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Very erotic spicy update
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कहानी का अगला भाग रिलीज हाने को तैयार है
ये कहानी सिर्फ हार्डकोर सेक्स की ही नहीं हे... इंटेंस प्रेम और श्रृंगार से सजी हुई काम कहानी हे.
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(03-03-2025, 06:14 PM)RonitLoveker Wrote: कहानी का अगला भाग रिलीज हाने को तैयार है
ये कहानी सिर्फ हार्डकोर सेक्स की ही नहीं हे... इंटेंस प्रेम और श्रृंगार से सजी हुई काम कहानी हे.
Krdo release ab
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Acchi story hai. Kya English akshar mein likh sakte hain?
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10-03-2025, 06:30 PM
(This post was last modified: 10-03-2025, 06:32 PM by RonitLoveker. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
UPDATE 5.1 (B)
सब का नाश्ता हो चुका था. सभी प्रताप दादा ने जो बैठक रखी थीं उसमें बैठे थे. पारो आंटी, प्रताप दादा के बाई बाजू में बैठी थी तो असुरा नीचे जमीन पर बैठा था. मैं वहीं पर खड़ा था तभी दादाजी ने मुझे कहा कि मैं मां को बुलाकर ले आऊ. मैं वहां से जल्दी से जाकर मां को यह बात बताने के लिए चला आया तभी मैंने देखा कि... मां रसोई में पूरी तरह पसीने से लथपथ हो के काम कर रही थी. शायद मादकता का रस पूरे उफान के साथ पसीने में मिश्रित होके उनके शरीर से बह रहा था. उनकी बगले पूरी तरह पसीने से लथपथ भीग चुकी थी. उनके बगल के आस पास ब्लाउज पर पसीने के दाग दिख रहे थे. उनकी सांसे भी उनके नियंत्रण में नहीं आ पा रही थी ऐसा मुझे लग रहा था. वो अपनी पैरों की एड़ियों को उभारे हुई अपनी उंगलियों को फर्श पर दबा रही थी. उनके तन बदन की आग जैसे फिर से सुलग रही थीं. उनका ध्यान रसोई में था ही नहीं... वह तो बस बेचैन हो के यहां वहां देखे जा रही थी... उनकी हालत देख में समझ चुका था कि शायद उन्हें क्या करना चाहिए था. मैने उनका ध्यान भटकाने के लिए उन्हें आवाज दियी... " मां....! " उन्होंने फटक से मेरी और देखा... इस वक्त उनका चेहरा भी पसीने से भर चुका था... उनकी गर्दन पर पसीने की बूंदे उनकी सुंदरता पर मोतियों की तरह चार चांद लगा रही थीं... मैने उन्हें बताया कि बैठक शुरू होने वाली है.. आप रसोई में काम करे रहने की वजह से शायद थक चुकी हो... कुछ देर टॉयलेट में जाकर फ्रेश हो के आईए... तब तक हम आपकी राह देखेंगे.
टॉयलेट का नाम सुनते ही उनके चेहरे पर एक चमक सी आ गई... शायद उन्हें पारो आंटी की बताई बात याद आ गईं... की इस मादकता के रस की गर्मी से राहत पाने के लिए चूत में उंगली करने की बात याद आ गईं होगी... वो बिना देर किए मुझे वहीं छोड़ के अपने कमरे में टॉयलेट की ओर पूरी जल्दबाजी में चली गई. मैं बाहर आया और सबको बताया कि मां आ रही हैं.. उनके आते ही बैठक शुरू करेंगे.
कुछ ही देर में मां आ गई. वो अभी पहले से ज्यादा फ्रेश लग रही थी... कही उन्होंने सच में चूत में उंगली कियी होगी....? नहीं...नहीं... पर में ये क्यूं सोच रहा हूं...? मैने ही तो उन्हें जानबूझकर टॉयलेट जाने की याद दिलाई थीं..तो फिर मैं क्यूं...? मैं इसी विचार में था तभी प्रताप दादा ने मां को असुरा की बाजू में बैठने को कहा. मां भी चुपचाप उनकी बात मानते हुये असुर की बाजू में बैठ गई. मां को अपनी बाजू में बैठता देख असुरा मुस्कराया और मेरी तरफ देखने लगा. मैंने उसे अनदेखा किया और मैं प्रताप दादा की और देखने लगा. प्रताप दादा ने बैठक शुरू की.
" जैसे कि हम लोग जानते हैं कि आज हम इस बैठक में क्यों बैठे हैं... मैं घटित हुई सारी बातें फिर से विस्तार में नहीं बताऊंगा.. क्योंकि इससे वक्त ही जाया होगा क्योंकि हमें सारी बातें पहले पता है... तो अब मैं उन ही चीजों पर गौर फरमाऊंगा जो चीजे सबको पता होनी जरूरी है.
यह है एक ..कागज...! यह कागज कोई आम कागज नहीं है... यह स्वामी जी के द्वारा लिखा गया कायदे कानून वाला कागज है जो की आज से इस घर में होने वाले विवाह और उसके पश्चात जो नियम पूनम और असुरा के दांपत्य जीवन के लिए सबसे जरूरी होंगे वह लिखे गए हैं. शायद स्वामी जी को पता था कि भविष्य में ऐसी समस्या आ सकती थी इसीलिए शायद उन्होंने इस सब का प्रबंध पहले से ही कर रखा था. सबसे पहले आज की तिथि में शाम को 7:00 बजे असुरा और पूनम का विवाह होगा यह विवाह घर के आंगन में होगा और घर का मुखिया होने के नाते यह विवाह मेरे समक्ष मेरी साक्षी से ही होगा. विवाह में बैठते समय नर जो कि असुरा है और जो नकारात्मक कुल का अधिपति है वह सिर्फ एक सफेद कपड़ा अपने लिंग को छुपाने के लिए अपने कमर के इर्द-गिर्द लपेटेगा और आज से पूनम जो कि मादा और असुरा की दासी बनेगी इस वजह से असुरा के सम्मान की विधि में वह भी सिर्फ अपने स्तन पर और अपनी योनि छुपाने के लिए वैसा ही छोटा सा कपड़ा लपेटेगी. इस सबसे यह बात निश्चित होगी कि असुरा और पूनम में कोई भी भेदभाव नहीं रहेगा, और वह विवाह में यह कपड़े भी इसीलिए लपेट रह रहे हैं क्योंकि वह सिर्फ विवाह में उपस्थित सभी से परहेज कर रहे है वरना असुरा और पूनम एक दूसरे के लिए सिर्फ और सिर्फ जानवरों की तरह, निर्वस्त्र नर और मादा हैं और इनका जीवन सिर्फ संभोग और सिर्फ संभोग के लिए बना है. और जो मैं सम्मान की विधि की बात की थी वह इसलिए थी क्योंकि पूनम जो असुरा की पत्नी एवम् दासी है वह सिर्फ असुरा की उपभोग के लिए बनी है और असुरा जो उसका राजा है वो जैसे भी चाहे, जिस तरह चाहे, जहां चाहे , जितना चाहे.. उतना पूनम को उपभोग सकता है और पूनम एक आज्ञाकारी पत्नी की तरह हर समय उसकी उपभोग का साधन बनने के लिए तैयार हे.. यही इस सम्मान की विधि का मतलब है "
यह सब सुनकर मेरे अंदर खून जमा हो गया.. मैंने मां की ओर देखा, उन्हें को देखकर मुझे ऐसा लग रहा था कि उनकी आंखें पूरी तरह फटी की फटी रह चुकी है... उनका शरीर डर के मारे कांप रहा था... चेहरे पर डर दिखाई देने लगा था... शायद आज जो उनके साथ होने वाला था वह उनके जीवन का सबसे अधिक कठिन समय था... उल्टा असुरा का चेहरा काफी प्रभावित दिख रहा था शायद को खुद को गौरांवित समझ रहा था क्योंकि उसे कामसुंदरी औरत मेरी मां पूनम विवाह के लिए... या प्रताप दादा की भाषा में कहूं तो उपभोग के लिए एक तिलस्मी खिलौने जैसी जो मिल चुकी थी.
" विवाह के पश्चात जो नियम विवाहित जोड़े के लिए निश्चित किए है वह मैं तुम्हें सुहागरात के उपहार के रूप में बताऊंगा... यह विवाह आसान तरीके से होगा... जो विधि के लिए जरूरी होगा वो सामान में लाऊंगा... तुम दोनों सिर्फ 7 बजे तैयार होके आंगन मैं आ जाना... बाकी चीज में बाद में बताऊंगा "
दादाजी की बात खत्म हुई... मैं अभी भी सोच विचार में ही था... तभी मेरी नजर फिर से मेरे सामने बैठे हुई मां और असुरा पर पड़ी... असुरा अब मां को सटकर बैठा था... जब हम सब दादाजी की बात पर ध्यान दे रहे थे तब शायद वह धीरे-धीरे उनके करीब तब आया था ... इधर असुरा ने सच में मौके पर चौका मार दिया था... वह अपनी जांघें, मां की जांघों से घिस रहा था... मां तब पूरी शॉक में थी, इस वजह से यह बात उन्हें समझ ही नहीं आ रही थी पर मैंने सब कुछ देख लिया था... मां कुछ रिस्पांस नहीं दे रही थी यह देख कर उसने आगे बढ़ने का सोचा... उसने अपना हाथ पीछे ले जाकर उनकी कमरे में डाला तभी... मां होश में आ गई... असुरा का खुरदरा हाथ अपने कोमल, पतली कमर पर पा कर वह सिहर उठी.... वह झट से उठी और कुछ नाराजी वाला मुंह बनाकर वहां से चली गई... जाते वक्त रिवाज के अनुसार वह प्रताप दादा को प्रणाम करना नहीं भूली. प्रताप दादा ने उन्हें आशीर्वाद दिया... तभी असुरा उठकर मेरी और आने लगा... मैं डर के मारे उसे अपनी और आते हुए देख रहा था...
असुरा मेरी और क्यों आ रहा था?
शाम को विवाह में क्या होने वाला था..?
क्या नियम थे जो प्रताप दादा असुरा और मां को सुहागरात के उपहार के रूप में देने वाला थे...?
जानने के लिए पढ़िए अगला अपडेट.
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अगला भाग विवाह के संबंधित कामुक गतिविधियों के विवरण में समर्पित होगा.
आने वाले 2 भाग लिखे गए हैं.... इस कहानी को 20,000 views तक जल्दी से पहुंचाइए.
अपने कमेंट्स से मेरा प्रोत्साहन करे और इस कहानी को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे.
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Bahut acchi story hai bhai. Bs views ke piche mat bagho update dete raho views aate rahege. I hole jaldi update milega. Aur if possible thode images daalo aur kahani me chaar chand la jayenge.
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मादकता के रस में भरी पूनम
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Bro zaldi update Diya karo
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15-03-2025, 12:25 AM
(This post was last modified: 15-03-2025, 12:26 AM by RonitLoveker. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
कल रिलीज होगा अगला भाग.
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UPDATE 5.2
असुरा मेरी और चला आया. पारो आंटी भी मां के पीछे कमरे में चली गई थी. बैठक के तुरंत बाद प्रताप दादा ध्यान लगा कर बैठे थे. अब आंगन में , मैं और असुरा दोनों खड़े थे. " अबे कुत्ते...! चल मेडिकल शॉप में जा, और इस दवाई को लेकर आ " असुर ने एक दवाई की पर्ची अपने जेब से निकाल कर मुझे देते हुए कहा. मैंने पर्ची अपने हाथ में ली और उसकी और देखा. असुर ने अपनी जेब से एक पैसों का बंडल निकाला .. " हे स्वामी जी... यह तो वही बंडल था जो कल पोस्टमैन अंकल दरवाजे पर जो दुकानों का किराया रख कर गए थे.."
मुझे समझने में देर नहीं लगी कि प्रताप दादा ने तिजोरी की चाबी खोलकर उस तिजोरी को अपने कब्जे में ले लिया था. अब सब कुछ प्रताप दादा , पारो आंटी और असुरा की हाथ पड़ चुका था. मां सच में उनकी दासी और मैं कुत्ता बन चुका था.
असुरा ने ऊस बंडल मे से 5000 रुपये निकाल कर मेरे हाथ में रख दिये. मैने उस पर्ची मे देखा की मुझे लाना क्या था. पर्ची में क्या लिखा था यह तो मुझे पता नहीं चला... पर यह तय था कि मुझे मेडिकल से कोई ट्यूब लाना था. मैंने उस पर्ची को अपनी जेब में रखा और जाने के लिए पलटा तभी... पारो आंटी भी अपने हाथ में कोई पर्ची लेकर मेरी और आते हुए मुझे दिखाई दी. उन्होंने मुझे आवाज दी " नमन... चल जा और इसमें जो तेरी मां के लिए सामान लिखा है वह मेडिकल शॉप से ले आ " मैंने उनसे वह पर्ची ले ली और उसे पढ़ा. उसे पर भी जो लिखा था वह मुझे समझ में नहीं आया. उन्होंने मुझे फिर से पूछा " पैसे हैं तेरे पास..? या मैं दूं? " इतने में पीछे से असुरा ने जवाब दिया " हां मैंने दिए हैं इसे पैसे. वह ले आएगा " ऐसा सुनते ही पारो आंटी वहां से चली गई. " चल जल्दी जा और जल्दी से आ " असुर ने मुझे फटकार लगाई. मैं तुरंत वहां से गेट खोल कर बाहर चला आया.
हमारे घर से बड़ा वाला मेडिकल शॉप काफी दूर बाजार में था. और वो मेडिकल शॉप वाला हमें अच्छी तरह पहचानता था, इसीलिए मैंने सोचा कि शायद पिछली वाली गली में जो छोटा सा हकीम वाला मेडिकल शॉप है वहां से यह सामान लाना ही सही रहेगा. मैं जल्दी-जल्दी पीछे वाली गली में गया. यह गली वैसे ही काफी सुनसान रहती थी और आज तो इस गली में कोई भी नहीं दिख रहा था. मैं जल्दी-जल्दी उस हकीम वाले मेडिकल शॉप पर गया. यह मेडिकल शॉप हमीद चाचा का था जो उम्र में काफी बूढ़े थे, पर शायद आज वह दुकान पर नहीं थे लेकिन उनका पोता असलम जो की 19 साल का था वह शॉप पर था. असलम पहले हमारी कॉलेज में पढ़ता था , इसलिए मैं उसे जानता था पर उसका चाल चलन कुछ ठीक नहीं था इसीलिए मेरी उससे कभी कोई बातचीत नहीं थी. उसने मुझे देखा और वह खड़ा हो गया. मैंने उसके हाथ में वो दोनों पर्चियां थमा दी. असलम ने वह दोनों पर्चियां पढ़ी और मेरी और गौर माथे पर शिंकज लाकर से देखने लगा. देखते देखते उसके चेहरे पर से भाव बदले और वो एक कमिनी से मुस्कान अपने चेहरे पर ले आया.
" तेरी उम्र क्या है..? और यह किसके लिए ले जा रहा है..? "
मैंने उसकी बात सुनी पर उसका कोई जवाब नहीं दिया. " तेरा शुक्रा दादा कल ऑफ हो गया ऐसी बातें चल रही है हर जगह.. और आज तू यहां यह लेने आया है साले..? माजरा क्या है बे..? " असलम ने मुझे डराते हुए पूछा.
मैं खुद उसे क्या बताता... मुझे तो खुद ही नहीं पता था कि इन दोनों पर्चियां में क्या लिखा है. " मुझे यह पर्चियां किसी ने दी है.. इन पर जो समान लिखा है वह जल्दी से दे दो... और वैसे.. इन दोनों पर्चियां में जो सामान लिखा है वह है क्या... जो तुम मुझे इतना डरा रहे हो? " मैंने हिम्मत करके असलम से पूछा
मुझे इन दो पर्चियां में जो लिखा है वह क्या समान है, यह बात पता नहीं है यह सुनकर असलम को भी यकीन हो गया कि ये सामान मेरे लिए तो नहीं है. उसने मुझे सिर्फ एक ही सवाल पूछा " मैं तुझे सब बताता हूं.. पर...पहले ये बता, तुझे किसने यह सामान लाने को कहा है ? "
मैं असुरा या पारो आंटी का नाम तो नहीं बता सकता था... इसीलिए मैंने मां का नाम ले लिया .. " मेरी मां... पूनम ने "
" साले तेरे दादाजी के मरते ही तेरी मां तो दूसरे ही दिन पूरी फॉर्म में आ गईं हैं लगता हैं. रंडी ने अपनी इतने साल की चूत की गर्मी मिटाने के लिए, लगता है कोई खिलाड़ी ढूंढ लिया हैं. " असलम ने कुछ सामान शेल्फ में ढूंढते हुए हस..हस कर कहा. मेरी मां के बारे मैं असलम का ऐसे बोलना मुझे अच्छा नहीं लगा. मैं काफी बुरा महसूस कर रहा था, पर कल से मैंने जो कुछ भी देखा सुना था... उसके बाद मुझे अब इन नई-नई चीजों की आदत पढ़ने लगी थी. मैं मेरी गर्दन शर्म से नीचे किए सब कुछ सुन रहा था... तभी असलम ने एक ट्यूब, एक पाऊच, और एक गोलियों की स्ट्रिप काउंटर पर रख दी.
" यह देख.. ये सब तेरी मां ने आज रात के अपने प्रोग्राम के लिये मंगवाया है...साली ये तो पक्की रांड हैं जो इतनी तयारी कर रही है... उसने तो अपनी चूत का भोसडा बनाने का पुरा प्लॅन बनाया हैं..." असलम हर एक चीज का रेट चेक करते है मुझसे कहने लगा. मेरा दिमाग पुरी तरह सुन्न हो चुका था. क्या सामान था ये..? और इससे मां की चूत का क्या वास्ता था ? मैं सोच ही रहा था तभी असलम ने आगे कहा.
" यह ट्यूब 2000 हजार रुपए का है... इसका थोड़ा सा इस्तेमाल अपने लंड पर करने से, लंड बिल्कुल पत्थर के माफिक सख्त हो जाता हैं. अगर यह ट्यूब लगाने वाले मर्द का लंड लंबा चौड़ा हुआ तो उसका लंड बिल्कुल भी डंडे की तरह बन जाएगा... और उसके बाद चूत को तहस नहस कर डाले गा "
असुरा के लंड का विक्राल साइज... और ऊपर से यह ट्यूब वाली दवाई... " हे स्वामीजी... कही कुछ अनर्थ ना हो जाएं..! " मेरा गला सुख रहा था तभी असलम फिर से बोल पड़ा.
" यह क्रीम का पाउच 1000 हजार रूपये का है. यह चूत पर और उसके आजू बाजू लगाने से चूत बिल्कुल मक्खन जैसी स्मूथ बनेगी. अगर लगाने वाली औरत गोरी चींटी हो तो उसकी चूत बिल्कुल फूल कर और भी निखरेगी , और उसके बाद जो गुलाबी कलर की चूत का रंग, बिलकुल मिल्किबार बिस्कुट के अंदर जो स्ट्रौबरी क्रीम होती है वैसा लगेगा. और यह गोलियां ₹500 की है... इन गोलियों की खासियत यह है कि इस स्ट्रिप में से एक गोली कोई औरत लेगी तो वो एक बदचलन औरत की तरह लंड की भूखी बन जाएगी, दो गोलियां लेगी तो लंड के लिए पागल बन जाएगी और भूखी कुतियां की तरह चूदाई के लिए मर मिट जाएगी. इसके सेवन से औरत के अंदर का डोपामिन एक एक मिनट के लिए बढ़ेगा और उसे लंड का भूखा प्यासा बना देगा "
यह सब मेरे लिए किसी काल्पनिक विश्व की कहानी के तरह था. ऐसा कुछ हो सकता है यह कोई इंसान सपने में भी नहीं सोच सकता था. लेकिन कुदरत और मेडिकल साइंस ने मेरी जिंदगी में , दो ही दिनों में कुछ ज्यादा ही तरक्की कर दी थी. मैंने अपनी जेब से पैसे निकाल कर गिने ओर असलम को दे दिए. उसने एक पैकेट में सब कुछ पैक किया और मेरे हाथ में सारा सामान थमा दिया. मैं पैकेट लेकर घर जाने के लिए निकला तभी असलम ने फिर से मुझे आवाज दी.
" तेरी मां के लिए यह हाय डोस पेन्किलर ले जा... साली रंडी आज रात ऐसे चुदेगी कि कल सुबह चल भी नहीं पाएगी.. तब उसे यह दे देना.. "
मैंने बिना सोचे समझे उसके हाथ से वह गोली ले ली और उसे गोली के पैसे देने के लिए अपने जेब में हाथ डाला, तभी असलम ने मुझे रोका.
" पैसे रहने दे.. कभी तेरी मां का दीदार हमें भी करा देना.. दूर से ही सही पर हम अपनी आंखे तो सेक लेंगे "
मैं उसे बिना कुछ कहे घर को जाने के लिए वापस निकल गया. पीछे असलम मुझे देखे जा रहा था... शायद उसके भी अरमान जग चुके थे.
दोपहर के 3 बज चुके थे. मैने कुछ खाया भी नहीं था. घर पर सभी अपने अपने काम में व्यस्त दिखाई दे रहे थे...पर मां... वो कहा थी....?
घर पर आगे क्या होने वाला था?
यह सब मेडिकल वाला सामान मां के लिए क्या तबाही लाने वाला था?
असुरा और पारो आंटी की क्या मिलीभगत वाली कारस्थानी थी?
जानिए अगले भाग में...
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Bro you could be the best or the worst writer, both based on your updates, agar aise hi chote chote utsah badhana wale update dete rahe jo charam pe le ja kar KLPD kar dete hai toh readers don't gonna like it, par agar lambe update diye isi romanchit kar dene wali bhasha me toh you could be the best writer, love your writing though....
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Bohot zabardast update Diya apne
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(15-03-2025, 05:19 PM)Rishwanderlust8695 Wrote: Bro you could be the best or the worst writer, both based on your updates, agar aise hi chote chote utsah badhana wale update dete rahe jo charam pe le ja kar KLPD kar dete hai toh readers don't gonna like it, par agar lambe update diye isi romanchit kar dene wali bhasha me toh you could be the best writer, love your writing though....
भाई जब पहले वाला xossip हिंदी स्टोरीज का प्लेटफॉर्म था, उसपर मेरी दो कहानियां हॉट प्यार और आफरीन तेरा चेहरा काफी साल पहले अच्छी तरह कामयाबी पा के पूरी हो चुकी थी. यह कहानी भी पूरी होगी क्यों कि यह कहानी मेरे जेहन में काफी सालों से उभर रही थीं और इस कहानी का अंत भी मैने सोच रखा हैं तो इसे धीमे आंच पर ही रहने देते हैं क्यों कि आगे जो होगा वो कल्पना से परे और कामवासना से लिप्त होगा. आप की असुविधा के लिए मुझे खेद है पर मै आप से यही कहूंगा कि आप मेरी बात को समझे और इस कहानी को भरपूर प्रेम दें.
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(15-03-2025, 08:17 PM)RonitLoveker Wrote: भाई जब पहले वाला xossip हिंदी स्टोरीज का प्लेटफॉर्म था, उसपर मेरी दो कहानियां हॉट प्यार और आफरीन तेरा चेहरा काफी साल पहले अच्छी तरह कामयाबी पा के पूरी हो चुकी थी. यह कहानी भी पूरी होगी क्यों कि यह कहानी मेरे जेहन में काफी सालों से उभर रही थीं और इस कहानी का अंत भी मैने सोच रखा हैं तो इसे धीमे आंच पर ही रहने देते हैं क्यों कि आगे जो होगा वो कल्पना से परे और कामवासना से लिप्त होगा. आप की असुविधा के लिए मुझे खेद है पर मै आप से यही कहूंगा कि आप मेरी बात को समझे और इस कहानी को भरपूर प्रेम दें.
Yahi umeed hai bro, bahut kamuk kahani hai , aankho ke samne hota dikhta hai sab, aur aapki pehli kahaniyo ka link mil sake toh maza aa jaaye, mujhe umeed hai woh bhi isi tarah ki hongi ...
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जब कहानी के लिए कॉमेंट्स में कोई अच्छा रिस्पांस देता है तो कहानी लिखने में और भी मजा आता है लेकिन आप लोग कमेंट ही नहीं करते हो... यह बात बहुत बुरी लगती है. फिर भी...
टिप्पणी: अगला भाग आज रात को रिलीज होगा।
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Abhi tak ki story se to yeh lag raha hai ye sab Dada or asura ka plan hai par bichare bacche ka kya kasur kya uske sath anny nahi ho raha please help If am wrong ya use hak nahi kisi ki choot marne ka
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Your story is really good and your story is a new journal and more existing
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UPDATE 5.9 B
घर आते ही मैंने सारा सामान असुरा और पारो आंटी को दे दिया. असुरा मुस्कुराते हुए अपना सामान लेकर प्रताप दादा और अपने कमरे में चला गया. पारो आंटी भी मां के लिए लाया हुआ सामान लेकर जाने लगी. मां.. अभी तक मुझे कहीं दिखाई नहीं दी थी, लेकिन... अब वो सामान अगर मां के लिए ही था तो पारो आंटी वो सामान उन्हें ही देने जा रही होगी ऐसा सोचकर,
मैं पारो आंटी कहा जा रही है यह देखने लगा... " हे स्वामी जी... पारो आंटी तो ऊपर वाले माले पर जा रही है... मतलब पिताजी और मां का पुराना वाला कमरा... यानि मां ऊपर उस कमरे में थी...? पर वो कमरा तो पिताजी के गुजर जाने के बाद से बंद था...? और उस कमरे को खोलने की भी कोई रस्म थी... और वो रस्म सिर्फ उस कमरे जो मर्द अपना संसार बसाने वाला है, वहीं उस रस्म को पूरा करकर दरवाजा खोल सकता था... तो फिर क्या असुरा ने वह रस्म पूरी की होगी...? " मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. मुझे उस रस्म के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था. मैं बस इतना ही जानता था कि ऐसी कोई रस्म है इसीलिए वह कमरा इतने सालों से बंद रक्खा है. अब मुझे इसका पता सिर्फ ऊपर जाकर उस कमरे में देख कर ही पता चल सकता था. मैं बिना देर किए ऊपर जाने के लिए आगे बढ़ा. ऊपर जाते हुए मुझे सीढ़ियों पर ही कुछ आवाज सुनाई दी... वह आवाज थी पारो आंटी और प्रताप दादा की... प्रताप दादा पारो आंटी से कुछ कह रहे थे...
" पारो... पूनम को अभी मैने नहाने भेजा है... तुमने जो यह सामान मंगवाया है वो उसे दे दो... और पूनम ने दरवाजे पर जो उल्टी कि हैं उसे भी साफ कर देना "
मां ने उल्टी की है, यह बात सुनकर मैं डर गया. ऐसा क्या हुआ होगा जो उन्हें उल्टी आ गई..? " हे स्वामी जी..." मैंने गौर से आगे सुना तो पारो आंटी प्रताप दादा से कुछ कहने लगी.
" यह पूनम भी न बिल्कुल भोली भाली है.. उसे कुछ नहीं आता.. अब असुरा उसका होने वाला पति ही तो है.. भला अपने होने वाले पति का वीर्य चाटते वक्त कैसी गंदगी..? शादी के बाद तो उसके वीर्य को गटक के पी जाएगी यह पूनम... या कहू वीर्य से दिन रात नहाएगी... तो फिर शादी से पहले प्रैक्टिस के तौर पर अब इतना करना तो लाजमी है ना बापूजी...? "
" हे स्वामी जी... मतलब.. इन लोगों ने मेरी मां से असुरा का वीर्य चटवाया हैं...? इसीलिए मां को उल्टी आई " मुझे मां के स्थिति की बारे में सोचकर बहुत बुरा लग रहा था. तभी प्रताप दादा बड़ी शांती से आगे बोले.
" देखा जाए तो यह एक रस्म ही तो है.. इस कामकोठरी का दरवाजा खोलने से पहले पुरुष अपने वीर्य से कोठरी के द्वारा पर वीर्यपतन करता हैं, और उसकी पत्नी वो वीर्य पूरा चाटकर पी लेती है... उसके पश्चात ही कामकोठरी का दरवाजा खोला जा सकता हैं... पूनम ने यह काम पहले भी अपने पति ललन के साथ किया होगा, पर.... असुर के वीर्य मात्रा इतनी ज्यादा थी कि उसे वो पीने में शायद घिन आ गई होगी. "
प्रताप दादा सीढ़ियों की दो स्टेप नीचे उतरते हुए पारो आंटी से यह कहने लगे. तभी पारो आंटी की आवाज आई...
" वीर्य की मात्रा तो ज्यादा होगी ही ना बापूजी... बैठक के बाद मैने जब असुर को यह रस्म समझाई तब मैने पूनम की कल रात वाली मादकता के रस और पसीने में भरी हुई साड़ी, ब्लाउज, और उसकी कच्छी भी असुरा को दे दी थी... उन कपड़ों में पूनम के कुंवारे जिस्म से निकले मादकता के रस की गंध जो थी.. उसी के प्रभाव से असुर पता नहीं पिछले कितने घंटों से हस्तमैथुन कर रहा था और... तब जाकर यह उसके लंड से इतना वीर्य निकला है..."
क्या...? असुरा ने मां के कल रात वाले बदन से लिपटे हुए कपड़ों की खुशबू सूंघकर इतना वीर्य निकला था... ? हे स्वामी जी... जैसा आपने कहा था वैसा अब ये घर कामसदन बनने लगा ही था ". देखा जाए तो मुझे पहली बार यह सोचते हुए कुछ कुछ होने सा लगा था.
अब शायद प्रताप दादा धीरे-धीरे एक-एक सीढ़ी नीचे उतरते हुए बात कर रहे थे. मैं सीढ़ी का निचला वाला कोना पकड़ा और वहीं पर बाजू में सीढ़ियों के नीचे वाली जगह में छुप गया.
" पारो, यह पूनम कामस्वामी की सबसे उत्कृष्ट रचना है, वैसे ही असुर मर्दों में सर्वश्रेष्ठ हैं.. स्वामी जी ने दोनों के हित को सोचकर ही उनका जोड़ा बनाया हैं.. पूनम को इस सबसे बहुत तकलीफ होगी पर यही स्वामी जी का विधान हैं.. पूनम को और आगे बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि हमारा असुरा उसे हमेश बेइंतहा दर्द देगा, लेकिन जैसे स्वामी जी का उपदेश हैं कि ... हर दर्द, दर्दनाक नहीं होता.. कुछ दर्द, इंसान को प्रेम की अंतिम सीमा के पार ले जाते है, और वह दर्द बहुत मीठा होता है.. और वैसा ही जुलुम असुरा पूनम के साथ करेगा यह तो निश्चित हैं... मेरी बस स्वामी जी से एक ही कामना है कि वो पूनम को असुरा के प्यार के वहशीपन का सामना करने की शक्ति दे "
प्रताप दादा नीचे उतरे और चले गए. में वही कोने में बैठा था. अब मेरी सोचने समझने की सूद बुद्ध खत्म हो चुकी थी. मैं कुछ देर वहीं पर बैठा रहा. थोड़ी ही देर में पारो आंटी भी नीचे चली आई. मैं खुद को संभालते हुए उठ गया. उठ के मैंने हिम्मत की और ऊपर पहले माले पर चला आया. ऊपर वाले माले का कॉरिडोर पानी डालकर पूरी तरह साफ किया गया था. उपर वाला यह कमरा.... नहीं.. नहीं... यह कामकोठरी काफी बड़ी थी. कमरे के दोनों बाजू के छोरो पर एक-एक दरवाजा था. सीढ़ी की ओर वाला दरवाजा लॉक था. उसपर एक बड़ा सा ताला था. इसका मतलब दूसरे वाला दरवाजा ही खोला गया था. मैंने मेरा रुख धीरे-धीरे उसे दरवाजे की और मोड़ लिया. अंदर मां क्या कर रही होगी यही मेरे दिमाग में चल रहा था. कुछ ही पलों में मैं दरवाजे की सामने खड़ा था. दरवाजा हल्का सा बंद था लेकिन अंदर का सब कुछ देखा जा सकता था. मेरी नजर तो सिर्फ मां को ही ढूंढ रही थी, पर वो कमरे में कही पर दिख ही नहीं रही थी. मैं बिना आवाज किए अंदर गया. कामकोठरी में बाथरूम के बाहर एक कुर्सी पर मां ने जो सुबह ही साड़ी और ब्लाउज पहना था वो रखा था. इसका मतलब मां अभी तक अंदर बाथरूम में ही थी. ( कामकोठरी का पूरा विवरण मै आगे जब मां और असुरा पहली बार एकसाथ इस कमरे में आयेंगे तब करूंगा ). बाथरूम का कोई दरवाजा नहीं था. वहां सिर्फ एक मलमल का शाही पर्दा उस बाथरूम के दरवाजे पर टंगा गया था. उस पर्दे से आरपार काफी अच्छी तरह देखा जा सकता था. मैं बिना देर किए उस पर्दे के करीब आया और अंदर देखा..... अंदर मां नहा कर तैयार हो चुकी थी... अंदर का नजारा बिल्कुल मोहित करने वाला था...
मां टब में अपने घुटनों पर बैठी थी... पानी की बूंदे उनके बदन पर अब भी दिखाई दे रही थी...अभी अभी शायद उन्होंने अंग पोछा है ऐसा लग रहा था. मां ने बालों को भी शायद कंडीशनर लगा कर धोए थे इस वजह से वो बिल्कुल सिल्की और बाउंसी दिख रहे थे...प्रताप दादा के कहे अनुसार मां ने अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को एक सफेद कप साइज ब्रा से छुपाई थी. उनके ब्रा के टाइट कोने के कारण स्ट्रैप कंधों से नीचे उनकी बांह पर सटे हुए थे. वो ब्रा अब उन्हें छोटी पड़ रही है यह साफ साफ पता चल रहा था क्यों कि उनके दोनों स्तन सिर्फ नाम मात्र के लिए उस ब्रा में समाए थे. नीचे मां ने एक छोटी सी सफेद पेंटी पहनी थी जो उनकी चूत को छुपा रही थी. मैने जब मां को पूरा देखा तो मां खुद को ही संवारते हुए अपने आप को देख रही थी. कल से बिल्कुल उदास मां आज मुझे थोड़ी बहुत संभली हुई लग रही थी. उनके चेहरे पर मुस्कान तो नहीं थी पर एक काफी खुशनुमा सा भाव झलक रहा था. शायद इस कमरे मैं आकर मां की पुरानी यादें ताजा हो गई थीं... इसी कमरे में पिताजी और उन्होंने अपनी जिंदगी के सबसे अच्छे पल बिताए जो थे. शायद वैसे ही पल उनकी जिंदगी में लौट के आने वाले थे इसी सोच में कही उनका मन खुश तो नहीं हुआ था? ऐसा अब मुझे लगने लगा.
लेकिन कुछ भी कहलों , पर मां का गदराया बदन इस बात की गवाही दे रहा था कि असुरा कितना नसीबवाला था.
मैं यह सब सोच रहा था तभी मुझे नीचे सीढ़ियों पर कुछ गिरने की आवाज आई. कही यहां मुझे कोई देख न ले यह सोचकर में बिना वक्त गवाए कमरे से बाहर आ गया. बाहर आकर कोई है या नहीं यह मैंने जायजा लिया और कॉरिडोर से होता हुआ सीढ़ियों के पास चला आया. नीचे शायद पारो आंटी शादी का सामान आंगन में रख रही थीं. मैं सीढ़ियों से होता हुआ नीचे उतरा. सीढ़ियों के पास ही एक पूजा की बड़ी वाली थाली गिरी थी... उसी के गिरने की वह आवाज थी... मैने उस थाली को उठाया और आंगन में ले आया.... सूरज ढलने को आया था... अंधेरा होने ही वाला था.... विवाह का महुरत आ ही गया था...
कैसा होगा मां और असुर का विवाह?
मां का विवरण तो आपने देख लिया... असुर विवाह में कैसा तैयार हो के आयेगा...?
विवाह के विधि में क्या क्या होगा?
विवाह के बाद सुहागरात कैसी होगी?
पढ़िए आगे के भाग में
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