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प्यासी भाभी संग
।
इस कहानी की शुरूआत पांच साल पहले हुई थी जब मैं 19 साल का था। मेरे भैया की शादी का टाइम था, काफी सारे मेहमान घर में आये हुए थे। मुझे नहीं पता था कि मेरी पहली कहानी की शुरुआत वहीं से होगी। जिसके बारे में ये कहानी मैं आपको बता रहा हूँ वो मेरी दूर की रिश्तेदारी में भाभी लगती थी.
कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में आपको बताना चाहता हूं ताकि आप लोगों को भी पता चल जाये कि हम दोनों के बीच में ये वाकया कैसे हुआ. उसकी उम्र 30 साल थी और वो एक शादीशुदा औरत थी. कम उम्र में ही उनकी शादी एक ऐसे आदमी से हो गई थी जो उनसे डेढ़ गुना बड़े थे आयु में।
आप ही सोचो कि जब एक औरत जो तीस साल की हो चुकी है और उसका पति उससे डेढ़ गुना ज्यादा बड़ा है उम्र में, तो इस बात का अंदाजा आराम से लगाया जा सकता है कि उसके पति की उम्र कितनी होगी. शादी के क्या कारण रहे ये तो मैं यहां पर नहीं बता सकता हूं लेकिन मेरी कहानी जहां से शुरू हुई वो आपको जरूर बता देता हूँ।
जब मैंने उसको पहली बार देखा तो वो देखने में कुछ खास नहीं लगी थी मुझे. लेकिन कहते हैं कि कई बार ऊपर से खराब दिखने वाला आम असल में अंदर से बहुत ही मीठा और रसीला होता है. उस औरत के साथ भी कुछ ऐसा ही था. उसका पति उसकी तरफ देखता भी नहीं था.
तो हुआ यूं कि उस समय हम सब लोग शादी की तैयारियों में लगे हुए थे. भैया की शादी हो जाने के बाद जब हम लोग घर पर आये तो पता चला कि वो आज रात हमारे साथ ही सोने वाली थी.
मैं नहीं जानता था कि उसने मुझे कब देखा था. मगर उस रात जब उससे बात हुई तो दोस्तो मजा आ गया. वो शायद पहले से ही मुझ पर नजर रखे हुए थी. उस रात उसने मुझसे बहुत सारी बातें कीं और फिर अगले दिन वो अपने घर दिल्ली चली गई.
मैंने बाद में जानने की कोशिश की तो पता लगा कि वो दिल्ली से हमारे किसी रिश्तेदार की तरफ से आई थी. लेकिन अब मैं भी जवान था और इतना समझने लगा था कि सामने वाला इन्सान आप में कुछ रुचि ले रहा है तो जरूर उसके मन में कुछ न कुछ बात होगी.
उस रात जब मैंने उससे बात की तो मैं समझ गया था कि वो क्या चाहती है लेकिन वो अपने घर चली गई थी इसलिए हमारे बीच में कुछ हो नहीं पाया था. फिर कुछ दिन के बाद मैं भी उसको भूल गया.
असल में कहानी अब शुरू होती है. आज से दो साल पहले मुझे किसी काम से दिल्ली जाना था. चूंकि दिल्ली शहर में कमरा मिलना बहुत मुश्किल होता है और अगर अच्छा कमरा मिलता है तो वो बहुत महंगा होता है इसलिए घर वालों को मेरी फिक्र हो रही थी कि मैं वहां जाने के बाद रहूंगा कहां पर?
इसलिए मेरी दादी ने पहले ही उस भाभी से बात कर ली थी. रिश्तेदार ऐसे ही समय में काम आते हैं. दो साल बाद उससे मिला तो मुझे नहीं पता था कि मेरा पहला सेक्स उसी के साथ होने वाला है. उस दिन जब मैं उससे मिला तो वो मुझे बिल्कुल नहीं भूली थी. घर पहुंचा तो मेरे स्वागत के लिए वो सज-धज कर तैयार थी पहले से ही.
जब मैंने शादी में उस भाभी को देखा था तो मुझे वो ज्यादा खास नहीं लगी थी लेकिन उस दिन तो वो मस्त माल लग रही थी. उसके चूचे और गांड ऐसी थी कि मेरी नजर उससे हट ही नहीं रही थी. लेकिन मैं अपनी तरफ से कोई पहल नहीं करना चाहता था क्योंकि वो एक तो हमारी रिश्तेदारी में थी और दूसरा मैंने कभी उसके साथ सेक्स के बारे में इस तरह से सोचा भी नहीं था.
रात के समय उनके पति और मैंने साथ में ही खाना खाया. उसके पति किसी प्राइवेट कॉल सेंटर में काम करते थे जिसमें उनकी नाइट शिफ्ट लगी हुई थी. इसलिए खाना खाने के बाद वो ऑफिस के लिए निकल गये.
उनके घर पर केवल एक ही कमरा था जहाँ वो और में सो रहे थे। लेकिन दोनों में से किसी को नींद नहीं आ रही थी। उन्होंने बात शुरू की और वहाँ आने का कारण पूछा।
बात करते-करते वो मेरी गर्लफ्रैंड के बारे में बात करने लगी और अपने बोरिंग हस्बेंड के बारे में बताने लगी। मुझे उस समय ये पहली बार लगा कि शायद वो मुझ से कुछ और भी चाहती है।
धीरे-धीरे वो मुझसे खुलने की कोशिश कर रही थी. फिर वो बिल्कुल फ्रेंड की तरह बात करने लगी। मुझे अंदाजा भी नहीं था कि वो मुझसे इतनी खुल कर बातें करेगी.
इससे पहले मेरे साथ किसी ने इस तरह सेक्स जैसे टॉपिक पर खुल कर बात नहीं की थी. हाँ मेरे दोस्तों की बात अलग थी लेकिन यहां पर तो मैं अपनी रिश्तेदारी में आया हुआ था और वो मेरी भाभी लगती थी. इसलिए उनके साथ इस तरह की बातें होंगी इसका अंदाजा नहीं था मुझे।
फिर होते-होते बात सेक्स तक पहुंच गई थी.
मैंने उससे डरते-डरते ही पूछा- आप तो बहुत ही हॉट और अच्छे दिखते हो तो फिर आपके हस्बेंड आपके लिए इतने बोरिंग कैसे हो सकते हैं.
उसने मुझे बताया- शुरू में जब शादी हुई थी तो ऐसा नहीं था. एक साल तक तो सब कुछ सही चल रहा था. लेकिन फिर बाद में वो अपने काम में बहुत ज्यादा व्यस्त रहने लगे. उनको ऑफिस के काम के अलावा कुछ नहीं सूझता था.
वो अपनी कहानी बताते हुए मेरा हाथ पकड़ कर रोने लगी और कहने लगी कि क्या मैं उसका दोस्त बन सकता हूँ?
उसने जो पूछा, मैं तो पहले से ही उसके इंतजार में था.
मैं तो उसी दिन सब कर लेना चाहता था लेकिन मैं उसका भरोसा जीत कर आगे बढ़ना चाहता था. ताकि उसको ये न लगे कि मैं सिर्फ उसकी चूत का भूखा हूं. वैसे भी मुझे बाद में पता लगा कि आग तो दोनों तरफ ही लगी हुई थी, इसलिए चुदाई तो होनी ही थी.
उस दिन मैंने उनसे वादा किया कि वो अपना दोस्त समझ कर कभी भी मुझसे फोन पर बात कर सकती हैं. मैंने उसको विश्वास दिलाया कि वो मुझसे सब बातें शेयर कर सकती है। फिर उसने मुझसे तभी पूछ लिया- क्या आपने कभी किसी के साथ सेक्स किया है?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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thanks
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(01-05-2024, 03:28 PM)neerathemall Wrote: thanks
पड़ोसन भाभी को उन्हीं के घर में चोदा-
Thanks
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(11-11-2024, 09:37 AM)neerathemall Wrote: पड़ोसन भाभी को उन्हीं के घर में चोदा-
Thanks
हमारे पड़ोस के घर में एक जवान भैया भाभी और उनका एक 7 साल बेटा रहते हैं. उनके परिवार में यही तीन लोग थे.
भैया का नाम करण था व भाभी का नाम दिव्या था तथा उनके बेटे का नाम यश था.
वो भैया पेशे डॉक्टर थे और उनकी उम्र 37 साल थी. दिव्या भाभी हाउसवाइफ थीं और उनकी उम्र 31 साल थी.
भैया भाभी दोनों ही नेचर से बहुत अच्छे थे.
पड़ोस में रहने वाली दिव्या भाभी को जब मैंने पहली बार देखा था तो देखता ही रह गया था.
दिव्या भाभी बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी माल थीं. भाभी का बदन एकदम गोरा था और फिगर भी एकदम लाजवाब था. दिव्या भाभी दिखने में एकदम करीना कपूर के जैसी लगती थीं.
भाभी की हाइट 5 फुट 6 इंच थी. मम्मे 34 इंच के, कमर 30 इंच की तथा चूतड़ 36 इंच के थे.
मैंने पहली बार जिस दिन भाभी को देखा था, उसी दिन सोच लिया था कि कैसे भी करके भाभी को चोदना ही है.
भाभी अक्सर साड़ी या, गाउन ही पहना करती थीं. भाभी जब भी साड़ी में होती थीं तो कमाल की आइटम लगती थीं.
उनकी साड़ी नाभि के नीचे बंधती थी, जिस वजह से मैं उन्हें इस अंदाज में देख कर पागल हो जाता था.
जब भी मैं भाभी को यूं देखता, तो मेरा लंड खड़ा हो जाता और मुझसे रहा नहीं जाता था. मुझे बरबस मुठ मार कर अपने आपको शांत करता पड़ता था.
भैया के डॉक्टर होने की वजह से उन्हें किसी भी समय हॉस्पिटल जाना पड़ जाता था, कभी दिन में तो कभी नाइट में.
उनके हॉस्पिटल जाने के बाद और उनके बेटे के कॉलेज चले जाने के बाद भाभी घर का सारा काम समाप्त करके दिन में हमारे घर पर मम्मी से बातें करने आ जाती थीं.
भाभी की मम्मी से अच्छी बांडिंग हो गई थी तो अब जब भी भाभी अकेली होती थीं तो वो फ्री होकर अपना टाइम पास करने मम्मी के पास आ जाती थीं.
शाम को भी भाभी मम्मी के साथ टहलने जाती थीं.
भाभी जब भी हमारे घर पर आती थीं तो मैं हमेशा उनके आस-पास टहलता रहता था और बातचीत करने की कोशिश करता रहता था. भाभी भी मुझसे अच्छे से बात करती थीं.
अब धीरे-धीरे हमारे बीच अच्छी बातें होने लगी थीं.
कुछ ही दिनों में हम दोनों के बीच कुछ कुछ होने लगा था.
हालांकि ये अभी दिल से दिल तक की बात के जरिये ही महसूस हो रहा था क्योंकि अब जब भी भाभी हमारे यहां आतीं तो मुझे देख कर स्माइल कर देतीं,
और मैं भी भाभी से ‘हाय, हैलो …’ कर लेता था.
एक दिन भैया को हॉस्पिटल में व्यस्त होने के कारण घर आने देरी हो रही थी और भाभी को बाजार से कुछ ज़रूरी सामान खरीदना था.
भाभी के बहुत इंतजार करने के बावजूद भी भैया को आने में देरी हो रही थी.
भैया को भाभी ने फोन करके पूछा- आप कब तक आओगे?
तो भैया ने बोला- आज मुझे घर आने में कुछ ज्यादा देरी हो जाएगी, हॉस्पिटल में मरीज ज्यादा हैं. उन्हें देखे बना नहीं आ सकता. मार्केट फिर किसी दिन चल चलेंगे.
भाभी उदास होकर हमारे घर आ गईं.
मम्मी ने भाभी से पूछा कि दिव्या क्या बात है … तेरा मूड ऑफ सा कैसा दिख रहा है?
भाभी ने बताया कि मार्केट से ज़रूरी सामान लाना था, पर डॉक्टर साब को हॉस्पिटल से फुर्सत ही नहीं है, वो नहीं आएंगे तो बाजार कैसे जा सकती हूँ.
ये सुनकर मम्मी ने बोला- अरे बस इतनी सी बात, तुम परेशान मत हो … मैं अभी शुभ से बोल देती हूँ, वो तुमको मार्केट ले जाएगा.
मैं वहीं खड़ा था.
मम्मी ने मुझे पास बुलाकर सब बताया, तो मुझे तो अन्दर से हेनू हेनू होने लगा.
मैं सोचने लगा कि चलो इसी बहाने भाभी के साथ अकेले में कुछ समय बिताने का मौक़ा मिलेगा.
मैंने तुरंत से हां बोल दी- हां हां भाभी मेरे साथ चलें … क्या दिक्कत है.
मम्मी ने भाभी को तैयार होने को बोल दिया और मैं भी तैयार हो गया.
करीबन 20 मिनट बाद भाभी तैयार होकर आ गईं.
उस समय भाभी एकदम अप्सरा सी लग रही थीं.
सेक्स आइटम भाभी ने डार्क ब्लू कलर की साड़ी पहनी हुई थी. जिसमें ऊपर कट आस्तीन का ब्लाउज था और आज तो भाभी ने साड़ी बहुत नीचे से बांध रखी थी.
भाभी की नाभि और उनका गोरा सपाट पेट बड़ा ही कामुक दिख रहा था.
दिव्या भाभी देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया.
मन तो कर रहा था कि अभी यहीं पटक कर भाभी को चोद दूँ, पर अभी ऐसा नहीं कर सकता था.
अब हम दोनों मेरी बाइक से मार्केट के लिए रवाना हो गए.
मैंने रास्ते में 2-4 बार जानबूझ कर ब्रेकर पर जोर से ब्रेक मारे … तो भाभी के दूध मुझसे रगड़ खा गए.
भाभी सारा खेल समझ गई थीं कि मैं यह सब जानबूझ कर कर रहा हूँ, पर उन्होंने कुछ नहीं बोला … बस अपने आपको संभाल लिया.
फिर हम दोनों मार्केट पहुंच गए.
मार्केट से भाभी ने कुछ सब्जियां और राशन का सामान खरीदा.
दो घंटे शॉपिंग करने बाद जब हम दोनों वापस आने लगे तो मैंने भाभी को जूस पीने को बोला.
भाभी ने हां बोल दिया.
अब मैं भाभी को एक जूस की दुकान में ले गया.
वहां हमारे आस पास कई लड़के लड़कियां गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड के जैसे बैठ हुए थे. वहां हम दोनों भी कपल की तरह लग रहे थे.
मैंने वेटर को बुलाया और ऑर्डर लिखने को कहा.
भाभी ने पाइनॅएपल जूस और मैंने कोल्ड-कॉफी मंगवाई.
फिर हम दोनों जूस और कॉफ़ी पीते हुए बातें करने लगे.
उस वक्त मेरा ध्यान सिर्फ़ भाभी की ओर ही था और मैं उनके उभार देखते हुए उनसे बातें कर रहा था.
आस-पास के लड़के लड़कियों को देख कर भाभी ने मुझसे पूछा- तुम भी यहां अक्सर अपनी गर्लफ्रेंड के साथ आते होगे ना!
मैंने भाभी को बताया- मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
भाभी बोलीं- तुम इतने स्मार्ट हो … और तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, ऐसा तो हो ही नहीं सकता, क्या तुम्हें कोई नहीं मिली?
मैंने मजाक करते हुए भाभी से कहा- जिस दिन आप जैसी कोई खूबसूरत लड़की मिलेगी, तो उसे गर्लफ्रेंड बना लूंगा.
मेरी बात से भाभी थोड़ी शर्मा गईं और स्माइल करने लगीं.
मैं भाभी को थोड़ा और छेड़ने लगा.
भाभी ने फटाफट से बात का टॉपिक बदल दिया और मुझे दूसरी बात में उलझा दिया.
थोड़ी बहुत बातें करने के बाद हम जूस पीकर घर की तरफ रवाना हो गए.
घर पहुंच कर भाभी ने मुझे हेल्प करने के लिए धन्यवाद कहा.
मैंने भाभी को बोला- इसमें धन्यवाद वाली क्या बात है, आप हमारे पड़ोसी हो, अगर पड़ोसी ही पड़ोसी के काम नहीं आएगा … तो कौन आएगा.
भाभी ने मुझसे हंस कर बाय बोला और अन्दर चली गईं.
इस तरह अब भाभी को कुछ भी काम होता तो वो मुझसे सीधे ही बोल देतीं.
मैं भी भाभी से कुछ ज्यादा ही खुल गया था और उनके साथ मज़ाक मस्ती करने लगा था.
एक दिन रात को करीब 11:00 बजे अचानक दिव्या भाभी का फोन आया.
मैंने फोन उठाया तो भाभी ने बताया- घर पर लाइट नहीं आ रही है, मुझे अंधेरे में डर लग रहा है. तुम्हारे भैया भी घर पर नहीं है, उनकी हॉस्पिटल में नाइट शिफ्ट चल रही है. तुम जल्दी घर पर आ जाओ.
तो मैंने बोला- भाभी आप टेंशन मत करो … मैं आता हूँ.
घर पर सब लोग सो गए थे तो मैं घर को बाहर से लॉक करके उनके घर पर चला गया.
वहां पहुंच कर मैंने गेट खटखटाया तो दिव्या भाभी ने पूछा- कौन है?
मैंने कहा- मैं हूँ भाभी … शुभ.
फिर भाभी ने गेट खोला.
जैसे ही मैंने दिव्या भाभी को देखा, तो देखता ही रह गया.
उस वक्त दिव्या भाभी ने बहुत पतले से कपड़े की ब्लैक कलर की नाईटी पहनी हुई थी. जिसमें भाभी गजब की सेक्सी लग रही थीं.
मेरा मन तो कर रहा था कि भाभी को गेट पर ही पकड़ कर चूम लूं.
भाभी ने मुझे अन्दर आने को बोला तो मैं जल्दी से अन्दर चला गया.
अब भाभी ने बोला- शुभ अचानक से लाइट चल गई और मुझे बहुत डर लग रहा था, तो मैंने तुम्हें फोन कर दिया.
मैंने कहा- भाभी आप परेशान मत होइए … मैं अभी चैक करता हूँ कि क्या प्रॉब्लम है.
मैंने चैक किया तो पता चला एमसी बॉक्स में शॉर्ट सर्किट हो जाने के कारण से लाइट ऑफ हो गई थी.
भाभी ने पूछा- क्या हुआ शुभ?
मैंने भाभी को बताया कि भाभी एमसी बॉक्स में शॉर्ट सर्किट हो गया है, इस कारण लाइट ऑफ हो गई.
भाभी ने बोला- तो अब क्या करें!
मैंने कहा- भाभी अभी रात बहुत हो चुकी है, इस समय तो कोई इलेक्ट्रीशियन भी नहीं आएगा, रात को सब दुकानें बंद रहती हैं. मैं सुबह जल्दी किसी इलेक्ट्रीशियन को बुलवा कर लाइट ठीक करवा दूंगा.
फिर दिव्या भाभी ने बोला- शुभ अब इतने अंधेरे और गर्मी में मैं रात भर कैसे रहूँगी.
मैंने भाभी से कहा- आप यश को लेकर, हमारे घर पर चलो. आज रात वहां सो जाना.
इस बात पर भाभी ने मना कर दिया- नहीं शुभ, तुम लोगों को प्रॉब्लम होगी. सब लोग घर पर अच्छे से सो रहे हैं, उनकी नींद खराब होगी.
मेरे बार-बार कह़ने पर भी भाभी नहीं मानी और बोलीं- नहीं शुभ … मैं मैनेज कर लूंगी. तुम घर जाओ और सो जाओ मैंने पहले ही तुम्हें बहुत परेशान कर दिया.
जब भाभी नहीं मानी, तो मैंने भी भाभी को बोल दिया कि अगर आप दोनों नहीं चल रहे हैं … तो मैं भी कहीं नहीं जा रहा हूँ. मैं भी यहीं आप लोगों के साथ रहूँगा.
भाभी ने बहुत कहा मगर मैंने भी भाभी की एक नहीं सुनी.
तब भाभी ने बोला- अच्छा बाबा मत जाओ, पर यहां इतनी गर्मी में कैसे रहेंगे!
उसी वक्त मेरे दिमाग़ में एक विचार आया. मैंने भाभी से कहा- ऐसा करते हैं, बिस्तर छत पर ले जाकर छत पर सोते हैं. वहां अच्छी हवा चल रही होगी.
भाभी भी मेरी बात मान गईं.
अब मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था कि कुछ काम बन सकता है और आज भाभी की चूत चोदने को मिल सकती है.
हम दोनों ने जल्दी से छत पर बिस्तर बिछाए और यश को नीचे से उठा कर ऊपर छत पर लाकर सुलाया.
उस वक्त वो नींद में था. मैं उसे अपनी गोद में ले आया था.
फिर भाभी पानी की बोतल ले आईं और एक तरफ रख कर लेट गईं.
इस वक्त भाभी मेरे और उनके बेटे के बीच में सो रही थीं.
हम दोनों ने थोड़ी बहुत बात की. ठंडी हवा चल रही थी तो भाभी को नींद आने लगी. भाभी मेरी तरफ गांड करके सो गईं.
मैं सोचने लगा कि भाभी को कैसे चोदा जाए.
करीब 20 मिनट बाद मैंने नींद का नाटक करते हुए भाभी के बोबों पर हाथ रख दिया.
उस वक्त भाभी नीद में थीं और मैं भी नींद में होने का नाटक कर रहा था.
उनकी तरफ कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैं धीरे-धीरे नाइटी के ऊपर से भाभी के बोबे सहलाने लगा.
फिर धीरे से एक हाथ नाइटी के अन्दर डाल कर ब्रा के ऊपर से ही बोबे सहलाने लग गया.
उस वक्त मुझे डर भी लग रहा था पर भाभी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं होने से मेरा आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा था.
फिर मैंने भाभी की नाइटी को थोड़ा-थोड़ा करके पेट तक ऊपर कर दिया.
अब मुझे भाभी की चूत के दर्शन हो गए जो सफ़ेद पैंटी में कैद थी.
भाभी की चूत की लकीर पैंटी के ऊपर से साफ दिख रही थी.
मैंने एक पल सोचा कि भाभी ने अभी तक कुछ भी रिएक्ट नहीं किया है, इसका मतलब ये है कि भाभी जाग रही होंगी और मेरी हरकतों का मजा ले रही होंगी.
बस ये सोचते ही मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने धीरे से भाभी की पैंटी की इलास्टिक में उंगलियां फंसाईं और उसे चूत की साइड से नीचे को कर दिया.
भाभी ने अब भी कोई प्रतिक्रिया नहीं की तो मैंने दोनों हाथ से पैंटी को पकड़ कर उनकी गांड के नीचे से खींच कर बाहर निकाल दिया.
इतना सब होने पर भी भाभी ने कुछ नहीं कहा था.
मैंने पैंटी को सूंघा और साइड में रख दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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भाभी की चूत की लकीर पैंटी के ऊपर से साफ दिख रही थी.
मैंने एक पल सोचा कि भाभी ने अभी तक कुछ भी रिएक्ट नहीं किया है, इसका मतलब ये है कि भाभी जाग रही होंगी और मेरी हरकतों का मजा ले रही होंगी.
बस ये सोचते ही मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने धीरे से भाभी की पैंटी की इलास्टिक में उंगलियां फंसाईं और उसे चूत की साइड से नीचे को कर दिया.
भाभी ने अब भी कोई प्रतिक्रिया नहीं की तो मैंने दोनों हाथ से पैंटी को पकड़ कर उनकी गांड के नीचे से खींच कर बाहर निकाल दिया.
इतना सब होने पर भी भाभी ने कुछ नहीं कहा था.
मैंने पैंटी को सूंघा और साइड में रख दिया.
भाभी की पिंक कलर की चिकनी चूत मेरी आंखों के सामने थी. भाभी की चूत पर एक भी बाल नहीं था. शायद एकाध दिन पहले ही भाभी ने चूत साफ की होगी. इसलिए चूत पर झांट के बाल नहीं थे.
अब भाभी की चूत को देख कर मेरा बुरा हाल होता जा रहा था.
भाभी की चूत देखते ही मैं बेकाबू हो गया और उस वक्त मुझे पता नहीं क्या हुआ, मैं जल्दी से अपनी जीभ से भाभी की चूत को चाटने लगा.
मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था. मैं भाभी की चूत को भूखे शेर की तरह जल्दी-जल्दी चाटने लगा.
इससे भाभी की नींद एकदम से खुल गई और भाभी मुझ पर जोर से चिल्ला कर बोलीं- ये क्या कर रहे हो, तुम्हें ये सब करते हुए शर्म नहीं आती.
मैं घबरा गया और भाभी जल्दी अपनी नाइटी को नीचे करके चूत को ढकने लगीं.
उस वक्त मुझे भाभी की चूत के अलावा और कुछ नहीं दिख रहा था जिससे भाभी उस वक्त मुझसे जो भी बोल रही थीं, उसका मुझ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था.
उस वक्त मेरे ऊपर वासना का भूत सवार हो रहा था, इस कारण मैं फिर से भाभी की चूत को मसलने लगा.
कोई पांच मिनट बाद मैंने भाभी की टांगों को चौड़ा कर दिया और भाभी की गुलाबी चिकनी चूत को जोर-जोर से चाटने लगा.
भाभी का विरोध दबने लगा था. मैं उस समय बहुत जल्दी भाभी की चूत को चाट रहा था और चूत में अन्दर बाहर उंगली भी कर रहा था.
इससे थोड़ी ही देर में भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया और चूत गीली हो गई. भाभी भी एकदम शांत हो गई थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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अब भाभी मेरा विरोध भी नहीं कर रही थीं और बिना कुछ बोले चुपचाप लेटी हुई थीं. मुझे समझ में आ गया था कि भाभी को अब मजा आने लगा है.
कुछ देर बाद मैंने भाभी के होंठों को अपने होंठों से दबा लिया और किस करने लगा.
मैं अपनी जीभ से उनके पूरे चेहरे को चाटने चूमने लगा.
एक दो पल बाद भाभी भी मेरा साथ देने लगी थीं और मुझे चूम रही थीं.
थोड़ी देर बाद जब मैं भाभी की नाइटी खोलने लगा … तो भाभी मना करने लगीं कि यहां नहीं … नीचे चलते हैं वरना यश बेटा जग जाएगा तो गड़बड़ हो जाएगी.
मैंने अपनी गोद में भाभी को उठा लिया और नीचे उनके बेडरूम में लाकर लाकर बेड पर पटक दिया.
मुझसे रहा नहीं जा रहा था, तो मैंने भाभी की नाइटी को ऊपर से पकड़ कर पूरा फाड़ दिया और ब्रा को भी एक ही बार में खींच कर हटा दिया.
मैंने भाभी को पूरी तरह नंगी कर दिया था.
अब भाभी ऊपर से नीचे तक एकदम नंगी हो चुकी थीं और मैं उनकी मदमस्त जवानी को आंखों से चोदने लगा था.
भाभी ने शर्मा कर अपनी टांगों को भींचा और चुत दबा ली.
मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और उनके बोबों को जोर जोर से निचोड़ने लगा और पीने लगा.
उस वक्त भाभी को मीठा दर्द भी हो रहा था.
तो भाभी हौले हौले से कराह रही थीं- आंहा … आह … हाआ जरा धीरे मसलो न कबसे तेरा इंतजार कर रही थी … आह … शुभ पी लो मेरे दूध चूस लो!
मैंने कहा- भाभी आपने इशारा तो दिया होता … अब तक तो न जाने कितनी बार चुदाई कर चुका होता.
भाभी- इसीलिए तो आज बुलाया था.
मैं समझ गया कि भाभी ने खुद ही बिजली खराब करने की कोशिश की है. मगर वो कुछ ज्यादा ही खराब हो गई है.
भाभी बोलीं- अब देर मत करो … जल्दी से मुझे चोद दो.
इसके बाद मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और अपना लंड भाभी के मुँह के सामने ले गया और भाभी के मुँह में डालने लगा.
भाभी मना करने लगीं- प्लीज़ मुझे ये मुँह में नहीं लेना. मैंने पहले कभी मुँह में नहीं लिया और तुम्हारा ये बहुत बड़ा भी है.
पर मैंने भाभी की एक ना सुनी और लंड जबरदस्ती भाभी मुँह में ठूंस दिया- भाभी एक बार चूस कर तो देखो … मजा न आए तो कहना.
भाभी कुछ जवाब देतीं, इससे पहले मैंने भाभी के बालों को पकड़ा और उनके मुँह को चोदने में लग गया.
लंड को जोर-जोर से उनके मुँह में आगे पीछे करने लगा, मेरा लंड उनके गले तक जा रहा था.
हालांकि इससे भाभी को तकलीफ़ हो रही थी और उन्हें थोड़ी खांसी आने लगी. साथ ही भाभी की आंखों से आंसू आने लगे.
तो मैं थोड़ा रुक गया और लंड को भाभी के मुँह से निकाल दिया.
भाभी मुझे गालियां देने लगीं- कुते हरामजादे … मादरचोद … मैं भी इंसान हूँ कोई रंडी नहीं हूँ.
भाभी के मुँह से गालियां सुनने से मुझे मजा आ गया और मैं भी भाभी को गालियां देने लगा- साली बहन की लौड़ी रंडी … तेरी मां की चुत … छिनाल … इतनी देर से नाटक कर रही थी. अब आई न लौड़े की लाइन पर.
फिर मैंने भाभी को मेरी गोद में उल्टा पटका और भाभी की गांड पर 8-10 थप्पड़ मार-मार कर उनकी गांड को लाल कर दिया.
भाभी इस वक्त मस्त थीं और ‘आह … आह … आह …’ की मादक आवाजें निकाले जा रही थीं.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी को बेड पर उल्टा पटक कर घोड़ी बना दिया और लंड को भाभी की चुत में सैट करके जोर से धक्का लगा दिया.
भाभी की चुत पहले ही रस निकलने की वजह से पूरी गीली हो चुकी थी तो मेरा लंड एक बार में ही पूरा अन्दर घुस गया और इसी के साथ भाभी की जोरदार चीख निकल गई.
शायद भैया का लौड़ा मेरे लौड़े से छोटा होगा, तभी भाभी को मेरे लौड़े के प्रहार से इतना दर्द हो रहा था.
परंतु मैं नहीं रुका और लगातार जोर-जोर से भाभी की चुत में लंड को पेलते जा रहा था.
भाभी को थोड़ी देर दर्द हुआ … मगर बाद में भाभी का दर्द मजे में बदल गया और भाभी को भी मज़ा आने लगा.
अब भाभी भी अपनी गांड आगे-पीछे कर रही थीं और सेक्सी आवाजें निकाल रही थीं- आह शुभ मजा आ गया … आह चोद माँ के लौड़े … आह और जोर से चोद भोसड़ी वाले … उन्हा मुहाआ!
लगातार दस मिनट तक ताबड़तोड़ चुदाई करने के बाद भाभी ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और थोड़ी देर बाद भाभी झड़ गईं.
भाभी की चुत का गर्म लावा मेरे लंड को स्पर्श हुआ … जिससे लंड फच फच की आवाज करते हुए अन्दर बाहर होने लगा.
अभी मेरा रस नहीं निकला था तो मैं लगातार धक्के मार रहा था.
कोई 5-7 मिनट तक भाभी की चुत चोदने के बाद मेरा भी वीर्य निकलने वाला हो गया था.
इससे पहले मैं झड़ता कि भाभी ने बोल दिया- रस अन्दर मत छोड़ना.
मैंने लंड को निकाल कर जल्दी से भाभी के मुँह के सामने कर दिया.
मैं लंड भाभी के मुँह में डालने लगा पर भाभी ने मुँह नहीं खोला.
इससे मेरा सारा लावा भाभी के चेहरे पर, बोबों पर और पेट पर जा गिरा.
मैं निढाल होकर भाभी के साइड में गिर गया.
इस वक्त हम दोनों पसीने में तरबतर हो गए थे.
यूं ही कुछ मिनट लेटे रहने के बाद भाभी बाथरूम में नहाने चली चली गईं … तो मैं भी भाभी के पीछे से बाथरूम में घुस गया.
मैंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और भाभी की गर्दन पर किस करने लगा.
मैं बोला- भाभी एक बार और हो जाए.
मगर भाभी मना करने लगीं, बोलीं- मुझे गर्मी लग रही है, अब रहने दो मुझे नहा लेने दो.
पर मैं कहां मानने वाला था, मैंने बाथरूम का शावर चालू कर दिया और शावर के नीचे भाभी को पटक दिया. उनकी दोनों टांगों को चौड़ा करके लंड को चुत के छेद पर रख कर तेज़ी से लंड को घुसेड़ दिया.
भाभी की एक आह निकली और मैं भाभी को चोदने लगा.
अब भाभी फिर से आहें भरने लगीं- आआह … आआ शुभ और तेज पेलो … आहह … उउऊह..
भाभी की सेक्सी आवाजों से मुझे और नशा चढ़ता जा रहा था और मैं लगातार धकापेल उन्हें चोदता जा रहा था.
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए.
जैसे ही भाभी को पता चला कि मैं उनकी चुत में झड़ गया तो भाभी मुझसे लड़ने लगीं और गालियां देने लगीं- बहन के लौड़े, हरामजादे, मादरचोद अन्दर क्यों झड़ा. मैंने मना किया था ना!
मैंने बोला- साली बहन की लौड़ी रंडी … मुझे पता ही नहीं चला कि मेरा रस कब निकल गया.
उसके बाद भाभी टांगें चौड़ी करके नीचे बैठ कर मूतने लगीं.
उन्होंने अपनी उंगली चुत में डालकर मेरे लंड रस को निकाला और मूत से चुत को साफ़ किया ताकि मेरे वीर्य से कुछ गड़बड़ न जाए.
हालांकि इस तरह से गर्भ नहीं ठहरने की गारंटी तो नहीं होती, तब भी काफी हद तक वीर्य का असर खत्म हो जाता है.
फिर हम दोनों एक साथ बाथरूम में शावर के नीचे नहाने लगे.
मैं नहा कर बाथरूम से बाहर आया और कपड़े पहन कर छत पर जाकर लेट गया. नीचे गर्मी बहुत ज्यादा लग रही थी.
थोड़ी देर बाद भाभी भी नहाकर नई सफ़ेद नाईटी पहन कर छत पर आ गईं और मेरे बगल में आकर सो गईं.
भाभी व्हाइट कलर की नाईटी में और भी हॉट लग रही थीं और भाभी को देख कर मेरा फिर से मूड बनने लगा था.
मैं भाभी की कमर में हाथ डालने लगा तो भाभी मना करने लगीं- अब नहीं शुभ … मुझे नींद आ रही है.
पर मैं उनकी कहां मानने वाला था … मैं वापस से भाभी के ऊपर चढ़ गया. भाभी के मुँह पर किस करने लगा और बोबों को मसलने लगा.
भाभी मेरा विरोध करने लगी थीं तो मेरा दिमाग़ खराब हो गया.
मैंने बोला- रंडी चुपचाप चोद लेने दे … वरना अभी ये नाइटी भी फाड़ दूंगा.
भाभी चुप हो गई और मुझे चूमने लगीं.
मैंने भाभी की नाइटी को कमर तक उटा दिया.
भाभी ने नीचे पैंटी नहीं पहन रखी थी.
मैंने भाभी को पेट के बल उल्टा लेटा दिया और उनकी गांड चाटने लगा, गांड चटवाने में भाभी को बहुत मजा आ रहा था.
भाभी ने इससे पहले कभी गांड नहीं चटवाई थी.
एक मिनट से भी कम समय में भाभी जोर जोर से आहें भर रही थीं- आह शुभ यू आर सो गुड … आह … आह.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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मैं घोड़ा बन गया, भाभी मेरे पीछे आयी मेरे पुट्ठों को किसी चूचे की तरह दबाने लगी और वह मेरे लंड को गाय के थन की तरह दुहने लगी.
साथ ही मेरे कूल्हे पर पहले तो उसने दांत से काटा, फिर कूल्हों को फैला कर जीभ को गांड छिद्र के अन्दर डालने लगी.
जीभ के नहीं जाने पर अपनी जीभ की नोक से बार-बार गांड के छेद को कुरेदने लगी और चाटने लगी.
अब सिसियाने की बारी मेरी थी.
अपनी गांड चटवाना मेरे जीवन का पहला अहसास था.
वह मेरे आंडों को अपने मुँह में भरने का भरसक प्रयास कर रही थी.
मुझे बहुत मजा आने लगा था और मेरे लंड का जोश दुगुना हो गया था.
फिर भाभी मेरी टांगों के गैप के बीच में घुस गयी और मेरे लंड को चाटने लगी.
तनाव के मारे लंड फटा जा रहा था.
आह आह करते हुए मैंने भाभी से कहा- भाभी, मेरा लंड फटा जा रहा है. इसमें से सब माल निकल जाएगा और तुम्हारे मुँह को भर देगा!
‘तो क्या हुआ, तेरे लंड का पानी ही तो मुझे पीना है!’
‘आह … नहीं भाभी, पहले मैं तुम्हारी चूत चोदूँगा … उसके बाद तुम मेरा पानी पी लेना!’
यह कहते हुए मैंने तुरन्त अपनी पोजीशन बदली और भाभी को पलंग पर सीधा लेटाकर उसके नीचे आ गया.
फिर उसकी चूत को जरा सा चाटकर लंड को अन्दर धकेल दिया.
भाभी की चूत के गीले होने के कारण सटाक की आवाज के साथ लंड चूत में पेवस्त हो गया.
तभी भाभी की कराह निकली- आह मर गई!
मैं भाभी के ऊपर लेट गया और उसके होंठों को चूसने लगा.
इधर भाभी ने अपनी गांड उठाकर मुझे चूत चोदने का इशारा कर दिया.
बस फिर क्या … धक्के पर धक्के शुरू हो गए … थप-थप की आवाज कानों में पड़ने लगी.
भाभी बोली- और जोर से … आह और जोर से … बड़ा मजा आ रहा है. तेरा लंड मेरी बच्चेदानी में टकरा रहा है.
आह ऊऊ की आवाज के साथ वह मेरा जोश बढ़ा रही थी.
कोई तीन मिनट बाद ही भाभी बोली- देवर जी मैं झड़ रही हूँ!
इतना कहने के साथ ही उसका रज मेरे लंड से लगने लगा.
लेकिन मेरे लंड का जोश कम नहीं हो रहा था.
‘शाबाश मेरे देवर शाबाश, आज दिखा दे अपनी भाभी को कि एक ही बार में तुम अपनी भाभी की चूत का कितनी बार पानी निकालते हो!’
उसकी इस तरह की बातों से मेरा जोश बढ़ता ही जा रहा था.
मेरी स्पीड मानो राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन की तरह हो चुकी थी.
‘आह चोद मादरचोद चोद … अपनी भाभी को … हो गयी आज से तेरी रखैल … आह चोद भोसड़ी वाले … अपनी भाभी की चूत का भोसड़ा बना दे.’
पता नहीं क्या क्या उलजुलूल बोले जा रही थी.
जितना वह बोलती जाती, उतना मेरा जोश बढ़ता ही जाता.
बीस मिनट तक मैं लगातार भाभी को चोदता रहा.
भाभी की चूत का पानी 2-3 बार तो निकल ही चुका था.
अब मेरी बारी थी.
मैंने तुरन्त 69 की पोजीशन में आकर अपना लंड भाभी के मुँह में दे दिया और उसकी चूत से निकलता हुआ रस मैं चाटने लगा.
भाभी ने अपनी जीभ को लंड के सुपारे में चलाते हुए ही लंड को अपने मुँह के अन्दर ले लिया.
जैसे ही उसके मुँह के अन्दर लंड गया, मेरा वीर्य छूटने लगा.
वह गूँ गूँ करने लगी लेकिन वीर्य का एक-एक बूँद चूस गयी.
उसके बाद भी वह लंड को चूसती रही.
फिर चट की एक आवाज मेरी चूतड़ से आयी और साथ में भाभी की आवाज गाली के साथ आई.
‘भोसड़ी वाले, बता तो दिया होता कि तू अपना वीर्य मेरे मुँह के अन्दर डालने वाला है!’
उसकी बात सुनकर मैंने कहा- थोड़ी देर पहले तो तुम मेरा पानी पीने वाली थी न!
यह कहते हुए मैं झट से भाभी के बगल में आया और उसको मुँह खोलने को कहा.
‘अब क्या करेगा?’ यह कहते हुए उसने अपना मुँह खोल दिया.
मैंने तुरन्त ही अपना थोड़ा सा थूक उसके मुँह में डाला और गटकने के लिए बोला.
मेरे थूक को गटकने के बाद वह मेरी तरफ सवालिया नजरों से देखने लगी.
मैं समझ गया और मैंने उससे कहा- तुमने ही तो कहा था कि सेक्स कहानी जैसा मजा चाहिए!
‘हम्म …’ कहती हुई उसने मेरे मुँह को खोला और मेरे मुँह के अन्दर अपने थूक को डाल दिया.
फिर घुटने के बल बैठते हुए उसने मेरे एक हाथ को अपनी चूत के ऊपर रखा और दूसरे हाथ को अपनी चूची के ऊपर रख दिया.
मेरी एक उंगली भाभी की चूत के अन्दर और बाकी की बाहर चूत के चारों तरफ चलने लगीं.
मेरा दूसरा हाथ उसकी चूची को हौले से सहलाने लगा.
हम दोनों के बीच एक खामोशी सी छा गयी.
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मैंने हाथ पकड़ते हुए कहा- मुझे छोड़कर कहां जा रही हो?’
‘मूतने …’
उसके मुँह से मूतना शब्द सुनकर मुझे इतना अच्छा लगा कि एक बार मैंने बड़ी मासूमियत से फिर से पूछा- भाभी फिर से बोलो, कहां जा रही हो?
‘ओह-हो …’
वह मेरे गाल को चिकोटी काटती हुई बोली- बहुत मासूम बन रहे हो … बोली तो हूँ … मूतने जा रही हूँ.
मैंने भाभी की कमर पर अपनी बांहों का घेरा बनाया और चूतड़ों को सहलाते हुए बोला- भाभी कहां?
‘मूतने बाबा मूतने. चल अब जल्दी से छोड़ मुझे … नहीं तो मेरी मूत यहीं निकल जाएगी!’
अभी भी मैंने उसको अपनी बांहों की गिरफ्त से आजाद नहीं किया था.
‘तुम्हारी मूत कहां से निकलती है. यहीं चूत से न?’
वह हंसने लगी.
मैंने चूत के अन्दर उंगली करते हुए कहा- यहां से!
वह बोली- नहीं …!
फिर मेरा हाथ पकड़ती हुई बोली- चल दिखाती हूं कि कहां से मूत निकलती है!
यह कहकर उसने मेरी कलाई पकड़ी और मुझे बाथरूम के अन्दर ले गयी.
उधर उसने अपनी चूत की फांकों को फैलाया और अपनी चुत के सुसू वाले छेद को दिखाती हुई बोली- देख यहां से धार निकलती है!
मैं उसकी चुत के उसी छेद पर उंगली चलाने के साथ आगे आ गया और अपनी जीभ चलाने लगा.
वह मुझको हल्का सा धक्का देती हुई बोली- परे हट, नहीं तो तेरे ऊपर पेशाब की छींटे पड़ जाएंगे … बहुत तेज से आ रही है!
इतना कहकर भाभी बैठने लगी.
‘नहीं भाभी खड़े होकर मूतो, मुझे तुम्हें मूतती हुई देखना है!’
‘ठीक है, पर समझ ले मेरी पेशाब की छींटे तेरे मुँह पर पड़ेंगे!’
‘कोई बात नहीं भाभी, तुम मूतो. जब तुम्हारी गांड चाट सकता हूँ तो तुम्हारी मूत को तो पानी समझकर पी जाऊंगा!’
‘बहुत बड़े कुत्ते हो तुम!’
यह कहकर वह पीछे की तरफ हुई और मुझसे बोली- चल अब घुटने के बल बैठ जा!
मैंने उसके कहे अनुसार किया.
भाभी ने अपनी टांग को मेरे कंधे में फंसाया और बोली- चल अब जल्दी से अपना मुँह खोल.
इस तरह उसकी चूत मेरी तरफ उठ गयी थी.
उसने अपनी चूत की दोनों फांकों को अपने दोनों हाथों से खोला और मूतना शुरू कर दिया.
उसकी मूत की धार सीधी मेरे मुँह के अन्दर गिरने लगी.
‘ले पी … भोसड़ी के!’
मैं भी उसकी बुर से निकलती हुई मूत को गटकने लगा.
वह बहुत सारा मूती, मैं भी गटकता गया.
मैं नहीं चाहता था कि उसको कोई कमी मिले.
मूतने के बाद भाभी बोली- वाह देवर जी, जो मैं चाहती थी, उसका सुख आपने मुझे दिया. आज से मैं तुम्हारी गुलाम! अपने खसम से चुदूँ य न चुदूँ … लेकिन तू जब चाहेगा, मेरी चूत और गरम गांड की गुफा हमेशा तेरे लौड़े के लिए खुली रहेगी. आई लव गांड सेक्स!
इतना कहने के बाद वह बाथरूम से बाहर आने लगी.
मैंने उसको पीछे से पकड़कर उसकी उंगली पकड़ी और उसकी चूत पर उसी की उंगली को रगड़कर और फिर उसके मुँह में ही वही उंगली डाल दी.
मैं उससे बोला- भाभी, अब मुझे भी मुत्ती आ रही है!
‘ओह हो, तो मेरे प्यारे देवर को भी मुत्ती आ रही है!’
यह कहती हुई वह मेरे लंड को पकड़कर बोली- चल फिर तू भी मूत ले!
यह कहकर भाभी घूमी और उसने अपने बालों का जूड़ा बना कर बांधा और घुटनों के बल बैठकर मेरे लौड़े पर अपनी जीभ चलाने लगी.
‘भाभी तैयार हो, मेरी मूत निकलने वाली है?’
मेरी गांड में चपत लगाती हुई भाभी बोली- चल मूत पगले!
मैं धीरे-धीरे अपनी मूत की धार उसके मुँह के अन्दर छोड़ने लगा था और वह बड़े प्यार से उसको पिए जा रही थी.
कुछ देर के बाद वह खड़ी हुई और बड़े ही नाजुक तरीके से उसने अपने होंठों को मेरे होंठों से मिलाते हुए चूमा.
फिर मेरे होंठों पर अपनी जीभ फिराने लगी और अपनी जीभ को मेरे मुँह के अन्दर डाल दी.
मैंने भी उसकी जीभ को आइसक्रीम की तरह चूसना शुरू कर दिया.
कभी मेरी जीभ भाभी के मुँह में तो कभी उसकी जीभ मेरे मुँह में चलने लगी.
हम दोनों बस पागलों की तरह चूसे जा रहे थे.
मेरे हाथ उसकी चूचियों को दबाये जा रहे थे और मेरी छाती के निप्पल को वह मरोड़ने के साथ मेरे निप्पल को चूसती जा रही थी.
वह मेरी नाभि पर अपनी जीभ चलाने लगी और झुककर वह मेरे लंड को अपने मुँह में भरकर चूसने लगी.
फिर वह मेरे पीछे आयी और मेरी छातियों के दोनों निप्पलों को भींचने लगी.
मेरे दोनों कूल्हों को दबाती हुई मेरे गांड के छिद्र पर अपनी जीभ घुसेड़ कर गांड को चाटने लगी.
‘आह-ओह …’ की सिसकारियां मेरे मुँह से निकली जा रही थीं.
मैं भी कहां पीछे रहने वाला था.
मैं उसके बालों को अपने हाथों में लेकर लंड को उसके मुँह में पेल कर मुँह को ही चोदने लगा.
उसकी खूँ-खूँ की आवाज निकलने लगी.
अब भाभी अपने आप को मुझसे छुड़वाने लगी.
मजबूरी में मुझे लंड को बाहर करना पड़ा क्योंकि मेरे लंड पर भाभी अपने दाँत गड़ाने लगी थी.
जैसे ही मैंने लंड को उसके मुँह से बाहर निकाला, खड़ी होकर उसने मेरे दोनों गालों पर दोनों हाथों से जोर के तमाचे मार दिए.
वह गुर्राती हुई बोली- भोसड़ी के … अभी तू तो मेरी जान ही निकाल लेता!
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भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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तेरा लंड चूत के अन्दर जाने को फड़फड़ा रहा है. पहले अपने लंड को मेरी चूत में डालो और इसकी प्यास बुझाओ.
मैं भाभी की बात सुनकर उनके ऊपर से उतरकर उसकी टांगों के बीच आ गया, इधर भाभी ने भी अपनी टांगें फैला दीं.
अपने लंड को भाभी की चूत के पास ले जाकर मैंने धक्का दे दिया.
घप्प की आवाज के साथ लंड चूत के अन्दर चला गया.
भाभी के मम्मे को दबाने के साथ ही मैंने चुदाई की रफ्तार को बढ़ा दिया.
फक-फक, घप्प-घप्प की आवाज के साथ चुदाई शुरू हो चुकी थी.
मस्ती से आहें भरती हुई भाभी बोली- ऐसे ही चोद अपनी भाभी को मेरे राजा … तू तो बढ़िया से चूत चोद लेता है और तेज अपना लंड चला, मेरा पानी निकलने वाला है … आह-आह, ओह-ओह, मजा आ गया … बहुत बढ़िया. मेरी चूत हमेशा तेरे लंड को याद रखेगी.
भाभी की चूत का पानी मेरे लंड पर लग रहा था, तो अपने आपको थोड़ा रोक लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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