10-01-2019, 02:44 PM
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Adultery जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
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10-01-2019, 02:45 PM
10-01-2019, 02:46 PM
10-01-2019, 02:54 PM
(This post was last modified: 10-01-2019, 02:57 PM by komaalrani.)
जोरू का गुलाम पोस्ट २
कच्चे टिकोरे और आम रस [i]...जिस पेज पर थे , वहां गुड्डी की फोटोग्राफ्स थे ,शादी में डांस करते। मैंने उन्हें इतना गुस्सा और दुखी कभी नहीं देखा था। वो वैसे भी कैंसरियन थे , राशि के हिसाब से , और गुस्सा होने पे या अकसर वैसे भी अपने शेल में घुस जाते थे। उन्होंने कंडोम उठाकर झटक कर फर्श पर फ़ेंक दिया जैसे मैंने कैसी गन्दी चीज गुड्डी की तस्वीर के साथ रख दी हो। और फिर सम्हाल कर उस की फोटो को पोंछा और अपने हाथ से नीचे वाले ड्राअर में एलबम को रख के बंद किया। और बिना मुझसे कुछ बोले , मेरी ओर पीठ कर के सो गए. जैसा मैंने पहले ही कहा था मेरे उनको फल एकदम पसंद नहीं है लेकिन आम से तो या ऐसी चिढ , बल्कि फोबिया। [/i][/i] एकदम तगड़ा फोबिया। और वो भी एकदम बचपन से ,उनके मायेकवाली किसी ने बताया था की ,क्लास में एक बार टीचर ने सिखाने की कोशिश की , एम फॉर मैंगो , लेकिन वो बोले नहीं। लाख टीचर ने कोशिश की ,मुरगा बना दिया , … लेकिन नहीं। और जब वो खाना खा रहे हों तो ,अगर टेबल पर आम तो छोड़िये ,टिकोरे की चटनी भी आ जाय , तो एकदम अलप्फ ,मेज से उठ जाएंगे। छूना तो छोड़िये नाम नहीं ले सकते। और सब उनको चिढ़ाते थे। एक दिन ,अभी भी मुझे याद है ,१० अगस्त। [i]हम लोग दसहरी आम खा रहे थे मस्ती के साथ ( वो खाना खा के ऊपर चले गए थे ) और तभी मेरी छुटकी ननदिया आई। और मेरे पीछे पड़ गयी। [/i] [i][/i] [i][i]" भाभी ये आप क्या कर रही हैं ,आम खा रही हैं ?" [/i][/i] मैंने उसे इग्नोर कर दिया फिर वो बोली ,मेरे भैय्या , आम छू भी नहीं सकते ,…" " अरे तूने कभी अपनी ये कच्ची अमिया उन्हें खिलाने की कोशिश की , कि नहीं , शर्तिया खा लेते " चिढ़ाते हुए मैं बोली। जैसे न समझ रही हो वैसे भोली बन के उसने देखा मुझे। " अरे ये , " और मैंने हाथ बढ़ा के उसके फ्राक से झांकते , कच्चे टिकोरों को हलके से चिकोटी काट के चिढ़ाते हुए इशारा किया और वो बिदक गयी। ये देख रही हो , अब ये चाहिए तो पास आना पड़ेगा न " मुस्करा के मैंने अपने गुलाबी रसीले भरे भरे होंठों की ओर इशारा करके बताया। [i][i]और एक और दसहरी आम उठा के सीधे मुंह में , …"[/i][/i] [i][i][i]और एक पीस उसको भी दे दिया , वो भी खाने लगी , मजे से। [/i][/i][/i] थे भी बहुत रसीले वो। लेकिन वो फिर चालू हो गयी , पास भी नहीं आएंगे आपके , मैं समझा रही हूँ आपको , मैं अपने भैया को आपसे अच्छी तरह समझतीं हूँ, आपको तो आये अभी तीन चार महीने भी ठीक से नहीं हुए हैं . अच्छी तरह से टूथपेस्ट कर के , माउथ फ्रेशनर , … वरना,… " उस छिपकली ने गुरु ज्ञान दिया। मैं एड़ी से चोटी तक तक सुलग गयी ,ये ननद है की सौत और मैंने भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया। " अच्छा , चलो लगा लो बाजी। अब इस साल का सीजन तो चला गया , अगले साल आम के सीजन में अगर तेरे इन्ही भैय्या को तेरे सामने आम न खिलाया तो कहना। " [i][i][i]मैंने दांव फ़ेंक दिया। [/i][/i][/i]
10-01-2019, 03:04 PM
लग गयी बाजी
अच्छा , चलो लगा लो बाजी। अब इस साल का सीजन तो चला गया , अगले साल आम के सीजन में अगर तेरे इन्ही भैय्या को तेरे सामने आम न खिलाया तो कहना। " मैंने दांव फ़ेंक दिया। लेकिन वो भी , एकदम श्योर। " अरे भाभी आप हार जाएंगी फालतू में , उन्हें मैं इत्ते दिनों से जानती हूँ। खाना तो दूर वो छू भी लें न तो मैं बाजी हार जाउंगी। वो बोली। लेकिन मैं पीछे हटने वाली नहीं थी , " ये मेरे गले का हार देख रही हो पूरे ४५ हजार का है। अगर तुम जीत गयी तो तुम्हारा ,वरना बोलो क्या लगाती हो बाजी तुम ," तब तक मेरी जेठानी भी आगयी और उसे चिढ़ाती बोलीं , " अरे इसके पास तो एक ही चीज है देने के लिए। " पर मेरी छुटकी ननद , एकदम पक्की श्योर बोली। " आप हार जाइयेगा। " जेठानी फिर बोलीं , मेरी ननद से " अरे अगर इतना श्योर है तो लगा ले न बाजी क्यों फट रही है तेरी। " और ऑफर मैंने पेश किया , "ठीक है तू जीत गयी तो हार तेरा और मैं जीत गयी तो बस सिर्फ चार घंटे तक जो मैं कहूँगी ,मानना पडेगा। " पहली बार वो थोड़ा डाउट में थी। " अरे मेरे सीधे साधे भैया को जबरन पकड़ के उसके मुंह में डाल दीजियेगा आप लोग , फिर कहियेगा ,जीत गयीं " बोली गुड्डी। " एकदम नहीं वो अपने हाथ से खाएंगे , बल्कि तुझसे कहेंगे ,तेरे हाथ से खुद खाएंगे अब तो मंजूर। और तुझे भी अपने हाथ से खिलायंगे। एक साल के अंदर। अब मंजूर। " मैंने शर्त साफ की और वो मान गयी। मेरी जेठानी ने मेरे कान में कहा , सुन तेरा हार तो अब गया। और कुछ ही दिन में उनका ट्रांसफर हो गया , घर से काफी दूर। और मैं भी उनकी जॉब वाली जगह पे आ गयी।
12-01-2019, 12:40 AM
वाह कोमल जी बेहतरीन अपडेट।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html [b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b] https://xossipy.com/thread-2651.html Hawas ka ghulam https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
12-01-2019, 11:06 PM
ग्रेट, आते ही ग्रुप पर छा गए हो कोमलजी। सीधे 5 स्टार रेटिंग।
बधाई हो।
12-01-2019, 11:15 PM
(08-01-2019, 10:09 PM)komaalrani Wrote: मैं अपनी कहानी जोरू का गुलाम यहाँ शुरू कर रही हूँ , शुरू से। यह कहानी xossip के अचानक बंद होने के कारण अधूरी रह गयी थी। आप सब सुधी पाठक पाठिकाओं की राय का इन्तजार रहेगा।Komal ji ye story bohut lumbi he ager ye story firse start krogi to is me bahut time lage ga. Kiya yesa nahi ho sakta ki xossip pe story ka jaha end huva tha vahi se story koi dusre thread me likho and ye story pehle se start kar rahi ho uska bhi update deti raho. Taki purane reader ko jiyada wait na karna pade.
13-01-2019, 07:54 AM
कोमल जी प्लीज कच्चे टिकोरों का अपडेट दीजिये। मैं समझ सकता हूँ कि अभी तक इस कहानी को वो रिस्पांस नहीं मिला जिसकी ये हक़दार है। लेकिन जब आप रेगुलर पोस्ट करेंगी तभी लोग इस कहानी को और जान पाएंगे।। और फिर 800 पेज की इस कहानी को शुरू से शुरू करना तो ठीक है लेकिन ये पोस्ट आपको रोज देने होंगे ताकि आपके पुराने रीडर्स को इस कहानी के आगे वाले अपडेट पढ़ने के लिए ज्यादा प्रतीक्षा ना करनी पड़े।।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html [b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b] https://xossipy.com/thread-2651.html Hawas ka ghulam https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
15-01-2019, 06:30 PM
जोरू का गुलाम पोस्ट ३
अब तक लेकिन मैं पीछे हटने वाली नहीं थी , " ये मेरे गले का हार देख रही हो पूरे ४५ हजार का है। अगर तुम जीत गयी तो तुम्हारा ,वरना बोलो क्या लगाती हो बाजी तुम ," तब तक मेरी जेठानी भी आगयी और उसे चिढ़ाती बोलीं , " अरे इसके पास तो एक ही चीज है देने के लिए। " पर मेरी छुटकी ननद , एकदम पक्की श्योर बोली। " आप हार जाइयेगा। " जेठानी फिर बोलीं , मेरी ननद से " अरे अगर इतना श्योर है तो लगा ले न बाजी क्यों फट रही है तेरी। " और ऑफर मैंने पेश किया , "ठीक है तू जीत गयी तो हार तेरा और मैं जीत गयी तो बस सिर्फ चार घंटे तक जो मैं कहूँगी ,मानना पडेगा। " पहली बार वो थोड़ा डाउट में थी। " अरे मेरे सीधे साधे भैया को जबरन पकड़ के उसके मुंह में डाल दीजियेगा आप लोग , फिर कहियेगा ,जीत गयीं " बोली गुड्डी। " एकदम नहीं वो अपने हाथ से खाएंगे , बल्कि तुझसे कहेंगे ,तेरे हाथ से खुद खाएंगे अब तो मंजूर। और तुझे भी अपने हाथ से खिलायंगे। एक साल के अंदर। अब मंजूर। " मैंने शर्त साफ कीऔर वो मान गयी। मेरी जेठानी ने मेरे कान में कहा , सुन तेरा हार तो अब गया। आगे अब मेरी बारी और कुछ ही दिन में उनका ट्रांसफर हो गया , घर से काफी दूर। और मैं भी उनकी जॉब वाली जगह पे आ गयी। और एक दिन मैं सोच रही थी उनके बारे में। ढेर सारी अच्छाइयां है उनमें , बहुत ही पोलाइट ,केयरिंग ,इंटेलिजेंट ,वेल रेड , लेकिन, जैसे मन में गांठे ही गांठे हों। फिर उनके मायकेवालों के बारें में और,....मुझे लगा , बात ये ही की ये बहुत ही इंट्रोवर्ट हैं। वहां तक तब भी गनीमत थी , लेकिन एक इमेज ,' अच्छे बच्चे ' की इनके मन में बचपन से बैठा दिया गया है , और बस वोउसी के हिसाब से, जबकि अब वो बच्चे नहीं रहे, फिर भी। और अब अपनी उसी इमेज में वो ट्रैप हो चुके हैं। इसी लिए कभी भी , वो खुल कर , यहाँ तक की 'उस समय ' भी , … अच्छे बच्चे की तरह , इसलिए वो न मस्ती कर पाते थे न , ....एकसेन्स आफ गिल्ट सा ,… लेकिन अब उस कैद से उन्हें छुड़ाने का काम मेरा ही था। जैसा परी कथाओ में होता है न किसी शापित राजकुमार को तिलस्म तोड़कर कोई राजकुमारी आजादकराती है , तो बस इस घुटन भरे तहखाने से उन्हें बाहर निकालने का काम , मुझे ही करना था। कैसे , ये सोचना मेरा काम था लेकिन मम्मी की सलाह के बिना तो , इतना बड़ा आपरेशन हाथ में लेना , … उन्होंने न सिर्फ सुना बल्कि सलाह भी दी। फिर मम्मी को मैंने अपनी छुटकी ननदसे लगी बाजी के बारे में भी बत्ताया और हंसकर कहा , अगले मौसम में मैं सोचती उस गुड्डी के रसीले गदराये आमों की ही उन्हें दावत करा दूँ। " एकदम " मम्मी ने हंस के कहा ,और जोड़ा और उसके बाद उस छिनाल ननद को मेरे पास भेज देना न ,पूरे गाँव की पंगत जिमा दूंगी। बस मैंने तय कर लिया था ,अब क्या करना है। एक बात और मैंने नोटिस की 'उनके ' बारे में , लेकिन वो राज बाद में खोलूंगी. ............ एक छोटे शहर के बड़े से होटल में हम दोनों थे। वो आफिस के काम से आये और साथ में मैं भी लग ली। देर सुबह , हम दोनों अलसाये और उनका 'वो' अंगड़ाई लेने लगा. मैं मान गयी लेकिन बस एक छोटी सी शर्त पर , ' जिसका पहले होगा , वो दूसरे की जिंदगी भर गुलामी करेगा ,सब कुछ मानना पड़ेगा। ' और वो मान गए। मानते कैसे नहीं ,उनकी हिम्मत थी। झुक के मैंने अपने गीले गुलाबी रसीले होंठ सीधे उनके होंठो पे लगा दिए और मेरी जीभ उनके मुंह के अंदर गोल गोल घूम रही थी। मेरे कड़े कड़े गोल उरोज हलके हलके उनके खुले सीने पेरगड़ रहे थे। हलके से उनके कानो को काटते . मैंने एक शर्त और में फुसफुसा दी , " एक दम नो होल्ड्सबार्ड होगा , वो कुछ भी कर सकते हैं , कुछ भी बोल सकते हैं और मैं भी। " वो मान गए। मानते कैसे नहीं ,पाजामे में तम्बू पूरी तरह तना हुआ था और मेरी उँगलियाँ हलके हलके नाड़ा खोल रही थीं। वह पूरी तरह कड़ा खड़ा था और मैं अच्छी तरह गीली। मैंने तय कर लिया था इस बार 'विमेन आन टॉप ' ,… आखिर आज के बाद से तो मुझे इसी हालत में रहना था। आलवेज आन टॉप।
15-01-2019, 06:37 PM
वोमन आन टॉप
आलवेज आन टॉप। पल भर में मैं उनके ऊपर थी। + मेरे गुलाबी होंठ हलके हलके उनके होंठों को छू रहे थे , उनके दोनों हाथों को मोड़ के उनके सर के नीचे मैने दबा दिया। दोनों कलाइयां मेरी कसी पकड़ में थी , और मैं उनके ऊपर। मेरेकड़े कैसे उरोज बस हलके से उनके होंठों को रगड़ कर दूर हट गए ,और नीचे मेरी 'गीली गुलाबी सहेली' उनके खड़े खूंटे के बस ठीक उपर। अपने कंचे ऐसे कड़े कड़े निपल उनके प्यासे पागल होंठों पे छुला के , तड़पा के , उनकी आँख में अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे डालते मैंने पूछा, " क्यों , मुन्ना , … चाहिए। " " हाँ हाँ ,… दो न , हाँ ," उन्होंने उचकने की कोशिश की , लेकिन उनकी दोनों कलाइयां मेरी कसी पकड़ में थी और शरारत से , ललचाते मेरे जोबन उनकी पहुँच के बाहर हो गए। "ऐसे थोड़ी , … अरे जरा ठीक से मांगों , विनती करो तब , .... "मैंने भी अदा दिखाई / " मुझे ये , तुम्हारे बूब्स , चाहिए। " वो बेताबी से बोले , लेकिन मैं ऐसे थोड़े पटने वाली थी। " ऐसे थोड़ी , तू भी न , खुल के बोलो न , जरा इसकी तारीफ करो , कैसे हैं ये तो बताओ न। " मैंने कहा और अब मेरे ३४ सी उरोज बस इंच भर उनके होंठों से दूररहे होंगे। " ओह्ह ओह्ह ये तुम्हारे बूब्स , सेक्सी ,बहुत रसीले हैं " कुछ खुले वो लेकिन ,… " अरे ऐसे थोड़ी अंग्रेजी में नहीं , और जरा खुल के , तुम भी न " मैंने मुंह बनाया। थोड़ा हिचक के फिर वो बोले , " तुम्हारे उरोज , रसीले कुच , बहुत मन कर रहा है , दो न " वो एक दम बेताब थे। पर मैंने अपनें उभारों को एकदम दूर कर लिया, और मुंह बना के बोली , " लगता है तेरा एकदम मन नहीं कर रहां है , अगर ये चहिये तो एक दम साफ साफ , देसी देसी भाषा में खुल के , अब ये मत कहना की अपने मायके में तूने ऐसे बोलना सीखा नहीं। एकदमदेसी ,समझ लो , पूरा खुल कर लास्ट चांस। " " नहीं नहीं प्लीज , सच्ची मेरा बहुत मन कर रहा है दो न। अपने ये गदराये जोबन , ये ये ,… ये रसीली चूंचियां ,.... दो न " " हाँ हाँ हाँ बोलते रहो , बहुत अच्छा लग रहा ओह और बोलो , " और ये कहते मेरे इंच भर कड़े खड़े निपल अब खुल के ऊनके होंठो पे रगड़ रहे थे " और मैने अपनी एडवांटेज थोड़ा और प्रेस किया , " बेबी माई लवली बेबी , बस एक छोटी सी बात और बोल दो तो ये निप्स अब तुम्हारे , बोलो। " "पूछो न। " उचकते हुए उन्होंने अपने होंठो के बीच मेरे उरोजों को दबोचने की कोशिश की , लेकिन मेरी कलाई की पकड़ तगड़ी थी और मेरे कबूतर उनकी पहुँच से दूर उड़ गए लेकिन बस थोड़ी दूर। " हाँ ये बताओ " मैं रुकी और झुक के एक छोटा सा किस उनके होंठों पे जड़ा और हटा लिया , और पूछा ,
15-01-2019, 06:41 PM
गुड्डी
उचकते हुए उन्होंने अपने होंठो के बीच मेरे उरोजों को दबोचने की कोशिश की , लेकिन मेरी कलाई की पकड़ तगड़ी थी और मेरे कबूतर उनकी पहुँच से दूर उड़ गए लेकिन बस थोड़ी दूर। " हाँ ये बताओ " मैं रुकी और झुक के एक छोटा सा किस उनके होंठों पे जड़ा और हटा लिया , और पूछा , + " बोल ,तेरे उस माल कम बहन , गुड्डी की चूंचियां , … ,मेरी चूंची से बड़ी हैं या छोटी। " वह प्यासी ललचाई निगाहों से मेरे गदराये मस्त जोबन को देख रहे थे ,.... लेकिन चुप। " ठीक है तुझे मेरे , …अच्छे नहीं लगते न ,.... मैं चलती हूँ " और मैंने उठने का नाटक किया। " नहीं नहीं , ऐसा नहीं है , उसकी , .... उसकी छोटी हैं , अभी उमर में भी तो वो इतनी छोटी ,.... " उनकी बात बीच में काट के मैंने पहले तो उनका इनाम दिया , मेरे जोबन का रस उनके प्यासे होंठों पे , खूब जोर से मैंने अपने निपल उनके होंठों पे रगड़े और हटा लिए। मुस्कराते , उन छेड़ते मैं बोलीं ,हलके से लेकिन इत्ती जोर से की वो साफ साफ सुन लें , " तो तुम , उस की चूंचियां बड़े ध्यान से देखते हो। छोटी हैं न अभी लेकिन घबड़ाते काहें हों , तुझी से दबवा दबवा के ,मसलवा मसलवा के बड़ी करवा दूंगी। " और उन के बेताब होंठो के बीच अपना एक निपल घुसा दिया। आखिर इनाम मिलना चाहिए था न। " चूस ले , … चूस ले ,.... दूध पियेगा मुन्ना। " उनके घुंघराले बाल सहलाते , उनमें उँगलियाँ फिराते प्यार से मैंने पूछा। उन्होंने हामी में सर हिलाया और दोनों हाथों से उनका सर कस के पकड़ के , अपने निपल को पूरा उनके मुंह में ठूंस दिया और , चिढ़ाते हुए कहा , " ले ले पी। पी जोर से। क्यों अपनी अम्मा की याद आ रही है , जैसे उनके जोर जोर से चूसते थे , .... वैसे ही , …चूस कस के , पी। " उनके दोनों हाथ अब छूट गए थे और मस्ती से उनकी हालत ख़राब हो रही थी। जोर जोर से उनके हाथ मेरे जोबन मसल रगड़ रहे थे। " क्यों अपने उस माल की याद आ रही है क्या जो इतनी जोर जोर से रगड़ रहे हो ", और उन्हें छेड़ते मेरा हाथ नीचे उनके खूंटे की ओर गया , एकदम ,लोहे का खम्भा।
15-01-2019, 06:48 PM
यह भाग , पार्ट ३ पिछले पेज से शुरू है , प्लीज अपने विचार पोस्ट करें , अगली पोस्ट जल्द
16-01-2019, 10:02 AM
बहुत ही मादक और कामुक अपडेट,सेडक्सन आउट ट्रैप का पूरा समावेश था आपके इस अपडेट में। हालांकि ये कहानी मेरी काफी आगे तक पढ़ी हुई है लेकिन फिर भी हर बार इस कहानी को पढ़ना अच्छा लगता है। अगला अपडेट जल्द दीजिये कोमल जी।।
बर्बादी को निमंत्रण
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16-01-2019, 12:48 PM
(This post was last modified: 16-01-2019, 12:56 PM by komaalrani.)
जोरू का गुलाम पोस्ट ४
वोमेन आन टॉप मैंने सीधे उसे अपनी 'प्रेम गली ' से सटाया ,और हलके से दबाया। धीरे धीरे , उस कड़ियल नाग का फन मेरी गली के अंदर फुफकार मार रहा था। मेरी 'प्रेम गली ' की दीवारें उसे दबा रही थीं , निचोड़ रही थीं पूरी ताकत से ,मेरा निपल अभी भी उनके मुंह में धंसा था। " मजा आ रहा है न , मुन्ना। " उनके कान में अपने जीभ की नोक घुमाते अपनी सेक्सी आवाज में मैंने फुस्फसा के पूछा। सर हिला के उन्होंने हामी भरी। "हाँ न और वो तेरी , .... तेरी उस बहन , उस तेरे माल की , उस कच्चे टिकोरे की भी तो कसी ,कसी ,एकदम टाइट ,.... बहुत मजा आएगा न जब रगड़ता ,दरेरता ,तेरा ,उसकी ,.... " और मैंने बात जान बूझ कर बीच में छोड़ दी। साथ में एक जोरदार धक्के के साथ , [i][i]मेरा आधा जोबन उनके मुंह में गया और उनका आधा लिंग मेरी कसी संकरी योनि के अंदर , [/i][/i] " यार तुझे तो मैं बहनचोद बना के , … " मैं हलके से बड़बड़ा रही थी लेकिन इस तरह की वो साफ साफ सुन रहे थे। और वो 'बहुत कड़े ' थे। पता नहीं मेरी बातों का असर था या ये उन्हें वो सब सुनना अच्छा लग रहा था। लेकिन कुछ भी हो असर बहुत साफ लग रहा था। और मैंने अपना हमला जारी रखा। मेरे लम्बे शार्प, रेड नेलपालिश लगे नाखून उनके निपल को जोर जोर से स्क्रैच कर रहे थे और फिर उसके बाद मेरी चपल जीभ ने उनके निप्स को फ्लिक करना शुरू कर दिया , और फिर , " छोटे छोटे , उस तेरी बहना के भी ऐसे होंगे न छोटे छोटे ,कच्चे टिकोरे , मस्त "\ और फिर झपट कर मेरे होंठों ने उनके निप्स को कैद कर लिया , पहले चूसा और दांत से हलके हलके बाइट , उईईईईईई , वो चीखे कुछ दर्द से , कुछ मजे से। " उसके भी निपल ऐसे ही हैं , मटर के दाने जैसे , सच्ची ,होली में हाथ अंदर डाल के रगड़ा था। कच्चे लेकिन कड़े कड़े , उसकी चड्ढी में भी हाथ डाला था , झांटे आ गयीं हैं , छोटी छोटी। " मैं उनके कान में फुसफुसाती रही। उनका औजार इतना सख्त , आजतक इतना कड़ा मैंने कभी महसूस नहीं किया था। मैंने गाडी का गियर चेंज किया और मेरे दोनों हाथ उनके कंधे पे , मेरी शेरनी ऐसी पतली कमर के जोर से , पूरे ताकत के साथ धक्का मारा। [i][i][i]वो पूरा अंदर था , एकदम जड़ था मेरी गहराई में धंसा।[/i][/i][/i]
16-01-2019, 01:04 PM
(This post was last modified: 28-05-2021, 12:07 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
धक्के पे धक्का
मैंने गाडी का गियर चेंज किया और मेरे दोनों हाथ उनके कंधे पे , मेरी शेरनी ऐसी पतली कमर के जोर से , पूरे ताकत के साथ धक्का मारा। वो पूरा अंदर था , एकदम जड़ था मेरी गहराई में धंसा। और अब में कभी जोर जोर से धक्के लगाती , तो कभी बस उसे अपने अंदर लिए निचोड़ती , अपनी योनि को हलके से एकदम पूरी ताकत से सिकोड़ने की कला और ताकत दोनों मेरे पास थी। जो 'नट क्रैकर 'कहते हैं न वही.जैसे रैटल स्नेक किसी जानवर को पकड़ कर सिर्फ दबा दबा कर कड़कड़ा कर उसके अस्थि पंजर तोड़ के चूर चूर कर देता है , बिलकुल वैसे ही। मेरे 'गुलाबी सहेली ' उनके ' खूंटे ' के साथ वैसा ही कर रही थी। मेरे दोनों हाथ उनके कंधे पर जमे थे और होंठ कभी हलके से उन्हें चूम लेते तो कभी कचकचा के , उनके निप्स , उनके गाल काट लेते। और वो भी अब नीचे से मेरे सुर ताल पे साथ साथ धक्का लगा रहे थे। कभी मैं बहुत 'सॉफ्ट ' हो जाती तो कभी बहुत' ब्रूट' . लेकिन आज उनमें भी एक नयी ताकत आगयी थी एक नया जोश , जैसे घुड़दौड़ में मचल रहे घोड़े को दौड़ने के लिए खुला छोड़ दिया जाय , जैसे कोई तूफान कहीं किसी डिब्बे में कैद पड़ा हो कोई जिन्न किसी बोतल में सदियों से बंद पड़ा हो , और उसे आके कोई आजाद कर दे। यही तो मैं चाहती थी ,खुल कर मस्ती , बिना किसी रोक टोक के एकदम वाइल्ड , ऐसी ताकत आज तक उन के धक्कों में मैंने कभी नहीं महसूस की थी। और साथ में उनके हाथ जोर जोर से मेरे जोबन मसल रहे थे , रगड़ रहे थे। उनके होंठ मेरे निपल काट रहे थे। और आज वो कोशिश कर रहे थे की मेरी जांघों के बीच जादुई बटन को , मेरे क्लिट को हाथ लगाएं , लेकिन वो उनके लिए मुश्किल हो रहा था क्योंकि धक्के मैं ही कंट्रोल कर रही थी . कुछ देर बाद वो आलमोस्ट कगार पर पहुँच गए , और मैं भी बस वहां पहुँचने वाले थी। बाजी किसी के भी हाथ लग सकती थी , लेकिन उन्होंने बेईमानी शुरू कर दी। भेड़ गिनने वाली , यानी सेक्स से ध्यान हटा कर किसी और चीज के बारे में सोचना ,गिनती गिनना , या कुछ भी। लेकिन उनकी कोई चीज मुझसे छुपती कैसे और इसका जवाब मेरे पास था। हथियारों का पूरा खजाना था मेरे पास , मेरे होंठ ,मेरे रसीले जोबन , मेरी उंगलिया।
16-01-2019, 01:09 PM
बन गए ' वो ' ....
लेकिन उनकी कोई चीज मुझसे छुपती कैसे और इसका जवाब मेरे पास था। हथियारों का पूरा खजाना था मेरे पास , मेरे होंठ ,मेरे रसीले जोबन , मेरी उंगलिया। मेरे उरोज जोर जोर से उनके होंठ को कभी रगड़ते और कभी उनका मुंह खोल के मैं अपने निपल मुंह के में डालती, तो कभी मेरे होंठ उनके इयर लोब्स को हलके से काट लेते। और मेरी योनि जोर जोर से अब लिंग को भींच रही थी सिकोड़ रही थी ,और उनके पास कोई रास्ता नहीं था इस कामक्रीड़ा से बच कर भागने का। मैंने कचकचा के उनके निप्स काट लिए और , और वो पूरी तेजी से , जैसे कोई बाँध टूट गया हो , सदियों से सोया ज्वालामुखी फूट पड़ा हो। आधा मिनट और देर होती तो शायद मैं पहले ,… लेकिन जैसे रस की दरिया बह निकली हो , गाढ़ा सफेद थक्केदार , मेरी योनि पूरी तरह भर गई और फिर मेरी जांघो पर बहकर , " आप , … तुम हार गए। " मैंने उनकी आँखों में आँखे डालकर कहा। " हूँ " मुस्कराते हुए उन्होंने हामी भरी और जोर से मुझे अपनी बाहों में भींच लिया। जैसे वो चाहते ही हों हारना। " और अब ,… तुम , मेरे ,.... गुलाम ,जोरू के गुलाम।" हाँ , …हाँ ,… " और अपने आप उनकी कमर उछली और एक बार फिर झटके से ढेर सारा वीर्य , और इसी के साथ मैं भी , उनके चौड़े सीने पर ढेर हो गयी। मेरी योनि जोर जोर से सिकुड़ रही थी , मेरी देह तूफान में पत्ते की तरह काँप रही थी। बहुत देर तक हम दोनों होश में नहीं थे ,सिर्फ एक दूसरे की बाँहों में बंधे , भींचे. छत पर पंखा अपनी रफ्तार से घर्र घर्र चल रहा था। खिड़की का पर्दा धीरे धीरे हिल रहा था। परदे से छन छन कर हलकी हलकी फर्श पर पसरी हलकी पीली धूप ,अब मेज पर चढ़ने की कोशिश कर रही थी लेकिन हम दोनों एक दूसरे से चिपके , एक दूसरे के अंदर धंसे ,घुसे ,अलमस्त उसी तरह लेटे थे , अलसाये। सफेद गाढ़े वीर्य की धार मेरी योनि से बहती गोरी जाँघों पे लसलसी ,चिपकी लगी थी और वहां से चददर पर भी , .... एक बड़ा सा थक्का ,… और अबकी उन्होंने हलके से ही आँखे खोली और उनके होंठों ने जोर से कचकचाकर मेरे होंठों को चूम लिया , यही तो मैं चाहती थी। मेरी मुस्कराती आँखों ने उन्हें देखा और होंठों ने पुछा कम , बताया ज्यादा " जोरु के गुलाम , .... " और एक बार फिर उनकी छाती के ऊपर मैं लेटी थी। और उनके मुस्कराती नाचती आँखों ने हामी भरी
18-01-2019, 11:24 AM
Dear Komal,
Xossip pe maien tumhri yehkahani padhi ahi aru abhot aage tak padhi ahi last update tak kay aage ki kahani please post karogi yeh kahani waha tak phuchne me bahto time algega aru yeh kahani to xossip pe pdf me thi to kya tum jaldi se woh aaage ki kahani bhej sakati ho.
18-01-2019, 10:12 PM
(18-01-2019, 11:24 AM)anwar.shaikh Wrote: Dear Komal, NO....it is not possible and i have many reasons. firstly , there are other many stories which have been completed in xossip but are being posted again , not only here but in many forums . More importantly if i post only the last part of story it will look truncated . I am not sure how many readers have read the last few parts i had posted there as even PDF part did not have last 20- 25 parts , which were posted in October -November . So please do have patience , i will be posting 3 -4 parts in a week and may be in a short while story will reach ...where it was left. I am posting Solahavan Saavan and sasuraal ki pahali holi again basically as i am planning to post the sequel of course subject to response .
19-01-2019, 12:54 AM
(18-01-2019, 10:12 PM)komaalrani Wrote: NO....it is not possible and i have many reasons. I compelcomp agree with you komal ji... If you post last part of this story then it will be injustice with your new readers..
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html [b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b] https://xossipy.com/thread-2651.html Hawas ka ghulam https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750 |
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