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(15-03-2024, 03:22 PM)neerathemall Wrote: दीदी टांगे चौड़ी करके अपनी चूत का छेद दिखने लगी मुझे
मेरी चचेरी बहन जिस का नाम नाम शालू है और जो मुझ से चार साल बड़ी है उस से चुदाई की है। बरसात का मौसम था और अंधेरा होने वाला था, मैं अपनी मां के कहने पर पके हुए आम की टोकरी उठा कर अपने चाचाजी के घर देने गया था जो कि कुछ दूरी पर रहते हैं। दीदी टांगे चौड़ी करके अपनी चूत का छेद दिखने लगी मुझे.
जब मैं बापस आने लगा तो चाचा जी ने कहा कि थोड़ी देर बाद गप्प छप्प लगा के चले जाना. तो मैं रुक गया और खुले बराम्दे में एक किनारे पर लगी हुई चारपाई पर बैठ गया, और दूसरे किनारे पर लगी चारपाई पर बैठे हुए चाचा चाची से बातें करने लगा। इतने मे शालू दीदी मेरे पास आकर बैठ गयी और बातें करने लगी।
तभी आसमान पर बिजली चमकने लगी और बारिश शुरू हो गई। बातों बातों में कब अंधेरा हो गया पता ही नहीं चला इतने मे जोर जोर से बादल गर्जने लगे, और और पानी की फुहारें बराम्दे के अंदर तक आने लगीं। हमें ठंड लगने लगी और मेरी शालू दीदी कमरे से चादरें और सिरहाने ला कर चाचा चाची और मुझ को देने लगी. तो चाचाजी ने सब को अंदर कमरे में चलने को बोला लेकिन शालू दीदी ने कहा कि आप जाओ मैं और राजू यहां पर बैठ कर बातें करेंगे और बारिश का मजा लेंगे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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मैं और शालू दीदी एक ही चादर ओढ़ कर चारपाई लेटकर बातें करने लगे इतने मे बारिश और तेज हो गई और लाईट चली गई। ठंड और फुहारों के कारण दीदी ने मेरे पेट से अपनी पीठ लगा कर लेट गई और बातें करने लगी। उसकी चौड़ी गांड को छूकर मेरा लंड खड़ा होने लगा तो मैं थोड़ा पीछे हट गया ताकि शालू दीदी को पता न चले पर दीदी को ठंड लग रही थी.
तो उसने अपनी गांड और पीछे कर दी तो मैं झट से पीठ के वल लेट गया. कि मेरा लंड दीदी को न चुभ जाए जो कि मेरे लोअर मे तम्बू की तरह खड़ा हो गया था. पर दीदी पलट कर मेरी तरफ मुंह करके लेट गई और मुझे खींच कर अपनी बाहों मे कस लिया। उसके बडे़ बडे़ मम्में मेरे मुंह से लगने लगे क्योंकि वह काफ़ी लम्बी जवान थी. और उसने अपनी एक टांग मोड कर मेरे ऊपर रख दी जो मेरे तने हुए लंड से टकरा गयी।
दीदी ने आहिस्ता से अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और उस को दबा कर देखा। फिर मेरे कान मे कहा कि यह तो बहुत मोटा और लम्बा हो गया है। फिर उस ने मेरी टीशर्ट ऊपर उठाई और अपना कुर्ता ऊपर उठा कर अपने मोटे मोटे मम्मों को नंगा कर दिया। वह मेर पेट पे हाथ फेरती हुई अपना हाथ मेरे लोअर के अंदर तक ले गयी और मेरा लंड पकड़ कर बाहर निकाल लिया. और उस को हाथ को आगे पीछे करने लगी मुझे बहुत मजा आने लगा मै आहें भरने लगा और उस की तरफ घूम गया।
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दीदी मेरे होठों को चूमने लगी फिर उसने अपना एक मम्माा मेरे मुंह मे डाल दिया और चूसने को कहा. मैं भी उसके एक मम्मे को चूसने और दूसरे को एक हाथ से पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा। तभी शालू दीदी ने अपनी सलवार का नाडा़ खोल दिया और मेरा लंड पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रगड़ने लगी। थोड़ी देर बाद वह जोश मे आ गयी और लंड को जोर जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी. इतने मे मेरे लंड से पानी निकल गया पर वह उसे अपनी चूत रगड़ती रही और थोड़ी देर बाद शांत हो गई।
इतने मे बारिश थम चुकी थी और मैने चाचा जी को आवाज लगाई कि मै अपने घर को जा रहा हूँ. तो चाचाजी ने कहा कि अंधेरा बहुत है शालू टारच ले कर तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ आएगी. तब शालू दीदी ने टारच उठाई और मुझे घर छोड़ने चल पड़ी। रास्ता मक्की के खेतों मे से गुजरता था। जब हम घरों दूर मक्की के खेतों मे पहुंचे तो शालू दीदी ने मुझ से पूछा कि तुझे कुछ मजा आया तो मैने कहा कहा कि आया तो बहुत पर आपने बाहर ही कर दिया।
दीदी ने मुझे अपने गले लगा कर झूमते कहा कि तेरा बहुत मोटा और लम्बा है. यह तो मेरी फाड़ देता और तीन महीने बाद मेरी शादी भी है फिर मैं तेरे जीजा को क्या दिखाऊंगी। तू चाहे तो कभी मुझे पीछे से कर लेना क्योंकि तू मुझे बहुत प्यारा लगता है। इसीलिए तेरे लिए मैं दर्द भी सहन कर लूंगी। यह बात सुन कर मैं बहुत ही खुश हुआ क्योंकि मुझे भी उसकी चौड़ी गांड बहुत प्यारी लगती थी।
मैने दीदी को अपनी बाहों मे लेकर अपने सीने से लगा लिया और दोनों हाथ उसकी गांड पे रख कर उसे अपनी ओर खींच लिया। अब मेरा लंड दीदी के पेट मे चुभने लगा तो दीदी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और कहा कि जब भी मौका मिलेगा मैं इसे अपने अंदर जरूर लूंगी अब तुम अपने घर को चलो। मैं अपने घर पहुंच गया और वह भी बापस अपने घर को चली गई। मैं रात भर अपना लंड हाथ मे लेकर उसकी गांड के बारे में सोचता रहा।
अगले दिन सुवह जब मैं जागा तो चाचाजी हमारे घर पर आए हुए थे और मेरे पिताजी से कह रहे थे. कि वह आज चाची के साथ किसी काम से शहर जा रहे हैं इसीलिए घर और पशुओं का खयाल रखना. तो मेरे पिताजी ने कहा कि आप चिंता न करें हम वहू यनिकि मेरी भाभी को तुम्हारे घर भेज देंगे वह घर का खयाल रक्खेगी. और शालू और राजू पशुओं को लेकर हमारे आम के बगीचे के पास वाली पहाड़ी पर चले जाएंगे यहां पर बहुत सी हरी घास है और आम के फलों की बंदरों से रखबाली भी कर लेंगे। “दीदी टांगे चौड़ी करके”
तब चाचा जी खुश हो कर अपने घरको चले गये। मैने नहा धो कर नाशता किया और शालू दीदी के आने का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद दीदी अपने पशुओं को हांकती हुई आ गयी आज वह बहुत खुश लग रही थी, उसने ब्लैक कलर की सलवार और क्रीम कलर का कुर्ता पहन रक्खा था और अपने मोटे मोटे मम्मों को ब्लैक कलर की चुनी से ढांप रक्खा रखा था।
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भाभी ने हमारे लिए दोपहर का खाना मुझे थमा दिया और हम अपने पशुओं को हांकते हुए खेत की तरफ चल पड़े। रास्ते मे शालू दीदी का भैंसा हमारी भैंस जो अभी तक किसी बच्चे किसी भैसे से क्रास नहीं हुई थी, उसके के पीछे पीछे भागने लगा और वह आगे आगे भागने लगी और बार बार पैशाव करने लगी। यह देख कर दीदी हंसने लगी और जब मैने पूछा तो कहने लगी कि देख तेरी भैंस दर्द से कितनी डर रही है लेकिन मेरा भैंसा आज इसको छोडे़गा नहीं।
तो मैने पूछा तुम्हें कैसे पता? तो दीदी ने कहा देख मेरे भैंसे ने कितना लम्बा बाहर निकाल दिहै रक्खा है, अब यह तेरी भैंस के अंदर जा कर उसकी कैसे सील तोड़ता है। यह सुन कर मुझे बहुत मजा आने लगा। थोड़ी देर बाद हम अपने आम के बगीचे में पहुंच गये और मैने खाने की थैली वहाँ वनी गास की झुग्गी मे टांग दी. जो हमने बारिश से बचने के लिए बनाई थी और उसमें एक खाट और पानी का घडा़ भी रक्खा था।
फिर हम पशुओं को लेकर साथ मे घास वाली पहाड़ी पर चले गये और बडे़ बडे़ पत्थरों पर बैठ गये, क्योंकि बादल छाए हुए थे और ठंडी ठंडी हवा चलने लगी थी। तभी हम ने देखा भैंसा भैंस के पीछे भाग रहा था और भैंस को घास नहीं चरने दे रहा था। आखिर भैंस थककर रुक गयी और पैशाव करने लगी, तभी भैंसे ने भैंस की चूत से पैशाव को चाटा और अपना तना हुआ लंड बाहर निकाल लिया और भैंस के ऊपर चढ़ने लगा.
लेकिन उसका लंड अंदर नहीं जा सका और भैंसा नीचे उतर गया. तो मैने कहा इसका तो अंदर ही नहीं गया. तो दीदी ने कहा यह अंदर चला जाएगा चल कहीं छुपकर देखते हैं यहां मुझे शरम आ रही है. तो हम एक पेडो़ के झुंड के नीचे एक झाड़ में खड़े हो गये दीदी ने अपना दुपट्टा गले में डाल कर पीछे लटका रक्खा था, और उस के बडे़ बडे़ मम्मों के निपल कुर्ते से साफ दिख रहे थे।
इतने भैंसा फिर भैंस के ऊपर चड़ गया और उसका लंड भैंस की चूत में घुस गया. तभी दीदी मुझ से लिपट गयी और मेरा लंड एखदम खड़ा हो गया। दीदी बोली हाय इनको कितना मजा आ रहा होगा। दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी छाती पर रख दिया और मेरा लंड पकड़ लिया। अब मुझ से रहा नहीं गया मैने दीदी का कुर्ता ऊपर उठाया और उसके मम्मों को नंगा कर के चूसने लगा।
तभी काले बादल गर्जने लगे और जोर की बारिश शुरू हो गई। हम दोनों बहुत गरम हो चुके थे। और मैं बोल पड़ा हाय दीदी तुम्हारे मम्में बहुत बडे बडे़ और गोरे हैं तो दीदी के मुंह से भी निकल गया हाय राजू तुम्हारा लंड भी बहुत लम्बा और मोटा है मैं इसे फुदी में कैसे डालूं यह मेरी फुदी फाड़ देगा। तभी मैने कहा हाय दीदी अपनी सलवार खोल दो और मुझे अपनी फुदी और गांड दिखा दो मैने कभी किसी की इतने पास से देखी है।
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तो दीदी बोली हाय राजू मैने भी कभी किसी का खड़ा लंडे पास से नहीं देखा. और उस ने मेरा नाडा़ खोल कर मेरा बारिश में भीगा हुआ लंड बाहर निकाल लिया. तभी मैने भी उसकी सलवार का नाडा़ खोल दिया और गीली सलवार को नीचे खींच कर उसकी चूत को देखने लगा जो बहुत गोरी थी और उस पर भूरे रंग के बाल थे। मै बैठ कर उसे चाटने लगा। दीदी ने आंखें बंद कर लीं और सिसकारियां लेने लगी। “दीदी टांगे चौड़ी करके”
तभी मैं उठा और अपना तना हुआ लंड उसकी चूत पर रक्ख कर अंदर डालने की कोशिश करने लगा पर लंड बाहर ही घिसता रहा कयोंकि मुझे पता ही नहीं था कि चूत का छेद नीचे होता है। तभी दीदी ने आंखें खोलीं और कहा हाय मेरे प्यारे राजू फुदी का सुराख नीचे है पर में तेरा लंड इसमें नहीं ले सकती। तो मैने कहा कि आपनी गांड ही मारने दो। दीदी मान गयी और मैं दीदी के पीछे आ गया और जब दीदी की चौड़ी गांड को देखा तो मेरे होश उड़ गये।
दीदी की गीली और गोरी गांड और जांगें मक्खन की तरह लग रही थीं। उसके बडे़ बडे़ नितम्बों को देख कर मुझ से रहा नहीं गया और मैने दीदी की गांड पे अपना लंड रक्खा. और पतली कमर को पकड़ कर अपना लंड गांड में डालने की कोशिश की पर अंदर नहीं जा सका. तो दीदी ने कहा कि यहां पर नही हो सकेगा चलो कहीं आराम से करते हैं। हम ने अपने कपड़े पहन लिए ओर झुग्गी के अंदर चले आए।
फिर दीदी के कहने पर हमने अपने कपड़े खोल कर निचोड़ लिए और झुग्गी के अंदर टांग दिए. और दीदी ने बहां टंगी एक चादर को अपने शरीर पे लिपेट लिया, मैने एक पतला सा तौलिया अपनी कमर पे बांध रक्खा था। मैने दीदी को कमर से पकड़ कर खाट पर बिठा लिया और चादर उठा कर उसके नितम्बों पर हाथ फेरने लगा. इतने में मेरा लंड फिर से खड़ा हो कर तौलिये में से बाहर निकल आया।
दीदी ने उसे अपने हाथ में पकड़ लिया और हाथ को आगे पीछे करके सहलाने लगी। मैने जोश में आकर एक हाथ से एक मम्मे को पकड़ कर कहा दीदी अब मुझे अपनी चूत को चोदने दो प्लीज़. तो दीदी ने एक आह भरकर कहा कि राजू मेरी फुदी पे हाथ रक्ख कर देख कितनी गरम हो गई है. मेरा दिल कर रहा है कि अभी तेरा पुरा लंड अपनी चूत में घुसा लूं चाहे मुझे कितना भी दर्द क्यों न हो पर मजबूर हूँ और दीदी की आंख भर आई. “दीदी टांगे चौड़ी करके”
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तो मैने उसे गले लगा कर कारण पूछा तो दीदी कहने लगी कि तेरी भाभी मेरी अच्छी सहेली है. उसने मुझे बताया था कि जब उनकी सुहगरात हुई थी तो जब तुम्हारे भाई ने करन उनसे कोई प्यार किया न उनको गरम किया. सीधे अपना लंड निकाला और भाभी की फुदी को फाड़ डाला भाभी की फुदी से खून निकलता रहा वह दर्द से रोती रही. पर तुम्हारे भाई बहुत खुश हो रहे थे कि इस सील नहीं टूटी थी।
उन्होंने चोद चोद कर भाभी की फुदी को लूज़ कर दिया है अब जब भी वह फौज से छुट्टी आते हैं तो आमतौर पर भाभी की गांड ही मारते हैं। भाभी को बहुत तकलीफ होती है। आजतक भाभी को कभी भी सैक्स का मजा नहीं मिल सका। क्योंकि भाभी ने शादी से पहले कभी सैक्स नहीं किया था। बह तो चाहती कि तुम ही कभी प्यार से उस को चोद कर पूरा मजा दे देते. पर वह डरती है तुम से कह नहीं पाती और डरती भी है कि कहीं तुम्हारे भाई को शक न हो जाए।
इसीलिए उस ने मुझे फुदी मरवाने से मना कर दिया है और गांड मरवाने की सलाह दी है, ताकि बह थोड़ी लूज़ हो जाए और शादी के बाद ज्यादा तकलीफ न हो। उस के मुंह से यह बातें सुनकर मुझे भाभी की हालत पर बहुत दुख हुआ जो इतनी अच्छी और खूबसूरत है और मेरा बहुत खयाल रखती है। मेरा भी दिल भर आया और मैं भी शालू दीदी के गले लग गया और कहा कि आज के बाद मैं भाभी को इतना खुश रक्खूंगा कि भाभी सब गम भूल जाए।
और रही बात सील टूटने की तो भाभी की शादी कम उमर मे हुई थी पर तुम जैसा कहोगी मै वैसा ही करूंगा। तो शालू दीदी ने कहा कि आज तुम मेरी गांड मारने की कोशिश करो और मुझे पूरा मजा दो। दीदी ने चादर खोल दी और बिल्कुल नंगी हो कर खाट पर पेट के वल लेट गई उसकी गोरी गोरी जांगें और बड़ी गांड को देख कर मेरा लंड लोहे जैसा हो गया. और मैने भी अपना तौलिया फेंक दिया और दीदी के ऊपर चढ़ कर लेट गया. “दीदी टांगे चौड़ी करके”
दीदी ने अपनी टांगें चौड़ी कर दीं और एक हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गांड के छेद पर रख कर कहा, कि राजू आराम से धक्का लगा कर अंदर डालना ताकि मुझे दर्द न हो। मैने बहुत जोर लगाया फर लंड नहीं गया और मेरे लंड को दर्द होने लगी. तो दीदी ने मुझे अपने मुंह के पास बुला कर लंड को मुंह में लेकर थूक से गीला करके बोली, कि तुम भी मेरी गांड पे अपना थूक लगा कर फिर कोशिश करो लेकिन यह कोशिश भी नाकाम रही गांड का छेद नही खुल रहा था.
मैने दीदी को गुटनों के वल हो कर गांड को उठाने को कहा दीदी ने जैसे ही गांड उठा कर टांगें फैलाईं गांड और फुदी दोनों सामने आ गयीं। मैने दीदी से पूछा कि मै तुम्हारी फुदी को चाटना चाहता हूं दीदी ने कहा चाट लो मै भी गुटनो के वल हो कर पीछे से फुदी चाटने लगा. मुझे बहुत मजा आने लगा और दीदी भी बोली हाय बहुत मजा आ रहा है। उस ने अब और टांगें चौड़ी कर दीं और फुदी से चिपचिपा पानी निकलने लगा.
मैने उसे अपने मुंह में ले लिया और फिर फुदी पर हाथ फेर कर अपनी उंगलियां गीली कर के एक उंगली दीदी की गांड के छेद मे घुसाने लगा। उंगली थोड़ी अंदर जाने लगी तो मैने सारा रस दीदी की गांड पे थूक दिया और दूसरी उंगली भी घुसाने लगा। मैद दोनों उंगलियां गांड मे अंदर बाहर करने लगा तो दीदी ने भी अपने आप को ढीला छोड़ दिया।
फिर मैंने उंगलियां बाहर निकाल कर दीदी की फुदी और अपने लंड को थूक से गीला करके, अपना तना हुआ लंड दीदी की गांड के छेद पर रख कर जोर लगाया तो लंड का टोपा अंदर चला गया। दीदी पसीने से भीग गयी और कांपने लगी। मैने अपने बाकी लंड पर और थूक लगाया लंड थोड़े और घुसा तो दीदी रो पड़ी। मैने दीदी से पूछा कि बाहर निकाल लूं उस ने मना कर दिया।
मैने लंड को थोड़ा पीछे खींचा और फिर आगे को जोर लगाया तो मेरा आदे से ज्यादा लंड गांड में चला गया. तब दीदी ने कहा कि इतना ही डालकर आगे पीछे करते रहो। मै छोटे छोटे धक्के लगता रहा इतने में दीदी थोड़ी नार्मल हो गयी और मुझे लंड बाहर निकालने को कहा तो मैने लंड बाहर निकाल लिया। दीदी उठ कर खड़ी हो गई और मुझे पीठ के वल लेटने को कहा। जब मैं पीठ के वल लेटा तो मेरा लंड छत की तरफ तना हुआ था। “दीदी टांगे चौड़ी करके”
दीदी ने उसे हाथ मे प्यार से पकड़ कर देखा और मुझे चूम कर कहा, मेरे प्यारे भाई तूने मेरी खातिर अपना प्यारा लंड जख्मी कर लिया देख कितना लाल हो गया है. तो मैने कहा आपको भी तो बहुत दर्द सहना पड़ा। तो दीदी बोली अब तू आराम से लेटा रह अब बाकी काम मैं खुद करूंगी। अब वह मेरी टांगों के दोनों तरफ पैर रख कर मेरे लंड को अपने थूक से गीला करने लगी. और अपनी गांड पे थूक लगा कर मेरी तरफ मुंह करके मेरे लंड को पकड़ कर उस पर अपनी गांड का सुराख रक्ख दिया तो लंड का टोपा गांड में चला गया।
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फिर दीदी ने अपने हाथों से अपने दोनों चूतड़ फैलाए और बैठ कर दवाब डाला। मेरा आधा लंड अंदर चला गया। वह धीरे-धीरे धक्के लगा कर लंड अंदर बाहर करने लगी आखिर मेरा पूरा ल़ंड जड़ तक दीदी की गांड में चला गया। दीदी अब पूरा ल़ंड अपनी गांड में लेकल थोड़ी देर ऐसे ही बैठी रही और अपनी आंखों से आंसू पोंछने लगी। फिर आंखें बंद कर के ऊपर नीचे धक्के लगाने लगी। अब उसने मेरे हाथों मे अपने मोटे मोटे मम्में पकड़ा दिए और जोर से दबाने को कहा।
मुझे लगने लगा कि मेरा लंड फट जाएगा। अब दीदी जोर जोर से धक्के लगाने लगी। थोड़ी देर बाद मेरे लंड से तेज पिचकारी दीदी की गांड में छूट गयी और लंड ढीला होने लगा। तो दीदी मेरे ऊपर लेट गई और मेरी छाती से मम्में लगा कर मुझे काफ़ी देर तक चूमती रही। थोड़ी देर बाद मेरा लंड बाहर निकल गया और दीदी ने तौलिये से मेरे लंड और अपनी गांड को साफ़ किया और चादर ओढ़ कर मेरे साथ लेट गई और प्यार करने लगी।
बाहर बहुत जोर की बारिश हो रही थी। थोड़ी देर बाद हम उठ कर झुग्गी मे से बाहर देखने लगे. तो पशु पास में ही घास चर रहे थे और भैंसा भैंस के ऊपर चढ़ कर धक्के लगा रहा था। यह देख कर कर मैने नंगी खड़ी दीदी को पीछे से उसके मम्मों को पकड़ कर अपने साथ चिपका लिया, और मेरा लंड खड़ा हो कर उसकी गांड को चुभने लगा। दीदी ने एक हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी और कहने लगी कि तेरा लंड तो एक बार ठंडा हो गया है, पर मै अपनी फुदी का क्या करूं जो भट्ठी की तरह गरम हो गई है। “दीदी टांगे चौड़ी करके”
तो मैने कहा कि इसकी आग तो मेरा लंड ही बुझा सकता है एक बार डालने तो दो। दीदी ने मुझे धक्का देकर पीछे हटा दिया और कहने लगी कि इसे चाट कर भी तो ठंडा कर सकते हो। क्या एसा करोगे तो मैं मान गया क्योंकि मेरा दिल भी तो फुदी चाटने को कर रहा था। मैं खाट पर पीठ के वल लेट गया और दीदी मेरे मुंह पर फुदी रक्ख कर बैठने लगी. तो मैने कहा कि तुम भी मेरा चाटो।
दीदी घुटनों के वल बैठ कर झुक गई और मेरे लंड को मुंह में लेकर चाटने लगी। मैने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ पकड़ लिये और फुदी को चाटना शुरू कर दिया। हम दोनों को बहुत मजा आने लगा। थोड़ी देर बाद मैने अपने हाथों से फुदी को फैलाया और अपनी जीभ घुसा कर चाटने लगा. तो दीदी ने मेरा लंड मुंह से निकाल कर हाथ में पकड़ लिया और हाय हाय करने लगी. और कहने लगी हाय राजू और जोर से जीभ घुसा कर चाट, मेरी फुदी को खा जा।
और वह अपनी गांड हिला हिला कर फुदी को मेरे मुंह पर दबाने लगी। मेरी सांस रुकने लगी। फिर कहने लगी हाय राजू तेरा लंड बहुत प्यारा है। और कमर को हिलाते हुए उसने मेरा लंड फिर मुंह में ले लिया और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगी। अब मुझे भी बहुत मजा आने लगा और मैं भी अपनी जीभ और अंदर डाल कर हिलाने लगा। तभी दीदी ने एक चीख मारी और झट से उठ कर थूक से भरे मेरे लंड पर बैठ गयी और लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी फुदी में घुसाने लगी.
तो मैं बोल पड़ा कि दीदी यह क्या कर रही हो यह गांड नहीं फुदी है और तुम्हारी सील टूट जाएगी। दीदी चीख कर बोली मेरी फुदी आग से जल रही है और तुझे सील की पड़ी है। दीदी ने जोश में आकर जोर लगाया तो लंड थोड़ा अंदर जा कर रूक गया। उसने थोड़ा उठकर एक जोर का झटका मारा तो मेरा आधा लंड झटके से अंदर घुस गया। दीदी के मुंह से चीख निकल गई और फुदी से खून निकल पड़ा लेकिन दीदी रुकी नहीं और जोर जोर से ऊपर नीचे धक्के लगाती।
फिर मेरा पूरा लंड जड़ तक दीदी की फुदी मे चला गया और बच्चेदानी से टकराने लगा। दीदी उछल उछल चुदवाने तो मैने उस के उछलते हुए मम्मों को को पकड़ लिया तो दीदी बोली जोर से दबा इनको। थोड़ी देर स्पीड से चुदवाने के बाद दीदी ने आंखें बंद कर लीं और धीरे धीरे शांत हो गई और एक ठंडी सांस ले कर मेरे ऊपर लेट गई. और मेरे गालों को चूमने लगी और मेरे सिर पर हाथ फेरती हुई मुझे प्यार करने लगी।
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आजकल खेलने कूदने वाली लड़कियों की सील खुद ही टूट जाती है और अगर पूछे तो तुम भी बता देना कि एक बार मेरे पेट में बहुत दर्द हुआ था. तो डाक्टरनी ने चैक करते समय हाथ से मेरी फुदी से खून निकाल दिया था। यह सुन कर दीदी खुश हो कर हंसने लगी और गीला तौलिया लेकर मेरे अपनी फुदी से खून साफ कर के मेरे लंड से से खून साफ करने लगी।
फिर उसने मेरे लंड के टोपे की चुम्मी ली और बोली राजू तू कितना अच्छा है. तूने मेरे दो काम कर दिए एक तो मेरी गांड को बिना दर्द किये थोड़ा लूज़ किया और दूसरा मेरी फुदी को चूत बना दिया। मैं जब भी सैक्स करूंगी तेरी याद जरूर आएगी। तो मैने कहा देखो दीदी मेरा लंड तुम्हें देख कर कितना तना हुआ है मैं इसका क्या करूं। तो दीदी बोली तू जो चाहेगा में करूगी बोल क्या करूं।
मैने दीदी को खाट पर पीठ के वल लेटा कर उसकी टांगें चौड़ी कर दीं. और उस की चूत को प्यार से चाट कर गीला करके अपने लंड पर थूक लगा चूत पर घिसने लगा. तो दीदी फिर से गरम हो गई और आहें भरने लगी तो मैने लंड चूत के सुराख पर रख कर जोर से धक्का लगाया तो आधा लंड अंदर चला गया। मैं लंड को अंदर बाहर करने लगा तो दीदी ने मेरी कमर को पकड़ कर अपनी ओर खींचा तो मेरा पूरा ल़ंड चूत में घुस गया। “
फिर मैं दीदी के मम्मों को पकड़ कर धक्के लगाने लगा तो दीदी भी नीचे से गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी। और बोली कि राजू मेरी चूत को जी भर के चोद ले पर अगर अपना पानी चूत में मत निकाल देना नहीं तो हम दोनों को आत्महत्या करनी पड़ेगी। मैने कहा दीदी ऐसा कभी नहीं होगा। यह सुन कर दीदी खुश हो कर चुदवाती रही और झड़ गयी और उसने शरीर ढीला छोड़ दिया।
मेरा छूट नहीं रहा था तो मैने अपना लंड बाहर निकाल लिया और दीदी को बोला दीदी अब आप घोडी़ बन जाओ बहुत मजा आएगा। तोद दीदी झटसे गुटनों के वल हो गई और मेरे सामने अपनी गांड खड़ी कर के घोडी़ बन गयी। मैने दीदी की गांड पे थूक लगाया और अपना लंड उसमें घुसाने लगा तो दीदी दर्द से हाय हाय करने लगी मैं प्यार से धक्के लगाने लगा।
थोड़ी देर बाद दीदी नार्मल हो गयी और बोली राजू तूने कभी घोडी़ की ली है क्या तो मैने कहा कि कई बार ली है बहुत मजा आता है। क्योंकि घोडी़ की चूत पर बाल नहीं होते और वह लंड को एसे चूसती है जैसे तुम अपने मुंह में लेकर चूस रही थी। यह सुन कर दीदी हंसने लगी और अपनी गांड हिला हिला कर चुदवाने लगी। मुझे बहुत मजा आने लगा और मैने भी जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किए और अपने लंड का पानी दीदी की गांड में निकाल दिया।
थोड़ी देर बाद हम ने कपड़े पहन लिए और फिर खाना खाया। बारिश बंद हो चुकी थी और तेज धूप निकल आई थी। हमने खाट आम के पेड़ के नीचे लगाई और बातें करने लगे। तो दीदी बोली अब तूने मुझे दोनों तरफ चोद दिया है, अब तू मुझे मेरी शादी तक कभी भी चोद सकता है तो मैने कहा तेरी शादी के बाद मै क्या करूंगा। तो दीदी ने कहा कि मैं तेरे लिए इससे भी बढिया चूत का इंतजाम कर दूंगी। पर तू उस को प्यार से रक्खना। मैने उत्सुक हो कर पूछा कि वह कोन है तो दीदी ने कहा कि तेरी भाभी है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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