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Adultery Payal Ghosh - innocent wife
#41
Update.....

प्रफुल्ल बोला- तुम इससे पहनने के बाद और खूबसूरत हो गई हो।
मैं शर्मा के नीचे देखने लगी।
पतिदेव बोले - वैसे कोई मेरी तारीफ करेगा तो मैं बुरा नहीं मानूँगा।
इस बात पर प्रफुल्ल हंसने लगा और बोला- हाँ रोहित जी, आप भी बहुत सुंदर लग रहे हो।
प्रफुल्ल ने पूछा- बस हम तीनों ही है पार्टी में?
मैंने कहा- बस हम तीनों ही हैं, कुछ खिलाओगे नहीं?

तब पतिदेव रसोई में से कोल्ड ड्रिंक और स्नैक्स ले आया और मेज पर रख दिये।
मैंने प्रफुल्ल को छेड़ने के लिए जानबूझ कर मुस्कुरा के ज्यादा आगे झुककर अपना ग्लास उठाया तो साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और मेरे बूब्स ब्लाउज़ के बड़े गले से दिखने लगे।

प्रफुल्ल एकदम से चौंक गया और मैंने उसकी पैंट में लंड में हलचल देखी तो वह अपनी टांग को क्रॉस कर के बैठ गया और मैं मुस्कुरा के हंसने लगी।
तभी पतिदेव बोले - चलो केक काटते हैं।
पतिदेव जाकर फ्रिज में से केक ले आया और मेज पर रख दिया। पतिदेव ने उसमें मोमबत्ती लगाकर जला दी। फिर हमने केक काटा और एक दूसरे को जी भर के खिलाया।

तभी प्रफुल्ल बोला- पायल, तुम्हारे होंठों पर केक लगा रह गया है। मैंने साफ करने के कोशिश की, हुआ नहीं।
प्रफुल्ल बोला- लाओ, मैं हटा देता हूँ.
और मेरे होंठों को अपने हाथों के उंगली से छुकर केक साफ किया।
मैं उसकी ऐसी हरकत की उम्मीद नहीं कर रही थी तो आश्चर्य से आँखें खुली रह गयी। मैंने मामले की गर्माहट को देख के बोली- चलो खाना खाते हैं और ऐसे भी काफी रात हो चुकी थी फिर मैंने , रोहित और प्रफुल्ल तीनों ने खाना खाया जब हम तीनों खाना खा रहे तभी पतिदेव के मोबाइल की घंटी बजी उन्होंने कॉल रिसीव कर के बात किया थोड़ी देर बात करके काॅल कटकर दिया। खाना खाने के बाद रोहित ने कहां - ओफिस से फोन आया था कुछ अर्जेंट काम है इसलिए बुलाया है और रोहित ओफिस के लिए चले गये।

मैं उन्हें घर के मेन दरवाजा पहुंचकर और दरवाजे बंद कर दिये और कमरे में आ गई। मैं बोली- तुम यहां कैसे आये ?
तो प्रफुल्ल ने बताया- वह अपने चाचा के गृहप्रवेश के लिए रांची आया हूआ था , जब रोहित को पता चला तो उसने ही उससे बुलाया था । और वह यहां एक सप्ताह रूकने वाला है।

फिर कुछ देर बाद प्रफुल्ल ने जाकर रोमांटिक म्यूजिक लगा दिया और मेरे पास आया, घुटनों पर बैठकर अपना दायाँ हाथ मेरी ओर बढ़ा कर पूछा- पायल, क्या तुम मेरे साथ डांस करोगी? मैंने मुस्कुरा के अपना हाथ उसके हाथ में दे दिया और हम धीरे धीरे डांस करने लगे।

वह अपना एक हाथ मेरी गोरी मखमली पीठ पर ले गया और दूसरा हाथ से मेरा हाथ पकड़ के डांस करने लगे। ऐसे ही थोड़ी देर डांस करने के बाद मैंने अपना सर उसकी छाती पर रख के बांहों में भर लिया और हम धीरे धीरे डांस करते हुए हिलते रहे।

प्रफुल्ल ने मुझे गोदी में उठाया और कमरे में ले जाने लगा। उसने कमरे ले जाकर मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद मेरे बगल में आकर बैठ गया।

मैं इतना रोमांटिक थी कि बेड पर फूल ही फूल बिछा रखे थे। अब इसमें कोई शक नहीं था कि आगे क्या होने वाला है। प्रफुल्ल ने कहां - तुमने तो दूसरी सुहागरात की पूरी तैयारी कर रखी है। मैं बोली - आपके लिए कुछ भी डियर!

मैं मुस्कुराने लगी और उठकर घुटने मोड़ कर बैठ गयी। मैं बोली- आज तो कोई जल्दी नहीं है न उस दिन की तरह?
प्रफुल्ल बोला- नहीं बाबू, आज कोई नहीं है हमें डिस्टर्ब करने वाला, आराम आराम से प्यार कर सकते हैं।
मैंने कहा- हम्म … मैं बाथरूम हो आऊँ एक बार।
उसने कहा- ठीक है।
अब मैं उठकर बाथरूम में आ गयी और बाथरूम करके शीशे के सामने खुद को ठीक करने लगी, बाल सही करे दुबारा, लाल लिपस्टिक लगाई, साड़ी को सेट किया और ब्लाउज़ को नीचे सेट किया ताकि बूब्स के उभार दिखने लगे और ज्यादा। फिर मैं अंदर बेडरूम में आ गयी।

प्रफुल्ल बाथरूम के दरवाजे को देखते हुए मेरा ही इंतज़ार कर रहा था। उसने मुझे नोटिस किया और बोला- आज तो मार ही डालोगी तुम। मैं उसके पास जाकर खड़ी हो गयी तो उसने बैठे बैठे ही मेरी कमर पर हाथ रख दिये.

मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में भर के ऊपर उठाया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और प्यार भरा चुम्बन करने लगे। शुरू में तो हम प्यार से किस कर रहे थे पर उसका मेरी कमर और पेट हाथ फिराना मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था। अब हमारी किस प्यार भरी ना रह के वासना से भर गयी थी, कभी मैं उसके होंठों को चूस रही थी तो कभी वह मेरे होंठों को, हमारी जीभ तक भी एक दूसरे के मुंह में जाकर वापस आ रही थी और कमरे में उम्म… उम्म… उम्म… उम्म… की मादक आवाजें आ रही थी।

कुछ देर बाद मैं किस कर के हटी तो मेरी साड़ी का पल्लू फिसल के गिर गया और मैं उसके सामने गोरे मोटे बूब्स झाँकते हुए ब्लाउज़ और नीचे साड़ी में खड़ी थी और बीच में मेरी बिना ढकी कमर थी। मैंने कहा- देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी?

प्रफुल्ल मेरे पास आया और पीछे जाकर ब्लाउज़ की डोरियाँ खोल दी और आगे को उतार दिया। अब उसके सामने मेरी लाल ब्रा में फंसे बूब्स थे जो अपने वजन के और मेरे सांस लेने के कारण ऊपर नीचे हो रहे थे।
प्रफुल्ल की आँखें फटी रह गयी मेरा ऐसा रूप देख के … वह बोला- यार, तुम शक्ल तो ऐसी लगती हो जैसे कोई मासूम लड़की हो, जिसे कुछ पता ना ही इन सब चीज़ों का … पर असल में काफी शैतान हो। यकीन नहीं होता. पता है उस दिन सगाई में मेरे दोस्त तुम्हें देखकर कह रहे थे कि ये नहीं पटेगी तेरे से, शक्ल से ही शरीफ लग रही है, बात भी नहीं करेगी शर्म के मारे।
मैंने कहा- अब शरीफ लड़कियों की भी तो कामुक भावनाएं होती हैं बेबी … और वह वाली इमेज तो दुनिया को दिखाने के लिए है, और अब तुमसे क्या शर्माना!

उसने कहा- हाँ ये तो है, अब आपस में क्या शर्माना।मैं चुदवाने के पूरे मूड में थी तो मैंने कहा- आज बात करने का ही मूड है क्या? तो उसने कहा- नहीं यार, ऐसा नहीं है।
मैंने कहा- अगर ऐसा नहीं है तो ये पकड़ो!
और जमीन से उठाकर साड़ी का पल्लू उसके हाथ में दे दिया और कहा- पता है न कि क्या करना है?
वह बोला- क्या करना है? आप ही बता दो।
मैंने कहा- वही जो दुर्योधन ने किया था द्रौपदी के साथ … बस मेरी साड़ी थोड़ी देर में खत्म हो जाएगी।

प्रफुल्ल ने खुश होकर मेरी साड़ी खींचनी शुरू कर दी और मैं घूमने लगी और मेरी साड़ी पूरी अलग हो गयी।
मैंने कहा- काफी अनुभव लगता है साड़ी उतारने का?
तो वह हंसने लगा।

मैंने कहा- एक जादू देखोगे?
और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल के उसे भी नीचे गिरा दिया। अब मैं सिर्फ अपनी सेक्सी लाल ब्रा और पैंटी में खड़ी थी और मेरे आधे चेहरे पर गिरे खुले बाल हल्के हल्के उड़ रहे थे और वह पूरे कपड़ों में था. हालांकि उसका लंड उसकी पैंट में तन चुका था।

मुझे इस हालत में देखकर वह एकदम से मेरे पास आया और मुझसे लिपट गया। उसका लंड मेरी चूत पर बाहर बाहर से ही रगड़ लगा रहा था तो मुझे और जोश आ गया। मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर करके निकाल दी और बनियान भी निकाल फेंका।

प्रफुल्ल ने अपने लोअर यानि पाजामे को नीचे सरका दिया और पैर से साइड में कर दिया। उसका लंड एकदम तन चुका था उसके कच्छे में।
मैंने कहा- क्यूँ अपने लंड का दम घोट रहे हो, कच्छा भी उतार दो।
उसने कहा- चलो, एक - दूसरे के उतारते हैं।

उसने मेरी पैंटी की साइड में उंगली देकर नीचे सरका कर उतार दी और मैंने उसका कच्छा नीचे खींचकर उतार दिया। फिर उसने मेरी ब्रा को भी उतारने में देर नहीं लगाई और हम दोनों एकदम नंगे होकर खड़े थे एक दूसरे के सामने।

कुछ देर तक तो वह मेरे नंगे बदन को देखता रहा और मैं उसे बोली- देखते ही रहोगे या कुछ करने का इरादा भी है?
प्रफुल्ल मुस्कुराने लगा और बोला- जानू … पूरी रात पड़ी है हमारे सामने, आराम आराम से करेंगे.

वह मेरे पास आया और मेरे चुची को हाथों में भर के प्यार से मसलने लगा जैसे आटा गूँथ रहा हो, मेरी सिसकारियाँ निकालने लगी और मैं आह… आहह… आहह… करने लगी। मैंने भी उसकी गर्दन को अपनी बांहों में भरा और प्यार से किस करने लगी। हम ऐसे करते करते चलते चलते बेड पर आ के गिर गए और वह मेरे ऊपर आकर हवस से भरी किस कर रहा था और मेरे चूची को मसल रहा था।

फिर प्रफुल्ल मेरे बांयें चुची को होंठों से बुड़क भर भर के किस करने लगा और निप्पल को चूसने लगा. मैं आँखें बंद किए अपने दाँतों से होंठ दबाये सीईईई … कर रही थी। प्रफुल्ल धीरे धीरे नीचे जाता जा रहा था और पेट पर आकर किस करने लगा।

मेरा पेट कामुकता और जोश के कारण फड़क रहा था और मैं स्ससस्स … स्सस्सस्स … करती हुई तेज़ तेज़ सांसें ले रही थी, हालांकि मुझे हल्की हल्की गुदगुदी सी भी हो रही थी तो मुस्कुरा भी रही थी और बेड पर ऊपर नीचे मचल भी रही थी।

अब प्रफुल्ल सीधा मेरी चूत पर आ गया और एकदम से बुड़क भरी जैसे खाने लगा हो। मैं एकदम से मुंह खोल कर ज़ोर से आहह… कर उठी अपने हाथों से टेक लगाकर बैठ गयी।
प्रफुल्ल मेरी चूत को चाटे जा रहा था, उसकी गीली जीभ का स्पर्श मुझे बहुत आनंदित कर रहा थे।

फिर वह अपनी जीभ को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा और मैं आनंद और वासना से भरती चली गयी। मैंने एक हाथ से उसका सिर अपनी चूत पर दबाया और टाँगें क्रॉस करके उसका सर चूत में दबाये जा रही थी. मैं ज़ोर ज़ोर से उम्म्ह… अहह… हय… याह…. सिसकारियाँ लिए जा रही थी।

थोड़ी देर में ही मेरी चूत चिकनी हो चली थी और चिकनाहट के कारण बाहर तक चमकने लगी थी। मैंने टांगें खोली और प्रफुल्ल को बोला- लो अब तुम बैठो ! तो वह बेड पर पैर लटका कर लेट गया।

मैंने अपने कोमल हाथों में उसका लंड भरा और प्यार से एक बार ऊपर से नीचे तक किया जिससे उसके लंड की खाल पीछे हो गयी और लंड का मुंह बाहर आ गया। प्रफुल्ल मेरी तरफ देखते हुए बोला- आहह … पायल… तुम्हारे हाथ कितने कोमल हैं … लंबी लंबी उंगलियाँ, लंबे लंबे नाखून, उनपर लाल नेल पोलिश, तुम्हारा तो हर अंग सेक्सी बनाया है भगवान ने।
मैंने उसको देखते हुए एक स्माइल दी और उसके लंड के मुंह पर एक किस की और उस लंड के छेद पर अपनी जीभ से छुआ तो वह फड़क गया और प्रफुल्ल ने ज़ोर की आहह… भरी।
( शायद लड़को को मुंह से लंड चुसवाना बहुत पसंद होता है.)
तो मैं उसका लंड मुंह में भर के ऊपर नीचे चूसने लगी और जीभ से लंड को छू छू के खेल रही थी। प्रफुल्ल का लंड पूरा तन गया था और लगभग सात इंच तक बड़ा हो गया था. वह मोटा तो था ही, तो मैं लंड मुंह से बाहर निकालकर हट गयी और उसके बगल में बैठ के हाथ से सहलाने लगी।
प्रफुल्ल बोला- क्या हुआ जानू, इतना मजा आ रहा था, रुक क्यूँ गई।
मैंने कहा- ताकि तुम्हारा निकल न जाए और मेरा मजा अधूरा ना रह जाए।
प्रफुल्ल बोला- चलो ठीक है, तो शुरू करते हैं। तुम लेटो बेड़ पर।

मैं बेड पर पैर लटका के लेट गयी और प्रफुल्ल मेरी टाँगों के बीच आया।
मैंने कहा- अब क्यूँ तड़पा रहे हो? डालो न … मेरी चूत कब से तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही है. इतना वक़्त हो गया खुद को काबू करते हुए, बस अब नहीं।
प्रफुल्ल मुस्कुराया और बोला- ठीक है जानू, ये लो।

प्रफुल्ल ने मेरी दोनों टांगें फैलाकर बेड की तरफ उठा दी और मेरी फड़कती चूत पर अपना लंड लगाया और बोला- डालूँ जी?
मैंने कहा- प्लीज डालो न।

क्योंकि मुझे चुदवाए हुए टाइम हो गया था तो मैंने कहा- धीरे धीरे डालना, काफी टाइम हो गया है तो शायद दर्द हो।
प्रफुल्ल ने आधे से भी कम लंड मेरी चूत में डाला तो मेरी आहह निकल गयी हल्के से दर्द और आनंद के कारण।

प्रफुल्ल ने देखा और बोला- क्या हुआ, रुक जाऊँ क्या?
मैंने कहा- नहीं नहीं … तुम चालू रखो।
अब प्रफुल्ल ने धीरे धीरे लंड को अंदर धकेलना शुरू किया और उसका लंड मेरी चूत की दीवारों में जबरदस्ती जगह बनाता हुआ उसे चौड़ी करता हुआ अंदर जाने लगा।

उसने एकदम से नहीं पर प्यार से धीरे धीरे लंड डाला था तो मुझे उसके डालने का मीठा दर्द भी तब तक होता रहा जब तक वह पूरा अंदर नहीं चला गया। और अंदर पहुँचते ही लंड ने मेरे जी-स्पॉट को स्पर्श करके दबा दिया और पूरा अटक गया।
मैंने आहह हहह हहहह … करके ज़ोर की सिसकारी ली।

प्रफुल्ल समझ गया और वह अपने लंड को अंदर ही अंदर थोड़ा थोड़ा धक्का मार रहा था और मैं घर्षण के कारण मंद मंद सीईईई… सीईईई… सिसकारियाँ ले रही थी।

कुछ पल ऐसे ही करने के बाद मैंने कहा- अब तुम शुरू कर सकते हो चोदना।
प्रफुल्ल ने बोला- यार, बड़ा मजा आया ऐसे धीरे धीरे डालने में! जैसे जैसे तुम्हारी चूत मेरे लंड को जकड़ती जा रही थी और दबाव बना रही थी, मजा ही आ गया। चलो मैं आज धीरे धीरे ही चोदना शुरू करता हूँ. मैंने हाँ में सर हिला दिया।

प्रफुल्ल ने लंड बाहर निकाला और धीरे धीरे दुबारा डाला और निकाला, फिर निकाला … फिर डाला और आह… आह… अहहह… करने लगा।
उसका लंड किसी ट्रेन की तरह घुसता जा रहा था और जब चूत के बाहर जाकर अटक जाता तो मुझे ऊपर को झटका लगता और मेरी आहह… निकल जाती। मैं उसकी आंखों में देखती हुई ऊपर नीचे हाँ में सर हिला रही और आँखों ही आँखों में कह रही थी- चोदना चालू रखो प्लीज।
फिर धीरे धीरे उसकी भी गति बढ़ती चली गयी और पट्ट पट्ट की हल्की आवाज आने लगी हमारे जिस्म टकराने की। मैंने भी सिसकारियाँ तेज़ कर दी थी और ज़ोर जोर से आहह… उहह… आहह… आहह… कर रही थी.
प्रफुल्ल भी दम भरते हुए हम्म … हम्म … हम्म … कर रहा था।

मैं बेड पर ऊपर नीचे हिल रही थी उसे देखती हुई और मेरे ऊपर झुका हुआ मुझे चोदे जा रहा था। ऐसे ही लगभग 7-8 मिनट तक चोदने के बाद उसका सांस फूलने की वजह से रुक गया और बेड पर मेरे बगल में आकर लेट गया और हाँफने लगा।

मैं भी तेज़ तेज़ उन्हह… उम्मह… उनहह… करके हाँफ रही थी और प्रफुल्ल मेरे चूची को ऊपर नीचे हिलते हुए देख था।
मैं बोली- मजा आया यार … आगे तो करो!
तो वह बोला- कर रहा हूँ, सांस तो लेने दो, वरना तुम्हारे ऊपर ही मर जाऊंगा लंड डाले डाले।
मैं मुस्कुराने लगी और बोली- अरे नहीं … आपको मरने थोड़े ही दूँगी मैं ऐसे। तुम लेटे रहो मैं करती हूँ.

मैंने उसके लंड को सहलाया और फिर मुंह में लेकर हल्के हल्के चूसने लगी, प्रफुल्ल बेड पर लेटे लेटे हम्म… हम्म… हम्म… कर रहा था।

जब उसका लंड फिर से पूरा तन गया तो मैं उसके ऊपर आई और उसके चेहरे पर झुक के घुटनों के बल बैठ गयी, मेरे खुले बाल प्रफुल्ल के चेहरे के बगल में आकर लटक गए और मैं उसकी आंखों में देखते हुए बोली- तैयार हो ना?
प्रफुल्ल ने हाँ में सर हिलाया तो मैंने नीचे हाथ देकर उसका लंड अपनी चूत पर टिकाया और धीरे से चूत में लेती हुई पीछे हो गयी और हल्की सी सीईई … भरी।

अब मैं प्रफुल्ल के ऊपर लंड चूत में लिए लिए आगे पीछे होने लगी और प्रफुल्ल मेरे बूब्स को प्यार से मसल रहा था. मैं उसके ऊपर पड़ी आहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… आ … आ… हह… आहह… करके कूद कूद कर चुदवाए जा रही थी।

प्रफुल्ल भी ऊपर नीचे बेड पर हिलते हुए मेरी आंखों में देख रहा था। बीच बीच में मैं उसके होंठों पर किस भी कर रही थी।

फिर लगभग 4-5 मिनट बाद मैं थक गयी तो उसके ऊपर ही लेट गयी। मेरे बूब्स उसकी छाती से सटे हुए थे और उसका लंड अभी भी चूत में ही पड़ा था और मैं और वह ज़ोर ज़ोर से आन्हह… आनहह… कर के साँसें ले रहे थे।

प्रफुल्ल बोला- थक गए क्या बाबू?
तो मैं बोली- तुम थक सकते हो तो मैं भी तो थक सकती हूँ।
उसने बोला- चलो थोड़ा आराम कर लो!
तो मैं उसके ऊपर पड़े पड़े ही आराम करने लगी।


कहानी अभी जारी......
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#42
Shandaar update and awesome story
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#43
Update... Birthday

फिर मैं उठकर खड़ी हो गयी और साइड में ड्रेसिंग टेबल पर रखी बोतल से पानी पीने लगी।
मैं चलकर प्रफुल्ल के पास आई और उसे भी पानी दिया। उसने भी बोतल से पानी पिया और मुझे वापस कर दी।

मैं जैसे ही बेड पर वापस आई तो वह बोला- रुको, वहीं रुको!और वह मेरे पीछे आया और बोला- एक पैर बेड पर रख लो खड़े खड़े और थोड़ा आगे झुक जाओ।
तो मैं वैसे ही झुक गयी।

प्रफुल्ल पीछे से मेरी चूत पर आया और अपना लन्ड मेरी चूत के मुंह पर रगड़ने लगा तो मुझे बड़ी बैचनी सी होने लगी।
मैं बोली- डालो न, रगड़ क्या रहे हो?
तो प्रफुल्ल ने घपाक से लन्ड घुसा दिया और मैं हल्की सी आउच की आवाज के साथ आगे को झटके से हिली.

अब प्रफुल्ल ने मेरी कमर को हाथों से पकड़ा तो धक्के मार मार के चोदने लगा। मैं आह… आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहह… कर के ज़ोर ज़ोर से आवाजें कर रही थी और मेरे चूची, बाल सारा शरीर उसके धक्कों से आगे पीछे हिल रहा था।

प्रफुल्ल भी हम्म… हम्म… हम्म… कर के चोदे जा रहा था और पट्ट पट्ट की आवाज आ रही थी।

अब तक प्रफुल्ल ने बहुत स्पीड बढ़ा दी थी और 8-9 मिनट से लगातार चोदे जा रहा था। मैं भी झड़ने के करीब पहुँचने लगी थी तो बहुत ज़ोर ज़ोर से बोलने लगी ‘आहह … आहह … बेबी और तेज़ … और तेज़ …’प्रफुल्ल ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और तेज़ तेज़ चोदने लगा, ऐसा करने से वो भी झड़ने के करीब पहुँचने लगा।

थोड़ी देर बाद ही मेरी टांगें अकड़ने सी लगी तो मैंने पीछे हाथ लगा के प्रफुल्ल को रोक लिया और फच्छ… फच्छ कर के उसके लन्ड और जांघों पर ही झड़ गयी और बेड पर उल्टी ही गिर गयी।
प्रफुल्ल उस वक़्त झड़ने के करीब था तो तुरंत मेरी चूत पर आ के पीठ की तरफ से ही आखिरी झटकों से उम्मह… ओम्महह… मह्ह… करता हुआ चोदने लगा और अपनी 3-4 पिचकारियाँ छोड़ता हुआ आहह… करते हुए चूत में झड़ गया और मेरे बगल में आकर लेट गया और हाँफने लगा।
मैं भी उल्टी पड़े पड़े उसकी तरफ देखते हुए हूंह… हूंह… हूंह… करके हाँफ रही थी। उसका लन्ड खुद के वीर्य और मेरी चूत के पानी में सना हुआ था और मेरी चूत से भी पानी और उसके वीर्य के बूंदे टपक रही थी जो उसने चूत में ही डाल दी थी।

मैं कोहनी बेड में रखते हुए सिर को हाथ के टेक लगा के उसकी तरफ घूम गयी और पूछा- मजा आया ना?
उसने लेटे लेटे ही मेरे लटके हुए बालों में हाथ फिराया और बोला- बहुत मजा आया जानू, एक बार फिर से हॅप्पी बर्थडे।

मैंने मुसकुराते हुए उसके होंठों पर एक किस की और अपनी एक टांग उसके टाँगों पर रख के लेट गयी और हम तेज़ तेज़ सांस लेते हुए दोनों सुस्ताने लगे।
लगभग आधा एक घंटा हम ऐसे ही नग्न अवस्था में एक दूसरे से चिपके पड़े रहे, मैंने अपने सर उसके सीने पर रखा हुआ था कान लगा के और हम इधर उधर की बात करते रहे। फिर मैं उठी और बाथरूम करने चली गयी और खुद को साफ भी किया। फिर कमरे में वापस आकर कपड़े पहनने लगी.

तो वह बोला- बस एक बार ही? यार प्लीज अभी मत पहनो ना, एक बार और चुदाई करेंगे।
मैं बोली- अभी दिल नहीं भरा क्या?
प्रफुल्ल बोला- जिस लड़के का तुमसे दिल भर जाए वह दुनिया का सबसे बड़ा चूतिया होगा।
मैं बोली- अच्छा बाबा लो नहीं पहनती!
और कमरे में अपने बिखरे हुए कपड़े समेटे और साइड में रख दिए।

अब तक हम दोनों को भूख भी लग चुकी थी तो डिनर करने हाल में आ गए। अब क्योंकि घर में कोई नहीं था हम दोनों के अलावा तो हम नंगे ही घूम रहे थे पूरे घर में। हमने डिनर किया और इधर उधर की बातें करते रहे। फिर मैंने और प्रफुल्ल ने मिलकर ही बर्तन भी साफ कर दिए। बीच बीच में हम एक दूसरे के जिस्म पर हाथ रख के छेड़ भी देते थे एक दूसरे को, कभी मैं उसके लन्ड को सहला देती तो कभी वह मेरी गांड को भींच देता और हम दोनों हंसने लगते।

हमें चुदाई करे हुए 2-3 घंटे हो चुके थे। मैंने कहा- चलो अब सोते हैं।
प्रफुल्ल बोला- यार, इतने वक़्त बाद तुमसे मिला हूँ आज तो बिल्कुल नहीं सोने दूंगा।
मैंने मज़ाक करते हुए कहां- सोने नहीं दोगे तो क्या करोगे?
प्रफुल्ल बोला- आज तो जी भर के प्यार करूंगा, जी भर के चोदूँगा … पता नहीं फिर कब मुलाक़ात हो।
मैंने कहा- अच्छा बाबू, कर लेना प्यार खुश, आज तुम जो चाहे मांग लो मैं मना नहीं करूंगी, पक्का प्रॉमिस।
प्रफुल्ल खुश हो गया और बोला- सोच लो, बाद में मना मत कर देना?

मैंने कहा- नहीं करूंगी यार सच्ची।
उसने कहां- ठीक है, चलो फिर बेडरूम में!

और हम बेडरूम में आ गए।

मैं बेड पर आकर बैठ गयी और वह दरवाजे पर खड़ा होकर मुझे बड़े प्यार से देखने लगा. और देखता भी क्यूँ न … उसके सपनों की रानी उसके सामने उसके बिस्तर पर बिना कपड़ों के पैर क्रॉस कर के बेड पर हाथ टिकाये बैठी थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ, क्या देख रह हो ऐसे?
प्रफुल्ल बोला- देख रहा हूँ, कभी कभी भगवान हम पर कितना मेहरबान होता है, तुमसे मिलने से पहले मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी ज़िंदगी में इतना खूबसूरत दिन भी आएगा, वह भी इतनी जल्दी।
“मतलब सिर्फ दिन ही खूबसूरत है और मैं नहीं?” मैंने मज़ाक में चिढ़ सी के मुंह बना लिया।
प्रफुल्ल बोला- अरे बाबू, आप तो सबसे ज्यादा खूबसूरत हो इस दुनिया में, ये रेशम की तरह खुले हिलते और उड़ते बाल, इतनी प्यारी और बड़ी बड़ी आँखें … मन करता है इनमें ही देखता रहूँ, ये नर्म मुलायम गाल, ये सुर्ख लाल होंठ, रेशम की तरह चमकता हुआ दूध की तरह सफ़ेद बदन, ये बड़े बड़े गोल गोल चूचियां, ये भरी भरी कोमल जांघें और बीच में जन्नत जाने का रास्ता! ऐसा लगता है, भगवान ने तुम्हें बनाने में सारी मेहनत लगा दी है।

अब मैं इतनी तारीफ की उम्मीद नहीं कर रही थी तो मुस्कुरा के शर्मा के नीचे देखने लगी।

इस पर प्रफुल्ल बोला- ऊपर से जब तुम शर्मा के नजरें झुकाती हो तो इतना प्यार आता है कि बस बांहों में भर लूँ और कभी न छोड़ूँ।
मैं उठकर उसके पास गयी और बोली- तो भर लो न बांहों में … किसने रोका है. और प्रफुल्ल ने मुझे अपनी बांहों में ज़ोर से जकड़ लिया।
हमारे जिस्म एक दूसरे के संपर्क में आते ही और गर्म होने लगे और हम वासना की मदहोशी में खोने लगे. हम दोनों की आँखें बंद थी और गले लगे लगे एक दूसरे के जिस्म को जिस्म से रगड़ के आनन्द ले रहे थे।
मैंने आँखें खोली और प्रफुल्ल को देखा, प्रफुल्ल बोला- जब तुम इन खूबसूरत आंखों से ऐसे प्यार से उठाकर देखती हो तो ऐसा लगता है कि ये दुनिया यहीं रुक जाए और मैं इनमें डूब जाऊँ।

मैं इमोशनल सी हो गयी थी और शायद आँख में एक दो आँसू भी आ गया था।

प्रफुल्ल बोला- अरे अरे क्या हुआ?
मैंने शिकायत भरे लहजे में कहा- देखो तुमने मुझे रुला दिया! और नीचे देखने लगी।

प्रफुल्ल ने मेरा चेहरा अपनी तरफ उठाया और अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और हम आँखें बंद कर के उम्महह… म्न्हह… करके किस करने लगे। धीरे धीरे चुम्बन और गहन होता चला गया और मैं दीवार से सटा के करन के होंठों को ऊपर नीचे चूसे जा रही थी और वह मेरे।

अब तक प्रफुल्ल का एक हाथ मेरे चूची को मसल रहा था और मेरा एक एक हाथ उसके लन्ड तक जा पहुंचा था। मैं धीरे धीरे हथेली फैला के उसके लन्ड को ऊपर नीचे मसल रही थी और वह उत्तेजित होता जा रहा था। हम दोनों की चुम्बन करने की उम्म… उम्म… म्म्ह्ह… की आवाजें कमरे में ज़ोर ज़ोर से आ रही थी।

प्रफुल्ल मुझे चूमते हुए धकेल के बेड पर ले आया और हम दोनों बेड पर गिर गए। प्रफुल्ल मुझे किसी वहशी की तरह किस कर रहा था और मेरे जिस्म के एक एक हिस्से पर किस कर रहा था. मैं उसके चुम्बन से मछली की तरह तड़प के मचल रही थी।

अब प्रफुल्ल ने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल के हिलानी शुरू कर दी और मैं आनन्द से भरने लगी। मैं मंद मंद आवाज में उम्म्ह… अहह… हय… याह… कर रही थी.

कुछ ही देर में मेरी चूत चिकनी हो चुकी थी और लन्ड लेने को तड़प रही थी। मैंने प्रफुल्ल से कहा- अब किसका इंतज़ार कर रहे हो, डाल दो ना अपना लन्ड।
प्रफुल्ल बोला- इस बार नहीं लोगी मुंह में?
तो मैंने कहा- तुम डालो ना यार, रुका नहीं जा रहा।
प्रफुल्ल ने कहा- अच्छा बाबा, डालता हूँ एक मिनट!
फिर वह उठ के तेल लेने चला गया, तेल की बोतल लाकर अपने लन्ड को चिकना करने लगा और बोला- अब ठीक है, डालूँ क्या?
मैं बोली- इसकी जरूरत नहीं थी, चूत वैसे ही बहुत चिकनी हो चुकी है, तुम बस डालो।

लेटे लेटे ही प्रफुल्ल ने मेरी चूत पर लन्ड सेट किया और झुक के मेरे ऊपर आ गया। मैं उसकी आँखों में देख रही थी और हाँ में सिर हिला के इशारों इशारों में भीख मांग रही थी लन्ड डालने को। हल्का सा धक्का करन ने लगाया तो चिकनाहट के कारण लन्ड चूत में धीरे धीरे फिसलता चला गया और मैं सीईईई … सीईईई … सीईईई … करते हुए धीरे धीरे आँखें बंद किए ऊपर को खिसक गयी।

प्रफुल्ल शुरू में धीरे धीरे पूरा लन्ड अंदर डाल रहा था और बाहर निकाल रहा था और मैं आँखें बंद किए बेड में लेटे लेटे उम्मह… म्महह… उम्महह… करती हुई ऊपर नीचे हो रही थी। उसका लन्ड मेरी चूत की गहराई नापते हुए मेरे जी-स्पॉट तक रगड़ मार रहा था और मुझे बहुत मजा आ रहा था।

वह भी हम्ममम… हम्ममम… हम्ममम… करते हुए प्यार से चोदे जा रहा था और मेरी आँखों में देखे जा रहा था।
मैंने बेड में ऊपर नीचे हिलते हुए देखा तो पूछा- ऐसे क्या देख रहे हो?
प्रफुल्ल बोला- मैं देख रहा हूँ कि मेरी आँखों के सामने एक बला सी खूबसूरत लड़की नंगी लेटी हुई है और मेरा लन्ड उसकी चूत में जगह बनाता हुआ धीरे धीरे अंदर जाता है और जब वह आँखें बंदकर के इतनी मादक सिसकारियाँ लेती है तो कितनी खूबसूरत लगती है। शायद जन्नत यहीं पर है।

मैंने कहा- जन्नत का सुख आने में टाइम है, तुम चुदाई करते रहो।

अब प्रफुल्ल ने धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी थी और मैं आहह… आहह… करते हुए तेज़ तेज़ चुद रही थी। लगभग 5 मिनट बाद प्रफुल्ल की सांस फूलने लगी तो ज़ोर ज़ोर से आन्हह… उन्न्हह … करने लगा।
मैंने कहा- थक गए हो तो आराम कर लो थोड़ा सा।
तो वो मेरे बगल में आ के गिर गया।

हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ करवट ले ली और एक दूसरे की आंखों में देखते हुए बात करने लगे, साथ ही साथ मैं उसके लन्ड को सहला रही थी और वो मेरी जिस्म पर हाथ फिरा रहा था, कभी मेरे बूब्स पर से हाथ ले जाता हुआ मेरी कमर पर और फिर मेरी गांड पर ले गया.

मुझे कुछ बैचनी सी होने लगी तो मैं बोली- क्या कर रहे हो?
प्रफुल्ल बोला- चलो न पायल , पीछे से कोशिश करते हैं आज।
मेरा माथा ठनका तो मैं बोली- तुम्हारा मतलब तुम मेरी पीछे से चोदना चाहते हो?
उसने शैतानी भरी मुस्कुराहट से हाँ में सर हिलाया।
मैं बोली- नहीं यार, आगे से जितना चाहे चोद लो, पर पीछे से नहीं प्लीज।

प्रफुल्ल बोला- देखो, तुम्हारा मन नहीं है तो मैं ज़िद नहीं करूंगा पर एक बार कोशिश तो कर सकती हो न, प्लीज मेरे लिए, हम सब कुछ ट्राई कर सकते है ना, तुमने ही तो कहा था कि आज मैं कुछ भी मांग सकता हूँ।

मैं उठकर बैठ गयी और बोली- यार, समझ नहीं रहे तुम, पीछे से दर्द होता है बहुत।
प्रफुल्ल बोला- तुम्हें कैसे पता कि दर्द होता है? करवाया है क्या तुमने पहले?
प्रफुल्ल बोला- अरे तुम डर क्यूँ रही हो, मैं तुम्हें दर्द नहीं होने दूंगा, प्लीज प्लीज प्लीज!
और प्रफुल्ल अब बहुत ज़िद करने लगा।

प्रफुल्ल बहुत ज़िद करने लगा तो आखिरकार मुझे ही उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा और मैं बोली- अच्छा बाबा चोद लो, खुश?
प्रफुल्ल एकदम उछल के खड़ा हो गया और बोला- झुक जाओ फिर!
मैंने कहा- ऐसे कैसे झुक जाऊँ, पहले तेल से चिकनी कर लो, गांड में चिकनाहट नहीं होती, और अपने लन्ड को भी चिकना कर लो तभी डलवाऊँगी, वरना नहीं! अब मैंने इतनी ज़िद मानी तो एक बात मेरी भी तो मानो।
प्रफुल्ल बोला- चलो बाबू, आपके लिए इतना तो कर ही सकता हूँ। चलो झुक जाओ आगे की तरफ।

मैं बेड पर आगे झुक के घोड़ी बन गयी और चूत और गांड उसके हवाले कर दी।
प्रफुल्ल ने कहा- ऐसे करो तुम मुंह शीशे की तरफ कर लो ताकि मैं तुम्हारे इस खूबसूरत चेहरे को देख सकूँ चोदते हुए।
तो मैं घूम गयी शीशे की तरफ और हम दोनों को देखने लगी।

अब थोड़ी ही देर में एक बार फिर मेरी दर्दनाक चुदाई होने वाली थी। प्रफुल्ल मेरी गांड के बाहर तेल से मालिश करने लगा अपने हाथों से।
मैंने कहा- अंदर डालो तेल … वहाँ जरूरत पड़ेगी ज्यादा।
उसने बोला- ठीक है, टांगें खोलो.
थोड़ी सी तो मैंने खोल दी। मेरी गांड का छेद अब थोड़ा खुल गया।

प्रफुल्ल ने अपनी उंगली तो तेल में तर किया और मेरी गांड पर रखी। जैसे ही उसने जरा सी उंगली अंदर डाली, मैं ऊई… सीईई… करते हुए मचल के आगे हो गयी और बोली- आराम से प्रफुल्ल !
वह बोला- ठीक है डियर!
और वह भर भर के गांड में तेल लगाने लगा और खुद को असहनीय दर्द को बर्दाश्त करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करने लगी।

प्रफुल्ल बोला- लो जी तैयार है मैडम आपकी गांड और मेर लन्ड भी, शुरू करूँ?
मैं प्रफुल्ल की तरफ मुंह करके बोली- ठीक है … पर आराम आराम से, जंगलियों की तरह नहीं।
उसने कहा- बिल्कुल डियर!

मैंने हम्म करके सर वापस शीशे की तरफ कर लिया और हम दोनों को देखने लगी। प्रफुल्ल बहुत खुश लग रहा था जैसे किसी छोटे बच्चे को उसका मनपसंद खिलौना मिल गया हो, अब बस वह उस खिलौने से खेलना चाहता था।

प्रफुल्ल ने अपने लन्ड का मोटा सुपारा मेरी गांड के छेद पर रखा तो मैंने हुंहह… करके एक गहरी सांस ली। जैसे ही प्रफुल्ल ने अपना लन्ड का मुंह अंदर घुसाया, मुझे हल्का सा दर्द हुआ तो मेरा मुंह आ… करके खुल गया और आऊउ… की आवाज निकाल गयी और थोड़ा सा आगे बढ़ गयी।
मैंने कहा- आराम से आराम से … जल्दबाज़ी नहीं।
प्रफुल्ल बोला- ठीक है!
और फिर धीरे धीरे धकेलने की कोशिश करने लगा तो उसका लन्ड ज़बरदस्ती मेरी गांड में जगह बनाता हुआ अंदर जाने लगा। प्रफुल्ल को भी लन्ड डालने में दिक्कत हो रही थी तो वह भी हम्म… हम्म… करके ज़ोर लगा रहा था अपने लन्ड पर और मैं आँखें मीचे दर्द से आहह… आहह… कर रही थी।

प्रफुल्ल को ये देखकर पता नहीं क्या भूत चढ़ा उसके मेरी कमर पकड़ के पूरी ताकत से एक झटके में ही अपना लन्ड मेरी गांड में उतार दिया और मैं ज़ोर की आआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… आअअअ… के साथ बेड पर आगे को झुक गयी। प्रफुल्ल मुझे ऐसे में देख रहा था शीशे में।

उस वक़्त वह प्रफुल्ल वह नहीं था उस वक़्त तो वह कोई सेक्स का शैतान था और मैं कोई गुलाम जिस पर वह अपने लन्ड का हंटर चलाये जा रहा था।
प्रफुल्ल ने कहा- उठ न रांड, ठीक से चोदने दे। मुझे उसका इस तरह मुझे रांड बुलाना बुरा सा लगा … पर मैं उठकर घोड़ी बन गयी।

अब प्रफुल्ल मेरी गांड में ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा और मैं शीशे में हम दोनों को देखते हुए चुदवाती रही। मेरी गांड में काफी दर्द हो रहा था पर शायद मैं इमोशनल होने की वजह से ज्यादा दुखी थी, और मेरी आंखों से 2-3 आँसू भी आ गए थे. पर मैंने उसे रोका नहीं और गांड में चुदवाती रही।

मैंने प्रफुल्ल की ओर सर घुमा के देखा और बोली- ठीक है चोद भोसड़ी के … जितना चोद सकता है चोद! ऐसा है तो ऐसा ही सही, देखती हूँ कितना दम है।
यह सुनकर तो मानो प्रफुल्ल की वासना की आग में जैसे पट्रोल पड़ गया हो, वह बोला- ले फिर रांड!
और उसने पूरा लन्ड बाहर निकाल के दुबारा घुसा दिया और बार बार पूरा लन्ड निकाल के पूरा डालने लगा गांड में और हम्म… हम्म… उन्नहह… उन्नहह… करते हुए आगे-पीछे धक्के मारने लगा।

मैं उसके जोरदार धक्कों से हिलने लगी, मेरा पूरा शरीर, मेरे सख्त चूची , बाल, झुमके सब ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था और मैं मुंह खोले आहह… आहह… आह… आहह… और जो से… आहह… आहह… कर रही थी, बीच बीच में दर्द से मेरी आँखें भी मीच रही थी।

प्रफुल्ल का लन्ड सच में काफी लंबा और मोटा था, ऊपर से इतना सख्त, जो चूत की दीवारों तक हलचल कर रहा था। धीरे धीरे मुझे भी मजा आने लगा और मैं काफी तेज़ तेज़ आवाजों के चुदवाने लगी, मैं बोली- और तेज़ और तेज़।

पर प्रफुल्ल थकने लगा था तो धीरे धीरे चोद रहा था. लेकिन मैं गर्म हो चुकी थी और चाह रही थी प्रफुल्ल और तेज़ चोदे।

प्रफुल्ल रुक गया और लन्ड निकाल के साइड में बैठ गया, मैं बोली- क्या हुआ, हो गया शौक पूरा या और करना है?
प्रफुल्ल बोला- रुक जा बहन की लोड़ी … अभी फाड़ता हूँ तेरी गांड, सांस ले लेने दे फिर देख।

मैं बेड से पैर लटका के बैठ गयी और उसे हाँफते हुए देखने लगी और खुद भी सुस्ताने लगी। प्रफुल्ल का लन्ड अब भी फड़फड़ा रहा था और ऊपर नीचे।
मैं प्रफुल्ल से बोली- अब चोद भी पाओगे या बस करूँ।

प्रफुल्ल जोश में उठा और मुझे पैरों से पकड़ के बेड पर लिटा के एकदम से मेरी टांगें चौड़ी कर के खोल दी। इतने में मैं कुछ समझ पाती और ऊपर देखती, प्रफुल्ल ने मेरी गांड में फिर से लन्ड घुसा दिया घपक से।
मैंने एक ज़ोर की आआ आआहह … भरी और सिर बेड पर रख लिया वापस।

प्रफुल्ल अब अपनी पूरी ताकत से हम्म… हम्म… हम्म… हम्म… करता हुआ ज़ोर ज़ोर से मेरी गांड चोदने लगा और मेरी भी ज़ोर ज़ोर से आहह … निकल रही थी। प्रफुल्ल तो मानो रेलगाड़ी बना जा रहा था, मुझे पूरा हिला हिला के चोद रहा था और मैं बस दर्पण को देखती हुई आहह … आहह … आ … आ … आहह … कर रही थी।
ऐसे ही 2-3 मिनट तक चुदवाने के बाद मैंने प्रफुल्ल से कहा- रुको … रुको एक मिनट!
प्रफुल्ल बोला- क्या हुआ? फट गयी क्या मरवाने में? अभी तो बहुत बोल रही थी।

मैंने कहा- गांड में बाद में चोद लेना, पहले चूत में चोद लो, वरना तुम गांड में ही झड़ जाओगे तो फिर चोद नहीं पाओगे और मेरी चुदाई अधूरी रह जाएगी।
प्रफुल्ल बोला- ठीक है चल!
और प्रफुल्ल ने लन्ड निकाल के चूत में डाल दिया और दबा के चोदने लगा।

प्रफुल्ल मेरे ऊपर पूरा झुक गया था और हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हुए चुदाई करने लगे। अब हम दोनों एक साथ ऊपर नीचे हो रहे थे और मैं आहह… आहह… आहह… करके सिसकारियाँ ले रही थी।
बीच बीच में हम दोनों एक दूसरे को ज़ोर ज़ोर से किस करते हुए होंठ से होंठ रगड़ रहे थे.

और 3-4 मिनट बाद मेरे झड़ने का वक़्त आने लगा, मैंने अपनी मुट्ठी से चादर को भींच लिया और मेरी आवाजें रुक रुक के आने लगी- आहह … आहह … आ…आ… आह … आहह… अहह… और ज़ोर से और ज़ोर… से, प्लीज… और तेज़… और तेज़… आहह… आ… आ…
और आखिरकार ‘ज़ोर से आआ आआहह हहह …’ करके कंपकपाते हुए ज़ोर से झड़ गयी और शांत होकर ढीली पड़ गयी।
मेरी हाथ की मुट्ठी भी खुल गयी और मैं आँखें बंद कर के ज़ोर ज़ोर से साँसें लेने लगी। प्रफुल्ल ने लन्ड निकाल के मुझे थोड़ी देर के लिए छोड़ दिया और खड़ा हो गया।

लगभग एक मिनट बाद जब मेरी साँस सामान्य हुई तो देखा कि प्रफुल्ल मुझे बड़े प्यार से देख रहा था बेड पर नंगी पड़ी हुई मछ्ली की तरह तड़पते हुए।
प्रफुल्ल अपने लन्ड को सहला रहा था और वह अब भी अपने पूरे जोश में था।

मैंने मज़ाक में प्रफुल्ल से कहा- मेरा तो हो गया, अब तुम हिला के झाड़ लो।
मेरी इस बात पर प्रफुल्ल ने कहा- अच्छा साली ये ले!
और उसने मुझे टांगें पकड़ कर उल्टा घूमा दिया तो मैं ज़ोर का आऊऊऊ… करके खिलखिला के हंसने लगी.

प्रफुल्ल ने मुस्कुराकर मुझे कमर से पकड़ के उठाकर घोड़ी बना दिया। मैं समझ चुकी थी कि प्रफुल्ल गांड में चोद के ही झड़ेगा. मैंने फिर भी अंजान बनने का नाटक करते हुए कहा- अरे अरे … ये क्या कर रहे हो?
प्रफुल्ल ने कहा- अभी बताता हूँ जानेमन! और प्रफुल्ल मेरी गांड में लंड डालने की कोशिश करने लगा पर तेल की चिकनाहट के प्रफुल्ल उसका लंड बार बार बाहर ही फिसलने लगा। मैंने उसका साथ देते हुए कहा- रुको रुको!
और अपने सर को बेड से टीका के हाथ गांड पर ले गयी और दोनों हाथों से गांड का छेद चौड़ा कर दिया और बोली- अब डालो।
प्रफुल्ल ने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रखा और मैं हाथ आगे लाकर फिर से घोड़ी बन गयी।
प्रफुल्ल ने थैंक यू बोला और एक ज़ोर का झटका मार के अपना पूरा लन्ड मेरी गांड में घुसा दिया।

उसके इस धक्के ने मुझे बेड पर पूरा आगे तक हिला दिया तो मैंने ज़ोर के आहहह … करी. मेरा सर ऊपर को उठ गया झटके से और मेरे बाल उछल के कमर पर आकर लटक गए। प्रफुल्ल ने बिना मेरी परवाह किए ज़ोर ज़ोर से पट्ट पट्ट चोदना शुरू कर दिया और मैं बेड पर आगे पीछे हिलती रही।

अब मुझे ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था और मैं ‘आहह … आहह … आ…आह करते हुए मजे से चुदवाती रही। प्रफुल्ल ने मेरे खुले बालों को मुट्ठी में पकड़ के पीछे खींच लिया और मेरा सर झटके से और ऊपर उठ गया था. कमरे में बस मेरी ज़ोर की आहह … आहह … करन… आहह … करन … और तेज़ बेबी … और तेज़ … आ… आह… की सिसकारियों की आवाज़ आ रही थी और मैं उसके लन्ड के धक्कों से बेड पर आगे पीछे ज़ोर ज़ोर से हिले जा रही थी।

प्रफुल्ल किसी जानवर की तरह मेरी गांड को हम्म … हम्म … उम्महह … उम्महह … कर के चोदे जा रहा था। प्रफुल्ल भी ‘आह … पायल … आह … आहह पायल … मेरी जान … ये ले’ बोल रहा था और पट्ट पट्ट धक्के मारे जा रहा था।

ऐसे ही 2-3 मिनट तक चोदने के बाद प्रफुल्ल ने बची खुची ताकत से और तेज़ चोदना शुरू कर दिया।
मैं समझ गयी थी कि अब ये भी झड़ने वाला है इसलिए मैं भी बेड पर आगे पीछे हिल के आहह … आहह … आ … आ…आहह… करते हुए अपनी गांड में लन्ड लिए उसकी जांघों पर टक्कर मार रही थी।

कुछ ही देर में प्रफुल्ल एकदम से रुक गया और आहह … करके झड़ गया. उसके बाद उसने 2-3 झटके धीरे धीरे मारते हुए अपने बचे हुए वीर्य की पिचकारियाँ मेरी गांड में ही भर दी और मुझे आगे तो धक्का देकर छोड़ दिया।
मैं मुंह के बल बेड में आकर गिर गयी और ज़ोर ज़ोर से हाँफने लगी।

प्रफुल्ल भी मेरे बगल में सीधा आकर गिर गया, छत की तरफ देखता हुआ मुंह खोलकर हुन्हह… उनहह… हुनहह… करके हाँफने लगा।

थोड़ी देर बाद मैंने उससे पूछा- अब तो खुश हो न?
प्रफुल्ल ने मेरी तरफ देखा और मुझे होंठों पर एक प्यारी सी किस देते हुए कहा- हाँ जानू बहुत … आइ लव यू वेरी मच।
मैंने भी मुस्कुरा के कहा- आई लव यू टू।

मैंने गांड के छेद पर उंगली लगा के देखा तो वहां सब गीला और चिपचिप हुआ पड़ा था। मैंने कहा- तुम आराम करो, मैं बाथरूम जाकर आती हूँ।

मैं जैसे ही उठ के चलने लगी तो प्रफुल्ल के वीर्य की बूंदें मेरी गांड से फर्श पर टपकने लगी। मैं गांड पर हाथ रख के तेज़ तेज़ बाथरूम में घुस गयी जाकर कमोड पर बैठ गयी।
मेरी गांड में से प्रफुल्ल का वीर्य बह रहा था. मैंने ज़ोर लगाकर सारा वीर्य बाहर निकाल दिया। मैंने अपने आप को शावर के नीचे साफ किया और फर्श पर बैठ के अपनी चूत और गांड को भी साफ किया।

मैं कमरे में वापस आई तो प्रफुल्ल बाथरूम में चला गया खुद को साफ करने और मैं नंगी ही आकर बेड पर लेट गयी.

थोड़ी देर में प्रफुल्ल भी आकर नंगा ही मेरे बगल में लेट गया और बोला- थैंक यू जानू।
मैंने कहा- कोई बात नहीं!
और प्रफुल्ल ने मेरी तरफ करवट लेकर अपनी टांग मेरे ऊपर रख दी और प्रफुल्ल ने मुझे बांहों में लिए सो रहा था और मैं उसकी छाती में सर छुपाते हुए सो रही । हम कब सो गए हमें पता ही नहीं चला।

सुबह रोहित का फोन आया तो मेरी आँख खुली।

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#44
Next update boyfriend ( karwa chauth).....
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#45
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#46
Update...

मेरे जन्मदिन के तीन दिन बाद आया—करवा चौथ का दिन। उस दिन मेरी तड़प इतनी बढ़ गई कि मैं अपनी वासना की आंधी में बहकर अपने पति और प्रेम से एक ही कमरे में वासना की चुदाई में विलीन हो गई। उस रात मुझे पहली बार पता चला कि असली चुदाई क्या होती है, और मर्द का लंड क्या कर सकता है।

करवा चौथ का दिन था। सुबह से मैंने व्रत रखी थी। तो मैं अपने आपको सजाने संवारने में लग गई, घर में कोई नहीं था और में हॉल में बैठकर अपनी साड़ी और पेटीकोट को उतार नंगी हो गई फिर आइने लाकर अपने चूत का हाल देखी जिसपर थोड़े छोटे छोटे बाल उग आए थे, कांख में भी बाल उग आए थे और मैं उठी फिर वाशरूम चली गई। पायल नंगे ही वाशरूम में गई और वहां अपने चूत और कांख को पहले पानी से भिंगोई, अब हेयर रिमूवर क्रीम चुत पर लगाई और फिर दोनों कांखों में फिर उसको हल्के हाथ से रगड़ते हुए चूत को साफ करने लगी

थोड़ी देर में चूत और कांख से बाल गायब थे फिर मैं झरना के नीचे खड़ी होकर स्नान करने लगी, मेरी ३६-२६-३६ की साईज सबको अच्छी लगती थी वैसे भी शादी के बाद मेरे फिगर में बदलाव आया था। पायल पूरे बदन पर बॉडी वाश लगाई फिर रगड़ रगड़कर जिस्म साफ की और स्नान करके बाहर निकली, अपने जिस्म को टॉवेल से पोंछ ली फिर सोचने लगी कि कौन सा ड्रेस पहन लिया जाए तो अलमारी से निकालकर लाल साड़ी पहनी, कसी हुई चोली जो मेरे चूची को और उभार रही थी। फिर आइने के सामने खड़ी होकर बाल संवारी और अब हॉल आकर टी वी देखने लगी, मेरे गुलाबी होंठ, काजल से सजे नैन, और लंबे खुले बाल मेरे कंधों पर लहरा रहे थे। मेरा गोरा जिस्म ऐसा लग रहा था, मानो कोई अप्सरा हो। शाम को चाँद देखकर मैंने जल लिया, फिर खाना खाया। लेकिन मेरे मन में एक अजीब सी बेचैनी थी। मुझे पता था कि रात को फिर वही होगा—रोहित मुझे तड़पाकर छोड़ देंगे।

खाना खाने के बाद में कमरे में गई । मैं अभी भी साड़ी में थी। रोहित ने मुझे बाहों में लिया और छेड़ना शुरू किया। उनकी उंगलियाँ मेरे ब्लाउज के हुक खोलने लगीं। धीरे-धीरे मेरी साड़ी, पेटीकोट, और ब्लाउज उतर गए। मैं लाल ब्रा और पैंटी में थी। रोहित ने मेरे बाल खोल दिए, और मैं बिस्तर पर किसी हूर की तरह लेटी थी। वह मेरे चूची को ब्रा के ऊपर से दबाने लगे, मेरे निप्पल्स को चूमा। “आह्ह… रोहित… धीरे…” मेरी साँसें तेज हो गईं। लेकिन फिर वही हुआ—उन्होंने मेरी पैंटी में उंगली डाली और मेरी चूत में सटासट चलाने लगे।

मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मेरे निप्पल्स तन गए थे। “आआह्ह… उह्ह…” मेरी सिसकियाँ निकल रही थीं, लेकिन मेरे जिस्म की भूख बढ़ती जा रही थी। मैं तड़प रही थी। अचानक मेरा गुस्सा फूट पड़ा। मैंने रोहित को धक्का दिया और चिल्लाई, “बस करो! इसके लिए मैंने व्रत रखा था? तुम हर बार मुझे तड़पाकर सो जाते हो!” वह बेड से नीचे गिर गए। मैंने गुस्से में कहा, “शादी क्यों की, जब तुम मुझे चोद नहीं सकते? मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी।”

रोहित डर गए। उन्हें अपनी गलती का एहसास था। वह माफी माँगने लगे। “पायल, मैं घर का इकलौता बेटा हूँ। मेरे पास धन-दौलत है, उसे भोगो। मैंने कहा, “मैं ऐसी सम्पत्ती का क्या करूंगी जो मेरे जिस्म की आग को बुझा ना सके अगर बाहर जाकर संबंध बनाऊँ, तो लोग क्या कहेंगे? बदनामी होगी। आप बताऊं घर के बाहर ये करना ठीक होगा ।” तभी मेरे घर के दरवाजे का बेल बजा और मैं शांत हो गई। फिर मैं उठकर जाकर दरवाजा खोली तो सामने में प्रफुल्ल था मैं उसको देखकर बहुत खुश हुई और उसको तुरंत दरवाजे से अंदर खींचकर मैंने बहुत टाईट हग किया और उसके गले में अपनी कोमल गोरी गोरी बाहें डालकर मैंने उसको चूमा और बहुत देर तक चूमा और वह भी मुझे जमकर चूम रहा था, फिर कुछ देर बाद हम दोनों ने अपना अपना होश संभाला और मैंने उसको अंदर आने को कहां जब वह अंदर आया तो उसके हाथ में एक थैला था और अंदर आते उसने कहा " आज तो करवा चौथ है तुम दोनों पति-पत्नी को खुश रहना चाहिए "
तभी मेरे मुंह से निकल गया" मेरी जिंदगी में कभी खुशी नहीं आ सकती है फिर मैं बाथरूम में जाकर जल्दी से एक पतली सी मैक्सी पहनी और उसके अंदर ब्रा-पैंटी कुछ नहीं था, सिर्फ वो मैक्सी, जो मेरे जिस्म से चिपक रही थी।
प्रफुल्ल ने थैला से एक गिफ्ट निकलकर मुझे दिया और फिर मुझे देख बोला ” इसमें एक व्हिस्की की बोतल है, कोल्ड ड्रिंक्स और सोडा भी ।
( मैं मुस्कुराई ) बोली ग्लास लेकर आती हूं ” फिर मैं कमर बलखाते हुए किचन चली गई, वापस तीन ग्लास लिए आईं तो टेबल पर व्हिस्की, सोडा और कोल्ड ड्रिंक्स था, मैं सामने के सोफ़ा पर बैठकर बोली फिर मैं व्हिस्की की बोतल खोली और खड़े में थोड़ा झुककर ग्लास में व्हिस्की डालने लगी मेरे मैक्सी के डीप गले की वजह से मेरे चूची थोड़े बहुत दिख रहे थे प्रफुल्ल उसे तिरछी नजरों से देखता हुआ मस्त था फिर मैं एक ग्लास ली और सोफ़ा पर बैठी फिर ड्रिंक्स करने लगी तो रोहित बोला ” पायल तुम हम दोनों से इतनी दूर क्यों बैठी हो ” मैं समझ गई और अपने आपको रोक नहीं पाई फिर दोनों ने मुझे बीचोबीच बिठाया, प्रफुल्ल सिगरेट जलाकर फूंकने लगा और मैं ड्रिंक्स ले रही थी कि प्रफुल्ल का हाथ मेरे कंधे पर आ गया साथ ही रोहित खाली ग्लास रखकर नशे में बड़बड़ाने लगा और मैं प्रफुल्ल के हाथ का स्पर्श अपने कंधे से बाहों तक महसूस करने लगी अब वह मेरे चूची को मैक्सी के उपर से हाथ लगाए पुचकारने लगा

पायल प्रफुल्ल की ओर देखकर उसका हाथ पकड़ ली लेकिन प्रफुल्ल ने अपने दूसरे हाथ मेरे दुसरे चूची पर लगा दी, वह साला मेरे चूची दबाने पर लगा था मैं पलभर में दो दो लंड की मालकिन बनने वाली थी जिसे जमकर चूसना और चुदना था प्रफुल्ल मेरी चूची दबाते हुए मेरे गर्दन से चेहरा को चूमने लगा रोहित शराब के नशे में बड़बड़ा रहा था

प्रफुल्ल मेरे जांघ सहलाते हुए मैक्सी के अंदर दूसरा हाथ डाले चूची पकड़ दबाने लगा और मैं अब एंजॉय करने लगी तभी प्रफुल्ल मेरे मैक्सी को नीचे से ऊपर करने लगा । पायल थोड़ी देर में अर्द्घ नग्न अवस्था में सोफ़ा पर किसी रण्डी की तरह बैठी हुई थी तो प्रफुल्ल ने जल्दी में अपने जींस और टीशर्ट उतार सिर्फ चढ्ढी और बनियान में हो गए और पायल दूसरा पैक बनाने लगी तो प्रफुल्ल मेरे पीठ सहलाते हुए अपना दूसरा हाथ चूची पर लगा दिया और मैं दो ग्लास में ड्रिंक्स तैयार कर प्रफुल्ल को बोली ” तुम्हें कुछ पल इंतजार नहीं कर सकते। फिर हम दोनों ने एक एक राउंड पीने के दौरान मेरी नजर रोहित पर पड़ी उसे देखकर मैं बोली , “लगता है यह सो गए।”

प्रफुल्ल ने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा। मेरी मैक्सी मेरे जिस्म से चिपकी थी, और मेरे निप्पल्स साफ दिख रहे थे। मेरे दिल की धड़कनें तेज थीं। मैंने थोड़ा हिलसटाते हुए कहा, “आज रात… मैं तुम्हारी हूँ।” और मैंने उनके होंठों पर एक गहरा, गीला किस दे दिया। प्रफुल्ल ने मेरी कमर पकड़कर मुझे बिस्तर पर लिटाया। उनकी उंगलियाँ मेरी मैक्सी के नीचे गईं, और एक झटके में उन्होंने उसे उतार फें। मैं पूरी नंगी थी। मेरे चूची आजाद होकर उछलने लगे। वह मेरे निप्पल्स को दाँतों से काटने लगे। “आह्ह… प्रफुल्ल… धीरे… उफ्फ…” मेरी सिसकियाँ निकलने लगीं। मैं थोड़ा डर भी रही थी, पर मेरी चूत पहले से गीली थी।

प्रफुल्ल ने मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे क्लिट को चूम रही थी। “आआय… प्रफुल्ल … और चाटो…!” मैं उनके बाल पकड़कर उनकी जीभ को और गहरे दबा रही थी। मेरी चूत से रस टपक रहा था। मैंने तड़पकर कहा, “बस करो, अब लंड डाल दो! मेरी आग बुझा दो!” मैंने उनका लंड पकड़ा। 9 इंच का मोटा लौड़ा मेरे हाथ में फड़फड़ा रहा था। मैंने उसे चूसना शुरू किया। “मम्म… कितना टेस्टी… उम्फ…” लंड मेरे मुँह में पूरा नहीं जा रहा था। प्रफुल्ल बोले, “चूस, पायल… मेरा लौड़ा तेरा है…!”

प्रफुल्ल ने पूछा, “पायल, तुम्हारा और रोहित का संबंध ठीक है ना?” मैंने सच बता दिया, “नहीं। रोहित शादी के कुछ सालों तक ठीक चुदाई करते थे मगर अब नामर्द हो गए हैं। प्रफुल्ल ने अब मेरे होंठ चूमे और कहा, “आज से तेरी चूत की प्यास मैं बुझाऊँगा। ले, ये लंड!” उन्होंने मेरा मुँह पकड़ा और लंड मेरे गले तक ठूँस दिया। लंड थोड़ी देर मुंह में रखकर बाहर निकला और फिर मेरी चूत पर लंड सेट किया और एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आआआय… मर गई…!” मैं चीख पड़ी। दर्द से मेरी आँखों में आँसू आ गए। “ प्रफुल्ल … धीरे…!” लेकिन कुछ देर बाद दर्द मजे में बदल गया।

प्रफुल्ल ने अब धक्के तेज किए। “पच्छ… पछ…!” लंड मेरी चूत की गहराइयों में जा रहा था। मेरे चूची हर धक्के के साथ उछल रहे थे। “आह्ह… चोद… और जोर से…!” मैं चिल्ला रही थी। प्रफुल्ल बोला , “ले, रानी… तेरा चूत फाड़ डालूँगा!” उसने नीचे से कूल्हे उछालकर धक्के दिए। “हाँ… फाड़ दे… मेरी चूत तेरी है… उह्ह…!” हम दोनों पसीने से तर थे। कमरे में चुदाई की आवाजें गूँज रही थीं।

फिर हम 69 में आ गए। प्रफुल्ल मेरी चूत चाट रहा था, और मैं उनका लंड चूस रही थी। उनकी जीभ मेरे क्लिट को चूम रही थी। “मम्म…प्रफुल्ल… कितना मजा…” मैं मचल रही थी। फिर मैं उनके ऊपर चढ़ गई। मैंने उनका लंड अपनी चूत में डाला और ऊपर-नीचे होने लगी। “आआह्ह… कितना गहरा… उफ!” लंड मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था। प्रफुल्ल मेरे चूची दबा रहे थे। मैं बोली जा रही थी “ले, प्रफुल्ल… चोद मुझे… और जोर से…!”

अचानक रोहित आंखे खुली । मैंने अपने आपको मैक्सी से ढक लिया । तभी रोहित हँसते हुए बोले, “पायल, डरो मत चुदाई करवा । चूची दबाना, किस करना, मैं कर लूँगा।” कमरे में हँसी छा गई। फिर जो हुआ, वह अनोखा था। प्रफुल्ल मेरी चूत में धक्के मार रहे थे, और रोहित मेरे बूब्स चूस रहे थे। “आह्ह… प्रफुल्ल… चोद… रोहित… और चूसो…!” मैं चिल्ला रही थी। प्रफुल्ल बोला, “ले, रानी… तेरा चूत तो जन्नत है…!” रोहित मेरी गाँड में उंगली डालने लगे। “उह्ह… दोनों मिलकर… मार डालो…!”

प्रफुल्ल ने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से लंड डाला। “प… डप…!” उनकी जाँघें मेरी गाँड से टकरा रही थीं। “आआह्ह… और जोर से… फा डाल…!” मैं चीख रही थी। रोहित मेरे सामने थे और मेरा मुँह चूम रहे थे। फिर प्रफुल्ल ने मेरी गाँड में लंड लगाया। मैं डर गई। “नहीं… वहाँ नहीं…!” लेकिन वह नहीं माना और धीरे से डाला। “आआय… मर गई…!” दर्द के बाद मजा आने लगा। “हाँ… चोद… मेरी गाँड… उह्ह…!”

रात भर चुदाई चली। प्रफुल्ल ने मेरी चूत और गाँड को बारी-बारी चोदा। रोहित मेरे बूब्स और गाँड से खेलते रहे। “आह्ह… उह्ह… और…!” मेरी सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं। सुबह मैं चल नहीं पा रही थी। मेरी चूत में सूजन आ गई थी, और मैं पैर फैलाकर चल रही थी।। प्रफुल्ल ने हँसते हुए कहा, “क्या माल है तू, पायल!” रोहित ने गले लगाया और बोला, “अब तू खुश तो है ना?”
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#47
Next update मदद
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#48
great update
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#49
एक रात मुझे रोहित से लड़ाई हो गई। लड़ाई का मेन कारण यह था कि पुरी रात में वह मुझे एक बार वह भी 10 मिनट तक ही चोद पाता था में उसको रात में दो बार चोदने को कहती तो वह एक ही बार बार शिकायत करता था की अगर वह दो बार मुझे चोदेगा तो उसे बहुत बदन दर्द होगा और वह सुबह नौकरी पर नही आ जाएगा। मैं इस तरह की चुदाई से रात भर तड़पती रहती थी किसी तरह से में चुत आग को बुझाने पाती थी । रोज रोज की चुदाई की किचकिच से तंग हो गई ।

एक दिन में किचन में दोपहर का खाना बना रही थी मेरे मोबाइल की घंटी बजी जब मैंने मोबाइल में देखी तो कोई अनोन नंबर था मैं फोन रिसीव किया तो उधर से एक जानी पहचानी आवाज आई थोड़ी देर बात करने पर पता चला वह मेरी कालेज की सहेली पंखुरी गुप्ता थी।

पायल - अरे पंखुरी आज इतने दिनों बाद तुम्हें मेरी याद आईं
पंखुरी - ऐसी बात नहीं है तुम्हारा नंबर ही नहीं था वह तो मैं एक मार्केट गई थी तो तुम्हारी सासु मां से मुलाकात हुई तो उससे तुम्हारा नंबर मिला।

पायल - और अभी किया हो रहा है और नयन कैसा है
?
पंखुरी - में भी मस्त हुं और नयन भी मस्त है ।

मेरी और पंखुरी की अब इसी तरह रोजाना दो तीन घंटे इसी तरह बात होनी लगी । एक शाम रोहित ऑफिस से घर आया और मुझे बोला " मैं दो सप्ताह के लिए एक छोटी सी ट्रेनिंग के शहर से बाहर जा रहा हूं " और फिर खाना खा जल्दी सो गए।

अगली सुबह रोहित ट्रेनिंग के लिए चले गए। मैं अब घर अकेली थी शाम को पंखुरी का फोन आया उससे बात करने लगी उससे बात करने के दौरान मैंने कहा - " पंखुरी तुमसे एक मदद चाहिए। तेरे पति तो बहुत बड़े बिजनेस मैन है उनसे बोलकर मेरी एक अच्छी सी नौकरी लगवा दे ना तो उसने कहा - " अच्छा मैं अपने पति से बात करती हूं। " और फिर थोड़ी देर बात कर रख दिया। फिर दो दिन बाद पंखुरी का फोन आया उसने मुझे कहा - उसके पति एक दोस्त है मिस्टर गहलोत जो रांची के सिटी चौक उसका ओफिस है वहां जाकर उससे मिल लें ।


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अगले दिन मैंने अच्छे से मेकअप किया और एक सेक्सी सी ड्रेस पहनी और फिर ओफिस के पते पर चली गई । वह मुझे मिस्टर गहलोत से मुलाकात हुई । उसने मुझे कई दफा ऊपर से नीचे तक घूर- घूर के देखा। फिर मेरी इंटरव्यू लिया और कहा - आप चाहों तो आज से ही शुरूआत कर सकती हो ।
मैंने बिना कुछ बोले हां मैं सिर हिलाया।

मुझे ओफिस में काम पकड़े हुए तीन से चार दिन हुए ही थे एक दिन मिस्टर गहलोत मेरी केविन में आये और बोले - “आई लव यू!! पायल जी!!…. जब से मैंने आपको देखा है तब से आपसे प्यार करने लगा हूँ!!” मिस्टर गहलोत बोले। मैं यह जानती थी वह यही कहने आया है मैंने काफी शांत भाव में जवाब दिया क्योंकि वह पैसे वाला आदमी था। उसके पास काफी माल था। मुझे ये बात पता थी। मैंने सोचा की उससे साफ़ साफ़ अगर पैसा मागूंगी । तो वह जान जाएगा की मैं बहुत चालू औरत हूँ। इसलिए मुझे कोई बहाना बनाकर पैसे वसूलने होगा ।

“सर!! मेरा बेटा एक बड़े इंटरनेशनल कॉलेज में पढता है, मैंने 3 महीनो से उसकी फिस नही भरी है…..बस यही टेंशन मुझे दिन रात खाये जा रही है…!” मैंने मिस्टर गहलोत से कहा

“कितनी फिस भरनी है……पायल जी???” मिस्टर गहलोत ने पूछा

“यही कोई 1 लाख 20 हजार!!” मैंने कहा

उसने तुरंत मुझे 1 लाख 20 हजार का चेक काटकर दे दिया।

“ये लीजिये पायल जी…..आपकी टेंशन मैंने दूर कर दी…..अब तो आप मेरे दिल का हाल समझिये!!” बेवकूफ मिस्टर गहलोत बोला

मैंने चेक को अपने पर्स में रख दिया।

“सर!! अपने मेरी टेंशन दूर कर दी है…..मैं अब आपे साथ हूँ…सच तो ये है की मैं भी आपको कई दिनों से पसंद करती आ रही हूँ!!” मैंने झूट मुठ कहा

उसके बाद मिस्टर गहलोत ने मुझसे चिपक गया और उसने मुझे बाहों में भर लिया। वह मेरे होठ चूसने लगे । उसके चैम्बर में एक बड़ा मस्त सोफा पड़ा हुआ था। मिस्टर गहलोत ने मुझे लिटा दिया और मेरे होठ चूसने लगे । मेरे ३८” के बड़े बड़े रसीले दूध पर उसने ब्लाउस के उपर से हाथ रख दिया और दबाने लगा। इस तरह 30 मिनट तक मेरे होंठों और चूची का मजा लिया उसके बाद मैं मिस्टर गहलोत के कमरे में पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। वह भी बिना कपड़ों के हो गया और मेरे उपर लेट गया। मस्ती मस्ती में वह मेरा विडियो भी बनाने लगा। मैंने उसको नहीं रोक क्योंकि उन्हें मुझे 1 लाख 20 हजार जैसी बड़ी रकम दी थी, कैसे मैं उसे मना करती।

मिस्टर गहलोत ने मेरे नंगे गुलाबी संगमरमरी जिस्म का विडिओ बना लिया। मेरे दूध को वह मुँह में भरकर पीने लगा। उसने मेरे साथ खूब मजे किये। फिर सोफे पर ही उसने मेरी दोनों टांग और घुटने खोल दिए और मेरी गुलाबी चूत में लंड डाल दिया और मुझे मजे से चोदने लगा। कितनी अजीब और विचित्र बात थी की मैं अपनी कम्पनी में अपने ऑफिस में ही अपने बोस से चुद रही थी। मेरा विडियो भी बना रहा था। उस दिन मेरे बोस मिस्टर गहलोत ने मुझे 3 घन्टे नॉन स्टॉप चोदा। 3 बार की चुदाई में मैं 6 बार झड़ गयी थी। मेरी शादी को 6 साल हो चुके थे, पर मेरा पति कभी भी 30_ 35 मिनट से जादा नही मुझे चोद पाया था। पर आज मेरे बोस ने मुझे फुल संतुस्ट कर दिया था। मैं उसकी गुलाम हो गयी।

“पायल जी!! मैं आपको 3 घंटा चोदा है…..कितनी मेहनत है…..आपको फुल संतुष्ट किया है…..मेरा लौड़ा तो चूसो!!” मिस्टर गहलोत बोला

“लाइए सर!! आपका लौड़ा चूस दूँ!!” मैंने हंसकर कहा

उसके बाद तो दोस्तों मैं सोफे पर घुटने के बल बैठ गयी और मिस्टर गहलोत मेरे बगल खड़ा हो गया। मैं मजे से उसका लंड अपने हाथ से फेट फेट कर चूसने लगी। कुछ देर बाद गहलोत ने अपना माल मेरे मुँह पर छोड़ दिया। मैं उनका सारा माल पी गयी।

एक दिन रात में मेरा पति मेरे पास ही बिना कपड़ों के लेटा हुआ था, वह मुझे चोदने की तैयारी कर रहा था। बहनचोद!!….पता नही कैसे वह विडियो मेरे पति के हाथ लग गया। जैसे उसने मुझे बॉस से चुदवाते हुए देख लिया वह गांडू तुरंत गर्म हो गया।

“ऐ पायल! ये सब क्या है???” मेरा पति बोला

“क्या चीज…????” मैंने पूछा तो उसने मुझे विडियो दिखा दिया। बॉस मुझे पक पक करके चोद रहा था । “कमान ….फक मी हार्डर…..फक मी वेरी हार्ड!” मैं चिल्ला रही थी। मेरा बोस मिस्टर गहलोत मुझे धिंचक धिचक चोद रहा था। मैं अपनी कमर उछाल उछालकर मजे से चुदवा रही थी। “बोस !! चोद डालो…..मुझे चोद डालो….कसके!!” मैं विडियो में कह रही थी। दोस्तों वो विडियो देखकर मेरी तो गांड ही फट गयी।

“ पायल!! मैं तुमसे पूछता हूँ की ये सब आखिर क्या है….??? क्या ये सब काण्ड करने तुम ऑफिस जाती हो??” पति से पूछा

शुरू में तो बहुत कुछ जवाब ही नही दे पा रही थी। पति ने मुझे 3-4 थप्पड़ मेरे गाल पर जड़ दिया

“कामिनी!! अब क्या तुझे सांप सूंघ गया है……बोलती क्यूँ नही ये सब क्या काण्ड ऑफिस में करती है अपने बोस है….बोल!!” पति मेरे उपर गरज कर मारने दौड़ा

तभी मुझे जोर का गुस्सा आया और मैंने रोहित से कहा “सुन बे गांडू!! मेरे बोस ने मुझे पूरे 1 लाख 20 हजार दिए है मेरे शौक पूरे करने के लिए। तेरे जैसा छक्का और नामर्द नही है वह । तू गांडू तो बस 20 मिनट में झड़ जाता है…..पर मेरा बोस मुझे 3 -4 घंटे मेरी चूत मारता है। जो मर्द मेरे उपर पैसे खर्च करेगा मैं उससे खुलकर चुदवाउंगी!!” मैंने पति से लड़ते हुआ कहा। उस पूरे दिन हम मियां बीबी में झगड़ा होता रहा। किसी तरह मामला शांत हुआ। अब मैं सावधान हो गयी। मैंने बोस से कह दिया की मुझे चोदकर विडियो बना ले, पर खुद ही देखता रहे और मेरे पति को फॉरवर्ड करे। अब बोस मुझे जब भी ऑफिस में चोदता तो विडियो बना लेता, और मेरे पति को मेरा विडियो भेजता देता था।

मैंने बोस ने कुल 4 लाख रुपए वसूल कर लिए और उसने मुझे 6 महीने हर तरह से चोदा और मजा मारा। कुछ दिनों बाद उसने मेरी मुलाकात एक विधायक से करवाई । वह मेरी खूबसूरती पर मर मिटा था।

“पायल जी!! …..कहाँ आप 20 हजार की नौकरी कर रही है, हमारी पार्टी ज्वाइन कर लीजिये…..करोड़ो में आप खेलोगी!!” विधायक बोला। तो मैं वह नौकरी छोड़ दी और उस विधायक की पार्टी ज्वाइन कर ली। उसने मुझे रांची में पार्टी को और मजबूत करने को कहा। मैंने मेहनत से काम करने लगी।

एक दिन विधायक मुझे एक बड़े 5 स्टार होटल ले गया। और मुझे तरह तरह की रूमानी बाते करने लगा।

“ पायल जी….आप जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नही देखी। आज आप मुझे अपने रूप का रस पिला दीजिये। मैं आपको पार्टी में ऊँचा ओहदा दिला दूंगा। और रांची जनपद का आपको अध्यक्ष बना दूंगा। आपको पार्टी की तरफ से एक चार पहिया और रहने के लिए एक शानदार बंगला मिल जाएगा। 50000 रुपए की सैलरी मैं आपको हर महीना दिया करूंगा। बस …. पायल जी..आप आज मुझे अपने रूप का मीठा रस पिला दीजिये और बस खुलकर चुदवा लीजिये!!” विधायक बोला। पॉवर किसको अच्छा नही लगता। मैंने ये सोचकर अपनी साड़ी निकाल दी और ब्लाउस खोल दिया। विधायक ने मेरी ब्रा और पेंटी निकाल दी। मुझे नंगा देखकर वह तो मरा ही जा रहा था। वह मेरी उपर लेट गया और उसने मुझे बाहों में भर लिया।

मैं भी उसके होठ चूसने लगी। मैं बिना कपड़ों के किसी अफसरा जैसी लग रही थी। मेरी चूत बड़ी मस्त थी और दूध तो बेहद खूबसूरत थे। उस विधायक ने मुझे होटल के कमरे में बेड पर लिटा दिया। मेरे बगल वह लेट गया और मेरे मस्त मस्त शहद जैसे मीठे चूची वह पीने लगा। कोई 2 घंटा तक वह मेरे ३८” के चुचियों से खेलता रहा और मुँह में लेकर मेरे एक एक चुच्चे को पीता रहा। फिर वह मेरे पेट को चूमने लगा। कुछ देर बाद वह मेरी चूत पर आ गया और उसका दीदार करने लगा। उस ठरकी और चूत के पुजारी विधायक ने अपना मुँह मेरे भोसड़े पर रख दिया और मेरी गदराई हुई चूत पीने लगा। वह चूत की एक एक कली को बड़ी शिद्दत से पी रहा था। मेरे चूत के दाने को खींच खींच कर चूस रहा था और पी रहा था। फिर उसने अपना लंड मेरे भोसड़े में डाल दिया। विधायक ने अपनी ६० किलो की भारी तोंद मेरे पेट पर रख दी और मुझे चोदने लगा। मैं आ.. आ...आह... आह ….अई….अई…..उई.. उई ..आ.. ऊँ.. ऊँ ….करने लगी और पकापक उस विधायक से मैं चुदने लगी।

मैं होटल में कमरे में पूरी तरह से नंगी थी। कमरे के बाहर विधायक के बॉडीगार्ड थे जो जान रहे थे की मैं अंदर गम्म गम्म चुद रही थी। वह मेरे उपर हावी हो गया था। मेरी दोनों कलाई उसने कसके पकड़ रखी थी और इतनी जोर जोर से मुझे चोद रहा था की मैं बेड से उछली जा रही थी। मेरे बड़े बड़े चुची चुदाई से इधर उधर किसी घंटी की तरह हिल रहे थे। विधायक ने मुझे ढाई घंटे होटल के कमरे में चोदा और माल मेरे मुँह पर गिरा दिया। मुझे पेलने के बाद उसने मुझे रांची नगर का नगर अध्यक्ष बना दिया गया। कुछ दिनों बाद पता नही कैसे विधायक को किसी के मडर और किसी घोटाले में गिरफ्तार कर लिया और उस घोटाले में मेरे भी नाम सामने आया। मैं किसी तरह खुद को छुपा - छुपा कर इधर उधर भागने लगी । एक दिन में अपने पति से मिलने पहुंची तो मुझे उसने बदचलनी के कारण छोड़ दिया और मेरे बेटे को भी मुझे छीन लिया । अब मेरी पास रहने को ना तो मकान था और नही ज्यादा पैसे बचे थे तो मैं रांची से रोलकेला ( उड़ीसा ) पहुंच गई ।

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#50
पहले पार्ट यहीं खत्म होता है बहुत जल्दी दुसरे का ???
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#51
Good story
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#52
Sexxxxxy story. Please write on. Make it a long story. Give he different male to fullfill sexual hungers
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#53
Bhaii english me yati hinglish me likho to aur maja aayega
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