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Adultery बर्बादी को निमंत्रण
#41
अपडेट - 4



चंचल: (हंसते हुए) चल रखती हूँ फ़ोन जल्दी आना और हाँ ध्यान से आना। अपना ख्याल रखना।

सरिता : जी दीदी बाय..
दोनों अपने अपने हाथ मे फ़ोन लिए कुछ सोचती है और फिर मुस्कुराकर अपने अपने काम मे लग जाती है। वहीं दूसरी और चाँदनी अपनी तीर्थ यात्रा के लिए सामान जमाने लगती है। चाँदनी की तीर्थ यात्रा की तैयारी जोर शोर में थी।
पूरा परिवार खुशियों से झूम रहा था लेकिन ये खुशियां उस हवा की तरह थी। जो तूफान का संकेत देती है। पहले हल्की हल्की चलती है फिर अचानक से इतनी तेज आती है कि सब कुछ बर्बाद कर देती है। इस बात का एहसास अभी तक पूरे  घर में किसी को भी नहीं था। चलता भी कैसे सब कुछ बहोत आराम से खुशी खुशी हो रहा था।




अब आगे.....



चाँदनी ये भली भांति जानती थी कि उसके बड़े बेटे यानी कि सुरेश को ये तन्त्र-मन्त्र और बाबाओं पर शुरू से ही भरोसा और विश्वास कम था। तो चाँदनी ये सीधे सीधे तो सुरेश को बोल नहीं सकती थी कि वो तीर्थ यात्रा पर एक बाबा के कहने पर जा रही है जिन्होंने आस्वासन दिया है कि उनके तीर्थ यात्रा पूरी होने पर ही  चाँदनी के घर मे पोता होगा जो उनके  वंश को आगे बढ़ाएगा।


इसलिए चाँदनी के लिए समस्या ये नही थी कि सुरेश से बोलकर तीर्थ यात्रा पर जाए। वैसे सुरेश चाँदनी का बड़ा ही आज्ञाकारी बेटा है। यदि चाँदनी उसे तीर्थ यात्रा के लिए बोले तो वो खुद उन्हें तीर्थ यात्रा करवा लाये। लेकिन यदि वो ऐसा करेगा तो पोता कैसे होगा? इसलिए चाँदनी चाहती थी कि बाबा और उनकी बात सुरेश से छिपी रहे और वो अकेले तीर्थ यात्रा पर भी निकल सके। चाँदनी इसी बात पर परेशान थी। यहाँ तक कि चाँदनी ये बात न तो सुरेश को बोल सकती थी और ना ही चंचल को। तभी चाँदनी के मन मे ख्याल आया कि जब भी बात करनी हो इस विषय पर तो अपनी छोटी बहू से पूछना। चाँदनी के लिए अब केवल और केवल सरिता ही एक मात्र ज़रिया रह चुकी थी।

चाँदनी चंचल के कमरे को नॉक करके चंचल से बोलती है कि वो उनकी बात सरिता से करवाये।

चंचल तुरंत अपनी सास के कहे अनुसार सरिता को फ़ोन लगा देती है। चाँदनी फ़ोन लेकर अपने कमरे में चली जाती है और दरवाजा अंदर से बंद करके अपनी छोटी बहू सरिता से बात करने लगती है।

चाँदनी: 

[Image: 5c28648446c42.jpg] 
हेलो बहू! कैसी हो? सब कुशल से तो है ना।

सरिता:

[Image: 5c2864daf0b6c.jpg] 

माँ जी प्रणाम !जी माँ जी सब कुशल से तो है ?आप कैसी है?

चाँदनी: क्या बताऊँ बहू थोड़ी सी परेशान हूँ!

सरिता: परेशान? इतनी बड़ी खुशी का मौका है सासु माँ और आप परेशान हो? लेकिन क्यूँ?

चाँदनी: चुप कर ! तू भी न कुछ भी सोच लेती है। सुरेश की तरक्की के लिए तो में बहुत खुश हूँ। लेकिन मैं इस लिए परेशान हूँ क्योंकि मैं तीर्थ यात्रा पर जाना चाहती हूँ। लेकिन मैं सुरेश या राज में से किसी को लेकर नहीं जाना चाहती और चंचल सुरेश का यहां बनारस में काम संभालेगी तो कम से कम तुम ही तो रहोगी घर और रहने के लिए। 

सरिता: इसमे परेशानई क्या है? आप खुद भी तो जाकर आ सकती है ना माँ जी!

चाँदनी: अरे पगली जाने को तो मैं धरती के सात चक्कर काट ने जा सकती हूँ। लेकिन ये सुरेश है ना ये मुझे अकेले कहीं जाने ही नहीं देता। पता नही मुझे तीर्थ यात्रा पर भी जाने देगा कि नहीं। इसलिए सोचा कि तेरी मदद ले लूँ। लेकिन तू तो कुछ समझ ही नहीं रही!

सरिता: वह तो ये बात है मतलब आपकी परेशानी कुछ भी नही है बस इतनी सी है कि आपके साथ जाने वाला कोई चाहिए ताकि जेठ जी को आपको अकेले भेजने में कोई तकलीफ ना हो। यही ना?

चाँदनी: हाँ! यही है। लेकिन ये छोटी सी नहीं बहुत बड़ी समस्या है।

सरिता: मा जी आप मेरी मम्मी से बात क्यों नही करती? दरअसल क्या है ना कि मेरी मम्मी और पापा दोनो मेरी शादी हो जाने के बाद तीर्थ यात्रा पर जाना चाहते थे। लेकिन उनको वो मौका कभी लगा ही नहीं। तो आप अगर उनको अपने साथ ले जाएगी तो सारी समस्या का हल अपने आप ही हो जाएगा।

चाँदनी: सच्च बहू! क्या ये हो सकता है?

सरिता: रुकिये माँ जी ! मैं खुद उन्हें आपके साथ जाने को बोल देती हूँ।

चाँदनी: थैंक यू बेटा ! अब तेरी मदद से मेरी तीर्थ यात्रा ज़रूर सफ़ल होगी।

सरिता चाँदनी की बातें सुनकर शर्मा जाती है। 

सरिता: क्या माँ जी आप भी ना। रुकिये मैं मम्मी पापा स बात करती हूँ
चाँदनी और सरिता का फ़ोन काट जाता है। करीब पंद्रह मिनट बाद सरिता का कॉल आता है जिसमे सरिता चाँदनी को बोलती है कि
सरिता: हेलो माँ जी! मुबारक़ हो मम्मी और पापा कल ही अपना सामान लेकर अपने बनारस वाले घर आ रहे है। और कल मैं भी बनारस पहुंच जाउंगी। आज रात को ट्रेन में बैठ जाउंगी। हो सका तो मैं भी जेठ जी को समझाने का प्रयास कर लूँगी।

चाँदनी: थैंक यू बेटा अब तू जल्दी से घर आज बस। तूने तो मेरी सारी परेशानियां ही दूर कर दी। भगवान ने मुझे दो बहुएं दी है दोनों की दोनों ऐसे है कि मुझे लगता है जैसे पिछले जन्म के चारों तीर्थों का पुण्य मुझे इस जन्म में बहुओं के रूप में मिला है।

सरिता शर्मा जाती है। कुछ देर इधर उधर की बातें होती है और फिर फ़ोन काट देते है। उधर राज आज घर जल्दी आ गया था। अभी दोपहर के 3 ही बजे होंगे मुश्किल से और राज घर पर । ये तो सरिता के लिए भी सरप्राइज था।
बर्बादी को निमंत्रण
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#42
ek dum mast story ban rahi hai kuch surprising developments expected
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#43
(30-12-2018, 11:55 AM)Bregs Wrote: ek dum mast story ban rahi hai kuch surprising developments expected

Thank you so much... Expecting something surprise is good actually what have to happend as surprise must not be expect... 

आगे आगे देखो होता है क्या।।
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#44
आप कहानी की पृष्ठभूमि को तैयार अच्छा किया है। खास तौर पर साधु बाबा का आशीर्वाद (या श्राप?) का angle भी काफी अच्छा था।।।।
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#45
(30-12-2018, 12:48 PM)DR.DINGDONGDING Wrote: आप कहानी की पृष्ठभूमि को तैयार  अच्छा किया है।  खास तौर पर साधु बाबा का आशीर्वाद (या श्राप?) का angle भी काफी अच्छा था।।
Thank you so much... Jo kuch bhi aapko suspense lag raha hai uske alwa bhi bahut cheejen aisi hai jinhe aap normal maan kr chal rahe hai.. lekin wo is kahaani ke mul aadhaar hai aur abhi tak thay bane huye hai..Is liye aao sabhi readers se yahi kahunga... Ki is kahaani ko sirf sex ke nazariye se nhi dekh kr iske suspense ko bhi samjhne ka pryaas zarur karen...
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#46
Please give longer update
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#47
Story is superb going
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#48
Story ki shurwat achi hai.. Mere liye sabse achi baat ye hai ki aapke paas story tayar hai.. Most of the time, writer extends story unnecessarily. Aapke comments se lagta hai ki aap ke pas bahot hi achi storyline tayar hai. Mujhe to bas intzar hai us story ko aap kaise likhte ho.. All d best and please take ur time and give long updates...
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#49
(30-12-2018, 05:40 PM)Silverstone93 Wrote: Story ki shurwat achi hai.. Mere liye sabse achi baat ye hai ki aapke paas story tayar hai.. Most of the time, writer extends story unnecessarily. Aapke comments se lagta hai ki aap ke pas bahot hi achi storyline tayar hai. Mujhe to bas intzar hai us story ko aap kaise likhte ho.. All d best and please take ur time and give long updates...

Thank you dear..... 
You are absolutely correct about my story and mind.. I know how to express that story which is inside my mind... Kayi kahaniyon ke plot hai mere mind me... Lekin mei un sab ko mix karke khichadi nhin banaunga... Mujhe jo kahaani aapke saamne pesh karni hai use sidhe saade lafjon me pesh karunga...
Wo kehte kayi baar kuch accha pakaane ke liye kuch bhi nhi karnaa behtar hota hai kyuki kuch cheejon ko extra masale ki zarurat nhin hoti.. aur fir is kahaani mei suspension hai, secrets hai, sex hai jo apne aap mei apnaa ek naya andaaz aur naya jaayka rakhte hai...

Lambe updates ke baare mei me itnaa kahunga ki mujhe time lena padega. Mei roj ek update post kar raha hun... Agar us se dugna likhna pade to mujhe 2 din ka waqt chahiye. Aur fir meri kahaani nyi hai, mei bhi yahan naye readers ke beech me apni kahaani lekar aaya hun aur apni yogyta apne readers ke saamne saabit karne ki koshish kar raha hun. Agar meine update me deri ki to readers naaraj ho sakte hai lekin haan itnaa zarur kar sakta hun ki kisi bhi sex scan ko adhura nhin chodunga jaisa ki kayi stories mei hota aaya hai.. sex scene ko beech me chod dena koi suspension nhin hai... Wo ek trika hota writers ka jis se readers jyada se jyada comments karen story ko update dene ke liye... Lekin mujhe lagta readers ko sex chahiye hota to wo forum par nhi balki kisi sex videos site par jaate... Yahaan readers ko sex ke piche ki kahaani chahiye hoti... Sex ka andaaz chahiye hota hai jo unhe aur unki expectations ko satisfy kar sake... 

Is liye filhaal mei lambe aur bade updates ke baare me koi promise nhi kar sakta but haan mere har update me chaahe wo bada ya chota kaisaa bhi ho..  usme is kahaani ki ek kadi puri trah se aap sabhi ke saamne darshati jaayegi...

Aap sabhi kaa ek baar fir se comments and suggestions dene ke liye aur meri is kahaani ko aur mujhe ye samman baksh ne ke liye bahut bahut shukriya..
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#50
(30-12-2018, 02:33 PM)Klauacami Wrote: Story is superb going

Thank you so much dear... Isi trah mere aur meri kahaani ke saath jude rahe...
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#51
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चाँदनी: थैंक यू बेटा अब तू जल्दी से घर आज बस। तूने तो मेरी सारी परेशानियां ही दूर कर दी। भगवान ने मुझे दो बहुएं दी है दोनों की दोनों ऐसे है कि मुझे लगता है जैसे पिछले जन्म के चारों तीर्थों का पुण्य मुझे इस जन्म में बहुओं के रूप में मिला है।

सरिता शर्मा जाती है। कुछ देर इधर उधर की बातें होती है और फिर फ़ोन काट देते है। उधर राज आज घर जल्दी आ गया था। अभी दोपहर के 3 ही बजे होंगे मुश्किल से और राज घर पर । ये तो सरिता के लिए भी सरप्राइज था।



अब आगे....



सरिता दरवाजे को खोलते ही जैसे ही राज को सामने पाती एकदम से चोंक जाती है। सरिता के लिए एक बहुत बड़ा सरप्राइज था। हो भी क्यों नहीं जो आदमी अपने काम को ज्यादा महत्व देता हो वो आज काम से जल्दी कैसे? कोई गवर्मेंट जॉब तो है नही की हाफ डे था और घर लौट आये।

सरिता: अरे आप? इस वक़्त? यहां? कैसे?

राज: अरे कब ? क्यूँ? कहां? कैसे? बाद में पूछना पहले मुझे अंदर तो आने दो। किसी पराये मर्द की तरह मुझे बाहर ही सारे क्वेश्चन पूछ लोगों क्या?

सरिता को अपनी भूल का एहसास होता है कि उसने राज को सरप्राइज के चक्कर मे अंदर आने को भी नहीं कहा।

सरिता: 

[Image: 5c29c5dde34c7.jpg] 
ओह सॉरी सॉरी सॉरी ( शर्मिंदा होते हुए) आईये। मैं पानी लाती हूँ।

राज: अरे यार छोड़ो ये फालतू की फॉर्मेलिटी

( राज इतना बोलकर सरिता के हाथ को पकड़ कर अपनी और खींचता है और अपने सीने से लगा लेता है।

सरिता: आउच... क्या कर रहे हो कोई देख लेगा।

(राज जल्दी से सरिता को छोड़ ते हुए)

राज: यहां ? अपने घर मे? यहां कौन देखेगा?

सरिता: इश्ssssssss (  बच्चों की तरह सरिता राज की तरफ जीभ निकालते हुए ) जब मालूम है घर में कोई नहीं देखेगा तो फिर छोड़ा क्यों?

राज: क्या? मतलब मेरे साथ ही नाटक?

सरिता राज की तरफ जीभ निकाल कर भागने लगती है। वहीं राज भी सरिता की मासूमियत और नादानी पर खुद भी बच्चा हो जाता है और सरिता के पीछे भागने लगता है। लेकिन सरिता तो पल भर में राज के पास से उड़न छू  हो जाती है। पतली बपखाती कमर, हिरनी सी चाल , कजरारी आंखें, मलमली होंठ, दूध से रंग अप्सराओं सा योवन इतनी जल्दी हाथ भी कैसे आता । आखिर में राज थक कर गिरने का नाटक करते हुए नीचे गिर जाता है। सरिता राज को गिरता देख कर जल्दी से राज की तरफ भागती है और राज तुरंत सरिता को लपक कर गले लगा लेता है।

सरिता : 

[Image: 5c29c679dacf0.jpg] 

अरे अरे गिर जाओगे! आपको कहीं लगी तो नहीं?

राज: ( सरिता की आंखों में देखते हुए) अब तो मैंने तुम्हें पकड़ लिया! अब तो नही जाने दूंगा।

सरिता राज की चालाकी अब समझ जाती है। सरिता अपनी नाजुक कलाईयों से राज के सीने में मारते हुए बोलती है।

सरिता: चीटिंग, चीटिंग की आपने वरना आप मुझे नही पकड़ पाते।

राज: अच्छा भला क्या चीटिंग की मैंने?

सरिता: नाटक किया आपने? अगर आप गिरने का नाटक नही करते तो आप मुझे पकड़ ही नही पाते।

राज  एक पल की प्यार भरी मुस्कुराहट के साथ सरिता की आंखों में देखते हुए बोलता है।

राज: अच्छा ऐसी बात है तो लो छोड़ दिया तुम्हे! ( राज अपनी बाहों के घेरे को सरिता की कमर से ढीला कर देता है।) जाओ जहां जाना चाहती हो! लेकिन मेरी बाहों से निकलने के लिए पहले नाटक तो तुमने किया था याद है ना "कोई देख लेगा"। (हंसते हुए)

अब सरिता राज की आंखों में प्यार से देखते हुए राज की कमर को जकड़ लेती है।

सरिता: 

[Image: 5c29c71520774.jpg] 

ना तो मैं आपको छोडूंगी ना आपको छोड़ने दूंगी। चुपचाप पकड़ लो मुझे।

राज एक बार फिर से सरिता को अपनी बाहों में जकड़ लेता है और  सरिता की आंखों में देखते हुए सरिता पर झुकता चला जाता है। जैसे जैसे राज सरिता पर झुकता जाता है वैसे वैसे सरिता की आंखें मदहोश होते हुए बन्द होती जाती है और होंठ। किसी कली की तरह ! जैसे कोई कली खिल रही हो। ठीक उसी तरह सरिता के होंठ फड़फड़ाते हुए खुलने लगते है। और राज के होंठ होले होल सरिता की गर्म साँसों को महसूस करते हुए सरिता के होंठों से जा मिलते है।


[Image: 5c29c773eb370.jpg] 

दोनों इतना मादक किश कर रहे थे कि रति और काम देव भी इस समय होते तो रति क्रिया में लीन हो जाते। लग भग दो या ढाई मिनेट तक चले किश को दरवाजे की एक बेल ने तोड़ा। अगर ये दरवाजे की बेल ना बजती तो शायद दोनों युगों युगों तक एक दूसरे में लीन रहते।


[Image: 5c29c8a7783a1.gif] 

दरवाजे  की बेल बजते ही दोनों हड़बड़ाते हुए एक दूसरे से अलग हुए । सरिता जैसे ही हड़बड़ा कर दरवाजे की तरफ जाने लगी तो सरिता का मंगलसूत्र राज की शर्ट के बटन मैं उलझ गया। सरिता तुरंत मंगल सूत्र को सुलझानें में लग गयी जिसे सुलझाने में करीब 2-3 मिनट लग गए। और राज अपनी जगह खड़े खड़े सरिता को मुस्कुराते हुए देखता रहा।

मंगल सूत्र के निकलते ही सरिता जल्दी से दरवाजा खोलती है। दरवाजा खुलते ही सरिता सामने देखती है कि वहां पर फरिहा और दो तीन लड़कियां खड़ी है। दर असल सरिता के  पड़ोस में ही गर्ल्स पी जी है जहां कई सारी लड़कियां रहती है। उनमें से फरिहा काफी पुरानी लड़की है। फरिहा यहां राज और सरिता के आने से पहले से है। फरिहा पी.एच्. डी. कर रही है। इसलिए राज और सरिता फरिहा को अच्छी तरह से जानती है। फरिहा की शादी को तीन साल हो गए। खेर ये सब बाद में फिलहाल उसके आने के कारण को जान ले।

सरिता: फरिहा ? तुम यहाँ? इस वक़्त?

फरिहा: (शैतानी मुस्कुराहट के साथ) क्यूँ दीदी गलत टाइम पर आ गयी क्या? 

सरिता: ( झेंपते हुए) अरे नही नहीं ऐसी कोई बात नहीं।

फरिहा: ( सरिता के कान के पास आते हुए) लेकिन दीदी आपके इन नाजुक होंटों के पास मैं फैली हुई लिपस्टिक तो कुछ और ही बोल रही हूं।

सरिता: (तुरंत साड़ी के पल्लू से अपने होंटों को साफ करते हुए) अरे नही कुछ नहीं ये तो बस ऐसे ही

फरिहा: (सरिता को छेड़ते हुए) अरे बताओ ना दीदी प्रॉमिस हम किसी से नहीं कहेंगी। भैया परेशान करने के मूड में है क्या? चाहो तो हम बाद में आ जाते है?

सरिता: धत्त बेशर्म ( मजाक में फरिहा के कंधे पर मारते हुए) फालतू की बात छोड़ और ये बता कैसे आना हुआ?

फरिहा: ओह हो तो अब हमें जल्दी से भगाने की फिराक में हो आप? अच्छा तो ठीक है। हम तो आपसे थोड़ी सी चीनी और दूध लेने आये थे। दर असल हमारे एग्जाम है। और बाहर दुकान बंद है। और अगर दूर भी गए तो शाम को 5 बजे पहले दूध शायद ही किसी के पास मिले इस लिए आप से लेने आ गये।

सरिता: अच्छा किया। रुको मैं लाती हूँ।

करीब पांच मिनट बाद सरिता फरिहा को एक दूध का पैकेट और थोड़ी सी चीनी देकर विदा कर देती है। फरिहा के जाने के बाद सरिता मन ही मन मुस्कुराते हुए फरिहा की छेड़खानी को याद करती है।

सरिता: पागल,

राज: (ठीक सरिता के पीछे धीरे धीरे आ रहा होता है) क्या कहा? पागल? अरे भाई अब तो हमे सब पागल ही कहेंगे । महोबत मैं कौनसा इंसान समझदार होता है।

सरिताbanana  सरिता तुरंत पीछे पलट जाती है)अरे नहीं नहीं आपको नही वो तो मैं उस फरिहा को खेर जाने दो ये सब लेकिन आपने अभी तक ये नहीं बताया कि आज आप जल्दी कैसे?


राज : अरे बात ही खुशी की थी तो जल्दी आना ही था। दर असल मेरे पास कुछ देर पहले सुरेश भैया का कॉल आया था। उन्होंने बिज़नेस मैं हुए प्रॉफिट और हमारे बिज़नेस मैं होने वाली हेल्प के बारे में बताया तो तुमसे मिलकर बताने का दिल किया सो आ गया। और वैसे भी मैं कौनसा गवर्नमेंट जॉब मैं हूँ जो अपनी मर्जी से आ जा भी नहीं सकता।

सरिता: जी ऐसा तो मैंने नहीं कहा बस आपका जल्दी आना थोड़ा सा मेरे लिए सरप्राइज सा था।

राज : अच्छा जी।

सरिता : जी... और हां एक बात और माँ जी और चंचल दीदी का कॉल आया था। दोनों ने मुझे आज ही बुलाया है। तो शाम की ट्रेन कर ली मैंने। 

राज: हम्म मुझे सुरेश भैया ने भी बोला था कि कुछ दिन के लिए तुम्हे चंचल के साथ रहने दूँ।

सरिता : वो क्यों?

राज: क्यों की सुरेश भैया अपने बिज़नेस को अपने पार्टनर्स के साथ फॉरेन मैं ले जाएंगे। और उनके पार्टनर्स आज रात को फॉरेन जा रहे है और वो भैया को भी साथ ले जा रहे है। जिसके लिए उन्होंने भैया का टिकट बिना भैया को बताए ही बुक करवा लिया ।

सरिता : व्हाट? तो क्या इस बात का अभी तक माँ जी और चंचल दीदी दोनों को पता नहीं। 

राज: हाँ अभी तक तो नहीं है। यार तुम तो जानती हो बाबाओं के चक्कर ने माँ को साइको बना दिया है। जब देखो तब आज दिन सही नहीं, अभी मुहूर्त नहीं वगैरा वगैरा। और फिर मुहूर्त और इन सब मैं कोई भी इंसान इतना अच्छा मौका थोड़े ही छोड़ सकता है।

सरिता: (थोड़ा सोचते हुए) हाँ ये भी ठीक है लेकिन फिर भी कम से कम चंचल दीदी को तो?
राज : (सरिता की बात काटते हुए) अब कोई लेकिन वेकीन नहीं। तुम भी ये बात माँ और भाभी को नहीं बताओगी। भैया अपने मन से बताये तो अच्छा है और नहीं बताये तो ये भी उन पर छोड़ दो। हम दोनों अच्छे से जानते है भैया माँ और भाभी दोनो को बहुत चाहते है। अगर वो नही बात रहें है तो सोचो कितनी बड़ी मुश्किल में होंगे।

सरिता : ओके बाबा, खुश, अब इतना स्ट्रेस में मत रहो! आप बिलकुल भी अच्छे नहीं लगते स्ट्रेस में।

राज: अच्छा , तो फिर मेरा स्ट्रेस दूर कर दो ना।

सरिता : मैं कैसे दूर करूँगी आपका स्ट्रेस ? ( सोचते हुए)

राज : ( सरिता को बाहों में लेते हुए) मेरी जान मेरे साथ आज शाम तक डेट पर चलकर। जब तक तुम्हारी ट्रैन नहीं आती तब तक तुम्हारी खुशबू मैं अपने आप में बसा लेना चाहता हूँ।

सरिता : (राज को बाहों में जकड़ते हुए) अच्छा तो  शादी के बाद भी जनाब को डेट पर जाना है। अपनी ही बीवी को गर्लफ्रैंड की तरह घुमाना है। ह्म्म्म  तो जनाब आप छोड़ेंगे तभी तो तैयार हो पाऊंगी ना डेट के लिए।
 राज: ना दिल नही कर रहा

सरिता : तो ठीक है शाम तक ऐसे ही रहते है।

राज: तुम ना नहीं सुधरोगी ( सरिता को बाहों के बंधन से मुक्त करते हुए) जाओ और जल्दी से तैयार हो जाओ। और हां कॉलेज गर्ल टाइप बनना। मेरा मतलब साड़ी मत पहनना वेस्टर्न कुछ पहनना । आज मैं मेरी बीवी और गर्लफ्रैंड दोनों से मिलना चाहता हूं।

सरिता शर्माते हुए टॉवल उठा कर चली जाती है।

वहीं दूसरी और सुरेश बेहद परेशान था। सुरेश को समझ नही आ रहा था कि क्या करे और क्या ना करे। सुरेश इतना परेशान था कि उसे आफिस में ही इमरजेंसी के लिए डॉक्टर को बुलाना पड़ गया।
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#52
Nice long update .......
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#53
Kya ho gaya suresh ko.. Ab to lagata hai barbadi najdik aa gayi hai..
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#54
(31-12-2018, 02:20 PM)DR.DINGDONGDING Wrote: Nice long update .......

Thank you...
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#55
(31-12-2018, 02:23 PM)Silverstone93 Wrote: Kya ho gaya suresh ko.. Ab to lagata hai barbadi najdik aa gayi hai..

Ji lagta to hai... Aage dekhiye hota hai kya..
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#56
Lagta h Suresh ka land khada nahi ho Raha h
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#57
(31-12-2018, 05:08 PM)Black boy Wrote: Lagta h Suresh ka land khada nahi ho Raha h

:D :D :D :P :P

Kaun jaane kya hua hai..
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#58
Happy New year all friends
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#59
Zabrdast kahani ban Rahi hai
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#60
zabardast story.....

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