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Fantasy समय की ताकत
#1
नोट:- इस कहानी के सभी पात्र एवं घटना क्रम काल्पनिक  है जिसका किसी भी व्यक्ति या वस्तु से कोई सम्बन्ध नहीं है यादी हो तो इसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा।।


दिवंगत प्रोफ़ेसर श्री जगन्नाथ स्वामी, इनका देहांत हुए आज पूरे 5 वर्ष हो चुके है। ये एक मशहूर खोज करता हुआ करते थे। इन्होने कई प्राचिन वस्तुओं की खोज की थी जिसके पश्चात अचानक हृदय घात के कारण से इनकी मृत्यु हो गयी।

श्रीमती दीपिका स्वामी ये एक मल्लू औरत है जो प्रोफ़ेसर जगन्नाथ स्वामी जी विधवा पत्नी है इनकी आयु लगभग 45 वर्ष है। इनका भी आगे परिचय दिया जावेगा कहानी के दौरान,
इनकी दो पुत्रियाँ  और एक पुत्र है। 
पुत्री श्रुति स्वामी आयु 20 वर्ष व दूसरी पुत्री काव्या आयु 20 वर्ष ये दोनो जुड़वा नही है परन्तु इनका जन्म एक हि दिन को एक हि समय पर हुआ था। दोनो एक दूसरे से भिन्न है। 

पुत्र रघुनाथ स्वामी इसकी आयु 18 वर्ष है यही कहानी का हीरो भी है और विल्लन भी कैसे वो आगे कहानी से पटा चलेगा। 
पिछले 5 वर्ष से दीपिका आपने परिवार का गुजारा कर रही थी अपने पति की मृत्यु पर सरकार द्वारा प्राप्त राशि से परन्तु अब वो राशि भी समाप्त होने को है दीपिका अपने लिए कोई काम ढूंढ रही है वाही इनकी दोनो पुत्रियां अभी कॉलेज की परीक्षा दी है जिसका परिणाम आना शेष है। 

इनका पुत्र रघुनाथ अभी कक्षा का छात्र है जिसका दिमाग अपने पिता की तरह गहन विचार में गुम रहता है पढ़ने में होशियार शरीर से भी बलिष्ठ ईश्वर की असमीम कृपा है इस पर, दीपिका ने कल रघुनाथ को डॉक्टर को दिखाया था क्युकी रघुनाथ उर्फ़ रघु को अचानक से पैलवीस मैं दर्द होना शुरु हो गया था जहाँ डॉक्टर द्वारा उसका सम्पूर्ण निरक्षण किया गया जिस दौरान कुछ असमानताए सामने आयी। 
बर्बादी को निमंत्रण
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Hawas ka ghulam
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द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) ( Unexpected Desire of Darkness ) PART-II 
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#2
My dear writer

Dont mention under age.
 horseride  Cheeta    
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#3
(15-12-2025, 01:48 PM)sarit11 Wrote: My dear writer

Dont mention under age.

I didn't mention under age you can read that in update
बर्बादी को निमंत्रण
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द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) ( Unexpected Desire of Darkness ) PART-II 
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#4
अपडेट -1 

सीधे कहानी के उस भाग पर जाते है जहाँ कहानी के पात्र का चरित्र निर्माण होता है एयर कहानी किसी और हि अगले की और जाने लगती है।
हीरो एक 20 वर्षीय हैंडसम चहरे पर हलकी दाडी, मस्सूम आँखे और और ना स्मोकिंग करता है ना हि कुछ और इसके कॉलेज में सभी इसके मित्रश है चाहे लड़के हो या लड़किया कारण एक हि है की इसका नेचर सबसे दोस्ताना रहा है। लेकिन इसका एक दूसरा चेहरा ओर भी है हीरो के हाथ में एक पुरानी सी घड़ी है जिसके अंदर कई कांटे है जो हीरो को सही समय भी बताती है। अब यहाँ मैंने समय भी बताती है क्यों कहा यही इस कहानी का उद्देश्य है। दरअसल बात ये है की जब अपना हीरो 18 का हुआ तब हीरो के कुछ दोस्त जो की कॉलेज टाइम में हुआ करते थे उसके जन्म दिन पर उसे एक तोहफा दिया वो था वर्जिनिटी खोने का, रघु के लिए उसके दोस्तों ने एक रंडी का इंतजाम किया था उसके लिए वो उसे रात को अपने घर रोकना चाहते थे जिसका इजाजत उन्होंने रघु की मम्मी से ले ली उसके बाद दोस्तों ने मिलकर हीरो को एक रंडी पेश की इस कहानी को ज्यादा लम्बा ना करते हुए सिद्धे मुद्दे पर आता हूं ,
[Image: 22ac4feebdd7c791ddf118d7159d3d16.jpg]
आयशा ना की इस रंडी से इस कहानी की शुरुआत होती है जो ना जाने कहाँ ख़तम होगी।
रघु क्युकी पहली बार चुदाई  करने वाला था तो उसे कुछ ज्ञान नहीं था इस लिए उस रंडी ने रघु को सब बताया सब सिखाया लेकिन जब रघु ने उस रंडी की चुदाई करना शुरु किया तो रंडी की हालत खराब हो गयी ये कहानी की नीव यही से शुरु होनी चाहिए शायद। दरअसल् आज की चुदाई के बाद वो रंडी चलने लायक नही रही थी और रघु चल नहीं पा रहा था, रंडी की चूत खुन खच्चर हुयी पड़ी थी इसका कारण ये नही था की रघु के पास बहुत बड़ा लंड है हालाँकि रघु का लड़ 9 इंच का है

[Image: 16370676.jpg]

 लेकिन फिर भी एक रांड की हालत खराब बड़ा लंड नही बल्कि रघु का स्टेमिना ने खराब कर दिया था। अब चलते है डॉक्टर की रिपोर्ट की तरफ,
डॉक्टर लिसा दत्ता: मैडम इस लड़के मैं कोई कमी नहीं है भगवान ने इसको सब कुछ ज्यादा हि दिया है।
दीपिका: मतलब?
[Image: 3a086d304676add0725f49e9e317d24d.jpg]
डॉक्टर: मैडम आपके बेटे को एक बीमारी है जिसको डी  ई (डीलेड इजेकुलेशन कहते है ) मतलब इसका जल्दी से नही छूटता।
दीपिका: शर्मसार हो जाति है।
डॉक्टर: मैडम इसे हलके में मत लीजिये एक तो आपके बेटे का लंड मेरा मतलब लिंग भी बड़ा है ऊपर से डी ई बीमारी ये किसी की भी हालत खराब कर सकता है।
यही कारण था की रघु ने चुदाई शुरु की तो मज़ा आने लगा लेकिन खुद को शान्त करने के लिए उसने रंडी की हालत खराब कर दी ।
तो दूसरे दिन रघु का माल नही छूटने के कारण दोनों आंड सूज गये। अब बहन चौ... रघु क्या करे उसे इतना ज्ञान नहीं तो रोने लगा उसका नतीजा अब दीपिका को पता है की उसका बेटा किस बीमारी से ग्रस्त है। लेकिन डॉक्टर ने दीपिका को पहले हि बता दिया था की इस बीमारी का कोई इलाज नही होता बल्कि उम्र के साथ ये खुद बा खुद सही होती जाति है और नहीं भी होती। जब ये सही नही होती तो पुरुष कभी भी काम से मिलने वाले सुख को नहीं भोग पाता ।
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#5
अपडेट -3

अपने जन्मदिन पर अपनी वर्जिनिटी खोने के बाद रघु तो घर आ गया था लेकिन रघु का मन चुदाई में कहीं खो गया था।
आज पुरा एक साल हो गया था रघु को एक हि रांड को पेलते हुए। आयशा हां ये वाही रंडी है जिसने रघु की सील तोड़ी थी लेकिन सच तो ये है की नो पेन नो गेन , आयशा को रघु पसंद था ओ उसके स्टेमिना से बहुत खुश थी लेकिन उसे क्या पटा रघु तो एक बीमारी के चलते खिलाड़ी हुआ बैठा है। करीब दो हफ्ते बाद की बात है की रघु का किसी से झगड़ा हो गया था रघु माँ बहन की गालियां देते हुए आ रहा था जब आयशा को पता चला तो आयशा बिना दर किये रघु से मिलने निकल पड़ी। 
रघु: अरे कुछ नही हुआ वो बहन चोद  जाकिर नहीं है क्या उसकी बहन को देख रहा था। मादर चौद  ज्यादा चौड़ा हो गया और धर दी  मुझे। बस फिर मैंने भी गाली दे दी ।
आयशा : क्या ? गाली दी तूने ??
रघु : हां मेरे मुह से निकल गया तेरी बहन चौद  दूंगा, इस पर उसने मारा मुझे।
आयशा : (हसने लगी ) अब गाली दोगे तो मारेगा हि ना 
रघु: तो क्या करता? (गुस्से में)
आयशा : सच में उसकी बहा चौद देता।
रघु: क्या कुछ भी बोलती हो, उसकी बहन...
आयशा : बात काटते हुए, चौड़ेगा या नही
रघु :आयशा की आँखों में देखते हुए। चाहता तो हूं लेकिन...
आयशा : बात काटे हुए लेकिन वेकिन छोड़ समझ तुझे जाकिर की बहन की मिल गयी।
रघु :अच्छा सिर्फ तुम्हारे कहने से 
आयशा:  मैंने कब कहा सिर्फ मेरे कहने से वह तो तुमने कहा है कि तुम उसकी बहन की लेना चाहते हो तो बस
रघु :जो संभव नहीं हो ना तुम उसकी सलाह मत दिया करो 
आयशा : अच्छा सुनो तुम्हें उसकी बहन में क्या अच्छा लगा 
रघु : आप क्या बताऊं तुम्हें उसकी सूरत कितनी मासूम दिखती है उसकी आंखें ऐसे लगता हैं जाने कितनी गहरी हो उसके वह नाजुक से होट (आयशा को अपनी बाहों में पकड़ते  हुए ) उसके वह छोटे छोटे से संतरे और उसकी वो गांड। दिल पर छुरिया चल देती है ।
आयशा अच्छा ठीक है बस बस इतनी भी तारीफ मत करो 
रघु : क्यों तुम्हें क्या जलन हो रही है 
आयशा : जेल मेरी जूती और उसकी फुद्दी
दोनो एक दूसरे की तरफ देख हसने लगते है।
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#6
अपडेट - 4


आयशा : अच्छा सुनो तुम्हें उसकी बहन में क्या अच्छा लगा
रघु : आप क्या बताऊं तुम्हें उसकी सूरत कितनी मासूम दिखती है उसकी आंखें ऐसे लगता हैं जाने कितनी गहरी हो उसके वह नाजुक से होट (आयशा को अपनी बाहों में पकड़ते हुए ) उसके वह छोटे छोटे से संतरे और उसकी वो गांड। दिल पर छुरिया चल देती है ।
आयशा अच्छा ठीक है बस बस इतनी भी तारीफ मत करो
रघु : क्यों तुम्हें क्या जलन हो रही है
आयशा : जले मेरी जूती और उसकी फुद्दी
दोनो एक दूसरे की तरफ देख हसने लगते है।

अब आगे....
आयशा :एक बात कहूँ राजा
[Image: 3585d8b79dbd12bea86b11f228dc31cd.jpg]
रघु: (आयशा की तरफ देखते हुये) बोल न मेरी जान 
आयशा: तेरे लिए में चूतों की लाइन लगा दूँगी लेकिन वादा कर तू कभी मेरा कहा नहीं टालेगा।
[Image: 04bc45aa40ead1e556b3d9f5cf2732b8-1.jpg]
रघु : क्या मतलब तूने मुझे खरीद लिया है क्या ?
आयशा : में एक रांड हूँ लेकिन दिल मेरे सिने में भी धड़कता है।
[Image: cd4fc1596d964acb2f9d126c2b8feefe-2.jpg]
रघु: मतलब ?
आयशा: मुझे न तुझसे प्यार हो गया है ?
रघु : (चौकते हुये ) क्या कहा प्यार? और मुझसे?
आयशा: क्यू मुझे प्यार नहीं हो सकता क्या ?
[Image: 311f4ae2dd368c4c4fdf92fa41ed2337.jpg]
रघु: अरे नहीं मेरा मतलब ये है की ?
आयशा: की एक रांड को भी किसी से प्यार हो सकता है ?
रघु: अरे नहीं तुम तो बुरा मान गयी ।
आयशा : उठ
रघु: क्या?
आयशा : उठ, खड़ा हो और  निकाल यहाँ से जो एक औयार्ट के दिल को ना समझ सके उसके लिए तो कोठा भी खंडहर होता है ।
रघु : अरे जा जा ... इतनी हेकड़ी अच्छी नहीं है तू कोई एक लौटी रांड तो है नहीं और बहुत है । 
आयशा रोने लगती है रघु जाते जाते एक नज़र भर आयशा को देखता है आयशा की आँखों में वो मोती की तरह चमकते आँसू रघु की जहन मे घर कर जाते है ।
आज पूरा एक हफ्ता हो चुका था। रघु और आयशा में कोई बात नहीं हुयी थी । ना ही रघु ने किसी के साह चुदाई की थी। बात कुछ और ही थी। रघु जब भी मूठ मारने को भी जाता तो उसे आयशा का रोता हुआ चेहरा नज़र आता और रघु की सारी मस्ती उतार जाती। रघु की हालत बद से बदत्तर तो तब हो गयी जब हर किसी लड़की को देख कर उसका लंड़ तो खड़ा हो जाता लेकिन शांत नहीं हो पाता क्यूकी हर बार मूठ मारता तो उसे आयशा ही नज़र आती।
वहीं दूसरी ओर आयशा ने धंधा करना बंद कर दिया था। अब आयशा किसी और मर्द को अपने पास भी नहीं आने दे रही थी ।
कोठे की मालकिन को सब मोसी ही बोलते थे। 
मोसी : क्यू रे आयशा धंधा क्यू नही करती ?
आयशा: मोसी मन नहीं है?
मोसी : बेटा तू धंधा नहीं करेगी तो ये खाएँगी क्या ? (दूसरी राँड़ों की तरफ इशारा करते हुए) 
आयशा: मोसी सब हो जाएगा तू चिंता ना कर 
मोसी : बेटा देख में तुझे सबसे ज्यादा प्यार करती हूँ न तो तू मुझे बता क्या परेशानी है? तबीयत खराब है ?
आयशा : नहीं मोसी ... और ( अचानक से आयशा के आँखों से आँसू बहने लगे )
मोसी: (गुस्से में ) रामू , शंभू , श्यामा इधर आओ ? किस के कारण मेरी आयशा की आँखों में आँसू आए है ? 
सभी दर रहे थे और शांत थे 
मोसी : (शेरनी की तरह दहाड़ते हुये ) बोलो......... कौन है तुम मे से ? 
आयशा : मोसी इनमे से कौन हो सकता है जो आपकी बच्ची को रुला सके ।
मोसी : कोई नहीं । (चोंकते हुए) फिर क्यू रो रही है बेटा 
आयशा : सब लोग बाहर जाओ 
सभी बाहर चले जाते है और आयशा सारी बात मोसी को बता देती है। मोसी अपना सीना पकड़ कर तख्त पर बैठ जाती है । 
मोसी:- बेटा हम कोठे वालियों के नसीब में या तो दंड है या लंड़ है। तूने वो पाने की कोशिश कर ली जो हमारे नसीब मे है ही नहीं। इसे हमारे कोठे को जंग लगना कहते है ।
आयशा : जानती हूँ मोसी लेकिन ये दर्द ये पीड़ा रुकने का नाम ही नहीं ले रही ।
मोसी : बेटा तुझे कोठे को छोड़ना पड़ेगा।
आयशा : मोसी ? आप मुझे निकाल रही है ?
मोसी: नहीं बेटा में तुझे आज़ाद कर रही हूँ । तू मेरी लाड़ली है। तुझे जो पाना है उसके लिए तुझे कोठे की छाया से भी दूर जाना पड़ेगा।तू एक काम कर तू न दिल्ली चली जा वह तेरी मोसी ने एक फ्लेट ले रखा तू वह रह लेना और कोई अच्छा इज्जत वाला काम धंधा ढूंढलेना । और तेरे खाते में में 250000 रुपए डलवा दूँगी । तुझे तेरा प्यार ऐसे ही मिल सकता है धंधा करके नहीं ।
आयशा रोते हुये मोसी के गले लग जाती है ।
वहीं दूसरी और रघु और उसके घर वाले भी दिल्ली शिफ्ट हो रहे थे क्यूकी यहाँ का घर तो वो बेच रहे थे और रघु की माँ को किसी सरकारी कॉलेज में जॉब मिल रही थी ।अब किशमत देखो एक ही ट्रेन के दो अलग अलग डिब्बों में एक में आयशा और दूसरे में रघु और उसकी मम्मी ओर उसकी दोनों बहन एक साथ दिल्ली जा रहे थे और दोनों को एक दूसरे का पता नहीं था ।
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#7
अपडेट - 5


मोसी: नहीं बेटा में तुझे आज़ाद कर रही हूँ । तू मेरी लाड़ली है। तुझे जो पाना है उसके लिए तुझे कोठे की छाया से भी दूर जाना पड़ेगा।तू एक काम कर तू न दिल्ली चली जा वह तेरी मोसी ने एक फ्लेट ले रखा तू वह रह लेना और कोई अच्छा इज्जत वाला काम धंधा ढूंढलेना । और तेरे खाते में में 250000 रुपए डलवा दूँगी । तुझे तेरा प्यार ऐसे ही मिल सकता है धंधा करके नहीं ।

आयशा रोते हुये मोसी के गले लग जाती है ।

वहीं दूसरी और रघु और उसके घर वाले भी दिल्ली शिफ्ट हो रहे थे क्यूकी यहाँ का घर तो वो बेच रहे थे और रघु की माँ को किसी सरकारी कॉलेज में जॉब मिल रही थी ।अब किशमत देखो एक ही ट्रेन के दो अलग अलग डिब्बों में एक में आयशा और दूसरे में रघु और उसकी मम्मी ओर उसकी दोनों बहन एक साथ दिल्ली जा रहे थे और दोनों को एक दूसरे का पता नहीं था ।



अब आगे .............



अब कहानी को वह से बताना शुरू करते है जहां से कहानी शुरू हुयी। दर असल दिल्ली में आयशा और रघु दोनों आ चुके थे आयशा अपने फ्लॅट में रह रही थी वही रघु और उसकी माँ एक वी वी आई पी एरिया में रह रहे थे रघु को लगभग 2 साल हो चुके थे काम सुख से वंचित रहते । आयशा जहां शहर की लाइब्रेरी “ पुराना इतिहास ” में काम करती थी वही दीपिका शहर के नामी कॉलेज में इतिहास की प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त कर दी गयी थी। एक दिन दीपिका अपने स्टूडेंट्स के लिए नया इतिहास ढूँढने के लिए शहर की लिब्रेरी में जाती है जहां दीपिका की जान पहचान आयशा से होती है।

[Image: 3a086d304676add0725f49e9e317d24d.jpg]


 आयशा यह नहीं जानती थी की दीपिका रघु की माँ है और दीपिका को इस बात का इल्म नही था की आयशा रघु की प्रेमिका है। दीपिका और आयशा दोनों एक दूसरे से बात करते हुये फ्रेंडली हो गए थे। हालांकि ये दोनों की पहली मुलाक़ात थी लेकिन फिर भी दीपिका को आयशा पसंद आती है। और आयशा को भी दीपिका अछि लकग्थि लगती है तो दोनों में दोस्ती हो जाती है । दीपिका आयशा से कुछ किताबों और इतिहास के बारे मे पूछती है । तो आयशा अपने पिछले एक साल के अनुभव का सही इस्तेमाल करते हुये दीपिका को सही सेक्शन में ले जाती है जहां दीपिका घंटों बैठ कर पढ़ाई करती है और वही पढ़ाई का ज्ञान अपने स्टूडेंट्स के साथ शेर करती है। आयशा भी लाइब्ररी में बैठे बैठे किताबे पढ़ने लगी थी और पढ़ते पढ़ते आयशा में जिज्ञासा इतनी बढ़ गयी की उसने पिछले एक साल में पूरी लाइब्ररी के 80% भाग की सारी किताबें पढ़ ली थी। अब आयशा एक हल्का सा चश्मा भी लगाने लगी थी। दीपिका और आयशा एक दूसरे की नॉलेज (ज्ञान) से प्रभावित होकर एक दूसरे की नजदीकी दोस्त बन गयी थी। तभी दीपिका आयशा को अपने घर आने का न्योता देती है। आयशा के जीवन में ये पहली बार था की कोई औरत एक रांड को अपने घर आने का न्योती सामने से दे रही थी तभी आयशा को याद आता है की अब वो कोई रांड नहीं है बल्कि एक इज्जतदार औरत है जो लाइब्ररी चलती है। आयशा को आज अनुभव हुआ था की उसने एक नयी ज़िंदगी जीना शुरू कर दी थी। मोसी ने आयशा का बहुत साथ दिया था इसलिए आयशा मोसी के प्रति हमेशा अपने आपको कृतज्ञ मानती आई थी। खैर में क्फ़िर कहानी से भटक गया। आयशा दीपिका के आमंत्रण को स्वीकार कर लेती है। अभी सुबह 8 ही बजे थे दीपिका ने आयशा को खुद लाइब्ररी आकार शाम का न्योता दे दिया था जिसे आयशा ने स्वीकार कर लिया था।

[Image: 1e9f34ce3f7baba5fa594ce142c2abd4.jpg]

आयशा आज शाम को दीपिका के साथ उसके घर जाने वाली थी चाय पर इसी एक्साइटमेंट में आयशा का दिन काटना मुश्किल हो गया था तो आयशा ने कुछ और किताबें पढ़ने की सोची लेकिन मोस्टली किताबे तो आशा की पढ़ी हुयी थी। तभी आयशा की नज़र एक पुरानी अलमारी पर पड़ती है जहां की किताबों को आशा ने आज तक नहीं पढ़ा था। आयशा ने वो अलमारी खोली और दोपहर लगभग 3 बजे तक करीब 3-4 किताबें पढ़ ली। ये अलमारी प्राचीन तंत्र से से जुड़ी हुयी किताबें थी। शुरू में तो आशा को ये सभी किताबे सिर्फ छलावा लग रही थी लेकिन धीरे धीरे आयशा को इंटरेस्ट आने लगा तो कब 3-4 किताबें पढ़ डाली आयशा को पता भी नहीं चला।आशा एक अंगड़ाई लेते हुये 

[Image: 3b53797b916df6caab62a9233ddb9a2e.jpg]

चाय के लिए बैल बजाती है और एक चाय का ऑर्डर देती है और फिर से अलमारी की ओर जाने लगती है तभी अचानक से अलमारी से एक बॉक्स गिरता है 

[Image: 3ee5f6a26793318f37eb76fe871b56c3.jpg]

जिसमे एक सुंदर सा गोल्डेन लॉकेट था आशा को लॉकेट पसंद आता है ये कोई सोने का लॉकेट तो था नहीं लेकिन गोल्डेन पोलिशेड है ये पक्का था उसके साथ एक पत्र भी थी। जिसमे लिखा था.......

समय का धारक सबसे शक्ति शाली होता है लेकिन सावधान समय में गुम मत हो जाना,

करना सके सो कर जाना खुद पे इतना अड़ जाना धारा समय की तुम बह मत जाना,

भूत भविष्य वर्तमान का अधिकारी जीवन मरण से परे हो हो जाना समय का मत हो जाना,

रक्त रिश्तों की धार पर काम क्रिया आधार बनेगी, उम्र घाट जाएगी उम्र कट जाएगी,

हर काँटा कुछ कहता है सबकी सुनना समझ आये तो 7 की सुनना भूल मत जाना।

ये एक अजीब सी पहले थी आयशा वो लॉकेट पहन लेती है और फिर वापस पढ़ने बैठती है आयशा किताब पढ़ते पढ़ते ही दीपिका और उसके आमंत्रण के बारे में सोचने लगती है की अचानक से सुबह के 8 बजे होते है और दीपिका आयशा को फिर से चाय का न्योता देने लगती है।

आयशा : हाँ आऊँगी बाबा लेकिन इसके लिए बार बार तुम्हें आकर बोलने की ज़रूरत नहीं है।
[Image: 9ce4dd12e72ff4de24f085dc0114119f.jpg]

दीपिका: बार-बार ? अरे में अभी तो बोला क्या तुमने सपने में देखा की में तुम्हें चाय के लिए बोलुंगी तुम्हें कैसे पता चला? (हँसते हुये)

आयशा: (हँसते हुये ) तुम भी अच्छा मज़ाक कर लेती हो में आधे घंटे में तैयार हो कर आ जाऊँगी।
[Image: 70b96cfa8066a86bdead608c48311e15.jpg]

दीपिका : अरे नहीं नहीं ... अभी नहीं अभी तो में कॉलेज जा रही हूँ तुम शाम को आना?

आयशा: अरे इस वक़्त ? शाम के 4 बजे कोलेज?

दीपिका: आयशा ??? तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना ?

आयशा :??? क्यू मुझे क्या हुआ है ?

दीपिका : तो क्या मज़ाक कर रही हो?

आयशा: कैसा मज़ाक ?

दीपिका : और नहीं तो क्या अभी सुबह के 8 बजे है और तुम कह रही हो चार बजे वो भी शाम के रात को सोयी नहीं थी क्या?

आयशा : क्या? सुबह के 8 बजे ???? आयशा पलट कर घड़ी देखती है तो सच मे सुबह के 8 बज रहे होते है तभी आयशा फिर से वो समय याद करती है जब वह लाइब्ररी में शाम के 3 बजे किताब पढ़ रही थी अचानक से आयशा सही समय पर आ जाती है।

आयशा फिर से घड़ी देखती है तो 3 बज रहे होते है तभी वह पलट कर दीपिका को बोलने लगती है अरे यार 3 ही तो बज रहे है ?

जी मां शाब 3 बज रहे है और ये आपका चाय पूरा दिन पढ़ोगे तो ऐसे पागल हो जाओगे न ?

आयशा: छोटू तुम?
[Image: 1577b3c41aab547ff510baab5f0ddd6c.jpg]

छोटु चाय वाला: जी मां शाब? मै , आपका चाय लेकर आया ?

आयशा दीपिका को देखते बाहर की तरफ झांक कर मगर आयशा को दीपिका नहीं दिखती। आयशा को लगता है शायद वहां हुआ होगा ऐसा सोच कर अपनी चाय लेकर वापस टेबल पर पहुँच जाती है।
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