03-09-2019, 08:37 PM
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Adultery जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
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03-09-2019, 09:12 PM
(This post was last modified: 11-12-2020, 11:23 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मंजू बाई
अरे मुन्ना , कुछ मिनती करो ,हाथ पैर जोड़ो ,मान मनौवल करो ," और ये बोलते हुए उनकी लुंगी बनी साडी को कमर तक उठा के ,उनकी कमर में लपेट दिया। मंजू बाई नीचे उतर आयी थी ,उनके बगल में खड़ी। खूंटा अब एकदम बाहर खुल्लम खुला। खूब कड़क। मंजू बाई की निगाहें एकदम उसपर गड़ी रहीं ,फिर अचानक उसने अपनी मुट्ठी में उसे दबोच लिया। " हथियार तो जबरदस्त है। मस्त ,खूब कड़ा। " हलके से दबाते हुए वो बोली, फिर धीरे धीरे मुठियाने लगी और मुठियाते हुए एक झटके में सुपाड़ा खोल दिया। उसकी ओर आँख मार के मंजू बाई , हलके से मुस्कराते बोली , " बहुत भूखा लग रहा है। चाहिए क्या कुछ इसको ?" इनकी हालत खराब ,लेकिन धीरे धीरे अब ये भी खेल सीख रहे थे , मंजू बाई से बोले। " मेरा देख लिया , मुझे भी दिखाओ न " मंजू बाई कौन इत्ती आसानी से मानने वाली ,उसने सर न में हिला दिया , हँसते हुए। अब ये भी समझ गए थे की उसकी ना में कितनी हाँ है , बस अपने दोनों पैर उन्होंने मंजू बाई की टांगों के बीच फंसा के फैला दिया। अपने दोनों हाथों से उसकी साडी के एकसाथ उपर की ओर, गठी हुयी पिंडलियाँ , घुटने ,मांसल चिकनी जाँघे और धीरे धीरे और ऊपर , और ऊपर मंजू बाई ना ना करती रही , ना में दाएं बाएं सर हिलाती रही ,लेकिन रोकने की उसने कोई कोशिश नहीं की। कुछ देर में साडी और साया उसकी कमर तक ,और केले के तने ऐसे चिकनी मांसल जाँघे और उनके बीच खजाना काली काली झांटों के झुरमुट में छिपी ,खोयी , खूब गद्देदार मखमली दोनों पुत्तियाँ और उसके बीच बहुत छोटा सा छेद। उनकी हथेली सीधे वहीँ पहुँच गयी और हलके हलके उसे वो दबाने लगे। " क्यों इसके पहले कभी भोंसडा नहीं देखा था क्या , भोंसड़ी के। तेरी माँ ,.. " लेकिन उनकी आँखे और दिल ऊपर की मंजिल पर ही लगा था। मंजू बाई के मम्मे थे भी ऐसे गजब ,बिना ब्रा के ब्लाउज को फाड़ते ,निपल पूरा का पूरा झांकता और वो उनकी आँखों और इरादों को अच्छी तरह ताड़ रही थी ,मुस्करा के बोली , " अरे , ऊपर की मंजिल के लिए नीचे अर्जी लगाओ। मिलेगी ,मिलेगी। " वो तुरंत मतलब समझ गए और अगले पल घुटनों पे ,उनके होंठों ने मंजू बाई की खुली चिकनी जाँघों से चढ़ाई शुरू की और बस कुछ पलों में मंजिल पे। काली काली झांटे उनके चेहरे पर लग रही थीं , लेकिन एक अजब सी नशीली महक , एक सरसराहट , पहले एक छोटी सी चुम्मी और फिर अपने होंठ नीचे के होंठों पे उन्होंने रगड़ने शुरू कर दिए। असर भी तुरंत हुआ। मंजू बाई ने झुक के कस के उन के सर को पकड़ लिया ,अपनी जाँघों पर प्रेस करने लगी। उन्होंने चाटने की रफ़्तार तेज कर दी। पहले हलके हलके ,फिर उनकी जीभ एकदम नीचे एकदम चिपक गयी जैसे कोई चुम्बक लगा हो ,रगड़ते ,घिसते , एक अजब स्वाद ,एक अजब ललक ,एक अजब महक जीभ की नोक से बुर की दोनों माँसल रसीली फांकों को उन्होंने अलग किया , थोड़ी देर सपड़ सपड़ चाटा , और फिर एक धक्के में आधी जीभ अंदर ,गोल गोल घुमाते हुए साथ में उनके होंठ मंजू बाई की बुर के पपोटों को जोर से दबोचे हुए ,कस कस के चूस रहे थे , जैसे उसके रस का एक एक बूँद चूस लेंगे। " ओह्ह ... हाँ ... उह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ .... " मंजू बाई जोर जोर से सिसकारियां भर रही थी ,कस के उनके सर को दबोच के अपनी बुर पे प्रेस कर रही थी। उसकी देह पूरी ढीली हो गयी थी। " ओह्ह आह क्या मस्त चाटते हो , ओह्ह और जोर जोर से पक्के ,.... पक्के चूत चटोरे हो , मादरचोद ,.... हाँ हाँ " और ये कह के जैसे कोई लड़का लन्ड चूस रही लड़की के मुंह में लन्ड ठेल दे , मंजू बाई ने उनका सर दोनों हाथों से जोर से पकड़ के अपनी मांसल गुलगुली रसीली बुर उनके मुंह में ठेल दी। " रंडी के ,... और ,हाँ ...ऐसे ही ऐसे ही ,.... बस ओह्ह लगता है बचपन से ,.. किसका भोंसड़ा चूस चूस के प्रैक्टिस की है ,.... जितनी जोर से वो चूस रहे थे उतनी ही जोर से मंजू बाई अपनी प्यासी बुर के धक्के उनके मुंह पे मार रही थी। उनके बालों में प्यार से ऊँगली फिराती वो बोली , " मुन्ने ने दुद्दू नहीं पिया है बहुत दिन से , तेरा मन दुद्धू पिने का कर रहा है। " बिना चूसना बंद किये उन्होंने एक बार सर उठा के मंजू की ओर सर उठा के देखा और हामी में सर हिलाया। " पिलाऊंगी ,पिलाऊंगी तुझे दुद्धू , बस तू चूस चाट के मेरा मन भर दे और फिर मैं तेरा मन भर दूंगी। " मंजू बाई ने जोर जोर से धक्के लगाते बोला। जीभ जो अब तक मंजू बाई की बुर में अंदर बाहर हो रही थी अब बाहर निकली और सीधे उसकी क्लीट पर , थोड़ी देर तक उन्होंने हलके हलके क्लीट पर फ्लिक किया , फिर जोर जोर से चाटने लगे। असर तुरंत हुआ , मंजू बाई कांपने लगी ,सिसकने लगी। उन्होंने मस्ती में मंजू बाई के बड़े चूतड़ कस के पकड़ लिए , उनके नाख़ून मंजू बाई के मांसल गदराये नितंबों में धंस गए। और फिर , मंजू बाई ने पहले तो अपनी भरी भरी जाँघे खोली और अपने दोनों तगड़े हाथों से उनके सर को और अंदर , और ,... और पुश किया ,गाइड किया , फिर एकबारगी सँड़सी की तरह मंजू बाई की जाँघों ने उनके सर को दबोच लिया। अब वो लाख कोशिश करें ,मुंह ,चेहरा हिला नहीं सकते थे। उनके मुंह को एक नया स्वाद , नयी महक , सिर्फ उनके होंठों को आजादी थी ,उनकी जीभ को आजादी थी ,चूसने की ,चाटने की। और एक बार फिर जीभ ऊपर से नीचे तक लपर लपर चाट रही थी ,होंठ चूस रहे थे। छेद आगे का हो , या पीछे का , जीभ का काम चाटना , होंठ का काम चूसना देह का रस लेना ,स्वाद लेना , वो रस कहीं से भी निकले स्वाद किसी का भी हो। अबतक उनके होंठ जीभ ये सीख गए थे। पिछवाड़े जीभ आगे से पीछे उपर से नीचे और थोड़ा अंदर भी, साथ में होंठ कस कस के चूस रहे थे। और एक बार जब होंठ पीछे के छेद से आगे आये तो बस बुर ,एक तार की चाशनी छोड़ रही थी। एकदम रस में चिपकी ,भीगी। अगले ही पल वो मंजू बाई की बांहों में थे ,उनके होंठ जो अगवाड़े पिछवाड़े का मीठा मीठा रस ले रहे थे ,सीधे मंजू बाई के होंठों पे ,चिपके।
03-09-2019, 09:59 PM
(This post was last modified: 11-12-2020, 11:25 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मीठा मीठा रस
अगले ही पल वो मंजू बाई की बांहों में थे ,उनके होंठ जो अगवाड़े पिछवाड़े का मीठा मीठा रस ले रहे थे ,सीधे मंजू बाई के होंठों पे ,चिपके। मंजू बाई ने एक झटके से अपनी मोटी रसीली जीभ उनके मुंह में घुसेड़ दी , जैसे पहला मौक़ा पाते ही कोई किसी नयी नयी किशोरी के गुलाबी होंठों के बीच अपना लौंडा डाल दे। और वो मंजू बाई की जीभ को किसी लौंड़े की तरह ही चूस रहे थे , पहले धीरे धीरे ,फिर जोर जोर से। मंजू बाई मस्ती में चूर अपने एक हाथ से उनके सर को पकड़ उन्हें अपनी ओर खींचे हुए थी और मंजू बाई का दूसरा हाथ सीधे इनके नितंबों पर था , कस के दबोचे हुए। साथ ही मंजू बाई के बड़े बड़े खूब कड़े ,३८ डी डी साइज के स्तन , जिसे देख के ये बौरा जाते थे ,इनकी छाती में दब रहे थे ,कुचल रहे थे। कुछ देर तक ये मंजू बाई की जीभ चूसते रहे ,उसके मुख रस का , सैलाइवा का गीले गीले ,भीगे होंठों का स्वाद लेते रहे ,और जब मंजू बाई की जीभ वापस उसके मुंह के अंदर गयी तो पीछे पीछे इनकी जीभ भी मंजू बाई के मुंह के अंदर ,और अब बारी मंजू बाई की थी ,कस कस के इनकी जीभ चूसने की। लेकिन इनकी निगाहें बार बार नीचे ,मंजू बाई के दीर्घ उरोजों पर ही फिसल रही थीं। मन तो इनका यही कह रहा था की कब उस पतले से ब्लाउज को फाड़ फेंके और उसके उरोजों को मुंह में लेके चूसें चुभलाये। और यह तड़पन उनकी उनसे ज्यादा मंजू बाई को पता थी। और वो उन्हें तड़पा रही थी ,ललचा रही थी। खुद मंजू बाई अपनी भारी चूंचियां उनकी छाती पे रगड़ती उनसे बोली , " बहुत मस्त चूसते हो मुन्ना , लगता है अपनी माँ का भोंसड़ा बहुत चूसे हो। खूब रसीला होगा उसका भोंसड़ा। " और उनके हाँ ना के इन्तजार के पहले एक बार फिर अपने होंठों से मंजू बाई ने उनके होंठ सील कर दिए। वो कुलुबुला रहे थे ,उसकी चूँचियों के लिए और मंजू बाई खुद बोली , " माँ का दुद्दू पियेगा मुन्ना मेरा , अरे मिलेगा न बोला तो। अब मेरे मम्मो में तो दुद्धू है नहीं , हाँ रात को आ जाना , तेरी छुटकी बहिनिया गीता अभी अभी बियाई है ,दूध छलकता रहता है उसकी चूंची से बस पिला दूंगी ,पीना चूसक चूसक के। हाँ हाँ मेरा भी मिलेगा। " लेकिन मंजू बाई ने अपना इरादा जाहिर कर दिया अपने हाथों से अपनी हरकतों से. मंजू बाई ने अपनी जाँघे खूब फैला ली ,अपनी खुली फैली टांगों के बीच उनके पैरों को फंसाते हुए , ... जो हाथ मंजू बाई का उनके सर पे था अब वो सीधे उनके लन्ड के बेस पे, ऊँगली और तर्जनी से मंजू बाई उसे दबाती रही ,रगड़ती रहीं। साथ में जो हाथ उनके नितम्ब पे था , उन्हें मंजू बाई की ओर खींचे हुए , सटाये हुए बस उस हाथ ने हलके हलके उनके चूतड़ों को सहलाना ,स्क्रैच करना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में उसकी हाथ की तर्जनी सीधे नितंबों के बीच की दरार में पहुँच गयी थी और हलके हलके दबा रही थी , दरार के अंदर पुश कर रही थी। वो मचल रहे थे अपनी कमर पुश कर रहे थे लेकिन कमान मंजू बाई के ही हाथ में थी। उनका खुला सुपाड़ा अब मंजू बाई के भोंसडे के खुले होठों पे रगड़ खा रहा था। एक जोर का धक्का मंजू बाई ने मारा और साथ में पूरी ताकत से नितम्बो के बीच का हाथ पुश किया , गप्पाक। उनका मोटा बौराया सुपाड़ा मंजू बाई की गीली बुर के अंदर , और मंजू बाई का अंगूठा उनकी गांड के अंदर। मंजू बाई की बुर अब जोर जोर से उनके सुपाड़े को भींच रही थी ,निचोड़ रही थी। मंजू बाई की बुर की एक एक मसल्स ,जैसे कोई सुंदरी अपने हाथ में अपने यार का लन्ड लेकर मुठियाए ,दबाये बस उसी तरह जोर जोर से स्क्वीज कर रही थी। मंजू बाई के होंठों ने अब उनके होंठों को आजाद कर दिया था , उनकी ओर देखती ,मंजू बाई ने पूछा , " क्यों बोल ,रंडी के , ... बहुत मजा लिया है न तूने माँ के भोंसडे का , साली छिनार , बोल मजा आया माँ के भोंसडे में न। " और बिना उनके जवाब के इन्तजार के , एक बार फिर कस के अपनी बुर में उनके लन्ड को ,बुर सिकोड़ सिकोड़ कर निचोड़ना शुरू कर दिया। अब वो लाख कोशिश कर रहे थे की और पुश करें ,लन्ड और भीतर ठेले लेकिन मंजू बाई के आगे उनकी सब कोशिस बेकार ,सुपाड़े के आगे एक मिलीमीटर भी उसने नहीं ठेलने दिया। हाँ मंजू बाई का अंगूठा जरूर अब उनकी कसी संकरी गांड में रगड़ता दरेरता आगे पीछे हो रहा। वो तड़प रहे थे ,वो तड़पा रही थी। " बोल चोदेगा न माँ का भोंसड़ा बोल , खुल के हरामी का , ... बोल मादरचोद। " मंजू बाई उनकी आँखों में आँखे डाल के बोल रही थीं। " हाँ चोदुगा , चोदूँगा।" उसी तरह मस्ती से उन्होंने जोर जोर से खुल के बोला। " अरे साले तेरे सारे खानदान की गांड मारूँ ,बोल किस छिनार का ,... क्या " मंजू बाई और जोर से बोलीं। सुपाड़े पर बुर का जोर बढ़ गया था। " चोदूँगा , माँ का भोंसड़ा ,.. " वो बोले ,बिना किसी हिचक के। " साले तू तो पक्का पैदायशी मादरचोद है। " मंजू बाई बोलीं और एक जोर का धक्का मारा ,लन्ड थोडा और अंदर घुस गया। " दिलवाऊंगी तुझे तेरी माँ की भी ,तेरी बहन की भी , लेकिन चल ज़रा मेरे भोंसडे को चूस , चूस के सब रस निकाल दे ,फिर देख तुझे क्या क्या मजे दिलवाती हूँ।" और जब तो वो कुछ बोलेन ,समझे ,मंजू बाई ने अपनी कमर पीछे खींचकर उनका लन्ड बाहर निकाल दिया। एक झटके में मंजू बाई के दोनों हाथ अब सीधे उनके कंधे पर और पुश करके ,मंजू बाई ने उन्हें नीचे बैठा दिया। मंजू बाई ,किचेन में सिल का सहारा लेकर खड़ी थी ,उसका साडी साया बस एक छल्ले की तरह उसके कमर में फंसा हुआ। नीचे उसकी खुली जाँघों के बीच वो बैठे , और अबकी शूरू से ही उन्होंने फुल स्पीड चुसाई चालू की। चूत चूसने में वैसे भी उनकी टक्कर का मिलना मुश्किल था ,फिर अभी मंजू बाई ने जैसे उन्हें पागल बना दिया था तो , दोनों हाथों से कस के उन्होंने मंजू बाई के बड़े बड़े खुले चूतड़ों को दबोच कर अपनी ओर पुश कर रहे थे , अपने होंठों में उसकी बुर दबा रहे थे। जीभ उनकी पहले तो दो चार मिनट ,सपड़ सपड़ बुर के चारो ओर , फिर ऊपर से नीचे तक ,और उसके बाद अपने हाथ से उन्होंने मंजू बाई की बुर की पुत्तियाँ फैला के ,जीभ उसके अंदर लपलप चाट रही थी , जैसे कोई रसीले आम की फांक को फैला के उसका एक एक बूँद रस चाट ले। जीभ से उन्होंने मंजू बाई की भीगी गीली बुर चोदनी शुरू कर दी। मस्त कसैला स्वाद जिसके पीछे दुनिया पागल है। खूब गाढ़ा ,सीधे जीभ की टिप पे रस की पहली बूँद , और फिर उनके प्यासे होंठ भी आ गए ,मंजू बाई की बुर को भींच कर जोर जोर से चूसते, फिर उनके हाथ , एक हाथ की उंगलिया मंजू बाई के पिछवाड़े की दरार में घूम टहल रही थीं तो दूसरी की तर्जनी सीधे ,मंजू बाई की क्लीट को फ्लिक कर रही थी। मटर के दाने ऐसी वो क्लीट एकदम फूल कर कुप्पा , फिर अंगूठे और तर्जनी के बीच उन्होंने उसे रोल करना शरू कर दिया। तिहरा हमला ,जीभ होंठों और ऊँगली का ,नतीजा जल्द ही रस की धार बहनी शुरू हो गई और मंजू बाई ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए और साथ में " उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , आह्ह्ह्ह , हाँ , उह्ह्ह , ओह्ह्ह ,चूस चूस , ऐसे ही ,... आह्हः क्या मस्त मादरचोद ,... झाड़ मुझे , अरे मेरा आसीर्बाद मिलेगा ,मंजू बाई का आसीर्बाद तो बहुत जल्द ,.... ह ह ,ओह्ह उफ्फ्फ ,... हाँ चूस , ... मेरा आसीर्बाद मिलेगा न तो बहुत जल्द इसी घर में तू मेरे सामने , अपनी माँ के भोंसडे में , मंजू बाई का आशिर्वाद खाली नहीं जाता , चूस बस नहीं और नहीं ,... ओह मेरा आसीर्बाद ,तेरी माँ के भोंसडे में तेरी मलाई छलकती रहेगी ,ओह्ह नहीं रुक साले मादरचोद और नहीं ,.... ओह ,ओह्ह तेरी माँ का ,... " और मंजू बाई ने झड़ना शुरू कर दिया। उनकी बुर के पपोटे बार बार फडक रहे थे , सिकुड़ रहे थे , रस की धार बह रही थी। रूकती थी फिर बहती थी। ट्रिंग ट्रिंग , बाहर काल बेल बजनी शुरू हो गयी।
03-09-2019, 10:06 PM
(This post was last modified: 13-12-2020, 12:35 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
ट्रिंग ट्रिंग , बाहर काल बेल बजनी शुरू हो गयी।
……………….. और उन्होंने और जोर जोर से मंजू बाई के भोंसड़ी से निकल रही गाढ़ी चासनी को चाटना पीना शूरु कर दिया। उनके होंठ , ठुड्डी पूरे चेहरे पर मंजू बाई के भोंसडे का रस लिपटा लगा था। लेकिन वो एक बार फिर दूनी ताकत से जीभ अंदर बाहर कर के , भोंसडे के अंदर का रस भी ,... ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग , मैं बाहर जोर जोर से काल बेल प्रेस कर रही थी। शापिंग बैग्स के भार से हम लोगों के हाथ टूटे पड़ रहे थे। मंन्जू बाई झड के शिथिल पड़ गयी थी। उसने इनके सर पर से भी पकड़ ढीली कर दी थी लेकिन ये , उसके भोंसडे में लगे सारे रस को , झांटों में फंसी रस की बूंदो को चाट रहे थे। जो फ़ैल कर मंजू बाई की जाँघों पर पहुँच गया था वो भी , ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ,... अबकी मैंने अपनी ऊँगली काल बेल से हटाई ही नहीं। और दो मिनट में उन्होंने आके दरवाजा खोला। मुझे पूछने की जरुरत नहीं पड़ी वो क्या कर रहे थे। उनके चेहरा जिस तरह चमक रहा था ,रस से लिपटा पुता , वो महक मैंने भी पहचान ली , मम्मी ने भी। हम दोनों ने मुस्कराकर एक दूसरे को देखा। उन्होंने बिना कुछ बोले,आँखे झुकाये ,हम लोगों के हाथ से शापिंग बैग ले लिया। मम्मी अंदर गयीं ,पीछे पीछे मैं। लेकिन मुझसे रहा नहीं गया। खूँटा अभी भी जबरदस्त खड़ा था ,एकदम कड़ा। लुंगी के ऊपर से उसे कस के दबाते मैं बोली , " अरे तझे ग्रीन सिग्नल दिया था न , फिर भी तेरा सिग्नल नहीं डाउन हुआ। " और चिढाते हुए मैंने उनकी लुंगी हटा दी। सुपाड़ा अभी भी खुला हुआ था।
04-09-2019, 08:32 AM
(This post was last modified: 04-09-2019, 11:39 AM by Black Horse. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मिलेगा मिलेगा , कोमल के यहाँ देर है अंधेर नहीं , अभी लीजिये।
Thanks
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
04-09-2019, 09:35 AM
jabrdat ekdam bahto hot sexy update diya hai saach me apa ham mardo ko pagal akr deti ho panei kahani se
04-09-2019, 09:30 PM
04-09-2019, 09:30 PM
06-09-2019, 07:20 AM
06-09-2019, 06:08 PM
(This post was last modified: 13-12-2020, 12:38 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
पोस्ट –शॉपिंग
उन्होंने बिना कुछ बोले,आँखे झुकाये ,हम लोगों के हाथ से शापिंग बैग ले लिया। मम्मी अंदर गयीं ,पीछे पीछे मैं। लेकिन मुझसे रहा नहीं गया। खूँटा अभी भी जबरदस्त खड़ा था ,एकदम कड़ा। लुंगी के ऊपर से उसे कस के दबाते मैं बोली , " अरे तझे ग्रीन सिग्नल दिया था न , फिर भी तेरा सिग्नल नहीं डाउन हुआ। " और चिढाते हुए मैंने उनकी लुंगी हटा दी। सुपाड़ा अभी भी खुला हुआ था। आगे आगे मम्मी और मैं ,पीछे पीछे ये ,शापिंग बैग्स लादे। , मम्मी धम्म से बेड पे बैठ गयीं और इनकी ओर पैर बढ़ा दिया। ये तबतक घुटनों के बल बैठ चुके थे और मम्मी के संदली पैरों से उनकी सैंडल उतारने लगे. जैसे अनजाने में ,मम्मी ने अपनी दूसरी सैंडल से उनके तन्नाए , 'हार्ड आन' को रगड़ दिया। ये बात उन्हें भी अब तक पता चल चुकी थी की मम्मी का कोई काम अनजाने में नहीं होता। सैंडल के बाद मम्मी ने अपनी सफ़ेद शिफॉन की साड़ी उतार कर उनकी ओर उछाल दी ,वो चुपचाप तहियाने लगे ,लेकिन उनकी निगाहें चोरी चोरी चुपके चुपके ,मम्मी की दोनों ब्लाउज फाड़ती ,डीप लो कट ब्लाउज से झांकती दोनों पहाड़ियों पर ही लगी थीं। साडी के बाद वो शापिंग बैग अन पैक करने के लिए बढे , तो मम्मी ने उन्हें रोक दिया, " अरे बड़ी थकान लगी है पहले जा , ताज़ी कड़क चाय बना के ले। " जब वो किचेन के लिए मुड़े ही थे तो मम्मी ने उन्हें ऊँगली के इशारे से बुला लिया और जब तो वो समझे समझे ,अपनी बाहो में भींच लिया। भींच क्या लिया ,एकदम अपने दोनों ३८ डी डी से उन्हें क्रश कर दिया और उनके चेहरे की ओर आँख नचा के देखते बोलीं , " आज तो तेरे चेहरे पे ,.... " और फिर सीधे लिप्स पे ,.. कस के ,... चूम लिया फिर उन्हें छोड़ते हुए बोलीं " क्या बात है आज तो तेरे होंठों पे एकदम नया स्वाद है ,... " बिचारे एकदम गौने की दुल्हन की तरह उन्होंने ब्लश किया और आँखे झुकाये किचेन की ओर मुड़ लिए। वो कमरे के बाहर निकले ही नहीं थे की फिर रुक गए ,मम्मी ने आवाज दी , " सुन बहनचोद , अरे हम लोगों के चाय बना के लाने के बाद ,अपने और मंजू बाई के लिए भी बना लेना। " जी बोलते हुए वो सीधे किचन में। हम लोगों को चाय देने के बाद किचन में पहुँच कर एक ग्लास में मंजू बाई के लिए चाय निकाली और दूसरी ग्लास ढूंढने लगे ,
06-09-2019, 06:18 PM
(This post was last modified: 16-12-2020, 06:48 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मंजू बाई
हम लोगों को चाय देने के बाद किचन में पहुँच कर एक ग्लास में मंजू बाई के लिए चाय निकाली और दूसरी ग्लास ढूंढने लगे , तो मंजू बाई ने उनके कंधे पर हाथ रख के रोक लिया उन्हें , " काहें को दूसरा ग्लास ढूंढते हो , ये हैं ना इसी में से ,दोनों ,... फिर धोना तो तुम्ही को पडेगा। " एक बड़ी सी सिप ले कर मंजू बाई ने ग्लास उन्हें पास कर दिया। ग्लास तो उन्होंने ले लिया लेकिन उनकी निगाहें अभी भी अपने तने लुंगी से झांकते खूंटे पे लगी थी। " अरे मुन्ना चाय पी लो ,इसकी चिंता छोडो। रात को आ जाना ९-१० बजे , मैं हूँ न और गीता भी है कर देंगे इसका इलाज। " और ये कहते हुए लुंगी के ऊपर से मंजू बाई ने खूंटा दबोच लिया और लगी हलके हलके रगड़ने। " अरे पहली बियाई का दूध लगेगा न इसके ऊपर तो एकदम पत्थर हो जाएगा , दूध तो छलकता रहता है गीता का ,पीना मन भर के। " "सच में " ख़ुशी से उनकी आँखें चमक गयी और ग्लास उन्होंने फिर मंजू बाई को पास कर दिया। बाएं हाथ से मंजू बाई ने ग्लास पकड़ के सिप लेना शुरू कर दिया लेकिन मंजू बाई के शरारती दाएं हाथ ने अब लुंगी हटा के सीधे 'उसे' पकड़ के दबोच लिया था और खुल के मुठियाने लगी थी। सुपाड़ा तो पहले से ही खुला था ,मंजू बाई का अंगूठा जोर जोर से पेशाब के छेद पर रगड़ रहा था। सिप लेते हुए बोली , " अरे तेरे वो बहन भी न ,एकदम मस्त पटाखा है ,साली शक्ल से चुदवासी लगती है। मेरी मानो तो उसको पटा के यहाँ ले आओ , फिर हचक के चोद दो साली को। सीधे से न माने तो जबरदस्ती , अरे थोड़ा चिंचियायेगी , छिनारपना करेगी पर ,...एक बार जब खूंटा घोंट लेगी न तो अगली बार खुदै ,... और फिर उसको गाभिन कर दो। जब बियाएगी न तो फिर उसका दूध ,... " और मंजू बाई ने चाय का ग्लास उन्हें पास कर दिया , लेकिन सिप लेते हुए भी उनके कानों में मंजू बाई की ही बातें गूँज रही थी। " अरे पहली बियाई के दूध में अलग नशा होता है एकदम जादू। लन्ड पे लगा के जब मलोगे न तो सब तेल ,मलहम दवाई झूठ एक दम लोहे का खम्भा हो जाएगा। अपने हाथ से चूंची दबा दबा के दूध निकालने का न ,एक दम छर्र छर्र धार सीधे चेहरे पे , एक बार पीओगे तो दो बोतल का नशा हो जाएगा , वो भी असली महुआ का। " मुठियाते हुए मंजू बाई की बातें चालू थीं और उनकी हालात खराब हो रही थीं। बची हुयी चाय उन्होंने फिर एक बार मंजू बाई के हाथ में पकड़ा दी। मंजू बाई ने एक ही सिप में चाय ख़तम कर दी और उन्हें ग्लास पकडाते बोलीं , " गीता तुझे दूध का मजा तो देगी लेकिन , बस उसकी एक शर्त रहती है , दूध तभी पिलाएगी जब तुम उसकी देह से निकला सब कुछ , सुनहली शराब ,..सब कुछ,... " वो ग्लास साफ़ कर रहे थे लेकिन मंजू बाई की बातें सुन के गिनगिना गए। " अरे उसकी चिंता तुम छोडो ,बस एक बार तुम रात में आ आ जाओ , ... फिर तो तुम्हारा हाथ पैर बाँध के ,... जो भी होगा गीता करेगी। मैं रहूंगी न तेरे पास ,घबड़ाता क्यों है , वो मजा वो स्वाद है जो तुम सपने में भी नहीं सोच सकते हो सब मिलेगा। " मंजू बाई ने उनके खूंटे को छोड़ दिया था और पिछवाड़े सहला रही थीं। मंजू बाई बाहर निकल गयी लेकिन दरवाजे के पास से एक बार फिर उनको आवाज लगाई , " अरे बहनचोद ,दरवाजा बंद कर ले। " वो जो दरवाजा बंद करने पहुँचे तो मंजू बाई ने एक बार फिर उन्हें अपनी बाहो में दबा के अपने बड़े बड़े जोबन उनके सीने पे दबाते हुए ,कान में फुसफुसाया , " आना जरूर रात को ,मैं और गीता इंतजार करेंगे। " और वो चली गयी।
08-09-2019, 08:04 AM
08-09-2019, 08:22 AM
ना जीने देगें, ना मरने, बस तड़पाऐगे।
बेचारा ..........
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
08-09-2019, 11:20 AM
Awesome awesome awesome
08-09-2019, 06:46 PM
ham tadap tadap ke bhi tumhare geet gayenge....
11-09-2019, 08:42 AM
11-09-2019, 08:43 AM
12-09-2019, 02:07 PM
(11-09-2019, 08:42 AM)komaalrani Wrote: एकदम सही कहा आपने , .... हमारे हीरो को जबरन करने की इजाजत नहीं थी। वरना कहानी कुछ और होती।
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
13-09-2019, 07:43 AM
16-09-2019, 08:48 AM
(This post was last modified: 17-12-2020, 01:02 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मम्मी
और जब वो मम्मी के पास लौटे तो ढेर सार काम उनका इन्तजार कर रहे थे। पहला तो शापिंग बैग खोलना , फिर सामान अरेंज करना। पहले तो साड़ियां वो भी एक दो नहीं पूरी चार , और साथ में मम्मी की क्विज़ उनसे , बोल क्या है सिल्क ,कौन सा सिल्क कोस ,टसर, और गनीमत थी उन्हें १० में १० मिले वरना आज मम्मी उनके सारे खानदान की,... फिर बाकी कपडे , वो बोल तो नहीं रहे थे लेकिन हर पैकेट खुलते उन्हें लग रहा था शायद उनके लिए कुछ होगा ,लेकिन मेरा या मम्मी का सामान निकलता। बिचारे और ऊपर से साडी हो या शलवार सूट ,मम्मी ट्राई उन्ही के ऊपर कर के देखतीं और फिर बोल देतीं , " देख ये कैसे लगेगा अच्छा न तेरी बीबी के ऊपर " जब आखिरी पैकेट बचा था तो मम्मी ने सबसे कठिन काम उनको सौंप दिया , " अरे सुन ज़रा ये सब साड़ियां ड्रेसेज तहिया के कबर्ड में रख दो और फिर चाय ज़रा कड़क बना लाओ। " बिचारे सब साड़ियों की तह हमने खोल के रख दी थी ,एक एक उन्होंने फिर से ठीक से अरेंज की। मम्मी अपनी तेज निगाह से देख रही थीं उन्हें ,लेकिन इसमें भी उन्होंने कोई गलती नहीं की , और फिर थोड़ी देर में चाय। उनकी निगाह बार बार उस अनखुले पैकेट की ओर दौड़ रही थी। " तेरे माल के लिए लाये हैं , तूने मम्मी को उसकी साइज बतायी थी न ३२ सी बस एक दम उसी साइज की , चाहो तो उसे फोन कर के बता दो " मैंने छेड़ा उन्होंने लेकिन मम्मी भी उन्होंने जोर से घूरा मुझे , मम्मी की यही बात , ... उनका बस चले तो हरदम आपने दामाद की ऐसी की तैसी ,लेकिन कोई दूसरा एक बोल ,बोल के तो दिखाए। उन्होंने जोर से मुझे घूरा और चाय की प्लेटें मुझे ले जाने को बोला। और जब मैं लौटी तो उनके पैकेट खुल चुके थे टी शर्ट्स ,शर्ट , और एक दो फार्मल शर्ट भी। मम्मी उनके पैकेट खोलने के बाद उन्हें खोलने पे तुली थीं। "अरे तेरा सब कुछ देख तो चुकी हैं हम दोनों ,चल पहन के दिखा न। " वो पीछे पड़ीं थीं। उनके हाथ में टी शर्ट थी एक हाथ ,आफ कोर्स पिंक। जब उन्होंने पहन लिया तो मैंने शीशे में दिखाया , पीछे का हिस्सा, उसपर लिखा था ," प्योर बॉटम। " बाकी टी शर्ट्स भी पिंक थी और सब पे इसी तरह, ' लव बोनी थिंग्स , हार्डर द बेटर " " कम इन हार्ड " इसी तरह के एक से एक। और फिर जीन्स जो लेडीज थी और मम्मी ने एक कमजोर सा बहाना बनाया , " तेरा नम्बर नहीं मालुम था तो इसी के नाप का ले लिया , वैसे भी तू इसके सारे कपडे तो पहनता ही रहता है। " यहाँ तक तो गनीमत थी लेकिन मम्मी ने उनको वो जीन्स पहना भी दी। सच बोलूं तो पिंक टी और जीन्स में बहुत मस्त लग रहे थे। उनका बबल बॉटम एकदम चिपका साफ़ साफ़ झलक रहा था। बॉक्सर शार्ट्स ,साटन के ,मेल थांग और भी उस तरह की मेल लिंजरी इसके अलावा और भी ट्रिंकेट थे ,दो बियर के मग्स भी मम्मी ने इनके लिए , लिए थे , एक पर एम् सी लिखा था और दूसरे पर बी सी। " मेरी समधन और इसकी ननद के ऊपर चढ़ने में तो अभी कुछ टाइम है तो तब तक , इसी से गम गलत करना। " मम्मी ने बड़े गंभीर ढंग से उनसे बोला। सामान समेटते हुए उन्हें लगा की काम ख़तम हो गया लेकिन मम्मी तो मम्मी है न। उन्होंने लगा दिया काम पे , " अभी तो खाना में देर है ,सुन वो चारों साड़ियां हैं न उन पे ज़रा फाल टांक दे। सुबह तूने बहुत अच्छा टांका था ,बस वैसे। " और मेरा हाथ पकड़ के मम्मी उठ गयी ,हम दोनों लाउंज में आगये थे उनका कुछ सीरियल छूटा हुआ था एक डेढ़ घंटे बाद फाल टाकने का काम ख़तम हुआ ,फिर माम को अचानक जल्दी लग गयी। वो किचेन में कुछ स्नैक्स बना रहे थे की मम्मी ने मुझे भी भेज दिया। " ज़रा तू भी हेल्प करा दे न जल्दी हो जायेगी। " घडी की ओर देखते वो बोलीं। और कुछ देर में खुद भी किचेन में दाखिल हो गयीं , बोलीं " अरे सवा आठ बज रहे हैं ,बोलो कुछ हेल्प करना हो मैं करा दूँ। " " मम्मी आज आप को बड़ी जल्दी मच रही है ,कोई खास बात है क्या " मैंने चिढाया उन्हें। " हाँ हैं न बड़ी ख़ास बात है आज " उनके नितम्बो को सहलाते हुए उन्होंने अपना इरादा जाहिर कर दिया। वो ब्लश कर रहे थे। पर मम्मी उनके ईयर लोब्स से अपने होंठ छुलाती बोलीं , " कुछ लाइट बना लो ,कुछ भी पर जल्दी। मैं हेल्प करा देती हूँ। पराठा सास भी चलेगा। " " मम्मी आज तो आप का कोई सीरियल भी नहीं आता है न तब भी ,... " पराठे के लिए आटा गूंथते मैं बोलीं। मम्मी का हाथ अभी भी उनके नितंबों पर था ,एक ऊँगली उन्होंने जोर से बीच की दरार में घुसाते हुए बोला , " है न , आज हम सब खुद सीरियल बनाएंगे , एकदम हॉट। " लेकिन पंद्रह मिनट में उनकी प्लानिंग फेल हो गयी। बड़ा लंबा सा मुंह मम्मी ने लटकाया लेकिन , |
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