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Adultery संस्कारी लडकी (उम्दा_पंक्तियां )
#41
तुमको अपना बनाते बनाते जिंदगी तबाह कर बैठे ..

सुकून ढूंढने चले थे नींद भी गवां बैठे....!!

[Image: GWw-KUb-Yaw-AArv5-K.jpg]
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#42
सेक्स हर कोई करना चाहता है लेकिन......

सेक्स हर कोई करना चहता है चाहे वह महिला हो या पुरुष।
कामुक बातें हर किसी को पसन्द हैं
हर कोई कामवासना में लिप्त है।
और होगा भी क्यों नहीं यह प्रकृति ने दिया है और स्वाभाविक प्रक्रिया है।
सहमति से सेक्स कोई गलत नहीं है और मैं सेक्स को आम क्रियाओं की तरह ही मानती हूं।
जो जीवन को, रूह कोआनंदित कर दे वह विषय खराब कैसे हो सकता है।
और फिर जिस विषय पर महर्षि वात्स्यान जैसे महान दार्शनिक ने कामसूत्र पुस्तक लिखी हो और विस्तार पूर्वक वर्णन किया हो बह विषय चर्चा के योग्य क्यों नहीं हो सकता वह विषय खराब कैसे हो सकता है
सेक्स को अच्छे से किया जाए तो फिर सेक्स सबसे ज्यादा आनंदित करने बाली क्रिया है।

लेकिन कुछ लोगऊपर से दिखावा ऐसा करेंगे जैसे सारे संस्कार सिर्फ इन्हीं में कूट कूट कर भर दिए हों।
जब कोई सेक्स की बातें करेगा तो बहुत ही संस्कार वान बनेंगे जैसे ये सेक्स करते ही न हों और यदि सच कहूं तो ऐसे ढोंगी लोग ही कामवासना में सबसे ज्यादा लिप्त हैं यही वो लोग हैं जो अकेले में हर रोज पोर्न वीडियो देखते हैं लेकिन सबके सामने बड़े ही मर्यादित बनेंगे।
सेक्स एक क्रिया है महान दार्शनिक रजनीश ओशो जी ने कहा है कि जिस प्रकार नहाना धोना,खाना पीना, सोना जागना, एक क्रिया ठीक वैसे ही सेक्स भी एक क्रिया ही है हालाकि ये सिर्फ महिला और पुरुष द्वारा एकांत में करने वाली क्रिया है।
लेकिन सेक्स से संबंधित जरूरी जानकारी पर खुलकर बात करने में कोई बुराई नहीं है।
इसलिए मैं तो सिर्फ सेक्स ही नहीं जिस विषय पर भी लिखती हूं खुलकर लिखती हूं।सेक्स पर लिखूंगी तो कोई बुराई ही तो देगा इससे ज्यादा और कोई क्या कर सकता है और बुराई तो वैसे भी सहज ही मिल जाती है अच्छे कामों में भी मिल जाती है बुराई तो फिर डर किस बात का।

[Image: FB-IMG-1605012573958.jpg]
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#43
Ati uttam anubhav hai aap ke adar iy sarahniya aur anukarniy
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#44
जीवन किसी से बंधा नहीं होता ,

बंधी होती हैं तो सिर्फ भावनाएं...
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#45
[Image: FB-IMG-1601516963931.jpg]
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#46
शारीरिक जरूरत पूरी हो जाने के बाद
पुरुष का मूंह मोड़ कर सो जाना
स्त्री के लिए मर जाने के समान होता है

उस वक्त स्त्री खुद को ठगा हुआ महसूस करती है।

[Image: GXXouv-IX0-AAl-Ea-I.jpg]
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#47
तृप्ति:- इस ब्रह्मांड के सुदूर छोर तक आदमी की सारी जद्दोजहद का किस्सा महज़ एक चीज़ के अधीन है तो वह है सिर्फ तृप्ति.

[Image: GXz-Nuq5ak-AMc-Ot2.jpg]
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#48
*मैं,,,*
*ईश्वर के हर एक निर्णय से*
*प्रसन्न हूं ,,,!*
*उसने मुझे*
*पीड़ा सहने वालों की श्रेणी में रखा है ,,,*
*ना कि पीड़ा देने वालों की श्रेणी में,,,!!*

[Image: FB-IMG-1592840889542.jpg]
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#49
(15-08-2024, 02:36 PM)nitya.bansal3 Wrote: साड़ी सब महिलाओं का एक ऐसा परिधान है तो संस्कारी भी है, सम्मोहक भी है, सादगी भी है,और कामुक भी।

आप जिस नजरिये से देखेंगे, आपको वो नजर आयएगी।

साडी मे हर अंग को व्यवस्थित रखने की गुंजाइस होती है। शरीर मुक्त महसूस करती है। कहीं किसी अंग- प्रत्यंग पर कोई दबाब नही...

[Image: 2570defae9e600d6bf48e61739439d48.jpg]

very true.
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#50
कोई भी नही जो तेरी कमी पुरी कर सके. ?
?ओर कोई भी नहीं जिसे मैं तेरी तरह प्यार कर सकूं ... ?❤️

[Image: cf99a112e1175b5642668d72507ef93b.jpg]
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#51
रभात के पल बड़े स्नेहिल और प्रेरक होते हैं। इसे पल में कोमल मन किसी की आगोश में छुपना चाहती है। वो अपने दिन भर के लिए प्रेम संचित करना चाहती है और वो अपने रूह को किसी के स्पर्श से पवित्र करना चाहती है।

किसी ने सच कहा है, मन को मोहने वाला जीवनसाथी जरूरी है जीने को

[Image: FB-IMG-1575557267988.jpg]
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#52
.abcd
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#53
जब उतरती है ज़मीं पर दिसंबर की हंसी रातें
रातों को सोने नहीं देती है तेरी मोहब्बत भरी बातें

[Image: FB-IMG-1583233353286.jpg]
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#54
बड़ा गहरा राज़दार है...
मेरे सिरहाने रखा तखिया,
जो मालूमात है उसे,
इन सुनसान अँधेरी रातों में...
बेतहाशा बहे मेरे अश्कों का...???

[Image: FB-IMG-1590798620976.jpg]
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#55
धड़कने काबू में नहीं हैं आज,
लगता है कोई बेहताशा याद कर रहा है।

[Image: 469067375-122176050230112447-2671548720499514919-n.jpg]
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#56
देख कर तुमको अब और कहाँ देखें..??

.
तुमसे नजरे हटें तो बाकी जहाँ देखें..!!






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