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मैं फ्री हो कर बेड पर बैठ कर मोबाइल में विडियो देख रहा था / नंगी विडियो मैंने आवाज़ कम करके लगा रखी थी / सेक्सी विडियो देख देख कर मेरा लौड़ा टाइट हो रहा था / मेरे मन से बस वाली बातें नहीं जा रही थी और मैं सोच रहा था की मम्मी की चूत पर बाल होंगे के नहीं / ये सोचने का कारन ये भी था की मेरे लौड़े के आसपास मेने अपनी साडी झांटे साफ़ कर रखी थी और मुझे साफ़ जगह पसंद थी ताकि मुझे और मेरे पार्टनर को चूसने में कोई परेशानी न हो /
हाय मम्मी ///
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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मोबाइल देखते देखते मुझे नींद आने लगी थी / मैंने मोबाइल एक तरफ बंद करके रख दिया और सोने की कोशिश करने लगा / कमरे में अँधेरा था / थोड़ी देर बाद मम्मी अंदर आई और बोली रवि बेटे, सो गया क्या? इतना अँधेरा कियूं कर रखा है? कहकर मम्मी ने कमरे की लाइट जला दी / लाइट के जलते ही कमरे में रौशनी हो गई थी और मेरा शेर जाग रहा था और मेरी आँखें बंद थी / मैं पीठ के बल लेता हुआ था / मैंने नाईट पजामा और एक टी शर्ट डाली हुई थी / मेरे लौड़ा पूरी तरह से टाइट होकर पेंट के अंदर छत की तरफ देख रहा था / आपको पता ही है कि जब मेरे लौड़ा तन्ना जाता है तो उसकी ऊपर की चमड़ी नीचे हो जाती है और मेरे लौड़े का सुपाडा टाइट होने के बाद चमकने लगता है /
हाय मम्मी ///
// सुनील पंडित //
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मम्मी ने जैसे ही मेरी तरफ देखा तो मैं पीठ के बल सो रहा था और मेरा लौड़ा अपनी पूरी जवानी पर था / मम्मी ने धीरे से मुझे आवाज़ दी “रवि” लेकिन में अपनी आँखें बंद कर के पड़ा रहा और अपने लौड़े का ठुमका मारा / मम्मी की नज़र मेरे पजामे के अंदर ठुमका मरते मेरे लौड़े पैर चली गई / मम्मी ने समझा होगा की मैं कोई सपना देख रहा हूँ / मेरे लौड़े का उभार मम्मी को अपनी तरफ खींच रहा था / मैंने अपने लौड़े को जोर जोर से ठुमकाना शुरू कर दिया / मुझे महसूस हो रहा था की मेरे लौड़े का सुपाडा मेरे पजामे के अंदर रगड़ मार कर मेरे लौड़े को और भी टाइट कर रहा था क्योंकि हम लोग रात को अंडरवियर और औरते रात को पेंटी और ब्रा नहीं डालती थी / इसका मतलब इस टाइम मम्मी ने भी नीचे ब्रा और पेंटी नहीं डाली होगी / मम्मी ने जल्दी से कमरे की लाइट बंद कर दी लेकिन फिर ही खिडकियों से जो रौशनी अंदर आ रही थी वो सीधा मेरे ऊपर पड़ रही थी और मेरे पजामे के अंदर जो उभार था वो भी मम्मी को दिखाई दे रहा था / मेरे मूंह पैर अँधेरा था तो मैं धीरे धीरे से अपनी आँखें खोल कर मम्मी को देखना शुरू कर दिया था की मम्मी अब क्या करेगी / मम्मी धीरे धीरे से मेरी तरफ आने लगी और एक ऊँगली से मुझे हिला कर बोली, रवि बेटा, सो रहे हो क्या? लेकिन मैं बिना कुछ बोले चुपचाप पड़ा रहा / मैं देखना चाहता था कि मम्मी अब क्या करेगी?
हाय मम्मी ///
// सुनील पंडित //
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मेरा लौड़ा अभी भी एकदम टाइट छत की तरफ हो कर खलीफा टावर बना हुआ था / मम्मी ने धीरे से अपनी एक ऊँगली से मेरे लौड़े को पेंट के ऊपर से हलके से छुआ / मेरे लौड़े ने ठुमका मारा / मम्मी डर गयी और अपना हाथ पीछे कर लिया / थोड़ी देर तक मम्मी ऐसे ही बेठी रही / जब मेरी तरफ से कोई हरकत नहीं हुई तो मम्मी ने समझा की मै पूरी तरह से नींद मैं हूँ / मम्मी ने धीरे से मुझे हिलाया और पुछा रवि सो रहे हो कि जाग रहे हो ?
लेकिन मेरी तरफ से कोई जवाब नहीं आया / मम्मी ने मुझे जोर जोर से हिलाया परन्तु मैंने कोई जवाब नहीं दिया / मम्मी ने समझा की मैं पूरी तरह से नींद मैं हूँ / मम्मी एक दो मिनट ऐसे ही बैठी रही / मम्मी ने हिम्मत करके मेरे इलास्टिक वाले पजामे के रब्बर वाली जगह से पकड़ा और ऊपर की तरफ से उठा कर अंदर की तरफ देखा पजामे के अंदर मेरा लौड़ा अपनी पूरी औकात पर था / मम्मी ने पजामे को मेरे लौड़े के ऊपर से लेजाते हुए पजामे को नीचे की तरफ सरका दिया / मेरा लौड़ा अब नंगा हो चूका था / मेरे लौड़े के नीचे एक भी बाल नहीं था मतलब मैं अपने लौड़े को क्लीन शेव रखता था मुझे लौड़े की और चूत की झांट बिलकुल पसंद नहीं थी / इसलिए मेरी बीवी डॉली भी अपनी चूत को क्लीन शेव करके रखती थी / मम्मी मेरे टाइट बिलकुल मीनार के तरह से सीधा खड़े हुए लौड़े को बड़ी हैरानी से देख रही थी / मेने अपने लौड़े को झटके देने शुरू कर दिया जैसे कोई सांप लहरा रहा हो / मेरे लौड़े को देख कर ऐसे लग रहा था मेरे लौड़े ने मम्मी की आँखों में सम्मोहन हो रहा था मम्मी की नज़रें मेरे लौड़े से हट ही नहीं रही थी / मम्मी धीरे धीरे से मेरे लौड़े की तरफ अपने होंठों को आगे बढाने लगी और मेरे लौड़े के पास में आ कर मेरे लौड़े के चमकते हुए सुपाडे को अपनी जीभ से धीरे से चाट लिया और फिर धीरे से अपने दोनों होंठों में मेरे सुपाडे को थोडा सा भर कर जीभ से चाटने लगी / और जब मम्मी को सुपाडे का स्वाद आने लगा तो मम्मी ने मेरे पुरे सुपाडे को अपने होंठों में हर कर अंदर ही अंदर जीभ फेरने लगी / और बड़ी जोर जोर से मेरे सुपाडे को चूसने लगी / मम्मी ने अपने दोनों हाथों से मेरे सुपाडे के नीचे लंड को पकड़ कर अपने होंठों को ऊपर नीचे करते हुए मजे ले ले कर चूसने लगी / मेरा लौड़े में पत्थर जैसी सख्ती आ चुकी थी/ मुझे लग रहा था की मैं ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर सकूँगा और मेरा पानी निकल जायेगा / मैंने धीरे धीरे आह... आह्ह ..ओफ्हो... करना शुरू कर दिया था जिस से मम्मी को लगा की मैं जैसे कोई सपना देख रहा हूँ / और फिर पूरी स्पीड से मेरे लौड़े ने अपना पानी छोड़ दिया जिसे मम्मी ने बिना किसी शर्म के अपने होंठों द्वारा अपने मूंह से गटक लिया / मेरे लौड़े ने गाड़ी मलाई के कई शॉट मारे जिसे मम्मी ने बिना किसी शर्म के जल्दी जल्दी से अंदर गटक लिया जैसे मम्मी ने कोई मीठी मलाई खाई हो / अब मेरा लौड़ा कुछ कुछ ढीला होने लगा था / मम्मी ने लंड को अपने मूंह से निकल दिया / मेरे लौड़ा अभी भी अपनी पूरी औकात पर था और अभी भी काफी बड़ा दिखाई दे रहा था / मम्मी ने मेरे लंड के ऊपर चुम्मी दी और फिर मेरे पजामे के रब्बर को पकड़ कर मेरे लौड़े से ऊपर करते ही कमर पर कर दिया और फिर मेरी तरफ पीठ कर के सो गई / कुछ देर बाद मैंने मम्मी की तरफ अपना मूंह किया मैंने देखा कि
टी शर्ट ऊपर उठ जाने की वजह से मम्मी की कमर का नाजुक नरम हिस्सा दिखाई दे रहा था / और मम्मी की गांड के ऊपर पजामा था और पजामा गांड की दरार में फंसा हुई था जिस कारण मम्मी की गांड की दरार पूरी तरह से महसूस हो रही थी / मैंने धीरे से मम्मी की कमर पर अपनी एक टांग रख कर सोने की एक्टिंग करने लगा और अपने लौड़े के सुपाडे को मम्मी की गांड की दरार के अंदर तक फस कर सोने की कोशिश करने लगा / न जाने कब मम्मी की गांड की दरार में अपने लौड़े को फसा कर मुझे नींद ने आ घेरा था मुझे पता ही नहीं चला /
हाय मम्मी ///
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सुबह जब में जागा तो मैं बेड पर मैं अकेला ही सोया हुआ था / मेरा लौड़ा अभी भी टाइट था / मुझे पता था कि जब भी मैं सुबह सुबह जागता था तो मेरा लौड़ा मेरे जागने से पहले टाइट होता था / कुछ ही देर में मम्मी मेरे लिए बेड टी ले कर आई और एक रहस्यमयी स्माइल दे रही थी / मम्मी बोली “उठ गया रवि” मैंने कहा “हां मम्मी, आप तो मुझ से भी पहले उठ गई / रात को आपको ठीक नींद आई ना”
मम्मी मुस्कराते हुए तिरछी नज़र से मुझे देखा और बोली – “मुझे तो बहुत ही अच्छी नींद आई / कल की रात तो मैं भूल नहीं सकती, ऐसी मजेदार नींद आई थी, तुम्हे तो कुछ होश ही नहीं था रात को, सुबह भी तुम मेरे ऊपर टांग रखकर सो रहे थे” मम्मी ने मुझे प्यार से देखते हुए बोला “रवि, तुम्हे कैसी नींद आई?” मैंने भी मम्मी को नार्मल रहते हुए कहा, “पता नहीं मम्मी मुझे तो इतनी थकावट हो रही थी कि कुछ पता ही नहीं चला, जब मैं सुबह उठा तो मैं अकेला ही बेड पर था आप उठ चुकी थी”/
हाय मम्मी, तुम्हारे जैसी कोई नहीं ///
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28-05-2024, 02:56 PM
मैंने देखा मम्मी के होंठों पर रहस्यमयी मुस्कराहट थी / वो मुझे चाय पकड़ा कर चली गई / मेरी नज़र मम्मी की थिरकती हुई गांड पर ही ठहरी हुई थी / जब तक मम्मी दरवाज़ा पार कर के मेरी नजरो से ओझल नहीं हो गई मेरी नज़र मम्मी की उठती-गिरती गांड पर ही ठहरी रही / मैं चाय पी कर बाथरूम चला गया और नाहा कर तैयार हो कर बहार निकला / सारा दिन प्रोग्राम अटेंड करने के बाद शाम को हम लोग अपने घर जाने की तैय्यारी करने लगे / तो चौधरी साहब ने हमें बस स्टैंड छोड़ने के लिए कार भेज कर हमें बस स्टैंड तक पहुंचा दिया / आसमान में काले काले बादल छाने लगे थे किसी भी समय बारिश होने के असार थे /
जब हम कार से बस स्टैंड पहुंचे तो रास्ते में ही बारिश हो चुकी थी / कार पार्किंग से बस स्टैंड तक पहुचते हुए हम दोनों भीग चुके थे / बस जाने के लिए तैयार थी / मम्मी और मैं दोनों जल्दी से बस में चढ़ गए / बस में बहुत ही ज्यादा रश था जिस कारण हमें बैठने के लिए भी सीट नहीं मिल सकी/ हम भीड़ में ही खड़े हो गए थे / मम्मी ने सफेद रंग की साड़ी पहनी थी और सफ़ेद ही ब्लाउज था/ बारिश के पानी से साड़ी और ब्लाउज भीग गए थे और मम्मी की सफ़ेद ही रंग की ब्रा भी अब दिखाई देने लगी थी / मैंने पीछे से देखा की ब्रा की पट्टी काफी चौड़ी थी और मम्मी की ब्रा के कप भी काफी बड़े बड़े थे क्योंकि मम्मी के मुम्मे बहुत बड़े बड़े थे / मम्मी के ब्लाउज का गला भी काफी डीप था जिसमें से मम्मी के मुम्मों के क्लीवेज बड़े बड़े दिखाई दे रहे थे / मम्मी मेरे आगे खड़ी थी/ मम्मी की गांड पीछे की तरफ उभरी हुई थी और जब मैं और मम्मी भीड़ की वजह से एक दुसरे से चिपक कर खड़े थे तो मम्मी की गांड मरे लौड़े को पीछे की तरफ दबा रही थी /
(हाय मम्मी, क्या कर रही हो, जोर से करो ना // )
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28-05-2024, 02:56 PM
मैंने देखा मम्मी के होंठों पर रहस्यमयी मुस्कराहट थी / वो मुझे चाय पकड़ा कर चली गई / मेरी नज़र मम्मी की थिरकती हुई गांड पर ही ठहरी हुई थी / जब तक मम्मी दरवाज़ा पार कर के मेरी नजरो से ओझल नहीं हो गई मेरी नज़र मम्मी की उठती-गिरती गांड पर ही ठहरी रही / मैं चाय पी कर बाथरूम चला गया और नाहा कर तैयार हो कर बहार निकला / सारा दिन प्रोग्राम अटेंड करने के बाद शाम को हम लोग अपने घर जाने की तैय्यारी करने लगे / तो चौधरी साहब ने हमें बस स्टैंड छोड़ने के लिए कार भेज कर हमें बस स्टैंड तक पहुंचा दिया / आसमान में काले काले बादल छाने लगे थे किसी भी समय बारिश होने के असार थे /
जब हम कार से बस स्टैंड पहुंचे तो रास्ते में ही बारिश हो चुकी थी / कार पार्किंग से बस स्टैंड तक पहुचते हुए हम दोनों भीग चुके थे / बस जाने के लिए तैयार थी / मम्मी और मैं दोनों जल्दी से बस में चढ़ गए / बस में बहुत ही ज्यादा रश था जिस कारण हमें बैठने के लिए भी सीट नहीं मिल सकी/ हम भीड़ में ही खड़े हो गए थे / मम्मी ने सफेद रंग की साड़ी पहनी थी और सफ़ेद ही ब्लाउज था/ बारिश के पानी से साड़ी और ब्लाउज भीग गए थे और मम्मी की सफ़ेद ही रंग की ब्रा भी अब दिखाई देने लगी थी / मैंने पीछे से देखा की ब्रा की पट्टी काफी चौड़ी थी और मम्मी की ब्रा के कप भी काफी बड़े बड़े थे क्योंकि मम्मी के मुम्मे बहुत बड़े बड़े थे / मम्मी के ब्लाउज का गला भी काफी डीप था जिसमें से मम्मी के मुम्मों के क्लीवेज बड़े बड़े दिखाई दे रहे थे / मम्मी मेरे आगे खड़ी थी/ मम्मी की गांड पीछे की तरफ उभरी हुई थी और जब मैं और मम्मी भीड़ की वजह से एक दुसरे से चिपक कर खड़े थे तो मम्मी की गांड मरे लौड़े को पीछे की तरफ दबा रही थी /
(हाय मम्मी, क्या कर रही हो, जोर से करो ना // )
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गर्मी के मौसम में मेरे लौड़े पर मम्मी की गांड की रगड़ मुझे अच्छी लग रही थी / गांड की रगड़ से मेरे लौड़े ने धीरे से अपना सर उठाना शुरू कर दिया था और मम्मी की गांड में साड़ी के ऊपर से ही अंदर की तरफ घुसने लगा था / अचानक मैंने देखा की मम्मी जहाँ पैर खड़ी थी उसके कोने वाली सीट पैर वाही ,., अंकल बैठे थे जो पहले मम्मी और मुझे मिले थे / उन्होंने धीरे से मम्मी की साड़ी के अंदर अपना एक हाथ डाला और मम्मी की चूत पर अपना हाथ फिरने लगे / मुझे अंकल का हाथ मम्मी की साड़ी के अंदर आगे पीछे होते हुए महसूस हो रहा था / मम्मी के मूह पैर लाली छाने लगी थी और वो धीरे धीरे से अपने मूंह के अंदर ही सिसकियाँ ले रही थी / फिर अचानक ही मम्मी के मूंह से एक आह सी निकल गई जिस से मैं समझ गया की मम्मी की चूत में अंकल की मोटी ऊँगली चली गई है / मम्मी के मूंह से धीरे धीरे लगातार सिसकियाँ निकलने लगी, क्योंकि अंकल की ऊँगली धीरे धीरे अब स्पीड पकड़ने लगी थी / कुछ देर तक ऐसे ही सिसकने के बाद मम्मी ने एक लम्बी आह भरी और फिर शांत हो गई / मैं समझ गया की मम्मी की चूत ने पानी छोड़ दिया है / अंकल ने भी अपना हाथ बहार निकल लिया था / मैंने छुपी आँखों से देख की अंकल का हाथ भीगा हुई था जिसपर मम्मी की चूत का पानी भरा हुआ था / अंकल ने सही से छुपा कर अपनी भीगी हुई उंगलियो को चाट चाट के साफ़ कर दिया और मुस्कराने लगे थे / वो अगले स्टॉप पर उतर गए /
(हाय मम्मी चलो घर चल कर मजे करते हैं // )
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यह सब देख कर मेरे लौड़े ने भी हरकत करनी शुरू कर दी थी और वो अपनी पूरी औकात पर आ चूका था / मुझे महसूस हो रहा था की मेरे लौड़े का टोपा खुल कर टाइट हो चूका था / इस घर्षण की वजह से मेरे लौड़े में उबाल आ रहा था / मैंने अपने लौड़े को मम्मी की गांड के और भी अंदर की तरफ धकेलना शुर कर दिया था / और धीरे धीरे से अंदर की तरफ धक्का मार रहा था / मम्मी भी पीछे की तरफ अपनी गांड को धकेल कर मेरे लौड़े को अपनी गांड में लेना चाहती थी / मुझे पता था कि जब से मम्मी ने रात से मेरे लौड़े की मलाई खायी थी तभी से मम्मी मेरे लौड़े की दीवानी थी / मेरा पूरा लौड़ा मम्मी की गांड की दरार में घुस चूका था (कपडे के ऊपर से) / हम दोनों ही एक दुसरे की तरफ धीरे धीरे से जोर लगा कर मजा ले रहे थे और भीड़ में किसी को ही इस बात की खबर ही नहीं थी / मम्मी की साडी और मेरे कपडे भी अब काफी हद तक सूख चुके थे / आखिर हमारा स्टॉप आ गया और हम उस स्टॉप पर उतर गए और घर की तरफ जाने के लिए ऑटो ले लिए / ऑटो में भी पूरी तरह से रश था और मैं और मम्मी आपस में जुड़ कर बैठे थे मम्मी मेरी तरफ गिरती जा रही थी / मम्मी ने बहाने से पहले अपना एक हाथ मेरी गोदी में रखा था और फिर धीरे से मेरे लंड के ऊपर अपना हाथ रख कर लंड को दबाने लगी और ऐसा करने से मेरा लौड़े में फिर से जान आने लगी थी / यह भी अच्चा था की मैंने अपनी गोदी में एक हल्का सा बैग उठा रखा था और बाकि बैग पीछे ऑटो में रखे थे / मम्मी धीरे धीरे मेरे लंड पर अपना हाथ फिर रही थी और मेरे पूरे लौड़े का नाप ले रही थी मेरे लौड़े ने पजामे के अंदर ही अपने टोपे को खोल लिया था और मेरा लंड का सुपाड़ा खुल चूका था और पूरी तरह से टाइट हो चूका था जिस पर मम्मी अपनी उँगलियों को कस रही थी और उपर नीचे कर रही थी / मेरे लौड़े से पानी छूटने वाला था इतने में हमारे घर के पास वाला स्टॉप आ गया और सभी ऑटो से उतरने लगे थे / मुझे लग रहा था की अगर यह स्टॉप ना आता तो एक दो मिनट में मेरे लौड़े ने अपनी मलाई निकल देनी थी / हम ऑटो से उतर कर घर की तरफ जाने लगे / मेरे पजामे में अभी भी मेरे लौड़े में उफान था / मम्मी मेरे लौड़े की तरफ देख कर हंस रही थी मैंने शर्म के मारे एक हलके बैग को अपने लौड़े के ऊपर ढक लिया और अंदर आकर हम सोफे पर बैठ गए // (Flash-back end)
हाय मम्मी, तेरे बिना भी क्या जीना ///
// सुनील पंडित //
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( प्रेजेंट टाइम )
मुझे पता था कि मम्मी परदे के पीछे से हमारे कमरे के अंदर मेरी और डौली की चुदाई देखने के लिए खड़ी थी / मैं डॉली की टांगों की तरफ आ कर बैठ गया मैंने फिर डॉली की दोनों नंगी टांगों को इधर उधर फैला कर खोल दिया जिस से डॉली की बिना बालों वाली चूत का मूंह भी थोडा सा खुल गया था / मैंने डॉली की चूत को दोनों हाथों की उँगलियों से फैला कर अपनी जीभ से चाटना और चूसना शुरू कर दिया / डॉली मस्ती में आह ऊह आह ऊह करने लगी / मुस्ती में डॉली के मूंह से सिस्कारियां निकल रही थी और मैंने थोड़ी देर तक डॉली की चूत को चूसा तो डॉली की चूत चमकने लगी थी और थोडा थोडा पानी भी छोड़ने लगी थी / मैंने अपने लौड़े को डॉली की चूत के सामने सेट किया और डॉली की छूट की दोनों चमकती हुई फाड़ियों को अलग अलग करके अपने लौड़े के सुपाडे को उसके उपर फिट किया जिससे मेरा सुपाडा थोडा सा चूत के अंदर तक चला गया था / और डॉली के कन्धों को दोनों हाथों से पकड़ कर एक जबरदस्त धक्का मारा मेरा लगबघ पूरा लंड ही डॉली की छूट को फाड़ता हुआ अंदर जाकर टाइट हो गया / डॉली की मूंह से एक जोरदार चीख निकली “हाय मर गई मम्मी मुझे बचाओ, मार डाला, मेरी चूत फाड़ दी” मैंने डॉली के होंठों पर अपने होंठ फंसा कर थोडा सा लौड़ा बहार निकला और एक जोरदार धक्का और मारा जिस से मेरा लौदा पूरा डॉली की चूत के अंदर समाकर फिक्स हो गया /
// सुनील पंडित //
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मैंने अपने लौड़े को चूत के अंदर डाले डाले ही डॉली के होंठों को चूसना शुरू कर दिया और उसके भारी भारी मुम्मों को भी दबाना चालू कर दिया जिस कारन डॉली की चूत पानी छोड़ने लगी और चिकनी हो गई / मैं एक दो मिनट रुक कर अपने लौड़े को थोडा सा बहार निकला और फिर से एक हल्लब्बी धक्का मारा और अपने लम्बे मोटे काले लौड़े को डॉली की गोरी गोरी प्यारी छूट के अंदर तक फसा दिया / ऐसा लग रहा था जैसे कोई काली मोती मूली माखन के अंदर धंसी हुई हो / दो मिनट के बाद ही डॉली नीचे से अपने चूतड हिलाना चालू कर दिया जिस कारण मैं समझ गया की डॉली की चूत मेरे लौड़े को अपने अंदर घुसाने की कोशिश कर रही है / मैंने झट से अपने लौड़े को पूरा बाहर निकल लिया और मम्मी को खिड़की की तरफ दिखाते हुए और डॉली को दिखाते हुए बोला देखा डॉली लौड़ा तुम्हारी चूत का रस पीकर कितना मोटा और लम्बा हो गया है / डॉली ने शर्माते हुए बोला “हम्म, देख रही हूँ, आपको तो यह काम बहुत पसंद है, आपका बस चले तो आप सारा दिन ही चूत में अपना डाल कर धक्के ही मारते रहो, आपका घोड़े जैसा लौड़ा अपनी चूत में डलवा कर मुझे कितना दर्द होता है आपको पता नहीं है /” मैंने डॉली के एक मुम्मे को अपने होंठों में पूरा भरते हुए बोला – “मुझे पता है मेरी जान / तुम्हे भी तो मेरा गधे जैसा लौड़ा ले कर मजा आता है, तभी तो अपनी गांड को उठा उठा कर मेरे लौड़े को पूरा अंदर तक ले लेती हो, और बोलती हो और जोर से मेरी चूत मारो मेरे राजा, फाड़ दो मेरी चूत को /”
// सुनील पंडित //
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“सही बात है” डॉली बोली. “मेरे राजा तुम्हारे जैसा लौड़ा तो शायद ही किसी का हो, ऐसा लगता है जैसे किसी घोड़े या गधे का लौड़ा हो / इतना बड़ा तो शायद ही किसी का लंड होगा / और जब तुम शराब पी कर आते हो और भी पागल हब्शी जैसे हो जाते हो ऐसा लगता है जैसे तुम्हारे अंदर कोई शैतान घुस जाता है और सुबह जब उठते हो तो तुम्हे कुछ याद नहीं रहता / मुझे तो लगता है की आज भी तुम शराब पी कर आये हो / बताओ क्या ये सही बात है ?” (ये शब्द मैंने डॉली को जानबूझ कर बोलने के लिए कहा था, ताकी जब कभी मैं और मम्मी सेक्स करें तो मैं ऐसा pretend करूं जैसे मुझे शराब पीने के कारण सेक्स करने की कोई भी बात याद नहीं है/)
मैंने डॉली की चूत में अपने लौड़े को धक्का मार के पूरा जड़ तक घुसते हुए कहा “बिलकुल ठीक कहा मेरी जान डॉली / आज तो मैंने शराब के साथ साथ एक स्पेशल वाली गोली भी खाई है / ये गोली मेरे एक आयुर्वेद के जानकार दोस्त ने मेरे लिए स्पेशल बना कर दी है और कहा है की मेरे लौड़े से जल्दी से पानी नहीं निकलेगा और मेरा लौड़ा किसी घोड़े या गधे जैसा ही बन जायेगा मैं जब मर्जी अपने लौड़े को छोटा या बड़ा कर सकूँगा /” यह कहकर मैंने डॉली को एक प्लास्टिक के लिफाफे के अंदर बहुत सारी गोलियों को दिखाते हुए कहा / उस लिफाफे के अंदर बहुत सारी गुलाबी गोलियां थी जो कि मैंने सेक्स करने से पांच मिनट पहले ही लेनी थी / इन गोलियों का असर बहुत जल्द ही होने लगता था और काफी देर तक रहता था / आज मैंने पहली गोली ली थी और मुझे अपने अंदर बहुत ही ज्यादा एनर्जी (ताकत) महसूस हो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लौड़े का साइज़ और भी बड़ा हो गया हो और मुझे अभी तक ऐसा महसूस हो रहा था जैसे एक घंटे तक मैं और भी डॉली को चोद सकता हूँ /
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डॉली की सिसकियाँ अब धीरे धीरे तेज़ होने लगी थी और सिसकियाँ चीखों में बदल रही थी / शायद डॉली को भी महसूस हो रहा था कि मेरा लौड़ा लम्बा और मोटा हो गया था जिस से उसकी चूत में मेरा लंड घिस घिस कर जा रहा था और जब मैं अपने लौड़े को बहार की तरफ खींचता था तो उसकी छूट की चमड़ी भी मेरे लंड के साथ चिपक कर बार आ जाती थी / डॉली चीखें मरने लगी थी और बोली “आह रवि, धीरे धीरे करो ना तुम्हारा लंड तो और भी मोटा और लम्बा हो गया है पूरा का पूरा ही अंदर तक चोट कर रहा है, कैसी गोली खाई है तुमने / तुम्हारे इस लम्बे मोटे लौड़े के सामने तो कोई भी औरत का पानी बार बार निकल जायेगा” मैं जानता था की डॉली ऐसी बातें जानबूझ करके कर रही थी ताकि खिड़की के दूसरी तरफ से सुन रही मम्मी की चूत से भी पानी छूटना शुरू हो जाये / और मुझे लग रहा था की मम्मी की छूट ने जरुर पानी छोड़ दिया होगा / मैं जानता था की मम्मी की चूत बहुत प्यासी थी और लम्बे मोटे लौड़े के लिए तरस रही थी / जब से गाँव में मम्मी ने मेरे लौड़े को अपने हाथों और होंठों में लिए था तभी से मम्मी बार बार मेरी तरफ कोई न कोई बहाना कर के मेरे करीब और मुझे छूने की कोशिश करती रहती थी /
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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मैंने मम्मी को दिखा दिखा कर डॉली की टांगों को खोल कर अपने लौड़े को जबरदस्त तरीके से डॉली की चूत के अंदर धक्के मारने शुरू कर दिया / मेरे हर धक्के पर कमरे में छप्प छप्प और चप्प चप्प की आवाज़ आने लगी क्योंकि डॉली की चूत पानी छोड़ रही थी / आखिर मैंने भी बीस पच्चीस धक्के मारने के बाद अपने लौड़े के पानी को डॉली की चूत में छोड़ दिया और अपने लौड़े को डॉली की चूत से बहार निकल लिया / गप्प की आवज़ के साथ मेरा भारी लौड़ा डॉली की चूत से बहार आ गया / मेरा लौड़ा घोड़े के लौड़े जैसा लग रहा था जो घोड़ी की छूट से बहार आता है / मेरे लंड से डॉली की चूत का पानी और मेरा गाड़ा गाड़ा वीर्य बह रहा था जिससे डॉली ने एक झटके से पकड़ कर मूंह में भर लिया और चूस चूस और चाट चाट कर मेरे लौड़े से सारा पानी साफ़ कर दिया / अब डॉली अपने होंठों पैर जीभ फिर रही थी क्योंकि उसको मेरे लौड़े का पानी बहुत पसंद था / आखिर हम चुदाई करने के बाद नंगे ही एक दुसरे को बाहों में भरकर सो गए / पता नहीं कब हमें नीद आ गई /
सुबह दरवाज़ा खटखटाने के साथ ही हमारी नींद खुली / बहार से मम्मी आवाज़ दे रही थी / डॉली से पहले मैं उठ गया और मैंने देखा की मैं और डॉली रात के बिलकुल नंगे ही सो रहे थे / डॉली अभी भी सो रही थी / मैंने जल्दी से एक तौलिया लपेटा और दरवाज़ा खोल दिया / बहार मम्मी चाय ले कर खड़ी थी / मुझे देख कर मम्मी के होंठों पैर मुस्कराहट आ गई / मम्मी की नज़र मेरे तौलिये में लटक रहे मेरे भारी लौड़े पैर चली गई जो अभी भी उभरा हुआ था / मैं समझ गया की मम्मी की आँखों के सामने रात का दृश्य उभर आया होगा जब मैं अपने लौड़े को डौली की चूत में जोर जोर से धक्के मार रहा था /
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मम्मी: क्या डॉली अभी तक सो रही है?
मैं : हाँ मम्मी, शायद बहुत थक गई है !
मम्मी: थक तो जाएगी ही ना, जब इतनी इतनी मेहनत करेगी (यह कहकर मम्मी के होंठों पर शरारत भरी मुस्कान आ गई थी / मैं समझ गया था कि मम्मी किस मेहनत की बात कर रही थी / यह सोचकर ही मेरे लौड़े ने ऊपर की तरफ एक ठुमका लगाया, जिस करके मम्मी की नज़रे भी मेरे तौलिये के उभार पैर चली गई थी /)
मम्मी: अच्छा, यह चाय लो और डॉली को भी उठा दो और दोनों मिलकर चाय पी लो / कुछ और करने मत लग जाना, अभी घर का बहुत सा काम पड़ा है / (फिर मम्मी ने शरारती लहजे में कहा)
मेरे दोनों हाथों में चाय की ट्रे थी और मम्मी के हाथ खली थे मैं जैसे ही ट्रे ले कर मुड़ा मम्मी ने धीरे से मेरे लौड़े वाली जगह पर तौलिये के ऊपर हाथ लगाकर कहा - “ये क्या रवि, ये कुछ गीला गीला क्यों लग रहा है /”
मैंने चाय की ट्रे पकडे पकडे ही कहा - “नहीं तो मम्मी तौलिया तो गिला नहीं है /”
लेकिन मम्मी ने मेरे लौड़े को अपनी मुठी में पकड़ कर कहाँ , “देखो यहाँ पर मुझे कुछ गीला लग रहा है” यह कहकर मम्मी ने मेरे लौड़े को नीचे से ऊपर की तरफ कर दबा दिया / मेरे लौड़े की टोपी खुल चुकी थी और मेरा लौड़ा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था /
अब मेरे तौलिये के ऊपर से भी मेरे पूरे लौड़े का साइज़ पता चल रहा था / फिर मम्मी ने दोनों हाथों में मेरे लौड़े को तौलिये के ऊपर से मुठी में भर लिए और बोली – मैं दबा कर देखती हूँ कहीं पानी तो नहीं भरा है तौलिया के अंदर” यह कहकर मम्मी ने अपनी मुठी को लौड़े के ऊपर कसकर दबा दबा कर मजा लेने लगी /
मम्मी के मूंह से सिसकारी निकलने लगी तो मैं अपने लौड़े को और भी टाइट करके खड़ा हो गया और बोला - हाँ मम्मी, अच्छे से चेक कर लो कही पानी न भरा हो, नहीं तो अंदर खारिश हो जाएगी /”
मम्मी ने तीन चार बार दबा दबा कर देखा, फिर बोली – अरे रवि, मुझे शायद ऐसे ही लग रहा था / लगता है की तौलिया सूखा ही है / अच्चा चाय पी लेना मैं चलती हूँ / यह कहकर मम्मी कमरे से बहार जाने लगी / मैं घूर घूर कर मम्मी की मटकती गांड को ध्यान से देखने लगा / मम्मी की लचकती हुई गांड को देखकर मेरा लौड़ा और भी टाइट हो गया और उपर नीचे झटके खाने लगा / जब तक मम्मी दिखती रही मैं मम्मी के पूरे बदन को घूर घूर कर देखता रहा /
जाते जाते मम्मी ने दरवाजा बंद करते हुए एक टेड़ी नज़र से मेरे तौलिये की तरफ देख कर मुस्कराई और दरवाजा बंद कर दिया /
मम्मी की मुस्कराहट देख कर मैं समझ गया की मम्मी को मेरे लौड़े की लम्बाई और चौड़ाई याद आ गई होगी / यह सोचकर मेरे लौड़े ने ठुमका मारा / मैंने लौड़े पैर अपना हाथ रखते हुए उसको कहा “शांत मेरे शेर, यह शिकार भी जल्दी होगा” यह कहकर मैंने डॉली को उठाया और हम दोनों चाय पीने लगे / चाय पीने के कुछ देर बाद डॉली ने कहा की वो नहाकर आती है मैंने मुस्कुराते हुए उसको हां बोला तो वो नहाने के लिए बाथरूम में घुस गयी /
अचानक थोड़ी देर बाद मुझे बहार से मम्मी के चीखने की आवाज़ आई / मैं भागकर बाहर गया तो मम्मी के मम्मी रसोई में गिरी हुई थी / मम्मी जोर जोर से चीख रही थी / मैं जब पहुंचा तो मुझे देख कर मम्मी और भी जोर जोर से चीखने लगी “देख रवि मैं ऊपर शेल्फ से डिब्बा उठा रही थी तो मेरा पैर फिसल गया और मैं कितनी जोर से नीचे गिरी” / मैंने देखा की पास में एक लकड़ी का स्टूल गिरा हुआ पड़ा था / मैं समझ गया की मम्मी ने स्टूल के ऊपर चड़कर डिब्बा उठाने के लिए ऊपर की तरफ पैर उठाया होगा और स्टूल फिसल गया होगा और मम्मी धड़ाम से गिर गई होगी /
मैं सारी बात समझ गया / मम्मी ने इस समय साड़ी डाली हुई थी और नीचे गिरी हुई थी / मैंने घर का नाईट सूट पजामा और टी शर्ट डाली हुई थी / एक तरफ से गिरी हुई मम्मी के बड़े बड़े और भारी भारी मुम्मे ब्लाउज के अंदर से महसूस हो रहे थे /
साड़ी से दिखाई देती हुई कमर में बल पड़े होने के कारण मम्मी की कमर बहुत सेक्सी लग रही थी / और मम्मी की साड़ी पेरों से ऊपर हो गई थी जिस कारन मम्मी की बिना बालों वाली प्यारी प्यारी लम्बी टाँगे दिखाई दे रही थी / मम्मी का ऐसा गदराया हुआ बदन देख कर मेरे लौड़े ने फिर से अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी और फिर से खड़ा हो गया ज्यादा टाइट होने के कारन मेरे लौड़े का सुपाड़ा फिर से खुल चूका था और मुझे अपने पजामे के अंदर महसूस हो रहा था /
मैंने मम्मी की पीठ के नीचे एक हाथ लगा कर एक हाथ मम्मी के मुम्मों के आगे करते हुए ले गया और मम्मी को खड़ा करने की कोशिश करने लगा / इसी कोशिश में मेरा आगे वाला हाथ जो मम्मी के मम्मी की तरफ था वो मम्मी के मुम्मे से दबने लगा था / मम्मी ने मेरे गले में अपनी दोनों बाहें दाल कर मुझे अपनी पकड़ में ले लिया और मेरे गले में झूल गई / मम्मी के बड़े बड़े और भारी मम्मी मेरे सीने में दबने लगे / मुझे पता नहीं कि यह मम्मी ने जानबूझ कर किया की अनजाने में /
लेकिन मम्मी के बूब्स टच होते ही मेरी साँसे और तेज़ हो गई थी / मम्मी मेरे गले में अपनी बाहें डालने के बाद खड़े होने की कोशिश करने लगी और थोडा सा खड़ा होने के बाद अपनी भरी हुई गांड को मेरे लौड़े की तरफ चिपका के कड़ी हो गई / मेरे लौड़े ने मम्मी की गांड को छूते ही ठुमकी मारी और मम्मी की गांड की दरार की तरफ लपका और जाकर मम्मी की गांड की दरार में फंस गया / मम्मी धीरे से चीख भी रही थी और सिसकियाँ भी मार रही थी / पता नहीं मम्मी को दर्द हो रहा था या मजा आ रहा था या तो अब मम्मी ही जान सकती थी /
मैंने मम्मी को प्यार से अपनी बाहों में भरकर उठा लिया और मम्मी के बेडरूम की तरफ ले कर जाने लगा / मेरा लौड़ा अभी भी मम्मी की मस्तानी गांड के बीच में टक्कर मार रहा था / मैंने मम्मी को बेड पर लिटाते हुए अपने लम्बे लौड़े को मम्मी की रसभरी गांड के अंदर की तरफ धक्का मार दिया जिस से मम्मी के मूंह से एक सिसकी निकल गई / पजामे के अंदर मेरा लौड़ा पत्थर की तरह से सख्त हो रहा था /
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मैंने मम्मी को कहा की मम्मी आप आराम करो मैं कार बुक करके आपको डॉक्टर के पास ले कर चलता हूँ / यह कह कर मैंने मोबाइल फोन पैर कार बुक की और डॉली को आवाज़ दी / डॉली के आने पर मैंने डॉली को बताया की मम्मी रसोई में गिर गई है और मैं मम्मी को लेकर डॉक्टर के पास जा रहा हूँ / तुम काम पर चली जाना मैं आज छुट्टी लेकर मम्मी के साथ रहूँगा / डॉली बोली : ठीक है रवि / मैं पार्लर जा रही हूँ, तुम मम्मी का ध्यान रखना / यह बोल कर डॉली अपने कमरे मैं चली गई / मुझे पता था की मैं जब मम्मी को डॉक्टर के पास ले कर जाऊंगा तो डॉली ऑफिस जा चुकी होगी / (डॉली एक ब्यूटी पार्लर चलती थी जहाँ पर नौ दस लड़कियां उसके पार्लर में काम करती थी / डॉली का ब्यूटी पार्लर का काम बहुत अच्छे से चल रहा था /)
थोड़ी देर में ही बुक की हुई कार आ गई और मैंने मम्मी को सहारा दे कर कार की तरफ ले कर चला / मम्मी ने मेरे कंधे पर हाथ डाला हुआ था और मेरे कंधे की तरफ भार डाला हुआ था जिस कारन मैंने अपना एक हाथ मम्मी की पीठ के पीछे से किया हुआ था और मम्मी के एक मुम्मे को को जोर से पकड़ा हुआ था / क्योंकि मेरा हाथ मम्मी के ब्लाउज के ऊपर से मुम्मे के ऊपर था और मेरे हाथ के ऊपर मम्मी की साड़ी का पल्लू था इसलिए किसी को भी मेरा हाथ जो मम्मी के मुम्मे के ऊपर मैंने दबा रखा था, किसी को दिखाई नहीं दे रहा होगा / मेरे मुम्मे को दबाने पर मम्मी ने कोई प्रतिरोध नहीं किया था / मैं समझ गया की मम्मी की भी यही इच्छा है /
मैंने डॉक्टर की पर्ची बनवा कर मम्मी को कुर्सी पर बिठाया और बिठाते हुए फिर से मम्मी के मुम्मे को अपने हाथों से जोर से बड़ा दिया / मम्मी के मूंह से फिर से एक सिसकी निकली / मैंने पुछा मम्मी क्या हुआ दर्द हुआ क्या ? मम्मी बोली – ह्म्न्म रवि, दर्द तो हुआ है, पर कहाँ पर दर्द हुआ है मुझे पता नहीं चल रहा है / डॉक्टर ने जब स्टेथोस्कोप को मम्मी की छाती पर लगाया तो स्टेथोस्कोप मम्मी के मुम्मे के अंदर तक चला गया / डॉक्टर को भी मम्मी के भारी भारी मुम्मों का पता चल गया था / वो भी मम्मी के मुम्मे के ऊपर ऊपर बार बार से चेक करने लगा /
मैंने पुछा - क्या हुआ डॉक्टर साहिब ? डॉक्टर साहिब ने कहा – अच्छे से चेक करना पड़ेगा / फिर वो मम्मी की तरफ देख कर केबिन की तरफ इशारा किया और बोला आप इधर केबिन के अंदर लेट जाईये मैं आपका अच्छे से चेक-अप करूँगा /
मैंने मम्मी को पकड़ कर उठाया और फिर से वाही क्रिया दोहरायी अर्थात मम्मी की पीठ के पीछे से अपना हाथ ले जाकर मम्मी के एक मुम्मे को अपने हाथ से दबा कर पकड़ लिया मम्मी कुछ नहीं बोली और खड़ी और मेरे साथ साथ घिसट कर चलते हुए केबिन की तरफ जाते हुए केबिन के एक छोटे से बेड पर लेट गई /
डॉक्टर ने केबिन के अंदर आ कर पहले स्टेथोस्कोप से मम्मी की छातियों को दबा दबा कर चेक किया और फिर अपने हाथों की उँगलियों को भी मम्मी के “वी शेप” गले के पास फिरते हुए पुछा कि आपको ठीक से चेक करना होगा कहीं कोई गुम चोट न लगी हो / फिर बोला – यहाँ तो दर्द नहीं हो रहा है आपको? / मम्मी बोली – नहीं यहाँ नहीं हो रहा / डॉक्टर ने मुम्मे के साइड पर जोर से दबाते हुए कहा – यहाँ? मम्मी – नहीं यहाँ भी नहीं / डॉक्टर ने मम्मी को कहा की वो पेट के बल लेट जाएँ ताकि वो पीछे से भी चेक कर सकें / मम्मी पेट नीचे कर के लेट गई / अब मम्मी की पीठ ऊपर की तरफ थी और पेट नीचे की तरफ था / मम्मी ने अभी भी साड़ी डाली हुई थी और मम्मी की नाभि अब टेबल के कपड़े को टच कर रही थी /
डॉक्टर ने मम्मी के ब्लाउज के नीचे जहाँ पर मम्मी की पीठ नंगी थी वहां पर अपने दोनों हाथों को फेरते हुए पूछा की यहाँ पैर तो दर्द नहीं है? मम्मी बोली नहीं यहाँ पर नहीं है / डॉक्टर ने फिर उपर के तरफ अपने दोनों हाथों की उँगलियों को ब्लाउज के नीचे से अंदर की तरफ सरकते हुए पुछा यहाँ पर ? मम्मी ने कहा – नहीं / डॉक्टर ने अपनी उँगलियों को और उपर ब्रा की पट्टी के नीचे से दबाते हुए पुछा – यहाँ पर / तो मम्मी ने फिर कहाँ नहीं / अब तो डॉक्टर भी समझ गया था की मम्मी की तरफ से कोई रूकावट नहीं है तो उसने अपने हाथों की उँगलियों को ब्रा की पट्टी की साइड से ले जाते हुए धीरे से मम्मी के मुम्मों को टच करते हुए पुछा – यहाँ / मम्मी – यहाँ भी नहीं /
डॉक्टर ने मम्मी के दोनों मुम्मों को ब्रा का अंदर से अपनी हथेली में भर लिया और पुछा – अब दर्द तो नहीं है / मम्मी के मूह से सिसकारी निकल गई – आह उम्म / जब डॉक्टर ने ऐसा सुना तो उसका औजार जो पहले थोडा थोडा खड़ा था बिलकुल टाइट हो गया / अब तो डॉक्टर भी समझ चूका था कि मम्मी को कहाँ कहाँ दर्द हो रहा था ?
डॉक्टर ने मम्मी को कहा की आपको थोडा अलग से टाइम लग सकता है आप साथ वाले कमरे में जा कर आराम कीजिये / मैं बाकि के मरीज देख कर आपको आराम से देखता हूँ / ये बात डॉक्टर ने मुझे भी बताई मैं समझ गया की डॉक्टर को भी अपनी ठरक पूरी करनी थी इसलिए मैंने मम्मी को साथ वाले कमरे में छोड़ दिया और मम्मी को बोला की मम्मी आप आराम कीजिये मैं आपको एक घंटे में वापिस आकर लेकर जाता हूँ / यह कहकर मैं वहां से चला गया /
मम्मी बिस्तर पर लेट गई और डॉक्टर का इंतज़ार करने लगी / मम्मी के मन में तितलियाँ उड़ रही थी वो सोच रही थी की अब आगे क्या होगा? अपने सारे मरीजों को देखने के बाद डॉक्टर लगबघ आधे घंटे के बाद कमरे में आया और कमरे की सारी बत्तियां बुझा दी अब बिस्टर पर सिर्फ खिड़की से ही रौशनी आ रही थी / और डॉक्टर ने आते ही कहा – सॉरी मुझे आने में देर हो गई / मम्मी बोली – कोई बात नहीं डॉक्टर साहिब /
डॉक्टर – मिसेज़ माधुरी, अब बताइए आपको कहाँ कहाँ दर्द हो रहा है?
मम्मी – जी डॉक्टर साब, आप मुझे प्लीज मधु बुलाइए, मैं आपसे छोटी हूँ /
डॉक्टर – जी आप भी मुझे सुनील बुलाएँ / मैं भी आपसे ज्यादा बड़ा नहीं हूँ / आपको मुझसे शर्माने की कोई जरूरत नहीं है / जो भी परेशानी हो आप मुझे बता सकते हो /
यह सुनकर मम्मी का चेहरा शर्म से लाल हो गया / उन्होंने बताया की परेशानी तो मुझे बहुत है सुनील जी / मैं अब आपको क्या क्या बताऊँ ?
डॉक्टर : अरे मधु आप को शर्म करने की कोई जरूरत नहीं है जो भी दिल में हो बता दीजिये /
मम्मी : जी सुनील जी / अब मैं क्या बताऊँ / फॅमिली में रवि के पापा, रवि और उसकी पत्नी डॉली हैं / जब जब में रात को या किसी और टाइम जब रवि अपनी पत्नी डॉली से प्यार करता है तो उनकी आवाजें सुन कर मैं परेशान हो जाती हूँ /
डॉक्टर : प्यार करने से आपका क्या मतलब है आपका, प्यार तो हर पति अपनी पत्नी से करता है ना ?
मम्मी : जी सुनील जी, मेरा मतलब है वो वाला प्यार, जो सिर्फ पति पत्नी ही करते हैं वो भी रात को, अकेले में (मम्मी ने शर्माते हुए डॉक्टर सुनील को बताया)
डॉक्टर सुनील ने एक्टिंग करते हुए कहा : अच्छा वो वाला प्यार, सीधा बोलिए ना की जब वो सेक्स करते हैं और गर्म गर्म आवाजें निकलते हैं, वाही ना ?
मम्मी : जी सुनील जी /
डॉक्टर : किस तरह की आवाजें आपको परेशान करतीं हैं मधु जी /
मम्मी : जी अब मैं आपको क्या बताऊँ? यह बोलकर मम्मी चुप हो गई /
सुनील ने मम्मी के कंधे पर अपना एक हाथ रखा और मम्मी के कंधे से नीचे सहलाते हुए ले कर आया और मुम्मे के पास आकर अपना हाथ रोक दिया और अपनी एक ऊँगली को मम्मी से टच करते हुए बोला – अरे अब डॉक्टर से कैसा शर्माना, जो भी आपके दिल मैं है आप बता दीजिये, मधु जी / शायद मैं आपकी मदद कर सकूँ /
मम्मी ने शरमाते हुए डॉक्टर सुनील को कहा: डॉक्टर साहब, मुझे भी अपनी बहु जैसा प्यार चाहिए, चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े / बस मेरे मूंह से मेरी बहु डॉली जैसी मजेदार सिसकियाँ निकालनी चाहिए और प्यार में तृप्ति चाहिए /
डॉक्टर सुनील : मैं समझ गया मधु जी आपको क्या परेशानी है? मेरा क्लिनिक दोपहर में बंद रहता है, आप ऐसा कीजिये कल दोपहर में आ जाईये / मैं आपका बहुत अच्छे से इलाज़ कर दूंगा /
मम्मी ने बिना आवाज किये सिर को हाँ में हिला दिया और फिर डॉक्टर सुनील एक तरफ हो गया और मम्मी बेड से उठ गई / मम्मी ने बेड से नीचे उतरते हुए देखा की डॉक्टर सुनील के पेंट में एक मोटा तगड़ा उभार बना हुआ था / मम्मी कमरे से बहार आ गई और मैं मम्मी को लेकर घर आ गया /
मम्मी ने मुझे कार में बताया था की डॉक्टर सुनील ने इलाज के लिए मुझे कल दोपहर में बुलाया है / और कहा है कि देर लग सकती है / इसलिए मैं टेक्सी कर के अपने आप ही चली जाउंगी / मैं समझ गया की मम्मी डॉक्टर सुनील से कौन सा इलाज़ करवाएगी ?
// सुनील पंडित //
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दोस्तों यह कहानी बिलकुल मिथ्या है अर्थात सत्य नहीं है / आगे सुनिए :
शाम को अचानक पापा को फोन आ गया कि उनके एक दोस्त की तबियत बहुत खराब हो गई है / उनका जाना जरूरी था और पापा अकेले ही अपने दोस्त के घर जाना था / चूंकि उनका दोस्त बहुत दूर रहता था इसलिए पापा को लगबग एक हफ्ता लग जाना था वापिस आते हुए / अचानक रात को मम्मी के कमरे में कुछ खटपट की आवाज़ आई / मैं समझ गया की पापा जाने से पहले मम्मी से सेक्स करके जाना चाहते हैं ताकि एक हफ्ते के लिए कुछ तो उनके लंड की खुराक मिल जाये /
मैं झट से हमारे करे के बीच की खिड़की पर आ गया और खिड़की के पाटों को अपने हाथों से थोडा सा दबाया तो मैंने पाया की मम्मी की तरफ खुलने वाली खिड़की अंदर से बंद नहीं थी और मेरे दबाने पर मम्मी के कमरे की तरफ से थोडा खुल गई क्योंकि खिड़की के पीछे से एक पर्दा था तो शायद मम्मी पापा को पता नहीं चला होगा की मैंने खिड़की को थोडा सा खोला है /
यह पर्दा हमारी तरफ से भी लगा हुआ था और मम्मी के कमरे की तरफ से भी लगा था जो की खिड़की के साइज़ का था / क्योंकि मम्मी के कमरे की लाइट पूरी तरह से जल रही थी इसलिए परदे के पीछे भी मुझे साफ़ साफ़ नजर आ रहा था / पापा मम्मी के होंठों को चूम रहे थे और मम्मी को अपनी बाँहों में भरा हुआ था /
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पापा ने मम्मी की मैक्सी को पकड़कर ऊपर की और उठा दिया मम्मी ने भी अपने हाथ ऊपर करके मैक्सी को निकल जाने दिया / मैक्सी के निकलते ही मैंने देखा की मम्मी का गोरा बदन रौशनी में और भी चमकने लगा था / मम्मी का शरीर धीरे धीरे से हिल रहा था जिस कारण मम्मी के दोनों भारी भारी आम भी हिल रहे थे / मम्मी के बड़े बड़े आम देख कर मेरे लौड़े में भी हलचल शुरू हो गई थी / मुझे मम्मी के बड़े बड़े मुम्मे ही तो पसंद थे / वैसे तो मम्मी मुझे पूरी ही गदराई हुई लगती थी / वैसे तो डॉली भी बड़ी मस्त बॉडी की थी लेकिन मम्मी मेरी आज भी पहली पसंद थी / शायद मम्मी को भी यह बात पता थी तभी वो कई बार ऐसी हरकत कर जाती थी जिस से मेरा लौदा और भी तन्ना जाता था / मैं भी घर में मम्मी के साथ किसी न किसी बहाने से चिपक जाता था और मम्मी के गदराये बदन का मजा लेता था / हाय मम्मी, मेरी सेक्सी मम्मी /
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24-08-2024, 12:32 PM
(This post was last modified: 24-08-2024, 12:33 PM by suneeellpandit. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जब पापा ने मम्मी की मेक्सी उतार दी तो मम्मी ने भी अपने हाथ बड़ा कर पापा का कुरता पजामा उतर दिया / अब दोनों बिलकुल रौशनी में नंगे नज़र आ रहे थे / पापा का छोटा सा लंड टाइट हो चूका था / पापा ने मम्मी को जल्दी से घोड़ी बना कर अपने छोटे लंड को पीछे से मम्मी की चूत में डाल कर ४-५ धक्के मार कर अपना पानी मम्मी की गांड पर निकल दिया / मम्मी ने पीछे मुड़कर देखा और बोली ये क्या रवि के पापा इतनी जल्दी निकल गया आपका, अभी तो मैं गरम ही हुई थी, अब मेरा क्या होगा? तो पापा: अपनी मायूस आवाज में बोले – मधु, अब में क्या करू इस उम्र में मुझसे नहीं होता ज्यादी देर तक? मेरा तो जल्दी निकल जाता है /
मम्मी बोली : हाय रवि के पापा, इतने दिनों बाद कर रहे थे, फिर भी ... अब मैं क्या करूँ ? मेरे से तो अच्छी डॉली है, रवि और डॉली लगबघ आधा घंटा या इस से भी ज्यादा देर तक प्यार करते हैं और मुझे डॉली की आहें सुन कर भी लगता है की रवि पूरी तरह से डॉली को संतुष्ट करता होगा /
पापा ने हैरानी से कहा: क्या सच कह रही हो? तुम्हे कैसे पता?
मम्मी पापा से बोली – मुझे पता है आप तो ज़्यादातर घर से बहार रहते हो, मैं तो घर पर ही होती हूँ ना, इसलिए मेरे कानों में उन दोनों की मजा लेने की सिसकियां आती सुनायी दे जाती हैं / सिसकियों के साथ साथ मुझे रवि के जोरदार धक्कों की भी आवाजें आती रहती हैं जिसे सुनकर मेरा भी दिल करता है की आप भी मुझे इतने जोर जोर से धक्के मार मार कर मेरी छूट का भुरता बना दो और मेरी चूत का पानी निकाल दो /
[b]पापा ने मम्मी के हाथों को अपने हाथों में भर कर कहा: मधु मेरी जान, मैं जानता हूँ की औरतों को संतुष्ट करना हर किसी के बस की बात नहीं होती, लेकिन ये मेरे हाथ में नहीं है मेरी जान / अब अगर तुम कुछ कर सकती हो तो, मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है, मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है / [/b]
[b][b]यह सुनकर मम्मी चुप हो गई और मन ही मन में कुछ सोचने लगी /[/b][/b]
[b][b][b]अगले दिन पापा ने मम्मी को बताया की उनको आने में कुछ दिन का समय लग जायेगा / मम्मी ने बुझे मन से उनको भेज दिया /[/b][/b][/b]
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अब मम्मी के मन में क्या चल रहा था, मुझे उसका कुछ कुछ अंदाजा हो गया था / मुझे लग रहा था की मेरी मस्त मस्त मम्मी मेरे लौड़े के नीचे आने वाली थी / मुझे भी अपने लौड़े को मम्मी की चूत में डालने का इंतज़ार करना था / डॉली की मम्मी की तबियत भी ठीक नहीं थी, इसलिए वो भी अपनी मम्मी को मिलने के लिए मेरी ससुराल गई हुई थी / मतलब की घर में मैं और मम्मी ही अकेले रह गए थे / यह सोच कर ही मेरे लौड़े ने ठुमकी मारनी शुरू कर दी थी कि अब क्या होगा?
[b]जब पापा चले गए तो थोड़ी देर बाद मैंने मम्मी को बोला की मम्मी आप सुबह मुझे जल्दी से उठा देना क्योंकि मुझे जल्दी से उठकर कसरत वगैरह करनी होती है ? क्योंकि पापा चले गए थे और घर पर डॉली भी नहीं थी तो मम्मी ने पूछा : रवि बेटे, घर में हम दोनों अकेले ही हैं इस लिए अगर तुम्हे कोई ऐतराज न हो तो क्या बीच वाली खिड़की खोल दूं ताकि अगर रात को कोई जरुरत तुम्हें या मुझे पड़े तो एक दुसरे को आवाज़ देकर उठा सकें / मैंने हाँ कर दी और कहा हाँ हाँ मम्मी खोल दो मुझे क्या करना है, हाँ एक बात है रात को मुझे देर तक लाइट जलाकर रखने की आदत है आपको कोई परेशानी तो नहीं है ना ? मम्मी बोली भला मुझे क्या परेशानी होती रवि / कोई बात नहीं मैं तो जल्दी सो जाती हूँ / मैं तो अपने कमरे का दरवाजा भी खुला रखूंगी अकेले में थोडा सा डर लगता है ना / कभी अकेली रही नहीं हूँ / तो मैंने मम्मी को बोला : मम्मी अगर ऐसी बात है तो आप यहीं बेड पर सो जाओ, इतना बड़ा तो बेड है एक तरफ आप सो जाना और एक तरफ मैं सो जाऊंगा /[/b]
[b][b]मम्मी बोली ठीक है रवि, मैं तुम्हारे बेड पर ही सो जाउंगी / यह कहकर मम्मी चली गई और घर के काम करने लगी और में अपने दिल रात को मम्मी को बेड पर सुलाकर कैसी लगेगी, यह खुली आँखों से सपने देखने लगा / [/b][/b]
[b][b][b]शाम को जब मैं फ्री होकर घर आया तो देखा की मम्मी ने एक मैक्सी पहनी हुई थी / मम्मी ने घर के काम किये और रात की रोटी खाकर, रसोई में बर्तन रखने के बाद हम दोनों टीवी देखने बैठ गए / मैंने इस वक्त हाफ-पेंट और एक बिना बाजु वाली टी-शर्ट पहनी हुई थी / हाफ-पेंट के नीचे मैंने अपना अंडरवियर उतर दिया था / मुझे मम्मी के चलने फिरने से यह महसूस हुई था की मम्मी ने मैक्सी के नीचे ब्रा-पेंटी नहीं पहनी हुई थी / मम्मी के मुम्मे और गांड चलने पर थिरकते हुए महसूस हो रहे थे / तभी से मेरा लौदा एकदम से टाइट हो गया था और बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था और मेरी हाफ-पेंट पर लौड़े वाली जगह पर एक मोटा सा उभार बना हुआ था / मम्मी जब मेरे साथ सोफे पर आ कर टीवी देखने के लिए बैठी तो एक भरपूर नजर मेरे लौड़े वाली जगह पर डाली और एक अलग तरह से स्माइल दे कर मेरे साथ बैठ गई / मैं समझ गया की मम्मी को मेरे लौड़े के खड़े होने का पता चल गया है और शायद उनकी चूत भी पानी छोड़ रही थी /[/b][/b][/b]
[b][b][b][b]मम्मी ने टीवी देखते देखते अचानक से अपना सर सोफे पर टिका दिया और आँख बंद कर के सोने जैसी एक्टिंग करने लगी थी / मैं मम्मी के पास जाकर जुड़ गया और मम्मी के माथे पर हाथ रख कर पूछने लगा की – क्या हुआ मम्मी, आपने अपना सर ऐसे क्यों पीछे कर लिया, क्या तबियत ठीक नहीं है? [/b][/b][/b][/b]
[b][b][b][b][b]मम्मी : नहीं रवि, ऐसी बात नहीं है / बस थोड़ी सी थकावट है /[/b][/b][/b][/b][/b]
[b][b][b][b][b][b]मैं: दिखाओ मम्मी मैं आपका माथा सहला देता हूँ / यह बोलकर मैं मम्मी के साथ और भी ज्यादा से जुड़ गया और मैंने मम्मी के गर्दन के पीछे से अपनी एक बाजु कर दी और उस हाथ को मम्मी के सर के पीछे से पकड़ लिया और दुसरे हाथ को मम्मी के माथे पर धीरे से दबा दबा कर मसाज जैसे करने लगा / मम्मी ने अपनी आँखें बंद कर ली / मैंने जब देखा कि मम्मी ने अपनी आँखें बंद कर ली हैं तो मैंने अपने एक हाथ से मम्मी के सर को अपनी तरफ झुकाने लगा मम्मी ने मेरा इशारा समझते हुए अपने सर को मेरी तरफ कर लिया मैंने मम्मी के चेहरे की तरफ अपना चेहरा पास करते हुए मम्मी के माथे पर मसाज करने लगा / मुझे मम्मी के होंठ अपने होंठों के इतने पास मैं लग रहे थे की मेरा दिल कर रहा था कि अभी मम्मी का रसभरे होंठों को चूस चूस कर इनका जूस पी लूँ / मुझे लगा की मम्मी भी शायद अपने को तैयार कर रही थी की मैं उनके होंठों को चुसुं, उनके होंठ खुले हुए थे /[/b][/b][/b][/b][/b][/b]
[b][b][b][b][b][b][b]मैं अपने होंठ मम्मी के होंठों के बिलकुल पास में ले गया और मम्मी से पूछा – मम्मी मेरे दबाने से कुछ आराम मिला आपको ? मम्मी ने एकदम से अपनी आँखें खोली और देखा तो मेरे होंठ मम्मी के होंठों के बिलकुल पास में थे तो वो कुछ घबरा गई और अपने चेहरे को थोडा सा पीछे की तरफ करते हुई बोली हाँ रवि कुछ कुछ आराम मिल रहा है / मैं अपने होंठों पर मुस्कान ला कर फिर बोला – मम्मी और दबाऊ क्या? मम्मी बोली - हां रवि, दबा दो / मैंने बोला – मम्मी धीरे से दबाऊ या जोर जोर से दबाऊ / मम्मी ने मेरे डबल मीनिंग शब्दों को सुनकर कहा – जैसे तुम्हारा दिल करे वैसे ही दबाओ रवि / [/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b]
[b][b][b][b][b][b][b][b]मैंने कहा – ठीक है मम्मी, आप आँखें बंद कर के आराम करो मैं आपको प्यार से दबा देता हूँ / मेरे दो अर्थी बातों को सुनकर मम्मी के गाल लाल होने लगे और मम्मी ने अपनी आँखें बंद कर ली और बोली – हाँ हाँ रवि जैसा दिल करे दबाओ, जोर से दबाओ या धीरे से दबाओ / मैंने मम्मी के आँखें बंद करते ही मम्मी के माथे को दबाते हुए उनके गाल पर भी धीरे से टच करने लगा जिस पर मम्मी ने कोई रिएक्शन नहीं दिखाया मैं समझ गया की मम्मी तैयार है / [/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b]
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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