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Adultery Payal Ghosh - innocent wife
#21
very nice update par itne fast sex sense...
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#22
इस कहानी में थोड़ी बदलाव करना चाहता हूं जिससे आप सभी आनंद ले सकं 

और कमेंट जरूर करें
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#23
थोड़ा जल्दी पोस्ट करे आगे की कहानी
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#24
why dont u write in english fonts?
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#25
Update 2 ......बड़े जेठ जी...

[Image: FB-IMG-1763681675114.jpg]
[Image: FB-IMG-1763681671307.jpg]
coin toss decision maker

यह एक पूर्णतः काल्पनिक कहानी है, जो भारत के एक  परिवार पर आधारित है।

सगाई के पांच दिन पहले , रात में छत पर सोने के दौरान

मैं नींद में थी, तभी मुझे महसूस हुआ कि मेरे पति ने मेरे दोनों हाथों को पकड़ा हुआ है और अपने पैरों से मेरे पैरों को भी जकड़ रखा है. तभी मेरी आँखें खुलीं तो देखा मेरा पति मेरे सामने सोया हुआ था और हम दोनों के बीच मेरा बेटा दीप था और एक डर के चलते मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया. मेरे जो पीछे सोया था वह मेरे बड़े जेठ जी थे जो मेरे पूरे बदन पर हाथ फेर रहे थे और बड़बड़ा रहे रहे थे- पायल रानी, तुम्हें जब पहली बार देखा था, तभी से तुम मुझे बहुत पसंद आ गई थीं. तुम्हें चोदने का, चखने का मेरा हमेशा से एक सपना रहा था. इस मौके का मैं आज फायदा उठाऊंगा, आज मैं तुम्हें जबरदस्त चोदूंगा और तुम्हें मुझे सहन करना पड़ेगा.

( मेरे ससुर के गुजर जाने के बाद  मेरे बड़े जेठ जी ने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर मिल में काम करने लगे थे. उन्होंने बहुत मेहनत करके मेरे पति को पढ़ाया, मेरे पति की पढ़ाई के लिए बड़े जेठ जी ने शादी तक नहीं की. मेरे पति उनकी बहुत इज्जत करते थे. अच्छी पढ़ाई की वजह से मेरे पति की अच्छी नौकरी लग गयी. मेरे बड़े जेठ अभी गांव में ही रहते थे. )

मेरे पति ने शादी की पहली ही रात में मुझे उनके भाई के बारे में बता दिया था. उनको अपने बड़े भाई के त्याग का अहसास था, हमारी जितनी भी प्रगति हुई थी, बड़े जेठ जी के वजह से ही हुई थी. रोहित हमेशा बड़े जेठ जी का ख्याल रखते थे और उनकी यही इच्छा थी कि मैं भी उनका उतना ही ख्याल रखूँ.

मेरे मायके की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी, इसलिए अच्छा कमाने वाला पति मिलना, मैं अपना भाग्य समझती थी. इन सभी वजहों से भी मैं उनकी इच्छा का अनादर नहीं करना चाहती थी.

शादी के कुछ दिन तक तो सब ठीक था, पर थोड़े ही दिनों बाद उन्होंने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया.

मैं जब भी ससुराल आती तो साड़ी ही पहनती थी, ससुराल में गाउन पहनना मेरे पति को पसन्द नहीं था. ( ससुराल में काम करते वक्त कभी कभी पल्लू अपनी जगह पर नहीं रहता था, कभी पेट खुला पड़ जाता, तो कभी ब्लाउज में से स्तन दिखने लगते थे. ) मेरे बड़े जेठ जी की नजर मेरे पर ही रहती थी. उनको इस बात का इन्तजार रहता था कि कब मेरा पल्लू सरके और मेरी जवानी का खजाना उन्हें देखने को मिले.

आजकल दो तीन दिन से मेरे पति सगाई के काम से बहुत ज्यादा व्यस्त थे, तब से मैं डर डर कर ही रह रही थी. पर जिस बात का मुझे डर था, वही आज रात  मेरे साथ हो रहा था.

अब आगे.....

जेठ जी कह रहे थे- आज मैं तुम्हें जबरदस्त चोदूंगा और तुम्हें सब सहन करना पड़ेगा. और एक सफ़ेद चादर मुझे उड़ा दिया ( मेरे गर्दन तक ) और खुद भी ओढ़ लिया गर्दन तक।

बड़े जेठ का हाथ मेरे कपड़ों की तरफ बढ़े, उन्होंने मेरा पल्लू मेरे सीने से पहले ही अलग कर दिया था. अब वह मेरे गोरे सपाट पेट पर हाथ घुमा रहे चादर के अंदर ।  मेरे पति सामने होने के कारण न तो मैं विरोध कर सकती थी और ना ही मैं चिल्ला सकती थी. बस आँखों से उनसे मुझे छोड़ देने की विनती कर रही थी.

कुछ देर के बाद बड़े जेठ ने अपना हाथ मेरे सीने पर रखा, कुछ देर मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरे चूची मसलने के बाद उन्होंने मेरे ब्लाउज के हुक खोलना शुरू कर दिए. दो तीन हुक खोलने के बाद उन्होंने ब्लाउज के हुक खोल कर सामने से उसे मेरे चूची के ऊपर से हटा दिया और मेरी ब्रा ऊपर कर दी. मेरे गोरे गोरे गोल गोल चूचियां चादर के अंदर नंगे हो गए, उन्होंने मेरे पूरा खजाना आनन्द लेने के लिए खुद के सिर को भी चादर के अंदर घुसा लिया . मेरे दोनों चूचियों को अच्छे से चूसने दबाने के बाद उनका हाथ फिर से मेरे पेट पर बंधी साड़ी पर गया.

मेरे पति मेरे सामने दूसरी तरफ सोया था , ऐसे भी पांच दिन से मेरी भी चुदाई नहीं हुई थी और उनकी कामुक हरक़तों की वजह से मेरी कामवासना भी जागृत होने लगी थी.

बड़े जेठ जी ने मेरी साड़ी खींच खींच कर मेरी बदन से अलग की, फिर पेटीकोट का नाड़ा ढीला करके पेटीकोट भी सरकाकर नीचे कर दिया. अब मेरा एकमात्र वस्त्र मेरी पैंटी मेरी इज्जत ढके हुए थी. फिर उन्होंने मेरा पेटीकोट और मेरी पैंटी दोनों को मेरी शरीर से अलग कर दिए.

थोड़ी देर मेरे नंगे बदन को आंखें फाड़कर देखने के बाद मेरे बड़े जेठ मेरे पैरों की ओर बढ़े, ( यह सब एक सफ़ेद चादर के नीचे खेल हो रहा था )  उन्होंने मेरे पैरों की उंगलियों को अपने मुँह में लेकर के चूसना शुरू कर दिया. अब तो मेरी चुत में गुदगुदी होने लगी. जेठ जी धीरे धीरे ऊपर सरकते हुए मेरे पैरों को सहलाने और चूमने लगे. इसके बाद वे मेरी जांघों तक पहुंच कर मेरी जांघों को चूमने सहलाने लगे. मेरे पूरे शरीर में कामुक लहरें दौड़ रही थीं, पर पति के पास होने के कारण मेरे मुँह से सिसकारियां नहीं निकल पा रही थीं.

अब उन्होंने अपने हाथ मेरे त्रिकोणीय क्षेत्र पे ले जाते हुए, मेरी चुत को छेड़ना शुरू कर दिया. उनकी उंगलियों के उस खुरदरे स्पर्श से मेरी चुत पानी छोड़ने लगी. बड़े जेठ जी अपनी एक उंगली मेरी चुत में डालकर अन्दर बाहर करने लगे, साथ में मेरी चुत के दाने को भी उंगलियों से छेड़ने लगे. बड़े जेठ जी अपनी उंगली को गोलाकार घुमाते हुए मेरी चुत के अन्दर बाहर करने लगे.

बड़े जेठ जी भी मेरा नंगा बदन देखकर गर्म हो गए थे,  उन्होंने लेटे - लेटे ही अपनी लुंगी खोल दी. मुझे चोदने के इरादे से आये हुए मेरे बड़े जेठ जी ने अन्दर अंडरगारमेंट्स भी नहीं पहने हुए थे. उनका लंड पूरा तनकर खड़ा था और बड़े जेठ जी बेशर्मों की तरह उसे हाथ में लंड लेकर लेटे - लेटे ही हिला रहे थे.और बोले -

बड़े जेठ जी - देख पायल रानी, देख मेरा लंड … है ना तेरे पति से बड़ा? तुझे बहुत पसंद आएगा ये!

मैं आंखें बड़ी करके उनके लंड को देख रही थी, सच में उनका लंड मेरे पति से बड़ा और लंबा था. सच बोलूं तो उनका रसीला लंड देख कर मेरे मुँह में और मेरी चुत में पानी आने लगा था. इतना बड़ा लंड बड़े जेठ जी मेरी चुत के अन्दर डालकर मुझे जमकर चोदेंगे, इसी बात से ही मैं खुश हो रही थी, पर मैं ऊपर ऊपर से डर और नाराजगी जाहिर कर रही थी.


बड़े जेठ जी मेरी जांघों के ऊपर मुझे चोदने की पोजीशन में लीटा दिया और वह अपने एक हाथ से मेरी चुत को चौड़ी करके उसमें अपना लंड धीरे धीरे पेलने लगे. जैसे जैसे उनका लंड मेरी मुनिया ( चुत ) में घुस रहा था, वैसे ही मेरी चुत खुलने लगी थी. उनका बड़ा लंड मेरी चुत के दीवारों से रगड़ खा रहा था. मेरे पूरे शरीर पर रोंगटे खड़े हो रहे थे.


धीरे धीरे करके बड़े जेठ जी ने अपना पूरा लंड मेरी चुत में पेल दिया और अब वे चूत में हल्के हल्के धक्के लगाने लगे. लंड ने चूत की चिकनाई से अपनी जगह बना ली तो बड़े जेठ जी ने धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ा दी. उनके हर धक्के के साथ मेरे चूची उछल कूद कर रहे थे. बड़े जेठ जी अपनी कमर को एक लय में धक्के दे रहे थे.

कुछ ही देर बाद मेरी वासना के ज्वालामुखी फट पड़ा और मैं ज़ोरों से छूट पड़ी. मेरी पानी का जोर इतना था कि उसकी वजह से उनका लंड चुत से सटक कर बाहर आ गया. बड़े जेठ जी ने फिर से अपने लंड को मेरी चुत के अन्दर डाल दिया और जोश से धक्के देने लगे. मेरी चुत की गर्मी में उनका टिक पाना भी मुश्किल लग रहा था. फिर एक जोर के धक्के के साथ उन्होंने अपना लंड जड़ तक अन्दर डाल दिया और झड़ने लगे.

तेज गर्म वीर्य की पिचकारियां मेरी चुत के अन्दर गिरने लगीं. मेरी चुत भी उस गर्मी को सहन नहीं कर सकी और फिर एक बार फूट फूट कर झड़ने लगी.

चुदाई के बाद थकान हो जाने की वजह से बड़े जेठ जी मेरे शरीर पर ही पड़े रहे. कुछ ही देर में उनका लंड सिकुड़ने की वजह से बनी हुई जगह से हम दोनों का कामरस ( वीर्य ) बहकर नीचे चादर गीली कर रहा था.

कुछ देर बाद बड़े जेठ जी मेरे बदन पर खिसका कर बगल में लेटकर अपना कामरस ( वीर्य ) से सना हुआ लंड मेरी पैंटी से साफ किया. अब वे मुझसे बोले- पायल रानी, आज मेरी बहुत दिनों की इच्छा पूरी हो गई. माफ करना, तुम्हें थोड़ी तकलीफ दी, पर दूसरा कोई चारा नहीं था.

जेठ जी ने अपने कपड़े लेटे - लेटे पहने फिर मुझे देखकर मुस्कुराकर जाने लगे.

मैं उनकी हाथ पकड़ कर वहीं रोका और उनके कान में बोली ,  बड़े जेठ जी मैं भी यह बात मैं आपके सामने कबूल करना चाहती हूं कि आपके इस जबरदस्त सेक्स में मुझे अलग ही मजा मिला. मेरे पति भी मुझे अच्छा चोदते हैं, पर आज जैसा मजा मुझे पहली बार मिला है. कल रोहित घर से बाहर रहेंगे, आप कल रात आ जाना. कल मैं खुद अपनी मर्जी से आप को साथ दूँगी.

मेरी बातें सुनकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, उन्होंने मुझे किस कर लिया. बड़े जेठ जी बोले- पायल तुम्हारी बातें सुनकर मैं खुशी से पागल ना हो जाऊं. आज रात मेरी ड्यूटी है, नहीं तो तुम्हारी और एक बार चुदाई करता, पर कोई बात नहीं कल रात मैं काम से छुट्टी ले लूंगा. कल पूरी रात तुम्हारी जमकर चुदाई करूँगा.
यह कहकर बड़े जेठ जी मुझे किस करके और मेरे चूची सहला कर चले गए. मैं भी चुदाई के नशे में सो गई.

दूसरे दिन मैं देर से उठी. पूरे दिन मैं खुश थी, आज रात मेरा बडे़ जेठ मेरी मर्जी से मुझे उनके बड़े लंड से जमकर चोदेगा, इसी ख्याल से ही पूरे दिन मेरी चुत गीली होती रही.

घर के कामों में दिन गुजर गया और रात हो गयी,आज मैं कमरे में वाली थी । मैं बेड पर बैठे बड़े जेठ जी का इंतजार कर रही थी. उतने में बड़े जेठ जी आये और मेरे पास बैठ गए- पायल , कल रात के लिए मुझे माफ़ कर दो.
मैं- बड़े जेठ जी, मैंने आपको तो कब का माफ कर दिया है, अब मुझे आपके मूसल लंड से मेरी चुत की कुटाई करवानी है, जल्दी से आ जाओ, अब मुझे मत तरसाओ.
बड़े जेठ जी - पायल अभी नहीं, आज मैं तुम्हें अच्छे से और बड़े ही प्यार से चोदना चाहता हूं.. जिसमें हम दोनों को मजा आए.

उन्होंने पहले मेरे बालों पर हाथ फेरे, फिर मेरे सिर को अपने हाथों में पकड़ते हुए मेरे होंठों पर किस करने लगे. धीरे धीरे होंठों को चूमते हुए उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल दी. मैंने भी अपनी जीभ को हरकत में लाते हुए उनकी जीभ से खेलने लगी. हम दोनों पूरे जोश में एक दूसरे के जीभ और होंठों को चूस रहे थे. उन्होंने मेरे पल्लू को मेरे सीने पर से हटाया और मेरे ब्लाउज के हुक्स खोलने लगे. मेरा ब्लाउज हाथों से पूरा उतारकर उन्होंने मेरी ब्रा भी उतार दी.

बड़े जेठ जी बड़े ही उतावले हो गए थे, मुझसे फोरप्ले करने की बजाए, वह मुझे जल्द से जल्द नंगी करने पर तुले थे. मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी. बड़े जेठ जी को शायद मेरे गोल गोल गोरे चुचियों बहुत पसंद आ गए थे, वह बारी बारी मेरे चूची को चूस रहे थे और सहला रहे थे. उनके मर्दाना हाथों से हो रही मेरे चूची की मालिश की वजह से मेरी चुत पूरी गीली हो गई थी.

मैं सिसकारियां लेते हुए बोली- आहहह … बड़े जेठ जी बहुत अच्छे और जोर से मसलो, बहुत अच्छा लग रहा है!
अब वो और भी जोश में मेरे चूची को मसलने और चूसने लगे. इससे मेरी चुत में खलबली मची हुई थी, मैं अपनी जांघों को एक दूसरे पर रगड़ रही थी.

धीरे धीरे बड़े जेठ जी नीचे की ओर बढ़े, मेरी नाभि पर किस करते हुए अपनी जीभ को नाभि पर गोल गोल घुमाने लगे. बड़े जेठ जी ने अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए मेरी साड़ी खोल दी, फिर पेटीकोट की गांठ खोलते हुए साड़ी और पेटीकोट एक साथ ही नीचे सरका दिया.

बड़े जेठ जी - पायल , तुम भी बहुत गर्म हो गयी हो, अपनी पैंटी का हाल तो देखो.
मैंने अपना हाथ मेरी पैंटी के ऊपर रखा, तो वह पूरी गीली हो गई थी, जैसे कि मैंने पेशाब कर दी हो. मैंने  बड़े जेठ जी की तरफ देखा, तो वह मेरी उस अवस्था पर मुस्कुरा रहे थे, मुझे बहुत शर्म महसूस हो रही थी.

बड़े जेठ जी - गीली पैंटी की वजह से तुम्हारी चुत को सर्दी हो जाएगी.
मैं- बड़े जेठ जी, उसे पहले ही सर्दी हो गयी है, उसी वजह से वह बह रही है, इससे पहले की सर्दी और बढ़े, आप मेरी पैंटी उतार दो.

मैंने उन्हें अपनी पैंटी उतारने के लिए आमंत्रित किया. उनको भी यही चाहिए था, उन्होंने एक ही झटके में मेरी पैंटी उतार दी. हल्के भूरे बालों में छिपी मेरी गुलाबी चुत उनके सामने आ गयी. मेरी मुनिया ( चुत ) को देख कर वो पागल हो गए. वैसे तो उन्होंने कल रात को उसकी चुदाई की थी, पर वो आज उसे अच्छे से देख पा रहे थे.

बड़े जेठ जी ने मेरी चुत को सहलाना शुरू कर दिया. मुझे भी उनका मेरी चुत पर हक जताना बहुत अच्छा लगा. इतने दिन मैं उनका तिरस्कार कर रही थी, इतने दिन मैं उनके बड़े मूसल का फायदा नहीं उठा सकी, इसलिए मैं खुद को कोस रही थी.

बड़े जेठ जी - मुझे तुम्हारी मुनिया ( चुत ) को चाटना है, उसके बाद ही मैं तुम्हें चोदूंगा.
मैं- बड़े जेठ जी, आज से मैं आपकी भोग्या पत्नी हूँ, आपको जो करना है, वह करो और वैसे मुझे भी आपका लॉलीपॉप अच्छे से देखना है और चूसना है.

बड़े जेठ जी ने अपनी अपनी लुंगी उतारी, कल की तरह आज भी उन्होंने अन्दर कुछ नहीं पहना था. किसी गुस्सैल नाग की तरह उनका लंड फन निकाले डोल रहा था. बड़े जेठ जी नीचे लेट गए और उन्होंने मुझे उनके मुँह पर बैठने को बोला. मैं उनके पैरों की तरफ मुँह करके उनके मुँह पर बैठ गयी और उनके सीने पर लेट गई. उन्होंने मेरी चुत के होंठों को अपनी उंगलियों से अलग किया और मेरी चुत में जीभ घुसा दी. बड़े जेठ जी मेरी चुत के हर कोने को चूस रहे थे. मेरी चुत अब और भी ज्यादा पानी छोड़ने लगी थी.

बड़े जेठ जी - पायल , तुम्हारी चुत सच में बहुत स्वादिष्ट है, बहुत मीठा पानी है तेरी चुत का.
उन्होंने एक उंगली मेरी चुत में डाल दी. उंगली से मेरी चूत को कुरेदते हुए बड़े जेठ जी बोले- पायल रानी, तेरी चूत बहुत टाइट भी है. क्या तुम्हारा पति तुम्हें चोदता नहीं है?

मैं- बड़े जेठ जी, जाने दो ना उसे, वो नहीं चोदता तो क्या हुआ. आप तो हो ना, आज से मेरा दूसरा पति मुझे रोज चोदेगा.

उधर बड़े जेठ जी का नाग ( लंड ) मेरे सामने फन निकाल कर डोल रहा था, मैंने झट से उसे पकड़ा और उसे मुँह में डाल लिया. मैं बड़े जेठ जी के लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. उनके प्रीकम का स्वाद बहुत मीठा था. मेरे पति चुसाई के मामले में बहुत शर्मीले हैं. ना वो मेरी चुत चूसते हैं और ना ही मुझे अपना लंड चूसने देते हैं. पर इस मामले में मेरे बड़े जेठ जी बहुत ही उत्सुक दिखे.

मैं भी बड़े जोश में बड़े जेठ जी के लंड को चूसने लगी. बहुत देर तक हमारा यह चुसाई का खेल चल रहा था. उनकी चुत चुसाई से मेरी कामवासना भड़क रही थी और वह सिर्फ चुसाई से शांत नहीं होने वाली थी. मुझे अब उनका मूसल मेरी मुनिया में चाहिए था.

मैंने बड़े जेठ जी के लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला और उनसे बोली- बस बहुत हो गयी चुसाई … बड़े जेठ जी, अब सहन नहीं होता … अब डाल भी दो आप अपना लंड मेरी चुत में.
उनको भी वही चाहिये था, उन्होंने मुझे पलट कर नीचे लिटाया और मेरी जांघों के बीच में आ गए. उन्होंने मेरी टांगें ऊपर उठाईं और मेरी चुत पर अपना लंड घिसने लगे.
मैं चुदासी सी बोल उठी- बड़े जेठ जी … यार अब मत तड़पाओ, मेरी चुत कब से आप के लंड के लिए तरस रही है.

मैं बोल ही रही थी कि बड़े जेठ जी ने एक ही झटके में अपना पूरा लंड मेरी चुत में पेल दिया. मेरी चुत पूरी चिपचिपी होने के कारण उनके लंड को कोई विरोध नहीं हुआ. मेरे मुँह से एकदम से आह.. निकल गई- आह मर गई!

बड़े जेठ जी ने हंसते हुए धीरे धीरे धक्के देने शुरू कर दिए. वे मेरी चुत में गोल गोल लंड घुमाते हुए मेरी चुत में धक्के देने लगे. उनके हर वार से मैं पूरी तरह से हिल जाती. उनके हर धक्के के साथ कामुक लहरें चुत से होकर पूरे बदन में फैल जाती थीं. ऐसी चुदाई हो रही थी, जिससे लग रहा था कि ये ऐसे ही चलती रहे, कभी खत्म ही ना हो.

मैं भी नीचे से कमर हिलाते हुए उनके हर धक्के का उत्तर देने लगी. जेठ जी लगातार मुझे चोदे जा रहे थे. इसी दौरान मैं एक बार झड़ भी चुकी थी, पर मुझे पूरी संतुष्टि नहीं मिली थी. फिर आखिरकर वह पल आ ही गया, मैं और बड़े जेठ जी एक साथ ही झड़ गए. हम दोनों ने एक दूसरे की बांहों में कुछ देर आराम किया. उस रात हम दोनों ने न जाने कितने प्रकार से कामसुख लिया.

एक बार मैंने जेठ जी के ऊपर बैठ कर उन्हें जम कर चोदा, तो बड़े जेठ जी ने भी खड़े खड़े मुझे दीवार से सटाकर चोद डाला. उस वक्त मैंने अपनी टांगों से बड़े जेठ जी की कमर पकड़ी हुई थी. भले ही पहले बड़े जेठ जी ने मेरे साथ थोड़ी जबरदस्ती की हो, पर उनकी चुदाई मुझे इतनी पसंद आ गयी कि पति के आने तक मैं उनके नीचे ही लेटी रही.

हालांकि मैं अपने पति को भी पूरा खुश रखती हूँ, पर जितना दिन में ससुराल में रूकी जब जब भी मुझे मौका मिलता, मैं बेड़ जेठ जी को बुला कर उनसे चुत की शांति करवा लेती. आखिरकार मेरे पति ने ही तो मुझे कहा था कि बड़े जेठ जी का ख्याल रखना है.
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#26
Next update ... ननद का होना वाला पति
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#27
Shandaar update and nice story
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#28
[Image: FB-IMG-1764057134942.jpg]

पायल घोष
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#29
Update 2..... ननद का होने वाला पति

बड़े जेठ जी से चुदाई किये हुए कई दिन हो गए थे। चूत में उस दिन के बाद कोई लंड नहीं गया था, तो मैं लंड की तलाश में थी। दोस्तों मैंने कभी भी नहीं सोची थी कि मेरे होने वाले नंदोई ही मेरी चूत को चोदेंगे और मेरी गांड मारेंगे। और मेरी चूत का भोसड़ा बना देंगे।

दोस्तों.... मैं हूँ पायल, पायल घोष ... एक और रंगीन अनुभव के साथ आप के समक्ष।

मेरे ननद की सगाई की तैयारियां चल रही थी। सगाई से दो दिन पहले......

"aaaahhhh...mmm...sss.... भाभी ... आआअह्ह्ह ... यार और जोर से दबा मेरी चूची को... उफ्फ्फ क्या गुदगुदी उठ रही है.. रगड़ अपनी बुर को मेरी बुर पर.... अम्मामा मेरी छूटने वाली है..." कहती कोमल मुझे चूम रही थी और वह भी मेरे चूची के साथ खिलवाड़ कर रही थी।

कोमल मेरी ननद जो मेरी उम्र से चार वर्ष छोटी है। अपनी ननद के साथ मेरी बहुत पटती थी और मैं उसको उसके आशिकों से मिलने में उसकी मदद करती रही हुं !
.............

जब से मैं गोविंद से ( यानि कोमल के होने वाले पति ) से चुदवायी हुं तब से हमारी घनिष्ठता और बढ़ी।

जब भी कोमल को काम से फुर्सत मिलती वह मेरे पास आ जाती या तो मुझे अपने पास बुला लेती है और फिर हम खूब मौज मस्ती करते है, जैसे आज कर रहे है।

आज कोमल ने मुझे अपने पास बुलाई और मैं दिन के ग्यारह बजे कोमल के पास आ गयी। मैं जब आ पहुंची तो वह खाना पका रही थी। मैं वहीँ किचन में उसके साइड में थी। खाना पकाते हुए दोनों इधर उधर की बातें कर रहे थे और फिर कुछ देर TV देखे, दोपहर के एक बजे हम खाना खाये, और बेडरूम में आकर दोनों लेट गये । मैं दीप को दूध पिलाने के बाद हम अपने काम में जुट गए।

हम दोनों ही हमारे अंगों को चूमना, चाटना, चूसना, चूची दबाना एक दूसरों की बुरों में ऊँगली से चोदना यह सब काम करने लगे। ऐसे कामों में हम जुटे थे फिर थोड़ी देर बाद वह मेरे ऊपर चढ़कर मेरे बुर पर अपनी रिसती बुर रगड़ने लगी। पूरे आठ नौ मिनिट बाद मैं और कोमल दोनों झड़ गए ।

हम दोनों थक गए थे और थोड़ी देर सुस्ता चुके थे। अब हम दोनों बेडरूम में बातें कर रहे थे. तभी मेरे दिमाग़ में एक आईडिया आया.

मैं कोमल से बोली- आज मेरा पूरा बदन और कमर दर्द कर रही है.
कोमल बोली- क्यों भाभी ?

मैंने कहा- ये तुम अपने भाई से पूछ लो.

कोमल हंस कर बोली- आप ही बता दो ना भाभी.

कोमल :- "अरी भाभी बोलों... क्या बात है...?"

मैं उसकी आँखों में देखते हुए बोली :- "कोमल... तुम अभी तक एक बार भी गोविंद से चुदाई हो कि नहीं ?"

कोमल :- "नहीं भाभी , क्या बात है भाभी आज आप ऐसा क्यों पूछ रही हो ?"

पायल :- "तुम सच में एक बार भी नहीं चुदवा है "

कोमल:- नहीं भाभी आपकी कसम एक बार भी नहीं चुदवाई ।

पायल :- कोमल , तुझे नहीं लगता शादी से पहले एक बार गोविंद की चुदाई परीक्षा लेनी चाहिए , शादी के बाद वह गांडु निकल गया तो ?

( ये सब बातें करते वक़्त मैं कोमल के हाव भाव देख रही थी. मेरी बातें सुनकर कोमल कुछ गर्म होने लगी थी. उसकी सांस भी जोर से चलने लगी थी, दिल की धड़कन तेज हो गई थी और चेहरे पर शर्म आने लगी थी.

मेरी बातें सुन के अब कोमल और बेचैन लगने लगी. फिर मैंने टॉपिक चेंज कर दिया, लेकिन कोमल की बेचैनी कम नहीं हुई.)

कोमल:-' हां ' भाभी आप सही कह रही हो , मगर ?

पायल:- मगर ?

कोमल - मगर भाभी कहीं उसकी चुदाई परीक्षा लेने के चक्कर में मेरी प्यारी सी चुत का भोंसड़ा बना गया तो ?

पायल - अरे पगली, एक ना एक दिन तो तेरे चुत का तो भोसड़ा बनाना ही है।

कोमल - हां भाभी, यह तो सही है। भाभी मैं कह रही थी क्योंकि ना आप उसकी चुदाई परीक्षा ले लो ।

मैंने बिना सोचे समझे हाँ में सिर हिलायी। "कब और कैसे... " यह प्रश्न अनायास ही मेरे मुहं से निकले।

तभी कोमल बोली - अगला प्लान क्या है?

मैं बोली- अगले दिन तेरे भैया और सासु मां सगाई के काम से बाहर जा रहे हैं । कल तुम गोविंद को कॉल करके घर बुला ले। कोमल ने भी मुस्कुरा कर सहमति दे दी.

अगले दिन गोविंद घर पर आया।

मेरी ननद कोमल ( के होने वाला पति यानी ) मेरे नंदोई गोविंद जो एक प्राईवेट नौकरी में है। उनकी उम्र लगभग 27 साल है, और वह करीब 6 फीट लंबे है और एक कसरती शरीर का मालिक है। वह दिखने में काफी ज्यादा स्मार्ट तथा गोरे भूरे है, और एक-दम फिट है।

उससे देखते ही मेरी चूत में हलचल होने लगा जाती थी। गोविंद स्वभाव से भी बहुत मजाकिया किस्म के है। मेरा रिश्ता तो उनके साथ हसी-मज़ाक का था।

मैं अपने नंदोई को हवस की नज़र से देखने लगी थी। मुझे मेरे नंदोई को देखते ही एक अजीब सी फीलींग आती थी। कभी-कभी गोविंद मुझसे बात करते-करते डबल मिनिंग बाते कर देते थे। लेकिन मैं जान-बूझ कर कोई प्रतिक्रिया नहीं करती‌ थी।

उस दिन मैंने नीले रंग की ब्लाउस और सफेद रंग की साड़ी पहन रखी थी जो बहुत टाईट थी, और अन्दर काले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी थी। मेरी ब्लाउज का गला बड़ा होने से मेरी चूंचियों का क्लीवेज साफ दिख रहा था। मेरी ननद मुझे छेड़ते हुए बोली, “भाभी आज तो आप गोविंद का पानी निकाल दोगी”।

तभी गोविंद भी हंसकर बोले, “हां भाभी, आज तो आप मेंहदी के प्रोग्राम में बिजली गिरा कर ही रहेंगी। अब भैया का क्या होगा आप ही जानों”। मैं बोली, “भैया का तो कुछ नहीं होगा, लेकिन मैं देखती हूं कि आप पर क्या असर होता है”।

तो मेरी ननद बोली, “इन पर तो बहुत असर होगा भाभी, और बिजली मुझ पर गिरेगी, वो भी रात में। में रात भर परेशान ही होउंगी”।

मैं गोविंद से बोली, “मेरी ननद पर ज़्यादा बिजली मत गिराइएगा आप”। और हम तीनों हंसने लगे। लेकिन उसी समय मेरे अन्दर कुछ चींटियां सी रेंगने लगी । बहुत देर तक हम लोग इधर-उधर की बातें करते रहे। फिर मेरी ननद बोली कि, “ भाभी मुझे बाजार से कुछ सामान लाना है और थोड़ी देर में तैयार होकर वह बाजार चले गई । अब घर पर मैं और मेरे नंदोई रह गये। तो मैं और मेरे नंदोई घरेलू बात-चीत करने लगे। मेरी तो वासना भड़की हुई थी। मेरे नंदोई को इतना पास में पाकर मेरे तो खुजली होने लगी थी। थोड़ी देर बाद हम दोनों में सेक्स पर भी बात-चीत होने लगी।

मेरे नंदोई ने मुझसे पूछा, “भाभी आप दोनों की सेक्स लाइफ कैसी है?” तो मैं बोली कि, “मेरे पति महीने में 5 या 6 बार ही करते हैं, वो भी 2 से 4 मिनट में झड़ जाते हैं”। तो नंदोई जी बोले, “इसलिए ही आपकी चूचियां अभी भी बड़ी-बड़ी ही हैं भाभी जी।” तो मैं शरमा गई और मैं हसने लगी। इन सब बातों से हम दोनों गर्म होने लगे थे। वो मेरी चूचियों की तरफ इशारा करके बोले, “भाभी अभी भी आपकी चूचियां बड़ी कसी-कसी लग रही हैं। आप भाई साहब को दूध नहीं पिलाती क्या? लगता है आप पूरी चुदाई में भाईसाहब को चुसवाती भी नहीं हो”। इन सब बातों से हम दोनों काफी गरम हो गये थे।

चुदाई की बातों की गर्मी बढ़ी, तो मेरी चूत से पानी निकल गया। मेरे नंदोई की नजर मेरे चहरे और मेरी चूची से हट ही नहीं रही थी। मैं समझ गई कि गोविंद मेरी चूची को निहारे जा रहे थे।

इतने में गोविंद बोला : भाभी आप बताओ ना, आप भाईसाहब के लंड पर चढ़ कर मजा लेती हो या नहीं?

मैं आह भरते हुए कहने लगी: तुम्हारे भाईसाहब का लंड इतनी देर खड़ा ही नहीं रहता कि मैं लंड की सवारी का मजा ले सकूं।और मैं मन ही मन सोचने लगी कि आपकी बातों से तो मेरी चूत में आग लग गई है नंदोई जी।

फिर मैं उठकर दूसरे कमरे में कपड़े लेने गई, तो मैंने अलमारी से अपने कपड़े निकाले। फिर जैसे ही ब्रा और पैंटी को हाथ में लिया, तो गोविंद की चुदाई की गरम बातें याद आ गई, और मैं अपनी चूचियों को मसलने लगी। उनके लंड चूत की बातों ने मेरी चूत में आग लगा दी थी।

मैं समझ गई कि ये मेरी बातें सुनकर मुझे चोदना की सोच रहे थे। अब मैंने भी सोच लिया कि अगर ऐसा कुछ होता है तो मैं भी चुदवा लूंगी, क्योंकि बहुत दिनों से मैंने भी अपने पति या किसी और मर्द नहीं चुदवाया था।

मैं नहाने के लिए बाथरूम की तरफ जाने लगी, तो वो बोले: भाभी चाय बना दो यार, फिर नहा लेना।

तो मैंने बोला: ओके।

और मैं चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई। थोड़ी देर बाद मैं चाय लेकर आई, और हम दोनों बेड पर बैठ कर बातें करते-करते चाय पीने लगे।

तभी नंदोई जी बोले: भाभी आपने जो साड़ी और ब्लाऊज़ पहन रखा हो , उसमें आप मस्त माल लग रही हो। इनमें आपका उभरा हुआ जिस्म बड़ा सेक्सी लग रहा है। भाभी आपको देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया यार। आपसे नज़र ही नहीं हटती मेरी भाभी।

मैं ये सुनकर शर्मा गई और जाने लगी। फिर उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ा और मेरी गर्दन पर किस करने लगे। मुझे पूरा अंदाज़ा था कि मेरे साथ ऐसा कुछ होने वाला था। में मुस्कुराती हुई उनसे छूटने की कोशिश कर रही थी, और सिसकारी लेकर बोल रही थी-

मैं: ओहहह आहहहह ऐसे मत करो नंदोई जी!

पर वो मुझे किस करते रहे, और बोले: भाभी आप चुदासी तो हो पर कुछ झिझक रही हो।

फिर वो मेरी ब्लाउज और ब्रा के ऊपर से ही मेरे मस्त रसीले दूध मसलने लगे। उस समय मैंने अन्दर काले रंग की ब्रा और पैंटी पहन रखी थी। दोस्तों मेरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा और पैंटी देखकर कोई भी पागल हो गये , और अपने लंड को मसलने लग गये।

अब वो कपड़ों के उपर से ही एक हाथ से निप्पल को और एक हाथ से मेरी चूत को मसल रहे थे। मैं भी अब गर्म होने लगी थी और कसमसा कर आहें भरने लगी। नंदोई जी का लंड पैंट फाड़ के बाहर आने को तड़प रहा था।

वह लंड की तरफ इशारा करके बोले: भाभी, रिहा कर दो इसको और देदो इसे वह सुख जो इसे चाहिए।

अब मैंने अपने हाथों से नंदोई जी को दूर कर दिया, और नहाने के लिए बाथरूम में चली गयी। हमारे बाथरूम की लाईट खराब हो रही थी, तो मैंने सोचा कि नंदोई जी तो कमरे में बैठकर टीवी देख रहे थे, तो मैं दरवाजा थोड़ा सा खुला रखकर नहा लेती हूं। तो मैंने बाथरूम के दरवाजे को थोड़ा सा खुला छोड़ दिया और नहाने लगी।

मैंने अपनी कपड़े निकाल दी। अन्दर मैं आधी नंगी थी। मेरी चूचियां काले रंग की ब्रा में फंसी हुई थी। उसके बाद मैंने अपनी पेटीकोट का नाड़ा खोला और उसे उतार दिया। अब मैं काले रंग की ब्रा और पैंटी में थी। कुछ पल के बाद मैंने अपनी ब्रा और पैंटी भी निकाल दी, ब्रा और पैंटी निकालने के बाद मैं दरवाजे की तरफ पीठ करके बैठ गई और नहाने लगी।

मैं अंदर पैर चौड़े करके पूरी नंगी होकर नहा रही थी। मेरी गोरी और नंगी पीठ और खुले बाल दरवाजे की तरफ थे। मैं हमेशा नंगी होकर नहाती हूं। जब मेरे हाथ चूचियों पर चले, तो मैं धीरे-धीरे गर्म होने लगी। कब मेरा हाथ मेरी चूत पर चला गया, पता ही नहीं चला और मैं उंगली से चूत के दाने को रगड़ करने लगी। फिर एक उंगली अपनी चूत में डालकर आगे-पीछे करने लगी।

मुझे बड़ा मजा आ रहा था। अब एक हाथ से मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी, और एक हाथ से अपनी चूचियां मसल रही थी। धीरे-धीरे मैंने आंखें बंद कर ली। मैं लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी।

मेरी उंगली चूत में और तेज चलने लगी और मेरे मुंह से आह्ह... उफ्फ.... आह्ह... की आवाज आने लगी।

मैं अपने चरम बिन्दु पर पहुंच गई, और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। लेकिन अभी भी मेरा मन नहीं भरा था, और मैंने अपनी उंगली अपनी गांड में डाल दी, और उसे आगे-पीछे करने लगी।

थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि कोई मुझे नहाते हुए देख रहा था। मैंने चुपके से दरवाजे की तरफ देखा तो वह मेरे नंदोई जी थे। वह मेरी नंगी जवानी का दीदार कर रहे थे। मैं ये देख कर चैंक गई और उन पर चिल्ला उठी-

मैं: ये क्या बदतमीजी है! मैं आपकी भाभी हूं। आपको शर्म नहीं आती?

तो नंदोई जी बोले: भाभी आपकी गोरी नंगी चिकनी पीठ और मखमली गांड देख कर मैं उत्तेजित हो गया था।

मैं मन ही मन समझ गई थी कि नंदोई जी मेरी गांड मारने की सोच रहे थे। आज बस चले तो मुझे कुतिया बना कर मेरी गांड मारने लग जाये। नंदोई जी बहुत उत्तेजित हो गये थे, और पैंट के उपर से ही अपने लंड को सहलाने लगे थे। नंदोई जी के लंड का उभार देख कर मेरी चूत में तेज़ खुजली होने लगी थी।

फिर अचानक नंदोई जी बाथरूम में अन्दर आ गये और मुझसे बोले: गीले बालों में बहुत ही मस्त लग रही हो भाभी जी। जब आप नहाने आई तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया, और फटाफट कमरे से निकल कर यहां बाथरूम के पास पहुंच गया। फिर देखा कि दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था, तो मैं आपके नंगे बदन को निहारने लगा।

नंदोई: जब आप मग्गे से अपने सिर पर पानी डालती, और फिर अपने पूरे शरीर पर साबुन लगा कर जब अपने हर एक अंग को दबाती, तो मेरा लंड फनफना कर खड़ा हो गया था। तो मैं अपने लंड को पैंट के उपर से सहलाने लगा, और आपके पूरे शरीर को देखने लगा। मन तो कर रहा था कि बाथरूम का दरवाजा खोल कर अन्दर आ जाऊं और आपको चोद डालूं।

मैं चुपचाप सुन रही थी।

फिर वह बोले: भाभी आप घर का माल हो और मैं आपका नंदोई हूं। आपको बाहर जाने की जरूरत भी नहीं होगी, और बदनामी का भी डर नहीं रहेगा।

मैं दबी हुई आवाज में बोली: तुम चाहते क्या हो?


तो उसने कहा: आज मैं आपके साथ चुदाई चाहता हूं।

मैं उनके सामने नंगी खड़ी थी। यह सुनकर मेरे हाथ-पैर कांपने लगे थे। मेरे होंठ कांपने लगे थे। उसने अपने दिल की बात आज मुझसे बोल दी।

मैं बोली: यह तो अच्छी बात नहीं है।

तो वह बोले: जो भी है, यही है भाभी।……

Continue....
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#30
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और फिर नंदोई जी ने बड़े ही रोमांटिक मूड में मेरे हाथों को पकड़ा, और मुझे अपनी बांहों में भर लिया। उन्होंने मुझे अपने हाथों से जकड़ लिया। मैं उनके बदन की गर्मी महसूस कर रही थी। मैंने भी सोची कि ये मौका अच्छा था। शायद वह समझ गये थे कि मैं बहुत प्यासी थी। और मुझे भी लंड की ज़रूरत थी। फिर उन्होंने मुझे किस करना शुरू किया। और मेरे गाल को काटते हुए मेरे गाल पर पप्पी लेने लगे।

वह धीरे-धीरे मेरे लाल-लाल रसीले होंठों के पास अपने होंठ ले आये, और मेरे होंठो को ज़ोर-ज़ोर से अपने मुंह में खींचने लगे। उनकी जीभ मेरे मुंह में थी, और वह मेरी जीभ को ज़ोर-ज़ोर से चूस रहे थे। मैं अपने नंदोई के सामने पूरी नंगी थी। वह मेरे होंठों को चूस-चूस कर पीने लगे। मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मैंने भी उनको अपने पति की तरह बाहों में भर लिया, और उनके थोड़े मोटे होंठों को चूसने लगी। में अपने दोनों हाथों से नंदोई जी के पूरे बदन पर अपने नाख़ून गढ़ा रही थी। मुझे अपने हट्टे-कट्टे बदन वाले नंदोई से लिपट कर अलग ही आनंद मिल रहा था। नंदोई जी के पूरे बदन पर बाल ही बाल थे, और उनका खुरदरा बदन मेरे चिकने नंगे बदन में एक अजीब सी उत्तेजना पैदा कर रहा था।

उनका जोश धीरे-धीरे बढ़ रहा था। हम दोनों एक-दूसरे की बाहों में कसे हुए थे, और बेतहाशा एक-दूसरे को चूम रहे थे। धीरे-धीरे हमारा चुम्बन बहुत गहरा हो गया था। ऐसा लग रहा था कि हम एक-दूसरे के होंठों को खा जायेंगे।

वे मेरे कान और गर्दन पर पागलों की तरह किस करने लगे, और उनका एक हाथ मेरी चिकनी पतली कमर पर चलाने लगे। उनकी गर्म सांसों ने मुझे पागल बना दिया था।

बहुत देर तक मेरे होंठ के पूरे रस को चूसने के बाद नंदोई जी धीरे-धीरे मेरी मुलायम गोल-गोल तनी हुई चूचियों को सहलाने लगे, और फिर थोड़ी देर के बाद अपने हाथ से ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगे। इससे मेरी चूचियों के निप्पल तन गये थे।

चूचियां मसलने से मैं गरम हो गयी थी। अब वो मेरी चूचियों को और जोर से मसलने लगे। मैं चुप-चाप ख़ड़ी होकर उनसे अपनी चूचियों को मसलवा रही थी। मेरी चूंचियों को मसलते-मसलते उनका लंड खड़ा होने लगा था।

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अब वह अपनी एक उंगली और अंगूठे से मेरी निप्पल को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगे। वह जितनी बार मेरी निप्पल को दबा रहे थे, उतनी बार मैं कसमसा रही थी। फिर दबी आवाज में मैं उनसे बोली रही थी-

मैं: धीरे दबाओ नंदोई जी।

तो नंदोई जी धीरे-धीरे दबाने लगे। वह मेरी चुचियों को अपने हाथों से, कभी धीरे-धीरे और कभी ज़ोर-ज़ोर से मसल रहे थे। अब वह एक हाथ मेरे बालों में फेरने लगे, तो मुझे में भी एक जोश आ गया।

मुझे अब थोड़ी सी शर्म आ रही थी, क्योंकि मैं अपने नंदोई जी के सामने पूरी नंगी खड़ी थी। मैंने अपने आपको नंदोई जी के सामने नंगा समर्पण कर दिया था। वह अपने एक हाथ से मेरी चूची दबा रहे थे, और दूसरे हाथ को मेरे सपाट चिकने पेट पर घुमा रहे थे।

फिर वह अपना हाथ मेरी चूत की तरफ ले गये और मेरी चूत में उंगली करने लगे। तो मेरी उत्तेजना बढ़़ने लगी। मेरी चूत रस छोड़ रही थी। मेरी हल्की-हल्की सिसकियां निकलने लगी-

मैं: आहहहह.... ओऊऊऊ... ओह.... आआआहहहह.... और तेज आहहह......।

फिर उन्होंने मेरा निप्पल अपने हाथ में पकड़कर जोर से दबा कर देखा, तो उस में से दूध की धार निकली। वह बहुत खुश हुए और फिर दबा-दबा कर मेरे दूध की पिचकारियां अपने जिस्म पर इधर-उधर मारने लगे।

वह बोले: भाभी मेरी पैंट उतारो।

उनकी पैंट में उनका लंड तो पहले से तना हुआ था। मैंने उनकी बेल्ट और पैंट खोल कर उतार दी। नीचे अंडरवियर में उनका लंड अपना पूरा आकार ले चुका था। मैंने झटपट अंडरवियर नीचे उतारी, तो उनका लंबा लंड फूंकार भरता हुआ मेरी आंखों के सामने आ गया।

मैं बोली: अरे वाह, क्या शानदार लंड है नंदोई जी। मोटा मूसल की तरफ बिल्कुल सीधा और लोहे की तरह सख्त।

फिर धीरे से बोली: नंदोई जी ये तो बहुत बड़ा है यार।

तो वह बोले: नाप लो भाभी अपने हाथ से।

मैं बोली: फिर क्या विचार है नंदोई जी?

तो वह बोले: आपको रगड़ना है भाभी। आज आपको असली सुख दूंगा। आज तो मैं आपकी प्यास बुझा दूंगा मेरी जान। आज मैं आपको जन्नत दिखाउंगा।

मैंने नंदोई जी के मोटे लंड को अपने हाथों में लिया, तो उनका मोटा लंड मेरी मुट्ठी में आ गया, और मैं उनके लंड की मोटाई और मजबूती महसूस करके कांप उठी। अपने नंदोई के तगड़े मोटे लंड को अपने सामने देख कर मेरे अरमान जाग उठे थे। उन्होंने बिना समय गवाए तुरंत अपने सारे कपड़े उतार दिए।

उनका लंड मेरे हाथों में आ गया था। मैंने हाथ से लंड का मुआयना किया। सच में उनका लंड बड़ा और सख्त था।

वह मुझसे बोले: कैसा लगा भाभी मेरा लंड?

तो मैं बोली: आपका लंड बहुत बड़ा और सख्त है नंदोई जी।

उन्होंने मुझसे कहा: आज आपकी चूत में अपना पूरा लंड पेल कर फाड़ दूंगा तुम्हारी चूत को। भोसड़ा बना दूंगा इसका भाभी।

दोस्तों मैं उनकी बात सुन कर शरमा गई।

वह बोले: चुदाई का पूरा मज़ा तभी लिया जा सकता है, जब इंसान अपनी शर्म का चोला उतार फेंके, और पूरा बेशर्म बन जाए। यह शर्म तो कुछ देर की है। अभी कुछ देर में आपको जैसे ही गरमी और जोश आएगा, आप मजे लेने लगोगी।

फिर मैं लंड को पकड़कर ऊपर-नीचे करने लगी। ‌मुझे समझ आ गया कि मेरे पति के लंड से लंबा और मोटा, करीब-करीब 7 इंच का तो ज़रूर होगा, और मोटा भी 3 इंच का होगा।

मुझे डर भी लग रहा था कि इतना बड़ा लंड कैसे लूंगी, और खुशी भी हो रही थी कि कि मुझे मोटा लंड मिला था। उनका लंड पूरा चिपचिपा हो गया था। मैं समझ गयी कि नंदोई के लंड पर मेरे नाम का रस लगा हुआ था। मैं मन ही मन सोच रही थी कि कब नंदोई जी अपने लंड को मेरी चूत में डालेंगे।

फिर उन्होने लंड मुंह में लेने को बोला तो मैं उनके सामने घुटनों पर बैठ गयी, और वह खड़े हो गये। फिर मैं अपने हाथों से उनके घुटनों से होते हुए उनकी जांघों को सहलाने लगी। अब हम दोनों की नज़रे एक-दूसरे से अटक गयी थी और कोई भी नज़र नहीं हटा रहा था।

तो मैं बोली: नंदोई जी, और कितना मजा चाहिए? अब बुझा दूं आपकी प्यास?

फिर मैं लंड को सूंघ कर उसकी खुशबू का आनंद लेने लगी। मैंने अपनी जीभ निकाली और अपने नंदोई के लंड के सुपारे पर फिराने लगी। मेरी इस हरकत से उनकी सिसकारी निकल गई।

मैं उनका लंड मुंह में लेने लगी, लेकिन मैं पूरा लंड अन्दर नहीं ले पा रही थी। तभी उन्होंने पीछे से मेरा सर पकड़ा और लंड को मेरे मुंह में दे दिया। जिससे उनका गर्म लंड मेरे गले तक चला गया। उनका पूरा लंड मेरे मुंह में था। मैं सांस भी नहीं ले पा रही थी। लंड हलक तक गया तो मेरी आंखों में पानी आ गया।…

अब मैं लंड चूसने लगी। मुझे मज़ा आ रहा था। दोस्तों अब धीरे-धीरे वह अपने लंड को मेरे मुंह में अन्दर-बाहर करने लगे। उनकी सिसकारी से मैं भी जोश में आ गई, और तेज-तेज लंड को चूसने लगी। वह मेरे मुंह की चुदाई कर रहे थे। मैं मुंह को आगे-पीछे करके उनका लंड चूसने लगी।

वह अपनी कमर हिला-हिला कर अपना लंड मेरे मुंह में घपा-घप घुसा रहे थे। मैं उनका लंड मेरे मुंह में घपा-घप अन्दर-बाहर लेती जा रही थी। मुझे लगा कि आज तो नंदोई जी अपने लंड को मेरे गले में उतार कर मेरा गला फाड़ ही देंगे।

मैं जितना अन्दर ले सकती थी, अपने मुंह में ले रही थी। वह अपने लंड को सटा-सट मेरे मुंह में डालते जा रहे थे, और बोल रहे थे-

नंदोई : चूस भाभी, अन्दर तक ले मेरे लंड को। चूस, और अंदर तक ले इसे भाभी।

और फिर अचानक से उनकी रफ्तार काफी तेज हो गई।

तो वह बोले: मेरा पानी निकलने वाला है भाभी। जब मेरे लंड से पानी निकले,‌ तो सारा पानी अपने मुंह में ही लेना। अपना मुंह हटाना नहीं।

मैंने उनको इशारे से ओके कहा।

अब उनकी सिसकारियां बढ़ गई: आह... आह... आह... मेरी जान,‌ बहुत मज़ा आ रहा है जान। ऐसे ही करो भाभी।

फिर नंदोई जी बोले: भाभी मेरी पिचकारी निकलने वाली है।

तो मैं ओर जोश में आ गई, और जोर से उनका गर्म लंड मुंह में जल्दी-जल्दी अन्दर-बाहर करने लगी।

वह बोले: आह मेरी जान, आ गया मैं।

और उन्होने अपने लंड का गरमा-गर्म पानी मेरे मुंह में भर दिया। एक के बाद एक लगातार उन्होंने गर्म पानी की धार मेरे मुंह में छोड़ दी। उनके लंड के गर्म पानी से मेरा पूरा मुंह भर गया था। फिर मैंने मुंह से थूका और पानी से मुंह साफ किया।

नंदोई जी का लंड ढीला हो गया था। तो मैंने फिर से उनका लंड अपने नाजुक हाथों में लिया, और हिलाने लगी। कुछ ही देर में उनका लंड फिर से तन गया।

वह मेरी चूत को देखते हुए बोले: भाभी, क्या चूत है आपकी! मैंने आज तक इतनी फूली हुई और चिकनी चूत नहीं देखी। और ये चूत पर हल्के-हल्के बाल, कयामत लग रही हो यार। मेरा लंड आपकी चिकनी प्यासी चूत की प्यास बुझायेगा भाभी। आपको देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। मैं तो कब से आपकी चूत का स्वाद चखना चाहता था भाभी। मैं कब से आपको पटाने की कोशिश कर रहा था, और आज जाकर आप मेरे हाथ लगी हो भाभी।

नंदोई: आज मैंने देखा कि आप बाथरूम में नहा रही थी, और घर पर कोई नहीं है। तो मैंने सोचा कि आज भाभी को नंगी नहाती देखने का और चोदने का ये अच्छा मौका है।

यह सोचकर मैं आपके बाथरूम के पास आ गया, और आधे खुले हुए दरवाजे में से आपको देखने की कोशिश करने लगा।

नंदोई: अन्दर का मस्त नजारा दिख रहा था। आपने काले रंग की ब्रा ओर पेंटी पहनी हुई थी। इतना देखने में ही मजा आ गया था मुझे तो। भाभी क्या मस्त नज़ारा था यार। आपकी चिकनी गोरी नंगी पीठ के नीचे आपकी गांड पर काले रंग की पेंटी फसी हुई थी। तभी आपने शावर चालू किया, जिससे आपकी पेंटी गीली होती जा रही थी।
नंदोई: आपने अपने पैर फैला रखे थे, जिससे आपकी नंगी पीठ से बहते हुए, आपकी गांड की दरार में जाते हुए पानी की धार साफ़-साफ़ नज़र आने लगी थी। मैं ऐसे ही आपको देख रहा था, और आपके मुंह से सिसकारी की आवाज भी निकलने लगी थी, जो मुझे बाहर सुनाई दे रही थी। आप मज़े में उम्म्ह... अहहहह... हहहहय.... याहहहह... की आवाज निकाल रही थीं।

नंदोई: ये सब देखकर, सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया था। तो मेरा भी हाथ अपनी पैंट के अन्दर चला गया। फिर आपने पेंटी धीरे-धीरे नीचे की, और उसे अपनी टांगों से पूरी बाहर निकाल दिया। आह भाभी एक-दम चिकनी मखमली गांड देख‌कर मेरा लंड तन गया भाभी। ये नज़ारा देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लंड पेंट से बाहर निकाला और अपने लंड को ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा।

नंदोई: आप तब बाथरूम में अपनी चूत में ज़ोर-ज़ोर से उंगली करने लगी थी, और आपके मुंह से आहहहह... ओऊऊऊ... ओहहहह... यस.. आआआहहहहह... की आवाज़ और तेज होती जा रही थी। आपने शायद दो उंगलियां चूत के अन्दर डाल रखी थी भाभी, और तेजी से अन्दर-बाहर कर रही थीं। थोड़ी ही देर में आप झड़ गई थी, और आपकी चिकनी चूत में से पानी बह निकला भाभी।

फिर उसने बाल्टी को उल्टा करके मुझे उस पर बिठाया और खुद नीचे बैठ गये, और मेरी चूत पर अपना मुंह रख कर मेरी चूत की खुशबू लेने लगे। फिर उसने मेरी चूत पर अपना मुंह रख दिया, और मेरी चूत को चौड़ी करके अपने दांतों से चूत की फांकों को खींच-खींच कर बाहर करने लगे। वह चूत के दाने को भी धीरे-धीरे काटने लगे।

कुल मिलाकर वह मेरी चूत को पूरी तरह से गर्म कर रहे थे, और में पागल हो रही थी। नंदोई मेरी चूत को चाट रहे थे। फिर उसने धीरे-धीरे अपनी जीभ मेरी चिकनी चूत के अंदर डाल दी।

मैं उनका सिर पकड़ के उनका मुंह चूत के अंदर घुसाने की कोशिश करने लगी। वह मेरी चूत को लपर-लपर करके चाटे जा रहे थे। और मैं पागलों की तरह बोले जा रही थी-
मैं: नंदोई जी खा जाओ मेरी चूत आहहह! डाल दो अपनी जीभ पूरी अन्दर तक और तेज करो आहहहहहह और तेज आहहहहह... ओहहहहह... उहहहहहह...। ऐसे ही मेरी चूत को चाटते रहो, बहुत मजा आ रहा है। आहहहह नंदोई जी मार ही डालोगे आज तो आहहहहहह।

मैं अपनी चूत को हिला-हिला कर चटवा रही थी। वह मेरी चूत को ऐसे चाट रहे थे, जैसे बहुत दिन से भूखे हो। वह मेरे मोटे चूतड़ों पर हाथ रख के मेरी गर्म चूत को चाट रहे थे।‌ अचानक से मेरे पैर कांपने लगे और मेरा शरीर अकड़ गया। मैं बुरी तरह से तड़प उठी, और मेरी चूत इस तरह से मचल उठी कि जैसे कि में अब झड़ने वाली थी।

मैंने नंदोई जी का मुंह अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी चूत से पूरी तरह से सटा दिया, और मैं अपनी गांड को धीरे से हिला-हिला कर अपनी चूत उनके पूरे मुंह पर रगड़ने लगी। मुझे लंड की जबरदस्त तलब हो रही थी। मेरा मन हो रहा था कि मैं नंदोई जी का लंड पकड़कर अपनी चूत में खुद ही घुसेड़ लूं, और ताबड़-तोड़ उछल कूद करूं। जिससे मेरी जलती हुई चूत को ठंडक मिल जाए।

नंदोई जी अपनी जीभ को मेरी चूत में अंदर सरकाकर जल्दी-जल्दी चाटने लगे। मैं पूरी तरह से उत्तेजना में तो थी ही, और जीभ की रगड़ लगते ही मेरी चूत खुलकर फफक पड़ी, और मैं ज़ोर-ज़ोर से सिसकियां लेने लगी। फिर एक-दम से चूत में से तेज पानी की धार निकली, और सीधा उनके के मुंह में गई। मैं उनके मुंह में ही झड़ गयी। मेरी चूत से रस टपकने लगा था।

अब उन्होने मुझे घोड़ी बनने को कहा, तो मैं समझ गई कि अब वह वक़्त आ गया था, कि मेरी चूत को नया जवान लंड मिलने वाला था। मैं खड़ी होकर अपने दोनों हाथों को नल पर रखकर नंगी होकर घोड़ी बन गई। मैंने अपनी काले रंग की ब्रा, पेंटी, साड़ी एवं ब्लाउज उतार कर बाथरूम के आधे खुले दरवाजे पर लटका रखी थी।………..

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#31
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#32
Good story
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#33
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#34
Update....

मेरी मोटी मखमली गोरी गांड हिलते देख वह और जोश में आ गया और मेरी गांड पर तेज़-तेज़ हाथ मारने लगे।

वह बोला: बड़ा कांटा माल हो भाभी आप तो। एक-दम मक्खन माल हो यार। क्या मखमली गांड है आपकी!

आज तो चुदाई का मजा लेना ही पड़ेगा। आपकी मखमली गांड में लंड डालना ही पड़ेगा। आज मैं आपको जमकर ठोकूंगा। आपकी पतली कमर, गोरा बदन, और हिलती हुई बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर किसी का भी पानी निकल जाए भाभी।

मैं बोली: तड़पाओ मत जान, अब डाल दो इसे अपनी भाभी की चूत के अन्दर।

वह बोला : चिंता मत करो भाभी, आज तो आपकी चूत का भोसड़ा बना दूंगा। सारी प्यास मिटा दूंगा मैं इसकी।

मैं बोली: तो डाल दो ना। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा।

इतना कहते ही वह मेरे पीछे आकर लंड को मेरी चूत पर रगड़ने लगे। मैं आहहाह्ह्ह... आआहह... अआहह... आहहहहह.... करने लगी। उन्होंने अपने लंड पर अच्छी तरह से थूक लगाकर अपना गर्म लंड मेरी चूत पर रखा, और पूरे जोर से एक धक्का दे मारा, और एक झटके के साथ उनका आधा लंड मेरी चूत में उतार दिया।

लंड घुसते ही मेरी चीखें निकल गई। मैं एक-दम से चिल्ला उठी, मगर मैं बर्दाश्त कर रही थी। ऐसा लग रहा था कि किसी ने मेरी चूत चीर डाली हो।

मैं चिल्लाई: आई मर गई! आहहहह... निकाल लो इसे। मुझसे सहन नहीं हो रहा। मैं मर जाऊंगी!

तो उन्होंने थोड़ा लंड बाहर करके एक ज़ोरदार धक्का मारा, और अपना पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया। मेरी आंखों से आंसू आ गए। उन्होंने कुछ देर लंड मेरी ही चूत में डाले रखा। शायद नंदोई जी समझ गये थे कि मैं चुदने को तैयार हो गई थी, तो वह अपने लंड को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगे।

अब मेरी चूत की चुदाई चालू हो चुकी थी। फिर उन्होंने अपना लंड चूत से बाहर निकाला, और फिर से अन्दर घुसा दिया।

जैसे ही उनके लंड ने पूरी तरह से जगह बनाई, तो मैं भी धक्के के मज़े लेने लगी। उन्होंने अपने धक्कों की स्पीड तेज कर दी। वह अपनी कमर हिला-हिला कर मेरी चूत में धक्के लगाने लगे। उनका लंड मेरी चूत में चलना शुरू हुआ, तो मेरी सिसकारियां बढ़ गई आहहहहह.. आहहह... आआहहहह....।

मेरे नंदोई जी मेरे बाल पकड़कर मुझे पीछे से चोद रहे थे। चुदाई के झटकों के कारण मेरी चूचियां हवा में झूल रही थी, और धक्कों की वजह से आगे-पीछे हो रही थी। हहह आआहहह... आहहहह.. आहहहह.. की मेरी कामुक आवाजें और साथ में फच.. फच.. फच.. की आवाज़ बाथरूम में गूंज रही थी।

मेरी कामुक सिसकारियां और बढ़ गई थी। मैं मजे से नंदोई के जोरदार लंड के झटके खा रही थी। उनका लंड मेरी चूत में ठोकर मारता रहा था, और मेरी चूत पूरी शिद्दत से उनके गरमा-गर्म लंड के झटके खा रही थी।

मैं मस्ती से चीख रही थी, और वह मुझे चोदे जा रहे थे। मैं उनका लंड घपा-घप अपने अन्दर ले रही थी, और वह दोनों हाथों से मेरी चूचियां मसलते हुए मेरी चूत में लंड पेले जा रहे थे। अन्दर से मेरी चूत एक-दम गर्म हो गयी थी। मेरी चूत भी पूरी तरह से लंड के झटके खा कर मज़े ले रही थी।

वह मुझे घोड़ी बनाकर बहुत तेज़ और गहराई तक जोरदार झटके मार रहे थे।

मैं उनसे बोल रही थी: आपका लंड बहुत जबरदस्त है। मैं बहुत दिनों से प्यासी हूं। प्लीज आज तो मेरी प्यास को बुझा दो। आपका लंड देखकर मेरे सब्र का बांध टूट गया है।

वह बोलने लगे: भाभी क्या गरम चूत हैं आपकी। मेरा पूरा लंड गर्मी के मारे जोश पर है आहहहहहह! चुद लो आज जी भरकर अपने नंदोई के इस गर्म लंड से। आज मैं आपकी चिकनी रसीली चूत का भोसड़ा बना दूंगा। भाभी आप बहुत प्यासी हो आपकी चूत आहहहह। इसकी सारी प्यास मिटा दूंगा आज मैं भाभी।

मैं भी अपनी मोटी गांड उठा-उठाकर उसका का साथ दे रही थी। मेरी चूचियां हवा में हिल रही थी, और वह तेज़ी से मेरी गांड मार रहे थे, और मैं कामुक आवाज में बोल रही थी-
मैं: आहहह... आहहहह... आहहहह... मेरे नंदोई जी! फाड़ दो भाभी की इस चूत को। भोसड़ा बना दो इसका। और जोर से चोदो आहह आहहहहह, बहुत प्यासी है यह चूत।

में कामुक आवाज में सिसकारियां भर रही थी: आहहह आह और अंदर डालो! थोड़ा और अंदर! और जोर से झटके मारो। फाड़ डालों आज मेरी चूत का भोसड़ा बना दों आहहह आहहह।

वह अपने भूखे लंड को मेरी चूत में धका-धक पेल रहे थे। अपने गर्म लंड को मेरी चूत में घुसा कर झटके पर झटके मार रहे थे।

अचानक मुझे महसूस हुआ कि वह अपनी एक उंगली मेरी गांड के छेद के उपर रगड़ रहे थे। मैं समझ गई कि अब ये मेरी गांड भी मारेगा और मेरी गांड फाड़ेगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, पर डर भी लग रहा था, कि आज तो गांड में लंड लेना पड़ेगा। मैं गांड में लंड खाने के लिए उतावली हो रही थी, क्योंकि मैं चुदाई के नशे में थी।

अब उन्होंने अपने दोनों हाथ से मेरे चूतड़ खोले और गांड के छेद पर थूक दिया।उसके बाद मेरी गांड के छेद में अपनी एक उंगली घुसाने लगे। लेकिन मेरी गांड कसी हुई होने के कारण उनकी उंगली अन्दर नहीं जा पा रही थी।

फिर उन्होंने वहां से शैम्पू का पाउच उठाया और फाड़कर पूरा का पूरा मेरी गांड के छेद पर ढाल दिया, और फिर गांड के छेद में उंगली डालने लगे। अब उनकी ऊंगली मेरी गांड में घुस गयी थी। फिर वह मेरी गांड में ऊंगली अन्दर-बाहर करने लगे। मैं अआहह... आहहह... आहहह... की आवाज़ कर रही थी।

मेरे पूरे जिस्म में आग लग गयी थी। मेरी चूत लंड के झटके खा रहा थी, और ऊंगली मेरी गांड में चल रही थी। उन्होंने मेरी गांड में ऊंगली करके मेरी गांड के छेद को चौड़ा कर दिया।

मेरी मोटी गांड हिलते देख वह और जोश में आ गये, और तेज़-तेज़ चोदते हुए चूतड़ पर हाथ मारने लगे। मैं घोड़ी बनी हुई थी और वह पीछे से मेरी चूत में लंड डाल के चुदाई कर रहे थे। उनके लंड के झटके खा-खा कर मैं फिर से झड़ गई। वह मेरी चूत में घपा-घप लंड घुसा कर ताबड़-तोड़ चोद रहे थे, और मैं घोड़ी बन कर पीछे से अपनी चूत की चुदाई करवा रही थी।

वह बोले: भाभी आज मुझे मत रोकना।

शायद उनका पूरा ध्यान मेरी गोरी मखमली गांड पर ही था।

वह बोले: भाभी मेरी नज़र आपकी फूली हुई गांड पर पड़ गई। क्या मखमली गांड है भाभी आपकी। मुझे आपकी चूत चोदते हुए आपकी गांड मारने का मन हो गया भाभी।

अब उनका लंड पेलना रुक गया, तो मैंने पीछे मुड़कर देखा और पूछा: रुक क्यों गए?

तो नंदोई जी बोले: मेरी जान, मैं आपकी चूत को चोद रहा हूं, और अब आपकी गांड मारने का मन हो रहा है।

फिर उन्होंने मेरे एक चूतड़ को मसलते हुए कहा: भाभी अब मुझे तुम्हारी गांड भी मारनी है।

मैं बोली: आपका इतना बड़ा लंड जब मेरी गांड में जाएगा, तो मेरा क्या होगा नंदोई जी? मेरी गांड फट जायेगी।

तो उन्होंने मेरे चूतड़ को सहलाते हुए कहा: कुछ नहीं होगा मेरी जान। मैं आपकी गांड का पूरा ख्याल रखूंगा। तुम मुझ पर भरोसा रखो।

और फिर उन्होंने अपना लंबा लंड मेरी चूत में से बाहर निकाला, और लंड पर बहुत सारा शैम्पू लगा के लंड मेरी गांड के छेद पर लगाया। इससे मेरी गांड एक-दम फिसल-पट्टी जैसी चिकनी हो गई थी। फिर उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे कंधे को पकड़ कर ज़ोर लगाया, जिससे उनका आधा लंड मेरी कसी हुई मखमली गांड के अन्दर चला गया।

मैं दर्द के मारे चीख पड़ी। उन्होंने मुझे कंधों से पकड़ लिया, जिससे मैं हिल नहीं पाई। करीब 10 सेकंड तक उन्होंने लंड ऐसे ही रखा, और फिर एक झटके से पूरा लंड गांड के अन्दर घुसा दिया। अब उनका पूरा लंड मेरी गांड में किसी चाकू की तरह अंदर तक उतर गया। उनका पूरा लंड मेरी गांड में समा चुका था। अब उन्होंने मेरी कमर को अपने हाथों से कसकर पकड़ लिया, और मेरी गांड में अपना लंड डालने लगे।

मेरी आंखों से आंसू आने चालू हो गए और मैं दर्द के मारे हिल भी नहीं पा रही थी। थोड़ी देर बाद उन्होंने अपने लंड को बाहर निकाला, और दोबारा से एक जोरदार धक्का दे दिया। मेरे मुंह से आहहहहह... आहहहहह... आहहहहह... की तेज आवाज़ें निकल रही थी। अब वह धीरे-धीरे लंड को मेरी गांड में अन्दर-बाहर करने लगे। थोड़ी देर बाद मुझे मज़ा आने लगा।

अब उनको लगा कि मैं मज़े ले रही थी, तो उन्होंने झटके तेज़ कर दिए, और मेरी मोटी गांड को चोदने लगे। हम दोनों चुदाई में लगे हुए थे। वह मेरी चूचियां मसलते हुए मेरी गांड को जोर-जोर से चोद रहे थे।

मेरे मोटे चूतड़ उसके झटकों से हिल रहे थे। वह मेरी गांड को पीटते हुए चोदने लगे, और मैं मज़े से उनके लंड के झटके खाने लगी। मैं मधमस्त होकर गांड हिला-हिला कर चुदवा रही थी। वह अपने हाथ से मेरी चूत के दाने को सहलाने लगे।
फिर एक उंगली में थूक लिया, और उंगली से मेरी चूत की फांकों को सहलाने लगे। साथ ही मेरी गांड में झटके पर झटके देते जा रहे थे। मुझे अपनी गांड मराने में मज़ा आ रहा था। मुझे दर्द हो रहा था, लेकिन फिर भी मैं बोल रही थी-

मैं: डालो अपना लंड मेरी गांड में। फाड़ दो इसे आज‌।

मुझमें लंड को गांड में लेने की भूख बहुत ज्यादा थी। अब मैं खुद ही अपनी गांड को आगे-पीछे करके मधमस्त आवाजें निकालने लगी।

मैं: आहहहह... आहहह... आहहह... चोद दो मेरी गांड को अआाहाहह। फाड़ दो इसे आहहहह... आहहह... आहहह...। और अन्दर तक डालो आाआहह। तेज चोदो अआहहह, और तेज-तेज गांड मारो नंदोई जी, फाड़ डालो आज भाभी की गांड आहहह, यस यस डालो अन्दर तक डालो।

उन्होंने मुझे कमर से कस के पकड़ रखा था। अब वह धीरे-धीरे मेरी कसी हुई गांड में अपना मूसल लंड अन्दर-बाहर करने लगे और जमकर मेरी गांड मारने लगे। मैं आह आह उफफ किए जा रही थी। धीरे-धीरे उन्होंने झटकों की स्पीड बढ़ा दी। मैं घोड़ी बनकर उनके लंड से गांड मरा रही थी।

उन्होंने मेरी गांड पर आठ-दस ज़ोर-ज़ोर से थप्पड़ मारे, जिससे मेरी गांड लाल हो गई। मैं उनके लंड के मज़े ले रही थी। पूरे बाथरूम में आहहहह.. आहहहह.. फच्च्च्च फच्च की आवाज गूंज रही थी। मैं फिर से झड़ चुकी थी।

मैं अपनी मोटी गांड में नंदोई का लंड ले रही थी। और बोल रही थी कि: आह आह और जोर-जोर से चोद दे मेरे नंदोई, मजा आ रहा है। आह चोद जोर से चोद।

उन्होंने मुझे गाली देते हुए कहा: हां ले चुद ले भाभी आह आह चुद लो अपने नंदोई के लंड से आह, ले मेरा लंड। मैं तो कब से तुझे चोदना चाह रहा था। आज जाकर मौका लगा है मेरी जान। आज तुझे मेरे लंड का पूरा मजा दूंगा। तेरा पति तो तुझे ढंग से चोदता नहीं है।

मैं बोली: बड़ा अन्दर तक पेल रहे हो आह। मजा आ रहा है। मैं बहुत दिनों के बाद चुद रही हूं आह।
वह पूरे जोश में कस-कस के धक्के मार रहे थे, जिससे मेरी चीखें निकल रही थी। मुझे सेक्स चढ़ रहा था। मैं मज़ा लेती हुई अपनी कमर हिला-हिला कर नंदोई जी का साथ दे रही थी।

मैं जोर-जोर से सिसकारी भर रही थी। मेरे सिसकारी भरने से वह और जोश में आकर बुरी तरह से मुझे चोद रहे थे। खड़े-खड़े चुदवाते-चुदवाते मैं थक गई। फिर मैं बोली-

मैं: अब अपना लंबा लंड मेरी चूत में डालो।

तो उन्होंने मेरी गांड में से अपना लंड निकाला, और मुझसे बोले कि लेट जाओ। तो मैं सीधी होकर नीचे ही लेट गई। वह मेरे दोनों पैरों के बीच में आये, और फिर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रखकर जोर से धक्का दिया। तो उनका लंड मेरी चूत में ना‌ जाकर, वहां से फिसलकर पीछे की और सरक गया।

मैं झट से बोल पड़ी: फिर से गांड नहीं मारो यार।

फिर मैंने अपने हाथ से उनके लंड को पकड़कर अपनी चूत पर लगा दिया, और बोली: अब धक्का दो।

जैसे ही नंदोई जी ने जोर से एक धक्का दिया, उनका पूरा लंड मेरी चूत की गहराई में अंदर तक चला गया। तभी उन्होंने अपने झटकों की स्पीड बढ़ा दी। मेरे नंदोई जी मुझे जोर-जोर से चोद रहे थे, और मेरे बड़े - बड़े चूची भी दबा रहे थे।

मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं सिसकारियां ले रही थी और बोल रही थी-

मैं: और जोर से चोदो, और जोर से चोदो, फाड़ दो मेरी चूत आह। मेरी चूत का भोंसड़ा बना दो आज। बहुत मजा आ रहा है। और जोर से चोदो, अन्दर तक डालो आहहह।

वह मेरी चूत में अपना लंड घपा-घप अन्दर-बाहर करते जा रहे थे। थोड़ी देर में हमने चुदाई की पोजीशन बदल ली। अब वह नीचे लेट गए। मैं उनके उपर आकर बैठ गई, और उनके लंड को अपनी चूत की दरार पर रखा। तभी उन्होंने नीचे से एक ज़ोर का झटका मारा, तो उनकी और मेरी झांटे आपस में मिल गई। मेरी चीख निकल गई।
अब मैं उनके लंड के ऊपर बैठकर उपर-नीचे होने लगी। हम पूरे पसीने-पसीने हो गये थे, तो मैंने शावर चालू कर दिया। शावर से हल्के-हल्के पानी की बूंदे मेरी चूंचियों पर पड़कर, मेरे पेट से रिसती हुई मेरी गहरी नाभी से होकर, मेरी चिकनी चूत से होकर उनके लंड पर पड़ रही थी।

उनका बड़ा और मोटा लंड मेरी चूत में सका-सक फका-फक अन्दर-बाहर हो रहा था। मैं उनके लंड पर उछल-उछल कर चुद रही थी। मेरी चूचियां भी उछल रही थी। फिर उन्होंने मेरी एक चूची को पकड़ा, तो मैं झुक कर उनके मुंह तक ले गई। अब वह मेरी दोनों चूंचियों को बारी-बारी से चूसने लगे। इधर मैं अपनी गांड उठा-उठाकर उनके लंड पर उछल रही थी।

हम दोनों बेकाबू हो रहे थे। हमें बहुत मजा आ रहा था। मैं बहुत उत्तेजित हो गई थी, और मैं झड़ने वाली थी। वह मुझे चोदे जा रहे थे। फिर मैं बोली मैं झड़ने वाली हूं, और मैं झड़ गई।

कुछ देर बाद उन्होंने मुझसे बोला: भाभी मेरे लंड का पानी निकलने वाला है। चूत में ही निकाल दूं क्या?

तो मैंने कहा: नही लंड को बाहर निकालो, मैं लेट जाती हूं। मेरे पेट पर आपके लंड का खारा पानी निकालना।

नंदोई जी उठ गये, और मैं जल्दी से वहीं बाथरूम में लेट गई। तो उन्होंने अपने लंड को पकड़ा और अपने हाथ से हिलाते हुए मेरी पर नाभी पर अपने लंड का खारा पानी भर दिया।

फिर हम दोनों साथ में नहाने लगे। मैं अपने हाथ से उनके लंड पर रगड़-रगड़ कर साबुन लगाने लगी, और बड़े प्यार से उनकी पीठ सहला कर साबुन लगाने लगी। फिर उन्होंने मेरी पीठ पर पानी की बूंदे डाली, तो मैं कसमसा गई।

वह साबुन लगाने लगे। मैंने आंखे बंद कर ली, और वह मेरी पीठ सहलाने लगे। वह साबुन लगाते हुए मेरे पेट पर हाथ घुमाने लगे, और मेरी नाभि को सहलाते हुए मेरी चूंचियों की तरफ अपना हाथ ले गये।

फिर बोले: भाभी आप नहाते हुए बहुत सेक्सी लग रही हो।

फिर हम नहा लिये, तो उन्होंने तौलिये से मेरा पूरे भीगे बदन को पौंछा, और मेरी चिकनी छाती, चिकने पेट और बड़ी-बड़ी चूंचियों को देखकर मुस्कुरा कर बोले-

नंदोई: भाभी आज तो मजा आ गया यार। फिर कब दे रही हो मौका?

मैं सेक्सी स्माईल के साथ बोली: अब नहीं।

उसके बाद उन्होंने अपने हाथों से मुझे ब्रा , पैन्टी और साड़ी , ब्लाउज पहनाई, और खुद ने भी कपड़े पहने। फिर हम बाथरूम से निकलकर मेरे कमरे में चले गये।
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#35
Next update"  boyfriend से चुदाई ( birthday, Karwa chauth) पर
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#36
next update other man not family man
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#37
wonderful update
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#38
(01-12-2025, 04:08 AM)exbiixossip2 Wrote: next update other man not family man

Yes bro
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#39
Next update boyfriend......... birthday

सगाई से रांची आए हुए हमें दो महीने से ज्यादा हो गया था और मैं और रोहित अपनी लाइफ में व्यस्त हो गए थे। अगले महीने मेरा जन्मदिन आने वाली थी , तो रोहित ने जन्मदिन के 5 दिन पहले पूछा- इस बार जन्मदिन पे क्या प्लान कर रही हो , मैंने कोई जवाब नहीं दिया, फिर थोड़ी देर रूक कर कहां - रोहित मैं आपको कुछ बताना चाहती हुं।
रोहित - हां बोलो।
मैं - रोहित मैं अगले दो - तीन महीने से किसी लड़के से बात करती रही हुं।
रोहित ( नोर्मल अंदाज में ) - तो इसमें गलती किया है किसी से बात करना कोई गुनाह नहीं है ।
मैं - मुझे लगा कहीं आपको पता चला तो आप मुझपर गुस्सा करोगे।
रोहित ( नोर्मल अंदाज में )- इसमें गुस्सा करने की कोई बात ही नहीं है। अच्छा वह लड़का कौन है ? और मुझे भी उससे बात करनी है? उसका नम्बर है तो दो ।

मैं आचार्य थी अपने पतिदेव की इस बहवार से ( नोर्मल अगर किसी को पता चले उसकी बीवी किसी गैर मर्द से बात करती है तो पत्नी और पति के रिश्ते में दरार आ जाती है मगर मेरे पतिदेव नोर्मल है )

मैंने उन्हें बाद में बात भी करवाई अब रोहित और " प्रफुल्ल " में एक गहरी दिलचस्पी दोस्ती भी हो गई है

मेरा ज़्यादातर वक्त प्रफुल्ल के साथ फोन पे बात करते हुए बीतता थी , हम हमेशा या तो फोन पे या चैट पे लगे रहते थे।

...................

अब मैं आप सबको प्रफुल्ल के बारे में थोड़ा सा बता दूँ।

मैं और प्रफुल्ल मेरी ननंद की सगाई में मिले थे , प्रफुल्ल मेरी ननद का पुराना यार था और पढ़ाई करता था। वह दिखने में बहुत क्यूट और हैंडसम है। मेरी ननंद भी बहुत क्यूट और मासूम सी दिखती है तो मैं उन दोनों को क्यूट कपल ( मजाक से ) कहके बुलाती थी। तभी ही मेरी प्रफुल्ल से मुलाकात हुई थी।
अब प्यार सच्चा था या नहीं ये तो नहीं कह सकते … पर हम दोनों को एक - दूसरे से बात करना बहुत पसंद था, हम लगभग हर बात शेयर करते थे।
मैं उससे अब तक सिर्फ सगाई में ही मिली थी एक बार, और उतने में ही हमारे बीच दोस्ती हो गई थी।
धीरे धीरे वक़्त बीतता गया और इसी तरह दो महीना से ज्यादा बीत गया ।
..............................
मेरा जन्मदिन दो दिन पहले  मुझे उसका फोन आया तो उसने कहां - बेबी, हम दोनों को मिले हुए वह दिन हो गया है।
लेकिन मैं उसे ऐसे ही तड़पाने के लिए कहीं - नहीं बाबू, हम नहीं मिल सकते हैं। वह तो मैं तुमसे सिर्फ बातें करती हुं क्योंकि तुमसे बात करना अच्छा लगता है।

उसने कहा- प्लीज यार , मैं तुम्हारा जन्मदिन तुम्हारे साथ मनाना चाहता हूं ।

मैंने कहा- नहीं यार, समझा करो, इस बार जन्मदिन मैं तुम्हारे साथ मनाना चाहती हूँ। मगर मेरे पति परमिशन नहीं देंगे ।

प्रफुल्ल बोला- अच्छा ठीक है।

( फिर उस दिन के बाद प्रफुल्ल का फोन नहीं आया )
..................

जन्मदिन वाले सवेरे का समय

रोहित बोला- हैप्पी बर्थडे में डियर पत्नी जी ।

मैं बोली- थैंक यू वेरी पतिदेव।

फिर रोहित ने बोला- गिफ्ट कैसा लगा?

मैं बोली- कौन सा गिफ्ट?

उन्हें ने बोला- चादर से निकलो और साइड में मेज पे देखो।

मैंने देखा तो वहाँ एक गिफ्ट बॉक्स रखा था, मैं फिर एक बार बोली- अरे !!, थैंक्स यू डियर पतिदेव ।

रोहित बोला- गिफ्ट खोल के तो देखो!

तो मैंने खोला, उसके अंदर एक लाल रंग की बहुत खूबसूरत साड़ी थी. तभी रोहित ने एक बॉक्स और मेरे हाथ में रख दिया और बोला- ये भी तुम्हारे लिए।
मैंने उसे खोला तो उसमें मेरे लिए साड़ी के मैचिंग रंग का ब्लाउज़ और पेटीकोट था।
मैंने एक बार फिर रोहित को शुक्रिया कहां. फिर रोहित ने कहा- अगर शाम को तुम ये पहनोगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा ।
मैंने कहा- अच्छा ठीक है पतिदेव , लेकिन अभी तो ब्लाउज़ की फिटिंग भी नहीं हुई होगी.
तो रोहित बोले - तू उसकी चिंता मत करो मैंने तुम्हारी साइज़ के हिसाब से सब फिटिंग करवा दी थी।
मैं खुश हो गयी और बोली- अच्छा गिफ्ट पहले ही प्लान कर लिया था आप ने।
( शायद पहली बार मुझे पतिदेव ने साड़ी गिफ्ट की थी। नहीं तो मैं खुद खरीदती थी । )

फिर रोहित ओफिस चले गए

दोपहर को.....

मैं अकेली बाजार चली गई। ( हम लोगों रांची में तीन साल से है मगर किसी अगल और बगल वालों से ज्यादा सम्पर्क में नहीं है ) बाजार में पार्लर जाकर कुछ मैकअप करवाया और कुछ समान खरीद कर शाम तक वापस आ गई  और घर आकर कपड़े बदले.

जब में शाम को घर आई तो रोहित भी ओफिस से घर आ चुके थे फिर मैंने बाथरूम में जाकर एक सेक्सी सी रेड कलर की ही पुश-अप ब्रा और पैंटी पहनी और फिर ब्लाउज़ और पेटीकोट पहन के बाहर आ गयी, रोहित ने ब्लाउज़ भी ऐसा लिया था जो पीछे हुक की बजाए डोरी से बांधता हो।
बाहर आई तो रोहित ने साड़ी पहनने में मेरी मदद की।
रोहित बोले - यार पायल , तेरे पर तो सारे कपड़े जँचते हैं, देख फिटिंग बिल्कुल सही आई है। बहुत खूबसूरत लग रही है,( मैंने पहली बार साड़ी सगाई में ही पहनी थी वह भी सासु मां की साड़ी थी )
मैं उनके कंधे पर हल्का सा मारती हुई मुस्कुरा कर बोली- यह सब आपके लिए है । फिर मैं कमरे के अंदर गई
और हल्का सा सेक्सी सा मेकअप कर बाहर आई । जैसे ही रोहित ने मुझे देखा उसका मुंह खुला रह गया, आँखें फाड़ के मुझे घूरे जा रहे थे। मुझे उसका इस तरह बच्चों की तरह ललचाई नजरों से देखना बहुत प्यारा लग रहा था।

मैंने रोहित की चुप्पी तोड़ते हुए कहा- आप कुछ बोलेंगे या ऐसे ही देखते रहेंगे ?
तभी रोहित हंसने लगे और  मेरी तारिफ के फुल से स्वागत किया।
तभी रोहित बोला- यार पायल, तुम इस साड़ी में इतनी खूबसूरत लग रही हो कि मेरी नज़र ही नहीं हट रही तुम पर से, ऐसा लग रहा है जैसे कोई परी उतार आई हो। लाल रंग तुम पर बहुत प्यारा और सेक्सी लगता है।

मैं बोली- आपका गिफ्ट बहुत खूबसूरत है, थैंक यू।

फिर उन्होंने कहा - तुम्हारे लिए एक और गिफ्ट है वह थोड़ी देर में मिलेगा।
मैंने पतिदेव से कहा - अच्छा कैसा गिफ्ट ?

तभी रोहित के मोबाइल पर फोन आया और उन्होंने कहां 30 मिनट में आता हुं और चले गए। तभी तक मैं सोची रात के लिए कुछ खाना बना लेती हुं और मैं किचन में जाकर
खाना बनाने लगी।

जब मैं किचन में खाना बना रही थी तभी मुझे कमरे में किसी की आने का अहसास हुआ मैंने आवाज़ लगाई - रोहित जी आप आ गए । तभी पति ने हां कहां। फिर मैं खाना बनाने लगी तभी पीछे से रोहित ने मेरी आंखों पर हाथ रखकर बंदकर दिया और कहां- चलो कमरे में तुम्हारे लिए गिफ्ट लेकर आया हूं मैं धीरे- धीरे कमरे में पहुंची। तो रोहित ने आंखों पर से हाथ हटाया और मैं देखकर चौंक गई। सामने प्रफुल्ल खड़ा था तकरीबन 2 महीने बाद हम एक दूसरे को आमने सामने देख रहे थे.
उसने मुझे देखकर मुझसे लिपट गया और गले लगा लिया ज़ोर से। हम ऐसे ही 30-40 सेकंड तक गले गले रहे.
तभी रोहित बोले - मैं भी हूँ प्रफुल्ल , तुम लोग तो मुझे भूल ही गए शायद ? मैं शर्मा के मुस्कुराने लगी और नीचे देखने लगी।
प्रफुल्ल भी मुस्कुरा दिया और बोला- बिलकुल रोहित जी,
फिर प्रफुल्ल और रोहित दोनों ने हैंडशेक किया और हम तीनों वहीं बैठकर इधर उधर की बातें करने लगे। प्रफुल्ल सामने बैठा हुआ था और उसकी नज़र बार बार आकर मुझे पर रुके जा रही थी।
मैंने कहा- क्या हुआ, अच्छी नहीं लग रही न मैं इन कपड़ों में?


कहानी जारी रहेगी...
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#40
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