मैं पानी निकलने तक उनके जिस्म को चूसता रहा और फिर उनके ऊपर ढेर हो गया।
भाभी वैसे तो बहुत सुंदर थी पर आज मेरा पूरा ध्यान उनकी कोमल नाजुक चूची पर था क्योंकि वो चूची ना होती तो वो लाल चोली न होती, वो लाल चोली ना उड़ती तो भाभी मेरे नीचे कैसे लेटती।
मैं अब भी अपने चेहरे को उनके छाती पर रखे हुए था और अपने गाल से उनकी चूची को सहला रहा था।
अब भाभी ने होश संभाला और बोली- शिवम, काफी देर हो गई है, अब मुझे जाना चाहिए। मम्मी भी आने वाली हैं और नेहा को भी शक हो सकता है।
मैं- नहीं भाभी, आप बस ऐसे ही रहो. मुझे और कुछ नहीं चाहिए. सारी दुनिया भाड़ में जाए बस तुम मेरे साथ रहो।
भाभी भी अब थोड़ा सेंटी हो गई और उन्होंने मेरा चेहरा पकड़ा और होंठ पर किस किया- आई लव यू बेबी … पर अभी जाने दो प्लीज!
मैं- ओके भाभी!
तो भाभी अपने कपड़े पहनने लगी और लाल चोली दिखा कर बोली- ये ले जाऊं या तुम्हें चाहिए?
मैं- मुझे तो आप चाहिए.
भाभी- मैं तो आज से तुम्हारी हूँ ही।
उस दिन के बाद मेरा और भाभी का चुदाई का मन होता पर कई दिन तक मौका नहीं मिला.
कभी किस … कभी उनके जिस्म को चूसना तो मिल जाता पर चुदाई नहीं हो पा रही थी.
मैं भाभी को बार बार सेक्स के लिए बोलता रहा।
पर करते भी क्या … रात को सब होते हैं और दिन में दोनों मां और नेहा।
फिर एक वो हुआ जो हम दोनों ने कभी सोचा भी नहीं था।
भाभी ने मुझसे कहा- सेक्स करने का एक इंतजाम हो सकता है. तुम और नेहा दोनों पढ़ते हो, तो अगर तुम दोनों एक साथ पढ़ो तो!
मैं- पर नेहा को भी तो मनाना पड़ेगा।
भाभी- वो मान गई है बस तुम मम्मी को बोल दो!
तो मैंने आंटी को बताया कि मैं और नेहा साथ में पढ़ें.
आंटी मान गई।
अब मैं भी ऊपर छत पर नेहा के कमरे में पढ़ाई करने लगा.
पर आंटी वहाँ आ जाती थी.
ऐसे ही पूरा सप्ताह निकल गया, भाभी की चूत नहीं मिली।
मैं एक दिन पढ़ते हुए बाहर टॉयलेट में आया तो देखा कि आंटी मम्मी के बैठी हैं और पड़ोस वाली आंटी भी आई हुई हैं.
तो मैं जल्दी से दूसरे रूम में गया.
वहाँ भाभी टीवी देख रही थी.
मैं उनके साथ लेट गया और उन्हें किस करने लगा.
तो भाभी बोली- मम्मी आ जायेंगी.
मैंने कहा- वो नीचे बिजी हैं.
तो भाभी नहीं मानी.
मैं भाभी की चूची को सहलाने लगा.
वो बार बार मना करती रही।
अब मैं नाराज होकर जाने लगा तो भाभी ने बोला- रुको!
और वो खुद आंटी को देख के आई.
फिर उन्होंने बोला- चल जल्दी से कर … पर कपड़े उतारने को मत बोलना।
अब भाभी ने अपनी पैंटी उतारी और गेट को थोड़ा बंद कर उसके पीछे झुक गई.
मैंने भी लंड बाहर निकाल कर भाभी की चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगा और पानी निकलने तक लगे रहे.
पर मुझे ज्यादा मजा नहीं आया और मैं वापस नेहा के पास आ गया।
नेहा वैसे तो मुझसे ज्यादा कुछ बोलती नहीं थी पर अब वो थोड़ा स्माइल के साथ मुझे देख रही थी.
मुझे लगा शायद इसने हमें देख लिया छुदाई करते हुए!
तो मैं नजरें बचाने लगा।
पर नेहा कहा रुकने वाली थी, वो मेरे पास आई और बोली- साड़ी पहन कर करने में मजा नहीं आता है।
तो मैं बोला- क्या बोल रही हो?
नेहा ने कहा- वो ही तो बोला जो अभी कमरे में देखा।
मैं चुप हो गया।
नेहा बोली- मेरे कमरे में जल्दी से कोई नहीं आता है अगर करना है तो बोलो.
मैं- कब करना है?
नेहा- अभी कर लो।
मैं- और तुम्हारी मम्मी?
नेहा- वो अभी ऊपर नहीं आयेगी; आई भी तो मेरे कमरे में नहीं आयेंगी।
मैं- ओके.
गेट के बाहर नेहा ने भाभी की तरफ कुछ इशारा किया और भाभी आ गई।
नेहा ने धीरे से भाभी को कुछ कहा और वो वापस चली गई।
अब नेहा ने अपना टॉप उतार दिया और नीचे कुछ नहीं पहना था तो उसकी छोटी छोटी चूची मुझे दिखाई दी.
मैं भी जोश में आ गया और नेहा के करीब आकर उसकी चूचियों पर हाथ रख दिया और उन्हें दबाने लगा.
वो आराम से मेरी हाथ की गिरफ्त में आ गई थी.
मैं उसके होंठों पर किस करने लगा.
वो भी बड़ी मदहोशी से मेरा साथ दे रही थी.
अब मैं उसके होंठ को छोड़ चूची को चूसने लगा.
अलग ही मजा आ रहा था … मैं चूची को मुंह में भर लेता और फिर आइसक्रीम की तरह अपना मुंह पीछे खींचता फिर से मुंह में चूची पकड़ता और फिर से चूसते हुए पीछे हट जाता.
मैंने काफी देर तक दोनों चूची के साथ ये मजा लिया.
यह अलग ही अनुभव था।
अब नेहा भी जोश में आ गई और अपने पजामा को उतारने लगी.
मैंने भी अपनी जींस और अंडरवियर को उतार दिया.
अब नेहा ने खुद ही मेरी शर्ट उतार दी.
मैं भी पूरा नंगा और वो छोटी चूची भी नंगी।
अब उसने बेड पर बैठ कर लंड हाथ में पकड़ लिया और उसे चूसने लगी.
मुझे ज्यादा मजा नहीं आया तो मैंने उसे लेटा दिया और उसकी चूत को चाटने लगा.
उसकी जांघ ज्यादा मोटी नहीं थी तो उसकी चूत बिल्कुल बाहर दिख रही थी.
मैं चूत के छेद में जीभ डाल कर घुमाने लगा.
वो सिसकारी भरने लगी.
पहले तो उसने मेरा सिर अपने हाथों से दबाया और मैं लगातार जीभ से उसके चूत के छेद को चाटता रहा.
फिर उसने अपने पैर हवा में उठा लिए और उसके पैर मेरे कमर पर रखती कभी हवा में उठाती; कभी मेरा सिर जोर से दबाती कभी सहलाती रही।
मैं उसको पहली चुदाई की खूबसूरत और मजे वाली यादें देना चाहता था।
सीधा चूत फाड़ने में मुझे अच्छा नहीं लगा।
मैं जितना भी अंदर जा सके, जीभ को चूत की गहराई में चाटता रहा.
उसने दोनों जांघों को मेरे सिर पर दबा दिया.
मेरा सिर अब इसके चूत पर दब गया और नेहा आह आह ओह की आवाज के साथ निकल गई.
उसकी चूत का रस मेरी जीभ पर लगा तो मैंने चूत के रस को भी चाटा.
फिर वो शांत हो गई.
पर मैं फिर से उसकी कमर को पकड़ कर उसकी चूत का पानी चाटने लगा।