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नशे में होने के कारण अम्मी मुझे खुद से दूर नहीं कर पा रही थीं.
वो बेड पर लेटी लेटी मुझे रोकती रहीं. पर मैं कहां रुकने वाला था. आखिर मैंने इस पल का बहुत इंतज़ार किया था.
कुछ समय के बाद अम्मी के मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं. वो ‘आह … उह आह … आह आह …’ की आवाजें निकालने लगी थीं.
मैं समझ गया कि अब उन्हें भी मज़ा आने लगा है. मैं अपनी अम्मी की चूत को जोर जोर से चाटने लगा.
अम्मी जोर जोर से सांसें लेने लगीं- आह … उह … मत कर … आह … आग लगा दी … उह ओह!
अब अम्मी ने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में दबा लिया और इसी के साथ उनकी चूत ने गर्म गर्म पानी छोड़ दिया.
फिर अम्मी माँ बेटा सेक्स के मजे से अपनी आंखें बन्द करके लेटी रहीं.
मैंने देर करना ठीक नहीं समझा. मैंने जल्दी से अपना अंडरवियर उतारा और अपना लौड़ा अम्मी की चूत पर टिका कर एक जोर का झटका दे मारा.
चूत गीली होने की वजह से मेरा लौड़ा एक बार में ही पूरा अम्मी की चूत में घुस गया.
अम्मी की एकदम से चीख निकल गई, वे दर्द से कराहने लगीं.
उनकी चूत ने इससे पहले इतना बड़ा और मोटा लौड़ा कभी नहीं लिया था.
दर्द के मारे उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे.
वो मुझे धक्का देकर खुद के ऊपर से हटाने लगीं.
पर आप सबको तो पता ही है कि एक औरत मर्द से कभी नहीं जीत सकती.
मुझ पर तो उन्हें चोदने का भूत सा सवार था.
मैं उनके हाथों को पकड़ कर जोर जोर से धक्के मारने लगा.
दर्द के मारे उनकी जान निकल रही थी.
वो मेरे आगे खुद को छोड़ने की भीख मांगने लगीं- बेटा मैं ये दर्द नहीं सह पाऊंगी … आंह बेटा छोड़ दे. मैं तेरी अम्मी हूं. ये सब गलत है … ये पाप है. बेटा मैं इतना मोटा लौड़ा नहीं ले सकती. बेटा मुझे छोड़ दे.
कुछ समय अम्मी को ताबड़तोड़ चोदने के बाद वो शांत हो गईं और चुपचाप लेटी रहीं.
मैं जोर जोर से उनको चोदता रहा.
अब शायद अम्मी को भी मज़ा आने लगा था. वो खुद को चोदने में मेरा साथ देने लगी थीं.
अम्मी के मुँह से ‘आह … साले कितने दिन बाद आज चैन मिला … उह … आह … उह पेल दे …’ की कामुक आवाजें आने लगीं.
मैंने भी लंड पेलते हुए कहने लगा- हां अम्मी, मुझसे आपका दुःख देखा नहीं जाता था.
इस पर वो अपनी गांड उठाती हुई चिल्लाने लगीं- आंह हां बेटा चोद दे … आंह जोर से चोद दे … और तेज और तेज … आंह आज मेरी चूत फाड़ दे मेरे बेटे … तेरी अम्मी न जाने कितने सालों से प्यासी है. आज मेरी प्यास बुझाने वाला मिल गया. चोद अपनी अम्मी को बेटा आज से
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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मेरी अम्मी मेरे लंड की दीवानी
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(12-03-2024, 03:34 PM)neerathemall Wrote:
मेरी अम्मी मेरे लंड की दीवानी
इस कहानी की शुरुआत आज से 20 साल पहले ही हो गयी थी, जब मैं लगभग 15 साल का था. अब मैं अपने परिवार से आपका परिचय कराता हूँ. मैं (आकिफ) उम्र 35 साल, अब्बू (रेहान) उम्र 53 साल नौकरी पेशा आदमी हैं। अम्मी (रोज़ी) उम्र 45 साल हाउस वाइफ है (साइज -38)। बाजी शाजिया उम्र 28 साल फ़िलहाल तलाक शुदा है, मेरे गाँव वाले घर में ही रहती है (साइज 36-32-40) एकदम बम लगती है, उसकी एक बेटी है जो अभी दूध पीती है. मौसी (रोजीना) उम्र 46 साल विधवा है (साइज- 38-34-38) एकदम बम है। मेरी 2 मौसी और है और वो अपने ससुराल में हैं. मेरे 2 भाई और हैं जो मुझसे बड़े हैं और वो दूसरे सिटी में अपनी पढाई करते हैं और काम भी करते हैं. अब कहानी पे आते हैं।
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ये लगभग 20 साल पहले की बात है, जब मैं 15 साल का था। एक मासूम सा लड़का बस कॉलेज आता जाता था, पढाई पे ध्यान रहता था। हम लोग उस वक्त किराये के मकान में रहते थे। 1 रूम, 1 बरामदा था, रूम में 1 चौकी थी और 1 खटिया। मैं खटिया पे सोता था, मैं घर का छोटा था इसलिए सबका दुलारा भी था। सब मुझे बेहद प्यार करते थे, खास कर मेरी बाजी तो मुझपे अपनी जान छिड़कती है, मेरी अम्मी तो है ही. जब मैं 13 साल का था तब से अपनी अम्मी और अब्बू के पैर दबाता था, जब वो लोग कहते थे. एक रात की बात है हम सब सोये हुए थे, चौकी पे अम्मी अब्बू सोये थे और मैं खटिया पर। आधी रात के करीब किसी आवाज की वजह से मेरी नींद खुल गई, रूम में अँधेरा होने की वजह से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। जब आवाज सुनी तो रूम में फच फच फच की आवाज आ रही थी। मैं सोच में पड़ गया, आखिर ये आवाज कैसी है। फिर कुछ देर बाद तमाचे की आवाज आई जैसे किसी ने किसी को चांटा मारा हो, चांटे की आवाज के साथ किसी के कराहने की आवाज आई। आह आह आह आह और जोर से और जोर से, मैं चुप चाप आवाज सुनता रहा। ये आवाज तो अम्मी की थी।
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अम्मी – क्या कर रहे हो जी जोर से चोदिए ना बुर तो पूरा खोल दी हूँ, जोर से चोदिए थोड़ा दर्द कर रहा है पर आप इसका ध्यान मत दीजिये, बस धक्के लगाइये।
अब्बू – मेरी जान जोर से चोदूँगा तो तेरी बुर फट जाएगी.
अम्मी – तो क्या हुआ फटने दीजिये, ये बुर आपका ही है जैसे भी फाड़ना हो फाड़िए, लेकिन जोर से चोदिए।
अब्बू – ले फिर संभाल अपनी बुर को…
और जोर से धक्के मारने लगे, उनके धक्के मारने की आवाज साफ़ साफ़ सुनाई दे रही थी। जब अब्बू के टट्टे अम्मी की बुर से टकराते तो फच फच की आवाज आती..
अम्मी- (सिसकारी भरते हुए) आह आह आह उम् उम् मजा आ रहा है बस थोड़ा और अंदर कीजिये.
अब्बू – पूरा लंड डाल दिया हूँ मेरी जान! अब मैं झड़ने वाला हूँ क्या करू?
अम्मी – बस थोड़ी देर और चोदिए मैं भी झड़ने वाली हूँ…. आह आह चोदिए!
अब्बू – तो फिर ले पी मेरा माल बुर मे..
और वो अम्मी की बुर में झड़ने लगे। अम्मी भी शायद झड़ गई, क्यूकी वह भी जोर जोर से हाफने लगी थी। थोड़ी देर तक दोनों चुपचाप थे, करीब 10 मिन्ट्स बाद अम्मी बोली.
अम्मी – सुनिए जी अपना लंड बहार निकालो मुझे मूतने जाना है, जोर से पिशाब लगी है।
अब्बू – तो मूत ले ना यहीं.
अम्मी – नहीं बिस्तर पर नहीं मैं बहार जाऊंगी।
तो अब्बू शायद अम्मी के ऊपर से उतर गए, क्यूकी मुझे दरवाजा खुलने की आवाज आई, मैंने चुपके से देखा बहार से थोड़ी रौशनी आई। अम्मी बहार निकली पीछे से अब्बू भी निकले. वो लोग जैसे ही बहार निकले मैं झट से लाइट ऑन किया, देखा तो बिस्तर पूरा बिखरा पड़ा था और बिस्तर के बीच में भीगा हुआ था, मुझे कुछ समझ नहीं आया ये क्या है. मैं तुरंत लाइट ऑफ करके सो गया। सुबह मुझे कॉलेज जाना था तो सुबह जल्द ही उठ गया। देखा माँ बिस्तर पे नहीं है, अब्बू घोड़े बेचकर से रहे हैं. मैं बिस्तर से उठा तो देखा, अम्मी बहार आंगन में झाड़ू लगा रही है।
माँ – उठ गया बाबू (प्यार से बाबू बुलाती है)।
मैं – हाँ अम्मी!
अम्मी – जा जल्दी फ्रेश हो जा, नाश्ता तैयार है, टिफ़िन भी तैयार है, कॉलेज भी जाना है.
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मैं – जी अम्मी!
ये बोलकर मैं बाथरूम में चला गया, तैयार होके निकला तब तक अम्मी बहार ही थी.
मैंने अम्मी से पूछा अम्मी रात को आप सिसक क्यू रही थी, अब्बू आपको मारे थे क्या? आपके गाल पे निशान भी हैं.
अम्मी घबरा गई, चेहरे का रंग मानो उड़ गया..
बोली नहीं तो भला तेरे अब्बू मुझे क्यू मारेंगे? वो हम सब से इतना प्यार जो करते हैं, तू छोड़ इन बातों को, जा तू कॉलेज जा, नाश्ता करके.
मैं कॉलेज चला गया. अगले 2 रात तक मुझे कोई आवाज सुनाई नहीं दी, फिर कुछ दिन बाद फिर से मुझे आवाज आई, चौकी हिलने की और अम्मी की आवाज भी लेकिन बहुत धीरे से अम्मी बोली.
अम्मी – सुनो जी उस रात बाबू जगा हुआ था, वो सब सुना था, अगली सुबह मुझसे पूछ रहा था की अब्बू आपको क्यू मारे थे? मैं तो उसे टाल दी। अब चोदिए मुझे लेकिन आवाज मत निकालिये धीरे धीरे चोदिए.
अब्बू – ठीक है मेरी जान.
और वो लोग अपनी चुदाई में मगन हो गए, बिना आवाज किये. मुझे भी पता नहीं कब नींद आ गई, बात को लगभग 2 साल बीत गए. अब शायद सब नार्मल हो गया था, अब्बू शायद अब अम्मी को नहीं चोदते थे, अम्मी भी कुछ गुमसुम रहने लगी. मैं अब दसवीं पास कर चुका था और रिजल्ट आने के इन्तजार में घर पे ही रहता था। हमारा घर भी चेंज हो गया था, अब्बू की नौकरी लग चुकी थी, तो हमें 2 बीएचके क्वार्टर अलोट हुआ था। हम सब उसी में रहते थे, एक रूम मेरा था, दूसरा अम्मी अब्बू का. चुदाई का चस्का तो मुझे 16 साल में ही लग गया था, जब मैंने पड़ोस में रहने वाली मुंह बोली मौसी और उसकी बेटी को चोदा था। लेकिन वो कहानी बाद में बताऊंगा. अब्बू सुबह ड्यूटी चले जाते थे और शाम को ही आते थे. दिन भर घर मे मै और अम्मी रहते थे.
एक दिन सुबह के 10 बजे होंगे। अम्मी घर का सारा काम निपटा के फारिग हो गई। मैं यूं हीं बैठा कुछ किताबें देख रहा था, अम्मी मुझे पैर दबाने को बोली और अम्मी पलंग पे लेट गई। मैं अम्मी के पैर दबाने लगा। अम्मी हमेशा से साड़ी पहनती है, साड़ी नाभि के नीचे बांधती है, रंग गोरा है, नाभि गहरी है, छूछी तो कमाल है ही, लेकिन कभी खुला नहीं देखा। बस ब्लाउज के ऊपर से ही देखा। अम्मी अपनी साड़ी घुटनो के ऊपर कर ली लेकिन जांघे ढकी थी, मैं पैर दबा रहा था, अम्मी शायद कुछ सोच रही थी और अपना हाथ साड़ी के अंदर किये हुए थी। अचानक से अम्मी ने झटके में हाथ निकाला, मैंने देखा अम्मी के हाथ में बाल है, मैं समझ गया कि ये उसकी झांटे हैं जो वो नोच के निकाली है। मैंने धीरे से अम्मी की साड़ी घुटने के ऊपर सरका दी, जिससे अम्मी की जांघें दिखने लगी, अम्मी कुछ बोली नहीं। मैं धीरे धीरे जांघ को भी दबाने लगा, घुठने के नीचे दबाता और जैसे ही ऊपर जाता, जांघ को सहलाता।
अम्मी का ध्यान शायद मुझपे नहीं था, ऐसे ही कुछ देर तक जांघ सहलाता रहा था, की अम्मी ने अपने पैर फैला दिये, जिसकी वजह से साड़ी फ़ैल गई और अम्मी की झांटों से भरी बुर मुझे दिखने लगी। मैं एकटक बस अम्मी की बुर ही देख रहा था, अम्मी शायद ये नजारा भांप ली और उसने मुझे आवाज लगाई।
अम्मी – बाबू! बाबू!
मैं उसकी आवाज नहीं सुन रहा था, अचानक से वो जोर से पुकारी।
बाबू!
तब मैं बोला – हाँ!
अम्मी – कहाँ खोया हुआ है?
मैं – कहीं नहीं अम्मी.
अम्मी – तो मेरी आवाज सुनाई नहीं दे रही है क्या?
मैं – जी अम्मी बोलिये ना क्या बात है? मैं पैर तो दबा रहा हूँ।
और इधर मेरा लंड खड़ा भी हो गया, जो पेंट के अंदर तम्बू बना रहा था, लेकिन अम्मी को नजर नहीं आया.
अम्मी – जरा ऊपर दबाओ जांघ तक.
मैं – जी अम्मी!
ये बोलके मैं जांघ दबाने लगा। दबाते दबाते मैं अपना हाथ उनकी बुर तक ले जाता और सहला देता। ऐसा मैं 3-4 बार किया होगा। पाँचवीं बार जब मैं हाथ अम्मी की बुर तक ले गया, तो मेरा अंगूठा अम्मी की बुर को टच हो गया, जिसकी वजह से अम्मी चौंक उठी और बोली…
अम्मी – कहाँ दबा रहा है तू?
मैं अनजान बनते हुए – जांघ दबा रहा हूँ अम्मी.
अम्मी – ठीक से दबा.
मैं – जी अम्मी!
ये बोलके दबाने लगा। थोड़ी देर में मैं फिर से अपना हाथ अम्मी की बुर पे ले गया और सहला दिया। मेरे अंगुली पे कुछ चिपचिपा सा लगा, मुझे समझते देर न लगी कि अम्मी की बुर पनिया गई है, इतने में अम्मी ने झट से मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली..
अम्मी- क्या कर रहे हो? मेरी तो डर से हालत ख़राब हो गई।
मैं बोला – वो अम्मी कुछ नहीं, मेरा हाथ फिसल के आपके अंदर वाली जगह पे चला गया.
अम्मी – मैं कब से देख रही हूँ, तुम मेरी बुर को छू रहे हो क्या बात है?
मैं अम्मी के मुंह से बुर शब्द सुन के दंग रह गया, मैं घबरा रहा था. मैं माफ़ी मांगने लगा और बोला..
मै – अम्मी मुझसे गलती हो गई!
अम्मी – जरा संभल के मुझसे बोली, तुमको मेरी बुर पसंद है?
मैं – अम्मी ऐसी बात नहीं है, मन में बोला पसंद तो है और भी बहुत कुछ पसंद है अम्मी..
मैं इससे पहले कुछ बोलता, अम्मी ने मेरे बाल पकड़ के जोर से खींचे और एक हाथ से अपनी साड़ी को ऊपर उठा के अपने पैर खोल दिये और मेरा सर अपनी बुर पे लगा के बोली..
अम्मी – अगर तुमको मेरा बुर इतना पसंद है तो फिर चाट इसको और मेरा सर दबाये रखी. मैं छूटने की नाकाम कोशिश करने लगा, लेकिन जैसे ही मेरा नाक अम्मी की बुर पे लगा, उसकी बुर से एक मादक खुशबू आ रही थी, मैंने भी झट से अपनी जीभ निकालके अम्मी की बुर पे फेरा डाली। अम्मी सिहर उठी इस्स्स्सस्स्स्स आआअह्ह इस्ससस्स्सस्स्स्स करने लगी.
अम्मी – बाबू! चाट मेरी बुर को! अच्छे से चाट! जीभ अंदर डाल. मैं अम्मी की बुर चाटते चाटते बोला…
मै – अम्मी क्या मैं बुर में ऊँगली डालूं?
अम्मी – बाबू नहीं अभी नहीं, थोड़ी बुर चाट ले, फिर जब मैं बोलूंगी तब.
मैं लगभग 10 मिनट्स तक अम्मी की बुर चाटा. फिर अम्मी बोली बाबू एक बात बोलूं?
मैं – जी अम्मी बोलिये ना.
अम्मी – ये बात किसी को बोलोगे तो नहीं?
मैं – नहीं अम्मी किसी को नहीं बोलूंगा.
अम्मी – पक्का ना बाबू?
मैं – हाँ अम्मी पक्का आप बोलिये ना.
अम्मी – बाबू मेरी बुर मे बहुत खुजली हो रही है तुम मेरी बुर की खुजली मिटाओगे?
मैं बनते हुए बोला, मै – क्या मतलब अम्मी? मैं कुछ समझा नहीं! अगर खुजली हो रही है तो मैं खुजला देता हूँ और अपने हाथ से अम्मी की बुर को खुजली करने लगा.
अम्मी – अरे पगले ऐसे नहीं, मैं तुम्हारे सामने अपनी टंगे फैलाये हुई हूँ और तुम हाथ से खुजली कर रहे हो.
मैं – तो कैसे अम्मी?
अम्मी – अरे मेरे भोले बाबू! मेरा कहने का मतलब है मुझे अपने लंड से चोदोगे?
मैं अम्मी से खुलना चाहता था तो मैं बोला..
मै – क्या अम्मी सिर्फ चोदूँ?
अम्मी- मैं तुम्हारे सामने आधी नंगी हूँ, तुमको जो करना है करो! चाहो तो पूरा नंगी कर लो.
मैं – क्या सच में? मैं जो चाहूँ वो कर सकता हूँ?
इतने में अम्मी उठी और मुझे कसके पकड़के अपना होंठ मेरे होंठ में रख कर चूसने लगी और बोली.
अम्मी – बाबू मुझे आज मसल दो.
मैं – अम्मी अगर अब्बू को पता चला तो?
अम्मी – तुम उसकी चिंता मत करो मैं सब संभाल लूंगी बस तुम किसी को मत बताना तेरे अब्बू को भी कुछ पता नहीं चलेगा! वैसे भी तेरे अब्बू मुझे पिछले 2 साल से नहीं चोदे हैं, मेरी बुर जल रही है, मैं थक गई हूँ, बुर को मसल मसल के ऊँगली कर कर के! अब मुझे तेरा लंड चाहिए.
मैं -अम्मी मैं ऐसे आपको नहीं चोदूँगा.
अम्मी- तो फिर कैसे?
मैं -पहले आप अपनी बुर की झांट की सफाई करो क्यूकी मैं आपकी बुर को अच्छे से चाटना चाहता हूँ.
अम्मी- तो तुम खुद ही सफाई कर दो, अपने अब्बू के रेज़र से.
मैं – हाँ ये ठीक रहेगा!
मैं अब्बू का रेज़र ले आया और एक साबुन भी। फिर अम्मी को बोला कि आप नंगी हो जाओ।
अम्मी बोली मैं कुछ नहीं करूंगी, तुमको जो करना है खुद करो।
मैं- ठीक है!
फिर और मैंने अम्मी की साड़ी खोला फिर ब्लाउज अब अम्मी सिर्फ ब्रा और साया में थी मैंने बोलै अम्मी ब्रा खोल दूँ?
अम्मी झल्ला कर बोली – हरामज़ादे मैंने तुमको बोला ना जो करना है वो कर, मैं तुमसे सब कुछ करवाने को तैयार हूँ।
मैं- ठीक है अम्मी!
और मैंने एक झटके में अम्मी की ब्रा फाड़ दी। ब्रा फटते ही अम्मी की चूचियां हवा में ऐसे लहरा के लटकी की जैसे पपीते लटकते हैं। अम्मी की चूचियां एकदम गोलाई की शेप में थी। फिर साया का नाडा भी इतनी जोर से खींचा की नाडा सहित अम्मी मुझमें आके चिपक गई। मैंने अम्मी की चूचियां जो की 38 साइज की है दोनों को एक साथ पकड़ के धक्का दिया। इससे पहले की वो पीछे हटती मैंने नाडा फिर पकड़ लिया और खींच दिया। जिसकी वजह से साया नीचे गिर गया औरवो मेरे सामने बिक्लुल नंगी हो गई. मैंने फिर उनकी चूचियों को पकड़ के धकेल दिया और उसकी चूचियों पे टूट पड़ा। एक चूसता तो दूसरा दबाता, निप्पल जो की भूरे रंग की है, दांत से काटता। दांत लगते ही वो सिसक पड़ती. जब मन भर गया, तब रेज़र और साबुन से अम्मी की बुर साफ़ किया.
तब अम्मी बोली अब आगे बढ़ो.
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मैंने पहले उनके होंठो को चूमा, फिर कान के इर्द गिर्द जीभ फेरी, फिर गर्दन चूमा और चूचियाँ दबाता रहा। फिर नाभि से होते हुए बुर तक पहुंचा। अम्मी की बुर ज्यादा बड़ी नहीं थी, लेकिन बुर के होंठ थोड़े से निकले हुए थे, जिससे की बुर और भी अच्छी लग रही थी। मैंने जैसे ही बुर पे अपनी जीभ फिराई, अम्मी के मुंह से आवाज निकली.
अम्मी – हाय दय्या मार दिया रे! कितना जालिम है तेरा जीभ!
और अपने पैर फैला दी. मैं बुर के होंठ को जीभ से मस्ती मे चाट रहा था, कभी ऊँगली डाल देता, कभी जीभ डाल देता। ऐसे 15 मिनट्स करने के बाद अचानक से अम्मी ने अपनी पैर मेरे कंधे पे दबा दिये और जोर से बुर को मेरे मुहं पे लगा दी और झड़ने लगी। उनकी बुर से पानी की फव्वारा निकलने लगा। मेरा पूरा मुहं भीग गया, फिर वो अपनी बॉडी को ढीला छोड़ दी और हाफने लगी.
मैं बोला – अम्मी आप तो झड गई! अब मेरा क्या होगा?
अम्मी – अभी तो खेल शुरू हुआ है, पूरा खेल तो बाकि है।
मैं बोला – क्या?
अम्मी- अभी तो चुदाई बाकि है, चलो अब मुझे चोदो!
मै – पर मेरा तो अभी खड़ा नहीं हुआ है.
अम्मी – तो लाओ मैं खड़ा करती हूँ!
मैं अपना पेंट खोलते हुए बोला – ये लो!
अम्मी की नजर जैसे ही मेरे लंड पे पड़ी वो बोली – ये तो पहले से ही खड़ा है!
मैं बोला – ये तो अभी नार्मल है!
ये सुनते ही वो सहम गई और बोली…
अम्मी – या अल्लाह ये कब और कैसे हो गया! इतना बड़ा हथियार तुम्हारे पास है और मुझे पता नहीं! अगर ये नार्मल है तो खड़ा कितना होगा?
मैं – खुद खड़ा करके देख लो!
अम्मी – क्या?
मैं – मेरा नुन्नु!
अम्मी – ये नुन्नु नहीं मेरे बाबू ये तो लंड है लंड.
मैं- तो खड़ा कर लो.
अम्मी मेरा लंड पकड़ के हिलाने लगी!
मैं- अम्मी हाथ से हिलाने से क्या होगा कुछ और करो ना.
अम्मी मेरा लंड पकड़ के ऊपर नीचे करके मुठ मारने लगी।
मैं बोला – ऐसे नहीं! ये ऐसे खड़ा नहीं होगा! इसको लार चाहिए.
अम्मी- क्या मतलब?
मैं – मतलब क्या इसको मुंह में लो चूसो इसको.
अम्मी – क्या बोल रहे हो, मैं इसको मुंह में नहीं लूंगी! ये गन्दा है! मैंने तेरे अब्बू का कभी नहीं लिया है.
मैं – (मैं भी नखरे दिखाया ठीक है) फिर रहने देते हैं चुदाई यहीं ख़तम!
और मैं अपना पेंट पहनने लगा.
अम्मी – अरे मेरे बाबू गुस्सा क्यू होता है! और मेरा पेंट पकड़ के उतार दी, फिर लंड को अपने मुहं में लेकर चूसने लगी। पहले तो सिर्फ टोपा ही चूसती रही।
कुछ देर बाद मैंने कहा – मुहं खोलो!
उन्होने जैसे ही अपना मुहं को गोल बनाया, मैं धीरे से लंड को उनके मुहं में अंदर करने लगा..
और बोला – सांस नाक से लो मुहं वैसे ही रखो!
मैंने धीरे धीरे पूरा का पूरा लंड अम्मी के हलक तक उतार दिया और अम्मी का सर पीछे से पकड़ के लंड हलक में दबाये रखा. हलक की गर्मी पा कर मेरा लंड फूलकर पूरा मोटा हो गया. ऐसे ही मैंने 8-9 बार किया। जब बाहर निकला तो अम्मी की आँखों से आंसू निकल रहे थे। मेरा लंड देखते ही अम्मी का मुहं खुला का खुला रह गया।
मैंने कहा -अम्मी अभी मुहं खुला है बुर खुलना बाकि है! अभी भी समय है बुर खुलवाना है या रहने दूँ?
अम्मी- बाबू ये तो कम से कम 5इंच का होगा?
मैं- हाँ अम्मी ये 5इंच का ही है.
अम्मी – लेकिन बाबू इतना बड़ा लंड मैं अपनी बुर में नहीं ले पाऊंगी। तुम्हारे अब्बू का मुश्किल से 5-6 इंच होता है वो भी खड़ा होने के बाद.
मैं- तो क्या करना है अम्मी? अपनी बुर खुलवानी है या फिर रहने दूँ?
अम्मी – नहीं बाबू अब जो होगा देखेंगे, अब तो चाहे मेरी बुर फटे तो फटे! सहने की कोशिश करूंगी! चल अब डाल.
मैं – तो तैयार हो अपनी बुर चुदवाने को?
अम्मी – हाँ में सर हिलाके बोली – हम्म्म.
मैं – अच्छा ये बताओ की मैं इसी बुर से निकला था?
अम्मी – हाँ बाबू तुम इसी बुर से निकले थे, जब निकले थे तब तेरा सर बहार निकलते हुए मेरी बुर फटी थी और अब आज तुम इस लंड से फाड़ो, लेकिन धीरे धीरे लंड डालना बहुत मोटा और लम्बा लंड है तुम्हारा.
मैं – देखता हूँ!
और मैंने अम्मी को बिस्तर पे लिटा दिया और उसकी टांगे अपने कंधे पे रख कर बोला..
मै – अम्मी लंड को सही जगह पे लगाओ!
अम्मी ने लंड को पकड़ कर अपनी बुर के छेद पे सेट किया और बोली..
अम्मी – हो गया धीरे से अंदर कर!
मैंने जरा धक्का मारा तो मेरे लंड का टोपा बुर के अंदर घुस गया! अम्मी चिहुंक उठी और बोली….
अम्मी -आह इस्स्सस्स्स्स इस्स्स्सस्स या अल्लाह रुक जा बाबू.
मैं – क्या हुआ अम्मी निकाल लू क्या?
अम्मी – नहीं थोड़ा रुक दर्द कर रहा है.
मैं – मैंने सोचा इसी दर्द का फायदा उठाता हूँ..
और मैंने अपने दोनों हाथ से अम्मी की गर्दन पकड़ के जोर की पकड़ बनाई और एक जोरदार करारा धक्का मारा। मेरा पूरा लंड अम्मी की बुर को चीरता हुआ सीधे बच्चेदानी को टकराया, मुझे भीजो र का झटका लगा। अम्मी इतनी जोर से चिल्लाई कि मैं बता नहीं सकता। मैंने झट से उनका मुहं हाथों से बंद कर दिया लेकिन वो छटपटाने लगी। फिर मैंने उनका मुंह छोड़कर उनके होंठ को अपने होंठ से दबा लिया और चूचियों को दबाने लगा. उनकी आवाज मेरे मुंह में ही दब गयी। फिर मैंने जोरदार धक्के पे धक्के देने शुरू कर दिए। अम्मी रोने लगी, उनकी आँख से आंसू की धार निकलने लगी. फिर थोड़ी देर बाद जब उनका दर्द कम हुआ तो वो शांत हुई और मैंने भी उनके होंठ छोड़ दिए. फिर उनके आंसू को चाट लिया और उनकी चूचियों को पकड़ कर उनको चोदने लगा। उन्हे भी अब मजा आने लगा। मेरा हर धक्का उनकी बच्चेदानी को लगता और वो सिसक जाती।
अम्मी बोली… अम्मी – बाबू तुमको पता नहीं आज पहली बार मेरे बच्चेदानी तक लंड गया है, बच्चेदानी में चोट लगने से दर्द तो करता है लेकिन मजा भी आ रहा है, अब तुम मेरे दर्द की फ़िक्र न कर, लगा जोर जैसे तुमने मेरी बुर फाड़ी है वैसे ही मेरी बच्चेदानी भी फाड़ दे, लेकिन जम कर चोद मुझे.
मैं – क्या अम्मी आप को अगर चोदकर आपके बच्चेदानी भी फाड़ दूँ तो तुम बच्चे कैसे पैदा करोगी?
अम्मी – अब बच्चे क्या क्या करूंगी? 4 बच्चे तो हो गए हैं.
मैं – क्या मैं कुछ बोलूं?
अम्मी – हाँ बोल ना.
मैं – क्या तुम मेरा एक बच्चा पैदा करोगी?
अम्मी- पागल हो गया है क्या? मैं अब 45 साल की हो गई हूँ इस उम्र में बच्चा? नहीं नहीं बच्चा नहीं, वैसे भी अब मेरी मासिक रुक चुकी है तो बच्चे का चांस नहीं.
मैं भी उनको कुछ नहीं बोला और उनको चोदने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने अम्मी के एक पैर को उल्टा किया तो वो समझ गई की क्या मैं चाहता हूँ और वो उलट गई, वो जैसे ही उलटी उनकी बुर से फट की आवाज के साथ मेरा लंड बहार निकल गया। मैं भी अब पीछे से अम्मी के दोनों चूतड़ पकड़ कर लंड बुर पे लगाया और एक ही झटके में पूरा डाल दिया। फिर से वह अम्मी की बच्चेदानी से जा टकराया। अम्मी आगे को झुक गई और फिर मैं उनके दोनों चूचियों को पकड़ कर धक्के पे धक्के देने लगा। करीब 30 मिनट्स में अम्मी की बुर से फव्वारा निकलने लगाऔर वो झड़ गई। उनकी बुर के पानी की गर्मी से मेरा लंड भी जवाब देने लगा. मैंने झट से अम्मी को सीधा किया. और लंड बुर में डालकर चोदने लगा। वो समझ गई की मैं भी छूटने वाला हूँ, वो बोली…
अम्मी – बाबू लंड बहार निकाल लो, अंदर मत झड़ना, माल मेरे पेट पे निकालो.
मैं – नहीं अम्मी! एक शर्त पे लंड बहार निकलूंगा!
वो बोली – क्या?
तो मैंने बोला – मैं अपना माल जाया नहीं करना चाहता, या तो बुर के रास्ते पीओ या फिर मुहं से पीओ, बोलो क्या करोगी? जल्दी बोलो…
और मैं धक्के देता रहा। अम्मी सोचती रही की क्या करू तब तक मैं 3-4 धक्के देकर पूरा लंड बुर के अंदर तक ले जाकर झड़ने लगा। मैं इतना झड़ा कि अम्मी का पेट फूलने लगा।
अम्मी बोली…
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अम्मी – या अल्लाह ये तूने क्या कर दिया! तुमने मेरे बुर में ही झाड़ दिया.
मैंने कहा… मैं – मैंने आपको ऑप्शन दिया था लेकिन आप देरी कर दिए।
अम्मी – अगर मेरे पेट में बच्चा रह गया तब?
मैं – तो क्या हुआ बच्चे को जन्म नहीं दोगी?
अम्मी कुछ देर सोचने के बाद मुझे प्यार से चूमते हुए बोली…
अम्मी – जरूर देती जन्म! लेकिन अब मेरा बच्चा नहीं रुकेगा.
फिर हम हंसने लगे. जब मैंने घडी में देखा तो 2 बज रहे थे, मतलब पिछले 4 घंटे से हम चुदाई के खेल में लगे रहे. मैंने अम्मी से कहा..
मै – अम्मी रात में तो आप अब्बू के पास सोती हो, अगर मेरा मन किया चुदाई का तो?
अम्मी – नहीं ये गलती नहीं! अगर तेरे अब्बू को जरा सी भी भनक लग गई तो हम दोनों की शामत आ जाएगी. इसलिए बाबू जब तेरे अब्बू रहेंगे तब नहीं. वैसे भी अब मैं पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ, बस नाम के लिए तेरे अब्बू के पास रहूंगी. Ammi ki chudai sex story
ये बोलके अम्मी उठने लगी, लेकिन मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया,
मैंने अम्मी से कहा – अम्मी जरा इसे देखो इसे और चाहिए?
अम्मी – तो रोका किसने है?
मैं- तो हो जाये!
फिर मैंने अम्मी को बिस्तर पे पटका और चढ़ गया फिर लगा चुदाई करने! धक्के पे धक्के देने लगा! पूरा कमरा फिर से फच फच फच की आवाज से गूंज उठा। इस बार अम्मी जोश दिलाने लगी बोली.
अम्मी – शाबाश बाबू बहुत बढ़िया आज मेरी बुर की प्यास बुझी है चोद जोर जोर से चोद! फाड़ तो दिए हो मेरी बुर और फैलाओ इसको चोदो और सिसकारी भरने लगी.. आह आह उम्म उम्म! येस मेरे बाबू क्या दम है रे तेरे लंड में! तेरा लंड तो वहां तक जा रहा है, जहाँ तक तेरा बाप सोच भी नहीं सकता मेरा नाभि लगता है जैसे फट जाएगा। चोद और चोद. और अपने पैर फैला दी….
मैं – अम्मी लो मेरा लंड अपनी इस पनियाई बुर में! लो सम्भालो मेरे झटके को.
और गच गच गच करके चोदने लगा। मेरा टट्टे अम्मी की बुर से टकराते ही फच फच की आवाज से कमरा गूंज उठा। दोपहर का टाइम था, आस पास पड़ोस के सब सोये हुए थे, इसलिए अम्मी पूरे मज़े से चुद रही थी. मैं भी अब अम्मी को जोर जोर से उसकी चूचि पे थप्पड़ मार मारके चोदने लगा। अम्मी नीचे से अपनी गांड उठा उठा के मेरा साथ दे रही थी…
यस मेरे बाबू चोदो अपनी अम्मी को! बोलकर मेरा उत्साह बढ़ा रही थी। वो जितना बोलती उतनी जोर से मैं उनको धक्के मारता, उनका पूरा बदन थर थर कांपने लगा। करीब 40 मिनट बाद मैं झड़ने को आया। अम्मी इस बीच 2 बार झड़ चुकी थी. मैंने अम्मी को बोला की मेरी तरफ देखो। अम्मी की आँखों में देखते हुए मैं अम्मी की बुर में झड़ने लगा।
अम्मी को चोदा
अम्मी बोली. अम्मी – तुम बहुत बदमाश हो मेरा धयान अपनी तरफ खींच कर मेरा कोख फिर से भर दिया। कोई बात नहीं वैसे भी मेरा मासिक रुक गया है कोई खतरा नहीं है, मैं प्रेग्नेंट नहीं हूँगी.
मैं हसने लगा! अम्मी भी हंसने लगी. उसके बाद मैंने अम्मी को 2 बार और चोदा और दोनों बार माल अम्मी की बुर में ही डाला। अम्मी की बुर डबल रोटी की तरह फूल कर लाल हो गई थी। फिर एक साथ नहाया, खाना खाया। तब तक अब्बू के आने का वक्त हो गया था। कुछ देर बाद अब्बू आ गए, फिर सब नार्मल हो गया, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। लेकिन एक बात ये हुई कि अम्मी की चाल बदल गई थी। अब्बू ने पूछा क्या हुआ तो अम्मी बोली की पैर फिसल गया था इसलिए थोड़ी मोच आई है। अब अब्बू को क्या पता की उसकी बीवी का पैर खुद के बेटे के लंड के ऊपर फिसला है, जिसके कारण उसकी चाल टेढ़ी हो गई है.
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अम्मी से अनोखा प्यार पहुंचा चुदाई तक |
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(12-03-2024, 03:47 PM)neerathemall Wrote:
अम्मी से अनोखा प्यार पहुंचा चुदाई तक |
हाय मेरा नाम सानिया है और जो कहानी मै आपको सुनाने जा रही हूँ, शायद कुछ लोगो को झूठ लगे लेकिन ये मेरी लाइफ की एक सच्ची कहानी है। जो की मेरे और मेरे बेटे के बीच हुई चुदाई की है. मै अपने बारे में आपको बता दू! मै एक टिपिकल ,., औरत हूँ। मेरा फिगर 36-32-38 है और मेरी उम्र 44 साल है. मेरा एक बेटा है जिसका नाम शाहिद है और वो 23 साल का है। मेरे शौहर का नाम वसंत है जिनकी एक सिलाई की दुकान है और वो कपडे सिलाई का काम करते हैं। उनकी उम्र 53 साल हैं. मेरे बेटे ने अभी अभी स्टडी कम्पलीट की और उसकी जॉब बैंगलोर में लग गयी है और वो गाँव से अब शहर रहने जा रहा है. मेरा बेटा मेरे बहुत ही क्लोज था, हर वक़्त बस अम्मी अम्मी करता रहता था. शहर जा कर भी वो मुझसे फ़ोन में ढेर सारी बाते किया करता था.
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12-03-2024, 03:51 PM
(This post was last modified: 12-03-2024, 03:53 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
एक दिन अचानक उसने फ़ोन पर बताया की उसकी तबियत बहुत खराब है और उधर उसकी देखभाल के लिए भी कोई नहीं था. तो मै और मेरे शौहर घबरा गए, हमे जल्द से जल्द उसके पास जाना था लेकिन इसके अब्बू को जल्द से जल्द कुछ लोगो के कपडे सिलकर देने थे तो वो नहीं जा सकते थे। तो मुझे अकेले ही जाना पड़ा. मै शहर के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी पर अपने बेटे के लिए बिना सोचे अकेले चली गयी. जैसे ही शहर पहुंची तो मै वहाँ का भीड़ भड़ाका देख कर घबरा गयी. वहाँ औरते भी छोटे छोटे कपड़ो में घूम रही थी, जो मै पहली बार देख रही थी. शहर पहुँचकर मैंने अपने बेटे को कॉल किया.
अम्मी – बेटा अपना एड्रेस भेज दे मै टैक्सी कर के आ जाऊँगी.
बेटा – अम्मी आप शहर के बारे में ज्यादा नहीं जानते आप वही रुको मै आपको लेने आता हूँ.
अम्मी – बेटा लेकिन तेरी तो बहुत तबियत ख़राब थी.
बेटा – अरे अम्मी वो सब छोड़ो मै आता हूँ.
मै थोड़ी देर वहाँ बैठकर अपने बेटे का वेट करती रही। थोड़ी देर में मेरा बेटा वहाँ पहुंचा.
अम्मी – बेटा तूने तो बोला था तेरी तबियत बहुत ख़राब है.
बेटा – अरे अम्मी ऐसे नहीं बोलता तो आप वही गाँव में रहती और मेरे साथ शहर घूमने कभी नहीं आती तो एक झूठ तो चलता है.
अम्मी – बेटा ऐसा भी कोई झूठ बोलता है? तुजे पता भी है हम कितना घबरा गए थे.
बेटा – अरे अम्मी वो सब छोड़ो चलो अब आपको अभी शहर घुमाता हूँ.
इसका मतलब ये था की मेरे बेटे ने मुझे अपने पास बुलाने के लिए झूठ बोला था। खैर जो भी हो मुझे शहर आके अच्छा लग रहा था। मेरे बेटे ने उस दिन मुझे बहुत जगह घुमाया। हमने बहुत सारी फोटोज क्लिक की और रात को हम उसके कमरे में चले गये।
अम्मी – बेटा आज तो मुझे बहुत मजा आया घूमने में.
बेटा – अम्मी इसीलिए तो आपको अपने पास बुलाया मैंने. अब आप कुछ दिन यही मेरे साथ रहोगी. आपको नहीं पता मैंने आपको यहाँ कितना मिस किया.
अम्मी – हाँ बेटा मैंने भी तुझे बहुत मिस किया.
मैंने अपने बेटे को हग कर दिया. फिर रात को हमने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे। उसके रूम में एक छोटा सा बेड था तो दोनों उसी बेड पर लेट गए.
अम्मी – बेटा तेरी वजह से मैं चेंज करने को कोई कपड़े भी नहीं लायी और इसी में आ गयी.
बेटा – कोई बात नहीं अम्मी कल ऑफिस से आते हुए आपके लिए लेकर आ जाऊंगा.
फिर हम सोने लगे बेड छोटा होने से मेरा बेटा मुझसे चिपक के सो रहा है। उसने हाथ मेरी कमर में रखा हुआ था और मेरी मोटी गांड मेरे बेटे से टच हो रही थी और फिर हम ऐसे ही सो गए. अगली सुबह हम उठे मैंने उसे नाश्ता दिया और वो ऑफिस के लिए चला गया. दिन भर मै घर में अकेले बोर हो रही थी। शाम को वो घर आया और मेरे लिए कुछ कपड़े लेकर आया.
बेटा – अम्मी ये कुछ आपके घूमने के लिए और ये इसमें आपके रात को सोने वाले कपडे है.
अम्मी – ठीक है बेटा मै चेंज कर के आती हूँ. मै चेंज करने जाती हूँ तो देखती हूँ कि मेरा बेटा एक छोटी सी नाइटी लाया था.
अम्मी – बेटा ये तो बहुत छोटी ड्रेस है ऐसे कपड़े मै नहीं पहनती.
बेटा – अम्मी छोटा नहीं है यहाँ शहर में सारी लेडीज यही पहनती है और वैसे भी घर में हम ही दोनों तो हैं.
अम्मी – बेटा लेकिन मुझे आदत नहीं है.
बेटा – अम्मी धीरे धीरे आपको शहर की आदत पड़ जाएगी.
फिर मै वो छोटी सी नाइटी पहन के आती हूँ जिसमे मेरे मोटे मोटे बूब्स साफ़ नज़र आ रहे थे और उसमे मेरी गांड भी काफी बाहर के तरफ नज़र आ रही थी। मै शर्माते हुए बहार आती हूँ.
बेटा – देखा अम्मी!!! आप इसमें कितनी सुन्दर लग रही हो चलो आपकी फोटोज क्लिक करता हूँ.
अम्मी – नही बेटा मै मोटी लग रही हूँ.
बेटा – अरे अम्मी आप ऐसे ही रुको.
और मेरा बेटा मेरी बहुत सी फोटोज क्लिक करने लगता है। फिर रात को हम खाना खा कर सोने लगते हैं बेड में जाकर मै बोलती हूँ.
अम्मी – बेटा तुझे पता है दिन भर मै कितनी बोर हुई.
बेटा – अम्मी तो लैपटॉप में मूवीज देख लेती न.
अम्मी – अरे बाबा मुझे खोलना ही कहा आता है.
बेटा – रुको अभी आपको सिखाता हूँ.
फिर रात को वो मुझे लैपटॉप चलाना सिखाता है और हम सोने लगते है. तो वो मुझसे चिपक के सोने लगता है और मुझसे चिपक जाता है। मुझे पीछे से मेरी गांड में उसका खड़ा लंड फील होने लगता है और उसका हाथ मेरे पेट पर रखा होता है। मेरे बेटे का अपनी अम्मी से चिपक कर लंड खड़ा हो रहा था, जिससे मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था. लेकिन मुझे लगा वो सो गया है नींद में ऐसा हो गया होगा.
नेक्स्ट डे वो ऑफिस गया तो मै उसका लैपटॉप चलाने लगी. मुझे कोई मूवीज समझ नहीं आ रही थी, तो मै ऐसे ही सरे फ़ोल्डर्स चेक करने लगी। उसमे एक फोल्डर मिला जो की होम स्क्रीन पर ही था, और जिसमे लिखा था माय लव. मुझे लगा मेरे बेटे की कोई गर्लफ्रेंड है जो इसने हमसे छुपा रखी है। जैसे ही मैंने फोल्डर खोला तो उसमे सारी मेरी फोटोज थी बहुत सारी. मुझे खुशी हुई की मेरा बेटा मुझसे कितना प्यार करता है। धीरे धीरे मैंने और फोटोज देखि तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी. उसमे मेरी अजीब अजीब फोटोज थी जो मेरे बेटे ने चुपके से क्लिक की थी. मेरे कपड़े चेंज करते हुए चुपके से क्लिक की हुई फोटोज जिसमे मै सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी. ये सब देख कर मैंने और चेक किया तो उसमे एक फोल्डर था माय ड्रीम
वो खोलते ही देख कर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी. उसमे मेरे बेटे ने नंगी फोटोज में मेरा चेहरा लगा रखा था. जिसमे मोटी मोटी औरतें अपनी नंगी चूत खोल कर लेटी हैं और उसमे इसने मेरा चेहरा लगा रखा था. एक फोटो तो ऐसी थी जिसमे एक लड़के का लंड लड़की की चूत में था और उसमे चेहरा मेरा और मेरे बेटे का लगा था एडिट करके. मै सोच में पड़ गयी की मेरा बेटा मेरे बारे में ये सब सोचता है. फिर मैंने वीडियोस देखि जिसमे माँ बेटे की चुदाई की वीडियोस थी। एक लड़का अपनी माँ की चुदाई कर रहा था। ये सब देख कर मै हैरान रह गयी. दिन भर इसी सोच में बीत गया, रात को मेरा बेटा मेरे लिए गिफ्ट्स लेकर आया और बोला-
बेटा – अम्मी देखो मै आपके लिए क्या लेकर आया हूँ.
अम्मी – (मै उसी सोच में थी) क्या?
बेटा – चलो आप आँख बंद करो पहले और यहाँ पर बैठो (उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बेड में बिठाया और मेरे पैरो में पायल पहना दी)।
देखो अम्मी है न सुन्दर.
वो पायल सच में बहुत सुंदर थी, मै बोली. अम्मी – हाँ बेटा सच में बहुत सुंदर है लेकिन इसकी क्या जरूरत थी.
बेटा – अपनी अम्मी को खुस देखने के लिए मै कुछ भी कर सकता हूँ. ऐसे ही फिर कुछ देर बाद हमने खाना खाया और हम बेड में लेट गए. मेरे अंदर वही बात चल रही थी की कैसे अपने बेटे से बात करू की ये सब क्या है तो अँधेरे में थोड़ा हिम्मत करके मैंने बात करने की सोची.
अम्मी – बेटा आज मैंने तेरे लैपटॉप में कुछ देखा.
बेटा – क्या अम्मी?
अम्मी – बेटा वो. ,बेटा देख मै तेरी अम्मी हूँ और जो तूने किया है वो बहुत गलत है.
बेटा -पेट में हाथ फेरते हुए – क्या हुआ अम्मी साफ़ साफ़ बोलो न.
अम्मी – बेटा तूने मेरी गन्दी गन्दी फोटोज क्यों रखी है?
बेटा – अम्मी जब आपको मिस करता हूँ तो रात भर उन्ही फोटोज को देखता हूँ.
अम्मी – बेटा और सब ठीक है लेकिन तूने मेरी चुपके से कपड़े चेंज वाली फोटोज क्यों खींची.
बेटा – अम्मी क्युकी आप बहुत सुन्दर हो और मुझे वैसे में आप और भी ज्यादा खूबसूरत लगती हो.
थोड़ी देर हम दोनों चुप हो गए रूम में सन्नाटा था.
अम्मी – बेटा तूने नंगी फोटोज में मेरा चेहरा क्यों लगाया है?
बेटा – अम्मी क्युकी मुझे पता है आप भी उतनी ही सुन्दर दिखती होगी.
अम्मी – बेटा लेकिन ये सब गलत है.
बेटा – अम्मी मै बचपन से आज तक बस आपको ही देखता आया हूँ,, मुझे आपको देखना बहुत अच्छा लगता है.
धीरे धीरे मेरा बेटा मेरे पेट में हाथ फेरने लगा और फिर उसने मेरे बूब्स दबाने सुरु कर दिए.
अम्मी – आह्ह्ह बेटा ये क्या कर रहा है.
मैंने उसका हाथ हटा कर फेस उसकी तरफ कर दिया जब तक मै कुछ और बोलती वो मेरे होंठ चूसने लगा. वो पागलो की तरह मेरे होंठ चूमे जा रहा था.
अम्मी – बेटा मै तेरी अम्मी हूँ ये गलत है.
बेटा – अम्मी दरवाजे की कुण्डी लगने के बाद आप एक खूबसूरत औरत हो बस जिससे मै सच्चा प्यार करता हूँ.
अम्मी – बेटा तेरे अब्बू को धोखा नहीं दे सकते हम.
बेटा – अम्मी आप इतनी हसीं हो अब्बू तो बूढ़े हो गए हैं और आप अभी भी जवान हो, और वैसे भी अब्बू की हर चीज में बेटे का हक़ होता है. और मेरा बेटा मुझसे चिपक गया और मेरे मोटे मोटे बूब्स जोरो से निचोड़ने लगा.
बेटा – आह्ह्ह्हह अम्मी क्या बूब्स हैं आपके कितना तरसा हूँ इनको ऐसे निचोड़ने के लिए.
अम्मी – आह्ह्ह्ह बेटा धीरे कर दर्द हो रहा है.
बेटा – अम्मी इतने मोटे मोटे दूध हैं आपके आह्ह्ह कितने मुलायम हैं अम्मीईईईईई…
फिर मेरा बेटा मेरे ऊपर आ गया और मेरे बूब्स चूसने लगा और मेरे निप्पल काटने लगा.
अम्मी – आह्ह्ह्ह बेटा आह्ह्ह्ह काट मत दर्द हो रहा है.
पर वो कहा मेरी सुनने वाला था उसने जल्दी जल्दी में मेरी नाइटी उतार कर फेंक दी और अपने कपड़े भी उतार दिए और मुझसे लिपट गया।
बेटा – अम्मी आप बहुत प्यारी हो आप से सुन्दर कोई नहीं है दुनिया में.
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अम्मी – बेटा मैंने कभी सोचा भी नहीं था मै अपने बेटे के साथ कभी नंगी सोऊँगी.
बेटा – अम्मी मै हर रात आपको नंगा करने के ख्वाब देखता था. आप मेरे ख्वाब से भी ज्यादा हसीं हो.
और मेरा बेटा मेरी मोटी मोटी टाँगे खोल कर मेरी चूत में मुँह लगा देता है और मेरी चूत चाटने लगता है.
अम्मी – आअह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह मममम बेटा आआह्ह्ह्हह..
बेटा – अम्मी अह्ह्ह्ह कितनी टेस्टी चूत है अम्मीई आपकी आआह्ह्ह्ह..
अम्मी – आअह्ह्ह्ह बेटा अह्ह्ह्हह आअह्ह्ह्हह मममममम…
बेटा – आपकी मोटी मोटी टांगो के बीच कितनी प्यारी सी फुद्दी है अम्मी आपकी..
मेरा बेटा मेरी चूत पागलो के तरह चाट रहा था। मै भी बिस्तर में मछली के जैसे तड़प रही थी. फिर मेरा बेटा मेरे ऊपर आया और मेरे बूब्स चूसने लगा और उसने अपनी 2 ऊँगली मेरी चूत में डाल दी और तेज़ तेज़ अंदर बहार करने लगा.
अम्मी – आअह्ह्ह आअह्ह्ह आह्ह्ह्ह बेटा धीरी आअह्ह्ह बेटा..
बेटा – अम्मी कितनी टाइट चूत है ये! आह्ह्ह्ह लंड डालने से पहले इसको सही से खोल देता हूँ.
अम्मी – आअह्हह्ह्ह्ह बेटा आअह्ह्ह्हह आआह्ह्ह्हह एआईईईए..
बेटा – अम्मी प्लीज अपने बेटे का लंड चुसो ना.. फिर मैंने अपने हाथ से अपने बेटे का लंड पकड़ा और मुँह में डाल के प्यार से चूसने लगी.
बेटा – आअह्ह्ह्ह अम्मी आअह्ह्ह्हह्हह मजा आरा है कितना मस्त चूस रही हो आपपप आअह्ह्ह्ह..
फिर मैंने बेटे ने मुझे जोर से धक्का दिया मै बेड में गिर गयी और वो मेरे ऊपर चढ़ गया. और मेरी टाँगे खोलने लगा और लंड मेरी चूत से रगड़ने लगा.
बेटा – अम्मी जिस चीज के लिए आपको बुलाया यहाँ वो अब सच हो रहा है! अम्मी आअह्ह्ह अम्म्मीईई ये मेरा सपना था।
अम्मी – आअह्ह्ह बेटा तू पागल है आअह्ह्ह्ह..
बेटा – आह अम्मी आपकी इस चूत के लिए मै बहुत पागल हूँ.
फिर धीरे धीर मेरे बेटे ने अपना लंड मेरी चूत में एडजस्ट किया और एक झटके में अंदर डाल के मुझसे चिपक गया.
अम्मी – आअह्ह्ह्ह बेटा ये गलत कर रहे हैं हम.
बेटा – आअह्ह्ह्हह अम्म्मीईई कितनी मस्त चूत है ये आपकी आअह्ह्ह्हह अंदर डालते ही मजा आ गया.
फिर मेरे बेटे ने मेरी जोरदार चुदाई सुरु कर दी। वो अब तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा.
अम्मी – आह्ह्ह्हह आआआहहहहह बेटाआआ आअह्हह्ह्ह्ह अम्म्मम्म…
बेटा – अम्मी मजा आ रहा है? अम्मी आअह्ह्ह्हह कितनी मस्त चूत है आपकी!
अम्मी – आआअह्ह्ह्ह बेटा आराम से कर आअह्हह्ह्ह्ह…
बेटा – आअह्हह्ह्ह्ह अम्म्मीईई ये चूत तो तेज़ पेलने के लिए है उममममममम आह्ह्ह्हह..
अम्मी – बेटा आअह्हह्ह्ह्ह आईईए आआह्ह्ह्हह बेटा धीरे..
बेटा – अम्म्मीईई इतना मजा कभी नहीं आया जितना आपकी चूत में आ रहा है आअह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अम्म्म..
अम्मी – बेटा तेरी अम्मी हूँ रंडी नहीं प्यार से कर बेटे आह्ह्ह्हह्ह…
बेटा – अम्मी रंडी भी इतना मजा नहीं देगी जितना आप दे रही हो आह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह..
पुरे रूम में हमारी चुदाई की आवाज गूंज रही थी.
बेटा – अम्मी उलटी होके घोड़ी बन जाओ अपनी मोटी गांड ऊपर करो.
मै घोड़ी बन जाती हूँ मेरा बेटा पीछे से लंड मेरी चूत में डालता है और मेरे बाल खींचकर धक्के मारना सुरु कर देता है.
अम्मी – आआह्ह्ह्ह बेटा आआह्ह्ह्ह दर्द हो रहा है धीरे कर अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह..
बेटा – आह्ह्ह्हह क्या मोटी गांड है अम्मी!! हाय ऐसी गांड तो मैंने सपने में भी नहीं सोची थी.
अम्मी – बेटा आह्ह्ह्हह आह्ह्ह्हह जल्दी कर मै थक गयी हूँ बेटा…
बेटा – अम्मी अब तो रोज आपको ऐसे ही पेलूगा रात भर आह्ह्ह्हह्ह अम्मी क्या मस्त टाइट चूत है आपकी.
अम्मी – बेटा तू इसी चूत से बहार आया है आआह्ह्ह्हह…
बेटा – हाँ अम्मी तभी तो इसको इतना चोद रहा हूँ.. अम्मी अब आप मेरे ऊपर आ जाओ.
मै मेरे बेटे के ऊपर आयी और लंड को चूत में डाला.
बेटा – आह्ह्ह्ह अम्मी कितना मस्त चुदवाती हो आप आअह्ह्ह मेरे ख्वाबो से भी ज्यादा मजा दे रही हो आप!! आअह्ह्ह अम्मी आह्ह्ह्हह अम्मी निकलने वाला है अम्मी..
अम्मी – आआह्ह्ह्ह बेटा ममममम निकाल दे अंदर ही आअह्ह्ह्हह..
बेटा – अम्मी अहहहहह उमममममी अम्म्मीईई अम्म्मीईई आह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह अम्म्मीईई…
मेरे बेटे ने कस के मुझे पकड़ लिया और फिर वो मेरी चूत मे अपना माल गिराने लगा। फिर ऐसे ही हम नंगे सो गए एक दूसरे से चिपक कर. अगली सुबह फ़ोन बजता है इसके अब्बू का फ़ोन होता है.
अब्बू – बेटा कैसा है तू अब ठीक है तबियत?
बेटा – हाँ अब्बू अब अम्मी ने आते ही मेरी तबियत ठीक कर दी पूरी.
अब्बू – चलो अच्छा है बात करा तो अपनी अम्मी से.
अम्मी – जी.
अब्बू – सानिया तू घर कब आ रही है?
अम्मी – अभी ये बोल रहा है की एक महीने रुक जाओ फिर साथ में घर चलते हैं.
अब्बू – ठीक है आराम से आना. और फ़ोन कट कर देते हैं. हम दोनों नंगे बिस्तर में होते हैं अब उजाले में मुझे शर्म आ रही होती है, मै फेस अंदर करती हूँ.
बेटा – अम्मी रात को इतना मजा दे के अब शर्मा रही हो. और फिरसे वो लंड मेरी चूत में डालने लगता है और सुबह सुबह भी मेरी चुदाई करता है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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(12-03-2024, 04:08 PM)neerathemall Wrote: नफीसा आंटी
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आंटी के कई फ़ोन आ चुके थे, उनकी चुत गांड की बेकरारी बढ़ती ही जा रही थी.
फिर एक दिन मैं दोपहर में नफीसा आंटी के घर गया तो वो घर में अकेली थीं.
मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनके बड़े-बड़े मम्मे दबाने लगा.
मेरा लौड़ा उनकी गांड में रगड़ रहा था.
पहले तो वो एकदम से चौंक गईं … फिर मुझे पाते ही मस्त हो गईं.
आंटी एकदम से गर्म भी हो गई थीं.
मैंने लंड रगड़ते हुए पूछा- घर में कोई नहीं है क्या?
उन्होंने अपनी गांड मेरे लंड पर रगड़ते हुए कहा- हां राज, मैं अकेली हूं और बहुत प्यासी भी हूँ. कबसे तुझे बुला रही हूँ.
ये सुनते ही मैंने आंटी की सलवार का नाड़ा खोल दिया. सलवार नीचे सरक कर गिर गई और उनकी मस्त गांड सिर्फ एक छोटी सी थौंग चड्डी में नंगी हो गई.
आंटी के दोनों चूतड़ नंगे हो गए थे. मैं एक हाथ एक चूतड़ को पकड़कर दबाने लगा. दूसरे हाथ से नफीसा आंटी की चूचियों दबाने लगा.
मजा बढ़ने लगा तो मैंने उनकी कुर्ती में हाथ घुसा दिया.
उन्होंने अपने मम्मों पर ब्रा नहीं पहनी हुई थी जिससे मेरा हाथ सीधे उनकी चूचियों से जा लड़ा.
आंटी की बड़ी-बड़ी चूचियां मेरे हाथ में नहीं आ रही थीं.
आंटी ने फुफुसाते हुए कहा- कुर्ती उतार दो.
मैंने उनकी कुर्ती को पीछे से खोल दिया और उनकी नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगा.
अब वो जोश में आ गईं और मेरे कपड़े उतारने लगीं. जल्दी ही आंटी ने मुझे नंगा कर दिया और मेरे लौड़े को मुंह में लेकर चूसने लगीं.
आधी खुली कुर्ती में उनकी पहाड़ जैसी चूचियां मेरे सामने नंगी हिल रही थीं.
मैंने धीरे से उनकी कुर्ती को उतार दिया और चूचियों को मसलने लगा.
वो मस्त होने लगीं और गपगप गपगप करके लंड को अन्दर बाहर करके चूस रही थीं.
हम दोनों भूल गए थे कि हम हॉल में हैं. हालांकि दरवाजे बंद थे.
मैंने नफीसा आंटी के मुंह से लंड निकाला लिया और उन्हें कालीन पर नीचे लिटा दिया; फिर उनकी संगमरमर सी चिकनी टांगों में फंसी पैन्टी खींच कर उतार दी.
आंटी की मस्त चुत उनकी दोनों टांगों के बीच में खिलखिला रही थी.
मैंने उनकी दोनों टांगों को पकड़ चौड़ा करते हुए फैला दिया और उनकी चूत में उंगली अन्दर तक घुसा दी.
‘उईई ईई मर गईईई …’
मैंने उंगली चुत में अन्दर बाहर करते हुए कहा- कंडोम कहां है?
वो बोलीं- आह मेरे सरताज … कंडोम नहीं … मुझे ऐसे ही चोदो.
मैंने लंड पर थूक लगाया और चूत में घुसा दिया.
वो ‘आहह अहह आह …’ करने लगीं.
मैंने अपने लौड़े की रफ्तार तेज कर दी और लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा.
दस बारह धक्कों के बाद आंटी भी मस्त हो गईं और सीत्कारने लगीं- आहह आह और तेज़ चोदो … आहह और तेज … फ़ाड़ दे मेरी … आह!
मैं अपनी रफ़्तार को काफी तेज करके चुत के अन्दर लंड पेलने लगा था, साथ ही नफीसा आंटी की चूचियों को मसलने लगा था.
कुछ ही देर की चुदाई में आंटी की चूचियां टाइट होने लगी थीं.
फिर मैंने लंड चुत से निकाला और नफीसा आंटी को सोफे पर घोड़ी बनाते हुए झुका दिया.
आंटी की गांड लंड के लिए लगातार हिल रही थी.
मैंने पीछे से उनकी चूत में लंड घुसा दिया और तेज़ तेज़ चोदने लगा.
मैं आंटी के ऊपर पूरा चढ़ गया था और अपने दोनों हाथ नीचे करके उनकी पपीते जैसी चूचियों को मसलने लगा.
मेरा लंड झटके पर झटके लगाने लगा.
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. मैंने कुछ सुना ही नहीं बस अपने झटकों की रफ्तार बढ़ाते हुए आंटी को गपागप गपागप चोदता रहा.
तभी बाहर से आवाज आई- अम्मी अम्मी … दरवाजा खोलो!
हम दोनों की सांसें रूक गईं और सोचने लगे कि आज तो फंस गए.
मैंने जल्दी से हम दोनों के कपड़े उठाए और नफीसा के रूम में आ गया.
नफीसा ने पास रखा गाउन पहन लिया और दरवाजा खोलने चली गईं.
सलीम अन्दर आया और पूछने लगा- अम्मी इतनी देर क्यों लगी … आप क्या कर रही थीं और इतना पसीना क्यों आ रहा है!
नफीसा ने बात पलटते हुए कहा कि मैं अपने रूम की सफाई कर रही थी और पंखा बंद था.
सलीम कुछ नहीं बोला.
तो नफीसा आंटी ने सलीम को बोला- कुछ खा लो … तेरे लिए कुछ खाने को लाऊं!
सलीम बोला- मैं थक गया हूं अम्मी … अपने रूम में कुछ देर आराम करूंगा, फिर बाद में खा लूंगा.
नफीसा आंटी सलीम के रूम में जाने के थोड़ी देर बाद जैसे ही कमरे में आईं, मैंने पीछे से उन्हें पकड़ लिया और उनका गाउन उतार दिया.
मैंने लंड रगड़ते हुए पूछा- सलीम क्या बोल रहा था.
वो बोली कि कुछ नहीं … वो कमरे में चला गया है.
मैंने आंटी को घुटनों के बल बैठाया और उनके मुंह में लंड डाल दिया.
वो गपागप गपागप लंड चूसने लगीं और मैं उनके मम्मों को मसलने लगा.
आंटी ने जल्दी ही लंड को तैयार कर दिया और बिस्तर पर घोड़ी बन गईं.
मैंने लंड को चूत में घुसा दिया और उनकी कमर पकड़कर चोदने लगा.
वो उम्मह ओह आहह आआह करके मस्ती से लंड लेने लगीं.
जल्दी ही मैं अपनी रफ़्तार पर आ गया और ताबड़तोड़ लंड अन्दर बाहर करने लगा.
अब नफीसा आंटी की गांड भी तेज़ी से आगे पीछे होने लगी थी और वो बिंदास लंड चुत में लेने लगी थीं.
कमरे में थप थप थप की सेक्सी आवाज बढ़ती जा रही थी.
कुछ दस मिनट की चुत चुदाई के बाद नफीसा आंटी की चूत ने पानी छोड़ दिया.
चुत की मलाई से लंड गीला हो गया.
मैंने चुत से लंड निकाल लिया और नफीसा आंटी की गांड में रगड़ना शुरू कर दिया.
आंटी ने समझ लिया और गांड का छेद खोल दिया.
मैंने उनकी कमर पकड़कर जोर का धक्का लगाया तो लंड गांड के अन्दर चला गया.
‘ऊईई ऊईई मर गई … एकदम से पेल दिया.’
आंटी आवाज करने लगीं तो मैंने कहा- धीरे बोलो … सलीम सुन लेगा.
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ये सुनते ही आंटी ने अपनी आवाज को बंद कर दिया और मैंने लंड को अन्दर बाहर करना चालू कर दिया.
मेरा लंड आंटी की गांड में सटासट अन्दर बाहर चलने लगा.
अब नफीसा आंटी भी अपनी गांड तेज़ तेज़ आगे पीछे करने लगी थीं.
उनकी दबी सी आवाज कमरे में आ रही थी- आह आह राज और तेज़ तेज़ अन्दर तक जाने दो … और अन्दर आहह!
मैंने अपने लौड़े को चौथे गियर में डाल दिया और गपागप गपागप गांड मारने लगा.
चुदाई की मस्ती में जल्दी ही हम दोनों फिर से भूल गए थे कि घर में सलीम भी है.
मादक सिसकारियां तेज स्वर में निकलने लगीं- आहहह नफीसा मेरी जान … आई लव यू …
मेरे मालिक मेरे सरताज आह. आह नफीसा आई लव यू टू.’
‘मुझे हमेशा ऐसे ही चोदोगे … ऐसे ही प्यार करना …’
मैंने कहा- हां मेरी जान … कितना मस्त चुदवाती हो.
अब मैं तेजी से लंड को अन्दर-बाहर करने में लगा था.
हम दोनों ही पसीने से लथपथ हो गए थे और उसी पल मेरे लौड़े ने वीर्य छोड़ दिया.
हम दोनों चिपक कर लेट गए.
थोड़ी देर बाद नफीसा ने गाउन पहन लिया और सलीम के कमरे में गई.
नफीसा आंटी अन्दर का नजारा देख कर बहुत खुश थीं क्योंकि सलीम सो रहा था.
आंटी ने वापस आकर अपना गाउन उतार दिया और मेरे लौड़े को पकड़ लिया.
मैं उनके बूब्स सहलाने लगा, वो लंड को अपने हाथों में लेकर मसलने लगीं.
आंटी ने लंड को चूसना शुरू कर दिया और लॉलीपॉप के जैसे गपागप गपागप चूसने लगीं.
मैं भी जोश में आकर आंटी के मुंह में लंड के झटके लगाने लगा.
फिर मैंने नफीसा आंटी को बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी दोनों टांगों को अपने हाथों में लेकर चूत में लंड घुसा दिया.
आंटी की टांगों को हवा में करके मैं उन्हें मस्ती से चोदने लगा.
वो ‘आहह उमहह आहह …’ की सेक्सी आवाज करके मेरा जोश बढ़ा रही थीं.
मैंने एक टांग को अपने कंधे पर रख दिया और उनकी क़मर पकड़कर चोदने लगा.
‘आहह आह और चोदो चोदो चोदो मुझे …ले लो मेरी आहह आह …’
मैं भी झटके पर झटके लगाने लगा.
हम दोनों काफी गर्म हो गए थे और एक-दूसरे को चुदाई का मज़ा दे रहे थे.
कुछ देर बाद मैं नीचे लेट गया और नफीसा आंटी मेरे लौड़े पर बैठ गईं.
उन्होंने लंड पकड़ कर चुत में सैट किया और बैठने लगीं.
मैंने नीचे से गांड उठा दी, तो मेरा लंड सट्ट से अन्दर घुसता चला गया.
अब नफीसा आंटी मेरे लंड पर उछल उछल कर चुदाई का मज़ा लेने लगी थीं.
ऐसा लग रहा था … जैसे आंटी मुझे चोद रही हों.
नफीसा आंटी की चूत में लंड अन्दर तक जाने लगा और वो मस्ती से लंड पर उछल उछल कर गांड पटकने लगीं.
इस समय दोनों तरफ से बराबर झटके लग रहे थे और दोनों एक-दूसरे को चोद रहे थे.
दस मिनट बाद नफीसा आंटी की चूत ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया और गीला लंड फच्च फच्च करके अन्दर बच्चेदानी तक टक्कर मारने लगा.
मैंने नफीसा आंटी को उठने का इशारा किया.
वो लंड से हटीं और बिस्तर पर औंधी लेट गईं.
मैंने उनकी कमर के नीचे दो तकिए लगा दिया.
नफीसा की गांड ऊपर आ गई तो मैंने टांगें फैला कर झटके से लंड गांड में घुसा दिया और तेज़ तेज़ चोदने लगा.
नफीसा को मजा आने लगा और वो ‘आह आह आहह और चोदो चोदो मुझे मेरे आका … और फ़ाड़ दो अपनी नफीसा की गांड …’ चिल्लाने लगीं.
मैं अपनी पूरी रफ्तार से उनकी गांड में लंड अन्दर-बाहर करने लगा.
वो भी मस्ती से अपनी गांड में आहह आहहह आहहह करके लंड ले रही थीं.
आज नफीसा आंटी की गांड में अलग ही मजा आ रहा था; मैं लंड को अन्दर तक पेल रहा था.
तभी शायद सलीम जाग गया था उसकी आहट मिल रही थी. लेकिन अब मैं रूकने वाला नहीं था.
मैंने अपने लौड़े की रफ्तार बढ़ा दी और तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा. अब नफीसा आंटी की गांड की खुजली कुछ कम हो गई थी.
वो बोलीं- राज जल्दी करो … शायद सलीम जाग गया है.
मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और झटके से घुसा दिया और तेज़ तेज़ चोदने लगा.
सलीम रूम से बाहर आ गया और अम्मी अम्मी चिल्लाने लगा.
मैंने झटकों की रफ्तार और बढ़ा दी और तेज़ी से चोदने लगा.
मेरे लौड़े ने वीर्य छोड़ दिया और नफीसा आंटी की गांड में ही झड़ गया.
नफीसा आंटी ने अपनी सांसों को काबू में करते हुए कहा- सलीम, रूक मैं आ रही हूं.
सलीम ने कहा- अम्मी क्या कर रही हो?
नफीसा ने कहा- मैं कपड़े खोलकर कुछ दवा लगा रही हूं. तू कमरे में चल, मैं तेरे कमरे में ही खाना लाती हूं.
सलीम- ओके … जल्दी आओ मुझे भूख लग रही है.
सलीम अपने रूम चला गया.
मैंने नफीसा की गांड में एक दो झटके और लंड को बाहर निकाल लिया.
नफीसा आंटी की गांड से वीर्य निकल पड़ा.
तभी नफीसा ने मेरा लौड़ा अपने मुंह में भर लिया और गपगप गपगप करके चूसने लगीं.
उन्होंने मेरा लौड़ा चूसकर साफ़ कर दिया और गाउन पहन कर बाहर आ गईं.
मैंने अपने कपड़े पहने और जब नफीसा सलीम को खाना देने गईं तो चुपके से निकल कर अपने घर आ गया.
उस दिन सलीम के घर रहते हुए आंटी को चोदा था … ये सोच सोच कर मुझे बड़ा मजा रहा था.
ऐसे ही एक बार तो एक बिस्तर में ही सलीम के सामने नफीसा को चोदा था. उस दिन सलीम नशे में सोया पड़ा था.
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12-03-2024, 04:15 PM
(This post was last modified: 12-03-2024, 04:49 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मम्मी की जवान सहेली की मदमस्त चूत चोदी
,,,
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12-03-2024, 04:18 PM
(This post was last modified: 12-03-2024, 04:52 PM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
मैं एक नया नया बिजनेसमैन हूं और अपने घर से ही अपना सारा काम करता हूं.
मेरी कमाई ठीक ठाक कमाई है और अभी शादी नहीं हुई है.
हालांकि मेरी उम्र लगभग 32 साल हो गयी है लेकिन कुछ मजबूरियों और मेरी खुद की आर्थिक उथल-पुथल के चलते अभी तक शादी की नौबत नहीं आई है.
जैसा कि आप लोग जानते ही होंगे कि शादी ना होने पर भी आपके शरीर की यौन आवश्यकताएं तो पूरी करनी ही पड़ती हैं और जब वो ना पूरी ना हो रही हों, तो खुद से ही उन्हें शांत करना पड़ता है.
चलिए खैर … अब उस दिन की बात शुरू करते हैं, जिस दिन की घटना मैं आप सभी से मॉम फ्रेंड सेक्स कहानी के रूप में साझा करने जा रहा हूं.
मेरी माता जी की एक सहेली हैं वो उनकी किटी पार्टी की सहेली.
उनका नाम शाजियाहै.
शाजिया आंटी की उम्र यही कोई 40 वर्ष की होगी लेकिन देखने में सिर्फ 35-36 की लगती हैं.
उनकी कोई सन्तान भी नहीं हुई है. ये उनके जीवन का सबसे बड़ा दुख है.
लेकिन मित्रो, यहां बात इसकी भी नहीं है, बात तो बस कुछ हालातों से हुई घटना की है.
उस दिन मेरी माता जी और पिता जी किसी आवश्यक काम से शहर से बाहर गए हुए थे और घर में मैं अकेला था.
बाहर मौसम बारिश का बन रहा था लेकिन अभी बारिश हो नहीं रही थी.
मैं भी नहा धोकर, नाश्ता वगैरह करके अपने कमरे में अपना लैपटॉप खोलकर अपने काम में लग गया था.
लगभग एक घंटा बाद मेरे दरवाजे की घंटी बजी.
देखा तो बाहर शज़िया आंटी बारिश में पूरी भीगी हुई खड़ी थीं.
मैंने तुरन्त उन्हें अन्दर आने को कहा और कमरे से अपनी तौलिया लाकर दी.
शज़िया आंटी बताने लगीं- अरे बेटा निखिल क्या बताऊं … तेरे अंकल मुझे चौराहे पर छोड़कर खुद ऑफिस निकल गए और चौराहे से तेरे घर की तरफ बढ़ी, तो एकदम से बारिश शुरू हो गयी. मैंने सोचा कि घर नजदीक ही है तो फटाफट पहुंच जाऊंगी लेकिन आते आते पूरी भीग गयी.
ये बताती हुई वो अपने बाल पौंछ रही थीं.
फिर आंटी ने अपना चेहरा वगैरह सब पौंछा.
लेकिन वो पूरी तरह भीग चुकी थीं.
कुछ पल बाद उन्होंने पूछा कि मम्मी कहां हैं तेरी?
मैं बोला- आंटी, मम्मी और पापा तो शहर से बाहर गए हैं, रात तक वापस आएंगे.
ये सुनकर आंटी थोड़ी परेशान सी हो गईं और बोलीं- तेरे अंकल भी अब अपने ऑफिस पहुंच गए होंगे और अब शाम को ही मुझे वापस लेने आ पाएंगे.
बाहर मूसलाधार बारिश शुरू हो चुकी थी जो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी.
आंटी ने बोला- चल अच्छा मैं तेरी मम्मी के कपड़े पहन लेती हूं, तब तक तू मेरे कपड़े मशीन में डालकर सुखा दे.
मैंने उनको जवाब दिया- आंटी, मम्मी तो अपना कमरा बन्द करके गयी हैं, तो आपको उनके कपड़े तो नहीं मिल पाएंगे. हां लेकिन आपको मैं अपने कपड़े दे देता हूं. आप जल्दी से चेंज कर लो, वर्ना इतनी देर भीगे कपड़े पहने-पहने आपको सर्दी लग सकती है.
आंटी ने कुछ सेकेंड सोचा, फिर बोलीं- हां, सही कह रहा है तू, चल दे अपने कपड़े, वही पहन लेती हूं और तू मेरे भीगे कपड़े मशीन से सुखा लाना.
मैंने बोला- जी आंटी.
मैं अपनी अलमारी से आंटी के लिए एक टी-शर्ट और एक बाक्सर निकाल कर ले आया.
मैंने उनको कपड़े पकड़ा दिए.
मेरी टी-शर्ट और बाक्सर देखकर वो थोड़ा सा हंसी और बोलीं- अरे निखिल मैं ये पहनूंगी क्या? कम से कम लोअर तो देते.
मैंने कहा- आंटी, मैं गर्मी में लोअर नहीं पहनता और इनमें क्या दिक्कत है. गर्मी में इन्हीं कपड़ों में आराम मिलता है. अब आप ये सब सोचना छोड़िये और फटाफट कपड़े बदल लीजिए, तब तक मैं आपके लिए गर्मागर्म चाय बना लाता हूं. फिर लौट कर आकर आपके कपड़े भी सुखा दूंगा.
मेरी बात सुनकर आंटी ने कहा- चल अच्छा, अब यही पहनने हैं तो क्या कर सकती हूँ. तू जा, मैं कपड़े बदलकर बाहर ही रख दूंगी और तेरे कमरे में बैठी हूं. जल्दी से चाय लेकर आ जा, इस मौसम में चाय पीने का मज़ा ही कुछ और है.
मैं गया और चाय बनाने लगा और मन में ये सब ही चल रहा था कि यार मैं अच्छा खासा काम कर रहा था और इसी में आंटी आ गयीं. अब काम छोड़कर इनकी खातिरदारी में लगना पड़ रहा है. कपड़े दो, चाय बनाओ, कपड़े सुखाओ दुनिया भर की नौटंकी.
ये सब सोचते सोचते चाय बनकर तैयार हो गयी.
मैंने फटाफट चाय छानकर कप में डाली और नमकीन, बिस्किट वगैरह निकाल कर कमरे की तरफ बढ़ चला.
बाहर देखा तो आंटी ने अपने कपड़े स्टूल पर रख दिए थे.
मैंने चाय की ट्रे कमरे के बाहर ही रखी और सोचा कि लाओ कपड़े डालकर मशीन चला देता हूं … और फिर आराम से बैठकर मैं और आंटी चाय पियेंगे.
कपड़े मशीन में डालकर मैंने वापस ट्रे उठाई और कमरे में दाखिल हुआ, तो देखा बेड पर आंटी मेरी टी-शर्ट और बाक्सर में क्या गजब लग रही थीं.
मेरी नज़र उनकी गोरी गोरी टांगों पर अटक गयीं लेकिन मैंने ध्यान ना देने का नाटक किया और ट्रे बेड पर रख दी.
मैंने देखा कि टी-शर्ट के ऊपर से ही उनके निप्पल भी झलक रहे थे.
मेरा दिमाग एकदम से हिल गया क्यूंकि आज तक मैंने पूनम आंटी को ना इस रूप में देखा था और ना ही उनके लिए ऐसा कोई ख्याल मन में आया था.
मेरे मन में ये सब चल ही रहा था कि आंटी ने कहा- मुझे ड्रायर दे दे बेटा … बाल सुखाने हैं.
‘जी आंटी.’ बोलकर मैं ड्रायर लेने चला गया और आकर उनको ड्रायर पकड़ा दिया.
फिर वो उठकर शीशे के सामने खड़ी होकर अपने बाल सुखाने लगीं और इधर उनको देखकर मेरी हालत खराब होने लगी थी.
बाक्सर में उनकी गांड एकदम बाहर निकली हुई थी, इस उम्र में भी उनकी गांड में कसावट पूरी थी और जब वो अपने बाल सुखा रही थीं, तो टी-शर्ट बार बार ऊपर उठ रही थी, जिससे उनका गोरा गोरा पेट मुझे बार बार दिख रहा था.
और चूचियों के तो क्या ही कहने … उनके निप्पल एकदम टी-शर्ट से बाहर निकलने को आ रहे थे.
आंटी की गोरी लम्बी टांगें देखकर मेरा लंड पूरी तरह से टाइट होने लगा था.
मन में ये आ रहा था कि यार आंटी मुझसे बहुत बड़ी हैं और मेरी मम्मी की सहेली हैं, इनके बारे में मुझे ये सब नहीं सोचना चाहिए.
लेकिन मेरी जवान आंखें और जवान मन कुछ और ही देख और सोच रहे थे. जो मेरे बस के बाहर था.
मेरे मनोभावों से अन्जान आंटी अब तक अपने बाल सुखा चुकी थीं.
बाहर बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी और मेरे मन के अन्दर सेक्स का सूखापन मुझे आंटी के इस रूप पर मोहित किए जा रहा था.
उनके अंगों की कसावट, गोल चूचियां, बड़े मोटे चूतड़, गोरा पेट, गोरी नंगी टांगें देख कर बस यही लग रहा था कि आज आंटी मेरी हो जाएं.
आंटी ने पूछा- और बेटा निखिल काम काज तेरा कैसा चल रहा है?
‘अच्छा है आंटी, धीरे धीरे चीजें बढ़ रही हैं.’ मैंने बोला.
‘चलो अच्छा है, अब तू अपने पैरों पर खड़ा हो गया है. अब मम्मी से बोलकर तेरी शादी फिक्स कर देनी चाहिए, क्यूं है कि नहीं?’
मैंने भी थोड़ा असहज होकर बोला- अरे आंटी आप भी. जब होनी होगी हो जाएगी मैं अभी इन सबके बारे में नहीं सोचता. अभी बस करियर की तरफ फोकस है.
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(This post was last modified: 12-03-2024, 04:30 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
mहै.
‘तेरे अंकल भी अपने करियर को ही देखते रह गए बेटा और देर उम्र में शादी की … और आज तुझे तो पता ही है कि हमारी कोई सन्तान नहीं है.’
‘आंटी आप बुरा ना माने तो एक बात पूछूं?’
‘हां हां बेटा पूछो. तुमसे क्या बुरा मानना, तू तो मेरे बेटे जैसा है.’
‘आप दोनों ने अपने सारे टेस्ट वगैरह तो करवाए ही होंगे ना, तो टेस्ट के मुताबिक दिक्कत क्या आ रही है, जो बेबी नहीं हो रहा है?’
आंटी थोड़ी मायूस होती हुई बोलीं कि बेटा तेरे अंकल में ही कुछ दिक्कत है, तभी तो मैंने बोला कि शादी करने में देर मत कर वर्ना आगे और सारी दिक्कतें आने लगती हैं.
ये सुनकर मैं थोड़ा सोच में पड़ गया और आंटी की तरफ देखने लगा.
मेरी नज़रें आंटी की गोल मोटी चूचियों और तने हुए निप्पल्स की तरफ हो गईं. मुझे इस बात का अहसास नहीं हुआ कि आंटी इस बात को नोटिस कर रही हैं.
मैं बस उन्हें देखता रह गया.
तभी आंटी ने एकदम से मुझे उनके दूध देखते हुए देखा और उन्होंने ये भी देखा कि बिना ब्रा के उनके निप्पल ऊपर से ही दिख रहे हैं.
ये जानते ही उनको थोड़ी सी शर्म आयी और उन्होंने मुझे टोकते हुए कहा कि निखिल क्या देख रहे हो?
‘मैं..मैं … ककुछ नहीं आंटी, मैं वो ऐसे ही कुछ सोचने लगा था. आइ एम सॉरी आंटी.’
ये कहकर मैंने नज़रें हटा लीं.
थोड़ा अजीब सा माहौल बन गया था मेरे और आंटी के बीच.
और मुझे अपने ऊपर थोड़ी गुस्सा भी आया कि इतनी बड़ी औरत के लिए मेरे मन में क्या क्या ख्याल आ रहे हैं.
हालांकि उनका गदराया बदन देखकर कोई भी जवान मर्द पिघल उठता, उनकी आंखों में भी एक अजीब सी कशिश थी जो थोड़ा आमंत्रित जैसा कर रही थी.
आज मुझे इस बात का अहसास हो रहा था कि अकेले में अगर एक बन्द कमरे में आपके साथ एक सुन्दर सी विवाहित औरत सिर्फ टी-शर्ट और बाक्सर में आपके बेड पर बैठी हो … और चाहे वो आपकी मम्मी की फ्रेंड ही क्यूं ना हो, आप उसको बहुत अच्छे से चोदना चाहेंगे. वो भी तब तक, जब तक आप थक कर चूर ना हो जाएं.
दिमाग में ये सब बातें चल ही रही थीं कि एकदम से शज़िया आंटी ने कहा- कोई बात नहीं निखिल. तुमको ज्यादा परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है. ये नैचुरल है.
‘क्या नैचुरल है आंटी?’
‘यू नो वाट आइ मीन.’
‘नहीं आंटी. मैं नहीं समझा कि आप क्या कह रही हैं?’
‘जैसे तुम मुझे देख रहे थे अभी वो … वैसे किसी मर्द का किसी औरत को देखना नैचुरल है.’
‘लेकिन आप मेरी आंटी हैं.’
‘आंटी जरूर हूं लेकिन एक औरत भी तो हूं … और शायद थोड़ी सुन्दर औरत भी.’
ये कहकर आंटी थोड़ा खिलखिलायीं और फिर से पूछने लगीं- क्यूं निखिल हूं ना मैं थोड़ी सुन्दर?
शायद ये घर में हम दोनों का अकेला होना आंटी को भी मेरे प्रति थोड़ा बिंदास बना रहा था. शायद वो भी इस मौके का मज़ा लेना चाह रही थीं.
तभी तो अपने से आठ नौ साल छोटे आदमी से ये सब बातें करना शुरू कर रही थीं.
लेकिन मेरे मन में हिचकिचाहट अभी भी थी, जिसकी वजह से मैं खुद को रोक रहा था.
पर मन में आया कि बात ही तो कर रहे हैं, बात करने में क्या बुराई है. मॉम फ्रेंड सेक्स के लिए लालायित दिख रही थी.
फिर मैंने थोड़ा साहस दिखाते हुए और मुस्कुराते हुए जवाब दिया- थोड़ी? अरे आंटी आप तो बहुत सुन्दर हो.
‘ओ हो तो मेरे बेटे को मैं बहुत सुन्दर लगती हूं. तो बोलो बेटा क्या सुन्दर है मुझमें?’
‘सब कुछ आंटी.’
‘सब कुछ क्या बेटा?’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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