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Adultery वासना का नशा
#21
कालू एक कुर्सी पर लुंगी और बनियान पहने बैठा था. जैसे ही कमली ने दरवाजा बंद किया, कालू लपक कर शर्मिला के पास गया और उसने अपने दोनों हाथ उनकी कमर पर रख दिए. उसकी भूखी नज़रें उनके चेहरे पर जमी हुई थीं. लगता था कि वो उन्हें अपनी आँखों से ही खा जाना चाहता हो. वो उन्हें लम्पटता से घूरते हुए कमली से बोला, “कमली, बाबूजी के पास ऐसा जबरदस्त माल था फिर भी तू उनकी नज़रों में चढ़ गई! पर जो भी हो, इसके कारण मेरी किस्मत खुल गई. अब मैं इस चकाचक माल की दावत उड़ाऊंगा.


उसने अपना मुंह शर्मिला के होंठों की ओर बढाया पर वे अपनी गर्दन पीछे कर के बोलीं, “नहीं, यहाँ कमली है.

तो क्या हुआ, मेमसाहब?” कालू ने कहा. इसके साथ बाबूजी ने जो किया, वो मैंने देखा. अब मैं आपके साथ जो करूंगा, वो इसे देखने दीजिये. हिसाब बराबर हो जाएगा.

कमली ने अपने पति का परोक्ष समर्थन करते हुए कहा, “अरे, हिसाब की बात तो अलग है. पर अब मैं जाऊं भी तो कहाँ? इस घर में तो जगह है नहीं और मैं किसी पडोसी के घर गई तो वो सोचेगा कि यह रात को अपनी भाभी को अपने मरद के पास छोड़ कर हमारे घर क्यों आई है? ... बीवीजी, आपको तकलीफ तो होगी पर मेरा यहाँ रहना ही ठीक है.

अब शर्मिला के पास कोई चारा न था. और कमली जो कह रही थी वह ठीक भी था. उन्होंने हलके से गर्दन हिला कर हामी भरी. अब कालू को जैसे हरी झंडी मिल गई थी. उसने उनके होंठों पर ऊँगली फिराते हुए कहा, “ओह, कितने नर्म हैं, फूल जैसे! ... और गाल भी इतने चिकने!

उसका हाथ उनके पूरे चेहरे का जुगराफिया जानने की कोशिश कर रहा था. पूरे चेहरे का जायजा लेने के बाद उसका हाथ उनके गले और कंधे पर फिसलता हुआ उनके सीने पर पहुँच गया. उसने आगे झुक कर अपने होंठ उनके गाल से चिपका दिए. वो अपनी जीभ से पूरे गाल को चाटने लगा. साथ ही उसकी मुट्ठी उनके उरोज पर भिंच गई. शर्मिला डर रही थी कि वो उनके स्तन को बेदर्दी से दबाएगा पर उसकी मुट्ठी का दबाव न बहुत ज्यादा था और न बहुत कम.

कालू ने अपने होंठों से उनके निचले होंठ पर कब्ज़ा कर लिया और वो उसे नरमी से चूसने लगा. कुछ देर उनके निचले होंठ को चूसने के बाद उसने अपने होंठ उनके दोनों होठों पर जमा दिये. उनके होंठों को चूमते हुए वो कपड़ों के ऊपर से ही उनके स्तन को भी मसल रहा था. शर्मिला ने सोचा था कि कालू जो करेगा, वे उसे करने देंगी पर वे स्वयं कुछ नहीं करेंगीं. वैसे भी काम-क्रीडा में ज्यादा सक्रिय होना उनके स्वभाव में नहीं था.

उनके होंठों का रसपान करने के बाद कालू ने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी. जब जीभ से जीभ का मिलन हुआ तो शर्मिला को कुछ-कुछ होने लगा. वे निष्काम नहीं रह पायीं. वे भी कालू की जीभ से जीभ लड़ाने लगीं. उनके स्तन पर कालू के हाथ का मादक दबाव भी उनमे उत्तेजना भर रहा था. उन्हें लगा जैसे वे तन्द्रा में पहुंच गयी हों. उसी तन्द्रा में वे अपनी प्रकृति के विपरीत कालू को सहयोग करने लगीं. उनकी तन्द्रा कमली के शब्दों ने तोड़ी जब वो कालू से बोली, “अरे, ऊपर-ऊपर से ही दबाएगा क्या? चूंची को बाहर निकाल ना. पता नहीं ऐसी चूंची फिर देखने को मिलेगी या नहीं!

कमली के शब्दों और उसकी भाषा से शर्मिला यथार्थ में वापस लौटीं. उन्हें पता था कि निचले तबके के मर्दों द्वारा ऐसी भाषा का प्रयोग असामान्य नहीं था पर एक स्त्री के मुंह से चूंचीजैसा शब्द सुनना उन्हें विस्मित भी कर गया और रोमान्चित भी. कालू ने उनकी साड़ी का पल्लू गिराया और वो कमली से बोला, “आ जा, तू ही बाहर निकाल दे. फिर दोनों देखेंगे.

कमली ने उनके पीछे आ कर पहले उनका ब्लाउज उतारा और फिर उनकी ब्रा. जैसे ही उनके उरोज अनावृत हुए, कालू बोल उठा, “ओ मां! कमली देख तो सही, क्या मस्त चून्चियां हैं, रस से भरी हुई!

अब कमली भी उनके सामने आ गई और मियां-बीवी दोनों उनके उरोजों को निहारने लगे. दोनों मंत्रमुग्ध से लग रहे थे. उनकी दशा देख कर शर्मिला को अपने स्तनों पर गर्व हो रहा था. उनकी नज़र अपने वक्षस्थल पर गई तो उन्हें भी लगा कि उनकी चून्चियांवास्तव में चित्ताकर्षक हैं. फिर उन्होंने तुरंत मन ही मन कहा, ‘यह क्या? मैं भी इन लोगों की भाषा में सोचने लगी!पर उन्हें यह बुरा नहीं लगा.

कालू ने उनकी साड़ी उतार कर उन्हें पलंग पर लिटा दिया. उसने कहा, “मेमसाहब, अब तो मैं जी भर कर इन मम्मों का रस पीऊंगा.

यह नया शब्द सुन कर शर्मिला की उत्तेजना और बढ़ गई. कालू ने उनका एक मम्मा अपने हाथ में पकड़ा और दूसरे पर अपना मुँह रख दिया. अब वह एक मम्मे को अपने हाथ से सहला रहा था और दूसरे को अपनी जीभ से. कमरे में लपड़-लपड़ की आवाजें गूंजने लगीं. शर्मिला की साँसें तेज़ होने लगीं. उनका चेहरा लाल हो गया. जब कालू की जीभ उनके निप्पल को सहलाती, उनका पूरा शरीर कामोत्तेजना से तड़प उठता. उन्हें लग रहा था कि कालू इस खेल का मंजा हुआ खिलाडी है. उनकी आँखें बंद थीं और वे कामविव्हल हो कर मम्मे दबवाने और चुसवाने का आनंद ले रही थीं.

कमली एक बार फिर उन्हें यथार्थ के धरातल पर ले आई. उसने पूछा, “बीवीजी, आपको तकलीफ तो नहीं हो रही है? यह ठीक तरह से दबा रहा है?”

शर्मिला ने आँखें खोल कर सिर्फ इशारे से जवाब दिया. कमली समझ गई कि वे खुश हैं. उसने कालू से पूछा, “और तुझे कैसा लग रहा है रे? ऐसे चूस रहा है जैसे खाली कर देगा!

तेरी कसम कमली, ऐसी रसीली चून्चिया भगवान किसी किसी को ही देता है. तू चूस के देख. तू भी मान जायेगी.

सच?” कमली के कहा. चल, एक तू चूस और एक मुझे चूसने दे.
 
क्रमशः
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#22
कहानी बहुत अच्छी जा रही है. आगे बढ़ाइए.
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#23
कालू की तो लाटरी लग गयी.
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#24
(07-09-2025, 08:23 PM)rangeeladesi Wrote: कालू एक कुर्सी पर लुंगी और बनियान पहने बैठा था. जैसे ही कमली ने दरवाजा बंद किया, कालू लपक कर शर्मिला के पास गया और उसने अपने दोनों हाथ उनकी कमर पर रख दिए. उसकी भूखी नज़रें उनके चेहरे पर जमी हुई थीं. लगता था कि वो उन्हें अपनी आँखों से ही खा जाना चाहता हो. वो उन्हें लम्पटता से घूरते हुए कमली से बोला, “कमली, बाबूजी के पास ऐसा जबरदस्त माल था फिर भी तू उनकी नज़रों में चढ़ गई! पर जो भी हो, इसके कारण मेरी किस्मत खुल गई. अब मैं इस चकाचक माल की दावत उड़ाऊंगा.


उसने अपना मुंह शर्मिला के होंठों की ओर बढाया पर वे अपनी गर्दन पीछे कर के बोलीं, “नहीं, यहाँ कमली है.

तो क्या हुआ, मेमसाहब?” कालू ने कहा. इसके साथ बाबूजी ने जो किया, वो मैंने देखा. अब मैं आपके साथ जो करूंगा, वो इसे देखने दीजिये. हिसाब बराबर हो जाएगा.

कमली ने अपने पति का परोक्ष समर्थन करते हुए कहा, “अरे, हिसाब की बात तो अलग है. पर अब मैं जाऊं भी तो कहाँ? इस घर में तो जगह है नहीं और मैं किसी पडोसी के घर गई तो वो सोचेगा कि यह रात को अपनी भाभी को अपने मरद के पास छोड़ कर हमारे घर क्यों आई है? ... बीवीजी, आपको तकलीफ तो होगी पर मेरा यहाँ रहना ही ठीक है.

अब शर्मिला के पास कोई चारा न था. और कमली जो कह रही थी वह ठीक भी था. उन्होंने हलके से गर्दन हिला कर हामी भरी. अब कालू को जैसे हरी झंडी मिल गई थी. उसने उनके होंठों पर ऊँगली फिराते हुए कहा, “ओह, कितने नर्म हैं, फूल जैसे! ... और गाल भी इतने चिकने!

उसका हाथ उनके पूरे चेहरे का जुगराफिया जानने की कोशिश कर रहा था. पूरे चेहरे का जायजा लेने के बाद उसका हाथ उनके गले और कंधे पर फिसलता हुआ उनके सीने पर पहुँच गया. उसने आगे झुक कर अपने होंठ उनके गाल से चिपका दिए. वो अपनी जीभ से पूरे गाल को चाटने लगा. साथ ही उसकी मुट्ठी उनके उरोज पर भिंच गई. शर्मिला डर रही थी कि वो उनके स्तन को बेदर्दी से दबाएगा पर उसकी मुट्ठी का दबाव न बहुत ज्यादा था और न बहुत कम.

कालू ने अपने होंठों से उनके निचले होंठ पर कब्ज़ा कर लिया और वो उसे नरमी से चूसने लगा. कुछ देर उनके निचले होंठ को चूसने के बाद उसने अपने होंठ उनके दोनों होठों पर जमा दिये. उनके होंठों को चूमते हुए वो कपड़ों के ऊपर से ही उनके स्तन को भी मसल रहा था. शर्मिला ने सोचा था कि कालू जो करेगा, वे उसे करने देंगी पर वे स्वयं कुछ नहीं करेंगीं. वैसे भी काम-क्रीडा में ज्यादा सक्रिय होना उनके स्वभाव में नहीं था.

उनके होंठों का रसपान करने के बाद कालू ने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी. जब जीभ से जीभ का मिलन हुआ तो शर्मिला को कुछ-कुछ होने लगा. वे निष्काम नहीं रह पायीं. वे भी कालू की जीभ से जीभ लड़ाने लगीं. उनके स्तन पर कालू के हाथ का मादक दबाव भी उनमे उत्तेजना भर रहा था. उन्हें लगा जैसे वे तन्द्रा में पहुंच गयी हों. उसी तन्द्रा में वे अपनी प्रकृति के विपरीत कालू को सहयोग करने लगीं. उनकी तन्द्रा कमली के शब्दों ने तोड़ी जब वो कालू से बोली, “अरे, ऊपर-ऊपर से ही दबाएगा क्या? चूंची को बाहर निकाल ना. पता नहीं ऐसी चूंची फिर देखने को मिलेगी या नहीं!

कमली के शब्दों और उसकी भाषा से शर्मिला यथार्थ में वापस लौटीं. उन्हें पता था कि निचले तबके के मर्दों द्वारा ऐसी भाषा का प्रयोग असामान्य नहीं था पर एक स्त्री के मुंह से चूंचीजैसा शब्द सुनना उन्हें विस्मित भी कर गया और रोमान्चित भी. कालू ने उनकी साड़ी का पल्लू गिराया और वो कमली से बोला, “आ जा, तू ही बाहर निकाल दे. फिर दोनों देखेंगे.

कमली ने उनके पीछे आ कर पहले उनका ब्लाउज उतारा और फिर उनकी ब्रा. जैसे ही उनके उरोज अनावृत हुए, कालू बोल उठा, “ओ मां! कमली देख तो सही, क्या मस्त चून्चियां हैं, रस से भरी हुई!

अब कमली भी उनके सामने आ गई और मियां-बीवी दोनों उनके उरोजों को निहारने लगे. दोनों मंत्रमुग्ध से लग रहे थे. उनकी दशा देख कर शर्मिला को अपने स्तनों पर गर्व हो रहा था. उनकी नज़र अपने वक्षस्थल पर गई तो उन्हें भी लगा कि उनकी चून्चियांवास्तव में चित्ताकर्षक हैं. फिर उन्होंने तुरंत मन ही मन कहा, ‘यह क्या? मैं भी इन लोगों की भाषा में सोचने लगी!पर उन्हें यह बुरा नहीं लगा.

कालू ने उनकी साड़ी उतार कर उन्हें पलंग पर लिटा दिया. उसने कहा, “मेमसाहब, अब तो मैं जी भर कर इन मम्मों का रस पीऊंगा.

यह नया शब्द सुन कर शर्मिला की उत्तेजना और बढ़ गई. कालू ने उनका एक मम्मा अपने हाथ में पकड़ा और दूसरे पर अपना मुँह रख दिया. अब वह एक मम्मे को अपने हाथ से सहला रहा था और दूसरे को अपनी जीभ से. कमरे में लपड़-लपड़ की आवाजें गूंजने लगीं. शर्मिला की साँसें तेज़ होने लगीं. उनका चेहरा लाल हो गया. जब कालू की जीभ उनके निप्पल को सहलाती, उनका पूरा शरीर कामोत्तेजना से तड़प उठता. उन्हें लग रहा था कि कालू इस खेल का मंजा हुआ खिलाडी है. उनकी आँखें बंद थीं और वे कामविव्हल हो कर मम्मे दबवाने और चुसवाने का आनंद ले रही थीं.

कमली एक बार फिर उन्हें यथार्थ के धरातल पर ले आई. उसने पूछा, “बीवीजी, आपको तकलीफ तो नहीं हो रही है? यह ठीक तरह से दबा रहा है?”

शर्मिला ने आँखें खोल कर सिर्फ इशारे से जवाब दिया. कमली समझ गई कि वे खुश हैं. उसने कालू से पूछा, “और तुझे कैसा लग रहा है रे? ऐसे चूस रहा है जैसे खाली कर देगा!

तेरी कसम कमली, ऐसी रसीली चून्चिया भगवान किसी किसी को ही देता है. तू चूस के देख. तू भी मान जायेगी.

सच?” कमली के कहा. चल, एक तू चूस और एक मुझे चूसने दे.
 
क्रमशः

Oh, threesome hone wala hai!
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#25
(07-09-2025, 10:33 PM)Glenlivet Wrote: कहानी बहुत अच्छी जा रही है. आगे बढ़ाइए.

Thank you.
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#26
(07-09-2025, 10:35 PM)Glenlivet Wrote: कालू की तो लाटरी लग गयी.

Yes.
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#27
(08-09-2025, 03:31 PM)ratipremi Wrote: Oh, threesome hone wala hai!

Ab aage-aage dekhiye hota hai kya.
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#28
अब मियां-बीवी दोनों टूट पड़े शर्मिला की छाती पर. एक चूंची कालू के मुंह में और एक कमली के मुंह में! दोनों ऐसे चूस रहे थे जैसे अपनी जन्म-जन्म की प्यास बुझाना चाहते हों. और इस दोहरे हमले तले शर्मिला को ऐसे लग रहा था जैसे वे आसमान में उड़ रही हों. उन्हें पता ही नहीं चला कि कब उनका पेटीकोट उतरा और कब चड्डी. उन्हें केवल यह पता था कि किसी की उँगलियाँ उनकी जाँघों के बीच थिरक रही हैं और उन्हें स्वप्नलोक में ले जा रही हैं. उनकी तन्द्रा फिर कमली के शब्दों से टूटी. वो कह रही थी, “अब दोनों चूंचियां मैं सम्भालती हूं और तू बीवीजी की चूत को संभाल.


इस बार कमली की भाषा ने उन्हें विस्मित नहीं किया. साथ ही वे यह भी समझ गईं कि अब कालू का असली हमला झेलने का समय आ गया है. पर उनकी उत्तेजना उन्हें इस हमले के लिए तैयार कर चुकी थी. तैयार ही नहीं, वे कामातुर हो कर इस आक्रमण की प्रतीक्षा कर रही थीं. पर हुआ कुछ और ही. उन्हें अपने भगोष्ठों पर कालू के कठोर हथियार की बजाय एक कोमल स्पर्श महसूस हुआ, एक गीला और मादक स्पर्श! उन्होंने अपनी आँखें खोल कर नीचे की ओर झाँका. कमली उनके सीने पर झुकी हुई थी पर फिर भी उन्हें अपनी जाँघों के बीच कालू का सर नज़र आ रहा था. उन्होंने सोचा, ‘हे भगवान! यह अपनी जीभ से वहां क्या कर रहा है?’ फिर उन्होंने मन ही मन सोचा, ‘वो जो भी कर रहा है, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.उनके लिए यह एक नया अनुभव था जो उन्हें कामोन्माद की ओर धकेल रहा था.

ऊपर कमली जुटी हुई थी. उसने शर्मिला के मम्मों को चूस-चूस कर बिल्कुल गीला कर दिया था. उसका मम्मे चूसने का अंदाज़ उनकी कामोत्तेजना को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा था. जल्द ही वो घडी आ गई जिसका उनको आभास नहीं था. उनका बदन लरजने लगा. वे बेबसी में इधर-उधर हाथ पैर मारने लगीं. और फिर उत्तेजना की पराकाष्ठा पर पहुँच कर उनका शरीर धनुष की तरह अकड़ गया. कमली और कालू की सम्मिलित कामचेष्टा ने उन्हें यौन-आनंद के चरम पर पहुंचा दिया था.

जब शर्मिला की चेतना लौटी, वे अपने आप को बहुत हल्का महसूस कर रही थीं. उनको ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे उन्हें एक असह्य तनाव से मुक्ति मिली हो. उन्होंने आँखें खोलीं तो पाया कि कमली और कालू उन्हें विस्मय से देख रहे हैं. कमली बोली, “बीवीजी, आपको झड़ते देख कर तो मुझे भी मज़ा आ गया. आपको मज़ा आया?”

शर्मिला खुश तो थीं पर वे थोड़ी शर्मिंदा भी थीं कि वे इन दोनों के सामने इतने जोर से झड़ीथीं (यह शब्द उनके लिए नया था). मगर वे इंकार कैसे करतीं? मज़ा तो उन्हे आया ही था. उन्होंने शर्माते हुए हां में सर हिलाया तो कमली ने कालू की तरफ इशारा करते हुए कहा, “तो अब इसका भी काम कर दीजिये न!

शर्मिला अब इन लोगों की भाषा समझने लगी थीं. वे समझ गयी थीं कि कमली किस कामकी बात कर रही थी. यहां आने से पहले इस कामकी कल्पना भी उनको डरावनी लग रही थी पर कालू से यौनसुख पाने के बाद उनका डर काफी हद तक कम हो गया था. बल्कि उन्हें उसका प्रतिदान करना भी न्यायोचित लग रहा था. उन्होंने स्वीकृति में सर हिलाया तो कमली ने कालू को निर्वस्त्र कर दिया.

कालू शर्मिला के पास लेट कर उनसे लिपट गया. वो उनके पूरे बदन पर हाथ फेरने लगा. उसने उनकी चून्चियों, कमर, रानों और चूतड़ों को अपने हाथ से सहलाया. एक बार फिर उसका हाथ उनकी चूत पर और उसका मुँह उनकी चूंची पर पहुंच गया. कमली ने उनके पास लेट कर अपना मुंह उनकी दूसरी चूंची पर जमा दिया. शर्मिला का कामावेग फिर बढ़ने लगा. कमली ने उनका हाथ कालू के यौनांग पर रख दिया. एक बार तो वे उस बलिष्ठ अंग के स्पर्श से चिहुंक उठीं. उन्होंने अपना हाथ पीछे खींचना चाहा पर कमली ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया. फिर स्वतः ही उनकी मुट्ठी उस पर भिंच गई. अब कालू ने अपनी ऊँगली उनकी योनी में घुसा दी. दोनों के हाथ अपना काम करने लगे. कालू उनकी योनी को अन्दर से सहला रहा था और वे उसके लिंग को बाहर से मसल रही थीं. कमली और कालू के प्रयासों ने जल्द ही उन्हें पूर्णतया कामातुर कर दिया. कमली को उनकी तेज होती सांसों का भान हुआ तो उसने पूछा, “बीवीजी, पनिया गईं या अभी देर है?”

शर्मिला को उसकी बात समझ में नहीं आई. उन्होंने उसकी तरफ सवालिया नज़र से देखा तो कमली ने कहा, “आपकी चूत पानी छोड़ रही है क्या?”

शर्मिला ने शर्मा कर हां कहा तो कमली बोली, “ठीक है. अब इसे भी तैय्यार कर दीजिये.

शर्मिला ने नासमझी से पूछा, “कैसे?”

वैसे तो ये तैय्यार ही लगता है,” कमली ने कहा. पर आप थोड़ी देर इसका लंड चूस देंगी तो ये आपको पूरा मज़ा देगा.

इस बार शर्मिला को उसकी भाषा पर तो अचम्भा नहीं हुआ पर वो जो करने के लिए कह रही थी उस पर उन्हें हिकारत महसूस हुई. अखिल के बहुत इसरार करने पर उन्होंने एक-दो बार यह करने का प्रयास किया था पर उन्हें यह बिलकुल अच्छा नहीं लगा. उनकी यह धारणा बन चुकी थी कि जो मर्द औरत को यह काम करने के लिए कहते हैं वे उस औरत को जलील करना चाहते हैं! लेकिन साथ ही उनको यह एहसास भी था कि कालू ने मुखमैथुन के द्वारा ही उनको चरमसुख दिया था इसलिए उनको भी इसका प्रतिदान करना चाहिए. पर वे अपनी धारणा के कारण मजबूर थीं. उन्होंने धीमी आवाज में उत्तर दिया, “कमली, यह मेरे से नहीं होगा.

क्यों नहीं होगा, बीवीजी?” कमली ने पूछा. आप बाबूजी का भी तो चूसती होंगी.

नहीं,” उन्होंने जवाब दिया.

अच्छा? बाबूजी आपसे नहीं चुस्वाते?” कमली ने आश्चर्य से कहा. पर मैंने तो उनका लंड चूसा था और उन्हें बहुत अच्छा लगा था. आप ज़रा कोशिश तो कीजिये.

नहीं कमली, मेरे से नहीं होगा,” उन्होंने फिर इंकार में कहा.

रहने दे, कमली,” इस बार कालू बोला. मेमसाहब बड़े घर की औरत हैं. ये मेरे जैसे छोटे आदमी का लंड अपने मुंह में कैसे ले सकती हैं!

यह बात नहीं है, कालू,” शर्मिला ने फ़ौरन उसकी बात काटी. मुझे सच में यह अच्छा नहीं लगता ... मेरा मतलब है किसी का भी चूसना.

पर बीवीजी, मुझे तो लंड चूसने में बहुत मज़ा आता है,” कमली ने कहा. पता नहीं आपको अच्छा क्यों नहीं लगता!

अब छोड़ न कमली,” कालू ने कहा. ज़रा तू ही चूस दे.

कमली उठ कर कालू की जाँघों पर बैठ गई. उसने अपना सर झुकाया. कालू का लंड किसी डंडे की तरह तन कर खड़ा हुआ था. शर्मिला पहली बार उसके खड़े लंड को देख रही थीं. बड़ा तंदरुस्त और सुडौल लंड था, अखिल के लंड से कम से कम दो इंच लम्बा और गोलाई में भी बड़ा. उन्होंने सोचा कि इस मूसल को मुंह में लेने से वे भले ही बच गईं पर उन्हें इस को अपनी योनी में तो लेना ही होगा. और उन्हें यह कोई आसान काम नहीं लग रहा था.

कमली ने एक हाथ से कालू के लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से लंड की टोपी को पीछे कर के उसके सुपाड़े को नंगा कर दिया. सुपाड़ा बहुत चिकना दिख रहा था. कमली उसे अपनी जीभ से चाटने लगी. उसकी लपलपाती जीभ सुपाडे के चारों ओर घूम रही थी, कभी नीचे, कभी ऊपर, कभी बांयें तो कभी दायें. कालू को शायद अपने लंड पर कमली की जीभ का फिसलना बहुत अच्छा लग रहा था. उसके मुंह से सिस्कारियां निकल रही थीं.

शर्मिला कमली के कृत्य के अलावा उसकी मुखमुद्रा को आश्चर्य से देख रही थीं. वो बड़ी आनंदमग्न दिख रही थी. कुछ देर सुपाडे को चाटने के बाद कमली ने अपना मुंह खोला और पूरे सुपाडे को अपने मुंह में ले लिया. उसके होंठ लंड पर भिंच गए. वह अपने सर को धीरे-धीरे ऊपर नीचे करने लगी. कालू के नितम्ब भी हौले-हौले ऊपर उठने लगे. शर्मिला ने आश्चर्य से देखा कि कुछ ही देर में कालू का समूचा लंड कमली के मुंह में समा गया. कमली अपना सर ऊपर नीचे करने लगी तो कालू मज़े से सीत्कार कर उठा. अब वो पूरी तरह कमली के वश में दिख रहा था. तभी कमली की नज़र उनकी नज़रों से मिली. उसकी गर्वीली आंखें मानो कह रही थीं, ‘देखो, यह ताक़तवर मर्द अब मेरे काबू में है!यह देख कर शर्मिला को कमली से ईर्ष्या होने लगी. उन्होंने मन ही मन सोचा काश, मैं भी यह कर पाती.

कमली ने शायद उनके मन की बात पढ़ ली. उसने लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल कर उनसे पूछा, “बीवीजी, अब आप कोशिश करेंगी?”

शर्मिला को कमली की बात एक चुनौती जैसी लगी. उन्होंने सोचा कि अगर कमली जैसी अनपढ़ औरत इस तरह मर्द पर काबू कर सकती है तो वे क्यों नहीं! वे इंकार नहीं कर सकीं. वे बैठ कर कालू के लंड की ओर झुकीं. कमली ने उन्हे लंड चूसने का तरीक़ा समझाया. अपनी उंगली को लंड का प्रतीक बना कर उसने दिखाया कि इसे कैसे चाटना और चूसना है. उसे देखते हुए शर्मिला ने कालू का लंड अपने हाथ में लिया और उसे चाटने लगीं. उन्हे उसका जायका कोई खास बुरा नहीं लगा. कुछ ही देर में उन्होंने लंड का सुपाड़ा अपने मुंह में लेने की कोशिश की. इतने बड़े सुपाड़े को मुँह के अंदर लेने में उन्हें मुश्किल तो हुई पर उन्होंने हार नहीं मानी क्योंकि यह उनकी इज्ज़त का सवाल बन गया था. पूरा सुपाड़ा उनके मुंह में चला गया तो उन्होने कमली की ओर विजयी दृष्टि से देखा. कमली ने भी आँखों ही आँखों उनकी प्रशंसा की. शर्मिला अपनी मनोदशा से चकित भी थीं. वे सोच रही थीं कि कल तक जिस पुरुष के साथ यौनाचरण करना उन्हें अपनी बेईज्ज़ती लग रही थी आज उसी के लंड को मुंह में लेना उन्हे गर्व की अनुभूति दे रहा है (अब उन्हें लंडजैसा शब्द भी वर्जनीय नहीं लग रहा था). कमली की सलाह पर उन्होंने अपनी जीभ को सुपाड़े के गिर्द घुमाना शुरू कर दिया. इसका तुरंत असर हुआ और कालू के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं.

धीरे-धीरे उन्होंने अपने मुख को नीचे धकेला और वे आधा लंड अपने मुंह में लेने में सफल हो गयीं. वे उसे आम की गुठली की तरह चूसने लगीं. अब उन्हें लंड का जायका भी रास आ रहा था. यह सिलसिला चलता रहा और कालू लंड-चुसाई का मज़ा लेता रहा. वो समय आने में देर न लगी जब कालू झड़ने के कगार पर पहुँच गया. उसने किसी तरह शर्मिला के हठीले मुंह को अपने लंड से दूर धकेला और हाँफते हुए उनसे गुज़ारिश की, “बस मेमसाहब, अब चोदने दीजिये.

क्रमशः
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#29
Threesome shuru.
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#30
Ab aayega maza!
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#31
कालू की मौज!
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#32
(09-09-2025, 05:20 PM)ratipremi Wrote: Threesome shuru.

Yes.
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#33
(09-09-2025, 05:40 PM)ratipremi Wrote: Ab aayega maza!

Dekhte jaaiye.
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#34
(09-09-2025, 06:04 PM)Glenlivet Wrote: कालू की मौज!

Thank you.
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#35
शर्मिला ने जब पहली बार कालू का लंड देखा था तब वे उसके साइज से डर गयी थीं पर अब उनकी कामोत्तेजना इतनी तीव्र हो चुकी थी कि वे चुदने के लिए अधीर थीं. उन्होंने अपनी आँखों से कालू को मौन निमन्त्रण दिया. कालू ने उन्हें पीठ के बल लिटा दिया. वो उनकी जाँघों को फैला कर उनके बीच आ गया. उसने अपना लंड हाथ में ले कर उसे शर्मिला की जांघों के बीच फिराया. लंड चूत की फांकों को सहलाते हुए चूत के मुहाने पर आया पर वहां थोड़ी छेड़खानी करने के बाद क्लाइटोरिस पर पहुँच गया. कालू ने थोड़ी देर सुपाडे से क्लाइटोरिस को मसला और फिर उसे चूत के द्वार पर पहुंचा दिया. इस बार उसकी चूत के साथ छेड़छाड़ कुछ लम्बी चली. चूत अनवरत पानी छोड़ कर लंड का प्रवेश सुगम बना रही थी पर लंड था कि टालमटोल किये जा रहा था. अनुभवी कालू अपनी चेष्टा से शर्मिला को कामावेग के शिखर पर ले गया था. इस बार जब उसने लंड को चूत से हटाया तो शर्मिला बेसाख्ता बोल उठीं, “ऐसे क्यों तरसा रहे हो? अब घुसा भी दो.


चालाक कालू ने लंड को उनकी गांड से सटा कर पूछा, “कहाँ, मेमसाहब?”

शर्मिला को अपनी गांड पर चिकने और गीले लंड का स्पर्श सुहावना लग रहा था पर वे कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थीं. उन्होंने फ़ौरन उत्तर दिया, “मेरी चूत में!और यह कह कर वे शर्मा गईं.

चुदाई में उस्ताद कालू ने भांप लिया था कि गीली होने के बावजूद शर्मिला की संकड़ी चूत उसका लंड आसानी से नहीं ले पाएगी. उसने अपने हाथ से लंड पर अच्छी तरह थूक लगाया. फिर उसने झुक कर अपने मुंह से सीधे चूत पर थूक टपकाया. एक ऊँगली से थूक को चूत के अन्दर तक पहुँचा कर वो शर्मिला के ऊपर लेट गया. उसने अपनी उँगलियों से उनकी जांघों को टटोल कर अपना निशाना ढूंढा और अपने लंड को निशाने पर रख दिया. उसने अपने कूल्हों को हौले से आगे धकेला. शर्मिला के मुँह से एक सिसकारी निकल गई पर लंड को अभी प्रवेश नहीं मिला था. कालू ने कहा, “मेमसाहब, आपकी चूत बड़ी संकड़ी है! आपको थोडा दर्द हो सकता है.

कोई बात नहीं,” शर्मिला ने हौसला दिखाया. तुम घुसाओ.

कालू ने अपना मुँह उनके होठों पर रख दिया. कुछ देर वो उनके होंठों को चूमता रहा और फिर अचानक उसने पूरी ताक़त से एक धक्का मारा. उसका फौलादी लंड अपना निशाना भेदता हुआ पूरा अंदर घुस गया. शर्मिला का मुंह कालू के मुंह से छिटका और उससे एक लम्बी उईई…!’ निकल गई. साथ ही उनका शरीर बेसाख्ता लरज़ उठा. कमली ने कालू को लताड़ा, “ये क्या कर दिया, ज़ालिम! बीबीजी को दर्द हो रहा है!

कालू अपना लंड बाहर खींच पाता उससे पहले शर्मिला ने उसकी कमर को अपने हाथों से थामा और कहा, “नहीं कालू, बाहर मत निकालना. मैं ठीक हूँ.उन्हें थोड़ी तकलीफ हुई थी पर वे हार मानने को तैयार नहीं थी. उन्हें लगा कि जिस लंड को कमली रोज़ झेलती थी उसे वे नहीं झेल पायीं तो उनकी हार हो जाएगी.

कालू बहुत खुश था. जिस चूत को हासिल करने के सपने वो कई दिन से देख रहा था वो अब उसके कब्जे में थी. और अपने लंड पर उस टाईट चूत की कसावट उसे बहुत मज़ेदार लग रही थी. अब उसे कोई जल्दी नहीं थी. कुछ देर वो बिना हिले शर्मिला के होंठों का रस पीता रहा. जब शर्मिला का दर्द दूर हो गया तब उन्होंने अपनी कमर को हरक़त दी. कालू उनके इशारे को समझ गया. चुदाई-कला में एक्सपर्ट तो वो था ही. अब वो उन्हें पूरी महारत से चोदने लगा. उसके मोटे लंड ने शर्मिला की कसी हुई चूत को फैला दिया था और अब लंड का आवागमन बेरोकटोक हो रहा था. कालू ने धीरे-धीरे अपने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी. शर्मिला ने अपनी टांगों से कालू की कमर को भींच रखा था. दर्द की जगह अब मस्ती ने ले ली थी और वे अब कालू के धक्कों का लुत्फ़ ले रही थीं. उनकी आँखें बंद थीं. कुछ देर बाद उनकी साँसें बेतरतीब हो गईं. चुदते हुए उन के मुँह से बराबर ऊंsssऊं…! ओह...! आहsss...!’ की ध्वनि निकल रही थीं.

कमली जान गई थी कि शर्मिला चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थीं पर उन्हें छेड़ने के लिए उसने पूछा, “दर्द हो रहा है क्या, बीवीजी? इसे निकालने के लिए कहूं?”

नहीं,” शर्मिला ने सिसकारियों के बीच जवाब दिया.

कैसा लग रहा है अब?” कमली ने फिर पूछा.

बहुत अच्छा लग रहा है,” शर्मिला ने कहा. अब उतेजनावश उनके नितम्ब उछलने लगे थे. उनकी सक्रिय भागीदारी से कालू और भी खुश हो गया. वो पूरी तबीयत से धक्के लगाने लगा. शर्मिला उसकी ताल से ताल मिला कर उसके पुरजोर धक्कों का जवाब दे रही थीं.

कमली को अखिल बाबू की एक बात याद आई. उन्होंने कहा था कि बीवीजी सिर्फ नीचे लेटती हैं, बाकी सब उन्हें ही करना पड़ता है. उसने सोचा कि क्यों न आज इनसे कुछ नया करवाया जाए! उसने कालू से कहा, “ज़रा रुक तो. तू ही ऊपर चढ़ा रहेगा या बीवीजी को भी ऊपर आने देगा?”

ओह, मैं तो भूल ही गया था,” कालू ने रुक कर अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश की.

नहीं,” शर्मिला ने अपनी चूत को भींचते हुए कहा. ऐसे ही ठीक है.

चूत की पकड़ मजबूत होने के कारण कालू का लंड अंदर ही फंसा रहा पर वो कमली की बात से सहमत था. वो जानता था कि जब शर्मिला उसके ऊपर होंगी तो वो चुदाई का मज़ा लेने के साथ-साथ उनके हुस्न का पूरा नज़ारा भी देख सकेगा. वो बोला, “कमली ठीक कहती है, मेमसाहब. आपको भी तो अपने सेवक की सवारी करनी चाहिए.

वो उनके ऊपर से उतर कर पलंग पर लेट गया. उसने शर्मिला का हाथ पकड़ कर उन्हें अपने ऊपर खींचा. शर्मिला लजाते हुए उसके ऊपर आ गईं. उन्होंने उसके लंड को हाथ में पकड़ा और अपनी चूत को उस पर टिकाया. उन्होंने अपनी चूत को धीरे-धीरे नीचे धकेला. कुछ ही पलों में उन्होंने पूरा लंड अपने अंदर ले लिया. उन्होंने विजयी दृष्टि से कमली की ओर देखा तो कमली ने कहा, “बीवीजी, अब आपको जैसे धक्के पसंद हैं, वैसे लगा सकती हैं.

ज़िन्दगी में पहली बार चुदाई की कमान शर्मिला के हाथ में आई थी. उन्होंने हलके धक्कों से शुरुआत की. जब उनका आत्मविश्वास बढा तो उनके धक्कों में और ताक़त आने लगी. कालू ने उनकी कमर को अपने हाथों से थामा और वो भी उनका साथ देने लगा. उसकी नज़रें उनके फुदकते जिस्म पर जमी हुई थी. वो अपनी किस्मत पर इतरा रहा था कि आज उसे ऐसी हसीन औरत को चोदने का मौका मिला था. साथ ही वो उनकी कसी हुई चूत का पूरा लुत्फ़ उठा रहा था. लुत्फ़ शर्मिला भी उठा रही थीं. वे जान गयी थीं कि चुदाई का मज़ा पुरुष की शक्ल-सूरत पर नहीं बल्कि उसके काम-कौशल और उसके लंड की शक्ति और क्षमता पर निर्भर करता है. और कालू इन सब का स्वामी था. वे एक बार तो चुदने से पहले ही झड़ चुकी थीं और अब दूसरी बार झड़ने के कगार पर थीं.

कालू नीचे से अपनी ताक़तवर रानों से शर्मिला की चूत में पुरजोर धक्के मार रहा था. उसने उनकी कमर को कस के पकड़ लिया था ताकि लंड चूत से बाहर न निकल जाए. शर्मिला के गले से अजीब आवाजें निकल रही थीं. कालू उनके चेहरे के बदलते नक्श देख कर भांप गया था कि वे अब अपनी मंजिल के नज़दीक थीं. उसने उन्हे चोदने में अपनी पूरी ताक़त लगा दी.

शर्मिला अब पूरी दुनिया से बेखबर थीं. उनकी आँखें बंद थी, सांसें उखड रही थीं और जिस्म बेकाबू था. उनका पूरा ध्यान अब उन मदमस्त तरंगों पर केन्द्रित था जो एक के बाद एक उनकी चूत से उठ रही थीं. कमली ने उनसे पूछा, ‘बीवीजी, ये ठीक तरह से चोद रहा है कि नहीं?’

शर्मिला बरबस बोल उठीं, “बहुत अच्छी तरह चोद रहा है, कमली ... बहुत अच्छी तरह!

और इन शब्दों के साथ ही उनका शरीर अकड़ने लगा. उनकी तनावग्रस्त चूत फड़कने लगी. कालू उनको चोदते हुए बोला, “निकाल दीजिये, मेमसाहब! निकाल दीजिये अपनी चूत का पानी!

और वही हुआ. शर्मिला बड़े जोर से उसके लंड पर झड़ीं. और ऐसे झड़ीं कि वे अपनी सुधबुध खो बैठीं. उन्हें ब्रह्माण्ड अपने चारों तरफ घूमता हुआ प्रतीत हुआ. उन्हें पता ही नहीं चला कि वे कब आनन्द के अतिरेक में कालू के ऊपर गिर गईं.
 
क्रमशः
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#36
कालू ही नहीं बल्कि शर्मीला जी की भी मौज हो गयी.
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#37
(09-09-2025, 11:14 PM)Glenlivet Wrote: कालू ही नहीं बल्कि शर्मीला जी की भी मौज हो गयी.

Yes, whether Sharmila wanted it or not.
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#38
(09-09-2025, 11:14 PM)Glenlivet Wrote: कालू ही नहीं बल्कि शर्मीला जी की भी मौज हो गयी.

क्यों नहीं?
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#39
(10-09-2025, 06:41 PM)ratipremi Wrote: Yes, whether Sharmila wanted it or not.

Yes.
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#40
 
जब शर्मिला की चेतना लौटी तब उन्होंने देखा कि उनकी बाँहें कालू के गिर्द कसी हुई थीं, कालू अपने हाथों से उनकी पीठ और नितम्बों को सहला रहा था. उसका लंड अब भी उनकी अलसाई चूत में तना हुआ खड़ा था. कालू ने उनकी आँखों में देखते हुए पूछा, “मज़ा आया, मेमसाहब?”

हां कालू, बहुत मज़ा आया,” उन्होंने बेझिझक कहा. पर तुम्हारा अभी नहीं हुआ?”

अब ज्यादा देर नहीं है,” कालू ने जवाब दिया. अगर आप मुझे दो मिनट और चोदने दें तो मेरा भी हो जाएगा.

ठीक है,” उन्होंने कहा. तुम मुझे अपने नीचे ले कर चोद लो!

शर्मिला कालू के ऊपर से उतर कर चित लेट गईं. इस बार कालू ने देर नहीं की. वह जानता था कि उनकी चूत तैय्यार है. वह उनके ऊपर सवार हो गया. उसने उनकी चूत में अपना लंड घुसाया और फिर से चुदाई शुरू कर दी. कमली ने ताकीद की, “देख, प्रेम से लेना और ज्यादा देर न लगाना.

उसे जवाब शर्मिला ने दिया, “कोई जल्दी नहीं है, कमली. इसे जी भर कर लेने दे.उन्हें फिर से मज़ा आने लगा था.

मज़ा कालू को भी आ रहा था और वो वास्तव में शर्मिला की चूत बहुत प्रेम से ले रहा था. धीरे-धीरे उसका मज़ा बढ़ा तो उसके धक्कों ने रफ़्तार पकड़ ली. शर्मिला भी उसी लय में अपने चूतड़ उठा-उठा कर चुदवाने लगीं. उनके गले से फिर मस्ती भरी आहें और सिसकियां निकल रही थीं. कमली विस्मय से उन्हें देख रही थी. अब उसे वे एक बड़े घर की शालीन स्त्री नहीं बल्कि खुद जैसी आम औरत दिख रही थीं, ऐसी औरत जो खुल कर चुदाई का मज़ा लेती है. कमली यह भी देख रही थी कि कालू उन्हें पूरी मस्ती से चोद रहा था. हर धक्के के साथ उसके चूतड़ संकुचित हो रहे थे. उसने शर्मिला के कन्धों को कस के पकड़ रखा था ताकि वे उसकी गिरफ्त से निकल न जाएँ. उसका लंड तेज़ी से उनकी चूत में प्रहार कर रहा था. कुछ देर बाद उसके गले से गुर्राने जैसी आवाज निकलने लगी. शर्मिला को लगा कि अब वो झड़ने वाला था. वे खुद भी फिर से झड़ने को आतुर थीं. तभी गुर्राहट के बीच कालू बोला, “मेमसाहब, मेरा निकलने वाला है ... आsssह!

यह सुन कर शर्मिला की चूत स्वतः ही लंड पर भिंच गई और उनके नितम्ब बेकाबू हो कर उछलने लगे. कालू भी अब धुआंधार धक्के मार रहा था. दोनों दुनिया से बेखबर थे. दोनों का ध्यान अब सिर्फ उनके संधि-स्थल पर केन्द्रित था जहां लंड और चूत एक-दूसरे को पछाड़ने की होड़ में जुटे थे. कोई हार मानने को तैयार न था और इस मुकाबले में किसी की हार होनी भी न थी. एक मिनट की घमासान टक्कर के बाद कालू किसी जख्मी शेर की तरह गुर्राया. उसका जिस्म अकड़ गया और उसका लंड शर्मिला की चूत में दनादन पिचकारियां मारने लगा. जब पहली बौछार चूत में पड़ी तो शर्मिला का शरीर भी तन गया. उनकी कमर ऊपर उठ गई. तीव्र सिसकारियों के बीच उनकी चूत भी पानी छोड़ने लगी. लंड से पानी की आखिरी बूँद निकलने के बाद कालू शर्मिला के ऊपर बेसुध हो कर गिर पड़ा.

थोड़ी देर बाद जब कालू की सांसें सामान्य हुईं तो वो शर्मिला के ऊपर से उतरा और उनके पास लेट गया. शर्मिला ने उसकी तरफ करवट ले कर अपना सर उसके कंधे पर रख दिया. कालू के दूसरी तरफ लेट कर कमली ने भी यही किया. शर्मिला ने अपना हाथ कमली के हाथ पर रखा और उससे नज़रें मिला कर वे कृतज्ञता से मुस्कुराई. जिस अभूतपूर्व आनन्द का उन्होंने आज अनुभव किया था उसका श्रेय वे कालू के साथ-साथ कमली को भी दे रही थीं. वे सोच रही थीं कि उनके पति के सामने कमली ने वो अजीब शर्त न रखी होती तो वे इस आनंद से वंचित रह जातीं. अपने खयालों में डूबी वे न जाने कब नींद की गोद में चली गयी.

शर्मिला को अपने सीने पर एक गीले स्पर्श का अनुभव हुआ. वे गहरी नींद में डूबी इस मीठे सपने का आनन्द ले रही थीं. स्पर्श एक गीली जीभ का था जो उनके निप्पल से कामुक छेड़छाड़ कर रही थी. जब उन्हें अपने दूसरे स्तन पर एक मुट्ठी का दबाव महसूस हुआ तो उनकी आँखें खुलीं. उन्होंने पाया कि ये सपना नहीं था. कालू ने उनके एक उरोज पर अपने हाथ से और दूसरे पर अपने मुंह से कब्ज़ा किया हुआ था. पता नहीं यह कब से चल रहा था. शर्मिला का तन उनके वश में नहीं था. कालू अपने काम-कौशल से उनकी वासना को भड़का चुका था. तभी उनकी अधखुली आंखें खिड़की पर पड़ीं. परदे से छन कर हल्का प्रकाश अन्दर आ रहा था. उन्होंने अपनी घडी पर नज़र डाली. पांच बजने वाले थे. गर्मी के मौसम में सुबह पांच बजे थोड़ी आवाजाही शुरू हो जाती है. उनका अचेतन मन उन्हें यहां रुकने को कह रहा था ताकि वे बीती रात वाला मज़ा फिर से ले सकें. पर उनका मष्तिष्क कह रहा था कि अब एक मिनट भी रुकना ठीक नहीं था. उन्होंने मष्तिष्क की बात मानी और कालू को धकेलते हुए कहा, “नहीं कालू, अब मुझे जाना होगा.

कालू जैसे आसमान से गिरा. उसने याचनापूर्ण स्वर में कहा, “मेमसाहब, बस एक बार और चोद लेने दीजिये! आप थोड़ी देर और रुक जायेंगी तो क्या बिगड़ जाएगा?”

सुबह हो रही है, कालू.शर्मिला अब पूरे होश में थीं. उन्होंने कमली से कहा, “कमली, इसे समझाओ कि किसी ने जाते हुए मुझे पहचान लिया तो ठीक नहीं होगा.

कालू यह सुन कर रुआंसा सा हो गया. वो अटकता हुआ बोला, “मेमसाहब, मुझे आप जैसी अप्सरा फिर कभी नहीं मिलेगी. अगर एक बार और आपकी कृपा हो जाये ...

तुम ऐसा क्यों सोच रहे हो,” शर्मिला ने कहा. तुम्हारा जब मन करे, कमली से कहला भेजना. मैं आ जाऊंगी.

कालू को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था. उसने आश्चर्य से पूछा, “क्या? आप सच में आ जायेंगी?”

हाँ, जब तुम चाहोगे.शर्मिला स्वयं आश्चर्यचकित थीं कि उन्होंने ऐसा किस तरह कह दिया. बहरहाल कालू उनकी बात सुन कर खुश हो गया.

मेमसाहब, आप भी बाबूजी को कह देना कि वे जब चाहें तब कमली को चोद सकते हैं.कालू ने कहा. कमली ने तो पहले ही उनसे अदला-बदली की बात की थी.
 
क्रमशः
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