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Incest हॉस्टल रूम नं. 312
#1
आज से मैं एक नई कहानी शुरू करने जा रही हूँ। यह मेरा पहला ही प्रयास है तो कुछ गलती हो जाए तो माफ़ करना। इस कहानी का ख्याल मुझे जोकरजी की कहानी पढ़ने के बाद आया। मैं मेले जोकरजी से इसके लिए माफ़ी माँगना चाहूँगी। काफी दिन अपडेट का इंतज़ार करने के बाद भी कुछ update ना मिलने के कारण मैंने उसी कहानी के प्लॉट पर एक नई कहानी लिखने की कोशिश कर रही हूँ। तो कहानी शुरू करते हैं फिर.....
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#2
मुख्य पात्रों परिचय

१. शालिनी गुप्ता – ४२ साल की वो औरत जो २५ की लगती है
शालिनी गुप्ता। उम्र ४२ साल, लेकिन जब वो चलती है तो कॉलेज की कोई २५ साल की लड़की भी शर्मा जाए। उसकी त्वचा दूध-सी गोरी, एकदम चिकनी, बिना एक भी दाग या झुर्री के। लंबे घने काले बाल कमर से भी नीचे लहराते हैं, और जब वो बालों को एक तरफ़ करती है तो गर्दन की वो लंबी लाइन दिखती है जिसे चूमने को जी चाहता है। आँखें बड़ी-बड़ी, काजल की मोटी काली लाइन से घिरी हुईं, जो एक बार देख ले तो सीधे दिल में उतर जाती हैं। होंठ मोटे और गुलाबी, हमेशा हल्की गीली चमक लिए हुए, जैसे अभी-अभी किसी ने चूमा हो। फिगर ३६-२८-३८ का परफेक्ट ऑवरग्लास, मम्मे भरे हुए और ऊँचे, कमर इतनी पतली कि दो हाथों में समा जाए, और गांड इतनी गोल और भारी कि हर कदम पर थोड़ा हिलती है। वो जानती है कि उसका शरीर हथियार है, इसलिए कपड़े हमेशा टाइट और ट्रेंडी चुनती है, क्रॉप टॉप, लो-वेस्ट साड़ी, बॉडीकॉन ड्रेस, सब कुछ। बाहर से पतिव्रता औरत, अंदर से एक दबी हुई आग जो २० साल से सुलग रही है। 

[Image: grrg.jpg][Image: rgregr.jpg]

[Image: unnamed.jpg]

२. संजीव गुप्ता – ५५ साल का कामयाब पति
संजीव गुप्ता, ५५ साल, ५ फुट ६ इंच। सफ़ेद बाल, गोरा रंग, सख्त चेहरा, गहरी आवाज़। कुर्ता-पायजामा या सूट में हमेशा राजा जैसे लगते हैं। २५ साल पहले जब शालिनी से शादी हुई थी तो वो गरीब थे, आज अरबों का मालिक। शालिनी से आज भी प्यार करते हैं, लेकिन अब प्यार बिज़नेस मीटिंग्स के बीच फँस गया है। बिस्तर पर महीने में एक बार आते हैं, जल्दी से अपना काम खत्म करके सो जाते हैं, शालिनी की आहट भी नहीं सुनते। उन्हें पता है कि उनकी बीवी अभी भी मार्केट की सबसे हॉट औरत है, लेकिन वो खुद को बूढ़ा मानने लगे हैं। जब शालिनी साड़ी में आकर उनके सामने बैठती है और पल्लू सरक जाता है तो उनका लंड हिलता ज़रूर है, पर वो बस चुपचाप अख़बार उठा लेते हैं। उन्हें डर है कि अगर शालिनी कॉलेज गई तो कोई जवान लड़का उसकी तड़प देख लेगा।

[Image: fbsf.jpg]



३. राहुल गुप्ता – २२ साल का बेटा, माँ का गुप्त प्रशंसक
राहुल गुप्ता, २२ साल, ५ फुट ८ इंच, जिम बॉडी, हैंडसम चेहरा, हल्की दाढ़ी। कॉलेज में लड़कियाँ उसके पीछे पागल हैं, लेकिन घर आता है तो माँ के सामने बच्चा बन जाता है। वो जानता है कि उसकी माँ दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत है। बचपन से देखता आया है कि पापा की दोस्त कैसे मुँह बाए शालिनी को घूरते हैं। अब खुद भी कभी-कभी माँ को साड़ी बदलते देख लेता है तो उसका लंड खड़ा हो जाता है, वो शरमाता है, भाग जाता है, लेकिन रात को उसी सीन को याद करके मुठ मारता है। वो नहीं चाहता कि कॉलेज में कोई जाने कि शालिनी उसकी माँ है, क्योंकि वो खुद नहीं चाहता कि कोई और उसकी माँ को वैसी नज़रों से देखे। पर अंदर से उसे मज़ा भी आता है कि उसकी माँ अब भी इतनी हॉट है कि कोई भी 
पागल हो जाए। जलन भी है, और एक अजीब उत्तेजना भी।

[Image: dhr.jpg]

४. अभय – कॉलेज का राजकुमार, शालिनी का आने वाला शिकारी
अभय शर्मा, २२ साल, ६ फुट लंबा, तराशी हुई बॉडी, चौड़ी छाती, कटे हुए ऐब्स, मजबूत बाहें। सफ़ेद टी-शर्ट में उसका शरीर ऐसा लगता है जैसे किसी ग्रीक मूर्ति को ज़िंदा कर दिया हो। चेहरा शाहरुख और रणबीर का मिक्स, हल्की मुस्कान जो लड़कियों की पैंटी गीली कर देती है। कॉलेज का टॉपर, लेकिन शांत और मददगार।

[Image: rehre.jpg]

५. सनी – कॉलेज का विलेन, खूंखार और भूखा
सनी मल्होत्रा, २३ साल, ६ फुट, मसल्स वाली बॉडी, टैटू भरी बाजुएँ, कटी हुई दाढ़ी, आँखें हमेशा लाल। चार साल से कॉलेज में, दो बार फेल, लेकिन पापा मंत्री हैं, कोई कुछ नहीं बोलता। लड़कियों को पकड़कर ब्लैकमेल करता है, न्यूड फोटो, सेक्स वीडियो। उसकी गैंग छह लोग, सब उसके गुलाम। जब उसने शालिनी को देखा तो मुँह से लार टपकी। उसके लिए शालिनी सिर्फ़ एक नया शिकार है, जिसे वो तोड़कर रख देगा।

[Image: rehe.jpg]

६. रुचि – शालिनी की नॉटी रूममेट
रुचि शर्मा, २० साल, छोटे बॉब कट बाल, ३४-२६-३६ फिगर, हमेशा शॉर्ट्स और टैंक टॉप में। बोलती बहुत है, गंदे जोक्स मारती है, सेक्स की बातें खुलकर करती है। वो शालिनी को उकसाएगी, सिखाएगी, और शायद खुद भी उसके साथ कुछ करना चाहेगी।

[Image: gwe.jpg]

७. श्रुति – शालिनी की पढ़ाकू रूममेट
श्रुति मेहता, २१ साल, चश्मा, सलवार-कुर्ती, स्लिम फिगर, चुपचाप। पढ़ाई पहले, बाकी बाद में। लेकिन शालिनी को देखकर वो भी हैरान है। वो शालिनी को बचाने की कोशिश करेगी, लेकिन धीरे-धीरे खुद भी उसकी खूबसूरती में डूबने लगेगी।

[Image: rwhwehre.jpg]

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घर की आखिरी शाम
(घर से हॉस्टल जाने से एक रात पहले – गुरुग्राम, गुप्ता हवेली, शाम ७ बजे से रात १२ बजे तक)
बारिश शुरू हो चुकी थी।
बड़े-बड़े काँच के शीशों पर पानी की लकीरें सरक रही थीं, जैसे कोई बाहर से अंदर झाँकना चाहता हो। लिविंग रूम में एसी की ठंडी हवा चल रही थी, लेकिन हवा में एक अजीब गर्मी थी। महोगनी की बड़ी टेबल पर चाँदी का ट्रे रखा था – दो कप अदरक वाली चाय, गरमा-गरम, और बीच में गुलाब जामुन की प्लेट, जिनकी मिठास अभी भी हवा में घुल रही थी।
शालिनी सोफे के एक कोने पर बैठी थी।
उसने आज लाल-मरून जॉर्जेट की साड़ी चुनी थी – पतली वाली, इतनी पतली कि उसकी काली लेस वाली ब्रा का साया भी दिख रहा था। ब्लाउज़ टाइट, गला गहरा, मम्मे साँस लेते हुए हल्के-हल्के ऊपर-नीचे हो रहे थे। पल्लू जान-बूझकर थोड़ा ढीला छोड़ा था, ताकि हर बार साँस लेते ही वो सरके और गहरी क्लीवेज झलक जाए। कमर में साड़ी इतनी नीचे बंधी थी कि नाभि की गहरी गड्ढी पूरी नंगी थी। लंबे बाल खुले थे, एक तरफ़ कंधे पर लहराते हुए। काजल की मोटी लाइन, लाल लिपस्टिक, और हाथों में चूड़ियाँ जो हर हरकत पर छनक रही थीं। वो जानती थी कि आज उसे मनाना है।
संजीव सामने वाले सोफे पर बैठे थे। सफेद कुर्ता-पायजामा, चश्मा नाक पर टिका हुआ, अखबार हाथ में। लेकिन उनकी नज़रें बार-बार शालिनी की तरफ़ उठ रही थीं। वो देख रहे थे कि पल्लू फिर सरका है, मम्मों की गोलाई साफ़ दिख रही है। उनका लंड हल्का सा हिला, लेकिन वो अखबार में छुप गए।
शालिनी ने धीरे से पैर मोड़ा और फर्श पर बैठ गई – ठीक संजीव के सामने, घुटनों के बल। साड़ी का पल्लू और नीचे सरक गया। अब ब्लाउज़ का पूरा गला खुला हुआ था। वो संजीव का हाथ पकड़कर अपनी जाँघ पर रख दिया।
“संजीव जी…” उसकी आवाज़ में वो पुरानी मिठास थी, जो सुहागरात के बाद कभी नहीं आई थी। “मुझे जाना है। सच में जाना है। बीस साल हो गए। मुझे भी अपनी ज़िंदगी जीनी है।”
संजीव ने अखबार नीचे रखा। उनकी नज़र शालिनी के होंठों पर अटक गई।
“शालिनी… तुम्हारी उम्र हो गई है। लोग क्या कहेंगे? और राहुल का ही कॉलेज… कोई पहचान लेगा तो?”
शालिनी ने अपना सिर संजीव की जाँघ पर टिका दिया। उसके लंबे बाल संजीव के कुर्ते पर फैल गए।
“लोग क्या कहेंगे? मैंने अपनी सारी जवानी आपकी खुशी के लिए काट दी। एक बार… सिर्फ़ एक बार… मुझे आज़ादी चाहिए।”
संजीव की साँसें तेज़ हो गईं। शालिनी का गाल उनकी जाँघ पर रगड़ रहा था। वो जानबूझकर ऐसा कर रही थी। उसका हाथ धीरे से संजीव की जाँघ पर ऊपर सरक रहा था।
“प्लीज़…” उसने फुसफुसाया, होंठ संजीव की जाँघ से सिर्फ़ एक इंच दूर।
संजीव ने उसका चेहरा ऊपर उठाया। शालिनी की आँखें नम थीं, लेकिन उसमें एक चमक थी।
“ठीक है… जा। लेकिन राहुल के साथ ही। वहीँ हॉस्टल में। उसका खयाल भी रहेगा, तेरा भी।”
शालिनी का चेहरा चमक उठा। उसने झट से संजीव के गाल पर किस कर दिया। होंठ गीले थे, लिपस्टिक का निशान पड़ गया।
“थैंक यू… लेकिन मैं गर्ल्स हॉस्टल में रहूँगी। राहुल बॉयज़ में है ना? घर तो दूर है।”
संजीव ने कुछ नहीं कहा। बस उसकी कमर पर हाथ फेरा और फिर उठ गए।
रात के दस बज रहे थे।
राहुल कमरे में घुसा। टी-शर्ट और ट्रैक पैंट्स में। उसने माँ को देखा – साड़ी में, बाल खुले, होंठ लाल। उसका दिल धक् से रह गया।
“मॉम… तुम सच में जा रही हो?”
शालिनी ने मुस्कुराकर उसके गाल पर हाथ फेरा।
“हाँ बेटा। अब तू बड़ा हो गया है। मुझे भी कुछ करना है।”
राहुल का चेहरा लाल हो गया। वो माँ की कमर देख रहा था, नाभि देख रहा था।
“प्लीज़… कॉलेज में किसी को मत बताना कि तुम मेरी माँ हो। सब हँसेंगे। बोलना… दूर की मौसी हो।”
शालिनी हँस पड़ी। उसने राहुल का माथा चूमा।
“ठीक है बेटा। तेरी माँ अब तेरी मौसी बन जाएगी।”
राहुल चला गया।
शालिनी अकेली रह गई।
रात के ग्यारह बज रहे थे।
संजीव दूसरे कमरे में सो चुके थे। शालिनी अपने बेडरूम में थी। लाइट बंद। सिर्फ़ बेडसाइड लैंप की पीली रोशनी। वो बेड पर लेटी थी। साड़ी उतार चुकी थी। सिर्फ़ ब्लाउज़ और पेटीकोट। उसने धीरे से ब्लाउज़ के बटन खोले। ब्रा के ऊपर से मम्मे दबाए। निप्पल्स सख्त हो गए।
फिर पेटीकोट ऊपर किया। पैंटी के ऊपर से चूत पर हाथ फेरा।
गीली थी। बहुत गीली।
उसने फोन निकाला। पुरानी फोटो खोली – कॉलेज की। वो और विक्रम। इंडिया गेट पर।
उसने आँखें बंद कीं।
उँगलियाँ पैंटी के अंदर चली गईं।
धीरे-धीरे।
विक्रम का का चेहरा याद आया। 
उसकी साँसें तेज़ हो गईं। दो मिनट में झड़ गई।
पहली बार इतनी तेज़ी से।
फिर रो पड़ी।
“मैं क्या कर रही हूँ……”
लेकिन नीचे फिर से गीला हो रहा था।
रात के बारह बज चुके थे।
शालिनी ने सूटकेस बंद किया।
लाल क्रॉप टॉप और हाई-वेस्ट जींस रखी थी कल के लिए।
वो आईने के सामने खड़ी हुई।
क्रॉप टॉप पहना। नाभि नंगी।
फिर मुस्कुराई।
“कल से… नई ज़िंदगी।”

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#3
गर्ल्स हॉस्टल, रूम ३१२

[Image: generated-video.gif]


कार से उतरने के बाद शालिनी ने ठीक वही किया जो मैंने पहले लिखा था – गेट, फव्वारा, सीढ़ियाँ, हर कदम पर मम्मों का उछाल, लड़कों की नज़रें। वो सब वैसा ही रहा।
अब रूम में एंट्री से शुरू करते हैं, एकदम आराम से, हर शब्द में कामुकता और टेंशन।
दरवाज़ा आधा खुला था।
अंदर अरिजीत की “तुम ही हो” बहुत धीमी चल रही थी।
शालिनी ने हल्के से खटखटाया और अंदर कदम रखा।
हील्स की ठक।
दोनों लड़कियाँ एक साथ मुड़ीं।
रुचि बेड पर लेटी थी – सिर्फ़ काली स्पोर्ट्स ब्रा और ग्रे कलर की इतनी छोटी शॉर्ट्स कि गांड का आधा हिस्सा बाहर था। उसकी टाँगें ऊपर उठी हुई थीं, उँगलियों से खेल रही थी। ब्रा में उसके निप्पल्स साफ़ उभरे हुए थे। वो शालिनी को देखकर एकदम कूदकर उठी।
“ओये होये होये…!!! ये कौन चंद्रमा उतर आया?!”
रुचि ने शालिनी के दोनों कंधों पर हाथ रखे, ऊपर से नीचे तक घूमकर देखा। उसकी नज़रें शालिनी के मम्मों पर रुकीं, फिर नाभि पर, फिर जींस के वी-शेप पर।
“नाम क्या है सेक्स बॉम्ब?”
“शालिनी…” शालिनी ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा।
रुचि ने उसका हाथ पकड़ा और बेड पर खींचकर बिठा दिया।
“बैठ यहाँ मेरे पास। श्रुति ये देख, हमारी रूम में मालगाड़ी आ गई है!”
श्रुति चश्मा ठीक करते हुए शरमाई, “रुचि… शर्म करो यार। हाय शालिनी, मैं श्रुति।”
रुचि ने शालिनी की जाँघ पर हाथ रख दिया – बिल्कुल नॉर्मल जैसे, लेकिन उँगलियाँ हल्की सी अंदर की तरफ़ सरका रही थीं।
“तो बता ना दी… बॉयफ्रेंड है कि नहीं? या अभी तक किसी ने तेरी ये कमाल की बॉडी को टच भी नहीं किया?”
शालिनी हँस दी, लेकिन उसकी साँसें एक पल को रुक गईं।
“अरे अभी तक तो कोई सीरियस वाला नहीं…”
रुचि ने होंठ चबाए।
“सच्ची? मतलब तू वर्जिन है???”
उसने अपनी उँगलियाँ शालिनी की जाँघ पर और ऊपर सरकाईं।
श्रुति ने किताब पटकी, “रुचि!! पहली मुलाकात में ही इतनी गंदी बातें? शर्म नहीं आती?”
रुचि ने जीभ निकाली।
“अरे यार श्रुति तू तो नन बनके रह जाएगी। मैं तो बस जानना चाहती हूँ कि इतनी हॉट लड़की सिंगल कैसे है? दी, सच बता… कोई तो होगा ना जो रात को वीडियो कॉल पर तेरे मम्मे दबाता होगा?”
शालिनी ने हल्का सा रिएक्ट किया – उसकी साँसें तेज़ हुईं, निप्पल्स ब्रा में सख्त हो गए।
“नहीं रे… सच में कोई नहीं है।”
(मन ही मन: “झूठ बोल रही हूँ… शादी है, बच्चा है… लेकिन आज से ये राज़ दफ़न है।”)
रुचि ने शालिनी के बालों में उँगलियाँ फेर दीं।
“तेरे बाल तो कमाल के हैं… बॉयफ्रेंड होता तो रोज़ पीछे से पकड़कर…”
श्रुति ने तकिया फेंका, “बस कर रुचि!!!”
रुचि हँस पड़ी और केतली ऑन करने चली गई।
शालिनी ने सूटकेस खोला।
धीरे-धीरे कपड़े निकालने लगी।
रुचि पीछे से झाँक रही थी। जब लाल लेस वाली थॉन्ग निकली तो उसने चिल्लाया,
“अरे वाह! ये तो मेरी वाली से भी गंदी है! ये पहनकर तू किसी के लंड पर बैठने वाली है ना?”
शालिनी शरमा कर हँस दी, लेकिन उसकी चूत में हल्की सी गुदगुदी हो गई।
श्रुति ने सिर पकड़ लिया, “ये लड़की सुधरेगी नहीं।”
दोपहर ढाई बजे।
शालिनी ने कहा, “मैं कपड़े बदल लूँ?”
रुचि की आँखें चमक उठीं, “हाँ हाँ ज़रूर! हम देखेंगे!”
शालिनी ने पहले क्रॉप टॉप उतारा।
धीरे से, सिर के ऊपर से।
ब्रा में उसके मम्मे उछल कर बाहर आए – काली लेस वाली, निप्पल्स साफ़ उभरे हुए।
रुचि की साँस रुक गई।
“फक… इतने परफेक्ट बूब्स?”
फिर जींस की बटन खोली। ज़िप नीचे की। धीरे-धीरे जींस नीचे सरकाई।
थॉन्ग में उसकी गांड पूरी नंगी। गोल, भरी हुई, बीच में पतली स्ट्रिंग।
रुचि ने सीटी मार दी।
श्रुति ने मुँह फेर लिया, लेकिन चोरी से देख रही थी।
शालिनी ने स्लीवलेस ब्लैक नाइट स्लिप पहनी – बहुत छोटी, गांड को बस ढकती हुई। ब्रा-पैंटी उतारकर नंगी होकर स्लिप में घुसी।
रुचि ने ताली बजाई, “दी, तू तो यहाँ की क्वीन बनने वाली है!”
शालिनी बेड पर लेट गई।
“थोड़ा आराम कर लूँ”




शाम साढ़े छह बजे।
सूरज अब सिर्फ़ एक लाल गोला रह गया था, जो धीरे-धीरे ढल रहा था। हवा में गर्मी और ठंडक का मिश्रण था।
शालिनी काले सिल्क की नाइट स्लिप में बालकनी में निकली।
स्लिप इतनी पतली कि उसके निप्पल्स की उभरी हुई शेप साफ़ दिख रही थी। नीचे कुछ नहीं। हवा का हर झोंका स्लिप को ऊपर उड़ा रहा था।
वो रेलिंग से टिक गई।
[Image: shopping.webp]
[Image: unnamed.jpg]
[Image: fbdf.jpg]

दोनों हाथ लोहे पर। कमर थोड़ा झुकाकर।
हवा ने फिर स्लिप उड़ाई – गांड पूरी नंगी।
वो रुक गई।
(मन ही मन) “देखो… जो देखना है देख लो। आज कोई मुझे फिर से औरत बनाए।”
दूर बॉयज़ हॉस्टल।
अभय खड़ा था। सिगरेट मुंह में।
उसकी नज़र पड़ी।
सिगरेट हाथ से गिरी।
उसका लंड पैंट में उछला।
शालिनी ने महसूस किया।
वो धीरे से मुड़ी।
पहली बार उसकी नज़र अभय पर पड़ी।
वो रुक गई।
दूर से।
तीस मीटर।
लेकिन दोनों को लगा जैसे एक फुट।
शालिनी ने उसे ध्यान से देखा।
एक सेकंड।
दो।
तीस।
उसकी आँखें अभय के चेहरे पर, फिर छाती पर, फिर नीचे पैंट पर – जहाँ उभार साफ़ था।
उसकी साँसें तेज़ हो गईं।
(मन में सैलाब शुरू हुआ)
“ये कौन है…?
इतनी दूर से भी… ऐसा क्यों लग रहा है जैसे उसने मुझे छू लिया हो?
उसकी आँखें… इतनी भूखी क्यों हैं?
क्या वो भी मेरी तरह… तड़प रहा है?
नहीं शालिनी… तू माँ है… पत्नी है…
लेकिन… लेकिन ये गर्मी… ये चूत में ये खुजली… बीस साल बाद फिर से क्यों?”
सैलाब बढ़ता गया।
उसकी चूत से गर्मी नीचे उतरने लगी।
उसने होंठ काटा।
फिर अचानक नज़रें फेर लीं।
जैसे कुछ हुआ ही न हो।
लेकिन आँखों के कोने से चोरी-चोरी देखती रही।
अभय अभी भी खड़ा था।
उसने अपना लंड पैंट के ऊपर से दबाया।
शालिनी की साँसें और तेज़।
(मन में) “भगवान… ये क्या हो रहा है मुझे…
मैं तो बस पढ़ने आई थी…
फिर ये सब…?”
सैलाब अब इतना तेज़ हो गया कि वो और नहीं सह पाई।
वो झटके से मुड़ी।
स्लिप नीचे की।
और कमरे में चली गई।
दीवार से पीठ टिकाई।
रुचि बेड पर लेटी थी। मोबाइल चला रही थी।
उसने शालिनी को देखा – चेहरा लाल, साँसें तेज़।
“क्या हुआ दी? चेहरा इतना लाल क्यों है?”
शालिनी ने कुछ नहीं कहा। बस पानी का ग्लास लिया और पीने लगी।
रुचि उठकर आई। शालिनी के कंधे पर हाथ रखा।
“बोल ना… पास में ही बॉयज़ हॉस्टल है ना? कोई दिख गया क्या?”
उसने हल्के से शालिनी की कमर पर उँगली फेरी। “कोई हॉट लड़का? बता ना… मैं भी देखूँगी!”
शालिनी ने ग्लास नीचे रखा।
“कुछ नहीं… बस गर्मी लग रही थी।”
रुचि ने मुस्कुरा कर कहा,
“गर्मी तो लगेगी दी… ऐसे सेक्सी कपड़े पहनकर बालकनी में खड़ी होगी तो लड़के मर जाएँगे। अगली बार कुछ और पहनकर जाना… वरना कोई कूदकर आ जाएगा!”
शालिनी हल्के से हँस दी।
लेकिन अंदर सैलाब अभी भी चल रहा था।
वो बेड पर लेट गई।
आँखें बंद कीं।
उसका का चेहरा।
उसकी नज़र।
उसका उभार।
वो धीरे-धीरे… अनचाहे ही… फिर से गीली हो गई।
हाथ अपने आप नीचे गया।
स्लिप के अंदर।
चूत पर।
वो पूरी तरह गीली थी।
उसने दो उँगलियाँ अंदर डालीं।
धीरे से।
आँखें बंद।
उसका का चेहरा याद किया।
और सिर्फ़ दस सेकंड में झड़ गई।
पैर काँप रहे थे।
रुचि और श्रुति बाहर गए हुए थे।
शालिनी अकेली।
उसने तकिया मुँह पर दबाया और रोने लगी।
खुशी के आँसू और डर के।

[Image: tumblr-n87sjuucz-W1s7u3gao1-500.gif]
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#4
Sahi ja rahe ho
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#5
मस्त मस्त
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