर ही सकती थी ना........ फिर............

निशा- आइ आम रियली सॉरी.... राधिका मेरी आँख लग गयी थी.....

राधिका घूर कर निशा को फिर से देखती हैं- क्या बात हैं निशा!!!! मुझसे कोई ग़लती हो गयी क्या???

निशा- नही राधिका ऐसी कोई बात नही हैं. बस यूँही .................

राधिका ज़ोर से उसका हाथ को झटकते हुए और उसके एक हाथ को अपने सिर पर रखते हुए--- खा कसम मेरी की कोई बात नही है.. तू मुझसे कुछ छुपा रही हैं.

निशा- नही राधिका सच में कोई बात नही हैं. बस ऐसे ही............

राधिका- तो मेरी सिर की कसम खा कर कह दे ना कि .............कोई बात नहीं हैं.

निशा अपना हाथ झटकते हुए राधिका के सिर से हटा लेती हैं.. ये क्या कर रही है तू. हर बात के लिए कसम खाना ज़रूरी हैं क्या. मैने कहा ना................कोई बात नहीं हैं...

राधिका- तो फिर तेरी आँखो में ये आँसू कैसे हैं. क्यों तू रो.. रही हैं.

निशा- प्लीज़ राधिका, .........मैं सच कह रही हूँ कोई बात नहीं हैं.......

राधिका- ठीक हैं निशा जैसी तेरी मर्ज़ी अगर तू नही बताना चाहती तो मैं तुझपर ज़्यादा दबाव नही डालूंगी पर एक बात कहना चाहती हूँ ..............जानती हैं निशा जब मैं छोटी थी तभी मैने अपनी मा को खो दिया था.फिर मैने अपनी मा के बगैर पूरे 11 साल ये दिन काटे हैं और आज भी काट रही हूँ. उस समय जब मैं 15 साल की थी तब मैं तुझसे पहली बार मिली थी. उस वक़्त मुझे सबसे ज़्यादा एक अच्छे दोस्त की ज़रूरत थी और जब से तू मुझे मिली मुझे मानो एक नयी ज़िंदगी मिल गयी.

मैने तुझे अपनी हर बात बताई हर एक राज़ को तेरे सामने खुली किताब की तरह रख दिया. हर सुख दुख में तू मेरे साथ रही. अगर आज भी मेरा कोई अपना हैं तो वो बस तू हैं. और आज भी मैं जब भी भागवान से कुछ मांगती हूँ तो बस यही कि तू जहाँ भी रहें हमेशा खुस रहें. मैने कभी अपने लिए कुछ भी नही चाहा ............

फिर आज ऐसी क्या बात हो गयी जो तू मुहसे छुपा रही हैं................................इतना कहते ही राधिका भी चुप हो जाती हैं.

निशा अपने आँसू नही रोक पाती और तुरंत वो राधिका से लिपटकर रोने लगती हैं. कुछ देर तक वो ऐसे ही राधिका से लिपटकर रोती रहती हैं.......

राधिका उसके आँखों से आँसू पोछती हैं और चुप करती हैं- बता ना निशा किसी ने तुझसे कुछ कहा क्या....

निशा को तो कुछ समझ में नही आ रहा था कि वो कैसे बताए कि वो राहुल से प्यार करती हैं और राहुल राधिका से प्यार करता हैं. वो उसे कैसे कहे कि वो उसकी सहेली भी जिसे जान से ज़्यादा चाहती हैं वो भी राहुल को उतना ही चाहती हैं. और वो अच्छे से जानती थी कि अगर ये बात राधिका जान गयी तो वो अपने दोस्ती के आगे अपना प्यार को भी कुर्बान कर देगी....... और वो आब राधिका और राहुल के बीच में कभी नही आना चाहती थी.

ऐसे ही कई सवाल से उलझी निशा उन्ही खामोश रहती हैं और उसे तो कुछ समझ में नही आता कि वो क्या जवाब दे राधिका को.....और वो ये भी जानती थी कि राधिका जब तक उसके मूह से जवाब नही सुन लेगी उसका पीछा इतनी आसानी से नही छोड़ने वाली..

निशा बहुत सोचकर आख़िर में जवाब देती हैं- मुझे किसी से प्यार हो गया है. मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ मगर वो किसी और को चाहता हैं. इतना कहकर निशा चुप हो जाती हैं.........

राधिका- हां तो मेरी जान को भी आख़िर में कोई राजकुमार पसंद आ ही गया. लेकिन तू इतना विश्वास के साथ कैसे कह सकती हैं कि वो किसी और से प्यार करता हैं. जो भी होगा सच में स्पेशल ही होगा. बता ना निशा कौन हैं वो जो तेरा दिल ले गया...........

निशा- मैं तुझे अभी नहीं बता सकती. बस वक़्त आने पर तुझे सब पता चल जाएगा.

राधिका- ठीक हैं मत बता मगर बता देगी तो हो सकता है मैं तेरी कुछ मदद करू. आख़िर मेरी सहेली में क्या बुराई हैं जो वो किसी और के पीछे पड़ा हुआ हैं.

निशा- प्लीज़ राधिका मुझे आब बस इस बारे में कोई भी बात नहीं करनी...

राधिका ये नहीं जानती थी कि वो और कोई नहीं बल्कि राहुल ही हैं. मगर अब वक़्त जल्दी ही आने वाला था जो राधिका की ज़िंदगी का रुख़ हमेशा हमेशा के लिए मोड़ने वाला था.

थोड़े देर में वो भी नीचे आ जाती हैं और निशा बाथरूम में फ्रेश होने चली जाती हैं. राधिका नीचे आकर सीता आंटी के पास बैठ जाती हैं.

सीता- पता नहीं इस लड़की को क्या हो गया हैं. ना ठीक से खाना खा रही हैं, ना किसी से बोल रही हैं. बस चुप चाप एक कमरे में बैठ रहती हैं और ना जाने क्या क्या सोचती रहती हैं. अब तू ही समझा उसे वो तेरी बात तो कभी नहीं टालती.

राधिका- आप चिंता मत कीजिए आंटी जी. निशा एक दो दिन में पहले जैसे हो जाएगी..

सीता- मगर उसे हुआ क्या है. वो पूछने पर कुछ बताती भी नहीं. आज कॉलेज भी नही गयी थी. कह रही थी की उसके किसी दोस्त का आक्सिडेंट हो गया हैं. वो उससे मिलने हॉस्पिटल जा रही हैं. और जब से वहाँ से आई हैं तब से गुम्सुम सी हैं.

अब झटका लगने की बारी राधिका की थी. ये क्या कह रही हैं आप????

सीता- हां बेटा ये सच हैं. अगर तुझे यकीन नही होता तो तू खुद ही उससे पूछ ले...

राधिका का दिमाग़ एकदम से घूम जाता हैं और वो जल्दी से जल्दी वहाँ से निकल जाती हैं.....

रास्ते भर उसके दिमाग़ में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. तो क्या निशा भी कहीं राहुल से प्यार तो नही करती.......ऐसा कभी नही हो सकता...फिर एकदम से उसे कुछ याद आती हैं और उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं.............

हो सकता हैं. जब हम पहली बार कॉलेज के कॅंटीन में राहुल से मिले थे तब निशा ने राहुल को पहली ही नज़र में पसंद कर लिया था. वो उसे सच में चाहने लगी थी या मुझसे मज़ाक कर रही थी .पता नहीं...... ओह ............माइ...............गॉड ........ अगर ये सच हुआ तो......................राधिका के दिल में बेचैनी और घबराहट तुरंत बढ़ने लगती हैं.

वो कैसे भी घर पहुचती हैं, घर पर उसके भैया थे.

कृष्णा पीछे से जाकर राधिका की आँखों को अपने दोनो हाथों से मूंद लेता हैं और राधिका के करीब जाकर उससे एक दम चिपक जाता हैं.

राधिका- भैया.......... आप... आप कब आए..

कृष्णा- तुमने मुझे पहचान लिया.

राधिका- हां पहचानूँगी क्यों नहीं. अपने भैया को तो मैं बंद आँखों से भी पहचान सकती हूँ.

कृष्णा उसके सामने आता हैं और उसके गालों पर बड़े ही प्यार से अपने दोनो हाथ लेजाता हैं और अपनी तरफ उठाता हैं.

कृष्णा- जानती हैं आज सुबह मैं हॉस्पिटल गया था राहुल से मिलने. वो मुझसे मिलकर बहुत खुस हुआ. और जानती हैं वहाँ पर तेरी सहेली निशा भी आई थी. और एक बात तो मैं बताना भूल ही गया. मैं अपनी बेहन का हाथ राहुल से माँग लिया हैं और वो भी तुझसे शादी करने के लिए तैयार हैं. उसने कहा हैं कि वो अगले महीने कोई अच्छा सा मुहूरत निकाल कर तुझसे ब्याह कर लेगा.

कृष्णा की बातों से जो बचा खुचा राधिका के मन में डाउट था वो भी आब क्लियर हो गया था.

राधिका- एक बात बताइए भैया कि आपने जब मेरी शादी की बात राहुल से की थी तब उस वक़्त क्या निशा भी वहाँ पर मौजूद थी...

कृष्णा- हां वो तो मुझसे पहले से ही वहाँ पर थी. और मैने तो उसके सामने ही ये सारी बातें की. और वो तो पहले हैरान हुई कि राहुल तुझसे प्यार करता हैं पर बाद में मुझे तेरी शादी की मुबाराक बाद भी दी. और फिर मुझे काम पर भी जाना था तो मैं वहाँ से चला आया.

राधिका को ऐसा लगा कि उसके शरीर से किसी ने पूरा खून निकाल लिया हो और वो तुरंत वहीं पर बेहोश होकर फर्श पर धम्म से गिर जाती हैं.

कृष्णा भी तुरंत घबरा जाता हैं और वो उसे उठाकर अपनी गोद में लेकर बिस्तर पर जाकर उसे सुला देता हैं और राधिका के दोनो हाथों को अपने हाथ में लेकर मलने लगता हैं. मगर जब राधिका को कोई होश नही आता तो वो झट से जाकर वही पास के एक डॉक्टर को बुला लता हैं. .

डॉक्टर- क्या हुआ हैं इन्हें??

कृष्णा-अभी कुछ देर पहले ही घर आई थी. बस ना जाने क्या हुआ कि अचानक बेहोश हो गयी.

डॉक्टर फिर एक इंजेक्षन राधिका को लगाता हैं और कुछ दवाई भी देता हैं.

डॉक्टर- घबराने की कोई बात नहीं है. ऐसा होता हैं कभी कभी, आदमी इतना स्ट्रेस में होता हैं कि वो बेहोश भी हो जाता हैं. मैने इंजेक्षन लगा दिया हैं हो सके तो इन्हें आप सुबह तक डिस्टर्ब मत करना. और इन्हें पूरी नींद सोने देना. कल सुबह तक ये बिल्कुल ठीक हो जाएगी....

इतना कहकर डॉक्टर बाहर चला जाता हैं और कृष्णा भी दरवाज़ा बंद करके राधिका के एकदम करीब आता हैं और उसके बाजू में बैठ जाता हैं और अपना एक हाथ राधिका के बाल पर प्यार से फिराता हैं...

कृष्णा- मैं तो ये सोचकर खुस था कि ये खबर सुनकर तू खुशी से झूम उठेगी मगर ..............और इतना कहकर वो राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं और उसका माथा चूम लेता हैं. आज वाकई में कृष्णा की आँखों में अपनी बेहन के लिए आँसू छलक पड़े थे. जिस भाई बेहन का प्यार को वो आज तक कभी समझ नही सका था आज उसने वो पहली बार महसूस किया था. आज वो राधिका के लिए सच में बेचैन था. और उसकी बेकरारी इस बात को ज़ाहिर कर रही थी कि आज उसके दिल में राधिका के लिए कितना प्यार , कितनी इज़्ज़त हैं......................................और ये सब सोचकर आज उसकी आँखें भी नम हो गयी थी. वो उसी हालत में राधिका को अपनी बाहों में लिए बस बैठा हुआ था..
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#26
Update 19




कृष्णा काफ़ी देर तक राधिका को ऐसे ही अपनी बाहों में लिए रहता हैं जैसे कोई मा अपने बच्चे को अपनी गोद में रखती हैं. आज कृष्णा की आँखों से आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे. वो तो बस राधिका को ऐसे ही एक टक देख रहा था. आज राधिका का दर्द भी उसे अपना दर्द महसूस हो रहा था.

रात में वो भी बिना खाना खाए ही राधिका को अपनी बाहों में लेकर सो जाता हैं..

सुबह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो सामने उसके भैया बैठे हुए थे, और अपना हाथों से उसके बालों को प्यार से फिरा रहें थे.

राधिका की आँखो से आँसू तुरंत निकल पड़ते हैं और वो एक टक कृष्णा को देखने लगती हैं.

कृष्णा उसके आँखों से आँसू पोछते हुए- ऐसे क्या देख रही हो राधिका.

राधिका बिना कुछ बोले तुरंत अपना लब कृष्णा के लब पर रख देती है और उसे बड़े प्यार से चूम लेती हैं. आज राधिका के लब खामोश थे मगर आज उसकी आँखे सब कुछ बयान कर रही थी और कृष्णा भी कुछ पल के लिए राधिका की आँखों में खो सा जाता हैं.

फिर कुछ देर में राधिका उठकर फ्रेश होती हैं और जाकर नाश्ता बनाती हैं. कृष्णा भी आज चाह कर राधिका से कुछ नही बोल पा रहा था.और जाकर वो वही दूसरे रूम में चुप चाप बैठ जाता हैं.

थोड़ी देर में वो भी तैयार होकर काम पर निकलने लगता हैं तभी राधिका जाकर कृष्णा का हाथ पकड़ लेती हैं..

राधिका- भैया प्लीज़ आज आप कहीं मत जाओ ना... मैं आज आपके साथ कुछ पल बिताना चाहती हूँ. भला कृष्णा कैसे मना कर पता. और वो भी मुस्कुरा कर राधिका को अपने गले लगा लेता हैं.

पता नहीं क्यों पर आज कृष्णा भी देख रहा था कि राधिका के व्याहरार में काफ़ी बदलाव आया हैं. वो उसके बदले हुए रूप को नहीं समझ पा रहा था. उसे तो अब तक समझ नही आया था कि राधिका बेहोश कैसे हो गयी थी. उसके पीछे क्या थी वजह???

राधिका- भैया कहीं आपको बुरा तो नहीं लगा कि मैने आपको आज काम पर जाने से रोक लिया.

कृष्णा- अरे राधिका तू भी कैसी बातें करती हैं. तुझसे ज़रूरी थोड़ी ही हैं मेरे लिए काम.

राधिका- भैया मैं आपसे कुछ बात करना चाहती हूँ.

कृष्णा- हां बोल ना राधिका क्या बात हैं.

राधिका कुछ देर गहरी आहें भरती हैं फिर वो कृष्णा की आँखों में देखकर बोलती हैं- भैया........भैया वो मैं आज अपने आपको ................आपके हवाले करनी चाहती हूँ. आज आप शर्त जीत गये भैया आज मैं आपको किसी भी चीज़ के लिए मना नही करूँगी........आइए आज राधिका अपना बदन आपको सौपति हैं. कर लीजिए जो करना हैं अब इस बदन पर आपका पूरा हक़ हैं.....................

कृष्णा ने कभी राधिका से ऐसी उम्मीद नही की थी. जो वो चाहता था वो आज राधिका ने खुद अपने मूह से बोल दिया था.

राधिका- ऐसे क्या देख रहे हैं भैया.............यही तो आप चाहते थे ना की मैं खुद अपने मूह से ये सब बोलू...... आज मैं खुद ये बात बोल रही हूँ. आब किस बात की देर हैं............

कृष्णा धम्म से वही सोफे पर बैठ जाता हैं और एक गहरे विचारो में डूब जाता हैं.

ये आज उसके साथ क्या हो रहा हैं. वो तो खुद यही चाहता था कि वो राधिका को सिड्यूस करे. आज खुद राधिका ने भी उसे अपनी तरफ से ग्रीन सिग्नल दे दी थी. लेकिन आज कृष्णा के कदम आगे नहीं बढ़ रहें थे. वो भी सोच रहा था कि एक तरफ तो वो अपनी बेहन की इज़्ज़त की लाज़ बचा रहा हैं तो दूसरी तरफ वो खुद उसे लूटने के पीछे पड़ा हुआ हैं. आज पहली बार कृष्णा के ज़हन में ये सारी बातें आ रही थी वो इसी उधेरबुन में फँसा हुआ था और चाह कर भी कोई फ़ैसला नही ले पा रहा था.

राधिका- अब क्या सोच रहे हो भैया आज मैं तैयार हूँ आपके साथ वो सब कुछ करने के लिए जो आप बहुत पहले से मुझसे चाहते थे. आज आपके कदम क्यों रुक रहे हैं. इतना कहकर राधिका अपना दुपट्टा नीचा फर्श पर गिरा देती हैं....

कृष्णा राधिका के करीब जाता हैं और नीचे गिरा उसका दुपट्टा उठाकर उसके सर पर उढा देता हैं. अब इस बार राधिका को झटका लगता हैं. उसने तो कभी नही सोचा था कि उसके भैया उसके रेस्पॉन्स का ऐसे जवाब उसे देंगे.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका मैं बहक गया था. अब मैं तेरे साथ वो सब नही कर सकता......

राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं..........................

राधिका- क्या कहूँ भैया इसे अपना नसीब या मेरी बदक़िस्मती. कितनी हैरानी की बात हैं ना भैया की इतने सालों से आप मुझे पाना चाहते थे तो मैं आपको हमेशा रोकती रही और आज मैने अपने आप को आपके हवाले करना चाहती हूँ तो आप भी मुझसे मूह फेर रहें हैं.

कृष्णा- मैं तो बस अपना फ़र्ज़ निभा रहा हूँ ........ये ग़लत हैं.......

राधिका- किस फ़र्ज़ की बात करते हो आप. वो फ़र्ज़ जो आपको बहुत पहले निभाना चाहिए था. उसे तो आपने कभी निभाया नहीं. कम से कम मुझे तो अपना भाई का फ़र्ज़ निभाने से मत रोको. आज ऐसा क्या हुआ है भैया कि आपको ये सब ग़लत लग रहा हैं. मैं आज जमाना पीछे छोड़कर बस आपके पास आई हूँ. आज मुझे ना ही इस दुनिया की फिक्र हैं ना ही इस दुनिया की परवाह. अब मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता कि ये दुनिया हमारे इस रिस्ते को क्या कहेगी. और वैसे भी कोई आप पर उंगली नही उठाएगा. जो कुछ भी लोग कहेगे वो मुझे कहेंगे. और मुझे इस बात की कोई परवाह नही हैं.

कृष्णा- ये तू कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हैं. हां मैं मानता हूँ कि मैं तेरे लिए दिन रात हमेशा बेचैन रहता था. मुझे बस तेरे जिस्म की भूक थी. मगर आज मैं भाई बेहन के इस रिश्ते को पहली बार महसूस किया हैं. और अब मैं तेरे साथ वो सब नही कर सकता. अब मैं जान चुका हूँ कि ये रिश्ता कितना पवित्र होता हैं.

राधिका- भैया मुझे तो लगता हैं कि बात कुछ और हैं. कल तक जो आदमी मेरे बदन को पाने के लिए दिन रात बेचैन रहता था आज मैं खुद उसके सामने अपना बदन को सौप रहीं हूँ तो आज आप मना कर रहे हैं. आख़िर क्या बुराई हैं मुझ में.

कृष्णा- राधिका प्लीज़ अब तुम इस बारे में मुझसे कोई भी बात ना ही करो तो बेहतर हैं. मैं अब इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता.

राधिका- आप ऐसे नही कर सकते भैया. आप आपने कदम बढ़कर वापस नही खीच सकते. मुझे इस वक़्त सबसे ज़्यादा आपकी ज़रूरत हैं.

कृष्णा- होश में आओ राधिका. कल को तुम्हारी शादी होने वाली हैं राहुल से. आज उसे इस बात की भनक भी लग गयी तो तुम्हारी ज़िंदगी तबाह हो जाएगी. राहुल तुम्हें कभी नही आपनाएगा.

राधिका- मैने कहाँ ना मुझे दुनिया की कोई फिक्र नही हैं. मैं आपसे आखरी बार पूछती हूँ कि आप मेरे साथ सेक्स करेंगे या नहीं.

कृष्णा कुछ देर सोचकर - नही राधिका मैं अब तुम्हारे साथ सेक्स नही कर सकता. ये मेरा आखरी फ़ैसला हैं..

कृष्णा के मूह से ऐसा जवाब सुनकर राधिका का चेहरा गुस्से से एक दम लाल हो जाता हैं

राधिका- फिर ठीक हैं तो यही आपका फ़ैसला हैं तो अब मेरा फ़ैसला भी सुन लीजिए. अब मैं राहुल से शादी नही कर सकती. अब मैं उस बिहारी से ही शादी करूँगी. अगर वो मुझे अपनी बीवी बनाए तो ठीक ,नही तो मैं उसकी रखैल बनने को भी तैयार हूँ. कम से कम बीवी ना सही उसकी रंडी तो बनूँगी ही...........................

कृष्णा एक दम गुस्से से पागल हो जाता हैं और एक ज़ोरदार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देता हैं. थप्पड़ इतना ज़ोरदार था कि राधिका का सिर घूम जाता हैं और उसके आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं.

आज पहली बार कृष्णा ने राधिका के उपर अपना हाथ उठाया था. वो किसी भी सूरत में नही चाहता था कि वो उसपर हाथ उठाए. मगर आज राधिका ने उसके सामने ऐसी बात कर दी थी कि वो अपना सब कुछ भूल गया था.. कमरे में बस राधिका के सिसकने की आवाज़ आ रही थी. कृष्णा का भी मूड खराब हो गया था. वो भी वहाँ से तुरंत घर से बाहर निकल जाता हैं..

फिर कुछ देर तक राधिका यू ही रोती रहती हैं और फिर बेडरूम में आकर बिस्तेर पर लेट जाती हैं. आज वाकई में राधिका बदल गयी थी.. ये बात कृष्णा ने भी नोटीस किया था. मगर वो राधिका के ऐसे बदलाव की वजह नही जान पा रहा था.

राधिका के इस बदलाव के पीछे सबसे बड़ा कारण थी निशा. उसे लग रहा था कि वो शायद राहुल और निशा के बीच में आ गयी हैं. किस्मेत भी इंसान के साथ अजीब खेल खेलती हैं. जहाँ आज एक तरफ राधिका की 8 साल पुरानी दोस्ती थी वही दूसरी तरफ उसका नया नया प्यार था. आज वो ऐसे मझदार में फँसी हुई थी कि उसे कुछ समझ में नही आ रहा था कि वो क्या करे. मगर यहाँ पर अब फ़ैसले की घड़ी थी. उसे दोनो में से उसे किसी एक को चुनना था या........दोस्ती.......या.........प्यार.

यही वो वजह थी कि वो आज कृष्णा के साथ सोना चाहती थी ताकि वो खुद को राहुल की नज़रों में गिरा दे. मगर आज कृष्णा भी बदल गया था. ऐसे ही बहुत देर तक वो रोती रहती हैं और फिर वही पर सो... जाती हैं.

उधेर आज राहुल भी हॉस्पिटल से डिसचार्ज हो गया था. आज वो भी घर पर ही था. वो बहुत देर से राधिका को कॉंटॅक्ट कर रहा था मगर उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था. उधेर निशा भी राधिका के लिए परेशान थी. उसका फोन भी नही मिल रहा था. राधिका ने जान बूझ कर अपना फोन स्विच ऑफ कर रखा था...................

वहाँ से दूर बिहारी के गेस्ट हाउस में...........

विजय और बिहारी दोनो आपस में बातें कर रहे थे..

विजय- मैने कहा था ना कि अगर वो ट्रक और उसका ड्राइवर अगर पकड़े भी गये तो भी पोलीस हमारा कुछ नहीं बिगड़ पाएगी..

बिहारी- हां मानना पड़ेगा तेरे पास सच में दिमाग़ हैं. अच्छा वो लड़की का क्या हुआ.

विजय- तू कहे तो अभी बुला लेता हूँ. फिर हम दोनो पूरी रात मज़े करेंगे.

बिहारी- अगर कहीं पकड़ा गया या किसी ने हमे देख लिया तो???

विजय- यार तू इतना डरता क्यों हैं. वैसे यहाँ पर कोई नही आता.

बिहारी भी उसे हां में इशारा कर देता हैं और विजय फिर एक नंबर पर फोन करता हैं.........

विजय ने फोन मोनिका के पास ही किया था.यही वो लड़की थी जो विजय बिहारी से उसे चुदवाना चाहता था.वो भी यहाँ पर डबल गेम खेल रहा था. एक तो वो बिहारी से अपना काम निकलवाना चाहता था और दूसरा वो राधिका से भी बदला लेना चाहता था. और यहाँ पर तो अब बिहारी भी राधिका की दुश्मन बन गयी थी. तो देखना ये था कि वो दोनो किस हद्द तक राधिका को पाने के लिए गिर सकते थे. और आने वाला वक़्त ही बता सकता था कि उनका मकसद क्या हैं....

विजय- कैसी हैं मेरी रांड़!!!

मोनिका ना चाहते हुए भी विजय का फोन रिसेव करती हैं.

मोनिका- बोलो कैसे याद किया???

विजय- चल आ जा मेरे पास. लेकिन आज मेरे घर पर नहीं तुझे कहीं और आना हैं.

मोनिका- कहाँ ???

विजय- डर मूत मेरी जान अगर तू मेरे चंगुल से सच में आज़ाद होना चाहती हैं तो तेरे लिए ये आखरी मौका हैं. नही तो काजीरी हैं ना तेरे लिए दूसरी ऑप्षन. और विजय हँसने लगता हैं.

मोनिका- इस बात का क्या सबूत हैं कि तुम मुझे आखरी बार बुला रहे हो.

विजय- सारी बातें फोन पर ही करेगी क्या. अगर तुझे विश्वास है तो चली आ. फिर बाद में ना कहना कि मैने तुझे कोई मौका नहीं दिया. और विजय उसको अड्रेस बता देता हैं.

करीब 2 घंटे के बाद मोनिका भी बिहारी के फार्म हाउस में आ जाती हैं. जैसे ही बिहारी की नज़र मोनिका पर पड़ती हैं उसके लंड में हलचल होना शुरू हो जाती हैं. अब मोनिका भी वहाँ पर बिहारी को देखकर लगभग चौंक जाती हैं. वो तो ये जानती थी कि आज फिर से उसके साथ वाइल्ड सेक्स होना हैं मगर आज विजय उसको किसी गैर मर्द से चुदवायेगा उसने कभी इस बात की कल्पना नहीं की थी.

विजय- आख़िर आ ही गयी मेरी रंडी.???? मैं जानता था कि तू ज़रूर आएगी. आख़िर तेरी चूत भी तो प्यासी रहती हैं और बस उसकी प्यास तो सिर्फ़ मेरा लंड ही भुजा सकता हैं.

मोनिका- ये क्या तमाशा हैं विजय. अगर मुझे पता होता कि तुम मुझे इस आदमी के साथ भी ...........तो मैं यहाँ कभी नही आती.

विजय- तू क्या जाने ये चूत होती हैं ऐसी. एक लंड जाए चाहे दस लंड इसको कोई फरक नही पड़ता.

मोनिका- लेकिन मैं कोई रंडी नहीं हूँ कि तुम जब चाहे जिससे चाहो ..............

विजय- चल कोई बात नही लेकिन तू बस आज के लिए हमारी रांड़ बन जा. इसके बाद मैं तुझसे वादा करता हूँ कि मैं तुझे हमेशा हमेशा के लिए आज़ाद कर दूँगा.

मोनिका- इस बात की क्या गारंटी हैं कि तुम मुझे ये सब करने के बाद आज़ाद कर दोगे???

विजय- याद हैं मैने तुझसे एक बार डील की बात की थी. विजय मोनिका को कुछ याद दिलाते हुए बोला.

मोनिका को भी वो बात याद आ जाती है और वो हैरत से विजय की ओर देखती हैं.

मोनिका- हां मुझे याद हैं .

विजय- तो अब समय आ चुका हैं इस डील को पूरा करने का. और मैं तुझसे यही उमीद करूँगा कि तू ये काम बखूबी निभाएगी. अगर ऐसा नही हुआ तो तू कजरी के यहाँ पर रंडी का धंधा करेगी. अब तुझे फ़ैसला करना हैं कि तू कौन सा ऑप्षन चूज़ करती हैं.

मोनिका- लेकिन इस बात की क्या गॅरेंटी हैं कि जब मैं ये डील पूरा कर लूँगी तब तुम मुझे आज़ाद कर दोगे.

विजय पास ही रखी एक अलमारी में से कुछ फाइल्स निकालता हैं और मोनिका को देता हैं. ये लो अग्रीमेंट पेपर्स. मैं जानता था कि तू मुझपर बिल्कुल भी विश्वास नही करेगी. इस लिए मैं भी पूरी तैयारी के साथ आया हूँ.

विजय फिर वो पेपर्स मोनिका को पकड़ा देता हैं.

मोनिका- अगरेमेंट..........कैसा अग्रीमेंट...............मैं कुछ समझी नहीं.???

विजय- नहीं समझी ना, कोई बात नहीं मैं समझा देता हूँ. फिर विजय बोलना शुरू करता हैं...............

विजय- याद हैं जब मैं एक बार तेरी चुदाई कर रहा था तब मेरे मूह से राधिका शब्द निकल गया था. तूने मुझसे पूछा भी था कि ये राधिका कौन हैं लेकिन मैने तुझे उसके बारे में कुछ नहीं बताया था. तभी तुझे मुझपर शक़ भी हो गया था. आज मैं तुझे बताता हूँ कि ये राधिका कौन हैं..

मोनिका- हैरत से कौन हैं????

विजय- राधिका वो बला हैं जिसको पाने के लिए मैं दिन रात बेचैन सा रहता हूँ. जब से मैने उसे देखा हैं बस मैं उसे अपने ख़यालों से नहीं निकाल पा रहा हूँ. जानती हैं राधिका उस हरामज़ादे इनस्पेक्टर राहुल की गर्लफ्रेंड हैं. और कुछ ही दिनों में वो उसकी बीवी बनने वाली हैं. और ये मैं नही चाहता कि वो किसी और की बीवी बने. इस लिए मुझे तेरी मदद चाहिए.

मोनिका- तो इसमें मैं क्या कर सकती हूँ.

विजय- तू चाहे तो सब कुछ कर सकती हैं.

मोनिका- देखो विजय मेरे साथ पहेलियाँ मूत भुजाओ. जो भी बात हैं सॉफ सॉफ कहो.

बिहारी- देख मोनिका. हम तो बस यही चाहते हैं कि तू हमारी मदद करे. राधिका को बस कैसे भी करके हमारे कदमों के नीचे झुका दे बस. उसे इतना मज़बूर कर दे कि वो हमसे चुदवाने के लिए हमसे भीक माँगे.अगर ऐसा हुआ तो समझ ले तू हमेशा हमेशा के लिए आज़ाद हो जाएगी वरना....................

मोनिका- भला ऐसे कैसे हो सकता हैं. वो क्यों तुमसे वो सब करने को कहेगी. ये काम मुझसे नहीं होगा.

विजय- फिर ठीक हैं मैं अभी कजरी को यहाँ पर बुला लेता हूँ फिर तू जाने और तेरा काम......... और विजय झट से अपना मोबाइल निकालता हैं और काजीरी का नंबर डाइयल करने लगता हैं.

मोनिका दौड़ कर उसके कदमों में गिर जाती हैं... भगवान के लिए रुक जाओ विजय. मुझे सोचने के लिए कुछ वक़्त तो दो.

मोनिका को ऐसे नीचा अपने कदमों में देखकर विजय वही रुक जाता हैं और उसके मूह पर थूक देता हैं.....

विजय- तू हैं ही इसी लायक. तेरी औकात भी एक मामूली रंडी से ज़्यादा कुछ नहीं हैं. मेरे ख़याल से तो तुझे अब रंडी का ही धंधा करना चाहिए... और एक ज़ोरदार लात विजय मोनिका के पेट पर मार देता हैं और मोनिका दर्द से वही ज़मीन पर लेट जाती हैं.

फिर बिहारी आगे बढ़ता हैं और उसके बाल को कसकर पकड़कर अपनी मुट्ठी में भीच लेता हैं. मोनिका फिर से दर्द से चीख पड़ती हैं और जैसे ही मोनिका दुबारा चीखने के लिए अपना मूह खोलती हैं बिहारी वही उसके मूह में थूक देता हैं....

आज वाकई में मोनिका के आँखों से आँसू निकल गये थे. उसे इतना शरमांदगी महसूस होती हैं कि उसका जी करता हैं वो कहीं जा कर अपनी जान दे दे.

बिहारी- देख आखरी बार कह रहा हूँ अब हम दोनो में से तुझे कोई भी नही समझाएगा. आगे तू खुद समझदार हैं. आगे तेरी मर्ज़ी............

मोनिका भी आब उनके सामने सरेंडर करना बेहतर समझती है और वो भी हालात से समझौता करने को तैयार हो जाती हैं.

मोनिका- ठीक हैं जैसा तुम चाहते हो मैं सब कुछ करने को तैयार हूँ. मोनिका कुछ ज़्यादा टेन्षन और परेशान होकर बोली.

बिहारी- देख मोनिका कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है.तू क्यों उस राधिका की इतनी चिंता करती हैं. आख़िर वो तेरी लगती कौन हैं.?? अरे इस दुनिया का यही दस्तूर है यहाँ पर कोई किसी का नही हैं. सब अपने मतलब के लिए एक दूसरे को पूछते हैं. सब इंसान बस अपना अपना स्वार्थ एक दूसरे से निकालते हैं. अरे जब खाली हाथ ही आए हैं इस दुनिया में तो तेरा मेरा , अपना पराया. ये सब तो बस मोह-माया की बातें हैं. मरने के बाद इंसान सिर्फ़ अपने फ़ायदे के लिए दूसरों पर आँसू बहाता हैं. ना कि मरने वाले के लिए.

अब तू ही बता जब तू उसे जानती नहीं है ना ही तेरे उससे कोई नाता हैं, ना रिश्ता हैं तो तू क्यों उसके बारे में इतना सब कुछ सोचती हैं. आख़िर वो तेरी लगती कौन हैं????

मोनिका- हां मैं मानती हूँ कि वो मेरी कोई नही लगती पर एक इंसानियत भी कोई चीज़ होती हैं. ये कौन सी बात हुई की मैं अपने फ़ायदे के लिए दूसरे की ज़िंदगी तबाह करूँ.

विजय एक ज़ोरदार थप्पड़ मोनिका के गाल पर जड़ देता हैं- वाह मेरी रंडी. आज तू इंसानियत का पाठ हमे पढ़ा रही हैं. तेरी तो मैं साली आज ऐसी मा चोदुन्गा कि तू भी क्या याद करेगी. और इतना कहकर वो अपने दोनो हाथों से मोनिका के बूब्स को कसकर मसल देता हैं. और मोनिका के मूह से एक बार फिर से चीख निकल पड़ती हैं.

मोनिका- मैं मान तो रही हूँ ना तुम्हारी बात. फिर तुम मुझसे ऐसे क्यों पेश आ रहे हो.बस मुझे एक बात बता दो कि आपका राधिका से क्या दुश्मनी हैं.

बिहारी- तू बस आम खा. पेड़ गिनना हमारा काम हैं. तुझे बस जितना बोला जाए उतना ही करना हैं. और हां अगर हमसे कोई होशियारी करने की कोशिश की तो तेरा अंजाम बहुत बुरा होगा. बाकी तू खुद समझदार हैं.

मोनिका- ठीक हैं मैं तैयार हूँ. करना क्या होगा मुझे???

विजय फिर वो अग्रीमेंट पेपर लेकर मोनिका को थमा देता हैं और एक कॉपी अपने पास रख लेता हैं.

मोनिका- ये कैसा अग्रीमेंट हैं???

विजय- इसमें लिखा हैं कि हम तुझे एक कॉंटॅक्ट के तौर पर हम तुझसे कोई भी काम करवा सकते हैं.. और वो कॉंटॅक्ट सिर्फ़ एक महीने का हैं. और जैसे ही एक महीना पूरा होता हैं तू अगर हमारा काम ख़तम कर देगी तो तू सच में आज़ाद हो जाएगी नहीं तो तू खुद काजीरी से बोलकर उसके रंडी के धंधे में अपनी मर्ज़ी से शामिल हो जाएगी. और इसके पीछे ना किसी का तुझपर कोई दबाव रहेगा ना किसी से तुझे शिकायत रहेगी. सब कुछ तू अपनी मर्ज़ी से करेगी.

मोनिका ये सब सुनकर उसके होश उड़ जाते हैं. वो समझ चुकी थी कि अगर वो सच में ये काम को नही अंजाम दिया तो ज़िंदगी भर के लिए रंडी बनकर बस रह जाएगी. विजय ने तो उसे फसाने का पूरा खेल रच लिया था.

बिहारी- चल इस पेपर पर साइन कर दे. और आज से ही तेरा ये कांट्रॅक्ट शुरू हो जाएगा. और जितना जल्दी तू उस राधिका को हमारे पास लाएगी उसकी सारी इनफॉर्मशन हमे देगी उतना ही तेरे लिए भला होगा. आगे तेरी मर्ज़ी.

मोनिका भी आख़िरकार उस अग्रीमेंट पेपर पर साइन कर देती हैं. मगर उसका दिल इस बात की गवाही नहीं दे रहा था.

विजय- अब इस कांट्रॅक्ट के मुताबिक आज से तू बस हमारे लिए ही काम करेगी. राधिका से जुड़ी सारी इन्फर्मेशन हमको पल पल देगी. समझ गयी ना सब कुछ .................

मोनिका- ठीक हैं जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. मगर इस काम में कहीं भी मेरा नाम नहीं आना चाहिए. बस इस बात का पूरा ख्याल रखना.

बिहारी- उसकी चिंता मत कर. तेरा नाम कभी नही आएगा....

विजय- चल आब बातें ही करेगी या जिसके लिए मैने तुझे यहाँ पर बुलाया हैं वो भी करेगी. चल अपनी साड़ी और ब्लाउस उतार कर नंगी हो जा.

बिहारी- अरे विजय पहले इसे थोड़ा गरम तो करो. फिर देखना ये अपने कपड़े अपने आप उतारेगी. और बिहारी उसके नज़दीक जाता हैं और पीछे से जाकर अपने दोनो हाथों से मोनिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल देता हैं. मोनिका के मूह से फिर से चीख निकल पड़ती हैं.

विजय वही पर रखा ड्रग्स का एक इंजेक्षन उठाता है और अपने हाथ में लगाने लगता हैं. बिहारी भी वहाँ रखा दूसरा इंजेक्षन वो भी अपने हाथ में लगाता हैं. ये नज़ारा देखकर मोनिका के दिल में एक अजीब सा डर बैठ जाता हैं. वो आज जान गयी थी कि आज ये दोनो मिलकर उसकी बहुत बुरी चुदाई करने वाले हैं. उसके लिए तो अकेला विजय ही भारी पड़ता था मगर आज साथ में बिहारी भी ड्रग्स के नशे में था. पता नहीं आज उसके साथ क्या होने वाला था.

बिहारी फिर से मोनिका के करीब जाता हैं और जाकर उसके दोनो बूब्स को अपनी दोनो मुट्ठी में लेकर कसकर मसल देता हैं. मोनिका की सिसकारी फिर से निकल जाती हैं.

बिहारी- वैसे तो ये तेरे दूध बहुत मस्त हैं. कसम से जी कर रहा हैं कि इन्हें ऐसे ही मसलता रहूं.

विजय- अरे बिहारी ज़रा प्यार से इसकी मारना अभी तो साला पूरी रात बाकी हैं. कहीं बेचारी की .......... इतनी बोलकर विजय हँसने लगता हैं.

बिहारी- तू इसकी चिंता मत कर एक बार अगर ये मेरे लंड से चुद गयी तो दुबारा मेरे को छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाली. वैसे बिहारी का लंड करीब 8 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा था.और वो किसी भी लड़की को पूरी तरह से बेशरम बनाकर चोदने में उसे अलग ही मज़ा आता था. पहले तो वो किसी भी लड़की को इतना तड़पाता की वो खुद उसके लंड के लिए पागल हो जाती. फिर वो जैसे चाहे उसके साथ सेक्स का खेल खेलता था.

विजय और बिहारी पर भी अब ड्रग्स का खुमार छाने लगा था.

बिहारी फिर मोनिका के करीब जाता हैं और अपना होंठ मोनिका के होंठ से सटा देता हैं और अपना एक हाथ लेजाकर उसकी गान्ड को कसकर मसल्ने लगता हैं. मोनिका भी आब धीरे धीरे गरम होने लगी थी. काफ़ी देर तक बिहारी उसके होंठों को ऐसे ही चूस्ता हैं फिर उसके नीचे होंठ को कसकर अपने दाँतों से काट लेता हैं. और मोनिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

विजय- चिंता मत कर मेरी रंडी आज तो तुझे हम दोनो मिलकर असली जन्नत का मज़ा देंगे. आज तेरी ऐसी चुदाई होगी कि तू भी कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा. और वो भी मोनिका के करीब जाता हैं और उसके दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं.

मोनिका के मूह से आ...........ह .........एयेए......हह. की तेज़्ज़ सिसकारी लगातार निकलती रहती हैं.

फिर विजय उसके साड़ी के पल्लू को उसके सीने से हटा देता हैं और उसके साड़ी को अपने हाथों में लेकर खीचने लगता हैं और कुछ देर में उसकी साड़ी उसके जिस्म से अलग हो जाती हैं. मोनिका का भी शरम से चेहरा लाल पद जाता हैं. आज वो दो मर्दों के बीचा में नंगा होने वाली थी. इस वक़्त वो सिर्फ़ ब्लाउस और पेटीकोआट में उन दोनो के सामने थी.

फिर विजय मोनिका के पास जाता हैं और अपना होंठ उसके होंठ पर रख देता हैं और अपने दोनो हाथों से कसकर मोनिका के दोनो बूब्स को मसलने लगता हैं.

विजय- चल अब मेरा लंड चूस.

मोनिका भी अपना हाथ बढ़ाकर उसका पेंट का ज़िप खोलती हैं और फिर उसके पेंट को उसके बदन से अलग कर देती हैं. फिर वही पर बिहारी भी उसके नज़दीक खड़ा हो जाता हैं. मोनिका भी समझ जाती हैं कि बिहारी क्या चाहता हैं. फिर वो भी अपना हाथ बढ़ाकर उसका पायजामा खोलने लगती हैं. कुछ देर में दोनो बस अंडरवेर में उसके सामने थे. फिर विजय अपना शर्ट और बिहारी अपना कुर्ता और बनियान निकाल देते हैं. अब दोनो बस अंडरवेर में थे.

मोनिका भी आगे बढ़कर विजय के अंडरवेर को निकाल कर उसके बदन से अलग कर देती हैं. अब विजय मोनिका के सामने पूरा नंगा था.

विजय- ऐसे क्या देख रही हैं. चल अब इसे अपने मूह में पूरा ले. और इतना कहकर वो उसके मूह में अपना लंड पेलना सुरू कर देता हैं.

मोनिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं और ना चाहते हुए भी विजय का मूसल को अपने हलक में उतारने लगती हैं. विजय उसी तरह बिना रुके अपने लंड पर ऐसे ही प्रेशर बनाए रखता हैं. जैसे जैसे मोनिका के मूह में विजय का लंड जाने लगता हैं मोनिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं और उसका दम भी घुटना शुरू हो जाता हैं.

करीब 6 इंच तक वो अपना लंड को मोनिका के मूह में डाल देता हैं. फिर तुरंत वो उसे बाहर निकालता हैं और बिना रुके अपना लंड को उतनी ही तेज़ी से फिर से मोनिका के मूह में डाल देता हैं. अब उसका लंड करीब 8 इंच तक मोनिका के मूह में चला जाता हैं. और मोनिका की हालत खराब होनी शुरू हो जाती हैं. मगर मोनिका इस बात को अच्छे से जानती थी कि आज कुछ भी उसकी मर्ज़ी से नही होने वाला. इसलिए वो भी आपने आप को उन्दोनो के हवाला कर देती हैं.

विजय फिर अपना लंड बाहर निकालता हैं और इस बार फिर से वो मोनिका का सिर को पकड़कर अपना लंड पूरी गति से उसके मूह में पूरा पेल देता हैं. इस बार मोनिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं और उसकी आँखें बाहर को आने लगती हैं. अब विजय का लंड पूरा मोनिका के हलक में जा चुका था. वो ऐसे ही कुछ देर तक अपने लंड को मोनिका के हलक में रहने देता हैं. मगर मोनिका की बेचैनी लगातार बढ़ने लगती हैं. उसे ऐसे लगता हैं कि उसका दम घूट जाएगा. और वो भी अपना दोनो हाथ विजय के पैर पर मारने लगती हैं. ये नज़ारा देखकर बिहारी भी मुस्कुरा पड़ता हैं.

बिहारी- अरे विजय रहने दे साली मर जाएगी. देख कैसे मछली की तरह तड़प रही हैं. निकाल ले अपना लंड.

विजय भी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं और मोनिका ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं.

मोनिका- लगता हैं कि तुम मुझे आज मार ही डालोगे. मोनिका घूर कर विजय को देखते हुए बोली.

अब बिहारी उसके पास जाता हैं और मोनिका आब उसका अंडरवेर भी निकाल देती हैं. जब वो बिहारी का लंड देखती हैं तो उसकी हालत खराब हो जाती हैं. बिहारी का लंड विजय से तो छोटा था मगर उससे कहीं ज़्यादा मोटा था. फिर बिहारी उसके बाल को कसकर पकड़ लेता हैं और अपना लंड को मोनिका के मूह में डालने लगता हैं. बिहारी का सूपड़ा वाकई में काफ़ी मोटा था. मोनिका बड़े मुश्किल से उसे अपने मूह में ले पाती हैं.. फिर वो कुछ देर तक उसका सूपड़ा को चाटती हैं. बिहारी के मूह से भी सिसकारी निकल पड़ती हैं.

बिहारी- चल अब इसे भी अपने मूह में पूरा ले.

मोनिका- नही ये बहुत मोटा हैं. मैं इसे नही ले पाउन्गि.

बिहारी- चिंता मत कर तुझे बहुत मज़ा आएगा.

मोनिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं और बिहारी भी धीरे धीरे अपना लंड मोनिका के मूह में डालना शुरू करता हैं. इस बार मोनिका को वाकई में तकलीफ़ होती हैं. वो कैसे भी करके बस 4 इंच तक बिहारी का लंड को अपने मूह में ले पाती हैं.

बिहारी उसे बिस्तेर के पास नीचे बैठा देता हैं और फिर उसके सिर को पकड़कर अपने लंड पर फिर से प्रेशर बढ़ाने लगता हैं और धीरे धीरे मोनिका के मूह में बिहारी का लंड जाना शुरू हो जाता हैं. जैसे जैसे लंड मोनिका के गले के नीचे जाने लगता हैं उसकी तकलीफें बढ़ने लगती हैं. वो बड़े मुश्किल से उसका पूरा लंड अपने मूह में लेने की कोशिश करती हैं उधेर बिहारी भी अपने लंड पर पूरा प्रेशर बनाता हैं. फिर वो एक झटके से अपना लंड बाहर निकालता हैं और फिर उतनी ही तेज़ी से अंदर डाल देता हैं. इस बार बिहारी का पूरा लंड मोनिका के हलक तक फिर से पहुच जाता है. फिर वो उसी तरह अपना लंड ऐसे ही कुछ देर तक रहने देता हैं. मोनिका की इतनी ही देर में हालत खराब हो जाती हैं.

जब मोनिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं तो वो भी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं. उसके लंड से एक डोर की तरह मोनिका के मूह से होते हुए बिहारी के लंड तक एक लकीर जैसी लाइन बन जाती हैं.

बिहारी- वाह सच में तू किसी रांड़ से कम नही हैं. अगर तू मार्केट में आ जाए तो बड़ी बड़ी रंडियों को पानी पिला देगी..

विजय- अब बस उसका ही लंड चूसेगी या मेरा भी. देख ना मेरा लंड तो पूरा सूख गया हैं. फिर विजय अपने मूह से ढेर सारा गाड़ा थूक निकाल देता हैं वो अपने लंड पर थूक गिरा देता हैं.

मोनिका भी बड़े गौर से उसे देखने लगती हैं.

विजय- ऐसे क्या देख रही हैं. चल आकर मेरा लंड चूस ना...

विजय आकर उसके बाल को कस कर पकड़ कर मोनिका के मूह में अपने लंड डाल देता हैं. अब उसका थूक से सना हुआ लंड मोनिका को ना चाहते हुए भी लेना पड़ता हैं. फिर वो ऐसे ही कुछ देर तक उसका लंड चुस्ती हैं. फिर बिहारी भी उसके पास आज जाता हैं और मोनिका का एक हाथ को अपने लंड पर रख देता हैं अब मोनिका एक तरफ विजय का लंड चूस रही थी वही दूसरी तरफ बिहारी का लंड को अपने हाथों से उपर नीचे कर रही थी.

आज मोनिका भी ज़िंदगी में पहली बार इस तरह से एक साथ दो लंड ले रही थी उसे ऐसा लग रहा थी वो सच में कोई बहुत बड़ी बाज़ारु रंडी हैं.फिर से विजय अपना पूरा लंड को मोनिका के गले के नीचे पहुचाने में कामयाब हो जाता है और ऐसे ही कुछ देर तक रहने देता हैं. फिर बिहारी मोनिका के गले को कसकर दबाता हैं और विजय का कंट्रोल ख़तम हो जाता हैं और वो अपना पूरा वीर्य मोनिका के गले के नीचे उतारने लगता हैं. मोनिका को तो लग रहा था कि उसका गला फट जाएगा.

उसकी आँखों से आँसू फिर से निकल पड़े थे. ऐसे ही जब तक विजय का पूरा माल नही निकल जाता तब तक वो मोनिका के गले में ही अपना लंड फँसाए रखता हैं. फिर वो तुरंत उसे बाहर निकाल देता हैं. अब बिहारी विजय की जगह ले लेता हैं. फिर वो भी उसकी पोज़िशन में अपना लंड मोनिका के हलक में पहुचा देता हैं और कुछ देर ऐसे ही आगे पीछे करने के बाद वो भी उसके हलक में अपना पूरा कम निकाल देता हैं. मोनिका भी ना चाहते हुए उसके वीर्य को पूरा पी जाती हैं.

थोड़े देर तक वो दोनो ऐसे ही शांत बैठे रहते हैं. मोनिका भी सोचने लगती हैं कि आज वाकई में वो किसी बाज़ारु रंडी से बिल्कुल कम नही हैं..
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#27
Update 20



थोड़ी देर के बाद वो दोनो फिर से उठते हैं और मोनिका के पास जाकर उसके बदन से खेलना शुरू कर देते हैं.

विजय- अपने लंड की ओर इशारा करते हुए.. चल अब मेरे लंड को फिर से खड़ा कर.

मोनिका अच्छे से जानती थी कि विजय उससे क्या करवाना चाहता हैं. वो भी चुप चाप जाकर उसके गान्ड के पास अपना मूह करके बैठ जाती हैं.

विजय- अब क्या ऐसे ही बैठी रहेगी या मेरी गान्ड भी चाटेगी. चल शुरू हो जा और हां अच्छे से मेरे आँड भी चाटना. नही तो आज तेरी क्या हालत होगी वो तू सपने में भी नहीं सोच सकती.

मोनिका भी चुप चाप जाकर विजय की गान्ड को चाटना शुरू कर देती हैं. जैसे जैसे वो आगे बढ़ती हैं विजय को धीरे धीरे मज़ा आना शुरू हो जाता हैं. बिहारी भी वही बैठा ये नज़ारा देखता हैं फिर वो भी मोनिका के पास जाकर उसके पेटिकोट का नाडा खोल देता हैं और एक उंगली लेजा कर उसके पैंटी पर रख देता हैं. फिर वो उपर से ही मोनिका की चूत को मसल्ने लगता हैं.

अब वो अपना एक हाथ बढ़ाकर उसके ब्लाउस के बटन्स को खोलना शुरू कर देता हैं. अब इस वक़्त मोनिका भी बस ब्रा और पैंटी में उन्दोनो के सामने थी. और उधर वो अपनी जीभ धीरे धीरे फिराते हुए विजय के बॉल्स पर लेजा कर उसे अपने मूह में लेकर चूस रही थी. विजय तो जैसे सातवे आसमान में था.

फिर बिहारी भी अपना लंड मोनिका के मूह के पास लेजाता हैं और उसे भी चूसने का इशारा करता हैं. अब एक बार वो बिहारी का लंड चुसती है तो फिर थोड़ी देर में वो विजय का लंड चुसती हैं. ऐसे ही वो दोनो कुछ देर तक अपनी गान्ड और अपने बॉल्स भी उससे चटवाते हैं और मोनिका के ना चाहते हुए भी उसे वो सब करना पड़ता हैं.

बिहारी फिर आगे बढ़ता हैं और उसकी ब्रा के हुक्स को खोल देता हैं और विजय भी एक हाथ लेजा कर उसकी पैंटी को नीचे खीच देता हैं. बिहारी की आँखों में तो जैसे चमक सी आ जाती हैं. मोनिका की वेल शेव्ड चूत उसकी आँखों के सामने थी. उसे बिल्कुल भी सब्र नही होता और वो अपनी एक उंगली मोनिका की चूत में डाल देता हैं. मोनिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

इधेर विजय अपने दोनो हाथों से उसके दोनो बूब्स को कसकर मसलता हैं फिर उसे अपने मूह में लेकर बारी बारी चूसने लगता हैं. मोनिका को भी दोहरा मज़ा आने लगता हैं और उसके मूह से सिसकारी तेज़ होने लगती हैं.

बिहारी फिर मोनिका को बिस्तेर पर लेटा देता हैं और झुक कर उसकी चूत पर अपना जीभ फेरने लगता हैं. मोनिका तो जैसे एकदम से बेचैन होने लगती हैं. और इधेर विजय भी उसके दोनो बूब्स को और निपल्स को अपने दाँतों में कसकर कुरेदने लगता हैं.

बिहारी फिर एक उंगली मोनिका की चूत में डाल देता हैं और फिर उसे खूब अच्छे से आगे पीछे करने लगता हैं. कुछ देर में उसकी उंगली पर मोनिका की चूत का रस पूरा लग जाता हैं. फिर वो अपना वही उंगली निकालकर उसे मोनिका के मूह के पास ले जाता हैं. मोनिका भी बड़ी हैरानी से बिहारी को देखने लगती हैं.

बिहारी- ऐसे क्या देख रही हैं. आज तूने हम दोनो का कम चखा हैं. तो आज ज़रा अपना भी तो टेस्ट कर ले. बुरा नहीं लगेगा. इतना कहकर बिहारी अपनी वही उंगली मोनिका के मूह में डाल देता है. मोनिका को ना चाहते हुए भी उसे चूसना पड़ता हैं. और वो बुरा सा मूह बनाती हैं. ऐसे ही करीब 5 मिनिट तक अपनी उंगली मोनिका को चुसवाने के बाद बिहारी वही उंगली इस बार मोनिका की गान्ड में डालने लगता हैं.

मोनिका- ये क्या कर रहे हो बिहारी. इतना गंदा खेल मुझसे नहीं होगा. भला ऐसे भी कोई सेक्स करता हैं क्या.

विजय एक कस कर थप्पड़ मोनिका के गाल पर जड़ देता हैं. हरामी रंडी साली , तू कौन होती हैं हम से ये सब सवाल करने वाली. हम जो भी करे तेरे साथ जैसे भी करें तुझे बस हमारा हुकुम मानना है. वरना तेरा हम दोनो वो हाल करेंगे कि साली आज के बाद सही से धंधा भी नही कर पाएगी.

मोनिका भी कुछ नहीं बोलती हैं और चुप चाप उनका कहाँ मानने लगती हैं. फिर बिहारी अपनी वही उंगली को धीरे धीरे मोनिका की गान्ड में डालने लगता हैं और मोनिका के मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं.कुछ देर में वो ऐसे ही आगे पीछे अपनी उंगली घुमाता हैं और फिर वही उंगली वो बाहर निकालकर मोनिका के मूह के पास ले जाता हैं. मोनिका ना चाहते हुए भी अपनी गान्ड का स्वाद उसे अपने मूह में लेना पड़ता हैं.

मोनिका तो बस यही चाह रही थी कि कैसे भी सुबह हो और मैं इन दोनो के चंगुल से आज़ाद हो जाऊ. मगर शायद आज़ादी अभी उससे इतनी आसानी से नहीं मिलने वाली थी. ऐसे ही कुछ देर तक वो बिहारी की उंगली चाटती हैं फिर विजय भी एक उंगली उसकी चूत में डाल देता हैं और बिहारी अपनी दूसरी उंगली उसकी गान्ड में डाल देता हैं. और दोनो अपनी उंगलियों को हरकत करना शुरू कर देते हैं. मोनिका को सच में बहुत मज़ा आने लगता हैं. और उसके मूह से सिसकारी बहुत तेज़ हो जाती हैं.

बिहारी- अरे ये साली तो तो सच में मज़ा आ रहा हैं. अभी तो हम ने उंगली डाली है तो इसे इतना मज़ा आ रहा हैं. अगर पूरा लंड इसके दोनो छेदों में एक साथ डालेंगे तो कितना मज़ा आएगा. इतना कहकर बिहारी हँसने लगता हैं.

मोनिका की आँखों में भी हवस सॉफ छलक रही थी .वो कुछ बोलती नही मगर आने वाली चुदाई को सुनकर उसके रौंगटे खड़े हो जाते हैं.

विजय भी अपना उंगली मोनिका की चूत से निकाल कर मोनिका के मूह की तरफ बढ़ाता हैं और बिहारी भी अपना उंगली उसकी गान्ड से निकाल कर उसके मूह की तरफ कर देता हैं.

विजय- कौन सी उंगली पहले टेस्ट करना चाहेगी ....बता.

मोनिका मंन ही मंन में उन दोनो को बहुत गालियाँ देती हैं.

मोनिका तो कुछ कहती नहीं पर बिहारी बोल पड़ा हैं..

बिहारी- चल विजय आज इसे दोनो का टेस्ट एक साथ करते हैं. और इतना बोलकर वो दोनो अपनी एक एक उंगली को मोनिका के मूह में दल देता हैं और ना चाहते हुए भी उसे दोनो की उंगाली एक साथ चुसनी पड़ती हैं.

विजय- बता ना किसका टेस्ट ज़्यादा . हैं. तेरी गान्ड का या तेरी चूत का....

मोनिका भी बड़ा बुरा सा मूह बनाती हैं और ना चाहते हुए भी उसे दोनो उंगली एक साथ चुसनी पड़ती हैं. .

फिर विजय उठकर आता हैं और अपने लंड को फिर से मोनिका के मूह में डाल देता हैं और बिहारी उसकी कमर के नज़दीक आता हैं और अपना लंड को मोनिका की चूत पर रख देता हैं. कुछ देर ऐसा रखने के बाद वो एक झटके से अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता हैं और फेच की आवाज़ के साथ बिहारी का लंड मोनिका की चूत में थोड़ा सा घुस जाता हैं. फिर वो धीरे धीरे अपना लंड को आगे पीछे करने लगता हैं और एक झटके के साथ अपना पूरा लंड मोनिका की चूत में पेल देता हैं. मोनिका की चीख वही पर घुट कर रह जाती हैं.

बिहारी भी उसी पोज़िशन में ऐसे ही मोनिका की चूत मारने लगता हैं. बिहारी को सच में बहुत मज़ा आता हैं. मोनिका की चूत काफ़ी टाइट थी. उसे भी अब मज़ा आने लगता हैं. और इधेर वो विजय का लंड भी चूस रही थी. फिर वो दोनो अपनी पोज़िशन बदलते हैं और अब बिहारी अपना लंड उसके मूह में डाल देता हैं. और विजय जाकर उसकी चूत चोदने लगता हैं. ऐसे ही कुछ देर की चुदाई के बाद विजय अपना लंड बाहर निकालता हैं और फिर वो अपने लंड को मोनिका की गान्ड के होल पर रखकर धीरे धीरे डालना शुरू करता हैं. मोनिका चाह कर भी नही चीख पाती और उसकी आवाज़ बिहारी के लंड के साथ दब कर रह जाती हैं.

विजय पहले धीरे धीरे फिर काफ़ी स्पीड से उसकी गान्ड मारने लगता हैं और मोनिका को भी थोड़ी देर में मज़ा आने लगता हैं. फिर वो दोनो ऐसे ही कुछ देर तक चुदाई करते हैं फिर बिहारी अपना लंड उसके मूह से निकाल लेता हैं और मोनिका को पीठ के बल सोने को कहता हैं. विजय भी जल्दी से पहले बेड पर लेट जाता हैं और फिर मोनिका को अपने उपर आने को कहता हैं.

जैसे ही मोनिका उसके उपर आती हैं वो अपना लंड उसकी गान्ड में फिर से डाल देता हैं और फिर से चुदाई करना शुरू कर देता हैं. मोनिका के मूह से भी आ.......ह............आ........ह. की आवाज़ें निकालने लगती हैं. और इधेर बिहारी अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में डाल देता हैं. पहले तो मोनिका थोड़ा चिहुनक पड़ती हैं मगर वो भी अब मज़ा लेने लगती हैं. ऐसे ही करीब 5 मिनिट तक वो उसकी चूत के दानों को कसकर मसलता हैं और मोनिका ना चाहते हुए भी फारिग हो जाती हैं और तुरंत ठंडा पड़ जाती हैं. मगर बिहारी अपनी उंगली नही निकालता और फिर कुछ देर के बाद मोनिका फिर से गरम होने लगती हैं.

अब बिहारी भी उसके उपर चढ़ जाता हैं और अपना लंड को मोनिका की चूत में डाल देता हैं. थोड़ी मुश्किल से मगर एक झटके में बिहारी का लंड पूरा मोनिका की चूत में चला जाता हैं. और फिर मोनिका की यहाँ पर एक साथ दोहरी चुदाई शुरू हो जाती हैं. आज तक उसने कभी ज़िंदगी में एक साथ कभी दो लंड नहीं लिए थे. उसे तो सच में लगता हैं कि वो जन्नत में हैं. कभी विजय का लंड आगे जाता तो कभी बिहारी का ऐसे ही करीब 30 मिनिट्स की ख़तरनाक चुदाई के बाद मोनिका भी करीब 3 बार फारिग होती हैं और विजय और बिहारी भी उसकी चूत और गान्ड में अपना वीर्य पूरा निकाल देता हैं और दोनो उसके उपर पसर जाते हैं............

दोनो बिल्कुल पसीने से लथपथ एकदम शांत होकर मोनिका के उपर चढ़े हुए थे और उन दोनो के बीच मोनिका भी एक दम शांत पड़ी हुई थी. ऐसे ही दोनो बदल बदल कर पोज़िशन और रात के करीब 12 बजे तक मोनिका की तीन बार जम्कर चुदाई होती हैं और वो तीनों थक कर वही पर सो जाते हैं..

सुबह के करीब 10 बजे तीनों की आँखें खुलती हैं. मोनिका बाथरूम में जाकर अपने कपड़े पहन लेती हैं और बिहारी और विजय भी जल्दी से तैयार होने लगते हैं. थोड़ी देर के बाद........

मोनिका- अब मुझे चलना चाहिए. अब मैं तुमसे 1 महीने के बाद मिलूंगी अपना कांट्रॅक्ट ख़तम करने के बाद.

विजय हंसते हुए- ये तुझे किसने कह दिया कि हम तुझे एक महीने तक हाथ भी नहीं लगाएँगे.

अब चौकने की बारी मोनिका की थी- क्या??? तुम ऐसा नहीं कर सकते...

विजय- अरे मेरी जान ज़रा ध्यान से पढ़ ना इस कांट्रॅक्ट लेटर को. मैने कहीं भी इस बारे में कोई भी ज़िकरा नहीं किया हैं कि हम दोनो तुझे एक महीने तक हाथ नही लगा सकते. हां मैने इस बात का ज़रूर ज़िकरा किया हैं कि तू पूरे एक महीने तक हमारे लिए काम करेगी. चाहे कोई भी काम क्यों ना हो. उसके बाद तू आज़ाद हैं.

मोनिका- फिर से धोका!!!! सच में विजय तुम बहुत बड़े कमिने हो. मैने आज तक तुम जैसा कमीना इंसान अपनी जिंदगी में नहीं देखा.

विजय- और देखोगी भी नहीं अगर तुमने अपना कांट्रॅक्ट टाइम से ख़तम नही किया तो. और हां हमारा जब जी चाहे जहाँ जी चाहे जब भी हम तुम्हें बुलाएँगे तुम्हें आना होगा. बाकी तुम खुद समझदार हो. और इतना कहकर बिहारी और विजय दोनो हँसे लगते हैं.

मोनिका जितना चाहती थी कि वो इस दलदल से बाहर निकले वो अब उतनी ही इसमें फँसती जा रही थी. और एक बार फिर उसकी आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं. मगर वो वहाँ से चुप चाप उठती हैं और बाहर निकल जाती हैं. अब उसके मंन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. वो ये बात अच्छे से जानती थी कि जो हाल उन्दोनो ने मेरा किया वो तो कोई दुश्मन भी किसी से नही कर सकता. पता नहीं उस राधिका से इनलोगों की क्या दुश्मनी हैं. अगर वो उससे अपनी दुश्मनी निकालेंगे तो पता नहीं उसके साथ ये लोग क्या सुलूक करेंगे.अब उस राधिका का क्या होगा ये तो बस भगवान ही जानता हैं.

जैसे ही मोनिका वहाँ से बाहर निकलती हैं किसी और की नज़र उस पर पड़ जाती हैं. पर किसकी ये बात अभी कुछ देर में पता लगने वाली थी.

जी हां वो और कोई नही बल्कि बिहारी की पत्नी पार्वती थी जिसकी उमर करीब 43 साल थी ,थोड़ी मोटी और हेल्ती शरीर की रंग थोड़ा गेहुआ था. और तो और उसने मोनिका को जाते हुए भी नही बल्कि बिहारी और विजय की सारी बातें भी सुन ली थी. वो छत पर से नीचे सीढ़ियों से उतर कर नीचे आती हैं............

पार्वती अपने दोनो हाथों से ताली बजाते हुए नीचे सीढ़ी से उतर कर बिहारी और विजय के पास आती हैं. और जैसे ही बिहारी की नज़र अपनी पत्नी पर पड़ती हैं उसके होश उड़ जाते हैं और घबराहट की वजह से उसका गला सूखने लगता हैं.

बिहारी- आँखें फाड़ कर देखते हुए- .....तू....तुम यहाँ पर.........कैसे????

पार्वती- क्यों मुझे इस वक़्त यहाँ पर नहीं होना चाहिए था क्या???

बिहारी- लेकिन तुम तो........ अपने मायके जाने वाली थी........फिर????

पार्वती- नही गयी.. चलो अच्छा ही हुआ कि यहाँ पर आकर तुम क्या गुल खिला रहे हो कम से कम मुझे इस बात का तो पता चला. तुमपर शक़ तो मुझे बहुत पहले से था लेकिन आज यहाँ पर ये सब देखकर मुझे यकीन भी हो गया...

बिहारी- तुम मुझे ग़लत समझ रही हो. मैं वो लड़की को नहीं जानता. वो तो बस मेरे दोस्त से मिलने आई थी..

पार्वती बिहारी के एकदम करीब आती है और कसकर एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर मार देती हैं. फिर उसके बाद एक और थप्पड़ उसके दूसरे गाल पर जड़ देती हैं. बिहारी का चेहरा एक दम लाल हो जाता हैं.

पार्वती- शरम करो 50 साल के हो गये और अपनी बेटी जैसी लड़की के साथ ये सब काम करते हो. और तो और ना जाने कैसे कैसे दोस्त हैं तुम्हारे. जी तो करता हैं कि अभी पोलीस स्टेशन जाकर तुम्हारी सारी पोल पट्टी खोल दू. फिर तुम जानो और तुम्हारा काम.

बिहारी पार्वती की बातों से एक दम घबरा जाता हैं और वो तुरंत उसके पाँव में गिर पड़ता हैं.

बिहारी- मुझे माफ़ कर दो पार्वती. ये जो कुछ भी हुआ ये सब अंजाने में हुआ. अब दुबारा ऐसी ग़लती नहीं होगी. मैं अब तुम्हारे लिए ये सब छोड़ दूँगा. मैं तुम्हारी कसम ख़ाता हूँ. मैं आज के बाद हमेशा हमेशा के लिए सुधार जाउन्गा.

पार्वती- मुझे अब कुछ नहीं सुनना हैं. मैं अब तुम्हारे पास डाइवोर्स पेपर भेज दूँगी. बस चुप चाप तुम वहाँ पर साइन कर देना. नहीं तो मैं सीधा कोर्ट में जाउन्गि. फिर तुम जानते हो कि तुम्हारी कितनी बदनामी होगी. और हां एक बात और मैं ये भी जान चुकी हूँ कि तुम्हारा ये दोस्त रंडियों का भी धंधा करता हैं और ड्रग्स का भी सप्लाइयर हैं.

और मेरे ख्याल से तुम भी ये सब में इसके साथ बारबार के हिस्सेदार हो. चिंता मत करो जब मेरा डाइवोर्स हो जाएगा तो मैं तुम्हारे और तुम्हारे इस दोस्त दोनो की पोलीस एंक्वाइरी करवाउंगी. फिर पता लग जाएगा कि तुम कितने दूध के धुले हो..

इतना सुनते ही बिहारी की डर के मारे हालत खराब हो जाती हैं और वो फिर से पार्वती की पैरों में गिर पड़ता हैं. और विजय भी उसी डर से सहम जाता हैं.

पार्वती- बंद करो अपने ये मगरमच्छ के आँसू बहाना. मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ता. तुम जैसे बेवफा इंसान के साथ अब मैं और नहीं रह सकती. मैं अगले हफ्ते डाइवोर्स का पेपर वकील के हाथों तुम्हारे पास भेजवा दूँगी और तुम चुप चाप उसपर अपना साइन कर देना. वरना अंजाम बहुत बुरा होगा.... और इतना कहकर पार्वती गुस्से से वहाँ से निकल जाती हैं.....

बिहारी अब भी वही फर्श पर बैठा हुआ अपनी किस्मेत को कोष रहा था.

विजय- चुप हो जा यार कुछ नही होगा. भाभी इस वक़्त गुस्से में हैं. गुस्सा कुछ कम हो जाए तो जाकर प्यार से मना लेना. वो मान जाएगी.

बिहारी- मदर्चोद जी तो करता हैं कि तेरा गला दबा डू. साला मेरा घर दाँव पर लग गया और मेरी गर्दन पर अब कुछ दिनों में फाँसी का फंदा लटकने वाला हैं और तू कहता हैं कि चुप हो जाऊ. अगर मैं चुप हो गया तो पार्वती हमेशा हमेशा के लिए मुझे चुप करवा देगी..साला मेरी तो किस्मेत ही खराब हैं.मैने तुझे पहले भी बोला था कि उस रंडी को यहाँ पर मत लेकर आ मगर तूने ही कहा था ना कि यहाँ पर कोई नहीं आता. अब तो हमारी सौर्य गाथा मेरी पत्नी जान ही चुकी हैं. देख लेना अब पोलीस वाले मेरे गले में अपना फूलों का माला चढ़ाएँगे.

विजय- यार तू मरने से इतना डरता क्यों हैं. देख लेना कुछ नहीं होगा.

बिहारी- अरे मैं ही बेवकूफ़ था जो मैने तेरी बात मानी. साला तू तो अभी भी पांक सॉफ हैं. फँसा तो मैं हूँ ना. मैं अपनी पत्नी को अच्छे से जानता हूँ वो सच में जाकर पोलीस को सब कुछ बक देगी..

विजय- अपना मज़ा लिए तो कुछ नही अब फँस गया तो कह रहा हैं कि मैने ही फँसाया हैं.

विजय- ठीक हैं मुझे कुछ सोचने दे देखता हूँ कि कोई सल्यूशन निकलता हैं कि नहीं.

बिहारी- एक बात कान खोलकर सुन ले विजय. ये मेरा मॅटर हैं. और मैं नही चाहता कि तू इसमें कोई भी दखल अंदाज़ी करे. अब जो भी करूँगा मैं करूँगा और अपने तरीके से करूँगा.

विजय- भूल मत बिहारी कि अगर तू फँसा तो मैं भी तेरे साथ साथ फसूँगा. और अगर मैं फँसा तो तू भी नही बचेगा.

बिहारी- आख़िर दिखा ही दी ना अपनी औकात. साला मुझे तो कहता हैं कि डरता हैं और बात अपनी पे आई तो साले तेरी पहले ही फट के हाथ में आ गयी.

विजय- छोड़ ना यार अब बेकार में बहस करने से क्या फ़ायदा. अब जल्दी से इसका कोई सल्यूशन निकाल वरना पता नही आगे हमारे साथ क्या होगा. एक काम करते हैं क्यों नहीं भाभिजी को इस दुनिया से ही विदा कर देते हैं..और उससे अपना रास्ता भी सॉफ हो जाएगा.

बिहारी मुस्कुराते हुए- मोनिका सही कह रही थी कि तू वाकई में बहुत बड़ा हरामी हैं. साला......... कई हरामी मरे होंगे तो तू अकेला पैदा हुआ होगा.

विजय- तो तू ही बता हैं कोई दूसरा रास्ता है हमारे पास. और वैसे भी तो अब वो तुझे तलाक़ देने ही वाली हैं तो तेरा उसके साथ रिश्ता वैसे भी ख़तम हो जाएगा. तो क्या ज़रूरत हैं पुराने रिस्ते ज़बारजस्ति निभाने की.

बिहारी- वाकई में मानना पड़ेगा तेरे कामीने दिमाग़ को. लेकिन वो तो मेरी सोने की आंडे देने वाली मुर्गी हैं. उसका क्या???

विजय- मैं कुछ समझा नहीं.??? ज़रा खुल कर बता??

बिहारी- यहाँ नहीं. यहाँ पर बताना सेफ नहीं हैं. चल मैं तुझे रास्ते में अपनी अत्तीत के बारे में बताता हूँ. वो राज़ जो मेरे ख़ास आदमियों को ही पता हैं. आज तू भी जान जाएगा.

बिहारी और विजय दोनो वहाँ से बाहर निकल जाते हैं और जाकर अपनी कार में बैठ जाते हैं. विजय गाड़ी ड्राइव करता हैं और बिहारी उसकी बाजू वाली सीट पर बैठ जाता हैं.

विजय- अब बता बिहारी. मैं बहुत बेचैन हूँ तेरे अत्तीत के बारे में जानने के लिए.

बिहारी- बात उस वक़्त की हैं जब मैं 21 साल का था और मैं एक छोटे से गाँव में रहता था. मेरे परिवार पूरा ग़रीबी में रहता था. ना खाने को सुद्ध खाना , ना पहनने को ढंग के कपड़े. मेरे पिताजी एक मज़दूर थे. और मज़दूरी करके वो अपना घर का खर्चा चलाते थे. उन्होने मुझे कैसे भी करके बी.ए करा दिया. और जब मेरी पढ़ाई पूरी हो गयी तो उन्होने अपने हाथ पीछे खीच लिए.

मुझसे सॉफ सॉफ कह दिया कि अब मैं तेरा बोझ नही उठा सकता. अगर तुझे हमारे साथ रहना हैं तो तुझे भी मेहनत और मज़दूरी करनी होगी. लेकिन मेरा सपना तो बड़ा आदमी बनने का था. मैं भला कैसे मेहनत मज़दूरी करता. ऐसे ही एक महीना बीत गया और मैं अपने पिताजी की बात को ज़रा भी सीरीयस नही लिया.

पिताजी ने मुझे एक दिन आख़िर कह ही दिया कि अगर तुझे इस घर में रहना हैं तो तुझे इस घर का खर्च भी उठाना होगा. नहीं तो तू कहीं और जा सकता हैं. बस फिर क्या था मेरा मूड भी घूम गया और मैं उसी शाम को मुंबई के लिए गाड़ी पकड़ा और मुंबई चला आया. मगर मुंबई में भी मेरी किस्मेत ने मेरा साथ नहीं दिया. कहते हैं ना कि मुंबई सिर्फ़ पैसे वालो के लिए होती है. और जब मैं मुंबई में आया था उस वक़्त मेरी जेब में मात्र 100 रुपये था. फिर मुझे मेरे एक दोस्त जो यहाँ मनाली में उसका खुद का बिजनेस हैं मैं तुरंत उसके पास चला आया.

यहाँ पर मेरी किस्मेत ने मेरा साथ दिया. और मैं यही मनाली में हमेशा हमेशा के लिए बस गया. कुछ दिन तक तो मैं उसके घर पर ही रहा मगर मैने उसे कह दिया कि मुझे कैसे भी काम दिला. तो वो वही पर ठाकुर शौर्या सिंग जो उस जमाने में बहुत बड़ा ज़मींदार था मैं उसके यहाँ पर नौकर का काम करने लगा.

उसकी ठाट बाट देखकर तो मैं दंग रह गया. उस वक़्त उसके पास कम से कम अरबों की प्रॉपर्टी थी. फिर यहाँ पर मैने अपनी बिहारी बुद्धि लगाई. और उसकी भतीजी यानी कि पार्वती के पीछे हाथ धो कर पद गया. उस वक़्त वो भी उतनी खूबसूरत तो नहीं थी पर मेरे लिए वो सोने की अंडे देने वाली मुर्गी थी. मुझे उसके ज़रिए वो दौलत हासिल करनी थी.

करीब 1 साल तक मैं उसके पीछे हाथ धो कर पड़ा रहा. उसकी हर बात मानता. उसकी हर तरह से सेवा करता. और ऐसे ही धीरे धीरे मैने उसको अपने झूठे प्यार के जाल में फाँस लिया.और एक दिन वो मेरे साथ घर छोड़ कर भाग गयी. लेकिन मैं तो उसके घर में ही रहना चाहता था उसकी पूरी प्रॉपर्टी को निगलना चाहता था. लेकिन उसकी जिद्द की वजह से मुझे भी भागना पड़ा.

जब ये बात शौर्य सिंग को पता चली तो वो अपने आदमियों से कुत्तों की तरह हमारी छान बीन करवाना चालू का दिया. लेकिन यहाँ पर मेरी किस्मत ने मेरा साथ दिया. शौर्य सिंग के आदमियों ने हमे रेलवे स्टेशन तक जाते ही पकड़ लिया. और हम दोनो को उसके सामने ले जाया गया.

पहले तो शौर्य सिंग ने पार्वती को बहुत बुरा भला कहा और दो चार डंडों से मेरी भी अच्छे से सेवा की. मगर वो जल्दी ही पसीज गया और हमारे रिस्ते को हां कर दी. मगर शौर्य सिंग जितना बेवकूफ़ दिखता था उतना था नहीं. उसने किसी भी अपनी प्रॉपर्टी का ज़िक्र ना ही मुझसे किया और ना ही पार्वती से.

जब पार्वती 21 साल की हुई तो उसने एक वसीयत बनवाई. और वसीयत के मुताबिक सारी प्रॉपर्टी की मलिकिन पार्वती और वो बुड्ढ़ा सौर्य सिंग था. उसने मेरे नाम एक फूटी कौड़ी तक नही की. मेरा तो खून खौल उठा. मगर मैं क्या कर सकता था. तब मैं बड़े प्यार से उसकी सेवा भाव करने लगा. तो वो मुझसे खुस होकर मुझे एलेक्षन में खड़ा करवा दिया और मेरी किस्मेत कि मैं वो चुनाव जीत गया.

ऐसे ही धीरे धीरे मैं सत्ता में आ गया और अपनी हस्ती और वजूद मैने खुद बनाया. बाद में उस बुड्ढे ने आधी प्रॉपर्टी अपने बच्चो के नाम कर दी और आधा प्रॉपर्टी जो कि पार्वती की था वो उसी के नाम ही रहने दिया. मैने कई बार पार्वती से इस बारे में जिक्र किया तो उसने सॉफ सॉफ कह दिया कि जाओ और मेरे चाचा से इस बारे में बात करो. लेकिन मुझे इस बारे में बात करने की कभी हिम्मत ही नही हुई.फिर कुछ साल के बाद मेरी एक लड़की हुई. मैने उसे बड़े प्यार से पाला पोशा और जब वो थोड़ी बड़ी हुई तो शौर्य सिंग ने उसे पढ़ाने के लिए ऑस्ट्रेलिया भेज दिया. और पार्वती की आधी प्रॉपटी उसके नाम लिख दिया. यानी कि 25% पार्वती का और 25% शोभा का यानी मेरी बेटी का. और बाकी बचा 50 % जो शौर्य शिंग ने अपने परिवार के नाम कर दिया और मुझे हिलाने के लिए एक घंटा थमा दिया.

लेकिन मैने कई बार कोशिश की पार्वती वो सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दे मगर उसको भी मेरी नियत की भनक लग गयी. और वो भी जान गयी थी कि मैने उससे कभी प्यार ही नहीं किया बल्कि मुझे उसकी दौलत से प्यार था. मैं तो साला इसी आस में था कि कभी ना कभी पार्वती का दिल पिघल जाएगा और वो खुशी खुशी सारी दौलत मेरे नाम कर देगी .मगर अब मेरी सोने की मुर्गी भी हाथ से निकल गयी...

विजय- ओह .....हो तब तो तूने वाकई में बहुत बड़ी मछली फँसाई हैं. और तेरे मा बाप का क्या हुआ वो लोग नहीं आए क्या कभी तुझसे मिलने???

बिहारी- हां मछली तो मैने वाकई बड़ी फँसाई हैं मगर ना इसको पूरा खाए बनता हैं और ना ही निगलते बनता हैं.और मेरे मा बाप आए तो थे मगर मैने ही उन्हें पहचानने से सॉफ इनकार कर दिया. क्यों कि मैं जब शौर्य सिंग से पहली बार मिला था तब मैने उसको बता दिया था कि मैं अनाथ हूँ. मेरा इस दुनिया में कोई नहीं हैं.और आज भी उनलोगों को मेरी असलियत नही मालूम यहाँ तक कि मेरी पत्नी को भी नहीं.

विजय- चल यार तेरी दुखद भरी कहानी सुनकर तो वाकई में मेरी मगरमच्छ जैसी आँखों में भी आँसू आ गये. और इतना कहकर विजय और बिहारी ज़ोर से हँसने लगते हैं.
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#28
Update 21

बिहारी- और एक बात तू पार्वती को कुछ नहीं करेगा. जो कुछ करूँगा मैं करूँगा और डाइवोर्स से पहले करूँगा.

विजय- लेकिन डाइवोर्स होने के बाद तो भाभिजी को आसानी से मरवाया जा सकता हैं. तो पहले क्यों???

बिहारी- तू नहीं समझेगा. इसी को तो पॉलिटिक्स कहते हैं.अगर मैं उसे डाइवोर्स के बाद मरवा दूँगा तो कोई भी आसानी से यही अंदाज़ा लगा सकता हैं कि मैने अपनी दुश्मनी के लिए अपनी पत्नी को पहले तलाक़ दिया फिर उसे जान से मरवा दिया. जिससे सारा ब्लेम मुझपर ही आ जाएगा. और अगर वो डाइवोर्स से पहले मरी तो कोई भी ये नहीं जान पाएगा कि इन सब के पीछे मेरा हाथ हैं.

विजय- तो कब भाभिजी को यमराज के पास भेजने का प्लान हैं.

बिहारी- वही तो सोच रहा हूँ. अब हमे हर एक कदम बहुत सोच कर उठाना पड़ेगा.पहले ही हमारे दो आदमी मारे जा चुके हैं.फिर उस इनस्पेक्टर पर जान लेवा हमला. और अब ट्रक और उस कॉंट्रॅक्टर का पकड़े जाना. यानी इस समय अब किसी भी तरह का रिस्क लेना बहुत ख़तरनाक हैं. और अभी पोलीस भी पूरी आक्टिव हो गयी हैं. अभी कुछ दिन रुक जाते हैं . बेचारी को कुछ दिन का सूरज देख लेने दे. मरना तो हर हाल में हैं उसे.

विजय- ठीक हैं बिहारी मगर ये काम जितनी जल्दी हो जाए उतना ही हमारे लिए बढ़िया हैं...

..............................................

उधेर कृष्णा भी उस दिन के बाद जो घर से निकाला था तब से वो दो दिन तक घर नही आया था. राधिका उसके लिए एक दम बेचैन और परेशान हो गयी थी. तभी उसके घर की डोर बेल बजती हैं और राधिका दौड़ कर दरवाजा खोलती हैं. सामने उसके भैया थे..

राधिका- भैया आप कहाँ चले गये थे.. आपको ज़रा भी अंदाज़ा हैं कि मैं आपके लिए कितनी परेशान हूँ. कम से कम एक फोन तो कर ही सकते थे ना..और इतना बोलकर राधिका झट से अंदर आ जाती हैं. और जाकर बिस्तेर पर पेट के बल लेट जाती हैं.

कृष्णा भी दरवाजा बंद करके अंदर आता हैं और राधिका के कमरे में चला जाता हैं. राधिका उसको अपने पास आता देखकर वो बिस्तेर से उठकर बैठ जाती हैं.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका. मैने तुझपर अपना हाथ उठाया. मैं जानता हूँ कि तू मुझसे नाराज़ हैं..

राधिका- एक टक कृष्णा को देखते हुए- हां भैया मैं आपसे बहुत नाराज़ हूँ लेकिन इस लिए नहीं कि आपने मुझपर अपना हाथ उठाया बल्कि इस लिए कि आप दो दिन तक बिना बताए चले गये और आपने मुझे फोन करके बताना भी ज़रूरी नहीं समझा. आख़िर क्यों?? क्या हैं इसके पीछे वजह??

कृष्णा- बस ऐसे ही अपने एक दोस्त के यहाँ पर रुक गया था. मैं तो ये सोचकर तेरे सामने नहीं आया कि मैने तुझपर अपना हाथ उठाया है तो तू मेरे बारे में क्या सोचेगी.

राधिका- वादा करो भैया कि आज के बाद तुम मुझे कभी भी छोड़ कर कहीं नही जाओगे.

कृष्णा भी मुस्कुरा कर राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं.

राधिका- आप मूह हाथ धो लो मैं आपके लिए खाना निकाल देती हूँ.

थोड़ी देर के बाद कृष्णा और राधिका भी खाना खाते हैं और फिर राधिका जाकर किचन सॉफ करने लगती हैं. और कुछ देर में वो दोनो राधिका के रूम में वापस आ जाते हैं.

कृष्णा- एक बात कहूँ राधिका बुरा तो नहीं मनोगी ना.

राधिका- हां भैया कहो ना मुझे आपकी बात का भला कैसे बुरा लगेगा.

कृष्णा- क्या तू सच में राहुल से शादी नही करना चाहती. क्या तू उस बिहारी से .....................

राधिका एक टक कृष्णा की आँखों में देखती हैं - छोड़ो ना भैया क्या अब आप भी बेकार की बातें लेकर बैठ गये.

कृष्णा अपना हाथ राधिका के कंधे पर रखकर उसे अपनी तरफ घूमता है- तू इसे बेकार की बातें कहती हैं. ये तेरी ज़िंदगी का सवाल हैं. बता मुझे.

राधिका- वो तो मैने गुस्से में कह दिया था.

कृष्णा-क्या तू सच में मेरे साथ वो सब करना चाहती हैं. कृष्णा राधिका की आँखों में देखते हुए बोला..

राधिका- आपको क्या लगता हैं भैया कि मैं आपसे मज़ाक कर रही थी. अगर यकीन ना आए तो एक बार कह के तो देख लो मैं अभी इसी वक़्त अपने सारे कपड़े आपके सामने उतार दूँगी.

क्रिसना- तू कैसी बातें करती हैं. भला तुझे शरम नही आएगी मेरे सामने अपने पूरे कपड़े उतारते हुए.

राधिका- जब आप मेरे सामने पूरा नंगा हो सकते हैं तो मैं क्यों नहीं. आख़िर आप की रगों में भी तो मेरा ही खून दौड़ रहा हैं ना. फिर आपसे शरम कैसा.

कृष्णा की कही हुई बात आज राधिका ने फिर से उसपर पलट दी थी. वो भी एक टक राधिका को देखने लगता हैं.

कृष्णा- नही राधिका अब मैं तेरे साथ वो सब नहीं करना चाहता.

राधिका- आख़िर क्या हो गया हैं भैया आपको. क्यों आज आप इतना बदल गये हैं????

कृष्णा- मुझे ये सब ठीक नहीं लगता. और आज मैं नही बदला हूँ राधिका बल्कि तू बदल गयी हैं. मुझे तो समझ में नही आ रहा हैं कि तू इतना कैसे बदल सकती हैं.

राधिका- क्या ठीक नही लगता भैया. मुझसे सेक्स करने के लिए तो आप हमेशा मेरे पीछे पागल रहते थे. क्या आप नही चाहते थे कि मैं अपना बदन आपको सौप दूँ. और आपने तो मुझे सिड्यूस करने के लिए 2 हफ्ते का समय भी माँगा था. और दो हफ्ते ख़तम होने में केवल एक दिन ही बचा हैं. क्या आप नही चाहोगे कि आप शर्त जीत जाओ. मैं तो अब आपको किसी बात के लिए रोकूंगी भी नहीं.

कृष्णा- बस कर राधिका. ये पाप मुझसे नही होगा.

राधिका- वाह भैया वाह..... आज ये सब आपको पाप लगने लगा. अगर इतना ही पाप पुन्य का ख्याल था तो क्यों मेरा हाथ बचपन में ही छोड़ दिया था. क्यों नही बचाने आए हर जगह मेरी लाज को. आपको क्या मालूम भैया कि जब भी मैं बाहर निकलती हूँ लोग मुझे खा जाने वाली नज़रो से देखते हैं. ऐसा लगता हैं कि मैं कोई सेक्स की मशीन हूँ. आपको तो ये भी नहीं मालूम होगा कि आज तक कितने लड़कों ने मुझे छेड़ा हैं शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब कोई मुझसे कुछ ना कहा हो. ये सब सुनकर मुझपर क्या बीतती हैं आप इसका अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते. जब भी मैं किसी सड़क या गली मुहल्ले से गुजरती हूँ तो लोग मेरे बारे में कैसी गंदी गंदी बातें करते हैं आपको तो शायद ये भी नही मालूम.

उस वक़्त आप कहाँ थे. क्या आपने कभी मुझसे पूछा हैं कि क्या कभी तुझे किसी बात की तकलीफ़ हैं. क्या तुझे कोई तंग करता हैं. नहीं ना तो आज आपके मन में ये पाप पुण्य का ख्याल कहाँ से आ गया. मुझे जवाब दो.

आप ही कहते हैं ना कि कोई तुझ पर बुरी नज़र डालेगा तो मैं उसकी आँखें फोड़ दूँगा. कितनो की आँखें फोड़ोगे आप भैया. कहने और करने में बहुत फरक हैं. और आप इस बात को अच्छे से जानते हैं कि राधिका कहती नही हैं बल्कि करती भी हैं. आपको क्या मालूम कि औरत की ज़िंदगी कितनी मुश्किल होती हैं.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका. मैं मानता हूँ कि मैं समय रहते तेरे सहारा नहीं बन सका. एक अच्छा भाई नहीं बन सका. मगर आज मैं अपनी ग़लती सुधारना चाहता हूँ. मुझे एक मौका तो दे...........

राधिका- क्यों शर्मिंदा करते हो भैया. मैं कौन होती हूँ आपको माफ़ करने वाली. खैर अब मैं आपसे इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहती.

कृष्णा राधिका के करीब जाता हैं और जाकर उसे बड़े प्यार से गले लगा लेता हैं.

राधिका- भैया एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मनोगे ना..

कृष्णा- कहो..

राधिका- क्या मेरे जिस्म को देखकर आब आपका मन नही करता क्या कि आप मेरे साथ सेक्स करें.

कृष्णा- ये क्या बेहूदा सवाल हैं. मैं तेरे सवाल का जवाब देना ज़रूरी नहीं समझता.

राधिका- मैं जानती हूँ कि आज भी आपके ख़यालात पहले जैसे हैं. बस आप मुझसे झूट बोल रहे हैं.

कृष्णा राधिका को अपने से दूर करते हुए--- ठीक हैं अगर तुझे ऐसा लगता हैं तो ........लगे. मैं ये बात साबित तो नहीं कर सकता.

राधिका- लेकिन मैं साबित कर सकती हूँ. अगर आप हां कहो तो..........................

कृष्णा उसको सवालियों नज़र से देखता हैं- मतलब???

राधिका कृष्णा का एक हाथ को पकड़कर अपने हाथ में लेती हैं और उसे झट से अपने सीने पर रख देती हैं और कसकर अपने हाथ पर दबाव डालने लगती हैं. कृष्णा जैसे ही समझता हैं वो अपना हाथ राधिका के सीने से हटाने की कोशिश करता हैं मगर राधिका उसका हाथ कसकर पकड़े रखती हैं. आज पहली बार कृष्णा ने राधिका के बूब्स को अपने हाथों में महसूस किया था. और नीचे उसके लंड में भी हलचल होनी शुरू हो जाती हैं.

कृष्णा फिर एक झटके से अपना हाथ राधिका के सीने से हटा लेता हैं- ये क्या मज़ाक हैं राधिका.

राधिका- क्यों भैया सच कहिए क्या आपको अच्छा नहीं लगा इस तरह मेरे सीने पर हाथ रखकर. अगर नहीं तो ये बात मेरी आँखों मे देखकर कहिए. मैं कसम खाती हूँ भैया कि मैं आज के बाद आपको सेक्स के लिए कभी फोर्स नहीं करूँगी.

कृष्णा का तो मूह से कोई शब्द नहीं निकलता हैं और वो खामोश होकर अपना सिर नीचे झुका लेता हैं.

राधिका- मैं जानती थी भैया कि दुनिया में इंसान शराब और शबाब कभी नहीं छोड़ सकता. ये वो नशा हैं जब ये इंसान पर हावी हो जाती हैं तो इंसान कुछ नहीं सोचता. ये भी नहीं कि कौन उसकी बेहन हैं, कौन उसकी मा हैं और कौन उसकी बेटी हैं. फिर आप को तो दोनो का शौक हैं. और मैं यकीन से कह सकती हूँ कि आपका भी खून ज़रूर गरम हुआ होगा. फिर ये सब ढोंगबाज़ी किस लिए???

राधिका ने तो आज कृष्णा का भी मूह बंद कर दिया था. आज उसके पास राधिका के सवाल का भी कोई जवाब नही था.

कृष्णा- मुझे अब चलना चाहिए राधिका. मुझे अब काम पर भी जाना हैं..

जैसे ही कृष्णा जाने के लिए मुड़ता हैं राधिका झट से उसका हाथ थाम लेती हैं. आज सब कुछ उसके साथ उल्टा होता नज़र आ रहा था. अब तक वो राधिका का हाथ पकड़ता था मगर आज राधिका ने उसका हाथ पकड़ लिया था.

राधिका- आख़िर कब तक बचोगे मुझसे भैया. चिंता मत करो आज मैं आपको हाथ भी नही लगाउन्गि. मगर कल आपको मुझसे कौन बचाएगा. अभी आपने राधिका को अच्छे से जाना कहाँ हैं. मैं कल आपको बताउन्गि कि राधिका क्या कर सकती हैं. और हां ये मत समझना कि आप घर नहीं आओगे तो बच जाओगे. आगर नहीं आए तो मैं कहीं कोई ऐसा कदम ना उठा लूँ कि कहीं आपको बाद में फिर पछताना पड़े.

कृष्णा की तो मानो ज़ुबान से आवाज़ ही निकलनि बंद हो गयी थी. वो कुछ बोलता नहीं बस चुप चाप घर से अपना मूह लटकाकर बाहर की ओर निकल जाता हैं. आज उसका सारा दाँव उसी पर उल्टा पड़ता नज़र आ रहा था.

थोड़ी देर के बाद राधिका के मोबाइल पर फोन आता हैं. फोन राहुल का था.

राहुल- अरे कहाँ पर हो मेडम साहिबा. तुम्हारा तो दो दिन से कुछ पता ही नहीं हैं. ना मुझ से मिलती हो ना ही बात करती हो. आभी इस वक़्त आ जाओ मैं तुम्हारा यहीं गार्डेन में वेट कर रहा हूँ. और इतना कहकर राहुल फोन रख देता हैं.

राधिका भी जल्दी से तैयार होकर राहुल से मिलने चली जाती हैं. थोड़े देर के बाद जब वो वहाँ पर पहुचती हैं तो वहाँ पर निशा भी राहुल के साथ बैठी मिलती हैं.

निशा- आओ राधिका शुक्र हैं कि तुमको टाइम तो मिल गया हम से मिलने का. वैसे आज कल तुम ज़्यादा बिज़ी रहती हो...हैं ना.

राधिका कुछ कहती नही बस एक प्यारा सा स्माइल देकर वहीं राहुल और निशा के पास बैठ जाती हैं.

राहुल- हां तो राधिका आज का तुम्हारा क्या प्लान हैं. कहीं आज बिज़ी तो नहीं हो ना.

राधिका- नहीं राहुल ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस ऐसे ही दो दिन से मेरी तबीयात थोड़ी ठीक नहीं लग रही हैं.

निशा- आरे हम तुम्हारे लगते ही कौन हैं. बताना तो तुम कोई भी बात हम से ज़रूरी नहीं समझती.

राधिका- नहीं निशा ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस ऐसे ही.

राहुल- चलो यार आज कहीं बाहर चलते हैं घूमने. मैं आज दोपहर तक फ्री हूँ. और इसी बहाने राधिका का भी मूड फ्रेश हो जाएगा.

फिर थोड़ी देर में वो तीनों सहर के बाहर एक हिल स्टेशन की ओर निकल पड़ते हैं. मगर आज राधिका सिर्फ़ खामोश थी. वो ज़्यादा खुल कर ना ही राहुल से बोल रही थी और ना ही निशा से.

कुछ देर के बाद वो तीनों मनाली की सुंदर घाटियो में पहुँच जाते हैं और प्रकृति के सुंदर नज़ारे का आनंद उठाते हैं.

राहुल- यार तुम ऐसे क्यों खामोश हो. और कोई बात हैं क्या. मैं तुम्हारा मूड फ्रेश करने के लिए ही तो तुम्हें यहाँ पर लाया हूँ और तुम बस खामोश बैठी हो.

राधिका- नहीं राहुल बस कुछ अच्छा नहीं लग रहा.

राहुल- जानती हो राधिका अपनी निशा को किसी से प्यार हो गया हैं. और वो उस लड़के से बहुत प्यार करती हैं. मगर वो किसी और को चाहता हैं. अरे इतनी अच्छी लड़की उसे कहाँ मिलेगी.

राधिका जब ये बात सुनती हैं तो उसके दिल की धड़कन तुरंत बढ़ जाती हैं. और वो राहुल को सवालियों नज़र से देखने लगती हैं.

राधिका- किससे...............कौन हैं वो???

राहुल- यार इसी बात का तो दुख हैं ये बस बता ही नहीं रही हैं. अगर बताती तो मैं उस साले को जाकर एक दो डंडे लगाता और उसे यहीं पर बुलाकर उसका हाथ निशा के हाथों में दे देता.आब तुम ही कहो ना इसी कि ये हमे बताए. शायद तुम्हारी बात ये नहीं टालेगी.

राधिका को कुछ समझ में नहीं आता कि वो क्या बोले बस वो राहुल और निशा को चुप चाप देखने लगती हैं. बोलती भी कैसे वो ये बात अच्छे से जानती थी कि निशा भी राहुल से ही प्यार करती हैं. मगर निशा ये बात नहीं जानती थी कि राधिका समझ चुकी हैं कि उसका लवर और कोई नहीं बल्कि राहुल ही हैं.

राहुल- चुप क्यों हो राधिका कुछ तो जवाब दो.

राधिका- मुझे नहीं मालूम राहुल. अगर निशा ने तुम्हें ये बात नहीं बताई हैं तो वो मुझे कैसे बताएगी.
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#29
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राधिका के इस जवाब से लगभग निशा और राहुल भी हैरान थे.अब राहुल को ठीक नहीं लगता और वो ये बात को वही ख़तम कर देता हैं.

राहुल कुछ देर तक इधेर उधेर की बातें करता हैं फिर वो तीनों वापस लौट आते हैं. आज निशा भी कुछ खामोश लग रही थी. वो भी ज़्यादा उन्दोनो की मॅटर में इंटरफेर नहीं कर रही थी.

तभी राहुल राधिका का हाथ पकड़ लेता हैं और तुरंत उसे अपने सीने से चिपका लेता हैं और राधिका कुछ समझती उससे पहले राहुल राधिका के लब को चूम लेता हैं. ये नज़ारा देखकर निशा के तो होश ही उड़ जाते हैं और उसके सब्र का बाँध टूट जाता हैं और वो तुरंत वहाँ से जाने के लिए बोलती हैं. आज उसका दिल फिर से रोने को कर रहा था. वो कैसे भी करके आपने आँसू थामे हुए थी.

जैसे ही निशा वहाँ से निकलती हैं राधिका उसकी आँखों की नमी को पढ़ लेती हैं. वो जानती थी कि राहुल की इस हरकत से निशा के दिल पर क्या बीती होगी. और निशा की आँखों से तुरंत आँसू का सैलाब उमड़ पड़ता हैं...

थोड़ी देर के बाद वो भी राहुल से विदा लेती हैं और अपने घर ना जाकर वो सीधा निशा के घर जाने का फ़ैसला करती हैं. फिर वो एक ऑटो पकड़ कर निशा के घर की तरफ चल देती हैं. थोड़ी देर में वो निशा के घर पहुँच जाती हैं. राधिका फिर डोर बेल बजाती हैं और उसकी मम्मी सीता दरवाज़ा खोलती हैं.

सीता- आओ बेटा कैसे आना हुआ.

राधिका- आंटी जी निशा कहाँ पर हैं.

सीता- वो तो आभी घर नहीं आई. बोल कर गयी तो थी कि कॉलेज जा रही हूँ पर .............कोई बात हैं क्या.

राधिका- नहीं आंटी ऐसी कोई बात नहीं हैं. अभी मैने उससे बात की थी तो कह रही थी की मैं घर पर हूँ. इसलिए. पूछा.

सीता- एक काम करो बेटा तुम उसी के कमरे में जाकर बैठो. हो सकता हैं अभी दस मिनिट में वो आ जाए...

यहीं तो राधिका भी चाहती थी कि वो उसके कमरे में जाए. और वो भी तुरंत सीढ़ियों के रास्ते निशा के कमरे में चली जाती हैं.

जैसे ही वो वहाँ पर बैठती हैं उसकी आँखें सर्च एंजिन की तरह कमरे के हर कोने में कुछ तलाशने लगती हैं. और कुछ देर के बाद उसे वो चीज़ मिल जाती हैं जिसके लिए वो यहाँ पर आई थी.वहीं बेड के पास एक ड्रॉयर में लाल डायरी रखी हुई थी. वो उसे तुरंत उठा लेती हैं और उसके पन्ने पलटने लगती हैं. तभी सीता भी रूम में आ जाती हैं इसी पहले कि सीता की नज़र उस डायरी पर पड़ती वो उसे झट से अपने बॅग में रख लेती हैं.

सीता- लो बेटी चाइ पी लो. ये लड़की भी ना कुछ समझ नही आता इसका. पता नहीं कब मेच्यूर होगी.

तभी एक कबाड़ी वाला वहाँ से गुज़रता हैं और सीता दौड़ कर उसे आवाज़ देती हैं.

सीता- आरे भैया रूको घर पर बहुत सारे पुराने कापी किताबें रखी हैं ज़रा इसको लेते जाओ.

फिर सीता वो सारी पुरानी किताबें वहीं कबाड़ी वाले को दे देती हैं.

सीता- चलो घर का कचरा तो सॉफ हुआ. पता नहीं कितने महीनों से पड़ा हुआ था.

राधिका- अब मुझे चलना चाहिए आंटी. मैं बाद में आकर निशा से मिल लूँगी.

राधिका भी तुरंत अपने घर की ओर निकल पड़ती हैं. वो उस डायरी को जल्दी से जल्दी पढ़ना चाहती थी.और जानना चाहती थी क्या हैं निशा के दिल का राज़..

जैसे ही राधिका घर पहुँचती हैं उसकी धड़कनें वैसे वैसे बढ़ने लगती हैं. वो तुरंत घर का लॉक खोलती हैं और झट से अपने बेडरूम में आकर वो डायरी को अपने बॅग से बाहर निकालती है. फिर वही बेड पर लेटकर वो डायरी को पढ़ना शुरू करती हैं.

जैसे ही राधिका डायरी खोलती हैं डायरी के पहले पन्ने पर ही एक तारीख लिखी हुई थी 19-सेप-2008. ये वो तारीख थी जिस दिन राधिका और निशा का जग्गा नाम के गुंडे से बहस हुई थी और राधिका ने उस जग्गा का पूरा बॅंड बजाया था. मगर इसी दिन तो राहुल से भी उन्दोनो की पहली मुलाकात हुई थी. राधिका अपने दिमाग़ पर ज़्यादा ज़ोर डालते हुए इस तारीख के बारे में सोचने लगती है. थोड़े देर के बाद उसे भी कुछ धुन्दलि सी तस्वीर उसके आँखों के सामने याद आने लगती हैं.

फिर वो डायरी का दूसरा पन्ना पलट ती हैं और जो बात निशा ने राहुल के बारे में उससे मज़ाक में की थी कि ""पहली नज़र का प्यार"" वो सारी बातें उसकी सारी फीलिंग सब कुछ इसमें लिखा हुआ था. वो राहुल के बारे में क्या सोचती हैं उसकी पसंद ना पसंद सब कुछ. जैसे जैसे राधिका डायरी के एक एक पन्ने खोलती जाती हैं उसकी आँखों से आँसू फुट पड़ते हैं. करीब एक घंटे तक वो उस डायरी को पढ़ती हैं और लगातार उसकी आँखों नम ही रहती हैं. डायरी पढ़ लेने के बाद वो समझ जाती हैं कि निशा राहुल से किस कदर मुहब्बत करती हैं.


डायरी के आखरी पन्नो पर जब उसकी नज़र पड़ती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं. निशा ने लाल अक्षरों से सॉफ सॉफ लिखा था कि अगर राहुल मेरा नहीं हो सका तो मैं अपने आप को हमेशा हमेशा के लिए मिटा दूँगी.

राधिका जब पूरा डायरी पढ़ लेती हैं तो उसका शक़ पूरा यकीन में बदल जाता हैं कि निशा का प्यार और कोई नहीं बल्कि राहुल ही हैं. और उसे ऐसा लगने लगता हैं कि वो शायद निशा और राहुल के बीच में आ गयी हैं. आज राधिका की भी आँखें नम थी. आब उसके सामने केवल दो ही रास्ते बचे थे या तो दोस्ती के लिए अपने प्यार को कुर्बान कर देना या फिर प्यार के लिए दोस्ती को. अब यहाँ पर फ़ैसला राधिका को लेना था कि वो कौन सा ऑप्षन चूज़ करती हैं.. दोस्ती...................या प्यार.

काफ़ी देर तक वो ऐसे ही गुम्सुम बैठी रहती हैं. आज वक़्त ने उसके सामने ऐसी परिस्थिती खड़ा कर दी थी कि वो चाह कर भी कोई फ़ैसला नहीं ले पा रही थी. बस वो एक टक राहुल के बारे में सोचने लगती हैं और उसकी आँखें फिर से नम हो जाती हैं...............

.........................................................

उधेर निशा भी राधिका के जाने के करीब 1/2 घंटे बाद घर आती हैं. और आज भी उसका मूड बहुत डिस्टर्ब था. वो कुछ बोलती नहीं बस चुप चाप सीधे अपने कमरे में आकर बिस्तेर पर लेट जाती हैं. थोड़े देर में सीता भी उसके रूम में आती हैं.

सीता- आ गयी तू. अभी तुझसे राधिका मिलने आई थी. थोड़ा देर इंतेज़ार किया फिर वो अपने घर निकल गयी.

निशा- क्या??? लेकिन ऐसा आचनक बिन बताए. कोई बात थी क्या ???

सीता- नहीं ज़्यादा कुछ कहा नहीं बस चाइ पी और इधेर उधेर की दो चार बातें की और बस......

निशा- ठीक हैं मा. मैं राधिका से बाद में बात कर लूँगी.

सीता फिर अपने कमरे में आ जाती हैं और घर के काम में जुट जाती हैं. और उधेर निशा जाकर अपनी डायरी ड्रॉयर से निकालती हैं मगर उसे अपनी डायरी कहीं नज़र नहीं आती. जब वो पूरा घर छान मारती हैं तो वो परेशान होकर अपनी मा को आवाज़ देती हैं..

निशा- मम्मी क्या आपने मेरे ड्रॉयर में मैने एक लाल कलर की डायरी रखी थी.क्या आपने वो डायरी देखी हैं???

सीता- पता नहीं . हां याद आया आज कबाड़ी वाला आया था तो मैने घर में रखा सारा पुराना कापी किताब सब बेच दिया. हो सकता हैं वो डायरी भी वो कबाड़ी वाला ले गया हो.

निशा अपने सिर पर हाथ रखते हुए- हे भगवान कम से कम आपको मुझसे एक बार पूछ तो लेना चाहिए था ना. आप जानती नहीं हैं वो डायरी मेरे लिए कितनी इंपॉर्टेंट थी.

सीता- पर तू भी अपनी सारे किताबें इधेर उधेर हमेशा फेंक कर रखती हैं तो मुझे क्या मालूम कि कौन से किताब तेरे लिए ज़रूरी हैं और कौन नहीं. और सीता फिर अपने कमरे में चली जाती हैं.

निशा भी उस डायरी के खो जाने से काफ़ी परेशान रहती हैं. मगर उसे मालूम था कि वो डायरी उसे अब कभी नहीं मिलेगी. गुस्सा तो उसे अपनी मम्मी पर बहुत आता हैं मगर वो कुछ कहती नहीं और जाकर बिस्तर पर चुप चाप लेट जाती हैं.

जिस तरह निशा को डायरी लिखने का शौक था उसी तरह राधिका की भी हॉबी थी. और ये प्रेणना उसे राधिका से ही मिली थी. तब से वो भी अपनी पर्सनल मॅटर डायरी में ही लिखती थी.

............................................................

इधेर मोनिका ने भी अपनी डील की शुरूवात की पहली पहल शुरू कर दी थी. वो तो बस यही चाहती ही कि वो कैसे भी विजय और बिहारी के चंगुल से बाहर निकले चाहे इसके बदले राधिका की ही बलि क्यों ना देनी पड़े. और वो ये बात भी अच्छे से जानती थी कि अगर एक बार राधिका उनके चंगुल में फँस गयी तो उसकी ज़िंदगी पूरी तरह तबाह हो जाएगी. मगर स्वार्थ आदमी को कितना अँधा बना देता हैं. आज मोनिका अपने फ़ायदे के लिए राधिका को भी बर्बाद करने से पीछे नही हटने वाली थी.

थोड़ी देर के बाद राधिका के मोबाइल पर एक कॉल आता हैं. नंबर अननोन था.

राधिका- हेलो!!! कौन???

फोन मोनिका ने ही किया था.

मोनिका- क्या आप राधिका बोल रहीं हैं.

राधिका- हां कहिए क्या बात हैं. और आप कौन.???

मोनिका- कौन हूँ मैं ये बताने के लिए मैने फोन नहीं किया हैं. मैं जानती हूँ कि तुम इस वक़्त अपने घर पर बिल्कुल अकेली हो.

राधिका- देखिए आप बोल कौन रहीं हैं और आपको ये सब कैसे पता.

मोनिका- मेरी बात ध्यान से सुनो. तुम्हारे भाई का नाम कृष्णा हैं ना. और वो तुमसे यही बता कर घर से गया होगा कि वो आज काम पर जा रहा हैं. वो कोई काम पर नहीं गया हैं. मैने यही अभी थोड़े देर पहले उसे एक वेश्या के साथ देखा हैं.

राधिका- ज़ोर से चिल्लाते हुए- आप बोल कौन रहीं हैं और आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरे भैया के बारे में ऐसे गंदी बातें बोलने की.

मोनिका- चिल्लाने से सच नहीं बदल जाएगा. अगर तुम्हें यकीन नही होता मेरी बात का तो मैं तुम्हें एक अड्रेस देती हूँ. तुम तुरंत वहाँ पर पहुँच जाओ और जाकर खुद ही अपनी आँखों से देख लो. अगर मेरी बात झूट निकले तो जो सज़ा दोगि मुझे मंज़ूर होगा. फिर मोनिका उसे एक अड्रेस देती हैं.

मोनिका- ज़्यादा दिमाग़ पर ज़ोर मत डालो कि मैं कौन हूँ और ये सब बातें तुम्हें क्यों बता रही हूँ बस जहाँ का अड्रेस दिया हैं वहाँ पर तुरंत पहुँच जाओ और अपने भैया के करेक्टर को अपनी आँखों से आकर देखो.और हां जो भी हूँ तुम्हारी शुभ चिंतक ही हूँ. और इतना बोलकर मोनिका फोन रख देती हैं.

राधिका की परेशानी दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी. उसे तो लगा था कि अब उसके भैया रंडी बाज़ी छोड़ चुके होंगे.और वो पूरी तरह से उसके लिए बदल गये होंगे. यह सब सोचकर वो तुरंत तैयार होती हैं और मोनिका के बताए जगह पर निकल पड़ती हैं. जिस एरिया में वो जाती हैं वो एक बहुत ही गंदी बस्ती थी. वहाँ पर एक भी पक्का मकान नही था. सब घरों के उपर छज्जे लगे हुए थे. और सभी घर टूटे फुट थे. जैसे जैसे उसके कदम आगे बढ़ रहें थे उसकी दिल की धड़कने भी वैसे वैसे तेज़ होती जा रही थी. वो तो यही भगवान से मना रही थी की ये बात झूट हो. पर कोई उससे क्यों इस तरह से मज़ाक करेगा.

वहाँ पर जितने भी लोग थे सब के सब राधिका को खा जाने वाली नजरो से देख रहे थे. लेकिन वो ये सब परवाह ना करते हुए आगे बढ़ती हैं और थोड़ी दूर के बाद उसे वो घर मिल जाता है जहाँ का उसके पास अड्रेस था. वो बहुत असमंजस में फँसी रहती हैं. हर तरफ गंदगी और नंगे बच्चे इधेर उधेर खेलते रहते हैं. चारों तरफ बदबू ही बदबू. उसे बहुत बुरा लगता हैं और वो जाकर उस घर के दरवाज़े के सामने खड़ी हो जाती हैं.

फिर एक हाथ आगे बढ़ाकर वो दरवाजा खटखटाती हैं और कुछ देर के बाद दरवाज़ा खुलता हैं और सामने जिस इंसान की शकल उसे दिखाई देता है उसे ऐसा लगता हैं कि उसके शरीर का पूरा खून किसी ने निकाल लिया हो और वो बुत बनकर एक टक उस शक्श को देखने लगती हैं.

सामने जो शक्श खड़ा था वो और कोई नहीं बल्कि कृष्णा था. और उस वक़्त उसके शरीर पर मात्र एक लूँगी थी. जैसे ही कृष्णा की नज़र राधिका पर पड़ती हैं कृष्णा की तो पाँव तले ज़मीन खिसक जाती हैं. वो कभी सपने में भी अपनी बेहन को यहाँ पर होने की उम्मीद नही किया था. वो भी बस ऐसे ही खामोश होकर राधिका को हैरत से देखने लगता हैं.

राधिका- तो यहाँ पर ये काम आप कर रहें हैं. ठीक कह रही हूँ ना मैं.....

तभी अंदर से एक औरत की आवाज़ आती हैं..... कौन है ???

राधिका भी झट से अंदर आ जाती हैं. सामने एक औरत पूरी तरह से नंगी हालत में बिस्तेर पर पड़ी हुई थी. जैसे ही उस औरत की नज़र राधिका पर पड़ती हैं वो तुरंत वहाँ रखा कंबल ओढ़ लेती हैं. कृशा भी राधिका के पीछे पीछे आ जाता हैं.

राधिका- शरम आती हैं भैया मुझे आप पर. मैने आप पर कितना भरोसा किया था और आपने मेरे भरोसे का ये सिला दिया.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका. मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी.

राधिका- बस.........अब बंद करो भैया ये सब ढोंगबाज़ी. सच तो ये हैं कि आप कभी सुधर ही नहीं सकते. मैने ही आपको पहचानने में भूल की थी. आज फिर अपने ये साबित कर दिया कि मैं......................

राधिका इससे आगे कुछ बोल पाती तभी वो औरत तुरंत बीच में बोल पड़ती हैं- वाह वाह क्या तेवर हैं इसके. साली जितनी मस्त हैं उतनी तेज़ इसकी ज़ुबान भी चलती हैं.अगर ये हमारे धंधे में आ जाए तो साला अपनी तो लॉटरी खुल जाए. इसको देखकर ही मूह माँगी रकम मिलेगी.

कृष्णा इतना सुनते ही आग बाबूला हो जाता हैं और जाकर उस औरत को एक थप्पड़ कस कर उसके गाल पर जड़ देता हैं.

राधिका- बस करो भैया. क्या यही सब अब बच गया था मुझे देखने और सुनने को. ये सब देखने से तो अच्छा था कि मैं मर गयी होती. और इतना कहकर राधिका की आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.

कृष्णा कुछ कह नही पाता और चुप चाप अपना सिर नीचे झुकाए खड़ा रहता हैं.

राधिका आगे कुछ नहीं कहती और चुप चाप वो भी वहाँ से बाहर निकलकर अपने घर की तरफ चल पड़ती हैं. आज उसके भैया की वजह से एक रंडी ने उसे ऐसे शब्द बोल दिए थे जिसकी वजह से उसका दिल आज पूरी तरह से टूट गया था. रास्ते भर वो यही सोच रही थी कि कौन हो सकती हैं वो जिसने मुझे फोन करके ये खबर दी थी. आख़िर क्या साबित करना चाहती हैं. पता नहीं वो एक दोस्त के नाते ये सब कर रही हैं या मुझसे कोई दुश्मनी निकाल रही हैं.

आज राधिका पूरी तरह से डिस्टर्ब थी. जैसे तैसे वो घर पहुँचती हैं और आकर धम्म से बिस्तेर पर गिर पड़ती हैं. और ना जाने कितने देर तक उसके आँखों से आँसू बहते रहते हैं.

इधेर कृष्णा भी जल्दी से अपने कपड़े पहनकर बाहर आज जाता हैं. वो आज किसी भी कीमत पर राधिका को अकेला नहीं छोड़ना चाहता था. उसे पता था कि आज उसकी वजह से राधिका को कितना बड़ा धक्का लगा हैं. आज उसका अपने भैया के प्रति जो विश्वास था वो आज पूरी तरह टूट कर बिखेर गया था. जो वो अब अपने भाई पर करने लगी थी. लेकिन कृष्णा के मन में ये बात बार बार परेशान कर रही थी कि आख़िर राधिका को ये सब बातें कैसे पता चली. किसने बताया उसे यहाँ का पता. मगर आज उसके अंदर थोड़ी भी हिम्मत नहीं बची थी कि वो राधिका से इस बारे में कोई सवाल जवाब करें.

ग़लती तो यहाँ पर कृष्णा की भी नहीं थी. आज सुबह राधिका ने उसके साथ जो हरकत की थी उससे उसका खून पहले से ही गरम हो गया था. आज बार बार राधिका के बूब्स उसकी नजरो के सामने घूम रहे थे.जब उसने आज पहली बार राधिका के बूब्स को अपने इन कठोर हाथों में महसूस किया था वो एहसास उसके दिमाग़ से नहीं निकल पा रहा था. वो तो हमेशा से ही राधिका के नाम की मूठ मारा करता था. मगर आज उसे ऐसा मौका भी नहीं मिला था कि वो आज फारिग हो पाता. इसलिए उसका आज काम में मन नहीं लग रहा था. इस वजह से वो आज सीधा एक रंडी के पास चला गया था अपनी प्यास को बुझाने मगर वहाँ भी निराशा ही उसके हाथ लगी.

इधेर राधिका का भी आत्म सम्मान और विश्वास पूरा टूट चुका था. वो बहुत देर तक ऐसे ही बिस्तेर पर रोती रहती हैं फिर अचानक से उठकर वो अपने भैया के कमरे में जाती हैं और जाकर उनके रूम की अलमारी खोलती हैं. और अलमारी में कुछ ढूँडने लगती हैं. और थोड़ी देर के बाद उसे वो चीज़ मिल जाती हैं.

करीब शाम को 6 बजे कृष्णा घर आता हैं. आज वो ये सोच कर आया था कि चाहे राधिका उसको कुछ भी बुरा भला कहे वो एक शब्द कुछ भी नहीं कहेगा. और उसकी मन की पूरी भडास निकाल लेने देगा. आख़िर सारी ग़लती उसकी की तो थी. जैसे ही वो अपने मेन डोर के पास पहुँचता हैं दरवाजा पहले से ही सटा हुआ था. वो भी चुप चाप दरवाजा बंद करके अंदर आ जाता हैं.

अंदर आकर जब उसकी नज़र राधिका पर पड़ती हैं तो कृष्णा लगभग चीखता हुआ राधिका के पास दौड़ कर आता हैं. जिस अवस्था में राधिका बिस्तेर पर सोई हुई थी वो उस वक़्त वो शराब के नशे में थी. आज ज़िंदगी में पहली बार राधिका ने शारब को हाथ लगाया था.

कहते हैं ना इंसान को अगर गम भूलना हो तो उसे शराब का सहारा लेना पड़ता हैं. और राधिका ने भी आज अपना गम भूलने के लिए आज शराब का शहरा लिया था. वो आज बेसूध होकर बिस्तेर पर पड़ी हुई थी. और साथ में उसके हाथ में एक विल्स सिगरेट का पॅकेट भी था.राधिका ने आज 2 पेग विस्की और साथ में 2 सिगरेटेस भी पी थी. ये सब देखकर तो कृष्णा के होश उड़ जाते हैं.

वो राधिका के एक दम करीब आता हैं और राधिका के गाल पर अपने हाथ रखकर उसे हिलाता हैं. थोड़ी देर के बाद राधिका अपनी आँखें खोलती हैं.

राधिका की ज़ुबान लड़खाड़े हुए निकलती हैं.

राधिका- भैया... आप ..आ गये .

कृष्णा- राधिका तूने शराब पी हैं.

राधिका- क्यों भैया...... नहीं.. पी सकती क्या..आख़िर क्या बुराई..... हैं... सब लोग ...तो पीते हैं...फिर.

कृष्णा- मुझे विश्वास नहीं होता राधिका कि तू ये सब..............

राधिका- किश विश्वास की बात कर रहे हो भैया.... वो विश्वास जो मैने आप पर अपने आप से ज़्यादा किया था..... वो विश्वास जो अबी अबी आप कुछ देर पहले उसकी धज़ियाँ उड़ा चुके हैं.

कृष्णा- तुझे जो कहना हैं कह ले. जो सज़ा मुझे देनी हैं दे दे. मुझे सब मंज़ूर हैं मगर तू अपने आप को इसकी सज़ा क्यों दे रही हैं. क्यों तू अपने आप को बर्बाद करने पर तुली हुई हैं.

राधिका- सब कुछ ख़तम हो गया भैया. सब कुछ..

कृष्णा- नहीं राधिका ऐसा मत बोल मैं तेरा गुनेहगार हूँ. तुझे जो भी सज़ा देनी हैं, मुझे दे. मैं उफ्फ तक नहीं करूँगा. लेकिन तू आपने आप को इसकी सज़ा क्यों दे रहीं हैं.

राधिका- भैया कितना आसान हैं ना किसी के विश्वास को पल भर में तोड़ कर बस सॉरी बोल देना. भैया मेरे माफ़ करने ना करने से क्या होगा. आपने तो ना सिर्फ़ मेरा विश्वास को तोड़ा हैं बल्कि आज मेरे आत्म सम्मान को भी चोट पहुँचाई हैं. आपकी वजह से एक रंडी ने मेरी तुलना आप आप से की. उसका भी कहना सही हैं. मैं हूँ ही इसी लायक.

कृष्णा की आँखों से भी आँसू निकल पड़ते हैं.

राधिका-आप क्यों आपना आँसू बहा रहें हैं भैया. आपने तो सब कुछ एक ही पल में ख़तम कर दिया. मैं तो अब आप पर विश्वास करने लगी थी. शायद यही मेरी ग़लती थी...........

कृष्णा- आज तेरे दिल में मेरे लिए जितने शिकवे गीले हैं सब कह दे राधिका मैं तुझे आज नहीं रोकुंगा. ग़लती मेरी ही हैं. नहीं करना चाहिए था मुझे ये सब.

राधिका- भैया जिस तरह एक औरत की इज़्ज़त एक बार लूट जाने पर उसकी इज़्ज़त उसे दुबारा नहीं मिलती उसी तरह अगर आदमी का विश्वास अगर एक बार टूट जाए तो वो दुबारा नहीं जोड़ा जा सकता. देखिए ना भैया मेरे नसीब में सब कुछ होकर भी अब मेरे पास कुछ नहीं हैं.

कृष्णा- बस कर राधिका क्यों तू इन सब बातों को अपना पाप का भागीदार अपने आप को बना रही हैं. इसमें तेरा कोई दोष नहीं हैं. सारा कसूर मेरा हैं............बस मेरा.

राधिका- भैया क्या बुराई हैं मुझ में कि आपको मेरे होते हुए आपको उस रंडी के पास जाना पड़ा. अगर इतना ही आपका खून गरम था तो एक बार मुझसे कह दिया होता. राधिका आपकी खुशी के लिए आपने आपको आपके कदमों में बिछा देती. मगर आपने तो मुझे उस रंडी के बारबार भी नहीं समझा. आज जान गयी हूँ कि मेरी औकात आपकी नज़र में क्या हैं. और इतना कहते कहते राधिका की आँखें बंद हो जाती हैं और वो नशे में फिर से बेहोश हो जाती हैं..............

कृष्णा आज दिल खोल कर रोना चाहता था. आज उसकी वजह से ही राधिका की ये हालत हुई थी. आज इन सब बातों का ज़िम्मेदार भी वो ही था. और वो राधिका को अपनी बाहों में लेकर उसे बड़े प्यार से अपने सीने से लगा लेता हैं.

कृष्णा के मन में हज़ारों सवाल उठ रहे थे....... कैसे समझाऊ राधिका कि मैं तुझसे कितना प्यार करता हूँ. अरे तू नहीं जानती कि जब तक मैं तुझे एक नज़र देख नहीं लेता मुझे चैन ही नहीं मिलता हैं. आज जिस प्यार का एहसास मैने किया हैं वो बस सिर्फ़ तेरी वजह से. तूने ही मुझे जीना सिखाया हैं. मेरे इस बदलाव का सबसे बड़ी वजह भी तू हैं. मैं कसम ख़ाता हूँ राधिका कि आज के बाद मैं तुझे किसी भी तरह का कोई दुख नहीं दूँगा. आज से मेरी जिंदगी का मकसद हैं तेरी खुशी. अगर तेरी खुशी के लिए मुझे अपनी जान भी देनी पड़े तो मैं पीछे नहीं हटूँगा.तेरी खुशी के लिए वो सब करूँगा जो तू मुझसे उमीद करती हैं. मैं दूँगा तुझे वो प्यार , वो खुशी. सब कुछ राधिका ..................सब कुछ.......और कृष्णा की आँखों से भी आँसू फुट पड़ते हैं.....................

घंटों वो भी बस राधिका को ऐसे ही अपनी गोद में लिए रहता हैं और फिर उसे अपने बाहों में लेकर सो जाता हैं. राधिका इस वक़्त पूरी तरह नशे में थी.उसे तो कोई भी होश नहीं था. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी राधिका के बगल में सो जाता हैं.

सुबह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो कृष्णा उसके बगल में सोया रहता हैं. वो अपना दुपट्टा सही करती हैं और उठकर बाथरूम में जाती हैं. रात के नशे से अभी भी उसकी चाल में लड़खड़ाहट थी और उसका सिर भी थोड़ा घूम रहा था. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी उठ जाता हैं. जब उसकी नज़र बिस्तेर पर पड़ती हैं तो उसे राधिका वहाँ नहीं दिखती हैं. वो तुरंत घबराकर पूरे घर में उसे ढूँडने लगता हैं. आख़िर कर किचन में राधिका उसे दिख ही जाती हैं. और उसकी जान में जान आती हैं.

कृष्णा फिर धीरे से जाकर राधिका को अपनी बाहों में पीछे से पकड़ लेता हैं. और बड़े प्यार से उसकी गर्देन को चूम लेता हैं. राधिका की तो जैसे साँसें रुक जाती हैं. कृष्णा का ऐसा बदलाव देखकर उसे हैरानी भी होती हैं और खुशी भी.

राधिका- भैया आप यहाँ पर इस वक़्त किचन में क्या कर रहें हैं.???

कृष्णा- देख नहीं रही हो अपनी बेहन को प्यार कर रहा हूँ.

राधिका भी धीरे से मुस्कुरा देती हैं.

कृष्णा- कल जो भी हुआ राधिका वो तो सच में मुझे माफी के लायक नहीं हैं मगर मैं तेरे सर की कसम खाकर कहता हूँ कि मैं आज के बाद ये सब कभी नहीं करूँगा. अगर तुझे थोडा भी यकीन हो मुझपर तो....

राधिका एक टक कृष्णा की आँखों में देखती हैं- ठीक हैं भैया मैं आपको माफ़ कर देती हूँ. जाओ आप भी क्या याद करोगे. और राधिका भी धीरे से मुस्कुरा देती हैं.

कृष्णा उसे तुरंत अपने गोद में उठा लेता हैं और अपना लब राधिका के लब पर रख देता हैं और बड़े प्यार से उसके होंठो को चूसने लगता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और वो भी कृष्णा के होंठ को धीरे धीरे चूसने लगती हैं. आज जो एहसास और मज़ा होंठ चूसने में राधिका को मिल रहा था वो मज़ा उसे अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं मिला था. पता नहीं क्या था उसके भैया में कि जब भी वो उनके करीब आती थी वो मदहोश होने लगती थी. आज राधिका भी पूरी तरह से बहकना चाहती थी.

करीब पाँच मिनिट के बाद राधिका कृष्णा को अपने से दूर करती हैं और कृष्णा भी उसे नीचे ज़मीन पर रख देता हैं.

राधिका- आज इतना मस्का किस लिए. बहुत प्यार आ रहा हैं मुझपर बात क्या हैं.कहीं आज मेरी इज़्ज़त तो लूटने वाले नहीं हो ना.............

कृष्णा- हाँ इरादा तो कुछ ऐसा ही हैं. आज तो सोच ही रहा हूँ कि आज मैं अपनी बेहन को चोद कर बेहन्चोद बन ही जाउ.
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#30
Update 23


राधिका इस वक़्त घूँघट ओढ़े बिल्कुल जैसे सुहागरात में कोई दुल्हन अपने पति के आने का इंतेज़ार करती हैं उसी तरह राधिका भी बिस्तेर पर बैठी हुई अपने भैया के आने का इंतेज़ार कर रही थी.आज कमरा भी पूरा सज़ा हुआ था.हर तरफ पर्फ्यूम की खुसबू और साथ में बिस्तेर पर कुछ गुलाब के फूल भी बिखरे पड़े थे. कृष्णा ने तो ऐसा नज़ारा कभी अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा था. वो भी एक टक राधिका को देखने लगता हैं मगर राधिका का चेहरा नहीं देख पाता हैं.

बढ़ते कदमों से वो एकदम धीरे धीरे वो राधिका के करीब जाता हैं और जाकर उसके बाजू में बैठ जाता हैं.

कृष्णा- ये सब क्या हैं राधिका.???

राधिका- भैया आओ ना मेरे करीब और आज अपनी दुल्हन को अपना बना लो. मैं आज के बाद आपकी बेहन नहीं बस आपकी दुल्हन हूँ.

कृष्णा की धड़कने एक दम तेज़ हो जाती हैं. और वो भी झट से रूम के बाहर जाता हैं और करीब 5 मिनिट के बाद वापस राधिका के पास आता हैं. और आते वक़्त वो मेन डोर का दरवाज़ा बंद कर देता हैं. फिर रूम में आकर सारे खिड़की दरवाजे सब बंद कर देता हैं. और ज़ीरो वॉट का बल्ब ऑन कर देता हैं. हल्की नीली रोशनी में कमरा एक दम रोमॅंटिक जैसे लगने लगता हैं. फिर अपना हाथ बढ़ाकर वो राधिका के घूँघट की तरफ ले जाता है. फिर एकदम धीरे धीरे वो उसका घूँघट हटाने लगता हैं. और जब उसकी नज़र राधिका के चेहरे पर पड़ती हैं तो वो भी बस एक टक देखता रह जाता हैं.

राधिका बिल्कुल किसी अप्सरा सी लग रही थी. आँखों में काजल. हल्का लिपस्टिक. चेहरे पर हल्की लालिमा.और एक लंबी बिंदी. कुल मिलकर वो किसी नयी नवेली दुल्हन सी लग रही थी. कृष्णा भी उसके खूबसूरत चेहरे को एक टक देखने लगता हैं. राधिका अपना चेहरा झुकाए और नज़रें नीचे झुकाए बैठी हुई थी. फिर कृष्णा अपने हाथ में गुलाब का फूल राधिका के चेहरे पर ले जाता हैं और उसके होंठ और चेहरे पर बड़े प्यार से फिराने लगता हैं.

कृष्णा- मुझे विश्वास नही होता राधिका कि तू मेरे लिए ये सब कर सकती हैं. इतना तू मुझसे प्यार करती हैं और मैं पागल आज तक तेरे प्यार को कभी समझ ही नही सका. मेरी किस्मेत हैं कि तू आज मेरे पास हैं मगर तू मेरी बीवी होती तो इस दुनिया में मुझसे बड़ा ख़ुसनसीब और कोई नहीं होता.

राधिका- भैया मैं आपकी बीवी बनने को भी तैयार हूँ.मैं आज अपना बदन अपनी आत्मा सब कुछ आपके हवाले करती हूँ. आइए आपका जो दिल करे जैसे दिल करे मेरे बदन को आप इस्तेमाल कर सकते हैं. मैं आज अपना बदन आपको सौपति हूँ. आइए भैया आज अपने राधिका को हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लीजिए. मेरे जिस्म का हर एक अंग अंग को अपने प्यार से सीच दीजिए.मैं तैयार हूँ...................

कृष्णा भी झट से राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और बड़े प्यार से अपनी उंगली राधिका के लिप्स पर रख देता हैं.

कृष्णा-मैं दूँगा तुझे वो प्यार राधिका जिसके लिए तू इतने दिनों से तडपी थी. आज तुझे एक औरत के सुख का एहसास भी मैं दूँगा.आज तेरी सारी प्यास को मैं शांत करूँगा. मैं करूँगा राधिका......................मैं.

फिर कृष्णा अपने उंगली को राधिका के लिप्स पर धीरे धीरे फिराते हुए उसके गाल तक घूमने लगता हैं और राधिका धीरे धीरे मदहोश होने लगती हैं. उसकी आँखें बंद होने लगती हैं. और धड़कने बहुत तेज़ हो जाती हैं. फिर कृष्णा आगे बढ़कर अपने जलते हुए होंठ राधिका के होंठों पर रख देता हैं और बड़े ही प्यार से उसे चूसने लगता हैं. और करीब 5 मिनिट तक वो ऐसे ही राधिका के होंठो को चूस्ता हैं. फिर अपने दाँतों से राधिका के नीचे होन्ट को धीरे धीरे कुरेदने लगता हैं. और राधिका की सिसकारी एक दम धीरे धीरे बढ़ने लगती हैं.

उसके बाद कृष्णा अपना हाथ धीरे धीरे बढ़ाते हुए वो राधिका के हाथों में दे देता है और फिर अपने होंठ राधिका की गर्देन पर रखकर उसको हल्के दाँतों से काटने लगता हैं. राधिका की आँखें पूरी तरह से नसीली हो चुकी थी वो भी अब आने वाले सुख में पूरी तरह से डूबना चाहती थी..............................................

राधिका अब धीरे धीरे मदहोश हो रही थी और उसके जिस्म से उसका पूरा कंट्रोल भी ख़तम हो रहा था. और उधेर कृष्णा भी धीरे धीरे उसकी कानों से लेकर गर्देन तक लगातार अपना जीभ फिरा रहा था. फिर वो एकदम से कृष्णा को अपने आप से दूर कर देती हैं जिससे कृष्णा एक दम चौंक जाता हैं. और हैरत से राधिका को देखने लगता हैं.

कृष्णा- क्या हुआ राधिका??? मुझसे कोई खता हो गयी क्या.??

राधिका- नहीं भैया ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस मुझे घबराहट हो रही हैं. समझ में नहीं आ रहा कि मैं ये सब आपके साथ .............इतना बोलकर राधिका खामोश हो जाती हैं.

कृष्णा- अगर ऐसी बात हैं तो मैं तुझे हाथ भी नहीं लगाउन्गा. आख़िर तेरी खुशी में ही मेरी खुशी हैं.

राधिका- नहीं भैया मैं तो बस इतना कहना चाहती हूँ कि मैं होश में रहकर ये सब नहीं कर सकती.

कृष्णा राधिका को बड़े गौर से देखने लगता हैं और वो राधिका का इशारा भी समझ जाता हैं कि राधिका उससे क्या डिमॅंड कर रही हैं.

कृष्णा- नहीं राधिका तू अब शराब को हाथ भी नहीं लगाएगी. तुझे मेरी कसम. मैं तेरी सर की कसम ख़ाता हूँ कि मैं आज के बाद कभी भी शराब को हाथ नहीं लगाउन्गा. मैं तेरे लिए ये ज़हर पीना हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दूँगा.

राधिका- नहीं भैया अब बहुत देर हो चुकी हैं. अब मैं अपने बढ़ते कदम को वापस नहीं खीच सकती. इसके बदले चाहे मुझे कोई भी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े मुझे सब मंजूर हैं.

कृष्णा भी कुछ बोल नहीं पाता और चुप चाप राधिका को एक टक देखने लगता हैं. राधिका तुरंत बिस्तेर से उतरकर अपने भैया के कमरे में जाती हैं और जाकर शराब की एक बॉटल ले आती हैं.

कृष्णा- मत कर ऐसा राधिका. क्यों तू मेरी ग़लती की सज़ा अपने आप को दे रही हैं. मैं तेरे हाथ जोड़ता हूँ मेरी बात मान जा.

राधिका एक नज़र अपने भैया को देखती हैं फिर वो ग्लास में शराब और थोड़ा सोडा मिलाकर अपने होंठ पर लगाकर धीरे धीरे पीने लगती हैं. और देखते देखते तीन पेग कृष्णा के सामने पी जाती हैं. फिर वही सिगरेट निकालकर जलाती हैं और उसका धुवा भी अपने अंदर लेती हैं और एक तेज धुवा अपने भैया के चेहरे पर छोड़ती हैं.

कृष्णा- बस कर राधिका.................

राधिका एक टक कृष्णा को देखती हैं फिर धीरे से मुस्कुरा कर कृष्णा के एक दम करीब चली जाती हैं.

राधिका- भैया आज मैने आपके लिए आपकी फेवोवरिट डिश बनाई हैं......... चिकन. आपको बहुत पसंद हैं ना.

कृष्णा हैरत से राधिका को देखने लगता हैं क्यों कि हैरानी की बात तो थी ही राधिका कभी भी नोन-वेग नही खाती थी और ना ही घर पर बनाती थी. कृष्णा और उसके पिताजी को जब मन करता वो बाहर से खा कर आते थे.

कृष्णा को विश्वास नही होता और वो तुरंत किचन में चला जाता हैं और जब उसकी नज़र चिकन पर पड़ती हैं तो उसका माथा घूम जाता हैं. तभी पीछे से राधिका भी वहाँ आ जाती हैं.

राधिका- आज मैं अपने हाथों से अपने भैया को खाना खिलाउन्गि और आप मुझे अपने हाथों से खिलाना.

कृष्णा- लेकिन तू तो...........

राधिका- जानती हूँ कि मैं पूरे वैजेटियरन हूँ. क्या मैं अपने भैया के लिए इतना नहीं कर सकती.और राधिका कृष्णा के करीब आती हैं और उसके लब चूम लेती हैं.

राधिका- भैया मुझे प्यार करो ना. इतना प्यार करो कि मैं आज सब कुछ भूल जाऊ. मुझे कुछ भी याद ना रहे. बस आप मेरे में और मैं आपके में खो जाऊ. बस..................

कृष्णा फिर राधिका को अपनी गोद में उठा लेता हैं और फिर राधिका को अपने बेडरूम में ले जाता हैं और वही फूलों से सजे बिस्तेर पर राधिका को बड़े प्यार से सुला देता हैं.

कृष्णा- तू आख़िर ये सब क्यों कर रही हैं. मुझे बस इतना बता दे मैं तुझसे कोई भी सवाल नहीं पूछूँगा.

राधिका- बता दूँगी भैया मगर समय आने पर. अभी नहीं. इस वक़्त मुझे आपके प्यार की ज़रूरत हैं. आओ भैया आपकी राधिका आपका इंतेज़ार कर रही हैं. आओ मेरे पास और मुझे प्यार करो. अब मैं आपको किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी.

कृष्णा भी एक टक राधिका को बड़े प्यार से देखता हैं और राधिका के एक दम करीब जाकर उसका माथा चूम लेता हैं. फिर अपने होंठो को धीरे धीरे राधिका के गाल पर फिराते हुए उसके लिप्स पर रख देता हैं और बड़े हौले हौले उसे चूसने लगता हैं. राधिका की आँखें एक दम लाल हो जाती हैं फिर कृष्णा अपनी एक उंगली धीरे धीरे सरकाते हुए उसकी पीठ के पीछे ले जाता हैं और खुद भी राधिका के पीछे चला जाता हैं और उसकी नंगी पीठ पर अपने जलते होंठ रख देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं और उसकी आँखें बंद होने लगती हैं.

फिर बहुत धीरे धीरे कृष्णा अपना जीभ निकाल कर राधिका की पीठ पर से उसकी गर्देन तक फिराने लगता हैं और राधिका की धड़कनें बढ़ने लगती हैं. वो भी अपने भैया को झट से अपनी बाहों में जाकड़ लेती हैं. फिर अपना एक हाथ पीछे लेजा कर वो राधिका के ब्लोज़ की डोरी को खोल देता हैं. राधिका की धड़कनें बहुत तेज़ हो जाती हैं.

राधिका- भैया आज राधिका अपने आप को पूरा समर्पण करती हैं.मुझे बस प्यार करो. इतना प्यार कि इस प्यार की कोई सीमा ना रहे.और तब तक करो जब तक आपकी प्यास ना भुज जाए. इतना बोलकर राधिका अपने लब कृष्णा के होंठो पर रख देती हैं................................

कृष्णा भी राधिका की गरम साँसों को महसूस कर रहा था.वो भी अपनी जीभ निकालकर राधिका के लिप्स पर फिराता हैं और थोड़ी देर के बाद राधिका भी अपना जीभ बाहर निकालकर कृष्णा की जीभ को टच करती हैं. थोड़ी देर तक वो दोनो आपस में इसी तरह अपनी जीभ एक दूसरे का छुसाते हैं. कृष्णा फिर राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और अपने सीने से चिपका लेता हैं.

कृष्णा फिर अपना एक हाथ धीरे धीरे बढ़ाते हुए पहले उसके गालों पर फिराता हैं फिर अपना हाथ नीचे की ओर सरकाने लगता हैं. फिर गर्देन पर और कुछ देर में अपना हाथ को वो राधिका के राइट बूब्स पर लाकर पूरी ताक़त से मसल देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

राधिका- आउच................................भैया भला कोई ऐसा मसलता हैं क्या इन्हें?

कृष्णा- क्या करूँ राधिका तेरा जिस्म एक कयामत हैं मुझे तो बिल्कुल सब्र नहीं होता . जी तो करता हैं कि............

राधिका- क्या??? आपका जी क्या करता हैं भैया.....

कृष्णा सवालियों नज़र से राधिका को देखने लगता हैं. उसे कभी भी आशा नहीं थी कि राधिका उससे ये सवाल पूछेगी.

कृष्णा- नहीं मैं तुझे नहीं बता सकता. आभी थोड़ी देर के बाद तुझे खुद ही पता चल जाएगा कि मैं क्या चाहता हूँ.

राधिका- करने में शरम नही आएगी और बताने में शरमा रहे हो.

कृष्णा भी समझ चुका था कि राधिका उसके मूह से क्या सुनना चाहती हैं. वो भी अब अपनी शरम छोड़ कर पूरी बेशर्मी पर उतार आता हैं.

कृष्णा- मैं तो हमेशा से तुझे बिना कपड़ों के देखना चाहता था. इस वजह से मैं कई बार तेरे बाथरूम में छुप छुप कर तुझे नहाता हुए देखा करता था. मगर आज तक पूरा सफल नही हो पाया.

राधिका मुस्कुरा हुए- मुझे पता हैं कि आप मुझे बाथरूम में छुप छुप कर देखते थे. चलिए कोई बात नहीं आज मैं आपकी ये इच्छा भी पूरी करूँगी.

कृष्णा हैरत से राधिका को देखता हैं- तो क्या तुझे पता था कि मैं तुझे छुप छुप कर देखता रहता था. लेकिन तूने तो मुझे कभी कुछ नहीं बोला.

राधिका जवाब में बस मुस्कुरा देती हैं और अपना हाथ बढ़ाकर कृष्णा की शर्ट के बटन खोलने लगती हैं. फिर एक एक करके उसके सारे बटन को खोल देती हैं. कुछ देर में वो उपर से नंगा हो जाता हैं. कृष्णा के सीने पर घने बाल थे और उसका रंग भी सांवला था. राधिका बड़े गौर से कृष्णा को देखने लगती हैं फिर उसके पास जाकर अपनी जीभ उसके निपल्स पर रखकर उसे हौले हौले चूसने लगती हैं. कृष्णा एक दम से सिहर जाता हैं.

कृष्णा- लगता हैं मेरी बेहन इन सब मामलों में काफ़ी समझदार हो गयी हैं. अब मुझे कुछ सिखाना नहीं पड़ेगा.

राधिका- नहीं नहीं मैं आपकी तरह एक्सपर्ट नहीं हूँ. ना जाने अभी तक आप कितनी रंडियों के साथ सो चुके हैं. मेरा भला आपके साथ कैसा मुकाबला.

कृष्णा- ठीक हैं आज मैं तुझे सिखाउन्गा कि चुदाई कैसे की जाती हैं. देख लेना तू भी मेरी तरह एक्सपर्ट हो जाएगी.

राधिका- नहीं बनना मुझे एक्सपर्ट. मुझे बस प्यार करो मुझे कोई धंधा थोड़ी ही ना करना हैं.

कृष्णा भी मुस्कुरा देता हैं और झट से अपना एक हाथ राधिका की पीठ पर और दूसरा हाथ उसके बूब्स पर रखकर ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स को दबाना शुरू करता हैं. राधिका के मूह से सिसकारी बढ़ने लगती हैं और मदहोशी में उसकी आँखें बंद होने लगती हैं.

कृष्णा थोड़ी देर के बाद उसकी साड़ी को खोल कर उसके जिस्म से अलग कर देता हैं और राधिका बस ब्लाउस में और साए में कृष्णा के सामने बैठी रहती हैं. उसकी नज़रें शरम की वजह से झुक जाती हैं और वो नीचे देखने लगती हैं.

कृष्णा उसके ब्लाउस के बटन को धीरे धीरे खोलने लगता हैं और राधिका बिना कुछ बोले कृष्णा की हरकतों को देखने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो उसका ब्लोज़ भी उसके जिस्म से अलग कर देता हैं. कृष्णा आज पहली बार अपनी बेहन को इस अवस्था में देख रहा था. उसका लंड भी पूरा खड़ा हो चुका था. वो बस राधिका की खूबसूरती को अपनी आँखों में समेटने लगता हैं.

थोड़ी देर में कृष्णा अपनी पेंट उतार कर बस अंडरवेर में रह जाता हैं.राधिका को उसके अंडरवेर में कृष्णा का टेंट सॉफ दिखाई देता हैं. वो भी बस बिना पलके झपकाए देखने लगती हैं.

कृष्णा फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर उसके साए का नाडा खोल देता हैं और धीरे धीरे सरका कर राधिका के जिस्म से अलग कर देता हैं. इस वक्त राधिका बस ब्रा और पैंटी में कृष्णा के सामने थी और शरम से उसकी पलकें झुकी हुई थी.

कृष्णा अब राधिका के पीछे चला जाता हैं और अपना जलते हुए होंठो को राधिका की गर्देन पर रखकर धीरे धीरे चाटने लगता हैं और बहुत धीरे धीरे उसकी पीठ तक नीचे सरकता हुआ नीचे आता हैं. राधिका की बेकरारी सॉफ उसकी सिसकारियों से सुनाई दे रही थी.कृष्णा आज उसे पूरा पागल करने के मूड में था. वो चाहता था कि राधिका पूरी तरह से बेकरार होकर उसकी बाहों में अपने आप को पूरा समर्पण कर दे. वैसे तो राधिका ने ये बात बोल दी थी मगर करने और कहने में बहुत फ़र्क होता हैं.

कृष्णा बहुत देर तक राधिका के ऐसे ही पूरे बदन पर जीभ फिराता हैं और उधेर राधिका का सब्र जवाब देने लगता हैं.

राधिका- भैया अब बस भी करो. क्या आप मुझे पागल करना चाहते हैं. अब मुझसे बर्दास्त नही होता.

कृष्णा- इतनी जल्दी भी क्या हैं राधिका अभी तो पूरी रात पड़ी हैं. अभी तो मैने सिर्फ़ चिंगारी भड़काई हैं.अभी तो आग लगाना बाकी हैं.अब देखना ये हैं ये आग कितनी जल्दी शोले में बदल जाती हैं.

राधिका- ये तो वक़्त ही बताएगा कि आप के अंदर कितनी आग हैं. आज मैं भी देखूँगी कि आप में कितना दम हैं और इतना कहकर राधिका मुस्कुरा देती हैं.........

कृष्णा- तू मुझे चॅलेंज कर रही हैं देख लेना मैं दावे से कहता हूँ कि तू मेरे सामने टिक नहीं पाएगी. मैं अच्छे से जानता हूँ कि किसी भी लड़की को कैसे वश में किया जाता हैं.

राधिका मुस्कुराते हुए- ये तो वक़्त ही बतायेगा कि आपका पलड़ा भारी हैं या मेरा.

कृष्णा- फिर ठीक हैं लग गयी बाज़ी. अगर तू मेरे सामने अपनी घुटने ना टेक दे तो मैं आज के बाद हमेशा के लिए तेरी गुलामी करूँगा ये कृष्णा की ज़ुबान हैं.

राधिका- सोच लो भैया कहीं ये सौदा आपको महँगा ना पड़ जाए.
कृष्णा- मर्द हूँ एक बार जो कसम ले ली तो फिर पीछे नहीं हटूँगा. मगर तू मुझे किसी भी बात के लिए मना नहीं करेगी. बोल मंजूर हैं.

राधिका मुस्कुराते हुए- फिर ठीक हैं मुझे आपकी शर्त मंज़ूर हैं.

कृष्णा कुछ देर ऐसे ही खामोश रहता हैं फिर गहरे विचार के बाद वो राधिका के बिल्कुल करीब आता हैं. वैसे कृष्णा मंझा हुआ खिलाड़ी था वो ना जाने आब तक कितनी रंडियों को आपने आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर चुका था. इसकी दो वजह थी एक तो उसका हथियार काफ़ी दमदार था और दूसरा वो बहुत सैयम से काम लेता था. किसी भी परिस्थिति में वो विचलित नही होता था. इस लिए उसे पूरा विश्वास था कि वो हर हाल में बाज़ी ज़रूर जीत जाएगा. हालाकी राधिका की रगों में भी उसका ही खून था मगर राधिका इन सब मामलों में एक्सपर्ट नहीं थी. उसने तो अपनी ज़िंदगी में बस राहुल के साथ सेक्स किया था. इस वजह से उसे सेक्स के बारे में ज़्यादा पता नहीं था.

कृष्णा एक दम धीरे से राधिका के पीछे आता हैं और और उसके कंधे पर अपने लब रखकर एक प्यारा सा किस करता हैं और अपने दोनो हाथों को धीरे से बढ़ाकर राधिका के दोनो बूब्स को धीरे धीरे मसलना शुरू कर देता हैं. राधिका मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और उसके मूह से सिसकारी निकल जाती हैं.

कृष्णा फिर अपना होंठ राधिका के पीठ पर रखकर फिर से उसी अंदाज़ में हौले हौले चाटना शुरू करता हैं. राधिका की पैंटी पूरी भीग चुकी थी. वो तो बड़े मुश्किल से अपने आप को संभालने की नाकाम कोशिश कर रही थी.

राधिका- भैया बस भी करो मुझे कुछ हो रहा हैं.
कृष्णा- बता ना राधिका यही तो मैं जानना चाहता हूँ कि तुझे क्या हो रहा हैं.पहले भी तुझसे मैं कई बार पूछ चुका हूँ मगर तूने बताने से इनकार कर दिया. आज तो मैं जानकार ही रहूँगा.

राधिका- मुझे शरम आती हैं भैया मैं आपको नहीं बता सकती.

कृष्णा- आरे तू तो मेरी अपनी हैं. और अपनों से कैसी शरम. अब बता भी दे.

राधिका- वो .................नीचे............ मेरी सी........चूत. इसके आगे राधिका कुछ बोल नहीं पाती और शरमा कर अपनी नज़रें नीची झुका लेती हैं.

कृष्णा- क्या हुआ तेरी चूत को. क्या मेरे छूने से तेरी चूत में कुछ होता हैं. कृष्णा के ऐसे ओपन वर्ड्स सुनकर राधिका शरम से पानी पानी हो जाती हैं.

कृष्णा- चुप क्यों हैं बता ना. क्या तेरी चूत गीली हो गयी हैं. हां शायद यही वजह हैं और इतना कहकर कृष्णा एक पल में अपना हाथ नीचे लेजा कर राधिका की चूत को अपनी मुट्ठी में थाम लेता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती है. फिर धीरे धीरे वो अपना हाथ राधिका की पैंटी के अंदर सरका देता हैं और उसके क्लिट को अपनी उंगली से मसल्ने लगता हैं. राधिका एक दम से बेचैन हो जाती हैं और जवाब में वो अपना लिप्स कृष्णा के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगती हैं.

एक हाथ से वो राधिका के बूब्स को मसल रहा था और दूसरे हाथों से वो राधिका की चूत को सहला रहा था. और राधिका उसके लिप्स को चूस रही थी. माहौल पूरा आग लगा देने वाला था. थोड़ी देर में कृष्णा का हाथ पूरा गीला हो जाता हैं.

राधिका- भैया.............. अब बस भी करो मुझसे अब बर्दास्त नही हो रहा. आप शर्त जीत गये.

कृष्णा- अरे मेरी जान तूने इतनी जल्दी कैसे हार मान ली. अभी तो शुरूवात हैं. देखना आगे आगे मैं क्या करता हूँ. इतना बोलकर कृष्णा अपने दोनो हाथ राधिका की पीठ पर रखकर उसकी ब्रा का स्ट्रिप्स को खोल देता हैं और अगले पल राधिका झट से अपने गिरते हुए ब्रा को दोनो हाथों से थाम लेती हैं.

कृष्णा अगले पल राधिका के ब्रा को पकड़कर उसके बदन से अलग कर देता हैं और राधिका भी कोई विरोध नहीं कर पाती. बस अपनी नज़रें नीची करके अपनी गर्देन झुका लेती हैं. कृष्णा भी झट से राधिका के सामने आता हैं और वो राधिका के बूब्स को देखने लगता हैं. फिर वो अपना लिप्स को राधिका के निपल्स पर रखकर उसे एक दम हौले हौले चूसने लगता हैं. ना चाहते हुए भी राधिका कृष्णा की हरकतों को इनकार नही कर पाती और वो अपना एक हाथ कृष्णा के बालों पर फिराने लगती हैं.

कृष्णा- राधिका तुम्हारे ये दूध कितने मस्त हैं. जी तो करता हैं इन्हें ऐसे ही चूस्ता रहूं.

राधिका- तो चूसो ना मैने कब मना किया हैं. जब तक आपका मन नहीं भरता आप ऐसे ही इन्हें चूस्ते रहो.

फिर कृष्णा एक हाथ से उसके निपल को अपनी उंगली में मसल्ने लगता हैं और दूसरी तरफ वो अपना मूह लगाकर राधिका के बूब्स पीने लगता हैं. राधिका को तो लगता हैं कि अब उसकी जान निकल जाएगी. कृष्णा सब कुछ एक दम आराम से कर रहा था. उसे किसी भी चीज़ की जल्दी नहीं थी. और वो जानता भी था कि ऐसे कुछ देर में राधिका का भी संयम जवाब दे देगा और वो सब कुछ करेगी जो वो चाहता हैं.

करीब 10 मिनिट के बाद आख़िर राधिका का सब्र टूट जाता हैं और वो तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर कृष्णा का लंड थाम लेती हैं और उसे अपने नाज़ुक हाथों से मसल्ने लगती हैं. कृष्णा ये देखकर मुस्कुरा देता हैं और अपना अंडरवेर उतारने लगता हैं और कुछ पल में वो एक दम नंगा उसके सामने हो जाता हैं.

राधिका वैसे तो अपने भैया को पूरा नंगा देख चुकी थी मगर उस वक़्त हालत दूसरे थे. वो एक टक कृष्णा के लंड को देखने लगती है. राधिका को ऐसे देखता पाकर कृष्णा भी अपना लंड उसके सामने कर देता हैं.

कृष्णा- ऐसे क्या देख रही हैं राधिका पसंद नहीं आया क्या.
राधिका अपना थूक निगलते हुए- भैया इतना बड़ा भला ये कैसे मेरे अंदर जाएगा.

कृष्णा-चिंता मत कर बाकी औरतों की तरह तू भी इसे अपनी चूत में आराम से ले लेगी.

फिर कृष्णा राधिका को बिस्तेर पर सीधा लेटा देता हैं और उसकी पैंटी भी सरकाकर उसे पूर नंगा कर देता हैं. अब राधिका की चूत अपने भैया के सामने बे-परदा थी. कृष्णा का अरमान अब पूरा हो गया था राधिका को पूरा नंगा देखने का. वो बड़े गौर से राधिका की खूबसूरती को अपनी आँखों में क़ैद करने लगता हैं. कृष्णा को ऐसे देखकर राधिका फिर से शरमा जाती हैं.
कृष्णा फिर राधिका के उपर आता हैं और अपने होंठ राधिका के होंठो पर रखकर फिर से उसे चूसने लगता हैं और फिर बहुत धीरे धीरे अपना जीभ फिराते हुए वो नीचे की तरफ बढ़ने लगता हैं. और राधिका बेचैन होने लगती हैं. आज कृष्णा ने उसकी चूत इतनी गीली की थी कि राधिका खुद हैरान थी. इतनी आग तो आज तक राहुल ने भी नहीं लगाई थी. आज उसे महसूस हुआ था कि जिस्म की आग क्या होती हैं. राधिका के मूह से भी सिसकारी लगातार निकल रही थी और उधेर कृष्णा की हरकतों से भी उसे मज़ा आ रहा था.

फिर कृष्णा उसकी गर्देन पर अच्छे से अपनी जीभ फिराता हैं और फिर एक हाथ से उसके बूब्स को कस कर मसल्ने लगता हैं और और दूसरी उंगल उसकी चूत पर फिराने लगता हैं. और अपना जीभ से उसके दूसरे निपल्स को चूसने लगता हैं. अब राधिका का सब्र जवाब दे देता हैं और वो ना चाहते हुए भी चीख पड़ती हैं.

राधिका- बस........ भैया.........आज .. मेरी ....जान लोगे.......क्या. मैं....मर .जाउन्गि............आह... और इतना कहते कहते उसकी चूत से उसका पानी निकलना शुरू हो जाता हैं और राधिका का ऑर्गॅनिसम हो जाता हैं वो वही एक लाश की तरह कृष्णा की बाहों में पड़ी रहती हैं. उसकी धड़कनें बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. और साँसें भी कंट्रोल के बाहर थी. बड़ी मुश्किल से वो अपनी साँसों को कंट्रोल करती हैं और अपनी आँखें बंद करके कृष्णा के लबों को चूम लेती हैं.........

कृष्णा भी एक टक राधिका को देखने लगता हैं और जवाब में राधिका बस मुस्कुरा कर अपनी निगाहें नीची कर लेती हैं.

कृष्णा- अब तेरी बारी हैं. चल अब तू मेरी प्यास को शांत कर. और इतना बोलकर कृष्णा अपना लंड राधिका के मूह के एकदम करीब रख देता हैं. राधिका बड़े गौर से कृष्णा के लंड को देखने लगती हैं. फिर अपनी जीभ निकालकर धीरे से उसके लंड का सूपड़ा को नीचे से लेकर उपर तक चाट लेती हैं. कृष्णा के मूह से एक सिसकारी निकल पड़ती हैं.

फिर वो राधिका के सिर के बालो को खोल देता हैं और अपना हाथ राधिका के सिर पर फिराने लगता हैं.राधिका धीरे धीरे कृष्णा के लंड पर अपना जीभ फिराती हैं. अचानक कृष्णा को ना जाने क्या सुझता हैं वो तुरंत राधिका के मूह से अपना लंड बाहर निकल लेता हैं. राधिका हैरत भरी नज़रों से कृष्णा को देखने लगती हैं. कृष्णा उठकर किचन में चला जाता हैं और थोड़ी देर के बाद वो एक जॅम की सीसी लेकर वापस आता हैं.

जॅम की सीसी को देखकर राधिका के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं. वो भी कृष्णा का मतलब समझ जाती हैं. कृष्णा फिर जॅम की सीसी को खोलता हैं और और उसे अपने लंड पर अच्छे से लगा देता हैं. कृष्णा का लंड बिल्कुल लाल कलर में दिखाई देने लगता हैं.फिर वो राधिका के तरफ बड़े प्यार से देखने लगता हैं. राधिका मुस्कुरा कर आगे बढ़ती हैं और अपना मूह खोलकर जॅम से लिपटा कृष्णा का लंड को धीरे धीरे चूसना शुरू करती हैं. एक तरफ नमकीन का स्वाद और एक तरफ जॅम का स्वाद दोनो का टेस्ट कुल मिलकर बड़ा अद्भुत था. थोड़ी देर के बाद राधिका कृष्णा के लंड पर पूरा जॅम चाट कर सॉफ कर देती हैं.

कृष्णा- राधिका एक बार मेरा लंड को पूरा अपने मूह में लेकर चूसो ना. तुझे भी बहुत मज़ा आएगा.

राधिका- आपका दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया भैया. भला इतना बड़ा लंड पूरा मेरे मूह में कैसे जाएगा. नहीं मैं इसे पूरा अपने मूह में नहीं ले सकती.

कृष्णा- क्या तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती. मैं जानता हूँ बोलने और करने में बहुत फरक होता हैं. ठीक हैं मैं तुझसे ज़बरदस्ती नहीं करूँगा. आगे तेरी मर्ज़ी. और कृष्णा के चेहरे पर मायूसी छा जाती हैं.

अपने भैया को ऐसे मायूस देखकर राधिका तुरंत अपना इरादा बदल लेती हैं.

राधिका- क्यों नाराज़ होते हो भैया. मेरा कहने का ये मतलब नहीं था. मैं तो बस......................अच्छा फिर ठीक हैं अगर आपकी खुशी इसी में हैं तो मैं अब आपको किसी भी बात के लिए मना नहीं करूँगी. कर लो जो आपका दिल करता हैं.आज मैं साबित कर दूँगी कि राधिका जो बोलती हैं वो करती भी हैं.

कृष्णा भी मुस्कुरा देता हैं और राधिका के बूब्स को पूरी ताक़त से मसल देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल जाती हैं.

कृष्णा- मैं तो यही चाहता हूँ कि तू खुशी खुशी मेरा लंड पूरा अपने मूह में लेकर चूसे. मैं यकीन से कहता हूँ कि तुझे भी बहुत मज़ा आएगा. हां शुरू में थोड़ी तकलीफ़ होगी फिर तू भी आसानी से इसे पूरा अपने मूह में ले लेगी.

राधिका- जैसा आपका हुकुम सरकार.. मगर मुझे तकलीफ़ होगी तो क्या आपको अच्छा लगेगा. बोलो......................

कृष्णा-अगर चुदाई में तकलीफ़ ना हो तो मज़ा कैसा. पहले दर्द तो होता ही हैं फिर मज़ा भी बहुत आता हैं. बस तू मेरा पूरा साथ देना फिर देखना ये सारा दर्द मज़ा में बदल जाएगा.

कृष्णा फिर जॅम अपनी उंगली में लेता हैं और अपने टिट्स पर मलने लगता हैं और फिर अपने लंड के आखरी छोर पर भी पूरा जॅम लगा देता हैं.

कृष्णा राधिका को बेड पर लेटा देता हैं और उसकी गर्देन को बिस्तेर के नीचे झुका देता हैं. राधिका को जब समझ आता हैं तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. वो तो सोच रही थी कि वो अपनी मर्ज़ी से पूरा लंड धीरे धीरे अपने मूह में ले लेगी मगर यहाँ तो उसकी मर्ज़ी नहीं बल्कि वो तो खुद कृष्णा के रहमो करम पर थी. मगर वो अपने भैया की ख़ुसी के लिए उसे सब मंजूर था.
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#31
Update 24


कृष्णा भी राधिका के मूह के पास अपना लंड रख देता हैं और फिर राधिका की ओर देखने लगता हैं. राधिका भी अपनी आँखों से उसे अंदर डालने का इशारा करती हैं. कृष्णा राधिका के सिर को पकड़कर धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर डालने लगता हैं और राधिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं. धीरे धीरे उसका लंड राधिका के मूह के अंदर जाने लगता हैं. कृष्णा करीब 5 इंच तक राधिका के मूह में लंड पेल देता हैं और फिर उसके मूह में अपना लंड आगे पीछे करके चोदने लगता हैं.

राधिका की गरम साँसें उसको पल पल पागल कर रही थी. वो धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगता हैं और साथ साथ अपना लंड भी अंदर पेलने लगता हैं. राधिका की हालत धीरे धीरे खराब होनी शुरू हो जाती हैं. वैसे ये राधिका का फर्स्ट एक्सपीरियेन्स था. वो राहुल का लंड कई बार चूसी थी पर कभी अपने मूह में पूरा नही ली थी. इसलिए तकलीफ़ होना लाजमी था. करीब कृष्णा 7 इंच तक राधिका के मूह में लंड डाल देता हैं और राधिका की साँसें उखाड़ने लगती हैं.

कृष्णा एक टक राधिका को देखता हैं और फिर अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर एक झटके में पूरा अंदर पेल देता हैं. लंड करीब 8 इंच से भी ज़्यादा राधिका के मूह में चला जाता हैं. राधिका को तो ऐसा लगता हैं कि अभी उसका गला फट जाएगा. उसकी आँखों से भी आँसू निकल पड़ते हैं और आँखें भी बाहर की ओर आ जाती हैं.तकलीफ़ तो उसे बहुत हो रही थी मगर वो अपने भैया के लिए सारी तकलीफो को घुट घुट कर पी रही थी. राधिका को कुछ राहत मिलती हैं मगर कृष्णा कहाँ रुकने वाला था वो फिर एक झटके से अपना लंड बाहर निकालकर फिर से उतनी ही स्पीड से वो राधिका के मूह में पूरा पेल देता हैं.

इस बार कृष्णा अपना पूरा लंड राधिका के हलक तक पहुँचने में सफल हो गया था. राधिका के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसका दम घुट जाएगा और वो वही मर जाएगी. कृष्णा ऐसे ही करीब 10 सेकेंड्स तक राधिका के हलक में अपना लंड फँसाए रखता हैं. राधिका के मूह से गो................गू............. की लगातार दर्द भरी आवाज़ें निकल रही थी. जब उसकी बर्दास्त की सीमा बाहर हो गयी तो अपना दोनो हाथों से कृष्णा के पैरों पर मारने लगती हैं कृष्णा को भी तुरंत आभास होता हैं और वो एक झटके से अपना पूरा लंड राधिका के हलक से बाहर निकाल देता हैं. राधिका वही ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं वो वही धम्म से बिस्तेर पर पसर जाती हैं.

कृष्णा के लंड से एक थूक की लकीर राधिका के मूह तक जुड़ी हुई थी. ऐसा लग रहा था कि उसके लंड से कोई धागा राधिका के मूह तक बाँध दिया हो. वो घूर कर एक नज़र कृष्णा को देखती हैं.

राधिका- ये क्या भैया भला कोई ऐसे भी सेक्स करता हैं क्या. आज तो लग रहा था कि आप मुझे मार ही डालोगे. मुझे कितनी तकलीफ़ हो रही थी आपको क्या मालूम. देखो ना अभी तक मेरा मूह भी दर्द कर रहा हैं.

कृष्णा- तू जानती नहीं हैं राधिका मेरा एक सपना था कि मैं किसी भी लड़की के मूह में अपना पूरा लंड पेलने का. मगर आज तूने मेरा सपना पूरा कर दिया. ना जाने मैं कितनी रंडियों के साथ सोया हूँ मगर उनमें से किसी ने भी मेरे लंड अपने मूह में नहीं लिया. आख़िर अपना अपना ही होता हैं.

राधिका धीरे से मुस्कुराते हुए- तो आपके और क्या क्या ख्वाब हैं. ज़रा मैं भी तो जानू. सोचूँगी अगर पूरा करने लायक होगा तो ज़रूर पूरा करूँगी.

कृष्णा- मेरा तो सबसे ज़्यादा मन तेरी गंद मारने को करता हैं. अगर तू मुझे इसकी इज़्ज़ज़त दे तो.................

राधिका- नहीं भैया मैं वहाँ पर नहीं दूँगी. सुना हैं बहुत ताकीफ़ होती हैं. मुझसे सहन नही होगा. और आज तक मैने कभी भी वहाँ पर नहीं दिया हैं. राधिका की बातें सुनकर कृष्णा की आँखें चमक जाती हैं और वो ये जान जाता हैं कि राधिका की गंद अभी तक कुँवारी हैं.

कृष्णा- मैं एक दम धीरे धीरे करूँगा राधिका. तुझे अगर तकलीफ़ हुई तो मैं बाहर निकाल लूँगा. बस एक बार करने दे ना वहाँ पर...............

राधिका- आप भी ना भैया. देखेंगे पहले मेरा तो कुछ इलाज़ करो. मेरे अंदर भी आग लगी हुई हैं.

कृष्णा फिर राधिका की चूत के एक दम करीब आता हैं और उसकी चूत पर अपने दोनो हाथ रखकर उसके लिप्स को फैलाने लगता हैं और बड़े गौर से अंदर देखने लगता हैं. अंदर गुलाबी कलर उसे सॉफ दिखाई देता हैं. वो अपनी एक उंगली चूत में डाल देता हैं और राधिका के मूह से एक सिसकारी निकल पड़ती हैं.फिर वो जॅम को अपने उंगली पर लगाता हैं और उसे राधिका की चूत पर पूरी तरह से मलने लगता हैं और नीचे उसकी गान्ड के छेद पर भी लगा देता हैं. फिर अपनी जीभ निकाल कर राधिका की चूत से लेकर गान्ड तक चाटना शुरू कर देता हैं.

राधिका की हालत खराब होने लगती हैं. एयेए.ह......................भैया.................ऐसे..........ही चाटो...............आआआआआआआहह.

कृष्णा लगातार राधिका की चूत और गान्ड को चाट रहा था जिससे राधिका की बेकरारी सॉफ उसकी आवाज़ और सिसकारी से सुनाई दे रही थी. करीब 10 मिनिट तक वो उसकी चूत और गान्ड को ऐसे ही चाट्ता हैं और राधिका के सब्र का बाँध टूट जाता हैं और वो कसकर कृष्णा के सिर के बाल को पकड़कर झरने लगती हैं और उसकी आँखें बंद हो जाती है और वही बिस्तेर पर पसर जाती हैं.

कृष्णा उठकर राधिका के लिप्स को चूसने लगता हैं और और राधिका भी अपनी चूत और गान्ड का मिला जुला स्वाद अपने मूह में महसूस करती हैं. आज उसे ये सब गंदा नहीं लग रहा था. और आज के जितना मज़ा तो उसे राहुल के साथ भी नहीं मिला था. कृष्णा फिर अपना एक उंगली राधिका की चूत में डाल देता हैं और दूसरा उंगली राधिका की गान्ड में डालने लगता है और फिर अपना मूह राधिका की चूत पर रखकर उसके क्लिट को फिर से चाटना शुरू कर देता हैं. अब कृष्णा की दोनो उंगलियाँ अपना कमाल दिखा रही थी वो भी धीरे धीरे फिर से गरम होने लगती हैं और कृष्णा धीरे धीरे अपनी दोनो उंगलियाँ राधिका की चूत और गान्ड में पूरा पेल देता हैं.

थोड़ी देर के बाद वो दो उंगली उसकी चूत में डालता हैं और दो उंगली उसकी गान्ड में डालकर अपना जीभ उसके दोनो छेदों पर फिराने लगता हैं. ऐसे ही कुछ देर में वो अपना दोनो उंगली पूरा पेल देता हैं और राधिका फिर से अपने चरम पर पहुँचने लगती हैं और थोड़ी देर तक चूत और गान्ड चूसने के बाद राधिका का फिर से बाँध टूट जाता हैं और वो चिल्लाते हुए झरने लगती हैं. राधिका तो बिना चुदे हुए करीब तीन बार फारिग हो चुकी थी. वो बड़ी मुश्किल से अपनी साँसों को कंट्रोल कर रही थी.

राधिका की आँखे बंद थी और वो पूरी तरह से सन्तुस्त होकर बिस्तेर पर पड़ी हुई थी.करीब 15 मिनिट के बाद वो उठती हैं और फिर अपने भैया के सीने पर सिर रखकर लेट जाती हैं. कृष्णा भी उसके बालों में अपना हाथ फिरा रहा था.

कृष्णा- अपनी तो प्यास बुझा ली अब मेरा क्या होगा. तुम्हें तो बिल्कुल भी मेरा ख्याल नहीं हैं.

राधिका- नहीं भैया ऐसी बात नहीं हैं. मैं आपकी प्यास भी बुझा दूँगी बस मुझे थोड़ा सा आराम कर लेने दो.

कृष्णा- तूने तो बिस्तेर पर मुझसे जल्दी हार मान ली. अभी तो मेरा एक बार भी नहीं निकला और तू अब तक तीन बार फारिग हो चुकी हैं. तू मेरा सामना क्या करेगी.

राधिका शरम से अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं उसको ऐसा शरमाता देख कृष्णा के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती हैं.

राधिका- नहीं भैया अब की बार मैं आपको हरा दूँगी. मैं आपकी तरह एक्सपर्ट थोड़ी ना हूँ.

कृष्णा फिर राधिका को अपने लंड की ओर इशारा करता हैं - प्लीज़ एक बार फिर से इसे अपने मूह में पूरा डालने दे ना. मैं इसे पूरा तेरे मूह में डालकर चोदना चाहता हूँ. राधिका प्लीज़ मुझे मना मत करना.

राधिका घूर कर कृष्णा को देखती हैं और धीरे से मुस्कुरा देती हैं और अपनी बाँहे कृष्णा के गले में डाल देती हैं- ठीक हैं मैं आपका लंड पूरा अपने मूह में लूँगी भला मैं अपने भैया को कैसे नाराज़ कर सकती हूँ. आपका जैसे दिल करे आप अपनी राधिका को मसल सकती हैं.

कृष्णा फिर एक हाथ लेजा कर राधिका के निपल्स को अपनी उंगली से मसल देता हैं और उसके होंठो पर अपना होंठ रख देता हैं. थोड़ी देर के बाद वो राधिका को अपनी दोनो जाँघो के बीच अपने नीचे सुलाने वाली पोज़िशन में लाता हैं और उसका सिर को अपने हाथों से पकड़ लेता हैं. और अपना लंड राधिका के मूह पर रख देता है अब कृष्णा खड़े होकर राधिका को अपने लंड के नीचे लेटा देता हैं और फिर राधिका की पहले वाली स्थिति में आ जाती हैं. इस पोज़िशन में भी वो कुछ नहीं कर सकती थी. सब कुछ उसके भैया के हाथों में था उसे जैसे चाहे रगड़े.

कृष्णा धीरे धीरे अपना लंड पर प्रेशर बढ़ाने लगता हैं और राधिका की तकलीफ़ शुरू हो जाती हैं. और वो तब तक नहीं रुकता जब तक वो अपना पूरा लंड राधिका के हलक में नहीं उतार देता. इस बार कृष्णा पूरी तरह से वेहशीपन पर उतर आया था. राधिका की आँखों से आँसू बह रहे थे और वो लगातार उसी पोज़िशन में अपना लंड राधिका के हलक के नीचे पहुँचाने में लगा हुआ था. आख़िरकार राधिका की भी हिम्मत जवाब देने लगती हैं और उधेर कृष्णा का भी बाँध टूट पड़ता हैं और वो एक तेज़्ज़ झटके के साथ अपना वीर्य राधिका के हलक में डालने लगता हैं.

राधिका की तकलीफें उसके चेहरे से सॉफ बयाँ हो रही थी. और शायद अब उसे भी ऐसे सेक्स में मज़ा आने लगा था. वो भी पूरा अपने भैया का कम पीने लगती हैं मगर आधा से ज़्यादा कम उसके मूह के किनारे से बहता हुआ ज़मीन पर गिरने लगता हैं और कृष्णा तुरंत उसको रिलीस करता हैं. राधिका की साँसें बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. और लगभग हाम्फते हुए वो वही ज़मीन पर बैठ जाती हैं.

करीब 1/3 ही वो अपने भैया का कम पी पाती हैं और आधा से ज़्यादा नीचे फर्श पर गिरा रहता हैं.

कृष्णा-राधिका क्या कमाल का तू लंड चुसती हैं. सच में मज़ा आ गया. तूने आज मेरे लिए वो किया हैं जो आज तक किसी ने नहीं किया.

राधिका- भैया मैने पूरी कोशिश की थी कि मैं आपका कम पूरा पी जाऊ मगर मैं नाकाम हो गयी. अभी मैं नयी हूँ ना मुझे थोड़ा टाइम दो मैं आपके लिए सब कुछ धीरे धीरे सीख जाउन्गि.

राधिका का ऐसा जवाब सुनकर कृष्णा झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं.

कृष्णा- तू मुझसे इतना प्यार करती हैं और मैने कभी तेरी कद्र नही की. सच में राधिका में तेरे लायक नहीं हूँ. मैं सच में बहुत बुरा इंसान हूँ.

राधिका -नहीं भैया मैं तो आपके लिए जान भी दे सकती हूँ. अगर यकीन ना आए तो एक बार आजमा के देख लो. राधिका मर जाएगी मगर अपने ज़ुबान से पीछे नहीं हटेगी.

कृष्णा- चल बहुत बड़ी बड़ी बातें करती हैं. अब चल कर कुछ खाना खा लेते हैं. मुझे बहुत ज़ोरों की भूक लग रही हैं.

राधिका भी मुस्कुरा देती हैं और ऐसी ही नंगी हालत में किचन में जाकर खाना निकालने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो खाना वही टेबल पर रखा रहता हैं. थोड़ा सा चिकन वो अपने थाली में रखकर बाकी बचा सारा अपने भैया के थाली में पलट देती हैं.

कृष्णा हैरत भरी नजरो से राधिका को देखने लगता हैं. उसे तो समझ नही आ रहा था कि राधिका भला कैसे वो चिकन खाएगी. जो आज तक कभी भी माँस को हाथ नहीं लगाया था सोचो वो इंसान के लिए खाना कितना मुश्किल होगा. राधिका बहुत देर तक अपनी थाली में देखती रहती हैं फिर एक चिकन का टुकड़ा धीरे से उठाकर अपने मूह के पास ले जाती हैं और फिर अपनी आँखें बंद कर वो टुकड़ा को अपने मूह में रख कर धीरे धीरे उसे अपने गले के नीचे उतारने लगती हैं. कृष्णा हैरत भरी नज़रों से राधिका की सारी गतिविधियों को देख रहा था. उसे तो अब भी यकीन नही हो रहा था कि राधिका सच में चिकन खा सकती हैं.

जैसे ही राधिका चिकन को अपने गले के नीचे उतारती हैं उसे एक ज़ोर की उल्टी आती हैं और वो दौड़ कर बाथरूम में चली जाती हैं. कृष्णा को भी ये सब बर्दास्त नहीं होता और वो राधिका के पीछे पीछे बाथरूम में चला जाता हैं. राधिका की उल्टी बंद नहीं हो रही थी. वो थोड़ी देर तक ऐसे ही वॉम्टिंग करती हैं फिर अपना हाथ मूह धोकर बाथरूम से बाहर निकलती हैं..





कृष्णा- जब तू ये जानती हैं कि तू नोन-वेज नही खाती तो क्या ज़रूरत थी तुझे ये सब करने की. मुझे इसका जवाब दे कृष्णा गुस्से से राधिका को घूर कर बोला.

राधिका जवाब में बस एक स्माइल देती हैं- बस अपनी भैया की खुशी के लिए.

कृष्णा- नहीं चाहिए मुझे ऐसी खुशी जिसमें तुझे तकलीफ़ हो. इतना कहकर कृष्णा राधिका को अपने गले लगा लेता हैं. मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ. और मैं कभी नहीं चाहूँगा कि तुझे कोई तकलीफ़ हो.

राधिका- आपकी खुशी में मेरी खुशी हैं भैया. ये चिकन क्या चीज़ हैं अगर आप कहे तो मैं आपके लिए ज़हर भी पी सकती हूँ.

कृष्णा बस गुम्सुम सा राधिका को देखने लगता हैं. राधिका आगे बढ़कर उसके लिप्स को चूम लेती हैं. और जवाब में कृष्णा भी अपना मूह खोलकर राधिका के नरम लिप्स को चाटने लगता हैं. कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहते हैं और फिर राधिका आगे बढ़कर टेबल पर रखा खाना कृष्णा को अपने हाथों से खिलाने लगती हैं. जवाब में कृष्णा भी सोचता हैं कि वो राधिका को खिलाए या नहीं वो बहुत देर तक इसी अस्मन्झस में डूबा रहता हैं. राधिका उसकी परेशानी को समझ जाती हैं और अपना मूह खोल कर खाना खिलाने का इशारा करती हैं. कृष्णा डरते डरते पहला कौर राधिका के मूह में डालता हैं. राधिका को फिर से उल्टी महसूस होता हैं मगर इस बार वहाँ रखा पानी का ग्लास में पानी डालकर वो झट से पी लेती हैं.

करीब 1 घंटे तक वो बड़ी मुश्किल से खाना फिनिश करती हैं. जो ज़िंदगी में पहली बार नॉन वेज खाती हैं वो जानता हैं कि ये कितना मुश्किल काम हैं. राधिका भी खाना ख़तम करती हैं और जाकर टेबल सॉफ करती हैं. कृष्णा फिर पीछे से जाकर राधिका के दोनो बूब्स को कसकर भींच लेता हैं और राधिका के मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं.

कृष्णा- अब रहने दो ना. कल सॉफ कर लेना. अभी मुझे तुम्हारी सबसे ज़्यादा ज़रूरत हैं.

राधिका भी जवाब में मुस्कुरा देती हैं और कृष्णा को प्यार भरी नज़रों से देखने लगती हैं. कृष्णा भी राधिका को गोद में उठाकर सीधा बेडरूम में ले जाता हैं और वही राधिका को बिस्तेर पर सुला देता हैं.

राधिका- तो आज आप कुछ ज़्यादा ही बेकरार हैं. लगता हैं आपका कुछ इलाज़ करना पड़ेगा.

कृष्णा- तो करो ना मेरा इलाज़ मैं तो कब से यही चाहता हूँ कि तुम मेरी बीमारी को ठीक करो.

राधिका- अच्छा तो आपको क्या हुआ हैं. अच्छे भले तो लग रहे हैं.
कृष्णा- मुझे हर जगह बस लड़की की चूत और गान्ड दिखाई देती हैं. बस तुम भी अपनी चूत और गान्ड मुझे दे दो समझ लो मेरा बीमारी ठीक हो जाएगी.

राधिका भी अब कृष्णा से पूरी तरह से खुल गयी थी. उसे भी ऐसी बातों में मज़ा आ रहा था. और वो भी अब ओपन वर्ड्स अपने भैया के सामने यूज़ कर रही थी.

राधिका- तो ठीक हैं अगर तुम्हारी बीमारी मेरी चूत और गान्ड पाने से ठीक हो सकता हैं तो मैं तुम्हें ये दोनो दे देती हूँ. अब तुम्हारी मर्ज़ी हैं मेरे इन दोनो छेदों का तुम जैसे चाहे वैसे उपयोग करो.

कृष्णा झट से राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और उसका लब चूम लेता हैं.
कृष्णा- तू सच में बहुत बिंदास है राधिका मैने आज तक तेरे जैसे लड़की नहीं देखी. सच में राहुल बहुत किस्मत वाला हैं.

राधिका- और आप नहीं हो क्या . राधिका धीरे से मुस्कुरा देती हैं.
कृष्णा- सच में तेरी जैसे बहन पाकर तो मेरा भी नसीब खुल गया. और इतना कहकर वो राधिका की गान्ड को कसकर अपने दोनो हाथों से भीच लेता हैं.

कृष्णा- राधिका मेरा लंड को पूरा खड़ा कर ना. फिर मैं तेरी चूत मारूँगा.

राधिका फिर कृष्णा के लंड को मूह में लेकर चूसने लगती हैं और कुछ देर तक ऐसे ही चुस्ती रहती हैं. कृष्णा उसको अपने टिट्स को चाटने का इशारा करता हैं. राधिका फिर नीचे झुक कर उसके दोनो बॉल्स को बारी बारी चुस्ती है और काफ़ी देर तक अपने होंठो पर फिराती हैं.कृष्णा का लंड पूरा तन गया था. वो भी राधिका को अपने नीचे लेटाता हैं और झट से अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखकर हल्का हल्का धक्का लगाना शुरू करता हैं. राधिका अपनी आँखें बन्द किए हुए बस लेटी थी और आने वाले सुख का मज़ा लेने के लिए बेताब थी.

कृष्णा फिर एक हल्का सा धक्का देता हैं और उसका लंड का सुपाडा राधिका की चूत में समा जाता हैं. राधिका के मूह से एक हल्की सी चीख निकल पड़ती हैं. धीरे धीरे कृष्णा अपने लंड पर दबाव बनाते जाता हैं और राधिका की चूत में दर्द शुरू हो जाता हैं. फिर कृष्णा अपना लंड पूरा बाहर निकालता हैं और एक झटके से पूरा अंदर पेल देता हैं. इस बार लंड सरसराता हुआ राधिका की चूत में पूरा समा जाता हैं. राधिका के मूह से तेज़्ज़ चीख निकल जाती है और उसकी चूत से कुछ खून भी बाहर निकलने लगता हैं. शायद राधिका की चूत कृष्णा के बड़े लंड को पहली बार अड्जस्ट कर रही थी. राधिका की आँखों में फिर से आँसू आ जाते हैं और वो दर्द से चिल्ला पड़ती हैं.

राधिका-अया...............अया...... प्लीज़ भैया रुक जाओ. मुझे बहुत दर्द हो रहा हैं. पता नहीं क्यों पर ऐसा लग रहा हैं जैसे आज मैं पहली बार मैं चुदवा रही हूँ.

कृष्णा- शायद राहुल का मेरे जितने बड़ा नहीं होगा इस वजह से तुझे दर्द हो रहा है. और फिर वो राधिका के बूब्स को अपने मूह में लेकर चूसने लगता हैं और राधिका को कुछ देर में थोड़ी राहत महसूस होती हैं. कृष्णा फिर धीरे धीरे अपना लंड आगे पीछे करना शुरू करता हैं. अब राधिका को दर्द की जगह पर मज़ा आना शुरू हो जाता हैं.

जैसे जैसे वक़्त बीतता जाता हैं कृष्णा वैसे वैसे अपनी रफ़्तार बढ़ाता हैं और राधिका की हालत खराब होने लगती हैं. कृष्णा बिना रुके लगभग 35 मिनिट तक लगातार राधिका की चूत मारता हैं इस बीच राधिका 2 बार झाड़ चुकी थी मगर उसके भैया ना जाने किश मिट्टी के बने थे . वजह ये थी जब कृष्णा झरने के करीब होता वो झट से अपना लंड राधिका की चूत से बाहर निकाल लेता और अपने हाथों से राधिका के चूत का पानी को सॉफ करता. इस बीच वो अपनी दो उंगली राधिका के गान्ड में भी डाल चुका था और लंड से उसकी चूत मार रहा था. राधिका सच में कृष्णा के आगे अपने आप को बेबस महसूस कर रही थी. उसे ऐसे लग रहा था कि वो जल्दी ही उसकी हिम्मत जवाब दे देगी.

आख़िर अब वक़्त आ गया जब कृष्णा ने एक तेज़ हुंकार के साथ अपना कम राधिका की चूत में डिसचार्ज कर दिया. और वो राधिका के उपर ही पसर जाता हैं. और राधिका भी फिर से फारिग हो जाती हैं. आज वो करीब 6 बार झर चुकी थी. इतना तो वो कभी अपनी ज़िंदगी में नहीं फारिग हुई थी. दोनो की साँसें पूरी तरह से कंट्रोल के बाहर थी और कमरे में बस दोनो की हाफ़ने की आवाज़ें आ रही थी.

करीब 15 मिनिट के बाद कृष्णा का लंड फिर से तैयार हो जाता हैं और वो किचन में जाकर तेल की शीशी लेकर आता हैं. राधिका जब कृष्णा के हाथ में तेल की सीसी देखती हैं तो उसकी हालत बिगड़ जाती हैं. उसने तो बोल दिया था कि वो अपने भैया से अपनी गान्ड मर्वायेगि मगर इतना मोटा और लंबा लंड को वो अपनी गान्ड में कैसे बर्दास्त कर पाएगी ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था. कृष्णा फिर तेल की शीशी खोलता हैं और थोड़ा सा तेल लेकर राधिका की गान्ड के छेद पर गिरा देता हैं और अपनी दोनो उंगली में अच्छे से तेल लगाकर वो उसकी गान्ड में धीरे धीरे पेलना शुरू कर देता हैं. कुछ देर के बाद वो अपनी दोनो उंगली को राधिका की गान्ड में डालकर अच्छे से आगे पीछे करने लगता हैं. राधिका फिर से गरम होने लगती हैं.

राधिका को समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो गया है. भला वो बार बार कैसे गरम हो रही हैं. कृष्णा फिर तेल की शीशी को अपने लंड पर लगाता हैं और कुछ राधिका की गान्ड में भी डाल देता है. फिर अपना लंड को राधिका की गान्ड पर रखकर धीरे धीरे उसे राधिका की गान्ड में डालने लगता हैं. राधिका के मूह से चीख निकलने लगती हैं मगर वो अपने भैया को रोकने का बिल्कुल प्रयास नहीं करती. जैसे ही कृष्णा का सूपड़ा अंदर जाता हैं राधिका की आँखों से आँसू निकल जाते हैं. उसे इतना दर्द होता है लगता हैं किसी ने उसकी गान्ड में जलता हुआ सरिया डाल दिया हो. वो फिर भी अपने भैया के लिए वो दर्द को बर्दास्त करती हैं और फिर कृष्णा धीरे धीरे अपना लंड अंदर और अंदर पेलना शुरू करता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक उसका लंड राधिका की गान्ड की गहराई में पूरा नहीं उतर जाता. राधिका की हालत बहुत खराब थी. वो दर्द से उबर नहीं पा रही थी. करीब 5 मिनिट तक वो ऐसे ही अपना लंड को राधिका के गान्ड में रहने देता हैं.

फिर धीरे धीरे वो उसकी गान्ड को चोदना शुरू करता है. राधिका के मूह से दर्द और सिसकारी का मिश्रण निकलने लगता हैं और कृष्णा तब तक नहीं रुकता जब तक वो राधिका की गान्ड में अपना कम नहीं निकाल लेता. करीब 30 मिनिट के ज़बरदस्त गान्ड मारने के बाद आख़िरकार राधिका का बदन भी जवाब दे देता हैं और वो भी चिल्लाते हुए ज़ोर ज़ोर से झरने लगती हैं और वही दोनो भाई बेहन वही बिस्तेर पर एक दूसरे की बाहों में समा जाते हैं. और राधिका अपने भैया को अपने सीने से चिपका लेती हैं. कृष्णा भी उसके सीने पर अपना सिर रखकर सो जाता हैं मगर आज राधिका की आँखों में नींद कोसो दूर था.

बस उसकी आँखों से आँसू निकल जाते हैं और वो ना जाने कितनी देर तक ऐसे ही रोती रहती हैं.वजह थी कि वो आज अपने प्यार को भूलने की नाकाम कोशिश कर रही थी. जितना वो राहुल को भूलना चाहती थी उतना ही वो उसे याद आता था. और आज राधिका ने अपने भैया की ख़ुसी के लिए भाई बेहन जैसे पवित्र रिश्ते को भी कलंकित कर दिया था और वो जानती थी कि आज उसने अपनी ज़िंदगी में सबसे बड़ा गुनाह किया था जिसका प्रायश्चित उसे बहुत महँगा पड़ने वाला था...

ऐसे ही सोचते सोचते ना जाने कब राधिका की आँख लग जाती हैं. मगर राधिका ने ये ज़रूर तय कर लिया था चाहे कुछ भी हो जाए अब वो दुबारा से अपने भैया के साथ जिस्मानी संबंध नही बनाएगी. ये सब पाप हैं और वो अब और नीचे नहीं गिर सकती. सुबह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो कृष्णा को बिस्तेर पर ना पाकर उसके दिल में बेचैनी सी बढ़ जाती हैं. वो इस वक़्त भी पूरे नंगे हालत में थी. झट से वो उठती हैं और अलमारी में रखा ट्राउज़र और टी-शर्ट निकाल कर पहन लेती हैं. जब उसकी नज़र बिस्तेर पर पड़ती हैं तो बिस्तेर पर खून देखकर वो थोड़ी सहम जाती हैं.

ये खून कल रात उसकी चूत और गान्ड की चुदाई के दौरान निकाला था. वो झट से चादर हटा ती हैं और सीधा बाथरूम में जाकर उसे धोने के लिए डाल देती हैं. उसकी चाल में भी लड़खड़ाहट थी शायद गान्ड के दर्द से. फिर थोड़ी देर में वो फ्रेश होकर अपने कमरे में आती हैं. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी हाथ में एक ट्रे और कुछ स्नॅक्स ले आता हैं...

कृष्णा- गुड मॉर्निंग राधिका. कैसी हैं तू.

राधिका- गुड मॉर्निंग भैया. ठीक हूँ पर थोड़ा दर्द हो रहा हैं. और आप सुबेह सुबेह ये सब क्या कर रहे हैं और नाश्ता किसके लिए??

कृष्णा- सोचा जब तक तू सो रही हैं आज मैं अपनी बेहन को अपने हाथों का नाश्ता बनाकर करा देता हूँ.

राधिका- आपने ये क्यों तकलीफ़ की. मैं बना देती.

फिर कृष्णा अपने हाथों से राधिका को स्नॅक्स खिलाता हैं और वो बड़े गौर से राधिका के चेहरे को देखने लगता हैं.

राधिका- ऐसे क्या देख रहे हो भैया. पहले मुझे कभी नहीं देखा क्या.

कृष्णा- आज तेरे चेहरे पर एक अलग सा निखार आ गया हैं जिससे तेरी खूबसूरती और बढ़ गयी हैं. सच में चुदाई के बाद औरत का रूप रंग और निखर जाता हैं.

कृष्णा की बातों से राधिका शर्मा जाती हैं और कुछ सोचकर कृष्णा को बोलती हैं.

राधिका- भैया अब मैं आपके साथ जिस्मानी संबंध नही बना सकती. मेरी आत्मा इस बात की गवाही नही देती. ये सब ग़लत हैं भैया. कल जो मैने किया वो सब आपकी खुशी के लिए किया. अब मुझसे ये पाप नही होगा. राधिका के बोलते बोलते उसकी आवाज़ में कुछ भारी पन आ जाता हैं.

कृष्णा- इतना सब कुछ होने के बाद अब हमारे बीच कुछ बचा हैं क्या राधिका. अब तो तू जब चाहे मेरे साथ सेक्स कर सकती हैं. अब तो तेरे मेरे बीच में अब कोई परदा भी नही हैं. ऐसा मत बोल मेरा दिल टूट जाएगा.

राधिका- नहीं भैया ये ग़लत हैं. मुझे आप माफ़ कर दीजिए मैं अब ये सब नहीं कर सकती. इतना बोलकर राधिका किचन में चली जाती हैं. कृष्णा भी उसके पीछे पीछे किचन में आ जाता हैं.

कृष्णा अच्छे से जानता था कि राधिका इस वक़्त प्रायश्चित की आग में जल रही हैं.और उससे ये सब बारे में बात करने से कोई फ़ायदा नहीं हैं. वो भी राधिका के पीछे सॅट कर खड़ा हो जाता हैं और अपना जीभ राधिका की गर्देन पर रख देता हैं. फिर उसी अंदाज़ में वो एक दम धीरे धीरे फिराने लगता हैं. राधिका एक दम से सहर जाती हैं पर कोई विरोध नही करती. कृष्णा फिर पीछे से अपना दोनो हाथ राधिका के दोनो बूब्स पर रखकर उसे कस कर मसल्ने लगता हैं. राधिका की साँसें एक दम तेज़ हो जाती हैं.

राधिका कुछ विरोध करती उसके पहले ही कृष्णा अपने होंठ राधिका के होंठो पर रखकर उसे चूसने लगता हैं. राधिका बस एक बुत की तरह कृष्णा की हरकतों को चुप चाप देखते रहती हैं. धीरे धीरे कृष्णा भी उसके निपल्स को अपनी उंगल से मसलना शुरू कर देता हैं और राधिका सब कुछ भूल कर अपने आप को कृष्णा के हवाले कर देती हैं. फिर वो अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसके ट्राउज़र्स का नाडा खोल देता हैं. ट्राउज़र झट से नीचे उसके पैरों में गिर पड़ता हैं. अब राधिका कमर से नीचे पूरी नंगी थी. वो पैंटी नहीं पहनी हुई थी.

कृष्णा अपनी दोनो मोटी उंगली राधिका की चूत के पास ले जाता हैं और उसे धीरे धीरे अपनी दोनो उंगलियो को राधिका की चूत में डालकर उसे उंगली से चोदना शुरू कर देता हैं. राधिका भी जवाब में अपनी दोनो टाँगें फैला देती हैं जिससे कृष्णा को उंगली अंदर बाहर करने में आसानी हो जाती हैं. राधिका की सिसकारी फिर से तेज़ हो जाती हैं.कृष्णा उसी रफ़्तार से अपनी उंगली चलाता हैं और दूसरे हाथों से उसके निपल्स को मसलता हैं और अपने होंठ भी राधिका के होंठो पर रखकर फिर से चूसने लगता हैं.

आख़िरकार राधिका का भी सब्र टूट जाता हैं और वो तेज़्ज़ सिसकारी के साथ झरने लगती हैं. जिससे कृष्णा की उंगली पूरी तरह से भीग जाती हैं. मगर कृष्णा अब भी नहीं रुकता और उसी रफ़्तार से अपनी उंगली का कमाल दिखाता हैं.

राधिका- बस...............करो.......ना .........भैया...........क्यों................मुझे......पागल ............करने .......पर ....तुले ...हो.

कृष्णा भी झट से अपनी उंगली निकाल देता हैं और राधिका कृष्णा की ओर मूड कर तुरंत कृष्णा के सीने से लिपट जाती हैं.राधिका की साँसें बहुत ज़ोर से चल रही थी. वो अपने साँसों को संभालने की कोशिश कर रही थी. थोड़ी देर के बाद कृष्णा बाथरूम में चला जाता हैं और राधिका अपना ट्राउज़र उपर करके पहन लेती हैं.

जो बात अभी कुछ देर पहले वो दावे से कह रही थी शायद कृष्णा ने उसका जवाब दे दिया था. राधिका का मज़बूत इरादा भी अब अपने जिस्म की आग के सामने बिल्कुल फीका पड़ने लगा था. वो इसी ख्यालों में थी तभी उसके घर की बेल बजती हैं. कृष्णा जाकर दरवाज़ा खोलता हैं. सामने उसका बाप बिरजू था.

कृष्णा भी चुप चाप नाश्ता करता हैं और झट से काम पर निकल जाता हैं और राधिका भी अपने बाप से नज़रें नहीं मिला पाती हैं. शायद कल की वजह से उसको ऐसा लग रहा था कि वो अपने बाप की नज़रों में भी गिर गयी हैं. वो भी चुप चाप जाकर अपनी किताबें लेकर पढ़ने बैठ जाती हैं. करीब 11 बजे बिरजू भी खाना खा कर घर से बाहर निकल जाता हैं.

बिरजू के जाते ही राधिका को थोड़ा राहत महसूस होती हैं. पता नहीं क्यों पर उसे आज सब कुछ ऐसा लग रहा था कि वो गुनेहगार हैं इस वजह से वो अपने आप को इन सब चीज़ों में दोषिन मान रही थी. हो ना हो राधिका के जीवन में अभी तूफान कहाँ थमा था. अभी तो कुछ ऐसा होने वाला था जो उसकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदलने वाली थी और उससे जुड़े ना जाने कितनो की और ज़िंदगियाँ पर भी इसका असर होने वाला था. बस इंतेज़ार था उस समय का...
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#32
Update 25



करीब 12 बजे उसके घर का डोर बेल बजता हैं. राधिका जाकर दरवाज़ा खोलती हैं. सामने मोनिका थी. मोनिका को ऐसे सामने देखकर राधिका लगभग चौंक जाती हैं.

राधिका- आप यहाँ पर कैसे ?? आपको मेरा घर का अड्रेस किसने बताया??

मोनिका- अंदर आने को नहीं कहोगी. मोनिका मुस्कुराते हुए बोली.

राधिका- यस प्लीज़ कम इनसाइड. और मोनिका अंदर आकर सोफे पर बैठ जाती हैं. फिर वो पूरे घर पर एक नज़र डालती हैं. फिर बोलती हैं.

मोनिका- दर-असल मैं आज बिल्कुल फ्री हूँ तो सोचा क्यों ना तुमसे मिल लिया जाए. इसी मेरा थोड़ा दिल भी बहल जाएगा और शायद तुमको भी अच्छा लगे. तो मैं तुम्हारा नाम पूछते पूछते लोगों से सीधा यहाँ पर आ गयी.

राधिका- थॅंक्स तान्या जी. मुझे आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई.

मोनिका अपने साथ एक गिफ्ट पॅक लाई थी. वो राधिका को थमाते हुए बोली- ये रख लो राधिका ये तुम्हारे लिए हैं. सोचा पहली बार तुम्हारे घर आई हूँ तो खाली हाथ जाना ठीक नहीं लगेगा. इसलिए ये छोटा सा तोहफा मेरी ओर से. राधिका मुस्कुरा कर वो तोहफा वही टेबल पर रख देती हैं और अंदर जाकर चाइ बनाने लगती हैं.

थोड़ी देर के बाद वो चाइ और कुछ स्नॅक्स लेकर मोनिका के पास आती हैं और फिर दोनो में बहुत देर तक इधेर उधेर की बातें होती हैं. अंत में वो मोनिका को अपना पूरा कमरा दिखाती हैं और अपने साथ लाया हुआ तोहफा भी राधिका को खोलने को कहती हैं. राधिका जब वो तोहफा खोलती हैं तो उसमें एक बेबीडॉल था. वो उसे देखकर बहुत खुश होती हैं और वो अपने बेडरूम में उसे सज़ा कर रख देती हैं. करीब 2 बजे मोनिका भी अपना प्लान को अंजाम देकर मुस्कुराते हुए वहाँ से निकल जाती हैं.

थोड़ी देर के बाद राहुल का फोन आता हैं. आज वो एसीपी बनने वाला था इसलिए वो राधिका को बुलाने के लिए उसने फोन किया था.

राहुल- हां तो जान याद हैं ना आज शाम 4 बजे पोलीस थाने में तुम्हें आना हैं. आज मैं सब-इनस्पेक्टर से एसीपी बनने वाला हूँ.

राधिका- नहीं राहुल मैं नहीं आ सकती. प्लीज़ आइ आम सॉरी. मेरे सिर में बहुत दर्द हैं.

राहुल- नहीं जान ऐसा मत बोलो. मेरा दिल टूट जाएगा. अगर तुम कहो तो मैं ख़ान को भेज देता हूँ तुम्हें लेने. फिर मैं तुम्हें हॉस्पिटल ले चलूँगा.

राधिका- नहीं राहुल मैं नहीं आ सकती. प्लीज़ ट्राइ टू अंडरस्टॅंड. मुझे बेहद खुशी हैं राहुल लेकिन मैने तुम्हें आज तक किसी भी बात के लिए मना थोड़ी ही ना किया हैं. और वैसे भी निशा तो आ ही रही हैं ना. और वो भी तो तुम्हारी दोस्त हैं.

राहुल- निशा में और तुममें बहुत फरक हैं राधिका. निशा बस मेरी दोस्त हैं. पर तुम मेरी जान हो. और अगर तुम नहीं आओगी तो ............ राहुल मायूस होकर बोला.

राधिका- प्लीज़ आइ आम सॉरी राहुल मेरा दिल दुखाने का इरादा बिल्कुल भी नहीं था. चलो कल मुझे अपने प्रमोशन की पार्टी दे देना. मैं कल पक्का आ जाउन्गि.

राहुल- ठीक हैं जान अपना ख्याल रखना. लव यू टू और इतना कहकर राहुल फोन रख देता हैं.

राधिका की आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं. वो लाख कोशिशों के बावजूद अपने राहुल को भुला नहीं पा रही थी. फिर वो उठती हैं और अपने भैया के कमरे में जाकर शराब की बॉटल निकाल कर पीने लगती हैं. और साथ में सिग्रेट भी लेती हैं. शायद उसे यही तरीका ठीक लग रहा था राहुल को भूलने का. मगर प्यार एक ऐसी लत हैं तो छूटे नहीं छूटती. वो भी ऐसी ही गुम्सुम सी नशे की हालत में बेड पर पड़ी रहती हैं.

............................................

पोलीस स्टेशन में.

वहाँ पर करीब करीब सब लोग पहुँच चुके थे. डीएम, एसडीएम, और साथ साथ बिहारी ,विजय भी वहाँ पर मौजूद थे. और भी बड़ी बड़ी हस्ती वहाँ पर आई हुई थी. निशा भी टॉप और जीन्स में कयामत लग रही थी. मगर उसे कहीं भी राधिका नज़र नहीं आ रही थी. वो बहुत देर तक इधेर उधेर राधिका को ढूँढती रही मगर राधिका उसे कहीं दिखाई नहीं दी. फिर वो राहुल के पास जाकर उसे मुबारकबाद देती हैं और राधिका के बारे में पूछती हैं. राहुल उसे फोन वाली सारी बात बता देता हैं.

निशा का माथा घूम जाता हैं. वो समझ जाती हैं कि बात कुछ और हैं. फिर कार्यक्रम शुरू हो जाता हैं और करीब 7 बजे तक चलता हैं. राहुल का शपथ ग्रहण होता हैं और फिर एसीपी की पदवी उसे दी जाती हैं और साथ में वीरता और ईमानदारी का मेडल भी मिलता हैं. राहुल तो आज राधिका के वहाँ नहीं जा सकता था क्यों कि आज रात में डिन्नर का भी प्रोग्राम था. वो सीधा निशा के पास आता हैं और आकर उससे कहता हैं.

राहुल- निशा थॅंक्स जो तुम यहाँ पर आई. मगर राधिका नहीं आई इसका मुझे दुख हैं. तुम एक काम करो अगर थोड़ा फ्री हो तो जाते वक़्त राधिका के घर चली जाना उसका तबीयात में अगर सुधार नही हुआ होगा तो मैं ख़ान को बोलकर राधिका को हॉस्पिटल भेजवा दूँगा. जैसे हो मुझे फोन करके बताना.

निशा- ठीक हैं राहुल मैं ज़रूर जाउन्गि.

और इतना कहकर निशा वहाँ से निकल पड़ती हैं. आज निशा के मन में हज़ार सवाल उठ रहे थे. उसका दिल बार बार इस बात को नहीं मान रहा था कि राधिका ने ऐसा क्यों किया. वो तो राहुल से बे-इंतेहाः प्यार करती हैं. उसे तो सबसे ज़्यादा खुश होना चाहिए. मगर क्या वजह हैं जो वो यहाँ पर नहीं आई. क्या हैं इसके पीछे

निशा ऑटो करके थोड़ी देर में राधिका के घर पहुँच जाती हैं. शाम के करीब 7:30 बज रहे थे. वो डोरबेल बजती हैं. राधिका अभी भी नशे की हालत में बे-सुध बिस्तेर पर पड़ी हुई थी. जब 3 बार निशा बेल बजाती हैं तब जाकर राधिका को होश आता हैं. और वो उठती हैं और अपना मूह धोकर दरवाजा खोलने चली जाती हैं. नशे की हालत में उसके पाँव डगमगा रहे थे.

जैसे ही वो दरवाजा खोलती हैं सामने निशा को देखकर राधिका चौंक जाती हैं.

राधिका- निशा.....त....तुम.???

निशा जब राधिका की हालत देखती हैं तो उसके पाँव तले ज़मीन खिसक जाती हैं.

निशा- ये तुमने अपनी क्या हालत बना रखी हैं राधिका. और तुमने तो शराब पी रखी हैं. ओह माइ गॉड. आइ कॅन'ट बिलीव. और इतना कहकर निशा राधिका को सहारा देकर उसे उसके बेडरूम में ले आती हैं.

राधिका- बता ना निशा कैसे आना हुआ. राहुल की पार्टी ठीक रही ना. अरे आने से पहले कम से कम एक फोन तो कर दिया होता.

निशा का गुस्सा सातवे आसमान पर था उसे बिल्कुल बर्दास्त नहीं होता और वो कसकर एक जोरदार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देती हैं. राधिका के आँख से आँसू छलक पड़ते हैं. राधिका अपने गाल पर हाथ रखकर अपना सिर नीचे झुका लेती हैं.

निशा- और कितना नीचे गिरगी तू राधिका. बदल तो तुम बहुत पहले ही चुकी हो. मगर इतना बदल जाओगी मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. कल तक जो राधिका अच्छे बुरे में फ़र्क समझती थी आज तुमने उस राधिका को मार डाला हैं. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि राहुल के इतना बुलाने पर भी तुमने वहाँ जाना ज़रूरी क्यों नही समझा. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि तुमने शराब को हाथ क्यों लगाया. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आख़िर तुम अपने आप को किस बात की सज़ा दे रही हो. मुझे इसका जवाब चाहिए.

राधिका चुप चाप गम्सम सी रहती हैं मगर कोई जवाब नही देती. तभी राहुल का फोन आता हैं. निशा फोन रेसीव करती हैं.

राहुल- कैसी हैं मेरी राधिका. अगर तुम उसके पास हो तो मुझे उससे बात करवाओ.

निशा एक नज़र राधिका को देखती हैं फिर बोलती हैं- राहुल मैं इस वक़्त राधिका के पास ही हूँ. वो बिल्कुल ठीक हैं. घबराने की कोई बात नहीं है. अभी दवाई ली हैं और आब वो सो रही हैं. तुम्हारे पार्टी का क्या हुआ.??

राहुल- ठीक हैं निशा वेरी वेरी थॅंक्स तुमने मेरी टेन्षन ख़तम कर दी. चलो मैं कल राधिका से मिल लूँगा. और अभी गेस्ट्स आए हुए हैं. पार्टी देर रात तक चलेगी. तुम भी अपने घर चली जाना. इतना कहकर राहुल फोन रख देता हैं.

फिर निशा एक कॉल अपने घर पर करती हैं और अपने मम्मी को बता देती हैं कि वो आज रात घर नहीं आएगी. वो आज राधिका के पास रुकेगी उसकी तबीयत खराब हैं. उसकी मम्मी भी उसको पर्मिशन दे देती हैं और निशा फोन रख देती हैं.

राधिका एक नज़र निशा को देखती हैं फिर अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.

राधिका- तुमने झूट क्यों बोला राहुल से. राधिका सवालियों नज़र से निशा की ओर देखते हुए बोली.

निशा- तो ये बता देती कि तुम इस वक़्त शराब के नशे में हो. और तुमने शराब पी रखी हैं. अगर ये बात राहुल को पता लगती तो जानती हो उसके दिल पर क्या बितति. मुझे समझ नही आ रहा तुम ऐसा क्यों कर रही हो.

थोड़ी देर तक राधिका खामोश रहती हैं तो निशा भी बाथरूम में चली जाती हैं तभी कृष्णा भी घर आ जाता हैं. मेन डोर खुला हुआ था इस लिए वो सीधा घर के अंदर आता हैं और राधिका के पास जाकर उसके बाजू में बैठ जाता हैं. फिर वो राधिका के कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे बड़े प्यार से देखता हैं. कृष्णा ये बात नहीं जानता था कि इस वक़्त निशा भी उसके घर में मौजूद हैं.

कृष्णा- आज भी तुमने शराब पी रखी हैं. राधिका क्या मैं तेरी शराब पीने की वजह जान सकता हूँ.

राधिका मंन हो मंन माना रही थी कि उसके भैया कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे जिससे निशा को पता चल जाए. वो जैसे ही निशा के बारे में कुछ बोलने के लिए अपना मूह खोलती हैं वैसे ही कृष्णा अपने होंठ राधिका के होंठो पर रख देता हैं. ये राधिका की बदक़िस्मती ही थी कि कृष्णा अपना होंठ राधिका के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगता हैं तभी निशा भी कमरे में आ जाती हैं. निशा के कदमों की आहट सुनकर कृष्णा चौक कर राधिका से दूर हट जाता हैं मगर निशा सब कुछ अपनी आँखों से देख चुकी थी. कृष्णा निशा को अपने आँखों के सामने देखकर वो झट से घर के बाहर निकल जाता हैं.

मगर राधिका के दिल में निशा के प्रति दोस्ती का डर बैठ जाता हैं. वो अब जानती थी कि आब निशा उसपर बरस पड़ेगी. जो वो बात छुपाना चाहती थी अब वो निशा के सामने खुल चुकी थी.

निशा- तो ये वजह हैं. मैं भी कितनी बेवकूफ़ हूँ इतना भी नही समझ सकी कि तू ये सब अपने भैया के लिए ही तो कर रही हैं. मैं ठीक कह रही हूँ ना.

राधिका- मुझे माफ़ कर दे निशा. सारा कसूर मेरा हैं. इसमें मेरे भैया का कोई दोष नहीं. मैं ही बहक गयी थी.

निशा- शरम आती हैं राधिका मुझे तुझ पर. जिस भाई बेहन के रिशे को लोग पूजते हैं. उसको पवित्रता की मिसाल देते हैं. तूने उन्ही रिश्तों की धज्जियाँ उड़ा दी और तो और तुमने उन पवित्र रिश्तों को कलंकित भी कर दिया. समझ में नही आता कि मैं तुझसे क्या कहु. और इतना कहते कहते निशा के आँखों से आँसू आ जाते हैं......

राधिका फिर आगे बढ़कर निशा के बहते आँसू को पोछती हैं- हाथ मत लगा मुझे अब मेरा तेरे से कोई वास्ता नहीं. मैं जा रही हूँ हमेशा हमेशा के लिए तेरी ज़िंदगी से दूर. ये समझ लेना कि निशा कभी तेरी ज़िंदगी में आई ही नही थी. मैं अब तेरे लिए मर चुकी हूँ और तू अब मेरे लिए. हां और एक बात अच्छा होगा कि तू राहुल को सब कुछ सच सच बता देना शायद वो तेरी नादानी को माफ़ कर दे. इतना बोलकर निशा कमरे से निकलने लगती हैं.

राधिका- रुक जा निशा. भगवान के लिए मत जा मुझे ऐसे छोड़ कर. मेरी ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा मत दे मुझे . इससे अच्छा तो तू मुझे कहीं से ज़हर लाकर दे दे. मैं तो खुद जीना नहीं चाहती. अगर तू एक भी कदम आगे बढ़ाई तो मैं सच में अपनी जान दे दूँगी. राधिका वही रखा ब्लेड उठा लेती हैं और जैसे ही वो अपने हाथों की नस पर रखती हैं निशा का एक और ज़ोर का थप्पड़ उसकी गालों पर पड़ता हैं और ब्लेड उसकी हाथों से छूट कर नीचे गिर जाता हैं.

निशा ज़ोर से चिल्लाते हुए- तू क्या समझती हैं कि तुझे ही सिर्फ़ जान देना आता हैं. ये काम मैं भी कर सकती हूँ मगर मरने से किसी भी प्राब्लम का सल्यूशन नहीं निकलता.

इस वक़्त दोनो की आँखों में आँसू थे. निशा आगे बढ़कर राधिका को अपने सीने से लगा लेती हैं और एक हाथ बढ़कार उसकी आँखों से बहते आँसू पोछ देती हैं.

निशा- ठीक हैं मैं कहीं नही जाउन्गि मगर तुझे फिर से पहले वाली राधिका बनना होगा. बोल तू मेरे लिए इतना कर सकती हैं.

राधिका भी निशा के सीने लग जाती हैं और फुट फुट कर रोने लगती हैं.......

दोनो की आँखें नम थी. ना राधिका कुछ बोल पा रही थी और ना ही निशा. थोड़ी देर तक वो दोनो ऐसे ही गुम्सुम रहते हैं. फिर राधिका उठकर किचन की ओर जाने लगती हैं. राधिका को ऐसे जाते देखकर निशा बोलती हैं

निशा- कहाँ जा रहीं हैं राधिका.

राधिका- आज क्या भूका रहने का इरादा हैं. मैं तेरे लिए खाना बनाने जा रही हूँ.

निशा- तू ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रही हैं और तू मेरे लिए खाना बनाएगी. चल तू आराम कर मैं आज बना देती हूँ.

फिर निशा राधिका को बिस्तेर पर सुला देती हैं और जाकर किचन में खाना बनाने लगती हैं. थोड़े देर में कृष्णा भी आ जाता हैं. वो चुप चाप अपने कमरे में बैठा रहता हैं. उसकी हिम्मत नहीं होती की वो निशा का सामना भी करे. थोड़ी देर में निशा खाना रेडी करके कृष्णा को खाना खाने के लिए बोलती हैं. वो भी चुप चाप खाना खाने बैठ जाता हैं. वही निशा भी आकर बैठ जाती हैं.

निशा को सामने बैठा देखकर कृष्णा की दिल की धड़कन बढ़ जाती हैं और वो चुप चाप अपनी गर्देन झुका कर खाना खाने लगता हैं.

निशा- भैया आपसे एक बात कहनी थी मुझे. अगर आप बुरा ना मानो तो.....................

कृष्णा निशा की तरफ़ सवालियों नज़र से देखने लगता हैं फिर हां में इशारा करता हैं.

निशा- राधिका ने शराब पीना कब से शुरू किया. और इन सब के पीछे उसकी क्या मजबूरी हैं. वो क्यों ऐसा कर रही हैं. और मैं जानती हूँ कि राधिका ने आपसे जिस्मानी संभंध भी कायम कर लिया हैं . क्या हैं इसके पीछे वजह जो वो अपने भाई के साथ.......मुझे सारे सवालों का जवाब चाहिए. अभी इसी वक़्त. निशा कृष्णा की आँखों में देखकर बोली.

कृष्णा कुछ पल खामोश रहता हैं मगर वो भी अब जान चुका था कि निशा से अब कोई भी बात छुपाने से फ़ायदा नहीं हैं.

कृष्णा- बात कुछ दिन पहले की हैं एक दिन राधिका के पास एक अननोन नंबर से कॉल आया. और कृष्णा धीरे धीरे निशा को वो सारी बातें बता देता हैं जब वो एक रंडी के साथ राधिका द्वारा रंगे हाथों पकड़ा गया था. जो कुछ भी बातें थी वो सब कृष्णा निशा के सामने एक एक कर खुली किताब की तरह रख देता हैं. निशा भी कुछ देर यूँ ही खामोश रहती हैं .

निशा- आपने ये ठीक नहीं किया. दुनिया की कोई भी औरत ये कभी बर्दास्त नही कर सकती कि उसका भाई या पिता किसी रंडी के साथ ऐसी अवस्था में मिले.शायद यही वजह हैं कि राधिका को गहरा धक्का लगा. आपने तो ना सिर्फ़ उसके विश्वास को तोड़ा हैं बल्कि उसकी आत्मसामान को भी ठेस पहुँचाई हैं. वो इसी सदमे की वजह से उसने शराब को अपनाया हैं. आज राधिका की हालत के ज़िम्मेदार आप हैं. मगर राधिका ने इतना सब कुछ होने की वजह से भी आपके साथ जिस्मानी रिस्ता क्यों कायम किया. क्या आपको इसकी वजह मालूम हैं.

कृष्णा- नहीं मैने भी कई बार उससे पूछने की कोशिश की मगर उसने मुझे कुछ नहीं बताया.

निशा के सामने हज़ारों सवाल खड़े हो गये थे. कौन थी वो औरत जिसने राधिका के पास फोन करके उसे अपने ही भैया की करतूत को उसके सामने दिखाया. इसका मतलब वो जो कोई भी हैं वो हर पल राधिका पर नज़र लगाए बैठी हुई हैं. आख़िर उसे ये सब करने से क्या हासिल होगा. कहीं ये कोई साजिश तो नही रची जा रही राधिका के खिलाफ. हे भागवान ये सब करने के पीछे पता नहीं कहीं किसी की कोई गहरी चाल तो नहीं. ये भी तो हो सकता हैं कि वो औरत सिफ्र मोहरा हो और उसके पीछे कोई और हो.

निशा का अंदाज़ा काफ़ी हद तक सही था मगर सिर्फ़ अंदाज़ लगाने से किसी भी प्राब्लम की जड़ तक नहीं पहुँचा जाता. थोड़ी देर में निशा भी खाना खा लेती हैं और राधिका को भी खाना देती हैं. राधिका खाना खाकर तुरंत सो जाती हैं. नशे की वजह से उसे कुछ भी होश नहीं रहता . निशा भी राधिका की बगल में लेट जाती हैं और बहुत देर तक वो इन सब सवालों के जवाब ढूँडने में लगी रहती हैं. मगर उसे कुछ समझ नहीं आता. फिर थोड़ी देर के बाद वो भी सो जाती हैं.

सुबेह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो निशा भी उसके बाजू में सोई रहती हैं. वो झट से उठती हैं और जाकर फ्रेश होती हैं. थोड़े देर में निशा भी उठ जाती हैं. थोड़ी देर में वो नाश्ता करती हैं और फिर निशा अपने घर के लिए निकल पड़ती हैं. कृष्णा भी एक कमरे में चुप चाप बैठा रहता हैं और कुछ सोचता रहता हैं. कृष्णा को ऐसे गहरे विचारों में खोया देखकर राधिका उसके पास जाती हैं और जाकर उसके लिप्स को चूम लेती हैं.

राधिका- गुड मॉर्निंग भैया. क्या बात हैं आज आप बड़े गुम्सुम से लग रहे हैं. निशा ने कहीं आपसे कुछ कहा तो नहीं.

कृष्णा- नहीं राधिका ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस ऐसे ही.

राधिका- तो क्या मैं जान सकती हूँ कि आपके चेहरे पर उदासी की वजह. आपको इतना सीरीयस मैने कभी नहीं देखा.

कृष्णा- राधिका मुझे लगता हैं अब जो हमारे बीच हो रहा हैं वो ठीक नही हैं.शायद हम अपनी हद भूल गये हैं.

राधिका- आपको क्यों ऐसा लगने लगा. आब सब कुछ करने के बाद पछताना कैसा. जो हो रहा हैं वो होने दो. अब मुझे किसी भी चीज़ से कोई ऐतराज़ नहीं हैं. आपकी खुशी में मेरी खुशी हैं. और मैं तो यही चाहती हूँ कि मेरे भैया जैसे रहे वो खुश रहें.

कृष्णा- मुझे लगता हैं कि तू मुझसे कुछ छुपा रही हैं. राधिका तुझे मेरी कसम सच सच बता क्या मेरे से जिस्मानी रिस्ता बनाने के पीछे तेरी कौन सी वजह हैं. मैं सच जानना चाहता हूँ.

राधिका थोड़े देर चुप रहती हैं - मैं आपको फिलहाल अभी नहीं बता सकती मगर यकीन मानिए भैया वक़्त आने पर आपको पता चल जाएगा. इतना बोलकर राधिका किचन में चली जाती हैं...
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#33
Update 26


थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी अपने काम पर चला जाता हैं. राधिका बहुत देर तक इसी सोच में रहती हैं कि आज जो भी हो वो अपना नाजायाज़ रिश्ता (अपने भैया के साथ) को अब राहुल को बता देगी. चाहे अंजाम जो भी हो. तभी राहुल का फोन आता हैं.

राहुल- मैं आभी तुम्हारे घर पर तुम्हें लेने आ रहा हूँ. तैयार रहना. बस इतना बोलकर राहुल फोन रख देता हैं और राधिका चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाती. वो तो राहुल से दूरी बनाना चाहती थी मगर इश्क़ के रोग का कोई इलाज़ नहीं. एक तरफ राधिका राहुल से दूरी बनाना चाहती थी वही दूसरी तरफ हर पल उसे राहुल का इंतेज़ार रहता था.

थोड़ी देर में राहुल भी आ जाता हैं और राधिका भी फ्रेश होकर तैयार रहती हैं. अंदर आते ही राहुल राधिका को अपनी गोद में उठा लेता हैं और अपना लिप्स राधिका के लिप्स पर रख कर उसे बड़े प्यार से चूसने लगता हैं. जवाब में राधिका भी अपनी आँखें बंद कर के राहुल का पूरा साथ देती हैं.

राधिका- ओ.ह ....मिस्टर. आशिक़ अब तो मुझे नीचे उतारो. या यूँही ही मुझे अपनी गोद में उठाए रहोगे.

राहुल- यार तुम तो पहले से भारी हो गयी हो. पिछली बार उठाया था तो तुम्हारा वजन कम था. बोलो ना क्या खाती हो. मैं भी अपना वजन बढ़ाउंगा. साला पोलीस की नौकरी जब से जाय्न की हैं सब चीज़ तो बढ़ गया मगर वजन घट गया. राहुल मुस्कुराते हुए बोला.

राधिका- हरी सब्ज़ी खाया करो और साथ में दूध पिया करो. देख लेना कुछ दिन में तुम्हारा वजन भी बढ़ जाएगा और ताक़त भी.

राहुल- हरी सब्ज़ियाँ तो मैं खा लूँगा पर दूध का इंतज़ाम कहाँ से करूँगा. मैं तो शुद्ध दूध पीता हूँ.

राधिका- अरे इस सहर में कितने सारे डेरी फार्म हैं. वहाँ से किसी के यहाँ से मंगवा लेना.

राहुल- मैं उस दूध की बात थोड़ी ना कर रहा हूँ. मैं तो तुम्हारे दूध की बात कर रहा हूँ. अपना दूध मुझे डेली पिलाया करो. देख लेना मैं एकदम हेल्ती हो जाउन्गा. राहुल मुस्कुरा कर बोला.

राधिका शरम से अपनी नज़रें झुका लेती हैं और उसका चेहरा शरम से लाल हो जाता है.

राधिका- सच में राहुल तुम बहुत बे-शरम हो गये हो. तुम्हें तो हर वक़्त ये सब बातें ही सुझति रहती हैं.

राहुल- अरे भाई बीवी से शरमाउंगा तो कैसे काम चलेगा. आदमी शादी इसलिए ही तो करता हैं कि वो जल्द से जल्द बे-शरम बने. नहीं तो ज़िंदगी भर अपने आप को नंगा देखने में भी शरमाएगा. और शादी के बाद तो आदत सी हो जाती हैं बिना कपड़ों के रहने की. सच कहा ना.

राधिका- तुम नहीं सुधरोगे. वैसे आज क्या प्लान हैं.

राहुल- तुम्हारी तबीयात तो अब ठीक हैं ना. फिर चलो आज तुम्हें एक जगह ले चलता हूँ. और राहुल राधिका को अपने कार में बैठा कर निकल जाता हैं. थोड़ी देर के बाद राहुल एक जगह अपनी कार पार्क करता हैं. राधिका की नज़र सामने बने होटेल पर पड़ती हैं तो वो अस्चर्य से राहुल की ओर देखने लगती हैं. होटेल ले-कपरिकूस. ये वही होटेल था जब राधिका प्रशांत को सबक सिखाने के लिए उसे यहाँ पर लाई थी. मगर राहुल उसे इतने महँगे होटेल में ले जाएगा उसने कभी सोचा नहीं था.

राहुल- तुम यहाँ पहले भी आ चुकी हो. आओ आज मेरे साथ चलकर इस आलीशान होटेल में खाना खाते हैं. राधिका राहुल के साथ होटेल में एंटर होती हैं और वही पुराना वेटर उसे वहाँ पर दिखाई देता हैं. वेटर एक नज़र राधिका को देखता हैं फिर राहुल को बड़े गौर से देखने लगता हैं. राहुल और राधिका जाकर एक सीट पर बैठ जाते हैं. थोड़े देर में वही वेटर राधिका के पास आता हैं और उसके कान के पास धीरे से बोलता हैं-- क्या मेडम आज भी आप इस बकरे को फँसा कर लाई हैं. क्या इसकी भी ऐसी ही सेवा करनी हैं जैसे की पिछली बार की थी.

राधिका- आप जो समझ रहे हैं वैसा कुछ नहीं हैं. और वैसे भी ये एसीपी हैं. और ये मेरे होने वाले पति हैं. राधिका मुस्कुराते हुए बोली.

इतना सुनकर वेटर वहाँ से चला जाता हैं और दूसरा वेटर आकर ऑर्डर लेता हैं. राहुल मेमो राधिका को थमा देता हैं.

राहुल- जो दिल में आए वो ऑर्डर करो. आज मैं तुम्हारी पसंद का खाना खाउन्गा.

राधिका- सोच लो राहुल कहीं पिछली बार वाले लड़के की तरह तुम्हें भी महँगा ना पड़ जाए.

राहुल- अरे लोग तो प्यार में जान तक दे देते हैं. मैं तुम्हारे लिए बर्तन भी नहीं सॉफ कर सकता.

राधिका राहुल के जवाब से झेप जाती हैं और चुप चाप मेनू को देखने लगती हैं. फिर थोड़ी देर में वेटर आता हैं और ऑर्डर ले जाता हैं.

राहुल- मैं तुमसे एक बहुत ज़रूरी बात करना चाहता हूँ.

राधिका एक नज़र राहुल को देखते हुए- क्या बात हैं राहुल???

राहुल- हम अगले महीने शादी कर रहे हैं. मैने पंडितजी से मुहूरत भी निकलवा लिया हैं. 21 जून को पंडित जी ने डेट फिक्स किया हैं. और तुम्हारी मेरी कुंडली भी मिल गयी हैं. बस शादी के कार्ड्स एक दो दिन में मिल जाएँगे.

राधिका- राहुल इतनी जल्दी क्या है शादी की. मुझे थोड़ा और वक़्त चाहिए. मैं अभी इन सब चीज़ों के लिए तैयार नहीं हूँ.

राधिका के मूह से ऐसा जवाब सुनकेर राहुल हैरत से राधिका को देखने लगता हैं- क्या जान तुम खुश नही हो. मैं तो समझा था कि तुम ये खबर सुनकर खुशी से फूली नहीं समाओगी. आख़िर किस बात के लिए तुम तैयार नहीं हो. जो सब पति पत्नी के बीच होता हैं वो सब कुछ तो हमारे बीच हो चुका हैं. बस मैं उन रिश्तों को नाम दे रहा हूँ. और तुम्हारे भैया भी तो हमारी शादी के लिए राज़ी हैं. फिर क्या वजह हैं.

राधिका- वो सब तो ठीक हैं राहुल पर प्लीज़ मुझे थोड़ा और वक़्त चाहिए. मैं तुम्हारे फ़ैसले से बहुत खुस हूँ.

राहुल- ठीक हैं तो मैं पंडित जी से बात करके शादी की तारीख आगे बढ़वा देता हूँ.

राधिका- नहीं राहुल ऐसा करने की कोई ज़रूरत नहीं हैं. फिर ठीक हैं जैसे तुम्हें अच्छा लगे. मुझे कोई ऐतराज़ नहीं हैं. तुम जब बोलॉगे मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूँ.

राहुल खुशी से झूम उठता हैं. फिर वो दोनो खाना कहते हैं और राहुल पेमेंट करके राधिका को अपनी कार में जाने को कहता हैं. थोड़ी देर के बाद राहुल राधिका को अपने घर ले जाता हैं और सीधा उसे अपने बेडरूम में ले जाता हैं.

राहुल- अपने कपड़े उतारो. मुझे आज कल तुम इन कपड़ों में बिल्कुल अच्छी नहीं लगती. राहुल मुस्कुराते हुए बोला.

राधिका- कुछ तो शरम करो. दिन ब दिन तुम्हारी बे-शर्मी बढ़ती जा रही हैं.

राहुल राधिका के करीब आता हैं और कसकर अपने दोनो हाथों से राधिका के बूब्स मसल देता हैं और अपना लिप्स राधिका के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगता हैं.

राहुल- मैं अपने प्रमोशन का गिफ्ट ही तो माँग रहा हूँ. बस एक बार उतार दो ना अपने सारे कपड़े.

राधिका- अच्छा गिफ्ट का शौक भी हैं और गिफ्ट खोलने से डरते भी हो. अगर यही तुम्हारा गिफ्ट हैं तो खुद ही आकर अपना गिफ्ट खोल लो. दूसरे का तोहफा कोई दूसरा नहीं खोलता. राधिका धीरे से मुस्कुराते हुए बोली. राहुल राधिका की बात समझ जाता हैं और झट से राधिका के पास आकर उसे अपने सीने से लगा लेता हैं और अपना होंठ राधिका के होंठ पर रखकर उसे धीरे धीरे चूसने लगता हैं...................................

राहुल- जो हुकुम साहिबा. और राहुल राधिका के पीछे जाकर अपने दोनो कठोर हाथों से राधिका के बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं. राधिका के मूह से सिसकारी निकल जाती हैं. फिर राहुल अपना होंठ राधिका के पीठ पर रखकर उसकी गर्देन तक अपना जीभ फिराता हैं. राधिका को अब बर्दास्त के बाहर हो जाता हैं और वो तुरंत राहुल के सीने से लिपट जाती हैं. फिर राहुल एक एक कर राधिका के कपड़े उतारना शुरू करता हैं. पहले सूट फिर लॅगी. कुछ देर में राधिका बस ब्रा और पैंटी में राहुल के सामने खड़ी थी. वो फिर अपना हाथ राधिका के पीठ के पीछे ले जाता हैं और उसके ब्रा के स्ट्रॅप्स को खोल देता हैं और दूसरे हाथ नीचे लेजा कर उसकी पैंटी भी उसके बदन से अलग कर देता हैं.

अब राधिका राहुल के सामने पूरी नंगी अवस्था में खड़ी थी. राहुल बड़े गौर से राधिका के बदन को देखने लगता हैं.

राधिका- ऐसे क्या देख रहे हो राहुल.मुझे शरम आती हैं. कभी मुझे ऐसे नहीं देखा क्या.

राहुल- सच कहूँ राधिका जब तुम मेरी बीवी बन जाओगी तब तुम्हें मेरे घर में बिना कपड़ों के रखूँगा. जैसे अभी हो. तुम ऐसा ही नंगी अच्छी लगती हो. मैं सुबेह शाम बस तुम्हारे इस सुंदर रूप का दीदार करूँगा.

राहुल राधिका के करीब आता हैं और अपना जीभ राधिका के निपल्स पर रखकर उसे बारी बारी से चूसने लगता हैं. राधिका पूरी तरह से गरम हो चुकी थी. वो भी अपना हाथ राहुल के सिर पर रखकर उसे सहलाती हैं. फिर राहुल नीचे आता हैं और राधिका की चूत पर अपना मूह रखकर उसके क्लीस्टोरील्स को अपने दाँतों से कुरेदने लगता हैं. जवाब में राधिका भी अपनी दोनो टाँगें फैला कर राहुल का पूरा समर्थन करती हैं. उसकी चूत से भी पानी बह रहा था और धीरे धीरे वो भी अपने ऑर्गॅनिसम के करीब पहुँच रही थी. ऐसे ही करीब 10 मिनिट तक राहुल राधिका की चूत पर अपनी जीभ फिराता हैं और राधिका का सब्र टूट जाता हैं और वो झरने लगती हैं. दिन ब दिन राधिका के अंदर उसके बदन की आग बढ़ती ही जा रही थी.

राहुल भी उठता हैं और राधिका को अपनी गोद में उठाकर बिस्तेर पर सुला देता हैं फिर अपने भी पूरे कपड़े निकाल कर अपना लंड राधिका के मूह के सामने रख देता हैं. राधिका भी अपनी जीभ आगे बढ़ाकर राहुल का लंड को अपने मूह में लेती हैं और धीरे धीरे चूसना शुरू करती हैं.

राधिका- राहुल आज तुम अपना लंड पूरा मेरे मूह में डालकर चोदो ना. देख लेना तुम्हें बहुत मज़ा आएगा.

राहुल तो कब से यही चाहता था मगर वो थोड़ा राधिका से झीजकता था कि कहीं राधिका को ये सब अच्छा ना लगे. और अगले ही पल वो धीरे धीरे अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं और धीरे धीरे राधिका के मूह में राहुल का लंड अंदर जाने लगता हैं. राधिका को भी इसी तरह का सेक्स में मज़ा आता था. वो तो हमेशा से यही चाहती थी कि राहुल उसको बुरी तरह से रगड़े. मगर राहुल राधिका को कोई तकलीफ़ नहीं पहुँचना चाहता था. धीरे धीरे राहुल अपना पूरा लंड राधिका के मूह में डाल देता हैं और एक दम धीरे धीरे आगे पीछे करने लगता हैं. कुछ देर में राहुल अपना पूरा लंड राधिका के हलक तक पहुँचाने में सफल हो जाता हैं. राधिका को उतनी तकलीफ़ नही होती जितनी उसे अपने भैया का लंड को अपने मूह में लेने से हुई थी. राहुल का लंड राधिका के हलक में था और वो उसी पोज़िशन में कुछ देर तक अपना लंड रहने देता हैं.

राधिका की भी तकलीफ़ बढ़ने लगती हैं मगर वो राहुल को अपना लंड बाहर नहीं निकालने देती. राहुल का भी सब्र टूट जाता हैं और वो राधिका के गले में ही अपना कम निकाल देता हैं.और राधिका राहुल का पूरा कम अपने गले के नीचे उतार देती हैं. राहुल हैरत से राधिका के इस वाइल्ड सेक्स को देखने लगता हैं.

राहुल- कमाल का लंड चुसती हो राधिका तुम तो. और कहाँ से सीखा तुमने ये सब. तुम तो कोई प्रोफेशनल रंडी की तरह लंड चुसती हो.

राधिका घूर कर राहुल को देखती हैं- जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती.

राहुल- तुम तो बात बात पर बुरा मान जाती हो. मैं तो बस तुम्हारी तारीफ ही तो कर रहा था.

राधिका- अच्छा अच्छा ज़्यादा मक्खन मत लगाओ. अब मेरी आग को भी ठंडा करो. फिर राधिका थोड़ी देर तक राहुल का लंड चुस्ती हैं और उसके टिट्स भी अपने जीभ से चाटती हैं. राहुल का लंड फिर से खड़ा हो जाता हैं और अब वो राधिका की चूत पर अपना लंड का सुपाडा रखकर एक झटके में पूरा लंड अंदर पेल देता हैं. राधिका के मूह से ऊऔच........... की एक आवाज़ आती हैं और फिर सिसकारी धीरे धीरे बढ़ने लगती हैं. राहुल फिर पूरी गति से अपना लंड राधिका की चूत में अंदर बाहर करता हैं और करीब 15 मिनिट में वो राधिका की चूत में अपना कम डाल देता हैं. राधिका भी झर जाती हैं और वही राहुल के सीने पर अपना सिर रखकर लेट जाती हैं. दोनो की साँसें एक दम तेज़ चल रही थी. थोड़ी देर के बाद राहुल भी अपने कपड़े पहन लेता हैं और राधिका भी तैयार हो जाती हैं.

राहुल- तुम खुश तो हो ना राधिका मेरे साथ.

राधिका बड़े गौर से राहुल के चेहरे की ओर देखने लगती हैं फिर उसके सीने से लिपट जाती हैं और अपने लब राहुल के लब पर रखकर चूम लेती है- मैं बहुत खुस हूँ राहुल मगर मुझे तुमसे कुछ बात करनी हैं. समझ में नही आता कि कैसे कहूँ.

राहुल- बोल ना जान भला ऐसी कौन सी बात हैं.

राधिका इसी अस्मन्झस में थी कि वो राहुल को सारी बातें बता दे मगर उसके अंदर थोड़ी भी हिम्मत नही थी कि वो राहुल के सामने सच कह सके. लाख कोशिशों के बावजूद वो कुछ नहीं बोल पाती.

राहुल- ऐसी क्या बात हैं जान जो तुम मुझसे कह नहीं पा रही हो. सब ठीक तो हैं ना.

राधिका- हां राहुल मैं तो ये कह रही थी कि कृष्णा भैया भी मुझे बहुत प्यार करते हैं और वो मेरे बगैर नहीं रह पाएँगे. ......

राहुल- अरे यार तुम तो इतनी छोटी सी बात से तुम परेशान हो. कोई बात नहीं ये तो हर भाई बेहन के बीच में ऐसा प्यार रहता हैं. और तुम इसी सहर में तो रहोगी मेरे साथ. जब भी तुम्हें अपनी भैया की याद आए तुम चली जाना उनसे मिलने. अब तो खुश हो ना.

राधिका तो चाहती थी कि वो कृष्णा और उसके बीच नज़ायज़ रिश्ते को बताए मगर राधिका चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाती. वो भी भाग्य के भरोसे अपनी किस्मेत पर छोड़ देती हैं.

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वक़्त अपनी रफ़्तार से गुजर रहा था और इधेर बिहारी भी पार्वती को उपर पहुँचने का प्लान पूरा कर चुका था बस इंतेज़ार था उसे सही वक़्त का. और वो वक़्त बहुत जल्द आने वाला था. बिहारी ने एक ऐसा चक्रव्यूह रचा था जिसको भेद पाना अच्छे अच्छे इंसान के बस में नहीं था. इस चक्रव्यूह में ना जाने बिहारी ने कितनी ज़िंदीगियों को दाँव पर लगा दिया था. पर जो भी आगे होने वाला था ये ना ही पार्वती के लिए अच्छा था और ना ही राधिका के लिए

पार्वती भी डाइवोर्स के पेपर्स अपने वकील द्वारा बनवा ली थी. इंतेज़ार था तो बस उसपर बिहारी और पार्वती के साइन का. पार्वती ने कुछ ऐसी दलीले पेश किया था जिसके वजह से उसका पलड़ा भारी था और बिहारी का सपना जो पार्वती के हाथों दौलत पाने का था उसपर जल्दी ही पानी फिरने वाला था. और बिहारी ये नहीं चाहता था कि उसके हाथों वो दौलत निकले.

उधेर राधिका भी दिन में राहुल के साथ सेक्स करती और रात में अपने भैया का बिस्तेर गरम करती. वो अब धीरे धीरे सेक्स की अडिक्ट होती जा रही थी. धीरे धीरे उसका शराब पीना भी बढ़ने लगा. और सिगरेट की तो कोई गिनती नहीं थी. वक़्त बीत रहा था.

एक शाम.............शाम के 7 बज रहे थे. हल्का अंधेरा छाने लगा था. और मौसम भी खराब था. तेज़्ज़ हवायें चल रही थी. पार्वती को कल किसी भी हालत में डाइवोर्स चाहिए था इस वजह से वो वकील से मिलने उसके पास अपनी कार से जा रही थी. और उधेर राधिका भी निशा के घर गयी हुई थी. वो भी उस वक़्त अपने घर को लौट रही थी. बीच में रास्ता पूरा सुनसान था. चारों तरफ घने पेड़ थे. ना कोई गाड़ी आ जा रही थी और ना ही कोई आदमी दिखाई दे रहा था. वैसे राधिका तो इस रास्ते से कम ही जाती थी मगर आज वो ऑलरेडी बहुत लेट थी तो उसने सोचा चलो शॉर्टकट रास्ता अपनाया जाए. और वो ये सोचकर उस रास्ते से अपने घर की ओर चल देती हैं.

उधेर पार्वती जब उसी रास्ते से गुजरती हैं तो बीच सड़क पर एक आदमी सोया रहता हैं. वो घबराकर अपनी कार रोक देती हैं और नीचे उतरकर उस शक्श के पास जाती हैं. हिम्मत तो उसे भी नहीं हो रही थी मगर सोचने वाली बात ये थी कि इस समय ये आदमी बीच सड़क पर क्यों सोया हुआ हैं. कहीं कोई आक्सिडेंट तो नहीं हो गया. पार्वती अपने थिरकते कदमों से उस शक्श के पास जाती हैं और उसके पीठ पर अपना हाथ रखकर उसे उठाती हैं. मगर उस आदमी में कोई हलचल नहीं होती. डर तो उसे बहुत लग रहा था मगर वो करे भी तो क्या करे.

तभी पीछे से किसी के कदमों की आवाज़ सुनाई देती हैं. पार्वती झट से पीछे मुड़ती है तभी उसके पीछे एक नकाबपोश खड़ा रहता हैं हाथों में चाकू लिए. ये नज़ारा देखकर पार्वती के होश उड़ जाते हैं. इसी पहले कि पार्वती कुछ हरकत करती जो ज़मीन पर सोया हुआ नकाबपोश उसके पीछे खड़ा हो जाता हैं और एक धरधार चाकू से पार्वती के पीठ पर चाकू घोप देता हैं. पार्वती की दर्द भरी चीख निकल पड़ती हैं. पार्वती पीछे मुड़ती तब तब सामने वाला नकाबपोश उसके पेट में दूसरा चाकू घोप देता हैं. पार्वती की फिर एक दर्दनाक चीखें निकल पड़ती हैं. फिर एक साथ दोनो नकाबपोश आगे पीछे से एक एक चाकू उसके पीठ और पेट पर मार देते हैं. पार्वती वहीं ज़मीन पर गिर पड़ती हैं उसके शरीर से खून बहने लगता हैं और आँखें बंद होने लगती हैं.

इसी पहले कि वो दोनो नकाबपोश पार्वती पर और चाकू से वार करते वहाँ पर राधिका पहुँच जाती हैं और जब उसकी नज़र उन दोनो नकाबपोषों पर पड़ती हैं तब तब वो दोनो भाग जाते हैं. पार्वती की आखरी साँसें चल रही थी. राधिका फ़ौरन पार्वती के पास जाती हैं और जाकर उसे अपने गोद में सुला लेती हैं.....

राधिका- आप कौन हैं और आप पर ये किसने हमला किया.

पार्वती- देखो...... बेटी.. मेरे पास समय.....बहुत कम हैं.....मैं बचूंगी नहीं....ये मेरे.........पति के आदमी .....थे.. उसने ही ...मुझे मरवाया हैं...........

राधिका- कौन हैं आपके पति. उसका क्या नाम हैं. बताइए.

पार्वती- बिहारी नाम है.............उसका. वो ... इस ...सहर का.....एमलए हैं. और...मैं उसकी पत्नी हूँ. मगर............ मेरा उससे ....डाइवोर्स होने.....वाला था.. ...मैं उसका ...राज़ जानती हूँ ..... इस वज़ह से वो ........मुझे मरवाना......चाहता हैं....

राधिका- कौन सा राज़??? मैं जानती हूँ उसे बहुत ही कमीना इंसान हैं वो तो.

पार्वती- इस ....सहर में.......ड्रग्स और......रंडी का धंधा .......हो रहा ............है..उसके पीछे........मेरे पति...का हाथ हैं..........और उसका साथ भी हैं.............वो भी .................उससे मिला हुआ हैं...........और वो एक मासूम .........लड़की की ज़िंदगी का................सौदा करना चाहते हैं..........तुम ये सब .पोलीस को बता...देना बेटी.........बस .......अओर मुझे......कुछ नहीं चाहिए......

राधिका इससे पहले कि पार्वती के सवलों का जवाब दे पाती पार्वती अपनी आँखें बंद कर चुकी थी. उसका शरीर ठंडा पड़ गया था. राधिका के भी कपड़े खून से सने हुए थे. वो भी इस वक़्त बहुत डरी हुई थी. वो तुरंत राहुल के पास फोन करती हैं और शॉर्ट में पूरी बात बताती हैं. राहुल करीब 1/2 घंटे में वहाँ पहुचता हैं और राधिका तुरंत भागते हुए राहुल के सीने से लिपट जाती हैं. वो इतनी डरी हुई थी कि उसकी आवाज़ भी सही ढंग से नहीं निकल पा रही थी. राहुल भी उसे अपने सीने से लगा लेता हैं और साथ आए कॉन्स्टेबल्स को पार्वती की डेड बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजवा देता है.

राधिका भी इस वक़्त कोई बयान देने की हालत में नही थी और राहुल उसे अकेला अपने घर नहीं छोड़ना चाहता था. वो राधिका को लेकर अपने घर की ओर चल देता हैं. राहुल के मन में हज़ार तारह के सवाल उठ रहे थे मगर वो चाह कर भी इस वक़्त राधिका से कुछ नहीं पूछ सकता था. ये तो आने वाला वक़्त ही बता सकता था कि राहुल बिहारी की खरतर्नाक चाल को समझ पाता हैं या नहीं.

राहुल- तुम सब एक एक चीज़ की अच्छी तरह से तलाशी लो. देखो कुछ काम की चीज़ मिलती हैं क्या. और इस कार को भी अपने अंडर में ले लो. अगर कुछ पता चलता हैं तो मुझे फ़ौरन इनफॉर्म करना. मैं राधिका को लेकर अपने घर जा रहा हूँ. और राहुल वहाँ से अपने घर के लिए निकल जाता हैं.

राधिका अभी भी सदमे में थी. वो चुप चाप राहुल के सीने से चिपकी हुई थी.

राहुल- जान पहले अपने कपड़े चेंज कर लो. देखो तुम्हारे कपड़े पर पूरा खून लगा हुआ हैं.
राधिका- मुझे बहुत डर लग रहा हैं राहुल.

राहुल- चिंता मत करो तुम मेरे साथ हो कुछ नहीं होगा. फिर राधिका बाथरूम में जाकर अपने कपड़े चेंज करके आती हैं. फिर थोड़ी देर में रामू काका भी खाना रेडी कर देते हैं और दोनो खाना खाते हैं.

राहुल- एक काम करो अपने भैया को इनफॉर्म कर दो कि तुम आज अपने घर नहीं आ पाओगी.

राधिका फिर अपने भैया के पास फोन लगाती हैं और काफ़ी देर के बाद कृष्णा फोन उठाता हैं...

राधिका इससे पहले की कुछ बोलती कृष्णा बोल पड़ता हैं- राधिका आज मैं कुछ काम से बाहर हूँ आज मैं घर नहीं आ पाउन्गा. तुम अपना ख्याल रखना. राधिका भी कुछ नहीं कहती और फोन रख देती हैं.

राहुल- तुमने कुछ बताया क्यों नहीं अपने भैया को.

राधिका- वो आज रात घर नहीं आएँगे. कह रहे थे कि कुछ ज़रूरी काम से बाहर हूँ. इस लिए मैने सोचा क्यों बेवजह उनको परेशान करू.

राहुल- ठीक हैं थोड़ा रिलॅक्स हो जाओ और जो कुछ भी हुआ था वहाँ पर सारी बातें मुझे बताओ.

राधिका थोड़े देर में सारी घटनायें राहुल को बता देती हैं. राहुल भी गहरी विचार में डूब जाता हैं.

....................................................

वहाँ से दूर बिहारी के प्राइवेट गेस्ट हाउस में.........

बिहारी- चलो अच्छा हुआ तुम लोगों ने अपना काम सही ढंग से किया. बेचारी पार्वती को इस दुनिया से विदा करवा कर. भगवान उसकी आत्मा को शांति दे. लाओ वो तलाक़ के पेपर्स मुझे दो.

दोनो शक्श एक दूसरे का मूह देखते हैं फिर एक बोल पड़ता हैं.--- तलाक़ के काग़ज़ात तो हमारे पास नहीं हैं. हम पार्वती पर हमला कर ही रहे थे तभी एक लड़की वहाँ पर आ गयी और हमे वहाँ से भागना पड़ा. सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि हम वो काग़ज़ात नही ले पाए...

बिहारी- ओह शिट!!! ये तुमलोगों ने क्या किया. अब तक तो पोलीस भी वहाँ पर आ चुकी होगी और जल्दी ही वो तलाक़ के पेपर्स पोलीस के क़ब्ज़े में होंगे. और उन पेपर्स के ज़रिए वो मुझ तक भी पहुँच जाएँगे. जानते हो ना मैने तुमलोगों को ये काम के लिए 10 लाख रूपई दिए थे. अब जल्दी से यहाँ से निकलो पोलीस कभी भी मेरे पास आ सकती हैं पूछताक्ष के लिए. और मुझे पोलीस के हर सवाल का जवाब भी तो देना हैं.

दोनो शक्श वहाँ से निकल जाते हैं और बिहारी वहाँ से अपने बंगले पर आ जाता हैं. वो पोलीस के हर सवाल का जवाब ढूँढने में लगा हुआ था. बिहारी का शक़ एक दम सही था. पोलीस को डाइवोर्स के पेपर्स हाथ लग चुके थे.

थोड़ी देर के बाद ख़ान राहुल के घर जाता हैं.

ख़ान- सर तालशी के दौरान हमे कार से डाइवोर्स के पेपर्स मिले हैं. और इस पेपर के हिसाब से वो औरत का नाम पार्वती हैं और वो बिहारी की पत्नी हैं. और वो बिहारी से डाइवोर्स चाहती थी. सारा पेपर्स तैयार थे बस उन्दोनो के साइन इस पेपर पर बाकी थे. और ये आइ-कार्ड भी बरामद हुआ हैं. इसपर नाम अड्रेस सब कुछ नोट हैं.

राहुल को ख़ान के बातों पर विश्वास नहीं होता और वो डाइवोर्स के पेपर्स लेकर देखने लगता हैं.- इसका मतलब बिहारी ने जान बूझ कर पार्वती का मर्डर करवाया हैं. राधिका के बयान के हिसाब से वो उसका राज़ जान गयी थी और इस वजह से वो उससे तलाक़ चाहती थी. बिहारी ने अपनी काली करतूतो को छुपाने के लिए ऐसा किया होगा. अब देखता हूँ वो कमीना मेरे हाथों से कैसे बचता हैं. ये केस हमारे लिए बहुत इंपॉर्टेंट हैं और मैं चाहता हूँ कि इस केस की अच्छी तरह से इक्वायरी हो. जितनी जल्दी हम इस केस को सॉल्व कर देंगे उतनी जल्दी बिहारी जैल की सलाखों के पीछे होगा.

ख़ान- ऐसा ही होगा सर. पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आ जाने के बाद हम बिहारी से पूछताक्ष करेंगे.

राहुल- ठीक हैं ख़ान और कोई नयी न्यूज़ मिलती हैं तो मुझे इनफॉर्म करो. और ख़ान वहाँ से चला जाता हैं.

राहुल- मरते वक़्त पार्वती ने तुमसे और भी कुछ कहा था क्या राधिका. कहीं उसने किसी की तरफ इशारा तो नहीं किया था.

राधिका - हां वो कह रही थी कि एक मासूम लड़की की ज़िंदगी बर्बाद करना चाहते हैं वो लोग. पता नहीं कौन हैं वो लड़की मैं पूछने वाली थी मगर तब तक............

राधिका ये नहीं जानती थी कि वो मासूम लड़की और कोई नहीं बल्कि वो खुद हैं.

राहुल- ठीक हैं तुम सो जाओ मुझे थोड़ा इस केस की स्टडी करनी हैं.

राधिका भी वही राहुल के बेडरूम में सो जाती हैं........................................
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#34
Update 27


दूसरे दिन सुबेह राधिका उठती हैं और राहुल उसे उसके घर छोड़ देता हैं. घर पर कोई नहीं था. वो लॉक खोलती हैं और जाकर खाना बनाने लगती हैं. राहुल भी ख़ान को लेकर बिहारी के घर चल देता हैं..

बिहारी- आओ आओ एसीपी साहेब मैं जानता था कि आप ज़रूर आओगे.

राहुल- कल रात को आपकी पत्नी पार्वती का बड़ी बेरहमी से मर्डर हो गया. और ताज्जुब की बात तो ये हैं कि आपको मालूम होते हुए भी आप पोलीस स्टेशन नहीं आयें उसको देखने के लिए. मैं इसकी वजह जान सकता हूँ.

बिहारी- मेरा अब उससे कोई रिस्ता नही हैं. और वैसे भी मेरा उससे तलाक़ होने वाला था. नफ़रत करती थी वो मुझसे. उसे शक था कि मेरा किसी और से नज़ायज़ संबंध हैं. इस वजह से वो मुझसे तलाक़ चाहती थी.

राहुल- तुम्हारा नज़ायज़ संबंध था या वो तुम्हारा राज़ जान गयी थी कि तुम ड्रग और रंडियों का धंधा करते हो. राहुल के ऐसे सवाल से बिहारी के चेहरे का रंग उतर जाता हैं.



बिहारी- देखो आसीपी साहेब आप ऐसे मुझ पर इल्ज़ाम नहीं लगा सकते. अगर आपको लगता हैं कि मैने ही अपनी पत्नी को मरवाया हैं तो आपके पास इस बात का क्या सबूत हैं. पहले सबूत पेश करो फिर मुझसे बात करना.

राहुल- मैं जानता था कि तू सबूत माँगेगा. तुझे सबूत चाहिए ना ये देख मैं लाया हूँ और राहुल डाइवोर्स के पेपर्स बिहारी को थमा देता हैं. बिहारी बड़े गौर से वो पेपर्स देखने लगता हैं.

बिहारी- ये तो डाइवोर्स के पेपर्स हैं. इससे मेरा पार्वती के खून का क्या संबंध. देखो एसीपी साहेब क़ानून सबूत माँगता हैं और तुम ये सोचते हो कि इन डाइवोर्स के पेपर्स से तुम ये साबित कर दोगे कि पार्वती को मैने मरवाया हैं तो ये तुम्हारी भूल हैं. हां अगर कोई गवाह मेरे खिलाफ हो तो तुम्हारी बात में दम हो सकता हैं.

राहुल- तू क्या सोचता हैं कि गुनाह करके तू इतनी आसानी से बच जाएगा. चिंता मत कर मेरे पास तेरे खिलाफ गवाह भी मौजूद हैं. और उस गवाह ने खुद पार्वती का अपनी आँखों के सामने कतल होते देखा हैं. बस कुछ दिन और इस महल में ऐश कर ले फिर बाकी ज़िंदगी तो तुझे जैल के सलाखों के पीछे ही गुजारनी हैं.

बिहारी की बोलती लगभग बंद हो गयी थी. वो भी कुछ बोलता नहीं बस चुप चाप खड़ा रहता हैं.

राहुल- हां एक बात तो मैं बताना भूल गया. पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आ चुकी हैं और जिससे ये बात साबित होती हैं कि जिन दो लोगों ने पार्वती का मर्डर किया था वो कोई पेसेवर कातिल नहीं थे. उन्होने जिस अंदाज़ में पार्वती पर हमला किया था अगर कोई कांट्रॅक्ट किल्लर होता तो वो ये काम बड़ी आसानी से कर चुका होता और उसके लिए 4 बार वार करने की ज़रूरत नहीं थी. उसका एक वार ही काफ़ी था पार्वती को मारने के लिए. पर जो कोई भी है वो ज़्यादा दिन तक क़ानून की नज़रो से छुप नहीं सकता. और जिस दिन वो दोनो पकड़े गये समझ लेना तू भी नहीं बचेगा.

राहुल- हां और एक बात पोलीस स्टेशन आकर अपनी पत्नी की डेड बॉडी को ले जाना. और इज़्ज़त से उसका अंतिम संसकार कर देना. अरे वो तेरी अर्धन्गि थी यानी आधा अंग.. तो तेरा पूरा फ़र्ज़ बनता हैं कि तू उसका अंतिम संस्कार करे. अगर तू नहीं आया तो कोई बात नहीं इससे मेरा शक तुझपर और गहरा हो जाएगा और मज़बूरन हमे पार्वती की बॉडी को मुंसीपार्टी वालों को भेजवाना पड़ेगा. बाकी तू खुद समझदार हैं.

और इतना बोलकर राहुल कमरे से बाहर निकल जाता हैं. बिहारी के चेहरे का रंग पूरा गायब हो चुका था. चेहरे पर पसीना इस बात का संकेत था कि बिहारी की हालत खराब हो चुकी हैं. उसका गला डर की वजह से सूख गया था. वो वहीं सोफे पर धम से गिर जाता हैं..

अंदर इस वक़्त विजय भी था. वो छुप कर राहुल और बिहारी की बातें सुन रहा था. फट तो उसकी भी गयी थी मगर वो बिहारी पर अपना डर जाहिर नहीं करना चाहता था. राहुल के जाने के बाद वो बिहारी के पास आता हैं..

विजय- लगता हैं बिहारी हमने पार्वती को मरवाकर बहुत बड़ी ग़लती की. अब तो ये एसीपी हमारे पीछे हाथ धो कर पड़ गया हैं. कुछ सोच बिहारी वरना हम दोनो के बहुत बुरे दिन आने वाले हैं.

बिहारी- डर तो मुझे भी बहुत लग रहा हैं. साला ये ज़रूर मेरा बॅंड बजा देगा अगर मैने जल्दी ही कुछ ना किया तो. फिलहाल तो मैं जा रहा हूँ पोलीस स्टेशन पार्वती की डेड बॉडी को लेने फिर उसका अंतिम संस्कार करूँगा. तू एक काम कर वो दोनो को बुला कर पूछ कि वो दोनो उस लड़की को जानते हैं क्या. अगर नहीं जानते तो फिर मुझे 24 घंटे के अंदर उस लड़की का नाम पता कहाँ रहती हैं सब कुछ उसके बारे में जानकारी चाहिए. और जैसे ही उसके बारे में पता लगे उस साली को भी इस दुनिया से उठवा दो. आगे मैं संभाल लूँगा..

फिर बिहारी पोलीस स्टेशन चला जाता हैं और जाकर पार्वती की डेड बॉडी का अंतिम संस्कार करता हैं. रोना तो उसे आ नहीं रहा था फिर भी अपने इन मगरमच्छ आँसुओ को सब लोगो पर जाहिर कर रहा था कि पार्वती के खोने का उसे बड़ा दुख हैं...

..................................................

उधेर कृष्णा भी करीब 9 बजे घर आता हैं. राधिका भी फ्रेश होती हैं और नाश्ता बनाने लगती हैं. कृष्णा के हाथ में एक काले रंग का बॅग था. वो उसे चुप चाप अपने रूम में ले जाता हैं और अपने अलमारी में रख देता हैं.

राधिका- ये आपके हाथ में कैसा बॅग हैं भैया.

कृष्णा चौंकते हुए- ये...........मेरे दोस्त का हैं. वो मुझे दे कर गया था कह रहा था एक दो दिन में ले लूँगा. इसमें उसके कुछ कपड़े वगेरह हैं.

राधिका- ठीक हैं आप फ्रेश हो जाइए मैं नाश्ता लगा देती हूँ. थोड़ी देर में कृष्णा फ्रेश होकर आता हैं और राधिका के करीब जाकर बैठ जाता हैं..

कृष्णा- मुझे तुझसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी हैं. कृष्णा राधिका की आँखों में देखकर बोला.

राधिका- क्या बात हैं भैया आप आज बहुत परेशान लग रहे हैं. कुछ हुआ क्या और कल रात आप कहाँ थे घर भी नहीं आयें.

कृष्णा राधिका के सवाल से एक दम हड़बड़ा जाता हैं- कल मेरे दोस्त की बीवी अस्पताल में अड्मिट थी. तो वही चला गया था उसके पास. उसके जिद्द की वजह से मुझे वहीं रुकना पड़ा.

राधिका कृष्णा के सीने से लग जाती हैं- आप मुझसे कुछ छुपा तो नहीं रहे ना भैया. पता नहीं क्यों पर मुझे आज कल कुछ घबराहट सी हमेशा महसूस होती हैं. फिर राधिका भी कृष्णा को पार्वती वाला कांड पूरा बता देती हैं.

कृष्णा- तुझे इन सब लफडों में नहीं पड़ना चाहिए. चाहे कुछ भी हो जाए तू गवाही नहीं देगी. और ना उस बिहारी के खिलाफ जाएगी. जानती हैं ना वो कितना कमीना इंसान हैं. वो कुछ भी कर सकता हैं.

राधिका- आप फिकर ना करे भैया राहुल मेरे साथ हैं और वो मुझे हर ख़तरे से बचायेगा. मुझे अपने राहुल पर पूरा भरोसा हैं.

कृष्णा- मैने जो एक बार बोल दिया कि तू गवाही नहीं देगी तो नहीं देगी.. ये मेरा आखरी फ़ैसला हैं. और राहुल तुझे कहाँ कहाँ बचायेगा. हर समय तो वो तेरे साथ नहीं रह सकता ना और ना ही मैं तेरे साथ हर वक़्त मौजूद रह सकता हूँ. और मैं यही चाहता हूँ कि तू इन सब मामलों में नहीं पड़ेगी.

राधिका भी कुछ बोलना सही नहीं समझती और चुप चाप किचन में चली जाती हैं. कृष्णा फिर से गहरे विचार में खो जाता हैं. वो तो बस यही चाहता था कि किसी भी हाल में बिहारी से वो अपनी बेहन को दूर रखे.

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वहाँ से दूर बिहारी के रूम पर

विजय- यार कब तक मैं अपने धंधे बंद कर के रखूं. ऐसे में तो मैं बर्बाद हो जाउन्गा. तू भी कुछ नहीं कर रहा और उपर से पार्वती को मरवाकर हम ने और मुसीबत को अपने गले बाँध लिया हैं. बता कब तक चलेगा आख़िर ये सब..

बिहारी- विजय इतने दिन रुका हैं तो कुछ दिन और सही. अभी मामला बहुत गरम हैं. वो एसीपी भी गिद्ध की तरह हमारे पीछे पड़ा हुआ हैं. चिंता मत कर जितना जल्दी हो सके सबसे पहले उस लड़की का पता करवा. उसका हमारे हाथ लगना बहुत ज़रूरी हैं. अगर वो हमारे हाथ नहीं लगी तो समझ ले हमारा खेल ख़तम.

विजय- मैने अपने डिटेक्टिव्स लगा दिए हैं. जल्दी ही कुछ पता चल जाएगा.

दूसरे दिन राहुल अपने पोलीस फोर्स के साथ होटेल प्लाज़ा में छापा मार देता हैं. वहाँ उसे ड्रग्स के 3 सप्लाइयर्स भी उसकी गिरफ़्त में होते हैं और करीब 15 लड़कियों को जिस्म फ़रोशी के धंधे में अरेस्ट किया जाता हैं. विजय और बिहारी भारी मात्रा में इसी होटेल में ड्रग्स सप्लाइ करते थे और काजीरी की मदद से वो यहाँ लड़कियों का धंधा भी करते थे. जब उन्हें ये बात पता लगता हैं तो बिहारी को एक और बड़ा झटका लगता हैं..

विजय- ये देख आज के पेपर में. हमारे और तीन आदमी पकड़े गये. और तो और 15 लड़कियाँ को भी जिस्म के धंधे से आज़ाद करवाया गया हैं. अगर ऐसे ही चलता रहा तो हम तो बर्बाद हो जाएँगे. ये हरामी इनस्पेक्टर तो जब से एसीपी बन गया हैं हमारा जीना मुश्किल कर दिया हैं. समझ में नही आता कि इसका क्या करूँ..

बिहारी- हां अब पानी सिर के उपर से निकल चुका हैं. अब हमे जल्दी ही कुछ करना पड़ेगा. सोचने दे मुझे मैं इस प्राब्लम का कोई सल्यूशन निकालता हूँ.

विजय- अरे कितने दिन से तो तू प्राब्लम की सल्यूशन ढूँढ रहा हैं. अगर इसी स्पीड से सल्यूशन ढूंढेगा तो जल्दी ही हमारे गले में फाँसी का फंदा होगा. विजय अपने दाँत पीसते हुए बोला.

तभी विजय के मोबाइल पर एक कॉल आता हैं. विजय फोन रिसीव करता हैं. फोन उसी डीटेक्टिव का था. उसने पूरा पता लगा लिया था. उसका नाम कुणाल था.

कुणाल- सर उस लड़की का पता चल गया जिसने पार्वती का मर्डर होते हुए अपनी आँखों से देखा था. उस लड़की का नाम राधिका हैं और धीरे धीरे वो डीटेक्टिव विजय को पूरी जानकारी दे देता हैं.

विजय- तुम्हें यकीन हैं ना जो तुम कह रहे हो वो सच हैं. अगर ये बात झूट हुई तो फिर तुम्हारी खैर नहीं.

कुणाल- आज तक मैने आपको कोई ग़लत रिपोर्ट दी है जो आज दूँगा. खबर 100% सच हैं. और इतना बोलकर कुणाल फोन रख देता हैं.

बिहारी- क्या हुआ उस लड़की का पता चल गया क्या. और तेरे चेहरे पर बारह क्यों बजे हैं. बता ना ऐसा क्या कहा उस डीटेक्टिव ने.

विजय- अगर तू ये खबर सुन लेगा तो तेरे भी होश उड़ जाएँगे. जानता हैं वो लड़की कौन हैं जिसने पार्वती का खून होते हुए अपनी आँखों से देखा था.

बिहारी- हैरत से..........कौन???

विजय- राधिका.............कृष्णा की बेहन और उस बिरजू की बेटी.

इतना सुनते ही बिहारी अपने सिर पर दोनो हाथ रखकर वहीं फर्श पर बैठ जाता हैं.- रा.................धी........का .... ओह माइ गॉड.!!!

विजय- क्यों फट गयी ना. अब तो जो हमारे बचने की उम्मीद थी अब वो भी ख़तम. वो साली उस राहुल की होने वाली बीवी हैं और चाहे कुछ हो जाए वो गवाही ज़रूर देगी. और वैसे भी वो हम दोनो के खिलाफ पहले से हैं. अब तो हमे उपरवाला भी नहीं बचा सकता. और तो जो हमने उसे हासिल करने के लिए सपने देखे थे अब वो भी ख़तम. अब तो सब कुछ उस राधिका के हाथ में हैं. मेरी मानो तो हम ये सहेर छोड़ कर कहीं और चले जाते हैं.

बिहारी- बंद कर अपनी ये बक बक.... अभी मेरे पास हुकुम का इक्का हैं. और मैने उसे अभी खोला नहीं हैं. जिस दिन मैं वो हुकुम का इक्का खोल दूँगा सब कुछ मेरी मुट्ठी में होगा.

विजय- तो खोल ना अब वो इक्का. सब कुछ ख़तम होने के बाद क्या वो इक्का खोलेगा. देख बिहारी मैं नहीं चाहता कि मैं जैल की सलाखो के पीछे अपनी जिंदगी बिताऊ.

बिहारी करीब 2 घंटे तक इसी विचार में खोया रहता है और आख़िरकार उसके दिमाग़ में एक ऐसा ख़तरनाक प्लान आता हैं जिसका तोड़ शायद राहुल के पास भी ना हो. वो तो यही चाहता था कि साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे. और शायद बिहारी के दिमाग़ में कुछ ऐसा ही षडयंत्र चल रहा था.वो क्या षडयंत्र था ये तो वक़्त ही बताने वाला था.

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उधर राधिका भी बहुत खुस थी कृष्णा के अंदर आयें ऐसे बदलाव को देखकर. अब कृष्णा हफ्ते में एक बार शराब पीता था और अपनी बेहन का पूरा ख्याल रखता था. राधिका भी हर रात कृष्णा के साथ सोती थी और अपने भैया कर हर ख्वाहिश पूरा करती. हर रात कृष्णा उसके साथ नये नये तरीके से सेक्स करता और राधिका भी पूरी तरह से एंजाय करती. राधिका की हवस अब इतनी बढ़ चुकी थी कि जब तक कृष्णा उसके साथ वाइल्ड सेक्स नहीं करता उसको चैन नहीं मिलता. दिन में राहुल और रात भर कृष्णा के साथ अपनी हवस को राधिका शांत करती फिर भी उसकी हवस कम होने के बजाय बढ़ती जाती. और शराब तो उसकी ज़िंदगी का एक हिस्सा बन चुकी थी. हर रोज़ वो शराब पीती और हमेशा नशे में रहती.

एक शाम जब कृष्णा घर आया वो उस दिन नशे में था अंदर आकर वो सोफे पर बैठ जाता हैं-

राधिका- भैया क्या बात है. आज कुछ परेशान लग रहे हो.

कृष्णा- राधिका मैं कितने दिनों से तुझसे एक बात कहना चाहता हूँ पर कह नहीं पा रहा हूँ. आज सोच रहा हूँ कि तुझसे कह ही दूं.

राधिका- कहिए भैया ऐसी क्या बात हैं.

कृष्णा- अब मैं तेरे साथ जिस्मानी संबंध और नहीं रखना चाहता. अब मुश्किल से तेरी शादी के 15 दिन ही बचे हैं. अगर ये सब ऐसे ही चलता रहा तो ना तेरे लिए अच्छा होगा और ना मेरे लिए. और मैं नहीं चाहता कि राहुल को ये बात पता चले. और अगर बापू को इस बात की भनक लग गयी तो पता नहीं वो हमारा क्या हाल करेंगे.

राधिका कृष्णा के लिप्स चूम लेती हैं- कुछ नहीं होगा. अगर आपका ख्याल मैं नही रखूँगी तो कौन रखेगा. सब कुछ एक दिन ठीक हो जाएगा. आप चिंता ना करें.

कृष्णा- ऐसे कह देने से सब कुछ ठीक नहीं होगा. आब मैं आज के बाद तुझे हाथ नहीं लगाउन्गा. चाहे तुझे अच्छा लगे या बुरा.

राधिका कुछ देर सोचती हैं फिर वो अपने भैया के सामने ही अपने कपड़े एक एक कर उतारने लगती हैं और तब तक नहीं रुकती जब तक उसके जिस्म से एक भी कपड़ा नहीं बचता. वो पूरी तरह नंगी होकर कृष्णा के सामने खड़ी हो जाती हैं. कृष्णा हैरत से राधिका को देखने लगता हैं.

कृष्णा- ये क्या हैं राधिका. मैं कुछ समझा नहीं..

राधिका- मैं आपके सवलो का जवाब दे रही हूँ. खाइए मेरी कसम कि आपको मुझे ऐसी हालत में देखकर कुछ नहीं होता. क्या आपका लंड खड़ा नहीं होता अपनी ही बेहन को देखकर. क्या आपका मन नही करता कि आप मेरी चूत गान्ड में अपना लंड डालें. और मेरी चुदाई करें. बिल्कुल करता होगा. क्यों कि जिस्म की आग कोई रिश्ता नाता नहीं देखती. हवस में इंसान को ये तक दिखाई नही देता कि कौन उसकी बेहन हैं और कौन उसकी बेटी. फिर आप आज ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं. इतना सब कुछ हो जाने के बाद अब आपके और मेरे बीच कुछ बचा हैं क्या. आज मैने भाई बेहन के बीच शरम की दीवार हमेशा हमेशा के लिए गिरा दी हैं.

कृष्णा वही चुप चाप सोफे पर बैठा रहता हैं जैसे उसकी ज़ुबान मानो सिल गयी हो. वो एक शब्द भी कुछ नहीं बोल पाता. फिर वो उठता हैं और वही पड़ा चद्दर राधिका के नंगे जिस्म पर डाल देता हैं.

कृष्णा- ये सही नहीं हैं राधिका. इंसान अगर अंजाने में कोई ग़लती करे तो उसे उसकी भूल समझकर उसको माफ़ कर दिया जाता हैं. मगर ग़लती जानबूझ कर की जाए तो वो माफी का हक़दार नहीं होता. और जो हमारे बीच अब हो रहा हैं अगर राहुल को इस बात का पता चलेगा तो वो हमे कभी माफ़ नहीं करेगा और हो सकता हैं वो तुझे कभी ना अपनाए.

राधिका- आज आप ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं भैया. राहुल चाहे मुझे अपनाए या ना अपनाए मुझे इस बात की चिंता नहीं हैं. मैं तो बस अब अपने भैया को खोना नहीं चाहती.

कृष्णा- होश में आओ राधिका. ये मेरा फ़ैसला है अब मैं तुम्हारे साथ नज़ायाज़ रिश्ता अब और नहीं बना सकता. चाहे तुम्हें अच्छा लगे या बुरा.

राधिका की आँखों से आँसू निकल जाते हैं- क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आपके फ़ैसले के पीछे क्या वजह हैं. क्या मैं आपकी जिस्म की प्यास नहीं बुझा सकती. क्या मुझसे भी अच्छी वो रंडियाँ हैं जो आपके जिस्म की गर्मी को शांति करती हैं. क्या आप मुझे उन रंडियों के बराबर भी नहीं समझते...

राधिका के मूह से ऐसी बातें सुनकर कृष्णा गुस्से से अपना कंट्रोल खो देता हैं और एक ज़ोरदार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देता हैं. राधिका का चेहरा लाल पड़ जाता हैं.

कृष्णा- तेरा दिमाग़ खराब हो गया हैं. हर वक़्त पता नहीं उल्टी सीधी बातें करती रहती हैं. भला उन रंडियों से तेरी कैसी तुलना. तू मेरी बेहन हैं और मैं तुझे अपनी जान से ज़्यादा चाहता हूँ. मैं तुझे हमेशा खुश देखना चाहता हूँ. कल को अगर तुझे कुछ हो गया ना तो मैं तेरे बिन जी नहीं पाउन्गा.

राधिका अपने आँखों से आँसू पोछती हैं- मुझे माफ़ कर दो भैया. मुझे नहीं पता था कि आप मुझसे इतना प्यार करते हैं.

कृष्णा- माफी तो मुझे तुझसे माँगी चाहिए राधिका जो मैने तुझपर अपना हाथ उठाया. और कृष्णा राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं. ऐसे ही ना जाने कितने देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में लिपटे रहते हैं.

कृष्णा- एक बात पूच्छू राधिका खा मेरी कसम कि तू मुझसे कोई बात नहीं छुपाएगी.. राधिका कृष्णा को सवालियों नज़रें से देखने लगती हैं.

राधिका- पूछो भैया क्या पूछना हैं.

कृष्णा- तू मेरे साथ जिस्मानी संबंध क्यों बनाना चाहती हैं जब कि राहुल तुझे वो सुख भी देता हैं. फिर क्या वजह है क्या तू राहुल से अब प्यार नहीं करती या राहुल तुझे खुस नहीं रख पाता.

राधिका के चेहरा का रंग फीका पड़ जाता हैं कृष्णा के ऐसे सवाल सुनकर. वो कुछ बोल नहीं पाती और बस अपने भैया को देखने लगती हैं.

राधिका- मैने कहा था ना वक़्त आने पर आपको पता चल जाएगा. मैं आपको अभी नहीं बता सकती.

कृष्णा- आख़िर तू किस वक़्त की बात कर रही हैं. मैं कुछ नहीं जानता अगर तू मुझे नहीं बताएगी तो मैं तुझसे कभी बात नहीं करूँगा.

राधिका- क्या करोगे भैया ये सब जानकार. मैने बचपन से हर चीज़ खोई हैं तो राहुल को खोना मेरे लिए कोई बहुत बड़ी बात नहीं होगी.

कृष्णा- ये तू क्या बोल रही हैं राधिका मैं कुछ समझा नहीं.

राधिका तो नहीं चाहती थी ये बात अपने भैया को बताए मगर उनकी कसम ने उसे मज़बूर कर दिया था. वो फिर शुरू से एक एक बात कृष्णा को बताते चली जाती हैं. कैसे उसकी पहली मुलाकात राहुल से हुई. कैसे उससे प्यार हुआ. और निशा वाली भी सारी बातें एक एक कर वो अपने भैया को बताती हैं. सब कुछ सुनने के बाद कृष्णा अपने सिर पर हाथ रखकर बैठ जाता हैं.

राधिका के आँख में इस वक़्त आँसू थे- आप ही बताइए भैया मैं राहुल से कैसे शादी कर सकती हूँ. जितना प्यार मैं राहुल से करती हूँ उससे कहीं ज़्यादा निशा राहुल को चाहती हैं. अगर राहुल उसे नहीं मिला तो वो मर जाएगी. आप ही बताइए मैं 8 साल पुरानी दोस्ती पहले निभाउ या 8 महीने वाला प्यार. बेहतर यही होगा कि मैं राहुल और निशा की ज़िंदगी से हमेशा हमेशा के लिए दूर चली जाऊ. इस लिए मैने आपका दामन थामा ताकि मुझे आपका सहारा मिल जाए और मैं अपने राहुल को आसानी से भुला सकूँ. मगर इस दिल को कैसे समझाऊ जितना मैं राहुल से दूर रहना चाहती हूँ राहुल मेरे उतने ही पास आता जा रहा हैं. अब तो मैं चैन से ना जी पा रही हूँ और ना चैन से मर पा रही हूँ.

बचपन से सुना था कि प्यार इंसान की ज़िंदगी बदल देता हैं. हां मेरी भी ज़िंदगी बदल गयी इस प्यार की वजह से. मगर एक अभिसाप के रूप में. आप ही बताइए भैया मैं क्या करू. अब मैं राहुल से शादी नहीं करनी चाहती. अगर ऐसा हुआ तो निशा जीते जी मर जाएगी. और मैं अपनी निशा को खोना नहीं चाहती.

कृष्णा- निशा को खोने का गम हैं तो क्या राहुल से बिछड़ कर क्या उससे तू दूर रह पाएगी. राधिका जो कुछ हुआ ग़लत हुआ. ये बात मुझे पहले पता होती तो मैं तेरे साथ जिस्मानी संबंध कभी ना बनता. मैं इस बारे में राहुल से बात करूँगा. और उसे जाकर सारी सच्चाई बता दूँगा.

राधिका- आपको मेरी कसम हैं भैया. अगर आपने ऐसा किया तो मेरा मुरा मूह देखेंगे. आप राहुल और निशा को कोई बात नहीं बताएँगे. मुझे पूरा विश्वास हैं एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा. मैने अपना फ़ैसला उपर वाले के हाथो छोड़ दिया हैं. वो जो करेगा अच्छा ही करेगा.

कृष्णा- कितनी बड़ी हो गयी हैं तू. काश मैं पहले तुझे समझ पाता. ठीक हैं मैं चुप रहूँगा और भगवान से यही दुआ करूँगा कि तेरा प्यार तुझे मिल जाए और निशा को कोई दूसरा जीवन साथी.

राधिका- भैया छोड़िए इन सब बातों को और मुझे प्यार कीजिए. मुझे इस वक़्त आपके प्यार की ज़रूरत हैं. और इतना कहकर राधिका अपने शरीर पर ओधी चादर उतार कर फर्श पर गिरा देती हैं.

कृष्णा- नहीं अब और नहीं राधिका. ये सब जानने के बाद भला मैं अब तेरे साथ ये सब कैसे कर सकता हूँ.

राधिका- भैया इस वक़्त मुझे आपके सहारे की ज़रूरत हैं. अगर आपने भी मेरा साथ छोड़ दिया तो आपकी राधिका जी नहीं पाएगी. थाम लो भैया मेरे हाथ मुझे इस वक़्त आपसे बहुत सी उम्मीदे हैं.

कृष्णा भी कुछ कह नहीं पाता और राधिका को अपने सीने लगा लेता हैं. राधिका आगे बढ़कर अपना लिप्स कृष्णा के होंठो पर रखकर उसे बड़े प्यार से चूसने लगती हैं. कृष्णा भी धीरे धीरे राधिका के लिप्स पर अपनी ज़ुबान फिराने लगता हैं और एक हाथ आगे बढ़ाकर वो राधिका के सीने पर अपना हाथ रख देता हैं. राधिका भी अब कृष्णा में खोती चली जाती हैं.

राधिका- भैया मुझे आज इतना प्यार करो कि मैं आज सब कुछ भूल जाओं. मुझे बस आपका प्यार चाहिए.

कृष्णा- मैं दूँगा तुझे वो प्यार राधिका. तेरी खुशी में ही मेरी खुशी हैं. फिर कृष्णा धीरे धीरे अपने उंगली राधिका के निपल्स पर रखकर उसे दोनो उंगलियों से मसल्ने लगता हैं. राधिका की सिसकारी अब धीरे धीरे बढ़ने लगती हैं. फिर कृष्णा अपनी दोनो उंगलियाँ नीचे लेजा कर राधिका की चूत में वो डाल देता हैं और तेज़ी से आगे पीछे करने लगता हैं. राधिका का सब्र टूटने लगता हैं. वो बार बार अपने जीभ कृष्णा के होंठो से लेकर उसके कान तक फिराती हैं.

कृष्णा फिर एक एक करके अपने सारे कपड़े उतार देता हैं और फिर राधिका को अपने गोद में उठाकर बेडरूम में ले जाता हैं. फिर उसे वही सुला कर अपना होंठ राधिका की चूत पर रखकर उसकी चूत को धीरे धीरे चाटना शुरू करता हैं.

राधिका के मूह से ऊ...अयू...च.............आ.......ह........जैसे आवाज़े निरंतर निकल रही थी. वो भी बेचैन हो रही थी.कृष्णा उसी तरह राधिका की चूत को चाटता हैं. फिर धीरे धीरे एक उंगली उसकी चूत में डाल देता हैं और दूसरी उंगली उसकी गंद में. फिर एक साथ दोनो उंगली आगे पीछे चलने लगता हैं और साथ में चूत भी चाटने लगता हैं. राधिका का सब्र टूट जाता हैं और वो तुरंत चिल्ला पड़ती हैं और झरने लगती हैं. कृष्णा फिर भी नहीं रुकता और उसी तरह राधिका की चूत चाटता हैं. थोड़े देर के बाद राधिका फिर से गरम होने लगती हैं. फिर वो अपना होंठ राधिका के होंठ पर रखकर उसके होंठों को चूसने लगता हैं. राधिका भी कृष्णा का पूरा समर्थन करती हैं.

उसके मूह में भी अपनी चूत का मिला जुला रस मिलता हैं और वो इसी अंदाज़ में अपने भैया का होंठ चुसती हैं. फिर राधिका नीचे झुक कर अपने भैया का लंड धीरे धीरे अपने मूह में लेती हैं और तब तक नहीं रुकती जब तक कृष्णा का पूरा लंड अपने हलक तक नहीं पहुँच जाता. कृष्णा भी तेज़ी से राधिका के मूह को चोदने लगता हैं और फिर राधिका को अपने उपर बैठकर एक ही झटके में अपना लंड पूरा राधिका की चूत में पेल देता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक उसका वीर्य राधिका की चूत में नहीं निकल जाता.कमरे में दोनो की मादक सिसकियाँ निकल रही थी और दोनो की साँसें बहुत तेज़ चल रही थी. कृष्णा करीब 30 मिनिट तक राधिका की चूत मारता हैं और इस बीच राधिका भी तीन बार झर चुकी थी. दोनो धम से एक दूसरे के उपर गिर जाते हैं और ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में लिपटे रहते हैं.

राधिका अपने भैया के सीने पर सर रखकर उनकी आगोश में सो जाती हैं.. दिल में एक तरफ राहुल का प्यार लिए और एक तरफ कृष्णा के प्रति लगाव में राधिका कितनी बदल चुकी थी उसको इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि आने वाले वक़्त में उसका नसीब उसको कहाँ ले जाएगा. और वो जब तक वो इस बात को समझेगी तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होगी. कहते हैं ना अगर इंसान गिरता हैं तो भगवान उसको बचाने के लिए कोई ना कोई मसीहा ज़रूर भेज देता हैं यहाँ पर भगवान ने मशीहा के रूप में निशा को भेजा था मगर राधिका ने उसकी बात को भी नज़रअंदाज़ कर दिया था. ये तो अब वक़्त ही बताने वाला था कि राधिका के साथ क्या होगा. पर इतना ज़रूर तय था कि जो उसके साथ होगा वो शायद ठीक नहीं होगा.

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उधेर बिहारी अपनी प्लान पूरा तैयार कर चुका था. बिहारी वैसे तो राजनीति बहुत अच्छे से जानता था और हर सिचुएशन को अच्छे से हॅंडल करता था. मगर इस वक़्त हालत उसके पक्ष में भी नहीं थे. वो नहीं चाहता था कि कोई भी ज़रा सी चूक हो और राहुल सीधा उसकी गर्देन पकड़े. उसे इंतेज़ार था आज बिरजू का. वो बहुत बेसब्री से बिरजू का इंतेज़ार कर रहा था. मगर बिरजू का कहीं पता नहीं था. वो उस रात बिहारी के पास नहीं आया था.

दूसरे दिन सुबेह राधिका की नींद खुलती है और वो झट से उठती हैं और फ्रेश होकर नाश्ता बनाती हैं. कृष्णा भी उठकर फ्रेश होता हैं और सीधा राधिका के पास जाकर पीछे से अपने दोनो हाथ राधिका के कमर पर रखकर उसकी गर्देन चूम लेता हैं.

कृष्णा- गुड मॉर्निंग मेरी जान. मुझे जगाया नहीं तूने.

राधिका- सोच रही थी कल रात को आपने बहुत मेहनत की हैं तो थक गये होंगे. इस लिए सोचा कि आपको आराम करने दूं. राधिका शरारती अंदाज़ में बोली.

कृष्णा- हां मेरी जान आख़िर चुदाई बिना मेहनत के थोड़ी ना होती हैं. काफ़ी दम लगाना पड़ता हैं और तू तो मेरा पूरा लंड का पानी निचोड़ लेती हैं. कसम से राधिका जितना मज़ा मुझे तेरे साथ आता हैं उतना तो मुझे किसी और के साथ वो मज़ा नहीं मिलता.

राधिका- अच्छा बहुत हो गयी बातें. फटाफट मूह हाथ धो लीजिए मैं नाश्ता लगाती हूँ. तभी बिरजू भी घर आ जाता हैं. और राधिका अपने कामों में बिज़ी हो जाती हैं. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी अपने काम पर चल जाता हैं और बिरजू भी नाश्ता करके घर से निकल जाता हैं. राधिका भी थोड़ी देर पढ़ाई करती हैं फिर वो राहुल से मिलने चली जाती हैं. समय अपनी रफ़्तार से चल रहा था. उधेर मोनिका भी राधिका से गहरी दोस्ती कर ली थी और वो अब राधिका का सारा राज़ जान चुकी थी. उधेर बिहारी और विजय भी जब चाहते थे तब वो मोनिका को अपने फार्म हाउस बुलाकर उसके साथ सेक्स करते थे. अब वक़्त आ गया था जो अब इन सब की ज़िंदगी बहुत जल्द बदलने वाली थी.
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#35
Update 28



शाम के करीब 5 बज रहे थे. राधिका राहुल से मिलकर घर लौट रही थी. मौसम का भी मिज़ाज़ आज कुछ बदला बदला सा था. आसमान में गहरे घने बदल छाए हुए थे और बीच बीच में बिजली भी कड़क रही थी. थोड़े देर के बाद तेज़ बारिश शुरू हो गयी. ये जुलाइ महीने की पहली बारिश थी. राधिका घर आते आते पूरी तरह से भीग गयी थी. थोड़ी देर में कृष्णा भी घर आता हैं और वो भी पूरी तरह से भीग चुका था.

कृष्णा राधिका पर एक नज़र डालता हैं और फिर उसके नज़दीक आकर उसके अपने गोद में उठा लेता हैं और वो घर के पीछे आँगन में राधिका को उठा कर ले जाता हैं. बाहर बारिश बहुत तेज़ से हो रही थी.

राधिका- ये क्या कर रहे हो भैया. मैं पहले से ही भीग चुकी हूँ और आप फिर से मुझे बारिश में भीगा रहे हो.

कृष्णा- यही तो मज़ा हैं राधिका बारिश में भीगने का. मुझे बारिश में भीगना बहुत पसंद हैं.

राधिका- अच्छा तो आपको बारिश में भीगना पसंद हैं तो मुझे क्यों भिगो रहे हो.

कृष्णा कुछ बोलता नहीं और धीरे से राधिका को अपने गोद से उतार देता हैं और अपना लिप्स राधिका के लिप्स पर रखकर उसे बड़े प्यार से चूसने लगता हैं. राधिका भी मुस्कुरा कर कृष्णा का पूरा समर्थन करती हैं. पीछे की बाउंड्री चारो तरफ से घिरी हुई थी और इतनी उँची थी कि कोई बाहर का व्यक्ति नहीं देख सकता था.

कृष्णा धीरे धीरे बारिश में भीगते हुए राधिका के लिप्स को चूसे जा रहा था. राधिका के होंठों का स्वाद और बारिश की बूँदें दोनो के जिस्म में आग लगा रही थी. राधिका का दिल फिर से तेज़ी से धड़कने लगता हैं. कृष्णा एक हाथ धीरे से सरकते हुए वो राधिका के सीने पर रख देता हैं और अपनी उंगली से उसके निपल्स को धीरे धीरे मसल्ने लगता हैं. कृष्णा तो वैसे ही आग लगा चुका था और उपर से ये बारिश रही सही कसर पूरा कर रही थी.

राधिका की आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी. वो इस वक़्त पूरी मदहोशी में थी. कृष्णा फिर राधिका के पीछे आकर अपने होंठ राधिका के कंधे पर रखकर बड़े हौले हौले से चूसना शुरू करता हैं. राधिका अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और कृष्णा ऐसे ही धीरे धीरे बढ़ते हुए अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं . फिर वो एक हाथ नीचे लेजा कर वो राधिका की चूत को अपनी मुट्ठी में पकड़ का ज़ोर से भीच देता हैं. राधिका के मूह से लगातार सिसकारी निकल रही थी. कृष्णा द्वारा अपनी चूत को ज़ोर से भीचने पर वो ज़ोर से सिसक पड़ती हैं. वो इस वक़्त पूरी तरह से बेचैन थी. वो भी अपना एक हाथ कृष्णा के हाथ पर रखकर अपनी चूत पर दबाव देती हैं. फिर कृष्णा उसकी गर्देन पर जीभ फिराते हुए उसके कान तक जाता हैं और फिर से वही प्रक्रिया दोहराता हैं.

कृष्णा फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर वो उसकी लग्गि को धीरे धीरे सरकाते हुए उसके बदन से अलग करने लगता हैं. राधिका भी झुककर अपनी लग्गि उतार देती हैं. फिर वो अपना एक हाथ लेजा कर राधिका की पैंटी पर रख देता हैं और फिर धीरे धीरे वो अपनी एक उंगली उसकी पैंटी के अंदर ले जाता हैं. और फिर धीरे धीरे उसको भी सरकने लगता हैं. और कुछ देर के बाद राधिका की पैंटी भी उसके बदन से अलग हो जाती हैं. इस वक़्त राधिका सिर्फ़ सूट में थी. और कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी थी.

कृष्णा- आज तो इस बारिश ने और आग लगा दिया हैं. जी तो कर रहा हैं राधिका की आज मैं हद्द से गुजर जाऊ.

राधिका- आपको किसने रोका हैं. जो आपका दिल करे मेरे साथ कीजिए मैं आपको किसी भी बात के लिए मना थोड़ी ही ना करूँगी.

कृष्णा फिर धीरे से राधिका का सूट भी सरका कर उपर से निकलने लगता हैं और थोड़ी देर में बस राधिका के जिस्म में सिर्फ़ ब्रा बचा हैं. कृष्णा फिर झट से वो ब्रा का स्ट्रॅप्स भी खोल कर उसे भी अलग कर देता हैं. इस वक़्त राधिका खुले मौसम में बाहर बरामदे में पूरी तरह से नंगी खड़ी थी कृष्णा के सामने.

कृष्णा- आज तू मेरे कपड़े खुद उतारेगी. मैं आज हाथ भी नही लगाने वाला.

राधिका मुस्कुराते हुए- ठीक हैं जैसी आपकी मर्ज़ी फिर राधिका अपने होंठ कृष्णा की गर्देन पर रख देती हैं और वैसे ही वो भी अपनी जीभ धीरे धीरे फिराती हैं. और एक हाथ से धीरे धीरे कृष्णा के शर्ट का बटन को खोलना शुरू करती हैं. फिर नीचे अपने कोमल हाथों को लेजा कर पेंट के उपर से ही कृष्णा का लंड को पकड़ लेती हैं और अपने लिप्स कृष्णा के लिप्स पर रखकर उसे चूसना शुरू करती हैं. फिर वो कृष्णा का पेंट उतार देती हैं और उसके बाद बनियान . अब कृष्णा इस वक़्त सिर्फ़ अंडरवेर में था और उसके अंडरवेर में मानो टेंट बना हुआ था. राधिका ये देखकर मुस्कुराती हैं और अपना जीभ अंडरवेर के उपर से ही फिराती हैं. अंडरवेर तो पहले से ही बारिश में भीग कर गीला हो चुका था वो अपना मूह पूरा खोलकर अंडरवेर सहित कृष्णा का लंड अपने मूह में लेकर चूसना शुरू करती हैं. कृष्णा तो मानो पागल हो जाता हैं.

थोड़े देर के बाद वो अपनी एक उंगली अंडरवेर में फँसा कर उसको भी नीचे सरका देती हैं. अब कृष्णा भी एक दम नंगा राधिका के सामने खड़ा रहता हैं.

कृष्णा- राधिका मेरे लौडे को आज शांत कर दे ना. पता नहीं क्यों आज सुबेह से ही बहुत मचल रहा हैं.

राधिका मुस्कुराती हैं और वो वही घुटनों के बल बैठकर कृष्णा का लंड बड़े गौर से देखने लगती हैं. फिर अपनी जीभ धीरे से निकाल कर उसके टॉप को हौले हौले चूसना शुरू करती हैं. कृष्णा एकदम से बेचैन हो जाता हैं फिर वो राधिका को अपनी पीठ के बल लेटने को कहता हैं. राधिका वही कृष्णा के लंड के नीचे अपना सिर रख देती हैं और कृष्णा राधिका के सिर को अपनी दोनो हाथों से कसकर पकड़ लेता हैं और अपना लंड राधिका के मूह में डालना शुरू करता हैं. राधिका भी पूरा अपना मूह खोल कर कृष्णा का समर्थन करती हैं. इस वक़्त अगर राधिका की ये पोज़िशन थी कि वो कृष्णा को मना तो दूर वो पूरे उसके रहमो करम पर थी जैसे कृष्णा उसे चाहे वैसे उसे चोदे.

कृष्णा पहले तो धीरे धीरे फिर बहुत तेज़ी के साथ अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता हैं और राधिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं. धीरे धीरे कृष्णा का लंड राधिका के मूह से होते हुए गले की ओर जाने लगता हैं. अब राधिका भी इस चीज़ की आदि हो गयी थी. उसे भी ये सब अच्छा लगने लगा था. कृष्णा अपने लंड पर उसी तरह से प्रेशर बनाए रखता हैं और अब कृष्णा का लंड राधिका के हलक तक पहुँच जाती हैं और वो उसी अवस्था में अपने लंड पर दबाव बनाए रखता हैं. राधिका की साँसें फूलना शुरू हो जाती हैं और आँखों से आँसू भी निकलने लगते हैं मगर वो एक भी बार कृष्णा को मना नहीं करती बल्कि उसका पूरा साथ देती हैं.

कृष्णा का लंड जब पूरा राधिका के हलक में पहुँच जाता हैं तो वो उसी तरह से अपने लंड को राधिका के गले में डाले रहता हैं. हालाँकि वो जानता था कि राधिका की इस वक़्त क्या हालत हो रही होगी मगर आज उसके सिर पर हवस चढ़ कर बोल रही थी. वो आज राधिका को तकलीफ़ में देखकर उसके मज़ा आ रहा था. करीब 30 सेकेंड तक वो ऐसे ही अपना लंड राधिका के हलक में रखता हैं और फिर एक झटके से अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं. राधिका वहीं ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं. उसकी साँसें बहुत ज़ोर से चल रही थी और चेहरा पूरा लाल पढ़ चुका था. उपर से ये बारिश में अभी भी ये दोनो भीग रहे थे. थोड़ी देर के बाद कृष्णा फिर से राधिका के बाल को पकड़कर एक झटके में अपना लंड राधिका के गले में पहुँचा देता हैं और इस बार तब तक अपना लंड राधिका के गले से नहीं निकलता जब तक उसका वीर्य राधिका के गले के नीचे नहीं उतर जाता. करीब 1 मिनिट तक वो अपना लंड राधिका के हलक में फँसाए रहता हैं और आख़िरकार उसका धैर्य टूट जाता हैं राधिका भी मानो एक लाश की तरह वहीं धम से गिर पड़ती हैं..

कृष्णा - तू ठीक तो हैं ना राधिका. पता नहीं मुझे आज क्या हो गया था.

राधिका मुस्कुराती है और धीरे से कहती हैं- भैया क्या आप भी ........लगता हैं कि आप आज मेरी जान लेने के पीछे पड़े हुए हो. भला कोई इतनी देर तक अपना लंड मेरे गले में डालता हैं क्या. ऐसा लग रहा था कि मेरा गला फट जाएगा. अगर आप थोड़ी देर तक और नहीं निकलते अपना लंड तो सच में मेरा गला फट गया होता.

कृष्णा- तू ही तो है जो मेरा इतना ख्याल रखती हैं. चल अपनी टाँगें पूरा फैलाकर बैठ जा मैं तेरी चूत चाटूँगा. राधिका मुस्कुरा कर अपनी दोनो टाँगें फैला देती है और कृष्णा वहीं झुक कर अपना होंठ राधिका की चूत पर रख देता हैं. राधिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो भी अपने दोनो हाथों को कृष्णा के सिर पर फिराती हैं और अपनी दोनो टाँगें फैलाकर अपनी चूत चटवाती हैं. कृष्णा एक उंगली से उसकी चूत के लिप्स की फांकों को अलग करता हैं फिर अपना जीभ आयेज बढ़कर उसे धीरे धीरे चलाने लगता हैं. राधिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं वो भी ज़ोर ज़ोर से अपने निपल्स को अपने दोनो उंगलियों से मसलने लगती हैं.

कृष्णा फिर अपनी दो उंगली उसकी चूत में डाल देता हैं और नीचे झुक कर राधिका की गान्ड के छेद पर अपनी जीभ रख देता हैं. इस हमले से राधिका मानो उछल पड़ती हैं.

राधिका- भैया ये क्या कर रहे हो. भला कोई गान्ड भी चाहता हैं क्या. आपको घिंन नहीं आती.

कृष्णा- तुझे क्या मालूम चुदाई में कुछ भी गंदा नहीं होता.

फिर वो तेज़ी से अपने दोनो उंगलियो को राधिका की चूत में आगे पीछे चलने लगता हैं और उतनी ही तेज़ी से राधिका की गान्ड भी चाटने लगता है. राधिका के मूह से लगातार....आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह............एयेए.ऊओ...ह.ई.ऊवूऊवूवाह्ह्फह....आह्ह्ह्ह्ह.आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह. की आवज़ें आ रही थी. वो भी थोड़ी देर तक कृष्णा का सामना कर पाती हैं फिर चिल्लाते हुए तेज़ी से झरने लगती हैं.


कृष्णा अपनी दोनो उंगलियों को आगे बढ़कर राधिका के होंठो पर रख देता हैं राधिका बिना कोई सवाल जवाब के कृष्णा की दोनो उंगली को चूसने लगती हैं. फिर वो अपना एक उंगली राधिका की गान्ड में पेल देता हैं और फिर तेज़ी से उसकी गान्ड में आगे पीछे अपनी उंगली को चलाने लगता हैं. फिर से वो अपनी उंगली को राधिका के मूह में डाल कर उससे चूस्वाता हैं..

काफ़ी देर तक बारिश में भीगने के बाद कृष्णा वही राधिका को फर्श पर सुला कर अपना लॉडा सीधा राधिका की चूत में एक झटके में पूरा डाल देता हैं. राधिका के मूह से आउच................की तेज़ आवाज़ आती हैं और फिर कृष्णा तेज़ी से अपना लंड आगे पीछे करने शुरू करता हैं. थोड़ी देर में कृष्णा का पूरा लंड राधिका की चूत के पानी से भीग जाता हैं. कृष्णा आगे बढ़कर अपना लंड फिर से राधिका से चुस्वाता हैं और फिर जब कृष्णा के लंड पर लगा राधिका की चूत का पानी पूरा सॉफ हो जाता हैं तो वो फिर एक झटके में अपना पूरा लंड राधिका की चूत में पेल देता हैं. ऐसे ही बीच बीच में वो राधिका से कई बार अपना लंड चुस्वाता हैं. और फिर करीब 45 मिनिट तक वो राधिका की चूत मारता हैं और आख़िरकार वो अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में ही निकल देता हैं. वो वही राधिका के उपर पसर जाता हैं.

बारिश भी अब कम हो गयी थी. वो दोनो वही पर काफ़ी देर तक ऐसे ही बारिश में नंगे एक दूसरे से लिपटे रहते हैं फिर कृष्णा उठता हैं और राधिका को अपनी गोद में उठाकर अपने बेडरूम में लेकर आता हैं फिर वो टवल से अपना जिस्म और राधिका के बदन को अच्छे से पोछता हैं.

थोड़ी देर के बाद वो दोनो खाना खाते हैं फिर कृष्णा राधिका की गान्ड के साथ खेलना शुरू कर देता हैं

राधिका- क्या भैया लगता हैं आज आप पूरी रात मुझे सोने नहीं देंगे.

कृष्णा- राधिका आज फिर से तेरी गान्ड मारने का मन कर रहा हैं.

राधिका- तो मार लो ना मैने कब मना किया हैं मगर धीरे धीरे अपना लंड डालना. वहाँ पर तकलीफ़ होती हैं.

कृष्णा मुस्कुरा देता हैं और बिस्तेर पर पीठ के बल सो जाता हैं. राधिका जब अपने भैया को सोया हुआ देखती हैं तो वो सवालियों भरे नज़रो से कृष्णा को देखने लगती हैं.

राधिका- अब क्या हुआ. अभी कुछ देर पहले तो मेरी गान्ड मारने वाले थे. क्यों इतनी जल्दी ठंडा पड़ गये क्या.

कृष्णा- आज मैं तेरी गान्ड नहीं मारूँगा बल्कि तू खुद अपनी गान्ड मुझसे मरवाएगी. आज मैं तेरे उपर नहीं बल्कि तू खुद मेरे उपर चढ़ कर मेरे लंड को अपने गान्ड में लेगी मगर मेरी एक शर्त हैं.

राधिका हैरत से कृष्णा की ओर देखने लगती हैं- शर्त कैसी शर्त..

कृष्णा- आज मैं तुझे एक साथ डबल चुदाई का मज़ा देना चाहता हूँ.

राधिका को कृष्णा की बातें कुछ समझ नहीं आती और वो सवाल भरे नज़रों से कृष्णा को देखने लगती हैं- डबल चुदाई से क्या मतलब हैं. कहीं आप ये तो नहीं चाहते कि मैं और किसी के साथ ये सब......

कृष्णा- क्या राधिका तुम भी ना. ये देखो मेरे हाथ में क्या हैं.

राधिका- जब एक नज़र कृष्णा की हाथों के तरफ देखती हैं तो वो भी समझ जाती हैं कि कृष्णा क्या चाहता हैं. कृष्णा के हाथ में एक मूली था जो करीब 3 इंच मोटा और 8 इंच बड़ा था.

कृष्णा- अब मैं अपना लंड तेरी गान्ड में डालूँगा और तू ये मूली अपनी चूत में डालेगी. जितनी तेज़ी से मैं तेरी गान्ड मारूँगा उतनी ही तेज़ी से तू अपना ये हाथ चलाएगी.

राधिका कुछ बोल नही पाती और इशारे में अपना सिर हिला देती हैं. फिर कृष्णा वही बिस्तेर पर लेट जाता हैं और राधिका को भी पीठ के बल अपने उपर सुला लेता हैं. फिर वो अपने हाथ में रखा मूली को राधिका की चूत के पास ले जाता हैं और जवाब में राधिका अपनी चूत को अपने दोनो हाथों से पूरा फैला देती हैं. कृष्णा धीरे धीरे वो मूली पर दबाव बनाता हैं और धीरे धीरे राधिका की चूत में डालना शुरू कर देता हैं. थोड़ी देर के बाद वो मूली राधिका की चूत में पूरा चला जाता हैं. फिर कृष्णा अपना लंड राधिका की गान्ड पर रखकर धीरे धीरे अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं.

ऐसा पहला मौका था जब एक साथ राधिका की चूत और गान्ड में एक तरफ़ मूली तो दूसरी तरफ लंड घुसने वाला था. वो भी बहुत रोमांचित थी. उसे तो पता भी नहीं था कि एक साथ दो लंड से भी चुदाई होती हैं. कृष्णा अपने लंड पर दबाव बढ़ाते जा रहा था आज राधिका की गान्ड कुछ ज़्यादा टाइट लग रही थी क्यों कि चूत में पहले से ही मूली था. वो थोड़ा दबाव देता हैं और लंड करीब 4 इंच तक राधिका की गान्ड में समा जाता हैं. राधिका की चीख निकल जाती हैं..

राधिका- भैया प्लीज़ अपना लंड निकाल लो ना मुझसे ये नहीं होगा. बहुत दर्द हो रहा हैं.

कृष्णा- थोड़ी देर और सब्र कर राधिका फिर देखना तुझे इतना मज़ा आएगा कि तू सब भूल जाएगी. फिर कृष्णा अपने लंड को बाहर निकालता हैं और एक तेज झटके के साथ पूरा अंदर पेल देता हैं.राधिका की तेज़ चीखें निकल जाती हैं. और अब कृष्णा रुकता नही है और धीरे धीरे वो अपना लंड राधिका की गान्ड में पूरा उतार देता हैं. राधिका की आँखों से आँसू निकल जाते हैं. उसे इतना दर्द हो रहा था मगर वो कृष्णा की वजह से चुप थी. थोड़ी देर के बाद वो भी मूली को अपनी चूत में आगे पीछे करना शुरू करती हैं और इधेर कृष्णा भी अपना लंड आगे पीछे करना शुरू करता हैं.

थोड़ी देर में राधिका की दर्द की जगह पर सिसकारी गूंजने लगती हैं. कृष्णा अपने दोनो हाथों से राधिका के बूब्स को पूरी ताक़त से मसल्ने लगता हैं जैसे कि वो आज पूरा दूध निकाल लेगा. और इधेर राधिका तेज़ी से अपने हाथ से मूली अपनी चूत में चला रही थी. मूली भी उसके चूत रस से पूरी तरह से भीग चुकी थी. और निरंतर उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. आज उसे इतना मज़ा आ रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि वो किसी जन्नत में हैं. इधेर कृष्णा तेज़ी से राधिका की गान्ड मारे जा रहा था. करीब 45 मिनिट तक धमाकेदार चुदाई के बाद कृष्णा अपना पूरा कम राधिका की गान्ड में निकाल देता हैं और राधिका भी एक लाश की तरह वही कृष्णा के उपर गिर जाती हैं. इस बीच राधिका आज 4 बार फारिघ् हुई थी. उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसके जिस्म में जान ही नहीं बची है. कमरे में दोनो की साँसें चलने की आवाज़ें आ रही थी और दोनो के शरीर भी पसीने के लथपथ थे. हालाँकि बारिश अभी भी हो रही थी मगर दोनो की प्यास अब बुझ चुकी थी.

राधिका बड़े प्यार से कृष्णा को देख रही थी जैसे कोई दो प्यासे एक दूसरे को देखते हैं. फिर वो कृष्णा के लिप्स चूम लेती हैं और अपना हाथ रखकर कृष्णा की बाहों में सो जाती हैं.
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#36
Update 29



रात के करीब 9 बज रहे थे. कृष्णा और राधिका एक दूसरे की बाहों में बेख़बर सो रहे थे. राधिका के मन में हर बार की तरह राहुल के लिए आत्म-ग्लानि थी. वो तो खुद ऐसे मज़धार में फँसी हुई थी कि उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे.

उधेर बिहारी के घर पर...................

बिहारी की तो वैसे भी फटी पड़ी थी राहुल की वजह से. और वो जान गया था कि अगर अब वो अपना हुकुम का इक्का नहीं खोला तो अब बहुत देर हो जाएगी और कल तक राहुल उसकी गर्दन मरोड़ चुका होगा. ये सोचकर वो अपनी अगली चाल चलता हैं..

बिहारी- बिरजू मुझे तुमसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी थी. पर मुझे समझ में नही आ रहा कि मैं ये बात तुमसे कैसे कहूँ.??

बिरजू तो पहले बिहारी की बातें सोचने पर मज़बूर हो जाता हैं कि आख़िर बिहारी उससे कौन सी बात करना चाहता हैं पर वो अपने मालिक को निराश भी तो नहीं करना चाहता था. इसलिए वो इशारे में अपना सिर हां में हिला देता हैं.

बिरजू- कहिए मलिक. ऐसी कौन सी बात हैं जो आप इतना सोच रहे हैं??

बिहारी- क्या करें बिरजू बात ही कुछ ऐसी हैं. अगर नहीं कहा तो तेरे साथ ना-इंसाफी होगी और अगर कह दिया तो तू बुरा मान जाएगा.

बिरजू- आप तो मेरे मालिक हैं और मैं आपका वफ़ादार नौकर. मालिक की बातों का भला मैं कौन होता हूँ बुरा मानने वाला. आप बे-झीजक कहिए.

बिहारी कुछ देर सोचता हैं फिर कहना शुरू करता हैं- देख बिरजू बात बहुत ही गंभीर हैं. मैं नहीं चाहता कि तेरा परिवार बिखर जाए. मुझे तेरे बेटे कृष्णा की हरकतें कुछ ठीक नहीं लग रही.

बिरजू- क्या हुआ मलिक. कृष्णा ने कुछ कहा क्या आप से.

बिहारी- नहीं बिरजू हर बात कोई ज़रूरी थोड़ी ना हैं कि कहा ही जाए. तुझे पता भी हैं आज कल तेरे घर में क्या चल रहा हैं. तू तो दिन भर घर से गायब ही रहता हैं. और कृष्णा तेरी पीठ पीछे तेरी बेटी के साथ......................इतना बोलकर बिहारी खामोश हो जाता हैं.

बिरजू के चेहरे का रंग फीका पड़ जाता हैं- ऐसा क्या किया हैं कृष्णा ने मेरी बेटी के साथ. वो तो उसकी बहुत ख्याल रखता हैं. और आब तो कृष्णा राधिका को दिल-ओ-जान से चाहता हैं आख़िर वो उसकी एक-लौति बेहन जो हैं.

बिहारी- यही तो तू समझने की भूल कर रहा हैं. मैं ये नहीं कह रहा कि कृष्णा राधिका को दिल-ओ-जान से नहीं चाहता हैं मगर एक भाई बेहन के रूप में नहीं बल्कि अपनी प्रेमिका के रूप में.. अब तेरी बेटी हर रात कृष्णा का बिस्तेर गरम करती हैं और अब वो कृष्णा की रखैल बन चुकी हैं.

बिरजू- मालिक ज़ुबान संभाल का बात कीजिए. आप मालिक हैं इसका मतलब ये नहीं कि आप मेरी बेटी पर इतना गंदा इल्ज़ाम लगाएँगे. मैं ये कभी बर्दास्त नहीं करूँगा. बस आप चुप हो जाइए. मैं अब और अपनी बेटी के बारे में ये सब नहीं सुन सकता.

बिहारी- सच हमेशा कड़वा होता हैं बिरजू. मुझे पता था कि तुझे मेरी बातों का यकीन बिल्कुल नहीं होगा. पर मुझे क्या मिलेगा तुझसे झूट बोलकर. ये 100 आना सच हैं.

बिरजू- ऐसा कभी नहीं हो सकता. मेरी बेटी ऐसा घिनौना काम कभी नहीं कर सकती. और कृष्णा उसका भाई हैं भला वो कृष्णा के साथ ऐसा नीच काम कैसे कर सकती हैं. ये सरासर ग़लत हैं.

बिहारी- झूट बोलने का शौक मुझे भी नहीं है बिरजू. तुझे क्या लगता हैं कि मैं झूट बोल रहा हूँ. अगर तुझे मेरी बातों पर यकीन नहीं है तो जा इसी वक़्त अपने घर और जाकर अपनी आँखों से देख कि इस वक़्त कृष्णा तेरी भोली भाली बेटी की गान्ड मार रहा हैं कि नहीं. अगर मेरी बात झूट निकले तो बिहारी अपनी ज़ुबान कटवा देगा. ये बिहारी की ज़ुबान हैं.

बिरजू के चेहरे पूरा पीला पड़ गया था. वो ये बात आच्छे से जानता था कि बिहारी उससे ऐसा घिनोना मज़ाक कभी नहीं कर सकता. तो क्या ये सब सच हैं. क्या मेरी बेटी इस वक़्त कृष्णा के साथ ऐसा गंदा काम कर रही होगी................नहीं नहीं ये सच नहीं हो सकता. राधिका को मैं आच्छे से जानता हूँ. वो मर जाना पसंद करेगी मगर इतना गंदा काम कभी नहीं कर सकती.. बिरजू को ऐसे सोच में डूबा देखकर बिहारी मन ही मन बहुत खुस होता हैं..

बिहारी- देख बिरजू अब भी कुछ नहीं बिगाड़ा हैं. जा कर अपनी बेटी को समझा और अगर ये बात समाज़ में फैल गयी तो तू किसी को मूह दिखाने के लायक नहीं रहेगा. समझाना मेरा फ़र्ज़ था आगे तेरी मर्ज़ी.

बिरजू- ठीक हैं मालिक ईश्वार से मैं यही दुआ करूँगा कि आपकी बात सच ना हो. अगर ऐसा हुआ तो मैं आज के बाद आपके चौखट पर कभी अपना कदम नहीं रखूँगा. और अगर आपकी बात सच हुई तो मैं अपने इन्ही हाथों से अपनी बेटी का गला घोंट दूँगा.

बिहारी- तो फिर देर किस बात की हैं. इसी वक़्त घर जाकर देख ले कि तेरी बेटी कृष्णा की रातें रंगीन कर रही हैं कि नहीं. अगर मेरी बात ग़लत हुई तो तू बेशक़ मेरे चौखट पर अपने कदम मत रखना. और अगर मेरी बात सच हुई तो तू जो चाहे अपनी बेटी के साथ कर सकता हैं.

बिरजू वहाँ से थिरकते कदमों से वो अपने घर की तरफ़ निकल पड़ता हैं. बारिश आभी भी हल्की हल्की हो रही थी. आज बिरजू के माँ में हज़ार तरह के सवाल उठ रहे थे. उसे तो बिल्कुल याकीन नहीं हो रहा था कि उसकी अपनी बेटी अपने ही भाई से ऐसा गंदा काम भी कर सकती हैं. आख़िर राधिका की क्या मज़बूरी रही होगी क्या हवस में आदमी इतना नीचे भी गिर जाता हैं कि कौन उसका भाई हैं ये तक उसे दिखाई नहीं देता. ऐसे ही हज़ार तरह के सवाल इस वक़्त बिरजू के मन में उठ रहे थे.

बिरजू तो रास्ते भर ये मना रहा था कि ये सब बातें जो बिहारी ने उससे कही थी वो सब ग़लत हो. उसके कदम भारी होते जा रहे थे जैसे जैसे उसका घर नज़दीक आ रहा था. थोड़े देर के बाद वो अपने घर के दरवाज़े के पास खड़ा होता हैं. वो भी इस वक़्त पूरा भीग चुका था. वैसे तो कितने सालों के बाद वो आज रात में अपने घर आया था. रात को तो वो कभी भी घर नहीं आता था. इस वजह से कृष्णा और राधिका बिरजू की तरफ से पूरी तरह बेख़बर थे. उन्हें क्या मालूम था की इस वक़्त बिरजू अपने घर के चौखट पर खड़ा है. इस वक़्त कृष्णा और राधिका एक दूसरे की बाहों में नंगे सोए हुए थे..


तभी उनके घर पर दस्तक होती हैं. दरवाज़े की खट-खटाहट सुनकर राधिका और कृष्णा की आँखें खुल जाती हैं और दोनो चौक कर उठ बैठते हैं.

कृष्णा- इस वक़्त कौन आ गया रात के 10 बजे. ऐसा कर राधिका फटा फट अपने कपड़े पहन ले मैं जाकर दरवाजा खोलता हूँ और कृष्णा अपने बदन पर लूँगी और बनियान डालकर वो दरवाज़े की तरफ बढ़ता हैं. उसके मन में भी कई तरह के सवाल थे. आख़िर इतनी रात में कौन आ सकता हैं. बापू तो नहीं होंगे उसे पूरा विश्वास था क्यों कि वो कितने सालों से उसके बापू रात में घर नहीं आते थे.

कृष्णा अपने ही सोच में डूबा हुआ वो दरवाजे की तरफ पल पल बढ़ रहा था और उधेर राधिका के दिल में भी दर जनम ले चुका था. वो भी फटाफट अपने कपड़े पहनती हैं मगर उसके कपड़े तो पूरे गीले थे. वो झट से अलमारी में से अपने सूट और सलवार निकाल कर जल्दी से पहनने लगती हैं. आख़िर कार कृष्णा दरवाजे के पास पहुँच जाता हैं और अपने बढ़ते कदमों को वहीं रोककर अपना एक हाथ आगे बढ़कर दरवाज़ा खोलने लगता हैं. उधेर बिरजू के मन में भी इसी तरह के सवाल चल रहे थे.

अंत में कृष्णा दरवाज़ा खोल देता हैं और जैसे ही दरवाज़े खुलता हैं कृष्णा की नज़र जब बिरजू पर पड़ती हैं तो कृष्णा के होश उड़ जाते हैं. कृष्णा ने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस वक़्त उसका बाप दरवाज़े पर खड़ा होगा.

कृष्णा अभी भी हैरत से अपने बाप को देख रहा था. मानो एक पल के लिए तो उसके दिमाग़ का काम करना बंद हो गया हो.

कृष्णा- बापू.............त..अयू....तुम.

बिरजू- क्यों नहीं आ सकता क्या मैं इस वक़्त अपने घर पर. तू तो ऐसे देख रहा है जैसे मैं तेरा बाप नहीं कोई और हूँ.

कृष्णा- लेकिन....इतनी रात को........इस वक़्त..कैसे आना....हुआ. सब ......ठीक तो ...........हैं ना.

बिरजू- ये तेरी आवाज़ को क्या हुआ. तू इतना हकला क्यों रहा हैं. सब ठीक तो हैं ना. चल अंदर चलते हैं. और बिरजू अंदर आने के लिए अपने कदम बढ़ाता हैं और कृष्णा की मानो साँस अटक जाती हैं.

कृष्णा- नहीं..बापू.. मेरा मतलब......आप. थोड़ा सा......नहीं नहीं... नहीं बापू........आप ऐसे.....अंदर .....नहीं जा .सकते.

बिरजू- ये तू क्या अनाप-सनाप बके जा रहा हैं. तेरा दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया ना. मुझे क्या मेरे ही घर में क्या तेरी इजाज़त लेनी पड़ेगी अंदर जाने की .और बिरजू झट से घर के अंदर आ जाता हैं.

बिरजू- राधिका कहाँ हैं इस वक़्त कृष्णा..कहीं दिखाई नहीं दे रही.

कृष्णा- होगी .....अपने कमरे में. ..शायद......सो रही होगी.

बिरजू फिर अपने कदम बढ़ाते हुए सीधा राधिका के कमरे में चला जाता हैं और राधिका इस वक़्त अपने कपड़े पहन चुकी थी. उसको भी बड़ा झटका लगता है अपने बापू को ऐसे अचानक घर आया देखकर.

बिरजू की नज़र जब राधिका पर पड़ती हैं तब बिरजू बड़े गौर से राधिका को सिर से लेकर पाँव तक घूर घूर कर देखने लगता हैं. तभी पीछे से कृष्णा भी वहाँ आ जाता हैं. इस वक़्त राधिका भी अपने कपड़े सही ढंग से नहीं पहन पाई थी. उपर से उसकी जुल्फें खुली हुई थी और बिस्तेर भी अस्त-व्यस्त था. बिरजू कमरे को बड़े गौर से एक एक चीज़ देखने लगता हैं. और कमरे का नज़ारा देखकर उसको समझ में आ जाता हैं कि अभी थोड़े देर पहले यहाँ पर क्या चल रहा था. फिर वो कमरे से बाहर निकल कर अपने घर के एक एक चीज़ को गौर से देखने लगता हैं फिर वो पीछे बरामदे में जाता हैं और जब राधिका और कृष्णा के कपड़े उसे वहाँ मिलते हैं तब उसका शक़ पूरे यकीन में बदल जाता हैं और वो उन कपड़ों को उठा कर राधिका और कृष्णा के बीच लाकर रख देता हैं.

जब कृष्णा और राधिका की नज़र अपने कपड़ों पर पड़ती हैं तो उन्दोनो के होश उड़ जाते हैं.

बिरजू- ये सब क्या हैं राधिका. तेरे कपड़े और कृष्णा के कपड़े बाहर कैसे पड़े हुए हैं.

राधिका- वो मैं शाम को आई थी तो बारिश में मैं पूरी भीग गयी थी तो मैने वो कपड़े ...............................राधिका आगे कुछ बोल पाती इसी पहले बिरजू राधिका की बात काट देता हैं.

बिरजू- और तू क्या कहना चाहता हैं क्या तू भी वही कहेगा जो राधिका अभी अभी कही हैं. कृष्णा कुछ नहीं बोलता और हां में अपनी गर्दन हिला देता हैं.

बिरजू- चलो मान लिया कि तुम दोनो भीग गये थे तो तुम्हारे कपड़े तो बाथरूम में होने चाहिए थे ना. तो वो बाहर बरामदे में क्या कर रहे थे.

राधिका- वो मैं .........बाथरूम में रखने ही वाली थी.................इसी पहले राधिका आगे अपना शब्द पूरा कर पति बिरजू का एक ज़ोरदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ता हैं. और राधिका के आँख से आँसू छलक पड़ते हैं.

बिरजू- झूट.................झूट बोल रही हैं तू राधिका. ................सरसार झूट. सच तो ये हैं कि तू कृष्णा के साथ बारिश में उसका साथ अपनी हवस शांत करवा रही थी.

कृष्णा- बापू..ये तुम...........क्या बोल रहे हो.....ये झूट हैं....

बिरजू का एक ज़ोरदार थप्पड़ अब कृष्णा के गाल पर पड़ता हैं और कृष्णा अपना सिर झुका कर नीचे देखने लगता हैं.

बिरजू-क्यों मैं सही बोल रहा हूँ ना. राधिका तू इतना नीचे गिर जाएगी मैं कभी सपने में भी नहीं सोचा था. तुझे और कोई नहीं मिला अपनी हवस शांत करवाने के लिए. मिला भी तो तेरा अपना ही भाई.

राधिका नज़रें नीचे झुकाए अभी भी बिरजू के सामने खड़ी थी.

बिरजू- मैं तुझसे कुछ पूछ रहा हूँ राधिका. मेरे सवालों का जवाब मुझे चाहिए. इसी वक़्त.

राधिका- हां बापू आप जो समझ रहे हैं वो बिल्कुल सच हैं. मैं हर रात अपने भैया के साथ सोती हूँ.

बिरजू का एक और करारा थप्पड़ राधिका के गाल पर पड़ता हैं और इस बार राधिका के होंठों से खून निकल जाता हैं.

बिरजू- समझ में नहीं आता कि मैं तुझे क्या कहूँ.....एक रखैल........... या इस हरामी को ......बेहन्चोद. जिसे और कोई नहीं मिली चोदने के लिए. मिली भी तो अपनी ही बेहन. तुमने तो भाई बेहन के रिश्ते के मायने ही बदल कर रख दिए. कितना भरोसा था मुझे तुझ पर. मैं तो यही सोचता था कि मेरी बेटी कभी भी कोई ग़लत काम नहीं करेगी. मगर तूने तो मेरे विश्वास की धज़ियाँ उड़ा डाली. शरम आती हैं मुझे तुम जैसे औलाद को अपना औलाद कहते हुए. इससे अच्छा तो मैं तेरे पैदा होते ही तेरा गला घोंट देता. कम से कम आज तो ये दिन मुझे नहीं देखना पड़ता.

राधिका आगे बढ़कर बिरजू के दोनो हाथों को अपनी गर्दन पर रख देती हैं- लो बापू घोंट दो मेरा गला. कम से कम आपको मुझसे तो छुटकारा मिल ही जाएगा. मैं तो वैसे भी जीना नहीं चाहती.

कृष्णा आगे बढ़कर अपने बापू का हाथ छुड़ाता हैं- बापू मुझे जितना मारना हैं मार लो. मैं एक शब्द कुछ नहीं कहूँगा. जो कहना हैं मुझे कह लो. राधिका बिल्कुल बे-कसूर हैं.

बिरजू- तुझे क्या कहूँ एक बेहन का आशिक़ ...........या बेहन्चोद. इतना समझ ले मैं तेरी तरह बेहन्चोद नहीं हूँ जो अपनी ही बेहन चोद्ता हो. और ना ही मुझे शौक हैं कि तेरी तरह अपनी बेटी को चोदु. और मैं तेरी तरह बेटी चोद नहीं बनना चाहता. मैं मर जाना पसंद करूँगा मगर ऐसा नीच काम कभी नहीं करूँगा.

राधिका- बस कीजिए बापू. अब मुझसे ये सब और नहीं सुना जाएगा.

बिरजू फिर आगे बढ़कर राधिका के गाल पर तीन चार थप्पड़ जड़ देता हैं फिर उसके बालों को कसकर अपनी मुट्ठी में पकड़ लेता हैं- क्यों भाई के साथ रातें रंगीन करने पर शरम नहीं आई और अब ये सब सुनने में शरम आ रही हैं. और फिर से तीन चार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देता हैं. राधिका के चेहरे पर बिरजू के हाथों के निशान सॉफ दिखाई दे रहे थे. उसका चेहरा पूरी तरह से लाल पड़ गया था. और होंठो से खून भी बह रहा था. तभी कृष्णा आगे बढ़कर राधिका को छुड़ाता हैं.

कृष्णा- बस करो बापू. आज मार डालोगे क्या राधिका को.

बिरजू- जी तो कर रहा हैं कि इसकी आज जान ले लूँ. और बिरजू आकर वहीं फर्श पर बैठ जाता हैं.

राधिका आगे बढ़कर अपने बापू के पास जाती हैं- रुक क्यों गये बापू. मेरे लिए ये सौभाग्य की बात होगी कि मेरी मौत आपके हाथों हो. हां मैं मानती हूँ कि मैने भाई बेहन के रिश्ते को कलंकित किया हैं. मैं इन सब की कसूरवार हूँ. इसमें मेरे भैया का कोई दोष नहीं. मैने ही इन्हें मज़बूर किया था ये सब करने के लिए. मैं ही बहक गयी थी. मगर इन सब के पीछे वजह थी. आप ने तो बड़ी आसानी से मुझे ना जाने क्या क्या कह दिया पर मैं आपसे पूछ सकती हूँ कि आज तक आपने मेरे लिए क्या किया. आज तक आपने कभी भी अपने बाप होने का कोई भी फ़र्ज़ निभाया. क्या हमारी ज़रूरतें होती हैं कभी आपने सोचने की कोशिश की.

सिर्फ़ औलाद पैदा कर देने से वो बाप या मा नहीं कहलाता. बाप या मा का ये भी फ़र्ज़ होता हैं कि वो अपने औलाद का पालन पोषण करें. उसकी हर ज़रूरतो को पूरा करें. उसकी हर सुख दुख में बराबर का हिस्सेदार बने. मगर आपने तो मुझे पैदा करके छोड़ दिया. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आज तक आपने मेरे लिए क्या किया हैं. आप सिर्फ़ बाप कहलाने के हक़दार हो बाप नहीं हो............

बिरजू अब लगभग शांत हो चुका था और वो राधिका की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था.

राधिका- अगर बचपन से लेकर अब तक आपने बाप होने का फ़र्ज़ निभाया होता तो आज ये सब नौबत नहीं आती. कृष्णा भैया भी आपकी ही राहों पर चल रहें थे. दिन रात शराब सिग्रेट और रंडी बाज़ी ये सब इनका रोज़ का काम था. अगर मैने इन्हें सुधारने के लिए अपने आप को इनके हवाले किया तो क्या ग़लत किया.

अगर आज ये सब कुछ छोड़ कर एक अच्छा इंसान बन रहे हैं तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता हैं कि मैं इनकी खुशी के लिए इनका हर इच्छा पूरी करूँ चाहे वो इच्छा बीवी की क्यों ना हो. मैं तन मन से इनकी सेवा करूँ. क्या ये सब करके मैने ग़लत किया.

अगर बचपन में आपने मेरा दामन थाम लिया होता तो आज ये सब कभी नहीं होता. आज आपके अंदर भी ज़िमेदारी नाम की कोई चीज़ होती. अगर आपने इस घर की ज़िम्मेदारी नहीं उठाई और इस घर की पूरी ज़िम्मेदारी मैने अपने उपर ली तो क्या मैने ग़लत किया. मुझे जवाब दो क्या इन सब सवलों जवाब हैं आपके पास.

राधिका की ऐसी बातें सुनकर तो आज बिरजू की भी बोलती बंद हो गयी थी वो भी सोच में डूब जाता हैं और राधिका के एक एक शब्दों का जवाब ढूँढने की कोशिश करता हैं.

कमरे में तीनों एक दम खामोश थे. अंत में बिरजू अपनी चुप्पी तोड़ता हैं.

बिरजू- राधिका तूने जो कहा हैं हो सकता हैं कि वो सारी बातें सच हो. मगर तुमने जो तरीका अपनाया हैं वो बिल्कुल ग़लत हैं. तूने तो ये भी नहीं सोचा कि ये सब करने से हमारे समाज में हमारी क्या इज़्ज़त रह जाएगा जब ये बात दुनियावालों को पता चलेगी. सब लोग हमपर हसेन्गे.

राधिका- मैं जानती हूँ बापू कि मैने जो किया हैं वो ग़लत हैं लेकिन मुझे इसका कोई पछतावा नहीं हैं. मुझे अपने भैया की ज़िंदगी ज़्यादा प्यारी हैं. अगर दुनिया हँसती हैं तो हँसे मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता. समझ का काम ही हैं हमेशा उंगली उठना.

बिरजू- या तो तेरा दिमाग़ खराब हो गया हैं या तो तू हवस में बिल्कुल आँधी हो चुकी हैं जो इतना भी नहीं समझती कि हम इसी समाज़ के ही इंसान हैं. अरे पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर. ये तो वही बात हो गयी ना.

राधिका- मुझे माफ़ कर दीजिए बापू मैं इस सिस्टम को अकेले नहीं बदल सकती. मैं इस समाज़ के चक्कर में अपने भैया की ज़िंदगी बर्बाद होता हुआ नहीं देख सकती. और राधिका उठ कर बाथरूम में चली जाती हैं. फिर कृष्णा आकर वही सोफे पर सो जाता हैं और बिरजू भी आकर कृष्णा के बिस्तेर पर सो जाता हैं. बिरजू जैसे ही वो बिस्तेर पर आकर लेट ता हैं उसके मन में राधिका की कही हुई सारी बातें घूमने लगती हैं. मगर बहुत सोचने के बाद भी वो कोई फ़ैसला नहीं ले पता हैं.

राधिका भी आकर बिस्तेर पर सो जाती हैं मगर उसकी आँखों में नींद कहाँ थी. वो भी बहुत डर तक इन्ही सब बातो में खोई हुई थी. आख़िर बिहारी को कैसे पता चला कि मेरे और भैया के बीच जिस्मानी संबंध हैं. मेरे भैया के रिश्ते के बारे में तो बस निशा ही जानती थी. और निशा तो बिहारी को जानती भी नहीं फिर ये बात बिहारी को कैसे पता लगी. इतना तो मैं यकीन से कह सकती हूँ कि भैया भी कभी इस बात की जीकर उससे क्या किसी से नहीं करेंगे. फिर उसे कैसे ये बात मालूम हैं. बहुत देर तक वो इन सब सवालों के जवाब ढूँढने की कोशिश करती हैं मगर उसे कुछ समझ नहीं आता.

फिर वो ऐसे ही ना जाने कितनी देर तक ये सब सोचती है और कब उसकी आँख लग जाती हैं उसे पता भी नहीं चलता. राधिका इन सब से बेख़बर थी उसे क्या मालूम था कि ये तो बस तूफान की शुरूवात हैं. जो तूफान अब उसकी ज़िंदगी में आने वाला था वो उसकी ज़िंदगी को पूरी तरह से बदलने के लिए काफ़ी था. शायद भगवान भी उसका इम्तिहान ले रहा था. क्या था वो तूफान ये तो जल्दी ही पता चलने वाला था..

.......................................

सुबेह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो बिरजू उसके पास बैठा मिलता हैं. वो उसे बड़े प्यार से देख रहा था. राधिका की जब आँख खुलती हैं तो वो चौंक कर अपने बाप को देखने लगती हैं.

राधिका- बापू आप इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हैं.

बिरजू- मुझे माफ़ कर दे बेटा मैने ना जाने तुझे क्या क्या कहा और तुझपर अपना हाथ उठाया. सच में तू अब बहुत बड़ी हो गयी है. तेरा दिल बहुत बड़ा हैं. आज के बाद इस घर की ज़िम्मेदारी तू नहीं बल्कि अब मैं इस घर को संभालूँगा. मेरी वजह से तूने बहुत दुख झेले हैं और आज के बाद मैं तुझे कोई तकलीफ़ नहीं दूँगा. और आज के बाद मैं उस बिहारी के पास भी नहीं जाउन्गा. बेटा हो सके तो तू मुझे माफ़ कर दे. वैसे तो मैं माफी के लायक नहीं हूँ अगर तू मुझे जो सज़ा देना चाहे दे सकती हैं. मैं खुशी खुशी तेरी हर सज़ा क़ुबूल कर लूँगा. और मेरी वजह से ही तो तेरा हँसता खेलता बचपन उजड़ गया. तेरी मा के मौत का भी मैं ही ज़िम्मेदार हूँ . जानता हूँ की मेरी ग़लती अब माफी के लायक नहीं हैं पर तू जो चाहे मुझे सज़ा दे सकती हैं. बिरजू राधिका के सामने अपने दोनो हाथ जोड़ते हुए बोला.

राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं खुशी के मारे- ये आप कैसी बातें कर रहे हैं बापू. जाने दीजिए जो हुआ वो मेरे बीता हुआ कल था. मैं उसे याद करना नहीं चाहती. मुझे अब आपसे कोई शिकवा गीला नहीं हैं. बस आप अब सिग्रेट शराब पीना छोड़ दीजिए. और अब एक अच्छे इंसान बन जाइए मुझे अब और कुछ नहीं चाहिए. बिरजू इतना सुनकर झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं. ऐसे ही ना जाने कितनी देर तक दोनो बाप बेटी एक दूसरे के गले लगे रहते हैं. आज ज़िंदगी में पहली बार राधिका आपने बाप के गले मिली थी. आज राधिका बेहद खुश थी मगर इस खुशी को जल्दी ही ग्रहण लगने वाला था..

थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी उठता हैं और जाकर अपने बाप के पास चुप चाप खड़ा हो जाता हैं.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दो बापू आगे से ऐसा नहीं होगा.

बिरजू- मैने तुझे कब का माफ़ कर दिया हैं.

तभी घर का बेल बजता हैं. कृष्णा चौन्कर दरवाज़े की तरफ देखने लगता हैं फिर वो जाकर दरवाज़ा खोलता हैं. जब दरवाज़ा खुलता हैं तो सामने जिस शक्श पर कृष्णा की नज़र पड़ती हैं उसे देखकर उसके पाँव तले ज़मीन खिसक जाती हैं. सामने बिहारी था और उसके साथ उसके दो चमचे भी थे. वो हैरत से बिहारी की ओर देखने लगता हैं.

बिहारी झट से अंदर आता हैं और आकर वही सोफे पर बैठ जाता हैं. तभी बिरजू और राधिका भी आ जाते हैं और बिहारी को ऐसे बैठा देखकर लगभग दोनो चौंक जाते हैं.

राधिका- अब क्या लेने आए हो बिहारी. चले जाओ यहाँ से. आज के बाद यहाँ तुम्हारा कोई काम नहीं.

बिहारी पहले तो राधिका को सिर से लेकर पाँव तक घूर कर देखता हैं फिर बोलता हैं- चला जाउन्गा इतनी भी क्या जल्दी हैं. घर आए मेहमान से क्या कोई इस तरह से पेश आता हैं . और मेहमान को तो भगवान का दर्ज़ा दिया जाता हैं.

राधिका- तू भगवान नहीं इंसान की खाल में छुपा शैतान हैं. हमे तुमसे कोई रिस्ता नहीं रखना हैं और अब कोई ज़रूरत नहीं हैं कि तुम यहाँ पर आओं. अच्छा होगा कि तुम यहाँ से चले जाओं.

तभी बिरजू बीच में बोल पड़ता हैं.

बिरजू- मालिक मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ आप यहाँ से चले जाइए. अब मैं आपके यहाँ काम नहीं करूँगा.

बिहारी- मुझे हैरत हो रही है कि तू ये बात बोल रहा हैं. बरसों से मेरी गुलामी किया और आज इस लड़की ने तुझे क्या पाठ पढ़ा दिया कि तूने भी कृष्णा की तरह आज मुझसे मूह फेर लिया खैर कोई बात नहीं आज कल वफ़ादार नौकर इतनी आसानी से कहाँ मिलते हैं और वो भी तेरे जैसा. कोई बात नहीं मैं तुझे निराश नहीं करूँगा. भाई ज़िंदगी तेरी हैं तू जैसे चाहे जी .........जा आज के बाद बिहारी तुझे आज़ाद करता हैं. मगर एक बात मुझे तेरी बेटी से कहनी हैं अगर तू इसकी इज़ाज़ात दे तो मैं कहूँ..

बिरजू- मालिक ये आप कैसी बातें कर रहें हैं भला मैं कौन होता हूँ आप को इज़ाज़ात देने वाला. आप बेशक़ राधिका से जो पूछना हैं पूछ सकते हैं.

बिहारी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं - राधिका सोच क्या तुझे एक बहुत बड़ा सच बता दूँ जिसको सुनकर तुझे झटका तो लगेगा मगर तुझे नहीं बताया तो मेरे दिल को चैन नहीं मिलेगा. फिर बिहारी अपनी जेब में से एक फोटो निकाल कर राधिका को थमा देता हैं और जब राधिका वो फोटो देखती हैं तो वो हैरत से उस फोटो को देखने लगती हैं..फिर वो सवालियों नज़र से बिहारी की ओर देखने लगती हैं.
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#37
Update 30



राधिका बड़े गौर से उस फोटो को देख रही थी. वो फोटो पार्वती की थी.

बिहारी- तू तो इसको अच्छे से जानती होगी. पार्वती नाम हैं इसका. ये मेरी बीवी थी जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. उसका कुछ दिन पहले कतल हो गया था.

राधिका के चेहरे पर पसीने की कुछ बूँदें थी और दिल और दिमाग़ में कई सारे सवाल उठ रहे थे.- लेकिन ये सब तुम मुझे क्यों दिखा रहे हो. भला इस फोटो से मेरा क्या संबंध हैं.

बिहारी - संबंध हैं. बहुत गहरा संबंध हैं. मैं जानता हूँ कि जिस वक़्त मेरी बीवी का कतल हुआ उस वक़्त तू वहाँ पर मौजूद थी और उसका कतल होते हुए अपनी आँखों से भी देखा. और अब तू गवाह भी बनने वाली हैं. और तू चाहती है कि इसके गुनहगारों को इसकी किए की सज़ा मिले. मगर मैं नहीं चाहता कि तू पोलीस को जाकर कोई बयान दे. ये तेरे लिए ही अच्छा होगा.

राधिका- तुम मुझे धमकी दे रहे हो या चेतावनी मुझे इसी कोई फ़र्क नहीं पड़ता. मैं जानती हूँ कि तुमने ही अपनी बीवी को मरवाया हैं. इस लिए तुम कभी नहीं चाहोगे की मैं पोलीस को जाकर कोई भी बयान दूँ. मगर ये तुम्हारी भूल हैं मैं पोलीस को जाकर तुम्हारे खिलाफ बयान दूँगी और ये तुम्हारा बे-नक़ाब चेहरा इस दुनिया को दिखाउन्गि.

बिहारी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं- मैं जानता था कि तुम इतनी आसानी से मेरी बात नहीं मनोगी. खैर ये तो तुम जानती ही हो कि मैने ही अपनी बीवी को मरवाया हैं मगर क्या तुम उनके क़ातिलों से मिलना नहीं चाहोगी. जब तुम्हें पता लगेगा कि मेरी बीवी के कातिल कौन हैं तो हो सकता हैं तुम अपना बयान बदल लो.

बिहारी की ऐसी बातें सुनकर राधिका का दिल बहुत ज़ोरों से धड़कने लगता हैं और वो ज़ुबान लड़खड़ाने लगती हैं- कौन.............हैं....

बिहारी- बताउन्गा इतनी भी क्या जल्दी हैं. आभी तो तुझे एक और धमाकेदार खबर सुननी हैं.

राधिका- पहेलियाँ मत भुजाओं बिहारी. जो कहना हैं सॉफ सॉफ कहो.

बिहारी- ठीक हैं तो सीधा मुद्दे पर आते हैं. तू ये सोच रही होगी कि कृष्णा के साथ तेरी जिस्मानी ताल्लुक़ात मुझे कैसे पता लगे.

राधिका के चेहरे का रंग फीका पड़ चुका था वो बस बिहारी के आगे बोलने का इंतेज़ारक़र रही थी.

बिहारी- तुझे याद होगा कि एक तेरी नयी नयी दोस्त बनी हैं जिसका नाम हैं मोनिका उर्फ्फ़......तन्या. तू तो उसे अच्छे से जानती होगी. आज कल वो तुझसे मिलने अक्सर तेरे घर पर आती हैं. वो तेरी दोस्त नहीं बल्कि मेरा ही एक मोहरा हैं जो मेरे इशारों पर नाचती हैं. या यूँ कह ले कि मेरी वो रखैल हैं. जो तेरी सारी इन्फर्मेशन मुझ तक पहुँचाती हैं.

राधिका इतना सुनते ही उसके होश उड़ जाते हैं- धोका.............. इतना बड़ा विश्वासघात ?????

बिहारी- हां भाई हम तो दोस्तों पर भी उतनी ही नज़र रखते हैं जितना कि दुश्मन पर. और तेरे से कोई मेरी दुश्मनी थोड़ी ही ना हैं. तुझे तो मैं अपना दोस्त मानता हूँ.

राधिका- लेकिन ये बात तो मैने मोनिका को भी नहीं बताई थी कि मेरे भैया के बीच मेरे शारीरिक संबंध हैं. फिर वो कैसे जानती हैं ये बात.

बिहारी- यार तू सवाल बहुत पूछती हैं. जितनी तू खूबसूरत हैं तेरे दिमाग़ भी उतनी ही चलता हैं. थोड़ा धीरज रख बताता हूँ.

बिहारी- तुझे याद होगा एक बार जब मोनिका तेरे घर पर पहली बार आई थी तब वो तुझे कुछ प्रेज़ेंट दी थी. मेरे ख्याल से तुझे याद होगा. .........................एक टेडी बेर.

राधिका को झटके पर झटके लग रहे थे बिहारी की एक एक बातों को सुनकर- हां याद हैं. वो इस वक़्त मेरे पास ही हैं.

बिहारी- जानती हैं उस टेडी बेर में क्या है. वो कोई नॉर्मल टेडी बेर नहीं है बल्कि यू कह सकती हैं कि उसमें एक कॅमरा लगा हुआ हैं और साथ में सेन्सर भी. जब इंसान उसके संपर्क में आता हैं तो उसका कॅमरा ऑटोमॅटिक आक्टीवेट हो जाता हैं और उसके अंदर एक हार्ड डिस्क भी लगी हुई हैं जो तेरी सारी हरकतों को रेकॉर्ड करता हैं. एक वाइयरलेस पोर्ट भी हैं जिससे मैं जब चाहे तब उस टेडी बेर से कनेक्ट हो जाता हूँ और तेरी सारी करतूतों को रेकॉर्ड करता हूँ. जिस तरह से लोग आज कल इंटरनेट यूज़ करते हैं वाइर्ले नेटवर्क के ज़रिए उसी तरह से ये भी काम करता हैं. बस मैने तो अब तक की तेरी सारी ब्लू फिल्म भी तैयार कर रखी है. अगर तू चाहे तो मैं तुझे सबूत के तौर पर दिखा भी सकता हूँ.

बिहारी की बाते सुनकर कृष्णा और राधिका के होश उड़ जाते हैं.



राधिका- तुम ऐसा नहीं कर सकते. राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.

बिहारी- बिल्कुल कर सकता हूँ. तू ही सोच अगर तेरी ये ब्लू फिल्म मैं मार्केट में लॉंच कर दूं या फिर इंटरनेट पर डाल दूं तो तू जीते जी मर जाएगी. और सोच अगर तेरी ये ब्लू फिल्म अगर राहुल को पता लग गया तो ...............................बिहारी इतना बोलकर खामोश हो जाता हैं.

राधिका- मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ बिहारी. ऐसा मत करना. मैं जी नहीं पाउन्गि.

बिहारी- चिंता मत कर मैं तुझे ब्लॅकमेलिंग नहीं करूँगा और मैं ये नहीं चाहता राधिका कि तुझे कुछ हो. आख़िर मुझे भी तुझसे इश्क़ हो गया हैं. क्या करें ये दिल का मामला है और तू तो ये बात अच्छे से जानती होगी कि ये प्यार कितनी जालिम चीज़ हैं. हमेशा दर्द ही देता हैं.

राधिका वही नीचे फर्श पर बैठ जाती हैं.- तो क्या चाहते हो बिहारी इन सब के बदले. क्या मैं तुमसे शादी कर लूँ. अगर तुम्हारी यही इच्छा हैं तो मैं आब तुमसे शादी करने को तैयार हूँ.

बिहारी हंसते हुए- शादी और तुझसे..................अब तो तू एक रखैल बन चुकी हैं. और रखैल को कोई बीवी नहीं बनाता. और रखैल का भी ईमान धरम होता हैं वो कितना भी गिर जायें मगर अपने भाई और बाप के साथ बिस्तेर गरम नहीं करती. मगर तू तो उन सब से आगे हैं.रखैल की शोभा तो कोठे पर होती हैं. और तेरी जगह भी वही हैं. मगर मैं इतना निर्दयी नहीं हूँ. तेरी जैसी मस्त आइटम को मैं दिल के एक फीट नीचे बैठा कर हमेशा रखूँगा. बीवी तो ना सही पर ज़िंदगी भर मैं तेरे को अपनी पर्सनल रंडी बनाकर ज़रूर रखूँगा. बिहारी की ऐसी बातें सुनकर कृष्णा गुस्से से चिल्ला पड़ता हैं.

बिहारी- ज़ुबान को लगाम दे बिहारी. वरना तेरी ज़ुबान यही काट कर फेंक दूँगा.

बिहारी कृष्णा के नज़दीक जाता हैं और जाकर एक घूसा कृष्णा के पेट पर मार देता हैं. कृष्णा वही दर्द से बैठ जाता हैं.- इस वक़्त मेरा पलड़ा भारी हैं. अगर ज़्यादा होशियारी दिखाई तो तेरी बेहन कोठे के लायक भी नहीं रहेगी. उसे ऐसे दरिंदो के बीच भेज दूँगा जहाँ उसकी हर रात बोटी बोटी नोची जाएगी और तेरी बेहन की ऐसी हालत होगी की ये ना जी पाएगी और ना ही मर पाएगी.

कृष्णा खामोश हो जाता और और चुप चाप बिहारी को देखने लगता हैं.

बिहारी- बोल बनेगी ना मेरी पर्सनल रंडी.

राधिका कुछ बोल नहीं पाती और अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं. उसके आँखों से आँसू अब भी बह रहे थे. आज राधिका खुद को इतना कमजोर महसूस कर रही थी कि आज वो बिहारी के सामने बिल्कुल बेबस थी.

राधिका- छोड दो मेरे भैया को. जो तुम चाहते हो वो मैं सब करने को तैयार हूँ. मगर इससे पहले मैं पार्वती के क़ातिलों के बारे में जानना चाहती हूँ. कौन हैं उसके कातिल.

बिहारी हंसते हुए- बताता हूँ मेरी जान थोड़ा सब्र तो कर. और अपने दिल को भी थोड़ा मज़बूत कर ले. मैं जानता हूँ की तू ये सच शायद बर्दास्त नहीं कर पाएगी.

राधिका- पहेलियाँ मत बुझाओ बिहारी. क्या हैं सच.???

बिहारी- तो सुन बताता हूँ. सच तो ये हैं कि पार्वती को मैने ही मरवाया हैं. वो मेरा सच जान गयी थी कि मैं अपनी राजनीति की आड़ में ड्रग्स और लड़कियों का धंधा करता हूँ. और उसने मुझे मोनिका के साथ सेक्स करते हुए पकड़ लिया था. वो मेरा सच जान गयी थी जिसके वजह से वो मुझसे डाइवोर्स चाहती थी. बस यही वजह थी कि मैने उसे अपने रास्ते से हटवा दिया. अगर मैं ऐसा नहीं करता तो वो जाकर पोलीस में सारी बातें बक देती.

राधिका हैरत से सारी बातें बिहारी के मूह से सुन रही थी. उसकी हर बात राधिका के दिमाग़ में बॉम्ब की तरह फट रहे थे.

बिहारी- ये मेरी किस्मत हैं या मेरी बदक़िस्मती पर जिस वक़्त मैने अपने दो आदमियों को भेजा था उसका मर्डर करवाने के लिए उस वक़्त तू वहाँ पर पहुँच गयी थी और पार्वती का खून होते तूने अपनी आँखो से देख लिया. मैने अपने एजेंट्स और प्राइवेट जासूस से ये पता करवाया कि वो तू ही हैं जिसने ये वारदात होते अपनी आँखों से देखा था. मैने तो ये सोच लिया था कि तुझे भी जान से मरवा दूँगा मगर मैं नहीं चाहता था कि तुझे कुछ हो. पर एक बात तूने कभी गौर नहीं किया कि रास्ता सूनसान था और उस वक़्त तू बिल्कुल अकेली थी और जो दोनो बदमाश थे उनके हाथों में हथियार थे फिर भी वो लोग तुझपर हमला नहीं किए और तुझे देखकर भाग गये. आख़िर क्यों.??? कभी सोचा हैं अगर वो चाहते तो तुझे वही बड़ी आसानी से मार सकते थे मगर उन दोनो ने ऐसा नहीं क्या. मैं बताता हूँ इसके पीछे क्या वजह हैं...

राधिका हैरत से सारी बातें बिहारी के मूह से सुन रही थी. उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले.

बिहारी- तो सुन जिन लोगों को तू अपने आँखों से कतल करते हुए देखी थी वो और कोई बल्कि तेरे अपने लोग हैं.

राधिका की दिल ज़ोरों से धड़कने लगता हैं बिहारी की ऐसी बातें सुनकर- अपने............लोग.....क्या ............मतलब.

बिहारी- हां मेरी बीवी के कातिल तेरे सामने मौजूद हैं ..........वो देख एक तो तेरा भाई.................और दूसरा तेरा बाप...........

राधिका इतना सकते ही वो वही धम्म से ज़मीन पर गिर जाती हैं और उसकी आँखों से आँसुओ का सैलाब निकल पड़ता हैं- ये नहीं हो सकता. तुम झूट बोल रहे हो.ऐसा कभी नहीं हो सकता मेरे भैया और बापू ऐसा कभी नहीं कर सकते. वो किसी का कतल नहीं कर सकते.

बिहारी- मैं जानता था कि तू सपने में भी मेरी बातें पर यकीन नहीं करेगी. इसलिए मैं पूरे सबूत अपने साथ लाया हूँ. फिर बिहारी अपने जेब में से फोटोग्रॅफ्स राधिका को थमा देता हैं.

राधिका एक एक कर सारे फोटोस को देखने लगती हैं. उसमें नक़ाब में उसके बापू और कृष्णा मौजूद थे. और एक आदमी से हाथ मिलाते हुए भी कुछ फोटोस थे. उस आदमी को राधिका ने कभी नहीं देखा था. और फिर उसके हाथ में एक बॅग भी था जो एक दिन कृष्णा अपने साथ घर पर लाया था. राधिका के मूह से वो बॅग वाला बात निकल पड़ता हैं.

राधिका- ये तो वही बॅग हैं जो एक दिन भैया इसे अपने साथ लाए थे.

बिहारी अपने एक आदमी को इशारा करता हैं और वो जाकर कृष्णा के कमरे से वो बॅग उठा लता हैं और बिहारी के सामने रख देता हैं.

बिहारी- ये वही बॅग हैं. फिर राधिका झट से उस बॅग को खोलती हैं और जब उसके अंदर जब उस समान पर नज़र पड़ती हैं तो उसे मानो ऐसा लगता हैं जैसे किसी ने उसके शरीर से से पूरा खून निकाल लिया हो. उस बॅग में वही नक़ाब और कपड़े रखे हुए थे. साथ में दो चाकू भी थे और उस पर थोड़े खून के निशान भी थे. और फिर अंत में उसे नोटों का बंड्ल मिलता हैं. 1000 के 10 गॅडी. यानी 10 लाख रुपये...

राधिका की आँखों से अब भी आँसू बह रहे थे. उसे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसके भैया और उसके बापू ऐसा काम भी कर सकते हैं.

बिहारी- अब विश्वास हो गया ना तुझे मेरी बातो पर. बोल अब भी तू क्या पोलीस को बयान देगी ये जानते हुए भी कि मेरी पत्नी के कातिल तेरे ही बाप और भाई हैं.

राधिका कुछ बोल नहीं पाती और अपनी गर्देन चुप चाप नीचे झुकाए रहती हैं.

बिहारी- अभी तो मैने तुझे आधी पिक्चर दिखाई हैं. बाकी के आधी पिक्चर भी तुझे बहुत जल्द दिखाउन्गा. हो सके तो तू अपना दिल मज़बूत किए रहना. और वैसे भी तू बहुत हिम्मत वाली लड़की हैं. कोई दूसरी होती तो ना जाने अब तक क्या कर बैठती. और हां अब तेरे परिवार की जान तेरी मुट्ठी में हैं. या तो तू इसे बचा सकती हैं या फिर चाहे तो मिटा सकती हैं. अब फ़ैसला तुझे ही करना हैं. मेरी तरफ से तू बे-फिकीर रह मैं कभी भी अपना मूह नहीं खोलूँगा. और बिहारी इतना बोलकर अपने आदमियों के साथ बाहर निकल जाता हैं.

राधिका चुप चाप वही फर्श पर बैठी हुई थी और उसकी आँखों में आँसू थे. वही सामने कृष्णा और बिरजू अपना सिर झुकाए चुप चाप खड़े थे. आज सुबेह राधिका कितनी खुश थी उसे लगा कि उसका बरसों का बिखरा परिवार आज एक हो गया मगर ये खुशी थी कुछ पल के लिए. उसे क्या पता था कि आज उसके ज़िंदगी में ऐसा तूफान आएगा कि उसकी सारी ख़ुसीयों को बहा कर ले जाएगा.

राधिका फिर उठकर कृष्णा के पास जाती हैं और एक नज़र अपने भैया को गौर से देखती हैं फिर एक ज़ोरदार थप्पड़ कृष्णा के गाल पर जड़ देती हैं. फिर एक के बाद लगातार तीन चार थप्पड़ और कृष्णा के दोनो गालों पर जड़ देती हैं. कृष्णा एक शब्द कुछ नहीं बोलता और चुप चाप अपनी गर्देन नीचे झुका लेता हैं.

राधिका- क्यों किया आपने ऐसा. मैं पूछती हूँ ............क्यों???? आख़िर क्या मज़बूरी थी जो आपको उस मासूम औरत को जान से मारना पड़ा. अरे कितनी विश्वास करने लगी थी मैं आप पर लेकिन आज फिर आपने मेरी विश्वास की धज़ियाँ उड़ा दी. निशा सही कहती थी काश मैने उसकी बात पहले ही मान ली होती तो आज मुझे ये दिन नहीं देखना पड़ता.

शरम आती हैं मुझे आप पर. इंसान कितना भी बदल जाए मगर अपनी फिदरत कभी नहीं बदल सकता. आज आपने ये बात भी साबित कर दी. और आज के बाद ये समझ लेना कि आपकी कोई बेहन नहीं हैं. मैं आज के बाद आपलोगों के लिए मर गयी हूँ. ना मेरा कोई इस दुनिया में बाप हैं और ना ही भाई. आज आप लोग की वजह से उस बिहारी ने मुझे ना जाने क्या क्या कहा. दुख मुझे उसकी बातो का नहीं हैं. दुख तो इस बात का हैं की मैं आपको पहचान नहीं पाई. मैं ही ग़लत थी. और राधिका वही फुट फुट कर रोने लगती हैं.

कृष्णा- राधिका मैं जानता हूँ कि मैने बहुत बड़ा गुनाह किया हैं. और मैं अब माफी के हक़दार भी नहीं हूँ. तू जो चाहे मुझे सज़ा दे सकती हैं. मैं अब कुछ नहीं कहूँगा.

राधिका- मुझे कुछ कहना लायक कहाँ छोड़ा हैं आपने. बस मैं इतना जानना चाहती हूँ कि कौन सी ऐसी मज़बूरी थी जो आपको उस मासूम का खून करना पड़ा. मुझे बस इसकी वजह बता दीजिए.

कृष्णा- मैने जो भी कुछ किया हैं तेरे लिए किया हैं. अब कुछ दिन में तेरी शादी होने वाली थी तो कहाँ से मैं इतने पैसों का इंतज़ाम करता. किसके सामने अपने हाथ फैलाता. और मैं चाहता था कि तू भी हँसी खुशी रहे. ऐसे ही मैं एक दिन सोच रहा था की कैसे भी करके मुझे 2 लाख रुपए का इंतज़ाम कहीं से कर लूँ फिर तेरी शादी धूम धाम से करूँगा. फिर एक दिन एक आदमी मेरे पास आया. शायद वो अच्छे से जानता था कि मुझे इस वक़्त पैसों की शख्त ज़रूरत हैं. उसने मेरे सामने पार्वती के मर्डर करने का प्रपोज़ल रखा. पहले तो मैने सॉफ इनकार कर दिया. फिर एक दिन बापू ने भी मुझसे वही बात कही और ये भी कहा कि वो इस काम के बदले मुझे 10 लाख रुपये देगा. मैने पैसों की वजह से हां कर दी. जब मैने पार्वती को जान से मार दिया तब मुझे पता लगा कि वो आदमी बिहारी का ही था. बाद में बिहारी ने मुझसे कहा कि मैं अपना सोर्स और पवर का इस्तेमाल करके तुझे जैल से रिहा करवा दूँगा. बस इस वजह से मैं भी चुप हो गया. मैने तुझे कई बार इस बारे में बात करने की हिम्मत जुटाई मगर मैं जानता था कि तू मेरी बातो को नहीं समझेगी. बस तुझे कभी भी किसी चीज़ का कोई तकलीफ़ ना हो. मैने जो कुछ भी किया हैं बस तेरी खुशी के लिए किया हैं.

राधिका- खुशी................एक मासूम की हत्या करके मुझे खुश रखना चाहते हो आप. जानते भी हैं आपकी इस बेवकूफी की नतीजा क्या होगा. शाया आपको इस बात का अंदाज़ा नहीं है मगर मैं जानती हूँ कि बिहारी अब मेरे से क्या चाहता हैं.वो इसका फ़ायदा उठाकर अब मुझे हासिल करना चाहता हैं और ये बात आप लोग अच्छे से जानते हो कि वो मुझे अपनी रखैल बनाकर रखेगा. आप ने तो मुझे कहीं का नहीं छोड़ा. भैया मैं बहुत खुस थी. हम ग़रीब थे मगर मैने कभी आप से किसी भी चीज़ का कभी कोई ज़िक्र नहीं किया. मैं जैसे भी थी खुस थी मगर आपको शायद मेरी वो खुशी भी देखी नहीं गयी. मैं आपको कभी माफ़ नहीं कर सकती. और राधिका कृष्णा के सीने पर मूक्‍के मारते मारते वही उसके कदमों में बैठ जाती हैं. कृष्णा की इतनी भी हिम्मत नही थी कि वो उसे उठाए.

राधिका फिर अपने आँसू पोछती हैं. मैं इसके किए की आपको सज़ा ज़रूर दिलवाउंगी. और फिर राधिका राहुल के पास फोन करती हैं.

राहुल- हां जान बोलो कैसे याद किया.

राधिका- तुम जाना चाहते थे ना पार्वती के क़ातिलों को बारे में . मैं जानती हूँ कौन हैं उसके कातिल. तुम यहाँ पर तुरंत आ जाओ इसी वक़्त.

राहुल के भी होश उड़ जाते हैं राधिका की ऐसी बातो को सुनकर- ऑल यू ऑलराइट. कभी कोई बुरा ख्वाब तो नहीं देखा ना. डॉन'ट माइन मैं अभी तुम्हारे घर पर आ रहा हूँ. और फिर राधिका फोन रख देती हैं.

कृष्णा- बस आखरी बार एक बात कहना चाहता हूँ राधिका कि मैं एक अच्छा भाई का फ़र्ज़ नहीं निभा सका हो सके तो मुझे भूल जाना और समझ लेना कि कृष्णा आज के बाद तेरे लिए मर गया हैं. राधिका कृष्णा की बातो को सुनकर फुट फुट कर रोने लगती हैं..

बिरजू भी चुप चाप वहीं खामोश खड़ा था. वो तो चाह कर भी कुछ नहीं बोल पा रहा था. आज कृष्णा की आँखों में भी आँसू थे पस्चाताप के. आब उसे लगने लगा था की उसने आज कितनी बड़ी भूल की हैं मगर आब शायद बहुत देर हो चुकी थी. थोड़ी देर में राहुल भी आ जाता हैं. साथ में ख़ान और एक हवलदार भी था.

राहुल अंदर आता हैं और अंदर का नज़ारा देखकर वो भी थितक जाता हैं. अंदर राधिका आभी भी फर्श पर बैठी हुई रो रही थी और कृष्णा और बिरजू चुप चाप वही खड़े थे. राहुल राधिका के नज़दीक जाकर उसे अपने मज़बूत हाथों से उसे सहारा देकर उठाता हैं और फिर उसके आँसू पोछता हैं.

राहुल- क्या बात हैं जान. आज तुम्हारे इन आँखों में आँसू. सब ठीक तो हैं ना. और तुम ऐसे क्यों रो रही हो.

राधिका- सब ख़तम हो गया राहुल. सब कुछ बर्बाद हो गया. और इतना कहकर राधिका राहुल के सीने से लिपटकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगती हैं.

राहुल- क्या हुवा बताओ तो सही. मेरा दिल बैठा जा रहा हैं. मैं तुम्हारे इन आँखों में आँसू नहीं देख सकता.

राधिका अपने आँसू पोछते हुए- तुम जानना चाहते थे ना पार्वती के कातीलो के बारे में. वो देखो तुम्हारे सामने मौजूद हैं और राधिका अपने हाथों से अपने भैया और बापू की ओर इशारा करती हैं. राहुल के भी होश उड़ जाते हैं राधिका के मूह से ये सब सुनकर.

राधिका- और ये देखो सबूत फिर वो बॅग राहुल को थमा देती हैं जिसमें हथियार और नक़ाब थे और साथ में पैसे भी. राहुल एक एक कर सारे समान को देखने लगता हैं.

राहुल- ऐसा कैसे हो सकता हैं. भैया आप ऐसा कैसे कर सकते हैं. मुझे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता. फिर राधिका जो भी बात हुई थी सारी बातें वो राहुल को बता देती हैं.

राहुल- ये सब आप लोगों ने अच्छा नही किया. इतना भी नहीं सोचा की आपके ये सब करने के बाद राधिका का क्या होगा.

राहुल- तो ये सब बिहारी की चाल थी. साला बहुत बड़ा हरामी चीज़ हैं. लेकिन वो कब तक बचेगा मुझसे. मैं उसे नहीं छोड़ूँगा. ख़ान सबसे पहले उस आदमी का पता लगाओ जिसने कृष्णा और बिरजू काका को पैसे दिए थे. अगर वो आदमी मिल गया तो बिहारी कल जैल के सलखो के पीछे होगा. उसका हमारे हाथ लगना बहुत ज़रूरी हैं. फिर मज़बूरन राहुल कृष्णा और बिरजू के हाथों में हथकड़ी लगा देता हैं.

राहुल- मुझे अपना फ़र्ज़ तो निभाना पड़ेगा ना राधिका. चाहे इस राह में मेरा अपना ही क्यों ना आयें.
राधिका- मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी राहुल. तुम अपना फ़र्ज़ पूरा करो. ये सज़ा के ही हक़दार हैं.

कृष्णा हाथ जोड़ कर राधिका के पास आता हैं- राधिका आखरी बार मुझे हंस कर विदा कर दे. मुझे अब किसी से कोई शिकायत नहीं हैं. तू जैसे रहना खुस रहना बस उपर वाले से यही दुवा करूँगा. और कृष्णा और उसके बापू फिर घर से बाहर निकल कर पोलीस की जीप में बैठ जाते हैं. और ख़ान उन्हें लेकर पोलीस थाने की ओर चल पड़ता हैं. बस कमरे में राधिका के सिसकने की आवाज़ें आ रही थी. आज वो बिल्कुल तन्हा हो गयी थी. हर रोज़ उसे अपने भाई के लौटने का इंतेज़ार रहता था मगर शायद अब ये इंतेज़ार आब यहीं ख़तम हो गया था. वो जानती थी कि उसके भैया और बापू कम से कम 10 साल के बाद ही जैल से छूटेंगे. राहुल फिर राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं और ना जाने राधिका कितनी देर तक राहुल के सीने से लिपटकर रोती रहती हैं.

राहुल- एक काम करो राधिका तुम मेरे साथ मेरे घर पर चलो. शायद तुम्हारा यहाँ मन नहीं लगेगा. और इस वक़्त तुम बिल्कुल अकेली हो. वहीं तुम रहना और वहाँ पर रामू काका तो हैं ही वो तुम्हारी देखभाल करेंगे.

राधिका- नहीं राहुल मैं ठीक हूँ. और बस 10 दिन की तो बात हैं. फिर हमारी शादी हो जाएगी तो मैं वैसे भी तुम्हारे साथ ही रहूंगी. और अगर मैं अभी तुम्हारे साथ रहूंगी तो ये दुनियावाले ना जाने क्या क्या कहेंगे.

राहुल- मुझे कोई फरक नहीं पड़ता. तुम बस मेरे साथ चलो. मैं तुम्हें ऐसे अकेला नहीं छोड़ सकता.

राधिका- मुझपर अगर कोई कीचड़ उछालेगा तो मैं बर्दास्त कर लूँगी मगर कोई तुमपर उंगली उठाएगा मैं ये नहीं से पाउन्गि. मुझे इस वक़्त अकेला रहना चाहती हूँ. प्लीज़ मुझे कुछ दिन अकेला छोड़ दो. राहुल भी कुछ कह नहीं पता और उसके माथे को चूम लेता हैं.

राहुल- ठीक हैं राधिका जैसी तुम्हारी मर्ज़ी मगर अपना ख्याल रखना तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी हैं. मैं बराबर तुमसे मिलने आता रहूँगा. और इतना बोलकर राहुल भी पोलीस स्टेशन चला जाता हैं.

राधिका इस वक़्त चुप चाप अपने बिस्तेर पर पड़ी हुई थी. ऐसे ही बहुत देर तक वो इन्ही सब बातें को सोचती हैं फिर वो उठकर अपने भैया के कमरे में जाकर शराब की बॉटल लेकर आती हैं फिर पीने लगती हैं. ना जाने कितनी देर तक वो पीती रहती हैं और वहीं बिस्तेर पर सो जाती हैं. आब तो लगता था कि राधिका के गम का सहारा भी अब शराब मात्र थी. वो अपना गम भूलने के लिए शराब पी रही थी. दिन बा दिन उसके गम बढ़ते ही जा रहे थे.

ऐसे ही वक़्त बीतता जाता हैं. राधिका सुबेह शाम नशे ही हालत में बेसूध रहती थी. उसे तो किसी भी चीज़ का होश नहीं रहता था. जब ये बात निशा को पता लगती हैं तो उसे भी बड़ा झटका लगता हैं. वो भी राधिका को बहुत समझाती है मगर राधिका उसकी एक बात नहीं सुनती. शायद अब राधिका भी पूरी तरह से टूट चुकी थी. और अब उसे कहीं से कोई उमीद नज़र नहीं आ रही थी.
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#38
Update 31


दो दिन बाद..........................

राधिका करीब 10 बजे अपने घर से कॉलेज के लिए निकलती हैं. आज उसके एग्ज़ॅम्स का टाइम टेबल मिलने वाला था. वो इसलिए घर से तैयार होकर निकली थी. मन तो उसे नहीं था मगर वो फिर भी कॉलेज जाती हैं. आज फिर वो उसी रास्ते से होकर जा रही थी जहाँ पर पार्वती का कतल हुआ था. जब वो उस जगह पहुचती हैं तब उसको उस दिन वाला सारी घटना उसके आँखों के सामने घूमने लगते हैं. फिर से उसकी आँखें नम हो जाती हैं मगर वो वहाँ रुकती नहीं और आगे बढ़ जाती हैं.

थोड़ा दूर जाने पर वो मुड़कर फिर से उसी जगह को देखने लगती हैं फिर वो आगे चलने लगती हैं. राधिका अभी कुछ 10 कदम ही चली थी कि उसके पीछे से एक स्कॉर्पियो कार तेज़ी से आती है. जब वो स्कॉर्पियो उसके नज़दीक आती हैं तभी उसके सामने आकर रुक जाती हैं. राधिका इसी पहले की कुछ समझती दो बदमाश स्कॉर्पियो में से तेज़ी से उतरते हैं और राधिका को उठाकर गाड़ी में डाल देते हैं. पहला बदमाश उसकी आँखों पर काली पट्टी बाँध देता हैं और दूसरा उसकी हाथों को पीछे करके उसे रस्सी से बाँध देता हैं. फिर एक कपड़ा उसके मूह में डाल कर उसके मूह को भी बंद कर देते हैं. और फिर तेज़ी से वो गाड़ी वहाँ से रवाना हो जाती हैं.

राधिका को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की ये लोग कौन हैं और उसे उठाकर ज़बरदस्ती कहाँ ले जा रहे हैं. करीब 45 मिनिट बाद वो गाड़ी एक सुनसान घर के सामने रुकती हैं. फिर वो दोनो राधिका को गाड़ी से निकाल कर उसे वही सामने वाले घर में ले जाते हैं. राधिका के चेहरे पर डर सॉफ दिखाई दे रहा था. पता नहीं कौन हैं ये लोग और उसे ऐसे क्यों उठाकर लाए हैं. मगर राधिका के सारे सवालों का जवाब जल्दी ही उसे पता चलने वाला था.

थोड़ी देर के बाद वो राधिका को लेजा कर एक बड़े से हाल में बैठा देते हैं. और फिर दोनो उस कमरे को बंद करके वहाँ से बाहर निकल जाते हैं. करीब 10 मिनिट बाद फिर से उस कमरे का दरवाजा खुलता हैं और साथ में दो तीन कदमों की आहट भी सुनाई देती हैं. जैसे जैसे वो आहट की आवाज़ तेज़्ज़ होती जाती है वैसे वैसे राधिका के दिल में डर और चेहरे पर पसीने सॉफ दिखाई देने लगते हैं.

फिर पहला शख्स उसके पीछे आता हैं और उसके हाथों का रस्सी खोलता हैं. और फिर उसके आँखों पर लगा पट्टी भी हटा देता हैं. फिर वो उसके मूह पर रखा कपड़ा भी अलग कर देता हैं. जब राधिका अपनी आँख खोलती हैं और जब उसकी नज़र उस शख्स पर पड़ती हैं तो वो नफ़रत से उसे देखने लगती हैं. वो शख्स और कोई नहीं बल्कि बिहारी था.

राधिका- बिहारी मैं जानती थी कि तुम बहुत नीच हो. मगर तुम मुझे पाने के लिए ऐसी गिरी हुई हरकत भी करोगे ये मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. शरम आती हैं मुझे तुम पर.

बिहारी- आभी पता चल जाएगा कि मैने तुझे ऐसे यहाँ पर क्यों बुलाया हैं. याद हैं मैने तुझे कहा था कि अभी तो मैने तुझे आधी पिक्चर दिखाई हैं आधी बाद में दिखाउन्गा. अब तुझे वो आधी पिक्चर दिखाने का वक़्त आ गया हैं........

राधिका सवालियों नज़र से बिहारी को देखने लगती हैं. उसका दिल भी बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था. उसे तो डर लग रहा था कि कहीं बिहारी उसके साथ कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे. राधिका के चेहरे का एक्सप्रेशन्स देखकर बिहारी समझ जाता हैं कि इस वक़्त राधिका क्या सोच रही होगी.

बिहारी- घबरा मत राधिका मैं यहाँ पर तेरा बलात्कार करने के लिए तुझे नहीं लाया हूँ. और मैं तेरा बलात्कार करूँगा भी नहीं. क्यों कि मैं जानता हूँ कि तू खुद अपनी मर्ज़ी से अपने आप को मेरे हवाले करेगी. ये बात बिहारी पुर दावे से कह सकता हैं.

राधिका- तुझे क्या लगता हैं कि मैं तेरे जैसे आदमी को अपना जिस्म सौपुंगी. राधिका मर जाना पसंद करेगी मगर ऐसा काम कभी नहीं करेगी.

बिहारी- हः हहा हा........ ये तो कुछ देर में पता चल ही जाएगा. जब मैं तुझे आधी पिक्चर दिखाउन्गा. फिर देखता हूँ कि तू क्या फ़ैसला करती हैं. फिर बिहारी अपने सारे आदमियों को कमरे से बाहर जाने के लिए बोल देता है और बाहर से दरवाज़ा लॉक करवा देता हैं.

राधिका- मैं कुछ समझी नहीं. तुम किस पिक्चर की बात कर रहे हो.

बिहारी- समझ जाएगी इतनी जल्दी भी क्या हैं. चल यहीं आराम से सोफे पर बैठ जा तुझे अभी बहुत कुछ दिखाना हैं.

राधिका ना चाहते हुए भी वहीं सोफे पर बैठ जाती हैं. तभी बिहारी दीवार पर लगा एलसीडी टी.वी ऑन करता हैं और फिर एक पेनड्राइव उस टी.वी में इनसर्ट करता हैं. थोड़े देर के बाद कुछ फाइल्स वो सेलेक्ट करता हैं और फिर उसे प्ले कर देता हैं.

स्क्रीन पर सबसे पहले एक फोटो आता हैं वो फोटो बिरजू का था. वो उस फोटो को पॉज़ कर देता हैं.

बिहारी स्क्रीन की ओर देखते हुए बोलता हैं- ये था मेरा सबसे ख़ास वफ़ादार नौकर. यानी तेरा बाप बिरजू. सालों से मेरा यहाँ पर नौकरी किया. मेरे हर सुख दुख में मेरा साथ दिया. मगर आख़िरकार तेरी ही वजह से इसने मेरे से यानी अपने मालिक तक को छोड़ने को राज़ी हो गया. पहले तेरा बाप मेरे हर इशारों पर नाचता था मगर तेरी वजह से वो मेरे यहाँ काम तक छोड़ने का फ़ैसला कर बैठा और आज मेरे ही खिलाफ वो खड़ा हो गया. खैर कोई बात नहीं. मुझे इसका कोई गम नहीं हैं.

राधिका- लेकिन तुम ये सब मुझे क्यों बता रहे हो. इन सब से मेरा क्या लेना देना हैं.

बिहारी- तू सवाल बहुत पूछती हैं. चिंता मत कर आज तेरे सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा. बस चुप चाप देखती जा.

बिहारी आगे बोलना शुरू करता हैं- तेरे बाप की एक आदत मुझे बहुत पसंद थी वो कभी कुछ बोलता नहीं था जो भी मैं कुछ कह देता था वो इनकार नहीं करता था. इसलिए वो मुझे पसंद था.

बिहारी फिर टी.वी स्क्रीन पर अगला इमेज फॉर्वर्ड करता हैं. अगला इमेज कृष्णा का था.

बिहारी- ये भी मेरा ख़ास नौकर था कृष्णा यानी कि तेरा भाई. बरसों से इसने भी अपने बाप की तरह ईमानदारी से मेरी हर बात मानी. मगर इसकी कमज़ोरी थी औरत. ये औरत के लिए कुछ भी कर सकता था. और इसे सबसे ज़्यादा तू पसंद थी. अगर तू इसकी बेहन नहीं होती तो ये तुझसे ही शादी कर लेता. मैने कई बार तेरे बाप से तुझसे शादी की बात कही मगर ये तेरा भाई नहीं चाहता था कि तू मेरी बीवी बने. एक दो बार तो मुझसे भी ये लड़ाई कर बैठा था तेरे कारण. खैर कोई बात नहीं इसके अंदर भी बेईमानी आ गयी थी जब से तू इसका ख्याल रखने लगी. जानती हैं ना मैं किस ख्याल की बात कर रहा हूँ. बिहारी के ऐसे पूछे गये सवाल से राधिका शरम से अपनी गर्देन नीचे कर लेती हैं.

खैर मुझे कृष्णा का भी अफ़सोस नहीं हैं. मगर इसमें कृष्णा की भी कोई ग़लती नहीं हैं. शायद मैं भी इसकी जगह होता तो यही करता. आख़िर तू हैं ही ऐसी चीज़. खैर आगे बढ़ते हैं. फिर बिहारी टी.वी स्क्रीन पर नेक्स्ट इमेज फॉर्वर्ड करता हैं. ये वही आदमी था जो बिरजू और कृष्णा को पैसे दिया था पार्वती का मर्डर करवाने के लिए.

बिहारी- इसे तो तू नहीं जानती होगी. ये भी मेरा ही आदमी हैं. मगर ये कांट्रॅक्ट पर काम करता हैं. इसका नाम इक़बाल हैं. बहुत दिनों से पोलीस इसकी तलाश कर रही हैं. और अब ये आदमी मेरे लिए भी ख़तरा बन चुका हैं. क्यों कि मैं जानता हूँ कि अगर ये राहुल के हाथ लग गया तो मेरा भी खेल ख़तम. इसलिए मैने इसका भी बंदोबस्त कर दिया हैं. ये जल्दी ही राहुल के हाथ लगेगा मगर इससे राहुल को कोई फ़ायदा नहीं होने वाला. खैर आगे बढ़ते हैं.

बिहारी टी.वी स्क्रीन पर नेक्स्ट इमेज फॉर्वर्ड करता हैं- इसे तो तू आच्छे से जानती होगी तन्या .............उर्फ मोनिका.. ये मेरी ही रखैल हैं. बेचारी किस्मत की मारी हैं. इसके पति का मौत हो चुका हैं वो ट्रक ड्राइवर था. पति के मौत के बाद इसके घर वालों ने भी इसे अपने पास रखने से इनकार कर दिया. फिर ये अपने ससुराल गयी वहाँ भी इसके ससुराल वालों ने इसे बाहर का रास्ता दिखाया. तब से ये मेरी शरण में हैं. और अब मेरे ही इशारों पर काम करती हैं. मैने ही इसे तेरे पास भेजा था कि ये तेरे बारे में मुझे सारी जानकारी बताती रहेगी. और इसने अपना काम बखूबी निभाया..

राधिका- लेकिन क्यों. क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा.???

बिहारी- बस तेरी चाहत की वजह से. मैं तुझे पाना चाहता था. बस इसी दीवानगी ने मुझे ये सब करने पर मज़बूर कर दिया.

राधिका- तुम जिस चाहत की बात कर रहे हो बिहारी वो चाहत नहीं हवस हैं. तुम्हारा चाहत बस मेरी जिस्म हैं और कुछ नहीं.

बिहारी- जिस्म जब मिलते हैं तभी तो चाहत भी पूरी होती हैं. तुझे क्या पता कि मैं तेरे लिए कितना बेचैन रहता हूँ. खैर ये तो बाद की बात हैं. फिर बिहारी टी.वी स्क्रीन पर नेक्स्ट इमेज फॉर्वर्ड करता हैं.

सामने राहुल का फोटो था. ये हैं तेरी मोहब्बत और मेरे लिए सबसे बड़ा काँटा. ये तो अपने फ़र्ज़ की राह पर चलना नहीं छोड़ेगा और दिन ब दिन मेरे लिए मुसीबत बनता जाएगा. मैं तो चाहता तो इसको मरवा चुका होता मगर मुझसे ये तेरा दुख देखा नहीं जाएगा इसलिए मैने अभी तक राहुल पर कोई आक्षन नहीं लिया.

राधिका- तो इसका मतलब अब तक राहुल पर जो भी हमले हुए थे इन सब के पीछे तुम नहीं थे.

बिहारी- नहीं मेरी जान .अगर मुझे ये सब करना होता तो शायद अब तक राहुल इस दुनिया में ज़िंदा नहीं होता. हां लेकिन मैं जानता हूँ की राहुल के उपर किसने हमला करवाया था. खैर तुझे बहुत जल्द मैं उस शख्स से भी मिल्वाउन्गा. इतना समझ ले आज अगर राहुल ज़िंदा हैं तो बस तेरी वजह से. अगर तू चाहती हैं कि मैं राहुल को कोई नुकसान ना पहुन्चाऊ तो बस अब जो मैं कहूँगा तू मेरी बात मानती जाना. विश्वास कर मेरा बिहारी जान दे देगा मगर अपनी ज़ुबान से नहीं फ़िरेगा.

राधिका कुछ बोल नहीं पाती और चुप चाप टी.वी स्क्रीन की ओर देखने लगती हैं. नेक्स्ट इमेज में दो नकाबपोश की फोटोस थी.

इसे तू नहीं जानती ये शार्प शूटर हैं. और ये कांट्रॅक्ट लेकर मर्डर करते हैं. इनका निशाना इतना पर्फेक्ट है कि ये बस आवाज़ सुनकर भी अपने शिकार को पल भर में मार सकते हैं. और एक बात तुझे बता देता हूँ मैने राहुल को मरवाने के लिए इन्हें 5 लाख रूपीए दिए हैं. बस मेरे हां करने की देर हैं फिर तेरा राहुल इस दुनिया से ख़तम.

राधिका के दिल में डर बैठ जाता हैं बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर- नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते.

बिहारी- बिल्कुल हो सकता है अब सब कुछ तेरे हाथ में हैं अब सब कुछ तेरे फ़ैसले पर निर्भर हैं. अगर तू चाहे तो राहुल बच सकता हैं नहीं तो...................

बिहारी फिर अगला फोटो फॉर्वर्ड करता हैं. सामने निशा की तस्वीर थी.

बिहारी- इसे तो तू अच्छे से जानती होगी . ये तेरी सहेली निशा हैं. तेरे ही तरह मस्त आइटम. जितनी खूबसूरत तू हैं उतनी ये भी हैं. और मैं जानता हूँ कि तू इसे अपनी जान से ज़्यादा चाहती हैं या यू कह सकता हूँ कि ये तेरी जान हैं. अगर इसे दर्द होगा तो तुझे तकलीफ़ होगी. वैसे तुम्हारी जोड़ी और दोस्ती तो कमाल की हैं. हरदम एक दूसरे के लिए जान देने को तैयार रहते हो. अगर सोच अगर यही तेरी निशा को कुछ हो गया तो तू इसके बिना कैसे रह पाएगी.

राधिका- नहीं बिहारी निशा को कुछ मत करना. भगवान के लिए मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ. उसे इन सब में मत घसीटो.

बिहारी- मैं जानता था कि तू निशा को कुछ भी बुरा होते हुए नहीं देख सकती. खैर मैं भी तेरे से उतना ही प्यार करता हूँ जितना तू निशा और राहुल से करती हैं.

राधिका- मगर तुम इन सब का फोटो मुझे क्यों दिखा रहे हो. आख़िर क्या जताना चाहते हो तुम.

बिहारी- सब्र कर मेरी जान आभी तो तुझे बहुत कुछ दिखाना हैं. थोड़ा अपने दिल और मज़बूत कर ले.

बिहारी फिर दूसरा फ़ाइल खोलता हैं और कुछ वीडियो क्लिप्स उस फोल्डर में रहता हैं वो एक एक कर उन्हें प्ले कर देता हैं. जब राधिका की नज़र उस वीडियो पर पड़ती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं. उस वीडियो में राधिका पूरी तरह से नंगी हालत में अपने भाई से चुदवा रही थी. ये सब देखकर उसका गला सूख जाता हैं. इसी तरह वो कई सारी फिल्म्स के छोटे छोटे क्लिप्स उसे दिखाता हैं.

बिहारी थोड़ी देर तक ऐसे ही कई सारे वीडियोस प्ले करता हैं फिर वो उसे बंद कर देता हैं- अभी तो मैने बस तुझे ये तेरा ट्रेलर दिखाया हैं. तेरी ऐसी नंगी वीडियो का मेरे पास पूरा आल्बम रखा हुआ हैं. सोच अगर ये वीडियो मैं अगर राहुल को दे दिया तो या फिर इसे नेट पर डाल दिया तो........................

राधिका- नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते.

बिहारी हंसते हुए- बिल्कुल कर सकता हूँ अगर तू चाहती हैं कि मैं ये वीडियो किसी को ना दिखाऊ तो जो मैं चाहता हूँ वो तुझे करना होगा.

राधिका- तो तुम मुझे ब्लॅकमेलिंग कर रहे हो.

बिहारी- नहीं मैं ब्लॅकमेलिंग नहीं तुझसे एक डील कर रहा हूँ. और मैं जानता हूँ कि तू मेरे साथ कोओपरेट करेगी.

राधिका- मैं कुछ समझी नहीं???

बिहारी- तो फिर सुन- अब तक मैने जितने भी फोटोस तुझे दिखाए हैं इनका सब के साथ तेरा कनेक्षन हैं. और इन सब की ज़िंदगी भी अब तेरे ही हाथों में हैं.

राधिका- मेरे हाथों में...... मतलब???

बिहारी- अगर तू चाहती हैं कि मैं तेरे बापू और कृष्णा को जैल से आज़ाद करवा दूँ, फिर से तेरा परिवार एक हो जाए. अगर तू चाहती हैं कि तेरा राहुल ज़िंदा रहे और मैं तेरी वो नंगी वीडियोस उसे कभी ना दिखाऊ और या फिर तू ये नहीं चाहती कि अब निशा भी इस प्रॉस्टियुयेशन के धंधे में ना आए तो फिर मैं जो भी चाहता हूँ तुझे वो सब मेरे लिए करना होगा. बोल मंज़ूर हैं.

राधिका- तो मुझे क्या करना होगा. क्या......... तुमसे शादी.

बिहारी- शादी नहीं तुझे मेरी रखैल बनना पड़ेगा वो भी पूरे एक हफ्ते के लिए. क्यों कि तेरी जैसी मस्त आइटम के लिए एक रात तो बहुत ही छोटी हैं. मैं तुझे पूरे एक हफ्ते तक अपनी रखैल बनाकर रखना चाहता हूँ. अगर तुझे मेरी ये डील पसंद ना आए तो फिर मैं तेरी अब कोई भी मदद नहीं कर सकता.

राधिका कुछ कह नहीं पाती और चुप चाप अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं.

बिहारी- एक बात तो मैं जानता हूँ कि अगर किसी को दिल से चाहो तो वो किसी भी हाल में मिल जाती हैं चाहे प्यार से या ज़बरदस्ती से. और मैं अब जानता हूँ कि तू मुझे निराश नहीं करेगी. एक बात जान ले राधिका मैं तुझपर कभी भी दबाव नहीं दूँगा. मैने फ़ैसला तेरे हाथों छोड़ दिया हैं. और तू चाहे तो इन सब की ज़िंदगी बचा सकती हैं और चाहे तो मिटा सकती हैं. फ़ैसला तुझे करना हैं आगे तेरी मर्ज़ी.

राधिका- इस बात की क्या गारंटी है कि तुम मुझे एक हफ्ते के बाद आज़ाद कर दोगे और राहुल निशा और मेरे भैया इन सब को छोड़ दोगे.

बिहारी- विश्वास तो तुझे मुझ पर करना ही पड़ेगा. अगर तू चाहे तो मैं एक कांट्रॅक्ट लेटर पर लिख देता हूँ तुझे इस बात की तसल्ली मिल जाएगी. अगर तेरा दिल इस बात की गवाही दे तो तू मेरा प्रपोज़ल आक्सेप्ट कर सकती हैं. वरना अपनी आँखों से अपने चाहने वालों की बर्बादी देख लेना.

राधिका समझ चुकी थी कि अब चाहे जो हो जाए आब उसे बिहारी के सामने अपनी इज़्ज़त दाँव पर लगानी ही पड़ेगी .आज वो बहुत बुरी तरह से फँस चुकी थी.

बिहारी- सोच क्या रही हैं राधिका अगर तुझे टाइम चाहिए तो मैं तुझे एक दो दिन की मोहलत दे सकता हूँ. खूब सोच समझ कर फ़ैसला करना. और एक बात मैं ये बात भी जानता हूँ कि तेरी ये सहेली भी अब राहुल से ही प्यार करती हैं और तू भी राहुल को ही चाहती हैं. आज तेरे पास यही एक मौका हैं अपनी दोस्ती और प्यार दोनो को बचाने का. और वैसे भी अब राहुल तुझे कभी आक्सेप्ट नहीं करेगा जब वो जान जाएगा कि तेरे भाई के साथ तेरा नाजायज़ संबंध हैं. और तू दुनिया वालों की नज़र से कितना भी छुपा ले मगर तू अपने आप से झूट कभी नहीं बोल पाएगी. तेरी आत्मा भी इस बात की कभी गवाही नहीं देगी. और हो ना हो ये बात तो राहुल को कभी ना कभी तो पता लगेगी ही. फिर सोच ले तेरा क्या हश्र होगा.

वैसे एक बात मैं कहूँगा............... गीता में भी ये बात कही गयी हैं कि अगर पृथ्वी पर यदि कोई बड़ा संकट आए तो अगर एक देश को मिटा देने से बाकी देशों को बचाया जा सकते हैं तो नीति के अनुसार हमें उस देश की कुर्बानी दे देनी चाहिए.. ठीक उसी प्रकार अगर 10 सहर को मिटा कर 40 सहर बच सकता हैं तो उन 10 सहरों को बलिदान कर देना चाहिया. ताकि वो 40 सहर सुरक्षित रहे.आज तेरे सामने भी कुछ ऐसा ही परिस्थिति हैं. अगर तेरी बलिदानी से तेरा राहुल , कृष्णा तेरा बापू और तेरी सहेली निशा इन सब की ज़िंदगी आबाद हो सकती हैं तो धरम के अनुसार तेरा बलिदान देना ही सही हैं. वरना आगे तू खुद समझदार हैं.

बिहारी की ऐसी बातें सुनकर राधिका की कई सारी मुश्किलों का हल तो मिल गया था मगर उसका दिल इस बात की गवाही नहीं दे रहा था.वो तो खुद यही चाहती थी कि वो निशा और राहुल के बीच से हमेशा के लिए हट जाए. और इसके बदले चाहे खुद को ही क्यों ना नीचे गिरना पड़े.आज शायद उसे ये मौका मिल गया था. वो इसी उधेड़ बुन में फँसी हुई थी मगर फिलहाल कोई भी फ़ैसला लेने की स्तिथि में नहीं लग रही थी.

बिहारी- आराम से सोच ले राधिका. कोई जल्दी नहीं हैं. अगर तू कहे तो मैं तुझे दो दिन का टाइम दे सकता हूँ. और हां ये सब बातें अगर तूने किसी को भी बताई तो याद रखना तू तो वैसे भी बर्बाद होगी और साथ साथ तेरे चाहने वाले भी तेरी आँखो के सामने बे-मौत मारे जाएँगे. और ये मत समझना कि तू ख़ुदकुशी कर के इन सारे प्रॉब्लम्स से छुटकारा पा लेगी. अगर तूने ऐसी ग़लती की तो समझ लेना तेरे साथ साथ सब कुछ ख़तम हो जाएगा. तो अब जो भी कदम उठना सोच समझ कर उठाना.

राधिका के चेरे पर पसीने सॉफ छलक रहे थे. उसके मन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. मगर वो चाह कर भी कोई फ़ैसला नहीं ले पा रही थी. आज उसका ये प्यार ही उसके लिए अभिशाप बन गया था. और वो ये बात अच्छे से जानती थी कि आने वला समय उसके लिए कितना भयानक होने वाला हैं अब सब कुछ राधिका के फ़ैसले पर टिका हुआ था. देखना ये था कि राधिका के फ़ैसला से उन सब की ज़िंदगी पर इसका क्या असर होता हैं.

राधिका- मैं तुमसे दो बातें पूछना चाहती हूँ.

बिहारी- बेशक पूछो राधिका. क्या पूछना हैं??

राधिका- पहला तो ये कि जैसे तुमने बताया था कि मोनिका को तुमने ही मेरे पीछे लगाया था ताकि तुम मेरी सारी इन्फर्मेशन जान सको. तो क्या वो फोन कॉल भी मोनिका ने ही तुम्हारे कहने पर किया था जिस वक़्त मेरे भैया एक वैश्या के पास थे और मैने उनको रंगे हाथों पकड़ा था.

बुहरी- कमाल का दिमाग़ पाया हैं तुमने राधिका. तुम जो सोच रही हो वही सच हैं. वो कॉल मोनिका ने ही किया था मगर मैने उसे नहीं कहा था ये सब करने के लिए. उसने तो बस अपनी आज़ादी और जान बचाने के लिए उसने ऐसा किया होगा.

राधिका- आज़ादी..........मैं कुछ समही नहीं???

बिहारी- हां मैने ही उसके साथ डील की थी कि वो तुम्हें मेरे पास ले आएगी एक महीने के अंदर और इसके बदले मैं उसे आज़ाद कर दूँगा बस इसी वजह से उसने अपनी जान बचाने के लिए तुम्हें फँसाया.

राधिका- तुम इतने भी नीचे गिर सकते हो ये मैने कभी सोचा नहीं था. मैं जानती थी कि तुम कमिने हो मगर इतने बड़े कमिने निकलोगे मुझे इसका बिल्कुल अंदाज़ा भी नहीं था.

बिहारी- अभी तुमने मेरा कमीनपन देखा ही कहाँ हैं. खैर मैने तुझे एक बार कहा था कि तुझे पाने के लिए मुझे चाहे कोई भी नीति क्यों ना अपनानी पड़े मैं तुझे किसी भी हाल में हासिल ज़रूर करूँगा. और देख आज तू मेरे सामने हैं.

राधिका- और दूसरी बात ये कि चलो मान लिया कि तुम मुझे अपनी रखैल बनाकर रखना चाहते हो वो भी पूरे एक हफ्ते के लिए तो तुमने ये कैसे सोच लिया कि राहुल के होते हुए तुम ऐसा कर पाओगे. वो तो मुझसे हर रोज़ मिलने आता हैं. और अगर मैं उससे एक दिन भी नहीं मिली तो वो ये पूरा सहर छान मारेगा. फिर भला ये कैसे मुमकिन हैं.

बिहारी- उसकी चिंता तू मत कर. भले ही राहुल तुझे रोज़ क्यों ना मिलता हो पर अगर वो इस सहर में रहेगा तभी तो तुझसे मिलने आएगा. मैं उसे कहीं एक हफ्ते के लिए इस सहर से बाहर भेज दूँगा. आख़िर मैने भी इतने सालों से पॉलिटिक्स में झक नहीं मारा हैं. आख़िर मेरा भी सोर्स और पवर हैं वो किस दिन काम आएगा. बस तू अपना फ़ैसला बता दे मुझे तेरे फ़ैसले का इंतेज़ार हैं.

राधिका के चेहरे पर चिंता और गहरी हो जाती हैं. आज वो इतनी कमजोर हो गयी थी कि आज वो बिहारी के सवालो का भी जवाब नहीं दे पा रही थी. कल तक ना जाने कितनो का मूह बंद करने वाली आज खुद को बिहारी के आगे बेबस महसूस कर रही थी.

राधिका- मुझे थोडा वक़्त चाहिए बिहारी. मैं इस वक़्त कोई भी फ़ैसला नहीं ले सकती.

बिहारी- ठीक हैं मैं तुझे दो दिन की मोहलत देता हूँ. अगर इन दो दिनों में तूने अपना फ़ैसला नहीं बताया तो अपनी बर्बादी का ज़िम्मेदार तू खुद होगी. आगे तू खुद समझदार हैं. और हां जो भी फ़ैसला लेना खूब सोच समझ कर लेना. क्यों कि तेरे उस फ़ैसले पर ना जाने कितनों की ज़िंदीगियाँ टिकी हुई हैं. फिर बिहारी जाकर रूम का दरवाज़ा खोल देता हैं और अपने आदमियों से राधिका को उसके घर अपने गाड़ी से भेजवा देता हैं. थोड़े देर के बाद राधिका अपने घर आती हैं और आकर तुरंत बिस्तेर पर फुट फुट कर रोने लगती हैं. वो बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाले हुई थी. ना जाने कितनी देर तक उसकी आँखों से आँसू बहते रहे.

थोड़ी देर के बाद वो फ्रेश होती हैं और फिर तैयार होकर पोलीसेस्टेशन चली जाती हैं. पोलीसेस्टेशन पहुँचने के बाद वो राहुल से मिलती हैं और राहुल की जब नज़र उसपर पड़ती है तो राधिका की हालत से अंदाज़ा लगा लेता हैं कि राधिका के दिल पर इस वक़्त क्या बीत रही होगी. वो तुरंत जाकर उसे अपने सीने से लगा लेता हैं.

राहुल- राधिका इस वक़्त तुम यहाँ पर. कहो कैसे आना हुआ.

राधिका- राहुल मैं अपने भैया और बापू से मिलना चाहती हूँ इसी वक़्त मगर अकेले में. अगर तुम इसकी इज़ाज़त दो तो.

राहुल एक नज़र राधिका को देखता हैं - ये तुम कैस बातें कर रही हो. भला आब तुम्हें मुझसे इजाज़त लेनी पड़ेगी वो भी अपने भाई और बाप से मिलने की. फिर राहुल एक हवलदार को राधिका के साथ भेज देता हैं और वो हवलदार उसे लेकर बिरजू और कृष्णा के पास ले जाता हैं. फिर एक दूसरा हवलदार जाकर कृष्णा और बिरजू को बुलाकर लता हैं.

राधिका- कैसे हो भैया.

कृष्णा- तुझसे अलग रहकर मैं कैसा हो सकता हूँ राधिका. क्या ये भी बताना पड़ेगा.

राधिका- भैया जो हुआ वो ठीक नहीं हुआ. ना जाने हमारी इन खुशियों को किसकी नज़र लग गयी. अब तो सब कुछ अच्छे से चल रहा था ...मगर शायद किस्मेत को कुछ और ही मंज़ूर था..

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका ये सब मेरी ही ग़लती से हुआ. दुख तो मुझे इस बात का हैं कि मैं एक अच्छे भाई का फ़र्ज़ अदा नही कर सका. और अब तो तेरी शादी होने वाली हैं राहुल के साथ और मैं जानता हूँ कि राहुल तुझे बहुत खुस रखेगा. आच्छा यही होगा राधिका की तू हमे भूल जाना.

राधिका- पता नहीं भैया अब तो मुझे ज़िंदगी से ही डर लगने लगा हैं. ना जाने कब क्या हो जाए. और आज मैं इस लिए आपसे मिलने आई हूँ कि मुझे खुद नहीं मालूम कि आने वाला वक़्त मुझे कहाँ ले जाएगा. पता नहीं कल को मैं आपसे दुबारा मिल पाउन्गि भी की नहीं. इसलिए सोचा मरने से पहले एक बार आपसे मिल लूँगी तो मुझे अपनी ज़िंदगी से कोई शिकवा गिला नहीं रहेगा. और इतना कहते कहते राधिका के आँखों में आँसू आ जाते हैं. कृष्णा भी रोने लगता हैं.

कृष्णा- ये तू कैसी बातें कर रही हैं. तुझे कुछ नहीं होगा. अगर तुझे कुछ हो गया तो ये तेरे भाई भी इस दुनिया में नहीं रहेगा. ये कृष्णा का वादा हैं. नहीं जी पाउन्गा मैं तेरे बगैर. और भगवान के लिए ऐसी बातें मत कर. आज मैं जानता हूँ कि मैने तेरे दिल को कितना दुखाया हैं. और मैने जो किया हैं वो माफी के लायक भी नहीं. फिर भी अगर हो सके तो तू मुझे माफ़ कर देना.

बिरजू- बेटा कृष्णा सही कह रहा हैं. आज जो कुछ भी हुआ हैं इन सब का ज़िम्मेदार मैं हूँ. अगर मैने अपने परिवार की ज़िम्मेदारी बहुत पहले अपने कंधे पर उठाया होता तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता. हो सके बेटा तो तू मुझे माफ़ कर देना. राधिका अपने आँसू पोछती हैं और एक नज़र अपने भैया और बाप को देखती हैं फिर वो बाहर निकल जाती हैं.

राहुल- रिलॅक्स राधिका. जितना तुम्हें दुख हैं उतना मुझे भी दुख हैं मगर मैं अपनी फ़र्ज़ की राह से अपना मूह तो नहीं मोड़ सकता. तुम कहो तो मैं इसी वक़्त तुम्हरे साथ अपने घर चलता हूँ इसी तुम्हारा थोड़ा मूड भी फ्रेश हो जाएगा.

राधिका- नहीं राहुल मैं इस वक़्त अपने घर जाना चाहती हूँ मैं कुछ देर अकेले रहना चाहती हूँ. फिर राहुल ख़ान को बुलवाकर राधिका को उसके घर तक छोड़ देता हैं.

राधिका इस वक़्त वही सब बातें सोच रही थी. उसे तो समझ नहीं आ रहा था कि वो करे तो करे क्या. आज एक तरफ उसके भैया, बाप, उसका प्यार और दोस्ती सब कुछ दाँव पर लगा था और दूसरी तरफ उसकी बर्बादी. वो तो कभी नहीं चाहेगी कि उसकी वजह से किसी को कोई तकलीफ़ हो. फिर वो शराब लेकर पीने लगती हैं शायद वो अपने गम थोड़ा भुला सके. काफ़ी देर तक वो यही सब सोचती हैं और ना जाने कब उसकी आँख लग जाती हैं उसे पता ही नहीं चलता.

दूसरे दिन.......................

करीब 3 बजे बिहारी का कॉल आता हैं राधिका के मोबाइल पर. राधिका जब बिहारी का नंबर देखती हैं तो उसकी दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं और उसका गला सूखने लगता हैं. वो अपने काप्ते हाथों से फोन रिसेव करती हैं.

राधिका- हेलो..

बिहारी- अरे मेरी जान आज तेरी आवाज़ में वो जोश नहीं हैं जो पहले था. घबरा मत मैने तेरे पास ये जानने के लिए फोन किया था कि तूने क्या फ़ैसा लिया हैं. अगर तेरा जवाब हां हैं तो मैं कल अपने आदमी भेज दूँगा 12 बजे तक तुझे लेने के लिए. और अगर नहीं हैं तो फिर तेरे घर पर 12 बजे तक तेरे चाहने वालों की लाशें पहुँच जाएगी. अब बता तू क्या चाहती हैं.

राधिका- मैने अभी ...........कुछ सोचा नहीं हैं.....मुझे एक घंटे का टाइम दो मैं तुम्हें बता दूँगी की मेरा फ़ैसला क्या हैं..

राधिका के दिल और दिमाग़ में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. आज वो कोई भी फ़ैसला नहीं ले पा रही थी. उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि वो बिहारी को क्या जवाब दे. एक तरफ उसके चाहने वाले और दूसरी तरफ उसकी बर्बादी. उसे अपनी चिंता नहीं थी वो बस राहुल को खोना नहीं चाहती थी. काफ़ी देर तक वो इसी उधेरबुन में फँसी रहती हैं फिर अचानक से उसके मन में कुछ ख्याल आता हैं और वो ये सोचकर अपने इरादे मज़बूत कर लेती हैं. थोड़े देर के बाद बिहारी का दुबारा से फोन आता हैं. राधिका वो फोन रिसीव करती हैं.

बिहारी- कुछ सोचा कि नहीं मेरी जान. या अभी तुझे और वक़्त चाहिए.

राधिका- बिहारी मुझे तुम्हारी सारी शर्तें मंज़ूर हैं जो तुम चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी मगर...........

ये सुनकर बिहारी ख़ुसी से झूम उठता हैं- मगर क्या............

राधिका- मैं चाहती हूँ कि ये सब के बारे में तुम किसी को कुछ नहीं बताओगे और मेरी जितनी भी तुमने फिल्म शूट की हैं वो सब तुम मुझे एक हफ्ते के बाद लौटा दोगे और उसके बाद तुम मुझसे ना कभी मिलोगे और ना ही मेरी ज़िंदगी में कोई दखल अंदाज़ी करोगे. और निशा राहुल मेरे भैया और बापू इन सब की भी ज़िंदगी में कोई हस्तक्षेप नहीं करोगे. अगर मेरी ये सारी शर्तें तुम्हें मंज़ूर हो तो मैं तुम्हारे साथ वो सब करने को तैयार हूँ.

बिहारी- ठीक हैं राधिका मैं तुझे वचन देता हूँ कि मैं तेरा ये राज़ कभी किसी को नहीं बताउन्गा और एक हफ्ते के बाद तू बिल्कुल आज़ाद हैं. मुझे तेरी सारी शर्तें मंज़ूर हैं मैं कभी किसी के ज़िंदगी में कभी कोई हस्तक्षेप नहीं करूँगा. और हां कल दोपहर तक मैं अपनी गाड़ी भेज दूँगा और हां मैं जो कपड़े भेजूँगा तुझे वही पहन कर मेरे पास आना हैं मुझे अब तेरा बेसब्री से इंतेज़ार हैं...और बिहारी इतना कहकर फोन रख देता हैं.
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#39
Update 32



राधिका के चेहरे पर चिंता की लकीरे और गहरी हो जाती हैं. वो आचे से जानती थी कि आज जो उसने कदम उठाया हैं वो उसे सीधा मौत के मूह तक लेकर जाएगा. मगर उसके पास और कोई चारा भी तो नहीं था. और वो ये बात भी अच्छे से जानती थी कि आने वाला वो पल उसके लिए कितना भयानक होने वाला हैं मगर आज उसको इन सब हालातों से अकेले सामना करना था शायद अपनों की ज़िंदगी बचाने के लिए...........

शाम को राहुल राधिका से मिलने आता हैं. राधिका राहुल को देखकर दौड़ कर उसके सीने से लिपट जाती हैं और फफक फफक कर रोने लगती हैं. राधिका को ऐसे रोता देखकर राहुल भी थोड़ा घबरा जाता हैं. और उसके सिर पर बड़े प्यार से अपने हाथ फिराता हैं.

राहुल- क्या हुआ जान. किसी ने कुछ कहा क्या ????

राधिका- नहीं राहुल कुछ अच्छा नहीं लग रहा. मुझे बहुत घबराहट हो रही हैं. पता नहीं एक डर सा लग रहा हैं. आज हो सके तो तुम यहीं पर मेरे पास रुक जाओ. आज की रात मैं तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ फिर पता नहीं कब दुबारा ये मौका मिले ना मिले..

राहुल एक नज़र राधिका को देखता हैं- क्या बात हैं राधिका तुम ऐसी बाते क्यों कर रही हो. कहीं कोई बुरा ख्वाब तो नहीं देखा ना.

राधिका अपने ज़ज्बात को काबू में करती हैं- हां शायद..............कोई बुरा सपना ही देखा होगा.

राहुल- क्या करू जान मैं तो यही सोचकर आया था कि आज मैं तुम्हारे साथ रहूँगा मगर अभी डीजीपी सर का फोन आया था मुझे आज रात में ही मुंबई निकलना पड़ेगा. वहाँ पर एक केस फँसा हुआ हैं और डीजीपी सर का आदेश हैं कि वो केस मैं ही हॅंडल करूँ.

राधिका समझ गयी थी कि ये सब बिहारी ने ही करवाया हैं -कितना वक़्त लग जाएगा राहुल तुम्हें आने में.

राहुल- मैं बहुत जल्द कोशिश करूँगा जान फिर भी एक हफ़्ता तो लग ही जाएगा. और जैसे ही मैं आउन्गा हम दोनो तुरंत शादी कर लेंगे. आख़िर 8 दिन ही तो बचे हैं हुमारी शादी को. फिर मैं तुमसे कभी दूर नहीं जाउन्गा.

राधिका के चेहरे पर मायूसी छा जाती हैं मगर वो राहुल को रोकने की कोशिश नहीं करती.

राहुल बड़े प्यार से राधिका के लिप्स को चूम लेता हैं और उसकी आँखों में बड़े प्यार से देखने लगता हैं. अब भी राधिका की आँखों में आँसू थे.

राहुल- क्या हुआ जान तुम्हारे चेहरे पर ऐसी उदासी अच्छी नहीं लगती. बस एक हफ्ते की तो बात हैं मेरा भी बिल्कुल मन नहीं कर रहा जाने को मगर क्या करें ये नौकरी साली हैं ही ऐसी चीज़. जहाँ ले जाए जाना पड़ता हैं. और चिंता मत करो मैने आने से पहले ही निशा को फोन कर दिया था. वो अब थोड़ी देर में आती ही होगी. आज वो तुम्हारे पास रुक जाएगी फिर तुम्हें मेरी याद भी नहीं आएगी.

राधिका- ठीक हैं राहुल जैसा तुम्हें ठीक लगे.

राहुल- अब मैं चलता हूँ जान. मैं पहले घर जाउन्गा फिर मुझे समान भी तो पॅक करना हैं. और वैसे भी फोन से बराबर तुमसे बात होती ही रहेगी. बस अपना ख्याल रखना. और राहुल इतना बोलकर वो बाहर जाने के लिए मुड़ता हैं तभी राधिका दौड़ कर राहुल के पीछे से लिपट कर रोने लगती हैं. राहुल फिर राधिका की ओर मूह करता हैं फिर उसे अपने सीने से लगा लेता हैं.

राहुल- बस करो जान. मैं कोई हमेशा के लिए थोड़ी ही ना जा रहा हूँ. बस एक हफ्ते की तो बात हैं. देख लेना एक हफ़्ता यू ही गुजर जाएगा. फिर मैं प्रॉमिस करता हूँ कि उसके बाद तुमसे कभी दूर नहीं जाउन्गा.

राधिका- जा रहे हो राहुल मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी मगर इतना याद रखा कि राधिका हर पल हर घड़ी तुम्हारे लौटने का इंतेज़ार करेगी. मुझे तुम्हारा इंतेज़ार रहेगा मगर इतना ज़रूर याद रखना कहीं ऐसा ना हो कि तुम्हारी राह देखते देखते कहीं मेरी जान ना निकल जाए. मैं तुम्हारा बेसब्री से इंतेज़ार करूँगी राहुल........आइ लव यू.

राहुल राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं फिर वो तेज़ी से घर के बाहर निकल जाता हैं. वो जानता था कि और वो थोड़ी देर राधिका के पास रुका तो वो भी रो देगा. बड़े मुश्किल से वो अपने ज़ज्बात को काबू में रखता हैं और सीधा अपने घर की ओर निकल जाता हैं. राधिका वहीं बुत की तरह खड़ी चुप चाप राहुल को जाता हुआ देख रही थी. अब भी उसकी आँखों में आँसू थे. राहुल को तो इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि आज राधिका कितनी बड़ी मुसीबत में हैं. शायद यही तो वो प्यार और समर्पण की भावना थी राधिका के अंदर जो अपनी परवाह किए बगैर बस वो अपने प्यार पर कोई आँच तक नहीं आने देना चाहती थी.

राधिका कुछ देर तक ऐसे ही गुम सूम सी बैठी रहती हैं फिर वो जाकर शराब की बॉटल निकाल कर पीने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद निशा भी आ जाती हैं.

निशा जब राधिका के हाथों में शराब की बॉटल देखती हैं तो वो कुछ कह नहीं पाती . वो जानती थी कि आज राधिका कितनी टूट चुकी हैं. वो उसे और दुखी नहीं करना चाहती थी.

निशा- राधिका कभी तो ये शराब को अपने से दूर रखा कर. देख अपने आप को क्या हालत बना रखी हैं. अगर ऐसे ही पीती रहेगी तो मर जाएगी एक दिन.

राधिका- अच्छा तो हैं निशा और वैसे भी अब जीने में क्या रखा हैं. लेकिन भगवान मेरे जैसे को मौत भी इतनी आसानी से नहीं देगा.

निशा- चुप कर राधिका. हर वक़्त उल्टी सीधी बातें करती रहती हैं. मैं जानती हूँ कि आज तेरे दिल पर क्या गुजर रही होगी मगर ये कोई तरीका नहीं हैं अपने गम भूलने का.

राधिका- तू फिर शुरू हो गयी. ठीक हैं आज तू भी अपनी भडास निकाल ले. और वैसे अब तू ही तो हैं जो अब मेरे पास है.

निशा कुछ नहीं कहती और राधिका को अपने सीने से लगा लेती हैं. कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे से ऐसे ही लिपटे रहते हैं.

निशा- चल तू आराम कर मैं तेरे लिए खाना बना देती हूँ. फिर निशा जाकर खाना बनाने लगती हैं. फिर थोड़ी देर के बाद वो राधिका के पास आती हैं फिर दोनो खाना खाते हैं.

राधिका- एक बात कहूँ निशा तू बुरा तो नहीं मानेगी ना.

निशा- हां पूछ मैं तेरी बातो का क्यों बुरा मानूँगी.

राधिका- कहीं ऐसा तो नहीं हैं ना कि तू भी राहुल से ही प्यार करती हैं. अगर ऐसा हैं तो मुझे बता देना मैं राहुल से तेरे लिए बात करूगी. वो अक्सर तेरी तारीफ़ करता हैं.

निशा को राधिका की ऐसी बातो को सुनकर एक झटका लगता हैं- तू ये सब क्या बोल रही हैं........राहुल मेरा अच्छा दोस्त हैं मैं उससे कोई प्यार व्यार नहीं करती. और तेरी शादी होने वाली हैं राहुल से भला तू ऐसी बातें कैसे कर सकती हैं.

राधिका- आइ आम सॉरी निशा मुझे ऐसा लगा कि तू भी राहुल को चाहती होगी इस लिए पूछ लिया. पर तूने बताया नहीं कि तेरे बाय्फ्रेंड का क्या हुआ.

निशा- वो इस वक़्त सहर के बाहर हैं. अगर आ जाएगा तो मैं उससे बात करूँगी. चल तू भी अब सो जा बहुत रात हो गयी हैं और नशे में तू कुछ भी बके जा रही हैं. फिर राधिका और निशा वहीं एक ही बेड पर सो जाते हैं. मगर निशा को कहाँ नींद आने वाली थी वो तो बस राधिका की बातो को सोचने लगती हैं. ये बात तो निशा समझ रही थी कि राधिका ने उससे मज़ाक में कहीं हैं मगर राधिका ने आज उससे कोई मज़ाक नहीं किया था.

निशा के दिमाग़ में इस वक़्त कई तरह के सवाल उठ रहे थे. वो यही सोच रही थी अगर राधिका को ये बात पता चल जाएगी कि वो भी राहुल को चाहती हैं तो राधिका के दिल पर क्या बीतेगी. ये तो आने वाला वक़्त ही बताने वाला था कि राहुल की ज़िंदगी में कौन आता हैं........राधिका ....या फिर.....निशा.

उधेर राहुल भी तैयार होता हैं और राधिका का एक पासपोर्ट साइज़ फोटो वो अपने पर्स में रख लेता हैं. और वहीं एक बड़ा सा राधिका का फोटो फ्रेम पर दो गुलाब को फूल रखकर वो मुस्कुरा उठता हैं. ....बहुत जल्द तुम इस घर की रानी बनोगी............. दिल में राधिका के लिए कई तरह के सपने सँजोकर वो अपनी जीप में बैठकर अपने घर से बाहर मुंबई के लिए निकल पड़ता हैं.

सुबेह निशा उठती हैं फिर फ्रेश होकर वो अपने घर के लिए निकल जाती है. राधिका भी उठकर फ्रेश होती हैं. राधिका के दिल में बेचैनी और डर का मिला जुला रूप था. उसका मन सुबह से कहीं नहीं लग रहा था वो बार बार बिहारी की बातो को सोच रही थी. तभी बिहारी का कॉल आता हैं. राधिका ना चाहते हुए भी वो फोन रिसीव करती हैं.

बिहारी- मेरा आदमी अभी थोड़ी देर में तेरे पास आ जाएगा. उसके हाथों से मैं तेरे लिए कपड़े भिजवा रहा हूँ. तू वो ही पहन कर आएगी. और हां जिस तरह से तू अपने भैया के लिए तैयार हुई थी आज तुझे भी उसी तरह तैयार होकर मेरे पास आना हैं. और एक बात तेरी गर्देन के नीचे तेरे शरीर पर कहीं बाल नहीं होना चाहिए. तू समझ रही हैं ना कि मेरा इशारा किस तरफ हैं. अगर नहीं समझी तो बोल खुल कर समझा देता हूँ.

बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर राधिका का चेहरे शरम से लाल हो जाता हैं. वो तुरंत बोल पड़ती हैं- मैं समझ गयी.........तुम्हारा इशारा किस तरफ हैं...जैसे तुम चाहते हो वैसा ही होगा. फिर बिहारी फोन रख देता हैं. और राधिका एक बार फिर से गहरे विचारों में डूब जाती हैं. थोड़ी देर के बाद वो बाथरूम में जाकर अपने जिस्म के सभी हिस्सों के बाल सॉफ करती हैं. फिर वो बाथ लेती हैं.

करीब 11.30 बजे राधिका के घर के सामने एक क्ष्य्लो कार आकर रुकती हैं. उसमें से एक आदमी बाहर निकलता हैं और अपने हाथ में एक पॅकेट लेकर दरवाजे पर दस्तक देता हैं. दस्तक की आहट सुनकर राधिका का दिल ज़ोरों से धड़कने लगता हैं. राधिका थोड़ी सी हिम्मत करके वो जाकर दरवाज़ा खोलती हैं. सामने एक आदमी काला चस्मा पहने हुए हाथों में एक पार्सल लेकर खड़ा था. वो तुरंत राधिका को देखकर बोल पड़ता हैं-मुझे बिहारी ने आपके पास भेजा हैं. आपको लेने के लिए. और इसमें आपके लिए कपड़े हैं. फिर वो पार्सल राधिका को थमा देता हैं.

राधिका- ठीक हैं तुम यहीं पर बैठो मैं थोड़ी देर में तैयार होकर आती हूँ. फिर राधिका बाथरूम में जाकर अपने सारे कपड़े उतार देती हैं. फिर वो पार्सल खोलती हैं. उसके मन में ये सवाल बार बार आ रहा था कि पता नहीं बिहारी ने मेरे लिए कैसे कपड़े भेजे होंगे. कहीं वो शॉर्ट कपड़े होंगे तो...........कपड़े चाहे जैसे भी हो मगर उसे तो वो पहेने ही थे. जब राधिका पार्सल खोलती हैं तो उसमें एक ट्रॅन्स्परेंट ब्लॅक कलर की साड़ी थी और एक डीप कट ब्लाउस, एक पेटिकोट, साथ में ब्लॅक ब्रा और पैंटी. या यू कहा जाए कि सारे कपड़ों का कलर ब्लॅक था. मगर कपड़े बहुत ही कीमती थे.

वो सबसे पहले पैंटी पहनती हैं फिर ब्रा और बाद में साड़ी. बिहारी ने जो कपड़े राधिका के लिए भेजवाए थे उसमें राधिका पूरी कयामत लग रही थी. गोरी तो पहले से ही थी और उपर से ब्लॅक स्लेवेललेस उसकी खूबसूरती को और रंग बिखेर रहा था. उसे तो उमीद नहीं थी कि बिहारी उसके लिए साड़ी भेजवाएगा. फिर वो बाथरूम से बाहर निकल कर अपने कमरे में जाती हैं और जाकर एक मॅचिंग कलर का बिंदी , हल्का पिंक कलर का लिपस्टिक, और कान में झुमके कुल मिलाकर वो एक बला की खूबसूरत लग रही थी. फिर वो जाकर अपने अलमारी में से अपनी डायरी और पेन रख लेती हैं. वो कहीं भी जाती थी मगर अपनी डायरी साथ रखती थी. वो उसे अपने बॅग में रख लेती हैं और साथ में अपना मोबाइल भी. फिर वो उस आदमी के साथ अपने घर को लॉक करके वो उस गाड़ी में जाकर बैठ जाती हैं.

थोड़ी देर में वो क्ष्य्लो कार तेज़ी से वहाँ से रवाना हो जाती हैं. जैसे जैसे वक़्त बीतता जाता हैं राधिका की घबराहट और बेचैनी बढ़ने लगती हैं. करीब 1/2 घंटे के सफ़र के बाद वो क्ष्य्लो सहर के बाहर जंगल में जाती हुई दिखाई देती हैं. जंगल में करीब 5 किमी. अंदर जाने पर वो क्ष्य्लो वहीं रुक जाती हैं. राधिका आस पास इधेर उधेर देखने लगती हैं मगर उसे कहीं कुछ दिखाई नहीं देता सिवाए घने पेड़ों के..

राधिका- ये तुम मुझे कहाँ ले जा रहे हो. और तुमने यहाँ जंगल के बीचों बीच गाड़ी क्यों रोक दिया.

ड्राइवर- मालिक ने आपको यहीं पर लाने को कहा था. आप गाड़ी से उतार जाइए यहाँ पर एक अंडरग्राउंड गेस्ट हाउस हैं. मैं आपको वहाँ लेकर चलता हूँ. और वैसे भी इस जगह के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. फिर वो ड्राइवर एक बड़े से पेड़ के नीचे गाड़ी पार्क करता हैं. फिर उसे पेड़ की पत्तियों से धक देता हैं. फिर वो राधिका को अपने साथ चलने का इशारा करता हैं. थोड़ी दूर जाने पर एक लता से घिरा एक ख़ुफ़िया दरवाज़ा मिलता हैं. वो नौकर वो दरवाज़ा खोलता हैं. फिर वो अंडरग्राउंड रास्ते से होते हुए ज़मीन के नीचे एक तहख़ाने में वो जाता हैं और एक मेन गेट ओपन करता हैं. जब दरवाज़ा खुलता हैं तो राधिका की आँखें चौधया जाती हैं.

वो जगह बेहद सुन्दर था. ऐसा लग रहा था जैसे वो स्वर्ग में आई हो. अंदर एक बड़ा सा हाल था और अंदर कम से कम तीन चार कमरे थे. चारों तरफ लाइट की रोशनी कुल मिलाकर वो एक आलीशान महल जैसा लग रहा था. राधिका ने तो सोचा भी नहीं था कि इस ज़मीन के अंदर ऐसा भी घर हो सकता हैं. फिर वो बड़े गौर से उन सब चीज़ों को देखने लगती हैं. और वो ड्राइवर उसे वहीं सोफे पर बैठकर वो बाहर निकल जाता हैं.


थोड़ी देर में उस कमरे का दरवाज़ा खुलता हैं और राधिका की धड़कनें फिर से तेज़ हो जाती हैं. सामने बिहारी था. वो मुस्कुराता हुआ राधिका के पास आता हैं और वही सोफे पर बैठ जाता हैं.


बिहारी- कैसा लगा मेरा ये छोटा सा आशियाना. और तुम्हें कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई ना यहाँ तक आने में.


राधिका कुछ नहीं कहती और बस चुप चाप बिहारी को देखने लगती हैं.


बिहारी- वैसे एक बात कहूँ राधिका आज तू पूरी क़यामत लग रही हैं. जैसा मैने इन कपड़ों में जैसा सोचा था तू उससे कहीं ज़्यादा सुंदर लग रही हैं. मैं बहुत दिनों से तुझे इन कपड़ो में देखना चाहता था. और मैं जानता था कि तू इन कपड़ों में बेहद खूबसूरत लगेगी. और वैसे भी मेरे पसंदीदा कलर काला ही हैं. क्या हैं ना बचपन से काले काम करते करते मेरी चाय्स ही काली हो गयी.


राधिका एक नज़र बिहारी को देखती हैं फिर अपना मूह दूसरी तरफ फेर लेती हैं.


बिहारी- जानती हैं ये जगह ........ये मेरे ख़ास आदमियों को ही पता हैं. और उन ख़ास आदमियों में अब तू भी शामिल हैं. क्या हैं ना जब कोई लफडा होता हैं तो मुझे कभी कभी अंडरग्राउंड भी होना पड़ता हैं. इस वजह से मैं कुछ दिन यहाँ आकर रुक जाता हूँ.


राधिका- हां बिहारी तूने तो कमाल की जगह ढूंढी हैं छुपने के लिए. वैसे ये जगह बहुत खूबसूरत हैं.


बिहारी- मगर तुमसे ज़्यादा खूबसूरत नहीं. और वैसे भी मेरा सपना तुझे पाने का आज पूरा हो गया खैर..............


बिहारी- तो अब मुद्दे पर आते हैं. जैसा कि तू जानती हैं कि आज के बाद तू मेरी रखैल बनकर रहेगी. जो मैं चाहूँगा वो तू सब कुछ करेगी बिना सवाल के. या यू समझ ले तू एक हफ्ते तक मेरी गुलाम रहेगी. अगर तूने मेरे किसी भी बात का विरोध किया तो मैं तुझे दुबारा मौका नहीं दूँगा बाकी तू खुद समझदार हैं.


राधिका- हां मैं जानती हूँ तुम मेरी तरफ से बेफिकर रहो बिहारी. मैं तुम्हें किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं करूँगी. बस तुम अपनी शर्त याद रखना और मैं अपनी. बोलो अब मैं अपने कपड़े यहीं उतारू या कहीं और ....


बिहारी हंसते हुए- नहीं मेरी जान इतनी जल्दी भी क्या हैं. वैसे भी आज तारीख तुझे पता ही होगा. वैसे तेरी जानकारी के लिए बता देता हूँ. 13-जून-2010. यानी 21-जून को तेरी शादी राहुल से होने वाली हैं और 20 जून को तू यहाँ से आज़ाद हो जाएगी. अब तेरे पास पूरा एक हफ़्ता हैं. और हां मैं चाहता हूँ कि तू हम सब का पूरा साथ देगी कहीं मुझे ऐसा ना लगे कि मैं तेरा बलात्कार कर रहा हूँ.


राधिका- हम सब का.....................मतलब. और कौन कौन लोग होंगे तुम्हारे साथ.


बिहारी- यार तू सवाल बहुत पूछती हैं. चल आज तुझे एक ऐसे शख्स से मिलवाता हूँ जिससे मिलकर तेरे पाँव तले ज़मीन खिसक जाएगी. तू जानना चाहती थी ना कि राहुल के पीछे जो हमले हुए थे उसका मास्टरमाइंड कौन था. अगर तू उसे एक बार देख लेगी तो तू कभी विश्वास नहीं करेगी. ये देख तेरे सामने हैं वो........तभी बिहारी अपने हाथ से डरवज़े की ओर इशारा करता हैं. और तभी दरवाज़ा खुलता हैं. सामने एक शख्स खड़ा हुआ था. वो अपने बढ़ते कदमों से राधिका के करीब आता हैं और जब राधिका उस सख्स के चेहरे को पहचान लेती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं.


राधिका- ऐसा नहीं हो सकता.......................इतना बड़ा फरेब......इतना बड़ा विश्वासघात...
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बिहारी- क्यों झटका लगा ना. मैं जानता था कि तुझे बिल्कुल यकीन नहीं होगा. पर जो तेरे सामने हैं वही सच हैं चाहे तू मान या मत मान.


राधिका के मूह से एक ही शब्द निकल पाया और वो था............................विजय!!!!!


विजय- कैसी हो मेरी जान तुझे यहाँ पर देखकर मुझे आज कितनी खुशी हो रही हैं इसका मैं तुझे बयान नहीं कर सकता. कहते हैं ना अगर किसी चीज़ के पीछे जी जान से लग जाओ तो दुनिया की कोई भी ताक़त उससे उसको पाने से नहीं रोक सकती. और देख आज ना जाने कितने महीनों के बाद आज हमने तुझे हासिल कर ही लिया.


राधिका- धोका.............धोका किया हैं तुम लोगों ने मेरे साथ. आख़िर मैं पूछती हूँ तुम लोगों ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया. किस गुनाह की सज़ा मुझे दे रहे हो तुम सब. आख़िर मेरा कसूर क्या हैं...


विजय- कसूर तेरा नहीं बल्कि तेरी ये खूबसूरती का हैं जो तू हमे पहली ही नज़र में भा गयी. कसूर तेरा नहीं बल्कि उस कमिने राहुल का हैं जिसकी तू अब बीवी बनने वाली हैं. कसूर उस राहुल का हैं जिसकी वजह से आज मेरी ये हालत हुई हैं. आज उस कमिने राहुल की वजह से मेरा आज सब कुछ बर्बाद हो गया. और जिस इंसान की वजह से मैं बर्बाद हुआ हूँ उसे मैं कैसे आबाद होता हुआ देख सकता हूँ. मैं जानता हूँ कि उस कमिने की जान तेरे में बसी हैं. और तुझे कोई तकलीफ़ होगी तो उसे दर्द होगा. और मैं उसे वो जख्म दूँगा कि साला ना कभी चैन से जी पाएगा और ना ही मर पाएगा. और जब तक जीयेगा तड़प्ता ही रहेगा.


राधिका के चेहरे का रंग फीका पड़ गया था विजय की ऐसी बातो को सुनकर- क्या.............क्या करोगे तुम मेरे राहुल के साथ...


विजय- चिंता मत कर वक़्त आने दे सब पता चल जाएगा.


राधिका- आख़िर तुम्हारी दुश्मनी क्या हैं राहुल से. क्यों तुम उसके पीठ पीछे ये सब कर रहे हो. शक तो मुझे तुम पर बहुत पहले से था कि राहुल पर जितने हमले हुए हैं उन सब के पीछे तुम्हारा ही हाथ है. मगर अब यकीन हो गया. तुम सच में दोस्त के नाम पर एक गाली हो.


विजय हंसते हुए- चल सबसे पहले तो तेरे मन में उठ रहे सारे सवालों का जवाब दे देता हूँ. तुझे बता दूँगा तो मेरा भी मन थोड़ा हल्का हो जाएगा. जानना चाहती हैं ना कि आख़िर मैं तेरे आशिक़ को क्यों मारना चाहता हूँ और उससे मेरी दुश्मनी की वजह क्या हैं तो सुन..................................


बात तब की हैं जब मैं 8 साल का था. उस समय राहुल भी मेरी ही उमर का था. उसके पिताजी और मेरे पिताजी एक अच्छे दोस्त थे. रोज़ रोज़ आना जाना उठना बैठना सब होता था. ऐसे ही दिन अच्छे से बीत रहे थे. राहुल के पापा एक सर्जिन थे. वो अक्सर ट्रीटमेंट के लिए मनाली से बाहर जाया करते थे. और जब भी जाते वो अपनी पत्नी को साथ लेकर जाते और राहुल को हमारे घर छोड़ जाते. क्यों कि वो अभी पड़ाई कर रहा था जिसके वजह से बार बार जाने आने से उसकी पड़ाई डिस्टर्ब होती थी. ऐसे ही एक रोज़ वो दोनो अपनी कार में बैठकर एक एमर्जेन्सी ऑपरेशन के लिए निकल पड़े तभी तेज़ी से उनके सामने से एक ट्रक आता हुआ दिखाई दिया. वो इसी पहले की कुछ समझ पाते ट्रक बुरी तरह से उनके कार से टकरा चुकी थी. आक्सिडेंट इतना ज़बरदस्त था कि राहुल के मम्मी पापा की ऑन दा स्पॉट डेत हो गयी थी. और वो ट्रक ड्राइवर भी उस आक्सिडेंट में मारा गया था.


जब ये खबर मेरे पापा और मम्मी को पता लगी तो उनको बहुत बड़ा झटका लगा. उन्हें फिर राहुल की चिंता सताने लगी. वो नहीं समझ पा रहे थे कि राहुल को इस बारे में कैसे बतायें. फिर एक दिन मेरे पिताजी ने हिम्मत कर के ये बात राहुल को बता दी. राहुल का तो रो रो कर बुरा हाल था. ना वो खाना ख़ाता था और ना ही कॉलेज जाता था. बस दिन रात रोता रहता था. इसकी सदमे की वजह से उसकी तबीयात बिगड़ने लगी. तभी डॉक्टर ने राहुल को सदमे से बाहर निकालने की बात कही. मेरे पिताजी ने उसे अपने बेटे का दर्जा दे दिया. उस दिन के बाद से वो हमारे साथ हमारे ही घर पर रहने लगा.


राहुल बचपन से ही सीधा साधा लड़का था. वो ज़्यादा ना बेवजह किसी से बात करता और ना ही किसी से ज़्यादा दोस्ती रखता. राहुल धीरे धीरे पढ़ाई पर कॉन्सेंट्रेट करने लगा और समय के साथ साथ मेरे पिताजी और मम्मी की चाहत उसके प्रति बढ़ती गयी. मेरा शुरू से ही पढ़ाई में मन नही लगता था और धीरे धीरे मेरे कुछ आवारा लड़कों से मेरी दोस्ती हो गयी. मेरा एक छोटा भाई भी था उसका नाम कुणाल था. वो मुझ से दो साल छोटा था. वक़्त बीतता गया और मैं धीरे धीरे नशे का अडिक्ट हो गया. वहीं मेरा छोटा भाई भी मुझसे दो कदम आगे निकल गया. वो तो यहाँ तक ड्रग्स भी छुप छुप के लेने लगा था और कभी कभी घर से पैसे भी चुराता था.


ये सब करते हुए एक दिन राहुल ने देख लिया था और जाकर मेरे पापा को सारी बातें बता दी. बस फिर क्या था हम दोनो की खूब पिटाई हुई. मगर ड्रग्स का लत इतनी आसानी से कहाँ छूटती है. मेरा भाई धीरे धीरे ग़लत काम में अडिक्ट हो गया. वहीं दूसरी तरफ राहुल दिन ब दिन कॉलेज और सारी चीज़ों में टॉप करता रहा. जिसके वजह से मेरे मा बाप की नज़र में वो सबका लाड़ला बन गया और उसके वजह से हमारे प्रति चाहत मेरे मा बाप की कम होने लगी. यही सब देखकर मुझे अब राहुल से जलन होने लगी थी. मगर मैं उसके खिलाफ जा भी तो नहीं सकता था. अगर वो कोई ग़लत काम करता तभी तो मैं उसकी कमी निकालता. मैं भी बस मौके की तलाश में रहता मगर कभी सफल नहीं हो पाया.


राहुल को हमारे घर रहते करीब 10 साल हो चुके थे. और इधेर कुणाल ड्रग्स का सप्लाइयर बन गया था. और मैं भी मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था. अपने भाई की वजह से मैं भी धीरे धीरे ड्रग्स लेने लगा था. और या यू कह लो कि मैं भी ड्रग्स का अडिक्ट हो चुका था. फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी ज़िंदगी ही बदल गयी.


एक दिन कुणाल बॅग लेकर घर आया. उस बॅग में ड्रग्स के कुछ छोटे छोटे पॅकेट्स थे. शायद वो डेलिवरी देने के लिए लाया होगा. वो जैसे ही अलमारी में अपना बॅग रखा वैसे ही शायद उस बॅग का चैन खुला होगा ड्रग्स के के दो पॅकेट नीचे फर्श पर गिर गये. राहुल की नज़र उस ड्रग्स के पॅकेट पर पड़ चुकी थी. मगर उसे नहीं मालूम था कि वो क्या चीज़ हैं. कुणाल ने उसे झूठा बहाना बना दिया था. तभी दोपहर में जब सब कोई घर पर था पोलीस ने हमारे घर पर छापा मार दिया. और वे लोग कमरे की तलाशी लेने लगे. मेरे पिताजी तो पोलीस को देखकर चौंक पड़े. पोलीस वालों ने बताया कि तुम्हारा बेटा ड्रग्स का धंधा करता हैं और ड्रग्स भी लेता हैं. थोड़े देर तक वे लोग पूरे घर की तलाशी लेते रहे मगर उन्हें घर में कुछ नहीं मिला.


तभी पोलिसेवाले ने एक ड्रग्स का सॅंपल अपनी जेब से निकाला. प्लास्टिक के पॅकेट में सफेद पाउच था. वो उसे मेरे पापा को दिखाने लगा. तभी राहुल को भी सब समझ में आ गया कि सुबेह जो कुणाल के बॅग में वो पॅकेट था वो ड्रग्स ही था. तभी राहुल ने उस पोलिसेवाले को बताया कि आज ही वो कुणाल के पास ऐसा पॅकेट देखा था. फिर क्या था पोलीस वाले ने वहीं पर दो तीन डंडे लगाए तब जाकर कुणाल ने अपना गुनाह माना. फिर वो एक कमरे में (जहाँ पुरानी चीज़ें रखते हैं) उस कमरे में से वो बॅग निकाल का ले आया. फिर क्या था पोलीस ने मेरे बाप के सामने ही कुणाल को हथकड़ी लगा दी.


तभी मौके का फ़ायदा उठाकर वो एक पोलिसेवाले की कमर में बँधा रेवोल्वेर निकाल लिया और उन पोलिसेवालों पर रेवोल्वेर तान दी. ये सब देखकर तो मेरे बाप के होश उड़ गये. तभी एक हवलदार और वो इनस्पेक्टर आगे बढ़ कर कुणाल को पकड़ने के लिए आगे बढ़े ही थे कि कुणाल ने उन्दोनो पर फाइरिंग कर दी. हवलदार की तो ऑन दा स्पॉट डेत हो गयी और उस इनस्पेक्टर ने भी कुछ देर में अपना दम तोड़ दिया. फिर कुणाल वहाँ से तेज़ी से घर के बाहर निकल गया. और उस दिन के बाद से जो वो घर से बाहर गया फिर आज तक नहीं लौटा. फिर ये सब देखकर तो मेरे बाप को विश्वास ही नहीं हुआ कि उनका अपना बेटा ऐसा काम भी कर सकता हैं. वो ये सदमा नहीं बर्दास्त कर पाए और दूसरे दिन उन्होने पंखे से लटकार अपनी जान दे दी.


मैं चुप चाप बैठकर अपने घर की बर्बादी देखता रहा. ये सब उस राहुल की वजह से हुआ था. इतना सब कुछ होने के बावजूद मेरी मा ने उसको दोषी नहीं माना. फिर मुझसे भी नहीं बर्दास्त हुआ और मैने राहुल से एक दिन झगड़ा करके उसे अपने घर से निकाल दिया. कुछ दिन तक तो मेरी मा मेरे साथ रही मगर वो भी जान गयी थी कि मैं भी कुणाल की लाइन पर चल रहा हूँ. वो भी एक दिन मुझसे लड़कर अपने गाँव चली गयी और फिर आज तक नहीं आई. शायद मैने राहुल को अपने घर से अलग कर दिया था.


बाद मैं मैने राहुल से माफी माँगी मगर मेरा इरादा तो उससे प्रतिशोध लेने का था और समय भी मेरा ठीक नहीं चल रहा था. इसलिए मैं उसके साथ बना रहा ताकि उसकी हर जानकारी लेता रहूं और कभी ऐसा मौका मिलेगा तो मैं वो मौका नहीं चुकुंगा. मैं ना जाने कितने सालों तक अपने भाई को खोजता रहा मगर वो कहीं नहीं मिला. बाद में पता चला कि वो एक प्राइवेट एजेंट हैं ड्रग्स का. मैं भी उससे मिलने वाला था मगर मेरी बदक़िस्मती कि मेरे पहुचने के पहले ही पोलीस उस तक पहुँच चुकी थी. बाद में पोलीस मुठभेड़ में वो मारा गया. और जानती हैं मेरे भाई को मारने वालो में तेरा आशिक़ भी शामिल था यानी राहुल मल्होत्रा. पोलीस की एक टीम ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था. हालाकी दो तीन पोलीस वाले भी ज़ख़्मी हुए थे मगर मेरे भाई के साथ उसके पाँच आदमी भी मारे गये थे.


मेरा अच्छा ख़ासा हँसता खेलता हुआ परिवार सब उस कमिने की वजह से तबाह हो गया था. फिर मैने भी धीरे धीरे अपने भाई की जगह ले ली और बाद में मुझे बिहारी का साथ मिल गया. उस दिन के बाद मैने ठान लिया कि मैं राहुल को बर्बाद कर दूँगा. इसलिए आज भी मुझे उससे नफ़रत हैं.


राधिका विजय की बातो को बड़े ध्यान से सुनती है.- लेकिन मेरे ख्याल से तो इसमें राहुल की कोई ग़लती नहीं हैं. सब कुछ तो तुम्हारे भाई कुणाल का ही किया धरा था. और किसी की ग़लती किस पर थोपना ये तो सरासर बेवकूफी है.


विजय- अरे कितना भी है तो वो तेरा आशिक़ हैं और तू उसका पक्ष नहीं लेगी तो किसका लेगी. उसे तो मैं वो जख्म दूँगा कि वो मरते दम तक नहीं भूलेगा. उसे तो मैं अब ऐसा ज़ख़्म दूँगा कि वो जब तक ज़िंदा रहेगा तब तक वो हर पल मरता रहेगा.


विजय की बातो को सुनकर राधिका कुछ कह नहीं पाती क्यों कि वो जानती थी कि इस वक़्त बिहारी का पलड़ा भारी हैं. मेरे चाहने या ना चाहने से कुछ नहीं होगा. आज राधिका अपने आप को बिल्कुल मज़बूर और बेबस महसूस कर रही थी.


बिहारी- एक बात और तुझे बताना चाहता हूँ. अब तो तू ये बात जान ही गयी होगी कि विजय मेरा राइट हॅंड है और अब मैं तुझे अपने लेफ्ट हंड आदमी से मिलवाना चाहता हूँ. उसे तो तू अच्छे से जानती होगी. अरे वो तो एक बार तेरी ही वजह से जैल जा चुका हैं. मैं जानता हूँ तू उसे एक बार देख लेगी तो तुरंत पहचान लेगी.


राधिका का चेहरा फीका पड़ गया था बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर- कौन हैं वो और तुम किसकी बात कर रहे हो और मैने किसको जैल भिजवाया था..................


बिहारी-बताता हूँ मेरी जान थोड़ा धर्य तो रख वो देख सामने फिर बिहारी अपनी एक उंगली से दरवाज़े की ओर इशारा कर देता हैं.


तभी दरवाज़ा फिर से खुलता हैं और एक शख्स अंदर कमरे में आता हैं. लंबे बाल हाथों में सिगरेट पकड़े हुए- कैसी हैं मेरी चिड़िया. अरे तूने तो मुझे बहुत तडपाया था तेरे लिए तो मैं कितना बेचैन था. तेरी वजह से मुझे पूरे तीन महीने की सज़ा भी हुई. मगर तुझे यहाँ पर देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है. उस दिन तो तू बहुत उड़ रही थी ना. अब देख तेरे पंख हम सब बारी बारी मिलकर कुतेरेंगे.फिर देखता हूँ तू कैसे फुदक्ति हैं..............फिर मज़ा आएगा तेरा शिकार करने में.


राधिका को ये आवाज़ जानी पहचानी लग रही थी. वो बड़े गौर से उस शास को देखने लगती हैं. जब उस शख्स पर राधिका की नज़र पड़ती हैं तो वो अपने मूह पर दोनो हाथ रखकर अस्चर्य से उस शख्स को देखने लगती हैं. नहीं ये नहीं हो सकता. राधिका के मूह से बस इतने ही शब्द निकल पाए थे............जग्गा.. वो शख्स और कोई नहीं बल्कि ........................जग्गा था.

जग्गा- कुछ याद आया मेरी जान वो कॉलेज का कॅंपस जहाँ मैने तुझे एक बार छेड़ा था और बदले में तूने मेरी इज़्ज़त सारे कॉलेज के सामने उतारी थी. आज मैं अपनी बेइज़्ज़ती का बदला तुझसे एक एक कर लूँगा. आज मैं तेरी इज़्ज़त यहाँ इन सब के सामने उतारूँगा फिर तुझे भी पता चलेगा कि इज़्ज़त उतरते समय कैसा महसूस होता हैं.


राधिका गुस्से से चीख पड़ती हैं- बिहारी ये क्या तमाशा लगा रखा हैं तुमने. मैं कोई रंडी नही हूँ कि तुम जिसके साथ जैसा चाहो मुझे ये सब करने को कहोगे और मैं करूँगी. अगर तुम्हारा इरादा मेरे साथ इन सब के साथ सेक्स करवाने का हैं तो मुझसे ये सब नहीं होगा.


बिहारी बड़े प्यार से राधिका की ओर देखने लगता हैं- नाराज़ क्यों होती हो मेरी जान बात ये हुई थी कि मैं जो तुझसे कहूँगा तू वही करेगी चाहे मैं तुझे जिसके साथ भी सेक्स करने को क्यों ना कहूँ. और हां ये तेरी नादानी को मैं आख़िरी बार माफ़ कर रहा हूँ अगर दुबारा उँची आवाज़ में मुझसे बात की तो तेरा वो हाल करूँगा कि तुझे अपनी परछाई से भी डर लगेगा.


राधिका चुप चाप अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं तभी विजय उसके पास आता हैं और राधिका के पीछे खड़ा होकर अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर अपनी मुट्ठी में थाम लेता हैं और पूरी ताक़त से उसे मसल देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो इस अचानक हमले से वो चौंक जाती हैं तभी बिहारी ज़ोर से विजय को गाली देता हैं और राधिका से दूर हटने को बोलता हैं.


बिहारी- ये क्या तरीका हैं विजय. मैने कहा राधिका से दूर हट जाओ. और अब राधिका को दुबारा छूने की कोशिश भी मत करना. और हां अब मेरी मर्ज़ी के बिना अब कोई भी राधिका को हाथ नहीं लगाएगा.


विजय एक नज़र घूर कर बिहारी को देखता हैं मगर कुछ नहीं कहता. गुस्सा तो उसे बिहारी पर बहुत आता हैं मगर वो जानता था कि अगर बिहारी से इस समय बहस हुआ तो राधिका उसके हाथ से निकल जाएगी और वो किसी भी हाल में राधिका जैसी आइटम को अपनी हाथों से जाने नहीं देना चाहता था.


बिहारी- ये मेरा घर हैं और अब यहाँ पर मैं जैसा चाहूँगा वैसा ही होगा. अगर मेरी बात तुम सबको बुरी लगती हैं तो तुम सब बेशक यहाँ से जा सकते हो. मगर जब तक यहाँ पर रहोगे जो मैं बोलूँगा जैसा बोलूँगा तुम सब को मेरी बात मानना पड़ेगा. नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा.


बिहारी की चेतावनी से विजय और जाग्गा वहीं चुप चाप खामोशी से वहीं पर बैठ जाते हैं. दोनो अच्छे से जानते थे कि अब बिहारी की बात मानने में ही भलाई हैं.


तभी बिहारी एक नौकर को बुलाता हैं और राधिका के लिए जूस लाने को बोलता हैं. थोड़े देर में वो नौकर राधिका के लिए जूस लेकर आता हैं. साथ में कुछ नमकीन भी थी.


बिहारी- चिंता मत कर राधिका अब कोई भी मेरी मर्ज़ी के बिना तुझे हाथ नहीं लगाएगा. फिर बिहारी राधिका को वो जूस पीने का इशारा करता हैं. राधिका बिना किसी सवाल के वो जूस से भरा काँच का ग्लास उठाती हैं और फिर धीरे धीरे पूरा पी जाती हैं.


बिहारी- क्या करूँ राधिका पता नहीं क्यों तुझ में कोई तो बात हैं जो मेरा ध्यान बार बार तेरी ओर खीच लेती हैं. चल आज तुझे मैं एक मौका देता हूँ तेरी आज़ादी के लिए. और दुवा करूँगा कि तू यहाँ से आज़ाद हो जाए.


राधिका फिर से सवालियों नज़र से बिहारी को देखने लगती हैं- मैं कुछ समझी नहीं बिहारी तुम आख़िर क्या कहना चाहते हो.


बिहारी- चल आज एक गेम खेलते हैं. अगर इस खेल में तू जीती तो मैं तुझे पूरेय इज़्ज़त के साथ इसी वक़्त यहाँ से तुझे अपने घर जाने दूँगा अगर तू हार गयी तो फिर तू पूरे एक हफ्ते के बाद यहाँ से जाएगी और मेरी गुलाम बनकर रहेगी. बोल मज़ूर हैं तुझे एक आखरी बाज़ी..............खेलना चाहेगी क्या ये खेल???


राधिका के चेहरे पर थोड़ी खुशी आ जाती है और वो तुरंत हां में इशारा करती हैं- मुझे मंज़ूर हैं. राधिका के पास इस वक़्त यहाँ से निकलने का कोई दूसरा ऑप्षन नहीं था. इसलिए वो बिना सोचे समझे झट से हां कह देती हैं.


बिहारी के मूह से ऐसी बातें सुनकर विजय और जग्गा दोनो गुस्से से बौखला जाते हैं. वो अच्छे से जानते थे कि बिहारी ज़ुबान का पक्का इंसान हैं. और अगर राधिका ये गेम जीत गयी तो वो सच में उसे हाथ नहीं लगाएगा और इतना अच्छा मौका राधिका को चोदने का हाथ से निकल जाएगा. अपने हाथ से ये मौका निकलता देखकर विजय गुस्से से पागल हो जाता हैं.


विजय- मुझे अब कोई गेम नहीं खेलना है. अरे इतना अच्छा मौका मिला हैं और तुम अब राधिका को बिना कुछ किए बगैर कैसे जाने दे सकते हो मुझे तुम्हारे इस खेल में कोई शौक नहीं हैं.


बिहारी- मैने पहले भी कहा था और अब भी कहता हूँ अगर तुम मेरे हिसाब से नहीं चल सकते तो बेसक तुम यहाँ से जा सकते हो. आइन्दा मैं दखल अंदाज़ी बिकुल बर्दास्त नहीं करूँगा.


विजय ना चाहते हुए भी पैर पटक कर वहीं गुस्से से बैठ जाता हैं.
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