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ये मेरी पहली स्टोरी है तो कोई गलती हो sorry और please suggestions देते रहियेगा।
दिल्ली की चमचमाती जिंदगी से निकलकर संजय हरियाणा के एक छोटे से गांव में पहुंचा था। गांव की हवा में ठंडक थी, नवंबर का महीना जो था, और चारों तरफ खेतों में सरसों की पीली फसल लहरा रही थी। संजय ने अपनी सफेद शर्ट और काली पैंट पहनी हुई थी, ऊपर से ग्रे कलर का वूलन कोट, जो दिल्ली की ठंड से बचाने के लिए काफी था, लेकिन यहां गांव की सर्दी कुछ ज्यादा ही काटने वाली लग रही थी। उसका कद 5 फुट 10 इंच का था, बॉडी फिट और एथलेटिक – जिम जाने की आदत जो थी ना। चेहरा गोरा, बाल काले और हल्की सी दाढ़ी, जो उसे हैंडसम लुक देती थी। वह पूजा को देखने आया था, रिश्ते की बात पक्की करने। पूजा के घर के बाहर एक छोटा सा आंगन था, जहां गायें बंधी हुई थीं और मिट्टी की दीवारें पुरानी लेकिन साफ-सुथरी लग रही थीं।
अंदर कमरे में पूजा के पापा, मिस्टर शर्मा, एक साधारण कुर्ता-पायजामा पहने बैठे थे। उम्र करीब 50 की, चेहरा गोल और दाढ़ी सफेद, लेकिन आंखों में तेजी। मम्मी जी, पूजा की मां, सलवार-कमीज में थीं – हरे रंग की, जो उनकी उम्र के हिसाब से फिट बैठती थी। उनका फिगर मध्यम था, थोड़ा मोटापा लेकिन गांव की मेहनतकश औरतों वाला। वे चाय बना रही थीं, और कमरे में लकड़ी की कुर्सियां बिछी हुई थीं। संजय को बैठाया गया, और इंतजार शुरू हुआ।
"बेटा, पूजा को अभी बुलाती हूं," मम्मी जी ने मुस्कुराते हुए कहा, उनकी आवाज में गांव की मिठास थी। "पूजा... पूजा बेटी, आ जा! मेहमान आए हैं!"
ऊपर से सीढ़ियों की आवाज आई, और फिर पूजा उतरी। संजय की सांस जैसे रुक गई। पूजा ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी, बनारसी सिल्क की, जो उसके बदन से चिपककर उसकी कमर की पतली लाइन को उभार रही थी। कमर इतनी पतली थी कि संजय को लगा, दोनों हाथों से घेर लेंगे तो आराम से आ जाएगी – शायद 26 इंच की। साड़ी का पल्लू उसके कंधे पर लहरा रहा था, और ब्लाउज टाइट फिटिंग का, गहरे लाल रंग का, जो उसके ब्रेस्ट्स को परफेक्ट शेप दे रहा था। ब्रेस्ट्स करीब 34 इंच के, फुल और गोल, जैसे दो रसीले आम लटक रहे हों। हाइट 5 फुट 4 इंच, लेकिन साड़ी और हील्स की वजह से और लंबी लग रही थी। उसके होंठ गुलाबी, जैसे कोई फूल खिल रहा हो, और आंखें – काली, बड़ी-बड़ी, काजल लगी हुईं, जिनमें डूब जाने का मन करता था। चेहरा इतना खूबसूरत कि लगता था कोई अप्सरा उतर आई हो। ठंड की वजह से उसके गाल सफेद थे, बर्फ जैसे, और नाक पर हल्की सी लाली। बाल लंबे, काले, खुले हुए, जो उसकी कमर तक आ रहे थे। साड़ी का आंचल उसके हिप्स पर गिरा हुआ था, जो राउंड और फर्म लग रहे थे – शायद 36 इंच के। पूरी बॉडीघड़ी थी, जैसे कोई मॉडल हो।
संजय उसे देखता ही रह गया। उसकी आंखें पूजा के चेहरे से नीचे स्लाइड होकर उसके क्लेवेज पर अटक गईं, जहां साड़ी का ब्लाउज थोड़ा डीप नेक था, और सफेद स्किन चमक रही थी। पूजा शर्मा होकर मुस्कुराई, लेकिन संजय को लगा जैसे बिजली का झटका लगा हो।
"नमस्ते," पूजा ने धीमी आवाज में कहा, हाथ जोड़कर। उसकी आवाज मधुर थी, जैसे कोई गाना।
"न... नमस्ते," संजय हकलाया, उठकर खड़ा हो गया। पापा जी हंसे, "बैठो बेटा, शर्मा मत। पूजा, इधर बैठ।"
बातचीत शुरू हुई। पापा जी ने संजय की नौकरी के बारे में पूछा – दिल्ली में आईटी कंपनी में सीनियर डेवलपर, सैलरी अच्छी। मम्मी जी ने पूजा की पढ़ाई बताई – बीएससी कंप्लीट, अब आगे पढ़ना चाहती है। संजय ने पूजा की तरफ देखा, "आप क्या करना चाहती हैं आगे?"
पूजा ने आंखें नीची कीं, फिर उठाकर बोली, "मैं डॉक्टरेट करना चाहती हूं, बायोलॉजी में। लेकिन घरवाले कहते हैं शादी के बाद मुश्किल होगा।"
संजय मुस्कुराया, "नहीं, मैं सपोर्ट करूंगा। दिल्ली में रहेंगी तो यूनिवर्सिटी भी पास है। मैं खुद मदद करूंगा।"
पापा जी ने सराहा, "अच्छा लड़का है। अब तुम दोनों अकेले में बात कर लो, बाहर घूम आओ।"
वे दोनों बाहर निकले, गांव की पगडंडी पर। ठंडी हवा चल रही थी, पूजा ने शॉल ओढ़ लिया – लाल ही, जो उसके फिगर को और हाइलाइट कर रहा था। संजय ने कहा, "तुम बहुत खूबसूरत हो पूजा। पहली नजर में ही दिल जीत लिया।"
पूजा शर्मा गई, "थैंक यू। आप भी अच्छे लग रहे हो। दिल्ली में क्या करते हो फ्री टाइम में?"
"जिम, मूवीज। तुम?"
"पढ़ाई, घर का काम। लेकिन डॉक्टरेट का सपना है। आप सच में सपोर्ट करोगे?"
"पक्का। शादी के बाद तुम्हारी पढ़ाई पहले।"
बातें लंबी चलीं – बचपन की, सपनों की। पूजा की हंसी में मिठास थी, और संजय उसके होंठों को देखता रहता। आंखों में खो जाना जैसे सच हो गया। रिश्ता पक्का हो गया।
फिर शादी की तैयारी। धूमधाम से शादी हुई, गांव में पंडाल सजा, दिल्ली से संजय के दोस्त आए। शादी का दिन – पूजा दुल्हन के जोड़े में। लाल लेहंगा, हैवी एम्ब्रॉइडरी वाला, जो उसके फिगर को हग कर रहा था। ब्लाउज डीप कट, बैकलेस स्टाइल में, जहां से उसकी कमर की नंगी स्किन दिख रही थी – पतली, स्मूद, जैसे मक्खन। ब्रेस्ट्स का क्लेवेज गहरा, लेहंगे की वजह से और उभरा हुआ। हाइट हील्स में 5'6" लग रही थी। मंगलसूत्र उसके गले में, सोने का, जो क्लेवेज के बीच में लटक रहा था, हर बार सांस लेते हुए हिल रहा था – सेक्सी लग रहा था, जैसे कोई चुंबक। चेहरा मेकअप से और निखरा, होंठ रेड लिपस्टिक से चमक रहे, आंखें स्मोकी। बाल जूड़े में, मांग में सिंदूर। हिप्स लेहंगे में राउंड शेप में, हर कदम पर हिलते। पूरी दुल्हन कयामत लग रही थी।
संजय शेरवानी में, गोल्डन एम्ब्रॉइडरी वाली, कद में लंबा लग रहा था। लेकिन सबकी नजरें पूजा पर। बाराती दे रहे थे, "भाई, तेरी तो लॉटरी लग गई! लंगूड़े के मुंह में अंगूर!"
संजय के दोस्त – राहुल, विक्की, अंकित – फुसफुसा रहे थे। राहुल ने कहा, "यार संजय, भाभी तो मस्त है! वो क्लेवेज देख, कैमरामैन तो जूम करके वीडियो बना रहा है। रात को हमारी बीवियां भी पूजा को सोचकर... समझ ना!" वे हंसे। विक्की बोला, "सच में, तेरी बीवी नहीं, अप्सरा है। मैं तो अपनी वाली को आज पूजा बनाकर चोदूंगा!"
कैमरामैन सच में जूम कर रहा था – पूजा के क्लेवेज पर, मंगलसूत्र पर, उसके हिप्स पर जब वह घूमती। सब मेहमान देख रहे थे, औरतें जल रही थीं, मर्दों की नजरें चिपकी। संजय गर्व से मुस्कुरा रहा था, लेकिन अंदर से जलन भी – उसकी पूजा, सबकी फैंटसी।
शादी के रस्में पूरी हुईं। फेरे लिए, सिंदूर डाला। अब सुहागरात का समय। कमरा सजा हुआ था, फूलों से, लाइट्स डिम। पूजा अंदर आई, घूंघट उठाया। संजय दरवाजा बंद किया। ठंड थी, लेकिन कमरे में हीटर जल रहा था। पूजा का चेहरा शर्मा रहा था, लेकिन आंखों में उत्सुकता। लेहंगा अभी भी पहना था, ब्लाउज से क्लेवेज उभरा हुआ।
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Nice update and waiting for next update
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Kuch bhi dikhana chuck mat banana pati ko
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रात के ग्यारह बज चुके थे। बैंक्वेट हॉल की रौनक़ अब कमरे की दीवारों में सिमट चुकी थी। बाहर बारात की आखिरी गाड़ियाँ रवाना हो रही थीं, और अंदर—सजाए हुए सूट में—Pooja दुल्हन के जोड़े में बेड पर बैठी थी।
लाल बनारसी लहंगा अब भी भारी था, लेकिन दुपट्टा सिर से सरक कर कंधे पर लटक रहा था। उसकी मांग में सिंदूर की लकीर चमक रही थी, जैसे कोई लाल सूरज डूबने से पहले आखिरी बार मुस्कुराया हो। मंगलसूत्र उसकी क्लीवेज के बीच झूल रहा था—हर साँस के साथ हल्का सा हिलता, जैसे कह रहा हो, "अब ये तेरी है।"
संजय ने दरवाज़ा धीरे से बंद किया। उसकी शेरवानी का ऊपरी बटन खुला हुआ था, गले में हल्की सी लाली—शराब की नहीं, उत्तेजना की। उसने जूते उतारे, मोज़े उतारे, और धीरे-धीरे बेड की ओर बढ़ा।
Pooja ने आँखें नीची कर लीं। उसकी उँगलियाँ लहंगे के पल्लू से खेल रही थीं।
संजय बेड के किनारे पर बैठा। उसकी साँसें भारी थीं। उसने बस आजतक porn देख कर ही मुठ मारी थी। पहली बार लड़की के साथ था वो। उसकी बीवी जिसे वो जितना चाहे चोद सकता है।
"वाह..." संजय ने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में काँप थी, "क्या क़िस्मत है मेरी... जो तुम जैसी ख़ूबसूरत बीवी मिली मुझे।"
Pooja शर्मा गई। उसकी साँसें तेज़ हो गईं। उसने होंठ दबाए।
संजय ने उसका हाथ लिया। उसकी हथेली ठंडी थी, लेकिन उँगलियाँ गर्म।
"कैसा लग रहा है यहाँ?" उसने पूछा।
Pooja ने मुँह नीचे किए, धीरे से कहा, "ठीक... लग रहा है।"
संजय ने प्यार से उसका चेहरा ऊपर उठाया। उसकी उँगलियाँ Pooja की ठोड़ी पर थीं। "मुझे अपना पति के साथ-साथ दोस्त ही समझो।"
Pooja कुछ नहीं बोली। सिर्फ़ आँखें झुकाए रही।
संजय ने झुककर उसके माथे पर किस किया। फिर गाल पर। फिर होंठ।
Pooja ने भी हल्के से उसके दोनों गालों पर किस किया।
फिर संजय ने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे। धीरे से। फिर चूसने लगा। Pooja की साँसें गर्म होने लगीं। उसकी नथ हल्की सी हिली। संजय ने नथ को भी होंठों से छुआ, चूसा।
Pooja की आँखें बंद हो गईं।
संजय की जीभ उसके मुँह में गई। पहले वो सहम गई। फिर समझ गई। उसने भी अपनी जीभ आगे बढ़ाई। दोनों की जीभें मिलीं। गीली। गर्म।
किस करते हुए संजय का हाथ Pooja के ब्लाउज़ पर गया। बटन। एक। दो। तीन।
Pooja ने हाथ हटाने की कोशिश की। "जी..."
"श्श..." संजय ने कहा, और ब्लाउज़ खोल दिया।
अब वो सिर्फ़ ब्रा में थी। लाल रंग की, लेस वाली। उसकी छाती ऊपर-नीचे हो रही थी। संजय ने उसे बेड पर लिटाया। खुद उसके ऊपर चढ़ गया।
ब्रा के ऊपर से ही उसने एक स्तन मुँह में लिया। चूसा।
"उफ़..." Pooja की आवाज़ निकली। उसने संजय का सिर अपनी छाती पर दबा लिया।
कुछ देर बाद दोनों खड़े हो गए। संजय ने लहंगे का नाड़ा खोला। लहंगा ज़मीन पर गिरा।
Pooja ने झटके से उसे पकड़ने की कोशिश की।
"जाने दो न जान," संजय ने उसके हाथ पकड़ लिए।
Pooja चुप हो गई। उसके गाल लाल हो गए। वो संजय की छाती से लिपट गई।
संजय ने उसे थोड़ा दूर किया। नज़र भर कर देखा।
ब्रा। पैंटी। में। वाह स्वर्ग की अपसरा, संगमरमर सा तरासा बदन। बड़ी सुडॉल् गाँड़। Pooja की कमर 24 इंच की कूल्हे गोल, मोटे। जाँघें चिकनी, गोरी। उसकी ब्रा में उसके स्तन भरे हुए थे—36 साइज़। पैंटी टाइट थी उसकी चूत की शेप साफ़ दिख रही थी।
"जी... मुझे शर्म आ रही है... लाइट बंद कर दीजिए," Pooja ने कहा।
संजय ने बड़ी लाइट बंद की। छोटी लाइट जलाई। पीली रोशनी।
Pooja बेड के कोने पर बैठ गई।
संजय ने अपनी शेरवानी उतारी। बनियान। पायजामा। अब सिर्फ़ अंडरवियर। उसका लंड खड़ा था, अंडरवियर से बाहर झाँक रहा था।
वो बेड पर आया। Pooja को बाहों में लिया। उसकी पीठ पर हाथ फेरा। ब्रा का हुक खोला।
ब्रा गिरी।
दोनों स्तन बाहर। गोल, भरे हुए। निप्पल गुलाबी, सख़्त।
संजय ने एक स्तन मुँह में लिया। चूसा।
"वाह क्या स्वाद है। मज़ा आ गया"
"उफ़ हह... मत करो जी... आह..." Pooja की आवाज़ काँपी।
लेकिन वो खुद ही अपना स्तन उसके मुँह में दे रही थी।
कुछ देर बाद संजय ने पैंटी उतारी।
Pooja की चूत। चिकनी। गुलाबी। एकदम वर्जिन।
संजय ने उसकी टाँगें फैलाईं। मुँह लगाया।
"आह... नहीं जी..." Pooja ने सिर हटाने की कोशिश की।
लेकिन संजय नहीं रुका। उसकी जीभ चूत के अंदर। बाहर। क्लिट पर।
Pooja की साँसें तेज़। उसकी गांड ऊपर उठने लगी।
"आह... आह... उफ़..."
पाँच मिनट। और फिर—Pooja अकड़ गई। उसकी चूत से पानी निकला।
वो निढाल हो गई।
संजय ने पूछा, "फूल मूड में हो जान?"
Pooja ने मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखा। जैसे कह रही हो आओ मुझे खा जाओ।
संजय ने अंडरवियर उतारा। उसका लंड—5 इंच, मोटा, सख़्त।
Pooja सहम गई।
संजय ने अपना लंड चूत के मुहाने पर टिका दिया। उसका लंड गर्म था, जैसे लोहे की छड़। नसें उभरी हुईं, सुपारा लाल-गुलाबी, चमकदार। तेल की वजह से फिसलन थी, लेकिन फिर भी टाइट।
Pooja की साँसें तेज़ थीं। उसकी चूत छोटी थी—एकदम वर्जिन। बाहर से सिर्फ़ एक पतली सी लाइन, जैसे कोई गुलाबी कली अभी खुलने को है। उसकी टाँगें काँप रही थीं।
संजय ने कमर के नीचे तकिया रखा था। उसने धीरे से दबाया।
सुपारा अंदर गया।
Pooja की आँखें चौड़ी हो गईं।
"आह... जी... दर्द..."
संजय को लगा जैसे कोई टाइट रबर का छेद हो। अंदर की दीवारें दब रही थीं। गर्मी। नमी। लेकिन रास्ता बंद।
उसने और दबाया।
अंदर एक पतली सी झिल्ली थी। हाइमन।
संजय को एहसास हुआ—ये वही है। उसकी बीवी की जवानी का आखिरी दरवाज़ा।
उसके अंदर हवस की आंधी थी। लेकिन प्यार भी। वो रुकना चाहता था, लेकिन लंड खुद आगे बढ़ रहा था।
Pooja की मुट्ठियाँ बेडशीट पकड़कर सिकुड़ गईं। उसकी आँखें बंद। दाँत होंठों में दबे।
संजय ने एक गहरी साँस ली।
फिर—
जोर का धक्का।
"आआआआह! उई मम्मी... मर गई... छोड़ो!"
Pooja का पूरा बदन ऊपर उछला। उसकी कमर में एक तेज़, जलती हुई सुई चुभी। जैसे कोई छुरी अंदर घुस गई हो। उसकी चूत फट गई। हाइमन टूट गया।
संजय को लगा—अंदर कुछ फटा। गर्माहट। फिर नमी।
खून।
लाल। गाढ़ा। लंड पर लिपटा हुआ। बेडशीट पर फैलता हुआ।
Pooja की आँखों से आँसू निकल आए। उसकी साँसें रुक-रुक कर आ रही थीं।
संजय रुक गया। उसका लंड पूरा अंदर था। लेकिन अब दबाव कम था। अंदर की दीवारें ढीली पड़ गई थीं। गर्म। फिसलन। खून और तेल मिलकर चिकनाहट बना रहे थे।
उसे एहसास हुआ—ये उसकी बीवी का खून है। उसकी जवानी का निशान।
Pooja रो रही थी। धीरे-धीरे।
"दर्द... बहुत दर्द... जी..."
संजय ने उसका माथा चूमा। "बस थोड़ा... अब ठीक हो जाएगा..."
उसने हल्के से हिलाया।
Pooja की सिसकी निकली। लेकिन अब दर्द कम था। जलन थी, लेकिन साथ में एक अजीब सी भारीपन। जैसे कुछ भर गया हो।
संजय ने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए।
पहले धक्के में—Pooja की चूत में खून और निकला।
दूसरे में—उसकी दीवारें लंड को महसूस करने लगीं।
तीसरे में—दर्द कम। जलन कम।
चौथे में—Pooja की कमर खुद हिली।
"आह... उह..."
अब उसकी आवाज़ में दर्द नहीं—मजा था।
संजय को लगा—अंदर गर्माहट बढ़ रही है। उसकी बीवी की चूत अब उसकी हो गई। पूरी तरह।
खून सूखने लगा। बेडशीट पर लाल धब्बा था।
Pooja की आँखें खुलीं। उसने संजय को देखा।
"अब... ठीक है..."
संजय ने लंड को चूत पर टिकाया।
धीरे से दबाया।
"आह... दर्द..." Pooja की मुट्ठियाँ भींचीं।
संजय रुका। फिर एक जोर का धक्का।
"आआआह! मम्मी... मर गई!"
लंड अंदर। पूरा।
संजय रुका। Pooja की साँसें नॉर्मल हुईं।
फिर धीरे-धीरे धक्के।
"आह... उह... आह..."
Pooja की आवाज़ अब मादक थी। उसकी कमर खुद हिलने लगी।
कुछ मिनट। और संजय झड़ गया।
वो Pooja पर गिर पड़ा।
कुछ देर बाद Pooja उठी। वॉशरूम गई। साफ़ की।
वापस आई। दोनों नंगे।
संजय ने पूछा, "कैसा लगा जी? दर्द तो नहीं?"
Pooja ने मुस्कुराते हुए कहा, "पहले हुआ था... अब ठीक है।"
दोनों नंगे ही लिपट कर सो गए।
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Very good keep updating....
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जयपुर की गर्म हवाएँ अभी भी नवंबर में चुभ रही थीं, लेकिन संजय की गाड़ी का एसी ठंडक दे रहा था। Pooja उसके बगल में बैठी थी—सफेद सलवार सूट में, दुपट्टा कंधे पर, बालों की चोटी कमर तक लहरा रही थी। उसकी आँखें खिड़की से बाहर देख रही थीं—लाल पत्थर की इमारतें, रंग-बिरंगे रिक्शे, और दूर किले की दीवारें।
"जा रही हूँ ना..." Pooja ने धीरे से कहा।
संजय ने उसका हाथ थामा। "दो साल। बस। फिर doctorate पूरा। फिर घर।"
हॉस्टल पहुँचे। गर्ल्स हॉस्टल—पुराना, लेकिन साफ़। कमरा नंबर 204।
दरवाज़ा खुला।
अंदर—**Renu**।
दुबली-पतली, लेकिन कर्व्स साफ़। गेहुँआ रंग—दुस्की, जैसे सूरज ने चूमा हो। बाल छोटे, बॉब कट। टॉप—लूज़ ग्रे क्रॉप टॉप, पेट बाहर, नाभि में छोटी सी रिंग। लोअर—ब्लैक शॉर्ट्स, जाँघें पूरी दिख रही थीं। उसकी ब्रा की स्ट्रैप बाहर झाँक रही थी।
"हायy!" Renu ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम Pooja? कम इन।"
संजय ने सामान उतारा। बेड। अलमारी। किताबें।
Renu ने संजय को ऊपर से नीचे देखा। "भैया जी, चाय पियोगे?"
संजय ने मुस्कुराते हुए मना किया। Pooja को गले लगाया। "रात को फोन करना।"
फिर चला गया।
---
**पहला दिन कॉलेज**
Pooja ने गुलाबी सलवार सूट पहना। दुपट्टा सिर पर। चप्पलें। बैग में किताबें।
कैंपस में घुसते ही—
"अरे वाह! नई माल!"
"देसी मालूम पड़ती है!"
"कितनी सीधी-सादी है यार!"
लड़के हँस रहे थे। Pooja ने सिर नीचा कर लिया।
---
**रैगिंग**
कैंटीन के बाहर। तीन सीनियर।
"नाम?"
"Pooja..."
"शादीशुदा हो? मंगलसूत्र क्यों नहीं?"
"हॉस्टल में नहीं पहनती..."
"अरे, पति को फोन करो। बोलो—'मैं यहाँ लड़कों के साथ हूँ'!"
Pooja की आँखें भर आईं।
तभी—
"अबे ओए! क्या बकचोदी है ये?"
**Vikram**।
लंबा। 6 फीट। सफेद शर्ट, जींस। बाल हल्के कर्ली। आँखें तेज़।
"ये फ्रेशर्स हैं। रैगिंग बंद हो गई है। निकलो यहाँ से!"
तीनों चले गए।
Pooja ने आँसू पोंछे। "थैंक यू..."
Vikram ने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई बात नहीं। चाय पियोगी?"
वो कैंटिन मे गए वहाँ चाय order करी
"तो doctorate कर रही हो?" Vikram ने पूछा।
"हाँ। बॉटनी में।"
"मैं ज़ूलॉजी। थर्ड ईयर।"
"तुम्हारी शादी?" Vikram ने पूछा, आँखें चाय में।
"हाँ। दो महीने हुए।"
"लव मैरिज?"
"नहीं। अरेंज्ड। लेकिन... अच्छा लड़का है।"
"तुम्हारे पति क्या करते हैं?"
"सॉफ्टवेयर इंजीनियर। दिल्ली।"
"अच्छा। तो तुम यहाँ अकेली। वो वहाँ अकेला।"
Pooja ने चाय का गिलास घुमाया। "हाँ। लेकिन doctorate करना है।"
Vikram ने उसकी आँखों में देखा। "तुम्हारी आँखें... बहुत कुछ कहती हैं।"
Pooja ने नज़रें झुका लीं।
---
रात में
Pooja बेड पर। फोन।
"संजय... मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है..."
"मैं भी। बस दो साल।"
जयपुर की गर्म रातें हमेशा उमस भरी होती हैं, लेकिन उस रात हॉस्टल के कमरे 204 में हवा जैसे रुक सी गई थी। Pooja बेड पर लेटी हुई थी, सिर्फ़ एक पतली सी नाइटी में—सफेद कॉटन, जो उसकी गोरी त्वचा से चिपक गई थी। शादी के बाद उसके स्तन थोड़े भरे हुए थे—36B, निप्पल्स हल्के गुलाबी, जो नाइटी के नीचे से उभर रहे थे। उसकी कमर अभी भी 24 इंच की पतली, लेकिन जांघें नरम, चिकनी। नींद आने को थी, लेकिन संजय की यादें—उसकी रातें, उसके लंड का गर्म एहसास—उसके मन को भटका रही थीं।
फ़ोन रखा। लाइट बंद। अंधेरा।
फिर—
"आह... हाँ बेबी... डालो... और गहरा..."
Pooja की आँखें खुलीं। धीरे-धीरे। कमरे में मोबाइल स्क्रीन की नीली रोशनी। Renu का बेड।
Renu नंगी थी। पूरी तरह। उसका dusky बदन चमक रहा था—गेहुँआ रंग, जैसे चॉकलेट पर मक्खन लगाया हो। उसके स्तन—34C, भरे हुए, गोल, निप्पल्स काले-भूरे, सख़्त हो चुके, जैसे दो कड़े अंगूर। वो बेड पर आड़ी लेटी थी, एक टांग ऊपर उठाई, घुटना मोड़ा। उसकी चूत—बिना बालों की, शेव्ड, गीली चमकती हुई। होंठ मोटे, गुलाबी-काले, बीच में एक उंगली अंदर-बाहर हो रही थी। दूसरी उंगली क्लिटोरिस पर रगड़ रही थी—छोटा सा, उभरा हुआ बटन, जो हर स्पर्श पर काँप रहा था।
"हाँ Ramesh... ऐसे ही... तेरी उंगली मेरी चूत में... फाड़ दो इसे... आह... जोर से चोदो..."
Renu की आवाज़ भारी थी। गहरी। सिसकारियाँ। उसकी कमर मचल रही थी—ऊपर-नीचे, जैसे कोई अदृश्य लंड अंदर पेल रहा हो। उसकी जांघें फैली हुईं—36 इंच की मोटाई, नरम मांस, जो हर हिलावट पर लहरा रही थीं। चूत से गीली आवाज़ आ रही थी—चपचप, चूचू—जैसे कोई गीला स्पंज दबाया जा रहा हो। उसके होंठ काटे हुए, आँखें बंद, सिर पीछे। एक हाथ स्तनों पर—निप्पल को मरोड़ रही थी, दबा रही थी।
Pooja का दिल धड़कने लगा। वो हिलना नहीं चाहती थी, लेकिन आँखें न हटें। Renu का बदन—मॉडर्न, बिंदास—उसकी ढीली टी-शर्ट्स और शॉर्ट्स के नीचे छिपा हुआ ये राज़। उसकी चूत का नज़ारा—गीला, खुला, उंगली के साथ चमकता रस। Pooja को लगा, जैसे कोई गर्म लहर उसके बदन में दौड़ गई। उसके निप्पल्स सख़्त हो गए। नाइटी के नीचे। उसकी चूत—संजय की आखिरी रात से सूखी पड़ी—अब नम हो रही थी। हल्की सी चुभन। मन कर रहा था—हाथ नीचे ले जाए। उंगली डालकर... लेकिन शर्म। विवाह। संजय।
"आह... हाँ... तेरी जीभ मेरी चूत पर... चाटो इसे... उफ़... मैं आ रही हूँ... Ramesh... चोदो मुझे... आह्ह्ह!"
Renu की गांड ऊपर उठी। उंगली तेज़। दो उंगलियाँ अब। अंदर-बाहर। चूत के होंठ फैले। गीला रस बहने लगा—पतली धार, बेडशीट पर। उसके स्तन उछल रहे थे। साँसें तेज़। फिर—अकड़न। पूरा बदन काँपा। एक लंबी सिसकी। "आआह... हाँ... निकल गया..."
Renu निढाल हो गई। उंगली बाहर। चूत अभी भी काँप रही। रस चमक रहा। वो फ़ोन पर हँसी। "बाय बेबी... कल मिलते हैं।"
Pooja ने आँखें बंद कीं। लेकिन नींद कहाँ? उसके मन में Renu की चूत घूम रही थी। संजय का लंड याद आया—उसका गर्म धक्का। उसकी चूत में वो फिसलन। खून का निशान। अब वो भी... मन कर रहा था। गर्मी। लेकिन वो मन मारकर लेटी रही। साँसें धीमी।
Renu सो गई।
Pooja भी सो गयी
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Shandaar update and nice story
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अगले दिन लाइब्रेरी के बाहर वाला वाले लौन में ठंडी हवा चल रही थी, घास पर हल्की ओस।
Vikram ने दो चाय के गिलास लिए और Pooja के पास आकर बैठ गया। वो बेंच पर थी, दुपट्टा कंधे पर सरका हुआ, बालों की चोटी हवा में हल्की लहरा रही थी।
Vikram ने एक गिलास आगे बढ़ाया।
“लो, अदरक वाली। ठंड लग रही होगी।”
Pooja ने शरमाते हुए लिया। “थैंक यू... कल तुम ना आते तो मैं रो ही देती।”
Vikram हँसा। “अरे वो तीनों तो हर साल नए लड़कियों को तंग करते हैं। पिछले साल भी एक लड़की को रोते छोड़ा था। मैंने डीन साहब से कंप्लेंट कर दी थी। अब डरते हैं मुझसे।”
Pooja ने चाय की चुस्की ली। “तुम ज़ूलॉजी के हो ना? थर्ड ईयर?”
“हाँ। और तुम बॉटनी, फर्स्ट ईयर PhD। मैडम तो सीधे डॉक्टर बनने वाली हो!” उसने मज़ाक में सलाम ठोका।
Pooja मुस्कुराई। पहली बार हॉस्टल आने के बाद दिल हल्का लगा।
Vikram ने अपना फोन निकाला, एक फोटो दिखाई।
“देखो, ये पिछले महीने की फील्ड ट्रिप है। सरिस्का। हमने टाइगर की पगमार्क देखी थी।”
Pooja की आँखें चमक उठीं। “सच में? मुझे भी जाना है कभी!”
“पक्का। अगली ट्रिप में तुम्हें ले चलूँगा। प्रॉमिस।”
दोनों खूब देर बातें करते रहे।
Vikram: “तुम्हें पता है, बॉटनी और ज़ूलॉजी वाले हमेशा एक-दूसरे से लड़ते हैं। कहते हैं तुम लोग सिर्फ़ पेड़-पौधों से प्यार करते हो, हम जानवरों से।”
Pooja (हँसते हुए): “और तुम लोग हमें घास-फूस वाली कहते हो!”
Vikram: “अब तो घास-फूस वाली मेरी फ्रेंड है, तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं।”
फिर बातें पर्सनल हो गईं।
Vikram: “गाँव से हो ना तुम?”
Pooja: “हाँ, हरियाणा का छोटा सा गाँव।”
Vikram: “शादी हो गई है ना? मंगलसूत्र नहीं पहनती हो हॉस्टल में?”
Pooja चुप हो गई। फिर धीरे से बोली, “हाँ... शादी हो गई है। संजय से। वो दिल्ली में हैं। मुझे बहुत मिस करते हैं।”
Vikram ने सिर्फ़ सिर हिलाया। कुछ नहीं बोला। बस मुस्कुराया।
“चलो, अब चलते हैं। 7 बज गए। हॉस्टल गेट बंद हो जाएगा।”
दूसरे दिन से रोज़ का सिलसिला शुरू हो गया।
सुबह 9 बजे लाइब्रेरी के गेट पर मिलना।
Vikram कॉफी ले आता, Pooja नाश्ते में पराठा या पोहा।
बातें कभी ख़त्म नहीं होती थीं।
Vikram: “तुम्हारी आवाज़ में बहुत मिठास है। फोन पर भी ऐसे ही बोलती होगी ना अपने हसबैंड से?”
Pooja (शर्मा कर): “हाँ... वो कहते हैं मेरी आवाज़ सुनकर ही नींद आ जाती है उन्हें।”
Vikram: “लकी आदमी है वो।”
फिर बारिश हो गई। लाइब्रेरी से निकले तो पूरा कैंपस भीग रहा था। Vikram ने अपना जैकेट उतारा और Pooja के सिर पर रख दिया।
“लो, भीग जाओगी।”
Pooja ने जैकेट लिया। उसमें Vikram की बॉडी स्प्रे की खुशबू थी। दिल ज़ोर से धड़का।
“थैंक यू...”
Vikram ने पास खड़े होकर कहा, “तुम जब शर्मा कर सिर नीचे करती हो ना, बहुत प्यारी लगती हो।”
Pooja कुछ नहीं बोली। बस होंठ दबा लिए।
शाम को हॉस्टल पहुँचकर जब फोन पर संजय से बात की, तो आवाज़ में हल्की सी बेचैनी थी।
“क्या हुआ जान?” संजय ने पूछा।
“कुछ नहीं... बस एक सीनियर है, बहुत हेल्प करता है। अच्छा लड़का है।”
संजय हँसा। “अच्छा है ना। कोई प्रॉब्लम नहीं। बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो।”
फोन रखते ही Renu ने पूछा, “क्या बात है? आज चेहरा लाल-लाल है। कोई नया क्रश?”
Pooja ने तकिया फेंका। “चुप कर पागल!”
लेकिन रात को सोते वक्त विक्रम की बातें बार-बार याद आ रही थीं।
दिल में एक हल्की सी गुदगुदी।
और एक अजीब सा अपराधबोध।
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जयपुर, मई का दूसरा हफ्ता।
दिन के दो बजे का सूरज इतना क्रूर था कि सड़क पर चलते हुए लगता था ज़मीन से भाप उठ रही हो। हॉस्टल के कमरे 204 में एसी पिछले चार दिनों से बंद पड़ा था। पंखा सिर्फ़ गर्म हवा को इधर-उधर फेंक रहा था।
Pooja बेड के एक कोने में सिकुड़ी हुई थी।
उसने सुबह ही नहाया था, फिर भी पूरा शरीर पुनः पसीने से तर था।
वो हल्का गुलाबी कॉटन का साल्वार-सूट पहने थी, जो अब उसके बदन से पूरी तरह चिपक चुका था।
कुरती का गला गहरा था, पसीने से उसमें एक गहरी, गीली लकीर बन गई थी जो उसकी छाती के बीच से होती हुई नाभि तक जा रही थी।
ब्रा सफ़ेद, पतली लेस वाली थी, लेकिन गीलापन इतना कि वो पारदर्शी हो गई थी।
उसके निप्पल्स साफ़-साफ उभरे हुए थे — गुलाबी-भूरे, छोटे-छोटे, हर साँस के साथ हल्के से काँपते।
साल्वार की नाड़ी ढीली हो गई थी, कमर से करीब दो इंच नीचे सरक गई थी। उसकी नाभि पूरी दिख रही थी — गोल, गहरी, चारों तरफ़ पसीने की बूंदें चमक रही थीं।
उसकी जाँघें साल्वार से चिपकी हुई थीं, पसीने की वजह से उसकी त्वचा चमकदार लग रही थी।
बालों की चोटी खुली हुई थी, गीले बाल उसकी पीठ और कंधों पर चिपके हुए थे।
दूसरे बेड पर Renu।
उसने सिर्फ़ एक पुराना ग्रे रंग का क्रॉप टॉप और काली हॉट-शॉर्ट्स पहना था।
टॉप इतना छोटा कि उसका पूरा पेट बाहर था। नाभि में चाँदी की छोटी रिंग पसीने से चमक रही थी।
ब्रा नहीं थी।
पसीने ने टी-शर्ट को पारदर्शी बना दिया था — दोनों निप्पल्स साफ़ दिख रहे थे, गहरे भूरे रंग के, सख्त, टॉप के कपड़े पर दो गोल निशान।
शॉर्ट्स इतनी छोटी कि उसकी जाँघों का ऊपरी हिस्सा और कूल्हों का किनारा दिख रहा था।
उसकी दुस्की त्वचा पर पसीना चाँदी की तरह चमक रहा था।
वो एक टाँग मोड़कर लेटी थी, शॉर्ट्स और ऊपर चढ़ गई थी — पैंटी की इलास्टिक की लाइन साफ़ दिख रही थी।
दोनों के चेहरे लाल, होंठ सूखे, आँखें भारी।
“यार, अब तो मर जाएँगी हम,” Renu ने कराहते हुए कहा और फोन उठाकर वॉर्डन को कॉल किया।
पंद्रह मिनट बाद दरवाज़े पर खटखट।
राजू।
45 साल।
लंबाई 5 फीट 5 इंच। पेट बाहर। बनियान गंदी, उसमें पीले-भूरे दाग। लुंगी मैली।
मुँह में गुटखा, होंठ लाल। दाँत भूरे-काले। आँखें छोटी, चिपकी हुईं, लेकिन लालची।
हाथों पर मैल जमी हुई।
दरवाज़ा खुला।
पहली नज़र Pooja पर पड़ी।
राजू की आँखें एक पल को स्थिर।
उसके दिमाग़ में तुरंत तूफ़ान।
“अरे बाप रे... ये क्या माल है! गाँव की लगती है, पर छाती तो शहर वाली से भी ज़्यादा भरी हुई। निप्पल्स ऐसे खड़े हैं जैसे दबाने को चिल्ला रहे हों। सूट पूरा चिपका हुआ है... अगर हाथ फेर दूँ तो पूरा बदन हाथ में आ जाएगा। पेट एकदम गोरा... नाभि में उँगली डालने को जी चाहता है। साल्वार नीचे सरकी है... बस थोड़ा और नीचे कर दूँ तो...”
उसका लंड लुंगी के अंदर तुरंत सख्त हो गया।
लुंगी में एक मोटा उभार बन गया।
वो झटके से औज़ारों का बैग आगे कर लिया।
“एसी कहाँ है जी?” उसकी आवाज़ में काँप थी।
Pooja ने ऊपर इशारा किया। उसकी चूड़ियाँ खनकीं।
राजू सीढ़ी लगाने लगा।
सीढ़ी पर चढ़ते वक़्त उसकी लुंगी थोड़ी ऊपर उठी — मोटी, काली जाँघें, बाल उगे हुए। लंड का उभार साफ़ दिख रहा था।
तभी Renu अंदर आई।
पसीने से उसका टी-शर्ट पूरी तरह चिपका हुआ।
दोनों निप्पल्स साफ़ तने हुए।
शॉर्ट्स जाँघों के बीच में धँस गई थी।
राजू की नज़र उस पर गई।
“अरे ये तो औरत नहीं, आग है! काली माल... टाँगें तो ऐसी कि बस फैला दूँ और घुस जाऊँ। निप्पल्स तो ऐसे खड़े हैं जैसे कह रहे हों — चूसो मुझे। पेट में रिंग... अगर जीभ फिराऊँ तो क्या मज़ा आएगा।”
उसका लंड अब पूरी तरह खड़ा। लुंगी में तंबू।
वो बार-बार औज़ारों से ढक रहा था।
Pooja ने घबराहट में बात शुरू की।
“आपका नाम?”
“राजू।”
“कब से ये काम करते हो?”
“पंद्रह-सोलह साल से।”
“एसी में क्या हुआ?”
“गैस कम हो गई है... लीकेज है। नया भरना पड़ेगा।”
Pooja ने उसका नंबर नोट किया।
“अगर फिर कोई प्रॉब्लम हुई तो फोन कर लेंगे।”
राजू की लाल आँखें चमकीं।
“ज़रूर मैडम... रात हो या दिन... कभी भी फोन करना। मैं तुरंत आ जाऊँगा।”
उसके मन में:
“रात को बुलाओ ना एक बार... दोनों को एक साथ पेल दूँगा... दोनों की चूत फाड़ दूँगा... दोनों को रगड़-रगड़ कर चोदूँगा...”
फिर एसी चालू हुआ। ठंडी हवा चली।
राजू ने पैसे लिए, “थैंक यू जी” बोला और चला गया।
दरवाज़ा बंद होते ही Renu ज़ोर से हँसी।
“देखा? उसका लंड खड़ा हो गया था! पूरा तंबू बना हुआ था लुंगी में!”
Pooja का चेहरा लाल। “चुप कर पागल!”
दोनों नहाने चली गईं।
### शाम 4:30 बजे, कॉलेज लॉन
Pooja ने फिर से वही गुलाबी सूट पहना था — अब प्रेस किया हुआ, साफ़-सुथरा।
दुपट्टा हल्के से सिर पर। बाल खुल्ले, हल्की लहरें।
होंठों पर हल्का गुलाबी ग्लॉस।
क्लास ख़त्म हुई। वो लॉन की ओर जा रही थी।
दूर से Vikram दिखा।
सफ़ेद शर्ट, ऊपर के तीन बटन खुले। कॉलर खड़ा।
जींस फिट। घड़ी चमक रही थी। हल्की दाढ़ी। आँखों में मुस्कान।
“हाय Pooja...”
Pooja का दिल ज़ोर से धड़का।
“हाय Vikram...”
दोनों बेंच पर बैठे।
Vikram ने उसकी आँखों में देखा।
“तुम आज... सच में बहुत ख़ूबसूरत लग रही हो। गुलाबी सूट में तो जैसे कोई गुलाब खिल गया हो।”
Pooja शर्मा कर सिर नीचा कर लिया।
“थैंक यू... तुम भी बहुत हैंडसम लग रहे हो।”
Vikram हँस पड़ा।
“पहली बार किसी ने कहा।”
फिर उसने अपना फोन निकाला।
“नंबर दो ना अपना... अब तो रोज़ बात होगी।”
नंबर एक्सचेंज हुआ।
बातें शुरू हुईं।
Vikram: “PhD कैसे चल रही है?”
Pooja: “अभी तो बस शुरू हुई है। बहुत कुछ सीखना है।”
Vikram: “मैं हेल्प करूँगा। मेरे पास सारी पुरानी रिसर्च पेपर्स हैं। तुम जब चाहो आ जाना।”
उसने बात करते हुए हल्के से उसका हाथ छुआ।
“तुम्हारी उंगलियाँ बहुत नाज़ुक हैं...”
Pooja का बदन सिहर गया।
वो हाथ नहीं हटाया।
Vikram: “GF नहीं है तुम्हारी?”
Pooja ने हिम्मत करके पूछा।
Vikram ने उसकी आँखों में देखा।
“नहीं...”
“क्यों?”
“क्योंकि तुम्हारे जैसी कोई नहीं मिली अभी तक।”
Pooja का चेहरा एकदम लाल।
वो हँस दी।
Vikram: “कल फ्रेशर्स पार्टी है। तुम आओगी ना?”
Pooja: “नहीं... मुझे ऐसे जगहों पर अच्छा नहीं लगता।”
Vikram: “प्लीज़... सिर्फ़ मेरे लिए। मैं अकेला रहूँगा पूरा टाइम। तुम ना आई तो मज़ा नहीं आएगा।”
Pooja ने होंठ दबाए।
“ठीक है... आऊँगी।”
Vikram ने उसका हाथ दबाया।
“प्रॉमिस?”
“पक्का प्रॉमिस।”
रात 10 बजे, हॉस्टल
Renu बेड पर लेटी थी, फोन पर स्क्रॉल कर रही थी।
“क्या बात आज चेहरा चमक रहा है। Vikram का नाम लेते ही लाल हो जाती है तू!”
Pooja ने तकिया फेंका।
“चुप कर ना!”
Renu हँसते हुए: “कब कन्फ़ेस करेगी उसे? या मैं ही बता दूँ?”
Pooja: “कुछ नहीं है ऐसा। बस अच्छा दोस्त है।”
Renu: “अच्छा दोस्त? वो तो तेरी आँखों में डूबना चाहता है। आज लॉन में हाथ छुआ ना उसने?”
Pooja चुप।
Renu: “मैंने देख लिया था। तूने हाथ नहीं हटाया।”
Pooja ने तकिया मुँह पर रख लिया।
रात 11 बजे।
संजय का फोन आया।
“क्या कर रही हो जान?”
“बस... लेटी हूँ।”
“आवाज़ में कुछ उदासी है?”
“नहीं... बस गर्मी बहुत थी आज।”
“मिस यू...”
“मी टू... बहुत।”
फोन रखा।
Pooja ने छत की ओर देखा।
दिल में दो तस्वीरें —
एक संजय की, जो उसका पति था।
दूसरी Vikram की, जो उसका दोस्त बन चुका था।
और दोनों के बीच में उसका अपना दिल —
जो धीरे-धीरे कहीं खिसक रहा था।
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फ्रेशर्स पार्टी की रात
जयपुर, मई का तीसरा शनिवार।
रात के 7:30 बज चुके थे।
हॉस्टल के कमरे 204 में लाइट्स की चकाचौंध थी।
दो अलमारियाँ खुली हुईं, कपड़े बिखरे हुए।
Renu तैयार हो चुकी थी।
उसने ब्लैक बॉडीकॉन ड्रेस पहनी थी — घुटनों से चार इंच ऊपर, टाइट, चिपकती हुई।
गला गहरा, पीठ पूरी खुली हुई।
ब्रा की स्ट्रैप्स भी नहीं, सिर्फ़ ड्रेस के अंदर बिल्ट-इन पैड्स।
उसकी दुस्की टाँगें पूरी चमक रही थीं।
हील्स 5 इंच की, लाल।
लिपस्टिक मैरून। आँखों में स्मोकी। बाल खुले, लहराते हुए।
वो आईने के सामने घूमी और बोली,
“आज तो कत्लेआम होने वाला है।”
Pooja अब तक हिचक रही थी।
उसने पहली बार साड़ी पहनने का फैसला किया था — पार्टी के लिए।
साड़ी थी गहरी वाइन रेड जॉर्जेट, हल्की चमक वाली।
ब्लाउज़ स्लीवलेस, डीप नेक, पीठ पर सिर्फ़ दो डोरियाँ।
ब्लाउज़ इतना टाइट कि उसकी कमर की 24 इंच की घेराई और छाती की उभार साफ़ दिख रही थी।
साड़ी उसने नेवल से नीचे पहनी थी — पेट का गोरा हिस्सा, गहरी नाभि पूरी दिख रही थी।
पल्लू हल्का सा कंधे पर।
हील्स ब्लैक, 4 इंच।
मंगलसूत्र उसने नहीं पहना। सिर्फ़ छोटे-छोटे डायमंड स्टड्स और कानों में झुमके।
होंठ गहरे लाल, आँखों में काजल।
बाल साइड पार्टिंग, खुले।
Renu ने सीटी बजाई।
“अबे शादीशुदा औरत! आज तो तू किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही। Vikram तो बेहोश हो जाएगा।”
Pooja शर्मा कर मुस्कुराई।
“चल ना जल्दी।”
पार्टी वेन्यू – कॉलेज ऑडिटोरियम
बाहर लाइट्स, लेजर, म्यूजिक की धुन।
Vikram और Ramesh एंट्री पर खड़े थे — दोनों ब्लैक सूट में।
Vikram की शर्ट व्हाइट, टाई ब्लैक।
Ramesh की शर्ट ब्लैक।
दोनों हैंडसम, लेकिन Vikram की आँखों में आज कुछ और था।
दूर से Renu और Pooja आती दिखीं।
Vikram का मुँह खुला का खुला रह गया।
उसकी साँस रुक गई।
“ये... ये Pooja है?”
Ramesh ने भी आँखें फाड़ीं।
“यार... ये तो बॉम्ब है।”
Renu हँसते हुए आगे बढ़ी।
“अबे क्या मुँह बाए खड़े हो? यूँ ही देखते रहोगे क्या? Married है वो!”
Vikram ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तो क्या हुआ? अभी तो हमारे पास है।”
Pooja शर्मा कर सिर नीचे कर लिया। उसकी लाली गालों तक पहुँच गई।
Vikram ने आगे बढ़कर उसका हाथ थामा।
“आज तुम... दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत औरत लग रही हो।”
Pooja ने ऊपर देखा। उसकी आँखों में शरम और कुछ और।
अंदर डांस फ्लोर
म्यूजिक धीमा था — “तुम ही हो...”
Vikram ने हाथ बढ़ाया।
“मय आई हैव दिस डांस?”
Pooja ने हल्के से हाथ रख दिया।
दोनों डांस फ्लोर पर।
Vikram का एक हाथ Pooja की कमर पर — नंगी त्वचा पर।
उसकी उंगलियाँ हल्की सी सिहरा गईं।
दूसरा हाथ उसकी हथेली में।
Pooja का एक हाथ उसके कंधे पर।
धीरे-धीरे मूवमेंट।
Vikram ने उसे हल्का सा अपनी ओर खींचा।
उसकी छाती उसके सीने से छूने लगी।
साड़ी का पल्लू सरक गया — उसकी क्लीवेज साफ़ दिखने लगी।
Vikram ने कान में फुसफुसाया,
“तुम्हें पता है... आज तुम्हें देखकर मेरा दिल धड़कना बंद हो गया था।”
Pooja ने होंठ दबाए। फिर सेक्सी अंदाज़ में बोली,
“अच्छा? फिर अभी तक ज़िंदा कैसे हो?”
Vikram हँसा। उसने कमर पर हाथ और नीचे सरका दिया — जहाँ साड़ी का पेटीकोट शुरू होता है।
हल्का सा दबाव।
Pooja की साँस तेज़ हो गई।
उसने उसकी गर्दन में हाथ डाला।
“तुम बहुत शरारती हो...”
Vikram: “तुम्हारे लिए तो और भी शरारती हो सकता हूँ।”
दोनों करीब और करीब।
उसकी साँसें एक-दूसरे के चेहरे पर।
Pooja ने आँखें बंद कर लीं।
उसने भूल गई कि वो शादीशुदा है।
मिस फ्रेशर अवार्ड
एमसी ने माइक लिया।
“एंड द टाइटल ऑफ मिस फ्रेशर 2025 गोज़ टु... Pooja Sharma!”
पूरी भीड़ ने तालियाँ बजाईं।
Pooja स्टेज पर गई।
साड़ी का पल्लू हल्का सा सरका हुआ।
सबकी नज़रें उसी पर।
Vikram नीचे से देख रहा था — उसकी आँखों में प्यार, हवस, और गर्व।
रात 11:30 बजे
पार्टी ख़त्म।
Vikram ने कहा,
“चलो, एक जगह ले चलूँ। सिर्फ़ 15 मिनट।”
Pooja बिना सोचे “हाँ” कह गई।
Vikram की कार।
जयपुर की सड़कें।
फिर एक ऊँची जगह — जहाँ से पूरा जयपुर दिखता था।
हवा ठंडी।
दूर आमेर का किला रोशनी में नहाया हुआ।
नीचे शहर की लाइट्स जैसे तारे।
दोनों कार से बाहर।
Vikram ने उसे पीछे से पकड़ा।
हाथ उसकी कमर पर।
Pooja ने विरोध नहीं किया।
Vikram ने उसका चेहरा अपनी ओर घुमाया।
“Pooja...”
और फिर —
पहला किस।
धीरे से।
होंठों का स्पर्श।
फिर गहरा।
Vikram की जीभ अंदर।
Pooja ने भी जवाब दिया।
दोनों की साँसें मिलीं।
उसके हाथ उसकी पीठ पर।
उसकी उंगलियाँ उसके ब्लाउज़ की डोरियों में।
10 सेकंड।
20 सेकंड।
30 सेकंड।
फिर अचानक Pooja को होश आया।
“नहीं...”
उसने धक्का दिया।
“मैं... मैं शादीशुदा हूँ।”
आँखें भर आईं।
Vikram ने माफी माँगी।
“सॉरी... मैंने सोचा...”
Pooja चुप।
“मुझे हॉस्टल छोड़ दो।”
कार में पूरी रास्ता खामोशी।
हॉस्टल, रात 1 बजे
Pooja कमरे में आई।
Renu सो चुकी थी।
वो बाथरूम में गई।
आईने में खुद को देखा।
होंठ सूजे हुए।
गाल लाल।
उसने साड़ी उतारी।
ब्लाउज़ उतारा।
फिर बेड पर लेट गई।
और रोने लगी।
चुपके-चुपके।
तकिया मुँह में दबाकर।
“मैंने क्या कर दिया...
संजय... मुझे माफ़ कर दो...
मैं बहुत गलत हूँ...”
आँसुओं ने तकिया भिगो दिया।
रात बहुत लंबी थी।
और पछतावा उससे भी ज़्यादा।
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