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माँ के बाहर काम करने की वजह से दीदी को आजादी मिल गई. अब वो और भी भड़कीले कपड़े घर में पहनने लगीं और अपनी मादक जवानी से मुझे सम्मोहित करने लगीं. मैं उनकी वासना को भड़काने के लिए रोज उनकी ब्रा पैन्टी में मुठ मारकर वैसे ही रख देता था. दीदी को भी और मुझे भी दोनों को पता था कि हम क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं.
एक दिन दीदी के रूम का एसी खराब हो गया, जिसकी वजह से उन्हें मेरे कमरे में सोने की वजह मिल गई. उनकी हवस से भरी आँखें साफ चमक रही थीं. माँ, दीदी और मैं खाना खाकर उठे. माँ को सुबह ऑफिस जाना था, इसलिए वो खाना खाकर सोने चली गईं. मैं भी अपने कमरे में चला गया. आधे घण्टे के बाद दीदी मेरे कमरे में आईं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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मैंने दीदी को देखा तो हैरान रह गया. उन्होंने एक काले रंग की पारदर्शी सिल्की फ्रॉकनुमा नाईटी, जो सिर्फ उनकी जाँघों तक आ रही थी.. उसे पहनी थी. उसके अन्दर की ब्रा और पैन्टी साफ साफ दिखाई दे रही थी. सिंगल बेड होने के कारण वो मेरे एकदम करीब आकर लेट गईं. दीदी के शरीर से निकलती मादक महक से मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था. दीदी लेटते ही नींद के आगोश में चली गईं. पर उनके शरीर की खुशबू से मेरी नींद उड़ गई थी.
रात करीब एक बजे दीदी ने जब करवट बदली तो उनकी गदराई गांड मेरी तरफ थी. अब मुझसे काबू नहीं हुआ तो मैंने अपना लंड दीदी की गांड के पास कर दिया और धीरे धीरे दबाव बढ़ाने लगा. दीदी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
मैंने हिम्मत न होने के कारण आगे कुछ नहीं किया और सो गया. ऐसा करीब 3 दिन चलता रहा.
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एक दिन मैंने कोशिश की, वो गहरी नींद में सो रही थीं. दीदी ने 2 पीस वाला गाउन पहना था और अन्दर ब्रा भी पहनी थी. रात के 2 बजे की बात है, मैं उठा और कमरे की लाइट जला दी. नीतू दीदी सो रही थी, उनकी चूचियां साफ दिखाई दे रही थीं. मुझे थोड़ा सा डर भी लग रहा था कि वो मुझे देख ना लें, पर मैंने हिम्मत करके उनकी चूची पर हाथ रखा. पहले मैंने गाउन के ऊपर रखा.. फिर धीरे से दीदी की एक चूची दबाई और फिर दोनों हाथ से दोनों चूचियों को दबाने लगा. सच में मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
अब मैंने उनके रसीले होंठों को चूमा, फिर उनकी गर्दन पर चूमा. इतने में मुझे लगा कि शायद दीदी जाग गई हैं और सोने का नाटक कर रही हैं. मुझे इससे और हिम्मत मिल गई, मैंने उनका गाउन नीचे से ऊपर किया, तो उनकी गोरी और चिकनी जांघें मुझे दिखने लगी थीं.
इतने में वो उठ गईं और बोल पड़ीं- यह क्या कर रहा है तू?
मेरे तो जैसे होश उड़ गए.
मैं बोला- दीदी, मैंने कभी किस नहीं किया, मुझे नहीं पता कि किस कैसे करते हैं.
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पहले तो वे मुझे देखती रहीं फिर दीदी मुस्कुरा कर बोलीं- मुझे भी नहीं पता, आज करके देखते हैं.
मैं दीदी के पास जाकर बैठ गया, दीदी ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया. मैंने भी दीदी को बाँहों में ले लिया और उनके रसीले होंठों को चूमने लगा. लगभग 5 मिनट तक हम एक दूसरे को चूमते रहे.
तभी एकदम से दीदी बोलीं- अमित, अब बस करो. मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है.
मैं समझ गया कि दीदी गर्म होने लगी हैं, मैंने कहा- दीदी, मुझे आपसे किस करके बहुत अच्छा लग रहा है.
वो कुछ नहीं बोलीं. मैंने फिर से उन्हें चूमना शुरू कर दिया. मैं समझ गया कि वो चुदवाने के मूड में आ गई हैं. मैं दीदी की चूचियों को जोर से मसलने लगा. दीदी के मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगीं. मैंने धीरे से दीदी की गाउन खोला और चूची चूसने लगा.
दीदी के कुछ भी न बोलने पर मैंने कहा- दीदी, गाउन उतार दो न प्लीज.
वो बोलीं- अमित मुझे डर लग रहा है, किसी को पता चल गया तो?
मैं बोला- दीदी कुछ नहीं होगा, किसी को पता नहीं चलेगा.
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वो मान गईं. मैं दीदी की बुर सहलाने लगा, दीदी की बुर एकदम गीली हो चुकी थी, दीदी बोलीं- देखो अमित हम जो कर रहे हैं, ये सही नहीं है.
मैं कुछ नहीं बोला तो दीदी ने कहा- अब बस करो.
पर मैंने दीदी की एक न सुनी. उनको चूमने के बाद मैंने अपनी पैंट उतारी और अपना 7 इंच का लंड निकाला तो दीदी के होश उड़ गए.
मैंने कहा- दीदी एक बार डालने दो.
दीदी बोलीं- इतना बड़ा.. मुझे मारना है क्या?
मैं बोला- तुम एक बार डलवाओ तो सही, कुछ नहीं होगा.
दीदी के मन में उत्सुकता और डर दोनों था. मैंने दीदी को बेड पर लिटाया और अपना लंड उनकी बुर में धीरे धीरे डालने लगा. वो दर्द से कसमसाने लगीं. फिर मैं जोर जोर से झटके मारने लगा. दीदी चीखने लगीं. मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से दबा दिया ताकि माँ को न सुनाई
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दीदी कराहते हुए बोलीं- बस करो, बहुत तेज दर्द हो रहा है.
लेकिन मैं कहाँ सुनने वाला था. मैं दीदी की चूत में लंड पेलता चला गया. दीदी की सील टूट गई थी. दीदी की बुर से हल्का हल्का खून निकल रहा था. मैं उनको हचक कर चोदने लगा. दीदी भी मस्ती से चुदवाने लगी थीं
अभी 15 मिनट हुए थे कि मेरा सारा जोश दीदी की बुर में निकल गया. मैं हांफता हुआ दीदी की चूचियों पर गिर गया. दीदी भी झड़ चुकी थीं.
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मेरा सारा जोश दीदी की बुर में निकल गया. मैं हांफता हुआ दीदी की चूचियों पर गिर गया. दीदी भी झड़ चुकी थीं.
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दोस्त की बहन को
चोदा
मजा लेकर
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मेरा जिगरी दोस्त प्रदीप और उसकी फैमिली देहरादून में रहती है। उनकी एक बहुत ही मस्त गांड वाली बहन है रीतू। आपको क्या बताऊँ दोस्तो, चुदक्कड़ भाभियो, और लंड की प्यासी मालो कि वो लड़की कितनी मस्त माल थी। उसकी लंबाई 5 फीट 3 इंच और मम्मे 34 इंच के तो होंगे ही। उसकी मस्त गांड 36 इंच और कमर 26 इंच होगी।
एक दिन मैं अपने दोस्त के घर गया था कॉलेज के नोट्स लेने तो उसकी बहन ने आकर मुझसे नमस्ते कहा, मैं उसे देखते ही रह गया। उसने सलवार शर्ट पहना था, जो टाइट फिटिंग का था। उसके चुच्चे शर्ट को फाड़ कर बाहर आ रहे थे और नीचे वो शर्ट चूत की ओर दबा हुआ था। अरे भाभियो, मैं तो पागल हो गया; मेरा लंड तनतना गया।
रीतू की नजर मेरे लंड पे चली गयी; वो मुस्कुरा कर अंदर चली गयी, तब मुझे होश आया क़ि दोस्त भी वहां है।
वो तब बी ए फर्स्ट ईयर में पढ़ रही थी और मैं एम एस सी कर रहा था।
तभी थोड़ी देर बाद एक लड़का चुनाव प्रचार करते हुए उनके घर आया और रीतू बाहर आई, तो रीतू ने उसे मुस्कुरा कर आँख मार दी, और अपने अंदर के कमरे से होते हुए गेट पर जाकर उससे बात करने लगी।
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मैं समझ गया कि रीतू का चक्कर है इस लड़के के साथ।
मुझे रीतू को चोदने का बहुत मन हुआ और उस रात मैंने 3 बार मुठ मारी। खैर तब वो सपना सपना ही रह गया और 4 साल बाद रीतू की शादी उसी लड़के के साथ हो गई।
शादी के एक साल बाद प्रदीप का फ़ोन आया क़ि रीतू शहर में आयी है और वो लोग वहां नहीं हैं। रीतू को बी ए की डिग्री निकालनी थी, वो अकेले आयी थी।
मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, क़ि आज तो साली चुदेगी ही चुदेगी। मैं रीतू से मिला तो मेरी चुदक्कड़ मालो, वो तो बहुत ही चुदक्कड़ रांड लग रही थी। मेरा लंड सख्त हो गया; उसकी नजर फिर मेरे लंड पे पड़ गयी और फिर वही शैतानी हंसी।
उसने मेरे एकदम पास आकर सर झुका कर मुझे प्रणाम किया और मैंने भी आशीर्वाद देने के बहाने अपने हाथ उसके सर से होते हुए गाल में लगाए और फिर गाल पर चिकोटी काट कर हाथ नीचे लाते समय उसके बूब्स पे छुआ दिए। अब उसके चुच्चे 36 इंच हो गए थे।
मैंने उसकी डिग्री का फॉर्म भरा और वो डिग्री शाम तक मिलने वाली थी, तो मुझे मौका मिल गया, मैंने उससे अपने कमरे में चलने को कहा। पहले तो आनाकानी करने लगी, तो मैंने मौका देख कर उसके होंठों पे अपनी उंगली रख दी और कहा कि चुप रहो और कमरे में चल के खाना खा के आते हैं
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फिर उसी उंगली को अपने मुंह में डाल दिया।
वो समझ तो गयी थी क़ि आज मैं चुदने वाली हूँ।
चुदाई का समय आ ही गया, हम कमरे में पहुंचे तो उसने बाथरूम जाने को कहा और वो अपना लोअर खोल कर पेशाब करने लगी, मैं भी पीछे पीछे बाथरूम के दरवाजे की झिर्री से उसे देखने लगा।
वो अपने दाने दबा रही थी और चूत को सहला रही थी.
मैंने दरवाजा खोला तो खुल गया, वो अचानक डर गयी, मैंने उससे कुछ नहीं कहा और अपना साढ़े छः इंच का लंड निकाला और मुठ मारते हुए पेशाब करने लगा, वो मेरे लंड को देख कर मुंह खोल के ही रह गयी और हा… हा… कहते हुए पाजामा पकड़ के बाहर आ गयी।
मैंने लंड को अंदर नहीं डाला और वैसे ही बाहर आते आते लंड अंदर डालने का नाटक करने लगा.
वो बोली- हमें जाना चाहिए सर्टिफिकेट बन गया होगा?
तो मैंने कहा- सच बोलो तुम जाना चाहती हो?
“तो क्या करूँ? शादी शुदा जो हूँ.”
मैंने कहा- तभी तो और भी अच्छा है, किसी को शक भी नहीं होगा और मुझे तो भाभियां भी बहुत हॉट लगती हैं।
वो हंसी और बोली- अच्छा? क्यों लगती हैं? मैं तो इतनी अच्छी नहीं।
“तुम तो जन्नत की हूर हो मेरी रीतू, तुम्हें कब से चोदना चाहता हूँ पता भी है कुछ?”
“पता है भैया जी” और खिलखिलाकर हंस पड़ी।
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मैंने फिर कुछ बोले बिना ही उसे चूम लिया, उसने भी मुझे चूमना स्टार्ट कर दिया।
फिर बोली- पहले तुम बताओ क़ि मेरे नाम की कितनी मुठ मारते थे?
“तुम ही तुम तो छायी रहती हो मेरी आँखों में मेरी जान!”
“तो आज ये बताओ कितने घंटे चोदोगे मुझे?”
“एक ही बार लूंगा तेरी मेरी रानी…. पर लूंगा जबरदस्त तरीके से।”
यह बोल कर हम दोनों एक दूसरे से चिपट गए। मैं उसकी गांड पर हाथ फिराते हुए उसे चूमने लगा, वो भी मेरे होंठों को पीने लगी, हम 10 मिनट तक स्मूचिंग करते रहे। फिर मैंने उसके चुच्चों पर हाथ फेरा और बहुत जोर से दबा दिए।
उसके मुंह से सी…ष्षी निकल गयी- भैया आराम से, आपकी तो हूँ एक घंटे तक!
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मैं एक हाथ से उसकी चुची और दूसरे हाथ से चूतड़ दबा रहा था, होंठ होंठों से मिले हुए थे, उसके मुंह के अंदर जीभ डाल कर मुंह की चुदाई कर रहा था। उसने अचानक मेरा लंड जोर से दबा दिया और फिर मेरे गले को चूमने लगी और मेरे कमीज के बटन खोलते हुए छाती को चूमने लगी और मेरे चुच्चे पीने लगी।
मैं सिसकारियां भर रहा था, मदहोश था और कह रहा था- मेरी सपनों की माल, चोद मुझे जितना चोदना है। मैं तेरा हूँ रीतू डार्लिंग, इतने सालों से तुझे चोदने के सपने देखे हैं मैंने।
“मैं भी आपको चोदना चाहती थी मेरे प्यारे भैया, पहले दिन ही आपके पेंट के अंदर आपके लंड को भांप गयी थी मैं।”
उसने मेरी पूरी कमीज खींच कर अलग कर दी दोस्तो, और जीन्स खोल ड़ी फिर कच्छे के बाहर से ही लंड को सहलाने लगी और मदहोश होकर बके जा रही थी- ये मेरे सपनों का लंड है, इससे मैं 5 साल से चुदना चाह रही थी, मेरे भोसड़ी वाले का लंड तो बहुत छोटा है, जब भी वो मुझे चोदता है, तो मैं तो सपनो में इसी लंड को लाती थी फिर भी प्यास नहीं बुझी मेरी मेरे राजा।”
और फिर बाहर से ही उसे अपने मुंह के अंदर ले लिया।
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फिर उसने मेरा अंडरवियर खोला, खोला क्या खींच कर अलग कर दिया और एकदम से पूरा लंड मुंह में ले लिया दोस्तो!
मैं पागल हो गया मदहोशी में और झड़ने ही वाला हो गया।
मैंने उसके मुंह से लौड़ा निकाला और बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोला- नहीं दूंगा मैं तुम्हैं अपना लंड, तुम एक तो इतने सालों तक तड़पाती हो ऊपर से आते ही पानी निकाल दे रही हो, जाओ नहीं दूंगा तुम्हें अपना लौड़ा।
वो चुदक्कड़ रंडी नखरे दिखाते हुए बोली- प्लीज दे दो न 5 साल की प्यासी हूँ, मुझसे गलती हो गयी अब ऐसी गलती न होगी।
मैंने अपना लंड उसके मुंह में घुसा दिया और बोला- तो अब ऐसी गलती मत करना, ये पहाड़ी लौड़ा नसीब वालों को ही मिलता है मेरी जानू।
“हाँ हाँ… अब ऐसी गलती नहीं होगी, बिल्कुल नहीं होगी मेरे फाड़ू पहाड़ी लौड़े, आ जा मेरे मुख को चोद मेरे पहाड़ी लौड़े आ…म, च्याप च्याप च्याप, तुझे पता है मेरे लौड़े तेरी चिकनी पहाड़ी चूत तुझे कितना प्यार करती है.” वो पागलों की तरह बके जा रही थी और लौड़ा चूसे जा रही थी, चूम रही थी।
फिर उसने अपनी चूत बाहर से ही लंड में लगा कर “आई लव यू” मेरे लौड़े कहा और फिर मुझे चूमने लगी।
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अब मेरी बारी आयी, दोस्तों मैं तो पागल हो चुका था, मैंने उसकी कमीज उतार दी और उसके चुच्चों को ब्रा के बाहर से चूमने लगा, इतने बड़े मम्मे मुंह के अंदर नहीं आ रहे थे, मैंने ब्रा निकाल कर दोनों हाथों से मम्मे पकड़े और मुंह में डाला.
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वो सिसकारियां भर रही थी फिर मैंने उसके लोअर का नाड़ा खोला और पैंटी के बाहर से ही चूत को चाटने लगा।
“तेरी चूत तो बुरी तरह गर्म है मेरी माल, और फड़फड़ा रही है ये तो!” ऐसा कह कर मैंने उसकी पैंटी भी फाड़ दी, उसकी चूत में जीभ डाल कर चूसने लगा।
उसकी चूत बहुत गोरी थी और बाहर को उभरी हुई थी इसलिए बहुत ही सेक्सी लग रही थी.
दोस्तो, मैं तो पागल ही हो गया था, बुर को चाटे जा रहा था.
10 मिनट तक चूत चाटा तो उसने बहुत जोर से मेरा सर दबाया चूत में और कहने लगी- मेरे रा आ…जा आ आ… मैं तो गयी बस।
और उसका पानी निकल गया।
मैंने पूरी चूत चाट के साफ कर दी। फिर उसे चूमने लगा और धीरे धीरे उस के बूब्ज दबाने लगा, वो फिर गर्म होने लगी तो मैंने अपना औजार उसके मुंह में डाल दिया, वो लॉलीपॉप की तरह लंड को चूसने लगी। फिर से मैंने उसकी चूत को चाटना स्टार्ट किया तो वो गर्म हो गयी. फिर क्या था, मेरे लौड़े का सपना सच होने ही वाला था, मैंने उसे पीठ के बल लिटाया, और चूत के मुख पर लौड़ा रखा तो उसने कहा- पहले मेरी चूत को सॉरी बोलो!
मैं समझ गया, मैंने कहा- सॉरी मेरी चुदु रानी, मैंने तुझे 5 साल तक तड़पाया.
“मेरी ओर से भी सॉरी मेरे लौड़े क़ि मैंने अपने भैया के लंड को खाली मुठ मारने पर मजबूर किया.” वो बोली.
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फिर मैंने उसकी कमर पकड़ कर एक जोर का झटका मारा और लौड़ा पूरा का पूरा एक ही चोट में अंदर… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआ… भै..या… जी… क्या किया ये
उसे दर्द हो गया था पर मस्ती इतनी चढ़ी थी क़ि फिर बोली- चोदो भैया जी चोदो, मैं तुम्हारी गुनहगार हूँ, फाड़ डालो इस कमीनी चूत को!
मैं जोर जोर से झटके पे झटके लगा रहा था, आखिर मैंने दोस्त की बहन को चोद ही डाला था।
मैं तो मदहोश हो गया था- बहनचोद मादरचोद आज तक क्यों नहीं आयी, रंडी साली चोद चोद के तेरी चूत फाड़ दूंगा आज, बहनचोद तेरी पूरी बी ऍफ़ भी बनेगी और जब तू नहीं होगी तो इसी बी एफ को देख देख कर तेरी चूत की चुदाई कर के मुठ मारूँगा. बहनचोद, अब तो तेरे पति के सामने आ के चोद दूंगा तुझे रंडी!
और भी पता नहीं क्या क्या बड़बड़ा रहा था मैं।
वो बोली- भोसड़ी के, बहनचोद नहीं हूँ मैं भाई चोद हूँ, तू मेरा भैया ह ना, और मैं तुझे चोद रही हूँ, बहनचोद तो तू है, मुझे चोद रहा है ना?
“हाँ मेरी रानू, हाँ मैं तेरा भाई भी यार भी, आशिक भी तेरा गुलाम भी मेरी जान!”
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