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Romance श्रृष्टि की गजब रित
राघव बेमन से उठाकर चल दिया फिर द्वार तक जाकर राघव पलट कर पीछे देखा तब श्रृष्टि ने मुस्कुराते हुए एक बार फ़िर से राघव को ठेंगा दिखा दिया। ये देखकर राघव मुस्कुराते हुए चला गया। लेकिन दोनों अभी सिर्फ दरवाजे तक ही पहोचे थे की तिवारीजी वापिस कमरे में आये


मनोरमाजी मुझे लगता है की शादी के समय पे ये बात करना ठीक नहीं

तो को ना अभिबात की जाए ??



“हां हां बैठिये आपको जो कहना है कहिये “ माताश्री जरा चिंतित होकर बोली

हां हां सर कहिये साक्षी ने भी सुर पूराया

तिवारी जी सोफे पे बैठते हुए बोले मै घुमा फिरा के बात नहीं करूँगा जो है सीधा बोलूँगा

जी कही ये माताश्री अब ज्यादा चिंतित हुई



जी अब शादी हो रही है तो कुछ लेनदेन की बात भी हो जाए !!!

मनोरमा और श्रुष्टि दोनों ही मन में बोली “ आ गए अपनी औकात पे “

माताश्री ने अपनी परिपक्वता दिखाते हुए बोली जी बोलिए आपकी क्या डिमांड है ??

साक्षी “हां हां भईया (राघव की ऑर देखते हुए)

जो भी हो बिनधास्त बोलिए

राघव: भैया ???????????

जी अब तिवारी सर ने मुझे अपनी बेटी मान लिया है तो उस नाते मै तुम्हारी बहन हुई



माताश्री को कुछ समजते देर ना लगी उन्हों ने साक्षी के कान में कहा ये फितूर था ???????????

साक्षी ने सिर्फ अपना सर हकार में हिलाया

तुम्हे कोइ र्पोब्ब्लेम तो नहीं

भाई की शादी मै धूमधाम से करुँगी देखना मम्मी

मम्मी भी समज गई

जी तिवारी जी बोलिए आप कुछ कह रहे थे

तिवारी: जी मनोरमाजी दहेज़ की बात कर रहे थे हम

तभी श्रुष्टि अपनी अपरिपक्वता दिखाते हुए अपनी सिट से उठी और कुछ बोले उस से पहले मनोरमा ने उसे हाथ से बैठ ने को कहा

जी तिवारी जी आप की डिमांड बोलिए

राघव बेचारा कुछ समज नहीं सका ये क्या हो रहा है

वैसे भगवान ने हमें सबकुछ दिया है पर एक डिमांड है और दहेज़ तो लेना ही है

जी ??? बोलिए तो

साक्षी हा हा हा बिलकुल दहेज़ तो लेना ही पड़ेगा और देना भी पड़ेगा

माताश्री की धीरज अब जवाब दे रही थी “अब बोलेंगे नहीं तो मै क्या समजू ??”

तिवारी: हमें दहेज़ में बहु की मा चाहिए

क्या ???????????

एक साथ श्रुष्टि और माताश्री

“हां हा दी पर उस से आगे कुछ नहीं मिलेगा बस” साक्षी ने तुरंत हकार में अपना निर्णय बता दिया

मनोरमा: देखिये ये नामुमकिन है एक मा अपनी बेटी के साथ कैसे रह सकती है उसके ससुराल में ???? ये नहीं हो सकता आप कुछ और मांग लीजिये कोशिश करुँगी देने को

श्रुष्टि को अब समज में आ गया की ये सब किस की चाल है वही माताश्री को भी अब पता चल ही गया की वो जब रसोई में थी तब क्या बात हुई पर राघव बुध्धू बना बैठा अपने पापा की और प्रश्नार्थ मुद्रा में देख रहा था

देखिये अब ये तो हमें चाहिए बस और कुछ नहीं चाहए

ये नहीं हो सकता माताश्री

“अच्छा एक रास्ता है अगर आप लोगो को ठीक लगे” साक्षी ने अपनी चाल चलते हुए कहा “इस रास्ते में मम्मी को बेटी के ससुराल में रहने की जरुरत नहीं पड़ेगी और कोई शर्मिंदगी भी नहीं रहेगी “

“क्या?” मम्मी

वैसे राघव भैया को और मुझे मा का प्रेम नहीं मिला सो अगर मम्मी आप ठीक समजो तो आप तिवारीजी से शादी कर के अपना बाकी का समय सही तरीके से बिता सकते हो “

“क्या बकवास कर रही हो साक्षी तुम जाओ अपने घर” मम्मी को गुस्सा आया और उसने साक्षी को अपने द्वार का रास्ता दिखाया

मम्मी आप समजो

खेर तिवारी ने भी कहा वैसे ये साक्षी का विचार पे विचार तो करना ही चाहीये ऐसा मुझे लगता है

सर क्या हमें थोड़ी देर अकेला छोड़ सकते है श्रुष्टि ने आखिर बोला

तिवारी: जी जी बिलकुल हम एक ड्राइव लगाके आते है आप लोग बाते कार्लो और सोच लो

दोनों बाप बेटे अब चल दिए तो तीनो के बिच घमासान हुआ

साक्षी: मम्मी आपने अपनी जवानी सिर्फ और सिर्फ अपने बेटी के लिए कुर्बान की अब मुका है और पिछली जिंदगी में किसी का साथ हो तो क्या बुरा है

तीनो के बिच काफी बात हुई कही कही ततुम तू मै मै भी हुई समाज क्या कहेगा उसकी चर्चा भी हु यु कही ये की हर तरफ की चर्चा हुई

आखिर श्रुष्टि समज गई और उसने भी अब साक्षी का पक्ष लेते हुए बोली मा साक्षी की सोच सही है

और दोनों बेटी ने मनोरमा पर दबाव डाला आखिर मनोरमा भी कुछ शर्तो पे राजी हुई

अब बाप बेटे भी आ गए

तिवारीजी “क्या सोचा”

साक्षी “सोचना क्या है बस आप मम्मी को प्रपोज कर दीजिये”

तिवारी: देखिये मनोरमाजी अब उमर वो नहीं रही की मै I love you कहू पर अब उम्र के हिसाब से मै आपको प्रपोज़ करता हु की क्या आप मेरे बेटे की मा बन सकती है ????

खेर कुछ बाते यहाँ वह हुई पर आखिर सब के दबाव पे मनोरमा मान ही गई

लेकिन शादी सर कागज़ पे होंगी ये शरत के साथ सब आगे बढे......

और इस तरह राघव और श्रुष्टि की एक नयी श्रुष्टि का शुभारंभ हुआ



|| शुभारम्भ ||

समाप्त
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वैसे तो कहानी यहाँ ख़तम होती है पर आगे जाते


साक्षी की भी शादी हुई और घर जाते हुए

एक गाडी में आगे राघव और श्रुष्टि थी जब की पिछली सिट पर तिवारी और मनोरमा थे तभी तिवारी ने अपना सर मनोरमा के कंधे पे रख दिया तो मनोरमा बोलो कुछ तो शर्म करो

वैसे भी आज आपकी लक्ष्मी घर से गई

तिवारी: मनोरमा दोनों का जवाब देता हु तुम्हे

अपनी पत्नी को प्रेम करना कोई गलत नहीं है और बच्चो देखेंगे नहीं तो सीखेंगे कैसे मा और बाप का प्रेम देख के वो भी अपने जीवन में एक दुसरे से प्रेम करना सीखेंगे इसमें मै कोई शर्म नहीं समजता

हमारी खराबी ही यही है अगर पति या पत्नी अपने साथी के कंधे पे सर रख के या कुछ प्रेम की भाषा बोल ने से शर्म रखनी चाहिए ऐसा कहते है वही अगर दूसरी औरत या मर्द के कंधे पे सर रखने से व्याभिचार हो जाता है कैसा समाज है ये

अब दूसरी बात मनोरमा मै एक बिजनेसमेन हु हमेशा प्रॉफिट की सोचता हु यहाँ भी मै तो फायदे में ही हु

एक लक्ष्मी दी पर सामने दो लक्ष्मी ली भी ......

सभी हसे





समय के चलते मनोरमा के पैर भारी भी हो गए और उसका मन नहीं था की बच्चा हो पर सभी की रे और खास कर राघव श्रुष्टि और साक्षी शुभम ने उस बच्चे की जिम्मेदारी ली अगर वो नहीं रहे तो और तिवारी भी यही चाहते थे बहोत तकलीफ के बाद सिजेरियन से बेटा हुआ जिसका नाम “प्रेमप्रतिक” रखा गया और श्रुष्टि ने भी समय के साथ चलते हुए बेटी को बाद में बेटे को जन्म दिए वही साक्षी भी एक बेटे की मा बन गई थी



समाज ने सब स्वीकार लिया बस थोड़े समय लोगो ने यहाँ वहा बाते की और भूल भी गए ......................


क्या यही श्रुष्टि की वृत्ति है ????? आपका क्या कहना है ?????????????



समाप्त

मेरी अगली कहानी पढ़ना ना भूलियेगा
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प्रिय पाठक गण और यहाँ जो भी है सभी

आप और आपके परिवार को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाये|||||

इस रौशनी के पर्व से आपके जीवन में खुशिया, सुख समृध्धि और श्रेष्ठ स्वास्थ्य की बौछार हो |||||||||

Funlover की और से
नीता
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शुभं करोति कल्याणम्,
स्वस्थ धन,
शत्रु-बुद्धि विनाशयः,
दीपःज्योतिः नमोस्तुते!
?????????

आपको और आपके परिवार को नव विक्रम संवत 2081 की हार्दिक शुभकामनाएँ।      
  नया साल आपके और आपके परिवार के लिए अत्यंत समृद्ध, खुशहाल और लाभकारी हो।


shubhan karoti kalyaanam,
svasth dhan,
shatru-buddhi vinaashayah,
deepahjyotih namostute!
?????????

aapako aur aapake parivaar ko nav vikram sanvat 2081 kee haardik shubhakaamanaen.      
  naya saal aapake aur aapake parivaar ke lie atyant samruddh, khushahaal aur laabhakaaree ho.


?????????

Happy Diwali to you and your family with New Vikram Samvat 2081.
May the new year be very prosperous, happy and beneficial for you and your family.
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