Thread Rating:
  • 11 Vote(s) - 3 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica पार्टी के बाद
#21
Chidiya fans gai.ab buri tarah chudwana ise
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#22
(26-12-2018, 08:46 PM)Ram Kumar Rathore Wrote: Chidiya fans gai.ab buri tarah chudwana ise

हे भगवान! मैं तो कहानी का यह हिस्सा लिख चुकी हूँ... अब जल्दी ही पोस्ट करुँगी... यह पहले बताना चाहिए था ना... 
Like Reply
#23
Flow of Story is very good... keep it up !!!
Like Reply
#24
(27-12-2018, 01:25 PM)Jyoti Singh Wrote: Flow of Story is very good... keep it up !!!

Thank you  Heart
Like Reply
#25
वाह बेहतरीन।।।
पार्टी के बाद भी और पार्टी के साथ भी...
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html

[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html

Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
Like Reply
#26
(27-12-2018, 06:52 PM)Rocksanna999 Wrote: वाह बेहतरीन।।।
पार्टी के बाद भी और पार्टी के साथ भी...

Thanks you.
अगला अपडेट कल पोस्ट करुँगी।  Heart
Like Reply
#27
7
 
कुछ देर बाद जब मुझे होश आया तब मुझे एहसास हुआ कि मैं जमीन पर बिल्कुल चारों खाने चित्त हो कर पड़ी हुई हूं... वह बूढ़ा भिखारी मेरे ऊपर चढ़ा हुआ था... उसने मेरी दोनो टांगे पर फैला दी थी और मेरी दोनों टांगों के बीच में काफी फासला था और उसके बीच में वह लेटा हुआ था... और वह जी भर के मेरे साथ चुम्मा-चाटी कर रहा थामैंने उसको धकेलकर हटाने की कोशिश की लेकिन मेरे शरीर को मानो लकवा मार गया था...

[Image: 2019-09-13-07-58-57-627-1.jpg]
 
न जाने कितनी देर तक वह भी कारी मुझे चूमता रहा...  चाटता रहा.... मेरे दोनों स्तनों को जी भर के दबा- दबा कर मज़े लेता रहा... मेरी चूचियों को चूस -चूस  कर मानो मेरी पूरी जवानी का रास पी जाने सजेड उसने ठान ली थी...  उसके बाद उसने अपना लिंग मेरे यौनंग में घुसा दिया| मैं दर्द से चीख उठी लेकिन उसने मेरे मुंह पर हाथ रख कर मेरी आवाज़ को दबा दिया... और फिर बढ़े ही जोश के साथ उसने मुझे चोदना शुरू किया...
 
एक तो उसका लिंग इतना बढ़ा और मोटा था और उसके ऊपर से ना जाने कहाँ से उसके अंदर इतनी ताक़त आ गई थी... वह रुका नही... बस अपना काम जारी रखता गया...  रखता गया...  रखता गया...
 
मैं उसके वजन से दबकर सिर्फ छटपटा ही रही ... शुरू शुरू में मुझे काफी तकलीफ हो रही थी, लेकिन उसके बाद मानो सब कुछ ठीक हो गया... मुझे भी मज़ा आने लगा लेकिन भिखारी जो था वह मानो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था... वह बस अपना काम जारी रखता गया...  रखता गया...  रखता गया...
 
जहां तक मुझे याद है मैंने कम से कम दो बार अपना पानी छोड़ दिया होगा लेकिन भिखारी रुकने का नाम नहीं ले रहा था आखिरकार मुझे लगा कि उसका भी वीर्य स्खलन हो गया और वह मेरे ऊपर निढाल होकर लुढ़क गया... पर तब तक शायद मैं फिर से बेहोश हो चुकी थी|
 
***
 
भौं- भौं... भौं- भौं...भौं- भौं…”
 
एक कुत्ते के भौंकने की आवाज से मेरी नींद खुली या फिर मैं कहूं कि मेरी बेहोशी टूटी| पहले पहले तो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, उसके बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं और बूढ़े भिखारी की कुटिया में बिल्कुल खुली नंगी चित्त होकर पड़ी हुई हूं... मेरी दोनो टांगे तभी भी एकदम फैली हुई है और वह बूढ़ा भिखारी का बदन मेरे ऊपर था मैं उसके वजन से दबी हुई थी और कुछ देर बाद मुझे एहसास हुआ कि उसका शीतल पड़ा हुआ लिंग अभी तक मेरे गुप्तांग के अंदर घुसा हुआ है... और वह भिखारी अब नशे की हालत में बिल्कुल धुत्त सा हो कर निढाल हो कर मेरे उपर पड़ा हुआ था... धीरे- धीरे मुझे पूरा पूरा होश आने लगा और मैने उस भिखारी को धकेल कर अपने उपर से हटाया... फर्श पर मेरे यौनांग से निकले हुए खून के छींटे सॉफ नज़र आ रहे थे
 
उसे हटाते वक्त उसका लिंग तो मेरे यौनंग से अलग हो गया था, पर कंडोम उसके लिंग से सरक गई थी और अभी भी मेरे यौनंग से थोड़ा सा बाहर लटकी हुई थी| मैंने कंडोम को खींच कर दूर फेंक दिया और वह कुत्ता कभी भी भौंके जा रहा था... शायद वह इस भिखारी का पालतू होगामुझे अनजान को देख करके वह सिर्फ भौंके ही जा रहा था... उसके क्या मालूम की कुछ देर पहले ही मेरे साथ क्या हुआ था
 
मेरे पुर बदन से बदबू आ रही थी, मेरा चेहरा भी भिखारी की लार से गीला गीला और चिपचिपा लग रहा था| मैने किसी तरह से अपना हॉल्टर उठा कर धूल झाड़ कर उसे पहना... और इससे पहले की उस भिखारी को होश आए, मैने अपना प्लास्टिक का पैकेट उठाया, देखा कि उसमें गाड़ी की चाबी है कि नही और कुत्ते को डरा के भगाने के बाद मैं वहाँ से भाग निकली...
 
बाहर दिन चढ़ आया था| चारों तरफ सूरज की रोशनी फैल चुकी थी| रास्ते में लोग बाग आ जा रहे थे| पहले तो मुझे रास्ता समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन फिर मुझे रेलगाड़ियों की आवाज सुनाई दी और मैं उस दिशा की तरफ दौड़ पड़ी|
 
जल्दी ही मुझे अपनी लाल चमचमाती हुई मारुति आल्टो कार दिख गई... मैं भाग कर जल्दी से गाड़ी के पास पहुंची और उसके दरवाज़े में चाबी लगाई... मैं जानती थी कि आसपास के लोग अवाक होकर मेरी तरफ देख रहे थे क्योंकि मेरे हॉल्टर पर अभी भी धूल मिट्टी लगी हुई थी| लेकिन मैंने उनकी परवाह नहीं की मैंने जल्दी-जल्दी से गाड़ी का दरवाजा खोला और उस में जा बैठी और गाड़ी स्टार्ट कर दी है लेकिन मैंने देखा कि अभी भी फाटक बंद है गाड़ी में लगी घड़ी में सुबह के पौने आठ बज रहे थे|
 
क्रमश:
Like Reply
#28
Waiting next
Like Reply
#29
superb lusty story
Like Reply
#30
(28-12-2018, 08:47 PM)Black boy Wrote: Waiting next

Thanks going to post next update  Heart
Like Reply
#31
(28-12-2018, 09:37 PM)Bregs Wrote: superb lusty story

आपको मेरी कहानी पढ़ कर अच्छी लगी, यह जान कर मुझे ख़ुशी हुई| आपका धन्यवाद  Heart
Like Reply
#32
8
 
कहां मैं उस बूढ़े भिखारी को बुद्धू समझ कर थोड़ा तफरी लेने गई थी और कहां उसने मुझे ही बेवकूफ बनाकर मेरा पूरा फायदा उठा लिया थालगता है उस बूढ़े भिखारी ने मुझे जो पानी पिलाई थी उसमें शायद कोई तगड़ी नशीली चीज मिली हुई थी जिस वजह से मैं निढाल हो गई थी और कुछ देर के लिए मेरे शरीर को लकवा मार गया था इसी बीच उस भखारी ने मेरा काम तमाम कर दिया
 
हालांकि रेलवे फाटक खोलने में चंद ही मिनट लगे लेकिन उस वक्त वह चंद मिनट मेरे लिए घंटों के बराबर लग रहे थे और लोगों की जो निगाहें मेरे उपर पड़ रहीं थी उससे मानो मेरा पूरा बदन जल रहा था...
 
रेलवे फाटक खुल गया था... मुझे रास्ता साफ दिख रहा था मैंने गाड़ी को गियर में डालकर आक्सेलरेटर पर अपना पैर जमा दिया... और गाड़ी तेज रफ्तार से भागने लगी...
 
गाड़ी चलाते-चलाते में यही सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि उसने निरोध का इस्तेमाल किया था... पता नहीं उसने ऐसा क्यों किया लेकिन उसने ऐसा ही किया था... नही तो पता नही क्या हो जाता... ना जाने उसे कौन- कौन सी बीमारी लगी हुई होगी... अगर वह निरोध का इस्तेमाल नही करता तो बीमारी का ख़तरा मुझे भी लगा हुआ होता... शायद उस भिखारी ने भी कुछ ऐसा ही सोचा होगा... क्योंकि कोई भी लड़की इतनी जल्दी किसी अंजान के साथ सहवास के लिए राज़ी नही हो जाती... उसने सोचा होगा कि मैं कोई चालू लड़की हूँ... और उसने ठीक ही सोचा था| पेशे से मैं एक चालू लड़की ही हूंएक हाई क्लास कॉल गर्लआज कई साल हो गएमैं इसी लाइन में अपनी जिंदगी बिता रही हूं|
 
मैं बहुत छोटी थी तब मेरे चाचा मुझे गांव से उठाकर ले आए थे और उन्होंने मुझे रुबीना आंटी के हाथों बेच दिया था| तब से मैं रुबीना आंटी के लिए ही काम कर रही हूँ|
 
मैं जवान हूं, सुंदर हो और दिखने में एक अच्छे घर की और किसी बड़े खानदान की लड़की जैसी दिखती हूँ, इसीलिए रुबीना आंटी ने मुझे एक खास काम सौंपा था... मेरा काम था बड़ी-बड़ी पार्टीज में जाना, वहां लोगों से मेलजोल बढ़ाना और हो सके एक मोटी सी मुर्गी को फाँसना... चाहे वह एक अधेड़ उम्र का रईस बिजनेसमैन हो या फिर किसी बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद... मुझे से कोई मतलब नहीं था... अगर मतलब था तो सिर्फ थोड़ी सी मस्ती और ज़्यादा से ज़्यादा पैसों से... जिसमें से कुछ हिस्सा मुझे रुबीना आंटी को देना पड़ता था...
 
पर आज पहली बार मैं रुबीना आंटी के घर खाली हाथ लौट रही थी और वह भी अपना पूरा काम तमाम करवाने के बाद| न जाने रुबीना आंटी मुझ से क्या कहेंगी और क्या हर्ष करेंगी मेरा? यही सोचते हुए मैं गाड़ी चलाती रही...
 
***
 
रुबीना आंटी के घर पहुंचते-पहुंचते करीब करीब साढ़े नौ बज गए| उन्होने मुझे अपने घर की पहली मंज़िल के बरामदे से ही देख लिया था| मैने गराज में गाड़ी पार्क की और मेरे डोर बेल बजाने से पहले ही उन्होने  दरवाज़ा खोल दिया और एकदम से शुरू हो गई, "अरी आएशा? कहाँ थी इतनी देर तक...? और फ़ोन क्यों नही उठा रही थी? तुझे मालूम है कि तेरी फ़िक्र में मेरा क्या हाल..." वह बोलते बोलते  रुक गई... उन्हे मेरी हालत देख कर ताज्जुब हुआ, वह बोलीं, "क्या हुआ? किसी गटर में गिर गई थी क्या? बाप रे बाप क्या बदबू मार रही है... क्या हुआ कुछ बोलेगी भी क्या...?"
 
और फिर क्या था? मैं फुट- फुट कर रोने लगी| रुबीना आंटी मुझे घर के अंदर ले गई| इस बात का शुक्र था की उस वक़्त तक रुबीना आंटी के हाथ के नीचे काम करनेवाली दूसरी लड़कियाँ अभी तक नही आ पहुँची थी, वरना उनके सामने मेरी यह हालत ज़ाहिर हो जाती|
 
मैंने फूट-फूट कर रो रो कर अपनी आपबीती सुनाई| मैंने रुबीना आंटी को बताया कि कैसे मैंने यह सोच लिया था कि वह भिखारी बुद्धू है और मैं उसे उल्लू बनाकर थोड़ी मस्ती करूंगी| लेकिन मुझे क्या मालूम था कि वह मेरा ही काम तमाम कर देगा| कहां तुम्हें उसके साथ मस्ती करने गई थी, लेकिन उसने कोई नशीली चीज पानी में मिलाकर मुझे पीला दी और मेरा पूरा फायदा उठा लिया... वह भी बिल्कुल मुफ़्त में|
 
रुबीना आंटी ने मेरी आपबीती गौर से सुनी और फिर उन्होंने मुझसे पूछा, "क्या तुझे अच्छी तरह याद है आएशा, की उसने तुझे चोदते वक्त कंडोम का इस्तेमाल किया था ना?"
 
जी हां मुझे अच्छी तरह याद है मैंने खुद कंडोम खींचकर निकाला था और फिर उसे दूर फेंक दिया था…”
 
ऊपर वाले का लाख-लाख शुक्र है कि तुझे कुछ नहीं हुआ और एक बात कान खोलकर सुन ले लड़की, आज के बाद खबरदार जो तूने ऐसी हरकत करने की सोची भी तो... मैं तेरी खाल खिंचवा लूंगी...
 
उसके बाद रुबीना आंटी ने मुझे नहाने के लिए भेज दिया और फिर थोड़ा हल्का फुल्का खाना खाकर मैं अपने कमरे में जाकर सो गई| मैं शारीरिक और मानसिक रुप से काफी थकी हुई थी इसलिए जब मेरी नींद खुली है तब शाम ढल चुकी थी| किसी ने मुझे नींद से नहीं उठाया था क्योंकि रुबीना आंटी ने सबको यह बता रखा था कि मैं बहुत थकी हुई हूं|
 
उस दिन रात को खाना खाने के बाद मैं और रुबीना आंटी छत पर बैठकर रेड वाइन पी रहे थे| तब रवीना आंटी ने मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा, "आखिर जैसा तूने कहा, क्या सचमुच उस आदमी का लिंग इतना बड़ा और मोटा था?"
 
"जी, हाँ.. कसम से"
 
"ठीक है... अच्छी बात है..."
 
"क्या मतलब?"
 
रुबीना आंटी बोलीं, "कुछ नहीं आजकल जमाना बहुत बदल रहा है| जैसे तुझ जैसी लड़कियों के लिए मेरे पास आदमी आया करते हैं, वैसे ही मेरे पास दो तीन ऑफर ऐसे भी आए हैं जहां हाई क्लास औरतें हैं थोड़ी मस्ती ढूंढ रही है... तो मैं सोच रही थी कि अगर भिखारी जैसे आदमी को मैं थोड़ा घिसके... मंजा मार के इस लायक बना दूं कि वह उन औरतों के साथ सो सके... तो सोच हमारे बिज़नेस में कितना फ़ायदा होगा..."
 
मैं हक्की-बक्की होकर आंटी की तरफ देख रही थी| मेरा चेहरा देखकर आंटी ने पहले तो मुझे प्यार से पूचकारा और फिर वह बोली, "चिंता मत कर इस बारे में मुझे थोड़ा सोचने दे... ऐसा कदम उठाने से पहले मैं हर पहलू को जांच-परख कर देख लूंगी| उसके बाद सोचूँगी कि मुझे क्या करना चाहिए| लेकिन तब तक तू अपना काम ठीक वैसे ही करती रहेगी जैसे आज तक करती आई है... और हां याद रखना... तूने कभी मुझे शिकायत का मौका नहीं दिया और आगे भी मत देना... और खबरदार बिना सोचे समझे आज जो तूने कदम उठाया था, वैसा कदम आज के बाद कभी भी मत उठाना..."
 
और उसके बाद मैं और रुबीना आंटी देर रात तक छत पर बैठकर शराब पीते रहे...
 
रात अभी बाकी है और मेरा हुस्न भी अभी जवान है और जिंदगी भी बाकी... न जाने जिंदगी का कौन सा मोड़ कैसा हो... यह तो कोई नहीं जानता... लेकिन मैं इतना जरूर जानती हूं कि उस दिन मेरे साथ कुछ भी हो सकता था... शुक्र है ऊपरवाले का कि मैं उस बूढ़े भिखारी की कुटिया से बच कर भागने में कामयाब हो सकी थी..
 
आगे, इसके बाद मैंने कसम खा ली कि ऐसी गलती मैं जिंदगी में दोबारा नहीं करूंगी|
 
समाप्त
Like Reply
#33
Nice Short but erotic story
Like Reply
#34
(29-12-2018, 10:05 PM)Jyoti Singh Wrote: Nice Short but erotic story

आप को मेरी कहानी अच्छी लगी इस बात की मुझे ख़ुशी है 

आपका धन्यवाद 

[Image: giphy.gif]
Like Reply
#35
Thanks
Like Reply
#36
waaahhh
Like Reply
#37
(07-01-2019, 01:35 PM)Indiboy807 Wrote: waaahhh

Thank you
Like Reply
#38
wow bahut khoob mast story rahi

waiting for another rocking story ?
Like Reply
#39
nice and hot story. waiting for more
Like Reply
#40
very nice story ....description and turns both are excellent
Like Reply




Users browsing this thread: