Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ... (COMPLETE)
#21
राज और कुमुद तैयार होकर घर से निकले। कुमुद ने जीन्स और ऊपर एक लूज़ टॉप पहन रखा था। राज ने एक ऑटोरिक्षा बुलाया और कुमुद के साथ बैठ कर साबरमती के किनारे जाने के लिए निकल पड़े। वहाँ पहुँचने पर नज़ारे की सुंदरता देख कुमुद स्तब्ध रह गयी। हमारे देश में इतना खूबसूरत नजारा कम ही देखने को मिलता है। दोनों एक बेंच पर बैठे और नदी को जोश से बहते हुए देखने लगे। राज ने धीरे से कुमुद के हाथ पर अपना हाथ रखा। कुमुद मुड़कर राज की और थोड़ी देर तक देखती रही, पर कुछ बोली नहीं। अपने हाथ के उपरसे राज का हाथ देखा पर पर उसे हटाया नहीं। राज ने धीरे से पूछा "कुमुद आप इतने गंभीर क्यों हो? जब से आप आये हो तबसे मैं देख रहा हूँ की आप कुछ बेचैन से हो। अगर आप मुझे अपना समझते हो तो आपके मनमें जो भी बात हो आप मुझसे बेझिझक बात कर सकते हो।"


राज की इतनी प्रेम भरी और मीठी बात सुन कर कुमुद की आँखें भर आयी। राज ने कुमुद के कंधे पर हाथ रखा और धीरे धीरे वह कुमुद की पीठ को सांत्वना देते हुए सहलाने लगा। कुमुद की आँखों में से अचानक अश्रुओं की धारा बहने लगी। उस ने राज के कन्धों पर अपना सर रख दिया और धीमी सी आवाज में सिसक कर रोने लगी। राज ने कमल की बीबी को अपनी बाहों में ले लिया और बिना कुछ बोले कुमुद की पीठ को सहलाता रहा और उसे सांत्वना देने का प्रयास करता रहा। 

कुछ देर बाद जब कुमुद थोड़ी शांत हुई तब उसने कहा, "राज मैं बड़ी उलझन में हूँ। बात कुछ ज्यादा ही नाजुक है और पता नहीं मुझे तुमसे यह बात करनी चाहिए या नहीं।"

राज ने कहा, "कुमुद अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा है तो तुम बड़े इत्मीनान से मुझे अपना निजी मित्र मान कर मुझसे खुले दिल से बात कर सकती हो। तुम मेरे बड़े भाई की पत्नी हो और इस रिश्ते से तुम मेरी बड़ी भाभी हो। पर मैं तुम्हें बड़ी भाभी नहीं मेरी ख़ास करीबी दोस्त या यूँ कहो की मैं तुम्हें अपनी गर्ल फ्रेंड मानता हूँ, और यह बात मैंने छाती ठोक कर कमल भैया से भी कही है। तुम्हें तो कोई एतराज नहीं है ?"

राज की बात सुन कर कुमुद रोते रोते ही बरबस हंस पड़ी और बोली, "राज तुम तो बातों बातों में काफी आगे बढ़ गए! तुमने तो मुझे बगैर पूछे अपनी गर्ल फ्रेंड बना डाला। खैर, जब तुम्हारे भैया को कोई एतराज नहीं तो मुझे क्यों एतराज होगा? लड़की तो मैं हूँ ही और फिर तुम्हारी फ्रेंड भी तो हूँ। मेरी समझ में यह नहीं आता था की मेरे मन की बात मैं किस से करूँ? मैं तुम्हें अपना मानती हूँ और एक राज ही है जिसे मैं अपने मनके राज़ बता सकती हूँ। मैं खुले दिल से आज मेरे मन की उलझन तुम्हें बताना चाहती हूँ। यह बात कमल, मेरे और एक दूसरी स्त्री के शारीरिक सम्बन्ध के बारे में है।"

राज ने धीरे से कहा, "ओह! तो यह बात है! कुमुद शायद तुम जो कहने जा रही हो वह बात जातीय संबंधों और सेक्स को लेकर है। अगर ऐसा है तो फिर हम दोनों के बिच में जो औपचारिकता की दिवार है वह ख़तम होनी चाहिए। क्यूंकि अगर तुम मुझे आप कहके बुलाओगी या फिर हम दोनों के बिच में खुल्लम खुल्ला बात नहीं होगी तो ना तुम मुझे ठीक से बता पाओगी और ना मैं ठीक से समझ पाउँगा। इस लिए क्या हम खुल्लम खुल्ला बात नहीं कर सकते?"

कुमुद ने मुड़कर राज की और देखा और राज का हाथ अपने हाथों में लेती हुई बोली, "ठीक बात है राज। जब हम इतने करीब ही गए हैं तो बेहतर है की अपने मन की बात स्पष्ट रूप से कहें। और हाँ, बात सेक्स के बारे में ही है।

राज ने कुमुद का हाथ अपने हाथों में दबाते हुए कमल का रानी के साथ आजमाया हुआ पेंच कुमुद के साथ आजमाया और कहा, "जब बात सेक्स की ही है तो फिर हमें एक दूसरे से कुछ भी छुपाना नहीं चाहिए और जो बात हो वह खुल्लम खुल्ला स्पष्ट रूप में बोलनी चाहिए। तो फिर क्या इसके लिए तुम्हे सभ्य शब्दों का ही प्रयोग करना जरुरी है? मैं चाहूँगा की तुम मुझसे स्पष्ट बात करो। सेक्स या फिर साथ में सोना की जगह कहो चोदना, पुरुष लिंग की जगह बोलो लण्ड. स्त्री लिंग की जगह बोलो चूत। तब तो बात में कोई असमंजस नहीं रहेगा। क्यों की अगर ऐसे शब्द बोलने में तुम्हें हीचकीचाहट है तो फिर हम खुल्लम खुला बात कैसे कर सकते हैं? मैं कुछ गलत तो नहीं कह रहा?"
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#22
राज की बात सुनकर कुमुद एकदम चुप हो गयी और राज की और एक अजीबो गरीब नजर से देखने लगी। शायद कुमुद को राज की बात सुनकर एक झटका सा लगा। राज मन ही मन अफ़सोस करने लगा। वह डर गया की उसकी बात सुनकर कमल की पत्नी जो इतनी रूढ़िवादी थी कहीं उठकर उसे तमाचा ही ना मार दे। उसे लगा की उसने यह अश्लील माने जाने वाले शब्द बोलकर भयंकर भूल कर दी थी। कुमुद के चेहरे का रंग जैसे उड़ सा गया। थोड़ी देर के लिए उसने राज की बात का कोई उत्तर नहीं दिया। शायद कुमुद कोई गंभीर सोच में डूब गयी।


पर थोड़ी देर बाद कुछ हिचकिचाते हुए कुमुद थोड़ी मुस्कुराई और बड़ी ही दबी सी आवाज में बोली, "नहीं राज, तुमने ठीक ही कहा है। मैं और कमल, हम पति पत्नी जब सेक्स के बारेमें बात करते हैं तो थोड़े ही सभ्य शब्दों का प्रयोग करते हैं? कमल तो खुल्लम खुल्ला ही नंगे शब्दों का ही उपयोग करता है और मुझसे भी वही शब्द बुलवाता है। पर पता नहीं तुम्हारे साथ ऐसे शब्द मैं बोल पाऊँगी या नहीं। पर हाँ कोशिश जरूर करुँगी। तो सुनो। यह बात कहते हुए मुझे डर हैं की कहीं तुम्हारा दिल टूट जाए। पर खैर अब बात तो करनी ही पड़ेगी। तुम्हारा प्रिय दोस्त, यानी मेरा पति कमल जब मुझसे सेक्स करता है, सॉरी, मुझे चोदता है तो वह हकीकत में तुम्हारी बीबी यानी रानी के सपने देखता है। अपने मन में वह सोचता है की वह मुझसे नहीं रानी से सेक्स, सॉरी मुझ को नहीं रानी को चोद रहा है। यह मुझे तब पता चला जब वह मुझे चोदते एक बार अनजानेमें ही 'रानी डार्लिंग तुम्हारी चूत बड़ी गरम है।' ऐसे ही कुछ बोलने लगा। मैं सोचती हूँ की कहीं ऐसा तो नहीं की मेरे पति और तुम्हारी बीबी के बिच में अवैध सम्बन्ध हों और हमें पता भी ना चले?"

कुमुद की बात सुनकर राज ने चैन की सांस ली। जरूर वह एक कदम आगे बढ़ चुका था और अब उसे कमल की चाणक्य निति की सफलता का पक्का विश्वास हो गया। जाने अनजाने कुमुद भी दोनों पुरुषों की जाल में फंस ने वाली लग रही थी।

राज कुमुद की बात सुनकर ठहाका मार कर हंसने लगा और बोला, "कुमुद डार्लिंग, बस इतनी सी बात? तुम इसके लिए अपने इतने बहुमूल्य आंसू बहा रही थी?" 

कुमुद राज की बात सुनकर रिसियाती हुई बोली, "इसमें हंसने की क्या बात है? क्या यह गंभीर मामला नहीं है? क्या तुम्हें यह सब पता है?"

राज अपनी हंसी को नियंत्रित करते हुए बोला, "देखो, मैंने तुम्हें बात बात में कुमुद डार्लिंग कहा। तुमने उस पर ध्यान भी नहीं दिया। जैसे हमारे बिच में एक खुल्लम खुल्ला बात करने का सम्बन्ध है वैसे ही मेरी बीबी रानी और तुम्हारे पति कमल के बीचमें भी यह सम्बन्ध हो सकता है या नहीं? दूसरी बात, कमल भैया के लिए तो मैं अपनी जान देने के लिए भी तैयार हूँ। शायद तुम्हें पता नहीं होगा की हम दोनों तो बचपन में एक ही पत्नी के साथ शादी करने के ख्वाब देख रहे थे। जब थोड़े बड़े हुए तो फिर हमने सोचा की जरूर हम एक दूसरे की पत्नी अगर अच्छी लगी तो मिल बाँट कर भोगेंगे। पर शादी के बाद तो बीबियों की भी सुननी पड़ती है ? खैर, वह अगर रानी को चोदना चाहते हैं और अगर रानी को उसमें कोई एतराज नहीं है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। पर बात चोदने की कहाँ है? कमल भैया तो रानी को चोदने की सिर्फ कल्पना ही तो कर रहे थे? वास्तव में तो वह रानी को चोद नहीं रहे हैं, तो फिर तुम इतनी परेशान क्यूँ हो रही हो?"

कुमुद राज की बात सुनकर थोड़ी सहम गयी और थोड़ी देर के लिए रुकी और बोली, "हाँ, तुम्हारी बात तो ठीक है। मैं भी बड़ी बेवकूफ हूँ। कमल रानी को चोदने की सिर्फ कल्पना ही तो कर रहा था! और मैंने तो इस बात पर कमल के साथ हंगामा खड़ा कर दिया।"

फिर कुमुद थोड़ी गंभीर हो गयी और धीरे से बोली, "पर कमल और रानी अगर हकीकत में सेक्स करने लगेंगे तो फिर?"

राज ने कहा, "कुमुद एक बात बताओ, क्या कमल तुमसे प्यार करता है या नहीं? और क्या तुम कमल से प्यार करती हो या नहीं?"

कुमुद बोली, "हाँ, हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।"

राज ने पूछा, "दुसरा सवाल, "क्या शादी से पहले तुमने किसी लड़के से एकाध बार सेक्स किया था या नहीं? कॉलेज मैं या कॉलेज में या कहीं और किसी भी लड़के के साथ चूत में उंगली डालना, लण्ड हिला देना ऐसी हरकतें हुई थी या नहीं? कुमुद बात छुपाना मत। सच सच बताना।"

कुमुद ने राज को ध्यान से देखते हुए हिचकिचाते स्वर में बोला, "हाँ, थोड़ी बहुत हुई तो थीं।"

राज ने कहा, "तो उसका तुम्हारी शादी या कमल के साथ प्यार पर कोई असर हुआ? नहीं हुआ ?"

कुमुद ने कहा, "नहीं हुआ, पर वह तो शादी के पहले की बात थी। शादी के बाद अब तो हमने एक दूसरे के प्रति पूरी वचनबद्धता की शपथ ली है ना?"
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#23
राज ने कहा, "वह बात तो ठीक है, पर शादी के कुछ सालों बाद पति या पत्नी को कोई कोई बार कहीं कहीं, कभी कभी विवाहेतर यानी शादी के बाहर सेक्स करने का मन होता है। कई बार जब मौक़ा मिलता है तो वह इसे आजमा भी लेते हैं। सही तो यह होता है की ऐसा होने से पहले पति पत्नी एक दूसरे से मिलकर इस बारे में बात करें। पर हकीकत में ऐसा होता नहीं है। हम एक दूसरे से बात करने में झिझकते हैं। और अगर बात कर ली तो पति अथवा पत्नी एतराज करते हैं, नाराज हो जाते हैं। इस लिए अक्सर ऐसी बातें चोरी छुपी हो जाती हैं।" इतना कह कर राज चुप होगया। वह जानना चाहता था की कुमुद पर उसकी बातों का क्या असर पड़ता है। राज ने कुमुद को देखा तो वह राज को बड़े ध्यान से सुन रही थी। 


राज ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "यदि पति पत्नी में अच्छा खासा मेल है और एक दूसरे को प्रेम करते हैं, ध्यान रखते हैं तो समझदारी इसी में है की उस बात को ज्यादा तूल दिया जाये और घर की बात घर में ही रहे। मैं ऐसे कई स्त्री और पुरुष को जानता हूँ जिनका एकाध बार या कुछ समय के लिए परपुरुष या परस्त्री से शारीरिक सम्बन्ध रहा था या कुछ कुछ किस्से में थोड़ा लंबा भी चला। जहां इसको एक आवेग के रूप में समझा जाय और एक दूसरे के साथ एडजस्ट कर लिया जाय वहाँ शादी अच्छी चलती है। जहां कोई ज्यादा आक्रामक रवैया दिखाता है वहाँ दिक्कत हो सकती है। आखिर में आदमी अपनी बीबी के पास और औरत अपने पति के पास ही वापस आते हैं। अपनी पत्नी के साथ ही वह सही आनंद पाते हैं। तो अगर ऐसा कुछ होता है तो ऐसी परिस्थी को शान्ति से सहजता और समझदारी से ही निपटना चाहिए। मैं तो कहता हूँ की ऐसा सहमति से हो तो अच्छा है। बल्कि मैं तो कहता हूँ की अगर ऐसा होता है तो दूसरे पार्टनर को भी इसका फायदा उठाना चाहिए।"

कुमुद ने राज की और प्रश्नात्मक दृष्टि से देखते हुए पूछा, "फायदा? कैसा फायदा? क्या मतलब है तुम्हारा राज?"

राज ने सकुचाते हुए कहा, " अगर ऐसे मामले में पति और पत्नी ऐसे आवेग को सकारात्मक नजरिये से देखें और एक दूसरे को सहयोग दें तो इसमें मजा भी सकता है। देखो कुमुद मैं खरी खरी बात कहता हूँ। अगर कमल रानी से सेक्स करने के लिए उत्सुक है और अगर रानी भी कमल से चुदवाने के लिए तैयार हो जाती है और अगर मौका मिलता है और कमल उसे चोदता है तो हमें उसको नजर अंदाज करना चाहिए। अगर तुम्हें पता चले की कमल रानी को चोद कर आया है तो उससे सवाल जवाब मत करो और ऐसा दिखाओ जैसे तुम उस बात को जानती ही नहीं हो या फिर उस बातको हंसी मजाक में उड़ादो। कमल को पता भी चले की तुम जानती हो पर उसे सीरियसली नहीं लेती तो इससे वह तुम्हारी इज्जत करेगा और एक तरह की गुनाह किया है ऐसी फीलिंग उसे होगी।"

राज ने यह सब बोल तो दिया पर वह डर रहा था की कहीं कुमुद इस बात से नाराज ना हो जाए। कुमुद की प्रतिक्रया जानने के लिए वह रुका। पर कुमुद के चेहरे पर कोई नकारात्मक भाव देखते ही राज ने फिर बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "अगर कमल तुमसे कहे की उसने रानी को चोदा है तो तुम उस बात को हंसकर उड़ा दो। मैं भी तो उस बात को ज्यादा तूल नहीं दूंगा और मेरी बीबी रानी से लड़ाई झगड़ा नहीं करूँगा। पर हाँ, तुम कमल भैया को और मैं रानी को यह जरूर अच्छी तरह समझा देंगे की अगर हम लोग भी कभी ऐसा कुछ करते हैं तो कमल भैया को और रानी को बुरा नहीं मानना चाहिए। और फिर अगर तुम्हारा मन करे तो तुम भी कोई पर पुरुष से कभी कभार आनंद ले सकती हो।"

कुमुद ने कुछ शर्माते हुए पूछा, "अब मैं तुम्हारा मतलब समझी। तुम भैया का बहाना लेकर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हो। राज साफ़ साफ़ बोलो तुम क्या चाहते हो।"

राज ने शर्माते हुए कहा, "मैं अपने मुंह से क्या बोलूं?" राज ने फिर हलके से अपना हाथ कुमुद की कमर पर घुमाया और कुमुद को अपनी और खींचा। कुमुद कुछ पलों तक राज से नजर से नजर मिलाकर देखती रही। फिर कुमुद धीरे से खिसक कर राज के पास आयी तो राज ने अपनी लम्बी बाहों में कुमुद को लपेट लिया और उसे उठा कर अपनी गोद में बिठा कर उसके मुंह पर अपना मुंह रखा। कुमुद ने राज की आँखों से आँखें मिलाकर उसे सरसरी नजर से देखा और बोली, "यह क्या कर रहे हो राज? ऐसा मत करो। मुझे अच्छा नहीं लगता।"

कुमुद की बात सुनते ही राज को जैसे बिच्छु काटा हो ऐसा झटका लगा। वह एकदम गंभीर हो गया और धीरे से कुमुद से थोड़ा हट कर बैठ गया। उसकी उम्मीदों पर कुमुद ने ठंडा पानी फेर दिया था। जब कुमुद ने राज के चेहरे का भाव देखा तो उस बड़ा दुःख हुआ की उसने राज जैसे सीधे सादे आदमी को क्यों दुखी कर दिया। स्त्री सहज सहानुभूति और करुणा के कारण कुमुद से रहा नहीं गया और वो बोली, " मेरे राज्जा, दुखी हो गए क्या? अपनी गर्ल फ्रेंड से नाराज हो?" 

राज ने कुमुद की और देखा पर कुछ ना बोला। कुमुद ने पूछा, "क्या बात है, मुंह क्यों छोटा हो गया?"

राज: "मैं क्यों नाराज होऊं? मेरा आप पर कोई अधिकार थोड़े ही है? मैं यह सोचकर बहक गया था की आपने मुझे अधिकार दिया है। पर मैं ग़लतफ़हमी में था। खैर मुझे मेरी इस हरकत के लिए माफ़ करना। आगे से में ऐसा नहीं करूंगा।" ऐसा बोलते ही राज की आँखें झलझला उठीं। आँखों में पानी गया और राज का गला रुँध गया। वह कुछ बोल नहीं पाया 
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#24
कुमुद का मन पिघल उठा। उसने राज का हाथ अपने हाथों में लिया तो राज ने हाथ वापस खिंच लिया। कुमुद ने महसूस किया की राज वाकई में बहुत दुखी हो गया था। कुमुद धीरे से उठी और राज का मुंह अपने हाथों में लेकर राज की गोद मैं जा बैठी और अपने होंठ राज के होंठ से मिला दिए। कुमुद को अपनी गोद में पाते ही राज मुस्कराया और उसने कुमुद की पीठ को हलके से सहलाना शुरू किया। फ़ौरन दोनों ही एक गहरे पाश में बांध गए। कुमुद ने फिर धीरे से राज के कानों में कहा, "राज आई एम् सॉरी। मुझे माफ़ करदो।


राज ने कहा, "पहले धक्का मारकर दूर करती हो फिर माफ़ी मांगती हो?"

उस सुनसान नदी के किनारे काफी लम्बे समय तक दोनोँ एक दूसरे के होंठों का रस पान करते रहे। उनकी गरम गरम साँसों की तेज धड़कन के अलावा दूर से गरबा की धुन की आवाज सुनाई दे रही थी। चुम्बन करते हुए राज का हाथ कुमुद की पीठ को सेहला रहा था। धीरे धीरे उसने कुमुद की ब्लाउज के पीछे के बटनों को जब टटोलना शुरू किया तो कुमुद राज से थोड़ा सा अलग हो कर बोली, "राज, यह तुम क्या कर रहे हो? कोई जाएगा।"

राज ने कुमुद को और करीब से कस के पकड़ा और बोला, "यहां कोई भी नहीं है। मैं कितने दिनों से यह करने की लगन लगाकर इंतजार कर रहा हूँ। अब रहा नहीं जाता।" ऐसा कह कर राज ने कस कर कुमुद को अपनी बाहों में लिया और उसे पूरी ताकत और जोश से चुंबन करने में लग गया। उसका एक हाथ कुमुद को जकड़े हुए था और दुसरा हाथ कुमुद की पीठ को सहलाता हुआ कुमुद की कमर के निचे उसकी गांड के फुले हुए गालों को दबा रहा था। 

कुमुद की सांस थम गयी। जब वह थोड़ी देर तक सांस ले पायी तो थोड़ा सा अलग होकर उसने गहरी साँसे ली और फिर राज और कुमुद दुबारा बाहु पाश में बंध गए और फिर एक गहरे चुम्बन में उलझ गए। राज कुमुद के कभी ऊपर के तो कभी निचे के होँठ को बारी बारी से चूस रहा था। पहले तो कुमुद राज को सक्रीय साथ देनेमें झिझक रही थी, पर जब उसने देखा की राज मानने वाला नहीं है तो उसने अपने होठोँ को राज के होठोँ से चिपका दिया और राज के होठोँ को चूमने और चूसने लगी।

कुछ देर बाद कुमुद राज से अपना मुंह हटा कर बोली, "राज, तुम जितने भोले दीखते हो उतने हो नहीं। तुम्हारे भैया तो जैसे हैं वैसे ही दीखते हैं। पर तुम तो छुपी कटार हो। खैर तुम बात सही कर रहे हो। 

कमल पहले से ही थोड़ा ज्यादा सेक्सुअल है। मैं उसका स्वभाव जान गयी हूँ। मैं जानती हूँ की उसने शादी के पहले और शायद शादी के बाद भी कई औरतों को अपने चंगुल में फंसाया होगा और शायद चोदा भी होगा। पर मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया और बात वहाँ ही ख़तम हो गयी और हमारा संसार ठीक चलता रहा। पर अब तो बात रानी की गयी। इसी लिए मैं थोड़ी ज्यादा दुखी हो गयी थी। पर तुमने ठीक कहा। जहर जहर को मारता है। पर राज, यह बात चुभती है की मैं जिसे अपनी छोटी बहन मानती हूँ वही मेरे पति के साथ ऐश करना, सॉरी मेरे पति से चुदवाना चाहती है। बोलो मैं क्या करूँ? मैं जानती हूँ कमल नहीं सुधरेगा। या तो मैं कमल को छोड़ दूँ, या फिर उसकी यह आवारा गर्दी बर्दाश्त करूँ। मेरी समझ नहीं आता मैं क्या करूँ?"

राज: "मेरे पास इसका सटीक इलाज है। मैं सच सच बताऊँ, तुमको क्या करना चाहिए? पर तुम मेरी बात नहीं मानोगी। वचन दो की मेरी बात मानोगी।"

कुमुद:, "क्यों नहीं मानूंगी? मैं वचन देती हूँ, की मैं तुम्हारी बात मानूंगी।"

राज: "तो फिर तुमने अभी कहा ना? जहर जहर को मरता है। अगर तुम समझती हो की रानी और कमल तुम्हें जहर देरहे हैं तो तुम भी उनको जहर पिलाओ। "

कुमुद:, "क्या मतलब? साफ़ साफ़ कहो, तुम क्या कहना कहते हो।"

राज: "तो आओ, जो खेल रानी और कमल खेलते हैं, वही खेल हम खेलें।"

कुमुद ने राज की और देखा और हंस पड़ी और बोली, "अच्छा मियाँ? तुम अपना उल्लू सीधा करना चाहते हो?"

राज" "जहर जहर को मारता है। देखो मैं तुम्हें कोई तरह से भटका नहीं रहा। मैं मानता हूँ घर की बात घर में ही रहे तो अच्छा है। क्यों तुम इस जिद पर अड़ी हो की तुम ऐसा नहीं होने देगी? अगर मान भी लिया जाय की कमल रानी को चोदता है तो फिर भी रानी बीबी तो मेरी ही रहेगी. कमल फिर भी तुम्हारा पति ही रहेगा। जैसे ही तुम दोनों यहाँ से गए की बात खतम। अब तुम बात का बतंगड़ ना बनाओ यही मेरी तुम से बिनती है।"
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#25
कुमुद एकदम सोच में ड़ूब गयी। थोड़ी देर सोचने के बाद बोली, "शायद तुम ठीक ही कह रहे हो। मुझे इस बात को स्वीकार करना चाहिए। धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा। मुझे अब कमल से कोई शिकायत नहीं करनी है। अगर वह रानी से सेक्स भी करता है तो मैं उसे ज्यादा तूल ना देनेकी कोशिश करुँगी। अब मैं चाहती हूँ की कमल और मैं हम दोनों पहले की तरह ही अपना जीवन बिताएं। मेरा मतलब है पहले की तरह ही सेक्स करें और एक दूसरे को शक की नजर से ना देखें। चलो घर चलते हैं। वहीं जा कर एक दूसरे से साफ़ साफ़ बात करते हैं।


यह कह कर कुमुद ने राज की बांह पकड़ी और अपना सर उसकी बांह से सटाकर चुपचाप बैठ गयी। राज ने भी कुमुद की पीठ सहलाते हुए कुमुद को थोड़ी देर ले लिए बेंच पर शान्ति से बैठ कर चिंतन करने का मौक़ा दिया। ऐसे ही कुछ मिनट बीत गए तब कुमुद उठ खड़ी हुई और राज का हाथ पकड़ कर बोली, "चलो घर चलते हैं। "

राज कुमुद की बात सुनकर दुखी हो गया। वह कुमुद से कुछ देर और प्यार जताना चाहता था। राज का दिमाग कुमुद के इतने करीब बैठने से चकरा रहा था। उसके हाथ कुमुद की छाती पर सैर करने के लिए बेताब हो रहे थे। पतलून में राज का लण्ड भी कड़क हो चुका था। पर राज जानता था की अगर उसने जल्द बाजी की तो थोड़ी बहुत नरम पड़ी हुई कुमुद कहीं फिर से अपना तेवर बदल ना दे। कही बनी बनाई बात पर पानी ना फिर जाय। 

राज ने एक नजर कुमुद की और देखा और अपने मन का दुःख अपनी आँखों से जाहिर करने की कोशिश की। शायद कुमुद भी राज के मन की बात समझ गयी थी। कुमुद ने धीरे से राज का हाथ दबाया और शायद धीरज रखने का इशारा किया। 

धीरे से राज उठ खड़ा हुआ और आगे बढ़कर उसने एक ऑटो रिक्शा रोका। राज ऑटो रिक्शा में कुमुद से एकदम सटकर बैठा और कुमुद का हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसे प्यार से सहलाने लगा। थोड़ी देर बाद राज ने कुमुद की कमर के इर्दगिर्द अपना हाथ घुमा कर उसे अपने सीने से दबा लिया। कुमुद भी अपना सर राज के सीने पर रख कर अपने मन के तरंगों में खो गयी।
 
##

क्यूंकि मोहल्ले में गरबा हो रहा था इसलिए उन्होंने ऑटो रिक्शा घर से थोड़ी दूर पर ही छोड़ दिया। जब राज और कुमुद घर पहुंचे तो उनके आश्चर्य का ठिकाना रहा। घर में कमल और रानी पहुँच चुके थे क्यूंकि घर अंदर से बंद था। बाहर कोई ताला नहीं लगा था। कुमुद ने राज की और देखा। राज ने अपने होंठों पर उंगली रख कर कुमुद को चुप रहने का इशारा किया। राज फिर धीरे से कंपाउंड की लॉन में से होकर अपने बैडरूम की खिड़की के पास दबे पाँव पहुंचा और खिड़की पर कान देकर अंदर की आवाज सुनने की कोशिश करने लगा। वह खिड़की राज के बेडरूम की थी। 

अंदर कमल और रानी की आवाजें हलकी सी सुनाई पड़ती थीं। राज ने कुमुद को भी अपने पास बुलाया ताकि अंदर हो रही बात कुमुद भी सुन सके। अँधेरे में कुछ दिखाई तो नहीं पड़ रहा था पर रानी की आवाज राज और कुमुद ने सुनी। रानी की साँसें तेज गति से चल रही थीं। उसकी आवाज रुक रुक कर रही थी। रानी कमल से कह रही थी, "कमल, यह हम ठीक नहीं कर रहें हैं। यह तुम क्या कर रहे हो? थोड़ा रुको, देखो कहीं राज और कुमुद ना जाए।"

फिर कमल की आवाज, "रानी, मैं कब से तुम्हारे यह गोरे भरे हुए बदन को छूने की कल्पना कर के पागल हो रहा हूँ। तुम भी तो कभी से मचल रही हो। तो क्यों हम एकदूसरे की इच्छा की आज मन भर कर तृप्ति कर लें? राज और कुमुद को आने में अभी काफी देर है। अगर राज और कुमुद भी गए तो मैं उनको उनको कुछ कह कर समझा लूंगा। कह दूंगा की वह दूसरे कमरे में ही चले जाएँ और हमें अकेला छोड़ दें।"

रानी, "पागल हो गए हो? अगर वह गए तो आप कुछ मत बोलना, मैं सब सम्हाल लुंगी।"

कमल, "पर अभी तो वह नहीं है ना। तो फिर मान जाओ ना? जाओ ना?"

रानी: "अरे कमल प्लीज तुम मान जाओ ना? ऐसा मत करो, प्लीज? देखो, वह दोनों आने वाले ही होंगे।"

कमरे में थोड़ी देर फिर चुप्पी हुई। शायद कमल रानी के कपडे पकड़ कर उसे अपनी और खिंच रहा था। रानी सहम कर बोली, "हे भगवान्! कमल तुम मानोगे नहीं। चलो ठीक है। लो मैं गयी, बस? खुश? पर अब कपडे मत निकालो।"

कमल: "प्लीज डार्लिंग! अब थोड़ी देर के लिए ही! मान जाओ !"

रानी: "अरे समझो भी! पागल मत बनो। बहुत मौके मिलेंगे। अगर वह दोनों गए तो कपडे पहनने में समय लगेगा और उनको शक हो जाएगा।...... " 

और फिर अंदर बातचीत बंद हो गयी। यह समझना कोई मुश्किल था की बैडरूम में राज की पत्नी रानी और कुमुद का पति कमल एकदूसरे को गाढ़ आलिंगन कर रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे कमल रानी का ब्लाउज खोलकर उसके मम्मे चूस रहा
था।
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#26
अंदर से चूमने की और रानी की सिसकारोयों की आवाजें आने लगीं।


रानी: " फिर वही जिद? अरे ........ कमल, प्लीज मान जाओ ना? कपडे मत निकालो प्लीज़? इस अंधेरेमें वैसे भी तुम्हें कुछ नहीं दिखेगा। कमल प्लीज यह क्या कर रहे हो? यह ठीक नहीं है। रुको, ऐसे नहीं। मैं ठीक कर देती हूँ। हे भगवान् तुम मानोगे नहीं। आह्हः... आह.... धीरे से कमल धीरे से। दर्द होता है। क्या कर रहे हो? चलो बस अब हो गया। अरे ब्लाउज मत खोलो बाबा। नहीं। रुको, मैं ब्लाउज और ब्रा को थोड़ा खिसका देती हूँ, ठीक है? चलो बाबा कर लो।"

अंदर से फिर कुछ कपड़ों को खिंचने की आवाज आयी। बाहर खिड़की में सुन रहे कुमुद और राज एक दूसरे को भौंचक्का सा देखते ही रह गए। कुमुद के मुंह पर अजीबो गरीब भाव नजर रहे थे। राज डर गया की कुमुद कहीं कुछ उत्तेजनात्मक काम ना कर बैठे। राज ने धीरे से कुमुद का हाथ दबाया और चुप रहने का इशारा किया। अचानक अंदर का कमरा जगमगा उठा। लगता था जैसे कमल ने बिजली का स्विच चालु कर दिया था। अब राज और कुमुद को अंदर की गतिविधियां साफ़ दिख रही थीं। 

रानी की साडी और ब्लाउज गायब थे। रानी कमल के सामने अपनी छाती पर अपने दो हाथों से ब्रा को ढकने का नाकाम प्रयास करते हुए ऊपर ब्रा और निचे घाघरा पहने खड़ी हुई थी। अंदर से रानी की दबी हुई आवाज आयी, "कमल यह क्या कर रहे हो?"

कमल: "तुम कह रही थी ना अन्धेरा है कुछ नहीं दिखेगा। तो चलो अब मैंने बत्ती जलादि। अब तो सब कुछ दिख रहा है ? अब तो मुझे देखने दो, मत रोको, प्लीज ....?"

ऐसे कहते हुए कमल ने फुर्ती से लपक कर रानी को अपनी बाहों में दबोच लिया और पीछे हाथ डाल कर रानी के ब्रा की पट्टी खोलदी। रानी की ब्रा रानी के कन्धों पर असहायता पूर्वक लटक पड़ी। रानी के उन्नत उरोज नंगे हो चुके थे पर फिर भी नहीं दिख रहे थे, क्यूंकि रानी ने अपने हाथों से उसको ढक दिया था। कमल के आहोश में जकड़ी हुई रानी के स्तन कमल की छाती से दबने के कारण फैल गए थे और वह फैलाव नजर रहा था। 

जैसे ही कमल का एक हाथ रानी के उभरे करारे स्तनों और उसकी फूली हुई निप्पलोँ से खेलने लगा, रानी का अवरोध धीरे धीरे कम होने लगा। रानी की कमल का हाथ हटाने की कमजोर चेष्टा का कमल पर कोई असर नहीं हुआ। कमल का दुसरा हाथ रानी के घाघरे के उपरसे ही रानी की गाँड़ पर रानी को अपने बदन से सटाकर दबाकर रखने में लगा हुआ था। कमल की उंगलियां रानी की गाँड़ को दबा ने में और एक उंगली तो उसकी गाँड़ के गालों के बिच वाली दरार को कुरेद ने की कोशिश में लगी हुई थी। 

जैसे ही रानी के कुछ बोलने की चेष्टा की की फ़ौरन कमल ने अपने होंठ रानी के होठों से चिपका दिए और बोला, "रानी, अब कुछ मत बोलो। जो होगा वह होने दो। अब मैं रुकने वाला नहीं। जिस दिन से मैंने तुम्हें पहली बार देखा था उस दिनसे मैं इस दिन का इंतजार कर रहा था।" और बिना समय गँवाए कमल ने अपना हाथ रानी के घाघरे में डाल कर घाघरे का नाडा खोल दिया। देखते ही देखते रानी का फैला हुआ घाघरा फर्श पर जा गिरा। 

रानी सिर्फ पेंटी पहने हुए अपने स्तनों को अपने हाथों से छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए खड़ी शर्म के मारे मरी जा रही थी। छोटी पेंटी में से रानी के झांटों के बाल भी दिख रहे थे। रानी की समझ में नहीं रहा था की वह हाथों से अपने स्तनों को छुपाये या अपनी चूत को। 

राज और कुमुद दोनों रानी के आधे नंगे बदन को बाहर से देखते ही रह गए। यह राज की जिंदगी का पहला मौक़ा था जब राज को अपनी पत्नी रानी के नंगे बदन को अपने ही घर की खिड़की में से देखना पड़ रहा था और वह भी किसी और मर्द की बाहों में। राज का लण्ड उसकी पतलून में फूल गया था और राज से कमल भैया को रानी के नंगे बदन को सहलाते हुए देखकर रहा नहीं जा रहा था। राजने अपनी पतलून में हाथ डाल कर अपने लण्ड को धीरे धीरे सहलाना शुरू किया और अंदर हो रही गतिविधियों को देखने लगा। 

कुमुद ने राज को अपने पेण्ट में हाथ डाल कर अपने लण्ड को सहलाते हुए देखा तो वह देखते ही रह गयी। राज के इस अंदाज को वह समझ नहीं पा रही थी। भला एक आदमी अपनी बीबी की दूसरे मर्द से चुदाई होने वाली है यह देखकर कामोत्तेजित कैसे हो सकता है? कुमुद ने अपने उत्तेजना से कांपते हुए हाथ से राज का हाथ थामा। राज ने कुमुद की और देखा। उसे लगा की कुमुद बड़े असमंजस में है। एक और गुस्सा और दुःख है तो दूसरी और उत्तेजना और रोमांच है। पर कुमुद के चेहरे के भाव देखकर राज ने महसूस किया की गुस्सा शायद रोमांच पर हावी हो रहा था। 

राज ने तुरंत ही कुमुद के मुंह पर अपनी हथेली जोरों से दबा दी ताकि वह कुछ भी बोल ना सके और कमल और रानी को पता चले की राज और कुमुद उन दोनों को खड़की से देख रहे थे। फिर खिड़की से कुमुद को खिंच कर बरामदे में लाया और धीरे से बोला, "कुमुद डार्लिंग, जो होता है उसे होने दो। रानी मेरी पत्नी है और रहेगी। कमल तुम्हारा पति है और रहेगा। हमारे और तुम्हारे दोनों के पत्नी और पति हमारे ही रहेंगे। इस मिलन से उसमें कोई फर्क नहीं पडेगा। प्लीज शांत हो जाओ।"

राज ने देखा की कुमुद उन दोनों को देखकर बाँवरी सी हो रही थी। राज ने कुमुद को अपनी बाँहों में लिया और उसे शांत करने की कोशिश करते हुए ढाढस देने लगा। पर कुमुद ने राज का हाथ पकड़ कर उसे वहाँ से हटाया और घर के मुख्य द्वार के सामने ले
आयी।
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#27
बाहर लाउड स्पीकर की वजह से कुछ ज्यादा ही शोर हो रहा था। कुमुद ने राज से रोनी सी आवाज में कहा, "राज अब तुम बताओ, हम क्या करें? मैं तो कहीं की ना रही। मेरा संसार तो तुम्हारी बीबी ने चौपट कर दिया।"

राज ने कुमुद को अपनी बाहों में दबाते हुए ढाढस देते हुए कहा, "कुमुद डार्लिंग, अरे भाई अगर तुम्हारा संसार चौपट हुआ है तो मेरी बीबी की भी तो चुदाई होने वाली है। मेरा तो चौपट नहीं, छौपट ही हो गया। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। कोई आसमान टूट नहीं पड़ा। धीरज रखो और मजे लो। क्या तुम उन दोनों को देख कर उत्तेजित नहीं हुई? सच सच बताओ?"

कुमुद ने राज की और देखा और मुंह बनाते हुए बोली, "मैंने कभी कोई भी स्त्री पुरुष को चोदते हुए अब तक नहीं देखा था। अगर वह दोनों मेरे पति और तुम्हारी पत्नी ना होते तो मैं वास्तव में उनके चोदने का पूरा आनंद लेती।"

राज ने कहा, "तुम चिंता मत करो। अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है। हम लोग उनकी ही जबान में उनको जवाब देंगे ना। चलो अब हंस दों। हम उन युगल के रंग में भंग करते हैं और उनकी पूरी फिरकी करते हैं। तुम यह मत जताना की हम ने कुछ भी देखा है।"

राज की बात सुनकर कुमुद उठ खड़ी हुई। राज ने कुमुद का हाथ पकड़ा और उसे वापस दरवाजे पर ले आया। बाहर किसी कारण अचानक लाउड स्पीकर बंद हो गए। तब अंदर से कमल और रानी की आवाजें सुनाई देने लगीं। राज ने कुमुद को चुप रहने का इशारा करते हुए घंटी बजायी। राज और कुमुद ने महसूस किया की अंदर से आवाजें आनी बंद हो गयीं। थोड़ी देर के लिये अचानक सन्नाटा छा गया। काफी समय के बाद अंदर से रानी की आवाज आयी, "रुको, आती हूँ।"

जब दरवाजा खुला तो राज और कुमुद ने देखा की पकडे जाने के डर और शर्म के मारे रानी के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था। उसके बाल बिखरे हुए थे और रानी उसे संवारने की कोशिश कर रही थी। रानी अपना ब्लाउज भी ठीक ठाक करने में लगी हुई थी। जैसे ही राज और कुमुद ने घर के अंदर कदम रखा तो कमल को राज के बैडरूम से निकलते हुए देखा। राज और कुमुद का सामना होते ही कमल की नजरें झुक गयीं। वह राज और कुमुद से आँखें नहीं मिला पा रहा था।


राज ने बड़ी ही सरलता से पूछा, "रानी डार्लिंग, दरवाजा खोलने में इतनी देर क्यों हुई? कहीं आप दोनों बिज़ी तो नहीं थे?"

राज का सवाल सुनकर रानी के चेहरे से तो जैसे हवाइयां उड़ने लगीं। वह अपने पति से नजरें नहीं मिला पा रही थीं। रानी की आँखें एकदम सुनी हो गयीं। वह अपने पति की और चेहरे पर एकदम हक्की बक्की भाव शून्य नजर से देखती रह गयी। उसके पास कोई जवाब नहीं था। राज ने रानी को खिंच कर अपनी बाँहों में लिया और बोला, तुम कहीं अपना सपना साकार करने में तो नहीं लगी थीं?"

रानी के हाल ऐसे हो गए की काटो तो खून ना निकले। जब रानी काफी समय तक निरुत्तर रही तो राज कमल की और घुमा और बोला, "भैया, आप और रानी चुप क्यों है? खैर, कोई बात नहीं। पर मुझे आपको एक खुश खबर देनी है। वह आपको कुमुद देगी।"

राज की बात सुनकर कुमुद आगे बढ़ी और रानी की और घूमी। कुमुद रानी के करीब गयी और अपना हाथ उठाकर कुमुद ने रानी के गाल पर एक जोरदार तमाचा जड़ दिया और बोली, "क्या गुल खिला रही थी मेरे पति के साथ?"

तमाचा इतना करारा था की रानी के गाल लाल हो गए थे। रानी की आँखों से आंसू टपक ने लगे। पुरे कमरे में सन्नाटा छा गया। सब जमीन पर नजरें गाड़े चुप हो गए। ऐसा कुछ होगा उसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी। कमरे में से कोई भी कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं था। 

राज के तो होश ही उड़ गए। कुमुद को इतना कुछ समझाने के बाद भी ऐसा होगा यह उसने सोचा था। कमल राज की पत्नी रानी के करीब गया और उसकी की और गौर से देखने लगा। उसे कुमुद पर गुस्सा और बेचारी रानी पर दया गयी। जो हुआ उसमें रानी का कोई कसूर नहीं था। . रानी की आँखें एकदम शून्य सी लग रही थी। वह एक पुतले की तरह भौंचक्की सी थोड़ी देर खड़ी रही और फिर एकदम जमीन पर लुढ़क कर एक मृत शरीर की तरह गिरने लगी तब कमल ने भाग कर रानी को अपनी बाहों में ले लिया और उसे उठाकर बैडरूम में ले गया। जाते जाते कमल ने कड़ी नज़रों से अपनी बीबी कुमुद की और देखा और बोला, "बहुत अच्छा किया तुमने। अपना गुस्सा तुम अगर मुझ पर निकालती तो मैं कुछ ना बोलता। पर बेचारी रानी का क्या दोष था? वह तो मुझे रोकती ही रही। सारा दोष तुम्हारा है। ना तुम मुझसे रूठती और सेक्स के लिए मना करती और ना मैं ऐसी कोई हरकत करता।"

फिर राज की और घूमकर कमल ने कहा, "भाई तुम कुमुद को हमारे बैडरूम में ले जाओ। कुमुद को समझाओ। क्या मैं उसे प्यार नहीं करता? मुझे अभी रानी से माफ़ी मांगनी है। वह बेचारी मेरी वजह से यह सब भुगत रही है।"

कुमुद ने जो करना था वह तो कर दिया पर अब उसे अपनी करनी पर दुःख और पछतावा होने लगा। कमल की बात सही थी। रानी का क्या दोष था? रानी बेचारी करती भी तो क्या करती? क्या वह कमल के सामने चिल्लाती और सब को चिल्ला कर बुलाती और कमल पर इल्जाम लगाती? कमल के व्यक्तित्व के सामने तो अच्छी अच्छी पतिव्रता औरतें भी अपने शील को सम्हाल नहीं पायी तो रानी क्या करती
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#28
राज ने कुमुद की बाहें थामी और कुमुद का हाथ पकड़ कर उसे जैसे खींचकर दूसरे बैडरूम में ले गया। राज ने धीरे से कुमुद को पलंग पर बिठाया और उसके बाजू में बैठ कर कुमुद की हथेली पर अपनी हथेली को मसलते हुए बोला, "डार्लिंग, मैंने तुम्हारा इतना क्रोधित रूप आज पहली बार देखा। कुमुद तुम इस विकराल रूप में भी बहुत अधिक सुन्दर और सेक्सी लग रही थी। अब महेरबानी करके शांत हो जाओ और अपने इस विकराल रूप को वापस सौम्यता में परिवर्तित करो। मैं तुम्हारे इस भयानक रूप से डर रहा हूँ।"

राज की बात सुनकर कुमुद के चेहरे पर बरबस मुस्कराहट की एक रेखा गयी। कुमुद ने अपने आप को सम्हाला और बोली, "राज, मैंने आवेश में आकर बड़ा ही गलत काम कर दिया। बेचारी रानी को मैंने बड़ा ही आहत किया है। मुझे उससे माफ़ी मांगनी चाहिए।" कहकर कुमुद उठ खड़ी होकर दूसरे बैडरूम की और जाने लगी। 

राज ने कुमुद को थोड़ा हल्का सा धक्का मार कर पलंग पर बिठाया और बोला, "यह काम कमल भैया को ही करने दो। पहले आप शांत हो जाओ और मेरी बात सुनो।"

कुमुद ने राज की और देखा और उसकी ठुड्डी एक हाथ से पकड़ी और राज का चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़ कर राज के मुंह को खिंच कर राज के होठोँ को अपने होठोँ से सटा कर राज को एक गहरा चुम्बन करने लगी। राज भी कुछ बोल ना पाया और कुमुद के रसीले होठों को चूमने और चूसने लगा। राज और कुमुद एक दूसरे से गहरे चुम्बन करने में लग गए। कुछ देर बाद कुमुद राज से अलग हुई और उसे उलाहना देते हुए बोली, "राज, मैं एकदम शांत हूँ। अब मुझे और कोई सिख नहीं चाहिए राज। अब मुझे क्या करना है, मैं जानती हूँ।और अब तुम मेरी बात सुनो। मैं तुम्हें बताती हूँ की तुम्हें अब क्या करना है।

यह कह कर कुमुद ने राज के कान में अपना प्लान सुनाया। कुमुद की बात सुन कर राज के चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गयी। दोनों ही दूसरे बैडरूम की और चल पड़े। 

कुमुद जब कमरे में दाखिल हुई तो देखा की रानी बेहोश सी पलंग पर लेटी हुई थी और कमल उसके सर पर हलके से प्यार से हाथ फिरा रहा था। कुमुद को आती हुई देख कर कमल थोड़ा सा अचम्भित हुआ। कुमुद ने अपने पति कमल के पास जाकर उसे वहाँ से हटने का इशारा किया और खुद कमल की जगह बैठ गयी। 

कुमुद ने धीरे से प्यार से रानी के सर पर हाथ फिराना शुरू किया और हलके से झुक कर रानी के कानों में बोली, "रानी डार्लिंग, उठो और अपनी बड़ी बहन की ऐसी हरकत के लिए कस कर उसे एक थप्पड़ मार कर उससे बदला वसूलो और अपना मन शांत करो। मैं तुम्हारी बड़ी बहन तुमसे माफ़ी मांग रही हूँ, पर यदि तुमने मुझे माफ़ नहीं भी किया तो भी मैं तुम्हारा दोष नहीं दूंगी। मुझे आपको इस तरह जलील करने का कोई हक़ नहीं था और इस लिए मैं आप की दी हुई कोई भी सजा सहर्ष स्वीकार करुँगी। "

कुमुद की बात सुन कर रानी ने धीरे से अपनी आँखें खोली। कुमुद को प्यार से सर पर हाथ फिराते और केश संवारते देख कर रानी की आँखों में आँसू की बाढ़ गयी। रानी सिसक सिसक कर रोने लगी और कुमुद को अपनी और खिंच कर कुमुद के गले लिपट कर बोली, "बहन, गलती तुम्हारी नहीं है। मैं तुम्हारी गुनहगार हूँ। माफ़ी तुम्हें नहीं मुझे मांगनी चाहिए। आपने जो मुझे थप्पड़ मारा वह तो बहुत ही छोटी सजा थी। आप जो कहेंगीं, मैं वह सजा भुगतने के लिए तैयार हूँ। बस आप मुझे माफ़ कर दीजिये।"

कुमुद ने रानी के होठोँ पर उंगली रखते हुए कहा, "चलो ठीक है। तुम मेरी दोषी हो ना? मैं जो कहूँगी वह सजा तुम स्वीकार करोगी? मुझे वचन दो।"

रानी पलंग पर धीरे से बैठ गयी। रानी ने कुमुद के हाथ अपने हाथमें लिये और उसे दबाकर बोली, "मैं मेरी बहन कुमुद को वचन देती हूँ की जो सजा तुम मुझे दोगी वह बिना सोचे समझे स्वीकार करुँगी। तुम मुझे आत्महत्या करने को कहोगी तो वह भी मैं करुँगी। तुम मुझे अपनी, राज की और कमल की जिंदगी से हमेशा के लिए दूर चले जानेको कहोगी तो मैं वह भी करुँगी। मुझे तुम्हारी कोई भी सजा मंजूर है।"

कुमुद ने रानी के हाथों को संवारते हुए रानी को बिस्तर से धीरे से उठाया और अपनी बाँहों में लिया। कुमुद ने रानी से कहा, "देखो बहन, तुम मेरी छोटी बहन और अब मेरी अत्यंत घनिष्ठ और निजी मित्र हो। जैसे हमारे पति एक दूसरे पर जान छिड़कते हैं वैसे ही हम दोनों भी एक दूसरे के घनिष्ठ हैं। मेरी नजर में सिर्फ तुम ही नहीं, हम चारों एक दूसरे के गुनेहगार हैं। वह ऐसे की यह हमारे दो पति एक दूर से पुरे खुले हुए और एकात्म हैं। ये कोई भी चीज एक दूसरे छुपाते नहीं हैं और करीब करीब सारी खुशियां मिलजुल कर बाँटते हैं। वह एक दूसरे के साथ लगभग पूरी तरह से पारदर्शी हैं। पर जहां तक पत्नियों का सवाल है वहाँ गड़बड़ हो गयी। अब हम दोनों उनके साथ जुड़ गयीं और हमारी मर्जी भी जरुरी हो गयी। इसलिए हमें भी एकात्म होना होगा और अब हम एकात्म हो भी गए हैं। तो फिर मैं तुम्हें, अपने आपको और बाकी हमारे दोनों पतियों को भी यह सजा सुनाती हूँ की हम चारों एकदूसरे से कोई भी बात नहीं छुपायेंगे और एक दूसरे से कोई पर्दा नहीं करेंगे। हम किसी के कोई भी कार्य का बुरा नहीं मानेंगे और एक दूसरे के साथ मस्ती में रहेंगे। क्या यह बात तुम्हें और हम सब को मंजूर है?"

राज और कमल एक दूसरे की और बड़े अचम्भे से देखने लगे। रानी ने तब कुमुद से शर्माते हुए दबी आवाज में पूछा, "बहन तुम्हारी सजा मंजूर है पर मेरे साथ ऐसा कुछ हुआ तो मैं तो शर्म के मारे मर ही जाउंगी। मुझे कमलजी के सामने बड़ी शर्म और लज्जा आती है। मैं क्या करूँ
?"
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#29
राज यह सुन कर आगे आया और बोला, "मेरी प्यारी रानी! शर्म और लज्जा स्त्री के आभूषण हैं। लज्जा तो आएगी ही। डार्लिंग, तुम्हें कुछ नहीं करना है। यह सब ऊँची ऊँची गंभीर बातें छोडो। बस हम दोनों पति और दोनों पत्नियां मिलकर यह शपथ लें की अब हम एकदूसरे से कुछ नहीं छुपायेंगे। इसकी शुरुआत हम ऐसे करें की आज रात हम हमारे बिस्तर एक साथ एक ही रूम में लगाएंगे और खूब प्रेम से एक दूसरे से खुली बात करेंगे और एक दूसरे की बातें सुनेंगे। हम चारों के बीचमें कोई भेद हम नहीं रखेंगे। हम पति और पत्नी खूब प्रेम करेंगे और एक दूसरे के सामने ही करेंगे। अब हम एक दूसरे से पर्दा नहीं करेंगे। अब हमें पूरी आजादी रहेगी। हम जो चाहे कर सकते हैं। बोलो मंजूर है?"

सब ने मिलकर कहा, " मंजूर है।"

तब कुमुद थोड़ा मुस्कुरायी और रानी के पास आयी और उसे अपनी बाँहों में लेती हुई बोली, "तू मुझे अपनी बहिन कहती है ? और मुझसे ही चोरी छुप्पी? मेरा पति तो पहले से ही लम्पट है। मुझे पता है की वह तुम्हें छेड़े बगैर रहेगा नहीं। तुम्हें छेड़ रहा था वह? सच सच बोलना। और अगर तू उसे पसंद है ना तो वह तुझे छोड़ेगा भी नहीं।" इतना बोल कर कुमुद चुप हो गयी और सब की और देखने लगी। 

फिर कुमुद ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा, "पर आखिर तू भी तो एक स्त्री है और तेरी भी तो अपनी कामनाएं हैं और मजबूरियां भी हैं। मेरे लम्पट और आकर्षक पति को दूर रखना कोई भी स्त्री के लिए बड़ा ही मुश्किल है। उसके ऊपर तुम्हें लपेटने में कमल के सहायक और हितैषी तुम्हारे पति? तुम कहाँ बच पाती? तुम्हारा क्या दोष?" कह कर कुमुद ने रानी को गले लगा लिया। 

रानी: "कुमुद तुम मेरी सच्ची बड़ी बहन हो। मैं तुम्हें कभी आहत नहीं करुँगी। यह मेरा वादा है।"

कुमुद अपने पति कमल के पास गयी और बोली, "डार्लिंग, तुम तो सुधरोगे नहीं। तुम अपने आपको क्या समझते हो? कोई लड़की ने ज़रा सी छूट दे दी तो तुम जो चाहो करोगे? अब चलो मेरे साथ मैं तुम्हें इसकी सजा देती हूँ।

यह कह कर कमल का हाथ पकड़ कर कुमुद अपने पति को खिंच कर दूर बैडरूम में ले गयी। कमरे में पहुंच कर पलंग पर पति को बिठाकर कुमुद स्वयं उसकी गोद में बैठ गयी। अपने पति कमल को कुमुद ने गले लगा लिया, अपनी बाहों में ले लिया और कमल के कानों में फुसफुसाती हुई बोली, "मेरे चालु लम्पट पतिदेव। बेचारी भोली भाली चिड़िया को फँसा रहे थे? यार निर्लज्जता की भी कोई हद होती है। अपने भाई की बीबी को ही चोदना चाहते हो?"

कमल बड़े ही असमंजस में अपनी बीबी कुमुद को देखता रहा। उसे समझ नहीं रहा था की वह क्या बोले। उसने कुमुद का यह रूप कभी पहले नहीं देखा था। कुमुद बोली, "तुम तो सुधरने से रहे। अब मुझे ही सुधरना पडेगा। मैं कोई गुस्से में नहीं हूँ। तुम्हारे और रानी के बारे में मेरी राज से खुल्लमखुल्ला बात हुई है। अब मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं है। अब तक के मेरे रूखे बर्ताव के लिए मुझे माफ़ करना। पर हाँ याद रहे मैं तुम्हारी बीबी हूँ और हमेशा रहूंगी। तुम पर मेरा ही अधिकार है। रानियां तो आएंगी और जाएंगी। और दूसरी बात तुम्हारी खैर नहीं जो मेरे पीछे, मुझसे पूछे बगैर कुछ भी गड़बड़ की। राज से मेरी साफ़ साफ़ बात हुई है। अब हम जो भी करेंगे, साथ में मिलकर करेंगे। बोलो मंजूर?"

कमल को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। उस के चेहरे पर तो वैसे ही पहले से ही हवाइयां उड़ रही थीं। अपनी पत्नी का वह रूप देख कर उसकी बोलती बंद हो गयी थी। कुमुद की बात सुनकर कमल की जान में जान आयी। वह आगे बढ़ा और अपनी पत्नी कुमुद को अपनी बाहों में लेते हुए बोला, "मुझे मंजूर है। तुम बहुत अच्छी पत्नी हो जो मुझ जैसे लम्पट को भी झेल रही हो। अब मैं तुमसे कोई धोखाधड़ी नहीं करूंगा। जोभी करूंगा यातो तुम्हारे सामने या फिर तुमको बताकर करूँगा।"

कुमुद ने जवाब में कहा, "कमल, मतलब तुम अपनी करतूतों से बाज नहीं आओगे? खैर मैं जानती हूँ तुम सुधर नहीं सकते। पर तुम्हारा क्या दोष? मैं भी तो तुम पर बेकार ही इतना गुस्सा कर बैठी और तुम्हें कई रातों तक पास नहीं आने दिया। मैं जानती हूँ सेक्स के बगैर तुम रह नहीं सकते। अब मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी। तुम्हारी ख़ुशी मैं ही मेरा जीवन है। मैं तुम्हारी हूँ और तुम मुझसे जो चाहे कर सकते हो और तुम जो कहोगे मैं करुँगी। मुझे तुम पर पूरा विश्वास है। मैं तुम्हें किसी भी बातमें कभी नहीं रोकूंगी।"

अपनी बीबी की बात सुनकर कमल का मुंह खुआ का खुला ही रह गया। उसकी समझ में नहीं आया की यह सब क्या हो गया था। पर जो भी हुआ इससे कमल खुश था। कमल ने कुमुद को अपनी बाहों में ऊपर उठा लिया और पूछा, "डार्लिंग क्या बात है? राज के साथ क्या बात हुई जो तुम अचानक ही मुझ पर इतनी मेहरबान हो गयी?"

कुमुद ने अपने पति की और हँसते हुए देखा और कहा, "तुम तो पागल हो, पर रानी तो समझदार है। राज कह रहा था की कमल भैया तो पागल हैं, उनकी बातों का क्या बुरा मानना?"

कमल: "अच्छा तो मैं राज और तुम्हारी नजर में पागल हूँ? तो फिर तो आज मैं अपना पागलपन जरूर दिखाऊंगा। और तुम मुझे रोकेगी नहीं, मंजूर है?"

कुमुद, "अच्छा वचन दिया की मैं तुम्हेँ बिलकुल नहीं रोकूंगी। बस? अब चलो हम कपडे बदल कर चलते हैं और देखते हैं की राज और रानी क्या कर रहें हैं?" ऐसा कह कर कुमुद ने कमल को सूटकेस खोल कर अपने पति कमल को उसका कुर्ता पजामा दिया और खुद स्कर्ट और टॉप निकाल फेंका।
 
[+] 2 users Like usaiha2's post
Like Reply
#30
कमल अपनी बीबी को ब्रा और पेंटी में खड़ी हुई देखता ही रहा। कुमुद उस वेश में बड़ी खूबसूरत दिख रही थी। कुमुद की पतली कमर के निचे का घुमाव जो उसकी आकर्षक गांड और चूत में जाकर मिलता था, वह देखते ही बनता था। वैसे तो उसने कई बार कुमुद को नंगी भी देखा था, परन्तु आज की बात कुछ और थी। जब कुमुद झुक कर गाउन निकाल कर पहनने लगी तो कमल कुमुद के पीछे गया। कुमुद की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर पीछे से अपना लण्ड कुमुद की गांड में घुसाने का नाटक करते हुए कमल ने अपनी बीबी की ब्रा की पट्टी खोल दी और कुमुद की पेंटी को निचे की और खिसकाते हुए बोला, "यह निकालो। "


कुमुद आश्चर्य से अपने पति को देखती ही रह गयी और बोली, " बात क्या है? यह क्या कर रहे हो?"

कमल ने शरारत भरी नजर से कुमुद की और देखते हुए कहा, "अरे भाई मैंअपनी खूबसूरत बीबी को नँगी देखना चाहता हूँ। मैंने तुम्हें काफी समय से नँगी नहीं देखा है। अरे जब यह ब्रा और पैंटी जल्द ही उतरनी ही है, तो पहनने की क्या जरुरत है?"

कुमुद ने असहायता दिखते हुए कहा, "ठीक है… तुम मेरे पति और स्वामी हो। तुम्हारी बात तो माननी ही पड़ेगी।" कुमुद ने जल्दी ही सिर्फ नाइट गाउन पहना और अंदर कुछ नहीं पहना। 

कमल ने भी फुर्ती से अपने कपडे बदले और कुर्ता पजामा पहन कर तैयार हुआ और तैयार होते ही कमल ने अपनी बीबी कुमुद का हाथ पकड़ा और राज के बैडरूम की और चल पड़ा।

राज के साथ रानी अपने कपडे बदल कर सफ़ेद नाइट गाउन पहन कर रही थी। रानी का गाउन महिम कॉटन का था। शायद राज ने भी रानी को अन्तर्वस्त्र (यानी पेंटी और ब्रा) पहनने से रोका था जिसके कारण हवा का एक झोंका और पीछे से आती प्रकाश की किरणें रानी के गाउन में से उसके कमसिन नंगे बदन की आकृति की साफ़ साफ़ झांकी दे रही थीं। दोनों टांगो को एक दूसरे से दबाती हुई चलती रानी दो सुआकार जाँघों के बिच सिकुड़ी हुई अपनी खूबसूरत चूत को दूसरों की नजरों से छुपाने का नाकाम प्रयास कर रही थी। बड़ी ही सहमी सहमी धीरी चाल से चलती हुई रानी सफ़ेद परी के सामान दिख रही थी। रानी की चाल से थिरकते हुए उसके उन्नत उरोज और मटकती हुई उस की गाँड़ देखते ही बनती थी। कुमुद ने देखा की बड़ी मुश्किल से उसके पति कमल ने अपनी नजर रानी के कमसिन बदन से हटाई। 

कुमुद ने सोचा बेचारे उसके पति का क्या दोष? ऐसी खूबसूरत और सेक्सी स्त्री को देखकर कुमुद का खुद का मन भी तो रानी को बाहों में लेने को मचल रहा था। 

कमल और कुमुद के पहुँचते ही राज ने कहा, "भैया, आज हम चारों मिलकर खुल्लम खुल्ला बाते करते हैं और सारी समस्यायों का समाधान करते हैं। इसलिए मेरा सुझाव है की आज की रात एक साथ गुजारेंगे। बल्कि हम दूसरा एक पलंग ले आते हैं और दोनों पलंग एकसाथ कर देते हैं। फिर पूरी रात सोते रहेंगे, बाते करते रहेंगे। बोलो भैया ठीक है?" 

कमल ने कहा, "राज दूसरे पलंग की क्या जरुरत है? हम चारों तो एक ही पलंग में भी समा सकते हैं।"

कुमुद और रानी एकदूसरे को चुपचाप देखते ही रहे। राज ने कमल को इशारा किया और कमल और राज दोनों ने मिलकर दूसरे बैडरूम में से एक पलंग उठाया और उसे लाकर राज और रानी के पलंग के साथ जोड़ दिया। 

पलँगो के जुड़ते ही, राज ने जैसे सुहाग रात में पति पत्नी को अपनी शैय्या पर ले जाता है, ऐसे ही अपनी पत्नी रानी को बाहों में उठाकर अपने पलंग पर कोने में ले जा बैठा और रानी को अपनी गोद में बिठा दिया। 

कुमुद सेहमी सी एक कोने में खड़ी बिना बोले दोनों मर्दों की करतूतें देख रही थी। कमल मूड़ा और अपनी पत्नी कुमुद को भी अपनी बाहों में ऊपर उठा कर दूसरे पलंग के पास जा पहुंचा। 

जब राज और रानी ने कमल को अपनी पत्नी कुमुद को अपनी बाहों में उठाकर लाते हुए देखा तो राज बोल पड़ा, "आज कुमुद भाभी की खैर नहीं। लगता है कमल भैया बड़े मूड में हैं।"

कमल ने अपनी पत्नी कुमुद को धीरे से पलंग पर लिटाते हुए कहा, "देखो राज, सच तो यह है की मैं मेरी प्यारी कुमुद के बिना कई दिनों से अलग रहा। आज तुम्हारे कारण मुझे मेरी प्यारी के साथ सोने का मौक़ा मिला है तो मैं उसे खोना नहीं चाहता।"

कमल अपनी बात खतम करे उससे पहले ही राज बोल पड़ा, "सोने का मौक़ा या फिर कुछ और करने का मौक़ा? भैया साफ़ साफ़ क्यों नहीं बोलते?"

कमल राज की और खिसियानी नजर से देख कर बोला, "हाँ भाई। मैं जानता हूँ तू क्या कहना चाहता है। अब हमें खुल्लम खुल्ला शब्दों में बात करनी है, तू यही कहना चाहता है ना? तेरी बात भी ठीक है। चल तो मैं कह ही देता हूँ की आज मैं मेरी बीबी को चोदने का मौक़ा खोना नहीं चाहता। बस? अब तो खुश?"
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#31
कमल की बात सुन कर रानी और कुमुद एक दूसरे को देखने लगे। कुछ दिन पहले तक अपने पति को छोड़ कभी भी रानी ने ऐसे शब्द और किसी से नहीं सुने थे। हाँ, यह सही था की रानी कमल से 'चोदना' शब्द पहले सुन चुकी थी पर वह उन दोनों के बिच की टेलीफोन पर हुई एक निजी बात थी। पर अब तो कमल सबके सामने खुल्लम खुल्ला "चोदना" शब्द का प्रयोग कर रहा था। कमल से सब के सामने "चोदना" शब्द सुन कर शर्म के मारे रानी के गाल लाल होगये। 


कुमुद ने अपने पति के गाल पर चूंटी भरते हुए कहा, "यह क्या बक रहे हो? चुप करो। अरे तुम लोग शर्म करो। देखो मेरी छोटी बहन रानी कितना शर्मा रही है? वैसे अब सोने का टाइम भी होगया है। चलो बत्ती बुझा लो और सब सो जाओ।"

राज ने कहा, "कुमुद सोने की इतनी जल्दी क्यों है? अभी तो रात जवान है। हमें बहुत बातें करनी है।"

कुमुद: "बातें करने के लिए कौन मना कर रहा है? पर भाई आप लोग थोड़ी सी शर्म भी तो रखो। यहां देखो मेरी बहन रानी के गाल शर्म के मारे कैसे लाल हो रहे हैं?" सब ने रानी की और देखा की वाकई रानी शर्म के मारे तारतार हो रही थी की अपने पति के सामने यह सब खुल्लम खुल्ला सब कुछ बोल रहे थे। 

राज रानी की छाती पर हाथ रख कर उसके स्तनों को हलके से गाउन के उपरसे ही मसलने लगा तो कुमुद ने पलंग के एक कोने में पड़ी चद्दर उठाकर रानी और राज को ढकते हुए कहा, "राज मैं कह रही हूँ और तुम सुन नहीं रहे हो। ज़रा शर्म तो करो।"

राज ने मुस्कुराते हुए कहा, "अरे भाई, अब हमने सब की सहमति से तय किया है की हम एक दूसरे से कतई पर्दा नहीं रखेंगे। ना बोलने में, ना कुछ करने में तो फिर शर्म काहे? और जहां तक रानी का सवाल है तो भाई बड़ी बहन नहीं बचेगी तो छोटी बहन थोड़े ही छूटने वाली है? जब भैया भाभी लग पड़ेंगे तो मैं क्या मेरी बीबी को ऐसे ही छोड़ दूंगा?" 

रानी शर्म के मारे अपने बदन पर चद्दर ओढ़कर अपनी नजर जमीन पर गाड़े चुप बैठ कर सब की बातें सुन रही थी। 

कमल ने कुमुद को अपनी बाँहों में लेकर कुमुद के होठों पर अपने होंठ रख कर एक जोशीली फ्रेंच किस करने लगा तो कुमुद ने अपने पति को रोकते हुए कहा, "अरे यह क्या? तुम तो आते ही शुरू हो गए! ज़रा रुको तो! कमल, चुप रहो। मेरी बात तो सुनो। थोड़ी धीरज रखो। धीरज का फल मीठा होता है।

पर कमल कहाँ सुनने वाला था। उसने कहा, "मैंने महीनों तक धीरज ही तो रखी थी। अब तो फल खाने का समय आगया है। डार्लिंग, अब मैं सिर्फ बातों से मानने वाला नहीं हूँ। तुम मुझे काफी समय के बाद मिली हो। भाई आज की रात मेरे लिए कोई सुहाग रात से कम नहीं है। आज रात मुझे कोई मत रोकना।"

कुमुद ने कहा, "तुम्हें कोई नहीं रोकेगा। वैसे भी तुम हम से रुकने वाले कहाँ हो?" 

रानी से यह सब सुन कर रहा नहीं गया और वह बोल उठी, "मैं आप सब से छोटी हूँ। अगर आप सब इजाजत दें तो मेरा एक सवाल है।" सब चुप हो कर रानी की और आश्चर्य से देखने लगे और अपना सर हिला कर सम्मति दी। 

रानी ने कहा, "मैं मानती हूँ की हमें एक दूसरे से चीटिंग यानी धोखेबाजी नहीं करनी चाहिए, पर हम भारतीय नारियाँ ऐसे संस्कार में पली हैं की आसानी से अपने बदन का प्रदर्शन नहीं कर सकतीं। हम खुल्लमखुल्ला बात नहीं कर सकतीं। हमें शर्म आती है। हम अपने पति के साथ भी एकदम बिंदास होकर सेक्स नहीं कर सकतीं, कपडे नहीं उतार सकतीं, तो दूसरों के सामने की तो बात ही क्या? मेरी आप लोगों से बिनती है की हमारी मज़बूरी को भी समझियेगा। आप लोगों को हमें कुछ तो ढील देनी चाहिए।"

सब भौंचक्के हो कर एक दूसरे को देखते रहे। तब राज ने कहा, "रानी ठीक कहती है। देखिये, मैं एक बात मानता हूँ। हम सब कभी कभी थोड़ा झूठ बोल लेते हैं। हम सब कभी कभी थोड़ी सी बेईमानी भी तो करते ही हैं। जब हम कॉलेज में गुल्ली मारते थे तब, घर में पिक्चर देखने या गर्ल फ्रेंड से मिलने जाना होता था तब, ताश खेलते हुए, बच्चे थे तब एडल्ट फिल्म देखने के लिए माँ बाप से , कोई ख़ास काम हो तो ऑफिस में भी झूठ बोलते थे और बोलते है। तो अगर कभी कभी हम सेक्स में भी थोड़ा झूठ बोलें तो हमें बुरा नहीं मानना चाहिए। बल्कि थोड़ी चोरी हो तो सेक्स में कुछ ज्यादा ही रोमांच आता है। हम पति पत्नी कभी थोड़ा सा भटक जाएँ या फिर थोडासा फिसल जाएँ तो हमें बातका बतंगड़ नहीं बनाना चाहिए। 'थोड़ी सी बेवफाई' तो चलती है यार। हम अगर एक दूसरे से छिपकर थोड़ा इधर उधर कुछ कर लेते हैं, एक दूसरे की बीबी से चोरी छुपी से थोड़ी ज्यादा छूट भी ले लेते हैं, तो जानते हुए भी अनजान बनने में कोई बुराई नहीं है। इसका मजा लेना चाहिए। इतना विश्वास तो हमें अपने पति या पत्नी पर रखना होगा और इतनी छूट तो हमें एक दूसरे को देनी होगी। आजकल यह सब चलता है।"
Like Reply
#32
सब राज की बात को ध्यान से सुन रहे थे। राज ने कहा, "पर हाँ, हमारी वचनबद्धता हमारे पति या पत्नी में ही होनी चाहिए। अगर हमने 'थोड़ी सी बेवफाई' कर ली तो क्या होगया? हमारे पति या पत्नी हमारे जीवन का एक अटूट हिस्सा होना चाहिए, क्यूंकि हमारे भाई बहन, माँ बाप, बच्चे सब इसी सम्बन्ध पर टिके हुए हैं। इस लिए यह इमारत को कोई क्षति नहीं पहुंचनी चाहिए।"


कुमुद बोल पड़ी, "राज हमें सब कुछ खुल्लम खुल्ला बोलने की जरुरत नहीं है। पर अगर हम प्यार से खुल्लम खुल्ला बोलते हैं तो कोई हर्ज भी नहीं है। हमें जो कुछ करना है, वह खुल्लम खुल्ला करें या फिर थोड़ा छुपा कर, हमें एक दूसरे की नाजुकता और संवेदनशीलता का ध्यान रखना चाहिए। हम सब अलग अलग व्यक्तित्व रखते हैं तो स्वाभाविक है की हम सब अलग अलग तरीके से बात करेंगे, सेक्स भी अलग अलग तरीके से करेंगे। वाकई मझा तो उसी में है। थोड़ी सी बेवफाई में भी तो मज़ा आता है। याद करो, हम सब ने कॉलेज या कॉलेज में किसी लड़के या लड़की से चोरी छुपके मिलना, सब की नज़रों से बच कर किस करना, नजर चुरा के चूँचियों को दबाना, मौक़ा मिलने पर कोई कोने में दो पैरों के बिच में उंगली डाल देना और कभी कभी तो और भी आगे बढ़कर सेक्स भी कर लेना, कुछ कुछ तो किया था ? कितना मजा आता था ? पर क्या हुआ? अब हम पति पत्नी बन कर अपना अपना धर्म तो निभा रहे है ? तो चोरी छुपी हो या खुल्लम खुल्ला; जो करना है, जैसे करना है, करें; पर सोच समझ कर करें।"

कमल ने कहा, "भाई मैं भी तो यही कह रहा हूँ। विशेषता में ही एकता है। हम सब विशेषता चाहते हैं, विविधता चाहते हैं, नयी नयी चीझें आजमाना चाहते हैं। तो चलो चाहे छुप कर या फिर खुल्लम खुल्ला, चलो हम आज प्यार की नयी रीत अपनाते हैं।"

कमल की बात सुन कर रानी ने चौँक कर पूछा, "क्या मतलब है तुम्हारा कमल?"

कमल ने कहा, "बूझो तो जानूं। बस इतना कहना ही काफी है।"

तब कुमुद ने कहा, "बस बहुत हो गया। अब और कोई सीरियस बात नहीं करनीं। चलो हम कोई खेल खेलते हैं।" खेल का नाम सुनकर रानी की आँखें चमक उठीं। वह एकदम बैठ गयी और उत्सुकता से सुनने लगी की कुमुद कौनसा खेल खेलने के लिए कह रही थीं। वह समझ गयी की जो भी खेल होगा, कुछ कुछ नया रंग लाएगा जरूर। 

कमल ने कहा, "खेल क्यों? क्या खेल खेलेंगे?"

राज ने कहा, "हम एक दूसरे को हिंदी पिक्चर के बारेमें एक सवाल पूछेंगे। सवाल सरल होना चाहिए। जो जवाब दे देगा वह पास। फिर सवाल पूछने की बारी उसीकी होगी। अगर जवाब नहीं दे पाया तो फिर पूछने वाला जो सजा देगा उसे मानी पड़ेगी। बोलो मंजूर है?"

कुमुद ने आँखें नचाते हुए कहा, "मंजूर है। मगर सजा ऐसी ना हो की हम कर ना पाएं। ठीक है

राज ने कहा, "ठीक है।" राज ने कमल, रानी और कुमुद की और देखा। सब ने मुंडी हिला कर हामी भरी। 

राज ने कहा, "सबसे पहले मैं कमल भैया से पूछूंगा की शोले पिक्चर की हेरोइन का नाम क्या था?"

कमल ने कहा, "रे यह तो सब को मालूम है। हीरोइन थी हेमामालिनी।"

राज ने कहा, "अब सवाल पूछने की बारी कमल की हुई। "

कमल ने रानी से पूछा, "बताओ, शोले पिक्चर में संगीत किसने दिया था?"

रानी सोचने लगी। उसे नहीं पता था। उसने कहा, "मुझे नहीं मालूम। "

सब ने तालियां बजायीं और कमल ने कहा, "संगीत एस डी बर्मन का था। रानी अब तुम्हें सजा मिलेगी। जाओ राज की गोद मैं बैठकर उसे करारा चुम्बन दो।"

रानी उलझन में देखती रही की राज ने रानी को अपनी बाहों में जकड लिया और बोला, "चलो भाई अब मैं ही तुम्हारा काम पूरा कर देता हूँ।" और राज और रानी एक दूसरे के बाहुपाश में बंध गए और होँठों से होँठ मिलाकर एक दूसरे को प्रगाढ़ चुम्बन करने में जुट गए। 
[+] 2 users Like usaiha2's post
Like Reply
#33
राज और रानी को चुम्बन करते हुए देख कर कमल से रहा नहीं गया। उसने अपनी बीबी को करीब खींचा तो कुमुद भी खिसक कर कमल की बाँहों में गयी। इतने दिनों से पति से अलग रहने से वह भी मायूस हो गयी थी। वह समझ चुकी थी की राज जो कह रहा था की ऐसी बातों को ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए वह सही था। कुमुद ने तय किया की अब उसके लिए अपने पति को खुश रखना बहुत जरुरी है। अपना पति थोड़ा बहुत इधर उधर भटक भी जाए फिर भी अपना होता है। अब जब इतने दिनों के बाद कमल उसे प्यार कर रहा था तो कुमुद कमल को रोकना नहीं चाहती थी। 


कुमुद बोली, "मेरे पागल पति! मैं तो तुम्हारी हूँ और हमेशा रहूंगी। ना मैं तुम्हें रोकूंगी ना ही टोकूँगी, बस खुश?"

कमल ने कुमुद के होठोँ पर एक हलकी सी किस करके बोला, "डार्लिंग आज की रात हम सब मिलकर मौज करेंगे।" यह कह कर कमल ने अपनी बीबी कुमुद को पलंग पर राज और रानी के पास खिसका दिया। कमल खुद पलंग पर चढ़ कर कुमुद से चिपक कर बैठ गया। हाल यह था की एक पलंग तो खाली था और दूसरे पलंग के ऊपर दोनों युगल एक दूसरे के बदन से सट कर बैठे हुए थे। रानी अपने पति राज की बाँहों में प्रगाढ़ चुम्बन करने में व्यस्त थी। 

थोड़ी देर बाद जब राज और रानी अलग हुए तो राज ने अपनी पत्नी रानी की छाती पर हाथ रखते हुए कमल से पूछा, "भैया, गरबा से क्यों जल्दी वापस आगये?"

कमल ने कुछ हिचकिचाते हुए, कहा, "गरबा में बहुत सारी सुन्दर लडकियां और औरते थीं। मेरे लिए तो हमारी दो सुन्दर बीबियाँ ही काफी हैं। मैं कन्फ्यूज़ होना नहीं चाहता था।"

कुमुद ने अपने पति कमल को चूँटी भरते हुए कहा, "झूठे कहींके। क्यों नहीं कहते हो की तुमसे हमारे बगैर रहा नहीं गया?" कुमुद के मुंह से "रानी के बगैर रहा नहीं गया" निकल जाता पर अपने आप को सम्हालते हुए उसने "हमारे बगैर रहा नहीं गया" वाक्य का प्रयोग किया। 

पर कमल अपनी पत्नी का इशारा समझ गया था। शर्म के मारे वह कुछ बोल नहीं पाया। कुमुद ने काफी अरसे के बाद अपने पति को उलझन में फंसे हुए चुप चाप रहते हुए महसूस किया। 

कमल ने देखा रानी अपने पति राज की गोद में लेटी हुई थी और राज बात करते हुए अपनी बीबी रानी की छाती पर सजे हुए परिपक्व स्तनों को हलके से मसल ने लगा था।

इसे देख कमल ने भी अपनी बीबी कुमुद को अपनी गोद में लिया और कुमुद के स्तनों के ऊपर अपना हाथ फिराना और धीरे धीरे उनको को दबाना और मसलना शुरू किया। कुमुद ने जब अपने पति का हाथ पकड़ उसे रोकना चाहा तो कमल ने अपनी बीबी का हाथ हटा कर उसके स्तनों को और फुर्ती से मलना जारी रखा। हार कर कुमुद चुपचाप अपने पति की गोद में लेटी हुई अपने पति की हरकतों का आनंद लेती रही। दोनों ही पति अपनी अपनी पत्नियों के स्तनों को गाउन के ऊपर से मलने का आनंद लेने लगे। 

राज ने कहा, "रानी ने अपनी सजा भुगत ली है इसलिए अब सवाल पूछने की बारी रानी की है। "

रानी कुमुद की और मुड़ी और बोली, "कुमुद बताओ, कौनसी पिक्चर में एक हिंदुस्तानी हीरो इंग्लैंड की टीम में क्रिकेट खेलता हुआ दिखाया गया है?"

कुमुद सोचने लगी। उसे क्रिकेट में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। उसने कहा उसे नहीं मालुम। तब रानी ने कहा, "वह पिक्चर थी पटियाला हाउस। अब तुम हार गयी हो तो तुम भी अपने पति की गोद में बैठकर उसे चुम्बन करो।"

कमल तो इसी का इंतजार कर रहा था। उसने फुर्ती से कुमुद को लपक कर पकड़ा और अपने होँठ कुमुद के होँठों से मिलाकर चुम्बन में खो गया। कुमुद भी अपने पति के गाढ़ आलिंगन में जकड़ी हुई उसे चुम्बन करके कमल के होँठों को चूसने लग गयी। कमल का हाथ अपनी बीबी के स्तनों को गाउन के ऊपर से ही मसलने में लग गया। 

अब कुमुद की बारी थी सवाल पूछने की। कुमुद ने अपने पति कमल से पूछा, "बताओ, शोले पिक्चर में सुरमा भोपाली कौन बना था?"

कमल ने फ़ौरन जवाब दिया, "जगदीप।"

जवाब सही था। अब सवाल पूछने की बारी कमल किआई। कमल ने अपनी बीबी कुमुद से पूछा, "कौनसी पिक्चर में हीरो आखरी बॉल में छक्का मारकर मैच जीतता है। "
Like Reply
#34
कुमुद फिर जवाब नहीं दे पायी। उसने कहा, "मुझे नहीं मालुम।"


कमल ने कहा, "लगान

अपनी बीबी को सजा देनेकी बारी अब कमल की थी। कमल ने कुमुद से कहा, "अब तुम जाओ और राज की गोद में जा कर बैठ जाओ और उसे चुम्बन करो।"

कुमुद ने कमल की और तर्रार नज़रों से देखा और कहा, "ऐसा मैं नहीं कर सकती।"

कमल ने कहा, "तुम्हें करना ही पडेगा। हमने अभी अभी तय किया था की हम एक दूसरे से कोई बंधन नहीं रखेंगे। तो चलो राज को किस करो। वरना मैं उठकर चला जाऊंगा।" कुमुद बड़ी धीमी गति से उठी और जैसे बड़ी अनिच्छा दिखाती हुई राज और रानी की और घूमी। रानी राज की गोदमें से हट गयी और कुमुद राज की गोद में जा बैठी। फिर शर्म से नीची नजर रखे हुए कुमुद ने अपने होँठ राज के होँठों पर रखे। राज फ़ौरन कमल की और देखता हुआ (जैसे उसकी इजाजत मांग रहा हो) कुमुद को होँठ से होँठ मिलाकर चूमने लगा। राज और कुमुद थोड़े समय के लिए अटपटे ढंगसे एक दूसरे के होँठ चूमते रहे और फिर धीरे से अलग हुए। 

कुमुद ने कहा, "बस भाई, यह गेम कुछ ज्यादा ही हो गया। अब मुझे नींद रही है। हम सोने चलते हैं।"

कुमुद जैसे ही मुड़ी की कमल ने उसे अपनी गोद में ले लिया और कुमुद की छाती दबाने में लग गया। कुमुद की कमल को रोकने की शक्ति नहीं बची थी। वह खुद भी तो कमल के हाथों से अपने स्तनों को दबवाने का आनन्द उठाना चाहती थी। राज ने देखा की कुमुद भी अब राज और रानी के सामने ही कमल के हाथों से अपनी चूँचियों को दबवाने का आनंद ले रही थी। राज ने रानी पर झुक कर अपनी बीबी के होँठों पर अपने होँठ रख दिए और रानी को चूमने लगा। रानी ने देखा की कमल उसकी और बड़ी लोलुप नज़रों से देख रहा था। शायद अपनी पत्नी की चूँचियों को दबाते हुए कहीं वह यह तो नहीं सोच रहा था जैसे वह रानी की चूँचियाँ मसल रहा हो

इस के बाद कमरे में राज और उसकी बीबी रानी के और कमल और उसकी बीबी कुमुद के गहरे चुम्बन और होँठों से होँठ मिलाकर उन्हें चूसने के अलावा कोई और आवाज नहीं रही थी। 

कमल बार बार राज और रानी की और देखता और तब उसके मन में एक कसक उठती। कमल और कुमुद राज और रानी के करीब ही लेटे हुए थे। दोनों पत्नियों की जांघें एकदूसरे से लगभग सटी हुई थीं। 

तब कुमुद ने रानी की और घूम कर रानी के कानों में इस तरह से कहा जिसे उनके पति सुन ना सके। कुमुद ने कहा, "मेरी प्यारी छोटी बहन रानी। तू जितनी सुन्दर है उतनी ही सरल है। हमारे पतियों की तरह आज से हम दोनों बहनें भी एक दूसरे से कोई बात छुपायेंगे नहीं और एक दूसरे से हर चीझ मिलजुल कर शेयर करेंगे और बाँटेंगे। हम हमारा सुख, दुःख, यहां तक की हमारा प्यार भी एक दूसरे के साथ मिलकर बाटेंगे। तभी तो हम हमारे पतियों की सच्ची सह संगिनी बन कर रह सकती हैं ना? वरना उनके और हमारे बिच हमेशा मन भेद होता रहेगा। ठीक है? क्या तुम्हें यह स्वीकार्य है?"

रानी नजरें झुका कर कुमुद के कानों में फुसफुसाते हुए बोली, "तुम मेरी बड़ी बहन और मेरी शुभचिंतक हो। मैं वही करुँगी जो तुम कहोगी। तुम्हारी हर आज्ञा मुझे स्वीकार्य है। 

कुमुद ने रानी से अलग होते हुए हल्का सा मुस्कुराकर बोली, "तो फिर अपनी शर्म को छोडो और चलो अब अपने पतियों का दुःख निवारण करते है।" यह कह कर कुमुद वापस अपने पति की बाँहों में पहुँच गयी और कमल के होँठों से अपने होँठ मिलाकर प्रगाढ़ चुम्बन करने में जुट गयी। 

कमल ने पूछा, "रानी के साथ क्या फुसफुसाहट हो रही थी? रानी को क्या पाठ पढ़ा रही थी तुम? कहीं हमारे खिलाफ कोई साज़िश तो नहीं रच रही थी तुम दोनों?"

कुमुद ने कहा, "हम बेचारी क्या साज़िश रचेंगी? हम तो तुम्हारी सेविकाएं हैं। बल्कि मैं तो उसे यह कह रही थी की हमें हमारे पति की हर इच्छा, चाहे जो भी हो, पूरी करनी है।"

कमल ने कहा, "अच्छा? यह तो बड़ी समझदारी की बात कही तुमने।"

कमल ने फुर्ती से कुमुद को अपनी बाँहों में लिया और उसके होठोँ से अपने होँठ चिपका कर एक बार फिर उसे चुम्बन करने लगा। कमल का एक हाथ उसकी बीबी की चूँचियों को मसल ने में लगा था तो दूसरे हाथ से अचानक ही कमल ने अपनी बीबी कुमुद के गाउन के बटन खोलने शुरू किये। कुमुद ने अपने पति को जब रोकना चाहा तो कमल ने कुमुद के कानों में बोलकर यह याद दिलाया की उस रात के लिए कुमुद ने वचन दिया था की कुमुद कमल को कुछ भी करने से नहीं रोकेगी।
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#35
यह सुन कर कुमुद ने अपने पति कमल से कहा, "ठीक है, मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी, पर पहले चद्दर तो ओढ़ लेते हैं।" यह कह कर कुमुद ने एक चद्दर खिंच कर अपने और अपने पति पर डाल दी। 


राज और रानी हक्काबक्का होकर कमल और कुमुद की चद्दर के निचे की हरकतें देखे रहे। राज ने देखा की कमल अपनी बीबी कुमुद की चूँचियों को चद्दर के निचे से अनावरण करने में लगा हुआ था। राज की उत्सुकता बढ़ गयी। उसने कभी कुमुद के उन्नत उरोजों को खुल्ले नहीं देखा था। 

कमल ने देखा की राज उसकी और टकटकी लगाए देख रहा था और कुमुद के स्तनों को निर्वस्त्र होने का इंतजार कर रहा था हालांकि राज के हाथ चद्दर के निचे उसकी बीबी रानी के गाउन के ऊपर रानी की चूँचियाँ मसलने में लगे हुए थे। कमल भी तो राज को प्रेरित कर रहा था की वह भी रानी के गाउन को खोले ताकि कमल को भी रानी के परिपक्व भरे हुए स्तनों को देखने का मौक़ा मिले। 

दोनों पति प्यार तो अपनी बीबियों से कर रहे थे पर उनकी निगाहें दूसरे की बीबी पर थी। जब राज ने सुना की कमल अपनी बीबी कुमुद के गाउन के बटन खोलने की जिद कर रहा था और कुमुद उसको रोक रही थी, तब बार बार कमल वही बात दुहरा रहा था की कुमुद ने कमल को वचन दिया था की वह कमल को रोकेगी नहीं। कुमुद के पास उसका कोई जवाब नहीं था। 

अब साफ़ दिख रहा था की कमल जबरदस्ती कुमुद के गाउन के पट आगे से खोलने में जुटा हुआ था। राज बड़ी बेसब्री से कुमुद के स्तनों के दर्शन करने की लालसा से कमल के कार्यालाप को बड़े ध्यान से देखने लगा। जैसे ही कमल ने अपनी बीबी कुमुद के गाउन के बटन खोले की कुमुद के स्तन अंदर से कूद कर फैलते हुए उसके गाउन के बाहर कूद पड़े। उसके साथ ही कुमुद चौंक पड़ी और इस आननफानन में कुमुद और कमल के ऊपर बिछाई चद्दर खिसक गयी और कुमुद के उद्दंड उरोज, राज को साफ़ साफ़ दिख गए। राज ने देखा की ऊपर से दबे होने के बावजूद कुमुद के दोनों स्तन फुले हुए और उद्दंड खड़े हुए, चॉकलेट रंग की छतरी जैसे एरोला के बिच फूली हुई निप्पलों का मुकुट पहने दो टीलों के समान प्रतीत हो रहे थे।

कमल ने राज की और राज की प्रतीक्रिया महसूस करने के लिए देखा। राज को ऐसा लगा की शायद कमल ने जान बुझ कर ऊपर की चद्दर पैरों से झटका मार कर हटा दी थी ताकि राज को कुमुद के स्तनों के दर्शन हो सके। कुमुद के उन्नत स्तनों को देखते ही राज की आँखें फटी की फटी रह गयीं। अपनी बीबी रानी के स्तन भी तो भरे हुए और मदमस्त थे जो की उसने सैंकड़ों बार देखे थे। पर कमल की पत्नी कुमुद के स्तनों को निहार कर तो राज की शक्ल देख कर कमल को लगा जैसे राज पगला गया सा लग रहा था। उसका हाथ हालांकि अपनी बीबी रानी की छाती के उभार को सेहला रहा था पर उसकी निगाहें तो बस कुमुद की छाती से हटने का नाम नहीं ले रही थीं। 

कुमुद की उन्मत्त चूँचियों को देखकर राज का लण्ड उसके पाजामें में फुंफकार मारने लगा। राज ने बरबस अपना लण्ड अपनी बीबी रानी की जाँघों से सटा दिया तब रानी ने आँखें खोली तो अपने पति राज को कमल की पत्नी कुमुद की नंगी चूँचियों के दर्शन करते हुए पाया। रानी अपने मन में ही कुढ़ने लगी। क्या उसके स्तन कुमुद के स्तनों से कम थे? क्या उसकी चूँचियाँ कुमुद की चूँचियों से छोटी या कम सुन्दर थीं? एक बार तो रानी का मन किया की वह अपने पति राज को धक्का देकर उसको डाँटे। पर फिर उसने सोचा की वह खुद भी तो कुछ ही देर पहले कुमुद के पति कमल का मोटा लंबा लण्ड देखकर पागल हो रही थी। 
 
रानी ने फिर भी नारी वश इर्षा के कारण अपने पति की ठुड्डी अपने हाथों में लेकर हिलायी और उसके कानों में फुसफुसाई, "अरे भाई, कुमुद की चूँचियाँ मेरी चूँचियों से बड़ी और ज्यादा अच्छी हैं क्या? मेरी चूँचियों को देख कर क्या तुम्हारा पेट नहीं भरा?"

राज ने अपनी पत्नी की और घबराते हुए देखा और फिर सोचा क्यों ना इस नारी वश इर्षा का फायदा उठा जाय? उसने रानी को चिढ़ाते हुए रानी के कानों में कहा, "तो फिर दिखाओ ना अपनी मदमस्त चूँचियों को और अपने आप ही देखलो किसकी चूँचियाँ ज्यादा सुन्दर हैं?"

अपने पति राज की बात सुनकर रानी ने शर्मा कर राज के कानों में फुसफुसाते हुए कहा, "मेरे बुद्धू पतिदेव, इन पर तुम्हारा अधिकार है। कमल भैया के हाथ तो बड़े अच्छे चल रहें हैं तो अगर इन्हें देखना है तो तुम्हारे हाथों को क्या लकवा मार गया है? भला मैं तुम्हें कैसे रोक सकती हूँ?" यह कह कर रानी ने राज पर अपने पति की ही जुबान में जवाब दिया। 

राज समझ गया की उस की बीबी रानी अब गरम हो रही थी। राज ने धीरे से चद्दर को अपने पॉंव के अंगूठे से पकड़ कर थोड़ी ऐसे खिसका दी जिससे कमल और कुमुद रानी को खुल्ला देख सके। रानी ने अपनी आँखें बंद ही कर रखीं थीं। राज ने फुर्ती से रानी के गाउन के आगे वाले बटन खोल दिए। बटनों के खुलते ही रानी के बड़े बड़े तरबूच रानी की ब्रा में से बाहर अनावृत होकर निकलने के लिए जैसे बेताब हो रहे थे।
 
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#36
फिर राज ने धीरे से रानी के बदन के निचे हाथ डालकर पिछेसे रानी के ब्रा की पट्टीयां खोल दी। गुम्बज के सामान फैले हुए रानी के मस्त उरोज ब्रा के बंधन में से मुक्त होते ही रानी की छाती पर डोल कर सब का ध्यान आकर्षित करने लगे। उन उच्छृंखल उरोजों पर गोरी गोरी एरोला की चॉकलेटी गोलाई दिख रही थी जिसमें छोटी छोटी सैंकड़ों फुंसियां खिली हुई थीं जो रानी के गरम होने की चुगली खा रहीं थी। उन गोरी अरोलाओं के घेरे के बिचोंबिच रानी के स्तनों की चोटी पर दो दण्डों के सामान उसकी फूली निप्पलें (चुचुक) गजब ढा रही थीं। 

कमल पहले से ही इसी का इंतजार कर रहा था की कब राज अपनी पत्नी के गाउन के पट खोले और उसे राज की बीबी रानी की मद मस्त अल्लड़ चूँचियों के दर्शन हों। रानी के खुल्ले हुए अफलातून स्तनों को देखकर कमल की भी वही दशा हुई जो राज की कमल की बीबी कुमुद के स्तनों को देख कर हुई थी। लगता था जैसे कमल की आँखें रानी के मस्त परिपक्व फुले हुए अल्लड़ गुम्बजोँ को देख कर चौंधियाँ सी गयीं। कमल से रहा नहीं जा रहा था। वह रानी की उन चूँचियों को अपने दोनों हाथों में लेकर मसलना चाहता था। कमल रानी की चूँचियों को मसल ने का आनंद थोड़ी देर पहले ही ले चुका था। पर वह थोड़ी देर के उस स्पर्श से कमल को संतुष्टि नहीं हो रही थी। वह रानी के गुम्बजोँ को प्यार से और देर तक चूसना, चूमना और मसलना चाहता था। 

पर उसे अपनी बीबी की उपस्थिति में थोड़ी सी झिझक हो रही थी। कुमुद ने देखा की उसका पति कमल राज की बीबी के स्तनों को घुरघुर कर देखा रहा था। कुमुद को बरबस हंसी आगयी। वह सोचने लगी यह पुरुष की जात बन्दर के समान है। जैसे ही कोई सुन्दर बंदरिया उसे दिखती है वह जीभ लपलपाता अपनी बीबी कितनी ही सुन्दर क्यों ना हो, को छोड़ कर दूसरी के पीछे भागने लगता है। 

कुमुद ने अपने पति कमल के लण्ड को अपनी गाँड़ में टक्कर मारते हुए महसूस किया। कमल एकदम गरम हो चुका था। कमल ने कुमुद का हाथ पकड़ा और पीछे की और घुमाकर उसे अपने लण्ड पर रख दिया। कमल चाहता था की कुमुद उसके लण्ड को सहलाये। कुमुद ने अपने पति का लण्ड अपने हाथों में लिया और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी। उसे इस पोजीशन में असुविधा हो रही थी। 

दोनों पति दूसरे की पत्नी को और उसके बदन को भूखी नज़रों से देख रहे थे। पर उनमें हिम्मत नहीं हो रही थी की दूसरे की पत्नी को छुए। दोनों बीबियाँ भी काफी गरम हो चुकी थीं और चाहती थीं की उनका पति उनको और गरम करे। अपने मनमें शायद वह समझ चुकी थीं की उस रात उन दोनों की खूब चुदाई होने वाली थी। 

कमल ने राज को इशारा किया की राज अपनी बीबी रानी के गाउन को पूरी तरह उतार फेंके। इधर कमल ने भी अपनी बीबी के गाउन को कुमुद के हलके फुल्के अवरोधकों ना मानते हुए पूरा खोल दिया। रानी और उसका पति राज कमल और कुमुद की गतिविधियों को बड़े ध्यान से देखने लगे। कुमुद के दूध समान गोरे नंगे बदन को पहेली बार अपनी नज़रों के समक्ष देखकर राज की बोलती बंद हो गयी। कुमुद एक अप्सरा के समान दिख रही थी। उसका नग्न बदन उसकी पतली कमर, उसके उन्नत फुले हुए स्तन मंडल और उसकी गिटार के सामान सुआकार कमर के निचे की बदन की गोलाई देखते ही बनती थी। 

राज क्या राज की पत्नी रानी भी कुमुद का कमसिन और गोरा जलपरी सा नंगा बदन देखकर जैसे मोहित हो गयी। रानी अपने आपको रोक नहीं पायी और बरबस रानी का एक हाथ कुमुद के स्तनों से खेलने लगा। रानी और कुमुद दोनों एक दूसरे से एकदम सट कर लेटे हुए थे। दोनों की जांघें और कंधे एक दूसरे से रगड़ रहे थे। रानी के हाथ जब कुमुद के स्तनों पर थे तब कमल ने रानी के हाथों को थाम लिया और रानी की हथेली के पीछे उपरसे अपनी हथेली रानी के हाथ पर रख दी। कुमुद की सुन्दर उरोजों से कमल और रानी दोनों ही खेलने लगे। 

कुमुद ने कमल के लण्ड से अपना हाथ हटा लिया क्यूंकि कुमुद को दर्द हो रहा था। तब कमल ने अपने पाजामे का नाडा खोल दिया और अपने लण्ड को खुल्ला छोड़ दिया। कमल अपनी पत्नी कुमुद के पीछे था इसलिए राज और रानी उसे देख नहीं पाए पर उन्होंने देखा की कमल अपना पजामा उतार चुका था और वह कुमुद की बाहों के ऊपर से अपना एक हाथ लंबा कर अपनी बीबी कुमुद के स्तनोँ को दबा रहा था और साथ साथ रानी के हाथ जो कुमुद के स्तनोँ को सेहला रहे थे उन्हें दबा कर अपनी इच्छा प्रकट कर रहा था। पीछे से कमल कुमुद की गांड की दरार में हलके से अपना लण्ड फँसा ने में जुटा हुआ था। 

यह देखकर राज भी उत्तेजित हो कर अपनी बीबी रानी के स्तनों को और जोश से मलने लगा। राज का सपना साकार होने वाला था। कुमुद के नग्न बदन के दर्शन करनेका राजका पहला सपना तो साकार हो ही चुका था। अब उसे दूसरे सपने का फलीभूत होने का बेसब्री से इंतजार था। वह बेचैन था की कब उसे कमल भैया की पत्नी और उसकी चाह, कुमुद के नंगे बदन को अपने हाथों से सहलाने का, दुलार करने का मौक़ा मिले। 

कमरे में सेक्स की खुशबु चारों और फ़ैल रही थी। दोनों बीबियों ने जो परफ्यूम लगाए थे उसके साथ चारों की योनियों से रिसते हुए रस की खुशबु मिल कर एक रोमांचक सी महक कमरे को तरबतर कर रही थी। कोई कुछ भी बोल नहीं रहा था। सब का ध्यान 'अब आगे क्या होगा ' पर केंद्रित था। हालांकि सबको आज रात का अंजाम भलीभांति पता था, पर फिर भी आखिरी वक्त पर कहीं कोई पासा उलटा ना पड़ जाए, कहीं कोई बेगम नाराज ना हो जाए, उसकी आशंका से दोनों पति अपनी पत्नियों को कुछ ज्यादा ही खुश रखने में मशगूल थे। 

हालांकि दोनों मर्द अपनी बीबी से ज्यादा दूसरे की बीबी के बारेमें सोच रहे थे; पर क्यूंकि बीबियों की रजामंदी के बगैर जो वह करना चाहते थे वह नहीं हो सकता था इस लिए, दोनों पति अपनी बीबियों को यह जताने में लगे हुए थे की उनका ध्यान अपनी बीबियों पर ही था। कोई भी पति दूसरे की बीबी को छेड़ने की पहल नहीं कर रहा था। हाँ कमल कुमुद के स्तनों को सहलाते हुए रानी के हाथ को दबा कर अपनी कामना का संकेत जरूर दे रहा था।
 
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#37
तब अचानक कमल धीरे से ऊपर की और उठा और अपनी बीबी कुमुद को पलंग पर सीधा लिटा कर उसके दोनों पाँवों के बिच जा पहुंचा। कुमुद कुछ बोले या कुछ विरोध करे उसके पहले कमल ने कुमुद की टांगें फैला दी और उनके बिच अपने मुंह को डालकर अपनी बीबी की चूत को चाटने लगा।


राज की नजर कुमुद की चूत पर अटक सी गयी। राज ने कई बार कुमुद को मन ही मन में चोदा था। कुमुद की चूत की कई बार वह कल्पना कर चुका था। पर अपनी आँखों से साक्षात् जब देखा तो पाया की कुमुद की चूत उसकी कल्पना से भी कहीं खूबसूरत थी। दो लचीली सपाट और कमनीय जाँघों के बिच छोटी सी हलके बालों में घिरी हुई कुमुद की गुलाबी चूत का कोई जवाब ही नहीं था। रानी के मुकाबले कुमुद की जांघें पतली और सुआकार थीं। कुमुद की पतली कमर और वहाँ से जाँघों का घुमाव कितना खूबसूरत था। राज देखता ही रहा। 

शुरू में कुमुद शर्मिंदगी और उलझन के मारे अपने पति का विरोध करती रही पर जैसे ही कमल की जीभ ने कुमुद की चूत की पंखुड़ियों में अपना जादू फैलाना शुरू किया की वह मचलने लगी। अपने बदन पर उसका नियत्रण ना रहा और जल्द ही वह कामुक कराहें और आहें भरने लगी। शर्मिंदगी और उलझन पर स्त्री सुलभ व्यभिचार भाव हावी हो गया। उसे होश ना था की राज और रानी दोनों उसकी चूत की चुसाई देख रहे थे और वह नंगी लेटी हुई उन दोनों के सामने अपने स्त्रीत्व का प्रदर्शन करा रही थी।


जब बड़े भैया अपनी बीबी कुमुद की चूत चूस रहे थे तो छोटा भाई कहाँ रुकने वाला था? राज ने भी फुर्ती से रानी की भरी हुई जाँघें खोल कर रानी के गाउन को ऊपर उठाकर अपना सर रानी की दो टाँगों के बिच में डाल दिया और अपनी बीबी की चूत प्यार से चाटने लगा और उसमें से झरने की तरह रिस रहा रस चूसने लगा। राज को पहली बार महसूस हुआ की काम वासना की मारी उसकी बीबी रानी की चूत में से कितना पानी बह सकता है। राज बड़े चाव से वह रिस्ता हुआ पानी चूस रहा था। रानी अपने पति की चूत चुसाई से मचल रही थी। अब उसे यह शर्म नहीं थी की उसके करीब करीब नंगे बदन को और उसकी चूत चुसाई को कमल और कुमुद देख रहे थे और उत्तेजित हो रहे थे। रानी ने सोचा की शायद कहीं ऐसा ना हो की कमल भी उसकी जाँघों के बिच आकर उसकी चूत का पानी चूसने लग जाय। यह सोचते ही उसके बदन में एक सिहरन सी फ़ैल गयी। 

कमल ने थोड़ी देर बाद अपना मुंह हटाया और कुमुद की चूत में अपनी दो उंगलियां डाल दी और कुमुद को उँगलियों से चोदना शुरू किया। अक्सर औरतें लण्ड से ज्यादा उँगलियों की चुदाई से उत्तेजित हो जाती हैं। राज और रानी हैरान थे की इतनी सीधी, सादी और भगवान का भजन करने वाली कुमुद उंगली चोदन से कैसे पिलपिला रही थी और पलंग पर अपने कूल्हे रगड़ कर अपनी कामुकता प्रदर्शित कर रही थी। जैसे ही पति ने उँगलियों से चोदने की गति बढ़ाई की कुमुद से रहा ना गया और वह अपने पति से उसे चोदने की बिनती करने लगी। उसे यह कतई भी होश ना रहा की उसकी चुदाई अब राज और रानी बड़े ध्यान से देख रहे थे। 

कमल की उंगलियां कुमुद के स्त्री रस से सराबोर हो रही थी। कमल ने धीरे से अपनी उँगलियों को अपनी बीबी की चूत से निकाला और उसे चाटने लगा। यह देख कर राज ने अपनीं बीबी रानी के बदन से गाउन पूरी तरह से हटा दिया। रानी के गाउन को हटाने की प्रक्रिया से कुमुद की तन्द्रा भंग हुई और कुमुद ने अपनी आँखें खोलीं तो रानी का पूरा नग्न बदन उसे एकदम करीब में ही दिखाई दिया। लम्बी और सुडौल रानी के नग्न बदन को देखकर कुमुद को इर्षा तो जरूर हुई पर फिर थोड़ा सा मुस्काकर थोड़ा सा घूम कर कुमुद ने रानी के गाल पर एक हलकी सी किस की। 

रानी के कमसिन नंगे बदन को देख कर कमल थम सा गया। उसकी आँखें रानी के बदन का मुआईना करने से थक नहीं रहीं थीं। कुमुद ने अपने पति को थोड़ा सा धकका देकर याद दिलाया की वह खुद भी तो नग्न हालत में अपने पति के बिलकुल निचे चुदवाने के लिए पूरी तरह तैयार लेटी हुई थी। कमल ने अपने आपको सम्हालते हुए राज की और देखा। राज की आँखें भी कुमुद के नंगे बदन पर ऐसे टिकी हुई थीं जैसे कोई गिद्ध अपना शिकार सामने ही पा कर उसे एकटक देख रहा हो पर उसे लपक कर पकड़ने में कहीं कोई मुश्किल ना आन पड़े उससे डर रहा हो। 

आँख से इशारा करते हुए कमल ने राज को जताया की अब आगे बढ़ना है। राज अपने गुरु का इशारा समझ गया और वो अपनी पत्नी रानी के दोनों स्तनों को जोर से दबाने एवं मसलने लगा। राज का लण्ड एकदम तना हुआ खड़ा हो चुका था और अब उससे रहा नहीं जा रहा था। राज ने अपने पजामे का नाडा हलके से खोल दिया और बदन को हिलाकर उसको निचे सरकाने लगा तब रानी ने अपने होँठ राज के कान के पास लाकर धीरे से बोली, "यह क्या कर रहे हो? तुमने मुझे कमल भैया के सामने नंगी तो कर ही दी। अब मुझे कमल भैया के सामने ही चोदोगे क्या? ज़रा शर्म तो करो।

रानी की बात सुनकर राज बोला, "कमल भैया के सामने नंगी करने के लिए तो तूने मुझे पहले से ही इजाजत दे रखी थी। याद है तूने कहा था की किसी गैर मर्द के सामने मुझे नंगी करोगे क्या? और मैंने तुझे कहा था की कमल भैया कोई गैर मर्द थोड़े ही हैं? तब तूने कहा था 'हाँ यह बात तो ठीक है।' इसका मतलब यह था की तुम किसी गैर मर्द के सामने नंगी नहीं हो सकती पर कमल तो अपना है, उस के सामने तो नंगी हो सकती है। याद है की भूल गयी
?"
Like Reply
#38
रानी अपने पति को देखती ही रही। उसे अच्छी तरह से वो वाक्या याद था। वह खुद भी तो राज की बात सुनकर उत्तेजित हो चुकी थी। कमल से चुदवाने के लिए तो मानसिक रुप से वह तब की तैयार थी जबसे राज ने उसे कमल का नाम लेकर चुदवाने के लिए राजी कर लिया था। उसे लगा की राज की नियत उसे सिर्फ नंगी करने की या खुद चोदने की नहीं लग रही थी। शायद वह रानी को कमल से चुदवाना चाहता था।


रानी ने कहा, "देखो राज, अब बात कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ रही है। पहले तो तुमने मुझे कमल भैया के सामने नंगी करके ठीक नहीं किया। अब तुम और आगे बढ़कर मुझे कमल भैया के सामने ही चोदने लगे और कमल भैया की नियत खराब हो गयी और कहीं उनको मुझे चोदने का मन हो गया तो? तब तो गज़ब हो जाएगा। अब मेहरबानी कर के बस भी करो। प्लीज।"

रानी के बदन में कमल से चुदवाने की बात सोचते ही एक अजीब सी रोमांच भरी सिहरन फ़ैल गयी। कमल का खड़ा लम्बा और मोटा लण्ड उसकी आँखों से ओझल नहीं हो रहा था। उस वक्त तो राज और कुमुद ने बिच में ही उनका खेल बिगाड़ दिया था। कमल रानी को चोदने वाला ही था की उस का पति राज और कमल की पत्नी कुमुद अचानक ही टपक पड़े और सारा मजा किरकिरा कर दिया। क्या उसका यह ख्वाब आज पूरा होगा? यह सोच कर रानी के रोँगटे खड़े हो गए। रानी की चूत में से रस रिसने लगा। 

खैर अब रानी को कुछ नहीं करना था। जो भी करना था वह उसका पति ही करेगा यह विश्वास रानी को हो गया। बल्कि रानी ने सोचा की अब तो थोड़ा ना नुक्कड़ का ड्रामा करने में कोई बुराई नहीं है। रानी ने तुरंत राज का हाथ थाम कर कहा, "राज यह हम ठीक नहीं कर रहे। आप कमल भैया और कुमुद से कहो ना की वह अपने कमरे में चले जाएँ और जो करना है वह वहाँ करें।"

राज ने अपनी पत्नी रानी के कानों में कहा, "भाई मैं तो यह सब कमल भैया से नहीं कह सकता। अगर तुम ठीक समझती हो तो कमल भैया से तुम ही कहो।"

राज की बात सुनकर रानी चुप हो गयी। वह ग़ुस्सेमें होने का नाटक करते हुए बोली, "मैं कैसे बोलूं उनको? ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्जी। फिर यह ना कहना की जो हुआ वह क्यों हुआ। आखिर तुम मुझसे क्या चाहते हो? भैया के सामने तुम मुझे चोदना चाहते हो या फिर तुम्हारी मंशा कुछ और ही है?"

राज ने प्यार से हँसते हुए अपनी पत्नी रानी के कानों में फुसफुसाते हुए कहा, "देखो डार्लिंग, अब ज्यादा अनजान बनना छोडो। तुम अच्छी तरह जानती हो की मेरी मंशा क्या है। तुम्हारी जो मंशा है वही मेरी मंशा है। अब जो होता है उसे मत रोको होने दो और एन्जॉय करो।

अपने पति की बात सुनकर रानी ने अपनी आँखें मूँद ली। अब उसके पास इंतजार करने के अलावा और कोई रास्ता था। राज ने फुर्ती से अपना पजामा निकाल फेंका। राज अब अपनी बीबी रानी के ऊपर दो हाथ और दो पॉंव के सहारे सवार हो गया, हालांकि उसने अपना वजन रानी के बदन पर नहीं रखा था। 

राज और रानी दोनों कमल और कुमुद का अगला कदम क्या होगा उसका इंतजार करने लगे। कमल अपनी बीबी कुमुद की चूत में डाली उंगलियां चाट कर फ़ौरन घुटनों के बल कुमुद के बदन पर झूल गया और दोनों हाथों का सहारा लेकर कुमुद की चूत पर अपना लोहे के मोटे और लम्बे छड़ के समान कड़क लण्ड लहराने लगा। कुमुद आँखें मूँदे हुए अपने पति कमल के लण्ड का उसकी चूत में घुसने का इंतजार करती हुई बिना कुछ बोले पड़ी हुई थी। रानी ने कमल के लटकते हुए टट्टे (अंडकोष) को देखा. उन मोटे बड़े थैली के सामान अंडकोषों में कमल का कितना वीर्य भरा होगा यह सोचकर रानी की हालत पतली हो रही थी। वह भी कुमुद की तरह कमल के झूलते हुए मोटे लण्ड को कुमुद की छोटी सी योनि में घुसने का इंतजार करने लगी। 

कमल ने अपने लण्ड की गोलाई पर और फिर अपनी पत्नी की चूत में अपनी उँगलियों से कुछ ऑइंटमेंट जैसा, जेल जैसा कुछ चिकना पदार्थ अच्छी तरह लगाया और अपना मोटा लण्ड अपनी बीबी की चूत में हलके से घुसाया। लण्ड के घुसते ही कुमुद के मुंह से निकली हुई हलकी सी सीत्कार की आवाज सब ने सुनी। दर्द से ज्यादा वह रोमांचक उत्तेजना की आवाज थी। थोड़ा लण्ड घुसाकर रुकने के बाद कमल ने और एक हल्का धक्का दिया और अपना लण्ड कुमुद की चूत में और थोड़ा घुसेड़ा। 

इस बार कुमुद की आवाज में दर्द की मात्रा कुछ ज्यादा थी। पर साथ साथ में करीब एक महीने से ना चुदवाने के कारण उसकी उत्तेजना अपनी सीमा को पार कर रही थी। साथ में राज और रानी उसकी चुदाई देख रहे थे यह बात कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का कारण बन रही थी। 

एक और धक्का देकर कमल ने अपना लण्ड अपनी बीबी कुमुद की चूत में घुसाया तो कुमुद दर्द के मारे दबे आवाज में चिल्ला उठी। कुमुद की चीख धीमी पर दर्दनाक थी। रानी कुमुद की चीख सुनकर सिहर उठी। उसे कमल के वह वाक्य याद आये जिसमें कमल ने रानी से कहा था की कुमुद की चूत कुछ ज्यादा ही टाइट थी और कमल के चोदने से कुमुद को दर्द होता था। इसी कारण कमल रानी का नाम याद कर कुमुद को चोदता था। रानी को कमल और कुमुद पर थोड़ा तरस भी आया। जब चोदना दर्द का कारण बने तो चोदने का मज़ा बिगड़ जाता है। 

रानी ने सोचा अगर कमल का लण्ड उसकी चूत में घुसे तो क्या उसे भी ऐसा ही दर्द होगा? शायद नहीं। क्यूंकि राज हमेशा रानी को कहता था की रानी की चूत राज के लिए कुछ ज्यादा ही ढीली सी थी। शायद राज के लिए कुमुद की चूत सही थी और रानी के लिए शायद कमल का लण्ड सही था। इस बात को सोच कर रानी की चूत में से रस रिसने लगा।
 
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#39
कमल अब कुमुद पर सवार होकर अपना लण्ड कुमुदकी चूत में धीरे धीरे डालने की कोशिश कर रहा था और कुमुद इतना धीरे से और थोड़ा सा ही लण्ड घुसने पर भी दर्द से कराह रही थी। राज कमल को देखकर रानी पर सवार हो गया और रानी की चूत में बिना कोई पूर्वक्रिया किये अपना लण्ड घुसा दिया। रानी तो कमल और कुमुद के चोदने को देखनेमें इतनी मग्न थी की कब राज ने अपना लण्ड घुसेड़ा उसे पता ही नहीं चला। कराहती हुई कुमुद को देखकर रानी ने अपना हाथ बढ़ाया और कुमुद का हाथ पकड़ा। कुमुद के माथे पर से पसीने के बुँदे बहती हुई धारा के समान गिर रही थी। 

राज अपनी बीबी रानी को चोदने में संलग्न हो गया। रानी चुदवा तो राज से रही थी पर उसकी नजर तो कमल के भरे हुए मोटे और लम्बे लण्ड पर थी। कुमुद की चूत पर लटकते हुए कमल के चमकते हुए इतने मोटे और लम्बे लण्ड को कुमुद भाभी अपनी चूत में कैसे ले सकेगी यह रानी की समझ में नहीं रहा था। अगर उसकी कमल से चुदवाने की बारी आयी तो क्या वह कमल का लण्ड झेल पाएगी? यह सोचकर रानी के रोँगटे खड़े हो गए। रानी का ध्यान अपनी चुदाई में कम और कमल और कुमुद की चुदाई में ज्यादा था। 

कुमुद के भरे हुए अल्हड़ स्तन कुमुद के हिलने से जोर शोर से हिल रहे थे। राज उन स्तनों को हिलते हुए देख मन ही मन ललचा रहा था उसका मन करता था की वह उन्हें अपने हाथों में पकडे। कमल राज की आँखों का निशाना देख रहा था। अचानक कमल ने अपने हाथ लम्बे कर कर राज के हाथ पकडे और कुमुद के स्तनों पर रख दिए। अपनी बीबी की चूत पर अपना लण्ड रगड़ते हुए कमल बोला, "अरे डरपोक, पकड़ कुमुद की चूँचियों को। डरता क्यों है? ले मज़े।

जब भैया का लाइसेंस मिल ही गया तो राज से रहा नहीं गया और राज ने दोनों हाथों से कुमुद के भरे स्तन और फूली हुई निप्पलोँ को दबाना और मसलना शुरू किया। राज के हाथ का स्पर्श होते ही कुमुद की आँखें खुली तो देखा की अपनी पत्नी रानी को चोदते हुए राज उसकी चूँचियों को मसल रहा था। वह कुछ नहीं बोली। कमल ने देखा की उसकी बीबी कुमुद को राज से अपनी चूँचियाँ दबवाने में कोई आपत्ति नहीं तो कमल ने धीरे से अपने हाथ बढाए और राज की बीबी रानी के उन्नत फुले हुए और गुम्बज के समान स्तनों के ऊपर उसकी फूली चुचुक(निप्पल) को दबाने में लग गया। 

राज चोद तो रानी को रहा था पर मजे कमल की बीबी कुमुद के स्तनों का ले रहा था। जब की कमल अपनी बीबी की चूत में अपने लण्ड को घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था और साथ साथ में राज की पत्नी रानी के मस्त खरबूजों को अपने हाथों में मसल रहा था। दोनों पति अपनी पत्नी को तो चोद रहे थे या चोदने की कोशिश कर रहे थे पर चूँचियाँ दूसरे की बीबियों की दबा रहे थे। इस उत्तेजना के कारण दोनों बीबियाँ अपनी आँखें बंद करके यह नए अनुभव का मजा ले रही थीं। लगता था जैसे कुमुद दर्द के बावजूद कमल का साथ देने की कोशिश कर रही थी। हालांकि उसके ललाट पर दर्दके मारे पसीने की बूंदें साफ़ नजर रही थीं। 

अचानक ही कमल ने अपनी बीबी की चूत में जब अपना मोटा लण्ड ज्यादा घुसेड़ने की कोशिश की तो कुमुद चिल्ला उठी और बोल पड़ी, "रुको, मुझे दर्द हो रहा है। निचे उतरो।" कमल अपनी बीबी कुमुद को अच्छी तरह चोदना चाहता था। पर क्या करे? कुमुद के चिल्लाने से वह रुक गया और अपना लण्ड बाहर निकाल कर हाथ से पकड़ कर हिलाने लगा। कमल का लण्ड अपनी पूरी कला से खिलकर लंबा छड़ के समान खड़ा था।


रानी ने कुमुद की कराह सुन कर अपनी आँखें खोली और कमल की और देखा। कमल एक असहाय बालक जिसको की माँ ने बुरी तरह से लताड़ दिया हो ऐसे रानी की और देखने लगा। रानी से कमल का दुःख देखा गया। उस के मनमें कमल के लिए करुणा जाग उठी। जब की उसका पति उसकी चूत में अपना लण्ड पेल रहा था और कुमुद का पति कमल उसके स्तनों को मसल रहा था उसने कमल की और अपना हाथ बढ़ाया। राज अपनी बीबी रानी को चोदते हुए यह सब देख रहा था। जब उसकी बीबी ने कमल का हाथ थामा तो राज समझ गया की अब बारी गयी है की वह अपनी बीबी को कमल से चुदवाने का अपना सपना साकार करे। 

राज फुर्ती से अपनी बीबी के ऊपर से खिसक गया और कमल को जगह दे दी जिससे कमल रानीकी और खिसक सके। राज खिसक कर कमल की बीबी कुमुद के पास गया। राज ने कमल की बीबी कुमुद की चूँचियों पर अपना मुंह रख दिया और कुमुद के फुले हुए स्तनोँ को चूसने और निप्पलों को काटने लगा। कमल भी कुमुद की चुदाई छोड़ कर रानी की और बढ़ा और रानी के मस्त स्तनों को चूमने और चूसने लगा। अब दोनों पति एक दूसरे की बीबियों की चूँचियों को चूसने में मग्न हो गए थे। दोनों अपनी पत्नियों के ऊपर से निचे उतर चुके थे। दोनों पत्नियां नंगीं अपनी आँखें मूँद कर एक दूसरे के पति से अपनी चूँचियाँ चुसवाने में एकदम सराबोर मग्न लग रही थीं। 

राज की बीबी रानी ने कमल के फुले हुए लोहे के छड़ समान लण्ड पर अपना हाथ रखा और उसे हिलाने लगी। फिर धीरे से रानी ने उसे खिंच कर कमल को इशारा किया की कमल उस के ऊपर चढ़ कर उसे चोदे। यह पहली बार हुआ की रानी ने कमल को चोदने के लिए सीधा सीधा आमंत्रित किया था। रानी ने कमल की पत्नी कुमुद की और देखा जैसे वह कुमुद की इजाजत मांग रही हो। रानी ने कुमुद के कानों में कहा, "बहन मुझे माफ़ करना। मुझसे तुम्हारी कराहट सुनी नहीं जाती और कमल का दर्द भी देखा नहीं जाता। आजकी रात कमल को मेरे लिए छोड़ दो और आप मेरे पति राज से चुदवाओ। मुझे कोई आपत्ति नहीं है। तुम मेरी 'थोड़ी सी बेवफ़ाइ' को माफ़ करना।"

कुमुद ने पहली बार रानी के मुंह से चोदना चुदवाना ऐसे शब्द सुने। कुमुद को बहुत अच्छा लगा। कुमुद ने रानी का हाथ पकड़ा और बड़े प्यार से दबाया जैसे वह भी रानी की बात से सहमत थी।
 
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#40
राज ने रानी और कुमुद की बातें सुनी तो उसका मन नाच उठा। राज ने कमल को धक्का दिया और अपनी बीबी रानी को चोदने के लिए कमल को रानी पर सवार होने को कहा। कमल यही तो चाहता था। फुर्ती से कमल ने राज की पत्नी रानी की जाँघें उठायी और अपने कंधे पर रख्खीं, और अपना फुला हुआ लण्ड रानी की सुन्दर रस से रिसती हुई चूत से सटा दिया। 

रानी अब अपनी सारी शर्मो हया से ऊपर उठ चुकी थी। अब वह बिना देर से कमल के मोटे लण्ड को अपनी चूत में डलवाना चाहती थी। उसे महसूस करना था की क्या वह कमल का मोटा लण्ड अपनी चूत में ले सकती है या नहीं? अपने हीरो से वह अच्छी तरह से चुदवाना चाहती थी। उसका सालों का सपना साकार होने जा रहा था। पर अब जब उसे मौक़ा मिला तो वह अपने हीरो को पूरा आनंद भी देना चाहती थी। 

रानीने अपने हीरो, अपनी बहन कुमुद के पति और अपने पति के दोस्त कमल की और अपनी बाँहें फैलायीं और कमल को कस के अपने सीने से लगा कर, उससे से लिपट कर, कमल की आँखों में अपनी आँखें डाल कर सब सुने ऐसी आवाज में बोली, "कमल मैं आज तुमसे चुदवाना चाहती हूँ। राज तो मुझे रोज चोदते हैं। पर अब राज से चुदवाने में मुझे पहले जैसा मज़ा नहीं आता। मैं आज तुम्हारे लम्बे और मोटे लण्ड से चुदवाना चाहती हूँ। आज तुम मुझे ऐसे चोदो जैसे तूमने कुमुद दीदी को कभी नहीं चोदा। आज मैं तुम्हारा मोटा और लंबा लण्ड अपनी चूत में डलवाना चाहती हूँ। "

रानी की इतनी बेशर्म बात सुन कर सब भौंचक्के से एक दूसरे की और देखने लगे। तब रानी ने कहा, "ऐसे क्या देख रहे हो? अब और सुनो। मैं पूरी रात भर मेरे हीरो कमल से चुदवाना चाहती हूँ। मेरे पति यही चाहते थे ना? इसी लिए तो वह बार बार मुझे चोदते समय मैं उन्हें कमल कह कर बुलाऊँ यही जिद कर रहे थे ना? तो लो अब तुम्हारी बीबी को तुम अपने सामने ही अपने भैया से चुदवाते हुए देखो और मजे लो। और हाँ, तुम भी तो कमल भैया की बीबी कुमुद को चोदने के सपने देख रहे थे ? तो आज कमल भैया की बीबी कुमुद हमारे सब के सामने तुमसे चुदवाने का इंतजार करती हुई नंगी लेटी है। मैं तुम्हें इजाजत देती हूँ की तुम जाओ और उसको खूब प्यार करके अच्छी तरह से चोदो और अपना सपना पूरा करो। आज हम चारों अपनी थोड़ी सी बेवफाई का सपना पूरा करेंगे। कुछ दिनों बाद जब हम सब अपने अपने घर वापस जाएंगे तो फिर वही अपने पति पत्नी से प्यार करेंगे और उनको चोदेंगे या उनसे चुदवायेंगे।"

रानी की ऐसी स्पष्ट और बेझिझक खुल्लम खुल्ला बात सुनकर राज, कमल और कुमुद एक दूसरे की शकल देखने लगे। राज का मुंह तो खुला का खुला ही रह गया। खैर यह तो उसी के किये का नतीजा वह देख रहा था। अब उसकी महेनत वाकई में रंग ला रही थी। आगे क्या होगा वह अब देखना था। 

कमल से लिपटी रानी ने कमल को खड़े होने को कहा और खुद कमल के सामने घुटनों के बल बैठ गयी। कमल का लंबा और मोटा लण्ड राज की बीबी रानी की छाती पर मँडरा रहा था। रानी ने कमल को लण्ड अपने दोनों स्तनों के बिच में लिया और उसे अपने स्तनों पर रगड़ने लगी। रानी का यह नया रूप राज, कमल और कुमुद हक्केबक्के से देखते ही रह गए। रानी ने अपनी हथली और उंगलियां कमल के लण्ड पर लपेटीं और उनको हलके से मसाज करने लगी। कमल के लण्ड पर पूरी तरह फैला हुआ उसका पूर्व रस चमक रहा था। 

उस रस में अपनी उंगलियां सराबोर कर रानी उसी रस को कमल के लण्ड पर प्यार से फैलाने लगी। धीरे से फिर कमल के लण्ड को अपनी मुट्ठी में पकड़ ने की कोशिश की पर कमल का मोटा लण्ड उसकी मुट्ठी में नहीं पा रहा था। खैर उसने अपनी मुट्ठी हिल्ला कर कमल के लण्ड को कुछ देर प्यार से सहलाने के बाद हलके से अपना मुंह खोला और कमल के लण्ड का अग्रभाग अपने मुंह में लेकर अपने होँठ में लपेट लिया। धीरे से अपना मुंह ऊपर निचे करते हुए रानी ने हलके से कमल को अपना लण्ड अंदर बाहर करने का इशारा किया। 

कुमुद अपनी भोली भाली सीधी सादी छोटी बहन को अपने पति की इस तरह की कामुक सेवा करते देख कर दंग रह गयी। तब उसे ध्यान आया की राज उस पर चढ़कर चोदने लिए बड़ा ही उत्सुकता से उसकी इजाजत का इंतजार कर रहा था। कुमुद ने राज की और देखा और बरबस उसके होँठों पर मुस्कान गयी। अब सारी कहानी कुमुद समझ चुकी थी। दो पतियों ने मिलकर उनकी पत्नियों को बदल बदल कर चोदने का जो प्रोग्राम बनाया था वह वाकई काबीले तारीफ़ था। दोनों बीबियों को अलग अलग से तैयार करना और धीरे धीरे उनके अवरोधों को बड़ी ही चालाकी से एक के बाद एक दूर करना और फिर उन्हें ऐसे उकसाना की वह दूसरे मर्द के प्रति आसक्त हो ही जाए। यह सब एक लम्बे अरसे की रणनिति थी। जब बचपन से ही दोनों दोस्तों ने यह फैसला कर लिया था की दोनों अपनी बीबियों को एक दूसरे से चुदवायेंगे तो फिर प्लानिंग तो पहले सी ही थी

कुमुद दोनों भाइयोँ की कायल हो गयी। एक दूसरे से इतना गहरा प्रेम की अपनी बीबी को भी अपने भाई से चुदवाने की इतनी उत्सुकता? वह प्यार भरी नज़रों से अपने पति कमल को रानी के मुंह की चुदाई करते हुए देखने लगी। रानी का मुंह इतना खुल नहीं पा रहा था की कमल का लण्ड वह पूरी तरह अपने मुंह में ले सके। थोड़ी देर तक कमल के लण्ड को अपने मुंह में जीभ से चाट ने के बाद रानी पीछे हटी और पलंग पर लेट गयी। कमल ने रानी के नंगे बदन को पलंग पर लम्बे फैले लेटे हुए देखा और उसका लंड जो पूरी अकड़ में फुला हुआ सीधा खड़ा था और भी फनफना उठा। रानी की छाती पर गुम्बज समान दो भरे हुए स्तन पर की फूली हुई निप्पलेँ कमल को मसल ने का जैसे आमंत्रण दे रही थीं।
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply




Users browsing this thread: 4 Guest(s)