Thread Rating:
  • 7 Vote(s) - 2.71 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Jawan Patni Ka Naya Humsafar
#41
[Image: sfU-W0.gif]

UPDATE 13:

सवाल ये था कि किसको चुनु। सैंड्रा को उस दिन जोसफ से चुदते हुए देखने के दृश्य अब भी मेरी आँखों के सामने थे। उस दिन मैं मन में सोच रही थी कि काश सैंड्रा की जगह मैं होती, पर आज वो मौका सामने था।

जोसफ के मोटे लंड का अनुभव लेने का अवसर था तो उसके प्रति नफरत भी थी उसने ही मुझे इस मुसीबत में फंसाया था। दूसरी तरफ राहुल था, जिसके मुँह से एक तारीफ सुनने के लिए मैंने कितने पापड़ बेले थे और आज मुझे ऐसे ही सामने से मौका मिल रहा था।

फिर सोचा अगर राहुल को चुना तो रोज ऑफिस में मैं उसका सामना कैसे करुँगी। वैसे भी मुझे उसे जीतना था ना कि धोखे से पाना। वैसे भी मैं कौनसा उस से चुदवाना चाहती थी, उस दिन पार्टी में चूमने तक नहीं दिया था मैंने उसे।

जोसफ तो कल को चला जायेगा, मुझे फिर कभी उसके सामने भी नहीं आना पड़ेगा। जोसफ मेरे ऊपर अपने मोटे लंड का पूरा गुस्सा निकालेगा जब कि राहुल मेरा बहुत ध्यान रखेगा।

मैं: “मैंने फैसला कर लिया हैं, मैं तैयार हु।। ”

राहुल: “प्रतिमा क्या बोल रही हो। तुम्हे ये सब करने की जरुरत नहीं ”

मैं: “नहीं, मैंने बिगाड़ा था, अब मैं ही बनाउंगी। मैं स्वार्थी नहीं हो सकती। ”

सैंड्रा: “ठीक हैं, राहुल तुम तैयार हो ना?”

राहुल: “अगर प्रतिमा को कोई आपत्ति नहीं हैं तो मैं भी तैयार हु। ”

मैं: “मैं राहुल की नहीं, जोसफ की बात कर रही थी। ”

सैंड्रा और राहुल एक दूसरे की तरफ आश्चर्य से देखने लगे। उन्हें यकीन नहीं हुआ कि मैंने राहुल के होते हुए जोसफ को चुना था। पर मैंने काफी आगे का सोच कर बहुत सोच समझ कर ही फैसला लिया था ।

सैंड्रा : “ठीक हैं, कल ग्यारह बजे गेस्टहॉउस आ जाना, तुम्हे जोसफ वही मिलेगा। तुम उसके साथ चुदवाओगी और मैं जैक को ये सब दिखा, उसको तुमसे हमेशा के लिए दूर कर दूंगी ।

राहुल: “प्रतिमा, तुम ठीक तो हो, तुम जोसफ को कैसे चुन सकती हो। मैं तुम्हे ये सब नहीं करने दूंगा।”

मैं: “मुझे करना ही पड़ेगा, इतने लोग जुड़े हुए हैं मेरी इस हां से। ”

सैंड्रा : “वाह, लगता हैं तुम दोनों एक दूसरे को बहुत चाहते हो ”

मैं: “नहीं” राहुल: “हां”

हम दोनों ने एक साथ विपरीत जवाब दिये थे। राहुल ने स्वीकार किया कि वो मुझे प्यार करता हैं। मगर मैंने तो कभी उसे प्यार ही नहीं किया था।

सैंड्रा: “देखो मेरी नजर में तुम दोनों ने मिल कर जैक को फंसाने का प्लान किया था। गलती तुम दोनों ने की थी, सजा सिर्फ प्रतिमा को मिल रही हैं। राहुल को भी सजा मिलनी चाहिए। राहुल की सजा ये हैं कि वो अभी इसी जगह मुझे चोदेगा, और वो भी अपनी माशूका के सामने। ”

राहुल: “मैं ये नहीं कर सकता।”

सैंड्रा : “प्रतिमा तो जोसफ के साथ चुदने को तैयार हैं तो तुम मुझे क्यों नहीं चोद सकते ? तुम क्या नामर्द हो ! कही ये ही तो कारण नहीं कि प्रतिमा ने तुम्हारी बजाय जोसफ को चुना।”

ये सुनकर राहुल गुस्से में लाल हो गया, पर गुस्सा करके भी क्या उखाड़ लेता।

सैंड्रा : “मेरा शक शायद सही हैं, राहुल तुम्हे शर्मिंदा करने के लिए तो प्रतिमा ही काफी हैं। प्रतिमा जरा तुम्हारे आशिक को नंगा करके देखो वो मर्द भी हैं या नहीं। ”

मैं और राहुल एक दूसरे का चेहरा देखने लगे। मैं ये कैसे कर सकती हूँ, वो मेरा बॉस हैं और मैं उसकी इतनी इज्जत करती हूँ और आज वो ही उतार दू। ये शर्म भी एक कारण थी कि जिसके मारे मैंने उसकी बजाय जोसफ को चुना था। मैं वही खड़ी की खड़ी रह गयी।

सैंड्रा : “और फिर मैं फैसला करुँगी कि मुझे इसके साथ चुदवाना हैं या नहीं । मुझे पसंद नहीं आया तो तुम दोनों आपस में चोद के बताओगे ।”
मैं एकदम घबरा गयी, राहुल के साथ नहीं करना था इसी वजह से तो जोसफ के लंड का जोखिम मौल लिया था। मैंने एक नजर राहुल की तरफ़ देखा फिर नीचे देखने लगी । उस दिन पार्टी में उसको चूमने तक नहीं दिया था और आज उसको मज़बूरी में चोदना पड़ेगा।

कही सैंड्रा सच तो नहीं बोल रही, क्या इसी नामर्दी के कारण वो मुझ जैसी खूबसूरत और सेक्सी औरत को देखता भी नहीं था। यहाँ तक कि सैंड्रा जैसी गौरी चमड़ी वाली बला की खूबसूरत औरत को भी मना कर रहा था। शायद रूही इसी वजह से छोड़ कर गयी हो। तब तक राहुल मेरे करीब आ गया।

राहुल: “प्रतिमा तुम मेरे कपड़े उतार सकती हो, घबराओ मत। ”

मैं अब फंस चुकी थी, पहले ही राहुल को चुन लेती तो एक बार इज्जत गवा के बच जाती, पर अब राहुल के साथ साथ जोसफ के साथ भी करवाना पड़ेगा। मेरे लिए तो डबल सजा हो गयी। मगर बचने का कोई रास्ता तो था नहीं।

राहुल अपना सूट तो आते ही खोल चूका था तो मैंने पहले उसकी टाई निकाली और फिर उसके शर्ट को पैंट के बाहर खिंच कर एक एक कर सारे बटन खोलती गयी और अंदर से उसका बनियान दिखने लगा। मैंने उसको सबसे कम कपड़ो में उस पार्टी में हाफ स्लीव टीशर्ट में देखा था। और अब उसका शर्ट निकालने के बाद उसे बनियान में देखा।

उसके हाथो के मसल्स दिखने लगे। उस दिन हाफ स्लीव टीशर्ट में ही उसके मसल्स का अनुमान तो लग गया था पर पुरे आज देखने को मिले। जोसेफ जितनी बलशाली भुजाएं तो नहीं थी पर आम मर्दो से काफी अच्छी थी। वो जिम जाता हैं ये तो मुझे पता चला था , पर इतने समय से जा रहा होगा ये अब पता चल गया था।

मैंने नीचे नजरे झुका कर उसका बनियान भी निकाल दिया। मेरी नजर उसके पेट पर पड़ी, उसके एब्स देख कर मैं बहुत प्रभावित हुई। मेरी तरह वो भी फिटनेस का बहुत ध्यान रखता हैं। उसका सीना एकदम सफाचट था। लगता हैं उसको शरीर पर बाल बिलकुल पसंद नहीं । शायद उसके लंड के आस पास भी वो सफाचट ही होगा।

मैंने उसका बेल्ट खोलने के बहाने अपना हाथ उसके एब्स पर थोड़ा छू कर महसूस कर दिया, वो बहुत सख्त थे। उसके बदन को छूते ही मुझे जैसे करंट लगा और शायद उसको भी।

मैंने उसका बेल्ट का बकल खोल दिया और फिर उसने खुद ही अपने जूते निकाल दिए ताकि मुझे उसकी पैंट निकालने में दिक्कत ना हो। मैंने उसकी पैंट का हुक और चैन खोल धीरे धीरे नीचे बैठते हुए पैंट को नीचे करने लगी। जैसे ही पैंट जांघो तक नीचे आया मैंने देखा उसने अंदर बॉक्सर पहन रखा हैं और उसमे से उसका लंड कड़क हो आगे की ओर निकला हुआ था।

मेरे कपड़े खोलने के दौरान ही लगता था उसका लंड कड़क हो तैयार हो चूका था। मतलब वो नामर्द तो नहीं था। मैं थोड़ा शरमा गयी उसके उस उभार को देख कर। मैंने उसका पैंट पूरा पाँव से निकाल दिया। अब बारी उसके आखरी कपड़े यानी बॉक्सर की थी। उसमे से बाहर झूलता हुआ लंड देख मेरी वैसे ही शरम के मारे हिम्मत नहीं हो रही थी।

मैंने अपने दोनों हाथ उसके बॉक्सर के दोनों तरफ रखे, पता नहीं अनगिनत औरतो ने अपने बॉस का लंड देखा और लिया होगा, मैं उनमे कभी शामिल नहीं होना चाहती थी पर आज शायद वो दिन था। शायद मेरा पहना हुआ लक्की कुर्ता भी आज काम नहीं आया।

फिलहाल मैं उसका बॉक्सर धीरे धीरे नीचे खींचने लगी, और उसके नीचे आते ही उसका लंड स्प्रिंग की तरह उछलते हुए मेरे चेहरे की तरफ लपका। मैं डर के थोड़ा पीछे खिसकी और गौर से देखा। उसका लंबा लंड मेरे सामने था। वहा का हिस्सा भी सफाचट था। मैं भी अपनी चूत सहित शरीर के हर हिस्से की वैक्सिंग कर चिकना रखती हु। हमारी एक और आदत मिलती थी।

मोटाई जोसफ़ के लंड जितनी तो नहीं थी पर सामान्य मर्दो के लंड की साइज से लंबा और मोटा था। शायद ये मुझे उसी दिन मिल जाता अगर मैं उसको पार्टी में मुझे चूमने देती।

मैंने बॉक्सर पूरा निकाल दिया और खड़ी हो गयी। वो एक पहलवान की तरह सीना फुलाये और अपना लंड खड़ा किये दिखा रहा था। शायद सैंड्रा और मुझे साबित कर रहा था कि वो असली मर्द हैं।

सैंड्रा : “राहुल अब तुम्हारी बारी, तुम …”

इससे पहले की सैंड्रा अपनी बात पूरी करती राहुल मेरी तरफ आगे बढ़ा और मेरे कुरते को नीचे से पकड़ लिया। मैं डर के मारे उसकी आँखों में देखने लगी, क्या वो सच में मुझे नंगा करने वाला था।

राहुल: “हाथ ऊपर करो प्रतिमा।”

वो मुझे नंगा करने के लिए कितना उतावला हुए जा रहा था, मैंने उसकी आँखों में घूरते हुए अपने हाथ ऊपर किये। मैं तो उसे वैसे ही मिलने वाली थी फिर उतावलेपन का क्या फायदा, जो भी करना हैं प्यार से करे। मेरे हाथ ऊपर करते ही उसने मेरा कुर्ता ऊपर उठाना शुरू कर दिया और सर से पूरा निकाल दिया।

मुझे बहुत शर्म आयी, अपनी इच्छा से नंगा होना और किसी के हाथो जबर्दस्ती नंगे होने में फर्क होता हैं। मैं अब ब्रा में खड़ी थी। नजरे नीचे की तो राहुल का लंड नजर आया, तो शरमा के फिर ऊपर देखने लगी। उसकी आँखें मेरे ब्रा से झांकते हुए मम्मो पर ही थी। आज तो बड़ी बेशर्मी से मेरे शरीर को निहार रहा था और ऑफिस में जब मैं दिखाने की कोशिश करती थी तब क्या हुआ था इसे !

वो अब नीचे बैठ गया और मेरी कैप्री पैंट को नीचे खिसकाने लगा और मेरी पैंटी दिखने लगी। अब तक की घटनाओ से मेरा थोड़ा पानी निकल गया था और पैंटी भी गहरे रंग की थी तो उसको साफ़ दिख गया मेरी क्या हालत हैं। हम दोनों एक दूसरे में इतना खो गए कि हम भूल ही गए थे कि सैंड्रा भी वहा खड़ी हैं।

मैंने देखा उसका लंड अब फूल कर और भी मोटा और लंबा हो चूका हैं। वो मुझे पहली बार इतने कम कपड़ो में देख रहा था, पता था हालत तो उसकी खराब होनी ही थी। वो एक बार फिर खड़ा हुआ।

उसने मुझे पीछे घुमाया और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। मेरे सीने पर कसाव ढीला करते ही उसने मुझे फिर अपनी तरफ घुमाया। वो मुझे नंगा करते हुए मेरा शर्माता चेहरा देखना चाहता था। उसने मेरे खुले लंबे स्ट्रैट किये हुए बालो को आगे से पीछे किया ताकि उसको मेरे मम्मे पुरे दिखे। मैंने शर्म के मारे नजरे नीचे ही की हुई थी।

उसने अपने दोनों हाथों की दो दो उंगलिया मेरे ढीले हो चुके ब्रा के नीचे रखी और ऊपर उठा मेरे मम्मे बाहर निकालने की कोशिश शरू करने ही लगा कि सैंड्रा की आवाज आयी।

सैंड्रा: “रुको”

हमने सैंड्रा की तरफ देखा, उसने अपने कपडे निकालना शुरू कर दिया था।

सैंड्रा: “मुझे यकीन हो गया हैं कि राहुल नामर्द नहीं। वैसे भी तुम दोनों के लिए ये सजा से ज्यादा मजा लग रहा हैं। राहुल की सजा तो मुझे चोदने में हैं। ”

सैंड्रा ने अपने ऊपर के कपड़े निकाल दिए थे और अब वो सिर्फ लैस वाले खूबसूरत काले ब्रा और पैंटी में थी। उसके संगरमर जैसे बदन पर काले ब्रा और पैंटी काफी आकर्षक लग रहे थे ऊपर से उसके गौरे गौरे बड़े वाले चिकने मम्मे क़यामत थे। उसके बदन को देख कर तो राहुल मुझे भी भूल जायेगा।

राहुल फिर मेरी तरफ मुड़ा और एक बार फिर अपने दोनों हाथ मेरी ब्रा की तरफ लाया। मुझे उस वक्त बहुत ख़ुशी हुई, सैंड्रा जैसी हसीना को छोड़ कर वो मेरी तरफ आकर्षित था ठीक जैक की तरह। पर इससे पहले कि वो मेरे ब्रा को हाथ भी लगा पाता सैंड्रा ने फिर रोक दिया।

तुम दोनों की इच्छा हैं तो और कभी कर लेना, पर फिलहाल मेरा मूड बन गया हैं तो राहुल तुम सिर्फ मुझे ही चोदोगे। राहुल झुँझला कर सैंड्रा की तरफ बढ़ा।

सैंड्रा : “प्रतिमा तुम जाना मत। तुम अपने आशिक को मुझे चोदते हुए देखने के मजे लो या जलो तुम्हारी इच्छा।”

राहुल अपना गुस्सा सैंड्रा को चोदते हुए कैसे निकालेगा वो अगले भाग में पढ़े।
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#42
[Image: nYSsgt.gif]

UPDATE 14 :

राहुल ने सैंड्रा के करीब पहुंच गुस्से में उसके ब्रा और पैंटी को खिंच कर निकाला और उसे नंगा कर दिया। जोर से खींचने से सैंड्रा के मम्मे ऊपर नीचे जेली की तरह उछलने लगे। राहुल ने उसके मम्मो को काटा और खिंच कर छोड़ दिया।

मैंने अपने ब्रा को बांधते हुए देखा, सैंड्रा के गौरे मम्मे पर दाँतों के काटने से लाल रंग का घेरा बन गया था। मुझे लग गया आज वो अपनी मर्दानगी सैंड्रा को साबित करके रहेगा। उसने सैंड्रा के दूसरे मम्मे का भी यही हाल किया और सैंड्रा हल्का सा चीखने के अलावा कुछ न कर पायी।

मैंने शुक्र मनाया, एक तो मैं राहुल के कोप का शिकार नहीं बनूँगी वरना अशोक को क्या बोलती ये लव बाइट किसने दिया। दूसरा ये कि मुझे अब दो लोगो के साथ नहीं चुदवाना पड़ेगा। मैंने जल्दी से अपने बाकी के कपड़े भी पहन लिए।

राहुल अब सैंड्रा के मम्मो को बुरी तरह से अपने मुँह में भर भर के चूस रहा था और सैंड्रा आहें भरते हुए राहुल के लंड को अपने हाथो में पकड़े रगड़ रही था। वहां का माहौल बहुत गरम हो गया था।

राहुल से मुझे कोई प्यार तो था नहीं, तो मुझे कोई जलन नहीं हो रही थी। ये ख़ुशी जरूर थी कि मैं पहले बिना किसी सफलता के उसका ध्यान अपनी ओर खींचने का प्रयास करती रहती थी और आज उसकी प्राथमिकता मैं थी।

जोसफ के मोटे लंड की तरह राहुल मजा तो नहीं दिला पाता मगर राहुल के गुस्से भरे जोश से वो कमी शायद पूरी हो सकती थी।

राहुल ने सैंड्रा के मम्मे छोड़े तो सैंड्रा ने नीचे बैठ कर राहुल का लंड अपने मुँह लिया और आगे का दो तीन इंच का हिस्सा अपने मुँह में अंदर बाहर कर रगड़ने लगी और पीछे के आधे हिस्से पर अपनी पतली उंगलियों से तेजी से आगे पीछे रगड़ने लगी।

सैंड्रा के इस आक्रमण से राहुल अब मुँह फाड़कर आहें भरने लगा। राहुल को पहली बार इस तरह चीखते देख मैं हिल गयी। मैं अपने आप पर काबू रख रही थी।

थोड़ी ही देर में लंड चूसने से सुड़प सुड़प की आवाजे आने लगी थी, शायद राहुल का पानी निकलना शुरू हो गया था, पर सैंड्रा थोड़ी देर और चूसती रही। जब उसने राहुल का लंड अपने मुंह से बाहर निकाला तो लंड पूरा चिकना हो चूका था और सैंड्रा के मुँह से राहुल के पानी की लारे छूटने लगी।

राहुल ने सैंड्रा को खड़े किया और मेरे एकदम नजदीक पड़े टेबल पर लेटा दिया और उसके पाँव टेबल के बाहर थे, जिन्हे राहुल ने अपने हाथों में पकड़ रखे थे।

उसने झुकते हुए अपना मुँह सैंड्रा की चूत पर रखा और उसकी चूत पर इस तरह मुँह मारने लगा जैसे मरे हुए जानवर पर पक्षी अपनी चोंच मार मांस नोचते हैं। वो जब भी अपना मुँह चूत से दूर हटाता तो सैंड्रा चीखती, क्यों कि वो मुँह उठाते वक्त उसकी चूत के होंठो का कोई हिस्सा अपने मुँह में भर कर बाहर खींच रहा था।

सैंड्रा बुरी तरह से सिसकिया मार तेज तेज आवाजे निकाल राहुल को और उकसा रही थी। चूत तो सैंड्रा की चूसी जा रही थी मगर महसूस मुझे भी हो रहा था।

राहुल अब खड़ा हो गया और सैंड्रा की चूत में अपना लंड घुसाने लगा। एक झटके में उसका लंड उसकी चूत में फिसल गया। ये सब जोसफ का किया कराया था, उसने ही सैंड्रा की चूत को बार बार चोद चोद कर पूरा खोल दिया था कि कोई दूसरा मर्द शायद उतने मजे नहीं ले पाए।

मगर मैंने देखा उसका लंड पूरा अंदर नहीं फिसला, तीन इंच जाने के बाद अपने आप रुक गया और राहुल को थोड़ा और जोर से धक्का मारना पड़ा।

राहुल का लंड इतना मोटा तो था कि जोसफ को थोड़ी बहुत टक्कर दे सकता था। मैं अपने बारे में सोचने लगी। कल जब जोसफ मुझे चोदेगा और मेरा छेद एक बार में ही बड़ा कर देगा तो ! मेरा पति अशोक तो फिर मेरे मजे ही नहीं ले पायेगा। अशोक का तो राहुल से थोड़ा पतला लंड हैं।

मेरी तो ज़िन्दगी भर की सेक्स लाइफ ख़राब हो जाएगी, क्यों कि मुझे भी मजा नहीं आएगा। शायद तब मुझे राहुल ही सहारा दे पायेगा, वैसे भी अब तो वो मुझे चोदने के लिए तैयार हो गया था। मेरे पास जरुरत पड़ने पर बैकअप प्लान था।

अपने बारे में सोचते सोचते मैं उन दोनों के बारे में भूल गयी जो वहा लगे पड़े थे। सैंड्रा अब दहाड़े मारते हुए चीख रही थी क्यों कि राहुल अब जानवरो की तरह उसे चोदते हुए उसको सबक सीखा रहा था। मेरा दिल दहल उठा उसका ये वहशी रूप देख कर। जोसफ का लंड जरूर जानवरो जैसा हैं पर उसने चुदाई इंसानो की तरह ही की थी।

शायद हर मर्द अपनी भड़ास औरतो की चूत पर ही निकालता हैं। ये राहुल क्या कभी मुझ पर भी इसी तरह जानवरो की तरह भड़ास निकालेगा। सैंड्रा को तो फिर भी जोसफ की आदत हैं वो सहन कर लेगी, पर मैं कैसे करुँगी। एक तरफ सैंड्रा की चीखें तो दूसरी राहुल के धक्को से ठाक ठाक की आवाजे तीव्र गति से ऊँची आवाजे। एक डरावना माहौल हो चूका था

मेरी चूत में किसी ने चींटिया छोड़ दी हो वैसा लगने लगा। ध्यान देने वाली बात थी सैंड्रा दर्द से चीख रही थी फिर भी राहुल को भड़काते हुए और जोर से करने को बोल रही थी। वो क्यों अपने पैरो पर पत्थर मार रही थी समझ नहीं आया, कुछ औरतो के अरमान बहुत ज्यादा ही जंगली होते हैं।

एक सामान्य आदमी इतनी देर में थक कर रुक जाता पर राहुल की गति में बिलकुल बदलाव नहीं आया। ऐ.सी. चालू होने के बावजूद राहुल के पसीना बहने लगा था। वो तो जैसे जिम में था और सैंड्रा कोई कसरत करने की मशीन थी। मैं अब राहुल की परफेक्ट शेप वाली गांड और जाँघे देख रही थी।

उसकी सारी मसल्स चोदने में लगी शक्ति से अकड़ कर फुल गयी थी। अब मेरी खुद की चुदने की इच्छा होने लगी थी, पिछली बार सैंड्रा को जोसफ के साथ करते देख मैंने अपने हाथों से अपना कर लिया था पर यहाँ तो मैं कही जा भी नहीं सकती थी सैंड्रा ने मना किया था।

थोडी देर इसी तरह चोदने के बाद राहुल ने सैंड्रा चोदना बंद कर उसी टेबल पर उल्टा लेटा दिया और उसके पाँव नीचे जमीन पर सीधे खड़े थे।

राहुल उसकी गांड के पीछे खड़ा हुआ और अपने एक हाथ से उसकी गांड को चौड़ा किया और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ कर उसकी चूत में गुसा दिया , लंड ज्यादा बिना परेशानी के बड़ी आसानी से अंदर चला गया था और राहुल ने अगले ही क्षण वापिस निकाल दिया।

उसको कुछ सुझा और उसने अपना लंड सैंड्रा की गांड के छेद में घुसाने की कोशिश की। मगर लंड की टोपी से ज्यादा अंदर जा ही नहीं पाया।

सैंड्रा एकदम चीखी और पीछे डालने से उसको मना किया । मुझे याद आया पीछे का छेद तो उसने जैक के लिए सुरक्षित रखा हुआ हैं ताकि किसी मोटे लंड से जैक वाला छेद चौड़ा ना हो जाये।

वैसे भी राहुल का लंड अभी गुस्से से फूलकर कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा था, सैंड्रा का छेद उसे सहन नहीं कर पायेगा। राहुल जबरदस्ती उसके गांड के छेद को भेदने की कोशिश कर रहा था और सैंड्रा अपना हाथ पीछे ले जाकर उसको रोक रही थी। राहुल ने सैंड्रा की पतली कलाइयों को पकड़ा और उसकी कमर पर रख अपने एक हाथ से दबोच लिया।

राहुल ने अब फिर अपना पूरा जोर लगा अपना लंड सैंड्रा की चूत में घुसाना शुरू किया और वो थोड़ा थोड़ा अंदर जाने लगा, मगर अब सैंड्रा के चीखे सबसे तेज थी, वो दर्द की चीखे थी ये पक्का था। मुझे उस पर दया आने लगी, राहुल को उस पर ऐसा जुल्म नहीं करना चाहिए था, भले ही उसने हमारे साथ कुछ भी किया हो।

सैंड्रा अपने जाल में खुद फंस चुकी थी और तड़प रही थी। दूसरी तरफ राहुल दो इंच से ज्यादा अपना लंड उसकी गाड में नहीं डाल पा रहा था। वो जितना जोर लगाता सैंड्रा उतना चीखती। राहुल से अब और अंदर नहीं डाल पा रहा था तो उसने मेरी तरफ देखा और मदद मांगी ।

राहुल:”प्रतिमा, तुम इस छिनल की गांड पकड़ कर चौड़ी करो मैं इसमें और अंदर डालता हूँ। ”

मैं सैंड्रा की हालत देख बिलकुल नहीं हिली, इस पर राहुल मुझ पर चिल्लाया।

राहुल: “करो ना, इसने हमारे साथ क्या किया नहीं पता क्या।”

मैं सहम कर पूरा हिल गयी। मैंने आगे बढ़ कर अपने दोनों हाथ सैंड्रा की गांड के दोनों हिस्सों पर रखे। उसकी गांड मेमोरी फोम की तरह नाजुक और मुलायम थी।

मैंने दबा के उसके गांड के दोनों हिस्सों को एक दूसरे से दूर कर उसकी दरार को चौड़ा किया। बड़ी आसानी से उसकी दरार खुल गयी और मैंने उसकी गांड का गुलाबी छेद देखा जो पूरी तरह से राहुल के मोटे लंड से भर कर फंसा हुआ था।

मैं जैसी ही दरार खोली तो राहुल का लंड खिसकता हुए थोड़ा और अंदर गया और साथ ही सैंड्रा जोर से चीखी।

राहुल ने मुझे और जोर लगा के गांड चौड़ी करने को कहा और मैंने मन मार कर अपना जोर लगाया और साथ ही साथ राहुल ने भी और एकदम से उसका लंड एक इंच एक साथ अंदर घुस गया और पीछे से सैंड्रा की दहाड़।

मैं ऐसे ही पकड़े खड़ी रही और अब राहुल थोड़ा बहुत आगे पीछे हो धक्के मारने लगा। उसका लंड अटक अटक कर सैंड्रा की गांड चोदने लगा। सैंड्रा अब लगभग रोते हुए चीख रही थी।

थोड़ देर में ही राहुल का लंड अब सैंड्रा की गांड को गीला कर चूका था तो ज्यादा आराम से आगे पीछे हो चोदने लगा। जिससे सैंड्रा की चीखे थोड़ी कम हो गयी और मैंने उसकी गांड को छोड़ दिया। राहुल अब भी जोर जोर से सैंड्रा की गांड पर चोट मार रहा था जिससे ठाप ठाप ठाप की आवाज आने लगी। राहुल इस बीच हिंदी में उसको गालियां देते हुए गुस्सा निकाल रहा था।

स्साली सफ़ेद चुड़ैल, बड़ा शौक था मुझसे चुदाने का अब ले। आज तेरी ऐसी गांड फाड़ूंगा कि दस दिन तक चुदाना तो दूर चल भी नहीं पाएगी।

राहुल के मुँह से पहली बार ऐसी भाषा सुन मैं शर्मिंदा हो गयी। उससे मुझे ये सब उम्मीद नहीं थी। शायद वो अपने साथ मेरा भी बदला सैंड्रा से निकाल रहा था।

सैंड्रा: “आअह्ह, क्या बोल रहा हैं दूसरी भाषा में, अहहह, गाली दे रहा हैं !”

राहुल: “नहीं, तुम्हारे फिगर की तारीफ़ कर रहा हूँ। ”

सैंड्रा : “प्रतिमा, अब तुम कल देखो, मैं तुम्हारी क्या हालत करवाती हूँ जोसफ से। राहुल की वजह से मैं दस दिन लंगड़ा के चलूंगी तो तुम जोसफ की वजह से एक महीना लंगड़ा के चलोगी। तुम्ही ने मेरी गांड पकड़ कर चौड़ी की थी ना।”

मैं अब थर थर कांपने लगी, मुझे तो उस पर दया आ रही थी, पर राहुल की वजह से मैं खुद अब फंस चुकी थी। कल तो जोसफ मेरी जान ही निकाल देगा। सैंड्रा ने कभी जोसफ का जानवर अपनी गांड में नहीं लिया, वो अब मेरी गांड में डलवायेगी ! इसके लिए तो दुनिया का कोई भी जैल लुब्रीकेंट नहीं बना हैं।

राहुल: “उसके साथ कुछ मत करना, उसको मैंने ही करने को बोला हैं। तुम वादा करो कल इसे ज्यादा परेशान नहीं करोगी तो मैं तुम्हे अभी छोड़ देता हूँ। तुम्हे लंगड़ा के नहीं चलना पड़ेगा। ”

सैंड्रा: “ठीक हैं छोडो मुझे। ”

राहुल ने उसे छोड़ दिया। सैंड्रा अब खड़ी हो गयी। उसका लुका पीटा चेहरा बता रहा था उसकी क्या हालत हुई थी। मैंने उसको भोली शकल बनाते हुए सॉरी कहा।

सैंड्रा : “कोई बात नहीं, इसमें तुम्हारी गलती नहीं। आओ राहुल ।”

ये कहते हुए उसने राहुल को सोफे पर बैठाया, और खुद उसकी गोद में दोनों तरफ पाँव चौड़े कर बैठ गयी। और उसका लंड अपनी चूत में घुसा दिया। सोफे का सहारा ले उसने ऊपर नीचे जोर जोर से उछलते हुए राहुल को चोदना शुरू कर दिया। ये नजारा दर्दनाक नहीं था पर प्यारा था। दोनों की मजे के मारे आहें निकलने लगी।

उनकी वो क्रिया और आवाजे सुन मेरे पुरे बदन में जैसे नशा चढ़ने लगा। मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था मेरी पैंटी काफी गीली हो चुकी थी। मैं बाथरूम में जाने लगी पर सैंड्रा ने देख रोक लिया।

सैंड्रा : “जब तक हमारा पूरा ना हो, तुम जा नहीं सकती। ”

मैं: “मुझे वाशरूम जाना हैं, अर्जेंट। ”

सैंड्रा : “मुझे पता हैं क्यों जाना हैं , शर्माओ मत , ये नेचुरल हैं। जो भी करना हैं यही कर लो। ”

उसकी बातें सुन मैं शरमा गयी। खड़ी हो तड़पती रही। उन लोगो ने चोदना जारी रखा।

आह्ह आह्ह ऊह्ह्ह ऊह्ह्ह उम्म आह्ह आह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह हम्म्म्म

राहुल के लंड पर फिसलती सैंड्रा की चूत का नजारा मैं देख देख कर अपने को रोक नहीं पा रही थी। राहुल से शर्म भी आ रही थी। मेरे सब्र का बांध अब टूटने लगा था।

मैं राहुल के पीछे की तरफ साइड में जाकर खड़ी हो गयी। सैंड्रा मुझे देख सकती थी पर राहुल नहीं। मैंने एक हाथ अपने मम्मे पर रख मसलना शुरू किया और दूसरा अपनी कैप्री पैंट के ऊपर से ही अपनी चूत पर रख हल्का रगड़ना शुरू किया।

सैंड्रा : “प्रतिमा, कपड़े खोल के कर लो, किसी को बुरा नहीं लगेगा। ”

उसके बोलने की ही देर थी और मैंने अपने नीचे वाले हाथ से अपनी पैंट को एक झटके में पैंटी सहित नीचे कर दिया।

सैंड्रा मेरी तरफ देख बोली: “क्या मस्त चूत हैं तुम्हारी।”

ये सुनते ही राहुल ने गर्दन मोड़ी और मेरी तरफ देखने लगा। वो मेरी चूत देख पाता उसके पहले ही मैंने अपना हाथ अपनी चूत पर रख छूपा लिया। फिर भी उसको मेरी चूत के साइड का नंगा एरिया और कूल्हों की हड्डी दिख गयी थी। मेरी नीचे की शेप का उसे अंदाजा हो गया था। वो मुझे ही घूर रहा था और मैंने शर्म के मारे अपना दूसरा हाथ भी नीचे ला ढक दिया।

मेरी तो जैसी सारी इच्छा ही मर गयी थी। मैंने सावधानी से एक हाथ से चूत ढकते हुए दूसरे से अपनी पैंट फिर ऊपर खिंच पहन ली। सैंड्रा और राहुल की आहें लगातार जारी थी और साथ ही मेरी चूत में चूल मच रही थी। मैं वापिस आकर सैंड्रा के पीछे आकर बैठ गयी।

मैंने देखा सैंड्रा की चूत से जैसे दुध की नदिया बह रही थी और सफ़ेद धाराएं राहुल के लंड को पूरा लपेट चुकी थी। यहाँ से राहुल सैंड्रा के पीछे छुपा था और सैंड्रा की पीठ मेरी तरफ थी। मैं सोफे पर पीछे खिसक कर पीठ टिकाये बैठ गयी। पैंट थोड़ी नीचे खिसका कर अपनी पैंटी में हाथ डाल रगड़ने लगी।

मेरे नीचे का माहौल पूरा बरसाती था। पैंटी नीचे पूरी गीली हो चुकी थी। मैं रगड़ रगड़ कर अपना काम पूरा करने लगी। उधर वो दोनों जोर जोर से चिखने लगे। शायद झड़ने वाले थे। अब भर भर के पानी सैंड्रा की चूत से निकल रहा था और राहुल की आहें भारी हो गयी थी उसने अपना पानी लगभग खाली कर दिया था। पर मेरा अभी नहीं हुआ था।

दोनों चीखते हुए झड़ कर शांत हो गए। मैं अभी भी अपनी चूत रगड़े जा रही थी। मेरे कुछ ही सेकंड बाकी थे। परन्तु सैंड्रा अब राहुल के ऊपर से उठने लगी।

मैंने जल्दी से उठ कर अपने कपड़े ऊपर कर लिए और उन दोनों ने शायद हलकी सी झलक देख ली थी कि मैंने अभी अभी बंद किया हैं। मैं वही खड़ी हो गयी। सैंड्रा ऐसे ही नंगी मेरे पास चलते हुए आयी और अपना हाथ हलके हलके से मेरी चूत पर रगड़ने लगी।

मैं तो झड़ने के एकदम मुहाने पर खड़ी थी तो उसके हाथ से होती रगड़ से मेरे अंदर कम्पन होने लगा और मैं खड़े खड़े ही आहें भरने लगी और सैंड्रा हंसने लगी। उसने मुश्किल से दस बार अपना हाथ मेरी कैप्री पैंट के ऊपर से ही मेरी चूत पर रगड़ा और मैं खड़े खड़े ही चीखते हुई झड़ गयी।

सामने से राहुल हम दोनों को देख रहा था, और मैं शर्म से जमीन में गड़ी जा रही थी। सैंड्रा मुझ पर खिलखिलाते हुए आगे बढ़ी और फ़ोन से उसने अपने ड्राइवर को बुला लिया लेने आने के लिए।

सैंड्रा: “राहुल वाशरूम किधर हैं?”

राहुल: “चलो मैं बताता हूँ, प्रतिमा तुम्हे भी जाना हैं वाशरूम।”

मैंने ना में सर हिला दिया।

सैंड्रा : “वो तो पहले ही कपड़ो सहित नहा चुकी हैं अपने ही पानी से । मैंने बोला था कपड़े निकाल कर कर ले। ”

राहुल और सैंड्रा ने अपने कपड़े उठाये, वाशरूम में गए और थोड़ी देर बाद कपड़े पहने हुए आये। मैं तब तक वही खड़ी थी। मेरे कपड़े नीचे से गीले थे और थोड़ा असहज महसूस हो रहा था। मेरा कुर्ता बिलकुल ठीक था। इस लक्की कुर्ते ने मेरी इज्जत बचा ली थी ।

सैंड्रा का ड्राइवर आ गया था वो वो जाने लगी।

सैंड्रा : “थैंक यू राहुल, इस मजेदार चुदाई के लिए। प्रतिमा कल ठीक ग्यारह बजे गेस्ट हाउस पहुंच जाना। आज तो तुम्हे कुछ नहीं मिला, कल बहुत कुछ मिलेगा। बाय ”

सैंड्रा चली गयी और मैं उसको ताकते रह गयी। शाम हो चुकी थी और ऑफिस बंद होने वाला था और अब वापिस ऑफिस नहीं जा सकते थे। सीधा घर ही जाना था पर फार्म हाउस काफी बाहरी इलाके में था तो रिक्शा कैब मिलना मुश्किल था। मैंने राहुल की तरफ देख फिर नीचे देखने लगी।

राहुल : “मेरे पास यहाँ रूही की एक दो ड्रेस पड़ी हैं। तुम वो पहन सकती हो। ”

वो अंदर गया और हाथ में रूही की एक फ्रॉक वाली ड्रेस लेकर आया। मैं वो ड्रेस लेकर बाथरूम में गयी, मेरा कुर्ता हालाँकि ख़राब नहीं था पर फ्रॉक के साथ कुर्ता पहन नहीं सकती थी तो खोल दिया।

कैप्री पैंट और पैंटी गीली थी तो उसको खोल अपना शरीर नीचे से साफ़ किया। फिर सीधा फ्रॉक पहन ली। अंदर पैंटी नहीं पहने होने से थोड़ा खाली खाली लग रहा था पर कोई उपाय नहीं था।

मैंने ऊपर से नीचे देखा, वो एक बहुत खूबसूरत ड्रेस थी और मुझ पर फब रही थी। हालांकि किसी और की ड्रेस थी पर रूही तो अब आने वाली नहीं, मेरी इच्छा थी मैं इसे रख लू। मैं ख़ुशी ख़ुशी बाहर आयी। मेरे सामने आते ही राहुल मुझे आँखें फाड़ एकटक देखता ही रह गया। उसके मुँह से एक बार सिर्फ “रूही” निकला।

वो मुझ में आज भी रूही को ही देखता हैं। मुझे उसके दर्द का अहसास हुआ पर मैं उसके दर्द का इलाज नहीं थी। उसने मेरी तारीफ़ की कि मैं उसे रूही की याद दिला रही हु और ये ड्रेस मेरे लिए ही बनी हैं।

उसने मुझे वो ड्रेस रखने की इजाजत दे दी। मैं बहुत खुश हुई। वो मुझे घर तक छोड़ने आया और पुरे रास्ते वो बार बार मुझ देख मुस्कुराते रहा और मैं भी उसको मुस्कुराते हुए जवाब देती रही।

राहुल ने विदा लेते वक्त मुझे कल के लिए बेस्ट ऑफ़ लक बोला और कहा कल जोसफ के साथ काम ख़त्म होने पर मैं सीधा घर पर जा सकती हूँ, मेरी तबियत ख़राब होने के चांस हैं।

अच्छा था कि अशोक नहीं था वरना क्या सोचता, गयी थी कुछ ओर पहन कर और आयी कुछ ओर पहन कर। मैंने कपड़े बदल लिए और फिर याद आया मेरे अपने कपड़े तो वहा बाथरूम में ही छोड़ आयी।

मेरा लक्की कुर्ता वहा छूट गया था, जिसकी मुझे कल जरुरत पड़ेगी। ये उसका अपशकुन था मेरे साथ कल जो होने वाला था।
Like Reply
#43
[Image: WizVta.gif]

UPDATE 15 :

ग्यारह बजे मुझे गेस्टहॉउस पहुंचना था और चिंता मेरे चेहरे पर साफ झलक रही थी।

मैंने अपनी पिछली तैयारी के हिसाब से दर्द निवारक गोली और एक्स्ट्रा कपड़े ले लिए। मैंने डॉक्टर के पास जाकर गर्भनिरोधक इंजेक्शन लगवा लिया जो मुझे गर्भवती नहीं होने देगा। मुझे वो लुब्रीकेंट जैल चाहिए था जो सैंड्रा ने इस्तेमाल किया था।

पर वो तो कोई विदेशी प्रोडक्ट था, इतना जल्दी मिलना मुश्किल था। फिर भी मैं थोड़ा जल्दी निकली और सुपर स्टोर और मेडिकल पर गयी पर वैसा कुछ नहीं मिला। इस तरह के सामान शायद खुले में नहीं बिकते हैं, ऑनलाइन ही खरीदने पड़ते हैं शायद।

मेरी उम्मीद सैंड्रा का जैल था, वो तो वही पड़ा होगा ले लुंगी। मैं ठीक ग्यारह बजे गेस्ट हाउस पहुंची। दरवाजा जोसफ ने खोला । कपड़ों के नाम पर उसने शरीर पर सिर्फ एक बॉक्सर पहना था, उसके घर का शायद यही पहनावा था।

मुझे देख आश्चर्य करने लगा, उसे उम्मीद नहीं थी की मैं आ जाउंगी। पर मैं भी हिम्मतवाली थी, उससे घबराने वाली नहीं थी। वो दरवाजा रोक कर मुझे ही घूर रहा था, जैसे वही खड़ा खड़ा ही मुझे चोद देगा।

पीछे से सैंड्रा के बुलाने पर वो हटा और मैं अंदर आ गयी। जैक वहां नहीं था। सैंड्रा मेरे पास आयी।

सैंड्रा : “तुम पांच मिनट लेट हो। जितना हो सके जैक को अहसास दिलाना कि तुम्हे उसमे रूचि नहीं। जरुरत पड़ने पर मैं तुमको निर्देश देती रहूंगी और तुम दोनों वैसा करते रहना। जोसफ आज तुम अपना पूरा जोर लगा देना। प्रतिमा तुम जैक को यकीन दिला दो कि तुम्हे जोसफ जैसे मर्द चाहिए ना कि जैक जैसे बच्चे। ”

जोसेफ : “इसकी क्या जरुरत हैं, समझा कर भी देख सकते हैं।”

सैंड्रा : “तुम अपना दिमाग मत लगाओ, जैसा बोला हैं वैसा करते रहना। जैक के आने के बाद मुझे तुम दोनों की ना नहीं सुननी हैं। अब जल्दी शुरू करो इसके पहले कि जैक वाशरूम से बाहर आ जाये।”

मैं: “मुझे वो जैल चाहिए। ”

सैंड्रा बैडरूम में जैल लेने गयी।

जोसफ : “आर यू सीरियस? तुम अपनी इच्छा से आयी हो?”

तभी सैंड्रा आ गयी हाथ में जैल की डिब्बी लेकर और मुझे दे दिया। जोसफ फिर चुप हो गया।

सैंड्रा:”जल्दी से पोजीशन लो, जैक बाथरूम से आता होगा।”

जोसफ: “मैं किसी के साथ जबरदस्ती नहीं कर सकता। क्या ये अपनी इच्छा से आयी हैं ?”

सैंड्रा: “ये मेरा आर्डर हैं जोसफ। प्रतिमा तुम्हे करना हैं या नहीं?”

मैं: “जोसफ मैं अपनी इच्छा से आयी हु, तुम मेरी चिंता मत करो। ”

जोसफ : “जैसी तुम्हारी इच्छा।”

जोसफ जब मुझसे पहली बार मिला था तो मुझे देख कर उसने गंदा कमेंट किया था और आज जब उसे मौका मिल रहा था तो वो आनाकानी कर रहा था। ये बड़ा अजीब मामला था। फिलहाल वो तैयार हो गया था। सैंड्रा ने हम दोनों को अपने कपड़े जल्दी से निकालने को कहा।

मैं मिडी ड्रेस पहन कर आयी तो मैंने एक बार में उसे नीचे से उठा ऊपर कर सर से निकाला और मैं अब ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। जोसफ को भी सिर्फ बॉक्सर निकालना था उसने कर दिया। मेरी नजर उसके लंड पर गयी। मुझे मेरी ककड़ियो की याद आ गयी। मैं तो इस स्तिथि के लिए तैयार ही थी।

जोसफ ने मुझे पीछे मुड़ा कर सोफे के साइड से हेडरेस्ट पर झुकाया और मेरी पैंटी को निकाल दिया। फिर अपने लंड को एक डंडे की तरह इस्तेमाल करते हुए मुझे मेरी गांड पर हंटर मारने लगा। उसका लंड सच में बहुत भारी था और मेरी गांड पर पड़ते लंड रूपी हंटर से चटाक चटाक की आवाजे आने लगी।

उस मार से हल्का मीठा दर्द भी हो रहा था। थोड़ी देर चटाके मारने के बाद उसने मुझे सीधा कर दिया। मैंने देखा उसका लंड अब कड़क हो कर खड़ा हो गया था। वो अब थोड़ा और मोटा और लंबा हो चूका था। इतने मोटे लण्ड को इतने करीब से देख कर मैं थोड़ा डरी कि इसको अपने अंदर लेना होगा। मेरे मन में शंकाये उत्पन्न होने लगी।

उसने अब मेरा ब्रा भी निकाल कर पूरा नंगा कर दिया। वो अपने काले मोटे भद्दे होंठ आगे लाया, और मेरे मम्मो को अपने बड़े मुँह में भर दिया और चूसने के मजे लेने लगा। उसके होंठ खुरदरे थे तो मेरे मम्मो को रगड़ कर करंट पैदा कर रहे थे। तभी बाथरूम के दरवाजे की आहट हुई और सैंड्रा ने लंड चूसने को कहा।

मुझे बिलकुल सोचने का मौका नहीं मिला और अब जोसफ का मोटा लंड मुझे मुँह में लेना था। मैं जल्दी से नीचे बैठी और जोसफ के लंड की टोपी को अपने मुँह में डाल दिया।

उसका लंड पकड़ने पर ऐसा लगा जैसे किसी की कलाई पकड़ ली हो। आधा किलो वजन तो रहा होगा उसके लंड का। उसके लंड की टोपी ही इतनी बड़ी थी कि सिर्फ इसको चुसो तो ही आपका काम हो जाये।

जैक बाथरूम से बाहर आया, उसकी गर्लफ्रेंड जोसफ के लंड को चूस रही थी। मैंने उससे नज़रे नहीं मिलाई। मैं जोसफ के लंड के बाकी हिस्से को अपनी उंगलियों से रगड़ रही थी। मेरी उंगलिया उसके लंड को पूरा घेर भी नहीं पा रही थी। मैं अपनी उंगलिया उसके लंड के चारो तरफ घुमा घुमा कर लहरदार अंदाज़ में रगड़ती रही।

मेरा एक मकसद ये था कि जितना हो सके उसका लंड चाटने चूसने से ही काम हो जाये तो मैं चुदने से बच जाउंगी या फिर उसको झड़ने के जितना करीब हो ले आँऊगी ताकि चोदते हुए उसका काम जल्दी ख़त्म हो जायेगा तो मेरी तकलीफ कम होगी।

उसके लंड पर इतनी ज्यादा जगह थी कि सब तरफ हाथ फेरने के लिए कि थोड़ा समय लगा । फिर मैंने उसका लंड पकड़ एकदम ऊपर की तरफ खड़ा कर दिया और उसके नीचे लटका गुदगूदेदार गुब्बारा और उसमे फंसी अंटियो को देखा।

मैंने उसकी अंटियो को अपने मुँह में भर लिया और चूसती रही। अंटियो को चूसते हुए मैंने अपने हाथ से उसके लंड को रगड़ना जारी रखा।

मैंने जब उसको चूसना छोड़ा तो जोसफ ने मुझे पूरा मुँह खोलने को कहा और अब अपना लंड मेरे मुँह में तीन इंच अंदर डाल दिया। इतने मोटे लंड के मुँह में जाते ही मेरा मुँह पूरा सील हो गया।

वो अपने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर कर मेरे मुँह को चोदने लगा। मेरे मुँह की गरमी से वो अब गरम हो गया और अपना लंड थोड़ा और अंदर डाल दिया और अपनी गति भी बढ़ा दी।

उसका लंड कुछ ज्यादा ही मेरे मुँह में उतर गया और मेरा गला जैसे चॉक होने लगा और अंदर बने पानी से ग्वा ग्वा की आवाज आने लगी। शायद मेरी तकलीफ देख उसने थोड़ी ही देर में अपना लंड बाहर निकाल दिया। इसके बदले मैं उसकी लंड के नीचे की थैलियों पर बनी सिलवटों पर अपनी खुरदरी गीली जबान फेर चाटने लगी और पहली बार उसकी सिसकी निकली।

जैक का साया अभी भी वही खड़ा था, शायद यकीन नहीं कर पा रहा था कि मैं कुछ ऐसा भी कर सकती हूँ। मुझे तो उसका लंड चूसने का कभी मौका ही नहीं मिला था।

पीछे से सैंड्रा का आदेश आया “जोसफ तुमने पैसे चोदने के दिए हैं या चूसने के? चूसते ही रहोगे या चोदना भी शुरू करोगे ”
सैंड्रा मुझे अब जैक की नजरों में पैसा लेकर धंधा करने वाली दिखानी चाहती थी। उसको थप्पड़ मारने की इच्छा हुई। पर जोसफ ने मेरी मदद की।

जोसफ: “कोई मनी नहीं दी हैं, उसे सिर्फ बड़ा लंड अनुभव करना था।”

सैंड्रा: “जो भी हो, हर किसी के साथ चुदवाती तो हैं। तुम जल्दी करो। ”

जैक ये बात सुनकर बैडरूम में चला गया।

जोसफ: “जैक समझ गया हैं, अब हमें बंद कर देना चाहिए।”

सैंड्रा: “नहीं, तुम जोर से करो। और प्रतिमा तुम्हारी आवाज अंदर बैडरूम तक जानी चाहिए। ”

जोसफ ने मुझे सोफे पर बैठा दिया, सोफा काफी चौड़ा था और मैं अपनी कोहनियो के बल आधी लेटी थी। मेरे पैर आगे की तरफ थे। मैंने जोसफ को वो जैल लगाने को बोला और जोसफ ने अपने लंड पर अच्छे से लपेट दिया।

जोसफ ने मेरे दोनों पैर चौड़े कर खोल दिए और अपने लंड की टोपी अंदर डाल दी । उसने हल्का धक्का मार, दो इंच लंड अंदर डाल दिया।

मेरी आह आह चालू हो गयी। उस छह इंच मोटी ककड़ी के अंदर जाने जैसा अहसास हुआ। जोसफ ने अपना लंड फिर बाहर निकाल दिया, मुझे एक दम अधूरा अधूरा सा लगा।

अब उसने अपना लंड मेरी चूत पर रख टोपी अंदर डाली और अपने दोनों हाथ मेरे मेरी पतली कमर पर रख पकड़ लिया और आगे झुक कर अपना लंड और अंदर घुसाने लगा। मेरी फिर आह निकली और इस बार उसने ज्यादा जोर लगा के तीन इंच लंड अंदर घुसा और अंदर बाहर धक्का मारना शुरू किया। मेरी आवाज चालू हो गयी ओह या आह फ़क आह या या ओह या फ़क या या फ़क।

सैंड्रा मुझे और जोर से आवाज करने का इशारा कर रही थी। तब जोसफ ने गहराई बढ़ाते हुए चार इंच लंड अंदर बाहर करने लगा और मेरी हालत ज्यादा ख़राब हुई और मेरे मुँह से जोर से चीख निकली अह्हह्ह्ह्ह या ओह माय गॉड ओह माय गॉड, और मैं ऐसे ही कुदरती रूप से चीखती रही, नकली आवाज की जरुरत ही नहीं पड़ी।

मेरी तकलीफ देख एक बार फिर जोसफ ने मुझे थोड़ी राहत देते हुए अपना लंड बाहर निकाला और मेरे एक पैर को पकड़ अपन कंधे पर रख दिया और दूसरा सोफे पर लंबा लेटाए रखा। इससे मेरा छेद थोड़ा और खुल गया।

इस बीच मेरी चीखे सुन जैक फिर बाहर आ गया और देखने लगा। जोसफ ने एक बार फिर अपना लंड एक इंच अंदर डाला और और धीरे धीरे और भी बढ़ाते हुए दो इंच और फिर तीन इंच अंदर घुसा दिया। अब वो धक्के मारने लगा।

पिछली बार के मुकाबले इस बार दर्द थोड़ा कम था और मजा थोड़ा ज्यादा था। मेरी आहें निकलना जारी था उसके हर धक्के के साथ में लगातार आहें भरते जैसे गुनगुना रही थी।

सैंड्रा : “कुतिया बना कर चोद, इसे मजा नहीं आ रहा होगा।”

जोसफ ने अपना लंड बाहर निकाला और मुझे कुतिया बना कर सोफे पर बैठा दिया। मेरी जैक से नजरे मिली और मैंने अपना हाथ पीछे ले जाकर अपनी चुत पर रगड़ा और जैक को सुनाते हुए जोसफ को बोला कि वो मेरी चूत चोद दे।

जोसफ ने मुझे दोनों कूल्हों से पकड़ा और अपना लंड दो तीन इंच अंदर डाल कर अंदर बाहर धक्के मारने लगा। मेरी आहें फिर से चालू हो गयी आह या या आहआहआह हाह। जोसफ को भी इस स्तिथि में शायद मजा आया तो उसने और अंदर उतरते हुए पांच इंच लंड अंदर उतार कर धक्के मारने लगा।

मेरी बुरी तरह से जोर जोर की आहें शुरू हुई और रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी आआआआ ऊह ऊह ऊह ऊह।

जोसफ अब टॉप गियर मैं था और इसने छह सात इंच लंड अंदर घुसा दिया, उसकी लम्बाई के साथ मोटाई अब असहनीय थी मैं गला फाड़ चिल्ला रही थी आह्हः आह्हः आह्हः।

मैं उसे धीरे धीरे करने को कहते हुए रटने लगी उह या उह या। उसका लंड जैसे मेरी चूत का दोस्त बन गया था। अब दर्द धीरे धीरे मिट रहा था और मजा दोगुना और तिगुना होता जा रहा था।

उसने अब अपने हाथ छोड़ दिए जो मेरे कूल्हों पर थे और धक्का मारना भी बंद कर दिया। मुझे तो पूरा मजा आना ही अब शुरू हुआ था। मैं अब खुद ही आगे पीछे होती हुए चुदने लगी।

उसका लंड अब मेरी मर्जी से मेरी चूत में फिसलता हुआ आ जा रहा था। मेरी आहें तो अब नशीली हो गयी थी। मेरी सजा अब मजा में बदल गयी थी।

मैं लहराते हुए अपनी गांड को डांस करवा ऊपर नीचे आगे पीछे हो कर मरवा रही थी। बड़े मोटे लंड का क्या मजा होता हैं वो मुझे समझ में आ रहा था।

थोड़ी देर मैं ऐसे ही आगे पीछे हो मजे लेती रही पर फिर अचानक जोसफ पीछे हट गया और अपना लंड बाहर निकाल दिया, मैं हवा में आगे पीछे होती ही रह गयी।

जोसफ अब खुद सोफे के आगे अपनी पीठ सटा कर पंजो के बल नीचे बैठ गया और अपनी पीठ उसने पीछे झुका कर सोफे की सीट पर लेटा दी। मैं उसकी तरफ पीठ करके उसके लंड पर दोनों तरफ पाँव कर खड़ी हो गयी और उसका लंड एक बार फिर अपनी चूत के हवाले कर दिया।

मैं अब ऊपर नीचे उठक बैठक करते हुए चोदने लगी। मेरे लिए तो ये रोज की कसरत थी, इस बार कसरत करते हुए चुदाई का मजा भी आ रहा था।

इतनी देर से चुदते चुदते हमारा काफी सारा काम हो चूका था तो दोनों का पानी निकलने लगा था। मेरी सिसकियाँ जारी थी और उस बीच मेरी चूत में बने पानी की आवाजे आने लगी थी अहह अहह हाहहह छप छप्प छप्प ..

जोसफ ने मुझे फिर कूल्हों से पीछे पकड़ा और ऊपर नीचे करवाने लगा। शायद उसका होने वाला था। वो अब थोड़ा पीछे खिसक कर पूरा सोफे पर लेट गया और सोफे के आगे से उसके पाँव सोफे के नीचे खड़े थे। मैं उस पर फिर बैठ गयी और मेरे पाँव भी सोफे के ऊपर थे।।

उसने मेरे मम्मो के साइड से पीछे से पकडा और मुझे ऊपर नीचे करने लगा। मैं खुद भी अब पूरा जोर लगा रही थी मुझे अपना भी पूरा करना था। आह आह्ह ओह या हां हां अहा अहा आअहां हम्म्म्म ऊहू ऊहू ऊहू अहहहअहहहअहहह करते हुए झड़ गयी।

मुझे लगा मेरा काम अब ख़त्म हो गया हैं पर सैंड्रा के इरादे नेक नहीं थे। मेरी बैंड बजनी अभी बाकी थी।
Like Reply
#44
[Image: J3inIE.gif]

UPDATE 16 :

जोसफ ने मुझे अच्छी तरह से चोद कर रख दिया था। इस जबरदस्त चुदाई को देख कर सैंड्रा अपने गाउन को ऊपर उठाये अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी।

सामने जैक खड़ा था, उसके शार्ट में उसका लंड खड़ा हो चूका था । वो तुरंत बाथरूम की तरफ गया। मेरे झड़ते ही जोसफ ने भी धक्का मारना बंद कर दिया था। मैं उसके ऊपर से उतरी तो देखा उसके काले लंड पर दूध की नदिया बह रही थी।

सैंड्रा: “जोसफ, मुझे पता हैं तुम्हारा नहीं हुआ हैं। ”

जोसफ: “कोई बात नहीं, मैं ठीक हूँ, जितना मजा आया ।”

सैंड्रा: “मेरा कल का बदला बाकी हैं, जोसफ तुम प्रतिमा की गांड मारो, तुम्हारा भी हो जायेगा और मेरा कल का बदला भी। ”

मैं भी चाहती थी उसका पूरा हो उसने मुझ पर इतनी मेहनत जो की थी पर अपनी गांड में उसका मोटा लंड लेना मतलब मौत को दावत देना था। मैं अपने कपड़े पहनने के लिए उठाने लगी। पर सैंड्रा ने आगे आकर मुझे पकड़ा और जोसफ को मुझे सोफे पर उल्टा लेटाने को कहा।

जोसफ ने वैसा ही किया, शायद उसको भी पूरा करना था। मैं उनको दुहाई देते मना ही करती रह गयी।

जोसफ ने मुझे उल्टा लेटा दिया। सैंड्रा ने आकर मेरी गांड़ के दोनों गालो को पकड़ दरार को चौड़ा कर जगह बनाई और जोसफ ने अपने लंड की टोपी को मेरे गांड के छेद के बाहर रखा। मैंने सोचा आज तो मेरी गांड फटने वाली हैं। यहाँ से सीधा अस्पताल जाना पड़ेगा टाँके लगवाने के लिए।

मैं: “सैंड्रा ये गलत हैं”

सैंड्रा : “ये तुम्हे कल सोचना चाहिए था, जब मुझे पकड़ कर राहुल का साथ दिया था। ”

मैं सैंड्रा को समझाती रही, जिस तरह वो कल मुझसे मिन्नतें कर रही थी आज मैं कर रही थी। मैंने राहुल की वजह से ही सैंड्रा को पकड़ा था, राहुल ने ही मुझे इस दर्दनाक गांड चुदाई की मुसीबत में फंसाया था ।

जोसफ: “छोड़ दो इसे, तुमने भी एक बार कोशिश की थी मेरा लंड अपनी गांड में लेने की याद हैं, बहुत दर्द होगा इसको। ”

सैंड्रा : “तुम ज्यादा मत सोचो, और डालो। ”

जोसफ ने अब अपना लंड मेरी गांड के छेद से छुआ दिया और मैं एकदम शांत हो गयी, मैंने सोच लिया अब मेरा कुछ नहीं हो सकता था। उसने अपने लंड की टोपी मेरी चौड़ी हो चुकी गांड के अंदर डाल दी। मेरी एक आह निकली, और उसने थोड़ा जोर लगा के बड़ी मुश्किल से अपने लंड की मोटाई वाला भाग आधा एक इंच और अंदर डाला और मेरी दर्द के मारे चीखे निकलने लगी।

मुझे तो सांस लेने में तकलीफ होने लगी और मुँह उठा कर खुला का खुला ही रह गया। मेरी भी रोने जैसी हालत थी। जो मैंने कल किया आज मैं भुगत रही थी। मेरी हालत पर तरस खा जोसफ ने अपना लंड थोड़ा बाहर खिंच कर सिर्फ टोपी वाला मोटा हिस्सा ही अंदर रखा और लंड की टोपी को ही मेरी गांड में अंदर बाहर कर चोदने लगा।

सैंड्रा उसको बोलती रही कि वो और अंदर लंड डाले, पर उसने अब मना कर दिया। पहली बार उसने अपनी मालकिन को मना किया था।

सैंड्रा अब मेरे से कहने लगी।

सैंड्रा: “मैंने लंड अपनी गांड में पूरा लिया था, अब तुम्हे भी लेना ही पड़ेगा। ”

मैं: “पर जोसफ और राहुल के लंड के साइज में अंतर तो देखो।”

सैंड्रा : “लेना तो पड़ेगा ही, जोसफ का ना सही राहुल का। बोलो किसका लोगी?”

इस बार अगर मैंने जोसफ चुना तो वो इसी वक़्त मेरी गांड फाड़ देगा, इसलिए मैंने बचने के लिए जवाब दे दिया।

मैं: “मैं राहुल का ले लुंगी।”

तभी जैक अपना काम ख़त्म करके बाथरुम से बाहर आया। उसे मेरी चीखे तो सुनाई दी होगी।

सैंड्रा : “फिर से कहो क्या कहा ?”

वो मुझे जैक के सामने कबूल करवाना चाहती थी।

मैं: “मैं राहुल का ले लुंगी।”

सैंड्रा : “क्या लोगी, जोर से पूरा वाक्य बोलो।”

मैं: “मैं अपनी गांड में राहुल का लंड लुंगी। ”

सैंड्रा ने मुझे छोड़ दिया, जोसफ अभी भी अपने लंड की टोपी को मेरी गांड मे हिला रहा था और उसके मुँह से ऐसी आवाज आ रही थी जैसे अभी उल्टी करने वाला हो। ऊहब्ब्ब ऊहब्ब्ब ऊहब्ब्ब और एक जोर की दहाड़ के साथ उसने एक इंच लंड और मेरी गांड में डाल दिया . इधर मेरी चीख निकली और उधर उसने अपना पानी मेरी गांड में खाली कर झड़ गया।

उसने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाला और मेरी गांड ने जैसे काफी देर के बाद सांस ली। मेरी गांड अब फफक फफक कर धड़क रही थी। मेरे हाथ पैर भी कांप रहे थे। मैं थोड़ी देर लेटे रही और अपना संतुलन वापिस लाने लगी। मैं अब खड़ी हुई, सामने जैक को देखा, वो शरमा कर अपने कमरे में चला गया। मैं पूरी थक के चूर थी।

जोसफ बाथरूम से साफ़ होकर बाहर आया और मैं उठी और कपड़े उठा कर बाथरूम में साफ़ होने गयी। मैं थोड़ी देर अंदर ही बैठ गयी और आराम करने लगी। नहा धो कर पुरे तीस मिनट बाद अपने कपड़े पहनते हुए मैंने सोचा इतना बुरा भी नहीं था। उस गांड चुदाई का थोड़ा हिस्सा छोड़कर बाकी का जितना दर्दनाक सोचा था उससे काफी ज्यादा सुखद था।

मैं अब बाहर आयी तो देखा राहुल वहा मौजूद था। उसे देख मेरे चेहरे पर एक ख़ुशी आ गयी। मुझे देखते ही वो मेरे पास आया और मेरी तबियत पूछने लगा। मैंने उसको बताया कि मैं ठीक हूँ । वो मेरी ही चिंता कर रहा था और मुझे लेने ही आया था। वो अब मुझे लेकर जाने लगा तो सैंड्रा ने मुझको याद दिलाया।

सैंड्रा : “प्रतिमा तुम्हे अपनी गांड चुदवाना हैं। चलो आ जाओ। ”

राहुल: “ये क्या बोल रही हो?”

सैंड्रा : “पूछो इसको। बताओ प्रतिमा।”

मैं अपना सर झुकाये खड़ी हो गयी। मैंने उस वक्त बचने के लिए बोल दिया था, सोचा था ये बाद में भूल जाएगी। मगर राहुल तो यहाँ आ गया।

सैंड्रा: “राहुल कल अगर प्रतिमा ने तुम्हारा साथ नहीं दिया होता तो तुम मेरी गांड नहीं मार पाते। प्रतिमा को भी अपनी गांड मरवानी पड़ेगी। मुझे जो दर्द मिला उसका बदला दर्द से ही होगा। ”

राहुल:”पर मैंने तुमको छोड़ दिया था, इस वादे के साथ कि तुम प्रतिमा से बदला नहीं लोगी”

सैंड्रा : “बहुत देर से छोड़ा था, तुमने जितनी देर कल मेरी गांड मारी थी उतनी देर तो इसको भी मरवानी पड़ेगी।”

मैं: “मुझे अभी थोड़ा दर्द हैं”

राहुल; “प्रतिमा तुम्हे ये करने की जरुरत नहीं। सैंड्रा तुम्हारा असली काम हो चूका हैं, जैक वाला। अब क्या प्रॉब्लम हैं तुमको। छोड़ दो बेचारी को। ”

सैंड्रा : “मुझको भी बेचारी बनाया था। ये तो करना पड़ेगा वरना तुम दोनों की अब तक की मेहनत पानी में जाएगी। सोच लो। ”

राहुल: “डील को लेकर बहुत ब्लैकमेल कर लिया, नहीं चाहिए डील। चलो प्रतिमा। ”

मैंने अपनी इज्जत लुटा दी बाकी लोगो की ख़ुशी के लिए और अब मिलेगा क्या कुछ नहीं, मतलब मेरा सारा त्याग तो व्यर्थ जायेगा। एक बार करवाया हैं, एक बार और करवा लुंगी। राहुल ने मुझे बाहर चलने को कहा और हम वहा से जाने लगे।

सैंड्रा पीछे से चिल्लाई “प्रतिमा ने तुमको चुना हैं अपनी गांड मरवाने के लिए। कल दोपहर में तुम्हारे ऑफिस आउंगी, मेरे सामने उसकी गांड चुदाई करना या उसका वीडियो दिखा देना तो डील साइन हो जाएगी।”

बाहर लाकर उसने मुझे अपनी कार में बैठाया और कहा कि वो मुझे घर पर छोड़ देगा । कार में वो मुझसे बातें करने लगा।

राहुल :”तुम चिंता मर करो, डील को भूल जाते हैं, फिर से दो साल मेहनत कर लेंगे। ”

मैं: “मुझे अपने लिए फैसला लेना होता तो कब का मना कर दिया होता। मैं ये नहीं चाहती कि मेरी वजह से इतने लोगो का करियर और ज़िंदगी खराब हो।”

मैं अब चिंता में पड़ गयी, ये कैसी नयी मुसीबत मौल ले ली मैंने। राहुल के सामने शर्मिंदा ना होना पड़े इसलिए जोसफ को चुना था, और अब राहुल के साथ भी चुदवाना पड़ेगा।

राहुल : “तुम दूसरे लोगो का कितना सोचती हो। तुम्हे त्याग करना पड़ा, मुझे अच्छा नहीं लग रहा हैं। ”

मैं: “मुसीबत भी तो मेरी वजह से ही आयी थी न। ”

राहुल: “अपने आप को दोष मत दो।”

मैं: “राहुल मैंने सोच लिया हैं, इतना त्याग किया हैं, मैं एक बार और कर लुंगी। इतना आगे आकर पीछे नहीं हटना मुझे। ”

राहुल: “तुम स्योर हो? कल तुमने मेरी बजाय जोसफ को चुना था। कोई तो कारण रहा होगा। ”

मैं: “तुम्हारे साथ एक बार ये सब करवाउंगी तो फिर हमेशा ऑफिस में तुम्हारा सामना कैसे करूंगी । यही सोच कर जोसफ को चुना था। ”

राहुल: “तो ये फैसला आखिरी हैं ?”

मैं: “हां, मुझे तुम पर पूरा यकीन हैं। थैंक यू, इन दिनों में तुमने मेरा बहुत साथ दिया और ध्यान रखा।”

राहुल: “तुम वाकई बहुत महान हो। तुम्हारी तबियत कैसी ही? तुम कह रही थी थोड़ा दर्द हैं। ”

मैं: “नहीं, ऐसे ही कह रही थी, सैंड्रा को टालने के लिए। ”

राहुल: “तो फिर कब करना हैं। सैंड्रा के सामने कल ऑफिस में या पहले ही करके वीडियो सबूत दिखाना हैं।”

मैं: “आज नहीं, कल। वीडियो सबूत मैं अपने मोबाइल में ही रखूंगी।”

राहुल: “अवश्य, जैसी तुम्हारी मर्जी।”

राहुल: “तो फिर तुम्हारे घर या मेरे फार्म हाउस पर।”

मैं: “जैसा तुम्हे ठीक लगे।”

राहुल: “कल तुम्हारे कपड़े मेरे फार्म हाउस पर रह गए थे। मैंने धुलवा दिए हैं। कल वही चलते हैं, अपने कपड़े भी ले लेना और एक रिक्वेस्ट हैं”

मैं: “क्या?”

राहुल :”तुम्हे फार्म हाउस पर जो ड्रेस दी थी रूही की, वो पहन कर आना, मुझे अच्छा लगेगा।”

मैं: “ठीक हैं, और कुछ?”

राहुल: “कल सुबह मैं तुम्हे लेने तुम्हारे घर आऊंगा। तुम तैयार रहना। सीधा फार्म हाउस जायेंगे और काम होते ही वापिस ऑफिस आ जायेंगे। कल सैंड्रा डील को फाइनल कर देगी। ”

मेरा घर आ गया और मैंने राहुल से विदा ली। घर पर आकर मैं अपने आप को एक गुनहगार महसूस कर रही थी। मैंने अपनी शपथ तोड़ कर एक गैर मर्द के साथ संबंध बनाये थे। और मेरी शपथ कल दूसरी बार टूटने वाली थी जब मैं राहुल के साथ भी करुँगी। पर सान्तवना थी कि ये सब दुसरो के भले के लिए था ।

हालांकि जोसफ का मोटा लंड लेने के बाद भी ज्यादा कुछ दर्द नहीं था । मैंने दर्द निवारक दवाई ले ली दोपहर और फिर रात को। सामान्यतया दर्द सुबह उठने पर ही महसूस होता हैं तो ये एहतियात जरुरी थी।

अगली सुबह एक दर्द के साथ मेरी नींद खुली, मेरी गांड और चूत में हलकी सी टीस उठ रही थी। दर्द से मेरे दोनों छेद लपक झपक कर रहे थे।

मैंने उठ कर अपने काम निपटा कर पहले नाश्ता किया ताकि फिर से दर्द निवारक दवा ले सकू और इस दर्द से थोड़ी राहत मिले। मुझे आज उसी छेद में राहुल का लंड भी लेना था तो अपने आप को तैयार रखना था।

मैंने राहुल की दी हुई ड्रेस पहन ली। वो एक नीले रंग की फ्रॉक ड्रेस थी और उस पर सफ़ेद छोटे फूल बने थे। कमर से ऊपर वो बदन से चिपकी सी थी और कमर के नीचे हल्की ढीली थी और घुटनो तक आती थी। मैंने मेकअप करना शुरू कर दिया था, राहुल कभी भी आता होगा। धीरे धीरे दवा ने असर दिखाना शुरू कर दिया था और अब वो टीस थोड़ी हल्की पड़ गयी थी।

थोड़े इंतजार के बाद राहुल आ गया था, मुझे देख एक बार फिर ताकता ही रह गया। उसने ऑफिस के कपड़े ही पहन रखे थे क्यों कि फार्म हॉउस से सीधा हमें ऑफिस ही जाना था, जहा सैंड्रा आने वाली थी।

पुरे रास्ते बार बार वो मुझे ही देख कर मुस्कुरा रहा था और और उसे देख मैं भी हल्का शर्म से मुस्कुरा देती। हम दोनों को ही पता था हम क्या करने जा रहे हैं। दोनों की ही इच्छा तो नहीं थी पर फिर भी जो काम करना था उससे एक दूसरे के प्रति वासना उमड़ना तो स्वाभाविक था। मुझे तो हल्का दर्द भी था तो मुझे कुछ ज्यादा ही नियंत्रण में रहना था।

हम दोनों अब उसके फार्म हाउस पर पहुंचे। हॉल में आने के बाद वो मुझे सीधा उस बालकनी में ले गया जहा पार्टी वाली रात उसने मुझे चूमने की कोशिश की थी और हम पहली बार अन्तरंग हुए थे। हालांकि तब मैंने बहुत नियंत्रित किया था और बच गयी थी।

बालकनी में पहुंच कर वो मेरे सामने खड़ा हो गया और मुस्कराहट के साथ मेरी दोनों हथेलिया अपनी हथेली में ली और अपने अंगूठे से मेरी उंगलियों को सहलाते मुझे देखता रहा। मुझे समझ नहीं आया क्या कर रहा हैं। मैंने बस मुस्कुरा कर जवाब दिया। वो एक कदम और करीब आया और अपना सर थोड़ा सा तिरछा करते हुए अपने होंठ मेरे होंठो के करीब ले आया।

मेरी उसके करीब आते ही मेरी और उसकी मुस्कान गायब हो गयी। दोनों के होंठ बंद थे और एक बार तो मुझे कुछ सुझा ही नहीं मैं क्या करुं। तब तक उसके बंद होंठ मेरे बंद होंठो को हल्का सा छू गए। मेरे पुरे बदन में एक सिहरन सी उठी। उसने हल्का सा होंठ पीछे कर अपने होंठ थोड़े खोले और मेरे होंठ भी स्वतः ही खुल गए।

उसके होंठ एक बार फिर आगे बड़े और मेरे ऊपर के होंठ को छू अपने अंदर दबाने ही वाले थे कि मेरी गांड में उठे एक दर्द ने मुझे जगा दिया और मैं एकदम से पीछे हट गयी। उसके होंठ खुले के खुले रह गए।

मैं: “नहीं राहुल, ये ठीक नहीं।”

राहुल: “मैं इतना बुरा हु ! जैक को चूमा वो ठीक, पर मैं उसके जितना काबिल नहीं?”

मैं: “तुम गलत सोच रहे हो, तुम अच्छे इंसान हो मुझे पसंद हो, पर तुम मेरे बॉस हो। मैं बॉस के साथ कोई संबंध नहीं बना सकती। मुझे तुम्हारा सामना रोज ऑफिस में करना पड़ेगा। एक तरफ ऐसा रिलेशन दूसरी तरफ ऑफिस का, मैं दोनों हैंडल नहीं कर पाऊँगी। वैसे भी मैं शादीशुदा हु, मैं किसी और के साथ लंबा रिलेशन नहीं रखना चाहती।”

राहुल: “आई एम् सॉरी। तुम्हारे जैक के साथ रिश्ते को लेकर मैं इमोशनल हो गया था। थोड़ी जलन भी थी।”

मैं: “मैं किसी के साथ दिल नहीं लगाना चाहती, जैक के साथ लगाया था उसके परिणाम सामने हैं। अब और गलती नहीं करनी हैं। आज मेरी आखिरी गलती होगी। हम जिस काम के लिए आये हैं वो कर लेते हैं और फिर अपनी अपनी राह पकड़ लेते हैं, पहले की तरह।”

राहुल: “ठीक हैं मेरे बैडरूम में चलते हैं।”

अपने बॉस के साथ मेरी पहली चुदाई कैसी होगी वो अगले भाग में पढ़े।
Like Reply
#45
[Image: QAPWTX.gif]

UPDATE 17 :

राहुल और मैं अब उसके बैडरूम में आ गए थे। हम दोनों एक दूसरे की शक्ल ताक रहे थे कि आ तो गए अब शुरू कैसे करे। आज तो सैंड्रा भी नहीं जो आदेश देकर हमें शुरू करवा सके। कभी हम एक दूसरे को देखते तो कभी आस पास।

राहुल अब आगे बढ़ा और मुझे पीछे घुमा कर मेरी पीठ पर से ड्रेस की चैन नीचे खिंच खोल दी। मैं थोड़ा आगे हटी और फिर उसकी तरफ घूम कर हाथ पीछे ले जाकर अपनी चैन बंद कर दी।

मैं: “पुरे कपडे खोलने की क्या जरुरत हैं, तुम नीचे से कपडे थोड़े उठा कर ही पीछे से कर सकते हो। ”

राहुल: “मैंने सोचा तुम्हारे कपड़े गंदे हो जायेगे इसलिए.. ”

मैं: “अगर ख़राब भी हो गए तो कोई बात नहीं, मेरी पिछली बार के जो कपड़े रह गए थे वो मैं पहन लुंगी। वैसे भी मैं इन केजुअल कपड़ो में ऑफिस नहीं जा सकती।”

राहुल: “मेरे पास यहाँ कोई ऑफिस वियर नहीं हैं इसलिए मुझे मेरे कपड़े तो खोलने ही पड़ेंगे । तुम्हे कोई आपत्ति तो नहीं ?”
मैं: “मैं पीछे मुड़ जाती हूँ, तुम कपड़े खोल लो। ”

राहुल अपने कपड़े निकालने लगा और मैं उसकी तरफ पीठ कर खड़ी हो गयी। थोड़ी देर में उसने सब कपड़े निकाल दिए। हम दोनों बिस्तर के पास ही खड़े थे। मेरा मुँह बिस्तर की तरफ था।

राहुल ने बताया कि वो कपड़े खोल कर तैयार हैं तो मैंने अपना फ़ोन रिकॉर्डिंग के लिए राहुल को दे दिया। हमें वीडियो सैंड्रा को सबूत के तौर पर दिखाना था। राहुल ने मेरा मोबाइल एक टेबल पर सेट कर रख दिया। मैं अब भी उसकी तरफ पीठ घुमाये खड़ी थी और उसका इंतजार कर रही थी।

वो मेरे पीछे आकर खड़ा हुआ, और मैंने अपनी ड्रेस के नीचे से अंदर हाथ डाल कर अपनी पैंटी निकाल कर रख दी। मैं आगे की तरफ झुक कर उसकी ओर अपनी गांड कर दी और उसके हाथ के स्पर्श का इंतजार किया। उसका हाथ तो नहीं आया पर आवाज आ रही थी। वो अपना लंड रगड़ कर कड़क करने की कोशिश कर रहा था शायद।

राहुल: “मुझे कुछ समय दो, अपने आप को तैयार करने के लिए।”

मैं फिर सीधा खड़ी हो इंतजार करने लगी। एक दो मिनट के बाद वो फिर बोला।

राहुल: “अगर तुम्हे कोई आपत्ति ना हो तो मेरी मदद कर दोगी तैयार करने में। ”

मैं सकपका गयी, उसके लंड को कैसे हाथ लगा सकती हूँ। मगर समय बचाना था, जल्दी से इस स्तिथि से बाहर आना था। तो मैंने बिना मुड़े अपना हाथ पीछे किया और टटोलने लगी उसका लंड कहाँ हैं। उसने मेरा हाथ पकड़ा और रास्ता दिखाते हुए अपने नरम पड़े लंड पर रख दिया।

हाथ से उसके लंड को छूते ही मुझे जैसे करंट लगा और मैंने झटके से हाथ फिर खींच लिया। मैंने एक बार फिर प्रयास किया और इस बार बिना उसकी मदद के अपना हाथ पीछे ले जाकर उसके एब्स पर रख दिया, फिर बिना हाथ उठाये उसके बदन पर खिसकाते हुए उसके लंड तक ले आयी और उसे पकड़ लिया।

उसका तीन चार इंच का जेली समान नरम लंड था। मैंने उस पर अपना हाथ रगड़ना शुरू किया। हाथ पीछे की तरफ था तो संतुलन नहीं बैठ रहा था।

राहुल: “तुम मेरी तरफ घूम जाओ, नहीं देखना हो तो नीचे मत देखना। ”

मुझे उसकी बात समझ में आ गयी, मैं नजरे सीधी सामने रखते हुए उसकी तरफ मुड़ गयी। हम दोनों अब एक दूसरे के चेहरे पर देख रहे थे।

मैं एक बार फिर अपना हाथ अंदाज़े से नीचे ले गयी और एक बार में उसके लंड पर हाथ रख उसको पकड़ रगड़ने लगी।

जैसे जैसे मैं उसका लंड रगड़ रही थी वो मेरी तरफ देख हल्का सा मुस्कुरा रहा था, तो मैं भी शर्म के मारे मुस्कुरा रही थी। कुछ ही देर में उसका लंड बड़ा और कड़क होने लगा था। उसका लंड अब हल्का गरम हो चुका था पर थोड़ी नरमी अभी बाकी थी। मैंने उसके चेहरे पर देखा तो कभी एक शिकन आ जाती तो कभी उसका मुँह हल्का सा खुल जैसे सिसकी निकलने को होती और वो दबा लेता। उसकी हंसी अब गायब थी।

उसका ये मजा लेता चेहरा देख मुझे भी कुछ कुछ होने लगा, पर शरम ज्यादा थी। वो मेरी तरफ देख रहा था और मैं अपना चेहरा कैसे छुपाती। मैं बीच बीच में इधर उधर देखने लगती। उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे दबाने लगा। मुझे भी लगा कि उसका सामना करू उससे अच्छा हैं नीचे बैठ कर रगड़ू।

मैं अब नीचे बैठ गयी और उसका लंड मेरे सामने था। उसके लंड के अंदर की नसे थोड़ी तन गयी थी। ये मेरी चूत में जाने के लायक तो था पर गांड के लिए थोड़ा और कड़क होना जरुरी था। मैं पंजो पर बैठे अपना संतुलन नहीं बना पा रही थी तो उसकी एक जांघ को पीछे से पकड़ लिया। एक इच्छा हुई उसका लंड मुँह में ले लू ताकि जल्दी कड़क हो जाये। पर आगे बढ़कर कैसे करूँ, वो क्या सोचेगा।

उसने अपना हाथ मेरे सर के पीछे रखा और आगे की तरफ अपनी ओर लाने लगा। शायद वो भी मेरी तरह यही चाहता था। मैंने अपने हाथ में पकड़ा लंड अपने मुँह में रख दिया और उसकी एक स्पष्ट आह निकली।

मैंने अब अपना दूसरा हाथ भी फ्री कर उसकी दूसरी जांघ को पीछे से पकड़ लिया।

उसका आधा लंड मेरे मुँह में था और मैं आगे पीछे हो उसे रगड़ रही थी और उसस्की सिसकिया चालू थी। थोड़ी देर में उसने मुझे मुँह में ही जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया। मैं भी अपना मुँह आगे पीछे कर रही थी और वो भी आगे पीछे हो रहा था तो इससे गति ज्यादा हुई। उसका लंड अब स्टील की भांति कड़क हो चूका था।

उसके लंड का टेस्ट मुझे अच्छा लग रहा था और उस पर उसकी सिसकिया, मैं उनमे गुम हो रुकी नहीं। फिर अचानक गप्प की आवाज आयी और उसने अपना पूरा लंड मेरे मुँह में उतार दिया और वही रुक गया, उसका लंड मेरे गले तक उतर गया था । मेरी तो सांस ही रुक गयी, और मैंने जल्दी से उसका लंड बाहर उगल दिया।

मैं अब खांसते हुए खड़ी हुई क्यों कि उसका थोड़ा पानी मेरे गले में अटक गया था। मैं अब थोड़ा सामान्य हुई, वो मुझे अब पोजीशन में लाने लगा। उसने मुझे बेड के किनारे पर घोड़ी की तरह घुटनो और कोहनियो के बल लेटा दिया। मेरे घुटने बेड के किनारे पर थे और गांड का हिस्सा बेड के बाहर लटका था। जब कि मेरा धड़ और सर बिस्तर पर था।

इस पोजीशन में आते ही मेरी ड्रेस नीचे से थोड़ी सी ऊपर हो गयी और जाँघे बाहर आ गयी। वो मेरी गांड की तरफ बिस्तर के पास नीचे खड़ा था। उसने मेरी ड्रेस नीचे से पकड़ी और ऊपर उठा कर मेरी गांड को नंगा कर दिया। ड्रेस हटते ही मेरी गांड और चूत के छेद पर हवा पड़ने लगी। मैं अपने बॉस के सामने पहली बार नंगी थी।

इस पोजीशन में जरूर उसको मेरी चूत का छेद भी दिख रहा होगा ये सोच कर मुझे और भी शरम आ रही थी। गांड मारते हुए वो मेरी शक्ल नहीं देख पायेगा बस ये ही अच्छी बात थी। मैंने सोचा मैं खड़े हो कर गांड मरवा लेती हु ताकि वो मेरी चूत को ना देख पाए। मैं खड़े होने को हुई और उसने मेरी ड्रेस को और भी ऊपर खिसका कर कमर से ऊपर कर दिया। अब मेरी नंगी गांड के साथ नंगी कमर भी उसके सामने थी।

वो नीचे खड़ा था और अपने हाथ की उंगलिया मेरे गांड के छेद पर रगड़ने लगा, चूत का छेद एकदम उसके नजदीक ही था तो उसकी

उंगलिया वहा भी छूने लगी। मेरा पानी निकलने लगा था उसकी उंगलिया भीग गयी थी और उसने वो पानी मेरी गांड के छेद पर लगा दिया। वो अपना उंगलिया मेरी चूत के छेद से शुरू करते हुए रगड़ता हुए गांड के छेद तक लाते हुए चिकनाई लगा रहा था।

अनायास ही उसकी उंगलियों की छुअन से मेरी चूत अपना थोड़ा पानी छोड़ रही थी। मुझे मेरी गांड पर भी उस सारे चिकने पानी के लगने से अब ठंडाई महसूस हो रही थी ।

तभी एक कड़क गरम लोहे की छड़ की तरह चीज मेरे गांड के छेद को छू गयी। उसका लंड अब मेरे अंदर प्रवेश को तैयार था। उसने अपने लंड की टोपी मेरे गांड के छेद में घुसा हल्का धक्का मारा और उसका दो इंच लंड मेरी गांड के अंदर घुस गया और मेरी एक आह निकली।

अब वो अपना लंड मेरी गांड के अंदर बाहर कर चोदने लगा। उसने अपने दोनों हाथ मेरी गांड के उभारो पर रख दिए और चोदता रहा। उसने मेरी गांड पर हाथ से एक चटाका मारा। इस चुदाई के बीच उसके हाथ अब मेरी नंगी पतली कमर को पकड़े थे।

इसके बाद उसकी स्पीड अचानक तेज होती गयी गपक गपक गपक की आवाज आने लगी और इसके साथ ही मेरी हलकी सिसकिया आने लगी आह आह। थोड़ी देर इसी रफ़्तार से मुझे चोदता रहा और उसका पानी छूटने लगा और गप्पक गप्पक तेज आवाज होने लगी। उससे उसका नशा और चढ़ा और मेरी सिसकिया बढ़ने के साथ अब फुचुक फुचुक फुचुक की आवाज आने लगी और मेरी लगातार आह्ह आह्ह की आवाजे आती रही।

एक बार फिर उसकी स्पीड बढ़ी और मेरी आहहह आहहह की आवाज बिना रुके लगातार आती रही । इस मजे से मैं खुद अब पीछे धक्का मारने लगी थी । इतनी देर से कोहनियो के बल बैठे रहने के बाद अब मैं अब हथेलियों के बल आ कर थोड़ा उपर उठी और उसने मेरे गले को दोनों हाथों से पकड़ थोड़ा उठा लिया।

मैं अब 45 डिग्री के कोण पर थी और उसके झटके और गहरे हो गए और पानी के छिछलने की आवाजे आने लगी। बीच बीच में उसके झटको से मैं थोड़ा उछलने लगी थी। उसन गले से हाथ हटा फिर कमर पकड़ी ।

उसने पहले स्पीड धीमे की और फिर अचानक एक के बाद एक तेज झटके मारने लगा और मेरी आह आह लगातार चलती रही। उसने इस तरह लगातार बिना रुके तीस चालिस झटके मार दिए। उसके बाद फिर एक बार वो थोड़ा धीरे हुआ और मुझे गले से पकड़ा और धक्के मारने लगा।

वो कल की तरह जानवरो की तरह नहीं चोद रहा था। इससे मुझे दर्द नहीं हो रहा था। उसने पहले पानी बनाया और फिर ही झटके मारे थे। अब वो एक स्पीड में गछाक गछाक गछाक मारता रहा। धीरे धीरे स्पीड बढ़ी और फिर गहरे और धीमे झटके पड़ने लगे।

वो फिर रुक गया और मैं एक दम स्लो मोशन में आगे पीछे हुई। जिससे पानी की चपड़ चपड़ आवाज हुई और उसकी स्पीड बढ़ने के साथ गचड़ गचड़ पानी की आवाज तेज आवाज आने लगी। वो मेरी गांड पूरी हिलाते हुए हुए कम्पन करवा रहा था।

मुझे तो मजा आ रहा था पर उसने अपना लंड अब बाहर निकाल दिया। उसने मुझे आगे खिसकाया और मैं घुटनो के बल चल कर बिस्तर के बीच में आ गयी। वो भी अब बिस्तर पर चढ़ मेरे पीछे आ गया। घुटनो के बल खड़े होने से मेरी ड्रेस फिर से नीचे हो गयी थी। उसने मेरी ड्रेस को नीचे से पकड़ा और एक बार फिर कमर तक ऊपर कर दिया।

मैं अभी भी घुटनो के बल खड़ी थी और उसने ड्रेस उठाते हुए एक झटके में पूरी सर से बाहर निकाल दी। मैं अब सिर्फ ब्रा में खड़ी थी। हम दोनों एक मजेदार काम के बीच में थे तो उसको मना नहीं किया और उसने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे पकडे रहने के बावजूद उसको पूरा निकाल दिया। मैंने जल्दी से आगे झुक कर वापिस कोहनी के बल डॉगी बन बैठी और वो अब बिस्तर पर घुटनो के बल मेरे पीछे बैठा था ।

उसने एक हाथ मेरी कमर पर रखा और इसबार अपना लंड मेरी चूत और गांड के छेद के बीच आस पास घुमा कर मुझे तड़पा रहा था। उसने झटके से अपना लंड मेरी चूत के छेद में डाला और चूत में होते पहले के दर्द से मैं कोहनियो से अपने हथेलियो के बल आ गयी।

उसने जल्दी से मुझे एक बार फिर दोनों हाथ से गले से पकड़ थोड़ा ऊपर आगे से उठा दिया। उसके लंड के मेरे अंदर होते झटको से मैं कमजोर पड़ गयी और चाहते हुए भी उसको रोक नहीं पायी। उसने अब अपना लंड अंदर गोल गोल घुमा कर जैसे अंदर के पानी को मथने लगा और लस्सी बनाने लगा।

मुझे असीम आनद की प्राप्ति हुई और एक हल्का दर्द भी उठा और मेरी तेज आवाज में आहहहहहहहहहहह निकली जो आठ दस सेकण्ड्स लम्बी आह थी और मैंने अपना एक हाथ बिस्तर पर तीन चार बार पटक अपनी स्तिथि बताई। मैं आगे बढ़ उससे अलग हुई।

मैं: “मैंने तुम्हे आगे डालने की इजाजत नहीं दी थी। ”

राहुल: “सॉरी, मैं वो रोक नहीं पाया। अभी पूरा करने दो।”

मैं: “अब आगे के छेद में मत डालना, तो पूरा करने दूगी।”

राहुल: ” ठीक हैं, तुम ही कर लो। ”

वो अब नीचे लेट गया। मैं उसे अपनी चूत सामने से दिखाने में शरमा रही थी तो मैं उसकी तरफ पीठ करके उसके लंड पर बैठ गयी। मेरे पाँव घुटनो से मुड़ कर पीछे की तरफ थे।

मैंने उसका लंड अपनी गांड में डाला और हम दोनों को फिर चैन मिला। मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर उसके सीने पर रख सहारा लिया और अपने शरीर को ऊपर नीचे कर उसे चोदने लगी। उसके हाथ मेरी पतली कमर को पकडे हुए थे।

मेरी गांड से अब पच्च पच्च की आवाज आने लगी और हम दोनों आहें भरने लगे। असहनीय मजा होने पर मैंने अपने दोनों मम्में दबाये और फिर आसमान में सर उठाये उसको चोदती रही।

थोड़ी ही देर में वो चीखते हुए आहें भर झड़ गया। मैं जब उस पर से उठी तो मेरी गांड और जाँघे फड़फड़ा रही थी और उसका छोड़ा पानी मेरी गांड से झर रहा था।
Like Reply
#46
[Image: KROa38.gif]

UPDATE 18 :

राहुल ने मेरी गांड मार दी थी और मैंने आखिरी बाधा पार कर ली थी। मैं जल्दी से अपने कपड़े उठाये बिना उसकी तरफ मुड़े बाथरूम को भागी। मैंने अपनी दूसरी परीक्षा पास कर ली थी। मैं इसी में खुश थी कि मैंने राहुल को अपने मम्मे और आगे से पूरी चूत नहीं दिखाई थी। हालांकि उसने कुछ पलो के लिए मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया था पर उसे मैंने अपनी चूत पूरी नहीं चोदने दी।

मैंने अपनी साफ़ सफाई कर कपड़े पहन लिए और बाहर निकल बैडरूम में आयी। वो वहां नहीं था। मैं हॉल में आयी तो वो वहां के बाथरूम से बाहर आया। वो अंदर बेडरूम में गया और आते वक़्त मेरे पहले वाले कपड़े ले आया जो दो दिन पहले मैंने यहाँ छोड़ दिए थे।

राहुल: “तुम्हे ऑफिस के लिए ये कपड़े पहनने थे ना, ये लो . इसमें तुम्हारी ब्रा और पैंटी भी हैं”

मैंने वो कपड़े उससे लिए। उसकी इतनी बेबाक बात पर मुझे शर्म आ गयी, उसने भले ही मुझे चोदा था पर इतना अधिकार तो नहीं था कि इस तरह बात मुँह पर करें। मैं उससे कपड़े लगभग छीनते हुए बैडरूम में भागी।

मैंने अपनी ड्रेस उतारी और ब्रा और पैंटी में आ गयी। वो अंदर के कपडे काले रंग के थे, मेरी कुर्ते वाली सफ़ेद ड्रेस से मैच नहीं होते। इसलिए मुझे उन्हें भी उतारना पड़ा, ताकि दूसरा वाला पूरा सेट पहन सकू। मगर तभी राहुल धड़धड़ाते हुए अंदर आ गया। मैंने दीवार की तरफ मुँह कर लिया।

राहुल: “सॉरी, मैं अपनी बेल्ट भूल गया था। मुझे आदत नहीं कि मेरे कमरे में लड़किया कपड़े भी बदलती हैं। ”

मैं: “अब तो पता चल गया अब क्यों घूर रहे हो, बाहर जाओ।”

राहुल: “तुम्हे नहीं, तुम्हारी पीठ पर तिल देख रहा था, बहुत खूबसूरत लग रहा हैं। ”

मैंने अपने बाल पीठ पर कर दिए

राहुल: “तुम्हारे बाल इतने भी लंबे नहीं कि कमर के नीचे के दूसरे तिल को छुपा सके। ”

मेरे पति ने बताया था कि मेरी गांड की दरार जहा शुरू होती हैं वहा थोड़ा ऊपर एक तिल हैं। मैंने एक हाथ से अपने उस तिल को छुपा लिया।

मेरे पहनने के कपड़े मेरे पीछे की तरफ थे, जहा वो खडा था तो कपड़े पहन भी नहीं सकती थी।

उसने मेरी गांड की दरार में ऊँगली रख दी।

राहुल: “तिल यहाँ हैं ”

मैंने उसका हाथ हटाने की कोशिश की, और वो अपनी ऊँगली नीचे खिसकाते हुए मेरी गांड की दरार के साथ चलाता रहा और मैं अपना हाथ उसके हाथ के पीछे पीछे ले जा रोकने की। उसकी ऊँगली अब मेरी चूत के दरार पर थी और हलकी सी अंदर थोड़ी घुसा दी। मैं आगे बढ़ी पर दीवार से चिपक गयी। उसने अपनी ऊँगली मेरी चूत में थोड़ी और उतारी और मेरी सिसकियाँ निकलने लगी।

मैं: “मुझे वहां दर्द हो रहा हैं, प्लीज बाहर निकालो ऊँगली ”

राहुल : “तो फिर कब करने दोगी, कल?”

मैं: “पता नहीं ”

उसने अपनी ऊँगली अंदर ही हिलाते हुए घुमा दी और मेरी एक और आह निकली।

राहुल: “फिर कब?”

मैं: “कल”

उसने एक बार फिर अपनी ऊँगली हिला दी और मेरी एक और आह निकली।

राहुल: “पक्का कल !”

मैं: “हां पक्का”

राहुल: “कपड़े सारे खोलने दोगी ?”

मैं: “खोल लेना”

राहुल: “मुँह लगाने दोगी अपनी चूत में”

मैं: “नहीं”

उसने ऊँगली और अंदर घुसा दी।

मैं: “ऊह ऊह, लगा देना मुंह भी ”

राहुल ने अपनी ऊँगली मेरी चूत से निकाल दी और मैंने राहत ली। वो थोड़ी देर और रखता तो शायद मैं झड़ जाती। मेरी पीठ अभी भी उसकी तरफ थी और वो मेरे एकदम पीछे खड़ा था।

राहुल: “ऑफिस में करने दोगी?”

मैं: “तुम्हारी मांगे कुछ ज्यादा नहीं बढ़ गयी।”

उसने मेरी नंगी पीठ पर पड़े मेरे लंबे खुले बाल हटाए हुए और अपने होंठ से चूमने लगा। अपना हाथ मेरी गांड पर मलने लगा। फिर अपनी ऊँगली मेरी गांड पर फिराते हुए एक बार फिर मेरी चूत में घुसा दी। इस बार मैंने नहीं रोका, मैं चाहती थी वो मेरा अधूरा काम ऊँगली से ही पूरा कर ले।

राहुल: “क्या कहा? ऑफिस में करने दोगी ”

मैं: “नहीं”

उसने अपनी ऊँगली मेरी चूत में हिलानी शुरू कर दी और मेरी मजे में आहें निकलने शुरू हो गयी। मैं चाहती थी कि वो अब मेरा पूरा करे।

राहुल: “ऑफिस में करने दोगी ?”

मैं: “नहीं…आह्ह आह”

राहुल: “अब बोलो ”

मैं: “नहीं…आह्ह आह”

मैं उसे ना बोलती रही और वो और भी अंदर ऊँगली घुसा अंदर घूमाता रहा। मेरा अब पानी बनने लगा था और मैं लगातार नशीली आहें भर रही थी।

राहुल : “मेरे केबिन में करेंगे ?”

मैं: “आह्ह हां करेंगे आह्ह ”

राहुल : “ऑफिस के वाशरूम में करेंगे ?”

मैं: “आईई हां करेंगे आअह ”

राहुल : “मेरी कार में करेंगे ?”

मैं: ” हां हां उहुहु हां करेंगे ”

राहुल: “अपने पति के सामने करवाओगी ?”

मैं: ” हां , आह , नहीं करवाउंगी , अकेले में सिर्फ उह उह ”

वो ऊँगली और भी जोर जोर से अंदर बाहर कर चोदने लगा और मैंने अपने पाँव चौड़े कर लिए थे।

राहुल: “पति के सामने करवाओगी ?”

में: “आह्ह…नहीं, आह्ह…नहीं आह आह आह उम्म आहआह ”

राहुल: “बोलो करवाओगी ?”
मैं: “नहीं करवाउंगी…आह आह आह, नहीं..ऊहूहु…हां…आईई हां करवाऊंगी, करवाउंगी पति के सामने करवाऊंगी …आह्ह आह्ह आह्ह उउउउऊ हा”

और मैं खड़े खड़े ही उसकी ऊँगली से झड़ गयी। मेरे पैर थर थर कांप रहे थे। मैं दीवार की तरफ मुँह कर दीवार से चिपके हुए खड़ी रही जब तक कि राहुल वहां से बाहर नहीं चला गया। उसके जाते ही मैंने जल्दी से कपड़े पहन लिए ।

अब मैं सोच रही थी कि पिछले कुछ मिनटों में मैंने क्या किया। मैंने अपनी कमजोरी को राहुल के सामने पूरा खोल दिया और उसके इशारो पर नाचती रही। फिर सोचा वो चाहता तो उस वक़्त मेरी चूत को अपने लंड से भी चोद सकता था या मुझे आगे से पूरा नंगा देख सकता था जो मैं अब तक छुपाती आ रही थी। पर इतना होने के बाद मैं उसका सामना कैसे करुँगी।

मैं अब नजरे झुकाये बाहर आयी। राहुल अपना सूट पहन तैयार था। हम दोनों बाहर आकर कार में बैठे। हम दोनों चुपचाप बैठे थे।

राहुल: “तुम्हे अपने आप को रोकना नहीं चाहिए, तुम्हारी बहुत सी दबी हुई इच्छाएं हैं, उनको बाहर आने दो, रोको मत। खुल कर जियो।”

मैं चुप चाप नजरे झुकाये सब सुनती रही।

राहुल: “कुछ तो बोलो ”

मैं कुछ नहीं बोल पायी। चुप ही रही।

राहुल: “तो फिर कल मेरे केबिन से शुरू करे”

मेरे मुँह पर तो जैसे शर्म का ताला लग चूका था, मैंने सिर्फ ना में गरदन हिला दी।

राहुल: “हां बोल कर अब पीछे मत हटो। इतनी जगहों के लिए हां बोला था…अच्छा बताओ उन सब में से कौन सी जगह के लिए तैयार हो।

मैं सर झुकाये शर्म से सिर्फ गरदन हिलाते हुए ना कर रही थी।

राहुल: “अरे शर्माओ मत, बोल भी दो, अब कैसी शर्म”

मैं: “इसी कारण से मैंने उस दिन तुम्हारी जगह जोसफ को चुना था। एक बार कुछ हो गया तो हमेशा मुझे ऐसी बातें सुनने को मिलेगी।”

राहुल: “अच्छा सॉरी, मैं बार बार नहीं बोलूंगा, बस एक बार बता दो, कहा करेंगे?”

मैं: “जो होना था हो चूका, अब कुछ नहीं होगा”

राहुल: ” अच्छा ठीक हैं, अब मैं नहीं बोलूंगा। वैसे डील मिलने वाली हैं तो हम सेलिब्रेट करते हैं।”

मैं: “तुम फिर से वैसी ही बातें कर रहे हो। ”

राहुल: “मैं असली पार्टी की बात का रहा था। फार्म हाउस पर पार्टी रखते हैं ।”

मैं: “ऊप्स सॉरी, इस बार मैं पति को भी लाऊंगी. पार्टी में।”

राहुल: “ओह, तो पति के सामने करवाने का ऑप्शन चुना हैं तो तुमने। ठीक हैं। ”

मैं: “हे? मैं पार्टी की बात कर रही हूँ। वैसे भी पति के सामने करवाने से बेहतर बंद कमरे में करवा लू।”

राहुल: “मैं तो पहले ही बोल रहा था, मेरे केबिन में कर लेते हैं। तो कल का पक्का रखे प्रोग्राम फिर। ”

मैं: “अब इस बारे में कोई भी बात की तो मैं कार से उतर जाऊंगी”

राहुल “इस पार्टी में वैसे भी सिर्फ स्टाफ होगा उसकी फॅमिली नहीं। फॅमिली के लिए तो सालाना पार्टी होती ही है।”

उसके बाद राहुल पुरे रास्ते चुप ही रहा। पर कार ऑफिस पहुंचते ही उसने मुझे फिर छेड़ ही दिया।

राहुल: “अभी मैं बार बार याद नहीं दिलवाऊंगा, कल मेरे केबिन में हमारा प्रोग्राम हैं।”

मैं सर हिलाते हुए ऑफिस में आ गयी। ये तो मुझे अब ऐसे ही परेशान करता रहेगा। वैसे ये वाला राहुल पहले के खड़ूस राहुल बॉस से बेहतर था।

दोपहर बाद सैंड्रा और जोसफ हमारे ऑफिस में आये। मैंने और राहुल ने उनको रिसीव किया और सीधा राहुल के केबिन में आये। सभी लोगो को अपेक्षा थी कि आज हमें डील मिल ही जाएगी। हम चारो राहुल के केबिन में पहुंचे और बैठ गए।

सैंड्रा: “राहुल मैंने बोला वो काम हुआ कि नहीं।”

राहुल: “हो गया हैं, प्रतिमा जरा वीडियो दिखाओ।”

मैं अपने मोबाइल पर पहले ही वीडियो ओपन कर तैयार बैठी थी। मैंने अपना मोबाइल सैंड्रा की तरफ बढ़ाया।

सैंड्रा: “सबूत की जरुरत नहीं, राहुल का चेहरा ही बता रहा हैं कि काम हो गया।”

राहुल: “ठीक हैं प्रतिमा तुम जाओ। कुछ काम होगा तो बुला लूंगा। ”

मैं अब बाहर अपने क्यूबिकल में आ गयी। फ़ालतू में इतनी मेहनत कर अपनी इज्जत गवाई, राहुल अपना ये वाला सतुष्ट चेहरा दिखा देता तो मुझे कुछ करना ही नहीं पड़ता। मैंने फिर भी वो वीडियो डिलीट नहीं किया, पता नहीं कब मांग ले । डील साइन होंने तक तो रखना ही था।

करीब पंद्रह मिनट के बाद वो तीनो बाहर आये। राहुल ने तीन बार ताली बजा कर सबका ध्यान आकर्षित किया और अपने पास बुलाया कुछ घोषणा करनी थी। सबको आभास हो गया क्या घोषणा हैं। मैं भी खड़ी हुई। मेरी जगह तो केबिन के एकदम बाहर ही थी। मैंने देखा जोसफ का

विशाल शरीर मेरे सामने था और मैं उसके आगे खड़े राहुल को बड़ी मुश्किल से देख पा रही थी।

जोसफ के दोनों हाथ उसकी पीठ की तरफ थे और मोबाइल खुला था। मैंने ध्यान दिया उसमे लिखा था “मेरे पास तुम्हारे लिए एक वीडियो हैं। अपना मोबाइल नंबर मुझे नीचे लिखे नंबर भेजो , मैं तुम्हे वो वीडियो भेजूंगा।”

जोसफ दूसरे लोगो से छुपा कर मुझे कोई मेसेज दे रहा था। वो कौनसे वीडियो की बात कर रहा था। तब तक सारा स्टाफ राहुल के सामने जमा हो गया था और राहुल सब स्टाफ का शुक्रिया कर रहा था।

मुझे जोसफ का मेसेज देख लगा उसके पास जरूर मेरे और उसके बीच गेस्ट हाउस में हुई चुदाई का वीडियो हैं और वो मुझे ब्लैकमेल करना चाहता हैं। कल तो बड़ा दिलदार बन कर दया दिखा रहा था और आज ब्लैकमेल पर उतर आया। मैंने जल्दी से अपने मोबाइल से उसके मोबाइल स्क्रीन का फोटो ले लिया ताकि उसका नंबर तो नोट कर लू, बाकि क्या करना हैं, बाद में देखा जायेगा।

राहुल ने घोषणा कर दी कि हमे डील मिल चुकी हैं और सारा ऑफिस तालियों की गड़गड़ाहट से भर गया। किसी को भी नहीं पता कि उसके लिए मैं दो बार अपनी इज्जत दे चुकी हु और एक राक्षस उसी दौरान मेरा फिर से भंजन करने को उतारू था।

बाकी सब उपस्थित लोग बहुत खुश थे सिर्फ मैं चिंता में थी। राहुल ने इस इस डील मिलने की ख़ुशी में अगले दिन शुक्रवार को शाम को अपने फार्म हाउस में पार्टी की घोषणा की । सैंड्रा व जोसफ विदा ले जाने लगे, जाते जाते जोसफ मुझे आँखों से इशारे कर गया।
Like Reply
#47
https://xossipy.com/thread-58545-page-27.html



आपकी पसंदीदा और इंटरनेट की सबसे खूबसूरत cuckold based interfaith स्टोरी अपडेट हो चुकी है अगर आपने इसे पहले नहीं पढ़ा तो कृपया पहले पेज से पटना ढेर सारी कमेंट वगैरह करके लेखक की हौसला अफजाई करना
Like Reply
#48
(16-03-2024, 01:43 PM)Namard pati Wrote: https://xossipy.com/thread-58545-page-27.html



आपकी पसंदीदा और इंटरनेट की सबसे खूबसूरत cuckold based interfaith स्टोरी अपडेट हो चुकी है अगर आपने इसे पहले नहीं पढ़ा तो कृपया पहले पेज से पटना ढेर सारी कमेंट वगैरह करके लेखक की हौसला अफजाई करना

ye aap readers ko bewaqoof bana rahe ho last update 2 march ko tha
Like Reply
#49
Wah Suparb Update. Pl Jaldi Jaldi Update Do. aur Ashok ne sadi KI he pratima se aur Prtima khud Moj le rhi he. aur compny ka fayda karva rhi he to ashok ko Koi n Koi ladki to Milni hi chahiye aur sath me paisha Bhi.
Like Reply
#50
[Image: tenor.gif]

UPDATE 19 :

सब लोग अपनी अपनी जगह लौटने लगे और मैं तनाव में अपनी सीट पर बैठ गयी। मेरी मुसीबते तो ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैंने सोचा मुझे राहुल को सब बता देना चाहिए। पर वो तो खुद मेरे मजे ले रहा था। राहुल इतना बुरा तो नहीं होगा, हो सकता हैं उसने वो सब मजाक किया हो, इस मामले में मेरी मदद कर देगा।

बहु देर तक मैं निर्णय नहीं ले पायी। फिर बहुत सोच विचार कर घंटे भर बाद मैंने जोसफ के नंबर पर मैसेज किया “मुझे पता हैं तुम मुझे ब्लैकमेल कर रहे हो। अगले हफ्ते तुम जहा बुलाओगे आ जाउंगी, पर तुम्हे मेरे वीडियो डिलीट करने होंगे।”

मुझे डर लगा कही वो आज या कल ना बुला ले, मुझे थोड़ा समय चाहिए था सोचने का।मैंने पहले अपना और राहुल के बीच का सुबह वाला वीडियो डिलीट किया। फिर मैंने तुरंत अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया। अंत में मैंने सोचा मुझे राहुल की मदद लेनी चाहिए। मैं राहुल के केबिन में गयी।

राहुल:: “अरे तुम आज ही आ गयी, केबिन में करने का तो कल प्रोग्राम हैं। तुम इतना सीरियस क्यों हो?”

मैंने उसे जोसफ की ब्लैकमेलिंग के बारे में सब बताया।

राहुल: “तुम अपना फ़ोन कल पार्टी तक बंद ही रखो, मैं सैंड्रा को बोल कर जोसफ को समझा दूंगा। चिंता मत करो तुम्हे अब जोसफ परेशान नहीं करेगा, मेरी गारंटी हैं”

मुझे उसकी बात सुन सांत्वना मिली और वापिस अपनी सीट पर आ गयी।

रात भर मैं सोचती रही, एक तरफ राहुल हैं जो मेरी दुसरो से बराबर रक्षा कर रहा हैं, दूसरी तरफ हैं मेरा पति अशोक, जिसने कई बार मुझे मुसीबत में डाल दिया। मेरी इज्जत से लोगो को खिलवाड़ करने दी। मेरे दिल में अब राहुल के लिए आकर्षण बढ़ने लगा था।

अगली सुबह तैयार होते वक्त मुझे अपने वो छोटे कपड़े याद आये जो मैंने राहुल का ध्यान आकर्षित कर तारीफ़ पाने को खरीद तो लिए थे पर आज तक पहने नहीं थे। मैंने वो मिनी स्कर्ट निकाली और पहन ली। उसको पहनने का समय आखिर आ ही गया था। अब मैं ऐसे छोटे कपड़े पहन राहुल के सामने बेधड़क जा सकती हूँ। उसके ऊपर मैंने स्लीवलेस टॉप पहन लिया।

मुझे पहली बार इतने छोटे कपड़े पहने देख ऑफिस मे सबकी आँखें खुल गयी। मैं अपने हाई हील सैंडल के साथ मिनी स्कर्ट में ऑफिस में आकर्षण का केंद्र बन गयी। ऑफिस में वैसे भी शाम को होने वाली पार्टी का माहौल था।

राहुल ऑफिस में आया और आज पहली बार उसने केबिन में जाने से पहले मेरी तरफ मुड़ कर देखा। उसका मेरे ऊपर अधिकार जो बढ़ गया था। अपने जरुरी काम निपटाने के बाद उसने मुझे केबिन में बुलाया। मैं उसके केबिन में पहुंची, वो मुझे ऊपर से नीचे घूरते हुए देखने लगा ।

राहुल: “बहुत हॉट लग रही हो। ”

मैं: “थैंक यू , कुछ काम था मुझसे”

राहुल: “मैंने प्रमोशन की लिस्ट बना दी हैं , इसमें तुम्हारा भी नाम हैं । बधाई हो ”

मैं: “थैंक यू सो मच।”

राहुल: “ट्रीट तो बनती हैं।”

मैं: “ठीक हैं, कौनसी मिठाई खाओगे ले आउंगी। ”

राहुल: “मुझे मिठाई इतनी पसंद नहीं, जूस पी लूंगा।”

मैं: “ठीक हैं, मिल जायेगा।”

राहुल: “तो पिलाओ अभी।”

मैं: “चलो बाहर शॉप पर। ”

राहुल : “फ्रूट का नहीं, मुझे तुम्हारे दोनों होंठों का रस पीना हैं। ”

जिसका मुझे डर था वही हो रहा था। वो मुझे शर्मिंदा कर रहा था।

मैं: “मुझे नहीं चाहिए ऐसा प्रमोशन।”

राहुल: “प्रमोशन तो तुम्हारा हक़ हैं, ट्रीट नहीं देनी तो मत दो, एक दोस्त की हैसियत से मांग रहा था, कोई जबरदस्ती नहीं। ”

मैं अब वापिस मुड़ कर जाने लगी।

राहुल: “मैंने सैंड्रा से बात की थी जोसफ के बारे में। जोसफ कल बाहर जा रहा हैं किसी ख़ास काम से, अगले हफ्ते उसके आने के बाद सैंड्रा उसे समझा देगी। ”

मैं: “थैंक यू, मैं कल सुबह तक फ़ोन बंद ही रखूंगी। तुमने मेरी बहुत बड़ी हेल्प की हैं। ”

राहुल: “मैं तो तुम्हे दोस्त मानता हूँ, तुम मानो या ना मानो।”

मैं: “तुम नाराज हो? पर मैं ये नहीं कर सकती। ”

राहुल: “जैक को तो चूमा था।”

मैं: “सिर्फ दो सेकंड के लिए इजाजत दूंगी, और ये आखिरी बार होगा। ”

राहुल: “पांच सेकण्ड्स और दोनों होंठो पर।”

मैं: “हम्म, ठीक हैं पांच सेकंड से एक सेकंड भी ज्यादा नहीं, मैं गिनूँगी।”

मैं राहुल के करीब पहुंची, हम दोनों की ही साँसे बहुत तेज चल रही थी। दो बार चूमते चूमते मैंने उसे रोक दिया था और आज आख़िरकार पांच सेकंड के लिए ही सही मैंने उसे इजाजत दे दी थी। उसने अपने दोनों हाथ मेरे एक एक कान के नीचे गले के पास रखे और मुझे अपने करीब खिंचा। हम इतने करीब थे की एक दूसरे की गरम साँसे महसूस कर रहे थे।

उसने अपना सर थोड़ा तिरछा किया और मैंने अपने होंठ जरा सा खोल कर आँखें बंद कर ली। वो घड़ी आ चुकी थी जब पहली बार राहुल मुझे चूमेगा। जल्द ही मेरा ऊपर वाला होंठ उसके दोनों होंठो के बीच था, और उसने उसे चूसना शुरू कर दिया। मेरी गिनती चालू थी और उसने मेरे होंठ तीन बार ही चूसे थे कि मैं अलग हो गयी पांच सेकंड हो चुके थे।

मैंने आँखें खोली । मेरे होंठ उसके रस से गीले हो चुके थे और उसके होंठ मेरे रस से। मेरी साँसे और भी गहरी हो चुकी थी। वो फिर से आगे बढ़ा, अपने वादे के मुताबिक उसको मेरा निचला होंठ भी चूसना था। इस बार उसने अपने होंठो के बीच मेरा निचला होंठ भरा और जल्दी जल्दी मेरा रस लेने लगा। उसका मजा शुरू ही हुआ कि मेरे पांच सेकंड हो चुके थे और हम अलग हुए।

मैंअपने होंठो पर जबान फेर रही थी क्यों कि वहा मीठी गुदगुदी हो रही थी। वो मुझे तरसती निगाहो से देख रहा था मुँह को लगा हाथ को ना आया। उसकी प्यास तो पूरी मिटी भी नहीं थी। मैं मुड़ कर जाने लगी और उसने मुझे रोक लिया।

राहुल: “कहाँ जा रही हो? नीचे के होंठ बाकी हैं अभी।”

मैं: “अभी निचला होंठ ही तो चूसा था तुमने। ”

उसने मेरी चूत की तरफ इशारा किया और बोला : “मैं यहाँ के, नीचे के होंठो की बात कर रहा था।”

मैं: “नहीं वहां नहीं, मैं कपड़े खोल नहीं दिखा सकती”

राहुल: “कल तो खोले थे ”

मैं: “पर सामने से तो नहीं दिखाया था ”

राहुल: “फिर भी पीछे से तुम्हारे नीचे वाले होंठ दिख रहे थे, वैसे ही दिखा दो, मैं रस ले लूंगा ऐसे ही।”

मैं: “सिर्फ पांच सेकंड के लिए। ”

राहुल: “पांच सेकंड अगर आगे से होंठ चूमने दोगी तो। पीछे से कोई समय सीमा नहीं होगी। सोच लो।”

मैं अभी भी शर्म से राहुल को अपनी चूत सामने से दिखाने में असहज थी। इसलिए पीछे से मेरी चूत का रस पिलाने के लिए मान गयी।

मैं: “पीछे से चुम लो, पर सिर्फ एक मिनट। मंजूर हो तो बोलो वरना मैं जाती हूँ। ”

राहुल: “ठीक हैं, मेरे टेबल पर आ जाओ।”

वो अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गया और मैं उसकी तरफ पीठ कर खड़ी हो गयी। उसने मेरी मिनी स्कर्ट का हुक खोल कर ढीला कर दिया और नीचे से हाथ डाल कर मेरी पैंटी पूरी निकाल दी। फिर मुझे अपनी टेबल पर चढ़ा कर मुझे कल की तरह कोहनियो और घुटनो के बल बैठा दिया। उसने मेरी मिनी स्कर्ट को ऊपर की तरफ खींच कर मेरी गांड को नंगा कर दिया।

उसकी पहले की चुंबन और बने माहौल से मेरी चूत वैसे ही थोड़ी गीली हो अपना रस छोड़ चुकी थी।

राहुल: “अपने पाँव और खोलो, अपने होंठ पुरे दिखाओ….हां ऐसे….पहले थोड़ा रस बनाता हु फिर चूसूंगा”

ये कहते हुए उसने अपनी ऊँगली मेरी खुली चूत की दरार में रगड़नी शुरू कर दी। उसकी ऊँगली की रगड़ से मेरी गांड और टाँगे थरथराने लगी। इसके साथ ही मेरी चूत में और पानी बनने लगा और बाहर आने को उतारू हो गया। मगर वो अपनी ऊँगली प्यार से फेरता रहा। मैं मेरी चूत के होंठ गीले महसूस कर रही थी।

मैंने अपने सर को दोनों हाथों के बीच डालते अपनी दोनों टांगो के बीच देखा। राहुल की ऊँगली मेरी चूत पर घुम कर गीली हो चुकी थी। मेरी चूत के होंठ खुले थे और बीच में घाटी बन चुकी थी जहा उसकी ऊँगली रगड़ रही थी । थोड़ी देर बाद तो मेरी चूत से दो तीन बून्द पानी नीचे टेबल पर टपक पड़ा।

मैं: “बन गया रस, अब जल्दी से पी कर ख़त्म करो ये नाटक”

राहुल: “तुम बोलो तो ऊँगली की जगह थोड़ी मोटी चीज डाल दू? ज्यादा मजा आएगा दोनों को ”

मैं: “नहीं, मैं अपनी चीख रोक नहीं पाऊँगी, ये ऑफिस हैं।”

राहुल: “तो आज शाम पार्टी में कर सकते हैं ?”

मैं: “तुम्हे ये काम करना हैं या मैं जाऊ ?”

उसने अब ऊँगली रगड़ना बंद किया और मैं उसके होंठ और दाढ़ी को अपनी दोनों टांगो के बीच देख सकती थी। उसके मुँह के होंठ मेरी चूत के होंठो पर लग रस चाट कर मजे ले रहे थे और मैं हलकी सिसकियाँ निकाल रही थी। मैंने भी घडी का ध्यान नहीं रखा और वो एक मिनट की बजाय काफी ज्यादा मेरे चूत के होंठो को मुँह में दबा मजा लेता रहा।

मैं अनियंत्रित होने लगी, कही मैं झड़ ही ना जाऊ इसलिए मैंने उसको रोका और थोड़ा आगे हटी। अपनी स्कर्ट नीचे कर दी और पीछे खिसक कर टेबल से उतर गयी । मैं अपनी स्कर्ट का हुक फिर बांधती उससे पहले ही उसने मुझे मेरी कमर से पकड़ कर मुझ सहित अपनी कुर्सी पर बैठ गया। मैं उसकी जांघो पर बैठी थी।

उसने एक हाथ से मुझे झकड़े हुए दूसरे हाथ से अपने पैंट की चैन खोल दी और अपना कड़क हो चुका लंड बाहर निकाल दिया। वो एकदम तैयार था चोदने के लिए। क्या वो मुझे यही ऑफिस में चोदने वाला था। मैं उसको मना करने लगी कि यहाँ नहीं कर सकते पर उसने मेरी स्कर्ट को पीछे से ऊपर कर अपनी गोद में बैठा लिया।

मैं अपनी गांड पर उसके कठोर लंड की छुअन का अनुभव कर रही थी। मेरी चूत तो पहले ही गीली थी तो आसानी से उसका लंड एक झटके में मेरी चूत के अंदर फिसल गया। बाकी का उसने जोर लगाते हुए मेरी चूत में चार पांच इंच लंड अंदर कर दिया। मैं उठने की कोशिश कर रही थी पर वो मुझे नीचे बैठाये रख रहा था।

मैं उठने की कोशिश करती और वो मुझे नीचे बैठा देता, इस चक्कर में उसका लंड मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था। मैं तो पहले ही झड़ने वाली थी पर अब उसके लंड की चूत में होती रगड़ से मैं झड़ने की करीब आ गयी।

मैंने अब ऊपर उठना ही बंद कर दिया। पर उसका लंड उत्तेजना के मारे मेरी चूत में बिना हरकत के ही सिकुड़ और फुल रहा था। जिससे मेरी चूत में भी कम्पन हो रहा था। मैं किसी भी क्षण झड़ने वाली थी।

मैं: “राहुल, मेरा पानी निकलने वाला हैं, तुम्हारी पैंट खराब हो जाएगी।”

राहुल ने मुझे छोड़ दिया और बोला: “चलो छोड़ दिया, तुम्हारी इच्छा तुम उठना चाहती हो या चुदना चाहती हो”

मेरी ऐसी हालत थी कि मैं चाहते हुए भी उठ नहीं पा रही थी। मैंने सोचा मैं पूरा कर ही लेती हूँ। पर तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और मैं घबरा कर राहुल के ऊपर से उठी। एक सांस में मैंने जल्दी से अपनी स्कर्ट नीचे की और उसका हुक लगा लिया। मैं वापिस टेबल के दूसरी तरफ आ गयी, तब तक राहुल ने भी अपनी चैन बंद कर कुर्सी सही लगा ली।

ये सब मुश्किल से पांच सात सेकण्ड्स में हो गया और राहुल ने दस्तक देने वाले को अंदर बुलाया। वो सुधा आंटी थी, वो शायद किसी काम से आयी थी।

मैं एकदम घबराई हुई खड़ी थी और राहुल से इजाजत लेकर बाहर आयी और सीधा वाशरूम गयी। मेरी चूत में अभी तक हलकी सी हलचल थी, मेरी पैंटी भी राहुल की कुर्सी के आस पास कही गिरी पड़ी थी जो जल्दबाजी में मैंने नहीं उठायी थी क्यों कि पहनने का समय ही नहीं था ।

मैं बाल बाल बची, अगर कोई बिना दस्तक अंदर आ जाता तो पुरे ऑफिस में मेरी ही बातें होती। वाशरूम से मैं वापस आयी देखा सुधा आंटी केबिन से बाहर आ चुकी थी।

मुझे अंदर जाकर अपनी पैंटी लेनी थी पर हिम्मत नहीं हो रही थी। मैं सीधा अपनी जगह आकर बैठ गयी। अंदर पैंटी नहीं पहने होने से कुछ खाली खाली सा लग रहा था। करीब आधे घंटे बाद मैं फिर राहुल के केबिन में गयी।
Like Reply
#51
[Image: h7kF0z.gif]

UPDATE 20 :

राहुल ने ऑफिस के केबिन में ही मेरे मजे लूट लिए थे और हम पकडे जाने से बाल बाल बच गए थे। इस चक्कर में मेरी पैंटी उसके केबिन में रह गयी जो मुझे चाहिए थी, मैं फिर राहुल के केबिन में गयी।

मैं: “मेरे कपड़े यहाँ रह गए थे”

राहुल: “कौन से कपड़े?”

मुझे पता था वो जानबूझ कर अनजान बन मेरे मुँह से सुनना चाहता था। मैं वापिस जाने लगी तो उसने आवाज लगा कर रोका। मैंने मुड़ कर देखा वो अपने हाथ में मेरी पैंटी पकड़ हिला रहा था।

राहुल: “ये चाहिए तुम्हे?”

मैंने आगे आकर अपना हाथ बढ़ाया, पर उसने अपना हाथ पीछे खिंच लिया।

राहुल: “इसे मैं तुम्हे पहनाउंगा ”

मै: “नहीं चाहिए, तुम्ही पहन लो”

राहुल: “अच्छा ये लो। पर इसे हाथ में लेकर बाहर कैसे जाओगी? किसी ने देख लिया तो ! पहनना तो यहाँ मेरे सामने ही पड़ेगा।”

बात तो उसकी भी सही थी। ऑफिस के अंदर तो पर्स लेकर नहीं घूम सकती। मुझे उसके सामने ही वो पैंटी पहननी थी। मैंने उससे वो पैंटी ली और उसकी तरफ पीठ कर मैंने पैंटी पांवो में डाल ऊपर खिंच ली और बड़ी सावधानी से बिना अपने ज्यादा अंग दिखाए वो पहन ली।

राहुल: “थोड़ा थोड़ा करने से मजा नहीं आया, पूरा करना हैं ढंग से”

मैं: “आगे से मैं ऑफिस में तुम्हारे पास भी नहीं आउंगी, पकड़े जाते तो आज?”

राहुल: “यहाँ नहीं करेंगे तो कहा करेंगे?”

मैं: “क्या करना हैं तुम्हे?”

राहुल: “चार काम करने हैं। पहला, तुम्हारे ऊपर और नीचे के होंठो का जी भर कर रस चूसना हैं। दूसरा, तुम्हारे मम्मे देखने हैं और चूसने हैं। तीसरा, तुम्हारे मम्मो को अपने हाथो से दूध दुहना हैं। चौथा, सामने से तुम्हारी चूत के दर्शन कर पूरा चोदना हैं”

मैं: “सैंड्रा का शुक्र मनाओ कि तुम मेरे कपड़े खोल पाए और कल पीछे से कुछ कर पाए। बाकि के ये चारो काम तुम सपने में ही करना”

राहुल: “ये चारो काम आज रात को ही होंगे पार्टी के बाद । तुम आज रात मेरे साथ मेरे फार्म हाउस पर ही रुकने वाली हो। अपने घर पर बोल कर आना कि सुबह आओगी”

मैं: “ऐसा कुछ नहीं होने वाला हैं”

राहुल: “और पांचवा काम तुम करने वाली हो, मैं तुम्हारा नीचे का रस लूंगा तो तुम भी तो मेरा रस चुसोगी”

मैं: “मैं भी देखती हु, कैसे होता हैं ”

मैं अब बाहर अपनी सीट पर आ गयी। मगर मन में यही चल रहा था कि क्या वो मेरे साथ सच में ये सब करने वाला हैं। पर मैं क्यों उसके साथ रात को रहूंगी। इतने लोगो के बीच तो वो हाथ लगा नहीं पायेगा। शाम को पार्टी के चक्कर में सब लोग ऑफिस से जल्दी निकल गए घर जाकर तैयार होने के लिए।

घर आकर मैं भी तैयार होने लगी। आज राहुल मेरे कपड़े देख भड़क ना जाये इसलिए मैंने जो ब्लाउज पहना वो पीठ से पूरा बंद था। कोहनियो तक आस्तीन थी और चाइनीज कॉलर था। मैंने अपनी नारंगी रंग की साड़ी लपेट दी। पुरे कपड़े पहनने के बावजूद मैं अपने कर्व तो नहीं छुपा सकती थी। बिना अंगप्रदर्शन किये हुए भी मेरे सीने और गांड के उभार मेरी तरफ किसी को भी आकर्षित करने को काफी थे।

राहुल ने पार्टी स्थल तक पहुंचने की व्यवस्था कर दी थी।

आज सब लोग बिना फेमिली के आये थे तो वहा पर माहौल बिलकुल ही अलग था। ऑफिस की सारी कुंवारी लड़कियों सहित शादीशुदा लड़किया भी छोटे कपड़े और स्किन दिखाऊ साड़ी पहन आयी थी। शायद पिछली बार पार्टी में मैंने जो कपड़े पहने थे उससे प्रेरणा ली थी।

पुरुष स्टाफ की तो चांदी हो गयी थी। आज उनको रोकने वाले उनके पति और पत्निया भी नही थी, सब अपने अरमान पुरे कर सकते थे। अपने पसंद के साथियो के साथ सब चिपक कर डांस कर रहे थे। मुझे पुरे कपड़ो में देख सबको थोड़ा आश्चर्य भी हुआ।

राहुल ने पास आकर मेरे साथ डांस करने को बोला पर मैं पहले ही सोच कर आयी थी उसको ज्यादा पास आने का मौका नहीं देना वरना वो अपनी चारो गन्दी ख्वाहिशे पूरी ना कर सके। मेरे मना करने पर भी वो मुस्कुराता रहा।

अब वो दूसरी लड़कियों के साथ बारी बारी से डांस करने लगा। वो उनसे कुछ ज्यादा ही चिपक रहा था, उसका हाथ लगातार लड़कियों की कमर और पीठ पर था। वो लड़किया भी जैसे इसी का इंतजार कर रही थी। उनको तो जैसे प्रमोशन का शॉर्टकट मिल गया था।

राहुल के हाथ कभी कभार कमर से खिसक कर लड़कियों की गांड पर भी आ गए थे। जब भी वो एक दूसरे के कान में कुछ बोलने के लिये पास आते तो उनके मम्मे राहुल के सीने से दब भी रहे थे ।

एक शादी शुदा औरत तो राहुल के साथ कुछ ज्यादा ही चिपक गयी थी, उसकी कमर के नीचे का हिस्सा आगे से राहुल से पूरा चिपक गया था। मैं ना जाने क्यों वो सब नहीं देख पा रही थी। मुझे वो सब देख जलन हो रही थी।

वो सब मिलकर मुझसे राहुल को दूर कर रही थी या मैंने खुद ही राहुल से दुरी बना उन्हें मौका दे दिया था। मुझे अहसास हुआ शायद मैं राहुल से शायद प्यार करने लगी थी। पर राहुल के मन में मेरे लिए क्या हैं, अगर कुछ होता तो वो इस तरह दूसरी लड़कियों के साथ इस तरह चिपक कर डांस नहीं करता।

एक चालीस साल के सहकर्मी ने मेरे साथ डांस करने का प्रस्ताव रखा और मैंने मान भी लिया, पहला मौका था जब मैंने राहुल के अलावा ऑफिस में किसी के साथ डांस का करना स्वीकार्य किया था। उसको तो जैसे खजाना हाथ लग गया।

बाकि के युवक आश्चर्य करने लगे, उन जैसे अच्छे दिखने वाले लड़को को छोड़ मैंने अपने से ज्यादा उम्र वाले को डांस पार्टनर चुना। मैंने कपड़े पुरे पहन रखे थे फिर भी साड़ी के ऊपर से ही वो मेरी कमर को पकड़े था। मैं उससे थोड़ी दुरी बनाये हुए थी ताकि मेरे सीने का उभार उससे ना छुए।

इन सब के बीच मेरी नजरे बराबर राहुल पर थी कि वो क्या कर रहा हैं। बीच में एक दो बार वो अपनी अलग अलग डांस पार्टनर के साथ हॉल से बाहर भी गया था, शायद उनके अंगो को अच्छे से छूने के लिए अकेले में ले गया हो। वो लड़किया तो उसे चूमने भी देगी।

सब लोग अब हॉल से निकल कर बाहर बरामदे में लगे डिनर के लिए आ गए। राहुल अभी भी अपनी गोपियों के बीच में ही था और हंस हंस कर जैसे मुझे जलाते हुए मजे ले रहा था।

खाना हो जाने के बाद सभी लोग बाहर गार्डन में ही आपस में बातें कर रहे थे। शायद राहुल सही था, मैं ही जलन में पागल हो गयी थी। कैटरर अपने सामन समेट कर जा रहा था। कुछ लोग जा चुके थे और कुछ जाने की तैयारी में थे।

राहुल एक साड़ी वाली लड़की को लेकर वापिस अंदर गया। मुझे दाल में काला लगा, मैं थोड़ी देर बाद अंदर गयी। वो दोनों सामने से बाहर ही रहे थे। राहुल ने उस युवती को बाहर जाने दिया और मेरे लिए वही रुक गया।

राहुल: “तुम मेरा पीछा कर रही हो?”

मैं: “मुझे सब पता हैं तुम आज पार्टी में क्या कर रहे थे, सबसे बड़ा चिपक चिपक कर डांस कर रहे थे। मुझे तो लगा तुम्हे सिर्फ मुझ में रूही दिखाई देती हैं। पहले मुझे रात को यहाँ रुकने को बोल रहे थे, मैंने मना किया तो अभी जो गयी हैं उसको रात को रोकने वाले हो। ”

राहुल: “तुम्हारे अलावा इन सब की कैब मैं बुला चूका हूँ । तुम कहो तो तुम्हारी कैब भी मंगवा लेता हु। एक तरफ मेरा बैडरूम हैं, दूसरी तरफ बाहर जाने का रास्ता। तुम्हारी इच्छा हैं, तुम कहाँ जाना चाहती हो। मैं बाहर सब लोगो को विदा करने जा रहा हूँ”

शायद राहुल सही था, मैं ही जलन में पागल हो गयी थी। राहुल हाल से बाहर जाने लगा और मैं बैडरूम की तरफ मुड़ी तभी उसकी आवाज आयी।

राहुल: “मुझे मेरे चारो काम करने दोगी तो ही अंदर जाना ”

मैं उसके चारो काम याद कर बहुत शरमाई और भाग कर बैडरूम में चली गयी। अंदर जाकर मैंने अपना मेकअप ठीक किया और अच्छे से देख लिया सब ठीक हैं । परफ्यूम लगा लिया और माउथ स्प्रे कर दिया। फिर याद आया पति को तो बोला ही नहीं कि रात को यही रुकने वाली हूँ।

मैंने अपना मोबाइल निकाला जो कल दोपहर से जोसफ के डर से स्विच ऑफ था । मैंने फ़ोन स्विच ऑन किया और अशोक को फ़ोन लगा कर झूठ बता दिया कि आज हम सब ऑफिस वाले यही रुकने वाले हैं, मैं अगली सुबह आ जाउंगी।

इस बीच मेरे फ़ोन पर पांच छह पेंडिंग मैसेज डिलीवर हुए। फ़ोन काट कर मैंने नोटिफिकेशन देखे एक मैसेज जोसफ का था, कोई मीडिया भेजा था। कही ये मेरे और उसके बीच उस दिन हुई चुदाई का वीडियो तो नहीं। मेरी तो मैसेज खोलने की हिम्मत ही नहीं। वैसे भी राहुल ने बोला था कि सैंड्रा सब संभाल लेगी।

मैं सोच ही रही थी कि राहुल बैडरूम में आया और दरवाजा बंद कर लिया। उसके हाथ में एक थर्मस था जो उसने टेबल पर रख दिया। मैं फ़ोन पर्स में रख बेड से उठकर खड़ी हो नजरे नीची कर ली। मेरे यहाँ रुकने का मतलब मेरी उसके साथ आज सुहागरात होने वाली थी।

उसने मेरे पास आकर मुझे पीठ से पकड़ कर अपने सीने से चिपका लिया। फिर उसने पीछे हटते हुए मेरी साड़ी का पल्लू पकड़ लिया और अपनी तरफ खिंच लिया। कंधे पर लगी पिन से साड़ी अटक गयी, मैंने वो पिन निकाल दी और उसने साड़ी मेरे सीने से अलग कर दी और मेरा ब्लाउज और उसके अंदर के उभार दिखने लगे।

मैने पटली पर लगी पिन भी खोल दी। उसने मेरे पेटीकोट में ऊपर से हाथ डाल मेरी साड़ी की पटली को पेटीकोट से बाहर कर दिया। फिर उसने साड़ी खींचना जारी रखा और मैं गोल गोल घूमने लगी। धीर धीरे मेरी साड़ी मेरे पेटीकोट से उतरने लगी।

जब साड़ी पूरी उसके हाथ में आ गयी तब मैं रुकी। मैं अब पेटीकोट और ब्लॉउज में शर्माए खड़ी थी। उसने मुझे खुद अपना ब्रा निकालने को बोला। मैंने उसकी तरफ पीठ कर ली और ब्लाउज के आगे के सारे हुक खोल दिए।

फिर पीठ पर ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर ब्रा का हुक खोल दिया। मैंने ब्लाउज पहने हुए ही अंदर हाथ डाल ब्रा को निकाल दिया. उसने मुझे उसकी तरफ मुड़ने को बोला और मैंने आगे से खुले ब्लाउज को हाथ से पकड़ कर बंद रखा और उसकी तरफ मुड़ गयी।

उसने मुझे बिस्तर पर लेटने को बोला मैं अपने ब्लाउज को पकड़े बंद रख लेट गयी। वो थर्मस लेकर आया और खोल कर उसमे से एक आइस क्यूब निकाल लिया। उसमे से पानी टपक रहा था। उसने मेरे होंठो के ऊपर आइस क्यूब पकडे रखकर दो तीन ठंडी बूंदें गिराई। मेरा मुँह अपने आप ही खुल गया।

उसने अब वो आइस क्यूब मेरी ठुड्डी से लेकर गले तक प्यार से फिराई । मेरी साँसे बहुत तेज हो गयी और मेरे पुरे शरीर में हलचल सी हुई और मैंने अपने हाथ ब्लाउज से हटा लिए और नीचे बिस्तर को कस कर पकड़ लिया।

मेरा ब्लाउज अभी भी मेरे मम्मे ढके हुए थे पर खुले ब्लाउज में दोनों मम्मो के बीच की थोड़ी वादियां दिखने लगी। वो अब आइस क्यूब मेरे पेट पर नाभी के आसपास लगाने लगा। मेरा बदन अब लगातार फड़क रहा था।

मेरी चूत अब थोड़ी गीली हो चुकी थी। उसने अब नया आइस क्यूब निकाला जिस पर लगा पानी टपक रहा था और उसने मेरे ब्लाउज का एक हिस्सा मेरे मम्मे से हटा दिया और आइस क्यूब रगड़ने लगा। उसने पहली बार मेरे मम्मे देखे थे और मेरे शरीर के रोंगटे खड़े हो चुके थे।

मैं अपने सीने को ऊपर उठाये अपने आप को नियंत्रित रखने का प्रयास कर रही थी। मेरे मम्मे पुरे फूल कर निप्पल तन गए थे। उसने दूसरी तरफ से भी ब्लाउज को हटा दूसरा मम्मा बाहर कर दिया। मैं अब भी तेज तेज साँसे ले तड़प रही थी।

उसने आइस क्यूब अपने मुँह में लिया और मेरे मम्मो पर मलने लगा। मैं मुँह खोल बुरी तरह से आहें भर रही थी। थोड़ी देर बाद उसने मुझे छोड़ा। मैं बिस्तर पर हाथ फैलाये पड़ी थी और मेरे मम्मे खुले पड़े थे। मैंने उन्हें ढकने का प्रयास नहीं किया, वैसे भी वो अब सब देख चूका था।

उसने मेरे ऊपर सर लाते हुए मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए और चूसना शुरू कर दिया। मैं भी उसके होंठो को चूसते हुए आनंद लेने लगी। उसकी एक के बाद एक ख्वाहिशे पूरी होती जा रही थी और मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं थी।

क्या राहुल अपनी सारी ख्वाहिशे पूरी सकेगा? पढ़ते रहिये…
Like Reply
#52
wah Badhiya
Like Reply
#53
UPDATE 21 :

मेरे मम्मे देखने की उसकी ख्वाहिश पूरी हो चुकी थी और साथ ही मुझे चूमने की भी। अगले पांच मिनट तक हम एक दूसरे को चूमते ही रहे और उसने अपनी महीनो की अधूरी चाहत पूरी की।

उसके चूमने में एक अपनापन था जो जैक के चूमने में भी था। मेरे होंठो को छोड़ने के बाद उसके होंठ मेरे मम्मो की तरफ बढे और मेरा एक तना हुआ निप्पल अपने होंठ में भर चूसने लगा।

बारी बारी से उसने कभी मेरे निप्पल को चूसा तो कभी अपने मुँह में मेरे मम्मे को भर लिया। मैं उसके चूसने का आनद ले ही रही थी कि उसने अचानक मेरे मम्मे को काट लिया और लव बाइट दे दी। मैं एकदम से चीखी और उस हिस्से को रगड़ कर अपना दर्द मिटाने लगी। तब तक उसने मेरे दूसरे मम्मे पर भी एक निशान दे दिया।

दर्द से ज्यादा मैं इस बात से परेशान थी कि मेरे पति जब इन लव बाइट को देखेंगे और पूछेंगे तो मैं क्या जवाब दूंगी। वो लगातार मेरे मम्मो को को चूसे जा रहा था। चूमते चूमते हुए वो मेरे पेट पर आ गया और मेरा पेट फिर फड़फड़ाने लगा।

उसके इस चूमने से मुझे मजा बहुत आ रहा था और नशे से मेरी आहें भी निकल रही थी। फिर उसने पेट चूमते हुए मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। मैं उसके बालों में हाथ डाल सहलाने लगी। उसने एक हाथ से मेरा पेटीकोट नीचे खिसकाने की कोशिश की।

मैंने खुद ही अपना वजन उठा कर उसको जगह दी और उसने पेटीकोट घुटनो तक नीचे कर दिया। फिर मैंने खुद ही पाँव को झटके मार पूरा पेटीकोट बाहर कर दिया।

उसने अब पेट चूमना बंद किया और मेरी दोनों टांगो के बीच आकर बैठ गया। उसने मेरी नजरो से नजरे मिलाई।

उसके दोनों हाथ मेरी पैंटी पर थे। उसको आखिरकार सामने से मेरी चूत के दर्शन होने वाले थे। धीरे धीरे कर उसने मेरी पैंटी को नीचे किया और जैसे जैसे मेरी चूत दिखने लगी उसकी आँख की चमक बढ़ने लगी।

उसने पूरी पैंटी निकाल दी और अब मैं नीचे से पूरी नंगी थी। उसने मेरे पाँव फोल्ड किये और ऊपर की तरफ उठा कर चौड़े कर दिए और अपना होंठ मेरी चूत पर रख चाटने लगा। सुबह भी उसने ये कोशिश की थी पर सिर्फ पीछे से थोड़ा चूस पाया था पर अब तो सब उसके सामने था।

वो अपनी तीखी जुबान को मेरी चूत की दरार में ऊपर नीचे तेजी से रगड़ रहा था और मैं दोनों हाथों से सर के नीचे लगे तकिये को कस के पकड़े हुए थी।

मेरा पानी निकलना शुरू हो गया और मैंने आहें भरते हुए उसको रोकने की कोशिश की कि उसे कही गंदा न लगे पर उसे जो जैसे स्वाद लग गया था। वो इस तरह मेरा पानी चाट रहा था जैसे सचमुच का फ्रूट जूस पी रहा हो।

उसने मेरी चूत के होंठो को पकड़ कर चौड़ा किया और मेरी चूत का छेद खोल दिया। मेरी चूत के छेद में अब उसकी जबान थी और वो अपनी जबान से ही मुझे चोद रहा था। कभी उसकी जबान आगे पीछ हो रही थी तो कभी लपलपा कर ऊपर नीचे।

मेरे सब्र का बाँध भी अब टूट रहा था। मैं कोशिश कर रही थी अपनी चुदाई से पहले ही कही झड़ ना जाऊ। अपने शरीर को मैंने कस लिया था ताकि मेरी भावनाये ना बह जाए। पर मेरी सारी कोशिशे बेकार जा रही थी।

उसकी जबान लगातार मेरी चूत को भेद रही थी और मैं अपने शरीर के नियंत्रण को छोड़ रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने हार मान ली और अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और चूत को पुरे मजे लेने की छूट दे दी। मेरा पानी और तेज रिसने लगा और मेरी आहें भी।

मेरी मुँह से लगातार आह्ह अहहह उम्म्म्म ऊह्ह्ह आह आह आह आह करते हुए मैं झड़ गयी। मैं बिस्तर पर धराशाई हो पड़ी थी। व वो अब भी मेरे ताजा निकले पानी को चाट रहा था।

उसने अब अपना मुँह ऊपर उठाया। जैसे लस्सी पीने के बाद सफ़ेद मुछे बन जाती हैं वैसे उसके होंठ मेरे पानी से भीगे हुए थे। उसके भीगे होंठ देख मैं और भी शर्माने लगी।

राहुल: “अब बारी हैं तुम्हारा दूध दुहने की”

मैं: “ये क्या बचपना हैं? वैसे भी मेरे अभी दूध नहीं निकलता”

राहुल: “मजा तो मम्मे दुहने का हैं, दूध आये ना आये”

ये कह कर उसने मुझे हाथ पकड़ कर बैठाया वो मेरे पीछे आया और मेरा ब्लाउज पूरा बाहर निकाल दिया। अब मेरे शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। उसने मुझे गाय तरह बैठने को कहा ताकि वो मेरे मम्मे दुह पाए। मैं अपनी हथेलियों और घुटनो के बल बैठ गयी और मेरे सीने से मेरे मम्मे नीचे लटक रहे थे।

उसने अपने दोनों हाथों की मुठ्ठी में मेरे निप्पल पकड़े और बारी बारी से दबा कर नीचे खींचता और फिर ऊपर करता। मेरा एक मम्मा नीचे जाता और दूसरा ऊपर, फिर पहला मम्मा ऊपर और दूसरा नीचे। इस तरह वो मेरे मम्मे से दूध दुहता रहा। अगर सच में दूध होता तो वो दूध की गिलास भर लेता।

मैं: “इसमें तुम्हे क्या मजा आ रहा हैं, इसमें तो सर्फ मुझे मजा आएगा”

राहुल: “मैं सिर्फ प्रैक्टिस कर रहा हूँ, एक दिन जब तुम मेरे बच्चे की माँ बनोगी तब मैं ऐसे ही सच में तुम्हारा दूध निकालूंगा”

उसकी बचकानी बातें सुन मैं शरमा गयी और तुरंत वहा से हट गयी। उसने अब अपने सारे कपड़े निकाल पूरा नंगा हो गया। उसका लंड पूरा तन गया था। आखिर उसे मेरी चूत के दर्शन जो हो गए थे। वो नीचे लेट गया और मैंने अपनी साड़ी से उसके दोनों हाथ ऊपर पलंग से बाँध दिए। मैंने उसका लंड अपने हाथ में लिया वो एक गरम लोहे की छड़ समान खड़ा था।

उसको थोड़ा ठंडा करने के लिए मैंने अपने मुँह में रख गीला कर दिया और फिर थोड़ी देर उसे चूसती रही, उसकी आहें शुरू हो गयी थी। मैं उसकी गोटियों को अपनी जबान से ऊपर नीचे रगड़ने लगी।

मैं अब उसके ऊपर सवार हो गयी। आगे झुक कर उसके निप्पल पर अपनी जबान रगड़ी, उसके रोंगटे खड़े हो गए। नीचे उसका लंड बार बार खड़ा हो कर मेरी चूत को छूने की कोशिश कर रहा था।

मैंने अब अपना हाथ नीचे ले जाकर उसके लंड को अपनी चूत में डाल दिया और उसकी एक गहरी आह निकली। मैं अब आगे पीछे गति करने लगी और उसका लंड अपनी चूत में रगड़ती रही। उसकी आह उह आह उह आह चलती रही।

थोड़ी देर में वो भी अपनी लोहे की छड़ को अंदर बाहर धक्का मार रहा था। उसने अब मेरे से गन्दी बातें शुरू कर दी और मैं भी मजे में उसका साथ देती रही, इससे हमारा मजा दुगुना हो रहा था ।

राहुल: “तुम्हारी चूत में क्या हैं?”

मैं: “कोक”

राहुल: “हिंदी में बोलो”

मैं: “लंड”

राहुल: “किसका?”

मैं: “तुम्हारा”

राहुल: “नाम लेकर बोलो, मैं क्या कर रहा हूँ”

मैं: “मेरी चूत में राहुल का लंड हैं ”

राहुल: “क्या कर रहा हैं ये भी बताओ ”

मैं: “चोद रहा हैं”

हम दोनों के झटको की गति एकाएक बढ़ गयी और हमारी सिसकियाँ भी बढ़ने लगी।

मैं: “आह्ह आह्ह राहुल, तुम्हे मुझे चोदना था ना। अम्म हा बोलो, मुझे चोदोगे ना अहअहअहअह”

राहुल: “आआआआआह ओह प्रतिमा तुम्हारी चूत उह्ह्ह मैं चोदूंगा, चोदने दोगी ”

मैं : “हां आह आह तुम्हारी ही हैं ये चूत उउउह जितनी मर्जी उतनी चोद दो। करलो पूरा करलो हां ये वाला कर लो हम्म्म आह्ह उह्ह ”

राहुल: “ओह प्रतिमा, ओह प्रतिमा, आअह्ह ऊहहुहुहु ऊहहुहुहु या या या फक यु फक यु आह आह आह हाथ खोलो मेरे… आह आह …मेरा पानी बाहर आ रहा हैं.. ऊहहु ऊहहु उउउउउउउउउ आअहाहा आअहाहा”

मैं: “उई माँ …निकाल दो पानी मेरी चूत में, हां उह माँ आईईई आअह्ह आअह्ह आअह्ह”

राहुल ने अपना सारा पानी मेरी चूत में खाली कर दिया और हम दोनों झड़ गए।

मैं उसके ऊपर से हटी और उसके हाथ खोल दिए। हम दोनों बाथरूम से साफ़ होकर वापिस आये। हम दोनों नंगे ही बिस्तर में घुस गए और एक दूसरे की तरफ मुँह कर आमने सामने लेट गए। एक बार वो मुझे मेरे होंठो पर चूमता तो एक बार मैं उसे चूमती। हम दोनों एक दूसरे की कमर में हाथ डाले एक दूसरे की तरफ देखते देखते सो गए।

अगली सुबह मेरी नींद खुली। मैं सीधी लेटी थी और और राहुल मेरी तरफ करवट लेकर लेटा था। उसका एक हाथ मेरे एक मम्मे के ऊपर था और उसकी दोनों टांगो के बीच मेरी एक जांघ फांसी हुई थी। मुझे उसकी बाहों में बहुत ही सुकून मिल रहा था। वो भी शायद उठ चूका था या शायद कोई सपना देख रहा था। उसका लंड एकदम कड़क था और मेरी जांघो को चुभ सा रहा था।

उसके हाथ की मेरे मम्मे पर पकड़ थोड़ी मजबूत हुई और वो मलने लगा। उसने भी अब आँख खोली और मुझे देख मुस्कुराने लगा। उसने अपनी ऊपर वाली टांग थोड़ी और उठा कर मेरी चूत पर ले आया और अपनी टांग से मेरी चूत रगड़ने लगा।

मैं: “क्या हो रहा हैं ये?”

राहुल: “मेरे लंड की गाड़ी को पार्किंग करनी हैं इसलिए तुम्हारी चूत को गराज की तरह तैयार कर रहा हूँ ”

मैं: “कल रात को ही तो पार्किंग की थी, पेट नहीं भरा”

राहुल: “पेट भर गया, अब तुम्हारी चूत को भरूंगा अपने पानी से”

ये कहत हुए वो मेरे ऊपर चढ़ गया और अपना लंड मेरी चूत में घुसाने लगा। मैंने उसको अपने से दूर किया।

मैं: “पहले मुझे बाथरूम जाकर तैयार होने दो, ज्यादा मजा आएगा। और तुम भी बाथरूम हो आओ”

मैं उठ करअटैच वाशरूम में गयी और पंद्रह मिनट बाद बाथरूम और माउथवाश कर आयी। बाहर आकर देखा वो अभी भी लेटा हुआ था।

मैंने उसको जबरदस्ती वाशरूम में भेजा। मैं अब बिस्तर पर आकर बैठ गयी। मेरा ध्यान मेरे मोबाइल पर गया। जोसफ का भेजा वीडियो अभी तक नहीं देखा था।

मैंने मोबाइल लिया और वो वीडियो देखना शुरू किया।

ये वीडियो राहुल के केबिन का था और उसमें सैंड्रा की भी आवाज थी। ये परसो का वीडियो था जब सैंड्रा और जोसफ डील साइन करें ऑफिस आये थे। वो सारी बातें सुन कर मैं सदमे में आ गयी। वो कुछ इस तरह था:

सैंड्रा: “तो आखिर प्रतिमा को चोद ही दिया तुमने”

राहुल: “थैंक यू, सब तुम्हारी वजह से मुमकिन हुआ। तुम वो गांड मारने की शर्त ना रखती तो प्रतिमा शायद ही मानती मेरे साथ चुदवाने के लिए”

सैंड्रा: “मैं तो उसी दिन करवा देती तुम्हारा मिलन पर उसने तुम्हारी जगह जोसफ को चुन लिया। इस जोसफ को मुफ्त में चुदाई मिल गयी”

राहुल: “तुमने मुझे उसके पुरे कपड़े क्यों नहीं खोलने दिए उस दिन। ”

सैंड्रा: “तुमको कितनी बार बोला मुझे भी कभी चोद दो, कभी हां नहीं बोलते तुम। उस दिन पहली बार तुम्हारा लंड देख के मेरी नीयत ख़राब हो गयी और प्रतिमा की जगह मैं खुद बीच में आ गयी अपनी चुदवाने के लिए । ”

राहुल: “तुमको फिर सजा मिली, गाँड़ फाड़ दी थी तुम्हारी मैंने। पर अभी तक प्रतिमा के बूब्स नहीं देख पाया हूँ”

सैंड्रा: “तो आज सुबह गांड मारते वक्त भी कुछ नहीं दिखाया उसने”

राहुल “नहीं, बहुत शर्मीली हैं। पर एक दिन उसको पूरा पाकर रहूँगा”

सैंड्रा: “तुम इसके पीछे इतना क्यों पड़े हो ”

राहुल: “बचपन से जिद्दी रहा हु, जो माँगा मिला हैं। प्रतिमा ने एक पार्टी में उसको चूमने से मुझे रोक दिया था। मेरे दिल पर लगी थी ये बात। उसी दिन सोच लिया था इसकी चुदाई करूँगा”

सैंड्रा: “बेचारी को बहुत पागल बनाया डील के नाम पर। डील को तो बॉब ने मंजूरी दे ही दी थी । तुम्हारी बॉब के साथ सेटिंग माननी पड़ेगी।”
राहुल “बेवकूफ तो बना दिया, पर.. ”

और वीडियो कट हो गया। मेरे होश फाख्ता हो गए। मुझे बिस्तर तक लाने की ये सब राहुल की चाल थी।

जिस पर इतना भरोसा किया उसने मुझे ही धोखा दिया था। अब मेरा अगला कदम क्या होगा मुझे सोचना था।
Like Reply
#54
UPDATE 22 :

जोसफ द्वारा भेजा वीडियो देखने के बाद मैं ठगा सा महसूस कर रही थी। ये साफ़ हो गया कि राहुल ने मुझे बिस्तर तक लाने के लिये मुझे धोखा दिया था।

मैंने अपने कपडे पहनना शरू कर दिया। मुझे जल्दी से यहाँ से निकलना था। कपडे पहनते वक्त मैं सोच रही थी काश मैंने ये वीडियो कल रात को ही देख लिया होता तो राहुल मेरे जिस्म के साथ खिलवाड़ नहीं कर पाता।

उससे भी पहले मुझे अपना फ़ोन स्विच ऑफ नहीं करना था। वरना मैं इस पार्टी में आती ही नहीं। जोसफ ने तो मुझे बचाने की कोशिश की थी।

शायद उस दिन फार्म हाउस पर वो जो इशारे कर रहा था वो इसी साजिश की तरफ थे, मैं ही मुर्ख समझ नहीं पायी और उसको गलत समझती रही।

सच में दिखावे पर नहीं जाना चाहिए था। जोसफ भले ही खतरनाक दीखता हो पर उसका दिल साफ़ हैं, जबकि राहुल सुन्दर होते हुए भी दिल का काला हैं। मेरे जैक के साथ रिश्ते के बारे में जोसफ ने सैंड्रा को नहीं बताया होगा, ये भी सैंड्रा को राहुल ने ही बताया होगा अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए।

मैंने कपड़े पहन लिए थे और मोबाइल वापिस पर्स में रख सैंडल पहन लिए। मैं जाने को तैयार थी और राहुल बाथरूम से बिना कपड़ो के बाहर निकला।

राहुल: “अरे कपड़े पहन लिए, अभी तो काम बाकी हैं डिअर”

मैंने अपना मोबाइल निकाल वीडियो चलाया और उसकी तरफ स्क्रीन कर दी।

मैं: “ये देखो, तुम्हारी काली करतूत रिकॉर्ड हैं।”

राहुल: “सॉरी प्रतिमा। मेरी बात सुनो, मैं समझाता हूँ तुम्हे”

मैं: “जितना सुनना था सुन लिया ”

राहुल: “पर ये पूरा सच नहीं हैं। मुझे पूरी बात बताने का मौका तो दो”

मैं अब बैडरूम से बाहर आ गयी और अपना मोबाइल वापिस पर्स में डाल दिया, वो मेरे पीछे पीछे आया और मुझे रोकने की कोशिश करने लगा। वो दौड़ कर मेरे आगे आया और बाहर जाने वाले दरवाजे को रोक कर खड़ा हो गया।

राहुल: “सिर्फ दो मिनट दो, मैं तुम्हे पूरी बात बताता हूँ, फिर तुम फैसला करना मैं गलत हु या नहीं”

मैं वापिस पीछे मुड़ी और हॉल के उस दरवाजे से बाहर निकली जो बालकनी में खुलता हैं। वो फिर मेरे पीछे पीछे आया रोकने को। मैं बालकनी में आकर उसके आगे बनी सीढ़ियों से नीचे गार्डन की तरफ उतरी। सीढ़िया उतरने के बाद उसने पीछे से आकर मेरा हाथ पकड़ लिया। मैंने उससे अपना हाथ छुड़ाया। उसने फिर मेरे कंधे से मेरा पर्स उतार लिया और अपने पीछे कर लिया।

राहुल: ‘पहले तुम मेरी बात पूरी सुनो फिर मैं तुमको पर्स दूंगा। फिर चाहे तो तुम चली जाना। आई रियली लव यु ”

वो बिना कपड़ो के वहां खड़ा था और मुझे शर्म आ रही थी कि इसके फार्म हाउस का केयरटेकर ये तमाशा देखेगा तो क्या सोचेगा। मैंने अपना पर्स लिए बिना ही वहां से जाने का सोच लिया और चल पड़ी। थोड़ा आगे आकर उसने एक बार फिर मेरा हाथ पकड़ लिया, मैं छुड़ाने का प्रयास करने लगी और वो मुझसे रुकने की गुजारिश करता रहा।

इस खींचातानी में मेरा हाथ दर्द करने लगा और मैं चीखी कि मुझे दर्द हो रहा हैं और उसने मुझे छोड़ दिया। मैं इसके लिए तैयार नहीं थी और पीछे की तरफ दम लगाने के कारण मैं तेजी से पीछे की तरफ गयी और लड़खड़ा कर पास में बने स्वीमिंग पूल में गिर गयी।

मेरा सर पानी के अंदर चला गया। मैं पूल के ज्यादा गहराई वाली जगह थी और मुझे इतना अच्छा तैरना नहीं आता खास तौर से जब मेरे पुरे कपड़े भीग गए हो और साड़ी पेटीकोट पहना था जो भीग कर मेरे शरीर से चिपक गए थे । मगर जल्द ही राहुल भी पूल में कूद पड़ा और मुझे पीछे से पकड़ कर खड़ा हो गया। उसने मुझे जमीन से थोड़ा ऊपर उठा रखा था।

वो मुझे ऐसे ही उठाये थोड़ा आगे लेकर आया जहा पूल का पानी थोड़ा कम गहरा था। उसने मुझे नीचे उतार पैर जमीन पर टिकाये और मेरी सलामती पूछने लगा।

उसने मुझे अभी भी पकड़े रखा था। मैंने उसको धक्का दिया और पूल की सीढ़ियों की तरफ भागी बाहर आने को। पर मेरी साड़ी खींची और मैं रुक गयी।

मैंने पलट कर देखा उसके हाथ में मेरी साड़ी का पल्लू था, शायद धक्का देते वक्त उसके हाथ में आ गया था। मैंने उसको साड़ी छोड़ने को बोला पर वो मुझे रुकने के लिए बोलने लगा और मेरी तरफ बढ़ा।

मैंने अपनी साड़ी जल्दी से पेटीकोट से अलग की और आगे बढ़ी। मेरी पूरी साड़ी पेटीकोट से अलग हो गयी और मैं पूल की सीढ़ी से ऊपर चढ़ गयी और पूल से बाहर आयी। मगर उसने पूल में खड़े खड़े ही मेरा एक पाँव पकड़ लिया और जाने नहीं दिया।

मैं वही बैठ गयी और अपना पाँव झटक कर छुड़ाने लगी पर उसने नहीं छोड़ा। मैंने मदद के लिए देखा, उसका केयरटेकर जहां रहता था वहा ताला लगा था, शायद उसने उसको कल रात को ही छुट्टी दे दी थी ताकि मेरे साथ रात गुजार पाए। अब सीढ़ी से चढ़ वो भी बाहर आ गया।

बाहर आते ही उसने मेरा पाँव छोड़ा और मुझे अपनी बात सुनाना चाहा पर मैं उठ कर फिर भागी अपने पर्स की तरफ। वो मेरे पीछे ही था।

अपने भीगे कपड़ो में मैं बहुत असहज महसूस कर रही थी। मैं जैसे ही अपने पर्स को उठाने के लिए झुकी उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया। मैं वही औंधे मुँह गिर पड़ी और वो मेरे ऊपर। उसने मुझे सीधा किया और अपनी बात सुनानी चाही पर मैं उसपर चीखते हुए हटाती रही।

अपनी बात सुनाने के लिए उसे मुझे कमजोर करना बहुत जरुरी था और उसे मेरी कमजोरी अब तक पता चल गयी थी। उसने मेरा गीला पेटीकोट नीचे से थोड़ा ऊपर उठाया और अपना हाथ अंदर डाल मेरी पैंटी खींच कर बाहर निकालने लगा।

मैंने उसको रोकना चाहा पर कामयाब नहीं हुई और उसने मेरी पैंटी थोड़ी नीचे खिसका दी और अपनी एक ऊँगली मेरी चूत में घुसा दी।

अंदर ऊँगली जाते ही उसने ऊँगली को अंदर गोल गोल घुमा अंदर बाहर करने लगा। जैसे एक रोते हुए बच्चे के मुँह में निप्पल डाल उसको शांत करा देते हैं वैसे ही उसकी ऊँगली के मेरी चूत में हरकत होते ही मेरा चिल्लाना बंद हो गया और हलकी सिसकियाँ निकलने लगी।

उससे अच्छे से पता था मुझे नियंत्रण करने की चाबी कहा हैं और वो मेरी चाबी घुमा कर मुझे नशा दे रहा था । एक हाथ से मेरा कंधा दबाये उसका चेहरा मेरे चेहरे के पास था।

राहुल: “आई एम सॉरी इसके लिए पर मैं ऐसा नहीं करता तो तुम मेरी बात नहीं सुनती। अब सुनो

मेरे सर पर नशा चढ़ रहा था और मैं उसकी बात नहीं सुनना चाहती थी। मुझे कुछ नहीं सुझा और अपने होंठो से उसको होंठो को काटना चाहा पर उसके होंठ पर छूते ही उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया। मैं कुछ ना कर पायी और नीचे चूत में होती हलचल के साथ ही मैं खुद भी उसको चूमने लगी। थोड़ी देर तक हम एक दूसरे को यु ही चूमते रहे फिर उसने मुझे कहना शुरू किया ।

राहुल: “मैं मानता हु की मैंने तुम्हे पाने के लिए गलत तरीका इस्तेमाल किया था पर मैं तुम्हे प्यार करता हु। पता नहीं जोसफ ने तुम्हे पूरा वीडियो भेजा या नहीं पर तुमने जो सुना वो आधा सच हैं ”

मैं: “अहह मुझे नहीं सुनना उम्म अहह अहह ”

उसने अपनी ऊँगली निकाल दी। किसी बैटरी से चलने वाले खिलौने की बैटरी निकाल दी हो वैसे मेरी सिसकियाँ शांत हो गयी पर उस हलके नशे में अभी भी पड़ी थी।

उसने मेरी पैंटी पूरी निकाल दी और आगे से पेटीकोट कमर तक ऊपर कर दिया। वो मेरे ऊपर चढ़ गया और अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया। पतली ऊँगली के बाद उसके मोटे लंड के मेरी चूत के अंदर जाते ही मेरा नशा और बढ़ गया।

इसके बाद उसने एक के बाद एक जोर के धक्के मारना शुरू कर दिया और मैं अपने हाथ दोनों तरफ फैलाये आहें भरने के अलावा कुछ नहीं कर पायी।

थोड़ी देर मुझे वही खुले में चोदते हुए वो अपनी सफाई दिए जा रहा था कि वो मुझे बहुत प्यार करता हैं और मैं उसकी गलती को पहली गलती मान उसे माफ़ कर दू।

मेरे पति ने तो सिर्फ मजे के लिए मुझे अपने दोस्तों को सौंप दिया था इसने तो मुझे दुसरो के हाथों में जाने से बचाया ही था । मुझे उसके प्यार पर कभी शक नहीं था और उसकी आँखों में सच्चाई दिख रही थी पर मैं उसके धोखे को कैसे भुला देती। तभी मेरे मोबाइल की घंटी सुनाई दी जो पर्स के अंदर से आ रही थी।

मैंने अपना हाथ पीछे बढ़ा कर पर्स को अपनी तरफ खिंचा और अंदर से मोबाइल निकाला।

अशोक का कॉल था, मुझे सुबह घर पहुंचना था और अभी मैं इस मुसीबत में फंसी थी। राहुल मेरे सीने से उठा और बिना अपना लंड बाहर निकाले मेरी टाँगे अपनी मुड़ी जांघो पर रख दी और बैठे बैठे ही बहुत धीमे धक्के मारता रहा ताकि मैं बात कर पाऊ।

अशोक किसी से मिलने जाने वाला था और मेरा इंतजार कर रहा था ताकि मैं बच्चे को संभाल सकू। मेरे कपड़े पुरे गीले हो चुके थे और इस तरह जा नहीं सकती थी तो मैंने उसको एक दो घंटे में आने का बोल कर बच्चे को माँजी के पास छोड़ने को बोल दिया। फिर मैंने फ़ोन रख दिया और उस पर चिल्लाने लगी ।

मैं: “तुम्हे सिर्फ मेरा जिस्म चाहिए था ना, तो ले लो, जो चाहिए ले लो”

ये कहते हुए मैंने अपने ब्लाउज के हुक खोल दिए और ब्लाउज को सामने से हटा कर ब्रा को उसके सामने कर दिया। अपने ब्रा को भी हटाने की कोशिश की पर पीठ पर हुक लगे होने से नहीं खिसका पायी। उसने अब तक मुझे धीमे धक्के मारने भी बंद कर दिये थे। मैंने अपने हाथ फिर जमीन पर फैला दिए।

मैं: “बोलो क्या चाहिए तुम्हे? लेलो कुछ नहीं कहूंगी। तुम इसी के भूखे हो, कर दो नंगा मुझे”

उसने मेरे कंधे पकड़ मुझे ऊपर उठाया और मेरा गीला ब्लाउज मेरे कंधे से निकाल पूरा बाहर कर दिया और हाथ पीछे ले जाकर मेरे ब्रा का हुक खोल दिया। मेरी तो रोने जैसी हालत थी। वो सच में मुझे नंगा कर रहा था। उसने मेरा ब्रा पूरा निकाल मुझे टॉपलेस कर दिया। मैं लगभग सुबकते हुए फिर लेट गयी।

उसने अब मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोला और अपना लंड मेरी चूत से निकाल दिया। फिर उसने मेरा गीला पेटीकोट मेरी टांगो से निकाल मुझे पूरा नंगा कर दिया। वो उठ गया और मैं वही लेटी रही।वो वापिस पीछे की तरफ गया और पूल में हाथ डाल वहा तैर रही मेरी साड़ी अपने हाथों में समेट कर ले आया। वापिस आकर उसने मेरे बाकि के कपड़े उठाये।

राहुल: “मैं ड्रायर में डाल कर कपड़े सूखा देता हूँ, फिर तुम्हे घर छोड़ दूंगा”

ये कह कर वो वहा से घर के अंदर चला गया। मैं पूरी नंगी वहा लेटी की लेटी रह गयी। मैं उसको समझ ही नहीं पा रही थी। मेरा शरीर पाने के लिए उसने मुझे धोखा दिया और अभी उसके पास मौका था तो उसने कुछ नहीं किया। पता नहीं उसका असली रूप क्या हैं।
Like Reply
#55
NICE STORY
Like Reply
#56
wah badhiya
Like Reply
#57
where r u please update
Like Reply




Users browsing this thread: 3 Guest(s)