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07-02-2024, 08:24 PM
(This post was last modified: 08-02-2024, 10:00 AM by mariesweet21. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
हमारे हसीन पल ( सलहज के साथ )
आप सबने , मेरे अनुभव , पढ़ी होगी
यदि नहीं पढ़ी , तो आप पढ़ सकते हैं यहाँ से
https://xossipy.com/thread-55741.html
मेरी पत्नी विनीता ने अपने अनुभव , खास खास , लिखे हैं
आप सबने ध्यान दिया होगा , विनीता का हर अनुभव , मेरे कहने पे ही होता था, स्थिति अनुसार
एक खास बात और भी , आप ध्यान देंगे ,
कोई भी अनुभव रिश्तों में नही हुआ
मुझे रिश्तों में कोई भी इस तरह का संबंध ठीक नही लगता
हर रिश्ते की अपनी अहमियत है
रिश्तों में sex या कुछ भी गलत होना , मुझे अनैतिक और गलत लगता है
मेरी सोच में :
रिश्ते, खास कर परिवार के , जिंदगी भर के लिए होते है और सेक्स या किसी भी रकम का गलत संबंध परिवार को एक गलत दिशा में ले जा सकता है , परिवार को तोड़ सकता है , बईज़्जती भी होने का डर रहता है
कुछ समय के लिए होने वाली मस्ती के लिए रिश्तों से दूर रहना ही ठीक है
परिवार को बेइज्जती से बचाने के लिए
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07-02-2024, 08:40 PM
(This post was last modified: 08-02-2024, 09:57 AM by mariesweet21. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
हमारे हसीन पल ( सलहज के साथ)
अब आगे :
कुछ रिश्ते इतने मधुर होते हैं कि हंसी मजाक बहुत होता है आपस में
और सभी उस हंसी मजाक का आनंद लेते हैं
हंसी मजाक का दायरा सीमित में रहने से आनंद सभी लेते हैं
जैसे
देवर _ भाभी :
सबसे प्यारा रिश्ता होता है ये
हंसी मजाक भी चलते रहता है दोनो मे ,
घर में सबसे प्यारा रिश्ता होता है ये
हमेशा घर में रहते हैं दोनो , इसलिए हंसी मजाक होते ही रहता है
जीजा _ साली :
ये रिश्ता भी बहुत ही प्यारा है ।
हंसी मजाक इस रिश्ते में भी बहुत ही होता है
जीजा के कभी कभी आने से , हंसी मजाक सीमित ही होता है ,लेकिन बहुत ही प्यारा और खास होता है
और एक रिश्ता बहुत ही खास है
जीजा _ सालाहेली ( सलहज ) :
दोनो रिश्तों की तरह ये रिश्ता भी बहुत ही प्यारा और हंसी मजाक वाला होता है
इस रिश्ते की खास बात ये है कि दोनो ही बाहर से आ , परिवार के अहम सदस्य , बनते हैं
इसमें भी जीजा के घर आने पे साली की तरह ही सालाहेली से भी हंसी मजाक ज्यादा होता है
लेकिन एक नाजुक डोर से बंधे होते है , ये रिश्ते
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अब आगे :
कभी कभी , इन रिश्तों में हंसी मजाक जब थोड़ा ज्यादा होने लगता हैं ,
एक दूसरे के प्रति प्रेम बढ़ने लगता है , चाहत बढ़ती है
शारीरिक आकर्षण भी होने लगता है एक दूसरे के प्रति
दूसरे की हर बात बहुत अच्छी लगने लगती है
हमेशा उसका साथ रहने का मन करता है
और दोनो मे आपस में शारीरिक संबंध भी होने की संभावना बढ़ जाती है
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अब आगे :
मुझे जरा भी आभास नहीं था , कि
मेरी जिंदगी में भी ऐसा ही कुछ होगा ,
मुझे भी , ससुराल में , किसी से लगाव होगा , चाहत होगी
और मैं , उस रिश्ते में , पूरी तरह खो सा जाऊंगा
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अब मैं अपने इस रिश्ते की शुरुआत कैसे हुई , क्या हुआ , और कैसे मैं उसको चाहने लगा ,
इसको बताऊं
पहले अपने बारे में , कुछ कह दूं :
मेरा नाम राहुल है , उम्र करीब २४ वर्स, ( १९८८ ) , CA कर रहा था
हम बेलूर में रहते थे
मेरी शादी तय हो गई थी
लड़की का नाम , विनीता था , सिलीगुड़ी से थी
तीन बहने और तीन भाई थे
विनीता , से बड़ी एक बहन , और छोटी एक बहन थी
विनीता से छोटे थे तीनों भाई
सामान्य परिवार ही था
शादी कलकत्ता में हुई
मैं बहुत excited था, और शादी की रात से ही
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विनिता बहुत ही प्यारी थी , उम्र १९ वर्स, 12 तक पढ़ी हुई , इंग्लिश अच्छा बोलती थी
उसका कद करीब 5,5 था
चेहरे पे हमेशा मुस्कान रहती थी , और मीठा बोलती थी
माने, हर तरह से मुझे और मेरे घरवालों को बहुत पसंद थी
खास कर मुझे
कई कारणों से
सबसे पहले तो , वो बहुत ही प्यारी थी , मुझे बहुत ही अच्छी लगती थी हर पहर
फिर , जैसे दिखने में प्यारी थी, गोरी थी , उसका शरीर भी बहुत ही मादक था मेरे लिए
प्यारा चेहरा , हंसता हुआ ,
गोरे गोरे गाल ,
फिर दो पुष्ट उरोज , पूर्ण गोलाई लिए हुए
फिर प्यारी कमर , पतली , गोरी सी
बड़ी नाभी
जब घूमती तो , पीछे से भी बहुत मादक लगती
उसके वो बड़े नितंब
माने हर तरह से मेरे दिल को भा गई थी
उसे अपनी पत्नी के रूप में पा, में बहुत ही खुस था
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यूं तो शादी से पहले हम 2 3 बार मिले थे , जब जब वो कोलकाता आई
सगाई के समय
फिर घरवालों के साथ एक बार बाहर खाने ( dinner ) गए
एक बार , सिर्फ में , विनिता और उसकी बहन सिनेमा देखने गए
सिर्फ देखना ही हुआ मेरा उसको और कुछ बातें
लेकिन छूना बिलकुल नहीं हुआ
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शादी हुई , सारी रस्में पूरी हुई
दूसरे दिन सुहागरात थी
सजे कमरे में , में आया , बड़े अरमानों के साथ
लेकिन एक जीझक भी थी
पहली बार किसी लड़की को छूने, देखने और इतने करीब से साथ रहने पे
शायद विनिता का भी वही हाल था
वो भी अंदर ही अंदर , काफी डरी हुई थी , सहमी हुई थी , और शर्मा भी रही थी
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मैंने बातें सुरू की
धीरे धीरे हम खुलने लगे
हम दोनो का ही ये ( सेक्स ) का पहला अनुभव था
मैं बात करते करते , उसके पास आ , अब उसके मुंह को करीब ला , एक चुम्बन लिया
मजा आ गया मुझे , उन गोरे गालों को चुम्बन लेने से
मैं दोनो गालों को भरपूर चूमने लगा
उसे भी अच्छा लग रहा था , वो मुझसे पूरा चिपट गई
फिर मैं एक हाथ धीरे से उसके एक उरोज ( बूब्स) पे रखा, हल्के से दबाया
फिर गालों को छोड़, अब मैं उसके दोनो बूब्स को पकड़ा , और हल्के हल्के दबाया
उसे भी आनंद आ रहा था
अब मैं उसके ब्लाउज को खोलने लगा
और दोनो बूब्स, पूरा बाहर आ गए
कमरे ही हल्की रोशनी थी
बड़े बड़े दोनो बूब्स , गोरे गोरे , और गुलाबी रंग की ऊपर से छोटी सी nipple, उन boobs pe
मेरी आंखों के सामने थी एक दम खुले हुए
मैं अब जीव से पहले निप्पल को kiss किया, हल्के से चूसा
और देखते ही देखते अब मैं दोनो boobs को मुंह में पूरा भर चूसने लगा
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विनिता ने कान में कहा : बत्ती , बंद कर दीजिए ना
मैं : क्यों ?
विनिता : मुझे शर्म आ रही है
मैं : मुझे तुम्हे आज पूरा देखना है , भरपूर प्यार करना है , पहली बार जो है, बहुत अच्छा लग रहा है , तुम्हे ?
विनिता : मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है , लेकिन शर्म आ रही है , रोशनी कम ही कर दीजिए
मैंने रोशनी और कम कर दी , लेकिन उसका शरीर मुझे दिख रहा था
अब उसकी साड़ी अलग हो गई थी
ब्लाउज अलग हो ही चुका था
अब मैंने उसके पेटीकोट और फिर पैंटी को भी अलग कर दिया
बहुत ही गोरी होने से उसका दूधिया शरीर चमक रहा था कमरे में ,
अब मैं उसकी जांघो पे हाथ सहलाया , दोनो जांघ बहुत ही मादक और नाजुक से थे
ऊपर साफ उसका कटी प्रदेश , बालों के झुरमुट में दिख रहा था
मैं जांघो से ऊपर हो , अब उसके कटी प्रदेश ( pussy ) , Chut , पे आया , पहले सहलाया , फिर मुंह से चूमने लगा
मैंने भी मेरी शेरवानी , पैजामा उतार दिया था
उसकी pussy के अंदर जीव घुसाई और चारों तरफ फेरी
मैं उसका एक हाथ ले अपने लिंग पे रख दिया , पहले तो वो हल्का सा पकड़ी , फिर सहलाने लगी
अब मैं उसकी pussy चूस रहा था , वो मेरा लिंग जकड़ रही थी
अब रहा नही जा रहा था
काफी excited हो गया था
और मैं उठ , उसके दोनो पैरों के बीच आ , दोनो पैरो को उठा , अपने लिंग को उसकी pussy से टच करा , धीरे धीरे अंदर घुसाने की चेष्टा करने लगा
और मेरा लिंग अब पूरी तरह अंदर घुस गया
अब मैं जोर जोर से आगे पीछे हो धक्के मारने लगा
पहली बार होने से , में जल्दी ही स्खलित हो गया
फिर हम दोनो एक दूसरे के अंगो से खेलते रहे , चूमते रहे , चूसते रहे
और फिर मैं , fucking सुरू किया
इस बार बहुत देर हमने fucking किया
और हम , पूर्ण संतुष्ट हो , एक दूसरे से , सो गए
करीब सुबह के ३ बज चुके थे
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26-02-2024, 03:38 PM
(This post was last modified: 27-02-2024, 01:56 PM by mariesweet21. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
शादी के बाद , हम ४ दिन बाद होनीमून के लिए काठमांडू गए
उन ४ दोनो में , घर में , रात में पूरी मस्ती करते हम दोनो
और काठमांडू पहुंच , हम बहुत बहुत मस्ती करना सुरू कर दिए
मुझे विनिता बहुत ही प्यारी लगती थी , इसलिए कई रकम की उलटी पुल्टी , sex related मस्तियां सुरू कर दी
वो मस्तियां आज ( २०२४ ) तक चालू हैं , और हम दोनो बहुत खुश है एक दूसरे से
मैंने इन ३६ सालों में कई अलग अलग अनुभव भी विनिता को करवाया
जो आप सब , मेरे अनुभव , अलग कहानी , में पढ़ पाएंगे
लिंक ये है , मेरे अनुभव , का :
https://xossipy.com/thread-55741.html
यहां मेरा उद्देश्य , मेरे उन हसीन पलों को लिखना रहेगा , जो मैने मेरी प्यारी सालाहेली ( सलहज) के साथ महसूस किए
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मेरा ससुराल जाना एक दम नही होता था
करीब ५ साल बाद ( १९९३ ) में जाने का काम पड़ा
अशोक की शादी तय हुई थी
सिलीगुड़ी से ही १२ km दूर एक गांव में
मैं शायद पहली बार ही ससुराल जा रहा था
बहुत excited था
साली से पहली बार मिलने का मौका , अब २२ की हो गई ,
शादी में मस्ती
सालाहेली कैसी होगी , ek darling friend milegi ab sasural me
सोच सोच , सिलीगुड़ी पहुंचा
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सच कहूं , तो मूड के हिसाब से कुछ नही हुआ सिलीगुड़ी में इन ४ दोनो की शादी में
ससुराल पहुंच , साली से मुलाकात हुई
कोई उत्तेजना नही हुई , कोई interest नही हुई
सुनीता एक दुबली पतली सामान्य से सांवली सी लड़की थी , पढ़ी लिखी थी , चेहरा भी ठीक था , लेकिन मुझे उसमे कोई इंट्रेस्ट नही जगा
दूसरे दिन शादी थी
हम सब नाचते गाते शादी में मजा जरूर लिए हर चीज का
लेकिन
मेरा सारा उत्साह , सालाहेली , को देखते ही खत्म हो गया
उसका नाम था : कृष्णा
एक बहुत ही दुबली पतली सांवली सी लड़की , कोई आकर्षण मुझे नहीं दिखा
मेरी आंखे उसके शरीर का xray कर रही थी
boobs मानो छाती से सटे हुए ही थे , एक दम छोटे
नितंब (ass, gand ) ,: एक दम पतली से
मेरा सारा उत्साह खत्म हो गया था
विनिता ने बताया : सूर्यमुखी होने से , अशोक से शादी के लिए लड़की नही मिल रही थी , जैसे तैसे ये मिली है
मन बहुत ही उदास फील किया , अशोक के लिए
मेरा तो खैर कुछ मन ही नही रह गया था
अब सालाहेली का वो उत्साह , वो उमंग , पूरा मन से उतर गया
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फिर मेरा कोई ५ साल
ससुराल जाना नही हुआ
इस बीच सुनीता की भी शादी हो गई , १९९६ में , कोलकाता में ही हुई
अब आ गया
१९९८ :
विनिता ने मुझे बताया : कल शाम को , hindmotor चलना है , अमन के लिए लड़की देखने
मुझे कृष्णा याद आ गई
और
कारण भी , कि अशोक सूर्यमुखी होने से जैसे तैसे कर रहे हैं
अमन , मेरा दूसरा साला , भी तो सूर्यमुखी है , मेरा उत्साह ना के बराबर था
मैं : यार मैं क्या करूंगा , तुम लोग ही देख आओ , मुझे कोन सी लड़की की पहचान है खास
विनिता : बड़े जीजाजी तो है नही , दिल्ली गए है , आप ही तो बड़े जीजाजी हुए ना फिर चलने
मेरा कोई खास मन नहीं था
लेकिन विनिता की कोई बात मैं टाल ही नही पाता था
हम दोनो को जरा भी आभास नहीं था ,
मेरी जिंदगी में
एक हसीन समय का उदय होने, एक हसीन साथ का समय आया है ,
एक नए रोमांच ,
एक नए रोमांस
और
एक नए आयाम
का समय आया है
:::::::::
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दूसरे दिन शाम
हम करीब ११ लोग hindmotor गए
बाकी लोग सीधे पहुंच गए
मैं , बगैर किसी मन के , मेरे चचेरे साले, विनिता के चाचा का लड़का , अरुण , के साथ गाड़ी में पहुंचा
मन में कोई खास उत्सुकता नही थी
हम एक हॉल में पहुंचे , करीब २५ २६ लोग थे , सब मिला
मैं अमन के पास आ बैठ गया
उससे बात करने लगा और
यूं ही इधर उधर देख रहा था
एक दो लड़की हॉल में दिखी , ठीक ठाक थी
तभी अमन की आवाज सुनाई दी : जीजा कैसी लगी , कुछ बात करेंगे क्या ?
मैं : कोन ?
अमन : कामना , जिसको देखने आए हैं
मैं ( इधर उधर देखते हुए ) : कहां है ?
अमन : वो सामने , लाल साड़ी में
और मेरा देखना हुआ सामने
कामना को
शायद , मेरी कामना को ( ????)
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अब आगे :
और मेरा देखना हुआ सामने
कामना को
सामने एक कुर्सी पे
एक लाल साड़ी में लिपटी
एक १७ वर्स की गुडिया, छुई मूई सी , एक दम गोरी सी , प्यारी मुस्कान चेहरे पे , नीचे मुंह किए बैठी थी
शायद विनिता उसके पास जा के कही : ये जीजाजी है , चलो पांव छू लो
और मैंने देखा ,
उसका प्यारा चेहरा धीरे धीरे ऊपर उठते हुए , मानो सूर्य उदय हो रहा हो
उसकी प्यारी आंखे मुझसे मिली , मानो कह रही हो : जीजाजी , अपनी बनाओगे मुझे ?
चेहरे पे हल्की मुश्कुरुहाट ला, हल्के से उठने की चेष्टा की , और कुर्सी से उठ मेरी ओर नीचे मुंह किए बढ़ी
थे तो वो ७ कदम उसके मेरी ओर आने ,
मानो एक एक कदम हमारे दोनो के मिलन का कदम था , अगले ७ जन्मों के लिए
एकदम पास आ , वो , मेरी कामना , झुकी मेरे पांव छूने
मैंने उसे झट से रोक लिया , दोनो कंधो को पकड़ : अरे अरे ठीक है , हो गया , अब बैठ जाओ
मन तो कर रहा था ,
उन कंधो को दबा , उसे गोदी में बैठा , सबके सामने ही , चूम लूं
कंधो को पकड़े पकड़े ही , हमारी आंखे मिली
मैंने दो चीज अनुभव की
पहली : शायद उसकी आंखे बहुत ही नशीली है , एक दम भीतर तक चीरने दिल को
दूसरी : वछ स्थल , यानी छाती पे गोलाइयां भी पूर्ण है , न्योता देती हुई
मैंने उसके कंधे छोड़ दिए , वो शरमाते हुए घूमी , वापस अपनी कुर्सी पे जाने
उफ्फ, फिर वो ७ कदम
मेरी नज़र अब उसके पीछे थी
मानो एक बड़ा ब्रह्मांड धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है , मस्ती में
मैं उसके इस बड़े धरातल को देख , उस मतवाली चाल को देख पूरा खो सा गया
और मेरा एक हाथ , मेरे जगनाथ पे , स्वत; ही आ गया
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29-02-2024, 09:16 AM
(This post was last modified: 29-02-2024, 09:18 AM by mariesweet21. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.
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मेरी वाइफ के अनुभव आप पढ़ सकते हैं
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