05-12-2025, 06:34 AM
Update.....
प्रफुल्ल बोला- तुम इससे पहनने के बाद और खूबसूरत हो गई हो।
मैं शर्मा के नीचे देखने लगी।
पतिदेव बोले - वैसे कोई मेरी तारीफ करेगा तो मैं बुरा नहीं मानूँगा।
इस बात पर प्रफुल्ल हंसने लगा और बोला- हाँ रोहित जी, आप भी बहुत सुंदर लग रहे हो।
प्रफुल्ल ने पूछा- बस हम तीनों ही है पार्टी में?
मैंने कहा- बस हम तीनों ही हैं, कुछ खिलाओगे नहीं?
तब पतिदेव रसोई में से कोल्ड ड्रिंक और स्नैक्स ले आया और मेज पर रख दिये।
मैंने प्रफुल्ल को छेड़ने के लिए जानबूझ कर मुस्कुरा के ज्यादा आगे झुककर अपना ग्लास उठाया तो साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और मेरे बूब्स ब्लाउज़ के बड़े गले से दिखने लगे।
प्रफुल्ल एकदम से चौंक गया और मैंने उसकी पैंट में लंड में हलचल देखी तो वह अपनी टांग को क्रॉस कर के बैठ गया और मैं मुस्कुरा के हंसने लगी।
तभी पतिदेव बोले - चलो केक काटते हैं।
पतिदेव जाकर फ्रिज में से केक ले आया और मेज पर रख दिया। पतिदेव ने उसमें मोमबत्ती लगाकर जला दी। फिर हमने केक काटा और एक दूसरे को जी भर के खिलाया।
तभी प्रफुल्ल बोला- पायल, तुम्हारे होंठों पर केक लगा रह गया है। मैंने साफ करने के कोशिश की, हुआ नहीं।
प्रफुल्ल बोला- लाओ, मैं हटा देता हूँ.
और मेरे होंठों को अपने हाथों के उंगली से छुकर केक साफ किया।
मैं उसकी ऐसी हरकत की उम्मीद नहीं कर रही थी तो आश्चर्य से आँखें खुली रह गयी। मैंने मामले की गर्माहट को देख के बोली- चलो खाना खाते हैं और ऐसे भी काफी रात हो चुकी थी फिर मैंने , रोहित और प्रफुल्ल तीनों ने खाना खाया जब हम तीनों खाना खा रहे तभी पतिदेव के मोबाइल की घंटी बजी उन्होंने कॉल रिसीव कर के बात किया थोड़ी देर बात करके काॅल कटकर दिया। खाना खाने के बाद रोहित ने कहां - ओफिस से फोन आया था कुछ अर्जेंट काम है इसलिए बुलाया है और रोहित ओफिस के लिए चले गये।
मैं उन्हें घर के मेन दरवाजा पहुंचकर और दरवाजे बंद कर दिये और कमरे में आ गई। मैं बोली- तुम यहां कैसे आये ?
तो प्रफुल्ल ने बताया- वह अपने चाचा के गृहप्रवेश के लिए रांची आया हूआ था , जब रोहित को पता चला तो उसने ही उससे बुलाया था । और वह यहां एक सप्ताह रूकने वाला है।
फिर कुछ देर बाद प्रफुल्ल ने जाकर रोमांटिक म्यूजिक लगा दिया और मेरे पास आया, घुटनों पर बैठकर अपना दायाँ हाथ मेरी ओर बढ़ा कर पूछा- पायल, क्या तुम मेरे साथ डांस करोगी? मैंने मुस्कुरा के अपना हाथ उसके हाथ में दे दिया और हम धीरे धीरे डांस करने लगे।
वह अपना एक हाथ मेरी गोरी मखमली पीठ पर ले गया और दूसरा हाथ से मेरा हाथ पकड़ के डांस करने लगे। ऐसे ही थोड़ी देर डांस करने के बाद मैंने अपना सर उसकी छाती पर रख के बांहों में भर लिया और हम धीरे धीरे डांस करते हुए हिलते रहे।
प्रफुल्ल ने मुझे गोदी में उठाया और कमरे में ले जाने लगा। उसने कमरे ले जाकर मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद मेरे बगल में आकर बैठ गया।
मैं इतना रोमांटिक थी कि बेड पर फूल ही फूल बिछा रखे थे। अब इसमें कोई शक नहीं था कि आगे क्या होने वाला है। प्रफुल्ल ने कहां - तुमने तो दूसरी सुहागरात की पूरी तैयारी कर रखी है। मैं बोली - आपके लिए कुछ भी डियर!
मैं मुस्कुराने लगी और उठकर घुटने मोड़ कर बैठ गयी। मैं बोली- आज तो कोई जल्दी नहीं है न उस दिन की तरह?
प्रफुल्ल बोला- नहीं बाबू, आज कोई नहीं है हमें डिस्टर्ब करने वाला, आराम आराम से प्यार कर सकते हैं।
मैंने कहा- हम्म … मैं बाथरूम हो आऊँ एक बार।
उसने कहा- ठीक है।
अब मैं उठकर बाथरूम में आ गयी और बाथरूम करके शीशे के सामने खुद को ठीक करने लगी, बाल सही करे दुबारा, लाल लिपस्टिक लगाई, साड़ी को सेट किया और ब्लाउज़ को नीचे सेट किया ताकि बूब्स के उभार दिखने लगे और ज्यादा। फिर मैं अंदर बेडरूम में आ गयी।
प्रफुल्ल बाथरूम के दरवाजे को देखते हुए मेरा ही इंतज़ार कर रहा था। उसने मुझे नोटिस किया और बोला- आज तो मार ही डालोगी तुम। मैं उसके पास जाकर खड़ी हो गयी तो उसने बैठे बैठे ही मेरी कमर पर हाथ रख दिये.
मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में भर के ऊपर उठाया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और प्यार भरा चुम्बन करने लगे। शुरू में तो हम प्यार से किस कर रहे थे पर उसका मेरी कमर और पेट हाथ फिराना मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था। अब हमारी किस प्यार भरी ना रह के वासना से भर गयी थी, कभी मैं उसके होंठों को चूस रही थी तो कभी वह मेरे होंठों को, हमारी जीभ तक भी एक दूसरे के मुंह में जाकर वापस आ रही थी और कमरे में उम्म… उम्म… उम्म… उम्म… की मादक आवाजें आ रही थी।
कुछ देर बाद मैं किस कर के हटी तो मेरी साड़ी का पल्लू फिसल के गिर गया और मैं उसके सामने गोरे मोटे बूब्स झाँकते हुए ब्लाउज़ और नीचे साड़ी में खड़ी थी और बीच में मेरी बिना ढकी कमर थी। मैंने कहा- देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी?
प्रफुल्ल मेरे पास आया और पीछे जाकर ब्लाउज़ की डोरियाँ खोल दी और आगे को उतार दिया। अब उसके सामने मेरी लाल ब्रा में फंसे बूब्स थे जो अपने वजन के और मेरे सांस लेने के कारण ऊपर नीचे हो रहे थे।
प्रफुल्ल की आँखें फटी रह गयी मेरा ऐसा रूप देख के … वह बोला- यार, तुम शक्ल तो ऐसी लगती हो जैसे कोई मासूम लड़की हो, जिसे कुछ पता ना ही इन सब चीज़ों का … पर असल में काफी शैतान हो। यकीन नहीं होता. पता है उस दिन सगाई में मेरे दोस्त तुम्हें देखकर कह रहे थे कि ये नहीं पटेगी तेरे से, शक्ल से ही शरीफ लग रही है, बात भी नहीं करेगी शर्म के मारे।
मैंने कहा- अब शरीफ लड़कियों की भी तो कामुक भावनाएं होती हैं बेबी … और वह वाली इमेज तो दुनिया को दिखाने के लिए है, और अब तुमसे क्या शर्माना!
उसने कहा- हाँ ये तो है, अब आपस में क्या शर्माना।मैं चुदवाने के पूरे मूड में थी तो मैंने कहा- आज बात करने का ही मूड है क्या? तो उसने कहा- नहीं यार, ऐसा नहीं है।
मैंने कहा- अगर ऐसा नहीं है तो ये पकड़ो!
और जमीन से उठाकर साड़ी का पल्लू उसके हाथ में दे दिया और कहा- पता है न कि क्या करना है?
वह बोला- क्या करना है? आप ही बता दो।
मैंने कहा- वही जो दुर्योधन ने किया था द्रौपदी के साथ … बस मेरी साड़ी थोड़ी देर में खत्म हो जाएगी।
प्रफुल्ल ने खुश होकर मेरी साड़ी खींचनी शुरू कर दी और मैं घूमने लगी और मेरी साड़ी पूरी अलग हो गयी।
मैंने कहा- काफी अनुभव लगता है साड़ी उतारने का?
तो वह हंसने लगा।
मैंने कहा- एक जादू देखोगे?
और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल के उसे भी नीचे गिरा दिया। अब मैं सिर्फ अपनी सेक्सी लाल ब्रा और पैंटी में खड़ी थी और मेरे आधे चेहरे पर गिरे खुले बाल हल्के हल्के उड़ रहे थे और वह पूरे कपड़ों में था. हालांकि उसका लंड उसकी पैंट में तन चुका था।
मुझे इस हालत में देखकर वह एकदम से मेरे पास आया और मुझसे लिपट गया। उसका लंड मेरी चूत पर बाहर बाहर से ही रगड़ लगा रहा था तो मुझे और जोश आ गया। मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर करके निकाल दी और बनियान भी निकाल फेंका।
प्रफुल्ल ने अपने लोअर यानि पाजामे को नीचे सरका दिया और पैर से साइड में कर दिया। उसका लंड एकदम तन चुका था उसके कच्छे में।
मैंने कहा- क्यूँ अपने लंड का दम घोट रहे हो, कच्छा भी उतार दो।
उसने कहा- चलो, एक - दूसरे के उतारते हैं।
उसने मेरी पैंटी की साइड में उंगली देकर नीचे सरका कर उतार दी और मैंने उसका कच्छा नीचे खींचकर उतार दिया। फिर उसने मेरी ब्रा को भी उतारने में देर नहीं लगाई और हम दोनों एकदम नंगे होकर खड़े थे एक दूसरे के सामने।
कुछ देर तक तो वह मेरे नंगे बदन को देखता रहा और मैं उसे बोली- देखते ही रहोगे या कुछ करने का इरादा भी है?
प्रफुल्ल मुस्कुराने लगा और बोला- जानू … पूरी रात पड़ी है हमारे सामने, आराम आराम से करेंगे.
वह मेरे पास आया और मेरे चुची को हाथों में भर के प्यार से मसलने लगा जैसे आटा गूँथ रहा हो, मेरी सिसकारियाँ निकालने लगी और मैं आह… आहह… आहह… करने लगी। मैंने भी उसकी गर्दन को अपनी बांहों में भरा और प्यार से किस करने लगी। हम ऐसे करते करते चलते चलते बेड पर आ के गिर गए और वह मेरे ऊपर आकर हवस से भरी किस कर रहा था और मेरे चूची को मसल रहा था।
फिर प्रफुल्ल मेरे बांयें चुची को होंठों से बुड़क भर भर के किस करने लगा और निप्पल को चूसने लगा. मैं आँखें बंद किए अपने दाँतों से होंठ दबाये सीईईई … कर रही थी। प्रफुल्ल धीरे धीरे नीचे जाता जा रहा था और पेट पर आकर किस करने लगा।
मेरा पेट कामुकता और जोश के कारण फड़क रहा था और मैं स्ससस्स … स्सस्सस्स … करती हुई तेज़ तेज़ सांसें ले रही थी, हालांकि मुझे हल्की हल्की गुदगुदी सी भी हो रही थी तो मुस्कुरा भी रही थी और बेड पर ऊपर नीचे मचल भी रही थी।
अब प्रफुल्ल सीधा मेरी चूत पर आ गया और एकदम से बुड़क भरी जैसे खाने लगा हो। मैं एकदम से मुंह खोल कर ज़ोर से आहह… कर उठी अपने हाथों से टेक लगाकर बैठ गयी।
प्रफुल्ल मेरी चूत को चाटे जा रहा था, उसकी गीली जीभ का स्पर्श मुझे बहुत आनंदित कर रहा थे।
फिर वह अपनी जीभ को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा और मैं आनंद और वासना से भरती चली गयी। मैंने एक हाथ से उसका सिर अपनी चूत पर दबाया और टाँगें क्रॉस करके उसका सर चूत में दबाये जा रही थी. मैं ज़ोर ज़ोर से उम्म्ह… अहह… हय… याह…. सिसकारियाँ लिए जा रही थी।
थोड़ी देर में ही मेरी चूत चिकनी हो चली थी और चिकनाहट के कारण बाहर तक चमकने लगी थी। मैंने टांगें खोली और प्रफुल्ल को बोला- लो अब तुम बैठो ! तो वह बेड पर पैर लटका कर लेट गया।
मैंने अपने कोमल हाथों में उसका लंड भरा और प्यार से एक बार ऊपर से नीचे तक किया जिससे उसके लंड की खाल पीछे हो गयी और लंड का मुंह बाहर आ गया। प्रफुल्ल मेरी तरफ देखते हुए बोला- आहह … पायल… तुम्हारे हाथ कितने कोमल हैं … लंबी लंबी उंगलियाँ, लंबे लंबे नाखून, उनपर लाल नेल पोलिश, तुम्हारा तो हर अंग सेक्सी बनाया है भगवान ने।
मैंने उसको देखते हुए एक स्माइल दी और उसके लंड के मुंह पर एक किस की और उस लंड के छेद पर अपनी जीभ से छुआ तो वह फड़क गया और प्रफुल्ल ने ज़ोर की आहह… भरी।
( शायद लड़को को मुंह से लंड चुसवाना बहुत पसंद होता है.)
तो मैं उसका लंड मुंह में भर के ऊपर नीचे चूसने लगी और जीभ से लंड को छू छू के खेल रही थी। प्रफुल्ल का लंड पूरा तन गया था और लगभग सात इंच तक बड़ा हो गया था. वह मोटा तो था ही, तो मैं लंड मुंह से बाहर निकालकर हट गयी और उसके बगल में बैठ के हाथ से सहलाने लगी।
प्रफुल्ल बोला- क्या हुआ जानू, इतना मजा आ रहा था, रुक क्यूँ गई।
मैंने कहा- ताकि तुम्हारा निकल न जाए और मेरा मजा अधूरा ना रह जाए।
प्रफुल्ल बोला- चलो ठीक है, तो शुरू करते हैं। तुम लेटो बेड़ पर।
मैं बेड पर पैर लटका के लेट गयी और प्रफुल्ल मेरी टाँगों के बीच आया।
मैंने कहा- अब क्यूँ तड़पा रहे हो? डालो न … मेरी चूत कब से तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही है. इतना वक़्त हो गया खुद को काबू करते हुए, बस अब नहीं।
प्रफुल्ल मुस्कुराया और बोला- ठीक है जानू, ये लो।
प्रफुल्ल ने मेरी दोनों टांगें फैलाकर बेड की तरफ उठा दी और मेरी फड़कती चूत पर अपना लंड लगाया और बोला- डालूँ जी?
मैंने कहा- प्लीज डालो न।
क्योंकि मुझे चुदवाए हुए टाइम हो गया था तो मैंने कहा- धीरे धीरे डालना, काफी टाइम हो गया है तो शायद दर्द हो।
प्रफुल्ल ने आधे से भी कम लंड मेरी चूत में डाला तो मेरी आहह निकल गयी हल्के से दर्द और आनंद के कारण।
प्रफुल्ल ने देखा और बोला- क्या हुआ, रुक जाऊँ क्या?
मैंने कहा- नहीं नहीं … तुम चालू रखो।
अब प्रफुल्ल ने धीरे धीरे लंड को अंदर धकेलना शुरू किया और उसका लंड मेरी चूत की दीवारों में जबरदस्ती जगह बनाता हुआ उसे चौड़ी करता हुआ अंदर जाने लगा।
उसने एकदम से नहीं पर प्यार से धीरे धीरे लंड डाला था तो मुझे उसके डालने का मीठा दर्द भी तब तक होता रहा जब तक वह पूरा अंदर नहीं चला गया। और अंदर पहुँचते ही लंड ने मेरे जी-स्पॉट को स्पर्श करके दबा दिया और पूरा अटक गया।
मैंने आहह हहह हहहह … करके ज़ोर की सिसकारी ली।
प्रफुल्ल समझ गया और वह अपने लंड को अंदर ही अंदर थोड़ा थोड़ा धक्का मार रहा था और मैं घर्षण के कारण मंद मंद सीईईई… सीईईई… सिसकारियाँ ले रही थी।
कुछ पल ऐसे ही करने के बाद मैंने कहा- अब तुम शुरू कर सकते हो चोदना।
प्रफुल्ल ने बोला- यार, बड़ा मजा आया ऐसे धीरे धीरे डालने में! जैसे जैसे तुम्हारी चूत मेरे लंड को जकड़ती जा रही थी और दबाव बना रही थी, मजा ही आ गया। चलो मैं आज धीरे धीरे ही चोदना शुरू करता हूँ. मैंने हाँ में सर हिला दिया।
प्रफुल्ल ने लंड बाहर निकाला और धीरे धीरे दुबारा डाला और निकाला, फिर निकाला … फिर डाला और आह… आह… अहहह… करने लगा।
उसका लंड किसी ट्रेन की तरह घुसता जा रहा था और जब चूत के बाहर जाकर अटक जाता तो मुझे ऊपर को झटका लगता और मेरी आहह… निकल जाती। मैं उसकी आंखों में देखती हुई ऊपर नीचे हाँ में सर हिला रही और आँखों ही आँखों में कह रही थी- चोदना चालू रखो प्लीज।
फिर धीरे धीरे उसकी भी गति बढ़ती चली गयी और पट्ट पट्ट की हल्की आवाज आने लगी हमारे जिस्म टकराने की। मैंने भी सिसकारियाँ तेज़ कर दी थी और ज़ोर जोर से आहह… उहह… आहह… आहह… कर रही थी.
प्रफुल्ल भी दम भरते हुए हम्म … हम्म … हम्म … कर रहा था।
मैं बेड पर ऊपर नीचे हिल रही थी उसे देखती हुई और मेरे ऊपर झुका हुआ मुझे चोदे जा रहा था। ऐसे ही लगभग 7-8 मिनट तक चोदने के बाद उसका सांस फूलने की वजह से रुक गया और बेड पर मेरे बगल में आकर लेट गया और हाँफने लगा।
मैं भी तेज़ तेज़ उन्हह… उम्मह… उनहह… करके हाँफ रही थी और प्रफुल्ल मेरे चूची को ऊपर नीचे हिलते हुए देख था।
मैं बोली- मजा आया यार … आगे तो करो!
तो वह बोला- कर रहा हूँ, सांस तो लेने दो, वरना तुम्हारे ऊपर ही मर जाऊंगा लंड डाले डाले।
मैं मुस्कुराने लगी और बोली- अरे नहीं … आपको मरने थोड़े ही दूँगी मैं ऐसे। तुम लेटे रहो मैं करती हूँ.
मैंने उसके लंड को सहलाया और फिर मुंह में लेकर हल्के हल्के चूसने लगी, प्रफुल्ल बेड पर लेटे लेटे हम्म… हम्म… हम्म… कर रहा था।
जब उसका लंड फिर से पूरा तन गया तो मैं उसके ऊपर आई और उसके चेहरे पर झुक के घुटनों के बल बैठ गयी, मेरे खुले बाल प्रफुल्ल के चेहरे के बगल में आकर लटक गए और मैं उसकी आंखों में देखते हुए बोली- तैयार हो ना?
प्रफुल्ल ने हाँ में सर हिलाया तो मैंने नीचे हाथ देकर उसका लंड अपनी चूत पर टिकाया और धीरे से चूत में लेती हुई पीछे हो गयी और हल्की सी सीईई … भरी।
अब मैं प्रफुल्ल के ऊपर लंड चूत में लिए लिए आगे पीछे होने लगी और प्रफुल्ल मेरे बूब्स को प्यार से मसल रहा था. मैं उसके ऊपर पड़ी आहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… आ … आ… हह… आहह… करके कूद कूद कर चुदवाए जा रही थी।
प्रफुल्ल भी ऊपर नीचे बेड पर हिलते हुए मेरी आंखों में देख रहा था। बीच बीच में मैं उसके होंठों पर किस भी कर रही थी।
फिर लगभग 4-5 मिनट बाद मैं थक गयी तो उसके ऊपर ही लेट गयी। मेरे बूब्स उसकी छाती से सटे हुए थे और उसका लंड अभी भी चूत में ही पड़ा था और मैं और वह ज़ोर ज़ोर से आन्हह… आनहह… कर के साँसें ले रहे थे।
प्रफुल्ल बोला- थक गए क्या बाबू?
तो मैं बोली- तुम थक सकते हो तो मैं भी तो थक सकती हूँ।
उसने बोला- चलो थोड़ा आराम कर लो!
तो मैं उसके ऊपर पड़े पड़े ही आराम करने लगी।
कहानी अभी जारी......
प्रफुल्ल बोला- तुम इससे पहनने के बाद और खूबसूरत हो गई हो।
मैं शर्मा के नीचे देखने लगी।
पतिदेव बोले - वैसे कोई मेरी तारीफ करेगा तो मैं बुरा नहीं मानूँगा।
इस बात पर प्रफुल्ल हंसने लगा और बोला- हाँ रोहित जी, आप भी बहुत सुंदर लग रहे हो।
प्रफुल्ल ने पूछा- बस हम तीनों ही है पार्टी में?
मैंने कहा- बस हम तीनों ही हैं, कुछ खिलाओगे नहीं?
तब पतिदेव रसोई में से कोल्ड ड्रिंक और स्नैक्स ले आया और मेज पर रख दिये।
मैंने प्रफुल्ल को छेड़ने के लिए जानबूझ कर मुस्कुरा के ज्यादा आगे झुककर अपना ग्लास उठाया तो साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और मेरे बूब्स ब्लाउज़ के बड़े गले से दिखने लगे।
प्रफुल्ल एकदम से चौंक गया और मैंने उसकी पैंट में लंड में हलचल देखी तो वह अपनी टांग को क्रॉस कर के बैठ गया और मैं मुस्कुरा के हंसने लगी।
तभी पतिदेव बोले - चलो केक काटते हैं।
पतिदेव जाकर फ्रिज में से केक ले आया और मेज पर रख दिया। पतिदेव ने उसमें मोमबत्ती लगाकर जला दी। फिर हमने केक काटा और एक दूसरे को जी भर के खिलाया।
तभी प्रफुल्ल बोला- पायल, तुम्हारे होंठों पर केक लगा रह गया है। मैंने साफ करने के कोशिश की, हुआ नहीं।
प्रफुल्ल बोला- लाओ, मैं हटा देता हूँ.
और मेरे होंठों को अपने हाथों के उंगली से छुकर केक साफ किया।
मैं उसकी ऐसी हरकत की उम्मीद नहीं कर रही थी तो आश्चर्य से आँखें खुली रह गयी। मैंने मामले की गर्माहट को देख के बोली- चलो खाना खाते हैं और ऐसे भी काफी रात हो चुकी थी फिर मैंने , रोहित और प्रफुल्ल तीनों ने खाना खाया जब हम तीनों खाना खा रहे तभी पतिदेव के मोबाइल की घंटी बजी उन्होंने कॉल रिसीव कर के बात किया थोड़ी देर बात करके काॅल कटकर दिया। खाना खाने के बाद रोहित ने कहां - ओफिस से फोन आया था कुछ अर्जेंट काम है इसलिए बुलाया है और रोहित ओफिस के लिए चले गये।
मैं उन्हें घर के मेन दरवाजा पहुंचकर और दरवाजे बंद कर दिये और कमरे में आ गई। मैं बोली- तुम यहां कैसे आये ?
तो प्रफुल्ल ने बताया- वह अपने चाचा के गृहप्रवेश के लिए रांची आया हूआ था , जब रोहित को पता चला तो उसने ही उससे बुलाया था । और वह यहां एक सप्ताह रूकने वाला है।
फिर कुछ देर बाद प्रफुल्ल ने जाकर रोमांटिक म्यूजिक लगा दिया और मेरे पास आया, घुटनों पर बैठकर अपना दायाँ हाथ मेरी ओर बढ़ा कर पूछा- पायल, क्या तुम मेरे साथ डांस करोगी? मैंने मुस्कुरा के अपना हाथ उसके हाथ में दे दिया और हम धीरे धीरे डांस करने लगे।
वह अपना एक हाथ मेरी गोरी मखमली पीठ पर ले गया और दूसरा हाथ से मेरा हाथ पकड़ के डांस करने लगे। ऐसे ही थोड़ी देर डांस करने के बाद मैंने अपना सर उसकी छाती पर रख के बांहों में भर लिया और हम धीरे धीरे डांस करते हुए हिलते रहे।
प्रफुल्ल ने मुझे गोदी में उठाया और कमरे में ले जाने लगा। उसने कमरे ले जाकर मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद मेरे बगल में आकर बैठ गया।
मैं इतना रोमांटिक थी कि बेड पर फूल ही फूल बिछा रखे थे। अब इसमें कोई शक नहीं था कि आगे क्या होने वाला है। प्रफुल्ल ने कहां - तुमने तो दूसरी सुहागरात की पूरी तैयारी कर रखी है। मैं बोली - आपके लिए कुछ भी डियर!
मैं मुस्कुराने लगी और उठकर घुटने मोड़ कर बैठ गयी। मैं बोली- आज तो कोई जल्दी नहीं है न उस दिन की तरह?
प्रफुल्ल बोला- नहीं बाबू, आज कोई नहीं है हमें डिस्टर्ब करने वाला, आराम आराम से प्यार कर सकते हैं।
मैंने कहा- हम्म … मैं बाथरूम हो आऊँ एक बार।
उसने कहा- ठीक है।
अब मैं उठकर बाथरूम में आ गयी और बाथरूम करके शीशे के सामने खुद को ठीक करने लगी, बाल सही करे दुबारा, लाल लिपस्टिक लगाई, साड़ी को सेट किया और ब्लाउज़ को नीचे सेट किया ताकि बूब्स के उभार दिखने लगे और ज्यादा। फिर मैं अंदर बेडरूम में आ गयी।
प्रफुल्ल बाथरूम के दरवाजे को देखते हुए मेरा ही इंतज़ार कर रहा था। उसने मुझे नोटिस किया और बोला- आज तो मार ही डालोगी तुम। मैं उसके पास जाकर खड़ी हो गयी तो उसने बैठे बैठे ही मेरी कमर पर हाथ रख दिये.
मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में भर के ऊपर उठाया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और प्यार भरा चुम्बन करने लगे। शुरू में तो हम प्यार से किस कर रहे थे पर उसका मेरी कमर और पेट हाथ फिराना मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था। अब हमारी किस प्यार भरी ना रह के वासना से भर गयी थी, कभी मैं उसके होंठों को चूस रही थी तो कभी वह मेरे होंठों को, हमारी जीभ तक भी एक दूसरे के मुंह में जाकर वापस आ रही थी और कमरे में उम्म… उम्म… उम्म… उम्म… की मादक आवाजें आ रही थी।
कुछ देर बाद मैं किस कर के हटी तो मेरी साड़ी का पल्लू फिसल के गिर गया और मैं उसके सामने गोरे मोटे बूब्स झाँकते हुए ब्लाउज़ और नीचे साड़ी में खड़ी थी और बीच में मेरी बिना ढकी कमर थी। मैंने कहा- देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी?
प्रफुल्ल मेरे पास आया और पीछे जाकर ब्लाउज़ की डोरियाँ खोल दी और आगे को उतार दिया। अब उसके सामने मेरी लाल ब्रा में फंसे बूब्स थे जो अपने वजन के और मेरे सांस लेने के कारण ऊपर नीचे हो रहे थे।
प्रफुल्ल की आँखें फटी रह गयी मेरा ऐसा रूप देख के … वह बोला- यार, तुम शक्ल तो ऐसी लगती हो जैसे कोई मासूम लड़की हो, जिसे कुछ पता ना ही इन सब चीज़ों का … पर असल में काफी शैतान हो। यकीन नहीं होता. पता है उस दिन सगाई में मेरे दोस्त तुम्हें देखकर कह रहे थे कि ये नहीं पटेगी तेरे से, शक्ल से ही शरीफ लग रही है, बात भी नहीं करेगी शर्म के मारे।
मैंने कहा- अब शरीफ लड़कियों की भी तो कामुक भावनाएं होती हैं बेबी … और वह वाली इमेज तो दुनिया को दिखाने के लिए है, और अब तुमसे क्या शर्माना!
उसने कहा- हाँ ये तो है, अब आपस में क्या शर्माना।मैं चुदवाने के पूरे मूड में थी तो मैंने कहा- आज बात करने का ही मूड है क्या? तो उसने कहा- नहीं यार, ऐसा नहीं है।
मैंने कहा- अगर ऐसा नहीं है तो ये पकड़ो!
और जमीन से उठाकर साड़ी का पल्लू उसके हाथ में दे दिया और कहा- पता है न कि क्या करना है?
वह बोला- क्या करना है? आप ही बता दो।
मैंने कहा- वही जो दुर्योधन ने किया था द्रौपदी के साथ … बस मेरी साड़ी थोड़ी देर में खत्म हो जाएगी।
प्रफुल्ल ने खुश होकर मेरी साड़ी खींचनी शुरू कर दी और मैं घूमने लगी और मेरी साड़ी पूरी अलग हो गयी।
मैंने कहा- काफी अनुभव लगता है साड़ी उतारने का?
तो वह हंसने लगा।
मैंने कहा- एक जादू देखोगे?
और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल के उसे भी नीचे गिरा दिया। अब मैं सिर्फ अपनी सेक्सी लाल ब्रा और पैंटी में खड़ी थी और मेरे आधे चेहरे पर गिरे खुले बाल हल्के हल्के उड़ रहे थे और वह पूरे कपड़ों में था. हालांकि उसका लंड उसकी पैंट में तन चुका था।
मुझे इस हालत में देखकर वह एकदम से मेरे पास आया और मुझसे लिपट गया। उसका लंड मेरी चूत पर बाहर बाहर से ही रगड़ लगा रहा था तो मुझे और जोश आ गया। मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर करके निकाल दी और बनियान भी निकाल फेंका।
प्रफुल्ल ने अपने लोअर यानि पाजामे को नीचे सरका दिया और पैर से साइड में कर दिया। उसका लंड एकदम तन चुका था उसके कच्छे में।
मैंने कहा- क्यूँ अपने लंड का दम घोट रहे हो, कच्छा भी उतार दो।
उसने कहा- चलो, एक - दूसरे के उतारते हैं।
उसने मेरी पैंटी की साइड में उंगली देकर नीचे सरका कर उतार दी और मैंने उसका कच्छा नीचे खींचकर उतार दिया। फिर उसने मेरी ब्रा को भी उतारने में देर नहीं लगाई और हम दोनों एकदम नंगे होकर खड़े थे एक दूसरे के सामने।
कुछ देर तक तो वह मेरे नंगे बदन को देखता रहा और मैं उसे बोली- देखते ही रहोगे या कुछ करने का इरादा भी है?
प्रफुल्ल मुस्कुराने लगा और बोला- जानू … पूरी रात पड़ी है हमारे सामने, आराम आराम से करेंगे.
वह मेरे पास आया और मेरे चुची को हाथों में भर के प्यार से मसलने लगा जैसे आटा गूँथ रहा हो, मेरी सिसकारियाँ निकालने लगी और मैं आह… आहह… आहह… करने लगी। मैंने भी उसकी गर्दन को अपनी बांहों में भरा और प्यार से किस करने लगी। हम ऐसे करते करते चलते चलते बेड पर आ के गिर गए और वह मेरे ऊपर आकर हवस से भरी किस कर रहा था और मेरे चूची को मसल रहा था।
फिर प्रफुल्ल मेरे बांयें चुची को होंठों से बुड़क भर भर के किस करने लगा और निप्पल को चूसने लगा. मैं आँखें बंद किए अपने दाँतों से होंठ दबाये सीईईई … कर रही थी। प्रफुल्ल धीरे धीरे नीचे जाता जा रहा था और पेट पर आकर किस करने लगा।
मेरा पेट कामुकता और जोश के कारण फड़क रहा था और मैं स्ससस्स … स्सस्सस्स … करती हुई तेज़ तेज़ सांसें ले रही थी, हालांकि मुझे हल्की हल्की गुदगुदी सी भी हो रही थी तो मुस्कुरा भी रही थी और बेड पर ऊपर नीचे मचल भी रही थी।
अब प्रफुल्ल सीधा मेरी चूत पर आ गया और एकदम से बुड़क भरी जैसे खाने लगा हो। मैं एकदम से मुंह खोल कर ज़ोर से आहह… कर उठी अपने हाथों से टेक लगाकर बैठ गयी।
प्रफुल्ल मेरी चूत को चाटे जा रहा था, उसकी गीली जीभ का स्पर्श मुझे बहुत आनंदित कर रहा थे।
फिर वह अपनी जीभ को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा और मैं आनंद और वासना से भरती चली गयी। मैंने एक हाथ से उसका सिर अपनी चूत पर दबाया और टाँगें क्रॉस करके उसका सर चूत में दबाये जा रही थी. मैं ज़ोर ज़ोर से उम्म्ह… अहह… हय… याह…. सिसकारियाँ लिए जा रही थी।
थोड़ी देर में ही मेरी चूत चिकनी हो चली थी और चिकनाहट के कारण बाहर तक चमकने लगी थी। मैंने टांगें खोली और प्रफुल्ल को बोला- लो अब तुम बैठो ! तो वह बेड पर पैर लटका कर लेट गया।
मैंने अपने कोमल हाथों में उसका लंड भरा और प्यार से एक बार ऊपर से नीचे तक किया जिससे उसके लंड की खाल पीछे हो गयी और लंड का मुंह बाहर आ गया। प्रफुल्ल मेरी तरफ देखते हुए बोला- आहह … पायल… तुम्हारे हाथ कितने कोमल हैं … लंबी लंबी उंगलियाँ, लंबे लंबे नाखून, उनपर लाल नेल पोलिश, तुम्हारा तो हर अंग सेक्सी बनाया है भगवान ने।
मैंने उसको देखते हुए एक स्माइल दी और उसके लंड के मुंह पर एक किस की और उस लंड के छेद पर अपनी जीभ से छुआ तो वह फड़क गया और प्रफुल्ल ने ज़ोर की आहह… भरी।
( शायद लड़को को मुंह से लंड चुसवाना बहुत पसंद होता है.)
तो मैं उसका लंड मुंह में भर के ऊपर नीचे चूसने लगी और जीभ से लंड को छू छू के खेल रही थी। प्रफुल्ल का लंड पूरा तन गया था और लगभग सात इंच तक बड़ा हो गया था. वह मोटा तो था ही, तो मैं लंड मुंह से बाहर निकालकर हट गयी और उसके बगल में बैठ के हाथ से सहलाने लगी।
प्रफुल्ल बोला- क्या हुआ जानू, इतना मजा आ रहा था, रुक क्यूँ गई।
मैंने कहा- ताकि तुम्हारा निकल न जाए और मेरा मजा अधूरा ना रह जाए।
प्रफुल्ल बोला- चलो ठीक है, तो शुरू करते हैं। तुम लेटो बेड़ पर।
मैं बेड पर पैर लटका के लेट गयी और प्रफुल्ल मेरी टाँगों के बीच आया।
मैंने कहा- अब क्यूँ तड़पा रहे हो? डालो न … मेरी चूत कब से तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही है. इतना वक़्त हो गया खुद को काबू करते हुए, बस अब नहीं।
प्रफुल्ल मुस्कुराया और बोला- ठीक है जानू, ये लो।
प्रफुल्ल ने मेरी दोनों टांगें फैलाकर बेड की तरफ उठा दी और मेरी फड़कती चूत पर अपना लंड लगाया और बोला- डालूँ जी?
मैंने कहा- प्लीज डालो न।
क्योंकि मुझे चुदवाए हुए टाइम हो गया था तो मैंने कहा- धीरे धीरे डालना, काफी टाइम हो गया है तो शायद दर्द हो।
प्रफुल्ल ने आधे से भी कम लंड मेरी चूत में डाला तो मेरी आहह निकल गयी हल्के से दर्द और आनंद के कारण।
प्रफुल्ल ने देखा और बोला- क्या हुआ, रुक जाऊँ क्या?
मैंने कहा- नहीं नहीं … तुम चालू रखो।
अब प्रफुल्ल ने धीरे धीरे लंड को अंदर धकेलना शुरू किया और उसका लंड मेरी चूत की दीवारों में जबरदस्ती जगह बनाता हुआ उसे चौड़ी करता हुआ अंदर जाने लगा।
उसने एकदम से नहीं पर प्यार से धीरे धीरे लंड डाला था तो मुझे उसके डालने का मीठा दर्द भी तब तक होता रहा जब तक वह पूरा अंदर नहीं चला गया। और अंदर पहुँचते ही लंड ने मेरे जी-स्पॉट को स्पर्श करके दबा दिया और पूरा अटक गया।
मैंने आहह हहह हहहह … करके ज़ोर की सिसकारी ली।
प्रफुल्ल समझ गया और वह अपने लंड को अंदर ही अंदर थोड़ा थोड़ा धक्का मार रहा था और मैं घर्षण के कारण मंद मंद सीईईई… सीईईई… सिसकारियाँ ले रही थी।
कुछ पल ऐसे ही करने के बाद मैंने कहा- अब तुम शुरू कर सकते हो चोदना।
प्रफुल्ल ने बोला- यार, बड़ा मजा आया ऐसे धीरे धीरे डालने में! जैसे जैसे तुम्हारी चूत मेरे लंड को जकड़ती जा रही थी और दबाव बना रही थी, मजा ही आ गया। चलो मैं आज धीरे धीरे ही चोदना शुरू करता हूँ. मैंने हाँ में सर हिला दिया।
प्रफुल्ल ने लंड बाहर निकाला और धीरे धीरे दुबारा डाला और निकाला, फिर निकाला … फिर डाला और आह… आह… अहहह… करने लगा।
उसका लंड किसी ट्रेन की तरह घुसता जा रहा था और जब चूत के बाहर जाकर अटक जाता तो मुझे ऊपर को झटका लगता और मेरी आहह… निकल जाती। मैं उसकी आंखों में देखती हुई ऊपर नीचे हाँ में सर हिला रही और आँखों ही आँखों में कह रही थी- चोदना चालू रखो प्लीज।
फिर धीरे धीरे उसकी भी गति बढ़ती चली गयी और पट्ट पट्ट की हल्की आवाज आने लगी हमारे जिस्म टकराने की। मैंने भी सिसकारियाँ तेज़ कर दी थी और ज़ोर जोर से आहह… उहह… आहह… आहह… कर रही थी.
प्रफुल्ल भी दम भरते हुए हम्म … हम्म … हम्म … कर रहा था।
मैं बेड पर ऊपर नीचे हिल रही थी उसे देखती हुई और मेरे ऊपर झुका हुआ मुझे चोदे जा रहा था। ऐसे ही लगभग 7-8 मिनट तक चोदने के बाद उसका सांस फूलने की वजह से रुक गया और बेड पर मेरे बगल में आकर लेट गया और हाँफने लगा।
मैं भी तेज़ तेज़ उन्हह… उम्मह… उनहह… करके हाँफ रही थी और प्रफुल्ल मेरे चूची को ऊपर नीचे हिलते हुए देख था।
मैं बोली- मजा आया यार … आगे तो करो!
तो वह बोला- कर रहा हूँ, सांस तो लेने दो, वरना तुम्हारे ऊपर ही मर जाऊंगा लंड डाले डाले।
मैं मुस्कुराने लगी और बोली- अरे नहीं … आपको मरने थोड़े ही दूँगी मैं ऐसे। तुम लेटे रहो मैं करती हूँ.
मैंने उसके लंड को सहलाया और फिर मुंह में लेकर हल्के हल्के चूसने लगी, प्रफुल्ल बेड पर लेटे लेटे हम्म… हम्म… हम्म… कर रहा था।
जब उसका लंड फिर से पूरा तन गया तो मैं उसके ऊपर आई और उसके चेहरे पर झुक के घुटनों के बल बैठ गयी, मेरे खुले बाल प्रफुल्ल के चेहरे के बगल में आकर लटक गए और मैं उसकी आंखों में देखते हुए बोली- तैयार हो ना?
प्रफुल्ल ने हाँ में सर हिलाया तो मैंने नीचे हाथ देकर उसका लंड अपनी चूत पर टिकाया और धीरे से चूत में लेती हुई पीछे हो गयी और हल्की सी सीईई … भरी।
अब मैं प्रफुल्ल के ऊपर लंड चूत में लिए लिए आगे पीछे होने लगी और प्रफुल्ल मेरे बूब्स को प्यार से मसल रहा था. मैं उसके ऊपर पड़ी आहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… आ … आ… हह… आहह… करके कूद कूद कर चुदवाए जा रही थी।
प्रफुल्ल भी ऊपर नीचे बेड पर हिलते हुए मेरी आंखों में देख रहा था। बीच बीच में मैं उसके होंठों पर किस भी कर रही थी।
फिर लगभग 4-5 मिनट बाद मैं थक गयी तो उसके ऊपर ही लेट गयी। मेरे बूब्स उसकी छाती से सटे हुए थे और उसका लंड अभी भी चूत में ही पड़ा था और मैं और वह ज़ोर ज़ोर से आन्हह… आनहह… कर के साँसें ले रहे थे।
प्रफुल्ल बोला- थक गए क्या बाबू?
तो मैं बोली- तुम थक सकते हो तो मैं भी तो थक सकती हूँ।
उसने बोला- चलो थोड़ा आराम कर लो!
तो मैं उसके ऊपर पड़े पड़े ही आराम करने लगी।
कहानी अभी जारी......


![[+]](https://xossipy.com/themes/sharepoint/collapse_collapsed.png)
![[Image: 8159e1fb-344f-4e26-a556-30c0a64a3a75.jpg]](https://i.ibb.co/4Z3c2NPB/8159e1fb-344f-4e26-a556-30c0a64a3a75.jpg)
![[Image: 36d58480-78b4-47d1-a4db-685f0d791612.jpg]](https://i.ibb.co/mr42c3wf/36d58480-78b4-47d1-a4db-685f0d791612.jpg)
![[Image: X2-Twitter-com-Gr3-Bo-WMWUAAr9-AP-1-020658.jpg]](https://i.ibb.co/Wpy5zNFx/X2-Twitter-com-Gr3-Bo-WMWUAAr9-AP-1-020658.jpg)
![[Image: X2-Twitter-com-FZUs-RKya-AAAx-GNU-020648.jpg]](https://i.ibb.co/tMZYcYcr/X2-Twitter-com-FZUs-RKya-AAAx-GNU-020648.jpg)
![[Image: X2-Twitter-com-FZUs-Rbra-UAIIZ8d-020646.jpg]](https://i.ibb.co/Z1b1wgk0/X2-Twitter-com-FZUs-Rbra-UAIIZ8d-020646.jpg)
![[Image: FB-IMG-1764939901025.jpg]](https://i.ibb.co/cKBff19C/FB-IMG-1764939901025.jpg)
![[Image: desi-girlfrind-031136.jpg]](https://i.ibb.co/fYfXJNQT/desi-girlfrind-031136.jpg)
![[Image: GQ2-XOHw-WIAAi2-Vf-111738.jpg]](https://i.ibb.co/99JZJDBJ/GQ2-XOHw-WIAAi2-Vf-111738.jpg)
![[Image: Nenu-na-saree-folder-1-112101.jpg]](https://i.ibb.co/TD5g3TWn/Nenu-na-saree-folder-1-112101.jpg)
![[Image: Nenu-na-saree-folder-112105.jpg]](https://i.ibb.co/wF87WLpP/Nenu-na-saree-folder-112105.jpg)
![[Image: FB-IMG-1765704223732.jpg]](https://i.ibb.co/FkgL9Py0/FB-IMG-1765704223732.jpg)
![[Image: FB-IMG-1765704220233.jpg]](https://i.ibb.co/Mk1DQ1Tb/FB-IMG-1765704220233.jpg)
![[Image: FB-IMG-1765704216564.jpg]](https://i.ibb.co/k619Y4qb/FB-IMG-1765704216564.jpg)