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Incest जिस्म की प्यास
#1
जिस्म की प्यास





मेरा भाई रमेश एक 20 साल का हट्टा कट्टा नौजवान है. मैं अपने बेडरूम में आकर एक कुर्सी पर बैठ गई और जानबूझ कर अपना पल्लू गिरा दिया जिससे कि रमेश मेरी चुंचियों को देख सके. मैंने उस दिन एक बहुत ही छोटा ब्लाउज पहन रखा था और उसका गला बहुत ही लो-कट था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मैं एक 25 साल की खूबसूरत सेक्सी औरत हूँ. मेरा मर्द मुझसे पाँच साल बड़ा है और वो एक उद्योगपति है. वो काम में एकदम पागल आदमी है. बिजनेस के सिवाय उसको कुछ नहीं दिखता. उसके व्यस्त होने के कारण हम एक दूसरे के साथ बहुत कम मिल पाते हैं.

हमारा अभी तक कोई भी बच्चा नहीं हुआ है. शुरू के दो तीन साल में हम लोगों की सेक्स लाइफ बहुत ही अच्छी थी. उसके बाद वो काम के चक्कर में बहुत फँस गया और मैंने किट्टी पार्टी और लेडीज़ पार्टी जॉयन कर ली.

इस तरह की किट्टी पार्टी और लेडीज पार्टी में सिर्फ़ शराब व ब्लू फ़िल्म चलती थी. औरतों में चूत चूमना और चूत चाटना खुले रूप में होता था. मुझे भी दिल बहलाने का बहाना मिल गया था. मैं इसमें बहुत खुश थी.

एक बार होली पर मेरा पति अपने काम से बाहर गया हुआ था. मैं लेडीज किट्टी पार्टी में चली गई. उस दिन किट्टी पार्टी में बहुत शराब पी गई और हम लोगों ने ताश भी खेले.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
मैं एक 25 साल की खूबसूरत सेक्सी औरत हूँ. मेरा मर्द मुझसे पाँच साल बड़ा है और वो एक उद्योगपति है. वो काम में एकदम पागल आदमी है. बिजनेस के सिवाय उसको कुछ नहीं दिखता. उसके व्यस्त होने के कारण हम एक दूसरे के साथ बहुत कम मिल पाते हैं.

हमारा अभी तक कोई भी बच्चा नहीं हुआ है. शुरू के दो तीन साल में हम लोगों की सेक्स लाइफ बहुत ही अच्छी थी. उसके बाद वो काम के चक्कर में बहुत फँस गया और मैंने किट्टी पार्टी और लेडीज़ पार्टी जॉयन कर ली.

इस तरह की किट्टी पार्टी और लेडीज पार्टी में सिर्फ़ शराब व ब्लू फ़िल्म चलती थी. औरतों में चूत चूमना और चूत चाटना खुले रूप में होता था. मुझे भी दिल बहलाने का बहाना मिल गया था. मैं इसमें बहुत खुश थी.

एक बार होली पर मेरा पति अपने काम से बाहर गया हुआ था. मैं लेडीज किट्टी पार्टी में चली गई. उस दिन किट्टी पार्टी में बहुत शराब पी गई और हम लोगों ने ताश भी खेले. फिर हम औरतों ने एक हिन्दी पोर्न फ़िल्म भी देखी जो बहुत ही गर्म थी. उसके बाद हम औरतों ने चुम्मा चुम्मा खेला और चूत चटाई भी की. यह सब रात के तीन बजे तक चलता रहा. मैंने बहुत शराब पी ली थी और मुझे घर तक मेरी एक सहेली अपनी कार में छोड़ गई.
घर पर मेरे भाई रमेश ने सहारा देकर मुझे मेरे बेडरूम तक पहुँचाया. मैंने इतनी शराब पी रखी थी कि मैं ठीक तरह से चल भी नहीं पा रही थी. आज मैं किट्टी पार्टी में गर्म पोर्न मूवी देख कर बहुत ही गर्म हो गई थी.
मेरी चुन्चियाँ बहुत फड़क रही थीं और मेरी चूत से पानी निकल रहा था जिससे मेरी पैंटी तक भीग गई थी. जैसे ही मेरा भाई मुझको सहारा देकर मेरे बेडरूम तक ले आया, मेरा मन उसी से चूत चुदवाने का हो उठा.
मेरा भाई रमेश एक 20 साल का हट्टा कट्टा नौजवान है. मैं अपने बेडरूम में आकर एक कुर्सी पर बैठ गई और जानबूझ कर अपना पल्लू गिरा दिया जिससे कि रमेश मेरी चुंचियों को देख सके. मैंने उस दिन एक बहुत ही छोटा ब्लाउज पहन रखा था और उसका गला बहुत ही लो-कट था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
रमेश का लंड मेरी चुन्ची देख कर धीरे धीरे खड़ा होने लगा और उसको देख कर मैं और चुदासी हो गयी. मुझे लगा कि मेरा प्लान काम कर रहा है. उसकी पैंट तम्बू के जैसे उठने लगी. मैं धीरे से मुस्कराई और मैंने हाथ से अपने बाल पीछे कर लिये.
मैं जानबूझ कर उसको अपनी चुन्ची की झलक दिखाना चाहती थी. मैं अपने कन्धों को और पीछे ले गई जिससे कि मेरी चुन्ची और ज्यादा बाहर की तरफ़ निकल गई.
उसकी पैंट और अधिक उठने लगी और मैं मन ही मन मुस्करा रही थी. मुझे यकीन था कि मेरा काम बन जाएगा. उसके लंड के उठाव को देख कर लग रहा था कि थोड़ी ही देर में मैं उसकी बाँहों में होऊंगी और उसका लंड मेरी चूत अच्छी तरह से कसकर चोद रहा होगा.
मैंने अपने भाई से कहा- जाओ दो गिलास और एक स्कॉच की बोतल हमारे कमरे से ले आओ!
वो बोतल उठा लाया. एक पैग मैंने अपने लिये बनवा लिया और उसको भी पीने के लिए कहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
वो भी शायद अपनी बहन की चुदाई का सपना देख रहा था इसलिए मेरा हर कहा मान रहा था.
वो भी मेरे सामने खड़ा होकर शराब पीने लगा और उसका लंड मैं उसकी पैंट में तना हुआ साफ देख पा रही थी.
पूरा गिलास खाली करने के बाद मैंने अपने ब्लाउज के ऊपर से अपनी चुन्चियों को मसलना शुरू किया. रमेश अभी भी अपने होंठों से गिलास को लगाये हुए था लेकिन उसकी नज़र मेरे हाथों पर थी जो मेरी चुन्चियों को दबाने लगे थे.
ये देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया. मैं भी उसको तड़पा कर मजा ले रही थी. मैं उसकी पैंट की तरफ़ देख रही थी, जो अब तक बहुत ही फूल चुकी थी. मैं समझ गई कि उसका लंड अब बिल्कुल फटने को हो गया है और वो मुझे चोदने के लिए पागल हो चुका है.
फिर मैंने ब्लाउज को खोल दिया और अपने बड़े बड़े स्तनों को उसके सामने आजाद कर दिया. मैं अपने दोनों खरबूजों को सहलाने और मसलने लगी. रमेश मेरे आधे नंगे जिस्म को बहुत अच्छी तरह से देख रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
मैंने मादक सी आवाज में उससे पूछा- क्या हुआ रमेश, क्या देख रहे हो?
वो कुछ नहीं बोल पा रहा था. उसका चेहरा वासना और आश्चर्य से भरा हुआ था. उसके माथे पर पसीना आ गया था.
फिर मैंने उसके लंड की ओर देखकर कहा- लगता है तुम्हारा खड़ा हो गया है. क्या तुम इसको शांत नहीं करना चाहोगे?
मैंने अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी चूत पर हाथ फिराते हुए कहा.
अपनी ही जुबान से निकल रही इस तरह की गन्दी बातों से मैं और ज्यादा उत्तेजित हो रही थी. मेरी चूत उसका लंड खाने के लिए फड़फड़ाने लगी. मेरे दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी कि कब रमेश का लंड मेरी चूत में घुसेगा और मुझे जोर जोर से चोदेगा.
मैं अपने कपड़ों को धीरे धीरे से खोलने लगी और यह देख कर रमेश की आँखें फैलने लगीं. मैंने धीरे से अपनी साड़ी उतार दी. मैंने अपना पेटीकोट भी धीरे से उतार फेंका और फिर पैंटी भी उतार डाली.
अब मैं अपने भाई रमेश के सामने बिल्कुल नंगी हो कर खड़ी हो गयी. रमेश मुझको फ़टी आँखों से देख रहा था. मेरी बाल सफा, भीगी चूत उसकी आँखों के सामने थी और वो उसके लंड को लीलने के लिए बेताब हो रही थी.
मैंने रमेश से धीरे से पूछा- ओह रमेश … कब तक देखते रहोगे? आओ … मेरे पास आओ, और मुझे चोदो. देख नहीं रहे हो मैं कब से अपनी चूत खोले चुदासी हुई पड़ी हूँ? आओ, पास आओ और अपने मोटे लंड से मेरी चूत को खूब अच्छी तरह से रगड़ कर चोदो!
मेरी इस बात को सुन कर वो हरकत में आ गया. वो मेरे सामने अपने कपड़े उतारने लगा. उसने पहले अपनी शर्ट को उतारा. फिर उसने अपनी चड्डी भी धीरे से उतार फेंकी. चड्डी उतारते ही उसका लंड मेरी आंखों के सामने आ गया.
उसका लंड इस समय बिल्कुल खड़ा था और चोदने को बेताब होकर झूम रहा था. मैं उसके लंड को बड़ी बड़ी आँखों से घूर रही थी. उसका लंड मेरे पति के लंड से ज्यादा बड़ा और मोटा था.
मैं उसका लंड देख कर घबरा गयी थी लेकिन मेरी चूत उसके लंड को खाने के लिए फड़फड़ा रही थी. मैं अपनी कुर्सी से उठ कर उसके पास जाने लगी, लेकिन मेरे पैर लड़खड़ा गए. मैं गिरने लगी और रमेश ने आकर मुझको अपने बदने से चिपका कर संभाल लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#7
एक झटके में रमेश का हाथ मेरी चुन्ची पर था. वो मेरी एक चुन्ची को अपने मुंह के अन्दर लेकर चूसने लगा. मैं बहुत शराब पीने के कारण खड़ी नहीं हो पा रही थी. मैं फर्श पर गिर पड़ी.
रमेश ने मुझको फट से पकड़ लिया और हम दोनों कार्पेट पर गिर गए. रमेश का हाथ मेरी चुन्ची पर था और रमेश वैसे ही पड़ा रहा. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैंने धीरे से रमेश से कहा- रमेश मेरी चुन्ची तो दबाओ, खूब जोर से दबाओ, इनको अपने मुंह में लेकर चूसो, इनसे खूब खेलो.
इतना सुनते ही रमेश मेरे ऊपर टूट पड़ा और मेरी चुंचियों से खिलवाड़ करने लगा. मैंने अपना दाहिनी तरफ का दूध उसके मुंह पर लगा दिया और कहा- आह्ह … लो … इसे अपने मुंह में लेकर खूब जोर से चूसो.
रमेश मेरे दूध को मुंह में लेकर चूसने लगा. मैं अपनी कामवासना में पागल हो रही थी. मेरी चूत से पानी निकल रहा था. रमेश मेरी दोनों चुंचियों को बारी बारी से मसल रहा था और चूस रहा था.
मैं उसकी दूध चुसाई से पागल सी हो गयी और उसका एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर ले गयी. मेरी चूत को छूते ही रमेश ने पहले मेरी चूत के मोटे मोटे उभरे हुए होंठों पर हाथ फिराया और अपनी बीच वाली उंगली को मेरी चूत में घुसा दिया.
मेरा भाई अब मेरी चूत को अपनी उंगली से चोद रहा था. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने अपने दोनों हाथों से रमेश का लंड पकड़ लिया और उसको मसलने लगी.
रमेश के मुंह से सी … सी … करके सिसकारियां निकलने लगीं. मैंने भाई का लंड पकड़ कर उसका सुपारा निकाल लिया और उस पर एक चुम्मा जड़ दिया. रमेश अब जोर जोर से मुझे अपनी उंगली से चोद रहा था.
मैं रमेश का लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और वो अपने लंड को मेरे मुंह में जोर जोर से ठेलने लगा. थोड़ी देर के बाद मुझको लगा कि रमेश अब झड़ जायेगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
सिसकारते हुए मैं बोली- आह्ह रमेश … चोद … चोद … अपनी दीदी के मुंह को खूब जोर जोर से चोद और अपना माल अपनी दीदी के मुंह में गिरा दे.
थोड़ी देर के बाद रमेश सिसकारते हुए बोला- आह्ह … दीदी … मैं झड़ रहा हूँ.
उसने अपना सारा माल मेरे मुंह में डाल दिया. मैंने उसके लंड का माल पूरा का पूरा पी लिया.
मैंने धीरे से रमेश से पूछा- अपनी दीदी को चोदेगा? तेरे जीजा की बहुत याद आ रही है. मेरी चूत बहुत प्यासी हो रही है.
रमेश ने मेरी दोनों चुंचियों को पकड़ कर कहा- दीदी अपनी चूत पिलाओ न? पहले दीदी की चूत चूसूंगा, फिर जी भर कर चोदूंगा.
रमेश का लंड मैं अपने हाथों में पकड़ कर खेल रही थी.
मैंने कहा- तेरा लंड तो बहुत विशाल है रे!
उसने पूछा- आपको पसंद आया दीदी?
उसका लंड हाथ से सहलाती हुए मैं बोली- यह तो बहुत प्यारा है. किसी भी लड़की को चोद कर मस्त कर देगा.
फिर मैं चित होकर चूतड़ों के बल लेट गयी और अपनी टांगें फैला कर बोली- ले … अपनी दीदी की चूत को प्यार कर. जी भर कर पी ले इसे. पूरी रात पीता रह अपनी दीदी की चूत.
रमेश मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा. वो मेरी चूत को पूरी अंदर तक चाट रहा था. कभी कभी उसकी जीभ मेरी चूत के मटर-दाने पर भी चाटने लगती थी. कभी वो उसको दांतों में लेकर काट देता था और मैं पागल हो जाती थी.
अपनी चूत चटाई करवाते हुए मैं बिल्कुल पागल हो गयी और बड़बड़ाने लगी- आआ … आह्हह … मेरे राजा भैया, बहुत मजा आ रहा है. चूसो, खूब जोर से चूसो … ओह … ऊ … ओईई … ओह … पी जा इसे।
मैं उसका सिर पकड़ कर उसके मुंह में अपनी चूत को चूतड़ उछाल उछाल कर रगड़ रही थी. मैं उसकी चूत चटाई से बिल्कुल पागल हो गयी और रमेश के मुंह पर ही झड़ गयी.
रमेश मेरी चूत से निकला पूरा का पूरा पानी पी गया.
मैं फिर से बड़बड़ाने लगी- ओह रमेश … अब अपनी दीदी को चोद दे. अब नहीं रुका जा रहा … अपने लंड को मेरे चूत में घुसा दे … पेल दे अपने लंड को मेरी चूत में … प्लीज़ राजा … अब चोदो ना!
अब वो मेरी टांगों के बीच में आ गया और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुंह पर रख कर धक्का लगाने लगा. उसका लंड फिसल रहा था.
मैं हंस पड़ी और बोली- साले अनाड़ी … बहनचोद, चोदना आता नहीं, चला है दीदी को चोदने! बहनचोद कहीं का!
मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुंह पर लगा दिया और कहा- चल अब देर मत कर और अपनी दीदी को चोद चोदकर उसकी चूत की आग को ठंडा कर.
रमेश के चूतड़ों को पकड़ कर मैंने अपने हाथ से खूब जोर से दबा दिया और अपने चूतड़ उछाल कर रमेश का लंड अपनी चूत में ले लिया. रमेश का लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में घुस गया.
मैं मस्ती में आकर चिल्ला पड़ी- आआ … ह्हह … हाय … रमेश … मजा आ गया … लंड गया … आह्ह … चोद अब साले … पेल दे मेरी चूत को … आईई … चोद जल्दी कुत्ते। आज सालों बाद इतनी हसीन चुदाई हो रही है इस छिनाल चूत-रानी की. साली को लंड लेने का बहुत शौक था. चोद दो इसको … फाड़ दो.
रमेश अब एक्शन में आ गया और मेरी चूत में लंड को पेलने लगा. मैं मस्त होने लगी. उसका लंड बहुत मोटा था और वो मेरी चूत को दो फांकों में फाड़ रहा था. रमेश के लंड से चुदवाते हुए मैं बिल्कुल सातवें असमान पर थी.
मैंने अपनी टांगों को उठा कर रमेश के चूतड़ों पर लॉक कर दिया और उसके कंधों को पकड़ कर उसके लण्ड के धक्कों को अपनी चूत में खाने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9
रमेश अपने धक्कों के साथ साथ मेरी चुन्ची को भी पी रहा था। मेरा पूरा बदन रमेश की चुदाई से जल रहा था और मैं अपने चूतड़ उछाल उछाल कर उसका लण्ड अपनी चूत से खा रही थी।
मैं लण्ड खा कर पूरी तरह से मस्ता गई और बोली- रमेश! आज पूरी रात तू इसी तरह मुझे चोदता जा। तू बहुत अच्छी तरह से चोद रहा है। तेरी चुदाई से मैं और मेरी चूत बहुत खुश हैं। मुझे नहीं मालूम था कि तू इतना अच्छा और मस्ती से चोदता है।
रमेश बोल रहा था- हाय दीदी! मैं आज पूरी रात तुमको इसी तरह चोदूंगा। तुम्हारी चूत बहुत गर्म है, इसमें बहुत मस्ती भरी हुई है। अब यह चूत मेरी है और इसको खूब चोदूंगा।
मैं मस्ती से पागल हो रही थी और मेरी चूत पानी छोड़ने वाली थी। रमेश अब जोर जोर से मेरी चूत चोद रहा था। वो अब अपना लण्ड मेरी चूत से पूरा निकाल कर फिर से पूरा का पूरा मेरी चूत में जोरों से पेल रहा था।
भाई के मोटे लंड से चुदते हुए मेरी चूत अब तक दो बार पानी छोड़ चुकी थी। मैं उसके हर धक्के का आनन्द उठा रही थी। हम दोनों अब तक पसीने से नहा गए थे।
रमेश अब अपनी पूरी ताकत के साथ मुझे चोद रहा था और मैं सोच रही थी कि काश आज की रात कभी खत्म ना हो। थोड़ी देर बाद रमेश चिल्लाया- आह्ह … ओह्ह … दीदी … अब मेरा लण्ड पानी छोड़ने वाला है, अब तुम अपनी चूत से मेरे लण्ड को कस कर पकड़ो।
इतना कहने के बाद रमेश ने करीब दस-बारह धक्के और लगाये और वो मेरी चूत के अन्दर झड़ गया और मेरी चुन्चियों पर मुंह रख कर लेट गया।
उसके लण्ड ने बहुत सारा पानी छोड़ा था और अब वो पानी मेरी चूत से बाहर आ रहा था। मैंने रमेश को कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसका मुंह चूमने लगी. उसको चूमते चूमते और उसके लंड को चूत में महसूस करते करते मेरी चूत ने तीसरी बार पानी छोड़ दिया।
थोड़ी देर बाद हम दोनों उठकर बाथरूम गए और अपनी चूत और लौड़े को साफ किया। रमेश का लण्ड अभी तक सख्त था। मैं उसका लण्ड हाथ में ले कर सहलाने लगी और फिर उसके सुपाड़े पर चुम्मा दे दिया। फिर हम दोनों नंगे ही बिस्तर पर जाकर लेट गए औए एक दूसरे के लण्ड और चूत से खेलते रहे।
कुछ देर खेलने के बाद रमेश का लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। उसे देख कर मैं भी मस्ती में आ गई। मैंने उसके लण्ड का सुपारा खोल दिया। उस समय लंड का सुपारा बहुत फूला हुआ था और चमक रहा था। मैंने झुक कर उसको अपने मुंह में ले लिया और मस्ती से चूसना शुरू कर दिया।
चूसने के कुछ देर बाद रमेश बोला- दीदी … अब मेरा लण्ड छोड़ दो, नहीं तो मेरा पानी निकल जायेगा।
मैं उससे एक बार और चुदाना चाहती थी इसलिए मैंने उसका लण्ड अपने मुंह से निकाल दिया और बोली- अब तेरा लण्ड अच्छी तरह से खड़ा हो गया है और मेरी चूत में घुसने को तैयार है। चल … जल्दी से मेरे ऊपर आ और मेरी प्यासी चूत को अच्छी तरह से चोद दे।
यह सुनते ही रमेश मेरे ऊपर आ गया और अपना पूरा का पूरा लण्ड मेरी चूत में एक झटके में ही पेल दिया। उसने मेरी चूत को दोबारा खूब अच्छी तरह से चोदा और मैं उसकी चुदाई से निहाल हो गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
Angel Angel
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#11
मैंने अपने जिस्म की प्यास भाई से बुझवायी





जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#12
मैं एक 25 साल की खूबसूरत सेक्सी औरत हूँ. मेरा मर्द मुझसे पाँच साल बड़ा है और वो
एक उद्योगपति है. वो काम में एकदम पागल आदमी है. बिजनेस के सिवाय उसको कुछ नहीं
दिखता. उसके व्यस्त होने के कारण हम एक दूसरे के साथ बहुत कम मिल पाते हैं.


हमारा अभी तक कोई भी बच्चा नहीं हुआ है. शुरू के दो तीन साल में हम लोगों की सेक्स
लाइफ बहुत ही अच्छी थी. उसके बाद वो काम के चक्कर में बहुत फँस गया और मैंने किट्टी
पार्टी और लेडीज़ पार्टी जॉयन कर ली.

इस तरह की किट्टी पार्टी और लेडीज पार्टी में सिर्फ़ शराब व ब्लू फ़िल्म चलती थी.
औरतों में चूत चूमना और चूत चाटना खुले रूप में होता था. मुझे भी दिल बहलाने का
बहाना मिल गया था. मैं इसमें बहुत खुश थी.
एक बार होली पर मेरा पति अपने काम से बाहर गया हुआ था. मैं लेडीज किट्टी पार्टी में
चली गई. उस दिन किट्टी पार्टी में बहुत शराब पी गई और हम लोगों ने ताश भी खेले.
फिर हम औरतों ने एक हिन्दी पोर्न फ़िल्म भी देखी जो बहुत ही गर्म थी. उसके बाद हम
औरतों ने चुम्मा चुम्मा खेला और चूत चटाई भी की. यह सब रात के तीन बजे तक चलता रहा.
मैंने बहुत शराब पी ली थी और मुझे घर तक मेरी एक सहेली अपनी कार में छोड़ गई.
घर पर मेरे भाई रमेश ने सहारा देकर मुझे मेरे बेडरूम तक पहुँचाया. मैंने इतनी शराब
पी रखी थी कि मैं ठीक तरह से चल भी नहीं पा रही थी. आज मैं किट्टी पार्टी में गर्म
पोर्न मूवी देख कर बहुत ही गर्म हो गई थी.
मेरी चुन्चियाँ बहुत फड़क रही थीं और मेरी चूत से पानी निकल रहा था जिससे मेरी
पैंटी तक भीग गई थी. जैसे ही मेरा भाई मुझको सहारा देकर मेरे बेडरूम तक ले आया,
मेरा मन उसी से चूत चुदवाने का हो उठा.
मेरा भाई रमेश एक 20 साल का हट्टा कट्टा नौजवान है. मैं अपने बेडरूम में आकर एक
कुर्सी पर बैठ गई और जानबूझ कर अपना पल्लू गिरा दिया जिससे कि रमेश मेरी चुंचियों
को देख सके. मैंने उस दिन एक बहुत ही छोटा ब्लाउज पहन रखा था और उसका गला बहुत ही
लो-कट था.
रमेश का लंड मेरी चुन्ची देख कर धीरे धीरे खड़ा होने लगा और उसको देख कर मैं और
चुदासी हो गयी. मुझे लगा कि मेरा प्लान काम कर रहा है. उसकी पैंट तम्बू के जैसे
उठने लगी. मैं धीरे से मुस्कराई और मैंने हाथ से अपने बाल पीछे कर लिये.
मैं जानबूझ कर उसको अपनी चुन्ची की झलक दिखाना चाहती थी. मैं अपने कन्धों को और
पीछे ले गई जिससे कि मेरी चुन्ची और ज्यादा बाहर की तरफ़ निकल गई.
उसकी पैंट और अधिक उठने लगी और मैं मन ही मन मुस्करा रही थी. मुझे यकीन था कि मेरा
काम बन जाएगा. उसके लंड के उठाव को देख कर लग रहा था कि थोड़ी ही देर में मैं उसकी
बाँहों में होऊंगी और उसका लंड मेरी चूत अच्छी तरह से कसकर चोद रहा होगा.
मैंने अपने भाई से कहा- जाओ दो गिलास और एक स्कॉच की बोतल हमारे कमरे से ले आओ!
वो बोतल उठा लाया. एक पैग मैंने अपने लिये बनवा लिया और उसको भी पीने के लिए कहा.
वो भी शायद अपनी बहन की चुदाई का सपना देख रहा था इसलिए मेरा हर कहा मान रहा था.
वो भी मेरे सामने खड़ा होकर शराब पीने लगा और उसका लंड मैं उसकी पैंट में तना हुआ
साफ देख पा रही थी.
पूरा गिलास खाली करने के बाद मैंने अपने ब्लाउज के ऊपर से अपनी चुन्चियों को मसलना
शुरू किया. रमेश अभी भी अपने होंठों से गिलास को लगाये हुए था लेकिन उसकी नज़र मेरे
हाथों पर थी जो मेरी चुन्चियों को दबाने लगे थे.
ये देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया. मैं भी उसको तड़पा कर मजा ले रही थी. मैं
उसकी पैंट की तरफ़ देख रही थी, जो अब तक बहुत ही फूल चुकी थी. मैं समझ गई कि उसका
लंड अब बिल्कुल फटने को हो गया है और वो मुझे चोदने के लिए पागल हो चुका है.
फिर मैंने ब्लाउज को खोल दिया और अपने बड़े बड़े स्तनों को उसके सामने आजाद कर
दिया. मैं अपने दोनों खरबूजों को सहलाने और मसलने लगी. रमेश मेरे आधे नंगे जिस्म को
बहुत अच्छी तरह से देख रहा था.

मैंने मादक सी आवाज में उससे पूछा- क्या हुआ रमेश, क्या देख रहे हो?
वो कुछ नहीं बोल पा रहा था. उसका चेहरा वासना और आश्चर्य से भरा हुआ था. उसके माथे
पर पसीना आ गया था.
फिर मैंने उसके लंड की ओर देखकर कहा- लगता है तुम्हारा खड़ा हो गया है. क्या तुम
इसको शांत नहीं करना चाहोगे?
मैंने अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी चूत पर हाथ फिराते हुए कहा.
अपनी ही जुबान से निकल रही इस तरह की गन्दी बातों से मैं और ज्यादा उत्तेजित हो रही
थी. मेरी चूत उसका लंड खाने के लिए फड़फड़ाने लगी. मेरे दिमाग में बस एक ही बात घूम
रही थी कि कब रमेश का लंड मेरी चूत में घुसेगा और मुझे जोर जोर से चोदेगा.
मैं अपने कपड़ों को धीरे धीरे से खोलने लगी और यह देख कर रमेश की आँखें फैलने लगीं.
मैंने धीरे से अपनी साड़ी उतार दी. मैंने अपना पेटीकोट भी धीरे से उतार फेंका और
फिर पैंटी भी उतार डाली.
अब मैं अपने भाई रमेश के सामने बिल्कुल नंगी हो कर खड़ी हो गयी. रमेश मुझको फ़टी
आँखों से देख रहा था. मेरी बाल सफा, भीगी चूत उसकी आँखों के सामने थी और वो उसके
लंड को लीलने के लिए बेताब हो रही थी.
मैंने रमेश से धीरे से पूछा- ओह रमेश … कब तक देखते रहोगे? आओ … मेरे पास आओ, और
मुझे चोदो. देख नहीं रहे हो मैं कब से अपनी चूत खोले चुदासी हुई पड़ी हूँ? आओ, पास
आओ और अपने मोटे लंड से मेरी चूत को खूब अच्छी तरह से रगड़ कर चोदो!
मेरी इस बात को सुन कर वो हरकत में आ गया. वो मेरे सामने अपने कपड़े उतारने लगा.
उसने पहले अपनी शर्ट को उतारा. फिर उसने अपनी चड्डी भी धीरे से उतार फेंकी. चड्डी
उतारते ही उसका लंड मेरी आंखों के सामने आ गया.
उसका लंड इस समय बिल्कुल खड़ा था और चोदने को बेताब होकर झूम रहा था. मैं उसके लंड
को बड़ी बड़ी आँखों से घूर रही थी. उसका लंड मेरे पति के लंड से ज्यादा बड़ा और मोटा
था.
मैं उसका लंड देख कर घबरा गयी थी लेकिन मेरी चूत उसके लंड को खाने के लिए फड़फड़ा रही
थी. मैं अपनी कुर्सी से उठ कर उसके पास जाने लगी, लेकिन मेरे पैर लड़खड़ा गए. मैं
गिरने लगी और रमेश ने आकर मुझको अपने बदने से चिपका कर संभाल लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
एक झटके में रमेश का हाथ मेरी चुन्ची पर था. वो मेरी एक चुन्ची को अपने मुंह के
अन्दर लेकर चूसने लगा. मैं बहुत शराब पीने के कारण खड़ी नहीं हो पा रही थी. मैं फर्श
पर गिर पड़ी.
रमेश ने मुझको फट से पकड़ लिया और हम दोनों कार्पेट पर गिर गए. रमेश का हाथ मेरी
चुन्ची पर था और रमेश वैसे ही पड़ा रहा. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैंने धीरे से रमेश से कहा- रमेश मेरी चुन्ची तो दबाओ, खूब जोर से दबाओ, इनको अपने
मुंह में लेकर चूसो, इनसे खूब खेलो.

इतना सुनते ही रमेश मेरे ऊपर टूट पड़ा और मेरी चुंचियों से खिलवाड़ करने लगा. मैंने
अपना दाहिनी तरफ का दूध उसके मुंह पर लगा दिया और कहा- आह्ह … लो … इसे अपने मुंह
में लेकर खूब जोर से चूसो.
रमेश मेरे दूध को मुंह में लेकर चूसने लगा. मैं अपनी कामवासना में पागल हो रही थी.
मेरी चूत से पानी निकल रहा था. रमेश मेरी दोनों चुंचियों को बारी बारी से मसल रहा
था और चूस रहा था.
मैं उसकी दूध चुसाई से पागल सी हो गयी और उसका एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर ले गयी.
मेरी चूत को छूते ही रमेश ने पहले मेरी चूत के मोटे मोटे उभरे हुए होंठों पर हाथ
फिराया और अपनी बीच वाली उंगली को मेरी चूत में घुसा दिया.
मेरा भाई अब मेरी चूत को अपनी उंगली से चोद रहा था. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा
था. मैंने अपने दोनों हाथों से रमेश का लंड पकड़ लिया और उसको मसलने लगी.
रमेश के मुंह से सी … सी … करके सिसकारियां निकलने लगीं. मैंने भाई का लंड पकड़ कर
उसका सुपारा निकाल लिया और उस पर एक चुम्मा जड़ दिया. रमेश अब जोर जोर से मुझे अपनी
उंगली से चोद रहा था.
मैं रमेश का लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और वो अपने लंड को मेरे मुंह में जोर
जोर से ठेलने लगा. थोड़ी देर के बाद मुझको लगा कि रमेश अब झड़ जायेगा.
सिसकारते हुए मैं बोली- आह्ह रमेश … चोद … चोद … अपनी दीदी के मुंह को खूब जोर जोर
से चोद और अपना माल अपनी दीदी के मुंह में गिरा दे.

थोड़ी देर के बाद रमेश सिसकारते हुए बोला- आह्ह … दीदी … मैं झड़ रहा हूँ.
उसने अपना सारा माल मेरे मुंह में डाल दिया. मैंने उसके लंड का माल पूरा का पूरा पी
लिया.
मैंने धीरे से रमेश से पूछा- अपनी दीदी को चोदेगा? तेरे जीजा की बहुत याद आ रही है.
मेरी चूत बहुत प्यासी हो रही है.
रमेश ने मेरी दोनों चुंचियों को पकड़ कर कहा- दीदी अपनी चूत पिलाओ न? पहले दीदी की
चूत चूसूंगा, फिर जी भर कर चोदूंगा.

रमेश का लंड मैं अपने हाथों में पकड़ कर खेल रही थी.
मैंने कहा- तेरा लंड तो बहुत विशाल है रे!
उसने पूछा- आपको पसंद आया दीदी?
उसका लंड हाथ से सहलाती हुए मैं बोली- यह तो बहुत प्यारा है. किसी भी लड़की को चोद
कर मस्त कर देगा.
फिर मैं चित होकर चूतड़ों के बल लेट गयी और अपनी टांगें फैला कर बोली- ले … अपनी
दीदी की चूत को प्यार कर. जी भर कर पी ले इसे. पूरी रात पीता रह अपनी दीदी की चूत.
रमेश मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा. वो मेरी चूत को पूरी अंदर तक चाट रहा था. कभी
कभी उसकी जीभ मेरी चूत के मटर-दाने पर भी चाटने लगती थी. कभी वो उसको दांतों में
लेकर काट देता था और मैं पागल हो जाती थी.
अपनी चूत चटाई करवाते हुए मैं बिल्कुल पागल हो गयी और बड़बड़ाने लगी- आआ … आह्हह …
मेरे राजा भैया, बहुत मजा आ रहा है. चूसो, खूब जोर से चूसो … ओह … ऊ … ओईई … ओह …
पी जा इसे।
मैं उसका सिर पकड़ कर उसके मुंह में अपनी चूत को चूतड़ उछाल उछाल कर रगड़ रही थी.
मैं उसकी चूत चटाई से बिल्कुल पागल हो गयी और रमेश के मुंह पर ही झड़ गयी.
रमेश मेरी चूत से निकला पूरा का पूरा पानी पी गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#14
मैं फिर से बड़बड़ाने लगी- ओह रमेश … अब अपनी दीदी को चोद दे. अब नहीं रुका जा रहा
… अपने लंड को मेरे चूत में घुसा दे … पेल दे अपने लंड को मेरी चूत में … प्लीज़
राजा … अब चोदो ना!
अब वो मेरी टांगों के बीच में आ गया और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुंह पर रख
कर धक्का लगाने लगा. उसका लंड फिसल रहा था.
मैं हंस पड़ी और बोली- साले अनाड़ी … बहनचोद, चोदना आता नहीं, चला है दीदी को चोदने!
बहनचोद कहीं का!
मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुंह पर लगा दिया और कहा- चल अब देर मत कर और
अपनी दीदी को चोद चोदकर उसकी चूत की आग को ठंडा कर.
रमेश के चूतड़ों को पकड़ कर मैंने अपने हाथ से खूब जोर से दबा दिया और अपने चूतड़
उछाल कर रमेश का लंड अपनी चूत में ले लिया. रमेश का लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में
घुस गया.

मैं मस्ती में आकर चिल्ला पड़ी- आआ … ह्हह … हाय … रमेश … मजा आ गया … लंड गया …
आह्ह … चोद अब साले … पेल दे मेरी चूत को … आईई … चोद जल्दी कुत्ते। आज सालों बाद
इतनी हसीन चुदाई हो रही है इस छिनाल चूत-रानी की. साली को लंड लेने का बहुत शौक था.
चोद दो इसको … फाड़ दो.
रमेश अब एक्शन में आ गया और मेरी चूत में लंड को पेलने लगा. मैं मस्त होने लगी.
उसका लंड बहुत मोटा था और वो मेरी चूत को दो फांकों में फाड़ रहा था. रमेश के लंड
से चुदवाते हुए मैं बिल्कुल सातवें असमान पर थी.
मैंने अपनी टांगों को उठा कर रमेश के चूतड़ों पर लॉक कर दिया और उसके कंधों को पकड़
कर उसके लण्ड के धक्कों को अपनी चूत में खाने लगी।
रमेश अपने धक्कों के साथ साथ मेरी चुन्ची को भी पी रहा था। मेरा पूरा बदन रमेश की
चुदाई से जल रहा था और मैं अपने चूतड़ उछाल उछाल कर उसका लण्ड अपनी चूत से खा रही
थी।
मैं लण्ड खा कर पूरी तरह से मस्ता गई और बोली- रमेश! आज पूरी रात तू इसी तरह मुझे
चोदता जा। तू बहुत अच्छी तरह से चोद रहा है। तेरी चुदाई से मैं और मेरी चूत बहुत
खुश हैं। मुझे नहीं मालूम था कि तू इतना अच्छा और मस्ती से चोदता है।

रमेश बोल रहा था- हाय दीदी! मैं आज पूरी रात तुमको इसी तरह चोदूंगा। तुम्हारी चूत
बहुत गर्म है, इसमें बहुत मस्ती भरी हुई है। अब यह चूत मेरी है और इसको खूब
चोदूंगा।

मैं मस्ती से पागल हो रही थी और मेरी चूत पानी छोड़ने वाली थी। रमेश अब जोर जोर से
मेरी चूत चोद रहा था। वो अब अपना लण्ड मेरी चूत से पूरा निकाल कर फिर से पूरा का
पूरा मेरी चूत में जोरों से पेल रहा था।
भाई के मोटे लंड से चुदते हुए मेरी चूत अब तक दो बार पानी छोड़ चुकी थी। मैं उसके हर
धक्के का आनन्द उठा रही थी। हम दोनों अब तक पसीने से नहा गए थे।
रमेश अब अपनी पूरी ताकत के साथ मुझे चोद रहा था और मैं सोच रही थी कि काश आज की रात
कभी खत्म ना हो। थोड़ी देर बाद रमेश चिल्लाया- आह्ह … ओह्ह … दीदी … अब मेरा लण्ड
पानी छोड़ने वाला है, अब तुम अपनी चूत से मेरे लण्ड को कस कर पकड़ो।
इतना कहने के बाद रमेश ने करीब दस-बारह धक्के और लगाये और वो मेरी चूत के अन्दर झड़
गया और मेरी चुन्चियों पर मुंह रख कर लेट गया।
उसके लण्ड ने बहुत सारा पानी छोड़ा था और अब वो पानी मेरी चूत से बाहर आ रहा था।
मैंने रमेश को कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसका मुंह चूमने लगी. उसको चूमते
चूमते और उसके लंड को चूत में महसूस करते करते मेरी चूत ने तीसरी बार पानी छोड़
दिया।
थोड़ी देर बाद हम दोनों उठकर बाथरूम गए और अपनी चूत और लौड़े को साफ किया। रमेश का
लण्ड अभी तक सख्त था। मैं उसका लण्ड हाथ में ले कर सहलाने लगी और फिर उसके सुपाड़े
पर चुम्मा दे दिया। फिर हम दोनों नंगे ही बिस्तर पर जाकर लेट गए औए एक दूसरे के
लण्ड और चूत से खेलते रहे।

कुछ देर खेलने के बाद रमेश का लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। उसे देख कर मैं भी मस्ती
में आ गई। मैंने उसके लण्ड का सुपारा खोल दिया। उस समय लंड का सुपारा बहुत फूला हुआ
था और चमक रहा था। मैंने झुक कर उसको अपने मुंह में ले लिया और मस्ती से चूसना शुरू
कर दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#15
चूसने के कुछ देर बाद रमेश बोला- दीदी … अब मेरा लण्ड छोड़ दो, नहीं तो मेरा पानी
निकल जायेगा।
मैं उससे एक बार और चुदाना चाहती थी इसलिए मैंने उसका लण्ड अपने मुंह से निकाल दिया
और बोली- अब तेरा लण्ड अच्छी तरह से खड़ा हो गया है और मेरी चूत में घुसने को तैयार
है। चल … जल्दी से मेरे ऊपर आ और मेरी प्यासी चूत को अच्छी तरह से चोद दे।
यह सुनते ही रमेश मेरे ऊपर आ गया और अपना पूरा का पूरा लण्ड मेरी चूत में एक झटके
में ही पेल दिया। उसने मेरी चूत को दोबारा खूब अच्छी तरह से चोदा और मैं उसकी चुदाई
से निहाल हो गई।
उस रात हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से लिपट कर सो गए। उस दिन के बाद से मैं और रमेश
जब भी घर में अकेले होते हैं तो हम कपड़े नहीं पहनते हैं और नंगे ही रहते हैं. चूसा
चुसाई और चोदम चुदाई का खेल चलता है और हम भाई-बहन खूब जम कर चुदाई करते हैं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#16
कुछ देर बाद उन्होंने मेरे चूतड़ों को पकड़ कर मुझे जोर जोर से आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
इससे मेरी चुत एकदम से भट्टी सी तपने लगी थी. मैं सोच रही थी कि आज यदि भाई मेरी चुत में लंड पेलेंगे, तो मैं लंड अन्दर ले ही लूंगी. फर्स्ट टाइम सेक्स का मजा लूंगी.
मगर ऐसा नहीं हुआ … मेरी चुत से लंड की रगड़ से कुछ ही देर बाद उनके लंड से कुछ सफेद सा रस निकल गया. वो पूरा चीकट सा रस उनके पैरों पर … और मेरी चुत की हल्की हल्की झांटों में लग गया था.
भाई के लंड से पानी निकलते ही वो एकदम से थक से गए और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगे. मैं भी उनकी छाती से चिपक कर मजा लेने लगी.
फिर कुछ पल बाद वो उठने को हुए, तो मैं भी उठ गई और मैंने अपनी सलवार पहन ली. कपड़े ठीक करके मैंने भाई को देखा और मुस्कुरा कर घर चली गयी.
फिर एक दिन मैं अपने मुँह बोले मामू के घर गयी. उनका घर नानी के घर से कुछ थोड़ा दूर ही था. मैं वहां पर गई तो उनके घर पर कोई नहीं था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#17
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#18
मेरे ये मामू कुछ 23 या 24 साल के थे. मैं उनके घर खेल रही थी. वो अपने पलंग पर लेटे हुए थे. तभी उन्हें पता नहीं क्या हुआ … उन्होंने मुझे पास बुलाया और अपने ऊपर बिठा लिया. मैं उस वक़्त ठीक उनके लंड के ऊपर बैठी थी. वो मुझे आगे पीछे करने लगे. न उन्होंने अपने कपड़े उतारे थे … न मेरे, बस ऐसे ही कुछ देर अपने लंड पर मुझे हिलाते रहे.
मेरी चूचियां उनको मस्त कर रही थीं. मुझे भी उनका लंड अपनी चुत में गड़ता सा महसूस हो नरहा था. मैं खिलखिलाते हुए मामू के लंड पर कूद रही थी.
उन्होंने मुझसे पूछा- मजा आ रहा है? मैं हां कहा. तो बोले- अभी और मजा आएगा.
ये कह कर अपने पलंग पर ही मामू ने मुझे अपने नीचे उल्टा लेटा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गए. फिर मामू ने मेरी गांड के ऊपर अपना लंड पेंट के ऊपर से रगड़ना चालू कर दिया. कुछ देर लंड घिसने के बाद वो मेरे ऊपर अपना पूरा वजन डाल कर थम से गए. शायद मामू झड़ गए थे.
जब मुझे उनके वजन से तकलीफ हुई, तो मैं कोशिश करके मामू के नीचे से निकली और वहां से घर चली गयी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#19
(09-03-2022, 04:42 PM)neerathemall Wrote:
जिस्म की प्यास





मेरा भाई रमेश एक 20 साल का हट्टा कट्टा नौजवान है. मैं अपने बेडरूम में आकर एक कुर्सी पर बैठ गई और जानबूझ कर अपना पल्लू गिरा दिया जिससे कि रमेश मेरी चुंचियों को देख सके. मैंने उस दिन एक बहुत ही छोटा ब्लाउज पहन रखा था और उसका गला बहुत ही लो-कट था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#20
Nice story
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