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Incest आखिर मैंने दीदी की चुदाई की इच्छा जगा ही दी
#21
मैंने ध्यान से देखा कि दीदी के पूरे शरीर पर करंट दौड़ गया था। मैं रुक गया। फिर कुछ पल बाद देखा कि दीदी बड़े आराम से अपनी चूत खोले सो रही हैं। अब मैं दीदी की चूत को अच्छे से देखने लगा। उनकी चूत बहुत टाइट थी और चूत की फांकें बहुत मोटी थी। दीदी की चूत का छेद बहुत छोटा सा था यानी दीदी अभी तक किसी से नहीं चुदवाई थी। यह देखकर मैं बहुत खुश हुआ कि दीदी की चूत की सील मैं ही तोडूंगा। उसके बाद मैंने दीदी की चूत को दो तीन बार चूमा मगर दीदी ने अपनी आंखें नहीं खोली और न ही कुछ प्रतिक्रिया की। मैंने अपनी जेब से छूट को छांट लिया, तब भी कुछ नहीं हुआ। बस मैं समझ गया की दीदी सोने का ड्रामा कर रही हैं और चूत का काम 24 किया जा सकता है। मैं बिंदास अपनी बहन की चूत को चूसने लगा था। दीदी की चूत की बड़ी ही कामुक खुशबू थी जो मुझको मदहोश कर रही थी। मैं भी मस्त होकर चूत चूसने में लगा था। उसी दौरान एक बार तो दीदी के मुंह से आह भी निकल गई थी, लेकिन मैंने देखा कि दीदी अपनी आंखों को जोर से बंद की हुई है। इससे सब समझ में आ गया कि दीदी जाग रही हैं और अपनी चूत चुसाई का मजा ले रही हैं। फिर चूत चूसते चूसते देखा कि दीदी के शरीर में एंठन आने लगी है और दीदी जोर जोर से सांस लेने लगी है। मैं समझ गया दीदी झड़ने वाली है। फिर एक मिनट बाद दीदी झड़ गई और मेरे मुंह में उनके नमकीन माल का बाद ही मस्त स्वाद आया। मुझे बहुत.

मजा आया। मैंने दीदी की चूत की पूरा पानी चाट चाटकर पी लिया और बाद में भी दीदी की चूत को चूसता रहा। कुछ देर बाद मैं अपना लण्ड दीदी की चूत पर रख कर चढ़ने लगा। दीदी की चूत के छेद में लंड सट कर अंदर डालने लगा। अब दीदी ने करवट ले ली। शायद दीदी अभी अपनी चूत में लंड नहीं लेना चाहती थी। वे अभी सेक्स नहीं करना चाहती थी। बस अपना चूत चुसवा कर मजे लेना चाहती है। मैंने भी उनकी भावना को समझा और उनकी चूत देखकर अपना लण्ड हिलाया और माल निकालकर दीदी के बाजू में ही सो गया। दीदी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। हम दोनों भाई बहन सो गए। अगली रात फिर से मैंने दीदी की चूत चूसी और उन्हें छानकर चूत का रस चाट लिया। ऐसे ही हम दोनों भाई बहन का झूठ चुसवाने का खेल चलता रहा। फिर एक दिन मैं दीदी के पास सोया हुआ था। दीदी रात में नाइटी पहनकर सोने लगी थीं, लेकिन आज दीदी ने पैंटी भी पहनी थी। मैं दीदी के बूब्स दबाने लगा और उनके दूध को नाईटी के ऊपर से ही चूसने लगा। फिर मैंने दीदी की गर्दन में किस किया और उनके होंठों को चूम लिया। इसके बाद मैं दीदी की नाइटी उतारने लगा तो देखा कि दीदी खुद से अपना जिस्म उठाकर नाइटी उतारने में मेरी हेल्प कर रही है। मैंने दीदी की नाईटी को उतार दिया। मेरे सामने मेरी दीदी ब्रा और पैंटी में थी। उनकी ब्रा और पैंटी दोनों रेड कलर की थी और दीदी बहुत सेक्सी लग रही थी। ऐसा लग रहा था मानो हुस्न की परी मेरे सामने लेटी हुई है। मैंने.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#22
दीदी की ब्रा को भी उतार दिया। उनके दोनों दूध एकदम तने हुए थे। मैंने दीदी के मम्मों को खूब चूसा और मसल मसल कर लाल कर दिया। दीदी आंख बंद करके मजे ले रही थीं। उनकी हल्की हल्की आह आह भी निकल रही थी। उसके बाद मैं अपनी दीदी की पैंटी उतारने लगा। दीदी ने अपनी गांड उठाकर पैंटी उतरवाने में भी हेल्प की। अब दीदी बिल्कुल नंगी थी। मैंने अपनी दीदी के पूरे शरीर को किस किया और बाद में मैं दीदी की चूत को चूसने लगा। दीदी अपने मुंह को जोर से हाथ से दबा कर रखी थी ताकि कामुक सिसकारियां न निकले। तभी थोड़ी तो निकल ही जा रही थी। कुछ देर बाद दीदी ने अपनी चूत की मलाई मेरे मुंह में ही छोड़ दी और मैं दीदी की चूत का खट्टा रस पी गया। दीदी की चूत चूसे जाने से पूरी लाल हो गई थी। अब मैंने दीदी की चूत के ऊपर ही अपना लंड हिलाना चालू किया और मुठ मारकर उनकी चूत के ऊपर ही टपकाकर नंगा हो गया। फिर से कुछ दिन तक हम दोनों भाई बहन का ऐसे ही खेल चलता रहा। सुबह सोकर उठने के बाद हम दोनों भाई बहन ऐसे रहते थे मानो हम दोनों कुछ करते ही नहीं हैं। मतलब एकदम नार्मल रहते थे। फिर एक दिन मैंने दीदी की चूत चूसकर आधे रास्ते में छोड़ दी। दीदी व्याकुल हो उठी। मैंने उनके दूध चूसना शुरू किया और उसके बाद उनके कान को चूसते हुए कहा दीदी मुझे लंड अंदर पेलना है। दीदी कुछ नहीं बोली। मैंने दांव खेला और कहा यदि चूत चुसवाने है तो लंड भी चूसना पड़ेगा। दीदी ने अभी कुछ नहीं कहा।.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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