31-01-2025, 03:28 PM
किराएदार ने पहले पटाया
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मेरा नाम निकिता है। मैं लगभग 39 साल की मस्त बिंदास लेडी हूं। मेरा बदन भरा-भरा सा है। मेरी गौरी-गौरी कलाईयां, उठी हुई गांड, टाइट कसे हुए बोबे, मखमल सा पेट, किसी भी लंड मे आग लगा सकता है।
मेरे बूब्स लगभग 34″ साइज के है। जिनका उभार ब्लाउज में से बहुत ज्यादा नज़र आता है। मेरी कमर लगभग 32″ साइज की और मस्त शानदार गांड लगभग 34″ साइज की है। मेरे चूतड टाइट गोल गोल से है।
हमारे घर में दो रूम खाली थे। तभी एक फैमिली को हमने एक रूम किराया पर दे दिया। हसबैंड जॉब में था, और उसकी वाइफ हाउसवाइफ थी। नवीन लगभग 25 साल का मस्त जवान लड़का था। मेरी लाइफ में सब अच्छा चल रहा था। मैं मेरे पति के लंड की ठुकाई से खुश थी। इसी बीच नवीन की वाइफ प्रेगनेंट हो गई, और फिर नवीन उसे उनके गांव में छोड़ आया।
अब नवीन अकेला ही रूम पर रहता था। मैं कभी-कभी खाना बनाने में नवीन की हेल्प कर देती थी। अब धीरे-धीरे हमारे बीच नजदीकियां बढ़ रही थी।
नवीन कभी-कभी मेरे साथ हसी-मजाक कर लेता था। मैं सिर्फ मुस्कुरा कर रह जाती थी। अब एक दिन नवीन ने बातों ही बातो में कहा “भाभी जी आप बहुत सुंदर हो।”
तभी मैंने मुस्कुराते हुए कहा “अच्छा!”
“हां भाभी जी।”
“अरे नवीन जी आप तो मेरी झूठी तारीफ कर रहे हो।”
“नहीं भाभी जी। मैं सच कह रहा हूं। आप सच में बहुत सुंदर हो।”
“अच्छा! लेकिन आपके भैया ने तो कभी मेरी तारीफ नहीं की।”
“अब भैया को आपकी तारीफ करने का ही टाइम कहां मिलता है?”
“हां यार।”
अब नवीन रोजाना मेरी ऐसे ही तारीफ करने लगा। मैं उसकी बाते सुन कर बहुत खुश होती थी और मेरी जवानी पर इतराती थी। अब एक दिन नवीन ने कहा, “भाभी जी आपसे एक बात कहूं?”
“हां बोलो ना नवीन जी?”
“भाभी जी। आजकल मैं बहुत अकेला हूं यार। बहुत बोर हो रहा हूं। क्या आप मेरी दोस्त बनोगी?”
“यार मैं आपकी दोस्त कैसे बनू? मैं तो आपसे बड़ी हूं।”
“भाभी जी। दोस्ती में बड़ा-छोटा कुछ मैटर नहीं करता है। बस इच्छा होनी चाहिए।”
“अरे यार लेकिन…।”
“भाभी जी ज्यादा मत सोचो। बन जाओ ना प्लीज़।”
फिर नवीन बार-बार मुझसे कहने लगा तो मैंने हां कर दी। अब हम किरायेदार और मालकिन से दोस्त बन गए थे। अब हमारे बीच कॉल और मैसेज पर गहरी बाते होने लगी। अब वो मुझे भाभी जी के बजाए निकिता ही कहने लगा। मैं भी उसे नवीन जी से नवीन कहने लगी। अब हम धीरे-धीरे खुलने लगे।
“निकिता यार तुम बहुत ही मस्त हो। भैया को तो मजा आ जाता होगा?”
“तेरे भैया तो कुछ नहीं कर पाते है यार।”
“तो फिर तू केसे काम चलाती है यार?”
“बस ऐसे ही चलता है यार।”
नवीन हर बार मेरे जिस्म की तारीफ करता रहता था। अब एक दिन मैं उसके कमरे में झाड़ू लगा रही थी। तभी नवीन आया और उसने मेरी गांड में जोर से चपेड़ मार दी।
“बहुत ही मस्त है निकिता तेरी तो।”
तभी मैं एक-दम से चौंक गई।
“यार लेकिन तेरे भैया देख लेते तो?”
“अरे भैया तो नहाने गए है।”
अब हमारे बीच सब कुछ ऐसे ही चलने लगा। अब एक दिन मैं नहाने के बाद कपड़े पहन रही थी। उस टाइम मैं ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी और साड़ी मेरे हाथ में थी। तभी नवीन आ गया। अब मैं नवीन के सामने शर्म के मारे पानी-पानी हो रही थी, लेकिन करती भी क्या?
तभी नवीन मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया, और नवीन ने मेरे बूब्स पर हाथ रख दिए।
“तेरे आम तो बहुत ही मस्त है यार। भैया तो निचोड़ देते होंगे इन्हें।”
लेकिन मैं चुप रही। तभी नवीन ने कहा, “निकिता एक बात कहूं?”
“हां बोलो नवीन।”
“आप कैसे संभालती होगी इन्हे?”
“बस ऐसे ही सम्हाल लेती हूं यार।”
“अगर आप कहो तो मैं सम्हाल लूं आपके।”
मेरे बूब्स लगभग 34″ साइज के है। जिनका उभार ब्लाउज में से बहुत ज्यादा नज़र आता है। मेरी कमर लगभग 32″ साइज की और मस्त शानदार गांड लगभग 34″ साइज की है। मेरे चूतड टाइट गोल गोल से है।
हमारे घर में दो रूम खाली थे। तभी एक फैमिली को हमने एक रूम किराया पर दे दिया। हसबैंड जॉब में था, और उसकी वाइफ हाउसवाइफ थी। नवीन लगभग 25 साल का मस्त जवान लड़का था। मेरी लाइफ में सब अच्छा चल रहा था। मैं मेरे पति के लंड की ठुकाई से खुश थी। इसी बीच नवीन की वाइफ प्रेगनेंट हो गई, और फिर नवीन उसे उनके गांव में छोड़ आया।
अब नवीन अकेला ही रूम पर रहता था। मैं कभी-कभी खाना बनाने में नवीन की हेल्प कर देती थी। अब धीरे-धीरे हमारे बीच नजदीकियां बढ़ रही थी।
नवीन कभी-कभी मेरे साथ हसी-मजाक कर लेता था। मैं सिर्फ मुस्कुरा कर रह जाती थी। अब एक दिन नवीन ने बातों ही बातो में कहा “भाभी जी आप बहुत सुंदर हो।”
तभी मैंने मुस्कुराते हुए कहा “अच्छा!”
“हां भाभी जी।”
“अरे नवीन जी आप तो मेरी झूठी तारीफ कर रहे हो।”
“नहीं भाभी जी। मैं सच कह रहा हूं। आप सच में बहुत सुंदर हो।”
“अच्छा! लेकिन आपके भैया ने तो कभी मेरी तारीफ नहीं की।”
“अब भैया को आपकी तारीफ करने का ही टाइम कहां मिलता है?”
“हां यार।”
अब नवीन रोजाना मेरी ऐसे ही तारीफ करने लगा। मैं उसकी बाते सुन कर बहुत खुश होती थी और मेरी जवानी पर इतराती थी। अब एक दिन नवीन ने कहा, “भाभी जी आपसे एक बात कहूं?”
“हां बोलो ना नवीन जी?”
“भाभी जी। आजकल मैं बहुत अकेला हूं यार। बहुत बोर हो रहा हूं। क्या आप मेरी दोस्त बनोगी?”
“यार मैं आपकी दोस्त कैसे बनू? मैं तो आपसे बड़ी हूं।”
“भाभी जी। दोस्ती में बड़ा-छोटा कुछ मैटर नहीं करता है। बस इच्छा होनी चाहिए।”
“अरे यार लेकिन…।”
“भाभी जी ज्यादा मत सोचो। बन जाओ ना प्लीज़।”
फिर नवीन बार-बार मुझसे कहने लगा तो मैंने हां कर दी। अब हम किरायेदार और मालकिन से दोस्त बन गए थे। अब हमारे बीच कॉल और मैसेज पर गहरी बाते होने लगी। अब वो मुझे भाभी जी के बजाए निकिता ही कहने लगा। मैं भी उसे नवीन जी से नवीन कहने लगी। अब हम धीरे-धीरे खुलने लगे।
“निकिता यार तुम बहुत ही मस्त हो। भैया को तो मजा आ जाता होगा?”
“तेरे भैया तो कुछ नहीं कर पाते है यार।”
“तो फिर तू केसे काम चलाती है यार?”
“बस ऐसे ही चलता है यार।”
नवीन हर बार मेरे जिस्म की तारीफ करता रहता था। अब एक दिन मैं उसके कमरे में झाड़ू लगा रही थी। तभी नवीन आया और उसने मेरी गांड में जोर से चपेड़ मार दी।
“बहुत ही मस्त है निकिता तेरी तो।”
तभी मैं एक-दम से चौंक गई।
“यार लेकिन तेरे भैया देख लेते तो?”
“अरे भैया तो नहाने गए है।”
अब हमारे बीच सब कुछ ऐसे ही चलने लगा। अब एक दिन मैं नहाने के बाद कपड़े पहन रही थी। उस टाइम मैं ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी और साड़ी मेरे हाथ में थी। तभी नवीन आ गया। अब मैं नवीन के सामने शर्म के मारे पानी-पानी हो रही थी, लेकिन करती भी क्या?
तभी नवीन मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया, और नवीन ने मेरे बूब्स पर हाथ रख दिए।
“तेरे आम तो बहुत ही मस्त है यार। भैया तो निचोड़ देते होंगे इन्हें।”
लेकिन मैं चुप रही। तभी नवीन ने कहा, “निकिता एक बात कहूं?”
“हां बोलो नवीन।”
“आप कैसे संभालती होगी इन्हे?”
“बस ऐसे ही सम्हाल लेती हूं यार।”
“अगर आप कहो तो मैं सम्हाल लूं आपके।”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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