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ट्रेन या बस के सफर मे या कार मे चलते वक्त पीछे अंधेरे मे सही मे ऐसा कुछ हो सकता हैं क्या मेरी जैसी उमर वाली औरतो के साथ?
एस प्रकार कि घटना के उपर कोई हैं क्या स्टोरी
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ट्रेन या बस के सफर मे या कार मे चलते वक्त पीछे अंधेरे मे सही मे ऐसा कुछ हो सकता हैं क्या मेरी जैसी उमर वाली औरतो के साथ?
एस प्रकार कि घटना के उपर कोई हैं क्या स्टोरी
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Story toh hai par vo private kar di gayi hai... But aapkey liye mai usko repost kar deta hu...
Written By Mohik
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ट्रेन का अनोखा सफर ज्योति और भिखारी अब्दुल का
यह स्टोरी एव थ्रेड पूरी तरह से काल्पनिक है। यह स्टोरी में सभी कैरक्टर की उम्र 18 वर्ष से ज्यादा है। यह स्टोरी एव थ्रेड का मकसद सिर्फ एडल्ट 18+ मनोरंजन देना है। यह स्टोरी एव थ्रेड का मकसद किसी भी जाति, धर्म, समाज, राष्ट्र और जैंडर का अपमान करना और नीचा दिखाना नही है। अगर किसी भी व्यक्ति या संस्था को इस स्टोरी व थ्रेड से आप्पत्ति या परेशानी है तो वह पोस्ट लिख कर, मैसेज द्वारा या मेल करके तुरन्त हटवा सकते है। इसमें इस्तेमाल किए गए सभी फोटो पब्लिक फोरम से लिए गए है।
This story and thread is completely fictional. All characters in this story are above 18 years of age. This story and thread is intended to provide adult 18+ entertainment only. This story and thread is not intended to insult or degrade any caste, religion, society, nation and gender. If any person or organization has any objection or problem with this story and thread, then they can get it removed immediately by writing a post, sending a message or by mail. All the photos used in this have been taken from public forums.
Update 1
ज्योति अग्रवाल का आज सुबह को ही उसके पति अजय अग्रवाल के साथ बहस हुई थी। ज्योति को अपनी बेटी होने के बाद ना ही खुद के लिए और उसके पति से समय नहीं मिल रहा था जिससे वो बहुत नाराज थी। ज्योति का पति भी पहले की तरह ज्योति को समय नहीं दे रहा था और ना हे कही बाहर घूमने ले जा रहा था।
ज्योति अग्रवाल एक 31 साल की शादीशुदा *** औरत है। ज्योति की बॉडी का रंग साफ है। ज्योति का ब्रेस्ट का साइज उसकी बेटी को जन्म देने के बाद बढ़ गया था। ज्योति वैसे तो फिट थी पर उसकी थोड़ा सा भरा हुआ शरीर उसको ओर भी ज्यादा मादक और सेक्सी बनता था।
ज्योति अपनी बेटी को रोज स्तनपान कराती थी। दिन में करीब 3 बार। ज्योति को उसे दूध अपना दूध पिलाना पड़ता था। जिसकी वजह से उसके ब्रेस्ट में बूब्स का साइज बढ़ गया था जिसकी वजह से उसे बहुत टाइट ब्रा पहननी पड़ती थी।
ज्योति अब दिन प्रतिदिन के वही बोरिंग काम कर रही थी के तभी उस पर उसकी मां का कॉल आता है। कॉल में उसकी मां उसको जल्दी से घर बुला लेती है और उसको एजेंट आने का बोलती है। क्योंकि ज्योति के भाई की पत्नी की डिलीवरी होने वाली थी इसलिए उसको बुलाया था।
अब ज्योति को जल्दी से अपने माता-पिता के घर जाना था। उस समय ज्योति का पति अजय अग्रवाल अपने मसालों के एक्सपोर्ट के लिए बाहर गया था जिसकी वजह से ज्योति के साथ नहीं आ रहा था। इस कारण उसे अकेले ही अपने मायके तक ट्रेन से जाना पड़ा। चूँकि उसकी बेटी की देखभाल उसकी सास ने की थी, इसलिए ज्योति ने उसे घर पर सास और आया के साथ छोड़ दिया।
ज्योति ने हरे रंग की पारदर्शी साड़ी पहनना तय किया था। ज्योति ने अपने साथ उसका बैग पैक किया ओर जिसमें उसने अपनी जरूरत का सामान रखा था। ज्योति के बूब्स का आकार 36d था। ज्योति का आज ही अपने पति के साथ बहस हुई थी उसका मूड खराब ही था पर उसको अपनी ये रेलयात्रा में कुछ अलग और रोमांचकारी करना था, इसलिए उसने जानबूझ कर स्लीवलेस और बैकलेस ब्लाउज़ पहना था। जिसमें उसकी मस्त हल्की भरी कमर और पूरा हाथ दिख रहा था। जिसमें वो बहुत सेक्सी दिख रही थी।
ज्योति ने हल्का सा मेकअप भी किया हुआ था, जिससे वो और भी आकर्षक लग रही थी. क्योंकि ब्लाउज पतले कपड़े का था और ज्योति ने ब्रा पहनी हुई थी. इसलिए ज्योति की चूचियों से उसकी क्लीवेज दिख रही थी और ज्योति के बूब्स बड़े थे कि ब्रा पहनने पर भी दिख जाते थे। ज्योति यह बात अच्छी तरह जानती थी, इसीलिए उसने यह साड़ी पहनी थी।
ज्योति के पति ने उसे ट्रेन से यात्रा करने के लिए रूपये दिए थे लेकिन ज्योति ने उसमें से कुछ ही रुपया लिया बाकी अलग रख दिया था। ज्योति ने ऑनलाइन टिकट बुक करने के लिए रेलवे का ऐप खोला तो देखा कि ट्रेन में थर्ड एसी और स्लीपर फुल है फिर उसने ना चाहते हुए भी जनरल डब्बे में यात्रा करने का निर्णय लिया। ज्योति जानती थी जनरल डब्बे यात्रा करना आसान नहीं होगा पर उसको एक एक्साइमेंट भी था और मजबूरी भी। क्योंकि उसकी यात्रा दिन में होती है, इसलिए उसको ज्यादा टेंशन नहीं थी।
ज्योति की यात्रा का उद्देश्य अपने माता-पिता के घर जाना था, लेकिन वह कुछ समय अकेले भी बिताने का भी मिला था। इस कारण ज्योति अपने साथ कई गुप्त और काम की वस्तुएं लेकर आई थी। जो उसने अपने बैग में रखी थी।
ट्रेन का सफ़र करीब 12 घंटे का था, सफ़र पर निकलने से पहले ज्योति अग्रवाल ने समर कोट पहना लिया। ताकि उसके सास-ससुर उसको इतने मादक और सेक्सी ब्लाउज़ में न देख लें। उसको गलत ना समझे।
ज्योति अपनी बॉडी के कर्व की खूबसूरती को समर कोट के नीचे सावधानी से छुपा लेती है।
फिर ज्योति ने निकलने से पहले अपनी बेटी को अपने बूब्स से स्तनपान कराया और पूरा अपना दूध खाली कर दिया। शाम को 6:00 बजे ज्योति ट्रेन में बैठी थी। ट्रेन में बैठते समय ज्योति ने अपना समर कोट उतार दिया। यह देखकर ज्योति के आस-पास बैठे लोग ज्योति को घूर रहे थे। आस बैठे सभी आदमी ज्योति के बदन को घूर घूर कर देख रहे थे। जिससे उसको थोड़ा बहुत अजीब अलग रहा था पर उसको मन में एक्साइमेंट भी थी।
यह ज्योति की एक्साइमेंट उसे कहा ले जाएगी.....?
Written By Mohik
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Update – 2
जब ट्रेन की बोगी मे बैठे सभी वहा लो क्लास के आदमी लोग ज्योति को गंदी निगाह से देख रहे थे तभी ज्योति के मन में अपने पति के लिए गुस्सा और गंदी सोच आती है। वो अपने पति के लिए सोचती है कि उसका पति अपनी कमाई, रुपया और कारोबार के बारे में सोचता है उससे म ही मतलब रखता है वो कभी भी अपने परिवार और पत्नी के लिए ज्यादा नहीं सोचता है। की वो किस जगह पर है ये किस मुसीबत में है। बस उनको तो सिर्फ पैसा कमाना है।
दरअसल ज्योति का पति उसके अकेले ट्रेन की जनरल डब्बे में अपने माता-पिता के घर जाने के बिलकुल खिलाफ था। ना ही वो लम्बे समय से वो ज्योति को बाहर ले जा रहा था और ना ही उसको शहर से बाहर ले जा रहा था। पर अब के समय ज्योति को अपने पति अजय की बातों और विचार की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। ज्योति 31 साल की उम्र में एक कुछ हद तक स्वतंत्र और खुले विचारों वाली महिला थी। उसे अब थोड़ा बहुत अपने तरीके से काम करना पसंद था।
बोगी में मौजूद सभी पुरुषों की नज़रें उस पर टिकी थीं। ज्योति ने किसी पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। ज्योति अग्रवाल जानती थी कि किसी को भी भाव दिया तो वो आदमी लोग उसके पास आकर बैठ जायेगे और लाईन मारने की कोशिश करेंगे।
वह आराम से सभी आस पास के लोगों को इग्नोर करके अपनी सीट पर बैठी रही। उसने हल्का मेकअप किया हुआ था, लेकिन उसका फिगर बहुत ही आकर्षक था।
तभी एक स्टेशन पर उनकी ट्रेन की बोगी लगभग खाली हों जाती है, उस समय रात के 09:00 बज रही थी।
ज्योति ही उसकी बोगी में अकेली यात्री थी और भिखारी पैसे मांगने के लिए उसकी बोगी में घुस आया था।
ज्योति को भिखारी को देखकर थोड़ा डर लगा। इस बीच भिखारी ज्योति को देख रहा था और फिर उसकी नज़र ज्योति के क्लीवेज बड़े स्तनों या चूचों पर पड़ी, जो ज्योति के टाइट ब्रा के वजह से दिख रही थी।
यह देखकर भिखारी अजीब सी आवाज निकालकर भीख मांगने लगा और उससे पैसे मांगने लगा।
ज्योति भिखारी से बहस नहीं करना चाहती थी, इसलिए उसने उसे कुछ पैसे दिए। भिखारी ने पैसे लिए और चला गया।
क्या वो भिखारी ट्रेन से उतर गया.....?
Update - 3
कुछ देर बाद ज्योति के बूब्स कठोर होने लगे, ज्योति उन पर ध्यान नहीं दे रही थी और अलग-अलग तरीके से अंगड़ाई ले रही थी और अपने शरीर का आकार बदल रही थी। उस समय उसके आस पास कोई भी नहीं बैठा था।
वह अपने विचारों में खोई हुई, सोच-विचार कर अपने होंठ भींच रही थी और अजय को मन ही मन गालियां दे रही थी।
ट्रेन का सफ़र बहुत शोरगुल वाला था, पहियों की आवाज़ और अलग-अलग आवाज़ें। लेकिन ज्योति के आस-पास बहुत सन्नाटा था।
करीब 10:00 बजे ज्योति को एहसास हुआ कि इस गर्मी में वह अपने स्तनों में दूध को ज़्यादा देर तक रोक कर नहीं रख सकती। साथ हे ज्योति को अब अपना टाइट ब्रा को भी खोलना था और अपने बूब्स को आजाद करना था। कुछ देर बाद ज्योति ने देखा कि उसका ब्लाउज उसके निप्पलों के पास गीला हो रहा था, जिसका मतलब था कि ज्योति का दूध अपने आप निकल रहा था। ज्योति ने सोचा कि ट्रेन के शौचालय में जाकर उसे खाली कर दिया जाए।
गेट पर जाकर ज्योति ने देखा कि वही भिखारी गेट के पास बैठा था। ज्योति ने देखा कि भिखारी कितना गंदा, बदबूदार था जैसे कोई राक्षस हो। उस भिखारी के कपड़े पूरी तरह से गंदे थे। भिखारी ने सफ़ेद गंदा फटा कुर्ता और फटी लुंगी पहन रखी थी। उसने ज्योति से खाने के लिए कुछ मांगा। ज्योति के पास कुछ भी नहीं था जो ज्योति उसे खाने के लिए दे सके। फिर ज्योति अग्रवाल ने उसे नज़रअंदाज़ कर दिया।
जब ज्योति शौचालय में गई तो उसने देखा कि वहां खड़े होकर अपने स्तन खाली करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी और कोई वहा शौच कर गया था जिससे इतनी ज्यादा गंदी बदबू आ रही थी कि खड़ा रहना तक मुश्किल हो गया था।
तो ज्योति ने सोचा कि क्यों न बाहर वाश बेसिन में ही अपने बूब्स के दूध को खाली कर दिए जाएँ, क्योंकि बाहर उस भिखारी के अलावा और कोई नहीं था। जब ज्योति बाहर आई तो वह भी ज्योति के ब्लाउज़ को देख रहा था। ज्योति को बहुत अजीब लग रहा था। फिर उस समय ज्योति की हिम्मत नहीं हुई कि वो जो करने आई थी वो कर सके। ज्योति को उस भिखारी को देख देख कर थोड़ा डर और अजीब सा लग रहा था।
फिर ज्योति सोचती है कि बोगी के दूसरी साइड भी शौचालय है वहां चली जाती हु। फिर ज्योति बोगी की दूसरी तरफ चली गई और वहा के शौचालय का भी यही हाल था। वो शौचालय भी बहुत गंदा था। जहां 1 मिनिट भी खड़ा रहना बहुत मुश्किल था। पर यहां दूसरी तरफ एक चीज सही थी कि वो अकेली थी इसलिए वो बाहर वाशबेसिन में अपने बूब्स से दूध को खाली कर सकती थी।
फिर ज्योति ने सोचा कि अपनी पीठ उस ओर करके वाशबेसिन में दूध निकाल दूं और ब्रा निकाल दूं। ज्योति वाश बेसिन की तरफ मुड़ी और अपना ब्लाउज खोला। तभी उसे महसूस हुआ कि कोई उसको देख रहा है फिर उसने हल्का सा मुंह घूमा कर देखा तो पाया कि वह भिखारी उसे देख रहा है। ज्योति एक दम से डर गई। ज्योति मन हे मन सोचने लगी – अरे नहीं ये
भिखारी तो इधर भी आ गया। क्या कार्य कही शोर न मचा दे। कही ये मुझको कुछ कर नहीं दे।
ज्योति हिम्मत जुटा कर उस भिखारी को बोलती – ए जाओ यहां से। इधर मत खड़े रहो।
फिर वो भिखारी अपनी गंदी शकल पर हसी लाते हुए बोलता है - मैडमजी ई तो मेरा सोने का जगह है में थोड़ी देर पहले इधर ही सोया हुआ था। पर आप आपका काम करलो।
उसके ऐसा बोलते अब ज्योति को शर्म आ रही थी। फिर ज्योति ने सोचा कि अब उसको अपने ब्रेस्ट से दूध निकालने का काम जारी रखना चाहिए क्योंकि अब तो ये भिखारी देख हे चुका है। अगर वो अब यह से भी गई तो वो भिखारी फिर पीछे पीछे आ जाएगा क्योंकि उसको पता चल गया है कि मैं क्या कर रही हूँ। वैसे भी ये भिखारी कौनसा मुझको जानता है ना ही और कोई व्यक्ति है पूरी बोगी मे। वैसे ज्योति को थोड़ा अलग सा महसूस हो रहा था कि उसको ब्रेस्ट से दूध निकालते हुए पीछे से एक अंजान आदमी देख रहा है।
अब क्या होगा आगे ज्योति अपनी ब्रेस्ट से दूध निकाल पाएगी ?
Written By Mohik
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Update - 4
फिर ज्योति उस भिखारी को इग्नोर करती हुई अपने बूब्स से दूध निकलना चालू रखती है पर जैसा कि ट्रेन में होता है, बोगी हिलती रहती है, जिससे ज्योति का ब्लाउज दूध निकालते निकालते पूरा खुल गया। अब ज्योति के स्तनों का साइड व्यू भिखारी को दिख रहा था। ज्योति एक दम से शोक हो जाती है उसे पता चल रहा था कि वो भिखारी अभी भी वही बेशर्मों की तरह खड़ा है। पर अब ज्योति उसको हल्का सा तिरछी निगाह से देखती है तो वो भिखारी वही नीचे बैठ गया जिधर वो पहले खड़ा। ज्योति साफ देख पा रही थी कि उसकी लूंगी में टेंट जैसा बन गया था।
पर अब ज्योति कुछ कर भी नहीं सकती थी क्योंकि उसने ही यह सब शुरू किया था। पर वो साथ में अन्दर हे अन्दर इंजॉय भी ले रही थी फिर वापस ज्योति अपने स्तनों को दबाते हुए खाली करने लगी। लेकिन ज्योति यह आसानी से नहीं कर पा रही थी, फिर भी वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी। लेकिन जब ज्योति ने देखा कि भिखारी अभी भी उसके स्तनों को घूर रहा है, तो उसे ज्यादा अजीब सा डर महसूस हुआ।
लेकिन ज्योति ने इस स्थिति का थोड़ा मजा भी लिया क्योंकि उसने कभी नहीं सोचा था कि वह कभी ऐसी स्थिति का सामना करेगी।
पर इसी समय ज्योति ने देखा कि भिखारी अचानक उसके करीब आ गया है, और उसका हाथ ज्योति के स्तनों की ओर बढ़ हे रहा था कि ज्योति यह देखकर चौंक गई और उसने भिखारी को अपने एक हाथ से धक्का दिया और चिल्लाकर कहा – ये क्या कर रहे हो। जाओ यहां से या फिर चुपचाप बैठा रहो नीचे।
लेकिन भिखारी इतनी आसानी से पीछे हटने वाला आदमी नहीं था। उसके लिए यह एक ऐसा मौका था जिसकी आज तक उसने कल्पना ही की थी। ज्योति के स्तन, जो वो छिपाने की उसकी आधी-अधूरी कोशिशों कर रही थी इसके बाद भी दिख रहे थे। उस भिखारी का खून खौलाने के लिए काफी थे।
भिखारी ज्योति के करीब खड़े खड़े यह देख भिखारी ने बेशर्मी से ज्योति से कहा, “मैडम, मुझे ही पिला दो, मेरी प्यास भी बुझ जाएगी और इससे मेरी भूख भी कुछ कम हो जाएगी। ज्योति को यह सुन बड़ा अजीब लगा और शर्म भी आ रही थी। ज्योति समझ गई कि यह क्या पिलाने की बात कर रहा है। पर ज्योति ने अनजान बनने की कोशिश करी और बोली – बोला ना तुमको की इधर कुछ भी खाने पीने का नहीं है जाओ यहां से।
भिखारी – मैडमजी है तो सही आपके पास दूध। क्यों झूठ बोल रही हो। मुझको पिला दीजिए मैने सुबह से कुछ भी नहीं खाया।
ज्योति सुनते ही ज्योति का चेहरा शर्म से लाल हो जाता। तभी ज्योति ने सोचा कि ज्योति - मैं घर से इतनी दूर हूं और यहां कोई और भी नहीं है। फिर ज्योति मन ही मन यह सोच रही थी कि अगर वो इस भिखारी की बात नहीं मानी तो ये कुछ गलत कर सकता है। ज्योति के मन में थोड़ा डर भी था लेकिन ज्योति भी उत्साहित थी। ज्योति ने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं किया था। वह यही सब सोच रही थी।
पर साथ ही ज्योति सोचती है की इस भिखारी के गंदे थैले में एक प्लास्टिक की बोटल है वो ले लेती हु और उसमें दूध निकल दूंगी। इस आदमी की प्यास भी बुझ जाएगी और मेरे स्तन भी खाली हो जाएगा। क्योंकि ज्योति को अपने हाथों से खाली करने में थोड़ी परेशानी हो रही थी।
फिर ज्योति ने उसे प्लास्टिक की खाली बॉटल मांगी और उसे अंदर आकर सीट पर बैठने को कहा। ज्योति यह सब बोलते हुए और करते हुए थोड़ी डरी हुई तो थी, लेकिन साथ ही उसे अपने शरीर में एक अलग ही उत्तेजना महसूस हो रही थी।
फिर वो भिखारी ज्योति के पीछे पीछे उसकी सीट तक आ गया और खड़ा हो गया।
तो ज्योति ने सीट पर बैठ कर भिखारी से कहा- आओ थोड़ी देर बैठो, मैं इसे खाली करके तुम्हें दे देती हूं। यह सुनकर भिखारी का उत्साह बढ़ गया और वह ज्योति के बगल वाली सीट पर बैठ गया। फिर ज्योति को उसके सामने करने मैं शर्म आ रही थी। पर वो भिखारी ज्योति को ही गुरे जा रहा था। ज्योति को डर था कि उसने पहले कभी किसी औरत का देखा भी है या सूखे पता भी है कि औरत का शरीर आदमियों से अलग होता है।
फिर ज्योति ने बात को बदलने का सोचा और उससे पूछा।
ज्योति – क्या तुम शादीशुदा हैं?
भिखारी – हाँ, मेरा निकाह हो गया है और मेरे 4 बच्चे हैं।
ज्योति – अच्छा, अपना नाम बताओ?
भिखारी – मैडमजी हमरा नाम अब्दुल माजीद खुर्रम है।
ज्योति मन ही मन सोचने लगी कि यह ***** है और दूसरे ** का है।
ज्योति मन ही मन सोचने लगी, कहाँ फंस गई? ये सब करने का यही आदमी मिला। वो ***** आदमी है, पता नहीं कितना गंदा और खतरनाक होगा।
लेकिन अब्दुल ज्योति की आँखों में डर और उत्तेजना साफ़ देख सकता था।
ज्योति खुद को गलती करने के लिए कोस रही थी, लेकिन वह अब कुछ नहीं कर सकती थी। स्थिति ऐसी थी कि वह चाहकर भी पीछे नहीं हट सकती थी।
तभी अब्दुल अपनी लुंगी से एक गंदी जालीदार *** निकालता है और अपने *** पर पहन लेता है। वह भिखारी यह बताने की कोशिश कर रहा था कि वह एक ख़तरनाक ***** है।
उसके गंदे कपड़े और *** पर गंदी **** लगाने से वो ओर भी ज्यादा बदसूरत दिख रहा था। यह दृश्य देखकर ज्योति का मन एक्साइमेंट से बढ़ गया, लेकिन वह अपनी आँखें उससे हटा नहीं सकी। लेकिन यह स्थिति ज्योति के नियंत्रण में नहीं थी।
ज्योति को लगा कि उसके साथ धोखा हुआ है, लेकिन अब वह क्या कर सकती थी। वह इस स्थिति से बाहर निकलना चाहती थी, लेकिन कोई रास्ता नहीं मिल रहा था।
ज्योति का दिल डर से धड़क रहा था, लेकिन उसने अपनी भावनाओं को छिपाने की पूरी कोशिश की।
उसने गहरी साँस ली और कहा, “देखो अब्दुल, मैंने अपना मन बदल लिया है। मैं अब यह काम नहीं करना चाहती।“
लेकिन अब्दुल ‘ना’ सुनने वालों में से नहीं था। वह ज्योति के करीब गया, उसकी आँखों में भूख और इच्छा की चमक थी।
अब्दुल – ये तो गलत है मैडमजी। हमसे मत शर्माओ। अपने अभी बोला था कि आप दूध पिलाएगी।
अब ज्योति के पास कोई रास्ता नहीं था वो अब्दुल को बोलती है तुम उस तरफ देखो मैं बॉटल में दूध निकालती हु।
अब्दुल – मैडमजी बोतल में तो बराबर नहीं निकलेगा। हमको सीधा हे पिला दो।
ज्योति की शर्मिंदगी बढ़ती जा रही थी। अब्दुल ने जैसे ही अपना कुर्ता उतारा, उसे बहुत पसीना आने लगा। अब्दुल के गंदे शरीर से आ रही गंध कुछ और ही थी।
ज्योति का दिल तेजी से धड़क रहा था। उसे पता था कि वह अब ओर ज्यादा देर तक विरोध नहीं कर सकती। ये भिखारी आज नहीं मानने वाला है।
वह पहले से ही नीचे से गीली हो रही थी, और उसकी कोमल त्वचा पर अब्दुल के गंदे, खुरदरे हाथों का विचार मन ही मन उसे ओर भी गीला कर रहा था।
ज्योति बिना कुछ कहे अपनी सीट पर पीछे झुक गई और अपनी आँखें बंद कर लीं। अब वो चाह रही थी कि अब केबही करना है अब्दुल भिखारी ही करे।
उसने महसूस किया कि अब्दुल के हाथ उसके ब्लाउज पर थे और बटन दबा रहा था। इस बार उसने उसे नहीं रोका। इसके बजाय, जब अब्दुल ने ज्योति के बूब्स को उजागर किया तो ज्योति ने एक हल्की कराह आह के साथ निकाली।
अब्दुल का स्पर्श उससे अलग था जो उसने पहले कभी अनुभव नहीं किया था। उसके हाथ खुरदरे और कठोर थे, और उसकी उंगलियाँ मोटी और रूखी थीं।
ज्योति ने आंखों को बंद रखते हुए कुछ डर और शर्म के साथ कहा- क्या तुम मेरे स्तन खाली करना चाहते हो? क्या तुम ऐसा करोगे और किसी को नहीं बताओगे?
चूँकि ट्रेन का अगला स्टॉप 1 घंटे बाद था, इसलिए ज्योति ने हिम्मत करके अपना ब्लाउज खोला और अब्दुल के सिर को हल्के से पकड़ कर अपने स्तन पर रख दिया। वह ज्योति के निप्पल को जानवर की तरह जोर-जोर से चूस रहा था। ज्योति अपने निप्पल में दर्द के कारण कराह रही थी।
लेकिन जल्द ही दर्द मजे में बदल गया। ज्योति ने मन ही मन तय कर लिया था कि वह अब्दुल के अलावा किसी ओर के साथ ऐसा कभी नहीं करेगी। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और एक हल्की आह भरी, जैसे ही अब्दुल के होंठ उसके दूसरे स्तन पर पहुँचे।
ज्योति का शरीर खुशी और डर दोनों से काँप रहा था। उसने पहले कभी ऐसा कुछ महसूस नहीं किया था। अब्दुल जैसे गंदे और असभ्य व्यक्ति द्वारा उसे इस तरह से छूने का विचार उसके लिए रोमांचक और घृणित दोनों था।
लेकिन ज्योति अपने निप्पलों में महसूस हो रहे आनंद को नकार नहीं सकी।
ज्योति ने पहले कभी ऐसी उत्तेजना महसूस नहीं की थी और यह सब उसके लिए नया था। उसे नहीं पता था कि क्या करना है लेकिन वह महसूस कर सकती थी कि उसका शरीर अब्दुल के स्पर्श का जवाब दे रहा है। वह महसूस कर सकती थी कि उसके निप्पल सख्त हो रहे हैं और उसके पूरे शरीर में गर्मी फैल रही है।
कुछ देर में बाद ज्योति जानती थी कि उसे यह सब रोकना होगा, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकी। वह खुशी और शर्म के भंवर में फंस गई थी।
दूसरी ओर, अब्दुल हर पल का आनंद ले रहा था।
ज्योति इस विचार में खोई हुई थी कि वह एक समर्पित *** महिला है, यह ***** भिखारी जिसे वह जानती भी नहीं है और वह उसकी भूख मिटाने के लिए उससे अपने स्तन चुसवा रही है।
शर्म उसे अंदर ही अंदर खा रही थी, लेकिन उसका मन उस आनंद में खोया हुआ था जिसे उसने पहले कभी अनुभव नहीं किया था।
जब अब्दुल उसके स्तनों को चूस रहा था, ज्योति का दिमाग तेजी से चल रहा था। वह जानती थी कि उसे उसे रोकना चाहिए, लेकिन उसका शरीर उस अनुभूति में खो गया था जिसे उसने पहले कभी अनुभव नहीं किया था। उसने महसूस किया कि जैसे-जैसे अब्दुल के खुरदरे हाथ उसके शरीर पर घूम रहे थे, उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। वह महसूस कर सकती थी कि जैसे-जैसे अब्दुल उसे छूता जा रहा था, वह अपनी टाँगों के बीच गीली होती जा रही थी।
वह हमेशा से ही नई-नई चीजें आजमाने के लिए उत्सुक रहती थी, लेकिन उसने कभी नहीं सोचा था कि यह सब इस तरह खत्म हो जाएगा। वह उसे रोकना चाहती थी, लेकिन साथ ही, वह उस आनंद को भी नहीं खोना चाहती थी जो वह महसूस कर रही थी।
दूसरी ओर अब्दुल हर पल का आनंद ले रहा था। वह महसूस कर सकता था कि ज्योति का शरीर उसके स्पर्श पर प्रतिक्रिया कर रहा था और यह उसे और भी उत्तेजित कर रहा था। वह जानता था कि उसे आगे बढ़ना होगा, लेकिन वह ज्योति को ओर ज्यादा गर्म और डराना चाहता था।
ज्योति के मन में यह कल्पना बहुत दिनों से थी लेकिन उसकी हिम्मत कभी नहीं हुई कि वह किसी अनजान ***** आदमी के साथ यह सब करे, वह भी ट्रेन में। ऐसा करके ज्योति अपना ** नहीं निभा रही थी बल्कि इस चक्कर में ज्योति अपना पत्नी धर्म भूल चुकी थी।
शायद ये गलती थी, पर फिर भी वो रुक नहीं सकती थी। ज्योति ये सब बातें सोच रही थी।
इस बीच जब अब्दुल ने देखा कि ज्योति कही खो गई है उसको उसके ऊपर से हटा ना दे। तो उसने अपनी उंगलियों से उसके निप्पलों को मसलना शुरू कर दिया। ज्योति को अपने निप्पलों में दर्द महसूस हो रहा था और साथ ही उसे अपने अंदर आनंद भी महसूस हो रहा था। ज्योति कराह उठी और सनसनी उसके निप्पलों से उसके दिमाग तक पहुँच गई।
इधर अब्दुल भिखारी ज्योति के सुन्दर मुलायम गोरे स्तनों को चूसने और चूमने में बहुत मग्न था, शायद उसे भी बहुत भूख और हवस की भूख लगी थी।
अब्दुल भी ज्योति के स्तनों को जोर जोर से दबाने लगा और उसने ज्योति का बायाँ स्तन अपने मुँह में रख लिया। अब ज्योति को लगा कि उसका स्तन नरम हो रहा है, तो ज्योति ने उसे अपना दायाँ स्तन मुँह में लेने को कहा। अब्दुल ने उस स्तन को मुँह में लिया और पूरा खाली कर दिया।
कुछ देर बाद ज्योति के स्तन नरम हो गए। स्तन चूसने से ज्योति को मन में कुछ राहत महसूस हुई।
क्या अब भिखारी आगे रुकेगा ?
Update - 5
ज्योति कुछ देर चुपचाप बैठी रही, फिर उसने अपनी घड़ी देखी और पाया कि उसके अगला स्टेशन आने में अभी भी 30 मिनट बाकी थे। ज्योति को अब अपने शरीर में एक अजीब तरह की उत्तेजना महसूस हो रही थी। ज्योति सोच रही थी कि उसने अपने जीवन में कभी भी ऐसा अजीब सा रोमांचक पल महसूस नहीं किया था।
ज्योति ने अब्दुल की ओर देखा और पाया कि अब्दुल गहरी और गंदी निगाह से ज्योति को देख रहा था।
तभी अब्दुल ने ज्योति को धक्का देकर सीट पर लिटा दिया। ज्योति को थोड़ा डर लग रहा था पर साथ ही वह उत्साहित भी थी।
ज्योति अब्दुल के बदसूरत चेहरे को देखकर सोचती थी कि वह घिनौना इंसान है, लेकिन उसका स्पर्श उसे अजीब सी अनुभूति दे रहा था। अब्दुल ने ज्योति के ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसे पूरी तरह से उतार दिया, अब उसकी कमर पर सिर्फ ज्योति की साड़ी लिपटी हुई थी।
ज्योति की खूबसूरत फिगर उसकी साड़ी में दिख रही थी।
ज्योति अब थोड़ा डर रही थी, लेकिन वह अब्दुल से अपनी नज़रें नहीं हटा पा रही थी। अब्दुल ज्योति के ऊपर झुका, अपना चेहरा उसके सीने पर टिका दिया। ज्योति को अब्दुल की दाढ़ी उसकी नाज़ुक त्वचा को खरोंचती हुई महसूस हुई, जिससे उसकी बॉडी में सिहरन सी पैदा हो गई। अब्दुल ने ज्योति के स्तनों को चूमना शुरू कर दिया, और ज्योति खुद को हल्के से कराहने से नहीं रोक पाई। अब्दुल के मुँह ने उसके निप्पल को पकड़ा और उसने उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया, जिससे ज्योति धीरे धीरे से आहें भरने लगी।
तभी ज्योति उसे खुद से अलग करके उससे थोड़ा दूर बैठ जाती है। अब ज्योति को बहुत अच्छा लग रहा था, क्योंकि उसके दोनों स्तन अब खाली हो चुके थे। ज्योति ने उसे अब जाने को बोला, तभी ज्योति ने देखा कि उसकी लुंगी आधी खुली हुई थी। उसके लण्ड का सिरा उसमें से बाहर आ रहा था, उसका लण्ड ज्योति के पति के लण्ड से बिल्कुल अलग था। उसके लण्ड के ऊपरी सिरे पर थोड़ी चमड़ी नहीं थी। ज्योति के पति के लण्ड पर पूरी चमड़ी थी।
ज्योति की आँखें आश्चर्य से चौड़ी हो गईं। वह पहले कभी किसी ***** व्यक्ति के इतने करीब नहीं आई थी। उसने अपने
परिवार और समाज से ****** के बारे में बहुत कुछ सुना था। लेकिन उसने कभी नहीं सोचा था कि वह उनसे इतने घनिष्ठ तरीके से बातचीत करेगी।
क्योंकि उसके सिरे पर कम चमड़ी थी जो उसे ढक सके। ज्योति ना चाहते हुए भी उसकी आंखे अब्दुल के लण्ड पर ही जा रही थी उसे हे देख रही थी।
यह देख अब्दुल ने ज्योति से पूछा, “क्या तुमने कभी किसी ***** का लण्ड नहीं देखा?यह असली ***** का लण्ड है।
डरो मत ज्योति जान, अब्दुल ने गंदी तरीके से मुस्कुराते हुए कहा। वह उसकी तरफ़ बढ़ा और अपनी लुंगी नीचे करके अपना खड़ा लण्ड दिखाया। ज्योति, जिसने पहले कभी ***** लण्ड नहीं देखा था, उसको अपनी पूरी बॉडी में सिहरन महसूस हुई और उसके रोंगटे खड़े हो गए। लेकिन साथ ही, उसे अपने अंदर एक अजीब सी उत्तेजना भी महसूस हुई।
अब्दुल ज्योति के पास गया और उसके सामने फर्श पर घुटनों के बल बैठ गया। उसने अपनी बाहें फैला दीं और ज्योति सहज रूप से पीछे हट गई। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “डरो मत, ज्योति जान।
भिखारी अब्दुल का लण्ड देखकर ज्योति भी थोड़ी उत्तेजित हो गई और अब्दुल ने ज्योति से कहा- ज्योति जान, मैंने आपका काम कर दिया, अब आप मेरा भी काम कर दो।
ज्योति – एक तो तुम मुझको नाम से और जान जान करके मत बुलाओ। तमीज और हैसियत से रहो। और क्या काम है तुमको?
भिखारी – ओह ज्योति जान तुम तो बुरा मान गई वा ठीक तेरी खुशी के लिए मैडमजी बोलता हूँ।
भिखारी अब्दुल - मैडमजी, जैसे मैंने आपके चूचे चूसे हैं, वैसे ही आप भी मेरा लण्ड चूसो।
अब्दुल की यह बात सुनकर ज्योति हैरान रह गई। ज्योति ने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं सुना और किया था। ज्योति ने अपने पति का लण्ड भी कभी नहीं इतना ध्यान से देखा और चूसा था। ज्योति ने अपनी सहेलियों से लण्ड चूसने के बारे में सुना था, लेकिन उसने पहले कभी ऐसा नहीं किया था। ज्योति बहुत घबरा रही थी और साथ ही उसे अपने शरीर में एक अजीब तरह की उत्तेजना भी महसूस हो रही थी।
अब्दुल ने उसकी घबराहट को भांप लिया और कहा, “चिंता मत करो ज्योति जान। एक बार हाथ तो लगाओ।
ज्योति- मैंने आज तक अपने पति का भी नहीं चूसा तो तुम्हारा क्यों चूसूँगी? वैसे भी तुम बहुत गंदे हो और ये मेरी मजबूरी थी क्योंकि मेरे स्तन भारी हो गए थे। मुझे तुम्हारी भूख भी मिटानी थी इसलिए मैंने तुम्हें स्तनपान कराया। अब इसके आगे कुछ नहीं होगा तुम जाओ यहां से।
ज्योति अब किसी भी तरह उस भिखारी को अपनी सीट से भगाना चाहती थी।
लेकिन भिखारी बहुत जिद्दी और हठी था। वह ज्योति को लण्ड चूसाये बिना नहीं जाने वाला था।
ज्योति खुद को जंगल में एक शिकार की तरह महसूस कर रही थी, जिसे एक जंगली शिकारी ने घेर लिया था। उसका दिल उसकी छाती में धड़क रहा था क्योंकि वह इस स्थिति से बचने का कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसने खुद को ऐसी मुसीबत वाली स्थिति में डाल दिया है। पर ज्योति ने मन में ठान लिया था कि वो उस भिखारी का लण्ड तो बिलकुल भी नहीं चूसेगी। उसको लण्ड चूसने की बात सुन कर ही गिन और गंदा सा महसूस हो रहा था।
क्या भिखारी अब्दुल लण्ड चूसा पाएगा?
Written By Mohik
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