29-06-2019, 08:49 AM
(This post was last modified: 22-11-2020, 12:32 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
वापस घर
मम्मी को घर पहुंचते ही याद आया की रस्ते में हम लोग रेस्टोरेंट में तो रुके ही नहीं खाना खाने के लिए।
उनका प्लान था की उनके नथ और झुमके ,फिर पार्लर के बाद ,किसी रेस्टोरेंट में खाना खाएं , जिससे सब के सामने उनकी झिझक,
पर मैं जानती थी उन्हें कितना पुश करें ,कितना नहीं ,...
घर की बात और थी ,जहां सिर्फ मैं और मॉम होते थे , बाहर अभी ,...
मैंने बात बनाई ,
" मैंने दो तीन जगह चेक किया था ,टेबल खाली नहीं थी लेकिन आप घबड़ाइये नहीं मैंने ऑर्डर कर दिया है मटन बिरयानी के लिए बस पंद्रह मिनट में पहुँचती होगी। "
उन्होंने जोर से घूरा मुझे गुस्से से ,उन्हें मेरी चाल पता लग गयी थी मआख़िर वो मेरी भी माँ थी ,और ये भी की मैं उनको प्रोटेक्ट कर रही हूँ।
बस गुस्से में पैर पटकते हुए अपने कमरे में चली गयीं।
लेकिन मुझे उनका इलाज भी मालुम था ,मैंने उनके कान में बोला ,
"अरे यार जाओ न उनके कमरे में उन्हें चेंज करने में हेल्प कर दो , तेरा फायदा हो जाएगा। "
अंधे को क्या चाहिए दो आँखे ,... वो मम्मी के पीछे पीछे ,..
और जब वो दोनों लोग बाहर आये तो मम्मी बस एक ट्रांसलूसेंट गाउन में जिसमें उनका उभार ,कटाव सब कुछ दिख रहा था।
और सास दामाद खुश और खिलखिलाते
टेबल पर वो गिफ्ट रैप्ड बुक पड़ी थी जो सोफ़ी ने उन्हें दी थी ,' लर्न पैक्टिस एंड बी परफेक्ट " के इंस्ट्रक्शन के साथ।
वो उठा के खोलने लगे तो मैंने उन्हें छेड़ा ,
" बहुत जल्दी है ,... "
बिचारे शरमा के उन्होंने किताब रख दी लेकिन पीछे से मम्मी ने उन्हें पकड़ने की कोशिश करते हुए बोला ,
"लेकिन मुझे तो बहुत जल्दी है। "
" अरे मम्मी रात तो होने दीजिये न ," किसी तरह हंसी रोकते मैंने समझाया।
" ओह रात ,.. कब होगी रात ,... "....
अंगड़ाई लेते हुए बड़ी अदा से वो बोलीं ,और उनके दोनों कबूतर जैसे उड़ने के लिए बेचैन हो खुल के दिख गए।
रात आयी लेकिन आज शाम से सास दामाद की जुगलबंदी ,
वो एकदम से अपने दामाद की ओर , ... मैं बिचारी ,.. एकदम बाहर वाली हो गयी थी।
मम्मी ने शाम होते ही हुकुम सूना दिया आज चाय मैं बनाउंगी।
वो सोफी की किताब पढ़ने प्रैक्टिस करने में बिजी थे।
और मैंने कुछ ना नुकुर करने की कोशिश की तो मुझे डांट पड़ गयी ,
" जब से मैं आयी हूँ देख रही हूँ वो बिचारा जब देखो तब किचेन में घुसा रहता है ,और तुम पलँग चढ़ी कभी फोन ,कभी टैब कभी टीवी , ... जाओ ,.. "
और फिर असली कारण भी उन्होंने बता दिया क्यों वो उस 'बिचारे' का साथ दे रही थीं ,
" अरे रात भर तो उस बिचारे की आज रगड़ाई होनी ही है ,अभी तो थोड़ा आराम कर ले। "
( जैसे गौने की रात कोई सास ,भौजाई को छेड़ रही ननदों को हटाये ये सोच के ,की बेचारी रात भर तो रत जगा करेगी ही )
खाने के समय भी मम्मी ने हुकुम सुना दिया , बहुत ही सिम्पल बस कोई एक दो चीजें ,
और यही नहीं किचेन में भी उनके साथ थीं वो , एक दो लैम्ब की डिशेज उन्हें सिखाने के लिए।
मम्मी के छेड़ने की , दोनों लोगों के खिलखिलाने की आवाजें किचेन से आ रही थीं।
आज उन्होंने आठ बजे टेबल सेट भी कर दी , और मम्मी आज मुझसे पहले टेबल पर पहुँच भी गयीं।
सिर्फ लैम्ब चॉप्स ,लैम्ब स्पेयर रिब्स और शाम की बची हुयी बिरयानी बस फ्रेश कर दी , ...
स्वीट डिश भी नहीं ,... वो आज मेरे और मम्मी के बीच में बैठे।
स्वीट डिश के लिए मैंने पूछा तो मम्मी ने मुझे घूर के देखा और उनके रसीले होंठों पे हाथ फेरतीं बोलीं ,
" इतनी अच्छी स्वीट डिश के रहते हुए और किसी स्वीट डिश की कोई जरूरत है क्या , ... "
फिर उन्होंने अपना फैसला भी सूना दिया। "
" तूने बहुत दिन मजे ले लिए ,अब जब तक मैं रहूंगी ,मैं और सिर्फ मैं ये हवा मिठाई खाऊँगी,क्यों मुन्ना। "
और जिस तरह से उन्होंने ब्लश किया बस ,... यही अदा तो मम्मी को घायल कर देती थी।
मैं और मम्मी ,मम्मी के कमरे में चले गए।
वो किचेन में काम निपटाने , और उनके आते ही मम्मी ने अपने पैर उनकी ओर बढ़ा दिए , बल्कि खुद ही अपना गाउन खींच के घुटनो के ऊपर कर दिया।
मम्मी के ताजे पेडिक्योर किये हुए पैर , गोरे गोरे महावर लगे तलुए , पैरों में रुन झुन करते बिछुए ,चांदी की हजार घुंघरुओं वाली पायल, मांसल गोरी पिंडलियाँ
उनकी तो चाँदी हो गयी।
मम्मी को घर पहुंचते ही याद आया की रस्ते में हम लोग रेस्टोरेंट में तो रुके ही नहीं खाना खाने के लिए।
उनका प्लान था की उनके नथ और झुमके ,फिर पार्लर के बाद ,किसी रेस्टोरेंट में खाना खाएं , जिससे सब के सामने उनकी झिझक,
पर मैं जानती थी उन्हें कितना पुश करें ,कितना नहीं ,...
घर की बात और थी ,जहां सिर्फ मैं और मॉम होते थे , बाहर अभी ,...
मैंने बात बनाई ,
" मैंने दो तीन जगह चेक किया था ,टेबल खाली नहीं थी लेकिन आप घबड़ाइये नहीं मैंने ऑर्डर कर दिया है मटन बिरयानी के लिए बस पंद्रह मिनट में पहुँचती होगी। "
उन्होंने जोर से घूरा मुझे गुस्से से ,उन्हें मेरी चाल पता लग गयी थी मआख़िर वो मेरी भी माँ थी ,और ये भी की मैं उनको प्रोटेक्ट कर रही हूँ।
बस गुस्से में पैर पटकते हुए अपने कमरे में चली गयीं।
लेकिन मुझे उनका इलाज भी मालुम था ,मैंने उनके कान में बोला ,
"अरे यार जाओ न उनके कमरे में उन्हें चेंज करने में हेल्प कर दो , तेरा फायदा हो जाएगा। "
अंधे को क्या चाहिए दो आँखे ,... वो मम्मी के पीछे पीछे ,..
और जब वो दोनों लोग बाहर आये तो मम्मी बस एक ट्रांसलूसेंट गाउन में जिसमें उनका उभार ,कटाव सब कुछ दिख रहा था।
और सास दामाद खुश और खिलखिलाते
टेबल पर वो गिफ्ट रैप्ड बुक पड़ी थी जो सोफ़ी ने उन्हें दी थी ,' लर्न पैक्टिस एंड बी परफेक्ट " के इंस्ट्रक्शन के साथ।
वो उठा के खोलने लगे तो मैंने उन्हें छेड़ा ,
" बहुत जल्दी है ,... "
बिचारे शरमा के उन्होंने किताब रख दी लेकिन पीछे से मम्मी ने उन्हें पकड़ने की कोशिश करते हुए बोला ,
"लेकिन मुझे तो बहुत जल्दी है। "
" अरे मम्मी रात तो होने दीजिये न ," किसी तरह हंसी रोकते मैंने समझाया।
" ओह रात ,.. कब होगी रात ,... "....
अंगड़ाई लेते हुए बड़ी अदा से वो बोलीं ,और उनके दोनों कबूतर जैसे उड़ने के लिए बेचैन हो खुल के दिख गए।
रात आयी लेकिन आज शाम से सास दामाद की जुगलबंदी ,
वो एकदम से अपने दामाद की ओर , ... मैं बिचारी ,.. एकदम बाहर वाली हो गयी थी।
मम्मी ने शाम होते ही हुकुम सूना दिया आज चाय मैं बनाउंगी।
वो सोफी की किताब पढ़ने प्रैक्टिस करने में बिजी थे।
और मैंने कुछ ना नुकुर करने की कोशिश की तो मुझे डांट पड़ गयी ,
" जब से मैं आयी हूँ देख रही हूँ वो बिचारा जब देखो तब किचेन में घुसा रहता है ,और तुम पलँग चढ़ी कभी फोन ,कभी टैब कभी टीवी , ... जाओ ,.. "
और फिर असली कारण भी उन्होंने बता दिया क्यों वो उस 'बिचारे' का साथ दे रही थीं ,
" अरे रात भर तो उस बिचारे की आज रगड़ाई होनी ही है ,अभी तो थोड़ा आराम कर ले। "
( जैसे गौने की रात कोई सास ,भौजाई को छेड़ रही ननदों को हटाये ये सोच के ,की बेचारी रात भर तो रत जगा करेगी ही )
खाने के समय भी मम्मी ने हुकुम सुना दिया , बहुत ही सिम्पल बस कोई एक दो चीजें ,
और यही नहीं किचेन में भी उनके साथ थीं वो , एक दो लैम्ब की डिशेज उन्हें सिखाने के लिए।
मम्मी के छेड़ने की , दोनों लोगों के खिलखिलाने की आवाजें किचेन से आ रही थीं।
आज उन्होंने आठ बजे टेबल सेट भी कर दी , और मम्मी आज मुझसे पहले टेबल पर पहुँच भी गयीं।
सिर्फ लैम्ब चॉप्स ,लैम्ब स्पेयर रिब्स और शाम की बची हुयी बिरयानी बस फ्रेश कर दी , ...
स्वीट डिश भी नहीं ,... वो आज मेरे और मम्मी के बीच में बैठे।
स्वीट डिश के लिए मैंने पूछा तो मम्मी ने मुझे घूर के देखा और उनके रसीले होंठों पे हाथ फेरतीं बोलीं ,
" इतनी अच्छी स्वीट डिश के रहते हुए और किसी स्वीट डिश की कोई जरूरत है क्या , ... "
फिर उन्होंने अपना फैसला भी सूना दिया। "
" तूने बहुत दिन मजे ले लिए ,अब जब तक मैं रहूंगी ,मैं और सिर्फ मैं ये हवा मिठाई खाऊँगी,क्यों मुन्ना। "
और जिस तरह से उन्होंने ब्लश किया बस ,... यही अदा तो मम्मी को घायल कर देती थी।
मैं और मम्मी ,मम्मी के कमरे में चले गए।
वो किचेन में काम निपटाने , और उनके आते ही मम्मी ने अपने पैर उनकी ओर बढ़ा दिए , बल्कि खुद ही अपना गाउन खींच के घुटनो के ऊपर कर दिया।
मम्मी के ताजे पेडिक्योर किये हुए पैर , गोरे गोरे महावर लगे तलुए , पैरों में रुन झुन करते बिछुए ,चांदी की हजार घुंघरुओं वाली पायल, मांसल गोरी पिंडलियाँ
उनकी तो चाँदी हो गयी।