03-11-2024, 02:41 PM
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रश्मि सिंह (प्रोटागोनिस्ट)
उम्र: 23 वर्ष
भूमिका: राष्ट्रीय जांच विंग (NIW) की भारतीय जासूस
शारीरिक लक्षण: रश्मि सिंह की ऊंचाई 5'8'' है और उसका वजन लगभग 57 किलो है। उसका शरीर एक आदर्श संतुलन और फिटनेस का प्रतीक है। हर मांसपेशी में आत्मसंयम और मेहनत का स्पष्ट चित्रण है। उसकी शारीरिक संरचना 34-26-34 के अनुपात में है, जो उसकी कठोर मेहनत और जिम में बिताए गए घंटों की कहानी बयां करती है। उसकी लंबी, सुंदर टांगें और सुडौल कूल्हे, उसकी फिटनेस के सबूत हैं।
पृष्ठभूमि: रश्मि के माता-पिता का जब वह केवल 12 साल की थी, गैंगस्टरों ने मर्डर कर दिया था। इसके बाद, उसे अपने पिता के दोस्त के घर पली-बढ़ी, जो अब NIW के प्रमुख हैं।
शिक्षा: पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातक और मास्टर डिग्री।
व्यक्तित्व: रश्मि एक मजबूत, स्वतंत्र, और भावनात्मक रूप से जटिल महिला है। वह उच्च दबाव में काम करती है, और आइशा के साथ उसकी गहरी भावनात्मक संबंध हैं।
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शाम का समय था, और सूर्य की किरणें धीरे-धीरे क्षितिज में समा रही थीं। रश्मि सिंह आईने के सामने खड़ी थी, अपने बालों की लटों को सलीके से सँवारते हुए। उसके चेहरे पर एक आत्मविश्वास था, जो हर कदम पर महसूस हो रहा था। उसकी आँखों में एक असामान्य चमक थी, जैसे वह केवल अपनी उपस्थिति को नहीं, बल्कि अपने आत्मविश्वास को भी संजो रही हो।
उसके बाल हल्के कर्ल में थे, जो उसकी गर्दन के ऊपर गिर रहे थे, जैसे वो एक चित्र का हिस्सा हों। उसकी छोटी-सी बिंदी और चमकीली ज्वेलरी ने उसकी सुंदरता को और निखार दिया था, जैसे वह एक पूर्ण रूप में बसी हो।
रश्मि ने शानदार बेज और गोल्डन रंग का लहंगा पहना था, जिसमें नाजुक एम्ब्रॉयडरी की गई थी। लहंगे की कढ़ाई ने उसकी सुंदरता और भी उभार दी थी, मानो वह खुद को किसी नई पहचान में देख रही हो। उसकी शारीरिक संरचना ने इस पोशाक को और भी प्रभावशाली बना दिया था।
रश्मि का कद 5'8" था और शारीरिक माप 36-28-36 थे। उसकी खूबसूरत और सुडौल काया के हर हिस्से में कड़ी मेहनत और आत्मसंयम की छाप थी। उसके लंबी और सुडौल टांगें उसकी चाल में एक आकर्षक लय और संतुलन भर देती थीं।
कमरे की हल्की रोशनी में उसकी त्वचा एक अद्वितीय चमक बिखेर रही थी, जैसे वह किसी परी की तरह खड़ी हो। उसकी मुस्कान में एक गहरी संतुष्टि थी, जैसे वह अपनी बाहरी और आंतरिक सुंदरता को पूरी तरह से महसूस कर रही हो।
"आज का दिन खास है," उसने मन ही मन सोचा, और अपनी मुस्कान को और भी गहरा कर दिया। यह सिर्फ बाहरी तैयारी नहीं थी, बल्कि अपने भीतर के आत्मविश्वास को खोजने का एक प्रयास था। "ओफ्फो! मैं लेट हो रही हूँ, मुझे साफिया को भी पिक करना है," उसने खुद से कहा।
साफिया खान, रश्मि की सबसे पहली और प्रिय दोस्त थी। उसके बिना दिन अधूरा सा लगता था। रश्मि ने एक आखिरी बार आईने में खुद को देखा, फिर अपनी कार की चाबी उठाई और साफिया के घर की ओर बढ़ चली।
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घर की ओर:
रश्मि अपनी कार से साफिया के घर पहुंची। दरवाजे पर दस्तक देते ही सामने अमीना आंटी खड़ी थीं। हल्के गुलाबी सलवार-कुर्ते में लिपटीं, उनके चेहरे पर एक खास चमक थी। उम्र के साथ आई गहराई और गरिमा उनकी सुंदरता को और भी निखार रही थी। उनकी गोरी, मुलायम त्वचा में हल्की सुनहरी आभा थी, जो मानो हर पल उनके सौंदर्य को और बढ़ा रही थी। उनकी बड़ी, दयालु आँखों में एक अद्भुत आकर्षण था, मानो उन्होंने जीवन की कठिनाइयों को आत्मसात कर एक विशेष नज़ाकत में बदल दिया हो। अमीना आंटी का शरीर एक संतुलन में था—चौड़े कंधे और मजबूत छाती उनके आत्मविश्वास का प्रतीक थे। उनकी हल्की मुस्कान हमेशा उनके होंठों पर ठहरी रहती थी, जो उनके शांत, आत्मीय व्यक्तित्व को उजागर कर रही थी।
“रश्मि बेटा, तुम कितनी प्यारी लग रही हो आज!” अमीना ने मुस्कुराते हुए कहा।
रश्मि ने आंटी को दुआ में सिर झुका कर प्रणाम किया और कहा: "आइशा कॉलेज चली गई है?"
"हाँ, वो लोग तो तैयारी करने सुबह से चले गये हैं।" अमीना आंटी ने तुरंत जवाब दिया।
"और अहमद?" रश्मि ने उत्सुकता से पूछा।
अमीना ने हल्की हंसी में कहा, "पड़ा होगा वहीं कहीं मस्जिद के पास अपने दोस्तों के साथ, और क्या काम है उसका?"
रश्मि ने सिर हिलाते हुए कहा, "सच में, वो तो बस वहीं रहता है। कभी पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता।"
कुछ देर बाद, साफिया दरवाजे से बाहर आई। उसने काले रंग का बुर्का पहन रखा था। साफिया, रश्मि की बचपन की दोस्त थी, और दोनों ने BJMC और MJMC साथ ही किए थे। संघर्षों के बावजूद, साफिया ने खुद को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाया था। उसकी अंतर्मुखी और शांत स्वभाव की छवि उसके आत्मविश्वास में झलकती थी, जो उसकी सादगी को और बढ़ा देती थी।
रश्मि ने थोड़े गुस्से से कहा, "आंटी, आज भी?"
अमीना ने जवाब दिया, "मैंने कुछ नहीं कहा है, वो अपनी मर्जी से पहनी है।"
रश्मि ने कुछ नहीं कहा और साफिया के साथ बाहर आ गई।
जब वे कार में बैठ गईं, तो रश्मि ने चुटकी लेते हुए कहा, "तू नहीं छुप सकती साफिया, तेरी खूबसूरती के ये बड़े बड़े उभार, ये ऊपर जो दिख रहे हैं, वैसे ही झलकते हैं। इसे उतार दे, आज हम सब दोस्त हैं।"
साफिया थोड़ी मुस्कुराई और रश्मि की बात मानकर बुर्का हटा दिया। हल्का नीला और सफेद कुर्ता उसकी गोरी, मुलायम त्वचा को और निखार रहा था। साफिया की ऊंचाई लगभग 5'5" (165 सेमी) थी, और उसकी शारीरिक माप 34-30-34 (चेस्ट-फेस-हिप) थी। कुर्ते के नीचे, उसका सुडौल शरीर और बेलनाकार कूल्हे, उसके आत्मविश्वास का प्रमाण बन गए थे। उसकी आँखों में चमक और मुस्कान में एक खास आकर्षण था, जो उसे और भी सुंदर बना रहा था।
रश्मि ने कहा, "देख, अब तू कितनी सही लग रही है, वाह! क्यों न इसे हमेशा के लिए छोड़ दे? तेरा ये लुक तो सच में सबको आकर्षित करता है।"
साफिया ने हल्की मुस्कान के साथ सिर झुकाया, और रश्मि की बातों में कुछ सच्चाई महसूस की।
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साफिया का संघर्ष:
साफिया खान, 21 वर्ष की उम्र में, अपने जीवन के सबसे मुश्किल वक्त से गुजर रही थी। जब वह केवल 15 साल की थी, तब उसके अब्बू अचानक सबको छोड़कर चले गए। उस दिन का शून्य आज भी उसके दिल में एक ठंडी परछाई की तरह था। उसके अब्बू का बिना कुछ बताए घर छोड़ जाना, साफिया के लिए एक ऐसे खालीपन का कारण बन गया था, जिसे भर पाना असंभव सा लगता था। उसकी माँ, अमीना, अकेले अपने तीन बच्चों की परवरिश कर रही थीं। घर की स्थितियों ने साफिया को एक बड़ी जिम्मेदारी का अहसास दिलाया था, और इसी कारण वह अक्सर अपनी दुनिया से ही कट गई थी। उसकी आंखों में कई बार गहरे दर्द और चुप्प की छाया होती थी, जैसे वह किसी विशाल शून्य में खो जाने का डर रखती हो।
कॉलेज के समय में एक दिन, रश्मि और साफिया एक पार्क में बैठकर बातें कर रही थीं। सूरज की हल्की किरणें पत्तियों से छनकर उनके चेहरे पर पड़ रही थीं। रश्मि ने साफिया से उसके अब्बू के बारे में पूछा, “क्या हुआ तुम्हारे अब्बू को?”
साफिया ने हल्का सा मुँह चिढ़ाते हुए कहा, “पता नहीं यार, हमें छोड़कर कहीं चले गए हैं। उस दिन के बाद सब कुछ बदल गया है। अब तो हमें कुछ समझ ही नहीं आ रहा, क्या करेंगे, कैसे रहेंगे…” उसकी आवाज़ में गुस्सा और दर्द था, जैसे कुछ चीज़ें बर्दाश्त नहीं हो रही थीं। वह उन शब्दों के साथ बहुत सारी चुप्पी को समेटे हुए थी, जो उसे अंदर से खा रही थी।
रश्मि ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “तुम रो सकती हो, कोई बात नहीं। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।” उसकी बातों ने साफिया का दिल हल्का किया, और उसे लगा कि वह अकेले नहीं है।
साफिया की आँखों में आंसू थे, लेकिन वह अपनी भावनाओं को छुपाने की कोशिश कर रही थी। धीरे से बोली, “अम्मी इतनी मेहनत कर रही हैं, और मुझे लगता है मैं कुछ भी नहीं कर पा रही।"
रश्मि ने उसकी आँखों में गहरी नज़र डालते हुए कहा, “तुम्हारी अम्मी को तुम पर बहुत गर्व होगा। तुम बहुत मजबूत हो, और ये सब भी सही हो जाएगा, बस वक्त की बात है।” रश्मि की बातों में वह ताकत थी, जो साफिया को खुद पर विश्वास दिला देती थी। वह जानती थी कि सच्ची दोस्ती का मतलब कभी हार मानना नहीं होता।
कुछ दिन बाद, जब साफिया को पैसों की तंगी का सामना करना पड़ा, तो रश्मि ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी बचत से पैसे दिए। साफिया ने हैरानी से देखा और बोली, “तुम्हें मेरी मदद नहीं करनी चाहिए थी।” उसकी आंखों में एक सवाल था, क्या सच में रश्मि उसे इस हद तक अपना समझती थी?
रश्मि मुस्कुराते हुए बोली, “यार, तुम मेरे लिए सब कुछ हो। तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो, और मैं तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ूँगी। मुझे खुशी है कि मैं तुम्हारी मदद कर पाई।” रश्मि की इन बातों में एक गहरी सच्चाई थी, जो साफिया के दिल को छू गई।
साफिया ने रश्मि की बातें सुनकर सोचा, कि दूसरों से मदद लेना कोई कमजोरी नहीं होती। उसने महसूस किया कि उसकी दोस्ती ने उसे एक नई ताकत दी थी, और अब वह खुद को और भी मजबूत महसूस करने लगी थी। वह समझ गई कि रश्मि के बिना उसकी दुनिया कुछ अधूरी सी है। जब भी उसे किसी चीज़ की ज़रूरत होती, रश्मि बिना किसी हिचकिचाहट के उसकी मदद करती, और यह भरोसा साफिया के लिए एक अनमोल तोहफा था।
इस तरह, उनकी दोस्ती और भी गहरी होती चली गई, और हर मुश्किल ने उन्हें और भी करीब ला दिया। दोनों की ज़िन्दगी में एक-दूसरे का साथ न केवल सहारा था, बल्कि यह एक नई उम्मीद भी बन गई थी, कि मुश्किलें चाहे जैसी भी हों, दोस्ती का रिश्ता हमेशा मजबूत रहेगा।
कॉलेज में दोस्त और फेयरवेल:
कॉलेज में पहुंचने पर रश्मि और साफिया का स्वागत उनके दोस्तों ने किया, जिनमें आर्यन, नताशा और समीर शामिल थे। पूरे कॉलेज में एक उत्सव का माहौल था, जहाँ सभी लोग अपनी पुरानी यादों और अनुभवों को साझा कर रहे थे। रश्मि और साफिया ने एक कोने में बैठकर कॉलेज के दिनों की यादों को ताजा किया, जैसे उन यादों को एक बार फिर से जी रहे हों।
"याद है, पहली बार जब हम कॉलेज आये थे? तुम कितनी घबराई हुई थी!" रश्मि ने हंसते हुए कहा, और उसकी हंसी ने साफिया के चेहरे पर भी मुस्कान ला दी।
साफिया ने मुस्कुराते हुए कहा, "और तुम कितनी आत्मविश्वासी लग रही थीं। बिल्कुल उस दिन से आज तक तुम वही हो!"
आर्यन ने चुटकी लेते हुए कहा, "हाँ, लेकिन उसके बाद साफिया के आत्मविश्वास ने भी किसी रॉकेट की तरह उड़ान भरी!" सभी हंसी में शामिल हो गए, और नताशा ने हल्के से कहा, "बिल्कुल, साफिया! अब तुम तो सबकी प्यारी हो।"
यह बातचीत हंसी-ठिठोली में बदल गई, और सभी दोस्तों के चेहरे पर खुशी की झलक दिखाई देने लगी। इसी बीच, आइशा भी वहां आ गई। वह अपनी चुलबुली मुस्कान के साथ रश्मि और साफिया के बीच की हंसी-ठिठोली में शामिल हो गई। "क्या बात है, दीदी? तुम दोनों फिर से पुरानी बातें कर रही हो?" उसने चिढ़ाते हुए कहा।
आइशा, जो साफिया की छोटी बहन थी, अपनी मासूमियत और चुलबुले अंदाज के लिए जानी जाती थी। हलके रंग की ड्रेस पहनने के कारण उसकी मासूमियत और खूबसूरती और भी निखर रही थी। उसकी त्वचा बेबी-पिंक थी, और उसकी मुस्कान बिल्कुल आकर्षक थी। उसकी उम्र लगभग 19 साल थी, और वह अपनी उम्र से कुछ छोटी दिखती थी।
आइशा की शारीरिक संरचना पतली और संतुलित थी, और उसकी छाती और कूल्हों का आकार मध्यम था, जो उसे एक युवा और आकर्षक रूप देता था। उसके काले, घने बाल खुले हुए थे, जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे। वह हमेशा आधुनिक फैशन के कपड़े पहनती थी, जो उसके आत्मविश्वास को दर्शाते थे। आइशा की आंखों में हमेशा एक चंचलता और मासूमियत होती, जो उसे सबकी प्रिय बनाती थी।
"आइशा, तुम भी तो कुछ कहो!" रश्मि ने हंसी-हंसी में कहा, और आइशा ने चंचलता से कहा, "मैं बस यह सोच रही थी कि आज रात को आप स्टेज पर जो डांस दिखाने वाली हो, उससे यहां के सब बेचारों का क्या होगा!" उसकी बात ने सबको हंसी में डाल दिया।
फेयरवेल पार्टी का जश्न:
फेयरवेल पार्टी का माहौल उत्साही और जोश से भरपूर था। जैसे ही रश्मि स्टेज पर आई, उसकी उपस्थिति ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उसने अपनी नीली फिटिंग वाली ड्रेस पहनी थी, जो उसके शरीर की हर खूबसूरत आकृति को उभार रही थी। उसके बाल कंधों से लहराते हुए गिर रहे थे, जो उसे और भी आकर्षक बना रहे थे। जैसे ही संगीत की धुन शुरू हुई, रश्मि ने अपने पैरों को हल्के से म्यूजिक के बीट्स के साथ थिरकाना शुरू किया। उसकी हर हरकत में एक अनोखा आत्मविश्वास था; वह अपने हाथों को हवा में लहराते हुए, उन्हें खूबसूरती से ऊपर उठाती, जैसे वह दर्शकों के दिलों को छू रही हो।
जब गाना रोमांटिक मोड़ पर पहुंचा, रश्मि ने अपने हाथों को अपने दिल की ओर रखा, जैसे वह अपने जज़्बातों को दर्शकों के साथ साझा कर रही हो। उसकी आँखों में चमक थी, जो दर्शकों से सीधा संपर्क बना रही थी। उसकी मुस्कान में ऐसा जादू था, जो किसी भी व्यक्ति को अपनी ओर खींच सकता था। जैसे ही गाना तेज हुआ, रश्मि ने अपने मूवमेंट्स को और ऊर्जावान बना दिया। वह कूदती और घूमती, उसके पैरों की गति इतनी तेज थी कि ऐसा लगता था जैसे वह हवा में उड़ रही हो।
जैसे ही वह स्टेज के एक कोने में पहुंची और अपनी कलाई को लहराया, दर्शकों की तालियों की गूंज ने हॉल को भर दिया। रश्मि जानती थी कि उसे न केवल नृत्य करना है, बल्कि दर्शकों को एक ऐसा अनुभव देना है, जो उन्हें हमेशा याद रहे। उसकी ड्रेस, उसकी चाल और उसका आत्मविश्वास सब कुछ मिलकर एक अद्भुत नजारा बना रहे थे।
जब पार्टी खत्म हुई, तो सभी दोस्त एक-दूसरे से गले मिल रहे थे, और अपनी यादों को संजोते हुए पल भर के लिए सभी के चेहरे पर एक संतुष्टि और खुशी की झलक थी। तभी समीर ने कहा, "अरे, क्यों न हम एक ड्रिंक पार्टी कर लें? मेरी कार में थोड़ी शराब है, हम वहीं मज़ा कर सकते हैं।"
साफिया ने थोड़ी आशंका से देखा, "पर मैं नहीं पीऊँगी।"
रश्मि ने उसे समझाते हुए कहा, "चलो, साफिया! थोड़ा मस्ती भी तो जरूरी है।" हालांकि साफिया ने खुद को इससे दूर रखा, लेकिन आइशा ने थोड़ी ली। साफिया को यह पसंद नहीं आया, क्योंकि उसे लगा कि आइशा को यह नहीं करना चाहिए था।
"तुम्हें यह नहीं करना चाहिए था, आइशा," साफिया ने चिंता भरी आवाज में कहा।
आइशा ने चिढ़ाते हुए कहा, "अरे, थोड़ा मज़ा तो करो! ये पार्टी है, साफिया!" लेकिन वह साफिया के प्रति भी चिंतित थी। इस बीच, रश्मि ने हल्का सा मज़ाक करते हुए आइशा का समर्थन किया, "देखो साफिया, थोड़ी मस्ती भी ज़रूरी है। आइशा बस थोड़ी खुश थी।"
रश्मि ने दोनों को गाड़ी में बैठाया और उन्हें घर छोड़ने का निर्णय लिया। रास्ते में आइशा ने रश्मि की तारीफ की। "आपका डांस तो ऐसा था, जैसे कोई सपना सच हो गया हो। मैं तो बस आपको देखती रह गई! वाव!" आइशा की आँखों में खुशी के आंसू थे।
रश्मि ने प्यार से उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा, "तुम्हारी तारीफों का क्या? तुम भी अपनी बहन की तरह बहुत खूबसूरत हो।"
जब रश्मि अपने घर पहुँची, तो उसने पार्टी की सभी यादों को मन में फिर से ताजा किया। उसे अपने दोस्तों की हंसी, उनकी बातें और खासकर आइशा की मासूमियत याद आई। साफिया की चिंताओं के बावजूद, वह जानती थी कि आइशा ने थोड़ी मस्ती बस की है, और रश्मि ने उसे थोड़ा और खुलकर जीने के लिए प्रेरित किया। उसने बिस्तर पर लेटते हुए सोचा, "यह रात सच में खास थी।" और धीरे-धीरे नींद में खो गई, यह सोचते हुए कि अगले कदम क्या होंगे।
रिजल्ट डे की शुरुआत:
रश्मि उस सुबह जल्दी उठ जाती है, जैसे ही उसकी आँखें खुलती हैं, उसे ऐसा लगता है कि दिल की धड़कनें तेज़ हो गई हैं, जैसे कुछ खास होने वाला हो। नर्वसनेस और बेचैनी ने उसे घेर लिया है, और वह खुद को शांत करने की कोशिश करती है, लेकिन यह असंभव सा लगता है। उसने हल्की ग्रे रंग की टी-शर्ट पहनी है, जो धूप में एकदम पारदर्शी हो गई है, और उसकी काली ब्रा का उभार उसे असमंजस में डालता है। यह साधारण सी पोशाक उसके अंदर चल रहे द्वंद्व को उजागर करती है। आत्म-विश्वास की चाहत और मानसिक तनाव के बीच वह कहीं खो सी गई है।
वह बालकनी में खड़ी होकर आसमान को निहारती है। नीला आकाश, सूरज की किरणें, और हल्की सी हवा—सभी कुछ उसे शांति का अहसास दिलाने की कोशिश करते हैं। लेकिन उसकी आँखों में एक खास सी चमक है, जिसमें उम्मीदें और चिंताएँ एक साथ समाहित हैं। वह कुछ पल के लिए बंद आँखों से अपने माता-पिता की यादों में खो जाती है, जैसे वह उन्हें इस खास मौके पर अपनी दुआओं में शामिल करना चाहती है। एक हल्की मुस्कान उसके चेहरे पर तैरने लगती है, लेकिन यह मुस्कान थोड़ी सी मायूसी भी छिपाए हुए है।
कुछ देर बाद, उसने एक सिगरेट निकाली और सुलगाई। धीरे-धीरे धुआं उसके होंठों से बाहर निकलता है, जैसे सारी चिंताएँ एक-एक करके हवा में उड़ रही हों। धुएँ के साथ, उसकी घबराहट भी थोड़ा हल्की हो जाती है। यह सिगरेट उसकी शांति के लिए एक छोटे से सहारे के जैसे थी, जो उसे थोड़ी राहत देती है, जैसे वह कुछ समय के लिए खुद को भूल जाने की कोशिश कर रही हो।
जैसे ही उसने लैपटॉप खोलने का मन बनाया, वेबसाइट खुलते ही उसके दिल की धड़कन तेज हो जाती है। रश्मि अपने अंदर के संघर्ष को महसूस करती है, उस रास्ते को याद करती है जो उसने तय किया—हर चुनौती का सामना किया, हर दर्द को सहा, और अब वह उस लम्हे के करीब आ चुकी थी, जिसका उसे वर्षों से इंतजार था।
रिजल्ट का खुलासा:
वेबसाइट पर रिजल्ट की जानकारी दिखाई देती है। उसकी आँखें एक पल के लिए थम जाती हैं, जैसे दिल ने धड़कना बंद कर दिया हो। उसने न केवल परीक्षा पास की है, बल्कि वह टॉपर्स में से एक है। यह सोचते ही उसकी आँखों में खुशी के आँसू आ जाते हैं। एक छोटी सी मुस्कान उसके चेहरे पर खिल उठती है, जो उसके भीतर की हार न मानने की भावना को व्यक्त करती है। यह मुस्कान उसकी मेहनत, उसके संघर्ष और अब तक के सफर का प्रतीक बन जाती है।
रश्मि की आँखों में चमक होती है, जैसे वह अपनी पूरी दुनिया को जीत चुकी हो, और फिर उसे अपनी माँ-पापा की याद आती है। उनकी दुआओं का एहसास होता है, जैसे वे वहीं कहीं उसके साथ हैं, इस पल को महसूस कर रहे हैं। उसने जो पाया है, वह न केवल अपनी मेहनत से, बल्कि अपने परिवार की प्रेरणा से भी है।
जश्न का मूड:
रश्मि की आँखों में खुशी और गर्व की चमक थी, जैसे उसकी मेहनत का फल अब उसे मिल चुका हो। उसके दिल में एक ताजगी और आत्मविश्वास का अहसास था। वह चाहती थी कि इस खुशी को वह अपने करीबी दोस्तों के साथ बांटे, जिन्होंने हमेशा उसका साथ दिया था। सबसे पहले, उसने साफिया और आइशा को कॉल किया, और उसकी आवाज़ में जो उत्साह था, वह साफ तौर पर महसूस हो रहा था। “तुरंत आओ! हमें जश्न मनाना है!” वह बोली, और फोन रखने के बाद, उसकी आँखों में एक हल्की सी मुस्कान आ गई, जैसे वह इस पल का पूरी तरह से लुत्फ़ उठाने के लिए तैयार हो।
कुछ ही मिनटों में, साफिया और आइशा उसके घर पहुँच जाती हैं। जैसे ही साफिया ने रश्मि को देखा, वह दौड़कर उसे गले लगा लेती है। “तुमने यह कर दिखाया, रश्मि!” वह चिल्लाती है, और रश्मि का दिल ख़ुशी से भर जाता है। साफिया की हर बात में एक ऐसा प्यार था, जो रश्मि को कभी-कभी अपनी सारी परेशानियों को भूलने में मदद करता था। जब साफिया घर में प्रवेश करती है, तो उसकी नजर रश्मि पर पड़ती है, और वह चिढ़ाते हुए कहती है, “ओह, वाह! क्या तुमने यह ड्रेस अपने ब्रा के विज्ञापन के लिए पहना है?” उसकी आवाज में हल्का मजाक था, और रश्मि इस पर मुस्कराती है। साफिया के साथ रश्मि की दोस्ती इतनी गहरी थी कि वह हर मजाक को सच्ची खुशी के रूप में लेती थी।
आइशा भी मुस्कुराते हुए उनकी ओर देखती है, और उसकी आँखों में गर्व की चमक होती है। "मैं जानती थी दीदी, आप सफल होंगी!" आइशा का उत्साह पूरी तरह से रश्मि के दिल तक पहुँचता है। वे तीनों मिलकर एक छोटा सा जश्न मनाने लगती हैं, और इस छोटी सी खुशी को साझा करते हुए हर पल को महसूस करती हैं। आइशा के हाथ में एक बड़ा चॉकलेट केक था, जिसे उसने खास इस मौके के लिए तैयार किया था। साफिया के हाथ में रश्मि की पसंदीदा कैफे कॉफी थी, जो इस पल को और भी खास बना रही थी।
जब वे एक साथ केक काटते हैं, रश्मि की आँखों में गर्व के साथ एक नई चमक दिखाई देती है। जैसे ही साफिया रश्मि को केक खिलाने के लिए आगे बढ़ती है, वह मजाक करते हुए कहती है, “चखो, चखो! यह तुम्हारी मेहनत की मिठास है!” रश्मि मुँह चिढ़ाते हुए जवाब देती है, “तुम्हें तो अपनी ड्रेसिंग सेंस में सुधार करना पड़ेगा। यह बुर्का अब नहीं चलेगा! अगली बार मैं तुम्हें कपड़ों की दुकान ले जाऊँगी और खुद ही तुम्हारे लिए कपड़े चुनूँगी।” साफिया हंसते हुए जवाब देती है, “हाँ, मैडम! आपकी रुखाई के सामने कौन टिक सकता है?” इसके बाद तीनों मिलकर हंस पड़ती हैं, और उनका जश्न और भी खुशनुमा हो जाता है। यह उनकी दोस्ती का वह पल था, जो हमेशा के लिए उनकी यादों में बसा रहेगा।
अचानक एक कॉल:
लेकिन जश्न के बीच अचानक रश्मि के फोन पर एक कॉल आती है। वह खुशी से फोन उठाती है, लेकिन जब स्क्रीन पर देखा कि कॉल NIW के ऑफिस से है, तो उसकी धड़कनें तेज हो जाती हैं। “नमस्ते, रश्मि,” फोन पर एक गंभीर आवाज़ सुनाई देती है। “हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि आपकी ट्रेनिंग अगले दो दिनों में शुरू होने वाली है। यह ट्रेनिंग अत्यंत कठिन और गुप्त होगी, और आपको NIW की ट्रेनिंग सेंटर में रिपोर्ट करना होगा।”
यह सुनकर रश्मि का दिल थोड़ा सा घबराया हुआ महसूस करता है। उसकी आँखों में एक तेज चमक थी, लेकिन अंदर की घबराहट और उथल-पुथल उसे परेशान कर रही थी। वह खुद से सोचने लगी, “क्या मैं इसके लिए तैयार हूँ?” यह एक नया और चुनौतीपूर्ण सफर था, लेकिन साथ ही एक मौका भी था, जो उसने हमेशा चाहा था। क्या वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार थी? उसकी सारी खुशियाँ थोड़ी देर के लिए सुसुप्त हो जाती हैं, और वह इस नए मोड़ के लिए खुद को तैयार करने लगती है।
नई शुरुआत की तैयारी:
कॉल खत्म होते ही, रश्मि अपने कमरे में जाती है, जहाँ की दीवारें उसके सपनों और आशाओं से भरी हैं। कमरे में छाई शांति के बीच, वह अपने बैग को खोलती है और उसमें ज़रूरी चीज़ें पैक करने लगती है। उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान है, क्योंकि उसे इस नए सफर की शुरुआत का अहसास होता है। फिर भी, दिल के भीतर एक हलका डर और घबराहट भी है, क्योंकि वह जानती है कि यह सफर आसान नहीं होने वाला। कपड़े, ज़रूरी सामान, और ट्रेनींग के लिए आवश्यक चीज़ों को ध्यान से पैक करते हुए, उसकी आँखों में एक नई ललक है, लेकिन उसकी चिंता और आशंका भी साफ झलकती है।
साफिया और आइशा उसके पास खड़ी हैं, म्यूजिक की हल्की धुन कमरे में गूंज रही है, जिससे माहौल और भी जीवंत हो गया है। तभी उसकी नज़र एक पुरानी चीज़ पर पड़ती है – उसके पिता का सिक्युरिटी बैज। वह उसे उठाती है, और एक गहरी साँस लेकर उसे अपने हाथ में पकड़ती है। उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं, क्योंकि यह बैज उसके लिए सिर्फ एक धातु का टुकड़ा नहीं था, बल्कि एक प्रेरणा का प्रतीक था। यह उसे हमेशा याद दिलाता था कि उसने अपने पिता से किस प्रकार की हिम्मत और साहस पाया था।
वह उस बैज को अपने बैग में रखती है, और धीरे-से फुसफुसाते हुए कहती है, “मैं आपको गर्वित करूंगी।” उसकी आँखों में एक दृढ़ संकल्प और आत्म-विश्वास था। इस छोटी सी वस्तु के साथ, वह अपने भविष्य की ओर पहला कदम बढ़ाने के लिए तैयार होती है, यह जानते हुए कि यह यात्रा उसके माता-पिता के सपने को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम है।
समीर का कॉल:
जैसे ही रश्मि पैकिंग खत्म कर रही थी, उसका फोन बजता है। स्क्रीन पर समीर का नाम देखकर, उसकी आँखों में एक हल्की मुस्कान आ जाती है। समीर, जो हमेशा चुलबुला और आकर्षक रहता है, और जिसकी पार्टी वाली रातों की चर्चाएँ अक्सर होती थीं, उसे अब भी थोड़ा चिढ़ाने का मौका मिल रहा था।
समीर: "अरे, क्या बात है, मिस जासूस! सुनकर बहुत अच्छा लगा कि तुमने फोड़ दिया। मुझे तो लगा था कि तुम्हारा रिजल्ट सुनकर हर कोई जलकर भुनभुनाने लगेगा! हे हे हे।"
रश्मि (थोड़ा चिढ़ाते हुए): "क्या तुम हमेशा इसी तरह दूसरों को चिढ़ाते हो, समीर?"
समीर: "अरे, मैं तो बस तुम्हारी तारीफ कर रहा हूँ। तुमने सबकी बोलती बंद कर दी। लेकिन एक बात बताओ, अब जब तुम इतनी मशहूर हो गई हो, क्या तुम मुझसे भी दोस्ती रखोगी?"
रश्मि (मुस्कुराते हुए): "क्यों नहीं, लेकिन तुम्हारी फ्लर्टिंग से तो बचना पड़ेगा।"
समीर: "ओह, क्यों? क्या तुम्हें मेरे जैसा हैण्डसम और अमीर लड़का पसंद नहीं? तुम जानती हो, मैं तुम्हारे लिए एक पूल साइड पार्टी ऑर्गनाईज़ कर रहा हूँ शाम में, आ जाओ, मजा आएगा।"
रश्मि (थोड़ी चिढ़कर): "समीर, इतना समय नहीं है अभी मेरे पास और मैंने तुम्हारे पैसे के लिए तुमसे दोस्ती नहीं कर रखी है।"
समीर: "नहीं, नहीं, मैं जानता हूँ। मैं तो बस तुम्हें इम्प्रेस करने की कोशिश कर रहा हूँ। पर तुम्हें यह समझना चाहिए कि इस दुनिया में पैसे से ही सब कुछ नहीं मिलता, कभी-कभी फ्लर्टिंग भी ज़रूरी है। हे हे हे।"
समीर फिर कहता है: "तो क्या तुम अपने मिशन पर मुझे अपने साथ ले चलोगी? मैं तुमसे बेहतर जासूस बनने की कोशिश करूँगा। क्या तुम मुझसे सीखोगी?"
रश्मि: "समीर, तुम कभी गंभीर नहीं हो सकते! मुझे नहीं लगता कि तुम किसी मिशन के लिए सही हो। तुम्हें तो बस अपनी कार और पार्टी का ही ध्यान रहता है।"
समीर (हंसते हुए): "चलो, यह तो मजेदार होगा! और तुम जानती हो, तुम चाहो तो मैं तुम्हें तुम्हारे ट्रेनिंग सेंटर तक छोड़ सकता हूँ अपनी कार से, क्या कहती हो?"
रश्मि: "नहीं चाहिए मुझे, चली जाऊँगी मैं और वैसे भी वहां तुम्हें घुसने नहीं दिया जायेगा। ध्यान रखना, समीर! अगर तुमने मुझे और चिढ़ाया, तो मैं अपनी ट्रेनिंग के बाद तुम्हें एक मिशन पर भेजने का विचार करूंगी, जहाँ तुम्हें सच में स्पाई बनने का मौका मिले।"
समीर: "ओह, डार्लिंग, मुझे तो खुशी होगी! बस तुम पर कोई भी खतरा नहीं होना चाहिए। हे हे हे।"
वे दोनों हंसते हैं, और कॉल खत्म होने के बाद, रश्मि हल्की मुस्कान के साथ सोचती है कि समीर का चुलबुला अंदाज कभी-कभी उसे परेशान करता है। हालांकि, उसे यह भी पता है कि वह समीर को ज्यादा पसंद नहीं करती, लेकिन उसके पिता की अमीरी और राजनीतिक कनेक्शन के कारण, वह जानती है कि भविष्य में समीर उसके लिए एक उपयोगी व्यक्ति साबित हो सकता है। इस सोच के साथ, वह अपने नए सफर की तैयारी में जुट जाती है, यह समझते हुए कि दोस्ती और नेटवर्किंग का महत्व कभी-कभी भविष्य के लिए अनमोल हो सकता है।
जुदाई का पल:
रश्मि जब अपने घर से निकलने लगती है, तो साफिया और आइशा उससे मिलकर उसे शुभकामनाएं देती हैं। आइशा की आँखों में हल्की सी नमी होती है, लेकिन वह इसे छिपाने की कोशिश करती है। आइशा रश्मि को आखिरी बार गले लगाती है और कहती है, "मैं आपका इंतजार करूंगी, आप जल्दी लौटिएगा।" रश्मि उसकी बातों को महसूस करती है और मुस्कराते हुए वादा करती है, "जल्द लौटूंगी, आइशा।"
ट्रेनिंग सेंटर के लिए रवाना:
जैसे ही रश्मि ट्रेनिंग सेंटर की ओर रवाना होती है, उसके मन में दृढ़ता और जोश का एक मिश्रण होता है। अब उसके सामने सिर्फ एक लक्ष्य है - एक बेहतरीन जासूस बनकर देश की सेवा करना।
उम्र: 23 वर्ष
भूमिका: राष्ट्रीय जांच विंग (NIW) की भारतीय जासूस
शारीरिक लक्षण: रश्मि सिंह की ऊंचाई 5'8'' है और उसका वजन लगभग 57 किलो है। उसका शरीर एक आदर्श संतुलन और फिटनेस का प्रतीक है। हर मांसपेशी में आत्मसंयम और मेहनत का स्पष्ट चित्रण है। उसकी शारीरिक संरचना 34-26-34 के अनुपात में है, जो उसकी कठोर मेहनत और जिम में बिताए गए घंटों की कहानी बयां करती है। उसकी लंबी, सुंदर टांगें और सुडौल कूल्हे, उसकी फिटनेस के सबूत हैं।
पृष्ठभूमि: रश्मि के माता-पिता का जब वह केवल 12 साल की थी, गैंगस्टरों ने मर्डर कर दिया था। इसके बाद, उसे अपने पिता के दोस्त के घर पली-बढ़ी, जो अब NIW के प्रमुख हैं।
शिक्षा: पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातक और मास्टर डिग्री।
व्यक्तित्व: रश्मि एक मजबूत, स्वतंत्र, और भावनात्मक रूप से जटिल महिला है। वह उच्च दबाव में काम करती है, और आइशा के साथ उसकी गहरी भावनात्मक संबंध हैं।
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शाम का समय था, और सूर्य की किरणें धीरे-धीरे क्षितिज में समा रही थीं। रश्मि सिंह आईने के सामने खड़ी थी, अपने बालों की लटों को सलीके से सँवारते हुए। उसके चेहरे पर एक आत्मविश्वास था, जो हर कदम पर महसूस हो रहा था। उसकी आँखों में एक असामान्य चमक थी, जैसे वह केवल अपनी उपस्थिति को नहीं, बल्कि अपने आत्मविश्वास को भी संजो रही हो।
उसके बाल हल्के कर्ल में थे, जो उसकी गर्दन के ऊपर गिर रहे थे, जैसे वो एक चित्र का हिस्सा हों। उसकी छोटी-सी बिंदी और चमकीली ज्वेलरी ने उसकी सुंदरता को और निखार दिया था, जैसे वह एक पूर्ण रूप में बसी हो।
रश्मि ने शानदार बेज और गोल्डन रंग का लहंगा पहना था, जिसमें नाजुक एम्ब्रॉयडरी की गई थी। लहंगे की कढ़ाई ने उसकी सुंदरता और भी उभार दी थी, मानो वह खुद को किसी नई पहचान में देख रही हो। उसकी शारीरिक संरचना ने इस पोशाक को और भी प्रभावशाली बना दिया था।
रश्मि का कद 5'8" था और शारीरिक माप 36-28-36 थे। उसकी खूबसूरत और सुडौल काया के हर हिस्से में कड़ी मेहनत और आत्मसंयम की छाप थी। उसके लंबी और सुडौल टांगें उसकी चाल में एक आकर्षक लय और संतुलन भर देती थीं।
कमरे की हल्की रोशनी में उसकी त्वचा एक अद्वितीय चमक बिखेर रही थी, जैसे वह किसी परी की तरह खड़ी हो। उसकी मुस्कान में एक गहरी संतुष्टि थी, जैसे वह अपनी बाहरी और आंतरिक सुंदरता को पूरी तरह से महसूस कर रही हो।
"आज का दिन खास है," उसने मन ही मन सोचा, और अपनी मुस्कान को और भी गहरा कर दिया। यह सिर्फ बाहरी तैयारी नहीं थी, बल्कि अपने भीतर के आत्मविश्वास को खोजने का एक प्रयास था। "ओफ्फो! मैं लेट हो रही हूँ, मुझे साफिया को भी पिक करना है," उसने खुद से कहा।
साफिया खान, रश्मि की सबसे पहली और प्रिय दोस्त थी। उसके बिना दिन अधूरा सा लगता था। रश्मि ने एक आखिरी बार आईने में खुद को देखा, फिर अपनी कार की चाबी उठाई और साफिया के घर की ओर बढ़ चली।
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घर की ओर:
रश्मि अपनी कार से साफिया के घर पहुंची। दरवाजे पर दस्तक देते ही सामने अमीना आंटी खड़ी थीं। हल्के गुलाबी सलवार-कुर्ते में लिपटीं, उनके चेहरे पर एक खास चमक थी। उम्र के साथ आई गहराई और गरिमा उनकी सुंदरता को और भी निखार रही थी। उनकी गोरी, मुलायम त्वचा में हल्की सुनहरी आभा थी, जो मानो हर पल उनके सौंदर्य को और बढ़ा रही थी। उनकी बड़ी, दयालु आँखों में एक अद्भुत आकर्षण था, मानो उन्होंने जीवन की कठिनाइयों को आत्मसात कर एक विशेष नज़ाकत में बदल दिया हो। अमीना आंटी का शरीर एक संतुलन में था—चौड़े कंधे और मजबूत छाती उनके आत्मविश्वास का प्रतीक थे। उनकी हल्की मुस्कान हमेशा उनके होंठों पर ठहरी रहती थी, जो उनके शांत, आत्मीय व्यक्तित्व को उजागर कर रही थी।
“रश्मि बेटा, तुम कितनी प्यारी लग रही हो आज!” अमीना ने मुस्कुराते हुए कहा।
रश्मि ने आंटी को दुआ में सिर झुका कर प्रणाम किया और कहा: "आइशा कॉलेज चली गई है?"
"हाँ, वो लोग तो तैयारी करने सुबह से चले गये हैं।" अमीना आंटी ने तुरंत जवाब दिया।
"और अहमद?" रश्मि ने उत्सुकता से पूछा।
अमीना ने हल्की हंसी में कहा, "पड़ा होगा वहीं कहीं मस्जिद के पास अपने दोस्तों के साथ, और क्या काम है उसका?"
रश्मि ने सिर हिलाते हुए कहा, "सच में, वो तो बस वहीं रहता है। कभी पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता।"
कुछ देर बाद, साफिया दरवाजे से बाहर आई। उसने काले रंग का बुर्का पहन रखा था। साफिया, रश्मि की बचपन की दोस्त थी, और दोनों ने BJMC और MJMC साथ ही किए थे। संघर्षों के बावजूद, साफिया ने खुद को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाया था। उसकी अंतर्मुखी और शांत स्वभाव की छवि उसके आत्मविश्वास में झलकती थी, जो उसकी सादगी को और बढ़ा देती थी।
रश्मि ने थोड़े गुस्से से कहा, "आंटी, आज भी?"
अमीना ने जवाब दिया, "मैंने कुछ नहीं कहा है, वो अपनी मर्जी से पहनी है।"
रश्मि ने कुछ नहीं कहा और साफिया के साथ बाहर आ गई।
जब वे कार में बैठ गईं, तो रश्मि ने चुटकी लेते हुए कहा, "तू नहीं छुप सकती साफिया, तेरी खूबसूरती के ये बड़े बड़े उभार, ये ऊपर जो दिख रहे हैं, वैसे ही झलकते हैं। इसे उतार दे, आज हम सब दोस्त हैं।"
साफिया थोड़ी मुस्कुराई और रश्मि की बात मानकर बुर्का हटा दिया। हल्का नीला और सफेद कुर्ता उसकी गोरी, मुलायम त्वचा को और निखार रहा था। साफिया की ऊंचाई लगभग 5'5" (165 सेमी) थी, और उसकी शारीरिक माप 34-30-34 (चेस्ट-फेस-हिप) थी। कुर्ते के नीचे, उसका सुडौल शरीर और बेलनाकार कूल्हे, उसके आत्मविश्वास का प्रमाण बन गए थे। उसकी आँखों में चमक और मुस्कान में एक खास आकर्षण था, जो उसे और भी सुंदर बना रहा था।
रश्मि ने कहा, "देख, अब तू कितनी सही लग रही है, वाह! क्यों न इसे हमेशा के लिए छोड़ दे? तेरा ये लुक तो सच में सबको आकर्षित करता है।"
साफिया ने हल्की मुस्कान के साथ सिर झुकाया, और रश्मि की बातों में कुछ सच्चाई महसूस की।
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साफिया का संघर्ष:
साफिया खान, 21 वर्ष की उम्र में, अपने जीवन के सबसे मुश्किल वक्त से गुजर रही थी। जब वह केवल 15 साल की थी, तब उसके अब्बू अचानक सबको छोड़कर चले गए। उस दिन का शून्य आज भी उसके दिल में एक ठंडी परछाई की तरह था। उसके अब्बू का बिना कुछ बताए घर छोड़ जाना, साफिया के लिए एक ऐसे खालीपन का कारण बन गया था, जिसे भर पाना असंभव सा लगता था। उसकी माँ, अमीना, अकेले अपने तीन बच्चों की परवरिश कर रही थीं। घर की स्थितियों ने साफिया को एक बड़ी जिम्मेदारी का अहसास दिलाया था, और इसी कारण वह अक्सर अपनी दुनिया से ही कट गई थी। उसकी आंखों में कई बार गहरे दर्द और चुप्प की छाया होती थी, जैसे वह किसी विशाल शून्य में खो जाने का डर रखती हो।
कॉलेज के समय में एक दिन, रश्मि और साफिया एक पार्क में बैठकर बातें कर रही थीं। सूरज की हल्की किरणें पत्तियों से छनकर उनके चेहरे पर पड़ रही थीं। रश्मि ने साफिया से उसके अब्बू के बारे में पूछा, “क्या हुआ तुम्हारे अब्बू को?”
साफिया ने हल्का सा मुँह चिढ़ाते हुए कहा, “पता नहीं यार, हमें छोड़कर कहीं चले गए हैं। उस दिन के बाद सब कुछ बदल गया है। अब तो हमें कुछ समझ ही नहीं आ रहा, क्या करेंगे, कैसे रहेंगे…” उसकी आवाज़ में गुस्सा और दर्द था, जैसे कुछ चीज़ें बर्दाश्त नहीं हो रही थीं। वह उन शब्दों के साथ बहुत सारी चुप्पी को समेटे हुए थी, जो उसे अंदर से खा रही थी।
रश्मि ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “तुम रो सकती हो, कोई बात नहीं। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।” उसकी बातों ने साफिया का दिल हल्का किया, और उसे लगा कि वह अकेले नहीं है।
साफिया की आँखों में आंसू थे, लेकिन वह अपनी भावनाओं को छुपाने की कोशिश कर रही थी। धीरे से बोली, “अम्मी इतनी मेहनत कर रही हैं, और मुझे लगता है मैं कुछ भी नहीं कर पा रही।"
रश्मि ने उसकी आँखों में गहरी नज़र डालते हुए कहा, “तुम्हारी अम्मी को तुम पर बहुत गर्व होगा। तुम बहुत मजबूत हो, और ये सब भी सही हो जाएगा, बस वक्त की बात है।” रश्मि की बातों में वह ताकत थी, जो साफिया को खुद पर विश्वास दिला देती थी। वह जानती थी कि सच्ची दोस्ती का मतलब कभी हार मानना नहीं होता।
कुछ दिन बाद, जब साफिया को पैसों की तंगी का सामना करना पड़ा, तो रश्मि ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी बचत से पैसे दिए। साफिया ने हैरानी से देखा और बोली, “तुम्हें मेरी मदद नहीं करनी चाहिए थी।” उसकी आंखों में एक सवाल था, क्या सच में रश्मि उसे इस हद तक अपना समझती थी?
रश्मि मुस्कुराते हुए बोली, “यार, तुम मेरे लिए सब कुछ हो। तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो, और मैं तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ूँगी। मुझे खुशी है कि मैं तुम्हारी मदद कर पाई।” रश्मि की इन बातों में एक गहरी सच्चाई थी, जो साफिया के दिल को छू गई।
साफिया ने रश्मि की बातें सुनकर सोचा, कि दूसरों से मदद लेना कोई कमजोरी नहीं होती। उसने महसूस किया कि उसकी दोस्ती ने उसे एक नई ताकत दी थी, और अब वह खुद को और भी मजबूत महसूस करने लगी थी। वह समझ गई कि रश्मि के बिना उसकी दुनिया कुछ अधूरी सी है। जब भी उसे किसी चीज़ की ज़रूरत होती, रश्मि बिना किसी हिचकिचाहट के उसकी मदद करती, और यह भरोसा साफिया के लिए एक अनमोल तोहफा था।
इस तरह, उनकी दोस्ती और भी गहरी होती चली गई, और हर मुश्किल ने उन्हें और भी करीब ला दिया। दोनों की ज़िन्दगी में एक-दूसरे का साथ न केवल सहारा था, बल्कि यह एक नई उम्मीद भी बन गई थी, कि मुश्किलें चाहे जैसी भी हों, दोस्ती का रिश्ता हमेशा मजबूत रहेगा।
कॉलेज में दोस्त और फेयरवेल:
कॉलेज में पहुंचने पर रश्मि और साफिया का स्वागत उनके दोस्तों ने किया, जिनमें आर्यन, नताशा और समीर शामिल थे। पूरे कॉलेज में एक उत्सव का माहौल था, जहाँ सभी लोग अपनी पुरानी यादों और अनुभवों को साझा कर रहे थे। रश्मि और साफिया ने एक कोने में बैठकर कॉलेज के दिनों की यादों को ताजा किया, जैसे उन यादों को एक बार फिर से जी रहे हों।
"याद है, पहली बार जब हम कॉलेज आये थे? तुम कितनी घबराई हुई थी!" रश्मि ने हंसते हुए कहा, और उसकी हंसी ने साफिया के चेहरे पर भी मुस्कान ला दी।
साफिया ने मुस्कुराते हुए कहा, "और तुम कितनी आत्मविश्वासी लग रही थीं। बिल्कुल उस दिन से आज तक तुम वही हो!"
आर्यन ने चुटकी लेते हुए कहा, "हाँ, लेकिन उसके बाद साफिया के आत्मविश्वास ने भी किसी रॉकेट की तरह उड़ान भरी!" सभी हंसी में शामिल हो गए, और नताशा ने हल्के से कहा, "बिल्कुल, साफिया! अब तुम तो सबकी प्यारी हो।"
यह बातचीत हंसी-ठिठोली में बदल गई, और सभी दोस्तों के चेहरे पर खुशी की झलक दिखाई देने लगी। इसी बीच, आइशा भी वहां आ गई। वह अपनी चुलबुली मुस्कान के साथ रश्मि और साफिया के बीच की हंसी-ठिठोली में शामिल हो गई। "क्या बात है, दीदी? तुम दोनों फिर से पुरानी बातें कर रही हो?" उसने चिढ़ाते हुए कहा।
आइशा, जो साफिया की छोटी बहन थी, अपनी मासूमियत और चुलबुले अंदाज के लिए जानी जाती थी। हलके रंग की ड्रेस पहनने के कारण उसकी मासूमियत और खूबसूरती और भी निखर रही थी। उसकी त्वचा बेबी-पिंक थी, और उसकी मुस्कान बिल्कुल आकर्षक थी। उसकी उम्र लगभग 19 साल थी, और वह अपनी उम्र से कुछ छोटी दिखती थी।
आइशा की शारीरिक संरचना पतली और संतुलित थी, और उसकी छाती और कूल्हों का आकार मध्यम था, जो उसे एक युवा और आकर्षक रूप देता था। उसके काले, घने बाल खुले हुए थे, जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे। वह हमेशा आधुनिक फैशन के कपड़े पहनती थी, जो उसके आत्मविश्वास को दर्शाते थे। आइशा की आंखों में हमेशा एक चंचलता और मासूमियत होती, जो उसे सबकी प्रिय बनाती थी।
"आइशा, तुम भी तो कुछ कहो!" रश्मि ने हंसी-हंसी में कहा, और आइशा ने चंचलता से कहा, "मैं बस यह सोच रही थी कि आज रात को आप स्टेज पर जो डांस दिखाने वाली हो, उससे यहां के सब बेचारों का क्या होगा!" उसकी बात ने सबको हंसी में डाल दिया।
फेयरवेल पार्टी का जश्न:
फेयरवेल पार्टी का माहौल उत्साही और जोश से भरपूर था। जैसे ही रश्मि स्टेज पर आई, उसकी उपस्थिति ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उसने अपनी नीली फिटिंग वाली ड्रेस पहनी थी, जो उसके शरीर की हर खूबसूरत आकृति को उभार रही थी। उसके बाल कंधों से लहराते हुए गिर रहे थे, जो उसे और भी आकर्षक बना रहे थे। जैसे ही संगीत की धुन शुरू हुई, रश्मि ने अपने पैरों को हल्के से म्यूजिक के बीट्स के साथ थिरकाना शुरू किया। उसकी हर हरकत में एक अनोखा आत्मविश्वास था; वह अपने हाथों को हवा में लहराते हुए, उन्हें खूबसूरती से ऊपर उठाती, जैसे वह दर्शकों के दिलों को छू रही हो।
जब गाना रोमांटिक मोड़ पर पहुंचा, रश्मि ने अपने हाथों को अपने दिल की ओर रखा, जैसे वह अपने जज़्बातों को दर्शकों के साथ साझा कर रही हो। उसकी आँखों में चमक थी, जो दर्शकों से सीधा संपर्क बना रही थी। उसकी मुस्कान में ऐसा जादू था, जो किसी भी व्यक्ति को अपनी ओर खींच सकता था। जैसे ही गाना तेज हुआ, रश्मि ने अपने मूवमेंट्स को और ऊर्जावान बना दिया। वह कूदती और घूमती, उसके पैरों की गति इतनी तेज थी कि ऐसा लगता था जैसे वह हवा में उड़ रही हो।
जैसे ही वह स्टेज के एक कोने में पहुंची और अपनी कलाई को लहराया, दर्शकों की तालियों की गूंज ने हॉल को भर दिया। रश्मि जानती थी कि उसे न केवल नृत्य करना है, बल्कि दर्शकों को एक ऐसा अनुभव देना है, जो उन्हें हमेशा याद रहे। उसकी ड्रेस, उसकी चाल और उसका आत्मविश्वास सब कुछ मिलकर एक अद्भुत नजारा बना रहे थे।
जब पार्टी खत्म हुई, तो सभी दोस्त एक-दूसरे से गले मिल रहे थे, और अपनी यादों को संजोते हुए पल भर के लिए सभी के चेहरे पर एक संतुष्टि और खुशी की झलक थी। तभी समीर ने कहा, "अरे, क्यों न हम एक ड्रिंक पार्टी कर लें? मेरी कार में थोड़ी शराब है, हम वहीं मज़ा कर सकते हैं।"
साफिया ने थोड़ी आशंका से देखा, "पर मैं नहीं पीऊँगी।"
रश्मि ने उसे समझाते हुए कहा, "चलो, साफिया! थोड़ा मस्ती भी तो जरूरी है।" हालांकि साफिया ने खुद को इससे दूर रखा, लेकिन आइशा ने थोड़ी ली। साफिया को यह पसंद नहीं आया, क्योंकि उसे लगा कि आइशा को यह नहीं करना चाहिए था।
"तुम्हें यह नहीं करना चाहिए था, आइशा," साफिया ने चिंता भरी आवाज में कहा।
आइशा ने चिढ़ाते हुए कहा, "अरे, थोड़ा मज़ा तो करो! ये पार्टी है, साफिया!" लेकिन वह साफिया के प्रति भी चिंतित थी। इस बीच, रश्मि ने हल्का सा मज़ाक करते हुए आइशा का समर्थन किया, "देखो साफिया, थोड़ी मस्ती भी ज़रूरी है। आइशा बस थोड़ी खुश थी।"
रश्मि ने दोनों को गाड़ी में बैठाया और उन्हें घर छोड़ने का निर्णय लिया। रास्ते में आइशा ने रश्मि की तारीफ की। "आपका डांस तो ऐसा था, जैसे कोई सपना सच हो गया हो। मैं तो बस आपको देखती रह गई! वाव!" आइशा की आँखों में खुशी के आंसू थे।
रश्मि ने प्यार से उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा, "तुम्हारी तारीफों का क्या? तुम भी अपनी बहन की तरह बहुत खूबसूरत हो।"
जब रश्मि अपने घर पहुँची, तो उसने पार्टी की सभी यादों को मन में फिर से ताजा किया। उसे अपने दोस्तों की हंसी, उनकी बातें और खासकर आइशा की मासूमियत याद आई। साफिया की चिंताओं के बावजूद, वह जानती थी कि आइशा ने थोड़ी मस्ती बस की है, और रश्मि ने उसे थोड़ा और खुलकर जीने के लिए प्रेरित किया। उसने बिस्तर पर लेटते हुए सोचा, "यह रात सच में खास थी।" और धीरे-धीरे नींद में खो गई, यह सोचते हुए कि अगले कदम क्या होंगे।
रिजल्ट डे की शुरुआत:
रश्मि उस सुबह जल्दी उठ जाती है, जैसे ही उसकी आँखें खुलती हैं, उसे ऐसा लगता है कि दिल की धड़कनें तेज़ हो गई हैं, जैसे कुछ खास होने वाला हो। नर्वसनेस और बेचैनी ने उसे घेर लिया है, और वह खुद को शांत करने की कोशिश करती है, लेकिन यह असंभव सा लगता है। उसने हल्की ग्रे रंग की टी-शर्ट पहनी है, जो धूप में एकदम पारदर्शी हो गई है, और उसकी काली ब्रा का उभार उसे असमंजस में डालता है। यह साधारण सी पोशाक उसके अंदर चल रहे द्वंद्व को उजागर करती है। आत्म-विश्वास की चाहत और मानसिक तनाव के बीच वह कहीं खो सी गई है।
वह बालकनी में खड़ी होकर आसमान को निहारती है। नीला आकाश, सूरज की किरणें, और हल्की सी हवा—सभी कुछ उसे शांति का अहसास दिलाने की कोशिश करते हैं। लेकिन उसकी आँखों में एक खास सी चमक है, जिसमें उम्मीदें और चिंताएँ एक साथ समाहित हैं। वह कुछ पल के लिए बंद आँखों से अपने माता-पिता की यादों में खो जाती है, जैसे वह उन्हें इस खास मौके पर अपनी दुआओं में शामिल करना चाहती है। एक हल्की मुस्कान उसके चेहरे पर तैरने लगती है, लेकिन यह मुस्कान थोड़ी सी मायूसी भी छिपाए हुए है।
कुछ देर बाद, उसने एक सिगरेट निकाली और सुलगाई। धीरे-धीरे धुआं उसके होंठों से बाहर निकलता है, जैसे सारी चिंताएँ एक-एक करके हवा में उड़ रही हों। धुएँ के साथ, उसकी घबराहट भी थोड़ा हल्की हो जाती है। यह सिगरेट उसकी शांति के लिए एक छोटे से सहारे के जैसे थी, जो उसे थोड़ी राहत देती है, जैसे वह कुछ समय के लिए खुद को भूल जाने की कोशिश कर रही हो।
जैसे ही उसने लैपटॉप खोलने का मन बनाया, वेबसाइट खुलते ही उसके दिल की धड़कन तेज हो जाती है। रश्मि अपने अंदर के संघर्ष को महसूस करती है, उस रास्ते को याद करती है जो उसने तय किया—हर चुनौती का सामना किया, हर दर्द को सहा, और अब वह उस लम्हे के करीब आ चुकी थी, जिसका उसे वर्षों से इंतजार था।
रिजल्ट का खुलासा:
वेबसाइट पर रिजल्ट की जानकारी दिखाई देती है। उसकी आँखें एक पल के लिए थम जाती हैं, जैसे दिल ने धड़कना बंद कर दिया हो। उसने न केवल परीक्षा पास की है, बल्कि वह टॉपर्स में से एक है। यह सोचते ही उसकी आँखों में खुशी के आँसू आ जाते हैं। एक छोटी सी मुस्कान उसके चेहरे पर खिल उठती है, जो उसके भीतर की हार न मानने की भावना को व्यक्त करती है। यह मुस्कान उसकी मेहनत, उसके संघर्ष और अब तक के सफर का प्रतीक बन जाती है।
रश्मि की आँखों में चमक होती है, जैसे वह अपनी पूरी दुनिया को जीत चुकी हो, और फिर उसे अपनी माँ-पापा की याद आती है। उनकी दुआओं का एहसास होता है, जैसे वे वहीं कहीं उसके साथ हैं, इस पल को महसूस कर रहे हैं। उसने जो पाया है, वह न केवल अपनी मेहनत से, बल्कि अपने परिवार की प्रेरणा से भी है।
जश्न का मूड:
रश्मि की आँखों में खुशी और गर्व की चमक थी, जैसे उसकी मेहनत का फल अब उसे मिल चुका हो। उसके दिल में एक ताजगी और आत्मविश्वास का अहसास था। वह चाहती थी कि इस खुशी को वह अपने करीबी दोस्तों के साथ बांटे, जिन्होंने हमेशा उसका साथ दिया था। सबसे पहले, उसने साफिया और आइशा को कॉल किया, और उसकी आवाज़ में जो उत्साह था, वह साफ तौर पर महसूस हो रहा था। “तुरंत आओ! हमें जश्न मनाना है!” वह बोली, और फोन रखने के बाद, उसकी आँखों में एक हल्की सी मुस्कान आ गई, जैसे वह इस पल का पूरी तरह से लुत्फ़ उठाने के लिए तैयार हो।
कुछ ही मिनटों में, साफिया और आइशा उसके घर पहुँच जाती हैं। जैसे ही साफिया ने रश्मि को देखा, वह दौड़कर उसे गले लगा लेती है। “तुमने यह कर दिखाया, रश्मि!” वह चिल्लाती है, और रश्मि का दिल ख़ुशी से भर जाता है। साफिया की हर बात में एक ऐसा प्यार था, जो रश्मि को कभी-कभी अपनी सारी परेशानियों को भूलने में मदद करता था। जब साफिया घर में प्रवेश करती है, तो उसकी नजर रश्मि पर पड़ती है, और वह चिढ़ाते हुए कहती है, “ओह, वाह! क्या तुमने यह ड्रेस अपने ब्रा के विज्ञापन के लिए पहना है?” उसकी आवाज में हल्का मजाक था, और रश्मि इस पर मुस्कराती है। साफिया के साथ रश्मि की दोस्ती इतनी गहरी थी कि वह हर मजाक को सच्ची खुशी के रूप में लेती थी।
आइशा भी मुस्कुराते हुए उनकी ओर देखती है, और उसकी आँखों में गर्व की चमक होती है। "मैं जानती थी दीदी, आप सफल होंगी!" आइशा का उत्साह पूरी तरह से रश्मि के दिल तक पहुँचता है। वे तीनों मिलकर एक छोटा सा जश्न मनाने लगती हैं, और इस छोटी सी खुशी को साझा करते हुए हर पल को महसूस करती हैं। आइशा के हाथ में एक बड़ा चॉकलेट केक था, जिसे उसने खास इस मौके के लिए तैयार किया था। साफिया के हाथ में रश्मि की पसंदीदा कैफे कॉफी थी, जो इस पल को और भी खास बना रही थी।
जब वे एक साथ केक काटते हैं, रश्मि की आँखों में गर्व के साथ एक नई चमक दिखाई देती है। जैसे ही साफिया रश्मि को केक खिलाने के लिए आगे बढ़ती है, वह मजाक करते हुए कहती है, “चखो, चखो! यह तुम्हारी मेहनत की मिठास है!” रश्मि मुँह चिढ़ाते हुए जवाब देती है, “तुम्हें तो अपनी ड्रेसिंग सेंस में सुधार करना पड़ेगा। यह बुर्का अब नहीं चलेगा! अगली बार मैं तुम्हें कपड़ों की दुकान ले जाऊँगी और खुद ही तुम्हारे लिए कपड़े चुनूँगी।” साफिया हंसते हुए जवाब देती है, “हाँ, मैडम! आपकी रुखाई के सामने कौन टिक सकता है?” इसके बाद तीनों मिलकर हंस पड़ती हैं, और उनका जश्न और भी खुशनुमा हो जाता है। यह उनकी दोस्ती का वह पल था, जो हमेशा के लिए उनकी यादों में बसा रहेगा।
अचानक एक कॉल:
लेकिन जश्न के बीच अचानक रश्मि के फोन पर एक कॉल आती है। वह खुशी से फोन उठाती है, लेकिन जब स्क्रीन पर देखा कि कॉल NIW के ऑफिस से है, तो उसकी धड़कनें तेज हो जाती हैं। “नमस्ते, रश्मि,” फोन पर एक गंभीर आवाज़ सुनाई देती है। “हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि आपकी ट्रेनिंग अगले दो दिनों में शुरू होने वाली है। यह ट्रेनिंग अत्यंत कठिन और गुप्त होगी, और आपको NIW की ट्रेनिंग सेंटर में रिपोर्ट करना होगा।”
यह सुनकर रश्मि का दिल थोड़ा सा घबराया हुआ महसूस करता है। उसकी आँखों में एक तेज चमक थी, लेकिन अंदर की घबराहट और उथल-पुथल उसे परेशान कर रही थी। वह खुद से सोचने लगी, “क्या मैं इसके लिए तैयार हूँ?” यह एक नया और चुनौतीपूर्ण सफर था, लेकिन साथ ही एक मौका भी था, जो उसने हमेशा चाहा था। क्या वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार थी? उसकी सारी खुशियाँ थोड़ी देर के लिए सुसुप्त हो जाती हैं, और वह इस नए मोड़ के लिए खुद को तैयार करने लगती है।
नई शुरुआत की तैयारी:
कॉल खत्म होते ही, रश्मि अपने कमरे में जाती है, जहाँ की दीवारें उसके सपनों और आशाओं से भरी हैं। कमरे में छाई शांति के बीच, वह अपने बैग को खोलती है और उसमें ज़रूरी चीज़ें पैक करने लगती है। उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान है, क्योंकि उसे इस नए सफर की शुरुआत का अहसास होता है। फिर भी, दिल के भीतर एक हलका डर और घबराहट भी है, क्योंकि वह जानती है कि यह सफर आसान नहीं होने वाला। कपड़े, ज़रूरी सामान, और ट्रेनींग के लिए आवश्यक चीज़ों को ध्यान से पैक करते हुए, उसकी आँखों में एक नई ललक है, लेकिन उसकी चिंता और आशंका भी साफ झलकती है।
साफिया और आइशा उसके पास खड़ी हैं, म्यूजिक की हल्की धुन कमरे में गूंज रही है, जिससे माहौल और भी जीवंत हो गया है। तभी उसकी नज़र एक पुरानी चीज़ पर पड़ती है – उसके पिता का सिक्युरिटी बैज। वह उसे उठाती है, और एक गहरी साँस लेकर उसे अपने हाथ में पकड़ती है। उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं, क्योंकि यह बैज उसके लिए सिर्फ एक धातु का टुकड़ा नहीं था, बल्कि एक प्रेरणा का प्रतीक था। यह उसे हमेशा याद दिलाता था कि उसने अपने पिता से किस प्रकार की हिम्मत और साहस पाया था।
वह उस बैज को अपने बैग में रखती है, और धीरे-से फुसफुसाते हुए कहती है, “मैं आपको गर्वित करूंगी।” उसकी आँखों में एक दृढ़ संकल्प और आत्म-विश्वास था। इस छोटी सी वस्तु के साथ, वह अपने भविष्य की ओर पहला कदम बढ़ाने के लिए तैयार होती है, यह जानते हुए कि यह यात्रा उसके माता-पिता के सपने को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम है।
समीर का कॉल:
जैसे ही रश्मि पैकिंग खत्म कर रही थी, उसका फोन बजता है। स्क्रीन पर समीर का नाम देखकर, उसकी आँखों में एक हल्की मुस्कान आ जाती है। समीर, जो हमेशा चुलबुला और आकर्षक रहता है, और जिसकी पार्टी वाली रातों की चर्चाएँ अक्सर होती थीं, उसे अब भी थोड़ा चिढ़ाने का मौका मिल रहा था।
समीर: "अरे, क्या बात है, मिस जासूस! सुनकर बहुत अच्छा लगा कि तुमने फोड़ दिया। मुझे तो लगा था कि तुम्हारा रिजल्ट सुनकर हर कोई जलकर भुनभुनाने लगेगा! हे हे हे।"
रश्मि (थोड़ा चिढ़ाते हुए): "क्या तुम हमेशा इसी तरह दूसरों को चिढ़ाते हो, समीर?"
समीर: "अरे, मैं तो बस तुम्हारी तारीफ कर रहा हूँ। तुमने सबकी बोलती बंद कर दी। लेकिन एक बात बताओ, अब जब तुम इतनी मशहूर हो गई हो, क्या तुम मुझसे भी दोस्ती रखोगी?"
रश्मि (मुस्कुराते हुए): "क्यों नहीं, लेकिन तुम्हारी फ्लर्टिंग से तो बचना पड़ेगा।"
समीर: "ओह, क्यों? क्या तुम्हें मेरे जैसा हैण्डसम और अमीर लड़का पसंद नहीं? तुम जानती हो, मैं तुम्हारे लिए एक पूल साइड पार्टी ऑर्गनाईज़ कर रहा हूँ शाम में, आ जाओ, मजा आएगा।"
रश्मि (थोड़ी चिढ़कर): "समीर, इतना समय नहीं है अभी मेरे पास और मैंने तुम्हारे पैसे के लिए तुमसे दोस्ती नहीं कर रखी है।"
समीर: "नहीं, नहीं, मैं जानता हूँ। मैं तो बस तुम्हें इम्प्रेस करने की कोशिश कर रहा हूँ। पर तुम्हें यह समझना चाहिए कि इस दुनिया में पैसे से ही सब कुछ नहीं मिलता, कभी-कभी फ्लर्टिंग भी ज़रूरी है। हे हे हे।"
समीर फिर कहता है: "तो क्या तुम अपने मिशन पर मुझे अपने साथ ले चलोगी? मैं तुमसे बेहतर जासूस बनने की कोशिश करूँगा। क्या तुम मुझसे सीखोगी?"
रश्मि: "समीर, तुम कभी गंभीर नहीं हो सकते! मुझे नहीं लगता कि तुम किसी मिशन के लिए सही हो। तुम्हें तो बस अपनी कार और पार्टी का ही ध्यान रहता है।"
समीर (हंसते हुए): "चलो, यह तो मजेदार होगा! और तुम जानती हो, तुम चाहो तो मैं तुम्हें तुम्हारे ट्रेनिंग सेंटर तक छोड़ सकता हूँ अपनी कार से, क्या कहती हो?"
रश्मि: "नहीं चाहिए मुझे, चली जाऊँगी मैं और वैसे भी वहां तुम्हें घुसने नहीं दिया जायेगा। ध्यान रखना, समीर! अगर तुमने मुझे और चिढ़ाया, तो मैं अपनी ट्रेनिंग के बाद तुम्हें एक मिशन पर भेजने का विचार करूंगी, जहाँ तुम्हें सच में स्पाई बनने का मौका मिले।"
समीर: "ओह, डार्लिंग, मुझे तो खुशी होगी! बस तुम पर कोई भी खतरा नहीं होना चाहिए। हे हे हे।"
वे दोनों हंसते हैं, और कॉल खत्म होने के बाद, रश्मि हल्की मुस्कान के साथ सोचती है कि समीर का चुलबुला अंदाज कभी-कभी उसे परेशान करता है। हालांकि, उसे यह भी पता है कि वह समीर को ज्यादा पसंद नहीं करती, लेकिन उसके पिता की अमीरी और राजनीतिक कनेक्शन के कारण, वह जानती है कि भविष्य में समीर उसके लिए एक उपयोगी व्यक्ति साबित हो सकता है। इस सोच के साथ, वह अपने नए सफर की तैयारी में जुट जाती है, यह समझते हुए कि दोस्ती और नेटवर्किंग का महत्व कभी-कभी भविष्य के लिए अनमोल हो सकता है।
जुदाई का पल:
रश्मि जब अपने घर से निकलने लगती है, तो साफिया और आइशा उससे मिलकर उसे शुभकामनाएं देती हैं। आइशा की आँखों में हल्की सी नमी होती है, लेकिन वह इसे छिपाने की कोशिश करती है। आइशा रश्मि को आखिरी बार गले लगाती है और कहती है, "मैं आपका इंतजार करूंगी, आप जल्दी लौटिएगा।" रश्मि उसकी बातों को महसूस करती है और मुस्कराते हुए वादा करती है, "जल्द लौटूंगी, आइशा।"
ट्रेनिंग सेंटर के लिए रवाना:
जैसे ही रश्मि ट्रेनिंग सेंटर की ओर रवाना होती है, उसके मन में दृढ़ता और जोश का एक मिश्रण होता है। अब उसके सामने सिर्फ एक लक्ष्य है - एक बेहतरीन जासूस बनकर देश की सेवा करना।