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Adultery ननदोई के लंड से चुदी मेरी चूत
#1
मेरा नाम है अंकिता, मैं एक बेहद चुदक्कड़ किस्म की औरत हूँ मुझे मोटे
लम्बे लौड़े पसंद हैं, मेरे पति का लौड़ा कुछ ख़ास नहीं है | शादी करके मैं
ससुराल आई तो पहली रात मुझे डर था कि मेरी चोरी न पकड़ी जाए
क्यूंकि शादी से पहले ही में कई लड़कों के साथ चुदाई करवा चुकी थी |
मैंने बहुत चूत और गांड मरवाई थी। पहली रात तो बच गई रस्मों के चलते
हरियाणा में अभी गाँव में भी और शहरों में भी पहली रात लड़की अपने
साथ मायके से भाई को लाती है या बहन को।
दूसरी रात को मुझे कमरे में बिठा दिया गया था घूंघट में। मैं उनका
इंतज़ार कर रही थी, वो आये मेरी धड़कन बढ़ने लगी, दरवाज़ा बंद किया
और मेरे करीब आये, उन्होंने दारु पी रखी थी, काफी पी हुई थी। मेरी
चुनरी उतार कर ये मुझे पकड़ कर चूमने लगे, बोले- वाह ! कितनी खूबसरत
हो !वो नशे में थे, मेरी भाभी जो कि मेरी हमराज़ थी, ने मुझे कहा था
कि जब वो लौड़ा घुसाने लगें तो तू सासें खींच लेना और जांघें कस कर
दर्द की एक्टिंग करना ! इन्होंने मुझे ऊपर से नंगी कर लिया और मेरा दूध
पीने लगे- हाय ! क्या मस्त मम्मे हैं तेरे !
मेरे निप्पल को काट दिया, मैं बहकने लगी, दिल करने लगा उनका
लौड़ा पकड़ कर सहलाऊँ, चूसूँ !लेकिन खुद को शरीफ दर्शाना था,
अपनी वासना अपने दिल में दबा ली।ये मेरे ऊपर चढ़ गए, मेरे होंठ चूसते हुए
नीचे से मेरी सलवार का नाड़ा खिसका दिया खुद के कपड़े नहीं उतार
रहे थे। सलवार उतार, पैंटी खिसका मेरी फ़ुद्दी को चाटने लगे।मैं
कसमसाने लगी, मैंने हाथ ले जाकर इनका लौड़ा पकड़ लिया। वो अभी
भी पूरा खड़ा नहीं था, मुझे तो देख कर ही लड़कों के कपड़ों में खड़े हो
जाते थे, फिर इन्होंने तो मुझे नंगी किया था
| फिर भी मैंने इनका पजामा खोल दिया और
लौड़े को पकड़ कर देख मेरे सपने टूटने लगे, इतना छोटा लौड़ा ! पतला
सा !मेरे अंदर क्रोध से भरी आग लग गई लेकिन इन्होंने मेरी फ़ुद्दी को
चाटना ज़ारी रखा मुझे उसी से शांत करने का इरादा था।अतिम पलों
में अपना छोटा सा लौड़ा घुसा झटके दिए, मैंने सांसें भी खींची, जांघें
भी कस ली फिर भी इनका आसानी से घुसने लगा था दो मिनट में
अपना पानी निकाल हांफने लगे, बिना कोई ज्यादा बात किये सो
गए।पहली रात मेरी चोरी नहीं पकड़ी गई लेकिन दिल भी टूट गया।सुबह
एक रस्म थी, मेरे सामने बैठे थे मेरे ननदोई जी। हट्टे-कट्टे थे, चौड़ा सीना,
घने बाल, मरदाना मूछें !
मेरी नज़र उनसे टकरा गई, वो पहले दिन से मुझे बहुत प्यासी नज़रों से देखते
थे लेकिन नई नई शादी का लिहाज कर मैंने उनको शह नहीं दी थी।
लेकिन सुहागरात के बाद आज मैंने भी अपनी आँखों में सूनापन दिखा
दिया।हमारी शादी के तीन दिन बाद ही मेरी सबसे छोटी ननद की
भी शादी रखी थी, मेरी तो शादी नई हुई थी, मेहँदी वगैरा पहले लगी
थी, ना मुझे पार्लर की ज़रुरत थी।दोपहर को ही दारू का दौर चला बैठे
ननदोई जी !सासू माँ ननद को लेकर बाज़ार चली गई थी, बाकी सभी
घर के मर्द बहन की शादी का इंतजाम कर रहे थे, घर में आखिरी शादी
थी, कसर कोई छोड़ना नहीं चाहता था, पति देव अपनी बहनों-
भाभियों को लेकर शहर मार्केट ले गए मेहँदी लगवाने, ससुर जी के साथ
बैठ ननदोई सा पैग-शैग का लुत्फ़ उठाते रहे, मैं उठकर अपने कमरे की तरफ
चल दी।
मुझे उम्मीद थी कि ननदोई जी सुबह मेरी आँखों में जो प्रश्न थे, उनका
उत्तर जानने वो आयेंगे ही।मैंने चुनरी उतार बिस्तर पर डाल दी और
बाथरूम में चली गई।मेरा कमीज़ काफी गहरे गले का था जिससे मेरी
चूचियों का चीर बेहद आकर्षक दिख रहा था, जिसमें काला मंगलसूत्र
खेल रहा था।
 | मुझे यह उम्मीद थी कि शायद ननदोई जी आयें !
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#2
Kya baat hai aapne bhi story likhni shuru kardi .
Bahot khoob... great concept good start
Congrats!!!
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#3
(30-08-2019, 10:04 PM)Wickedsunnyboi Wrote: Kya baat hai aapne bhi story likhni shuru kardi .
Bahot khoob... great concept good start
Congrats!!!

aapse se hi inspired hun bhai
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#4
(30-08-2019, 10:57 PM)gunj6691 Wrote: aapse se hi inspired hun bhai

Bahot badhiya ..
Aise hi likhte rahiye ..
Acha likh rahe hai aap happy
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#5
Bahut achha likha hai. Nisha jaisa to sunny bhai likh rahe hai aap thoda alag rakhna please.
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#6
Mast kahani hai
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#7
मेरी कमीज़ छाती से काफी कसी हुई
रहती है क्यूंकि मुझे अपने मम्मे दिखाने का शुरु से शौक था।जब बाथरूम से
निकली थी तो सामने ननदोई जी को देख में इतना हैरान
नहीं थी, फिर भी शर्माने का नाटक किया- आप यहाँ?
अपनी चुनरी पकड़ने लगी।मेरे से पहले उन्होंने पकड़
ली, बोले- इसके बिना ज्यादा खूबसूरत दिखती हो !
मेरे गाल लाल होने लगे- प्लीज़ दे दो ना !“क्या हुआ? नई भाभी,
सुबह तो आपकी नज़रों में कुछ था? लगता है कि हमारे साले साब पसंद
नहीं आये या फिर वो कुछ??” कहते कहते रुक गए, मेरे करीब
आये बोले- लाओ मैं अपने हाथों से चुनरी औढ़ा देता हूँ।”वो मेरे बेहद
करीब थे, चुनरी तो दे दी, उसको गले से लगा दिया ताकि
मेरी छाती के दीदार उनको होते रहें।“मंगलसूत्र कितना
प्यारा लग रहा है !” उसको छूने के बहाने मेरे चीर को उंगली से
सहला दिया।मेरा बदन कांप सा गया, सिहर सी उठी।“क्या हुआ
भाभी?” उंगली मेरी कमीज़ के गले पर अटका
कर खींचा, अन्दर झांकते हुए बोले- वाह क्या खूबसूरत वादियाँ हैं?”प्यार से मेरे
मम्मे को सहलाया।
वाह कितना कसाव है आपकी छाती में
“प्लीज़ छोड़ दीजिये, कोई देख लेगा, आते बदनाम हो
जाऊँगी !”
“यहाँ कौन है भाभी? ससुर जी तो उलटे हो गए पी
पी कर ! देखो, दरवाज़ा मैंने बंद किया हुआ है ! क्या देख रही
थी आप सुबह?”मेरी कमर में बाजू डालते हुए अपनी
तरफ सरकाया मेरी छाती उनके चौड़े सीने से दबने
लगी। “वाह कितना कसाव है आपकी छाती में, मेरी
बीवी तो खस्ता हो गई है।”मैं उनके सीने पर नाज़ुक
उँगलियाँ फेरती हुई बोली- क्या खस्ता हो गया उनमें?“सब कुछ !
बिखर गई है !” मेरे होंठ चूमते हुए बोले- रात कैसी निकली
भाभी? सही सही बताना !“इनको प्यार करना
नहीं आता, औरत की फीलिंग नहीं
भांपनी आती, खुद सो गए, मैं पूरी रात झल्लाती
रही हूँ।”मुझे घुमा लिया, पीछे से मुझे बाँहों में कस लिया
कमीज़ को उठाया और अपना हाथ मेरे सपाट चिकने पेट पर फेरने लगे। मेरे
जिस्म में आग लगने लगी | पीछे से मेरी उभरी हुई गांड पर दबाव डाला
मुझे इनका लौड़ा खड़ा महसूस हुआ, मैंने भी चूतड पीछे
की तरफ धकेले- हाय, एक आप हैं, देखो प्यार करने का अंदाज़ ! आपने अपने
हाथों के जादू से मुझे खींच लिया है, वैसे आप बहुत ज़बरदस्त मर्द दिखते
हैं।”“असली मर्दानगी तो अभी दिखानी है।”
मेरी गर्दन को चूमने लगे।यह औरत को गर्म करने की सबसे
सही जगह है। एक हाथ पेट पर था, होंठ गर्दन पर !“असली
मर्दानगी तो अभी दिखानी है।” मेरी गर्दन को
चूमने लगे।यह औरत को गर्म करने की सबसे सही जगह है।
एक हाथ पेट पर था, होंठ गर्दन पर !मेरी आंखें चढ़ने लगी
थी, कब मेरा नाड़ा खोल दिया, पता नहीं चला। सलवार जब
गिरी तब मुझे काफी शर्म आई।“वाह कितने कोमल चूतड़ हैं
आपके !“यह क्या किया? आपने मेरी सलवार खोल दी?”“सब कुछ
खोलना है भाभी !”“नहीं ननदोई जी, यह जगह
सही नहीं है, दोनों की इज्ज़त उड़ जायेगी। बात
को समझो, नई नई दुल्हन हूँ, कोई भी देखने आ सकता है।”“चल एक बार
लौड़ा चूस दे थोड़ा ! फिर मैं चला जाता हूँ, रात तक इंतजाम हो जाएगा।” वो बैड के किनारे बैठ
गए।मैंने अपने सारे कपड़े पहन लिए, उनकी जिप खोल ली, उनका
लौड़ा देख मेरा मुँह खुला रह गया !इतना बड़ा था उनका कि !!
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#8
wow...kya gazab likho ho...aagey bhi likho
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#9
”“चल एक बार
लौड़ा चूस दे थोड़ा ! फिर मैं चला जाता हूँ, रात तक इंतजाम हो जाएगा।” वो बैड के किनारे बैठ
गए।मैंने अपने सारे कपड़े पहन लिए, उनकी जिप खोल ली, उनका
लौड़ा देख मेरा मुँह खुला रह गया !इतना बड़ा था उनका कि !!



“कैसा लगा भाभी?”मैंने सुपारे को मुँहं में लेकर चूसा- बहुत टेस्टी लौड़ा
है आपका !“इसको जब अंदर डलवाओगी, तुझे इतना मजा दूँगा कि बस !”मैंने जोर
जोर से उनका लौड़ा चूसना चालू किया, मेरे अंदाज से वो इतने दीवाने हुए, मेरे बालों में
हाथ फेरते हुए लौड़ा चुसवाने लगे। अचानक उन्होंने लौड़ा अपने हाथ में लिया,
तेज़ी से हिलाने लगे, बोले- भाभी मुँह खोल लो, आँखें बंद कर लो !
उनके लौड़े से इतना पानी निकला, कुछ होंठों पर निकला, बाकी पूरा मेरे
मुँह के अंदर माल छोड़ा।मैं उनका पूरा माल गटक गई।उन्होंने कहा- वाह, कितने नाज़ुक
होंठ हैं आपके ! मजा आ गया, रात तक कुछ कर दूंगा अंकिता डार्लिंग !“हाय ननदोई सा !
आपका भी तो बहुत बड़ा है !”“बहुत जल्दी हाथ चढ़ गई, लगता है
बहुत गर्म लड़की रही हो शादी से पहले?”शाम हुई,
सभी लौट आये, मैं एक नई दुल्हन की तरह मुख पर लज्जा लाकर
सबके बीच बैठ गई। सभी लेडीज़ संगीत का
आनन्द उठा रहे थे, ननदोई जी की नजर मुझ पर थी।
तभी उन्होंने मुझे और मेरे पति को अपने पास बुलाया, ननद जी को
भी पास बुला कर बोले- आज हम दोनों की तरफ से एक बड़ा
सरप्राईज़ है !“वो क्या?“यह लो चाभी
“यह क्या जीजा जी?” मेरे पति
बोले।“यह होटल के कमरे की चाभी है साले साहेब ! नई नई
शादी हुई है और घर में कितनी भीड़ है। एक साथ दो दो
शादियाँ रख दी गई, मेरे और ॠतु की तरफ से यह स्वीट
आपके लिए बुक करवा हुआ है मैंने !” ननदोई जी ने बताया। शर्म से आंखें
झुका ली मैंने ! पता नहीं क्या पैंतरा होगा यह ननदोई जी
का?“नहीं दीदी, हमें तो सबके साथ रहना है।” मैंने
कहा।“अंकिता, तब तक संगीत ख़त्म हो जाएगा ! रात ही तो जाना है,
हमें कुछ नहीं सुनना !” मेरी ननद बोली।ननदोई
जी इनको अपने साथ ले गए, इनको अपनी कार की
चाभी भी दे दी, और इकट्ठे बैठ कर दारु पीने
लगे, ननदोई जी ने इन्हें भी काफी पिला दी।
अचानक से ननदोई जी फ़ोन सुनने के लिए एक तरफ़ गए, फिर ननद के पास गए,
बोले- मुझे अभी चंडीगढ़ के लिए निकलना होगा, सुबह आठ बजे एक
एहम मीटिंग आ गई है।फ़िर हम दोनों को बुला कर बोले- यार शरद, मुझे
अभी चंडीगढ़ निकलना है, माफ़ करना, कार की
चाभी मांग रहा हूँ।“कोई बात नहीं जीजा जी, ऐसा
करो, मैं तुम दोनों को होटल छोड़ता हुआ निकलता हूँ, सुबह कैब से लौट आना !
ठीक है?”“लेकिन खाना?” दीदी बोली।
“इनका वहाँ डिनर भी साथ प्लान है और मैंने तो काफी स्नैक्स खाएं
हैं चिकन के !”
हम वहाँ पहुँच गए आलीशान होटल में ! इनको काफी चढ़
चुकी थी, ये बोले- जीजा जी, डिनर हमारे साथ
करके निकल जाना, तब तक पैग शैग हो जाए?ननदोई जी बोले- चल
ठीक है।बोतल मेज पर सज गई, मोटे मोटे पैग बनाये, ननदोई जी ने तो
अपना थोड़ा पिया, इन्होंने एक सांस में पूरा खींच मारा।मैंने सामने देखा उन्होंने मुझे
आँख मारी- तेरा पैग ख़त्म हो गया, यार खाली ग्लास अच्छा
नहीं लगता पकड़ यह !ये वहीं लुढ़कने लगे।“खाना कमरे में मंगवा
लेते हैं।”एक बहुत प्यारा सा कमरा था, बड़ी मुश्किल से ये कमरे तक गए।
मैंने अपना सूटकेस रख दिया, उसमें से गुलाबी रंग की बेहद
आकर्षक पारदर्शी नाईटी निकाली क्यूंकि मैं ननदोई
जी का पैंतरा समझ गई थी जब मैं वाशरूम गई, ननदोई जी
ने इनको फ़िर मोटा पैग लगवा दिया, ये सोफे पर लुढ़क गए, ननदोई जी ने इन्हें
उठाकर बिस्तर पर लिटाया, मुझे देखा तो देखते रह गए।“इसको तो हो गई।”जूते उतारे,
कम्बल देकर सुला दिया और मुझे बाँहों में लेकर बोले- बहुत हसीन दिख
रही हो रानी !मैंने उनके गले में बाहें डालते हुए उनके होंठों पर होंठ
रखते हुए कहा- आपका दिमाग बहुत तेज चलता है?बोले- बियर भी है, एक
छोटा सा लोगी? सरूर आ जाएगा उनके कहने पर मैं एक मग बियर गटक गई,
मुझे सरूर हुआ उठकर उनकी गोदी में बैठ गई, आगे से
नाईटी खोल दी, काली ब्रा में कैद मेरे मम्मे देख उनका तन
तन जा रहा था।
ननदोई जी ने ब्रा की साइड से निकाल मेरा निप्पल चूसा
ननदोई जी मेरे मम्मे दबाने लगे, मैं सी सी कर
रही थी। ब्रा की साइड से निकाल मेरा निप्पल चूसा।“ये
कहीं उठ गए तो पकड़े जायेंगे !”“बहुत तेज़ दारु पी है इसने ! वो
भी नीट के बराबर !”बोले- डोंट वरी, मैंने दो रूम आगे एक
अलग स्वीट बुक किया है हम दोनों के लिए !”इनको सुला कर हम बाहर से लॉक
कर चाभी लेकर दूसरे स्वीट में चले गए, वहीं बैठ एक
एक मग बियर का पिया, मैंने मेज से सामान उठाया, नाईटी उतार फेंकी,
ननदोई जी के सामने नंगी होकर बिस्तर पर लहराने लगी।
“हाय मेरी जान अंकिता ! बहुत मस्त अंदाज़ की औरत
मिली है साला साहेब को !:उन्होंने बोतल पकड़ी मेरे मम्मों पर दारु
बिखेरी जो मेरी नाभि में चली गई।ननदोई जी चाटते
हुए नीचे आ रहे थे, मेरा बदन वासना से जलने लगा।ऐसे कामुक अंदाज़
कभी नहीं अपनाए, किसी ने मेरे बदन पर ऐसे खेल
नहीं खेले थे, जब ननदोई जी ने नाभि से दारु चाटी, मैं
कूल्हे उठाने लगी, इन्होंने मेरी पैंटी खींच
दी।“हाय, कितनी प्यारी फ़ुद्दी है !
कितनी चिकनी की हुई है मैडम आपने !”मेरी
फ़ुद्दी चाटने लगे तो मुझे लगा कि मैं वैसे ही झड़ जाऊँगी,
पर मैंने उनको नहीं रोका।उन्होंने मुझे उल्टा लिटाया, मेरी
पीठ पर दारु डाल डाल कर चाटने लगे, मेरे चूतड़ों पर दारु टपका कर चाटने
लगेहाय ! मैं ऐसे मर्द के साथ पहली बार थी जो औरत को इतना स
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