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Incest हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है
#61
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#62
मैंने जबरदस्ती अंडरवीयर नीचे कर के अपना लंड उसके हाथ में थमाया। वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर मैंने ऐसा होने नहीं दिया। अपने हाथ से उसके हाथ की मुट्ठी बना कर मैं लंड को आगे पीछे करने लगा।
“मुझे नहीं लगा था कि तुम मेरे भाई होकर इस तरह जबरदस्ती करोगे।”
“तुम खुद से करोगी तो मुझे जबरदस्ती करने की क्या पड़ेगी।”
“हाथ निकालो, प्यार का काम प्यार से किया जाता हैं, जबरदस्ती से नहीं।”

मुझे लगा वो मेरी मुठ मारने के लिए मान गयी, मैंने अपना हाथ हटा दिया लेकिन मेरा हाथ निकलते ही…
“सोओ अब अकेले ही!” कह कर वो स्लीपिंग बैग से बाहर निकलने लगी।

मैंने फुर्ती से उसकी पैन्टी पकड़ ली, पर फिर भी वो बाहर निकल गयी लेकिन उसकी पैंटी सरक कर उसकी टांगों से निकलती चली गई, वो बैग से बाहर निकल गई लेकिन उसकी पैंटी मेरे हाथ में थी.
अब मेरी बहन सिर्फ ब्रा पहने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत छुपाये खड़ी थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#63
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#64
आ जाओ अंदर!” मैंने कहा।
“नहीं, मैं बाहर ही सोऊँगी।”
“ऐसी अधनंगी?”
“हां, तो? यहां कौन देख रहा है?”
“अब जब अधनंगी को कोई नहीं देखेगा तो पूरी नंगी को कौन देखेगा?” कहते हुये मैं उठ कर खडा हुआ और जबरदस्ती उसकी ब्रा भी उतार दी।

“मैंने तुमसे ज्यादा गंदा लड़का नहीं देखा।”
“मैंने भी तुझसे ज्यादा नखरेल लड़की नहीं देखी।”

हम एक दूसरे को चिढ़ा ही रहे थे कि तभी जोर से सरसराहट हुयी। वो डर गयी, बोली- कैसी आवाज है ये?
“तुझे नंगी देख कर कोई जंगली जानवर जोश में आ गया होगा। अब वो तुझे नहीं छोड़ेगा!”
“मजाक मत करो, सच में कुछ है।” कहते हुये वो मेरे पास आ गई।
“कोई जंगली जानवर होगा जो शिकार के लिये आया होहां, तुम चुपचाप बिना आवाज किये सो जाओ तो वो चला जायेगा।”

जंगली जानवर के डर से वो चुपचाप बैग के अंदर आकर लेट गयी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#65
तुम्हारे उसका कुछ करो ना, बार बार जांघों में टच कर रहा है।”
“तुम्हारी वजह से ही हो रहा है।”
“मैंने क्या कहा है उसे?”
“तुम्हारे नशीले नंगे बदन ने कहा है!” कहते हुये मैं अपनी ममेरी बहन के नंगे बदन से लिपट गया।
“तुम फिर गंदी हरकत करने लगे?”
लेकिन इस बार वो ना पीछे हटी, ना इन्कार किया।

मैंने अपनी अंडरवियर निकाल कर बाहर फेंक दिया और उसकी जांघों में अपनी जांघें घुसा दी। फिर एक हाथ से उसके गालों को सहलाते हुये उसे किस करने लगा।
वो भी अब मेरा साथ देती हुयी अपनी जांघों को मेरी जांघों पर रगड़ने लगी, अपने एक हाथ से वो मेरी पीठ को सहलाने लगी।
काफी देर तक हम दोनों भाई बहन एक दूसरे के नंगे बदन से खेलते रहे।

“बस अब खत्म कर दो!” कहते हुये उसने मेरे लंड पर अपनी चूत चिपका दी।
मैंने भी बिना वक्त गंवाये उसकी चूत में लंड घुसेड़ कर उसे चोदना शुरु किया। जितने नखरे वो पहले कर रही थी अब उससे कहीं ज्यादा मजे से मेरी बहन अपनी चूत चुदवा रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#66
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#67
एक के बाद एक धक्के लगते गये, तब तक… जब तक… हम दोनों भाई बहन की चुदाई के बाद झड़ नहीं गये।

उस रात हमने कई बार सेक्स किया, जब दोनों बुरी तरह से थक गये तब एक दूसरे की आगोश में सो गये।
सुबह उठ कर हमने दोस्तों को खोजा, मेरे दोस्त मिले, तब हमने मिल के जंगल में पिकनिक का आनन्द लिया।
लेकिन मैं कह सकता हूँ कि जंगल की पिकनिक से ज्यादा आनन्द तो मुझे अपनी बहन की चुत चुदाई करने में आया.
और हां… वो मेरी बहन जो कहती थी कि ‘मैं कुंवारी हूँ’ मुझे वो कहीं से कुंवारी नहीं लगी, उसी चूत से कोई खून नहीं निकला, कोई ख़ास दर्द नहीं हुआ उसे… बड़े मजे से उसने अपनी चुत चुदाई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#68
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#69
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#70
Heart नादानी में शुरू हुए खेल को जवानी में बहन की चुदाई  Heart
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#71
(14-08-2019, 02:59 PM)neerathemall Wrote: Heart नादानी में शुरू हुए खेल में जवानी में बहन की चुदाई  Heart






















Heart
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#72
हुआ यूं कि मैं अपनी दादाजी की मृत्यु पर गाँव में गया था। हमें 3-4 दिन तक वहाँ रुकना था। वहाँ मेरे बड़े अंकल रहते हैं, जिनकी लड़की प्रीति मेरी उम्र की ही है। हम दोनों में काफ़ी दोस्ती थी और वो मुझे पसंद भी करती थी।

गाँव पहुँचने पर वहाँ मेरी मुलाकात प्रीति से हुई। मैं उसे देख रहा था.. वो भी मेरे चेहरे को देखते हुए मेरे पास आई और मेरे करीब बैठ कर बात करने लगी।

शाम को मेरे चाचा का लड़का प्रतीक, जो मेरे उम्र का ही है, मुझे बुलाने आया, वो बोला- चल प्रीति के साथ खेलते हैं।
मैं छत पर चला गया.. मैंने पूछा- क्या हो रहा है?
उसने बताया कि वे लोग ‘घर-घर’ खेल रहे हैं और प्रीति उसकी बीवी बनी है। प्रीति फ्रॉक पहने हुई थी। हम तीनों खेलने लगे और फिर प्रतीक ने खेल को आगे बढ़ाते हुए कहा- यार समझो कि रात हो गई है.. सो जाओ!

हम तीनों सो गए.. प्रतीक ने प्रीति की फ्रॉक को ऊंचा किया और उसकी चड्डी निकालने का इशारा किया। प्रीति ने तुरंत चड्डी उतार दी। वो उसकी चूत में अपना लंड रगड़ने लगा.. मैं ये देख कर तो दंग रह गया।
मैंने उन दोनों को अलग किया और पूछा- ये क्या कर रहे हो??
प्रतीक बोला- सब मर्द अपनी बीवी के साथ करते हैं। हम पिछले 2 दिन से ऐसे खेल रहे है। प्रीति चाहती है कि तू उसका हज़्बेंड बने और ऐसा करे, इसीलिए तुझे बुलाया है।

मैंने उसकी तरफ देखा, वो मुस्कुराई.. तो मैं भी मचल गया और अपनी चड्डी उतारने लगा। मैंने अपने लंड को उसकी चुत के ऊपर रखा और रगड़ने लगा। हम दोनों को मजा आ रहा था।

फिर रात को हमने साथ में खाना खाया और सो गए। पापा ने बताया कि कल शाम को वापस शहर जाना है, मुझे लगा अब प्रीति प्रतीक की बीवी बनेगी।
मैंने उससे बात की और मेरे साथ शहर आने के लिए मना लिया।

वो अब मेरे घर पर आ गई.. हम शाम को छत पर घर-घर खेलते और मैं उसको नंगी करके मजा लेता।
दूसरे दिन मैंने उसको बोला- तुम उल्टी लेट जाओ, मुझे तेरी गांड देखनी है।

वो शरमाई.. पर एक-दो बार बोलने पर पलट गई। मैं उसकी गांड की दरारों में लंड फंसा कर हिलाने लगा, बड़ा मजा आया।

अब मैं रोज उसको नंगी करके चूमता और लंड रगड़ता। फिर उसकी गांड को भी खुद दबाया और छेद पर लंड रगड़ा।
कुछ ही दिनों में छुट्टियाँ खत्म हो गईं और वो गाँव चली गई। लेकिन जाने से पहले मैंने उससे वादा लिया कि वो अब ये घर-घर नहीं खेलेगी और किसी और की बीवी नहीं बनेगी।
उसने भी बोला कि मैं तुम्हारी हूँ।

फिर पापा का तबादला दिल्ली हो गया और हम वहाँ चले गए।


कुछ समय बाद प्रीति की बहन की शादी में मुझे गाँव जाना था। मैं खुश हो गया और सोचने लगा कि वो कैसी लग रही होगी.. अब मुझे सेक्स का नॉलेज हो चुका था। मैं सोचने लगा कि वो कैसे पटेगी मेरे साथ चुदने के लिए!!

खैर हम सब गाँव पहुँच गए, मैं प्रीति को ढूँढ रहा था.. अचानक वो मेरे सामने आई। अरे वाह.. क्या जवान हो गई थी वो..! उसका दूध सा गोरा रंग, ऐसा लग रहा था जैसे अप्सरा हो।

मेरे हिसाब से उसके 32 के दूध और 34 की गांड होगी। वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी, मैं उसके पास गया और ‘हाय’ कहा। वो मुझसे बात तो कर रही थी, पर शर्मा रही थी। शाम को मैंने उसको छत पर आने का इशारा किया, वो समझ गई। हम दोनों वहाँ रखी सूखी घास में बैठ कर बात करने लगे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#73
मैंने कहा- काफ़ी बड़ी हो गई हो।
वो मुस्कुरा दी.. मैंने उसको उसका फिगर साइज़ पूछा.. तो उसने बताया कि 32-28-34 का है।
मैंने बोला- जवान लड़की के लिए आइडियल फिगर है।
वो मुस्कुरा दी, फिर मैंने उससे पूछा- याद है, हम यहाँ मिले थे!
वो मेरी तरफ देख कर शर्मा रही थी.. मैंने बोला- तुम मुझे बहुत पसंद हो.. आई लाइक यू वेरी मच।

उसने मुस्कुरा कर नजर नीचे कर ली। मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया और उसके गालों को चूम लिया, उसने भी मेरे गालों पर चुम्मी कर दी।

मुझे तो मानो सिग्नल मिल गया था, मैंने देर ना करते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसे चूमने लगा।

क्या मजा आ रहा था.. वो भी मेरा साथ देने लगी.. हम बस चूमते रहे। दस मिनट बाद हम दोनों ने होंठों को अलग किया.. उसके होंठ लाल हो गए थे। मैंने फिर से उसको जकड़ कर चूमना चालू किया। अब मैं उसके गाल, गर्दन पर चूम रहा था.. उसको मजा आ रहा था। धीरे-धीरे उसकी मादक सिसकारियाँ बढ़ने लगीं।

मैंने अब धीरे से उसके मम्मों को दबाना चालू किया, तो मैंने महसूस किया कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। मैं उसका कुर्ता ऊपर करके उसके मम्मों को देखने लगा। वो शर्मा गई, पर मुस्कुरा कर मेरे हाथ को पकड़े हुए थी।

मैंने उसे रोका और बोला- ये काफ़ी बड़े हैं.. मुझे इधर किस करने दो।
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उसने मुस्कुराते हुए बोला- भाई तुम्हारे ही हैं.. तुमसे वादा जो किया था.. अब तक निभा रही हूँ। आ जाओ मेरे राजा भैया.. लो अपनी बहन का दूध पियो।

उसने हाथ खोल दिए और लेट गई.. मैं तो बस उन मम्मों पर टूट पड़ा। मैंने उसके लेफ्ट बूब को मुँह में लिया और चूसने लगा ‘उम्म्म उम्म्म उम्म्म…’
वो भी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करते हुए मेरा साथ दे रही थी।

मैंने ज़ोर से दबाना चालू किया.. तो प्रीति बोली- हाँ दबाओ.. और दबाओ बंटी.. तुम्हारे लिए कबसे प्यासे थे ये.. और दबाओ आ आ आअहह आअहह!
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#74
यह सब सुनकर मेरा लंड टाइट हो गया.. मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा और दबाने को बोला। मैं उसके निपल्स काटने लगा.. उसकी सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थीं।
मैं काफ़ी उत्तेजित हो चुका था.. मैंने उसकी पजामी के ऊपर से ही उसकी चूत दबाई.. तो उसने एक लंबी साँस ली- आआहह भैया.. बस करो!

मैंने पजामी को खोलने की कोशिश की ताकि उसकी गुलाबी चुत देख पाऊँ।

वो मुझे अपने से दूर करते हुए बोली- मेरे सैंया होश में आओ, हम खुली छत पर हैं, इधर कोई आ जाएगा तो देख लेगा। रात को मेरी जवानी का, मेरे बदन का पूरा मजा लूटना.. सब्र का फल मीठा होता है।

मैंने पूछा- कब?? मैं पागल हो चुका हूँ तेरे लिए..!
वो मुस्कुराई और बोली- रात को सेकेंड फ्लोर पर जो स्टोर रूम है, वहाँ आ जाना। गाँव में सब जल्दी सो जाते हैं, मैं वहीं मिलूंगी। फर्स्ट फ्लोर पर सामान पड़ा है.. तो उधर कोई नहीं होगा।

मैंने उसको किस किया और नीचे जाकर काम करने लगा।
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#75
सब रात को 11 बजे सो गए। मैं प्रीति के बताए अनुसार उसका स्टोर रूम में वेट कर रहा था। एक घंटे से ऊपर हो गया, मेरी आँख लग गई। करीब 12 बजे मेरे हाथ पर किसी ने चूमा, तो मेरी आँख खुली।

मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था.. सामने प्रीति खड़ी थी, वो बोली- अपनी पहली सुहागरात में ही आँख लगा दी, थोड़ा सा इंतजार भी ना हुआ?

वो वाइट टी-शर्ट ओर ब्लैक शॉर्ट्स पहनी थी। मैं उसको निहारने लगा.. नाइट लैंप की रोशनी में उसका बदन कमाल लग रहा था। उसके वो 32 के चूचे और 34 की गांड को देख कर मुझसे रहा ही नहीं जा रहा था, पर मैंने अपने आप पर काबू रखा।

मैंने उसे बगल में बैठने को बोला, उसका हाथ चूमा और कहा- तुम्हारी बहुत याद आती है, पता नहीं क्यों इतने साल मिल नहीं पाए! मैं तुमको बहुत प्यार करता हूँ।
उसने मुझे चूम लिया, फ़िर प्रीति बोली- तुमने बोला है तब से मैंने किसी और लड़के को नहीं देखा, मैं तुम्हारा इंतजार कर रही थी, मुझे पता था तुम और मैं एक दिन साथ में होंगे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#76
मैंने उसको नजदीक खींच लिया.. हम पुरानी बातें कर रहे थे।
मैं बोला- इस साल की शुरूआत में ही मूवी दोस्तों के साथ देखी तो पता चला कि हम दोनों बचपन में क्या करना चाहते थे।

वो शर्मा गई.. मैंने उसके मुँह को ऊपर किया और अपने होंठ उसके होंठों से लगाते हुए अपने हाथों से उसके मम्मों को सहलाने लगा।
उसके निप्पल टाइट होने लगे थे।










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#78
[Image: sana-khan-hot-sexy-photoshoot-in-bikini1-1-xxx.jpg]
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#79
welcome
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#80
ab aage ..............
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