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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#1
Rainbow 
Isi Ka Naam Zindagi



This not my story .....this one of my favorite story ....so all credit goes to original writer Ajaykumar82
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#2
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Isi Ka Naam Zindagi




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#3
"इसी का नाम हैं ज़िंदगी "  (हिंदी में)


INDEX


1.Update 1

2.Update 2

3.Update 3

4.Update 4

5.Update 5

6.Update 6

7.Update 7

8.Update 8

9.Update 9

10.Update 10

11.Update 11

12.Update 12

13.Update 13

14.Update 14

15.Update 15

16.Update 16

17.Update 17

18.Update 18

19.Update 19

20.Update 20

21.Update 21

22.Update 22

23.Update 23

24.Update 24

25.Update 25

26.Update 26

27.Update 27

28.Update 28

29.Update 29

30.Update 30

31.Update 31

32.Update 32

33.Update 33

34.Update 34

35.Update 35

36.Update 36

37.Update 37

38.Update 38

39.Update 39

40.Update 40

41.Update 41

42.Update 42

43.Update 43

44.Update 44

45.Update 45

46.Update 46


END
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#4
INDEX 2
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#5
Introduction 

कहते हैं कि वक़्त से बड़ी ताक़त इस दुनिया में और कोई नही हैं. वक़्त के आगे बड़ी से बड़ी चट्टान भी झुक जाती है तो इंसान क्या चीज़ हैं.जो इंसान अगर वक़्त की कद्र करता हैं वो ही इंसान दुनिया में अपना वजूद कायम रख पाता हैं. एक बार जो वक़्त निकल गया वो कभी वापस नही आता मगर कुछ नसीब वाले इंसानो को ही वक़्त और किस्मत दोनो मिलती हैं. और वो ही इंसान सफलता के बुलांदियों को छूते हैं. मगर कुछ ऐसे भी इंसान है जो वक़्त के हाथों मजबूर और कठपुतलती मात्र बनकर रह जाते हैं.ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था. मैं भी वक़्त के हाथों एक खिलोना बनकर बस रह गया.
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#6
Update 1


मैं एसीपी राहुल मल्होत्रा आज वक़्त का सताया हुआ एक इंसान जो वक़्त के हाथों एक खिलोना के सिवा और कुछ भी नही है. कहने को तो मैं एसीपी हूँ मगर आज मेरे पास सब कुछ होकर भी कुछ नही हैं. आज मेरे पास बंगला, गाड़ी , नौकर चाकर सब कुछ है जो एक संपन्न परिवार में होना चाहिए या उससे भी ज़्यादा .मगर आज ना ही मेरे पास मा है और ना ही बाप.ना कोई भाई ना कोई बेहन. मैं आज तन्हा हूँ बिल्कुल अकेला.ना कोई आगे ना कोई पीछे.बचपन में मेरे मा बाप की रोड आक्सिडेंट में डेत हो गयी थी. जब मैं मात्र 10 साल का था. अभी मैने इस दुनिया के बारे में जाना ही कहाँ था कि मेरी दुनिया ही उजाड़ गयी.

बचपन से ही मेरी लाइफ स्ट्रगल रही हैं. मेरे पिताजी कहा करते थे कि कभी किसी पर डिपेंड मत रहो और टाइम ईज़ मनी. मैने उनके ही आदर्शों पर चलकर आज खुद अपनी कड़ी लगन और मेहनत के बल पर आज अपने आप को इस काबिल बनाया है कि आज मेरी खुद एक हस्ती और वजूद हैं. मैने अपनी पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद मुझे पोलीस की नौकरी मिली और मैने पोलीस की नौकरी जाय्न कर ली. मगर यहाँ भी मेरी बदक़िस्मती ने मेरा साथ नही छोड़ा मेरी ज़िंदगी में भी ख़ुसीयों के फूल खिले मगर वक़्त ने मुझसे वो खुशी भी छीन ली. जी हां मेरी खुशी, मेरा प्यार, मेरी तड़प, मेरी ज़िंदगी सब कुछ वो जिसने मुझे जीना सिखाया , प्यार क्या होता हैं बताया. मगर आज मेरे पास वो प्यार भी नही है. वक़्त ने मुझसे सब कुछ छीन लिया.आज मैं यही सोचता हूँ कि मैं ज़िंदा हूँ भी तो सिर्फ़ एक लाश बनकर रह गया हूँ. अब ना ही मेरे जीने की कोई वजह है ना ही कोई मंज़िल. एक मेरी मंज़िल थी आज वो भी नही है जी हां वो नाम जिसे मैं याद करके पल पल मरता हूँ, वो नाम जो मेरी रूह में मेरी हर साँस में आज भी ज़िंदा है वो नाम हैं राधिका शर्मा.

वो राधिका जिसे पाकर मुझे मंज़िल मिल गयी थी, मुझे जीने की वजह मिल गयी थी. मगर आज भी वो ज़िंदा हैं मेरी हर रोम रोम में, मेरे रागों में लहू बनकर . मेरी हर साँस में मेरी धड़कन में. मैं उसे कभी भुला नही सकता. खैर जो हुआ वो वक़्त तो वापस आ नही सकता .आज भी वो पल याद आते ही मेरी आँखो से आँसुओं का एक सैलाब उमड़ पड़ता है. बात तब की है .....................................................

19-सेप्ट-2008

आज के ही दिन मेरा अपायंटमेंट हुआ था. आज मैं बहुत खुस हूँ. मुझे मेरी कड़ी मेहनत और लगन की बदोलत आज अपने आप को इस काबिल बनाया कि आज अगर मेरे पिताजी ज़िंदा होते तो आज वो अपना सीना तान कर खड़े होते. मैने शपथ ली कि ना ही मैं अत्याचार सहूँगा और ना ही अत्याचार होने दूँगा. मैं अपनी नौकरी पूरी ईमानदारी और कर्तव्य से पूरा करूँगा. आज मुझे नौकरी करते लगभग एक साल हो चुका है. इतने दिनो में मैने कई टिपिकल केसस भी हॅंडल किए हैं. और बहुत से मुजरिमो को जैल की सलाखों के पीछे भी धकेला हैं. आज बड़े बड़े मुजरिम मेरे नाम से काँपते हैं. ऐसे ही मेरे दिन आराम से कट रहे थे कि एक दिन मैं ड्यूटी पर था और किसी काम से ऑफीस जा रहा था. रास्ते में मैने अपनी पोलीस जीप एक कॉलेज कॅंटीन के सामने खड़ी कर दी. और मेरा कॉन्स्टेबल वीर सिंग भी मेरे साथ था.हम दोनो उन ही हँसी मज़ाक कर रहे थे कि सामने से दो लड़की आती हुई दिखाई दी. कसम से कहता हूँ मैने आज तक ऐसी सुन्दर लड़की कभी नही देखी थी. गोरा रंग 5.4 इंच हाइट, बहुत सुंदर नयन, गुलाबी लिप्स, और फिगर तो फिल्म आक्ट्रेस भी उसके सामने फीकी पड़ जाए. और उसकी सहेली भी बिल्कुल वैसी ही थी. गोरा रंग लगभग सेम हाइट. ऑलमोस्ट सब सेम. पर चेहरा दोनो का बहुत मासूम था.

हम दोनो भी कॉलेज कॅंटीन के पास बैठे थे इतने में तीन बदमाश कॉलेज के मेन गेट से आते हुए दीखाई दिए. उनकी नज़र जब उन दोनो लड़की पर पड़ी तो उन तीनो के भी होश उड़ गये. एक गुंडा उनका लीडर था जग्गा. उसका काम ही था रोज रोज लड़ाई , मारा पीटी, छेड़ छाड़ कोई उससे पंगा भी नही लेता था. गंदी सूरत, काला जिस्म और मूह में पान चबाते हुए वो सामने के मैन गेट पर खड़ा हो गया और उन दोनो लड़कियों का इंतेज़ार करने लगा.

जग्गा- यार देख तो कसम से क्या चिड़िया है. साली पहले तो नही देखा इसको. लगता हैं नयी आई हैं. जो भी हैं कसम से पटका है.

इतना सुनते ही जाग्गा का दोस्त रामू बोल पड़ता हैं

रामू- अरे जग्गा भाई इस लड़की से पंगा मत लो यार.

जग्गा- क्यों बे कहीं की महारानी है क्या.

रामू- अरे महारानी से भी बढ़कर है यार .ये साली आटम बॉम्ब है. जब ये फटेगी तो तेरा भी पता नही चलेगा. याद हैं ना मनीष नाम का लड़का. अरे उसने इसे छेड़ने की ग़लती कर दी थी बस फिर क्या था साली ने उसका ऐसा बॅंड बजाया कि बेचारा इसको आँख उठा कर भी देखना तो दूर इसको दूर से देखते ही वो अपना रास्ता बदल देता हैं. और कभी संजोग से वो सामने आ जाए तो पूछ मत यार लगता है साला पॅंट में सू-सू कर देगा.

जग्गा- ऐसा क्या,! लगता है ये तो तीखी मिर्च हैं. और तू तो जानता है कि मुझे तीखी चीज़ कितनी पसंद हैं.

जग्गा का दूसरा दोस्त श्याम- हाँ यार रामू ठीक ही तो कह रहा है क्यों इस लड़की से बेवजह पंगा ले रहा हैं. तुझे छेड़ना ही है ना तू चल ना कोई और लड़की को छेड़ते हैं.


जग्गा- इतना सुनते ही जग्गा का परा गरम हो जाता हैं. और कहता है साले तुम दोनो इस लड़की से डर गये साले ना-मर्दो कहीं के. देख अब मैं कैसे अकेले ही इन दोनो को सबक सिखाता हूँ. तुम लोग बस तमाशा देखते जाओ. देखना आज जग्गा कैसे इन दो टके की लौंडिया को अपने नीचे लाता है.... इतना कहकर जग्गा उनकी तरफ चल पड़ता है. जग्गा को सामने से आता देखकर निशा घबरा जाती है और अपनी सहेली से कहती है.....

निशा- राधिका यार प्लीज़ चल ना कहीं और चलते हैं मेरा मन नही कर रहा है इस कॅंटीन में जा ने का.

राधिका- यार तू भी अजीब है इतने देर से कह रही है मुझे भूक लग रही है और अब कॅंटीन आ गया तो कह रही है कहीं और चलते हैं.

निशा- बात ये है ना कि वो गुंडा जग्गा देख हमारी ही तरफ आ रहा है. तू उसको नहीं जानती एक नंबर का लफंगा और बदमाश है. आए दिन हर लड़की को छेड़ता रहता हैं.

राधिका- बस इतनी सी बात है. तू भी इस दो टके के गुंडे से घबरा गयी. तू चिंता मत कर अगर वो हम से पंगा लेगा तो साला बहुत पिटेगा.

निशा- अरे तू नहीं जानती इस से कोई पंगा नही लेता. बहुत ख़तरनाक है ये. मैं तो कहती हूँ अगर ये कुछ बोले तो बस तू चुप चाप निकल जाना. बस कुछ बोलना नही .

तभी जग्गा उनके करीब आ जाता है................

जग्गा- क्यों री चिड़िया तेरा नाम क्या है.

राधिका- आपसे मतलब. आप कौन होते हैं पूछने वाले.

जग्गा- अरे ए साली ,ए तो हम से ही सवाल कर रही हैं. तू जानती नही हैं लड़की हम कौन हैं. नाम है जग्गा. नाम तो तुमने सुना ही होगा.

राधिका- क्यों कोई फिल्म आक्टर हो क्या जो तुम्हारा नाम सुना है. तुम जैसे दो टके के आदमी से हमे कोई बात नही करनी. जाओ अपना रास्ता नापो. इतना सुनते ही जग्गा का पारा गरम हो जाता है.

जग्गा- तू जानती नही हम को मैं इस एरिया दादा हू दुनिया सलाम करती है जो पूछ रहा हूँ चुपचाप बता दे नही तो.........और इतना बोलते ही जग्गा चुप हो जाता है,

राधिका- नही तो क्या............... क्या कर लोगे. राधिका गुस्से से उसको देखकर बोलती हैं.

जग्गा- तुझे यहीं बीच सड़क पर नंगा करके घुमाउन्गा. इतना सुनते ही निशा डर से सहम जाती हैं और राधिका को धीरे से बोलती हैं.

निशा- अरे राधिका क्यों बात को बढ़ा रही हैं. जाने दे ना ऐसे लोगों से हमे पंगा नही लेना चाहिए.

राधिका- ठीक है निशा इसको बोल दे कि ये मुझसे माफी माँग ले. मैं यही पर बात ख़तम कर देती हूँ. इतना सुनते ही जग्गा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगता हैं.

जग्गा- माफी और वो भी इस छोरी से. अरे मेरी चिड़िया अगर तू मेरी बात मान ले तो मैं तुझे रानी बनाकर रखुगा. फिर तुझे कोई भी आँख उठा कर नही देखेगा.

निशा- देखिए प्लीज़ हमे जाने दीजिए. राधिका की तरफ से मैं आपसे माफी मांगती हूँ.

जग्गा- अरे मेरी चिड़िया तू क्या समझती है कि तेरे माफी माँगे से मैं तुम दोनो को जाने दे दूँगा क्या. अगर इसे मैं अपनी रानी बनाउन्गा तो तुझे अपनी रखैल........

राधिका- देखिया मिस्टर. जग्गा जी आप अपनी हद्द से आगे बढ़ रहे है. आप अपनी औकात में रहकर बात कीजिए. वरना अंजाम बुरा होगा.

जग्गा- अच्छा तो तू बताएगी मुझे मेरी औकात. देखता हूँ मैं भी तो कि तू मेरा क्या बिगाड़ लेगी.

इतना सुनते ही राधिका का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है और वो एक कॉल करती हैं. राधिका को कॉल करते देख कर जग्गा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगता है और बोलता है.

जग्गा- लगता है अपने बाय्फ्रेंड को बुला रही है मुझको पिटवाने के लिए. ज़रा मैं भी तो देखूं कौन साला मर्द पैदा हो गया जो जागा को छू भी सके.

राधिका- फोन पर बात करते हुए - हेलो सर मुझे एक जग्गा नाम का आदमी परेशान कर रहा है और बहुत बतदमीज़ी से पेश आ रहा है. राधिका अब तक जो बातें होती है वो पूरी बात बता देती है और कुछ अपनी तरफ से भी नमक मिर्ची लगा कर जोड़ देती है.

उधेर से आवाज़ आती है क्या वो आदमी अभी भी आपके पास खड़ा है. राधिका हाँ में जवाब देती हैं. उधर से आवाज़ आती हैं ज़रा मेडम प्लीज़ फोन उसे दीजिएगा. मैं उससे ज़रा बात करता हूँ .

इतना सुनते ही राधिका उसको फोन थमा देती है......................................................
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#7
Update 2


जग्गा- अबे कौन बोल रहा है बे. किस साले की मौत आई है जो जग्गा से पंगा ले रहा है.

उधर से आवाज़ आती है - तो आप ही जग्गा है. अरे भाई क्यों आप उन दोनो लड़कियों को बेवज़ह परेशन कर रहे हैं.आपकी भलाई इसी में है कि आप चुप चाप वहाँ से चले जाइए वरना अंजाम बुरा होगा.इतना सुनते ही जग्गा के सर पर खून सवार हो जाता है और वो ज़ोर से चिल्ला कर बोलता है

जग्गा- अगर सच्चा मर्द है तो फोन पर क्या बात कर रहा है .दम है तो सामने आ कर जग्गा का सामना कर. तुझे यही पर ज़िंदा ज़मीन में दफ़न कर दूँगा.उधर से आवाज़ आती है- देखिए भाई साहब ज़रा तमीज़ से बात कीजिए मैं आपसे आराम से बात कर रहा हूँ इसका मतलब आप कुछ भी बोल देंगे. आप की भलाई..................

बात पूरी होने से पहले जग्गा बोल पड़ता है- अगर
अपनी माँ का दूध पिया है तो आ जा सामने तुझे
अभी पता लग जाएगा की जग्गा क्या चीज़ है.
उधेर से फिर - आप वही पर रुकिये हम अभी आते हैं. ज़रा बताइए इस वक़्त आप कहाँ पर हैं. हम अभी पहुँचते हैं.
जग्गा- चल आ जा मैं इस वक़्त आइआईएमटी कॉलेज के मेन गेट पर हूँ देखता हूँ तू मेरा क्या बिगाड़ लेता है. इतना कहकर जग्गा फोन काट देता है और ज़ोर से हंसता है.

जग्गा- लगता है हिजरों की फ़ौज़ आ रही है मुझको
मारने के लिए. जग्गा घूर कर राधिका को देखता है और धीरे से कहता है- वैसे एक बात बोलू मेरी रानी अगर तू मेरे साथ चले तो मैं तुझे माफ़ कर सकता हूँ. अगर तू मेरे नीचे एक बार आ जा फिर तू देख माँ कसम तेरी दिल नही करेगा मुझे छोड़ कर जाने को. जानती हैं मेरा केला बहुत बड़ा और मोटा है. पूरे 9' इंच का है. तुझे बहुत मज़ा दूँगा.

इतना सुनते ही राधिका का पारा एकदम हाइ हो जाता है

राधिका- अब तक मैं तेरी हर बात को मज़ाक में टाल रही थी अब तुझे बताती हूँ कि मैं क्या चीज़ हूँ. इतना कहकर राधिका ज़ोर से चिल्ला
कर भीड़ इकट्ठा करती है
राधिका- भाइयों और बहनों ज़रा प्लीज़ मेरी
बात सुनिए . वहाँ खड़ी भीड़ राधिका की आवाज़
सुनकर सब लोग इकट्ठा होने लगते हैं.
राधिका- ये भाई साहब आप लोगों से कुछ कहना
चाहते हैं. इतना सुनते ही जग्गा के चेहरे का रंग
उड़ जाता है और वो एक दम से घबरा जाता है.
जग्गा- धीरे से ये क्या तमाशा कर रही है तू. चल इन लोगों को यहाँ से दूर भगा.
राधिका- देखिए भाई लोगों ये जग्गा आप सब से
अपनी कुछ पर्सनल बात बताना चाहते हैं. ज़रा
आप सब इन्ही से पूछ लीजिए.
जग्गा को तो जैसे साप सूंघ जाता है और वह चाह
कर भी एक शब्द नही बोल पाता है.
तभी भीड़ में से एक आवाज़ आती है - अरे भाई
क्या पर्सनल बात बताने वाले हो ज़रा हम भी तो सुने. जग्गा- वो..........मैं...... कुछ............नही..........कोई .....बात..........नही...... बस.........आप..........सब .....चले ...जाइए....
राधिका- क्या जग्गा जी ज़रा इनको भी तो बताइए आप तो मुझे जबर्जस्ति बात बता रहे थे. आप बताएँगे कि मैं बोल दूं..............
जग्गा- देखिए........... वो....... कोई .........बात......ना...ना....नही.................. इतने में फिर एक आवाज़ आती है- अरे भाई ऐसी कौन सी पर्सनल बात है जो तू इनको कह सकता है और हूमें नही . बता ना.
राधिका- ये भाई साहब अपने केले के बारे में
बात कर रहे थे. राधिका जग्गा की ओर देखते हुए बोलती हैं ज़रा इन्हे भी तो बताइए ना.
इतने में फिर आवाज़ आती है- अबे कौन से केले की बात कर रहा है खाने वाला या वो वाला.
जग्गा को तो जैसे कुछ समझ ही नही आता कि वो क्या
बोले. और वो चुप हो कर भीड़ के बीच में
चुप चाप खड़ा रहता है.फिर एक आवाज़ आती है- अबे क्या साइज़ है तेरे केले का ज़रा हमे भी तो बता. इन लड़कियों को तो बताने में शरम
नही आ रहा था और अब साला शरमाता है .
जग्गा- वो बात .... है ना.... मुझे ....कुछ ..........ग़लतफहमी .......... हो गयी.............थी. भीड़ में से फिर दूसरी तरफ़ से- आबे बता ना कितना इंच का है तेरा केला. जग्गा को अब मज़बूरन बोलना ही पड़ता हैं- और वो बस इतना ही बोल पता है 9' का.
जग्गा का दशा देखकर उसके दोनो दोस्त रामू और श्याम धीरे से खिसक लेते हैं.
राधिका- अरे जग्गा जी ज़रा खुल कर इन लोगों को भी बताइए ना अपने केले के बारे में.
इतने देर में कुछ लड़कियाँ भी भीड़ में से
निकल कर जग्गा की ओर बढ़ती हैं.

और जग्गा बिल्कुल घबरा जाता हैं.
राधिका- देखिए इनमे से कोई भी आदमी इनके उपर
हाथ नही उठयगा. आज इनका बारात यही मौजूद
सारी लड़कियाँ ही निकालेंगी.
उसके बाद तो भीड़ में से कई और लड़की अपना
जुत्ति , सॅंडल , और कुछ लड़के अपना बेल्ट निकाल कर
लड़कियों को थमा देते है और उसके बाद जग्गा की वो पिटाई होती है कि उसका मूह सूज जाता है .
तभी पोलीस के सायरन की आवाज़ आती है और कुछ
पोलीस वाले जीप से उतर कर आते हैं. पोलीस को
आता देख कर वहाँ मौजूद भीड़ एक साइड में हो जाती हैं.

एक पोलीस वाला- हां तो किसने मेरे पास अभी
फोन किया था. इनमें से राधिका और निशा कौन हैं. और वो हरामी जग्गा कौन है .

राधिका- मैने ही आपको फोन किया था सर. और
जग्गा की ओर इशारा करते हुए. ये ही है जो आपको
धमकी दे रहा था. कह रहा था मैं ही इस एरिया का दादा हूँ . और सर आपको बहुत गंदी गंदी गाली भी दे रहा था.
इतने देर में उस पोलीस वाले की नज़र इनस्पेक्टर
राहुल पर पड़ जाती है और वो राहुल को आने का
इशारा करता हैं.राहुल उनके नज़दीक आता हैं.
पोलीस वाला- सर इस वक़्त मैं एक बहुत ज़रूरी
मीटिंग में था. मगर आपका कॉल आया इसकी वजह से मुझे आना पड़ा.
राहुल- चलिए ख़ान जी आपने मेरी बात रख ली और
समय पर आप आ गये. ये ही है जग्गा इसे ले जाओ और इसकी इतने आच्छे से खातिरदारी करो कि इसकी दादागिरी सब जैल के सलाखों के पीछे गुम हो जाए.

ख़ान- सर आप चिंता मत कीजिए ऐसे दो टके के
टपोरी को मैं सीधा करना बहुत अच्छे से जानता हूँ.
राधिका- इसका मतलब आप मेरे कहने पर यहाँ
नही आए. राधिका ख़ान से पूछती है.
मेडम ऐसी कोई बात नही है आप का कॉल भी हमारे लिए इंपॉर्टेंट है मगर हमे सर के कहने की वजह से इस वक़्त आना पड़ा.
ख़ान- सर इस सिचुयेशन को तो आप ईज़िली हॅंडल कर सकते थे फिर आपने हमे क्यों बुलाया.
राहुल- यार ऐसे छोटे मोटे गुंडे से उलझकर मैं अपनी रेप्युटेशन खराब नही करना चाहता था इसलिए.
अब चौकने की बारी राधिका की थी-
राधिका- इसका मतलब मैं इस गुंडे से इतनी देर तक उलझती रही उसका कोई वॅल्यू नही है क्या..
राहुल- अरे मेडम आप तो वाकई में बहुत
स्ट्रॉंग लड़की हो. आपकी हिम्मत की तो दाद देनी चाहिए. थोड़ी देर बाद पोलीस की गाड़ी जग्गा को पकड़ कर ले जाती है और फिर माहौल पहले जैसे हो जाता है.
राधिका- अक्चा थॅंक यू इनस्पेक्टर साहब. आपने
जो हमारी मदद की . चलो निशा अब हम कॅंटीन
चलते हैं.
निशा- यार कैसी लड़की हो तुम ये साहब ने हमारी
इतनी मदद की और तुम बस थॅंक यू बोल कर जा रही
हो. यार चल कर कुछ चाइ नाश्ता इनके साथ कर लेते हैं.
राधिका- अरे निशा तू नही जानती इन पोलीस वालो को
सब एक जैसे ही होते हैं.
राहुल- सब नही मेडम कुछ लोग है हमारे
डिपार्टमेंट में. इस समाज में हर टाइप के इंसान होते हैं कुछ अच्छे कुछ बुरे. अगर एक बुरे इंसान से हमे परेशानी होती है तो पूरे समाज को तो बुरा नही कह सकते ना.
निशा- अरे छोड़ ना यार तू भी बस हर बात लेकर
बैठ जाती है चलिए सर आप हमारे साथ चलकर
चाइ कोफ़ी पी लीजिए.
राहुल- ठीक है . इतना कहकर राहुल उन दोनो के
साथ कॅंटीन में चला जाता हैं.
राहुल- कूल डाउन मेडम. आपकी सहेली सही कह
रही है आप भी छोटी छोटी बात को लेकर चलती हैं.तभी राहुल कुछ स्नॅक्स और चाइ का ऑर्डर देता है.
राहुल- अरे आप दोनो ने तो आपना नाम भी नही बताया.
निशा- मेरा नाम निशा अग्रवाल हैं. मैं इसी
कॉलेज के सेकेंड एअर की स्टूडेंट हूँ और बी.कॉम
कर रही हूँ. और ये है मेरी बेस्ट फ्रेंड राधिका शर्मा . ये भी मेरी क्लास मेट है.
राहुल- वैसे राधिका जी आपको गुस्सा बहुत आता है.आप तो सचमुच आटम बॉम्ब हैं. इतना कहकर
राहुल हँसने लगता हैं. बाइ दा वे आइ एम इनस्पेक्टर
राहुल मल्होत्रा. मुझे पोलीस में जाय्न हुए लगभग एक साल हो गया हैं.
राधिका- गुस्से से आपको किसने बताया कि मैं
आटम बॉम्ब हूँ. ज़रा बताइए मुझे अभी साले का
सिर फोड़ दूँगी.
राहुल- हँसते हुए अरे वो जग्गा के साथ दो आदमी थे ना वही कह रहे थे. मैने खुद सुना.
निशा- सर आप वहाँ पर खड़े थे तो आप ने हमे बचाया क्यों नही उस जग्गा से.
राहुल- दर-असल मैं ये देखना चाहता था कि वो
लोग तुम्हारी सहेली को आटम बॉम्ब क्यों बोल रहे
थे. मुझे लगा कि ये अगर सच में आटम बॉम्ब
है तो ज़रूर कुछ धमाका करेगी. लेकिन सच कहूँ आपकी सहेली आटम बॉम्ब से भी बढ़कर है.
राधिका- तो अब आप भी मुझे वही नाम से पुकारने लगे.
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#8
Update 3


राहुल- आइ आम सॉरी राधिका जी मैं बस मज़ाक कर
रहा हूँ. आप सच में बहुत बहादुर हैं.
मैं आपको सचमुच सल्यूट करता हूँ.
अगर आप जैसी लड़की रहे और जिसका ऐसा इरादा हो तो
गुंडे बदमाश तो किसी को भी छेड़ने की ग़लती नही
करेंगे.
निशा- अरे सर आप राधिका को नही जानते इसने बड़े
बड़े किस्से किए हैं. मैं इसे 8 साल से जानती हूँ.
अभी तक जिसने भी इसे प्रपोज़ या छेड़ा है इसने तो
उसकी पूरी बॅंड बजा डाली है.
राहुल- भाई अभी तो मैं थोड़ी देर फ्री हूँ आप
चाहे तो इनका किस्सा हमे बता सकती हैं.
राधिका- हम गैर लोगों को अपनी बात बताना
ज़रूरी नही समझते. इतना कहकर राधिका निशा को चलने का इशारा करती हैं.
निशा- यार प्लीज़ रुक ना क्यों तू हर बात को
सीरियस्ली लेती है. निशा के बोलते ही राधिका अपनी सीट पर दुबारा बैठ जाती हैं.
निशा- जानते हो साहब ....
राहुल- प्लीज़ निशा जी आप मुझे साहब मत कहिए आप मुझे राहुल बुला सकती हैं.
निशा- ओके राहुल जी एक बार जब मैं इसके साथ
सिनिमा से आ रही थी तभी आकाश मेरे कॉलेज का ही लड़का है वो राधिका को बहुत प्यार करता था. बेचारा सुबह शाम रात दिन राधिका का ही नाम लेता था. एक दिन उसके दोस्तों ने कह दिया अरे प्यार
करता है तो जा कर प्रपोज़ कर दे ना. पता चला कि
तू उसका नाम लेता रह जाएगा और कोई और उसको
पटा कर ब्याह रचा लेगा.
बस फिर क्या था वो बस इनको प्रपोज़ करने की ग़लती
कर बैठा जानते हो राहुल इसने उसका क्या जवाब
दिया...........

बस फिर क्या था वो बस इनको प्रपोज़ करने की ग़लती
कर बैठा जानते हो राहुल इसने उसका क्या जवाब
दिया...........
आकाश- राधिका मैं तुमसे बहुत प्यार करता
हूँ. मैं तुम्हारे लिए पागल जैसे यहाँ से वहाँ ,वहाँ से यहाँ दिन रात भटकता रहता हूँ. प्लीज़ राधिका मेरी इस बीमारी का इलाज़ तुम ही कर
सकती हो .मैं तुम्हारे प्यार में इस कदर पागल हो चुका हूँ की मुझे तुम्हारे सिवा कुछ दिखाई नही देता राधिका आइ लव यू.
राधिका- अच्छा तो आप मेरे प्यार में पागल हो
गये हैं. मेरे साथ चलिए मैं आपकी बीमारी
हमेशा के लिए ठीक कर देती हूँ.
फिर क्या था राधिका ने एक नंबर पर कॉल किया और उसकी बाइक पर बैठ गयी.
राहुल- फिर क्या हुआ...
ये महारानी उस बेचारे को सचमुच पागल खाने ले कर चली गयी उसको वहाँ भरती करने के लिए. इस लिए उसने पागल खाने वालों के अड्रेस्स पर फोन किया था.
राहुल- हा ....हा.........हा मेरी हँसी नही रुक रही
निशा जी .......फिर क्या हुआ उसके साथ...हा.हा..
निशा- जब वो वही पहुचि तो दो कॉन्स्टेबल उनके
तरफ आते दिखाई दिए. अभी भी आकाश को कुछ
समझ नही आ रहा था कि राधिका उसको कहाँ ले जा
रही है.
पहला आदमी- अरे मेडम आपने ही हमें
फोन किया था क्या.
राधिका- हाँ. आकाश की ओर इशारा करते हुए ये ही
हैं वो भाई साहब. इतना सुनते ही दोनो आदमी उसको लगभग घसीटते हुए वॉर्ड में ले जाते हैं और एलेक्ट्रिक शॉक उसके ब्रेन में फिट कर
देते हैं. आकाश को सब समझ आ जाता है की मैं सचमुच पागल खाने आ गया हूँ.
बस फिर क्या था आकाश ज़ोर ज़ोर से कहता है कि मैं
पागल नही हूँ .
दूसरा आदमी- हर पागल यही बोलता है. चिंता मत
कर दो तीन शॉक में तेरा दिमाग़ कुछ सही हो जाएगा.
इतना कहकर वो दोनो उसका हाथ पैर बाँध देते
हैं और एलेक्ट्रिक शॉक का 2 - 3 झटका देते हैं. और आकाश बेहोश हो जाता है.
फिर राधिका ऑटो पकड़ कर घर चली आती है और
आकाश कैसे भी करके दो तीन घंटे में भाग
कर वापस आ जाता है.
राहुल- हा. ........हा....... हा.... यार राधिका आप तो
सचमुच कमाल हो.
अब बेचारा जब भी इसको देखता हैं उल्टे पाँव
भागता हैं.
तभी राहुल के मोबाइल पर एक कॉल आता है.....
राहुल कॉल रिसेव करता है और उधर से आवाज़ आती
है- राहुल कहाँ पर हो यार मैं तुम्हें
ढूँढ रहा हूँ मुझे तुमसे एक बात करनी
हैं.कॉल उसके बेस्ट फ्रेंड विजय का था और राहुल
अपना अड्रेस उसे बता देता है और उधर से जवाब आता है की मैं थोड़े देर में तुम्हारे पास आरहा हूँ. इतना कहकर राहुल फोन रख देता है.

मोनिका- तुम अब पूरे 32 साल के हो गये हो और इतनी ही चुदाई का शोक है तो क्यों नही कर लेते

शादी. अरे 3, 4 साल बाद तो कोई तुमको अपनी लड़की भी नही देगा. तुमसे कोई लड़की शादी भी नही करेगी.

विजय- हँसते हुए अरे मेरी रांड़ तो तू है ना अपनी

चूत देने के लिए. तू भी तो पूरे 30 साल की हो गयी

है और अब तो तू पूरी चीज़ बन गयी है.

मोनिका- रहने दो ज़्यादा मस्का मत लगाओ और जो

करना है वो जल्दी से कर लो. मुझे घर भी जाना

है.

विजय- तो चल जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो जा.आज तो मैं तेरी अच्छे से लूँगा.

मोनिका- ये भी कोई बात हुई क्या. जब देखो कपड़े निकालो. अरे क्या कोई ऐसे ही चुदाई करता है क्या.ज़रा धीरे धीरे मुझे अपनी बाहों में लेकर मुझसे कुछ बातें करो, फिर मेरे जिस्म से खेलो, थोड़ा मुझसे प्यार करो फिर देखना मैं ऐसी आग लगूंगी कि तुम भी क्या याद करोगे.

विजय- ऐसा क्या मेरी रंडी तो फिर मैं अभी आता

हूँ. आज तो तेरी चूत और गान्ड रगड़ रगड़ कर

चोदुन्गा.

इतना कहकर विजय दूसरे कमरे में चला जाता है और कुछ देर बाद उसके हाथ में एक इंजेक्षन

लेकर वापस मोनिका के पास आता है. मोनिका

इंजेक्षन को देखकर बोखला जाती है और विजय से

कहती है..

मोनिका- ये क्या कर रहे हो तुम. मुझे जिसका डर

था वही हुआ.

''दर-असल जो इंजेक्षन विजय के हाथ में था वो कोई

दवाई नही थी बल्कि ड्रग्स का इंजेक्षन था. विजय

ड्रग्स का अडिक्ट था. और वो ड्रग्स का भी बिज्निस चलाता था.''

विजय- बस एक बार मैं ये इंजेक्षन ले लू तो फिर

देखना आज मेरी तेरी चूत कैसे फाड़ता हूँ.

मोनिका- नही विजय ये तुम ठीक नही कर रहे हो.

ड्रग्स लेने के बाद तो तुम पूरे जानवर बन जाते हो.तुम्हें ये भी होश नही रहता है कि मुझपर क्या बीतती है. तुम बहुत ज़्यादा वाइल्ड हो जाते हो. मुझे तो तुमसे कभी कभी डर लगता है.

विजय- अरे मेरी रंडी तुझे तो वाइल्ड सेक्स बहुत

पसंद है ना. परेशान मत हो मैं तेरी आराम से मारूँगा. इतना कहकर विजय मोनिका के दोनो बूब्स को अपने हाथों में लेकर मसल देता है और मोनिका के मूह से ज़ोर से चीख निकल जाती है.

मोनिका- आआआ..................हह. प्लीज़

विजय मैं कहीं भागी तो नही जा रही ना ज़रा आराम से दबाओ ना.

विजय- एक हाथ से मोनिका के बूब्स दबाता है और

दूसरे हाथ में इंजेक्षन लेकर खड़ा रहता हैं.

विजय- चल आज तू ही लगा दे मुझे ये नसीला

इंजेक्षन. तू लगाए गी तो दर्द कम होगा.

मोनिका- प्लीज़ विजय क्यों नही तुम ड्रग्स को छोड़ देते हो. जानते हो ना ये कितना ख़तरनाक है.

विजय- अरे मेरी जान शराब और शबाब का नशा तो आदमी कभी भी नही छोड़ सकता. जिसको ये दोनो की आदत पड़ गयी वो इन दोनो का गुलाम बन जाता है.

और विजय मोनिका को इशारा करता है. मोनिका आकर उसे उसके हाथों में ड्रग्स का इंजेक्षन लगा देती है.

थोड़ी देर तक उसे कोई होश ही नही रहता फिर वो

धीरे धीरे होश में आने लगता है और मोनिका को अपने पास आने का इशारा करता है.

मोनिका- प्लीज़ विजय ज़रा आराम से करना. मुझे

बहुत डर लगता है जब तुम ड्रग्स लेकर मेरे साथ सेक्स करते हो तो.

विजय- विजय की आँखे एक दम लाल हो चुकी थी और

वो मोनिका के दोनो बूब्स को अपने हाथों में

एकदम ज़ोर से डाबा देता है और मोनिका के

मूह से एक दर्द भरी सिसकारी निकल जाती है.

विजय- कसम से तेरा बूब्स कितना मस्त है लगता है

इन्हें खा जाउ. साली पूरे 38 साइज़ के गोल गोल हैं.

फिर अपने दोनो हाथ बढ़ा कर मोनिका की साड़ी के उपर से ही उसके दोनो निपल्स को अपनी चुटकी में लेकर ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगता हैं.

मोनिका- प्लीज़ विजय होश में करो ना. मुझे आज तुम्हारी नियत कुछ ज़्यादा ही खराब लग रही है.सच में तुम्हें दर्द देने में पता नही क्या मज़ा मिलता है.

विजय- तू सही कह रही है जब तक औरत चीखती नही है मुझे ज़रा भी मज़ा नही आता. इतना कहकर विजय मोनिका की साड़ी का पल्लू को खींचने लगता है और कुछ देर में वो उसके जिस्म से अलग कर देता है..

मोनिका- क्या बात है आज कोई दूसरी आइटम तो नही मिल गयी ना तुझे जो तेरा लंड आज सोने का नाम ही नही ले रहा है. इतना कहकर मोनिका उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ लेती है.

विजय- ज़्यादा बक बक मत कर समझी, नही तो जानती

है ना मैं तुझे कजिरि के पास भेज दूँगा फिर साली कोसते रहना ज़िंदगी भर अपने आप को .

मोनिका कजरी का नाम सुनते ही उसके रौन्ग्ते खड़े हो जाते हैं और एकदम से सहम जाती है............

मोनिका- देख विजय तू मुझे जान से मार दे मगर मुझे उसके पास भेजने की बात मत किया कर.

विजय- अरे तू इतना डरती क्यों है वो तेरी चूत की सारी

खुजली हमेशा हमेशा के लिए मिटा देगी. तुझे

भी तो एक साथ 8, 10 लंड लेने में मज़ा आएगा.
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#9
Update 4

(काजीरी एक एजेंट है जो प्रॉस्टिट्यूशन का धंधा चलाती है. और उसका मालिक और कोई नही बल्कि विजय है. काजीरी कस्टमर से बात करके वो लड़की सप्लाइ करती है और जो लड़की उसकी पास एक बार कदम

रख ले वो समझ लो इस दुनिया की सबसे बड़ी रंडी

बनकर रह जाती है. उसका हिसाब है जितना मोटा मालदार कस्टमर उतने ज़्यादा पैसा. चाहे

लड़कियों को उस पैसे के लिए कुछ भी क्यों ना

करना पड़े. उससे कोई फरक नही पड़ता. बस

हाथ में पैसा आना चाहिए. और बस लड़की ज़िंदा

वापस आनी चाहिए चाहे वो किसी भी हाल में



मोनिका- नही विजय मैं तुम्हारे लिए सब कुछ

करूँगी पर प्लीज़ मुझे काजीरी के पास मत

भेजना.

विजय- आ गयी ना लाइन पर. चल अब मेरे सारे

कपड़े निकाल और जो सुरू से प्रोसेस होता है वो

शुरू कर वरना मुझे इंसान से हैवान बनने

में ज़्यादा देर नही लगती.

इतना सुनकर मोनिका उसके कपड़े एक एक करके

निकाल देती है. अब विजय मोनिका के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हो जाता है अब उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था.मोनिका उसको एक टक उसके लंड को देखते ही रहती है. उसको ऐसा देखकर विजय उससे कहता है.

विजय- क्यों मेरी रंडी ऐसे क्या देख रही है चल

आ जा इधेर.मोनिका इतना सुनकर विजय के पास चली जाती है. और विजय के पास जा कर खड़ी हो जाती है.

विजय- अब बस खड़ी ही रहेगी या मेरा लंड भी अपने मूह में लेगी. चल सबसे पहले तू मेरे पास आ जा मेरी बाहों में.

मोनिका विजय के एक दम करीब जा कर खड़ी हो जाती

है. और विजय ठीक उसके पीछे जाकर अपने दोनो

हाथ से उसके दोनो बूब्स को अपने दोनो हाथों में पकड़ कर बहुत ज़ोर से मसल देता है.

मोनिका- अऔच............ की सिसकी भरी आवाज़ उसके

मूह से निकल जाती है. कुछ देर तक विजय उसके बूब्स ब्लाउस के उपर से ही मसलता है और फिर अपनी दो उंगलियों से उसके दोनो निपल्स को मसलना सुरू कर देता है और धीरे धीरे उसके उंगलियों में दबाव बढ़ना शुरू हो जाता है और उधेर मोनिका के मूह से सिसकारी भी तेज़ होने लगती है. उसकी चूत एक दम गीली होने लगती है.

विजय- तेरी निपल्स कितनी मस्त है रे जी करता है इन्हे काट कर अपने पास रख लूं.

मोनिका- प्लीज़ ज़रा धीरे मस्लो ना बहुत दर्द

कर रहा है.

विजय- साली नीचे तेरी चूत ज़रूर गीली होगी और

कुतिया कह रही है कि दर्द हो रहा है.

विजय अपना एक हाथ सीधा मोनिका की चूत पर रख देता है और कस कर मसल देता है. विजय- अरे ये तो पूरी गीली है. चल अब अपने ब्लाउस और

पेटिकोट निकाल.

मोनिका भी चुप चाप अपना हाथ बढ़ाकर अपने

ब्लाउस का बटन खोलने लगती है और धीरे

धीरे करके एक एक बटन खोल देती है और नीचे हाथ लेजा कर अपनी पेटिकोट का नाडा धीरे से सरका देती है. उसका पेटिकोट नीचे ज़मीन पर गिर जाता है. अब मोनिका सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में विजय के सामने खड़ी रहती है.

विजय- अब मेरा मूह क्या देख रही है चल जल्दी से आकर मेरा लंड चूस ना. मोनिका धीरे धीरे विजय के पास आती है और झुक कर नीचे ज़मीन पर बैठ जाती है. उसको नीचे बैठता हुआ देखकर

विजय- ऐसे नही मेरी जान चल तू मेरे बेडरूम

में.

मोनिका भी कुछ बोलती नही और विजय के पीछे

पीछे उसके बेडरूम में चली जाती है..........

विजय- मुस्कुराते हुए तो चल बेड पर पीठ के बल

लेट जा और अपनी गर्देन बेड से नीचे झूला ले. मैं

आज ये पूरा लंड तेरे हलक में डालना चाहता

हूँ.

मोनिका भी चुप चाप आकर बेड पर लेट जाती है और अपनी गर्दन बेड के नीचे झुका लेती है. थोड़ी देर बाद विजय उसके मूह के नज़दीक आता है और उसके सिर को अपने हाथों से पकड़ लेता है और कहता है इस लिए तो तू मेरी पर्सनल रंडी है. जो मैं चाहता हूँ वो बस तू ही दे सकती हीं. इतना कहकर दोनो मुस्कुरा देते हैं.

अब विजय अपना पूरा लंड धीरे धीरे मोनिका के

मूह में डालना सुरू करता है. जैसे जैसे उसके

लंड पर प्रेशर बनता है मोनिका की साँस फूलना सुरू हो जाती है और लंड धीरे धीरे मोनिका के मूह में घुसता चला जाता है.

मोनिका अब तक पूरा 5 इंच लंड अपने मूह में ले चुकी थी और अब उसकी साँसे तेज़ होने लगी ही. इधेर विजय एक बार फिर पूरा लंड उसी पोज़िशन में बाहर निकालता है और फिर तेज़ी से अंदर की ओर धकेलने लगता है. मोनिका की आँखें बाहर को आने लगती है.

मोनिका का दम घुटने लगता है मगर वो अपनी

आँखों के इशारे से विजय को मना नही करती और

फिर विजय इस बार एक झटके में अपना लंड बाहर

खीच लेता है और उतनी ही तेज़ी से अंदर को धकेल

देता है. बस फिर क्या था मोनिका की आँखो से

आँसुओ का सैलाब बहने लगता है और उसके मूह से गूओ...........गूऊऊऊओ की आवाज़ें

निकलने लगती है.

तकरीबन 10 सेकेंड तक विजय अपना लंड मोनिका

के हलक के नीचे पहुँचाने में कामयाब हो जाता है और उधेर मोनिका की बेचैनी बढ़ने लगती है ऐसा लगता है कि उसका दम घुटने से वो मर जाएगी.

कुछ देर तक उसी पोज़ीशन में रहने के

बाद विजय अपना पूरा लंड बाहर निकाल लेता है. जैसे ही विजय का लंड बाहर आता है मोनिका ज़ोर से

खांसने लगती है और उसके मूह से लेकर लंड तक

एक डोर की तरह थूक की लाइन नज़र आती है.

फिर देर ना करते हुए विजय एक बार फिर अपना लंड

पूरा मोनिका के हलक में डाल देता है और उसी

पोज़िशन में कुछ देर रहने देता है . पहले के

मुक़ाबले इस बार मोनिका को ज़्यादा तकलीफ़ नही होती

और कुछ देर में विजय का शरीर अकड़ने लगता

है और वो मोनिका के सिर को पकड़ के तेज़ी से लंड आगे पीछे करने लगता है .

कुछ ही मिनिट्स में उसका वीर्य पूरा मोनिका के हलक के नीचे उतर जाता है और वो मोनिका को ना चाहते हुए भी उसे पूरा अपने पेट में लेना पड़ता है.

विजय- सुन रांड़!! मेरा वीर्य बड़ा कीमती है पूरा पी जाना एक भी बूँद नीचे नही गिरना चाहिए वरना तू जानती है ना .......और विजय हँसने लगता है..

विजय- अरे क्या हुआ तू तो इतनी जल्दी ठंडी पड़ गयी .

अभी तो ये मेरा पहली बार निकला है चल अभी तो

मुझे तेरी चूत और गान्ड की कुटाई भी तो करनी है.

चल दुबारा इसमें जान डाल दे.

मोनिका- बस करो विजय क्या हुआ है तुम्हें ऐसा

जंगली पन मे मैने आज तक तुम्हें कभी नही देखा. मुझे नही चुदवाना तुमसे मैं अपने घर जा रही हूँ. और मोनिका की आँख में आँसू आ जाते हैं. उसको रोता हुआ देखकर विजय भी थोड़ा ठंडा पड़ जाता है.

विजय- आइ अम सॉरी जान पता नही मुझे आज क्या हो

गया था. मैं खुद हैरान हूँ. और वो कैसे

भी करके मोनिका को दुबारा मना लेता है.

लेकिन विजय आज अच्छी तरह से जनता था कि उसके वाइल्ड

सेक्स के पीछे क्या कारण है. क्यों वो आज इतना

जंगली बन गया था. बस राधिका ही वो वजह थी जो उसके जेहन में जो वो चाह कर भी उसे नही भुला पा रहा था. और वो ये सोच रहा था कि राधिका ने उसपर ऐसा क्या जादू कर डाला है .

मोनिका- विजय मैने तुमसे कहा था ना कि जब तुम

ड्रग्स लेते हो तो मुझे तुमसे सेक्स करना बिल्कुल भी

पसंद नही है.

विजय- मोनिका को प्यार से गले लगाते हुए. मेरी

जान मैं क्या करू ये ड्रग्स मेरे रोम रोम में समा चुका है. मैने कितनी बार तुम्हारे कहने पर इसे छोड़ने की कोशिस की है मगर मैं इसे नही छोड़ पाया. जब तक दिन में एक बार मैं नही लेता लगता हैं जैसे मैं पागल हो जाउन्गा .

मोनिका- मैं समझ सकती हूँ विजय पर फिर फिर

तुम्हें ये ज़हर छोड़ ना होगा.

विजय- मोनिका प्लीज़ यार मुझे तेरी चूत मारने का बहुत मन कर रहा है.

मोनिका- तो मार लो ना मैने कब रोका है मगर

प्यार से करोगे तो जैसे कहोगे वैसे दूँगी.

विजय- अपने ब्रा और पैंटी तो निकाल दे ना कब तक

मुझसे छुपाटी फ़िरेगी.

इतना सुनकर मोनिका अपना हाथ पीछे लेजा कर ब्रा

का हुक खोल देती है और फिर धीरे से पैंटी भी

सरका देती है. अब उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था.

विजय- चल ना एक बार मेरे पीछे से होकर पूरा

लंड चाट ले. कसम से बहुत मज़ा आता है फिर मैं तेरी भी चाटूँगा.

मोनिका- तुम नही सुधेरोगे लेकिन मुझे तुम्हारी

गान्ड चाटने में बहुत घिंन आती है.

विजय- लेकिन जान उससे मेरे लंड में जान भी तो आ जाती है.

मोनिका- चलो बहुत बातें बनाते हो. घूम

जाओ . इतना कहकर मोनिका उसकी गान्ड को चाटना सुरू करती है.

मोनिका को बार बार उबकाई जैसा आने लगता है पर विजय की वजह से वो चुप चाप उसकी गान्ड को

चाटती है और थोड़ी देर में विजय का लंड भी

खड़ा हो जाता है.

विजय- वाह मेरी रानी तू तो कमाल का चुसती है. चल अपने पैर फैला कर लेट जा. और विजय उसकी चूत के एक दम नज़दीक आता है और जैसे ही जीभ उसकी चूत के होल पर रखता है मोनिका को एक तेज़ करेंट जैसे लगता है. वो इतनी मदहोश हो जाती है और अपने दोनो आँख बंद कर लेती है . और कुछ देर में मोनिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकलने लगती है. इतनी देर की चूत चुसाइ में मोनिका झरने के बहुत करीब होती है मगर विजय उसको अपनी बाहों में उठा लेता है और खुद नीचे बेड पर लेट जाता है और मोनिका को आपने उपर आने को कहता है.

मोनिका भी उसी पोज़िशन में आ जाती है और फिर शुरू होता है मोनिका की चूत की कुटाई का सिलसिला. विजय एक ही बार में पूरा लंड मोनिका की चूत में डाल देता है. और करीब 10 मिनिट तक उसी पोज़ीशन में चोदने के बाद अपना लंड मोनिका की चूत से निकाल कर उसके गान्ड पर रख देता है और धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता है. मोनिका अऔच..................की ज़ोर से आवाज़ करती है और विजय धीरे धीरे अपना लंड पूरा मोनिका की गान्ड में डालने लगता है.

थोड़ी देर की तकलीफ़ के बाद मोनिका खुद ही उछल

उछल कर विजय से अपनी गान्ड मरवाती है और करीब 15 मिनिट की चुदाई के बाद विजय का पानी मोनिका की गंद में निकल जाता है. और साथ साथ मोनिका भी झाड़ जाती है.और इसी बीच जब विजय का पानी निकलता है तो विजय भी ज़ोर ज़ोर से चीखने लगता है और उसके मूह से अचानक निकल पड़ता है ओह ...........राधिका..............................??????

मोनिका भी हैरत से विजय को देखने लगती है और फिर ना चाहते हुए भी उसका शक बढ़ता जाता है.

उधेर विजय भी चुप चाप अपने कपड़े पहन लेता है और मोनिका से नज़रें नही मिला पाता.

मोनिका- ये राधिका कौन है विजय. मोनिका ये

सवाल उससे पूछेगी विजय ने कभी सोचा भी नही था और वो एक दम से हड़बड़ा जाता है .

मोनिका भी उसकी ओर हैरत से देखती है लगता है

जैसे विजय उससे कुछ छुपा रहा है या क्या कोई राज़ है . अगर इसमें कोई राज़ है तो क्या है वो राज़................

मोनिका को शक भारी नज़रो से देख कर एक बार

तो विजय भी मन में घबरा जाता है .तभी जल्दी से आपने आप को संभालते हुए कहता है

विजय- कौन राधिका ???? मैं किसी राधिका को नही

जानता.

मोनिका- तुम मुझे बुद्धू समझते हो क्या . क्या

मतलब है नही जानते . अगर नही जानते तो फिर राधिका शब्द तुम्हारी ज़ुबान पर कैसे आया. मोनिका थोड़ी गुस्से से विजय को देखकर बोली.

विजय- कसम से जान मैं किसी राधिका को नही

जानता. अगर ऐसी कोई बात होती तो मैं तुमसे आख़िर

क्यों छुपाता. विजय ने भी अपनी बात को ज़ोर देते हुए

कहा.

मोनिका- तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो सच सच बता दो वरना अच्छा नही होगा.

विजय- नही मोनिका सच कह रहा हूँ मैं किसी

राधिका को नही जानता. वो तो बस मैं आज सुबह

राहुल के पास गया था तो मुझे राहुल के साथ

राधिका नाम की लड़की मिली थी बस तभी से ..........

मोनिका- अगर ये बात सच है तो फिर ठीक है . अगर

ये बात झूठी निकली तो समझ लेना मैं सीधा

राहुल के पास जाकर तुम्हारी पूरी करतूत उसको बक

दूँगी. उसके बाद तुम समझ लेना राहुल तुम्हारे

साथ क्या करेगा.

विजय- हे जान आर यू सीरीयस. जैसे तुम समझ

रही हो ऐसा कुछ भी नही है. इतना कहकर विजय झट से अपने रूम से बाहर निकल जाता है और मोनिका को हज़ारों सवाल सोचने पर मज़बूर कर देता है.

मोनिका - हो ना हो दाल में कुछ काला ज़रूर है.

मैं जानती हूँ विजय किस हद तक कमीना है. वो

कुछ भी कर सकता है उसका कोई भरोसा नही है

पर इसके पीछे वजह क्या हो सकती है . मोनिका

बहुत देर तक सोचती है पर उसे कुछ नही समझ आता है और वो भी रूम से बाहर अपने घर की ओर चली जाती है.



दूसरे दिन

राधिका अपने घर से तैयार होकर बाहर निकलती

है कॉलेज के लिए तभी निशा का फोन आता है.

वो फोन रिसेव करती है

निशा- अरे मेडम कहाँ पर हो तुम मैं कब से

फोन लगा रही हूँ और तुम रिसेव क्यों नही

कर रही हो.

राधिका- यार तेरा कब कॉल आया था.

निशा- अरे 1/2 घंटा पहले ही तो ट्राइ कर रही थी.

तूने एक भी बार फोन रिसेव नही किया.

तभी उसको याद आता है कि वो उस वक़्त बाथरूम

में थी.

राधिका- ओह सॉरी जान मैं नहा रही थी. बता

कैसे फोन किया.

निशा- तू इस वक़्त कहाँ पर है. मुझे तुझसे एक

ज़रूरी बात करनी है.

राधिका- मैं अभी घर से ही निकली हूँ एक

काम कर मेरे चॉक पर आ जा.

निशा- ठीक है मैं थोड़ी देर में आती हूँ.

राधिका भी जल्दी से उसी जगह जाने के लिए मुड़ती है

तभी वो कुछ ऐसा देखती है की उसके बदते कदम वही पर रुक जाते हैं.

सामने एक अँधा भिकारी बड़े गौर से राधिका को देख रहा था. जब राधिका की नज़र उस पर पड़ती है तो वो अँधा भिकारी इधेर उधेर देखने लगता है. बस फिर क्या था राधिका उसके पास पहुँचती है .

भिकारी- अंधे को कुछ पैसे दे दे बेटी.

राधिका- बेटी!!!! राधिका मन में सोचती है इसको कैसे पता कि मैं लड़की हूँ अभी तो मैने इससे कुछ भी बात तक नही की. इसका मतलब साला आँधा बनने का नाटक कर रहा है. अभी मज़ा चखाती हूँ.

भिकारी- बेटी कुछ पैसे दे दे दो दिन से भूका

हूँ.

राधिका- बाबा तुम्हें कैसे पता चला कि मैं

लड़की हूँ और मैने तो तुमसे कोई बात भी नही की

है फिर कैसे................

भिकारी- इतना सुनते ही एक वो एकदम से घबरा जाता है और अपने आप को सम्हालते हुए कहता है वो बेटी बस मन की आँखों से देख लिया...

राधिका- ऐसा !!! तो आपका मन की आँखे तो

बहुत स्ट्रॉंग है. तो आप सब कुछ देख सकते हैं

तो फिर भीक क्यों माँगते हो.

बाबा- नही बेटा हर चीज़ मैं मन की आँखों

से नही देख सकता. बस एहसास कर लेता हूँ.

राधिका- कमीना कहीं का अभी देखती हूँ तेरी

मन की आँखें कितनी तेज़ है. राधिका मॅन में

सोचते हुए बोली.

राधिका थोड़े उसके करीब आती है और अपना

दुपट्टा अपने सीने से हटा देती है और अपने हाथ में रख लेती है. फिर उसके सामने अपनी कुरती का एक बटन धीरे से खोल देती है. और राधिका के बूब्स का क्लीवेज सॉफ दिखाई देने लगता है.

राधिका गौर से भिकारी के चेहरे के एक्सप्रेशन

को पढ़ने की कोशिश करती है. अक्टोबर का महीने

में कोई ख़ास ना सर्दी पड़ती ना ज़्यादा गर्मी फिर भी उस भिकारी के चेहरे पर पसीने की कुछ बूंदे दिखाई देती हैं. अब उसको पूरी बात क्लियर हो जाती है कि वो अँधा नही है. राधिका तो अभी पूरे कपड़ों में कितनो पर बिजली गिरा सकती है . और उपर से उसने अपने हल्के बूब्स के दर्शन करा दिए तो उस भिकारी पर क्या गुज़रे गी भला.

राधिका- बाबा आप कब से अंधे हैं.

भिकारी- एक दम से घबरा जाता है और तोतला कर

बेटा है वो..........मैं.. मैं.... बच.....पा...न से......

राधिका को इस तरह से उस भिकारी के पास बैठा

देख कर आस पास के लोग भी अब राधिका को गौर से देखने लगते हैं और कुछ आदमी तो वही पर

खड़े होकर दूर से तमाशा देखते हैं.

तभी राधिका आसमान की ओर देखकर ज़ोर से बोलती

है -- अरे ये क्या है आसमान में लगता है कोई

बाहरी ग्रह के एलीयेन्स हमारी धरती पर उतर रहे

हैं.

भिकारी तो कुछ पल के लिए ये भी भूल जाता है वो

अँधा है और वो भी आसमान की तरफ देखने लगता है. पर उसको तो कुछ दिखाई नही देता. हो गा तब तो कुछ दिखेगा ना.

वो ग़लती करने के बाद भिकारी के मूह से अचानक निकल पड़ता है- कहाँ है वो एलीयेन्स वाला जहाज़. बस फिर क्या आस पास के लोग भी समझ जाते हैं और जो पिटाई उस भिकारी की होती है बेचारा उल्टे पाँव भाग खड़ा होता है.

राधिका- छी..... ना जाने कैसे कैसे लोग है इस

धरती पर. और राधिका गुस्से से मूड कर अपने

रास्ते चल देती है.

निशा- अरे महारानी अब क्या हुआ क्यों तुम्हारा

मूड अपसेट है. और यहाँ पर इतनी भीड़ क्यों जमा है. कोई आक्सिडेंट तो नही हो गया ना किसी का ...

राधिका उसे पूरा बात बता देती है

निशा- हा..हा. हहा ..हहा .हः... ओह माइ गॉड ......हा

हा प्लीज़ राधिका मेरी तो हँसी नही रुक रही. हा

हाहाहा ....

राधिका- तुझे हँसी आ रही है और मेरा खून

खोल रहा है. साला मेरे हाथों से बच गया. अगर हाथ आया होता तो साले की सचमुच आँखें निकाल लेती.

निशा- यार तू हर वक़्त पंगा क्यों लेती रहती है .क्या तूने समाज सुधारने का ठेका ले रखा है

क्या .इतना कहकर निशा फिर से हँसने लगती है.

राधिका- चल ना यार सब लोग हमे ही देख रहे हैं.

निशा- अरे ऐसे ऐसे काम करेगी तो सब लोग

तुझे ही तो देखेंगे ना. इतना कहकर निशा राधिका

को लेकर चली जाती है.
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#10
Update 5


राधिका- निशा हम जा कहाँ रहे हैं.

निशा- तुझसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी है. इस लिए चल किसी गार्डेन या ऐसी जगह चलते हैं जहाँ

भीड़ कम हो. और निशा राधिका को एक गार्डेन

में ले कर जाती है.

राधिका- अब बता ना निशा क्या बात है जिसकी वजह

से तू इतनी सुबह मेरे पास फोन की थी. क्या कोई

सीरीयस मॅटर है क्या.??

निशा- यार बात तो कुछ ऐसी ही है पर मुझे

समझ में नही आ रहा कि कहाँ से शुरू

करू.निशा थोड़ी परेशान होते हुए बोली.

राधिका- यार बता ना ऐसी कौन सी बात है जो तू इतनी परेशान हो रही है.

निशा- यार जो मैं बात तुझसे कहने वाली हूँ

प्लीज़ मेरे बात का बुरा मत मानना.

राधिका- बुरा क्यों मानूँगी अरे इस दुनिया में एक तू ही तो है जिसे में अपने दिल की सारी बात बताती

हूँ. अब बोल ना.

निशा- यार कल जब मैं 3 बजे के करीब मार्केट जा रही थी तब मैने कृष्णा भैया को देखा.

राधिका- हः हा हा !! तू भी ना अरे मेरे भैया को देख लिया तो हैरानी की क्या बात है.

निशा- दर-असल मैने कृष्णा भैया को एक लड़की के साथ देखा था. और तुम्हारे भैया नशे में फुल थे. और वो औरत उसे सहारा दिए कहीं पर ले जा रही थी.

इतना सुनते ही राधिका के चेहरे का रंग उड़ जाता है और वो भी किसी सोच में डूब जाती है.

निशा- राधिका मेरी बात का तुम्हें बुरा तो नही

लगा ना. पर आइ आम 100% शुवर वो कृष्णा भैया ही

थे.

अब राधिका उसे वो बात बताने का फ़ैसला कर

चुकी थी जिसको वो सब से छुपाती थी. अपनी ज़िंदगी

का काला पन्ना अब वो निशा को बताना चाहती थी और उसे यकीन था कि सारी बातें , एक एक अल्फ़ाज़ किसी बम के धमाके जितनी बड़ी होगी.

राधिका- निशा मेरी बात ध्यान से सुनो. ये काला

पन्ना मैने आज तक किसी के सामने कभी नही

खोला है. पर मैं तुमसे उमीद करूँगी कि तुम ये बात किसी को भी ना बताओ. फिर राधिका कहना सुरू करती हैं....................

मैं जब 12 साल की थी तभी मेरी मा की डेत हो गयी थी. ये बात तुम भी जानती हो मगर कैसे?? ये तुम्हें नही पता.जब मैं छोटी थी तब मेरा बाप शुरू से ही कोई काम धंधा नही करता था. उसको बस मुफ़्त की रोटी चाहिए था. उसका रोज़ का काम था सुबह घर से निकलता और दिन भर आवारा आदमियों के साथ ताश, सिग्रेट, पान, और शराब पीता रहता था. और शाम को नशे की हालत में घर आता तो मा को मारता पीटता था. मा भी एक लिमिट तक उसके ज़ुल्म सहती रही फिर

आख़िर उसे कहना ही पड़ा. शरम करो दिन रात

इधेर उधेर घूमते रहते हो कोई काम धंधा तो

करते नही और जो मैं सिलाई बिनाई करके कुछ पैसे

जमा करती हूँ वो भी तुम दारू और जुवे में

उड़ा देते हो. इतना सुनते ही मेरे बाप ने मेरी मा को बहुत पिटा.और अब तो उसका रोज़ का रुटीन बन गया था. दिन ऐसे ही बीतते गये कृष्णा भैया का भी कॉलेज से नाम कट गया. क्यों कि उसकी फीस 6 मंत्स से जमा नही हुई थी. मा को सबसे ज़्यादा मेरी परेशानी थी. उसे मालूम था कि इस शराबी का क्या भरोसा कहीं शराब की खातिर अपनी बेटी को बाज़ार में ना बेच दे.और शायद कुछ ऐसा ही होता अगर मा गाओं जाकर वहाँ की पूरी प्रॉपर्टी करीब 25 लाख की ज़मीन को बेचकर मेरा नाम से कयि सारी पॉलिसी और कुछ मेरे लिए इन्षुरेन्स और फंड्स जमा करा दिया जो कि मैं बड़ी होकर मेरी पढ़ाई पूरी हो सके और मेरी शादी में भी कोई रुकावट ना आए. बस जब मैं 12 साल की हुई तो एक दिन मेरे बाप को

ये बात मालूम चल गयी . फिर क्या था वो उसे हर

दिन सताता और रोज़ दबाव डालता कि वो पैसे उसके

नाम कर दे. और मेरी मा को अब बर्दास्त के

बाहर हो गया और वो खुद कुसि कर ली. कृष्णा भी उस समय पूरा जवान था करीब 18 का . वो भी धीरे धीरे बाप के दिखाए रास्ते

पर चल पड़ा. वो भी शराब सिगरेट, पान सब

नशा करने लगा. मैने उसको कई बार समझाया

पर वो मेरी बात नही माना. हाँ इतना तो है कि मेरे बाप ने मेरी मा के साथ बहुत ग़लत किया. पर जब से मा मरी तब से आज तक मेरे बाप ने मुझसे उँची आवाज़ में मुझसे बात नही की. कभी मेरे सामने कोई नशा नही किया ना ही मेरा भाई. पता नही क्यों वो मेरे सामने ये सब

नही करते हैं. अगर मैं घर पर भी होती हूँ तब भी नही. भाई जैसे जैसे बड़ा होता गया उसके कई आवारा लड़कों से दोस्ती हो गयी. कोई ऐसा ग़लत काम नही है जो भैया से बचा ना हो. हा एक रंडी पन ही शायद बच गया था वो भी आज.......................... इतना बोलकर राधिका चुप हो गयी और उसके आँख से आँसू आ गये.

निशा तो जैसे ये सुनकर एक दम खामोश हो गयी

और राधिका को बड़े प्यार से देखने लगी. निशा- राधिका इतनी बड़ी बात तुमने मुझसे छुपा

कर रखी थी. बता ना क्यों किया तूने ऐसा. क्या मैं तेरी बस फ्रेंड हूँ इससे ज़्यादा और कुछ भी नही.

राधिका- कल जो तूने औरत देखी होगी वो कोई रंडी ही होगी. एक बात और बताऊ मुझे सच में खुद नही पता पर अक्सर डर लगता है कि मेरी इज़्ज़त अपने ही घर में बचेगी कि नही. राधिका ये अल्फ़ाज़ तो बोल गयी पर उसका असर निशा पर दिखा.

निशा क्या!!!!! ये तू क्या बक रही है. तुझे पता भी

है ना ......... तुझे क्या लगता है कि तेरा भाई ही तेरा

रेप करेगा.

राधिका- काश ये बात झूट हो निशा. पर मैं

जानती हूँ कि मेरे भाई की गंदी नियत मुझपर

बहुत पहले से है. वो तो किसी बहाने मेरे बदन

को छूने की ताक में रहता है. मैं बता नही सकती तुझे ................इतना बोलकर राधिका फिर से चुप हो जाती है.

निशा- बता ना राधिका तुझे ऐसा क्यों लगता है कि

तेरा ही भाई तेरी इज़्ज़त...............

राधिका- मैने उसकी कई बात देखी है. जब मैं घर पर होती हूँ और अक्सर नहाने के लिए बाथरूम जाती हूँ तब वो पीछे खिड़की से हमेशा झाँकता रहता है. मैने तो उसको अपनी पैंटी को हाथ में लेकर अपने पेनिस से रगड़ते हुए भी देखा है. वो तो हमेशा मेरे सामने ही अपनी पेनिस को हाथ में लेकर मसलता है. अब तू ही बता कि मैं कितनी सेफ हूँ.

निशा- यार ये बात तू अपने बाप से क्यों नही कहती.

राधिका- उससे क्या बोलूं वो तो दिन रात खुद नशे में रहता है और अगर मैं भैया के खिलाफ गयी तो वो मुझपर ही बरस पड़ता हैं. तू ही बता मैं क्या करू.

निशा इतना सुनकेर कुछ देर तक गहरी सोच में डूब जाती है पर उसे भी कुछ समझ नही आता.

निशा- यार तेरी प्राब्लम तो बहुत टिपिकल है. उपर

पहाड़ तो नीचे खाई. अगर तू बाहर के लोगों से

अपनी इज़्ज़त बचाती है तो तेरे घर वाले उसे

लूटने को तैयार बैठे हैं.

राधिका- इस लिए मुझे हमेशा लोगों पर गुस्सा

आता है. सब मर्द एक जैसे ही होते हैं. जहाँ बोटी

मिलती है वही टूट पड़ते हैं उसे नौचने के लिए.

मुझे तो ऐसा लगता है कि किसी दिन मेरा रेप हो

जाएगा अगर इसी तरह से सब कुछ चलता रहा तो.....

चाहे घर हो या बाहर. राधिका की आँखो में आँसू नही रुक रहे थे.

निशा राधिका के आँसू को पौछ्ती है और उसे

अपने गले लगा लेती है.

निशा- चिंता मत कर राधिका मेरे रहते तुझे कुछ नही होगा. मैं तेरा साथ मरते दम तक नही छोड़ूँगी.

निशा- यार एक बात बता राहुल के बारे में तेरा क्या ख्याल है. कहे तो कुछ तेरी प्राब्लम उससे शेर करूँ कोई ना कोई रास्ता ज़रूर निकल आएगा.

राधिका- नही निशा प्लीज़ उसे कुछ मत बताना

वो पता नही मेरे बारे में क्या सोचेगा.

निशा- ओ. हो तो जनाब राहुल के बारे में ऐसा भी

सोचती हैं क्या. इतना कहकर निशा राधिका को अपनी

बाहों में फिर से पकड़ लेती है और दोनो

मुस्कुरा देते हैं.........................................

दूसरे दिन सुबह करीब 10 बजे जब राधिका घर में अकेली थी और सनडे का दिन था. उसका भाई और बाप रोज की तरह अपने शराब पीने के लिए बाहर गये हुए थे की तभी उसके घर की डोर बेल बजी.

राधिका- इस वक़्त कौन आ गया और वो दरवाजा खोलने चली जाती है.

जैसे ही दरवाजा खोलती है सामने राहुल खड़ा था. जैसे ही राधिका की नज़र राहुल पर पड़ती है वो एक दम चोंक जाती है उसने कभी भी सपने में भी नही सोचा था कि राहुल उसके घर पर आएगा.

राधिका- अरे राहुल जी आप!!!!! कैसे !!!! कब!!!! आपको मेरे घर का अड्रेस कैसे मालूम चला!!!!! ऐसे ही ढेर सारे सवाल एक साथ राधिका ने एक ही साँस में पूछ डाले.

राहुल- ठहरो तो सही मेडम एक एक कर आपके सारे सवालो का जवाब देता हूँ. मुझे अंदर आने को नही कहोगी क्या.

राधिका- एक दम से हाँ.. जी अंदर आइये.

राहुल जैसे ही अंदर आता है वो घर की दशा को देखकर उसने कभी ऐसा सोचा भी नही था कि राधिका ऐसे घर में रहती होगी. मकान बहुत पुराना था. जगह जगह प्लास्टर फूटा हुआ था. और कही कही पर तो पैंट भी नही था. उपेर छत आरसीसी का था. कुल मिलाकर दोनो कमरे बड़े थे लगता था जैसे दो हॉल है. एक किचन और उससे अटॅच बाथरूम.

राहुल को ऐसे देखकर राधिका को अपने अंदर गिल्टी फील होने लगती है.और झट से कहती है आप यहा सोफा पर बैठिए मैं अबी आती हूँ.

राहुल कुछ देर तक घर का पूरा मुआईना करता है. घर में ज़्यादा समान भी नही था. ज़रूरत भर का समान जैसे टी.वी, एक पुराना रेडियो , और दो पलंग थे. एक सोफा सेट और पहनने के लिए कपड़े . बस इससे ज़्यादा कुछ नही.

राधिका- अंदर से आती है और राहुल को ऐसे देखकर पूछती है

राधिका- क्या देख रहे हो राहुल. मैं किसी करोड़पति की बेटी नही हूँ. बस यही मेरी दुनिया है. जीवन में जो चाहिए रोटी, कपड़ा और मकान तीनो चीज़ें हैं मेरे पास. हां बस आलीशान नही है.

राहुल- कोई बात नही राधिका जी लेकिन आपको देखने से तो ऐसा नही लगता पर खैर कोई बात नही.

राधिका- आप बैठिए मैं आपके लिए चाइ नाश्ता लेकर आती हूँ.

राहुल- आरे आप क्यों तकलीफ़ कर रही हैं. रहने दीजिए इसकी कोई ज़रूरत नही.

राधिका- देखिए राहुल जी आप आज पहली बार आए हैं मेरे घर तो मेरा फ़र्ज़ बनता है. इतना कहकर राधिका किचन में चली जाती है और कुछ देर में स्नॅक्स ,चाइ वगेरह एक ट्रे में लेकर आती है.

राधिका- कहिए कैसे आना हुआ आपको मेरा घर का अड्रेस कैसे पता चला.

राहुल- उस दिन हम कॅंटीन में नाश्ता कर रहे थे तो आपका ये आइ-कार्ड वही फर्श पर गिरा हुआ मुझे मिला.बस इसमें तुम्हारा नाम, पता सब कुछ इस आइ कार्ड से ही मिल गया.और मैं यहाँ ...........

राधिका- ओह ये तो मुझे बिल्कुल ध्यान ही नही रहा .धन्यवाद राहुल जी नही तो ये गुम हो जाता तो मुझे प्राब्लम हो जाती.

राहुल- वैसे आप इस वक़्त घर पर अकेली हैं क्या. राहुल से ऐसे सवाल सुनकर राधिका घूर के राहुल को देखने लगती हैं.

राधिका- हाँ हूँ तो. क्यों कुछ ऐसा वैसा करने का इरादा है क्या. कही तुम मेरा रेप तो नही करना चाहते हो ना.

राहुल- हँसते हुए, आरे आप भी कमाल करती हो मैं और रेप,, मुझमें इतनी हिम्मत नही है कि मैं किसी लड़की का रेप कर सकूँ.

राधिका- क्यों इसमें हिम्मत की क्या बात है. सब जैसे करते है वैसे तुम भी... इतना बोलकर राधिका चुप हो जाती है.

राहुल- राधिका सब इंसान एक जैसे नही होते. यकीन मानो मैं ऐसा कुछ नही सोच रहा हूँ. वैसे तुम्हारा भाई और पिताजी कहाँ है इस वक़्त.??

राधिका- गये होंगे उस बिहारी के पास उसकी गुलामी करने. और तो कोई काम नही है ना सारा दिन उसके आगे पीछे घूमते रहते हैं और मुफ़्त में वो रोज़ उनको शराब देता है पीने के लिए.

राहुल- अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं उनसे इस बारे में बात करू. हो सकता है वो सुधर जाए.

राधिका- आपने कभी कुत्ते का दुम को सीधा होते देखा है क्या !! नही ना ऐसे ही है वो दोनो. हमेशा टेढ़े ही रहेंगे.

राहुल- यार तुम कोई भी बात डाइरेक्ट्ली क्यों बोल देती हो. वही बात थोड़े प्यार से भी तो कह सकती थी. फिर राधिका उसको ऐसे नज़रो से देखती है कि वो उसे कच्चा चबा जाएगी.

राधिका- मैं ऐसी ही हूँ. और कोई काम है क्या आपको.

राहुल- नही !! आज थोड़ा फ्री हूँ. मेरे आने से तुम्हें कोई प्राब्लम है क्या.

राधिका- नही राहुल मेरा ये मतलब नही था.

राहुल- एक बात कहूँ. जब से मैने तुमको देखा है पता नही क्यों मैं दिन रात बेचैन सा रहता हूँ. हर पल तुम्हारा ही ख़याल आता रहता है. मेरे साथ पता नही ऐसा पहली बार हो रहा है क्या तुम्हें भी.......................

राधिका- मुझे कोई बेचैनी और किसी का ख्याल नही आता. जा कर डॉक्टर से अपना इलाज़ करवाईए. अगर नही तो बोल दो मैं इलाज़ कर देती हूँ.
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#11
Update 6


राहुल- अरे नही राधिका जी आप मेरी बीमारी में ना ही पड़े तो अच्छा है. पता नही जो उन लोगों के साथ हुआ कही मेरे साथ भी हो गया तो .इतना कहकर राहुल मुस्कुरा देता है. और राधिका भी मुस्कुरा देती है. ऐसे ही कुछ देर तक इधेर उधेर की बातें करने के बाद राहुल का मोबाइल पर कॉल आता है.

राहुल- फोन विजय का था. बोल विजय क्या हाल चाल है.

विजय- यार मैं ठीक हूँ कहाँ है तू इस वक़्त मुझे तूने फोन करने को बोला था पर किया नही. बहुत बिज़ी रहता है आज कल तू .

राहुल- नही यार मैं इस वक़्त राधिका के यहाँ आया हूँ और अभी थोड़े देर के बाद तुझे फोन करता हूँ. इतना कहकर राहुल फोन काट देता है.

राधिका- एक बात कहु राहुल मुझे ये विजय ज़रा भी अच्छा नही लगता. तुम इसका संगत क्यों नही छोड़ देते. मुझे इसकी नियत ज़रा भी अच्छी नही लगती.

राहुल- नही विजय मेरा बचपन का दोस्त है वो कैसा भी हो मगर दिल का सॉफ है.

राधिका भी इस बारे में राहुल से ज़्यादा बहस नही करती है और राहुल भी अब जाने को कहता है. थोड़ी देर के बाद दोनो मैन डोर तक आ जाते हैं.

वैसे आज राहुल ग्रीन कलर का टी-शर्ट और जीन्स में था. थोड़ी देर वही बाहर खड़े रहने के बाद राहुल राधिका को बाइ बोलकर निकलता है तभी एक गोली उसके बाजू को छूती हुई निकल जाती है और वो लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर पड़ता है.

वो झट से उठता है और सामने दो नकाब पॉश अपनी मोटरसाइकल पर सवार होकर निकल जाते हैं. राहुल कुछ दूर तक उनके पीछे जाता है मगर वो निकल चुके थे. ये सब नज़ारा देखकर राधिका एक दम घबरा जाती है और झट से राहुल के पास दौड़ती हुई चली जाती है और उसके खून को अपना दुपट्टे से जल्दी से बंद कर अपने दोनो हाथों से कसकर दबाती है.

राहुल भी अब राधिका के साथ घर में अंदर आता है और सोफे पर बैठ जाता है. राधिका उसके बगल में एक दम सटे हुए अपने हाथ उसके बाजू पर रखी रहती है.

राहुल- ये आपने क्या किया आपका तो पूरा दुपट्टा मेरे खून से खराब हो गया.

राधिका- अजीब आदमी हो जान चली जाती उसका कोई गम नही था और इस दुपट्टे क्या गंदा हो गया इसकी बहुत फिकर है.

राहुल- तुम्हें तो मेरी बहुत फिकर हो रही है .मैं जियुं या मरूं मेरी चिंता करने वाला इस दुनिए में हैं कौन.

राधिका- क्यों मैं नही करती क्या तुम्हारी चिंता...................................... राधिका के मूह से पता नही ये शब्द कैसे निकल गया . वही बात हुई कमान से निकला तीर एक बार छूट जाता है तो वापस नही आता. अब राधिका भी समझ चुकी थी कि राहुल को सब पता चल गया है कि वो उसके बारे में क्या सोचती हैं.

राधिका- ये तुम पर हमले करने वाले कौन लोग थे.

राहुल- अगर बुरा ना मानो तो हम एक अच्छे फ्रेंड बन सकते हैं. आइ वॉंट यू टू फ्रेंडशिप वित यू. विल यू आक्सेप्ट???

राधिका इशारे में हां कहकर अपनी गर्देन झुका लेती है.

राहुल- मुझे बहुत ख़ुसी है तुम जैसा एक अच्छा दोस्त को पाकर. अब मैं इस दुनिया में तन्हा नही हूँ. इतना कहकर राहुल मुस्कुरा देता है और राधिका भी .

राहुल- पता नही कौन मेरे पीछे पड़ा हुआ है. ये अब तक मेरे पीछे तीसरा हमला है. पिछले 6 मंत्स में ये तीन बार मुझपर जान लेवा हमले हो चुके हैं. अब तक हमलावरों का कोई सुराग नही और ना ही कोई वजह पता लगी है.

राधिका- तुम यही बैठो मैं दवाई लगा देती हूँ. और कुछ देर बाद राधिका राहुल को दवाई और पट्टी बाँध देती है जिससे राहुल को काफ़ी आराम हो जाता है. फिर राहुल की नज़रें राधिका पर पड़ती है और दोनो एक तक एक दूसरे की आँखों में खो जाते हैं......................

राधिका और राहुल काफ़ी देर तक एक दूसरे की आँखों में देखते रहते हैं. तभी राधिका तुरंत अपनी नज़रें नीची झुका लेती है और शर्म से उसका चेहरा लाल हो जाता है. राहुल भी इधेर उधेर देखने लगता है.

राधिका- आप यही बैठिए मैं आपके लिए खाना बनाती हूँ.

राहुल- अरे राधिका इसकी कोई ज़रूरत नही मैं अब चलता हूँ.

राधिका- ऐसे कैसे आप यू ही चले जाएँगे पहली बार मेरे घर आए हैं तो आज तो मेरे हाथों का खाना खा कर ही जाना होगा. राधिका की बात को शायद राहुल मना नही कर पाता और वो वही पर रुक जाता है.

करीब एक घंटे के बाद राधिका खाना ले कर राहुल के पास आती है. राहुल भी झट से हाथ मूह धो कर खाना खाने बैठ जाता है. दोनो एक साथ खाना खाते हैं.

राहुल- अरे वाह कितना बढ़िया खाना बना है. ये तो मेरा पासिंदिदा खाना है. कितने दिनो के बाद आज घर का खाना खाने को मिला है. खाने में पुलाव और पनीर बना था और भी कई आइटम्स थे.

खाना खाने के बाद राधिका बाहर मेन डोर तक आती है और राहुल ने जाते वक़्त राधिका की आँखों में एक अजीब सी कशिश देखी थी जो राहुल को बार बार उसकी ओर उसका ध्यान खींच रही थी.और रास्ते भर उसको राधिका का ही ख्याल आता रहा और वो मन ही मन मुस्कुरा देता है.

दूसरे दिन उधेर विजय भी बार बार राधिका के लिए बेचैन था. और हर रोज़ शाम को सोने के पहले और सुबह उठने के बाद राधिका की नाम की मूठ मारता रहता था.

विजय- ये तूने क्या कर दिया है राधिका क्यों मेरा लंड तेरे लिए इतना बेचैन हैं. जब तक तेरे नाम का मैं मूठ नही मार लेता मेरे लंड को चैन ही नही मिलता. अब चाहे कुछ भी हो जाए मैं तुझे किसी भी तरह हासिल करूँगा चाहे उसके लिए मुझे कोई भी कीमत,चाहे मुझे किसी की भी बलि क्यों ना देनी पड़े. तुझे मुझसे कोई नही छीन सकता राहुल भी नही इतना सोचकर विजय के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ जाती है.

विजय फिर मोनिका के पास फोन करता है

विजय- कैसी है मेरी रांड़!!!

मोनिका- ठीक हूँ बोलो कैसे याद किया मुझे.

विजय- तू तो जानती है ना कि जब मेरा लंड खड़ा होता है तो तेरी याद आती है. चल मेरे घर पर आ जा मैं बहुत बेचैन हूँ.

मोनिका- नही मुझे तुम्हारे साथ सेक्स नही करना. तुम आज कल बहुत वाइल्ड होते जा रहे हो. मुझे तो डर लगता है अब तुमसे.

विजय- आरे आ जा ना मेरी जान क्यों नखरे करती है . चल वादा करता हूँ कि अब तुझे मैं अपने चंगुल से आज़ाद कर दूँगा. अब तो तू खुस है ना चल जल्दी से आ जा .

मोनिका- ठीक है ठीक है अभी आती हूँ और मोनिका फोन रख देती है.

थोड़ी देर के बाद मोनिका राहुल के घर पर पहुँच जाती है.

विजय- आ गयी मेरी रांड़ देख ना मेरा लंड तेरी याद में खड़ा ही रहता है. चल अपने पूरे कपड़े उतार कर एक दम नंगी हो जा.

मोनिका- विजय आज भी तुमने ड्रग्स लिया है ना. मैं इसी वक़्त यहाँ से जा रही हूँ.

विजय- अरे मेरी जान तेरे नशे के आगे तो ये ड्रग्स भी क्या चीज़ है. लत लग गयी है मुझे क्या करू छूट ती ही नही .

मोनिका- मुझे तुमसे बहुत डर लगता है. पता नही कब क्या करदोगे मेरे साथ.

विजय- अरे गैरों से डरना चाहिए अपनो से नही. चल अब फटाफट नंगी हो जा.

मोनिका अपनी साड़ी पेटिकोट, ब्लाउस, ब्रा और पैंटी सब कुछ उतार कर एक दम नंगी होकर वही विजय के सामने खड़ी हो जाती है.

विजय- अब वही खड़ी भी रहेगी क्या,, देख ना मेरे जूते कितने गंदे हो गये हैं. चल आ कर सॉफ कर दे ना. विजय अपने जूते को मोनिका की ओर दिखाता हुआ बोला.

मोनिका जब उसके बात का मतलब समझती है तो उसके होश उड़ जाते हैं. मगर वो चुप चाप आकर विजय के बाजू में बैठ जाती है.

विजय- यहाँ नही जानेमन नीचे मेरे जूते के पास बैठ ना. मोनिका भी धीरे से उसके जूते के पास बैठ जाती है.

विजय- अब देख क्या रही है चल मेरे जूते सॉफ कर ना. तुझे तो हर बात बतानी पड़ती है क्या. देख एक बात बोल देता हूँ जितना मैं बोलता हूँ उतना ही कर उसी में तेरी भलाई है. वरना अंजाम बहुत बुरा होगा.

विजय की बात सुनकर मोनिका का डर और बढ़ जाता है और वो चुप चाप अपना सिर नीचे झुका लेती है.

विजय- चल ना अब सॉफ भी कर ना अपने इन प्यारे होंठो से.

मोनिका भी धीरे से झुक कर उसके जूते को अपने जीभ से साफ करना सुरू कर देती है. और तब तक करती है जब तक विजय उसको मना नही कर देता.

मोनिका को इतनी शर्मिंदगी लगती है उसका दिल करता है कि अभी यहा से फ़ौरन निकल का भाग जाए.

विजय- चल अच्छे से चाट और एक भी धूल का कण नही रहना चाहिए. कुछ देर तक मोनिका उसके जूते अपने मूह से सॉफ करती है और फिर विजय अपना दूसरा जूता आगे बढ़ा देता है. और वो फिर उसे भी सॉफ करने लगती है.

विजय- साबाश मेरी रांड़ तूने तो मेरे जूते चमका दिए. अब से मैं तुझसे ही अपने जूते सॉफ कराउन्गा. मोनिका उसको घूर कर देखती है मगर कुछ नही बोलती.

विजय- चल अब मेरा लंड चूस और हाँ पूरा अंदर लेना नही तो आज तेरी गान्ड फाड़ दूँगा.

मोनिका झट से उसके पॅंट को खोल देती है और फिर अंडरवेर, और उसका मूसल उसकी नज़रों के सामने आ जाता है.

मोनिका भी चुप चाप उसे मूह में लेकर चूसने लगती है. थोड़े देर की चुसाइ के बाद विजय का लंड एकदम अकड़ जाता है.

विजय- चल तू पूरा मूह खोल मैं अब तेरे मूह में अपना पूरा लंड डालूँगा. इतना कहकर विजय खड़ा हो जाता है और मोनिका को सोफे पर पीठ के बेल लेटा देता है और वो सामने से आकर अपना लंड मोनिका के मूह में डाल देता है. अब मोनिका भी धीरे धीरे विजय का लंड पूरा अपने मूह में लेने लगती है.

कुछ देर में विजय का पूरा लंड मोनिका के हलक तक पहुच जाता है और वो तड़पने लगती है. विजय अपने लंड पर दबाव बनाए रखता है और मोनिका की आँखो से आँसू निकलने लगते हैं. मोनिका के मूह से लगातार गूऊ...... गूऊ की आवाज़ें बाहर आती है और उसकी साँसें तेज़ हो जाती है. विजय उसी तरह पूरा अपने लंड पर प्रेशर बनाए रखता है. जैसे ही वो अपना लंड बाहर निकालता है मोनिका ज़ोर ज़ोर से साँसें लेती है.

मोनिका- तुम तो मुझे मार ही डालोगे. भला कोई ऐसे भी पूरा मूह में डालता है क्या.??

विजय- जानता हूँ तू मेरी पक्की छिनाल है. अरे इससे भी बड़ा मेरा लंड होता तो तू वो भी पूरा निगल जाती. अब नखरे मत कर और मेरा माल जल्दी से निकाल दे.

मोनिका फिर तेज़ी से विजय का लंड अपने मूह में पूरा लेती है और धीरे धीरे अपने हलक में उतारने लगती है. विजय का कुछ देर में शरीर अकड़ने लगता है और वो उसका कम कुछ मोनिका के हलक में और कुछ बाहर उसके मूह के साइड से होता हुआ फर्श पर गिर जाता है और कुछ बूँदें सोफा पर.

विजय- वाह मेरी रांड़ तूने तो मेरा लंड का माल निकाल दिया. चल अब जल्दी से नीचे गिरे मेरे अमृत को अपने जीभ से चाट कर सॉफ कर.

मोनिका भी झुक कर पहले सोफे पर गिरे उसका कम को चाट कर सॉफ करती है फिर नीचे फर्श पर झुक कर विजय का कम अपनी जीभ से चाट का सॉफ करती है पर कुछ बूँदें वही रह जाती है.

विजय- मोनिका तूने तो ज़मीन पर गिरे मेरे कम को अच्छे से सॉफ नही किया हरामी साली आज तुझे तेरी औकात बताता हूँ. इतना कहकर विजय उसके बाल ज़ोर से अपनी मुट्ठी में भीच लेता है और मोनिका दर्द से कराह उठी है.

विजय उसके मूह के एकदम पास जाता है और फिर से उसके बालों को ज़ोर से झटक देता है. जैसे ही मोनिका फिर चिल्लाति है विजय ढेर सारा थूक उसके मूह में थूक देता है. और मज़बूरन मोनिका को अपने हलक के नीचे उतारना पड़ता है.

विजय- जानती है जूते को हमेशा पैरों में ही पहनना चाहिए.उसकी शोभा पैरों में हैं सिर पर नही .उसी तरह औरत को हमेशा अपनी पाँव की जूती में ही बैठानी चाहिए. ये है तेरी औकात. और इतना कहकर विजय एक बार मोनिका के चेहरे पर थूक देता है.

मोनिका- रोते हुए आख़िर मेरा कसूर क्या है तुम मुझसे चाहते क्या हो. जैसा तुम कहते हो मैं तो वैसे ही करती हूँ ना फिर???

विजय- तेरी औकात एक नाचने वाली कोई बाज़ारु रंडी के जैसी है. लास्ट बार तुझे मैं वॉर्निंग देता हूँ अगर मेरे कहे पर नही चलेगी तो इस बार तुझे काजीरी के पास ज़रूर भेज दूँगा. जानती हैं ना फिर तेरा क्या हाल होगा. वैसे भी काजीरी को सिर्फ़ पैसों से प्यार है. अगर एक साथ 15, 20 कस्टमर आ जाए और तुझे पसंद कर लिया तो जानती है ना तेरे साथ क्या होगा. सारे के सारे तेरी चूत और गान्ड को ऐसे फाड़ेंगे की साली जिंदगी भर चलना फिरना तो दूर रंडी का भी धंधा ठीक से नही कर पाएगी.

मोनिका- देखो मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ इस वक़्त तुम ड्रग्स के नशे में हो प्लीज़ मैं वही तो कर रही हूँ जो तुम कह रहे हो. बस एक दो बूँद ही तो छूट गया था उसके लिए इतनी नाराज़गी.

विजय- ठीक है अगर अगली बार मैं तुझसे खुस नही हुआ तो तू समझ लेना...............इतना बोलकर विजय चुप हो जाता है.
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#12
Update 7

मोनिका भी कुछ नही बोलती है और बस विजय के हुकुम का इंतेज़ार करती है.

विजय- चल सबसे पहले ये अपने आँसू सॉफ कर. अगर मुझे खुस रखेगी तो तू भी खुस रहेगी समझी.

मोनिका भी चुप चाप हां में गर्देन हिला देती है.

विजय- चल अब तू पेट के बल सो जा आज मैं तेरी सिर्फ़ गांद मारूँगा. इतना कहकर विजय अपना शर्ट और बनियान निकाल देता है.

मोनिका भी पेट के बल लेट जाती है और विजय के लंड को अपनी गान्ड में लेने का इंतेज़ार करती हैं.

थोड़ी देर के बाद विजय का लंबा लंड मोनिका के गान्ड के द्वार पर रखता है और मोनिका के दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है. वो धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर बढ़ाना शुरू कर देता है और मोनिका के मूह से चीख धीरे धीरे तेज़ होनी शुरू हो जाती है.

मोनिका- प्लीज़ ज़रा धीरे करना बहुत दर्द होता है. तुम एक ही बार में अपना पूरा लंड डाल देते हो. थोड़ा धीरे धीरे करना.

विजय- क्या करू मेरी जान तेरी गान्ड ही ऐसी है और तू तो जानती है कि मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी औरत की गान्ड ही है. कोई बात नही तू मेरे लिया इतनी तो तकलीफ़ सह ही सकती है. इतना कहकर विजय एक ही झटके में अपना लंड मोनिका की गंद में घुसाने की कोशिश करता है मगर लंड करीब 4 इंच तक मुश्किल से जा पाता है और मोनिका की ज़ोर से चीख निकल जाती है.

मोनिका- प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है ज़रा धीरे डालो ना मैं मर जाउन्गि.

विजय- रिलॅक्स बेबी लगता है तेरी गंद अभी पूरी खुली नही है चिंता मत कर मेरी शरण में तू आई है ना तो तेरी गंद का इतना बड़ा होल करूँगा कि चूत भी उसके आगे फीकी लगेगी.

फिर विजय एक झटके से अपना लंड बाहर निकाल लेता है और फिर कुछ सेकेंड में दुबारा उसी रफ़्तार से मोनिका की गंद में डाल देता है. अब की बार लंड करीब 8 इंच तक चला जाता है. और मोनिका बहुत ज़ोर से चिल्ला पड़ती है.

विजय- क्या हुआ मेरी बुलबुल आज तेरी गंद इतनी टाइट क्यो लग रही है. अरे मैने तो बस अपनी लाइफ में सिर्फ़ 2 बार ही तेरी मारी है. और इतना बोलकर विजय हंसता है.

मोनिका- तुम्हें हँसी आ रही है और मेरी जान जा रही है प्लीज़ विजय निकाल लो ना बहुत दर्द हो रहा है.

विजय- चिंता मत कर थोड़ी देर में तुझे भी मज़ा आएगा इतना कहकर फिर विजय पूरा लंड निकाल कर एक बार फिर पूरी गति से अंदर डाल देता है और मोनिका की हालत खराब होने लगती है. कुछ देर तक वो कुछ नही करता फिर आगे पीछे अपना लंड मोनिका की गंद में करता है.

मोनिका भी सिसकारी लेती है उसे तकलीफ़ और मज़ा दोनो का एहसास एक साथ होता है. कुछ देर में विजय अपने लंड की रफ़्तार को तेज़ कर देता है और मोनिका की आहें तेज़ हो जाती है.

विजय- कसम से क्या गंद है तेरी जी करता है ज़िंदगी भर अपना लंड इसी में डाले रखूं.

करीब 20 मिनिट तक विजय मोनिका की गंद को चोद्ता है और फिर उसका शरीर अकड़ने लगता है और उसका वीर्य मोनिका की गंद में ही झाड़ जाता है. और शांत हो कर मोनिका के उपर ही पसर जाता है.

करीब 5 मिनट तक दोनो की साँसें बहुत तेज़ चलती है और दोनो एक दूसरे को देखते है.

मोनिका- अब मन भर गया ना तुम्हारा अब मैं चलती हूँ. और हां मुझे अब तुम आज़ाद कर दो अब मुझे ये सब अच्छा नही लगता.

विजय- वाहह .... मेरी सती सावित्री क्या बात है आज प्यास भुज गयी तो आज़ादी की दुआ माँग रही है. याद कर मैं तेरे पास नही गया था बल्कि तू खुद चुदवाने मेरे पास आई थी , तू ये बात कैसे भूल सकती है ...आज मैं तेरे जिस्म की आग को ठंडा करता हूँ तो तू अब कह रही है मुझे आज़ाद कर दो. तू इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती है....

विजय की बात का मोनिका के पास कोई जवाब नही था. इसलिए वो कुछ नही बोलती और अपनी गर्देन नीचे झुका लेती है.

विजय- तुझे मेरे साथ एक डील करनी होगी. अगर तू मेरा डील मानेगी तो मैं वादा करता हू कि मैं तुझे हमेशा के लिए आज़ाद कर दूँगा.

मोनिका- क.....कैसी डील??????

विजय- घबरा मत तुझे मेरा एक छोटा सा काम करना होगा . अगर तू मेरा वो काम करेगी तो समझ ले तू आज़ाद हो गयी नही तो काजीरी है ना दूसरा ऑप्षन तेरे लिए.

मोनिका- मुझे करना क्या होगा.

विजय- तू सवाल बहुत पूछती है . वक़्त आने दे तुझे सब बता दूँगा.इतना कहकर विजय घर से बाहर निकल जाता है.

मोनिका- हे भगवान !!! ये मेरी कैसी ज़िंदगी बन गयी है .कितनी खुस थी मैं जब मेरी शादी तय हुई थी. मेरा भी हंसता खेलता परिवार था. सब की में लाडली थी.

मोनिका के साथ ऐसा क्या हुआ था वो अपने आतीत में खो जाती है.............................................,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

घर पर सब खुस थे. मेरा बी.ए फाइनल एअर था. मेरा भी सपना था कि मैं पढ़ लिख कर खुद अपनी ज़िम्मेदारी निभाऊ, अपने परिवार और अपने होने वाले पति को सारी ख़ुसीया दूँ. मगर ख़ुसीयों को ग्रहण लगते देर नही लगती. मेरी जिंदगी का सूरज भी ऐसा डूबा कि आज भी मेरे जीवन में अंधकार के सिवा कुछ नही है.

आज मेरे घर पर मम्मी पापा, और मेरा एक छोटा भाई के साथ मैं बहुत खुस थी. आज मैने अपनी ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर ली. और मेरे को देखने लड़के वाले आ रहे थे. कुछ देर में वो लोग आए और मुझे देखकर पसंद भी कर लिया. मैं भी बहुत खूबसूरत थी. गोरा बदन उम्र करीब 25 .

कुछ दिन में मेरी शादी हो गयी और मैं अपने ससुराल चली गयी. घर से बहुत दूर. मैं वहाँ बहुत खुश थी. गोपाल मेरे पति करीब 28 साल के थे. वो ट्रक ड्राइवर थे.मेरे सास ससुर गाओं में रहते थे. हम सहर में आ कर रहने लगे क्यों कि गाओं का महॉल कुछ ठीक नही था. इस लिए गोपाल भी यही चाहता था कि मैं भी सहर में ही रहू. हमारी शादी हुए अभी 2 साल ही हुए थे कि एक दिन रोड आक्सिडेंट में उनकी मौत हो गयी. मेरे सर पर मानो पहाड़ टूट पड़ा. मैने भी सोचा कि अब सहर में क्या रखा है सोचा अपने सास ससुर के पास जाकर उनकी सेवा करू.

लेकिन गाओं की कुछ औरतों ने मुझे ये कहकर मेरे सास ससुर की नजरो में गिरा दिया कि तुम्हारी बहू के कदम ठीक नही हैं. आते ही घर की औलाद को खा गयी. मैने उन्हे बहुत समझाने की कोशिश की पर वे लोग नही माने. फिर हारकर मैने अपने मा बाप के पास जाने का फ़ैसला किया तो उन्होने भी अपने हाथ खीच लिए. ये कह दिया कि जो भी है तेरा ससुराल है अब ये तेरा घर नही है. उस वक़्त तो मुझे आत्महत्या करने के सिवा कुछ नही सूझा. और मैं वो कर भी देती.

मगर मेरी नसीब में और रोना लिखा था. मेरी विजय से मुलाकात हो गई. मैने भावुक होकर उसे वो सारी बात बताई जो मेरे साथ बीती थी. तो उसने मुझे झट से शादी करने के लिए हां कर दी. मैं बहुत खुस हुई. मगर मुझे क्या पता था कि वो इंसान की खाल में छुपा हुआ भेड़िया है. उसकी नियत शुरू से ही मेरे जिस्म पर थी. इसी बहाने मुझे अपनी क्लिनिक में काम दिलवाकर एक दिन उसने धोके से मुझे ड्रग्स के नशे में सिड्यूस किया.

मैं इस लिए उसे कुछ नही बोल पाई क्यों कि अब मेरा इस दुनिया में कोई नही था जो मेरा अपना हो. कहते हैं ना इंसान की असली परख बुरे दिन में ही होती है. जब मेरा बुरा समय आया तब सब ने अपने हाथ खीच लिए. तब मैने भी ये सोच लिया की मर जाउन्गि मगर उनके दरवाज़े पर पाँव नही रखूँगी.

विजय इसी तरह से मुझे अपनी क्लिनिक में रोज़ ले जाता और वही मेरे साथ चुदाई का खेल खेलता. कैसे मना करती मैं. वो ही तो था जो मुझे पैसे और किसी चीज़ की कमी नही होने देता था. तो मैने भी सब कुछ भूल कर अपने आप को उसके हाथों में सौप दिया...........

मोनिका की आँख से आँसू लगातार बह रहे थे. वो चाह कर भी अपने अतीत को नही भूल पा रही थी. और उसको विजय का कहा भी बार बार उसके दिमाग़ में बंब की तरह फट रहा था. डील..........आख़िर विजय मुझसे कैसे डील चाहता है. क्या है उसका मकसद.

मोनिका ये बात अच्छे से जानती थी कि विजय एक नंबर का अयाश आदमी है. वो किसी भी हद्द तक गिर सकता है. आख़िर वो किस डील की बात कर रहा है. मोनिका अपने दिमाग़ पर ज़ोर देते हुए लगातार अपने सवालों का जवाब बार बार अपने आप से पूछ रही थी. आख़िर देर तक सोचने के बाद उसका ध्यान एक बार राधिका की ओर चला जाता है.

कहीं राधिका का इस डील से कोई कनेक्षन तो नही है. हे भगवान ये विजय क्या चाहता है. कहीं अब वो मेरे बदले राधिका के साथ तो नही..... नही ये नही हो सकता. हो ना हो मुझे जल्दी से जल्दी पता करना होगा कि ये राधिका कौन है और इस विजय से इसका क्या रीलेशन है.

मोनिका के सामने हज़ारों सवाल खड़े होते जा रहे थे मगर उसके पास एक सवाल का भी जवाब नही था. लेकिन काफ़ी हद्द तक वो विजय का मकसद भाप गयी थी. और फिर अपने कपड़े पहन कर वो विजय के घर से निकल जाती है.

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जहाँ वक़्त बीत रहा था. एक तरफ तो राहुल और राधिका एक दूसरे के करीब और करीब आते जा रहे थे. हर रोज़ राधिका उसको फोन करके गुड मॉर्निंग विश करके उठाती तो वही राहुल भी कोई ना कोई बहाने से राधिका के करीब रहता. राधिका को तो मानो उसे जन्नत मिल गयी थी. जिस प्यार के लिए वो बचपन से तरषी थी वो आज उसे मिल गया था. वो भी जानती थी कि राहुल भी उसे अपनी जान से ज़्यादा प्यार करता है. एक तरफ राहुल और राधिका का प्यार किसी दीवानगी , जुनून की तरह बढ़ता जा रहा था वही दूसरी तरफ निशा भी अपने दिल में राहुल को चाहने लगी थी . वो भी मन ही मन राहुल से बे- इंतेहः प्यार करने लगी थी.

राहुल को निशा के दिल का हाल नही मालूम था वो तो बस राधिका के ख्यालों में खोया रहता था. वही राधिका को निशा के दिल की बात का कुछ अंदाज़ा हो गया था मगर उसे ये नही पता था कि निशा भी राहुल से ही प्यार करती है. वो तो बस ये ही समझ रही थी कि निशा को कोई और मिल गया है.

हो ना हो राहुल , राधिका और निशा की ज़िंदगी में आने वाले एक बहुत बड़े तूफान का इशारा था. क्यों कि राधिका इस हद्द तक राहुल को प्यार करती कि वो राहुल को किसी भी हाल में खोना नही चाहती थी. वही दूसरी तरफ अपनी जान से बढ़कर उसकी सहेली निशा वो उसकी खुशी के लिए कुछ भी कर सकती थी. ये बात निशा भी जानती थी कि राहुल और राधिका एक दूसरे को पसंद करते हैं मगर वो इस हद्द तक एक दूसरे को चाहने लगे हैं उसे ज़रा भी अंदाज़ा नही था. वरना वो भी इन दोनों के बीच में कभी नही आती. मगर क्या करे प्यार किया नही जाता हो जाता है. और निशा अपने दिल के हाथों मज़बूर थी.

वही दूसरी तरफ मोनिका के दिन बुरे और बुरे होते जा रहे थे. विजय उसको जानवरो जैसे उसके साथ सुलूख करता और बहुत रफ सेक्स करता था. वो किसी भी हालत में बाहर निकलना चाहती थी उसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार थी. उसके बदले अगर किसी की कुर्बानी भी देनी पड़े तो भी.............

जहाँ एक तरफ़ राहुल और राधिका में प्यार जनम ले रहा था वही दिन -ब-दिन मोनिका के दिल में नफ़रत. ना ही सिर्फ़ विजय से बल्कि इस पूरे समाज़ से पूरी दुनिया उसे अपनी दुश्मन नज़र आ रही थी. वो भी चाहती थी कि वो भी अब सुकून की जिंदगी बसर करे. और वो इस शहर को छोड़ कर हमेशा के लिए कही और जाना चाहती थी. मगर होनी को कौन रोक सकता है.

इधेर राधिका के मिलने से राहुल का भी नसीब खुल चुका था. उसकी भी दिन-ब-दिन तरक्की हो रही थी. जल्द ही वो एसीपी बनने वाला था. और उसका मान ना था कि इस सफलता के पीछे राधिका का प्यार है. लेकिन वक़्त से पहले किसी को कुछ नही मिलता.

वक़्त के आगे किसी की नही चलती. आने वाला एक तूफान जो कि राहुल, मोनिका, निशा, और मोनिका की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदलने वाली थी. पता नही वक़्त को क्या मंज़ूर था........................

आज राहुल और राधिका के प्यार को, करीब 5 महीना हो चुके थे मगर अब भी राहुल ने एक भी बार राधिका को प्रपोज़ नही किया था.और आज राहुल कुछ राधिका के लिए स्पेशल करना चाहता था. आज वो राधिका को अपने घर ले जाना चाहता था. भला राहुल की बात को राधिका कैसे मना कर देती. वो झट से तैयार हो जाती है .

राहुल- राधिका आज में तुम्हें अपने घर ले जाना चाहता हूँ. चलोगि ना मेरे घर. विश्वास है ना मुझ पर.

राधिका- ये भी कोई पूछने वाली बात है. अपने आप से ज़्यादा तुम पर विश्वास करती हूँ.

और दोनो मुस्कुरा कर राहुल की गाड़ी में बैठ जाते हैं. कुछ देर में ही वो एक बंगले के पास पहुँचते हैं. राधिका को राहुल का बंगला देखकर उसे विश्वास नही होता कि ये राहुल का है.

राहुल- जानती हो राधिका जब से तुम मिली हो मेरी तो चाँदी हो गयी है. मैं बहुत जल्दी ही एसीपी बनने वाला हूँ. घर के अंदर चलो मुझे कितने सारे मेडल्स मिले हैं. चलो चलकर दिखाउन्गा.

राधिका- तो जनाब आज मुझे पार्टी देना चाहते हैं अपनी प्रमोशन होने की खुशी में.

राहुल- नही राधिका पार्टी तो गैरों को देते हैं तुम तो मेरी बेस्ट फ्रेंड से भी बढ़कर हो जानती हो तुम कितनी लकी हो जब से तुम मिली हो लगता है मेरी दुनिया ही बदल गयी हैं.

राधिका- चलो चलो ज़्यादा मस्का मत लगाओ... और इतना केकर दोनो गाड़ी से उतरकर बंगले में जाते हैं.

राधिका बंगला देखकर बोलती है - बहुत खूबसूरत बंगला है आपका. इतने बड़े घर में अकेले रहते हैं क्या.

राहुल - हाँ और कौन है मेरा . हां रामू काका मेरे साथ इस तन्हाई में मेरा साथ देते हैं. वो ही इस घर की देखभाल करते हैं.

और राहुल रामू काका को आवाज़ देकर बुलाता है. रामू दौड़ कर राहुल के पास आता है.

रामू- बोलिए मालिक क्या सेवा करू.

राहुल- ये राधिका है. ज़रा इनके लिए नाश्ता वगेरह बना दीजिए. और रामू किचन में चला जाता है.

राधिका- गुस्से से घूर कर देखते हुए...... राहुल मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ. मैं भी अब शादी करना चाहती हूँ. मेरी ज़िंदगी में भी कोई है जिसे मैं बहुत प्यार करती हूँ.

इतना सुनते ही राहुल के होश उड़ जाते है और वो एक दम लड़खड़ाते हुए बोलता है- क्यी.....आ राद....धिका. ये...तुम..........क्या बोल्ल्ल्ल्ल्ल.............रही हो..............

राधिका- हाँ भाई .........तुम तो मुझे प्रपोज़ करने से रहे तो मैने सोचा अगर कोई मुझे प्रपोज़ कर रहा है तो मैं मना क्यों करू.

राहुल- कौन है वो ........साले को जैल में सड़ा दूँगा.........ऐसा केस बनाउन्गा की साला 10 साल के बाद ही छूटेगा.

राधिका- तुम्हें उससे क्या. आज पूरे 5 महीने हो गये तुमसे मिले. तो मैने सोचा कि बस तुम मेरे साथ टाइम पास कर रहे हो तो मैने भी झट से उसे हां बोल दिया.

राहुल- क्या...............मेरा प्यार को तुम टाइम पास बोल रही हो. बस यही तुम्हारा प्यार है. इसका मतलब बस मैं ही तुमसे प्यार करता था. तुम मुझसे नही .............

राधिका- हाँ मैने सोचा तुम तो कभी प्रपोज़ करोगे नही तो कही और मज़ा किया जाए.

राहुल- नही राधिका तुम झूट बोल रही हो तुम सिर्फ़ मुझसे ही प्यार करती हो ना.

राधिका- अरे कह तो रही हूँ कि ................

राहुल- जल्दी से बताओ उसका नाम और पता साले को इस दुनिया से उठा दूँगा. राहुल एक दम गुस्से से बोला.

राधिका- सच में मेरी खातिर उसको जान से मार दोगे क्या...... .

राहुल- तुम्हारे और मेरे बीच में अगर कोई आ जाए तो देख लेना वो इस दुनिया में ज़िंदा नही रहेगा. अगर किसी ने तुमको मुझसे छीन लिया तो इस प्युरे दुनिया को आग लगा दूँगा. किसी को नही छोड़ूँगा मैं.

राधिका- तो जनाब इतना ही प्यार करते हो तो इतना वक़्त क्यों लगाया. पहले नही बोल सकते थे क्या मुझसे ये बात.

राहुल- क्या.................. तो इसका मतलब तुम मुझसे ............. और राहुल खुशी से चीख पड़ता है और राधिका को अपनी गोद में उठा लेता है.

राहुल- आज मैं तुमसे अपने दिल की सारी बातें कहना चाहता हूँ राधिका.

राधिका- आइ लव यू राहुल....................लव यू टू मच राहुल और राधिका राहुल को अपने सीने से लगा लेती है.

राधिका- बहुत देर कर दी तुमने लेकिन देर आए दुरुस्त आए. इतना कहकर राधिका ज़ोर से हँसने लगती हैं.................
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#13
Update 8 


थोड़ी देर में रामू काका भी कुछ स्नॅक्स कोफ़ी वगेरह लेकर वहाँ पर आते हैं और राहुल और राधिका को हंसता देखकर कहते हैं.

रामू- देखा बेटी तुम्हारे कदम इस घर पर क्या पड़े, आज साहब को कितने अरसे के बाद मैने हंसते हुए देखा है.

राधिका- तो क्या जनाब कभी हंसते नही थे क्या.

रामू- हाँ मालकिन ये ड्यूटी से घर आते और खाना खाकर अपने रूम में सो जाते और सुबह फिर नाश्ता करके बाहर निकल जाते. इनका रोज़ का यही रुटीन है.

राधिका- देखिएगा रामू काका अब मैं आ गयी हूँ ना अब ट्रेन बिल्कुल पटरी पर दौड़ेगी. इतना कहकर रामू काका , राधिका और राहुल ज़ोर से हंसते हैं.

थोड़ी देर के बाद दोनो नाश्ता करते हैं. नाश्ता करने के बाद राहुल राधिका को अपने पर्सनल रूम मे ले जाता है.

राधिका- वाह!!! कितना बेहतरीन कमरा है. सब कुछ वेल फर्निश्ड. राधिका एक टक राहुल के रूम को देखने लगती हैं. वही डबल बेड के उपर राहुल की बचपन की तस्वीर थी और उसके माता पिता की भी साथ में थी. राधिका वो फोटो उठा कर देखने लगती हैं.

राहुल- ये ही हैं मेरे मोम, डॅड, इनकी रोड आक्सिडेंट में डेत हो गयी थी. तब से मैं अकेला.....................

राहुल ये शब्द आगे बोल पाता उससे पहले राधिका अपना हाथ राहुल के मूह पर रखकर चुप करा देती है. राहुल भी आगे कुछ नही बोल पाता.

राधिका- किसने कहा कि तुम दुनिया में अकेले हो. अब मैं हूँ ना तुम्हारे साथ. मेरी कसम आज के बाद तुम कभी आपने आप को अकेला मत कहना.

राहुल- ठीक है नही कहूँगा प्रॉमिस इतना कहकर राहुल राधिका का हाथ पकड़ लेता है..

राधिका- हाँ तुम मुझसे कुछ कहने चाहते थे ना अपने दिल की बात ज़रा मैं भी तो सुनू कि तुम्हारे दिल में क्या है.

राहुल- राधिका सच कहु मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा कि तुम अब मेरी हो. लग रहा है कि मैं कोई सपना देख रहा हूँ. मैने तुम्हारे जिस्म से प्यार नही किया है बल्कि मैं तुम्हारी उस आत्मा को चाहता हूँ. तुम अब मेरी रूह में समा चुकी हो. राधिका ये मेरी खुसकिस्मती है कि अब तुम्हारा प्यार मेरे साथ है. जानती हो मैने एक गीत जो मैं बचपन से सुनता चला आ रहा हूँ उस गीत में मैने सिर्फ़ तुम्हें देखा हैं. वो गीत जो मेरी जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है. जिसमे मैने पल पल सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हें महसूस किया है.

राहुल नज़दीक में सीडी प्लेयर को ऑन करता है और एक बहुत ही पुराना गीत बजने लगता है. वो गीत है.............

चाँद सी महबूबा हो मेरी, कब ऐसा मैने सोचा था............

हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो जैसा मैने सोचा था...................

जिसे राधिका भी सुनकर लगभग खो सी जाती है. जैसे ही वो गीत ख़तम होता है राहुल राधिका के एक दम नज़दीक आकर उसके हाथ अपने हाथ में लेकर चूम लेता है.

इस गीत में मैने तुम्हें पाया है. जैसी मैने कल्पना की थी सच में तुम उससे भी बढ़कर हो. और इतना कहकर राहुल राधिका को अपने सीने से लगा लेता है. कुछ देर तक वो एक दूसरे से यू ही सटे रहते हैं. फिर राधिका आगे बढ़कर अपने लब धीरे धीरे राहुल के लब से चिपका लेती है. और फिर दोनो आँख बंद कर के एक दूसरे में खोते चले जाते हैं.

राधिका धीरे धीरे राहुल के होंठो को अपने होंठो से चिपका कर ऐसे चुसती है जैसे कोई दूध पीता बच्चा अपनी मा का दूध पीता है.दोनो की धड़कनें एक दम तेज़ हो जाती है. राधिका धीरे धीरे अपने होंठ पूरा खोल देती है और राहुल भी अपने होंठ धीरे धीरे राधिका के मूह में लेकर चूस्ता है. पहले वो राधिका के उपर के लिप्स को अच्छे से चूस्ता है फिर धीरे धीरे नीचे के लिप्स को बड़े प्यार से अपने दाँत से दबाकर हल्का सा काटने लगता है. राधिका भी अब पूरी तरह से राहुल में खो जाती है. राधिका और राहुल को कोई होश ही नही रहता कि वो किस दुनिया में हैं.

फिर राधिका धीरे धीरे अपना हाथ राहुल के हाथों में देती है और फिर उसका दाया हाथ अपने हाथ में पकड़कर धीरे धीरे अपने कंधे पर रखकर अपने हाथों से उसे नीचे अपनी सीने की तरफ बढ़ाती है. राहुल का हाथ भी जैसे राधिका घुमाति है वो वैसे ही घूमता है. कुछ देर में वो राहुल का हाथ धीरे धीरे सरकाते हुए अपने लेफ्ट सीने पर रख देता है और अपने हाथ को ज़ोर से राहुल पर प्रेशर करती है.

राहुल भी उसके सीने को अपने हाथों से महसूस करता है और सोचता है कितनी मुलायम है राधिका के बूब्स किसी मखमल तरह.इस बीच राधिका और राहुल एक दूसरे के लिप्स को आपस में चूस्ते रहते हैं. दोनो के थूक एक दूसरे के मूह में थे. मगर एक ही पल में जैसे राहुल को होश आता है और वो अपना हाथ राधिका के सीने से झटक देता हैं. और वो राधिका से दूर हो जाता है.

उसके इस तरह बदलाव को देखकर राधिका चौक जाती है और फिर कुछ देर में दोनो नॉर्मल होते हैं.

राधिका- क्या हुआ राहुल मुझसे कोई ग़लती हो गयी क्या.

राहुल- नही राधिका ये ठीक नही है. मैने तुमसे कहा था ना कि मैं तुम्हारी आत्मा से प्यार करता हूँ .मुझे तुम्हारा जिस्म नही चाहिए. और ये सब शादी के बाद ही ठीक हैं और मैं नही चाहता कि कल को कोई बात हो जाए तो ये दुनिया तुम पर उंगली उठाए.

राधिका- मुझे दुनिया की परवाह नही है राहुल मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए. राहुल मैं पूरी तरह से तुम्हारी होना चाहती हूँ और हमारे पूरे मिलन के लिए हमारा एक होना बहुत ज़रूरी है ,मेरे पास आओ राहुल मुझे अपने सीने से लगाकर मुझे अपना बना लो. मैं तुम्हारे साथ सोना चाहती हूँ राहुल, अब मैं लड़की से औरत बनना चाहती हूँ. मेरी प्यास बुझा दो राहुल. आइ लव यू..............

राहुल- होश में आओ राधिका. तुम्हें ये क्या हो गया है भला तुम ऐसे कैसे बहक सकती हो. मैं तुम्हें यहाँ पर इसलिए लेकर नही आया था कि मैं तुम्हारे जिस्म को भोग़ू. बल्कि मैं तो तुम्हें अपने प्यार का इज़हार करने के लिए अपनी दिल की बात बताने के लिए लाया था. और तुम कुछ और ही समझ रही हो.

राधिका- नही राहुल मैं अब बस पूरी तरह तुम्हारी होना चाहती हूँ. अगर तुम्हें शरम आ रही मेरे कपड़े उतारने को तो बोल दो मैं खुद ही तुम्हारे सामने अपने पूरे कपड़े निकाल देती हूँ.

राहुल- ज़ोर से चीखते हुए. राधिका ये तुम क्यों बहकी बहकी बातें कर रही हो. मैं जानता हूँ कि तुम्हारी भी कुछ ज़रूरतें हैं मगर अभी उसका वक़्त नही आया है. अब हम मिल गये हैं तो हमे कोई नही रोक सकता हमारा मिलन होने से.

राधिका- कैसे मर्द हो तुम राहुल एक लड़की खुद अपनी इज़्ज़त देना चाहती है और तुम मना कर रहे हो. आज मेरे पीछे हज़ारों की लाइन लगी हैं. मगर मैं जमाना पीछे छोड़कर बस तुम्हारे लिए ये सब करना चाहती हूँ. प्लीज़ राहुल मुझे अपना लो. मेरी प्यास शांत कर दो राहुल. वरना मैं बहक जाउन्गि.

राहुल- कैसे मैं तुम्हें समझाऊ राधिका ये ठीक नही है कल को अगर तुम बिन ब्याही मा बन गयी तो ज़माना तुम पर हसेगा.

राधिका- मुझे ज़माने की कोई फिकर नही है राहुल. ज़माना हंसता है तो हँसे. मैं तुम्हारे लिए बिन ब्याही मा बनने को भी तैयार हूँ. इस वक़्त मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए.

तभी रामू काका कमरे में आते हैं और बोलते हैं कि खाना बन गया है. आप दोनो नीचे मूह हाथ धोकर बैठिए मैं खाना निकाल देता हूँ. फिर रामू काका कमरे के बाहर चले जाते हैं.

राधिका- जानते हो राहुल अपने अंदर इस आग को मैने पूरे 22 साल तक रोका है. आज मेरा सब्र टूट चुका है. आज अगर मेरी ये आग ठंडी नही हुई तो राहुल मैं कहीं बहक कर कोई ग़लत काम ना कर बैठू कि कभी फिर तुम्हारी नज़रों में फिर उठ ना पाऊ.

राहुल- ऐसा कुछ नही होगा राधिका. मुझे तुम पर पूरा विश्वास है. अब जल्दी से मूह हाथ धो लो और खाना खाने चलो.

राधिका- ठीक हैं लेकिन कब तक मुझसे बचते फ़िरोगे देख लेना एक दिन ये खबर ज़रूर आएगी कि एक लड़की ने पोलिसेवाले का रेप किया..

और राहुल मुस्कुरा देता हैं.

राहुल - मैं आपने आप को बहुत किस्मत वाला समझूंगा जिस्दीन तुम मेरा रेप करोगी...........इतना कहकर राधिका और राहुल दोनो मुस्करा देते हैं.

थोड़ी देर में राधिका और राहुल नीचे खाना खाते हैं और ऐसे ही बातों में 4 बज जाते हैं और राहुल राधिका को घर पर लाकर छोड़ देता है. और वो सीधा थाने चला जाता है.............

राधिका सीधे वहाँ से अपने घर आती है. और घर आकर घर का मंज़र देखकर उसके होश उड़ जाते हैं. घर पर उसके बड़े भैया एक हाथ में शराब की बॉटल लिए और दूसरे हाथ में सिग्रेट की कश लेकर फर्श पर बैठे पूरे नशे में धुत थे. वो अचानक राधिका को देखकर चौंक जाते है और शराब की बॉटल को अपने पीछे छुपाने की कोशिश करते हैं..

राधिका- भैया , ये आपने क्या हाल बना रखा हैं. और आप इस वक़्त शराब पी रहे हैं. आपको शरम नही आती घर पर ये सब करते हुए.

कृष्णा- राधिका!! मेरी बेहन तू कहाँ रह गयी थी आज, आने में इतनी देर कर दी.

राधिका-भैया कभी तो होश में रहा करो. दिन रात शराब में ही डूबे हुए रहते हो. घर की थोड़ी भी चिंता है क्या आपको.

कृष्णा- चिंता हैं ना, बहुत चिंता है. घर पर एक जवान बेहन हैं. मुझे उसकी शादी भी तो करनी है. लेकिन तुझे तो मेरी कोई चिंता ही नही है.

राधिका- ये आपको किसने कह दिया कि मुझे आपकी चिंता नही हैं. अगर आपको पीने से फ़ुर्सत मिले तब तो आपको कुछ दिखेगा ना.

कृष्णा- अगर तुझे मेरी इतनी ही चिंता होती तो तू मेरी बात क्यों नही मान लेती. आख़िर क्या बुराई हैं इसमें.

सब लोग तो करते हैं फिर ...............

राधिका- भैया प्लीज़ इस वक़्त आप होश में नही हो इस लिए कुछ भी बोल रहे हो. आपका नशा उतर जाएगा तो फिर बात करेंगे.

जैसे ही राधिका जाने के लिए मुड़ती हैं कृष्णा जल्दी से उठकर उसका हाथ पकड़ लेता है और राधिका को अपने करीब खीच लेता हैं.

राधिका- भैया ये क्या बदतमीज़ी हैं. छोड़ दीजिए मेरा हाथ. आप इस वक़्त बिल्कुल होश में नही हैं. मेरा इस वक़्त आपके सामने से चले जाना ही बेहतर हैं.

कृष्णा- तू कहीं नही जाएगी जो कुछ भी बात होगी मेरे सामने होगी, और अभी होगी , इसी वक़्त. कृष्णा की आँखों में तो जैसे खून उतर आया था राधिका जैसे ही उसकी नजरो में देखती हैं वो वही डर से सहम जाती है और रुक जाती हैं.

राधिका- आपको थोड़ी भी समझ हैं भैया कि आप मुझसे क्या माँग रहे हैं. भला कोई भाई अपनी ही बेहन से ...................

राधिका इतना बोलकर चुप हो जाती हैं.

कृष्णा- इसी बात का तो दुख हैं राधिका कि तू मेरी बेहन हैं. अगर तू मेरी बीवी होती तो तुझे रात दिन मैं प्यार करता.

राधिका- देखिए भैया अब बात हद्द से ज़्यादा बढ़ रही हैं. आप प्लीज़ जा कर सो जाइए जब आपका नशा उतर जाएगा तो बात करेंगे.

कृष्णा- मैं पूरे होश में हूँ राधिका. मुझे इस वक़्त सबसे ज़्यादा तेरी ज़रूरत हैं.

राधिका- भैया और भी तो ज़रूरतें होती हैं , वो तो मैं पूरा करती हूँ ना फिर................

कृष्णा- एक औरत चाहे तो अपना घर बचाने के लिए कभी बीवी, बेहन, मा, बेटी सब कुछ बन सकती हैं.तो फिर तू क्यों इतना सोचती हैं.

राधिका- हां मैं मानती हूँ कि औरत वक़्त पड़ने पर सब कुछ बॅन सकती हैं मगर बेहन से बीवी कभी नही........ये नही हो सकता. और मा ने तो आपको वचन भी दिया था ना कि अपनी बेहन की इज़्ज़त की रक्षा करना लेकिन आप ही मेरी इज़्ज़त उतारने के पीछे पड़े हुए हो.

कृष्णा- ठीक है, अगर तुझे मेरी बात नही माननी तो जा यहाँ से मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे. मैं कैसे भी जी लूँगा.

राधिका के आँख में आँसू आ जाते हैं उसे कुछ भी समझ नही आता कि वो क्या करे.

राधिका- प्लीज़ भैया मैं ये सब नही कर पाउन्गि, मैं मर जाना पसंद करूँगी लेकिन मुझसे इतना गंदा काम नही हो सकता. आप जानते हो कि भाई बेहन का रिश्ता कितना पवित्र होता हैं. और आप................

कृष्णा- गुस्से से लाल होते हुए..... राधिका !!! बस बहुत हो गया , अब तेरा मेरा कोई रिश्ता नही, आज से मैं तेरा कोई नही..तुझे तो अपनी झूठी शान और इज़्ज़त की परवाह हैं ना, मेरी कोई चिंता नही ना... ये समाज ये दुनिए की फिक्र हैं ना, तब मेरा इस घर में क्या काम, और मेरा इस घर में रहने का भी अब कोई मतलब नही .....

राधिका- भैया ये आप क्या बोल रहे हो ..........प्लीज़. ... आप ऐसे नही कर सकते आप घर छोड़ कर नही जा सकते......

राधिका के आँख से आँसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे.......वो चुप वही खड़ी गुम्सुम सी खड़ी थी. कृष्णा उठकर अपने कपड़े और कुछ समान अपने बॅग में रखने लगा.

थोड़ी देर में उसका समान पॅक हो गया और जाने के लिए जैसे वो मुड़ा वैसे ही राधिका दौड़ कर मेन डोर का दरवाज़ा जल्दी से बंद कर देती हैं.

राधिका- आप ऐसे घर छोड़ कर नही जा सकते. मैं आपके बगैर नही रह पाउन्गि भैया. भला ये कैसी ज़िद्द हैं भैया कुछ भी हो जाए मैं आपको जाने नही दूँगी.

कृष्णा-हट जा मेरे रास्ते से. वरना आच्छा नही होगा. मुझे इस घर में एक पल भी और नही रहना हैं. .......

राधिका- भैया मान जाओ ना प्लीज़ आप समझते क्यों नही ये नही हो सकता. मैं आपको कैसे समझाऊ...........

कृष्णा- चल हट जा, मुझे अब कुछ समझने की ज़रूरत नही है. आज से समझ लेना कि मैं तेरे लिए मर चुका हूँ.

राधिका- आपने आँसू पोछते हुए. भैया रुक जाइए ना प्लीज़ मैं आपके बगैर नही रह पाउन्गि.........

कृष्णा- एक शर्त पर ही रुकुंगा बोल जो मैं चाहता हूँ वो तू करने को तैयार हैं कि नही . अगर तेरा जवाब ना हैं तो मैं अब किसी भी हाल में यही नही रहूँगा.............

लगभग कुछ देर तक राधिका यू ही खामोश रहती हैं और अपनी गर्देन नीचे झुका कर ज़मीन की ओर देखती हैं.

कृष्णा- नीचे क्या देख रही हैं. मुझे तेरा जवाब चाहिए..................हा ..........या ............... नाअ..................

राधिका- भैया ये कैसी ज़िद्द मैं.....मैं तुम्हें कैसे समझाऊ............

कृष्णा- मुझे तेरा ज़बाब चाहिए. हां ...........या ......ना.............

राधिका- अपने आँखों से आँसू पोछते हुए.. ठीक हैं भैया अगर आपकी यही ज़िद्द हैं तो मैं आपके साथ वो सब करने को तैयार हूँ. अगर इसी में आपको खुशी मिलती हैं तो आइए आपका जो दिल में आए मेरे साथ कर लीजिए मैं आपको आब मना नही करूँगी. . आइए और अपनी हवस की आग को ठंडा कर लीजिए और तब तक जब तक आपका मन नही भरता.

इतना कहकर राधिका अपना दुपट्टा नीचे ज़मीन पर फेंक देती हैं और अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं. उसकी आँखो से अब भी आँसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे.

कृष्णा भी राधिका की बात को सुनकर लगभग शर्म से अपनी गर्देन नीचे झुका लेता हैं और धीरे से राधिका के करीब आता हैं.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका, मुझे ये शराब जीने नही देती, जब मैं नशे में होता हूँ तो मुझे कुछ पता ही नही चलता कि क्या सही है और क्या ग़लत. और तू है भी इतनी खूबसूरत कि जब भी मैं तुझे देखता हूँ अपना सब कुछ भूल जाता हूँ. मुझे ये भी ध्यान नही रहता कि तू मेरी बेहन है.
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#14
Update 9

कृष्णा भी अब राधिका के बिल्कुल करीब आ जाता है और उसके आँखों से बहते हुए आंसूओं को अपने हाथ से पोछता हैं.और झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता है.

कृष्णा- मैं सच में कितना गिरा हुआ इंसान हूँ ना राधिका. अपनी ही सग़ी बेहन के साथ मैने ऐसे कैसे सोच लिया.पर क्या करू ये ज़हर मुझे कुछ सोचने नही देती. मुझे ये भी पता नही चलता कि क्या सही हैं और क्या ग़लत.

और इतना बोलते बोलते कृष्णा के आँखों से भी आँसू छलक पड़ते हैं. वो भी फुट फुट कर रो पड़ता हैं. राधिका भी उसके आँखों से आँसू पोछती हैं और फिर उसे अपने सीने से लगा लेती हैं.

कृष्णा- राधिका अब मैं ये ज़हर को छोड़ना चाहता हूँ. मुझे तुम्हारा साथ चाहिए. बोलो दोगि ना मेरा साथ.

राधिका- भैया अगर जान भी माँग लेते तो भी मैं हॅस्कर दे देती. मैं वादा करती हूँ भैया हर रास्ते पर, हर सुख दुख में राधिका आपका साथ देगी.

इतना सुनकर कृष्णा, राधिका के माथे को चूम लेता हैं. और फिर उसके सीने पर सर रख कर उसके आगोश में लेट जाता हैं.

कृष्णा- मैं अपनी ज़िंदगी से बहुत थक गया हूँ राधिका. अब मैं भी इंसान बनना चाहता हूँ. अब मैं उस हरामी बिहारी की कभी गुलामी नही करूँगा. अपनी मेहनत से, और इज़्ज़त से कमाउन्गा और इस घर का पूरा खर्चा अब मेरी ज़िम्मेदारी होगी. तुझे आज के बाद मैं कोई भी दुख नही दे सकता.

राधिका-हां भैया मुझे ज़रा भी अच्छा नही लगता की आप उस बिहारी की गुलामी करो. यही ना कि हम अमीर नही हैं मुझे इस बात का कोई गम नही है ..........मैं इसी में खुस हूँ.

कृष्णा - राधिका सच में मुझे विश्वास नही होता कि तू मेरी बेहन हैं. काश तू मेरी बीवी होती तो मेरा जीवन सफल हो जाता. इतना कहकर कृष्णा मुस्कुरा देता हैं.

राधिका- क्या भैया आप भी ना, नही सुधरोगे, अगर मैं आपकी बीवी नही हूँ तो क्या हुआ अब मैं आपके लिए बीवी भी बनने को तैयार हूँ. लेकिन जब मैने अपने आप को आपके हवाले कर दिया तो आप पीछे क्यों हट गये. क्यों नशा उतार गया था क्या???

कृष्णा- मुझे रेप करना बिल्कुल अच्छा नही लगता.मैं नही चाहता कि तुम मज़बूरी में मेरे साथ सेक्स करो. मैं तो तुम्हें सिड्यूस करके पाना चाहता हूँ. देख लेना तुम बहुत जल्दी अपनी मर्ज़ी से अपने आप को मेरे हवाले करोगी. ये कृष्णा की ज़ुबान हैं..............

राधिका- ऐसा कभी नही होगा भैया. मैं आपसे कभी अपनी मर्ज़ी से सेक्स नही कर सकती. अगर जिस दिन ये बात सच हो गयी ना.............. फिर राधिका अपने आप को तुम्हारे कदमों में बिछा देगी..........................और अगर ऐसा नही हुआ तो जो मैं बोलूँगी वो आपको करना होगा.

कृष्णा- तो लग गयी शर्त. अगर तुम 2 हफ्ते के अंदर मेरे से खुद सेक्स करने को नही कहोगी तो जो तुम चाहो..............मगर मैं अगर शर्त जीत गया तो फिर.....................

राधिका- ठीक हैं भैया अगर आप शर्त जीत गये तो जो आपका दिल करे मुझसे करवा लेना. मैं आपको कभी किसी बात के लिए मना नही करूँगी.ये राधिका का वादा हैं..........................

कुछ देर में ऐसी बाते करते करते कृष्णा राधिका की गोद में ही सो जाता हैं और राधिका बहुत देर तक इसी उधेरबुन में फँसी रहती है कि उसने जो किया क्या वो सही था. .....................

फिर वो धीरे से कृष्णा को बेड पर सुला कर उसे कंबल से ढक देती हैं. और खाना बनाने किचन में चली जाती हैं.

आज उसकी ज़िंदगी का बहुत बड़ा दिन था. आज एक तरफ तो उसका प्यार उसे मिल गया था तो दूसरी तरफ उसका परिवार बनता सा नज़र आ रहा था. आज पता नही क्यों पर आज उसे अपने भैया पर बहुत प्यार आ रहा था. और वो काफ़ी खुश थी. उसके दिल से मानो बहुत बड़ा बोझ उतर गया था. वो भी खाना खा कर बिस्तेर पर लेट जाती हैं और उसके दिमाग़ में कयि तरह के सवाल अब भी घूम रहे थे. यही सब सोचते सोचते कब उसकी आँख लग गयी उसे पता भी नही चला.............................

सुबह वो जल्दी से उठकर नाश्ता बनाती है और कृष्णा भैया के कमरे में जाती है. देखती हैं कि वो अब भी सोए हुए हैं. वो जाकर उन्हें जागती हैं.

राधिया- भैया उठो ना कब तक सोते रहोगे. नाश्ता तैयार हैं.

कृष्णा- राधिका तू तो आज कमाल की लग रही हैं. आओ ना मेरे पास मेरे बाजू में आकर बैठ जाओ.

राधिका- क्यों घर का काम आप करोगे क्या. मुझे इस वक़्त बहुत काम हैं.

जैसे ही राधिका जाने के लिए मुड़ती हैं कृष्णा उसको एक झटके से अपनी तरफ खीच लेता हैं और वो कृष्णा के उपर गिर पड़ती हैं. कृष्णा राधिका के कमर में हाथ डाल देता हैं वो अपने से राधिका को चिपका लेता हैं.

राधिका- ये क्या कर रहे हो भैया. छोड़ो मुझे, भला कोई ऐसे भी अपनी बेहन के साथ करता हैं क्या.

कृष्णा- राधिका एक किस का तो मेरा हक़ बनता हैं. तुम मुझे रोज़ सुबह एक प्यारा सा किस दिया करो फिर मेरा दिन भी बहुत बढ़िया जाएगा.

राधिका- अगर नही दिया तो क्या कर लोगे. ....

कृष्णा- तो जबरजस्ति लूँगा.

राधिका- अच्छा आपको तो ज़बारजस्ति कोई भी चीज़ पसंद नही हैं ना फिर .................

कृष्णा- अगर ऐसे ही मेरे उपर सोई रहोगी तो सचमुच मुझे तुम्हरे साथ जबारजस्ति करनी पड़ेगी.

राधिका भी तुरंत अपने होश संभालती हैं और वो झट से कृष्णा के उपर से उठ जाती हैं.

कृष्णा- राधिका फिर जाने के लिए मुड़ती हैं तो कृष्णा राधिका के हाथ पकड़ लेता हैं और वो वही रुक जाती हैं.

राधिका- छोड़ो ना मेरा हाथ भैया. आपको ज़रा भी शरम नही आती.

कृष्णा- हाँ तुझसे कैसा शरमाना तू तो मेरी अपनी हैं. गैरों से परदा किया जाता हैं अपनों से नहीं.

राधिका- तो इसका मतलब अब मैं आपके सामने बिल्कुल बेशरम बन जाउ क्या. ???

कृष्णा- राधिका प्लीज़ एक किस ही तो माँग रहा हूँ ना. इससे ज़्यादा कुछ नहीं.बस तुम वो दे दो मैं तुम्हें छोड़ दूँगा.

राधिका- भैया मुझे बहुत शरम आ रही हैं. ये मैं नही कर सकती. प्लीज़ छोड़िए मेरा हाथ......

कृष्णा- देखो राधिका, कहीं ऐसा ना हो कि मेरा इरादा बदल जाए तो मैं कुछ और ना माँग लूँ. इस लिए ..............इतना बोलकर कृष्णा चुप हो जाता हैं.

राधिका- लगता हैं आप मुझे अपनी तरह पूरा बेशरम बनाने पर तुले हुए हैं. खुद तो बेशरम हो और अब...............

कृष्णा- तू बहुत नखरे करती है. इतना बोलकर कृष्णा तुरंत राधिका के होंठ पर अपनी ज़ुबान रख देता हैं और तुरंत ही वो किस करके अपना मूह हटा लेता है. राधिका इससे पहले कुछ समझ पाती वो किस करके हट चुका था.

राधिका- ये क्या किया आपने सच में आप बहुत गंदे हो. इतना बोलकर राधिका किचन में दौड़कर चली जाती हैं.

राधिका का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. उसका अपने जिंदगी में दूसरा किस था. एक तो राहुल के साथ और दूसरा अपने भैया के साथ.

ऐसे ही वक़्त बीत जाता हैं और राधिका तैयार होकर कॉलेज चली जाती हैं

कॉलेज पहुँच कर वो अपनी क्लासस अटेंड करती है और दोपहर के बाद वो और निशा बिल्कुल फ्री हो जाती हैं और वो दोनो एक गार्डेन में चली जाती हैं.

निशा- बता मेरी जानेमन क्या हाल खबर हैं.

राधिका- यार मुझे तुझसे एक बात करनी है समझ में नही आ रहा कि तुझे कैसे बताऊ.

निशा- ओह........हो......... क्या बात हैं आज तो आपके तेवर कुछ बदले बदले से लग रहे हैं. कहिए जान क्या बात हैं.

राधिका-राधिका थोड़ी देर इधेर उधेर की बातें करती हैं फिर वो उसे कृष्णा भैया वाली सारी बातें बता देती हैं. लेकिन राहुल वाली बातें छुपा लेती है.

निशा- राधिका!!! आर यू मॅड!!!!!!!!!!!! क्या तुम पागल तो नही हो गयी हो. भला ये कैसी शर्त तूने अपने भैया से लगा दी. यार तू ऐसा कैसे कर सकती हैं. आइ कान'ट बिलीव.???

राधिका- लगता हैं जैसे मैने कोई बहुत बड़ी गुनाह कर दी हैं जो तू ऐसे बोल रही हैं.

निशा- बेवकूफी कहूँगी मैं इसे. जानती भी है अगर कृष्णा भैया शर्त जीत गये तो क्या ............ तू भला ऐसे कैसे कर सकती हैं.

राधिका- चिंता मत कर कुछ भी हो जाए निशा मैं खुद कभी अपने मूह से भैया से सेक्स करने को नही कहूँगी.

निशा- तू जानती नही हैं ये मर्द लोग बहुत पहुँची चीज़ होते हैं. खास कर तेरे भैया. ना जाने कितनी रंडिया के साथ अब तक सो चुके हैं.

राधिका- निशा माइंड युवर लॅंग्वेज. मुझे मेरे भैया के बारे में ये सब बातें बिल्कुल पसंद नही है. प्लीज़..............चुप हो जाओ.

निशा भी चुप हो जाती हैं. और कुछ देर तक गहरा विचार करती हैं.

निशा- एक बात कहना चाहूँगी राधिका ये जान ले कि अगर तू शर्त हार गयी और वो सब तू अपने भैया के साथ करेगी तो समाज़ में तेरी कितनी बदनामी होगी इसका तुझे अंदाज़ा भी है.. तेरे भैया पर तो कोई भी उंगली नही उठाएगा मगर तेरा जीना मुश्किल हो जाएगा. किस किस को तू जवाब देगी, कितनो का मूह बूँद करेगी. बता.....................

राधिका- मुझे इस समाज़ से कोई लेना देना नही हैं. मुझे बस अपने भैया की चिंता हैं. वो बस सुधर जाए अगर इसके बदले उन्हें मेरी इज़्ज़त भी दाँव पर लगानी पड़े तो मैं तैयार हूँ. और हां अगर भैया मेरे साथ सेक्स करने को बोलेंगे तो मैं उन्हें मना भी नही करूँगी.

निशा- मुझे समझ नही आ रहा कि तू ऐसा क्यों करना चाहती हैं. आख़िर क्या मिलेगा तुझे ये सब करके. क्यों तू अपनी जिंदगी दाँव पर लगा रही हैं.......

राधिका- निशा तू चिंता मत कर देख लेना एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा मुझे पूरा विश्वास हैं.,राधिका मुस्कुरा देती हैं और निशा भी उसे गले लगा लेती हैं. और राधिका और निशा वापस घर चल देती हैं.

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जैसे ही राधिका घर आती हैं कृष्णा घर पर नही होता हैं. वो भी करीब 1 घंटे में वापस घर आ जाता हैं.

राधिका के लिए दो-धरी तलवार जैसी बात होने वाली थी. एक तरफ तो वो खुद कृष्णा भैया के हाथों में खुद को सौपना चाहती थी, वही दूसरी तरफ वो इकरार भी नही करना चाहती थी. पता नहीं क्यों पर कृष्णा भैया के करीब जाते ही वो एक दम मदहोश सी होने लगी थी. वो अपना सब कुछ भूल जाती थी. पता नही क्या बात थी उसके भैया में जो उसको बार बार उसके तरफ खींच रही थी.

राधिका- आरे भैया कहाँ गये थे आप आज इतनी देर कहाँ लगा दी.

कृष्णा- वो आज काम कुछ ज़्यादा था ना. इसलिए...

राधिका- आपको काम भी मिल गया क्या....

कृष्णा- हां जब मेहनत मज़दूरी ही करनी हैं तो काम की कमी हैं क्या. अगर बचपन में पढ़ लिख लिया होता तो ये मज़दूरी तो नही करनी पड़ती.

राधिका- एक दम से करीब चली जाती हैं और कृष्णा के हाथ को अपने हाथ में लेकर- भैया मुझे विश्वास ही नही हो रहा हैं कि आप मेरे लिए इतनी बदल सकते हैं. मैं आज बहुत खुस हूँ भैया. बोलो क्या सेवा करू आपकी.

कृष्णा- हां तो बस तू अपने मूह से हां बोल दे ना. मुझे समझ ले..................सब कुछ मिल जाएगा.

राधिका- भैया मैं आपको किसी भी चीज़ के लिए मना नही करूँगी. जो आपका दिल करे मेरे साथ कर लीजिए. और मैं आपको रोकूंगी भी नहीं. मगर मैं अपने मूह से खुद कभी नही कहूँगी. चाहे कुछ भी हो जाए..................

कृष्णा- अच्छा अगर यही तेरी ज़िद्द हैं तो मैं भी जब तक तेरे मूह से खुद ना कहलवा दूं मैं भी तेरे साथ सेक्स नहीं करूँगा. जब तू खुद आकर मेरे पास कहेगी तभी मैं तेरे साथ करूँगा.

राधिका- अच्छा आप मूह हाथ धो लीजिए मैं आपके लिए चाइ बना देती हूँ. और राधिका किचन में जाकर चाइ बनाने लगती हैं.

कृष्णा भी मूह हाथ धोकर किचन में राधिका के पीछे जाकर सॅट कर खड़ा हो जाता हैं. और राधिका चौक कर पीछे मुड़ती हैं.

राधिका- क्या है भैया आप वही बैठिए मैं चाइ लेकर आती हूँ.

कृष्णा- नही तुझे एक पल भी छोड़ने का दिल नही कर रहा. और फिर कृष्णा पीछे से राधिका के दोनो हाथों पर अपने दोनो हाथ रख देता हैं. और एक दम धीरे धीरे वो उंगली फेरना चालू कर देता हैं. राधिका की भी दिल की धड़कन एक दम तेज़ हो जाती हैं. और उखड़ी आवाज़ में बोलती हैं.

राधिका- भैया ..... मुझे कुछ....कुछ हो रहा है ...प्लीज़ आप ऐसे मत छुओ ...... ना मुझे.

कृष्णा- बताओ ना राधिका क्या हो रहा है तुम्हें. ज़रा मैं भी तो जानू.

राधिका- नही भैया मुझे शरम आ रही हैं. प्लीज़ मैं नही बता सकती. हटो मुझसे दूर ....

कृष्णा-अब जब तक तुम नही बताओगि तब तक ये हाथ नही रुकेंगे. और कृष्णा धीरे से अपनी गर्देन नीचे झुका कर राधिका की गर्देन पर अपने होठ रख देता है और धीरे से चूम लेता हैं. और राधिका एक दम सन्न रह जाती हैं.

राधिका अपनी आँखें धीरे से बंद कर लेती हैं और कृष्णा भी धीरे धीरे उसकी गर्देन से चूमता हुआ उसके कान तक पहुँच जाता हैं और राधिका के मूह से ज़ोर से सिसकारी निकल पड़ती हैं.

राधिका- आ.......हह.......प्लीज़ भैया, मुझे कुछ............ हो रहा हैं भैया.........प्लीज़ अब बस करो.........मैं मर जाउन्गि..........

कृष्णा- बोलो ना राधिका वही तो मैं जाना चाहता हूँ कि तुम्हें क्या हो रहा है.

राधिका कैसे बताए कि उसे क्या हो रहा था, लाख कोशिश करने के बाद भी उसके मूह से कोई शब्द बाहर ही नही निकल रहे थे. राधिका भी अब धीरे धीरे बहकती जा रही थी. अब धीरे धीरे उसके जिस्म से उसका कंट्रोल ख़तम हो रहा था. उसकी साँसें भी उखड़ने लगी थी. अगर ऐसे ही कुछ देर चलता रहा तो ...................

कृष्णा का भी हाथ धीरे धीरे राधिका के कंधे तक आ चुका था. और दूसरी तरफ वो राधिका के गर्देन को लगातार चूम रहा था. राधिका की भी आँखों में हवस सॉफ नज़र आ रही थी. मगर बहुत संघर्ष के बाद वो कृष्णा को अपने से दूर हटाने में सफल हो जाती हैं.

राधिका- लीजिए भैया चाइ बन गया. हटिए पीछे वरना चाइ गिर जाएगी.

तभी उसके घर का बेल बजती हैं .

कृष्णा जाकर डोर खोलता है. सामने उसका बाप (बिरजू) नशे में धुत था. वो लड़खड़ाते हुए घर के अंदर आता है और सोफे पर बैठ जाता है.

कृष्णा- कल रात तुम कहाँ थे बापू. रात भर घर नही आए.

बिरजू- अरे मैं वो बिहारी के वहाँ रुक गया था कल कुछ उसके वहाँ पार्टी थी,ना,. .......

बिरजू-और तू आज क्यों नही आया वहाँ पर. मालिक पूछ रहे थे तुझे.

कृष्णा- मुझे अब वहाँ उनकी गुलामी नही करनी है. अब मैं अपनी मेहनत मज़दूरी से इस घर को चलाउन्गा.

बिरजू- हंसते हुए.........ये तू कैसी बहकी बहकी बातें कर रहा है . तुझे क्या हो गया है कृष्णा .आरे वो ही हमारे माई बाप है.

कृष्णा- वो मैं नही जानता बस. अब मैं उसकी चौखट पर कदम नही रखूँगा.
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#15
Update 10

बिरजू- चल बेटा जैसी तेरी मर्ज़ी. मैं तुझे ज़्यादा दबाव नही दूँगा. तुझे जो करना हैं कर..

थोड़ी देर में उन्दोनो के बीच इधेर उधेर की बातें होती हैं और राधिका भी उनके लिए खाना ले आती हैं. तीनो मिलकर खाना खाते हैं और राधिका जैसे ही बिस्तर पर जाती हैं वो बहुत बेचैन सी होने लगती हैं. उसे दिल में आता हैं कि वो जाकर अपने भैया के पास अपना जिस्म सौप दे. मगर अभी उसे लगा कि सही वक़्त नही आया है. इसलिए वो उठकर ठंडा पानी पीती हैं और अपने साँसों को पूरा कंट्रोल करती हैं. बहुत कोशिश के बाद उसे नींद आ ही जाती हैं.

सुबह वो उठकर नाश्ता बनाती हैं और उसके बापू सुबह ही घर से बाहर निकल जाता हैं. और थोड़ी देर में कृष्णा भी काम पर चला जाता हैं. आज उसके बाप की वजह से राधिका आज बच गयी थी. नही तो आज कृष्णा भैया उसे ज़रूर परेशान करते. आज उसकी छुट्टी थी इसलिए वो आज घर पर अकेली थी सोच रही थी कि क्या करू. फिर वो नहाने चली जाती हैं.

इधेर विजय दिन-ब-दिन बेचैन होता जा रहा था. पता नही राधिका ने उसके उपर कैसा जादू कर डाला था. वो सुबह शाम हर रोज़ राधिका के नाम की मूठ मारा करता था. अब तो राधिका को पाने की जुनून उसके अंदर समा चुकी थी. वो किसी हाल में राधिका को पाना चाहता था. जब उसके सब्र का बाँध टूट गया तो वो फ़ौरन अपनी गाड़ी निकाल कर राधिका के घर के तरफ चल पड़ा....

कुछ देर में विजय एक गुलाब का फूल लेकर राधिका के मेन डोर पर खड़ा था. राधिका भी फ्रेश होकर घर में अकेली बैठी थी. तभी घर का बेल बजा. राधिका के चेहरे पर खुशी छलक पड़ी. उसे अंदाज़ा था कि पक्का राहुल ही होगा. वो दौड़ कर मैं डोर खोलती हैं.

सामने विजय को देखकर वो एक दम से चौक जाती हैं.

राधिका- आप................. यहाँ इस वक़्त.

विजय- क्यों राधिका नही आ सकता क्या . शायद तुम किसी और का वेट कर रही थी. आइ थिंक राहुल...................हैं ना.

राधिका- प्लीज़ आप इसी वक़्त यहाँ से चले जाइए.

विजय- कमाल हो मेडम इतनी दूर से तुमसे मिलने आया हूँ कम से कम पानी तो पिला दो. मैं चला जाउन्गा. और विजय अंदर आकर सोफे पर बैठ जाता हैं.

राधिका किचन में जाकर उसके लिए पानी ले आती हैं.

विजय- तुमको देख कर तो ऐसा नही लगता कि तुम ऐसे घर में भी रहती होगी. तुम्हारा इस घर में दम नही घुटता क्या.

राधिका- जी मैं इस घर में खुस हूँ .कहिए मुझसे क्या ज़रूरी काम था आपको.

विजय- सच कह रहा हू राधिका, क्या तुम इस घर में वाकई में खुस हो. मुझे तुम्हारी ये ग़रीबी देखी नही जाती. अगर तुम्हें मेरी मदद की ज़रूर हो तो.................

राधिका- नो थॅंक्स , बोल दिया जो आपको बोलना था. अब आप जा सकते हैं.

विजय- उपर वाला भी कमाल करता हैं, जिसको इतनी खूबसूरती दी उसको सजने, सवरने के लिए कुछ भी नही दिया ,बस ग़रीबी दे दी. और जिसको पैसे दिया उसको खूबसूरती नही दी. राधिका मैं तुमसे जी जान से प्यार करता हूँ. थाम लो मेरा हाथ मैं तुम्हें रानी बनाके रखूँगा. सच कहूँ मैने तुम जैसे लड़की कभी सपने में भी नही देखी है. तुम कमाल की खूबसूरत हो.

राधिका- गुस्से से लाल होते हुए. अगर आप राहुल के दोस्त नही होते तो मेरी सॅंडल अब तक आपका गाल को लाल कर चुकी होती. मैं बस इस लिए चुप हूँ कि आप उनके दोस्त हैं. और राहुल आपकी इज़्ज़त करता हैं. कहीं ऐसा ना हो कि मैं उसको आपकी सारी कर्तूते बता दूं तो सोच लीजिए फिर आपका क्या होगा..............

विजय- देखो राधिका मैं तुमसे प्यार से बात कर रहा हूँ तो तुम ऐसे मेरी ऐसे बे-इज़्ज़ती नही कर सकती. आखरी बार कह रहा हूँ कि मेरा हाथ थाम लो नही तो ..........

राधिका- अच्छा तो अगर मैने तुम्हारा हाथ नही थामा तो तुम अब जबर्ज़स्ति पर उतर आओगे. क्या कर लोगे बताओ.

विजय- गुस्से से चिल्लाते हुए. साली तुझे अपनी खूबसूरती पर बहुत गरूर हैं ना.... देख लेना एक दिन तेरी इज़्ज़त सबके सामने ऐसा उतारूँगा कि साली दुनिया को मूह दिखाने के काबिल नही रहेगी...

राधिका का एक ज़ोरदार तमाचा विजय के गाल पर पड़ता हैं और उसका गाल एक दम लाल हो जाता हैं. उसके बाद फिर राधिका उसके दूसरे गाल पर एक ज़ोरदार तमाचा फिर से जड़ देती हैं.

राधिका- आपकी भलाई इसी में हैं कि आप यहाँ से फ़ौरन चले जाइए वरना मैं अभी राहुल को फोन करके तुम्हारी सारी करतूत बता दूँगी.

विजय- जा रहा हूँ राधिका, जा रहा हूँ. लेकिन याद रखना ये थप्पड़ तुझे बहुत भारी पड़ेगा. तेरा तो मैं वो हाल करूँगा कि जब तक तू जिएगी आपने आप को कोस्ती रहेगी , हमेशा भगवान से यही दुआ करेगी की भगवान मुझे मौत दे दे.

राधिका- गेट आउट, यू रास्कल, आइन्दा मेरे सामने दुबारा आए तो तेरा मूह नोच लूँगी.

और विजय तुरंत घर से बाहर निकाल जाता हैं.

विजय मन में बार बार राधिका से प्रतिशोध लेने को कर रहा था. उसकी ज़िंदगी में कभी किसी ने ऐसी बेइज़त्ती नही की थी. और उसने सोच लिया था चाहे कुछ भी हो जाए अब वो राधिका को नहीं छोड़ेगा.

राधिका का भी मूड ऑफ हो गया था. फिर वो जाकर बिस्तर पर लेट जाती हैं और सोचती हैं कि आज मेरी खूबसूरती ही मेरी दुश्मन बनती जा रही हैं. सब इंसान चाहते हैं कि मैं खूबसूरत दिखू, सब मुझे ही पसंद करे, पर मेरा तो जीना मुश्किल होता जा रहा है..

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वहाँ से दूर बिहारी की हवेली में.

बिहारी की उमर करीब 50 साल . मोटा और वजह करीब 90 किलो के आस पास. देखने में बहुत बदसूरत चेहरा, मूह में पान चबाते हुए वो अपनी सीढ़ी पर से नीचे उतरते हुए आता हैं. वैसे वो इस सहर का एमलए हैं तो उसकी पहुँच भी बहुत दूर तक थी. इस वजह से कोई भी उससे जल्दी दुश्मनी नही लेता था. जो भी उसके खिलाफ जाता या तो वो उसको गायब करवा देता या फिर जान से मरवा देता. आस पास उसके चम्चे काफ़ी थे. वो अक्सर उन्ही लोग से घिरा रहता था.

बिहारी- का रे ससुरा तेरा बिटवा क्यों नही आ रहा हैं दो दिन से . तबीयत तो नही खराब हो गयी उसकी.

बिरजू- मालिक !! ऐसी कोई बात नही हैं. बस उसका दिल नही लग रहा हैं शायद इसलिए.???

बिहारी- अरे बिरजू देख ना हमारा जूता पर धूल लग गया हैं, चल जल्दी से इसको सॉफ कर दे,

बिरजू- जी मालिक, और अपने कपड़े से ही वो बिहारी के जूते सॉफ करने लगता हैं.

बिहारी-कहीं ऐसा तो नही हैं कि तेरी बेटी के पल्लू में जाकर छुप गया वो , बिहारी हंसते हुए बोला.

बिरजू- मालिक ये आप क्या बोल रहे हैं. कृष्णा ऐसा नही हैं.

बिहारी- मैं जानता हूँ मगर राधिका तो ऐसी चीज़ हैं ना.कसम से क्या बेटी पैदा किया हैं तूने.

बिरजू- मालिक बस आप चुप हो जाइए मुझे मेरी बेटी के बारे में ये सब सुनना अच्छा नही लगता.

बिहारी- अरे तेरी बेटी की तारीफ ही तो कर रहा हूँ. खैर अभी क्या कर रही हैं वो.

बिरजू- जी मालिक अभी पढ़ रही हैं,

बिहारी- क्या करेगा उसको पढ़ा लिखा कर, कोई कलेक्टर वल्लेक्टोर तो नही बनाना हैं ना.बस ब्याह कर के अपने पति का बिस्तेर गरम करेगी और क्या??

बिरजू- मालिक, बस भी कीजिए,

बिहारी- मैं तो कहता हूँ बिरजू कि तू अपनी लड़की की शादी मुझसे करा दे, पूरी ज़िंदगी उसको रानी बनाके रखूँगा. किसी चीज़ की कमी भी नही होने दूँगा. देख मेरे पास क्या नही है आज. बड़े बड़े लोग मेरे पाँव छूते हैं और मेरे जैसे आदमी को तो कोई भी बाप अपनी बेटी देना चाहेगा, चिंता मत कर दहेज मैं बिल्कुल नही लूँगा बल्कि तुझे मैं पैसों से तौल दूँगा.

बिरजू- मालिक ये नहीं हो सकता, मैं राधिका से इस बारे में कभी बात नही कर सकता, वो पहले से ही मेरी वजह से दुखी है. अब मैं उसको और दुख नही दे सकता.

बिहारी- ठीक हैं कोई बात नहीं इस बारे में मैं खुद ही उससे बात करूँगा.

बिरजू- नही मालिक मेरी बेटी को आप बक्ष दीजिए. हम जैसे हैं उसी में खुस हैं. वो आपका प्रस्ताव कभी नही मानेगी.

बिहारी ज़ोर से एक लात बिरजू को मारता हैं औ वो वही दर्द से बैठ जाता हैं- कुत्ता कहीं का!!! मेरी ही ख़ाता है और मुझसे ही ज़ुबान लड़ाता हैं. अगर तेरी बेटी मेरी नही हुई तो मैं उसे और किसी की होने भी नही दूँगा. उसकी भलाई इसी में है कि मुझसे शादी करले, नही तो कल को तेरी बेटी किसी कोठे की शान ज़रूर बनेगी.

बिरजू- मालिक आप तो पहले से ही शादी शुदा हो. और राधिका तो आपके बेटी जैसी हैं. मालिक मुझे माफ़ कर दो.....

बिहारी- कुत्ता ,तू बहुत कमीना है रे, अगर तू इस वक़्त ज़िंदा है तो बस तू अपनी बेटी की वजह से वरना अब तक मैं तेरा यहाँ पर लाश बिछा दिया होता.

बिरजू- मालिक आपको जो मेरे साथ सुलूख करना है कर लीजिए पर मेरी बेटी को छोड़ दीजिए.

बिहारी- तेरी बेटी हैं ही ऐसी मैं क्या करू. कसम से वो एक नशा हैं. कभी ना ख़तम होने वाला एक नशा

बिरजू- मालिक आप सीधे कृष्णा से क्यों नही बात कर लेते. अगर वो चाहे तो ............... इतना बोलकर बिरजू चुप हो जाता हैं.

बिहारी अच्छे से जानता था कि कृष्णा से इस बारे में बात करना खुद से बग़ावत करने के बारबार हैं. क्यों कि राधिका के तरफ जो आँख उठा के एक बार देख ले तो उसकी आँखे निकाल लेगा. और बिहारी कृष्णा से बेवजह उलझना नही चाहता था. क्यों कि वो किसी के दबाव में नही रहता था. भले ही वो अपनी बेहन से कैसे भी पेश आता हो मगर राधिका की तरफ उठने वाले हाथ को वो ज़रूर तोड़ सकता था.कृष्णा को भी भनक थी कि बिहारी की नज़र उसकी बेहन पर हैं मगर आज तक उसे कोई पक्का सुबूत नही मिला था.इस वजह से वो चुप था.

वही दूसरी तरफ उसके बाप को कोई दुनियादारी से कोई मतलब नही था. उसे तो बस पीने से मतलब था. उसके लिए चाहे पैसे कहीं से मिले. इसी बात का बिहारी उससे हमेशा फायेदा उठाता था. इसी वजह से उसी के सामने वो अक्सर राधिका के बारे में बात करता रहता. लेकिन जब कृष्णा होता तो वो राधिका की बात ग़लती से भी नही निकालता.

वही दूसरी तरफ राधिका भी तैयार होकर राहुल से मिलने चली जाती हैं. अभी कुछ देर पहले उसके मोबाइल पर राहुल का फोन आया था. थोड़ी देर में वो दोनो एक गार्डेन में मिलते हैं.

राधिका- बोलो आज कैसे मुझे याद किया. आख़िर तुम्हें मेरी याद आ ही गयी. हर वक़्त काम और सिर्फ़ काम . काम से फ़ुर्सत मिलेगी तब तो मुझे याद करोगे ना.

राहुल- आइ आम सॉरी डियर पर क्या करू आज कल मैं बिल्कुल टाइम नही निकाल पाता. कैसे भी करके आज समय मिला हैं.

राधिका- अभी से ये हाल हैं तो शादी के बाद तो मुझे भूल ही जाओगे.

राहुल- मर जाउन्गा राधिका पर तुम्हें भूल जाउ ये कभी नही हो सकता.

राधिका- अच्छा चलो , बातें बनाना तो कोई तुमसे सीखे. राहुल मुझे तुम्हारा दोस्त विजय बिल्कुल भी अच्छा नही लगता तुम क्यों नही छोड़ देते उसका साथ.

राहुल- क्यों क्या हुआ?? कुछ प्राब्लम हैं क्या???

राधिका- कुछ प्राब्लम होगी तब ही उसका साथ छोड़ोगे क्या. मैं तुमसे पहले भी कह चुकी हूँ कि वो मुझे बिल्कुल पसंद नही.

राधिका वो सारी बातें (विजय के साथ ) राहुल को नही बताती हैं जो सुबह हुआ था.

राहुल- छोड़ो ना यार तुम भी क्या लेकर बैठ गयी. आज कुछ स्पेशल करें क्या.???

राधिका- अच्छा तो जनाब आज क्या स्पेशल करना चाहते हैं ज़रा मैं भी तो सुनू.

राहुल- सोच रहा हूँ कि आज किसी अच्छे से होटेल में चलते हैं.

राधिका- सच में!!! लेकिन तुम्हें तो वो सब बिल्कुल अच्छा नही लगता फिर आज कैसे मूड बदल गया.

राहुल- ओह गॉड!!! तुम नही सुधरोगी , मैं तो ये कह रहा हूँ कि चलो चल कर किसी अच्छे होटेल में खाना खाने चलते हैं और तुम कुछ और ही समझ रही हो.

राधिका- तो पूरी बात बोलनी थी ना, अब मेरे पर क्यों भड़क रहे हो.

राहुल और राधिका नज़दीक एक होटेल में चले जाते हैं और राधिका खाने का ऑर्डर करती हैं. थोड़ी देर में खाना आ जाता हैं और दोनो खाना खाते हैं.

राहुल- वैसे कल मैने छुट्टी ले ली हैं. कल मैं तुम्हारे साथ अपना पूरा वक़्त बिताना चाहता हूँ.

राधिका- सच में!!! वैसे कल क्या हैं.

राहुल- अरे कल मेरी जान का बर्तडे हैं तो कल हम आपका बर्तडे सेलेब्रेट करेंगे. इतना सुनते ही राधिका खुशी से उछल पड़ती हैं.

राधिका- राहुल तुम्हें मेरा बर्तडे कैसे मालूम तुम्हें किसने बताया.

राहुल- अरे जान, पोलीस वाला हूँ तुम्हारी हर बात की खबर रखता हूँ. बोलो खुस हो ना. अपना बर्तडे मेरे साथ सेलेब्रेट करोगी ना......

राधिका- हां राहुल मैं कल सुबह तुम्हारे घर आउन्गि. फिर हम दोनो मिलकर सेलेब्रेट करेंगे.

राहुल- बोलो क्या प्रेज़ेंट चाहिए. जो कहोगी दूँगा.

राधिका- मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए राहुल. मैं बस यही चाहता हूँ कि तुम मेरे साथ जिंदगी भर रहो. मेरे पास. मेरे दिल में, मेरी आत्मा में, मेरी धड़कन में. मैं अपने जिस्म के हर रोम रोम में तुम्हें बसा लेना चाहती हूँ. आइ लव यू राहुल.

राहुल- वो तो ठीक हैं पर प्रेज़ेंट क्या चाहिए.

राधिका जो तुम्हारा दिल करे दे देना.

और कुछ देर बाद राहुल बिल पे करता हैं और राधिका को घर ड्रॉप करता हैं. राधिका सच में बहुत खुस थी. आज उसे लगा कि उसे जानत मिल गयी है. घर आकर वो नहाने चली जाती हैं और फ्रेश होकर खाना बनाने लगती हैं.

शाम को उसके भैया घर आते हैं और मूह हाथ धोकर उसके नज़दीक जाते हैं. और फिर राधिका के कंधे पर अपने दोनो हाथ रखकर उसकी गर्देन पर चूम लेते हैं. राधिका का दिल फिर ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता हैं.

राधिका- क्या भैया आप भी ना ,,,छोड़िए मुझे, आप तो दिन -ब-दिन बेशरम होते जा रहे हैं.

कृष्णा- अपनी बेहन के करीब ही तो हूँ. तो इसमें बेशरम की क्या बात हैं.

राधिका- भला कोई अपनी ही जवान बेहन के बदन को ऐसे छूता है क्या.आपको मालूम हैं ना आपके छूने से मेरे दिल पर क्या बीतति हैं.

कृष्णा- वही तो मैं जानना चाहता हूँ राधिका कि मेरे छूने से तुमको क्या होता हैं और कृष्णा धीरे धीरे अपने होंठ सरकाते हुए राधिका के कान से लेकर उसके लब तक पूरा चाटने लगता हैं.

राधिका भी अब धीरे धीरे बहकने लगती हैं. उसके निपल्स भी एक दम खड़े हो जाते है.

राधिका- बस करो भैया, मुझे कुछ हो रहा है मैं अब बर्दास्त नही कर पा रहीं हूँ.

कृष्णा-तो अपने मूह से एक बार बोल क्यों नही देती, जब तक तू नही बोलेगी मैं तुझे नही छोड़ूँगा.

राधिका- प्लीज़......... भैया क्यों मेरी जान लेने पर तुले हुए हो. भैया मैं बहक जाउन्गि प्लीज़.............

कृष्णा- मैं तो यही चाहता हूँ कि तू बहक जाए राधिका, पता नही क्यों तुझे देखकर तुझसे प्यार करने को जी चाहता हैं.

राधिका- तो मुझसे प्यार करो ना भैया मैने कब मना किया है, पर प्लीज़ ऐसे मत तडपाओ.

कृष्णा- जब तक तू अपने मूह से खुद नही कहेगी मैं तेरे साथ सेक्स नही करूँगा, ये कृष्णा की ज़ुबान हैं.................

राधिका- आख़िर मैने आपको पूरा छूट तो दे ही दी हैं आप चाहे तो मेरे पूरे जिस्म को छू सकते हैं, फिर ऐसा क्यों........

कृष्णा- तू नही समझेगी राधिका , जाने दे बस तू हां बोल दे बस .................

धीरे धीरे राधिका का भी जिस्म जवाब देता जा रहा था. उसे पता था ऐसे ही कुछ देर और चला तो वो अपना होश खो देगी और अपना सब कुछ भूलकर अपना जिस्म अपने भैया को सौप देगी.

लेकिन उसने ठान लिया था चाहे कुछ भी हो जाए वो अपनी वर्जीनीटी अपने राहुल को ही सौपेगी. क्यों कि वो राहुल से बे-इंतेहा प्यार करती थी और उसकी नज़रोमें में वो गिरना नही चाहती थी. इतना सोचकर वो कृष्णा भैया को अपने से दूर हटाने में सफल हो जाती हैं.

राधिका- बस भैया, रुक जाइए,अभी इसका सही समय नही आया हैं. जब वक़्त आएगा तो मैं खुद ही अपना जिस्म आपके हवाले कर दूँगी. ये राधिका का वादा हैं.

कृष्णा भी इतना सुनकर राधिका से दूर हट जाता हैं.

कृष्णा- मैं इंतेज़ार करूँगा राधिका. मुझे उस पल का बहुत बे-सबरी से इंतेज़ार रहेगा..
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#16
Update 11


तारीख 1-4-2009

जब सुबह राधिका की आँख खुलती हैं तो सामने वो अपने भैया को देखकर चौंक जाती हैं. उसके भैया बिस्तर से एकदम सटे बैठे हुए थे. और राधिका के जागने का इंतेज़ार कर रहे थे.

राधिका-भैया आप इतनी सुबह , आप मेरे कमरे में क्या कर रहे हैं.

कृष्णा- हॅपी बर्तडे राधिका. और कृष्णा उसके पास जाकर उसके माथे को चूम लेता हैं.

राधिका- आपको मेरा जनमदिन याद था क्या भैया. सच में मैं बहुत खुस हूँ. और राधिका कृष्णा के गले लग जाती हैं.

कृष्णा वही पर एक गिफ्ट पॅक निकल कर राधिका को थामता हुआ कहता हैं- ये लो तुम्हारा प्रेज़ेंट.

राधिका- लगभग खुशी से चीखते हुए इसमें क्या हैं भैया.

कृष्णा- खुद ही खोल कर देख लो, शायद तुम्हें पसंद आए.

राधिका- ऐसा तो हो नही हो सकता कि आपका दिया गिफ्ट मुझे पसंद ना आए. और राधिका वो गिफ्ट पॅकेट खोल कर देखती हैं. जैसे ही वो गिफ्ट खोलती हैं वो खुशी से खिल उठती हैं.

गिफ्ट में एक कीमती साड़ी जिसका कलर लाल था, जो कि बहुत ही खूबसूरत लग रहा था. और एक ग्रीटिंग कार्ड भी था. राधिका ग्रीटिंग निकाल कर पढ़ती हैं तो उसमें कृष्णा का हॅपी विश लिखी होती हैं जिसे पढ़कर राधिका के आँख से खुशी के आँसू छलक पड़ते हैं.

राधिका- सच में भैया आज मैं बहुत खुस हूँ. मुझे आपका प्रेज़ेंट बहुत अच्छा लगा.

और कृष्णा भी मुस्कुरा देता हैं.

कृष्णा- मैं चाहता हूँ कि तू शाम को ये साड़ी मेरे लिए पहने. मैं तुम्हें इस साड़ी में देखना चाहता हूँ.

राधिका- ठीक हैं भैया मैं आपकी ख्वाहिश ज़रूर पूरी करूँगी. और फिर राधिका कृष्णा के एक बार फिर गले लग जाती हैं.

थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी काम पर चला जाता हैं और राधिका भी झट से नहा धोकर तैयार होने लगती हैं. तभी उसका मोबाइल बजता हैं. फोन निशा का था. वो भी उसे हॅपी बर्तडे विश करती हैं और कुछ देर हाल चाल पूछकर फोन रख देती हैं. तभी फिर उसका मोबाइल पर कॉल आता हैं. इस बार फोन राहुल का था.

राहुल- मेरी जान हॅपी बर्तडे , मैं अभी थोड़ी देर में आ रहा हूँ तुम्हें लेने, तैयार रहना.

राधिका- तो जल्दी आओ ना, मैं भी कब से तुम्हारा वेट कर रही हूँ. और फिर वो फोन रख देती हैं.

थोड़े देर के बाद वो एक नया सूट पहन कर पूरी तरह से रेडी हो जाती हैं. कुछ ही मिनिट्स में राहुल भी आ जाता हैं.

राहुल उसे अपनी गाड़ी में बिठाकर उसे अपने घर की ओर ले जाता हैं. सुबह के 9 बज रहे थे इसलिए राहुल आज उसे पूरा समय देना चाहता था.

थोड़ी देर में वो दोनो राहुल के घर पहुँच जाते हैं. और राहुल के पीछे पीछे राधिका भी उसके घर में आ जाती हैं. घर पर रामू काका थे.

जैसे ही वो घर के अंदर पहुँची है वो घर को देखकर उसकी चेहरा खुशी से खिल उठता है. राहुल ने पूरे घर को सजाया हुआ था. जगह जगह बलून लगे हुए थे. कुल मिलाकर कमरा एक दम खूबसूरत लग रहा था.

राधिका- वॉट अ सर्प्राइज़ राहुल, मैने कभी सपने में भी नही सोचा था कि तुम मेरे लिए इतना सब कुछ..............

राहुल- तुम्हारे सिवा हैं की कौन मेरा जो मैं अब इतना भी नही कर सकता.

राधिका उसको अपने सीने से लगा लेती हैं. और अपना होन्ट राहुल के होंठ पर रखकर एक प्यारा सा किस देती है. आइ लव यू राहुल.वादा करो मेरा साथ तुम कभी नही छोड़ोगे .

राहुल- वादा करता हूँ राधिका ये हाथ मरते दम तक नही छोड़ूँगा. अब तो बस मुझे तुम्हारे लिए ही जीना हैं. तुमने ही तो मुझे जीना सिखाया हैं.

राधिका- मैं भी अब तुम्हारा साथ कभी नही छोड़ूँगी राहुल. चाहे कुछ भी हो जाए हमारा प्यार अब कभी कम नही होगा.

थोड़ी देर में वो नाश्ता करती हैं फिर राहुल राधिका को अपने गोद में उठाकर अपने रूम में ले जाता हैं.

राहुल- तुम्हारे लिए मैने कुछ प्रेज़ेंट भी लिया है, चलो चलकर दिखलाता हूँ.

राधिका- अब भी कुछ बाकी हैं क्या, इतना सब कुछ तो तुमने मुझे दिया ही हैं, अब क्या देने चाहते हो राहुल, जितना मैने सोचा था तुमने उससे कहीं ज़्यादा मुझे दिया है.

राहुल उसे एक बड़ा सा गिफ्ट पॅक देता हैं और राधिका को खोलने को बोलता हैं. वही पर एक बर्तडे केक भी रखा हुआ था कुछ देर में राधिका वो केक कटती हैं और फिर राहुल को अपने हाथों से खिलाती हैं.

राधिका फिर वो गिफ्ट पॅक खोलती हैं तो उसमें तीन साड़ी, और दो सूट थे. वो खुशी से राहुल को अपने गले लगा लेती हैं.

राधिका- इतने कपड़े खरीदने की क्या ज़रूरत थी राहुल, ये सब मुझे नही चाहिए राहुल. मुझे बस तुम्हारी ज़रूरत हैं.

राहुल- नही राधिका ऐसी बात नही हैं बस मेरा दिल किया ,और हां किसी के दिए गिफ्ट को मना नही करनी चाहिए.

राधिका- मुझे तुम्हारा गिफ्ट बहुत पसंद आया राहुल. आज का दिन मैं यादगार बनाना चाहती हूँ राहुल. हर एक पल मैं तुममें खोना चाहती हूँ.

राहुल- अब अपनी आँखें बंद करो मैं तुम्हें कुछ और भी देना चाहता हूँ.

राधिका भी चुप चाप अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और राहुल अपने पॉकेट में से एक हीरे की अंगूठी निकालकर उसकी उंगली में पहना देता हैं. फिर वो उसे अपनी आँखें खोलने को बोलता हैं.

राधिका को तो जैसे विश्वास ही नही होता कि राहुल उसके लिए इतना सब कुछ कर सकता हैं. वो बस एक टक राहुल की आँखों में देखती रह जाती हैं.

राधिका भी उसके सीने से लग जाती हैं और फिर वो उसके लब चूम लेती हैं.

राधिका- मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा हैं राहुल कि मेरा बर्तडे ऐसे भी कोई मुझे विश करेगा.

राधिका भी अब राहुल के करीब आती हैं और फिर धीरे से राहुल को बोलती हैं.

राधिका- मुझे और भी एक गिफ्ट चाहिए राहुल, बोले दोगे.

राहुल- अगर जान मग़ोगी तो भी दे दूँगा बोलो मेरी जान अब क्या चाहिए.

राधिका-राहुल अब मैं लड़की से औरत बनना चाहती हूँ. प्लीज़ मना मत करना मैं आज अपने आपको तुम्हारे हवाले करना चाहती हूँ. प्लीज़ राहुल मुझे पूरी तरह से अपना बना लो.

राहुल- ठीक हैं अगर यही तुम्हारी ख्वाहिश हैं तो आज मैं तुम्हें मना नही करूँगा. आज हमारा मिलन होगा,मगर जानती हो इसमें तुम्हें दर्द भी होगा, और मैं तुम्हारी आँखों में आँसू नही देख सकता.

राधिका- मैं तुम्हारी खातिर सब तकलीफें हंस कर सह लूँगी . मैं तैयार हूँ राहुल. मुझे बस तुम्हारा प्यार चाहिए.

थोड़ी देर मे राहुल बाहर चला जाता हैं और फिर आते वक्त वो अपने कमरे का दरवाजा बंद कर देता हैं. और राधिका के करीब चला जाता हैं.

अपने हाथ में एक लाल गुलाब लेकर राधिका को देता हैं और प्यार से कहता हैं आइ लव यू राधिका.

राहुल- विल यू लव मी???

राधिका एक दम से उसे अपने सीने से लगा लेती हैं और खुशी से उसके आँख से आँसू आ जाते हैं.

राधिका- अपनी जान से ज़्यादा तुम्हें चाहती हूँ राहुल, मर जाउन्गि मगर तुम्हारे उपर आँच तक नही आने दूँगी.

थोड़ी देर तक वो दोनो एक दूसरे की आँखों में देखते हैं और फिर राधिका और राहुल बेड पर जाकर बैठ जाते हैं.

राधिका- आओ राहुल मेरे एकदम करीब आओ ना, मुझे हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लो.

राहुल भी धीरे से राधिका के करीब आता हैं और उसकी गर्देन को चूम लेता हैं और वो फिर फिर बहुत धीरे धीरे वो अपने होंठ और जीभ उसकी गर्देन पर फिराने लगता हैं. अब राधिका भी धीरे धीरे मदहोश होने लगती हैं. फिर वो अपने होंठो को राधिका के होंठो पर रख देता हैं और फिर धीरे धीरे चूसना चालू कर देता हैं. कुछ देर तक वो राधिका के उपर उसके होंठो को चूस्ता हैं फिर धीरे से नीचले होंठ को भी चूसना शुरू कर देता हैं.

राधिका भी आपी आँखें बंद कर लेती हैं और वो राहुल में पूरी तरह खो जाती है. काफ़ी देर तक वो एक दूसरे के होंठ को चूमते हैं. फिर राधिका अपना हाथ बड़ा कर राहुल के हाथ में दे देती हैं और वो धीरे धीरे उसको हरकत देनी शुरू कर देती हैं. राहुल अब भी राधिका का होंठ चूस रहा था.

अब राधिका धीरे धीरे उसके हाथ को बढ़ाते हुए अपने चेहरे से लेजाति हैं और फिर गर्देन से होते हुए अपने सीने पर रख देती हैं और फिर अपना हाथ का दबाव तेज़ कर देती हैं.

राहुल भी अब राधिका के सीने पर हाथ रखकर उसे धीरे धीरे फिराने लगता हैं. कुछ देर में राधिका के निपल्स एकदम हार्ड होने लगते हैं और वो भी जोश में आने लगती हैं.

राहुल एकदम धीरे धीरे अपनी उंगली राधिका के निपल्स पर फिरा रहा था, और राधिका भी धीरे धीरे सिसकारी लेती जा रही थी उसकी आँखें एक दम लाल हो गयी थी. हवस सॉफ उसकी आँखों में छलक रही थी. राधिका अपने होंठ एक बार फिर राहुल के होंठो पर रख देती हैं और खूब तेज़ी से उसे चूसना चालू करती हैं. पहले धीरे धीरे फिर बहुत तेज़ी से अपने जीभ से उसके होंठों को चाटती हैं.

कुछ देर के बाद राहुल फिर से अपने होंठ राधिका की गर्देन पर रख देता हैं फिर धीरे से वो अपने होंठ फिराते हुए राधिका की गर्देन के पीछे से होता हुआ उसके पीठ तक चाट ता हैं. राधिका की आँखे अपने आप ही बंद होने लगती हैं. फिर वो उसका दुपट्टा उसके जिस्म से अलग कर देता हैं.

राधिका भी अब बिस्तेर पर लेट जाती हैं और राहुल को अपने उपर आने का इशारा करती हैं. राहुल जैसे ही राधिका के उपर आता हैं वो एक बार कस कर राधिका के निपल्स को अपने हाथो की दोनो उंगलियों से मसल देता हैं. और राधिका के मूह से आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह........ की कराह एक बार फिर निकल जाती हैं.

राहुल- क्या हुआ राधिका अभी तो आपके बूब्स को हल्का से मसला हैं तो आप इतना चीख रहीं हैं.अगर पूरे बदन को मैं रागडूंगा तो आपका क्या हाल होगा.

राधिका- राहुल मैं तो यही चाहती हूँ कि तुम मुझपर कोई तरस मत खाओ. जितनी बेहरमि से तुम मुझे रगड़ना चाहते हो रगड़ डालो. मेरी परवाह बिल्कुल मत करो.

राहुल- अरे आप तो हमारी जान हैं, और हमारी जान को तकलीफ़ होगी तो हमे भी दुख होगा. लेकिन क्या करे ये खेल ही ऐसा हैं इसमें जितना तकलीफ़ होती हैं उतना ही मज़ा आता हैं और मैं अपनी जान को आज पूरा जन्नत का मज़ा देना चाहता हूँ. बोलो दोगि ना मेरा पूरा साथ.

राधिका- हां राहुल मरते दम तक दूँगी, तुम्हारे दिल में जो आए तुम मेरे साथ करो ,मैं तुम्हें किसी भी चीज़ के लिए मना नही करूँगी. तुम्हारी मैं सारी इक्छाये पूरी करूँगी.

राहुल- फिर से उसके हाथ को अपने हाथ में ले लेता हैं और उसपर अपना जीभ फिराने लगता है. राधिका फिर से तड़प उठती हैं.

फिर वो राधिका को अपने उपर आने को बोलता हैं. और राहुल नीचे लेट जाता हैं. राधिका भी अब अपनी जीभ उसकी गर्देन पर रख देती हैं और धीरे धीरे वो नीचे की ओर बढ़ती हैं. फिर राधिका उसे शर्ट के बटन को अपने मूह में फँसाकर धीरे धीरे एक एक करके अपनी उंगली की मदद से खोलना चालू करती हैं.

कुछ देर में राहुल का शर्ट पूरा खुल जाता है. फिर राहुल उसे अपने जिस्म से अलग कर देता हैं. अब वो बनियान में था. राधिका को शरारत सुझति हैं और वो राहुल के लंड को पॅंट के उपर से ही पकड़ लेती हैं. राहुल के मूह से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. और राधिका मुस्कुरा देती हैं.

फिर वो धीरे से झुक कर अपने होंठ उसके पेंट के हुक पर रख देती हैं और फिर अपने हाथ लेजा कर खोल देती हैं और राहुल की ज़िप को अपने दांतो से खींचकर धीरे धीरे उसके पेंट की चैन को खोलती हैं. थोड़ी देर में उसका ज़िप पूरा खुल जाता हैं.

फिर अपने दोनो हाथ सरका कर राहुल की पेंट को उससे अलग कर देती हैं. अब राहुल सिर्फ़ अंडरवेर और बनियान में था. फिर राधिका उसके उपर झुककर अपनी पूरी जीभ उसके होंठ से लेकर उसके पाँव तक पूरा फिराती हैं. राहुल मस्ती में अपनी आँखें बंद कर लेता हैं. उसे इतना मज़ा आ रहा था कि लगा कि उसे जन्नत मिल गयी हो.

फिर वो राधिका को अपने नीचे लेटा देता हैं वो फिर से अपने जीभ राधिका के मूह में डाल देता हैं. कुछ देर तक ऐसे चूसने के बाद वो धीरे धीरे चाट ते हुए उसकी गर्देन से होते हुए उसके निपल्स के उपर अपनी जीभ रख देता हैं. राधिका की भी मस्ती में आँख बंद होने लगती हैं. फिर वो कुछ देर ऐसे ही चाट ता हैं फिर उसकी लेफ्ट चुचि को अपने दाँत में कसकर काट देता हैं और राधिका के मूह से सिसरी निकल जाती हैं.

राधिका- आउच.................... क्या राहुल धीरे से नही काट सकते थे क्या, मारूँगी अगर दुबारा ऐसा किए तो.............लेकिन सच तो ये था कि राधिका की चूत पूरी गीली होने लगी थी. उसे लग रहा था कि उसकी पैंटी भीग गयी हैं.

फिर राहुल अपने दोनो हाथ राधिका के बूब्स पर रखकर उसे कस कर मसल देता हैं.

राहुल- राधिका कसम से ये तुम्हारे बूब्स बहुत खूबसूरत हैं. जी करता हैं इन्हे ऐसे ही प्यार करूँ.

राधिका- तो करो ना राहुल मैने तुम्हें कब रोका हैं. जब तक तुम्हारा जी ना भरे इन्हें ऐसे ही मसलो.

फिर वो राधिका को उठाता हैं और उसका सूट को धीरे धीरे उपर करने लगता हैं. राधिका भी अपने हाथ उपर कर देती हैं और राहुल धीरे धीरे सूट राधिका के जिस्म से अलग कर देता हैं. अब राधिका सिर्फ़ वाइट ब्रा में राहुल के सामने थी.

राहुल बड़े गौर से राधिका को घूर कर देखता हैं. और उसके ऐसे देखने से राधिका भी शरमा जाती हैं.

राधिका- ऐसा क्या देख रहे हो राहुल. मुझे शरम आ रही हैं.

राहुल- कसम से राधिका जितनी खूबसूरत तुम हो उतना ही तुम्हारा बदन. मैने आज तक ऐसा हुस्न कभी नही देखा. तुम तो बूढ़ो का भी खून गरम कर सकती हो.

फिर वो नीचे झुक कर राधिका के बूब्स को अपने हाथों में कसकर मसल देता हैं. राधिका की चूत से लगातार पानी रुकने का नाम ही नही ले रहा था.

फिर वो उसके पाजिमी का नाडा खोल देता हैं और उसे भी धीरे धीरे सरका कर राधिका के जिस्म से अलग कर देता हैं. अब राधिका सिफ्र ब्रा और पैंटी में थी. नीचे उसने काली वाइट पैंटी पहनी थी. राहुल फिर से उसके सर से लेकर पाँव तक अपनी पूरा जीभ फिराता हैं और राधिका की सिसकारी बढ़ने लगती हैं.

राधिका- राहुल प्लीज़ जल्दी करो ना नही तो मैं मर जाउन्गि. प्लीज़ अब मुझे बर्दास्त नही हो रहा.
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#17
Superb!
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#18
(20-09-2019, 01:14 AM)bhavna Wrote: Superb!

Thanks 

repps added
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#19
Update 12

फिर वो अपना हाथ नीचे सरकाते हुए राधिका का चूत को अपनी मुट्ठी में कसकर भींच लेता हैं. राधिका फिर से सिसक पड़ती हैं.

अब राहुल को भी बर्दास्त नही होता और वो पीछे अपने हाथ लेजा कर उसके ब्रा के हुक खोल देता है. और फिर एक हाथ नीचे लेजा कर उसकी पैंटी भी उसके जिस्म से अलग कर देता हैं. राधिका थोड़ा विरोध करती हैं मगर राहुल के हाथों को नही रोकती हैं.

अब राधिका राहुल के सामने एक दम नंगी थी. वो झट से अपना हाथ अपने चेहरे पर रख लेती हैं. आज वो अपनी जिंदगी में पहली बार किसी मर्द के सामने पूरा नंगी हुई थी. राहुल को तो जैसे होश ही नही रहता राधिका के हुस्न को देखकर वो तो लगभग खो जाता हैं.

लगता हैं. और फिर एक हाथ नीचे लेजा कर उसकी चूत पर रख देता हैं. राधिका के तो होश ही उड़ जाते हैं.

राधिका- क्यों तुम मेरी जान लेने पर तुले हुए हो राहुल मेरा सब्र अब बिल्कुल टूट चुका है. मुझे जल्दी से प्यार करो नही तो........

राहुल- नही तो .................क्या....... बोलो ना राधिका क्या हो जाएगा.

राधिका- मुझे शरम आती हैं. मैं तुमसे नही कह सकती.

राहुल- बताओ ना इस वक़्त यहाँ पर सिर्फ़ हम दोनो के सिवा कोई नही हैं. अब मुझसे कैसी शर्म.?????

राधिका- मेरे अंदर आग लगी हैं राहुल. प्लीज़ ..........................

राहुल- जान ज़रा खुल कर बताओ ना कैसे होता हैं प्यार. कैसे किया जाता हैं प्यार.

राधिका- तुम तो सच में बेशरम हो. और मुझे भी बेशरम बनाने पर तुले हुए हो.

राहुल- इसमें बेशरमि की क्या बात हैं प्लीज़ जान हर बात को खुलकर कहो ना. जितना तुम मुझसे खुलकर कहोगी उतना ही इस खेल में मज़ा आएगा.

राधिका भी जान गयी थी कि राहुल ऐसे नही मानने वाला इस लिए उसने भी सोच लिया कि अब वो उसके लिए पूरी बेशरम बनेगी.

राधिका- ठीक हैं राहुल अगर तुम्हारी ख्वाहिश यही हैं तो यही सही. मैं तुम्हारे लिए ये भी करूँगी.

राहुल- तो खुलकर बोलना, जहाँ जहाँ मैं हाथ रखूँगा तुम्हारे बदन पर तुम्हें उसका नाम बताना हैं.

राधिका भी अच्छे से समझ रही थी कि राहुल उससे क्या कहलवाना और क्या सुनना चाहता हैं.

फिर राहुल अपनी उंगली उसके एक निपल्स पर रख देता हैं और राधिका की ओर इशारा करता हैं.

राहुल- बताओ ना मेरा उंगली इस वक़्त कहाँ पर हैं. राधिका के लिए ये इतना आसान नही था मगर फिर भी वो अपनी साँस थामते हुए कहती हैं.

राधिका- राहुल मेरे निपल्स को कस कर मसलो ना. मुझे आज पूरा बेशरम बना दो.

फिर धीरे धीरे वो अपना हाथ उसकी चूत पर रख देता हैं.

राधिका- प्लीज़ राहुल मैं ये शब्द नही बोल सकती , मुझे बहुत शर्म आ रही हैं.

राहुल- बोलो ना जान क्यों इतना शरमाती हो, भला अपनों से कोई ऐसे शरमाता हैं क्या.

राधिका- राहुल उसे वेजाइना कहते हैं.

राहुल- अरे मेरी जान अपनी भाषा में बोलो ना, हिन्दी में.

राधिका-च............चूत. ?? इतना बोलकर राधिका एक दम से शरमा जाती हैं.

राहुल- अरे वाह तुम्हें तो सब पता हैं. थोड़ी देर में वो अपना हाथ अपने लंड पर रख देता हैं और राधिका की तरफ़ इशारा करता हैं.

राधिका- प्लीज़ राहुल अब मुझसे नही होगा. मैं शरम से मर जाउन्गि. रहने दो ना.

राहुल- नही जब तक हम आपस में पूरा खुल ना जाए सेक्स का मज़ा नही आएगा.

राधिका को अब बोलना ही पड़ता हैं- इसे लंड कहते हैं.

राहुल- बताओ ना राधिका इसका क्या काम हैं.??

राधिका- इसे तुम मेरी चूत में डालकर मुझे प्यार करोगे.

राहुल- प्यार नही चुदाई बोलो.

राधिका- हां चुदाई..............

राधिका का चेहरा एक दम शरम से लाल हो गया था. आज उसने अपनी जिंदगी में पहली बार किसी मर्द के सामने ये सब शब्द कहे थे. वो तो निशा से अक्सर बातों बातों में कहती थी मगर आज हालत दूसरे थे.

फिर राहुल अपना मूह उसके निपल्स में लेकर चूसना शुरू कर देता हैं और राधिका फिर से मचल उठती हैं.

राधिका- प्लीज़ राहुल बस भी करो क्या आज मेरी जान लेकर रहोगे क्या. क्यों तुम मेरे सब्र का इम्तहान ले रहे हो. कहीं ऐसा ना हो कि मेरा सब्र टूट जाए और मैं पूरा बेशरम बन जाउ.

राहुल-यही तो मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिए पूरी बेशरम बन जाओ.

फिर वो नीचे झुक कर उसके पेट पर जीभ फिराते हुए उसकी चूत पर होंठ रख देता हैं औ राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

राधिका- बस राहुल................अब नही बर्दास्त होता...........

राहुल धीरे धीरे उसकी चूत के होल पर अपनी ज़ुबान फिराने लगता हैं और राधिका एक दम बेचैन हो जाती है.

राधिका- हां राहुल मेरी चूत को पूरा चाटो, उसे पूरा अपने मूह में ले लो राहुल.

राहुल भी करीब 10 मिनिट धीरे धीरे उसकी चूत को पूरा चाट ता हैं और फिर उसके क्लीस्टोरील्स को अपने दाँत में पकड़कर धीरे धीरे उसपर जीभ फिराता हैं. थोड़ी देर में राधिका कंट्रोल के बाहर हो जाती हैं और आपनी जिंदगी में उसका पहला ऑर्गॅनिसम हो जाता हैं.

राधिका- आह...........................हा राहुल........................अब............बस...........

राधिका इतना बोलकर एक दम से बिस्तर पर पसर जाती हैं और अपनी आँखे बंद करके राहुल को अपने सीने से लगा लेती हैं.

थोड़ी देर के बाद ...........

राधिका- आइ लव यू राहुल. आओ अब मुझे पूर औरत बना दो. मैं तैयार हूँ.

राहुल भी अपना बनियान और अंडरवेर पूरा निकाल देता हैं और राधिका उसके लंड को देखकर एक कुटिल मुस्कान उसके चेहरे पर आ जाती हैं. राहुल का लंड करीब 7 इंच और 2.5 इंच मोटा था.

फिर वो राधिका को अपना लंड छूने को बोलता हैं. और राधिका भी धीरे से उसके लंड के करीब आती हैं और हल्का सा जीभ उसके लंड पर फिराती हैं. राहुल को एक झटका लगता हैं.

राहुल- मेरा लंड को पूरा अपने मूह में लेकर चूसो ना राधिका. इसे प्यार करो ना.

राधिका भी धीरे धीरे उसके लंड के टोपा पर अपनी ज़ुबान रख देती हैं और एक दम धीरे धीरे उसको चाटना शुरू करती हैं. पहले वो कुछ देर तक उसका टोपा चुस्ती हैं फिर वो नीचे झुक कर उसके दोनो बॉल्स पर अपना जीभ फिराती हैं और राहुल मस्ती में खो जाता हैं. उसके मूह से भी तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

थोड़े देर में राहुल का लंड पूरा गीला हो जाता हैं अब राधिका भी धीरे धीरे उसको अपने मूह में लेती हैं. और तेज़ी से आगे पीछे चूसना शुरू आर देती हैं. करीब 15 मिनिट की चुसाइ के बाद राहुल का शरीर अकड़ने लगता हैं और और वो अपना हाथ राधिका के सर पर रखकर अपने लंड पर प्रेशर बनाता हैं.

थोड़ी देर में उसके लंड से वीर्य निकल जाता हैं और राधिका को इससे पहले कुछ समझ में आता, उसका मूह वीर्य से पूरा भर जाता हैं.

राधिका बुरा सा मूह बनाकर कुछ वीर्य अपने अंदर ले लेती हैं और कुछ नीचे गिरा देती हैं. उसे बड़ा अजीब सा स्वाद मिला था. कुछ नमकीन सा खट्टा सा. राहुल का वीर्य उसके होंठ से टपकता हुआ उसके गले से होता हुए उसके सीने तक आ जाता हैं. फिर वो एक कपड़े से सॉफ करती हैं.

थोड़ी देर में फिर राधिका राहुल के लंड को अपने मूह में लेकर चुस्ती हैं. कुछ देर में उसका लंड अकड़ जाता हैं और उसका हथ्यार तैयार हो जाता हैं.

राहुल- नीचे सो जाओ जान , अब वक़्त आ गया हैं तुम्हें लड़की से औरत बनाने का. लेकिन इसके लिए तुम्हें कुछ दर्द होगा. सह लोगि ना दर्द मेरी खातिर.

राधिका- हां राहुल मैं तैयार हूँ तुम मेरी चिंता मत करना. बस डाल दो.

राहुल भी धीरे से अपना लंड का निशाना राधिका की चूत पर फिक्स करता हैं और धीरे धीरे उसपर प्रेसर डालने लगता हैं. मगर उसका लंड नही जाता हैं.

राहुल वही तेल की शीशी को लेकर अपने लंड पर लगाता हैं और कुछ राधिका की चूत के होल पर भी लगा देता हैं.

थोड़ी देर में फिर वो कोशिश करता हैं इस बार राधिका की चूत में राहुल का लंड करीब 2 इंच चला जाता हैं और राधिका की तेज़्ज़ सिसकरी निकल जाती हैं. आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था.

फिर राहुल अपना लंड बाहर खींच लेता हैं और फिर एक दम तेज़ी से एक झटके में पूरा लंड राधिका की चूत में डाल देता हैं. राधिका के मूह से एक ज़ोरदार चीख निकल जाती हैं और उसकी आँखो से आँसू बहने लगते हैं. राहुल का लंड करीब 4 इंच तक राधिका की चूत में समा चुका था. उसका कुँवारापन भी अब टूट गया था. उसकी चूत से खून की धारा बाहर निकलना शुरू हो गयी थी.

राधिका दर्द से बहुत बेचैन थी. उसे ऐसा लग रहा था कि किसी ने उसकी चूत में कोई चाकू डाल दिया हो. राहुल कुछ देर तक अपना लंड को वही रहने देता हैं और फिर अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं और फिर तेज़ी से अंदर डाल देता हैं. इस बार फिर राधिका के मूह से ज़ोरदार चीख निकल पड़ती हैं. उसके आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे.

राहुल करीब 5 इंच तक राधिका की चूत में अपना लंड पेल चुका था. फिर से वो एक बार निकालता हैं और इस बार पूरे प्रेशर से तुरंत अंदर डालता हैं. इस बार राधिका की चूत राहुल का लंड को पूरा निगल लेती हैं.

राधिका फिर से चीखती हैं . अब राहुल का पूरा लंड राधिका की चूत में था. करीब 5 मिनिट तक वो ऐसे ही रहने देता हैं और फिर धीरे धीरे वो आगे पीछे करने लगता हैं. अब राधिका को दर्द की जगह कुछ मज़ा आना शुरू हो जाता हैं. उसके मूह से भी सिसकारी निकलनी शुरू हो जाती हैं. कुछ देर में राधिका खुद अपनी चूत आगे पीछे करने लगती हैं और राहुल भी उसे थाम लेता हैं और वो उसके निपल्स को लगातार अपने हाथो में लेकर मसलता हैं.

लगभग 15 मिनिट की चुदाई के बाद राहुल के लंड पर प्रेसर बढ़ जाता हैं और राधिका भी ऑर्गॅनिसम के करीब पहुच जाती हैं. और वो उसकी चूत में ही अपना पूरा वीर्य छोड़ देता हैं और तुरंत राधिका के उपर पसर जाता हैं. राधिका का भी ऑर्गॅनिसम हो जाता हैं. दोनो की साँसें बहुत तेज़ चल रही थी. और दोनो आपस में एक दूसरे से लिपटकर एक दूसरे के उपर लेट जाते हैं.

कुछ देर तक वो दोनो अपने साँसों को कंट्रोल करते हैं फिर राधिका बाथरूम चली जाती हैं. थोड़ी देर में फिर उनकी चुदाई शुरू हो जाती हैं और करीब 3 बजे तक राहुल 3 बार राधिका की चूत मारता हैं. राधिका भी करीब 5 बार झाड़ चुकी थी. वो आज बहुत खुस थी.

राहुल और राधिका कुछ देर में अपने कपड़े पहनते हैं और कुछ देर इधेर उधेर की बातें करते हैं.

राहुल उठकर वही ड्रॉयर में से एक सिंदूर का पॅकेट राधिका के पास ले कर आता हैं और संजोग या उसकी बदक़िस्मती कि वो सिंदूर उसके हाथ से छूट कर नीचे फर्श पर बिखर जाता हैं.

राधिका का दिल ज़ोर से धड़कने लगता हैं. वो ये बात अच्छी से जानती थी कि सिंदूर का ऐसा गिरना कोई अप्शगुन का संकेत हैं. हो ना हो हमारा मिलन शायद भगवान को भी मंज़ूर नही हैं.

राहुल- पता नही ये कैसे नीचे गिर गया.

राधिका- ये अप्शगुन हैं राहुल. ये अच्छा नही होता ,ऐसे सिंदूर नीचे फर्श पर बिखर जाना.

राहुल- तुम भी ना राधिका ये क्या पुराने ख़यालों में विश्वास रखती हो. भला ऐसा भी कहीं होता हैं क्या.

राधिका- हां राहुल तुम मानो या ना मानो पर ये संकेत हमारे लिए अच्छा नहीं हैं.

राहुल- जब तुम मुझे चाहती हो और मैं तुम्हें तो फिर हमारे बीच अब कोई तीसरा नही आ सकता. और इतना कहकर राहुल राधिका को अपने गले लगा लेता हैं.

लेकिन राधिका के दिल में एक अजीब सा डर जनम ले चुका था.वो जान चुकी थी कि ज़रूर कुछ ना कुछ ऐसा हमारे साथ होने वाला हैं जो हमारी ज़िंदगी में बहुत बड़ा तूफान ला सकता हैं.

राधिका का अंदाज़ा करीब सही ही होने वाला था क्यों कि वाकई उसकी ज़िंदगी में एक आने वाला तूफान था जो उसकी ज़िंदगी पर भारी पड़ने वाला था.

राधिका भी करीब 5 बजे अपने घर आ जाती हैं. उसकी चाल में भी आज बदलाव आ गया था. तीन बार की चुदाई से उसकी चूत में दर्द हो रहा था. लेकिन उसे सबसे ज़्यादा चिंता थी तो इस बात की , कैसे वो सिंदूर नीचे फर्श पर गिर गया था. क्या हमारे भगवान भी हमे मिलाना नही चाहते. ये सब सोचकर उसका दिल बैठा जा रहा था.

जैसे ही वो घर पर आती हैं उसके भैया अभी भी घर पर नही आए थे. वो झट से नहा धोकर कृष्णा की लाई हुई साड़ी पहन लेती हैं. वो वाकई में किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह प्यारी सी लग रही थी.

थोड़ी देर में कृष्णा भी आ जाता हैं.

कृष्णा आज नशे में फुल था. वो लड़खड़ाते हुए घर के अंदर आता हैं और सीधा सोफा पर आकर बैठ जाता हैं.

राधिका- ये क्या भैया आज आपने फिर से शराब पी रखी हैं.

कृष्णा- क्या करू राधिका ये शराब मुझे जीने नही देती, बहुत कोशिश करता हूँ मगर ये साली छूटती नहीं. अब तो लगता हैं कि मेरे मरने के बाद ही छूटेगी.

राधिका- प्लीज़ भैया, ये सब मत बोलिए, मैं आपकी शराब छुडवाउन्गि.

कृष्णा- नही राधिका ये शराब इतना आसानी से पीछा नही छोड़ती. तुम्हारे बस में नही हैं ये सब.

राधिका- पर भैया कोशिश तो आप कर ही सकते हो ना.

कृष्णा एक टक राधिका को सर से पाँव तक घूर कर देखता हैं और फिर मुस्कुरा कर कहता हैं.

कृष्णा- अरे मेरी बेहन, सच में तू तो किसी परी जैसी लग रही हैं.इन सारी में तो तू बहुत सुन्दर लग रही हैं.

राधिका- इसलिए भैया आज मेरे जनम पर शराब पी कर आए हो, अपनी बेहन के लिए शराब तक आप नही छोड़ सकते. है ना..

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका, मुझे तेरा दिल तोड़ने का इरादा बिल्कुल भी नही था. चल कोई बात नही मैं अभी तेरा बर्तडे विश करूँगा.

राधिका- भैया आप प्लीज़ पहले नहा लीजिए, नहाने के बाद आपका नशा कुछ कम हो जाएगा.

कृष्णा- तू सच कह रही हैं. मैं अभी नहा कर आता हूँ. फिर हम दोनो मिलकर बर्तडे विश करेंगे.

कृष्णा झट से अपना शर्ट और पेंट वही राधिका के सामने उतार देता हैं. और फिर उसके तुरंत बाद वो अपनी बनियान और अंडरवेर भी निकाल कर वही फेंक देता हैं. राधिका जब उसको ऐसी अवस्था में देखती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं.

राधिका- भैया.........ये... आप.....क्या कर .............रहे हैं.......आपके कपड़े.

कृष्णा- तेरे से क्या शरमाना तू तो मेरी अपनी हैं. चल ना बाथरूम में ज़रा नल खोल दे.

राधिका का दिमाग़ कुछ काम नही करता हैं. वो एक टक अपने भैया को बिल्कुल नंगा अपने सामने देखकर उसकी हालत खराब हो जाती हैं. आज पहली बार उसने अपने भैया को ऐसी अवस्था में देखा था. उसके भैया का लंड करीब 10 इंच का था और करीब 3 इंच मोटा. इस वक़्त कृष्णा का लंड सोई हुई अवस्था में भी करीब 4 इंच का लग रहा था.

राधिका का गला सूखने लगता हैं और वो थूक को निगलते हुए कहती हैं.

राधिका- भैया प्लीज़ कम से कम अंडरवेर तो पहन लीजिए. आप को तो सच में शरम नही आती.

कृष्णा राधिका का हाथ को पकड़ता हुआ उसे बाथरूम में ले जाता हैं और शवर ऑन कर देता हैं . जैसे ही शवर का पानी नीचे गिरने लगता हैं राधिका का भी बदन भीगना शुरू हो जाता हैं .

राधिका- मैं भीग जाउन्गि भैया, आप नहा लीजिए मैं बाहर ही हूँ. और राधिका जैसे ही बाहर जाने के लिए मुड़ती हैं कृष्णा उसका हाथ पकड़ लेता हैं.

कृष्णा- मेरी बेहन, आज मैं तेरे साथ नहाना चाहता हूँ, क्या तू अपने भैया की ये इच्छा पूरा नही करेगी.

राधिका- भैया,प्लीज़ आप इस वक़्त नशे में हैं इस लिए आप को नही मालूम कि आप क्या बोल रहे हैं.

कृष्णा भी आप पूरा भीग चुका था और राधिका की साड़ी भी उसके जिस्म से एक दम चिपक गयी थी. और वो और भी खूबसूरत लग रही थी.और उसका जिस्म इस वक्त कयामत का रूप ले चुका था. जिसकी वजह से कृष्णा के लंड में धीरे धीरे हलचल होने लगी थी.

राधिका- प्लीज़ भैया, ये सब ठीक नही हो रहा हैं. प्लीज़ आप मुझे जाने दीजिए नही तो ...........

कृष्णा- तू चिंता मत कर राधिका मैं तेरा रेप नही करूँगा. बस तू मेरा लंड को ठंडा कर दे बस. मुझे और कुछ नही चाहिए.

राधिका- भैया ये आप क्या बोल रहे हैं. भला मैं कैसे ये सब कर सकती हूँ.

कृष्णा- तू बस इसे अपने मूँह में लेकर चूस कर मेरा माल निकाल दे बस. विश्वास कर राधिका मैं इससे आगे तेरे साथ कुछ नही करूँगा. और वैसे भी तू तो मुझे पूरी छूट दे ही चुकी हैं तो तू क्यों बेकार में बहस कर रही हैं.

राधिका भी एक नज़र कृष्णा की आँखों में देखती हैं और कृष्णा को बोलती हैं.

राधिका- सोच लो भैया एक बार फिर से, बाद में कहीं ऐसा ना हो कि पछताना पड़े.

कृष्णा- राधिका विश्वास कर मेरा मैं तेरे बदन को हाथ भी नही लगाउन्गा, बस तो एक बार मेरा लंड पूरा चूस कर मेरा माल निकाल दे.

राधिका- वैसे भैया एक बेहन को इससे बढ़िया बर्तडे गिफ्ट और क्या मिल सकता है, चूसने को अपने ही भाई का लंड................

राधिका- ठीक हैं भैया अगर आपकी यही इच्छा हैं तो मैं आपको रोकूंगी नहीं .

राधिका कुछ देर इसी उधेरबुन में फँसी रहती हैं कि क्या ये सब सही हैं. क्या मुझे ये सब करना चाहिए. दुनिया वाले क्या कहेंगे, अगर मैने दुनिया की परवाह की तो मेरे भैया का क्या होगा. जो अब मेरे लिए इंसान बनना चाहते हैं ,क्या वो मेरे लिए आपने आप को बदल देंगे. जो भी हो मेरे परिवार की लगाम अब मेरे हाथों में हैं. और मैं किसी भी सूरत में अपने भैया को फिर नरक में नही धकेल सकती. मैं इनकी शराब छुडवाउन्गि, अगर नही छोड़ सके तो मैं शराब को आपना लूँगी. चाहे जैसे भी हो मुझे हर हाल में अपने भैया का ख्याल रखना हैं.

लेकिन एक तरफ़ तो राहुल हैं. अगर वो मेरे और भैया के नाजायज़ संबंध को अगर जान गया तो क्या होगा. क्या वो मुझे अपना लेगा.या मुझे वो अपनी जिंदगी से निकाल देगा, मैं आज ऐसे मज़धार में फँसी हुई हूँ कि एक तरफ़ तो पहाड़ तो दूसरी तरफ खाई.

एक तरफ़ राहुल हैं तो दूसरी तरफ कृष्णा. अगर मैं कृष्णा को अपना बदन सौपुंगी तो राहुल की नजरो में बेवफा कहलाउन्गा. अगर मैं अपने भैया की इच्छा नही पूरी करती तो वो फिर से उस हरामी बिहारी की गुलामी करेगा, और दिन ब दिन शराब सिगरेट, सब नशा फिर से शुरू कर देगा. आज मुझे फ़ैसला लेना ही होगा कि एक तरफ कृष्णा और दूसरी तरफ राहुल.

नही नही मैं दोनो को नही छोड़ सकती.दोनो मेरी ज़िंदगी हैं. मुझे किसी भी हाल में अपना परिवार और अपना प्यार दोनो बचाना हैं इसके लिए अगर मुझे ही अपनी कुर्बानी देनी पड़े तो मैं आपने आप को भी कुर्बान कर दूँगी. मगर दोनो पर आँच तक नही आने दूँगी.

राधिका बहुत देर तक इसी उधेरबुन में फँसी रहती हैं उसे लाख सोचने पर भी कुछ समझ नही आता कि वो क्या करे. अब तो वो सब अपने नसीब पर छोड़ने का फ़ैसला कर लेती है चाहे जो भी हो, जैसे भी हो मेरी किस्मत उपर वाले के हाथ में हैं.
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#20
Update 13


राधिका को ऐसे सोच में डूबा देखकर कृष्णा एक टक उसको बड़े प्यार से देखता रहता हैं. राधिका इस समय पूरा भीग चुकी थी. उसकी साड़ी पूरे उसके जिस्म से चिपक गयी थी. उसे गान्ड और दूध पूरी तरह से गोल गोल शेप में दिख रहे थे जो किसी का खून गरम करने के लिए काफ़ी थे. और कुछ देर में कृष्णा का लंड भी अपना आकार ले चुका था.

कृष्णा- किस सोच में डूब गयी हो राधिका?? कोई बात हैं क्या??

राधिका को कृष्णा की आवाज़ सुन कर जैसे वो किसी नींद से जागती हैं और एक दम से हड़बड़ा जाती हैं.

राधिका- वो.........नही भैया क.....कोई बात नहीं.

कृष्णा- देख राधिका अगर तेरा मन ये सब करने का नहीं हैं तो मैं तुझे कभी मज़बूर नही करूँगा. मैं तो बस यही चाहता हूँ कि तू खुद अपनी मर्ज़ी से ये सब करे. मैं तुझे सिड्यूस करके पाना चाहता हूँ.

राधिका- ऐसी कोई बात नहीं हैं भैया . पर क्या ये सब ठीक रहेगा आपको क्या लगता हैं. क्या दुनिया इसे सही मानेगी. क्या कोई बेहन अपने ही भाई का बिस्तेर गरम कर सकती हैं.कभी नही भैया दुनिया कभी हमारे रिश्ते को नही मानेगी. आप पर तो कोई भी उंगली नही उठाएगा मगर मैं किस किस का मूह बूँद करूँगी. ये दुनिया ये समाज मुझे जीने नहीं देगा. बोलो हैं आपके पास इसका कोई जवाब.???

कृष्णा- क्या राधिका तुम भी ना फिर से वही बात लेकर बैठ गयी. ये दुनिया और ये समाज़ का काम ही हैं बस बोलना. बोलने दो. मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता.

राधिका- लेकिन मुझे फ़र्क पड़ता हैं भैया. आपको क्या मालूम कि, औरत की ज़िंदगी इतनी आसान नही होती. अगर कल को कोई लड़की शादी होकर अपने ससुराल जाती हैं और उसके पति की किसी आक्सिडेंट में मौत हो जाती हैं तो दुनिया लड़के को नही दोष देती. उल्टे लड़की पर हज़ारों उंगली उठाती हैं. कि लड़की अप्शगुनि हैं तो डायन , आते ही अपने पति को खा गयी, और पता नहीं क्या क्या...............

कृष्णा- लेकिन तुझपर जो उंगली उठाएगा उसका मैं हाथ तोड़ दूँगा. जिसने भी तेरे बारे में कुछ बोला साले की ज़ुबान काट दूँगा.

राधिका- भैया ये सब इतना आसान नही हैं. मैं इस वक़्त ये सब नही कर सकती भैया मुझे अभी और वक़्त चाहिए. प्लीज़ मेरी बात का बुरा मत मानना. मैं अभी इसके लिए तैयार नहीं हूँ.

कृष्णा भी राधिका के करीब जाता हैं वो उसे अपने सीने से लगा लेता हैं. उपर से शवर का पानी में वो दोनो पूरी तरह से भीग जाते हैं . कृष्णा उसके माथे को चूम लेता हैं .

कृष्णा- ठीक हैं राधिका, मैं तुम्हें पाने के लिए कुछ पल तो क्या ज़िंदगी भर इंतेज़ार करने को भी तैयार हूँ. मुझे उस पल का बहुत बेसब्री से इंतेज़ार रहेगा.

राधिका की आँखो से आँसू छलक पड़ते हैं और वो कस कर कृष्णा को अपने सीने से लगा लेती हैं.

राधिका- अब ऐसे ही पूरा नंगे रहोगे क्या. आपको तो शरम हैं नही , ये भी नही मालूम कि घर पर एक जवान बेहन भी हैं.

कृष्णा- मुस्कुराते हुए , हां पता हैं अरे तू तो मेरी ही खून हैं ना. जब मैं तुझे अपना समझता हूँ तो तुझसे किस बात का शरमाना .

राधिका- बस बस बहुत हो गया आप इस वक़्त बाथरूम से बाहर चले जाइए और चुप चाप जाकर अपने कपड़े पहेन लीजिए.

कृष्णा झट से बाहर निकल जाता हैं और जाकर दूसरे कपड़े पेहेनने लगता हैं तभी उसके घर का बेल बजता हैं. बेल सुनकर राधिका और कृष्णा के होश उड़ जाते हैं. वो जल्दी से अपने कपड़े पहनता हैं और जाकर दरवाजा खोलता हैं. सामने निशा खड़ी थी.

निशा- भैया, राधिका घर पर हैं क्या???

कृष्णा-हां , आओ ना अंदर अभी वो नहा रही हैं.

निशा घर के अंदर आती हैं और वही सोफे पर बैठ जाती हैं.

थोड़ी देर के बाद राधिका भी अपने कपड़े बदल कर एक नया सूट पहनकर निशा के पास आती हैं.

निशा- कहाँ थी अब तक मेडम??? फोन भी लगाने पर तुम रिसीव नहीं करती और आज कॉलेज क्यों नही आई. मैं आज सुबह से ही तेरा वेट कर रही थी.

कृष्णा-क्या??? राधिका तुम आज कॉलेज नही गयी, पर क्यों???

राधिका- हां वो भैया मेरी तबीयत आज कुछ ठीक नही लग रही ही. तो दिन भर मैं आज घर पर सोई थी.

निशा उसको घूर कर देखती हैं वो अच्छे से जानती थी कि राधिका कभी कॉलेज गोल नहीं करती हैं. चाहे उसका तबीयात ही क्यों ना खराब हो??

कृष्णा भी थोड़े देर वहाँ रुक कर बाहर निकल जाता हैं.

राधिका- यार तू थोड़ी देर अपना मूह नही बूँद रख सकती थी क्या???

निशा- यार आज तेरा बर्तडे हैं. तुझे अच्छे से पता हैं कि मैं तेरा बर्तडे हमेशा से विश करती चली आ रही हूँ. फिर भी तू आज कॉलेज नहीं आई. बात कुछ और हैं राधिका तू मुझसे कुछ छुपा रही हैं.

राधिका- नही निशा सच में.............कोई बात नही हैं..

निशा- एक बात और बता तू आज कुछ परेशान लग रही हैं बात क्या हैं??? मैने तुझे इतने टेन्स में कभी नही देखा.

राधिका- नही निशा, बिलिव मी यार ऐसी कोई बात नहीं हैं..

निशा- एक बात कहूँ मैने अभी देखा हैं कि कृष्णा भैया भी अभी अभी नहा कर बाहर निकले हैं और तू भी इस वक़्त नहा कर आ रही हैं. और मैं जानती हूँ कि तेरे घर में सिर्फ़ एक ही बाथरूम हैं. क्या जो मैं समझ रही हूँ कहीं वो बात तो नहीं हैं ना.

इतना सुनते ही राधिका के चेहरे का रंग एक दम उड़ जाता हैं और वो झट से अपना सिर नीचे झुका लेती हैं. बस निशा को सब समझ में आ जाता हैं.

निशा- राधिका तेरा दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया ना. क्यों तू अपने ही जिंदगी से खिलवाड़ कर रही हैं. पता भी हैं आगे जाकर इसका क्या अंजाम होगा.

राधिका-प्लीज़ निशा मुझे बस मेरे हाल पर छोड़ दे. मैं जैसे भी हूँ ठीक हूँ.

निशा- मेरी आँखों में देखकर बता राधिका कि जो तू ये सब कर रही हैं क्या ये सब तुझे ठीक लगता हैं. भला तू अपने ही भैया से वो सब कैसे कर सकती हैं. क्या तेरी आत्मा इस बात की गवाही नही देती कि.............

राधिका-बस कर निशा , मैं ये सब बिल्कुल सुनना नहीं चाहती, प्लीज़ चुप हो जा.

निशा- मुझे विश्वास नही होता कि तू वही राधिका हैं जो कल तक तुझे जो भी आँख उठा कर देख लेता था तू उसका बॅंड बजा देती थी तो आज क्या हो गया हैं तुझे. क्यों आज अपने ही बदन को अपने ही भाई के हवाले करना चाहती हैं. क्यों तू अपने आप को बर्बाद करना चाहती हैं.

राधिका- बोल ले निशा जितना जी में आए मुझे बोल ले, मैं तुझे आज एक शब्द भी नही बोलूँगी.

निशा- ठीक हैं राधिका ये ले मेरा गिफ्ट अब मैं चलती हूँ हो सके तो तू मुझे माफ़ कर देना. आज के बाद मैं तुझसे कभी नही मिलूंगी.

राधिका की आँखो से आँसू निकल पड़ते हैं और वो झट से निशा का हाथ पकड़ लेती हैं.

राधिका- मुझे माफ़ कर दे निशा मेरा ये इरादा नहीं था कि तुझे दुख पहुँचे. राधिका अपने आँखों से आँसू पोछते हुए बोली.

निशा- प्लीज़ राधिका मुझे जाने दे. मैं अब तेरे साथ कोई भी रिश्ता नही रखना चाहती प्लीज़ लीव मी..............

राधिका- अगर तू इस वक़्त यहाँ से चली गयी तो मेरा मरा हुआ मूह देखेगी. और तू जानती हैं कि मैं बोलती नही करती भी हूँ.

निशा के बढ़ते कदम इतना सुनकर रुक जाते हैं और फिर वो राधिका के करीब आती हैं.

निशा- तू क्यों ऐसा कर रहीं हैं. क्यों तू अपने ज़िंदगी बर्बाद करने पर तुली हुई हैं.आख़िर क्या जताना चाहती हैं तू.... ....मेरी बात मान राधिका अब भी कुछ नहीं बिगाड़ा हैं वक़्त रहते सम्भल जा. वरना कल को तेरी शादी हो गयी और तेरे ससुराल वालों को इस बात की भनक भी लग गयी तो तेरा ज़ीना मुश्किल हो जाएगा.

राधिका- जाने दे ना निशा मैं सब कुछ अपने नसीब पर छोड़ चुकी हूँ. अगर मेरे नसीब में गिरना ही लिखा हैं तो मुझे गिरने से कोई नहीं बचा सकता.

निशा- नसीब वासीब कुछ नही होता राधिका. यहाँ पर इंसान खुद अपनी तकदीर बनाता हैं और बिगाड़ता हैं. आज भी सब कुछ तेरे हाथों में हैं. आगे तेरी मर्ज़ी ....................

फिर कुछ देर के बाद दोनो नॉर्मल होते हैं और कृष्णा भी घर पर आ जाता हैं और फिर दोनो मिलकर राधिका का बर्तडे सेलेब्रेट करते हैं. राधिका भी उसे अपने घर पर खाना खिलाती हैं और फिर निशा करीब 7 बजे अपने घर चली जाती हैं.

निशा के जाने के बाद वो उसका गिफ्ट पॅक खोलती हैं उसमें एक लाल डायरी था.जिसे देखकर राधिका का चेहरा ख़ुसी से खिल उठता हैं. .....

राधिका कुछ देर में घर का सारा काम ख़तम करके, बिस्तर पर लेट जाती हैं. उसकी आँखों में नींद कोसो दूर थी. जैसे ही वो बिस्तेर पर लेट ती हैं उसके आँखों के सामने सुबह से अब तक की पूरी घटनायें याद आने लगती हैं. जो भी हो आज उसका दिन वाकई में यादगार बन गया था. सुबह उठाते ही भैया का सर्प्राइज़ प्रेज़ेंट, फिर दिन भर राहुल के साथ वो हसीन पल और शाम को भैया के साथ वो घटनायें सब कुछ उसकी नज़र के सामने घूमने लगता हैं.काफ़ी देर तक ये सब सोचते सोचते उसको नीद आ जाती हैं.

सुबह जब उसकी आँख खुलती हैं तो वो झट से फ्रेश होती हैं और नाश्ता बनाकर अपने कॉलेज के लिए निकल पड़ती हैं. थोड़ी देर में उसके बाप और भैया दोनो बाहर निकल जाते हैं.

पोलीस स्टेशन में.................

इधेर राहुल भी सुबह 9 बजे अपने पोलीस हेडकार्टर पहुँच जाता हैं. उसके थोड़ी देर के बाद ही ख़ान भी जीप से उतरकर उसके सामने आता हैं.

ख़ान- गुड मॉर्निंग सर!!!!

राहुल- वेरी गुड मॉर्निंग ख़ान भाई , कहिए क्या हाल समाचार हैं.

ख़ान- सर एक बहुत ज़रूरी बात करनी थी आपसे. मामला बहुत गंभीर हैं.

राहुल- बोलो ख़ान क्या बात हैं??

ख़ान- सर कल रात में करीब 10 बजे एम.जी चौक पर पोलीस मुठभेड़ में दो बदमाश मारे गये हैं . और सर हमारे कॉन्स्टेबल रघु के हाथ में भी गोली लगी हैं. अभी वो हॉस्पिटल में अड्मिट हैं. और ख़तरे से बाहर हैं.

राहुल- क्या???? इतना सब कुछ हो जाने पर तुम अभी मुझे ये रिपोर्ट दे रहे हो. कल नही बता सकते थे क्या???

ख़ान- सॉरी सर आपने कल छुट्टी ली थी तो मैने आपको डिस्टर्ब करना सही नही समझा.

राहुल- चलो कोई बात नही लेकिन आगे से मुझे तुरंत रिपोर्ट मिलनी चाहिए. और हां उन बदमाशों का कुछ पता चला क्या,, कौन थे वो?? और उनका मकसद क्या था.

ख़ान- सर कल रात मे हमने एम.जी रोड पर नाकाबंदी कर रखी थी. इतने में ये दोनो बदमाश अपनी मोटरसाइकल से आए और आते ही हम पर फाइरिंग कर दी. जवाब में हमे भी गोली चलानी पड़ी. और ये दोनो मारे गये.

राहुल- इनके पास कुछ समान मिला हैं क्या कोई आइ.डी या कुछ????

ख़ान- हां सर इनके पास ड्रग्स के कुछ पॅकेट्स थे. और एक रेवोल्वेर भी मिला हैं. जिससे ये लोग हम पर हमला किए थे.

ख़ान- और सर इनका पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से ये भी पता चला हैं कि ये दोनो बहुत दिनो से ड्रग्स के अडिक्ट थे. और ये शायद इसका धनदा भी करते थे. और एक चौकाने वाली बात भी पता चली हैं.

राहुल- कौन सी बात??

ख़ान- सर हम ने इस रेवोल्वेर की पूरी आइडेंटिफिकेशन निकाली हैं. ये रेवोल्वेर किसी डॉक्टर के नाम से इश्यू हैं. पर सर नाम और अड्रेस जाली हैं. और हां सर आप पर जो 5 महीने पहले जो हमला हुआ था वो गोली इसी रेवोल्वेर से चलाई गयी थी.

अब चौकने की बारी राहुल की थी.

राहुल- क्या बकते हो ख़ान ??

ख़ान- हां सर हमने पूरी रिपोर्ट टेस्ट करवाई हैं और जिससे ये 100% प्रूफ होता हैं की ये गोली इसी रेवोल्वेर की हैं. ख़ान रिपोर्ट देते हुए बोला.

राहुल- तो इसका मतलब जो गोली मुझपे चलाई गयी थी और जो गोली रघु को लगी हैं वो दोनो सेम हैं. और एक ही रेवोल्वेर से चलाई गयी हैं. इसका मतलब ये कोई बहुत बड़ी साज़िश रची गयी हैं. यानी कि ये दोनो सिर्फ़ मोहरे थे. इनका असली मालिक कोई और हैं.

ख़ान- हां सर आपने बिल्कुल सही पहचाना .

राहुल- पूरे सहर में रेड अलर्ट घोषित कर दो. सहर से जानी वाली सारी गाड़ियों की अच्छे से तलाशी लो. मुझे किसी भी हाल में ये ड्रग्स का धंधा करने वाले गिरोह को पकड़ना हैं. उसके बाद उन सालों की ऐसी मौत मारूँगा कि मौत भी शरमा जाएगी.

फिर थोड़ी देर के बाद राहुल खुद जाकर उनका मुआइना करता हैं. और फिर इस केस की तहक़ीकात शुरू कर देता हैं.

वहाँ से दूर ...................बिहारी के गेस्ट हाउस में.

विजय- नमस्कार बिहारी जी.

बिहारी- आओ आओ विजय कैसा चल रहा हैं धंधा पानी.

विजय-आपको तो सब पता हैं कि कल रात हमारे दो आदमी मारे जा चुके हैं और पोलीस भी अब आक्टिव हो गयी हैं. जगह जगह नकबंदी भी लगा रखा है. अब तो समझ लो कि धंधा बिल्कुल बंद हो गया हैं.

बिहारी- तो इसमें मैं क्या कर सकता हूँ. ऐसे ऐसे नमूने लोगो को रखोगे अपने धंधे में तो यही होगा ना.

विजय- प्लीज़ बिहारी जी आप कैसे भी करके इस सिचुयेशन को हॅंडल कर लीजिए.वरना वो हरामी राहुल को अगर भनक भी लग गयी कि ड्रग्स का गॅंग लीडर मैं ही हूँ तो साला मुझे ज़िंदा दफ़न कर देगा.

बिहारी- मैं इस वक़्त कुछ नहीं कर सकता. अभी एलेक्षन का टाइम हैं और मैं अपनी रेप्युटेशन नही खराब करना चाहता. बेहतर इसी में हैं कि तुम कुछ दिनो तक अपना धंधा बंद कर दो. जब हालत सुधर जाएँगे तो देख लेंगे.

विजय- बिहारी तुम मेरे दोस्त हो इसका मतलब ये नही कि तुम केवल अपना ही फ़ायदा निकालो. आज जो तुम्हारी पोज़िशन हैं सब मेरी बदौलत हैं. और आज भी तुम मेरे बगैर ये एलेक्षन जीत नहीं सकते. तो अब मुझे नही लगता कि अब मुझे तुमसे इस बारे में कोई बात करनी चाहिए. बाकी तुम खुद समझदार हो.

बिहारी- ठीक हैं ठीक हैं. मैं कुछ सोचता हूँ. लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा.

विजय- बोल ना बिहारी तुझे क्या चाहिए.

बिहारी- तू तो जनता ही हैं ना मेरी कमज़ोरी. लड़की चाहिए मुझे चोदने के लिए. ना कि रंडी.

विजय- अरे यार अब तेरे लिए मैं लड़की का कहाँ से इंतज़ाम करू. ठीक हैं मैं कुछ सोचता हूँ.

विजय मन ही मन बिहारी को गाली देता हैं. साला मदर्चोद देख लेना किसी दिन कुत्ता ये लड़की के चक्कर में साला बर्बाद हो जाएगा. साला 50 साल का हो गया मगर ऐय्याशि साले की दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही हैं. अपना तो फँसेगा साला कहीं मुझे भी ना ले डूबे.

कुछ देर तक उन दोनो में ऐसी ही बात होती हैं फिर दोनो वहाँ से निकल जाते हैं अपने अपने रास्ते.

विजय - अब मदर्चोद के लिए लड़की कहाँ से ले आऊ. साला रंडी माँगता तो मैं काजीरी से बोलकर लाइन लगा देता. और अब मेरी नज़र में तो कोई लड़की.............................एक दम से विजय को कुछ याद आता हैं और उसके चेहरे पर मुस्कान फैल जाती हैं...........................................................हैं एक लड़की तो है...........

दूसरे दिन जब राधिका कॉलेज पहुँचती हैं तो वही पर कॅंटीन में निशा भी बैठी मिलती हैं. वो उसके पास जाकर बैठ जाती हैं.

निशा- आ गयी जान. मैं तेरा ही इंतेज़ार कर रही थी.

राधिका- हां तुझे तो मेरे बिना एक पल भी चैन ही नही मिलता.शुक्र हैं कि मैं तेरी सहेली हूँ वरना बाय्फ्रेंड होती तो ......... इतना कहकर राधिका मुस्कुरा देती हैं.

वही थोड़े दूर पर दो लड़के आपस में बात कर रहे थे और वो उनकी बात सुन लेते हैं तभी एक बोल पड़ता हैं

पहला- यार हम क्या मर गये हैं. हमे अपना बाय्फ्रेंड बना लो कसम से मज़ा आ जाएगा.

दूसरा- यार हमारी भी रातें रंगीन हो जाएगी और तुम्दोनो की भी.बोलो ना क्या कहती हो.

जैसा कि निशा ने उम्मीद की थी कि राधिका इस बार ज़रूर उनका बॅंड बजाएगी मगर अब झटका लगने की बारी उन लड़कों की नही बल्कि निशा की थी.

राधिका- यार निशा चलो ना कहीं और चलते हैं.

निशा- एक दम से हैरत से देखते हुए- राधिका!!! ये तू बोल रही हैं मैं बिल्कुल विश्वास नही कर सकती!!! ओह गॉड आइ कॅन'ट इमॅजिन!!!!

राधिका- इसमें हैरत की क्या बात हैं. प्लीज़ चलो ना यहाँ से.

निशा उठकर उन्दोनो के करीब जाती हैं और जाकर वही खड़ी हो जाती हैं.

निशा- हां तो आप क्या बोल रहे थे ज़रा मैं भी तो सुनू.निशा एक दम गुस्से होकर और उन्दोनो को घूर कर बोली..

निशा के ऐसे तेवर देखकर दोनो लड़के चुप चाप वहाँ से सॉरी बोल कर निकलने लगते हैं. लेकिन जवाब में निशा उन्दोनो को एक एक थप्पड़ गाल पर मार देती हैं.

निशा- हम कमज़ोर नहीं हैं. और हमे कमज़ोर समझने की ग़लती भी मत करना. आज के बाद किसी ने हम से ऐसी बातें भी की तो साले का मूह नूच लूँगी.

और कुछ देर में महॉल पहले जैसा हो जाता हैं. इतना सब कुछ होने के बाद भी आज राधिका पहली बार एक भी शब्द नही बोली थी.

निशा भी चुप चाप राधिका के पास जाकर बैठ जाती हैं. और उसकी आँखों से आँसू का एक सैलाब बहने लगता हैं.

राधिका- प्यार से निशा के कंधे पर हाथ रखकर- क्या ज़रूरत हैं तुझे ऐसे लड़कों से उलझने की.

निशा- मर गयी निशा!!! आज से मैं तेरी कोई नही राधिका, प्लीज़ लीव मी अलोन!!!

राधिका एक टक उसको देखती हैं फिर से अपना हाथ उसके हाथ में रख देती हैं

राधिका- आख़िर बताएगी भी कि बात क्या है. तू मुझसे ऐसे क्यों पेश आ रही हैं.आख़िर तू रो... क्यों रही हैं???

निशा- ये बात मुझे तुझसे पूछनी चाहिए कि आख़िर तुझे क्या हो गया हैं. मुझे विश्वास नही हो रहा कि तू अब वो राधिका हैं . कल तक जो आदमी घूर कर देख भी लेता था तू उसका पूरा बॅंड बजा देती थी लेकिन आज ऐसा क्या हो गया हैं जो वो दो लड़के इतना सब कुछ बोल कर हमे निकल गये और तू एक भी शब्द नही बोली. मैं इसकी वजह जानना चाहती हूँ.

राधिका इतना सुनकर कुछ देर तक खामोश रहती हैं मगर कोई जवाब नही देती हैं.

निशा- बोल ना राधिका चुप क्यों हैं. मुझे तेरा जवाब चाहिए.है कोई इसका जवाब????

राधिका- प्लीज़ निशा ये सब बातें बाद में करेंगे. प्लीज़ अब रोना बंद का ना.

निशा- मैं जानती थी कि तेरे पास इसका कोई जवाब नही होगा. अब तू वो राधिका नही रही जो मेरी कभी जान हुआ करती थी.

निशा- आख़िर तू क्या साबित करना चाहती हैं राधिका. प्लीज़ मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ तू अपने आप को तमाशा मत बना. ये रास्ता तुझे ज़िंदगी की ओर नहीं बल्कि मौत की ओर ले जाएगा. और जब तक तू इस बात को समझेगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी. और मैं अपनी राधिका को किसी भी कीमत पर खोना नही चाहती .आगर तुझे कुछ हो गया तो मैं तेरे बगैर नही जी पाउन्गि. तू मेरी जान से बढ़कर हैं. प्लीज़ ................इतना कहकर निशा फूट फूट कर राधिका के कंधे पर रोने लगती हैं.

राधिका के भी आँखें नम हो जाती और वो अपना हाथ बढ़ाकर निशा के आँसू पोछती हैं. दोनो के आँखों से आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे.

कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही लिपटकर एक दूसरे से रोते हैं.

निशा- देख राधिका मैं तेरी कोई दुश्मन नही हूँ. और मैं कभी नही चाहूँगी कि तुझपर कोई आँच भी आए. मैं तो यही भगवान से दुआ करती हूँ कि अगर मौत भी आकर मुझसे कहे तो मैं तेरे बदले अपनी जान देना पसंद करूँगी मगर तुझे कुछ नहीं होने दूँगी.

राधिका अपने आँसू पोछते हुए- प्लीज़ निशा ऐसी बात मत कर, तुझे मैं कैसे समझाऊ कि आज मैं किस मज़धार में खड़ी हूँ. मेरे सामने एक तरफ़ पहाड़ हैं तो डुसरी तरफ खाई. आइ आम सॉरी निशा मैं तुझे अपनी मज़बूरी नही बता सकती. लेकिन वादा ज़रूर करती हूँ कि वक़्त आने पर तुझे सब कुछ पता चल जाएगा.

निशा- आख़िर कौन सी मज़बूरी हैं जो तू मुझे नहीं बता सकती.

राधिका- नही निशा प्लीज़ मुझे फोर्स मत कर मैं इस वक़्त तुझे नही समझा सकती.

निशा- लेकिन मैं जानती हूँ तेरी मज़बूरी का कारण, तेरे भैया हैं ना वो वजह.और तू अपने ही भैया के साथ सोना चाहती हैं यही हैं ना तेरी मज़बूरी.

राहिका- प्लीज़ निशा मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ प्लीज़ चुप हो जा.

निशा- ठीक हैं राधिका अगर तेरी यही ज़िद्द हैं तो मैं अपने सर की कसम खा कर कहती हूँ कि मैं आज के बाद तेरे भैया और तेरे बीच में कभी नहीं आउन्गि. आज से तेरे जो दिल में आए तू कर.मैं तुझे कभी कुछ नहीं कहूँगी, मगर एक बात याद रखना कि तू अपनी ही ज़िंदगी से एक घिनौना मज़ाक कर रही हैं. जिसका अंजाम आगे जाकर बहुत भयानक होने वाला हैं.

राधिका- मुझे अपनी चिंता नहीं हैं निशा, मुझे अपनों के खोने का दर्द मालूम हैं. एक बार मैं आपनी मा को खो चुकी हूँ और अब अपने भैया को नही खोना चाहती. चाहे इसके बदले मुझे कितनी भी बड़ी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े.

निशा- अरे बलिदान वहाँ दिया जाता हैं जहाँ लोग उसकी कद्र समझे . तुझे क्या लगता हैं कि तेरी कुर्बानी से क्या तेरे भैया अपना ज़िंदगी संवार लेंगे. कभी नहीं राधिका हां तेरे भैया को तो नहीं पर मेरी जान से बढ़कर मेरी राधिका ज़रूर मुझसे दूर हो जाएगी.

इतना कहकर एक बार फिर निशा राधिका को अपने गले लगा लेती हैं.

राधिका- चल बहुत बड़ी बड़ी बातें करती हैं. अब अंकल से बोलकर तेरे हाथ जल्दी से पीले करने पड़ेंगे.लगता हैं तू तो मेरे से भी बेस्ट हाउसवाइफ बनेगी.

निशा- मारूँगी समझी. और फिर दोनो के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती हैं. .....
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